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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

rohnny4545

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bahut badhia end kiya aapne rohan bhai. Congrats
Thanks Karan bhai
 

rohnny4545

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शुभम मादरचोद देख क्या रहा है,,,, मैं जानती हूं आज तेरी जिंदगी की पहली चुदाई है,,, थोड़ा सा थुक अपने लंड पर लगा ले,,, ताकि तेरा मोटा लंड मेरी बुर में आराम से जा सके,,,(इतना सुनना भर था कि शुभम तुरंत ढेर सारा थूक अपने हाथ पर लगाकर उसे अपने लंड पर चुपडने लगा,, देखते ही देखते हैं उसका लंड पूरी तरह से चिकना हो गया,,,

इतना कहने के साथ ही निर्मला फिर से अपने बेटे के लंड को पकड़कर अपनी गुलाबी बुर के छेद पर लगा दी,,, और धीरे-धीरे अपने भारी-भरकम नितंबों का दबाव उस पर बढ़ाने लगी शुभम का लंड काफी चिकना था देखते ही देखते वह निर्मला की बुर के अंदर सरकना शुरू हो गया,,,

super hotttt updates dear ..!!!!
Thanks
 

prkin

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घर का माहौल इस कदर बिगड़ जाएगा यह अशोक ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था और ना ही निर्मला ने,,, अपने मन में यही सोच रही थी कि अच्छा ही हुआ कि टाइम से पहले वह घर पहुंच गई वरना यह खिचड़ी युं ही पकती रहती,, हालात पर अशोक का काबु बिल्कुल भी नहीं था,
निर्मला का गुस्सा देखकर अशोक की हिम्मत भी नहीं हो रही थी कि वह बीच में कुछ बोल सके उसे अपने कपड़े पहनने तक की हिम्मत नहीं थी कि बिस्तर से नीचे उतर करो अपने कपड़े पहनकर अपने नंगे बदन को ढक सके,,, बेहद शर्मिंदगी से भर देने वाला यह पल अशोक के लिए बहुत भयानक था क्योंकि वह अपनी बीवी और अपने बेटे के सामने बिल्कुल नंगा बिस्तर पर बैठा हुआ था,,,,।
शुभम चाहता तो अपने बाप की पहले की भी करतूत बता कर आग में घी डालने का काम कर सकता था लेकिन वह अपने बाप के करतूत पर पर्दा डाल दिया था शायद यह पर्दा डालना उसके ही पक्ष में आता,,,

मम्मी जाने दो ना जो हुआ सो हुआ,,,, माफ कर दो पापा को,,,,

तुझे क्या लगता है शुभम मैं तेरे पापा को ऐसे ही माफ कर दूंगी मैं इसे बिल्कुल भी बात नहीं करूंगी इसलिए मुझे बहुत पेचिश किया है मुझे ठंडी औरत कहकर कर ना जाने कितना ताना मारा है मैं अपनी जिंदगी कैसे गुजार रही हूं यह सिर्फ मैं जानती हूं तेरा बाप नहीं तेरा बाप तो दूसरी औरतों के साथ रंगरेलियां मनाता हैं अपनी हवस मिटाता,, अपनी गर्मी शांत करता है मेरे बारे में इसने आज तक कभी नहीं सोचा लेकिन अब इसे में सोचने के काबिल भी नहीं छोडूंगी,,,

(अशोक और से बंद होना हैरान थे पहली बार वह निर्मला का इस तरह का रूप देख रहे थे वह काफी गुस्से में थी उसकी आंखों से अंगारे बरस रहे थे गोरे गाल लाल टमाटर की तरह हो गए थे शुभम ज्यादा कुछ बोल सकने की हिम्मत नहीं रख पा रहा था,,, और अशोक की तो जैसे घिघ्घी बंध गई थी,,,,, डर के मारे उसका गला सूख रहा था,,, अशोक की बहन चली गई थी,,, लेकिन अपने पीछे
इस परिवार के लिए बवंडर छोड़ गई थी जो कि इस परिवार को पूरी तरह से तबाह कर सकता था लेकिन निर्मला के मन में इन मौके पर कुछ और चलने लगा था,,,, वह अशोक को एकदम क्रोधित निगाहों से देख रही थी और अशोक था कि उसे नजरें मिलाने में कतरा रहा था घबरा रहा था वह अपनी नजरों को नीचे झुका है लाचार इंसान की तरह बिस्तर पर बैठा रहा और शुभम कभी अपने बाप की तरफ तो कभी अपनी मां की तरफ देख रहा था,,, शुभम अच्छी तरह से समझ गया था कि अपने पापा के लिए बीच-बचाव करने का मतलब था कि खुद मुसीबत मोल लेना इसलिए वह मुक साक्षी बनकर बस देखता रहा,,,,,निर्मला मारे क्रोध के अपने पति को गाली दिए जा रही थी जिंदगी में पहली बार हुआ इस तरह की गालियां भी दे रही थी हालांकि वह शुभम के साथ संभोग रत हो कर उत्तेजना में गंदी गंदी गालियां और भाषाओं का प्रयोग करती थी लेकिन इस तरह से खुले में अपने पति को कभी भी गंदे शब्द नहीं बोली थी लेकिन आज का दिन कुछ और ही था निर्मला अपने आप को पूरी तरह से बदल डाली थी,,,निर्मला का यह रूप देखकर किसी को यकीन ही नहीं होगा कि यह औरत स्कूल में शिक्षिका है बच्चों को अच्छी अच्छी बातें सिखाती है,,,, लेकिन हालात के आगे सब मजबूर होते हैं पल में क्या बदल जाएगी खुद इंसान नहीं समझ सकता और यही निर्मला के साथ हो रहा था यहां आने से पहले उसे उम्मीद भी नहीं थी कि उसकी जिंदगी एक अलग मोड़ लेने वाली है,,, लेकिन शायद यही मोड़ से मंजिल तक पहुंचाने वाली भी थी,,, )

मैं कभी सपने में भी नहीं सोच इतनी क्यों तुझे इस हालत में देखूंगी और वह भी अपनी बहन के साथ मुझे सब समझ में आ रहा है जो तू अपनी बहन की इतनी तरफदारी करता था किस लिए करता था मुझे लगता था छोटी बहन है शायद लाड प्यार आता है उसके ऊपर मुझे क्या मालूम था कि उसे देखकर तेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,,, वह भी छिनार जिन हाथों से जिन कलाई में राखी बांधना चाहिए उसी हाथ से कलाई की जगह लंड पकड़ कर हीलाती है,,,,(अशोक कुछ भी बोल नहीं रहा था बस सुने जा रहा था,,, शुभम स्तब्ध था हैरान था पहली बार अपनी मां का इस तरह का रूप देख रहा था और इस तरह की अश्लील शब्द उसके मुंह से सुन रहा था,,,, पहले भी सुन चुका था लेकिन मस्ती के आलम में यह शब्द उसे मधुर मिठास से भरे हुए लगते थे लेकिन आज की बात कुछ और थी,,,) साले मादरचोद जिन हाथों से अपनी बहन को गोद में लेकर खिलाया उन्हीं हाथों से उसके नंगे बदन छूने ने तुझे शर्म नहीं आई,,, हरामखोर,,,,
(ना तो शुभम और ना ही अशोक समझ पा रहे थे कि निर्मला इस तरह के शब्दों का प्रयोग क्यों कर रही है क्यों इतना क्रोध दिखा रही है,,, अशोक का तो खैर छोड़ो लेकिन शुभम कुछ ज्यादा ही हैरान था जिस रिश्ते की दुआ ही वह अपने पति को दे रही थी वही वह खुद मां बेटे के रिश्ते की सारी मर्यादा को भूल कर अपने ही बेटे के साथ बरसों से संभोग सुख का आनंद लेते आ रही है,,,, यह बातें दोनों के समझ के बाहर थी लेकिन निर्मला एक सोची समझी साजिश के तहत अपनी एक-एक बात को अशोक के सामने रख रही थी,,,)

तू बड़ा गरम मर्द है ना और तुझे बिस्तर में गर्म औरत चाहिए ठंडी नहीं खास करके मेरी जैसी ठंडी नहीं मैं खूबसूरत हूं मेरा बदन खूबसूरत है तेरी बहन मेरी अभी कुछ भी नहीं लेकिन फिर भी तू अपनी बहन की जवानी का रस पी रहा है और मुझे बिस्तर पर तड़पता हुआ छोड़ देता है,,, तेरे लिए हालात कुछ बदले ना बदले लेकिन तेरी जरूरत के लिए बुर बदल देता है,,, पहले मेरी बुर फिर अपनी खुद की बहन की बुर और इस दौरान ना जाने कितनी बुर के साथ तो अपनी हवस मिटाया होगा,,,,(अपनी मां की इस तरह की अश्लील बेहद अश्लील बातें सुनकर शुभम का दिमाग झनझना जा रहा था उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह शब्द जिसके कानों में पढ़ रहे हैं उसकी मां के द्वारा कहे गए हैं वह उत्तेजित हुआ जा रहा था उसके जींस में तंबू बनना शुरू हो गया था,,, जिस पर शायद निर्मला की भी नजर पड़ जा रही थी,,,)
मैं ठंडी औरत हु ना बिस्तर पर तुझे मजा नहीं देती,,,,मुझे कुछ नहीं होता मर्दों को कैसे खुश किया जाता है यह मुझे बिल्कुल भी नहीं आता तभी तु,,, अपनी गर्मी शांत करने के लिए अपनी छोटी बहन को इधर लाता है,,,, उसे सब कुछ आता है वह बिस्तर पर बहुत गरम है,,, और मैं ठंडी हूं कोई भी मर्द मुझसे खुश नहीं होगा मुझे तो मर्दों को खुश करने नहीं आता ना मै ठंडी हूं,,,, मुझे कोई मर्द प्यार नहीं करेगा,,, यही ना हरामजादे,,,(निर्मला अपने पति को उंगली दिखा दिखाकर उसे जैसे धमकाते हुए सब कुछ बोल रहे थे और वह डर के मारे बस नजरों को नीचे किए हुए बिस्तर पर बैठा था,,) कुत्ते कमीने मादरचोद,,, मुझे देखकर किसी का लंड नहीं खडा होगा ना,, कोई भी मर्द मुझे सी ठंडी औरत को चोदना नहीं चाहेगा यही सोचता है ना तु,,, कुत्ते तुम्हें तुझे दिखाती हूं कि मैं कितनी गर्म हूं,,, पल भर में किसी का लंड खड़ा कर सकती हूं,,,, देखना चाहेगा हरामजादे,,,,
(शुभम और अशोक दोनों हैरान थे शुभम तो समझ नहीं पा रहा था कि उसकी मां क्या करने वाले हैं और शायद यह बात अशोक के भी पल्ले नहीं पड़ रही थी,,,)
देखेगा मादरचोद बिस्तर पर मेरी गरमी देखेगा,,, मैं गर्म हो गई ना तो तेरे में मुझे ठंडा करने की ताकत भी नहीं है साला 2 मिनट में पानी छोड़ देता है ऊपर से मुझे ठंडी कहता है,,,
देखेगा मादरचोद मेरी गर्मी,,,,तू ऐसे नहीं मानेगा अभी दिखाती हूं तुझे मैं अपनी गर्मी,,,,
(इतना कहने के साथ ही निर्मला अपने पति की आंखों के सामने ही अपने बेटे का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींची और तुरंत उसे अपनी बाहों में लेकर अपने प्यार से लाल-लाल होठों को अपने बेटे के होठों पर रखकर चूसना शुरु कर दी,,,,शुभम हैरान था इस तंत्र था अपनी मां की इस हरकत को वह समझ पाता इससे पहले ही निर्मला अपने बेटे पर पूरी तरह से काबू पा चुकी थी,,, अशोक की आंखें फटी की फटी रह गई,,,,वह मूकदर्शक बना हुआ बिस्तर पर से अपनी पत्नी की कामलीला को देखता रहा,,,, निर्मला पागलों की तरह उत्तेजित अवस्था में अपने बेटे के होंठों को चूस रही थी उसे कसके अपनी बाहों में भरी हुई थी,,,, अपने बाप के सामने शुभम शर्मिंदा हुए जा रहा था हालांकि वह भी काफी गर्म हो चुका था लेकिन फिर भी वह अपने बाप के सामने इस स्थिति में अपने आप को लाना नहीं चाहता था वह अपनी मां को हटाने की कोशिश कर रहा था लेकिन निर्मला कसके उसे अपनी बांहों में जकड़े हुए थी,,,)

क्या कर रही हो मम्मी छोड़ो मुझे यह अच्छी बात नहीं है मुझे छोड़ो,,,,
(लेकिन शुभम की बातों का असर निर्मला पल बिल्कुल भी नहीं हो रहा था वह लगातार उसके होठों का रस अपने मुंह में भर कर चूसे जा रही थी,, निर्मला पर काम वासना पूरी तरह से छा चुका था उसे अब बिल्कुल भी शर्म नहीं थी अपने पति के सामने वह सारी मर्यादा की दूरी को तोड़ देना चाहती थी अपने संस्कार के बंधनों को तोड़कर वह हवा में खुली सांस लेना चाहती थी,,,, हालांकि ऐसा वह पहले ही कर चुकी थी लेकिन आज वह अपने पति की नजरों में अपने आप को एक गर्म औरत साबीत करना चाहती थी,,, वह दिखा देना चाहती थी कि उसकी गर्मी को उसका पति खुद शांत नहीं कर सकता,,, तो किस बीसात पर वह उसे ठंडी औरत कहता हैं,,,शुभम लगातार अपनी मां को अपने से दूर करने की कोशिश कर रहा था लेकिन शायद अब यह उसके बस में नहीं था उसकी मां पूरी तरह से उसकी कमर को अपनी दोनों मजबूत हाथों से पकड़कर अपने बदन से सटाए हुए थी,,,, शुभम अपनी मां को इतना कामातुर देखकर खुद काम भावना से ग्रस्त होने लगा,,, पेंट में उसका लंड धीरे-धीरे खडा होना शुरू हो गया,, जो किसी ने साड़ी के ऊपर से ही है निर्मला के मुख्य द्वार पर दस्तक देने लगा था,,,, जिससे निर्मला के तन बदन में और ज्यादा उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,।लेकिन अभी शुभम की तरफ से कोई सहकार उसे नहीं मिल रहा था क्योंकि वह अपने बाप के सामने शर्म आ रहा था अपनी औरत की इस तरह की हरकत देखकर और वह भी अपने ही बेटे के साथ उससे रहा नहीं गया और अशोक बोला,,,।

यह क्या कर रही हो निर्मला दो शर्मा हो गई हो क्या अपने ही बेटे के साथ ही क्या कर रही हो छोड़ो उसे,,,,
(इतना सुनकर शुभम तो शर्म से पानी पानी हो गया लेकिन निर्मला लगातार अपने बेटे के होठों को चुस्ती रही और अपना एक हाथ अशोक की तरफ बढ़ाकर चुटकी बजाते हुए उसे बिस्तर पर ही बैठे रहने के लिए इशारे में बोली,,, जिस तरह से निर्मला चुटकी बजाते हुए उसे बिस्तर पर ही बैठे रहने का इशारा की अशोक उसकी इस अदा से समझ गया था कि वह कितनी गुस्से में है,,,, निर्मला को अपने पति की आंखों के सामने ही अपने बेटे के साथ इस क्रिया को करते हुए बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी मजा तो शुभम को भी आ रहा था, लेकिन वह अपने बाप से शर्म आ रहा था वरना अब तक जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव कर रहा था अपनी मां को लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया होता,, फिर भी वह धीरे धीरे अपनी मां की मदहोश जवानी के नशे में मदहोश होता जा रहा था,,, निर्मला पागल हुए जा रही थी उत्तेजना ने उसे पूरी तरह से अपने काबू में ले लिया था,,, वह मदहोश होते हुए अपने बेटे के संपूर्ण बदन पर अपना हाथ घुमा रही थी एक हाथ आगे की तरफ लाकर पेंट में खड़े उसके लंड को पकड़ कर जोर जोर से ऊपर से मसल रही थी और यह नजारा उसका पति अपनी आंखों से देख रहा था उसे भी शर्म आ रही थी कि उसकी पत्नी उसकी आंखों के सामने यह अपने बेटे के साथ यह कौन सा खेल खेल रही है लेकिन वह कुछ भी बोल सकने के काबिल नहीं था,,, शुभम को मजा आ रहा था रह ररकर वह भी अपनी मां के लाल होठों को चूसने लग जा रहा था,,, लेकिन अपने बाप से शर्मा भी रहा था,,,।
अशोक हैरान था क्योंकि उसकी आंखें जो देख रही थी शायद वो सपने में भी नहीं सोचा था कि उसेइस तरह का मंजर अपनी आंखों के सामने देखना पड़ेगा निर्मला अपने बेटे के होठों को चूसते हुए अपने दोनों हाथ नीचे की तरफ लाकर उसके पेंट की बटन खोल रही थी,,, और देखते ही देखते जल्दबाजी में हुआ उसकी पेंट को नीचे की तरफ कर दी अंडर वियर में खड़ा लंड पूरी तरह से तंबू बनाए हुए था,,, और अंडरवियर में बने तंबू को देखकर अशोक हैरान था क्योंकि इस तरह का तंबू उसने कभी भी अपने पेंट में बनता हुआ नहीं देखा था शायद उससे आधा भी नहीं बन पाता था,,,, क्योंकि अशोक कैलेंडर में इतनी ताकत नहीं थी कि वह खड़ा होकर उसके पेंट को आगे की तरफ तानकर तंबू की शक्ल दे सके,,,,अशोक को तो अपनी आंखों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं हो रहा था कि उसकी आंखों के सामने जो कुछ भी हो रहा है वह हकीकत है उसे ऐसा लग रहा था कि यह सपना ही है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कब तक अशोक अपने आप को धोखा दे पाता उसकी आंखों के सामने जो कुछ भी हो रहा था वह हकीकत ही था बहुत जल्द अशोक यह समझ गया,,,, निर्मला होंठ चुसाई का मजा लूटते हुए अंडरवियर के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को जोर-जोर से पकड़ कर मसल रही थी,,, पर वह इतनी जोर से मसल रही थी कि शुभम के मुंह से कराहने की आवाज निकल जा रही थी,,,, जो कुछ भी निर्मला ने कही थी वह अशोक को सच होता नजर आ रहा था कुछ देर पहले ही वह अपने मुंह से बोली थी कि वह किसी का भी लंड खड़ा कर सकती है,,, और नतीजा उसकी आंखों के सामने था वह खुद के ही बेटे के लंड को खड़ा कर दी थी,, लेकिन अशोक यह सब देखकर हैरान था खास करके अपने बेटे के खड़े होते हुए लंड को देखकर क्योंकि यह बात वह अच्छी तरह से जानता था कि मर्द का लंड कब खड़ा होता है जब उसके अंदर किसी औरत को चोदने की भावना या आकर्षण के साथ उत्तेजना का अनुभव होता है तब जाकर मर्द का लंड खड़ा होता है और यहां तो उसके बेटे के सामने उसकी मां थी मतलब उसकी मां की हरकत को देखकर शुभम का लंड खड़ा हो गया था जो कि उसके मन में भी अपनी मां को चोदने की भावना जागृत हो गई होगी,,,, यही बात अशोक को हैरान कर रही थी,,,, निर्मला तो चलो गुस्से में यह सब कर रही थी लेकिन उसका बेटा तो होश में था उसके अंदर यह भावना क्यों जाग रही थी इस बात को वह समझ नहीं पा रहा था,,,, इसीलिए वह फिर से निर्मला को रोकते हुए बोला,,,,।

निर्मला यह क्या कर रही हो तुम अनर्थ कर रही हो ऐसा मत करो प्लीज मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं,,,, शुभम तू अपने कमरे में चले जा,,,,
(इतना सुनते ही निर्मला एकदम आग बबूला होते हैं बोली,,)

अशोक मादरचोद अपनी इज्जत सही सलामत चाहता है तो शांति से बिस्तर पर बैठ कर ये तमाशा देख वरना सारे समाज में तुझे बेइज्जत कर दूंगी और अपना बिजनेस भी करने के लायक तु नहीं रह जाएगा,,, और तू यहां से जाने के बारे में सोचना भी नहीं,,,(इतना कहने के साथ ही वह फिर से अपने बेटे के होठों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी,,,अपने दोनों हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर अंडर वियर के ऊपर से ही उसके लंड से खेलने लगी,,,,अशोक भी आखिर कब तक अपने आप पर काबू कर पाता शर्म तो उसे आ ही रही थी लेकिन उसकी आंखों के सामने उसकी बीवी के द्वारा अपने ही बेटे के साथ गरमा-गरम दृश्य जो चल रहा था काम भावना अशोक के अंदर भी जागने लगी थी,,, लेकिन देखने के सिवा और कुछ कर नहीं सकता था,,,। निर्मला मन ही मन बहुत खुश हो रही थी भगवान का धन्यवाद दे रही थी कि ठीक समय पर उसे घर पर भेज दिया था आज वह वर्षों से चले आ रहे अपने ही बेटे के साथ अपनी कामलीला को पूरी तरह से अपने पति के द्वारा स्वीकृति का प्रमाण पत्र दिला देना चाहती थी,,, जो कि एक तरह का लाइसेंस ही था,,,, इस बात से इंकार भी नहीं कर रही थी कि आज अपने पति के सामने ही अपने बेटे के साथ इस तरह की हरकत करते हुए उसे कुछ ज्यादा ही अत्यधिक उत्तेजना कार्गो हो रहा था उसके तन बदन में वासना चीटियां बनकर रेंग रही थी,,, जवानी कुछ ज्यादा ही हीलोरे मार रही थी,,,शुभम की भी इच्छा हो रही थी कि वह अपने हाथ को अपनी मां के संपूर्ण बदन पर इधर-उधर घूमाए खास करके उसके नितंबों को अपनी हथेली में भरकर दबाए लेकिन अपने बाप की शरम उसे ऐसा करने से रोक रही थी,,। निर्मला तो बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए अपने बेटे के साथ रंगरेलियां मनाने के मूड में आ चुकी थी और वह भी अपने पति की आंखों के सामने ही और ऐसा करने में उसे काफी उत्तेजना का अनुभव भी हो रहा था,,वह लगातार अपने बेटे के होठों को चूसते हुए वह अपने हाथ से शुभम के अंडरवियर में तना हुआ उसके लंड से खेल रही थी,,,, शुभम की हालत खराब हो रही थी ,,।
पल-पल शुभम उत्तेजना से भरता चला जा रहा था,,, अशोक के पास देखने के सिवा और कुछ नहीं था,,, निर्मला को इस कदर उत्तेजित होता हुआ वह पहली बार देख रहा था,,निर्मला अपने पति को और ज्यादा जलाने के लिए वह अपने बेटे के होंठों को चूमते हुए तिरछी नजर करके उसकी तरफ देख ले रही थी और जब भी अशोक की नजर निर्मला से टकराती तो शर्म के मारे वह अपनी नजरें नीचे झुका ले रहा था,,,, ऐसा करने में निर्मला को बहुत आनंद मिल रहा था,,,
निर्मला अपने मन में सोच रही थी कि आप अपना असली रूप दिखाने का समय आ गया था इसलिए वह शुभम को धीरे धीरे बिस्तर की तरफ ले जा रही थी,,, और जैसे ही वह बिस्तर के करीब पहुंची निर्मला शुभम को धक्का देकर बिस्तर पर पीठ के बल गिरा दी,,,, धम्म की आवाज के साथ शुभम बिस्तर पर चारों खाने चित हो गया,,,, किंग साइज बेड पर एक कोने पर अशोक नंगा बैठा हुआ था उसके एकदम करीब शुभम बिस्तर पर गिरा था,,, शुभम के दोनों पैर बिस्तर के नीचे झूल रहे थे,,, निर्मला अशोक की तरफ देखते हुए अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी हालांकि अभी भी वह गहरी गहरी सांसे लेते हुए अपने क्रोध का असर अशोक को दिखा रही थी,,,,जब वह ब्लाउज के बटन खोल रही थी तब अशोक उसकी तरफ देख कर एक बार फिर से उसे रोकने की कोशिश करते हुए बोला,,।

यह क्या कर रही हो निर्मला मेरी गलती की सजा तुम खुद अपने आप को ही दे रही हो,,, अपने बेटे के साथ यह क्या कर रही हो,,,

तू चुप रे मादरचोद रिश्तो की दुआरी मुझे मत दे रिश्तो को तार-तार तू करता आ रहा है मैं नहीं मैं तो तुझे बस यह दिखाना चाहती हो कि मैं ठंडी नहीं हूं गर्म औरत हूं,,,बस अपने संस्कार और मर्यादा के बंधन में बंधे हुए हु लेकिन आज यह बंधन खोल रही हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही निर्मल अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया और पल भर में ही अपना ब्लाउज निकाल कर नीचे फर्श पर फेंक दे,, काली रंग की ब्रा में उसके दोनों खरबूजे जानलेवा हथियार नजर आ रहे थे,,, अशोक के तन बदन में भी आग लग रही थी बार-बार वह अपने बेटे की अंडरवियर में बने हुए तंबू की लंबाई को देख ले रहा था जो कि बेहद आकर्षक लग रहा था,,,अपने पति की आंखों के सामने ही निर्मला अपने बदन से साड़ी खोलने लगी और देखते ही देखते हैं उसके बदन से साड़ी भी अलग हो गई और नीचे फर्श पर गिर गई अब केवल वहां पेटीकोट और ब्रा में थी,,,,)
मादरचोद अशोक भोसड़ी वाले मैं अभी तक अपने मां-बाप के शिकार हुए संस्कार और मर्यादा के रास्ते पर चल रही थी लेकिन तूने मुझे रास्ता बदलने के लिए मजबूर कर दिया है,,, देखना आज मैं तुझे अपनी गर्मी दिखाती हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही निर्मला अपने पेटिकोट को घुटनो तक उठाकर अपने दोनों हाथ अंदर की तरफ डालकर अपनी काली रंग की पेंटी भी निकाल कर फर्श पर फेंक दी... अब वह पेटीकोट के अंदर बिल्कुल नंगी थी,,, लेकिन अभी भी उसके बदन पर पेटीकोट थी... देखते ही देखते निर्मला अपने बेटे के जींस को दोनों हाथों से खींचकर निकालने लगी शुभम को बहुत मजा आ रहा था उत्तेजना की पराकाष्ठा तक पहुंचने पर कैसा है ऐसा होता है यह उसी पल भर में ही पता चल गया था देखते ही देखते निर्मला अपने बेटे की जींस को निकाल कर नीचे फेंक दी,,,कुछ देर पहले का दृश्य एक बार फिर से सामने आ गया थोड़ी देर पहले ही फर्श पर निर्मला की ननद की ब्रा और पेंटी पड़ी हुई थी अशोक के कपड़े पड़े हुए थे और अब निर्मला की खुद की पेंटिं और ब्लाउज साड़ी के साथ-साथ शुभम का जींस भी नीचे बिखरा पड़ा था,,,,)

गर्मी देखेगा ना मादरर्चोद गर्म औरत तुझे पसंद है ना बिस्तर में,,,, मैं दिखाती हूं कि मैं कितनी गर्म हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह घुटनों के बल बिस्तर पर आगे बढ़ी और दोनों हाथों से शुभम की अंडर वियर पकड़ कर उतारने ही वाली थी किसी को अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसे रोकते हुए बोला)

यह क्या कर रही हो मम्मी यह गलत है,,,

चुप बे मादरचोद भोसड़ी वाले तू भी अपने बाप की तरह है क्या,,, मैं आज तुझे मादरचोद बनाऊंगी,,, मादरचोद समझा,,,,(इतना कहने के साथ ही निर्मला अपने बेटे के अंडरवियर को एक झटके में ही खींच कर बाहर निकाल दी,, और जैसे ही शुभम के तन से अंडरवियर अलग हुई उस का टनटनाता हुआ लंड ऊपर की तरफ मुंह करके हवा में झूलने लगा,,, अशोक तो एकदम आश्चर्य से अपने बेटे के लंड को देखने लगा वाकई में शुभम का कुछ ज्यादा ही मोटा और काफी लंबा था,,, उसके सामने उसका खुद का लंड बच्चे के लंड की तरह लग रहा था,,,,, अशोक की आंखें फटी की फटी रह गई थी अपने बेटे के लंड को देखकर,, और निर्मला अपने पति को दिखाते हुए अपनी बेटे के लंड को जड़ से पकड़ कर जोर जोर से हिलाते हुए बोली,,)

देखा मादरचोद इसको बोलते हैं लंड,,, देख तेरा इससे आधा भी नहीं है तु बुझाएगा मेरी प्यास,,, मादरचोद तू मेरी प्यास बुझाता नहीं था बल्कि और ज्यादा भडका देता था,,,और तु जिसको भी चोदता है ना वह तुझ से संतुष्ट नहीं होती बस मजबूरी में तेरे साथ सोती है,,,,(अशोक को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह फटी आंखों से अपनी बेटे के लंड को देख रहा था जो कि ईस समय उसकी पत्नी के हाथ में झुल रहा था,,,,, निर्मला को अपने बेटे का लंड अपने पति को दिखाने में आनंद की अनुभूति हो रही थी,,, वास्तव में जब एक पत्नी अपने पति की आंखों के सामने अपने बेटे के लंड की तारीफ करो तो एक बाप की क्या मनोस्थिति होती है वह अशोक से बेहतर भला कौन जान सकता था,,,,)
देख लिया शोक इसको कहते हैं एक मर्द का दमदार लंड अब देखना यह कैसे मेरी बुर के अंदर जाता हैं,,,,
(निर्मला की यह बात सुनकर अशोक के तन बदन में आग लग गई उत्तेजना से नहीं बल्कि गुस्से में लेकिन वह कुछ कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था वह आज निर्मला के सामने घुटने टेक दिया था लेकिन निर्मला की यह बात सुनकर शुभम का जोश दोगुना हो गया आज वह अपने आप को सातवें आसमान में उड़ता हुआ महसूस कर रहा था,,,, क्योंकि यह बात अच्छी तरह से जानता था कि आज की चुदाई उसके बाप के लिए एक सबक होगीवह अपने बाप के सामने अपनी मां की चुदाई करते हुए किसी भी तरह से फेल नहीं होना चाहता था,,, इसलिए वह भी अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुका था निर्मला तो उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गई थी,,, वह अपने पति की आंखों के सामने ही अपनी पेटीकोट को कमर तक उठा दी,, और उसकी गोलाकार गांड देखकर अशोक का मन बहकने लगा,,,निर्मला अपने बेटे के कमर के इर्द-गिर्द अपने घुटने टेककर एक हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़ ली,,, और अपने बेटे से बोली,,,।

शुभम मादरचोद देख क्या रहा है,,,, मैं जानती हूं आज तेरी जिंदगी की पहली चुदाई है,,, थोड़ा सा थुक अपने लंड पर लगा ले,,, ताकि तेरा मोटा लंड मेरी बुर में आराम से जा सके,,,(इतना सुनना भर था कि शुभम तुरंत ढेर सारा थूक अपने हाथ पर लगाकर उसे अपने लंड पर चुपडने लगा,, देखते ही देखते हैं उसका लंड पूरी तरह से चिकना हो गया,,,)

अब ठीक है,,,
(इतना कहने के साथ ही निर्मला फिर से अपने बेटे के लंड को पकड़कर अपनी गुलाबी बुर के छेद पर लगा दी,,, और धीरे-धीरे अपने भारी-भरकम नितंबों का दबाव उस पर बढ़ाने लगी शुभम का लंड काफी चिकना था देखते ही देखते वह निर्मला की बुर के अंदर सरकना शुरू हो गया,,, अशोक आश्चर्य से अपनी फटी आंखों से यह नजारा देख रहा था वह शर्म से पानी पानी हो जा रहा था क्योंकि आज तक वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि यह सब कुछ होगा कि 1 दिन ऐसा आएगा कि उसकी बीवी अपने ही बेटे से उसकी आंखों के सामने चुदवाएगी,,,,अशोक अपनी बीवी के चेहरे के बदलते हाव-भाव को देख रहा था थोड़ी देर पहले जो गुस्से से तिलमिला रही थी अब उसके चेहरे का रंग बदलने लगा आनंद की अनुभूति में उसके गोरे गाल सुर्ख होते जा रहे थे,,,,देखते ही देखते ही निर्मला अपने नितंबों का दबाव बराबर बनाते हुए शुभम के लंड को पूरी तरह से अपनी गुलाबी बुर के छेद के अंदर गटक गई,,,,आहहहरहह,,,,की आवाज के साथ ही इस बात का एहसास अशोक को भी हो गया कि उसके बेटे का समूचा लंड उसकी बीवी की बुर में घुस गया है,,,, शुभम की हालत खराब होती जा रही थी अब तक वह अपनी मां को अपने काबू में रखता था लेकिन आज सारा पैसा उल्टा हो गया था आज वहां अपनी मां के काबू में था या यूं कह लो कि अपनी मां के हाथों की कठपुतली बना हुआ था,,, बेहद शर्मनाक लेकिन उत्तेजना से बना हुआ नजारा था एक ही किंग साइज बेड पर मां बेटे और बाप तीनों मौजूद थे,,,लेकिन बाप कुछ भी कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था ना तो वह इसमें शामिल होकर बजे लूट सकता था ना कि उन दोनों को रोक सकता था और उसकी आंखों के सामने उसकी बीवी उसके ही बेटे के साथ संभोग सुख भोग रही थी। देखते ही देखते निर्मला अपने बेटे के लैंड पर उठाकर बैठक करने लगी,,,और लगातार उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट रही थी जो कि वह अपने पति के सामने देख कर निकाल रही थी,,,, शुभम कुछ भी नहीं कर रहा था सारी बागडोर निर्मला के हाथों में थी,,, घड़ी में 5:15 का समय हो रहा था सुबह हो चुकी थी लेकिन अशोक की जिंदगी में अंधेरा छाने लगा था,,, निर्मला तो अपने भविष्य का रास्ता साफ कर रही थी क्योंकि आज के बाद से कुछ भी छुपाने लायक नहीं होगा सब कुछ सामने था,,, निर्मला की गरम सिसकारियां पूरे कमरे में गुंजने लगी,,,अशोक आश्चर्य से अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को उसकी मां की बुर के अंदर बाहर होता हुआ देख रहा था,,, वह पीठ के बल लेटा हुआ था जरा भी हरकत उसमें नजर नहीं आ रही थी तो खुद निर्मला ही अपनी ब्रा का हुक पीछे हाथ लाकर खोलते हुए अपनी दोनों चूचियों को आजाद कर दिया और शुभम का हाथ पकड़कर अपनी चूचियों पर रखते हुए बोली,,,।

मेरे दशहरी आम का तो मजा ले मादरचोद,,,
(शुभम को क्या था हमसे तो बस मजा लेना था वह जानता था कि निर्मला के आगे अब उसके बाप की बिल्कुल भी चलने वाली नहीं थी इसलिए वह अपने दोनों हाथों में आए दशहरी आम को दबाना शुरू कर दिया जिससे निर्मला और ज्यादा जोर जोर से सिसकारी लेने लगे अशोक हैरान था क्योंकि जिस तरह की सिसकारी वाले रही थी आज तक उसने उसके मुख से इस तरह की सिसकारी की आवाज नहीं सुना था इसलिए उसके तन बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,)
देख मादरचोद अशोक इसको बोलते हैं चुदाई,,, जमकर चुदाई और मुझे कहते ही गर्म औरत समझा जिस की गर्मी शांत करने का हौसला तुझ में बिल्कुल भी नहीं है,,, देख रहा है मेरे बेटे को कैसे घोड़े की तरह दौड़ रहा है,,, तुझसे यह बिल्कुल भी नहीं होगा,,,,साले सिर्फ बिस्तर में गर्म औरत मिल जाने से कुछ नहीं होता उसकी कर्मी भी शांत करने का हुनर होना चाहिए,,,
(अपने पति को लगातार अपने बेटे के सामने अपमानित करते हुए निर्मला जोर-जोर से अपने बेटे के लंड पर कूद रही थी,,,अपने पति के सामने अपने बेटे से चुदवाने में उसे और भी ज्यादा आनंद आ रहा था,,,,,करीब 20 मिनट का समय गुजर चुका था लेकिन दोनों एक दूसरे से मजा ले रहे थे यह देखकर अशोक हैरान था कि उसके बेटे का अभी तक पानी नहीं निकल पाया था,,,, निर्मला लगातार अपने बेटे का लंड अपनी बुर में लीए जा रही थी,,,)

साले मादरर्चोद तु कुछ क्यों नहीं करता क्या तु भी अपने बाप की तरह ढीला है क्या,,,रे,,,,
(इतना सुनना था कि शुभम अपने बाप की तरफ देखा जो कि उसे ही देख रहा था वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां को अपनी तरफ खींचा और उसे बाहों में ले लिया और तुरंत अपना पोजीशन बदल लिया वह सब घुमा के निर्मला को पता ही नहीं चला कि कब हुआ पीठ के बल चित हो गई और वह उसके ऊपर आ गया अशोक भी हैरान था इस कलाबाजी को देखकर,,,अब शुभम को लगने लगा कि सारी बागडोर उसके हाथ में आ गई और वह पोजीशन लेते हुए अपने बाप की आंखों के सामने ही अपनी मां की कमर पकड़ कर उसे थोड़ा सा अपनी तरफ खींच कर अपनी जांघो पर ले लिया और पेलना शुरू कर दिया,,,, तकरीबन 15 मिनट तक और शुभम अपनी मां की चुदाई करता रहा इस दौरान निर्मला गहरी गहरी सांसे लेते हुए दो बार झड़ चुकी थी और जब जब वह‌ झडी थी तब तक वह अशोक को बता भी रही थी कि उसका पानी निकल गया है,,, अशोक हैरान था कि उसका बेटा इतना दमदार है कि तकरीबन आधे घंटे तक उसकी जमकर चुदाई करता रहा और इस दौरान वह अपनी मां को दो बार झाड़ चुका था,,,
दोनों एक दूसरे की बाहों में जोर-जोर से हांफ रहे थे,,,,
थोड़ी देर बाद शुभम अपनी मां के ऊपर से उठा और बिस्तर के कोने पर जाकर बैठ गया,,,।

देखा अशोक मेरी गर्मी,,, क्या तू बुझा सकता है मेरी गर्मी को मेरी प्यास मिटा सकता है नहीं मिटा सकता लेकिन फिर भी मैं तुझसे कभी भी इस बारे में शिकायत नहीं की लेकिन तो मुझे कभी भी इज्जत नहीं दिया सम्मान नहीं दिया बस मुझे जलील करता रहा लेकिन आज मुझे एक बार फिर से जिंदगी जीने का मकसद मिल गया है अब मैं तेरी आंखों के सामने ही अपने बेटे से चुदवाऊंगी,,,,,, अब मैं तुझसे डरने वाली नहीं हूं और ना तु मुझे रोक सकता है,,,

लेकिन यह गलत है निर्मला ,,,(अशोक एक बार फिर से लाचार होता हुआ बोला,,,)

तो फिर जो तू अपनी बहन के साथ कर रहा था वह सही था,,हरामजादे इतनी सुंदर बीवी होने के बावजूद भी तो इधर उधर मुंह मारता फिरता रहता है अगर थोड़ी बहुत इज्जत मुझे दिया होता तो मैं भी तुझे जिंदगी का असली सुख देती,,, लेकिन तू मुझे कभी समझा ही नहीं,,,,

सुबह हो चुकी थी लेकिन सूरज निकलने में अभी भी समय था अभी भी अंधेरा छाया हुआ था,,,,सूरज निकलने के साथ ही निर्मला की जिंदगी का सवेरा होने वाला था एकदम मुक्त हो चुकी थी,,, दुनिया रिश्ते सारे बंधन से,,,,

अशोक तु मिटाएगा मेरी प्यास को मैं तुझे एक मौका और देना चाहती हूं,,,, अपने बेटे की आंखों के सामने तु मुझे चोद और जैसा मजा मुझे आज जिंदगी में पहली बार अपने बेटे के साथ चुदवीकर मिला है,,,, वैसा ही मजा तो मुझे दे कसम खाकर कहती हो जिंदगी भर तेरी गुलाम हो जाऊंगी फिर तू मेरी आंखों के सामने किसी भी औरत को घर में भी लाकर चोदेगा तो भी मैं तुझे कुछ नहीं कहूंगी,,,,
(तो कुछ भी नहीं कह रहा था बस शांत बैठा हुआ था,,, निर्मला ही जबरदस्ती कर रही थी क्योंकि वह आज ऐसा कुछ कर देना चाहते थे ताकि भविष्य में अशोक उसे शुभम के साथ चुदवाने पर एतराज ना जता सके इसलिए वह अपनी जगह से उठी और अशोक के पास घुटनों के बल चलते हुए आई,,,)

अशोक मैं तुझे एक मौका और देना चाहती हुं,,,यह तेरी और मेरी इज्जत का सवाल है अपने खुद के बेटे के सामने,,,,(इतना कहकर निर्मला अपने पति की दोनो टांगे खोलने लगी और टांगे खुलते ही,, अशोक का छोटा सा लटकता हुआ लंड नजर आया,, निर्मला अच्छी तरह से जानती थी कि कुछ होने वाला नहीं है लेकिन फिर भी वह अपने पति के लंड को हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी और बोली,,,)

रुक जा मैं इसे खड़ा करके चोदने लायक कर देती हु,,
(और इतना कहने के साथ ही निर्मला अपने पति के दोनों टांगों के बीच अपना मुंह डाल दी और अपने पति का लंड चूसने लगी,,, अपनी मां का व्यवहार देखकर शुभम को भी अजीब लग रहा था,, वह भी हैरान था,,आज उसकी मां को ज्यादा ही बेशर्मी दिखा रही थी लेकिन फिर भी शुभम खुश था थोड़ी ही देर में वहां अपने पति के लिए को चूस कर खड़ा कर दी,,,, अशोक को भी मजा आने लगा था वैसे भी अब उसकी इज्जत का सवाल था उसे इतना यकीन था कि वह अच्छे से चुदई कर पाएगा जल्दी पानी नहीं निकलेगा क्योंकि रात को ही वह अपनी बहन को चोद कर पानी निकाल चुका था,,, निर्मला खुद पीठ के बल अपनी दोनों टांगे फैला कर लेट गई,, और देखते ही देखते अशोक भी अपने बेटे की आंखों के सामने ही निर्मला की दोनों टांगों के बीच आ गया,,, शुभम भी बड़े ध्यान से अपने मां-बाप के क्रियाकलाप को देख रहा था,,,,, गीली बुर के अंदर अशोक ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया,,,और ना ही उसके लंड घुसने का एहसास निर्मला को ठीक से हो पाया वह 45 धक्के में ही हांफने लगा,,,

हट जा मैं जानती थी यही होगा,,,, शुभम जल्दी आ,,,
(अशोक निर्मला के ऊपर से हट गया और शुभम की तरफ देखा तो हैरान रह गया उसका लंड फिर से पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जैसे कि पहले था,,, अपने बाप की आंखों के सामने ही सुभम एक बार फिर से पोजीशन बना लिया,,और एक बार फिर से पूरे कमरे में निर्मला की सिसकारी गुंजने लगी तकरीबन 20 मिनट तक शुभम ले फिर से अपनी मां की चुदाई किया तब जाकर दोनों एक साथ झड़ गए,,,

अशोक हार मान लिया था निर्मला काफी खुश थी अब घर में पकड़े जाने का डर बिल्कुल भी नहीं था निर्मला ने ही अपने पति से यह कहकर मामले को एकदम शांत कर दी कि वह जिसके साथ चाहे उसके साथ संबंध बना सकता है चाहे तो वह अपनी छोटी बहन को घर में लाकर भी चोद सकता है अब उसे एतराज नहीं है,,, लेकिन अब वह शुभम के साथ संभोग करके संतुष्ट होगी इस बात का भी वह अशोक के सामने खुलासा कर चुकी थी,,, निर्मला के उस सुझाव से अशोक भाी खुश था,, शुभम तो खुश ही था उसे अपनी मां के दिमाग पर गर्व होने लगा,,, क्योंकि यह सब उसकी ही सूझबूझ का नतीजा था,,,

एक महीने बाद ही शीतल को उल्टियां होना शुरू हो गया जो कि मां बनने की निशानी थी निर्मला उसके हालात से वाकिफ थी वह भी खुश थी क्योंकि शीतल की कोख से उसका पोता जो जन्म लेनेवाला था,,, शुभम बिना शादी के बाप बनने वाला था और वह भी एक बच्चे का नहीं तीन तीन बच्चों का क्योंकि सरला की बहू को जुड़वा बच्चे पैदा हुए थे एक लड़की एक लड़का और उसके कुछ महीनों बाद शीतल ने भी एक सुंदर से बच्चे को जन्म दी हालांकि इस दौरान शुभम की कामलीला सभी के साथ जारी थी,, निर्मला को यह बात तो अच्छी तरह से मालूम थी कि शीतल के बच्चे का बाप शुभम ही है लेकिन इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके पड़ोस में ही सरला की बहू की कोख से जन्म लिए जुड़वा बच्चों का बाप भी शुभम ही है,,।


,,,,,,,,,,,,,,,,समाप्त,,,,,


Beautiful story. Well Ended.
 

Yash maurya

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Bhai BADALTE RISHTE ka bhi part 2 do na plaeas.... Love u brother
 
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