आज आज शिमला में शुभम निर्मला और शीतल की आखिरी रात थी शुभम चाहता था कि आज की रात जिंदगी भर याद रखना इस तरह की गुजरे और इसीलिए वह अपने मन में सारी तैयारी कर चुका था,,
बिस्तर पर पहुंचते ही तीनों ने अपने आप ही अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगे हो गए,,, शुभम के अंदर आज की रात को ज्यादा ही जोश चढ़ा हुआ था वह अपनी मां के कपड़े उतरते हैं सीधा उसके दोनों बड़े-बड़े खरबूजे को अपने दोनों हाथ में ले लिया। पर इतना जोर जोर से दबाने लगा कि निर्मला के मुंह से दर्द के मारे आह निकल गई। शीतल भी हैरान थी क्योंकि शुभम कुछ ज्यादा ही सख्ती दिखा रहा था।
क्या बात है शुभम आज कुछ ज्यादा ही जोश आ गया है क्या तुझ में,,,
शीतल मेरी रानी,,,,,तू तो जानती है कि आज की रात शिमला में आखिरी रात है तो क्यों ना इस रात को एकदम यादगार बनाया जाए,,,(शुभम अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने दोनों हथेली में जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,)
सही कहा मेरे राजा,,,आज की रात एकदम यादगार बना देना है ताकि जिंदगी भर यह रात याद रहे,,,
तू चिंता मत कर शीतल मेरा बेटा सच में आज की रात एकदम यादगार बना देगा इसके जोश को देख कर मुझे ऐसा ही लग रहा है,,,आहहहह धीरे से,,, मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूं,,,(जोर से शुभम अपनी मां की चूची को दांत से काट लिया था इसके लिए निर्मला कराह उठी,, शीतल से रहा नहीं जा रहा था वह मां बेटे की कामुक हरकत को देखकर अपने आप ही अपने हाथों से अपनी बड़ी बड़ी चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दी,,,, और बड़े ही मादक अंदाज से दोनों को देख रही थी,,, निर्मला पागल हुए जा रही थी मदहोसी उसके तन बदन में अपना असर दिखा रही थी,,,,मस्ती में आकर वह अपनी दोनों आंखों को बंद करके बस अद्भुत एहसास का मजा ले रही थी,,,,
सहहहह आहहहह ,,,, ऊमममम,,,, ओहहहह शुभम मेरे राजा,,,बहुत मजा आ रहा है रे बस ऐसे ही मुंह में लेकर जोर-जोर से भी पूरा रस निचोड़ डाल मेरी चुची का,,(निर्मला मदहोशी के आलम में अपने बेटे को अपनी बाहों में जकड़ कर उसे अपनी बड़ी बड़ी नरम नरम चूचियों पर दबा रही थी,,, यह देखकर शीतल के तन बदन में आग लग गई और वह शुभम के पीछे आकर,,,अपनी बड़ी बड़ी चूची हो के साथ-साथ अपनी दोनों टांगों के बीच की पूरी हुई पतली दरार को उसकी पीठ के निचले हिस्से पर रगड़ना शुरु कर दी,,, शुभम को अपनी पीठ के निचले हिस्से पर शीतल की गरमा गरम बुर की गर्माहट एकदम साफ महसूस हो रही थी जिससे वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और वह बड़ी शिद्दत से अपनी मां की दोनों चूचियों पर डटा हुआ था,,, वैसे भी पहले से ही निर्मला की चुचियों का आकार काफी जबरदस्त गोलाकार था लेकिन जब से सुगम के हाथों में आया था निर्मला की फुंसियों के आकार में बढ़ोतरी हुई थी जिससे निर्मला की चुचीया काफी आकर्षक हो गई थी तभी तो शुभम की सबसे पहली पसंदीदा चीज भी यही थी,,,दोनों हाथों से दबा दबा कर मुंह में डालकर पीने में जो मजा था वह शायद शुभम को और कहीं नजर नहीं आता था,,, शीतल पीछे से अपनी करामात दिखा रही थी वह अपने दोनों चुचियों को सुभम की पीठ पर मसलते हुए अपनी रसीली गरमागरम बुर को उसकी पीठ के निचले हिस्से से रगड रही थी,, और लगातार गर्म सिसकारियों की आवाज मुंह से निकाले जा रही थी,,। शुभम की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि उत्तेजना के मारे शीतल की बुर फ़ूल कर कचोरी की तरह हो गई थी और, इसकी रगड़ शुभम को अपनी पीठ पर बराबर महसूस हो रही थी,,, निर्मला को अपने बेटे का इस तरह से चूची को दबा दबा कर पीना बेहद आनंददायक लग रहा था,,, शुभम जी जान से अपनी मां की चूचियों से खेल रहा था रात के तकरीबन 11:00 बज रहे थे और तीनों के आंखों से नींद कोसों दूर थी,, दोनों एक ही पलंग पर अपनी जवानी का मजा लूट रहे थे लूटा रहे थे,,, तीनों संपूर्ण नग्न अवस्था में थी तीनों के बदन पर कपड़े का रेशा भर भी नहीं था,,
तकरीबन आधा घंटा गुजर चुका था शुभम अपनी मां की चूचियों को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे पहली बार वह अपनी मां की चूचियों से खेल रहा है शुभम के लिए तो उसकी मां की चूची फुटबॉल के साथ जी भर के खेल लेना चाहता था निर्मला को भी अच्छा लग रहा था उसकी चुचियों के साथ इस तरह से जुझना,,, तीनों की सांसो की गति बढ़ती जा रही थी शीतल पागलों की तरह जोर-जोर से अपनी बुर रगड रही थी,,, वही सोच रही थी कि शुभम उसके ऊपर भी थोड़ी दया भाव रखें,,, पर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी मन की बात सुभम सुन रहा हो,,, और अपनी मां की चूचियों को छोड़ते ही हो शीतल की खरबूजे को अपने हाथ में पकड़ लिया और जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया साथ ही उसके गुलाबी होठों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, कमरे की गर्माहट बढ़ती जा रही थी साथ ही तीनों के बदन का पारा ऊपर होता जा रहा था,,, तीनों अति उत्तेजीत अवस्था में हो चुके थे,,,,कुछ देर पहले जो क्रिया शीतल शुभम के साथ कर रही थी अब वही क्रिया निर्मला अपने बेटे के साथ कर रही थी शीतल और निर्मला इतनी ज्यादा चुदवाती हो चुकी थी कि दोनों को अपनी तोड़ के अंदर शुभम का मोटा तगड़ा लंड लेने की आवश्यकता पड़ रही थी,,, लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे यह शुभम के ऊपर ही निर्धारित था कि,, कब वह किसकी बुर में अपना लंड पेलेगा,,
लेकिनलेकिन यह बात भी दो ना अच्छी तरह से जानते थे कि तब तक शुभम उन दोनों की चुदाई करना शुरू नहीं करता था जब तक कि वह दोनों एकदम से अत्यधिक गर्म ना हो जाए लेकिन दोनों को इस बात का एहसास हो रहा था कि आप दोनों चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार है,,, लेकिन शायद शुभम को अभी कमी लग रही थी,,, इसलिए तो वह देखते ही देखते शीतल को पीठ के बल लेटा दिया और उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी गीली बुर के अंदर अपना मुंह रख कर उसे चाटना शुरू कर दिया,,, यह देख कर निर्मला के तन बदन में आग लग गई,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे ही वह शीतल की बुर को चाटने की अग्रिमता देखकर शीतल से जलने लगी,,, और वह खुद शीतल के कंधे के अगल-बगल अपनी दोनों घुटनों को रख कर उसका सिर पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाई और उसके मुंह को अपनी रसीली टपकती हुई बुर पर सटा दी,,,,शीतल को मालूम था उसे क्या करना है इसलिए तुरंत अपनी जीभ निकालकर उसकी दूरी को क्या करना शुरू कर दी और जैसे ही शीतल के जीभ को अपनी बुर के ऊपर स्पर्श होता हुआ महसूस की वैसे ही उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,, अपनी मां की हरकत देखकर शुभम के तन बदन में उत्तेजना की लहर और तेज दौड़ने लगी,,, वह शीतल की पूर के ऊपर से अपना मुंह हटा कर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड की तरफ हाथ बढ़ाकर उसे अपनी हथेली में पकड़ते हुए बोला,,।
तुम दोनों रंडियों के साथ मुझे जन्नत का मजा मिलता है,,, तुम दोनों साली एक से बढ़कर एक हो,,
तो लेना मादरचोद मचा,,,, तेरे लंड की तो हम दोनों दीवानी हो गई है जब तक तेरा लैंड हम दोनों की बुर में नहीं जाता तब तक चैन की नींद नहीं आती,,,(निर्मला मादक स्वर में बोली,,,)
और तू क्या बोल रही है भोसड़ा चोदी रंडी,,,
हाय रे मादरचोद तूने तो मस्त कर दिया मुझे,,, तेरी जुबान और लंड दोनों कमाल के हैं जब चलते हैं तो मजा ही मजा देते हैं,,,,
तेरी बुर भी बहुत मस्त है अरे मादरचोद एकदम रंडी की तरह चुदवाती है तू तुम दोनों को देखकर किसी को यकीन नहीं होगा कि तुम दोनों स्कूल में टीचर हो जिस तरह से दोनों टांगे खोल खोल कर लंड लेती हो एकदम रंडी लगती हो,,,,,,
हारेहम दोनों रंडी हैं तेरी रंडी तेरे लंड के दिनों में जब तक तेरा लंड हम दोनों की बुर के अंदर घुसकर चुदाई नहीं करता तब तक हम दोनों को मजा नहीं आता,,, तुम दोनों से शादी कर ले मादरर्चोद,,,
तुमदोनों के साथ में यहां किस लिए आया हूं हनीमून मनाने आया हूं मेरी जान देखना आज की रात में तुम दोनों को कैसे मजा देता हूं,,,( और इतना कहने के साथ शुभम एक बार फिर से शीतल की दोनों टांगों के बीच मुंह डाल दिया,,, एक बार फिर से दोनों की गरम सिसकारी पूरे कमरे में गूंजने लगी निर्मला अपनी बुर शीतल से चटवा रही थी,,, शुभम की मदहोश कर देने वाली हरकतों के आगे दोनों घुटने टेक चुके थे,,,शुभम शीतल की बुर चाटते हुए अपनी मां की बड़ी-बड़ी कांड की तरफ देख रहा था जो कि गोल-गोल हिलाते हुए शीतल से बुर चटाई का मजा ले रही थी,,,,शुभम से रहा नहीं गया और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की कमर को थाम लिया और उसे अपनी तरफ खींचने लगा,,, निर्मला की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह पीछे नजर घुमाकर अपने बेटे की तरफ देखी वह उसे अपनी तरफ खींच रहा था इसलिए बिना रोक-टोक के निर्मला शुभम की तरफ खींचती चली गई और जैसे ही अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड शुभम की आंखों के करीब आई,,,, शुभम से रहा नहीं गया और वह 2 4 चपतअपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड पर लगाते हुए बोला,,,।
रंडी मादरचोद अपनी गांड थोड़ी ऊपर की तरफ उठा थोड़ी ऊंची कर,,,
(निर्मला को अपने बेटे की दी हुई गाली बेहद आनंददायक लग रही थी,,, शुभम के द्वारा इस तरह की अश्लील गालियां निर्मला की उत्तेजना को निरंतर बढ़ाती जा रही थी शुभम की बातें सुनकर निर्मला समझ गई कि उसका बेटा आप कुछ करने वाला है इसलिए जैसा वह बोला वैसा ही वह नीचे की तरफ झुक कर अपनी बड़ी-बड़ी गांड को ऊपर की तरफ उठा ली,,,शुभम एकदम मदहोश हो चुका था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह जोर-जोर से अपनी मां की गांड पर तमाचा लगा रहा था और दोनों गांड की बड़ी-बड़ी फांकों को पकड़कर अपनी नाक को अपनी मां की गुलाबी बुर पर रख रहा था उसमें से निकल रहा मदन रस से उसकी नाक पुरी तरह से भीगने लगी,,,,लेकिन फिर भी सुनो ना अपनी नाथ हटाने की जगह जितना हो सकता था अपनी नाक को ही अपनी मां की बुर में घुसेड़ने लगा,,,इससे निर्मला की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी वह अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल गोल नचाते हुए अपने बेटे के चेहरे को अपनी गांड पर ही रगड़ रही थी,,,, शीतल कहां शांत बैठने वाली थी वह निर्मला की लटकती हुई दशहरी आम को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबाना शुरू कर दी,,, उत्तेजना के मारे शुभम का लंड आगबबूला हो रहा था अब उसके अंदर सब्र करने की क्षमता खत्म होती जा रही थी बार-बार वह ऊपर की तरफ उठकर अपनी मां की मदमस्त जवानी को सलामी दे रहा था,,, शुभम को यकीन नहीं हो रहा था कि जिस बुर से वह बाहर निकला था ,,, और आज ऐसा दिन था कि उसी बुर में अपना लंड डालकर मजे ले रहा था,,,,
गरम गरम सिसकारियां पूरे कमरे को मादक स्वर से भर दे रही थी साथ में दोनों के हाथों की खनकती हुई चूड़ियां और ज्यादा शोर मचा रही थी लेकिन यह गर्म सिसकारियां और चूड़ी की खनक कमरे से बाहर नहीं पहुंच पा रही थी,,,शुभम को औरतों का मदद स्वर और उनकी चूड़ियों की आवाज बेहद कामाग्नि से भर देती थी,,,शुभम के सब्र का बांध अब टूट चुका था वह समझ चुका था कि उसके साथ-साथ उसकी मां और शीतल दोनों एकदम गरम हो चुकी है और गरम लोहे पर हथोड़ा मारना ही ठीक रहता है वरना हथौड़ा मारने का कोई भी मतलब नहीं निकलता,,,, इस समय निर्मला और शीतल दोनों की बुर गरम लोहा थी और शुभम का लंड हथोड़ा,,,,जिसे वह अपने हाथ में पकड़कर हीलाते हुए आगे की तरफ बढ़ रहा था,,,
रंडी मादरचोद निर्मला आज देखना मैं तेरी क्या हालत करता हूं,,,,
पहले कर तो सही भोसड़ी वाले तब कहना मैं भी देखूं तेरे में कितना दम है,,,,(निर्मला अपने बेटे को उकसा रही थी ताकि वह उसकी जिंदगी का सबसे बेहतरीन सुख ऊसे दे सकें,,, भला शुभम कहां पीछे हटने वाला था वह भी सीना तान के आगे बढ़ रहा था उसकी आंखों के सामने उसकी मां की लहराती हुई बड़ी बड़ी गांड थी जो कि ऐसा लग रहा था कि जैसे युद्ध मैं रक्षा के लिए और दुश्मनों पर हमला के लिए किले पर तोप तैनात की हुई है जो दुश्मनों के परखच्चे उड़ाने में काबिल है,,,, अब देखना था कि शुभम के ऊपर यह क्या असर करती हैं,,, शुभम भी अपनी बंदूक लेकर तोप से भिड़ गया और पहले ही हमले में उसकी मां के मुंह से गर्म आह निकल गई,,, निकलती थी कैसे नहीं इस बार उसका निशाना ही कुछ और था,,,,
नहीं-नहीं बेटा गांड नहीं बुर में डाल दे,,,,
साली आज कि रात तेरी बुर नहीं तेरी गांड मारूंगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही शुभम ढेर सारा थूक अपने लंड कैसे पाले पर लगा कर एक बार फिर से गांड के भूरे रंग के छेद पर अपना लंड टीका दिया,, सुपाड़े की गर्माहट पाकर निर्मला का पूरा वजूद पिघलने लगा उसे मालूम था कि आप क्या करने वाला है शुभम को रोकने का कोई तरीका उसके पास नहीं था वह उसके आगे घुटने टेक चुकी थी लेकिन यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम की हाथों में दिया गया बागडोर अच्छी तरह से संभाल लेगा क्योंकि इससे पहले भी वह उसकी गांड के पूरे रंग के छेद से खेल चुका था,,,,और देखते ही देखते अपनी मां की गर्म आहे और हल्की हल्की चीख के साथ आगे बढ़ता रहा,,, और देखते ही देखते निर्मला के जन्नत का द्वार उसके भूरे रंग का छेद चौड़ा होता चला गया,,, सुभम मोटा तगड़ा लंड भूरे रंग के छेद के अंदर की सारी अड़चनो को दूर करता हुआ,,, अंदरकी तरफ दाखिल होता चला जा रहा था ऐसा लग रहा था कि दुश्मनों के एक-एक किलो को ध्वस्त करता हुआ अपना विजई पताका हाथ में लिए वह किले की तरफ अग्रसर होता जा रहा था वह फतेह पा लेने की बिल्कुल करीब हो चुका था क्योंकि अब उसका आधे से भी ज्यादा उसकी मां की गांड के अंदर घुस चुका था शीतल जैसे-जैसे शुभम का लंड उसकी गांड के छेद में खुश रहा था वैसे वैसे निर्मला के चेहरे के बदलते हुए को देखकर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,, वह लगातार निर्मला के दशहरी आम से खेल रही थी,,, हालात एकदम गरम होते जा रहे थे,,, गर्मी का पारा बढ़ते जा रहा था शिमला की ठंडक का तीनों को बिल्कुल भी एहसास नहीं था ऐसा लगी नहीं रहा था कि तीनों शिमला में है तीनों एकदम नंगे होकर एक ही बिस्तर पर जवानी का मजा लूट रहे थे,,,शुभम अपनी मां की गांड को दोनों हाथों से था मैं अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल रहा था,,,, देखते ही देखते शुभम का पूरा लंड निर्मला की गांड के अंदर घुस गया,,,,
आह रे जालिम यह क्या कर दिया,,,, हाय मैं मर गई पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया मादरचोद मेरी गांड फाड़ देगा क्या,,,,
तेरी गांड नहीं फाडुगा रंडी तुझे मजा दूंगा,,,, देखना अभी कैसे अपनी गांड उछाल उछाल कर गांड मरवाती है,,,,,
(इतना कहने के साथ ही शुभम अपना लंड बाहर की तरफ खींचा और फिर जोर से अंदर की तरफ डाल दिया एक बार फिर से निर्मला के मुंह से चीख की आवाज निकल गई लेकिन अपनी मां की चीखो की आवाज की परवाह किए बिना शुभम अपना लंड अंदर बाहर करके अपनी मां की गांड मारना शुरू कर दीया,,,
शुभम को अपनी मां की गांड मारने में बेहद आनंद आता था,,,शुरु शुरु में तो निर्मला घबराती थी लेकिन धीरे-धीरे अपने बेटे की करामत और उसकी सूझबूझ से उसे भी गांड मरवाने का आनंद अद्भुत तरीके से मिलने लगा,,, देखते ही देखते निर्मला के मुख्य से गांड मरवाने के सुख भरी आवाज आने लगी,,, निर्मला को गांड मरवाती है देखकर शीतल की हालत खराब होने लगी शीतल तुरंत अपने हाथों की कहानी के सहारे उपर की तरफ आई और अपनी कमर उठाकर इशारों में ही निर्मला को अपनी बुर चाटने के लिए बोली,,, शीतल भी एकदम मदहोश हो चुकी थी उसके बेटे ने पीछे से धक्के लगा लगा कर उसे दीवाना कर दिया था,,, अब बड़े आराम से सितम कर लेना उसकी मां की गांड के अंदर बाहर हो रहा था शुभम अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी मां के कंधों को थाम लिया ,,, इस तरह से शुभम को और ज्यादा मजा आता था शुभम पागलों की तरह अपना कमर हिलाने लगा निर्मला की मोटी चिकनी सुडोल जांघों से शुभम की जांघें जब भी टकराती थी तो उसमें से मदहोश कर देने वाली थाप थाप की आवाज आती थी,,, जो कि पूरे कमरे को मधुर संगीत से भर दे रही थी,,,, हर धक्के के साथ निर्मला के मुंह से आह की आवाज निकल जाती थी तकरीबन 15 मिनट तक शुभम अपनी मां की गांड मारता रहा,, बीच-बीच में निर्मला एकदम मस्त होकर अपना हाथ नीचे की तरफ लॉकर अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों का मसल दे रही थी जिससे उसकी आनंद की सीमा और बढ़ जा रही थी,,,,,
शुभम लंबी लंबी सांसे ले रहा था ,, उसका लंड पूरा उसकी मां की गांड में समाया हुआ था। वह उसी तरह से खड़ा होकर अपनी मां की भारी-भरकम गांड और उसके अंदर फंसा हुआ अपना लौड़ा देख रहा था,,, नीचे शीतल उत्तेजना के मारे छटपटा रही थी,,, शुभमसे शीतल की तड़प देखी नहीं गई और वह उसकी दोनों टांगों को पकड़कर नीचे की तरफ खींच लिया,,,शीतल को तो कुछ समझ में नहीं आया कि यह उसके साथ क्या हुआ और कुछ समझ पाती इससे पहले ही सुदाम उसकी दोनों टांगों को ऊपर की तरफ करके चौड़ा कर दिया,,,, जिससे उसकी भी गांड का भुरे रंग का छेद नजर आने लगा,,,, एक बार फिर से शीतल की गांड का छेद देखकर सुभम के मुंह में पानी आ गया,,, और देखते ही देखते शुभम दम लगा कर अपने मोटे लंड को सीतल की गांड में भी प्रवेश करा दिया,,,, और उसकी गांड मारना शुरू कर दिया,,,,,इस बीच निर्मला लगातार अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में सुभम के मुंह के करीब हिला रही थी,,,, जिसे देखकर शुभम अपनी लालच को रोक नहीं पाया और अपना मुंह अपनी मां की गांड से लगाकर उसकी गांड के छेद को चाटना शुरू कर दिया,,,,, देखते ही देखते पूरे कमरे में हम दोनों औरतों की गरम सिसकारी की आवाज बजने लगी,,,,शुभम को बहुत मजा आ रहा था वह लगातार शीतल की गांड मारते हुए अपनी मां की गांड चाट रहा था,,,, तभी वह शीतल की गाड से अपना लंड बाहर निकाल करअपनी मां की गांड में डाल दिया इस तरह से लगातार कभी अपनी मां की तो कभी शीतल की गांड मारता रहा,,, तीनों मिलकर आनंद लूट रहे थे जिंदगी का असली सुख लूट रहे थे सुख की परिभाषा क्या होती है,,, इस समय तीनों से बेहतर भला कौन जान सकता था,,, शुभम एक साथ दो दो औरतों की गांड मार रहा था एक अपनी मां की और एक शीतल की दोनों के अंगों से खेलता हुआ शुभम अपने आपको किस्मत का धनी समझता था और किस्मत का धनी था भी वह,,,,,, तकरीबन आधा घंटा तक वह दोनों की लगातार गांड मारता रहा और दोनों आधे घंटे तक उसी स्थिति में अपनी दोनों टांग उठा ले और निर्मला अपनी गांड में उठाए उसी तरह से स्थिर खड़ी रही तभी तो जवानी का मजा बराबर मिल रहा था,,, तीनों झड़ चुके थे तीनों हांफ रहे थे,, निर्मला और शीतल थक चुकी थी लेकिन शुभम बिल्कुल भी नहीं थका था,,,,
करीब 15 मिनट के अंतराल के बाद सुभम फिर तैयार हो गया था,,, और एक बार फिर से बिस्तर पर तीनों का घमासान शुरू हो गया था,,, और यह सिलसिला सुबह के 4:00 बजे तक चलता रहा,,, तीनो बिना कपड़े पहने ही एक दूसरे की बाहों में सो गए,,,, सुबह 7:00 बजे डोर बेल की आवाज के साथ तीनों के लिए थोड़ी तो तीनों हक्के बक्के रह गए और तीनों जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गया शीतल दरवाजा खोली तो सामने नौकरानी खड़ी थी,,, नौकरानी को देखते हैं इसी पर जल्दी से नाश्ता तैयार करने के लिए बोली क्योंकी उन्हें एक घंटे में निकलना था,,,,
1 घंटे के बाद तीनों शिमला से निकलने के लिए तैयार हो गई तीनों गेट पर अपना अपना सामान लेकर खड़े थे शुभम सामान को कार की डिक्की में डाल रहा था,,, शांति को उन तीनों का जाना है अच्छा नहीं लग रहा था खास करके शुभम का,,, शुभम को शांति की आंखों में निराशा साफ नजर आ रही थी,,, उसकी आंखों में आंसू की बूंदे साफ दिखाई दे रही थी,,,लेकिन शुभम कर भी क्या सकता था वह चोरी से अपना नंबर कागज पर लिखकर उसके हाथ में थमा गया,,, निर्मला कार में बैठ चुकी थी लेकिन कुछ याद आ गया वह कार से बाहर निकल कर अपना पर्स खोल कर शांति के हाथ में ₹1000 थमा ने लगी,,, लेकिन शांति लेने से इंकार कर दी लेकिन शुभम के कहने पर वह पैसे ले ली,, शुभम फिर आने का दिलासा देकर कार में बैठ गया और निर्मला एक्सीलेटर देकर कार को आगे बढ़ा दी,,,
दूसरे दिन सुबह 4:00 बजे ही वह तीनों अपने शहर पहुंच गए,,,शीतल निर्मला के घर के सामने उतर कर अपने घर की तरफ बेग ले कर चली गई,,, शुभम और निर्मला दोनों काफी खुश हैं,,,शुभम डोर बेल बजाने ही जा रहा था कि निर्मला उसे रोकते हुए बोली,,,।
रहने रहने दे डोरबेल मत बजा तेरे पापा की नींद खराब हो जाएगी दूसरी चाबी है ना अपने पास,,,(इतना कहकर निर्मला अपने पर्स में से दूसरी चाबी निकालने लगी और चाबी निकालकर वह दरवाजा खोल दी,,,
आज आज 10 दिन बाद वह दोनों अपने घर लौट रहे थे इसलिए थोड़ा अजीब लग रहा था शिमला की हसी वादियो मैं और यहां फर्क तो था,,, शुभम दरवाजा बंद कर दिया अंदर डीम बल्ब जल रहा था,,,, निर्मला शुभम से बोली।
शुभम पहले यह बेग मेरे कमरे में पहुंचा दे फिर अपने कमरे में जाकर सो जाना,,,,,,
ठीक है मम्मी,,,,(इतना कहकर शुभम बैग उठा लिया निर्मला आगे आगे और वह पीछे पीछे जाने लगा देखते ही देखते निर्मला अपने कमरे के बाहर पहुंच गई दरवाजे हल्का सा खुला हुआ था,,, अंदर ट्यूबलाइट अभी भी जल रही थी,,,निर्मला को समझ में नहीं आ रहा था कितनी रात तक अभी तक ट्यूबलाइट क्यो जल रही है,,, तब उसे यही लगा होगा कि शायद अशोक की आंख लग गई होगी और व्हाट इज लाइट बंद करना भूल गया होगा,,,, यही सोचकर निर्मला हल्का खुला दरवाजे को धक्का देकर खोल दी और सामने बेहतर पर का नजारा देखकर एकदम से हैरान रह गई उसके नीचे से तो मानों जमीन ही खिसक गई हो,,, तब तक सुभम भी कमरे में दाखिल हो चुका था और वह भी बिस्तर का नजारा देखकर एकदम से चौक गया,,,,दोनों मां-बेटे पूरे कमरे में इधर उधर नजर दौड़ाई तो नीचे फर्श पर कहीं पेंटी तो कहीं ब्रा पड़ी थी,,, दोनों के कपड़े अस्त-व्यस्त नीचे फर्श पर गिरे हुए थे शुभम ध्यान से चेहरे की तरफ देखा तो एकदम चौक ते हुए बोला,,,
बुआ जी,,,,
निर्मला को तो जैसे सांप सूंघ गया हो वह एकदम हक्की बक्की खड़ी रह गई,,, अशोक अपनी ही बहन को अपनी बाहों में लेकर सोया हुआ था चादर दोनों की छातियों तक फैली हुई थी,,,, निर्मला एकदमगुस्से में थी वह चादर एकदम से नीचे की तरफ खींची और चादर हटते ही,,,दोनों एकदम नंगे एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल कर लेटे हुए नजर आए,,,
क्रमश