तीनों का यह शिमला का सफर बेहद रोमांचक और कामोत्तेजना से भरा हुआ था जिसकी शुरुआत से शीतल ने शुभम के लंड का पानी निकाल कर कर चुकी थी,,,।
गाड़ी अपनी रफ्तार से हाईवे पर भागी चली जा रही थी घंटो बीत चुके थे निर्मला को गाड़ी चलाते,,, इसलिए एक ही सीट पर बैठे बैठे उसकी गांड में दर्द होने लगा था,,,। दोपहर के 2:00 बज रहे थे अब तीनों को भुख भी कसके लगी हुई थी,,,।
Sheetal or Shubham
निर्मला एक अच्छी सी होटल देखकर वहीं रुको खाना खा लेते हैं,,,,। ( शुभम की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए शीतल बोली,,,। और शीतल के यह मुस्कुराहट निर्मला ने शीशे में देख ली शुभम भी उसको देख कर मुस्कुरा रहा था जो देखकर निर्मला पूरी तरह से जल भुन गई,,, उसे लगने लगा कि अगर वह कुछ ऐसा वैसा नहीं करेगी तो शुभम शीतल की तरफ पूरी तरह से आकर्षित हो जाएगा वैसे भी दोनों के बीच में सब कुछ हो चुका था,,,,, एक तरह से निर्मला को शीतल से जलन होने लगी थी और उसे अपनी बेटे पर गुस्सा भी आ रहा था,,,, उसे क्या करना चाहिए कि उसका बेटा एक बार फिर से पूरी तरह से उसका हो जाए इसी बारे में सोच रही थी कि तभी उसे सामने एक अच्छी सी होटल दिखाई दी और वह तुरंत उस होटल के सामने कार को खड़ी कर दी,,,।
शुभम के साथ साथ निर्मला और शीतल कार से उतर गए और देखने वाले की नजरें शीतल और निर्मला पर चिपकी की चिपकी रह गई,,, दोनों बला की खूबसूरत थी गदराया जिस्म और बड़ी-बड़ी चूचियां और बाहर को निकले हुए सुडोल नितंब कुल मिलाकर पूरी तरह से दोनों काम देवी लग रही थी जिसके आकर्षण में वहां के जितने भी मर्द थे उनकी नजरें उन पर जमी हुई थी,,,, होटल में प्रवेश करते ही होटल का पूरा स्टाफ शीतल और निर्मला के इर्द-गिर्द घूमने लगा,,,। तीनों एक टेबल पर बैठकर टेबल पर पड़े जग में से ठंडा पानी निकाल कर पीने लगे तभी एक वेटर उनके टेबल के करीब आया और खाने का आर्डर लेने लगा निर्मला ने खाने का आर्डर दे दी तो शीतल उस वेटर से चेंजिंग रूम के बारे में पूछने लगी,,, वेटर ने शीतल को चेंजिंग रूम के बारे में दिशानिर्देश कर दिया और चला गया तो निर्मला उससे बोली,,,।
तुम ड्रेसिंग रूम का क्या करोगी,,,,?
यार निर्मला बहुत दिनों बाद में यह ड्रेस पहनी हूं क्योंकि बहुत कसी हुई है मुझको बिल्कुल भी कंफर्टेबल नहीं लग रहा है इसलिए मैं सोचती हूं कि जाकर साड़ी पहन लुं,।
हां मुझे भी यही लग रहा है मैं भी यही देखकर सोच रही हूं कि इतनी कसे हुए ड्रेस में तुम कैसे कंफर्टेबल महसूस कर रही हो,,,।
अच्छा तुम दोनों बैठो मैं गाड़ी में से अपनी साड़ी लेकर आती हूं,,,,।( और इतना कहकर शीतल होटल के बाहर गाड़ी की तरफ चली गई,,, शीतल के जाते ही निर्मला गुस्से में शीतल से बोली,,,।)
क्यों रे तुझे शीतल अब बहुत ज्यादा अच्छी लगने लगी है तुझे नई बुर चोदने को क्या मिल गई तू तो मुझे भूल ही गया,,,
क्या कह रही हो मम्मी कैसी बातें कर रही हो,,,।
कैसी बातें कर रही हो नहीं तू मुझे सच सच बता,,, तुझे मैं अच्छी लगती हूं या शीतल,,,,
तुम अच्छी लगती हो मम्मी तुम्हारे सामने उसकी खूबसूरती कोई मायने नहीं रखती,,,।
तो तू उससे हंस हंस के क्यों बातें कर रहा था,,,।
क्या मम्मी तुम भी बच्चों जैसी बातें कर रही हो वह जैसा कह रही है वैसा हमें करना पड़ेगा जब तक कि हम शिमला पहुंचकर उसका भी वीडियो ना बना ले जैसा कि वह हम दोनों का बनाई है तब जाकर हमें उससे छुटकारा मिलेगा,,,।
( शुभम की बात सुनकर निर्मला सोच में पड़ गई क्योंकि जो कुछ भी शुभम कह रहा था उसमें सच्चाई थी लेकिन क्या करती है एक औरत होने के नाते वह नहीं चाहती थी कि उसके बेटे का दिल किसी और औरत पर आए जो कि ऐसा हो भी चुका था निर्मला अपने मन में सोच रही थी कि उसे कुछ ऐसा करना पड़ेगा कि जैसे शुभम एक बार फिर से उसका पूरी तरह से दीवाना हो जाए क्योंकि मर्दों का भरोसा उसे बिल्कुल भी नहीं था जहां चिकनी बुर देखते हैं वही फिसल जाते हैं इस समय उसका बेटा शीतल की दोनों टांगों के बीच फिसल रहा था,,, इसलिए निर्मला इस सफर के दौरान कुछ ऐसा करने की मन में सोच रही थी कि शुभम एक बार फिर से उसकी मदमस्त जवानी का पूरी तरह से कायल हो जाए,,,। शुभम की बात सुनकर वह बोली,,,।)
तू जो कह रहा है मैं जानती हूं वह सच है लेकिन एक औरत होने के नाते मैं नहीं चाहती कि तो किसी दूसरी औरत के पास जाए और उसका दीवाना हो जाए,,,।
क्या बात कर रही है मम्मी मैं खुद उसके पास गया था कि वह आपने मुझे उसके पास भेजी थी,,,, जैसे तैसे करके इस परिस्थिति से हम दोनों को निकलना होगा मैं तो कह रहा हूं कि अभी जैसा चल रहा है वैसा चलने दो उसकी बात मानने में ही भलाई है और मम्मी क्यों ना सब कुछ भूल कर कुछ दिनों के लिए इन सब का मजा लो वैसे भी शीतल मैडम ठीक ही कहती है कि जिंदगी में पूरा मजा लेना चाहिए फिर पता नहीं वह मौका मिले या ना मिले वैसे भी मैं जिंदगी भर आपका ही रहने वाला हूं उस शीतल का नहीं,,,।
( अपने बेटे की बातें सुनकर निर्मला को भी लगने लगा था कि जिस परिस्थिति सेवर कुछ और रही है उसी पर स्थिति में अपने आप को ढाल लेना चाहिए वरना दुख और चिंता के सिवा उसे कुछ नहीं मिलेगा,,,, ।)
चल ठीक है जैसा तू कहता है मैं भी वैसा ही करूंगी मैं भी तो इस नए अनुभव का मजा लेकर देखूं,,,।
पहले भी तो तुमने इस तरह से मजा ले चुकी हो,,,।
हां वह तो है पर वो तो जवान हो रही लड़की थी और यहां तो एक मेरी ही उम्र की औरत है देखते हैं कौन किस पर भारी पड़ता है,,,।
निर्मला यह सब कह ही रही थी कि तभी बैटर खाना लेकर आ गया,,,, और टेबल पर खाना रखकर कुछ और के बारे में पूछ कर वहां से चला गया,,,, तब तक शीतल गाड़ी में से अपनी साड़ी निकाल कर होटल में चेंजिंग रूम में जा चुकी थी,,,। होटल का एक कर्मचारी शीतल की हरकतों पर बारीकी से नजर रखा हुआ था वह अच्छी तरह से जानता था कि सीकर चेंजिंग रूम में अपने कपड़े बदलने जा रही है और वह सलवार सूट पहनी हुई है और चेंजिंग रूम में जाकर वह अपने सारे कपड़े उतार कर साड़ी पहने की जिसका मतलब साफ था कि वह चेंजींग रूम में पूरी तरह से नंगी हो जाएगी,,,, यह ख्याल उसके मन में आते ही हो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और वह शीतल पर ही नजर रखे हुए था जैसे ही वह चेंजिंग रूम में कपड़े बदलने के लिए गई वैसे ही वह तुरंत दरवाजे पर आकर की होल से अंदर का नजारा देखने लगा,,,,। होटल के उस कर्मचारी का यह रोज का काम था जब भी कोई खूबसूरत औरत है होटल के अंदर अपने कपड़े बदलने के लिए जाती थी तो वह चोरी छुपे उस दरवाजे के पास आकर की होल में से झांककर अंदर का नजारा देखकर मस्त हो जाता था,,,। कर्मचारी की हॉल में से अंदर का नजारा देखकर मस्त हुवे जा रहा था,,,।
जिंदगी में पहली बार वह होटल का कर्मचारी इतनी गोरी खूबसूरत गदर आई बदन वाली औरत को नंगी होते हुए देख रहा था चेंजिंग रूम में शीतल को इस बात का आभास तक नहीं था कि उसे की होल से कोई झांक रहा है,,, वह तो अपनी मस्ती में अपनी सरकार अपने कुर्ती को पल भर में उतार कर अपने बदन से अलग कर दी,,, कसी हुई सलवार सूट के साथ-साथ वह अपनी दोनों बड़ी बड़ी चूचियों को बराबर नाप में रखने के लिए चुचियों से कम साइज की ब्रा पहनी हुई थी जो की पूरी तरह से फंसी हुई थी इसलिए वह अपनी ब्रा को भी उतार दी,,,, होटल का कर्मचारी शीतल की बड़ी बड़ी चूचियों को देखते ही एकदम पागल हो गया और नजरें बचाकर वह अपने पेंट की चैन खोलकर अपना लंड बाहर निकाल दिया और उसे हिलाना शुरू कर दिया। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अब उसे उम्मीद थी कि वह अपनी पेंटी उतार कर पूरी नंगी हो जाएगी तो उसे खूबसूरत नजारा देखने को मिल जाएगा और उसकी सोच सही साबित हुई देखते ही देखते इसी तरह अपनी पेंटिंग को भी उतार फेंकी वह होटल का कर्मचारी तो एकदम पागल हो गया वैसे भी इस सफर को शुरू करने से पहले शीतल ने अपनी दूर के हल्के हल्के बालों पर वीट क्रीम लगाकर पूरी तरह से चिकनी कर ली थी जिंदगी में पहली बार वह उधर का कर्मचारी किसी औरत की खूबसूरत एकदम चिकनी बुर को देख रहा था गुलाबी गुलाबी पत्तियों को देखकर उससे रहा नहीं गया और जोर-जोर से अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,,। कार में शुभम के साथ जो हरकत उसने की थी उसके असर रूपी मधुर रस अभी भी उसकी बुर्के गुलाबी पत्तियों पर मोतियों के बूंद बन कर चिपके हुए थे जिसे वह अपनी पेंटी से ही साफ करने लगी और यह हरकत उस कर्मचारी के लिए बेहद मादकता से भरा हुआ था,,,,। बहुत खुश नजर आ रहा था शायद जिंदगी में पहली बार उसने इस होटल में इस तरह का नजारा देखा था आज उसका दिन बन गया था वह मदहोश होकर अपनी आंखों को उस की होल से सटाया हुआ था,,,।
कार में से लाई हुई ब्रा और पेंटी को शीतल पहनने लगी,,,
दूसरी तरफ निर्मला और शुभम शीतल का इंतजार कर रहे थे और शुभम को जोरो की पिशाब लगी हुई थी इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,।
मम्मी तुम 2 मिनट इंतजार करो मैं बाथरूम में जाकर आता हूं,,,,
( इतना कहकर वह वहां से निकल गया बाथरूम का रास्ता सी चेंजिंग रूम से होकर जाता था और वहां पर कोई आता जाता नहीं था,,, सुबह शाम वहां पर चहल पहल रहती थी और दोपहर में तो भूले भटके ही कोई वहां आ जाता था,,,। जैसे ही वह चेंजिंग रूप के थोड़ा सा करीब पहुंचा तो उसे वह होटल का कर्मचारी उसी दरवाजे के पास बैठा हुआ मिला जोकि चेंजिंग रूम की की होल से अंदर का नजारा देख रहा था शुभम को समझते देर नहीं लगी कि उस रूम में शीतल अपने कपड़े बदल रही है और वह उसी को देख रहा है,,,। शुभम को एकदम से गुस्सा आ गया और वह सीधा जाकर उस होटल के कर्मचारी को उसके गिरेबान पकड़कर खड़ा किया,,,। वह एकदम से घबरा गया,,,।
यह क्या कर रहा था तू तो इस तरह से औरतों को कपड़े बदलता हुआ देखता है,,,।
( शुभम की कही बात रूम के अंदर कपड़े बदल रही शीतल सुन ली वो एकदम से घबरा गई,,, शीतल अंदर अपने कपड़े बदल चुकी थी वह जब तक बाहर आती तब तक शुभम गुस्से में उस कर्मचारी को दो-तीन थप्पड़ लगा चुका था,,,
आवाज सुनकर तुरंत होटल का मैनेजर दौड़ता हुआ वहां आ गया तब तक कपड़े बदलकर शीतल रूम से बाहर आ चुकी थी,,,,,,, बाहर आते ही उसकी नजर शुभम पर पड़ी जो कि कर्मचारी को उसके गिरेबान से पकड़े हुए था और उसकी आंखों के सामने दो चार थप्पड़ और लगा दिया,,,।
मैनेजर को शुभम ने सारी बातें बताई शीतल तो हैरान थी कि उसे संपूर्ण रूप से नंगी होते हुए उस होटल के कर्मचारी ने देख लिया था व शर्मिंदा हो गई थी होटल का मैनेजर भी अपनी कर्मचारी की हरकत से पूरी तरह से शर्मिंदा हो चुका था वह उसे डांट कर वहां से भगा दिया,,,। भगा क्या दिया तत्काल उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया और शुभम और शीतल दोनों से माफी मांगते हुए बोला,,,।
देखो मैं काफी शर्मिंदा हूं मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं आप लोगों से कैसे माफी मांगो हमारी होटल के रेपुटेशन का सवाल है यह बात आप किस होटल से बाहर जाकर किसी को मत बताइएगा,,,, जो कुछ भी आपके साथ हुआ उसकी भरपाई तो शायद मैं नहीं कर सकता लेकिन इस होटल से थोड़ा बहुत संतुष्ट होकर जाओ इसकी मैं पूरी कोशिश करूंगा इसलिए इस होटल का जितना भी बिल आपका बनता है हम आपसे कुछ भी नहीं लेंगे,,,,, देखिए मैं फिर से आप दोनों से हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं प्लीज यह बात किसी को मत बताइएगा,,,।
आप इतना कह रहे हैं तो हम आपकी बात मान लेते हैं लेकिन जो कुछ भी उसने हरकत किया है वह बहुत ही शर्मिंदा करने वाली हरकत है,,,।
मैं जानता हूं मैडम इसीलिए तो हाथ जोड़कर माफी मांग रहा हूं प्लीज,,,
चलिए कोई बात नहीं हम आपको माफ कर देते हैं लेकिन आइंदा से इसका ख्याल रखिएगा कि ऐसी गलती दोबारा ना होने पाए क्योंकि हम तो माफ कर दे रहे हैं शायद दूसरा कोई माफ ना कर पाए,,,
इतना कहकर शीतल और शुभम दोनों वापस टेबल पर आ गए और उस बात की जिक्र बिल्कुल भी नहीं मिला से नहीं किए,,,, तीनों बैठकर एकदम भरपेट खाना खाकर एकदम संतुष्ट हो गए,,,, निर्मला को इस बात की भनक बिल्कुल भी ना लगे इसलिए वह पैसे चुकाने के बहाने काउंटर तक कई ताकि निर्मला को यह न लगे कि वह मुफ्त में खाना खिला रहा था,,,, इन सब के दौरान निर्मला यही बात सोच रही थी कि ऐसा क्या किया जाए कि जिससे शुभम एक बार फिर से उसके ऊपर पूरी तरह से लड्डू हो जाए और देखकर शीतल एकदम जल भुन जाए क्योंकि यह बात तो अच्छी तरह से निर्मला के साथ-साथ शीतल भी जानती थी कि खूबसूरती और बदन की बनावट में निर्मला के आगे वह बिल्कुल भी फीकी पड़ती थी लेकिन शीतल अपने खुले पर और दिखावे क्या करसन में पूरी तरह से उसके बेटे शुभम को फसाए हुए थी,,,,
होटल से निकलते निकलते 4:00 बज चुका था धीरे-धीरे शाम ढलने लगी थी,,,। पीली रंग की साड़ी में वाकई में शीतल हुस्न की परी लग रही थी गदराया बदन और भी ज्यादा खिला हुआ था,,,, शीतल को देखकर उसकी मदमस्त जवानी ना जाने क्यों निर्मला की आंखों में खटक ने लगी अच्छी तरह से समझ रही थी कि जब पीली साड़ी में शीतल उसे अच्छी लग रही थी तो उसके बेटे को भला क्यों ना अच्छी लगती,,,,। यही सोचकर निर्मला अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश कर रही थी और इस कोशिश को जारी रखते हुए वह बार-बार शुभम की आंखों के सामने अपने हाथ से अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से खुजला रही थी,,,, उसके बार-बार ऐसा करने पर शुभम का ध्यान उसी के ऊपर जा रहा था और जिस तरह से वह अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से खुशी आ रही थी यह देख कर कर शुभम की जवानी का पारा चढ़ने लगा था,,,।
यार ये खुजली बिना बहुत परेशान कर रही है,,,,।( निर्मला जानबूझकर अपने मन में बुदबुदाते हुए बोली,,,)
क्या हुआ मम्मी कोई परेशानी है क्या,,,,।
हारे ना जाने क्यों मेरी बुर में खुजली हो रही है,,,,।
( निर्मला जानबूझकर दोनों की उपस्थिति में एकदम खुले शब्दों में बोली और यह सुनकर शीतल के भी कान खड़े हो गए,,,। वह मुस्कुराते हुए बोली।)
मेरी जान बुर की खुजली केवल लंड से ही बुझती है हाथ से खुजाने से नहीं,,,
( शीतल की बात को अनसुना करते हुए निर्मला एकदम बेशर्म की तरह कार के अंदर ही अपनी साड़ी को धीरे धीरे ऊपर उठाते हुए एकदम कमर तक लादी,,,। उत्तेजना के मारे शुभम का गला सूखने लगा क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि शीतल की उपस्थिति में उसकी मां इस तरह की हरकत इतनी जल्दी नहीं कर सकती उसे माहौल में पूरी तरह से खुलने में थोड़ा वक्त लगता है लेकिन यहां तो उसकी उपस्थिति में वह अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी थी,,, शुभम कुछ और समझ पाता इससे पहले ही वह थोड़ा सा अपनी गांड को पर उठाकर अपनी लाल रंग की पेंटिंग को निकालना शुरू कर दी और देखते ही देखते वह उसे अपने पैरों से बाहर निकाल कर बगल की सीट पर रख दी,,, शुभम एकदम पागल हुआ जा रहा था ना जाने क्यों उसे कार के अंदर अपनी मां का एक नया रूप देखने को मिल रहा था निर्मला की हरकत को शीतल कांच में बराबर देख रही थी और वह भी हैरान थी क्योंकि उसे भी इस बात का अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था कि उसकी उपस्थिति में इतनी जल्दी निर्मला अपने आप को सहज बना लेगी वह भी शीशे में निर्मला की हरकत को बराबर देखी थी कि वह कैसे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और अपने गांव उठाकर अपनी पेंटिंग को बाहर निकाल दी थी,,,। अपनी पेंटिंग को बगैर किसी एक पर रखते हुए वह अपनी दोनों टांगे को हल्की से फैला दी,,, और अपनी बीच वाली उंगली को अपनी बुर की गुलाबी पत्ती पर रगड़ ते हुए बोली
शुभम जरा देख तो कहीं चींटी तो नहीं काट रही है बहुत खुजली हो रही है,,,।
लाओ मम्मी देखूं तो,,,,( शुभम अपनी मम्मी की कामुक हरकत को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, और इस माता-पिता भरे दृश्य को देखकर उसके लंड के खड़े होने में बिल्कुल भी समय नहीं लगा,,, शुभम पागल हुआ जा रहा था उसकी आंखों के सामने उसकी मां की गुलाबी बुर नजर आ रही थी,,, वह अपने चेहरे को अपनी मां की दोनों टांगों के बीच लेकर गया और वह भी अपनी आंखों से अपनी मां की गुलाबी बुर को देख ही रहा था कि,,,, निर्मला अपना एक हाथ उसके सर पर रख कर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच दबाते हुए बोली,,,।)
देखता ही रहेगा कि इसका इलाज भी करेगा,,,
( अपनी मां की इस तरह की बातें सुनकर शुभम समझ गया कि उसे क्या करना है इसलिए वह तुरंत अपने होठों को अपनी मां की गुलाबी बुर पर सटा कर अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसे चाटना शुरू कर दिया,,,आहहहहहहह,,,, जैसे ही शुभम अपनी जीभ को उसकी बुर से सटाया वैसे ही निर्मला के मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,, गरम सिसकारी की आवाज को शीशे में नजर आ रहे बेहद काम उत्तेजना से भरे हुए नजारे को देख कर शीतल के तन बदन में आग लग गई उसे साफ नजर आ रहा था कि शुभम उसकी दोनों टांगों के बीच झुका हुआ है जिसका मतलब साफ था कि वह उसकी बुर को चाट रहा था,,,, देखते ही देखते शुभम अपनी जीभ को जहां तक हो सकता था वहां तक अपनी मां की बुर में डाल कर चाटना शुरू कर दिया और पूरे कार में निर्मला की गरम सिसकारियां की आवाज गूंजने लगी,,,,।
आहहहहह,,,,, ऐसे ही मेरे राजा ऐसे ही बस उसी जगह पर अपनी जीभ डाल कर चाट वही खुजली हो रही है,,,,
मम्मी मुझे नहीं लगता कि जीभ से तुम्हारी बुर की खुजली जाने वाली है मुझे तो लगता है कि तुम्हारी बुर में लंड डालना पड़ेगा तभी जाकर तुम्हारी बुर की खुजली मिटेगी,,,,
तो देर किस बात की है मेरे राजा खड़ा कर और डाल दे अपना लंड,,,,
मेरी रानी तेरी पर देखकर ही मेरा लैंड खड़ा हो गया था इसे खड़ी करने की जरूरत नहीं है बस अब तो अपनी गुलाबी बुर इस पर सटाकर चढ जा मेरे ऊपर और समा जा मेरे अंदर,,,,
( शीतल तो हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके कान जो सुन रहे हैं वह सच है या सपना है उसकी आंखें जो देख रही थी वह तो उसे एकदम साफ दिखाई दे रहा था लेकिन कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि एक मां बेटे इस तरह से खुलकर इतनी गंदी बातें करते होंगे उनकी इस तरह की गंदी बातें सुनकर उसकी पेंटी उसे गिली होती हुई महसूस हो रही थी,,, दोनों की बातें सुनकर वह इतनी ज्यादा गरम हो चुकी थी कि अगर वह कार ना चला रही होती तो वह खुद उसके लंड पर चढ़ जाती है,,,,। निर्मला पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी,,, अच्छी तरह से जानती थी कि इस समय उसे अपनी बेटी के मोटे तगड़े लंड की बेहद जरूरत है,,,। इसलिए तुरंत वह अपने बेटे के मुंह को अपनी बुर के ऊपर से हठाई,
शुभम समझ गया था कि अब उसे क्या करना है वह तुरंत एकदम सीधे बैठ कर अपने पेंट का बटन खोल कर उसे तुरंत अपने घुटनों से नीचे कर दिया उसका लंड पूरी तरह से खाना था जो कि शीतल को आईने में साफ नजर आ रहा था,,,, निर्मला शीतल की आंखों के सामने एकदम बेशर्मी दिखाते हुए सीधे अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपने बेटे के गोद में बैठते हुए अपनी बड़ी बड़ी गांड के गुलाबी छेद को उसके लंड पर रखने लगी और देखते ही देखते हैं शुभम का लंड पूरी तरह से उसकी बुर की गहराई में खो गया,,, शीतल को शीशे में निर्मला की बड़ी-बड़ी गांड साफ नजर आ रही थी,,,, कार हाईवे पर अपनी रफ्तार में भागी चली जा रही थी शाम ढल रही थी हाईवे पर ट्राफिक बढ़ती जा रही थी लेकिन काले रंग के शीशे होने की वजह से निर्मला को बिल्कुल भी परवाह नहीं थी उसमें कामोत्तेजना पूरी तरह से अपना असर दिखा रही थी,,, देखते ही देखते शीतल की आंखों के सामने निर्मला अपनी बड़ी बड़ी गांड को उछाल उछाल कर अपने बेटे के लंड पर पटकना शुरू कर दी,,, शुभम भी पागलों की तरह अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड पर जोर जोर से चपत लगाते हुए नीचे से अपनी कमर उछाल रहा था,,, कार में चुदाई करने का यह दोनों का दूसरा मौका था जिसमें दोनों को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी उत्तेजना के मारे से इधर से कार चला ही नहीं जा रही थी लेकिन बड़ी मुश्किल से वह अपना ध्यान स्टेरिंग पर लगाए हुए थी,,,।
गीली बुर के अंदर शुभम का मोटा लंड जा रहा था जिससे उसमें से चप्प-चप्प की आवाज शीतल को एकदम साफ सुनाई दे रही थी,,,, दोनों पागलों की तरह चुदाई का आनंद ले रहे थे पहली बार इतने करीब से शीतल निर्मला की बड़ी-बड़ी एकदम गोरी गांड देखकर एकदम मचल उठी थी,,,।
दोनों एक दूसरे पर अपना अपना जोड़ दिखा रहे थे ना तो सुबह में कम था और ना ही निर्मला दोनों एक दूसरे को पछाड़ ने में लगे हुए थे,,,।
शीतल हैरान थी तकरीबन 20 किलोमीटर की दूरी काटने के बाद दोनों अपनी मंजिल पर हाफते हुए पहुंचे थे,,,।