शुभम मुझे तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है किसी कल खुद मुझसे इस तरह से माफी मांगी है,,( डाइनिंग टेबल पर वेट कर शुभम की मां रोटी तोड़कर निवाला मुंह में डालते हुए शुभम से बोली,,,)
मम्मी यकीन करो कि ना करो लेकिन जो कुछ भी हुआ वह हकीकत ही है शीतल मैडम आपसे माफी मांग चुकी हैं,,
(शुभम भी मुंह में निवाला डालते हुए बोला..)
चलो इतना तो अच्छा ही हुआ कि शीतल मुझसे माफी मांग ली और हम दोनों का रिश्ता पहले की तरह हो गया,,,,
मतलब यह मम्मी की जो कुछ भी हुआ था मैं गुस्से में हुआ था आप नहीं चाहती थी उससे रिश्ता तोड़ना,,
तू सच कह रहा है शुभम मैं कभी भी शीतल से अपनी दोस्ती का रिश्ता नहीं तोड़ना चाहती थी क्योंकि मेरी तन्हाई की सच्ची साथी थी जिसे मैं सब कुछ बताती थी उसे सब कुछ शेयर करती थी सिवा तेरे,,,
मम्मी जो कुछ भी हुआ भावनाओं में बहकर हुआ मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता था लेकिन उस समय ना जाने क्या हो गया था जो हम दोनों से गलती हो गई और उस दिन से मुझे उस बात का पछतावा भी बहुत है,,(शुभम अपनी मां की बात सुनकर उसे दिलासा देते हुए बोला,,,)
मैं यही चाहती हूं बेटा कि तू इस तरह दोबारा ऐसी कोई भी गलती ना करें,,,, मैं सब कुछ बर्दाश्त कर सकती हूं लेकिन तू किसी और के साथ हो जाए यह बर्दाश्त नही कर सकती,,, जिंदगी में चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन मैं तुझे किसी और औरत से बांटना नहीं चाहती इतना तू ध्यान रख लेना,,( निर्मला सब्जी की प्लेट को शुभम की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,, सोनिया बात अच्छी तरह से जानता था कि एक औरत सब कुछ बर्दाश्त कर सकती है,, लेकिन अपने प्यार को उस बार देखो जो उसकी शारीरिक जरूरतों को पूरी करता है उसे कभी नहीं बांट सकती इसलिए वह अपने मां को तसल्ली दिलाते हुए बोला,,,)
मम्मी मैं मानता हूं मुझसे गलती हुई थी मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था लेकिन उसके लिए मैं आपसे माफी मांग चुका हूं और आइंदा इस तरह की गलती नहीं होगी मैं वादा भी कर चुका हूं,,, ( शुभम वापस निवाला मुंह में डालते हुए बोला,,)
मुझे तुझ पर भरोसा है शुभम इसलिए तो तुझसे यह सब बात कह रही हूं वैसे तो शीतल बहुत अच्छी औरत है लेकिन मुझे भी यकीन नहीं होता कि उस दिन यह सब कैसे हो गया,, शायद वह हालात की मारी है जैसे कि मैं पहले थी लेकिन तेरे आने के बाद सब कुछ सही हो गया,,,,,
( निर्मला क्या कहना चाहती है सुबह में अच्छी तरह से जानता था लेकिन बात को आगे बढ़ाना नहीं चाहता था इसलिए वह कुछ बोला नहीं,,)
देख सकता हूं मैं तुझसे रिक्वेस्ट करती हूं,,, शीतल मेरी सबसे अच्छी और सच्ची सहेली है जिसके साथ मैंने जिंदगी के इतने साल गुजार दिए वह मेरी बेस्ट फ्रेंड है उस दिन जो कुछ भी हुआ मैं नहीं चाहती कि तू उसके साथ कभी भी दोहराए क्योंकि मैं अब उसे नहीं खोना चाहती,, अगर जिंदगी में कभी भी उस तरह का फिर से मौका आए या फिर से शीतल कभी इस तरह की भावनाओं में बहकर तुझ से शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करें तो तो मेरी बात जरूर याद रखना उसके बहकने के बावजूद तो कभी मत भेजना क्योंकि अब मैं नहीं चाहती कि तुझसे उस दिन की तरह दोबारा गलती हो,,,,( अपनी मां की बात सुनकर शुभम बनी मन में सोचने लगा कि दुनिया में ऐसा कौन सा मर्द होगा जो इस तरह का मौका मिलने पर मुह फेर लेगा या औरत को मना कर देगा वह दुनिया का सबसे बड़ा बेवकूफ ही होगा जो इतने सुनहरे मौके को हाथ से जाने देगा,, लेकिन फिर भी अपनी मां की बात को रखते हुए वह उसे दिलासा बताते हुए बोला,,,।
मुझ पर भरोसा रखिए मम्मी मैं आपका ही बेटा हूं दोबारा कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करूंगा जिससे आपको तकलीफ हो,,,, सच कहूं तो शीतल,,, से कहीं ज्यादा आप खूबसूरत हो आपका हर एक अंग बेहद खूबसूरत है आपके सामने शीतल कोई मायने नहीं रखती,,,( अपने बेटे के मुंह से इस तरह की तारीफ सुनकर निर्मला मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, ना जाने क्यों मर्द की फितरत को जानते हुए भी निर्मला को अपने बेटे पर भरोसा हो रहा था जबकि यह बात तो अच्छी तरह से जानती थी कि अच्छे-अच्छे मर्द अच्छी बीवी पास में होने के बावजूद भी दूसरी और तुम की चिकनाई पर फिसल जाते हैं,,,, फिर भी वह अपने आप को तसल्ली देकर खाना खाने लगी,,
मम्मी तुमने तो मुझे नहीं दिखाई कि तुम किस तरह की गुलाबी रंग की पेंटी और ब्रा खरीदी हो मैं भी देखना चाहता हूं,,( शुभम पानी का ग्लास उठाकर उसे पीते हुए बोला।।)
देख लेना अभी तो सारी रात बाकी है,,, ( निर्मला कामुक मुस्कान होंठों पर लाते हुए बोली,,,, थोड़ी ही देर में दोनों ने खाना खत्म कर लिया निर्मला किचन में जाकर सारे झूठे बर्तन साफ करके बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चली गई,,
शुभम वही डाइनिंग टेबल पर बैठा आज दिनभर की घटनाओं के बारे में सोच रहा था,,, बार-बार उसे बैंगनी रंग की ट्रांसपेरेंट में कयामत ढा रही शीतल याद आ रही थी। छोटे से ब्लाउज में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ऐसा लग रहा था कि जैसे बड़े-बड़े खरबूजे को जबरदस्ती किसी थैले में भर दिया गया,, गया हो,, sheetal ki badi badi chuchiya
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Sheetal ki gol gol gaand
मटके जैसी बड़ी बड़ी गांड जिसे देखते ही अपनी प्यास बुझाने की इच्छा हो जाए कुल मिलाकर शीतल एकदम पटाखा थी,,, जिसे चोदना शुभम के लिए सौभाग्य की बात होती ऐसा वह अपने मन में सोच रहा था जो कि अभी भी उसकी मां ने हिदायत दी कि शीतल से हमेशा दूर रहना उसकी मां की देवी सारी हिदायतें धरी की धरी रह गई क्योंकि एक मर्द की जाती है ऐसी होती है कि जाओ खूबसूरत औरत देखे नहीं लार टपकाते हुए पीछे पड़ जाते हैं लेकिन यहां तो खुद खूबसूरत औरत शीतल खुद शुभम के पीछे पड़ी हुई थी इसलिए हाथ में आया हुआ लड्डू किसी भी हाल में शुभम जाने नहीं देना चाहता था,,,, कसी हुई साड़ी के अंदर पानी भरे गुब्बारे की तरह लहराती हुई गांड को याद करके सुभम का लंड खड़ा होने लगा था,,,, बची कुची कसर सरला चाची पूरी कर दी थी शाम वाली घटना याद आते हैं एक बार फिर से उसके तन बदन में चुदाई करने की इच्छा जागरुक हो गई,,,, सरला की बड़ी-बड़ी गांड याद आते ही उसके लंड की ऐंठन बढ़ने लगी,,,,, वह अपनी पजामें में माथा उठा रहा अपने लंड को अपने हाथ से मसलकर उसे बैठाने की कोशिश करने लगा कि तभी उसे सीढ़ियों पर से पैरो की आहट सुनाई दी,,, जब वह पलट कर उस दिशा में देखा तो उधर का नजारा देखकर एकदम दंग रह गया,,,, उसके बदन में रक्त संचार एकदम कमजोर पड़ने लगा उसकी सांसों की गति तेज होने लगी ऐसा लग रहा था मानो उसका पूरा बदन ठंड के मारे जमने लगा हो कर भी क्या सकता था सामने का नजारा ही कुछ ऐसा था कि जिसे देखने के बाद दुनिया का हर मर्द सांसे लेना भूल जाए,,,, निर्मला के भजन पर केवल आज ही मॉल में से खरीद कर लाई गई गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी थी जो कि उसकी पसंदीदा,, थी,,, अपनी मां को देखते ही शुभम समझ गया कि उसकी मां बाथरूम में नहा कर आई है क्योंकि उसके बाल गीले थे और उसके किलो वालों में से पानी की ठंडी बूंदे मोतियों के दाने की तरह उसके खूबसूरत बदन पर फिसल रही थी,,, गुलाबी रंग की ब्रा में निर्मला के दोनों कबूतर फड़फड़ा रहे थे दोनों को ऐसा लग रहा था कि आजादी चाहिए थी,, चिकना खूबसूरत गोरा बदन ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी मे एकदम नहाया हुआ लग रहा था,,,,, शुभम को अपने दिमाग और बदन को उत्तेजना आत्मक स्थिति में लाने के लिए किसी प्रकार की आवश्यकता बिल्कुल भी नहीं थी अपनी मां के खूबसूरत बदन को देखते ही उसके पजामे में तंबू ने अपना बंबु खींचना शुरू कर दिया था,,,, गुलाबी रंग की पेंटी आगे से एकदम गर्म तेल के कढ़ाई में तलकर फुलाई गई कचोरी की तरह फुली हुई लग रही थी,,, जिसे देखते ही शुभम के मुंह में पानी आ गया,,,,, निर्मला सीढ़ियां उतरते समय अपने बेटे के चेहरे के बदलते हाव-भाव को गौर से देख रही थी और वह मन ही मन प्रसन्न भी हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसे इस हालत में देख कर उसके तन बदन में कैसी आग लग रही थी,, उसे साफ साफ दिखाई दे रहा था कि शुभम के पेजामे में उसका तंबू एकदम तन चुका था,,,, उस पर नजर पड़ते ही निर्मला के मुंह के साथ-साथ उसकी बुर में भी पानी आ गया,,,
Nirmala ki badi badi kharbujhe jesi madmast chuchiya
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कैसी लग रही हूं गुलाबी रंग की ब्रा और पेंटी में ,,,,,( निर्मला अर्धनग्न अवस्था में एकदम ठंडे लहजे में अपने बेटे से बोली,,,)
एकदम कयामत लग रही हो मम्मी मैं तो ऐसा लग रहा है कि स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा देख रहा हूं,,,,, ( शुभम अपने पजामे को थोड़ा सा नीचे की तरफ सरका कर अपने खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर अपनी मां की तरफ देखते हुए ऊसे हिलाते हुए बोला,,) देख लो मेरा लंड तुम्हारी मदमस्त जवानी को सलामी दे रहा है इसकी सलामी कबूल करो,,,
( निर्मला अपने बेटे की इस बात को सुनकर एकदम से हंस दी,, निर्मला हंस रही थी लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि उसकी मुस्कुराहट और उसकी कातिल जवानी उसके बेटे के दिल पर छुरियां चला रही थी वह अंदर ही अंदर आग बबूला हुआ जा रहा था अपनी मां कीमत मस्त जवानी को अपनी बांहों में भरकर उसे फिर से निचोड़ने के,, लिए,,, उसकी मां अपने गुलाबी होठों पर मुस्कुराहट लिए धीरे-धीरे अपने लंबे लंबे चिकनी टांगों को सिढिया दर सिढिया रखकर नीचे उतर रही थी और शुभम अपनी मां की तरफ देखकर उत्तेजना के मारे जोर जोर से अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया था,,, निर्मल को अपने बेटे की यह हरकत पूरी तरह से काम उत्तेजना से भर दी,,,, वह धीरे-धीरे अपने बेटे के बेहद करीब पहुंच गई और अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे की कड़ी लंड को पकड़ कर उसे रोकते हुए बोली,,)
इस तरह से हिला हिला कर पानी निकाल देगा की कुछ और भी करेगा,,,
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तुम्हारे लिए तो मैं सब कुछ करुंगा मेरी रानी,,,( उत्तेजना के मारे सुपर एकदम दीवाना हो गया था वह अपनी मां को मदहोशी भरे लहजे में उत्तेजनात्मक बातें कह रहा था,, और निर्मला अपने बेटे की इस तरह की बातें सुनकर इतनी मदहोश हुए जा रही थी कि वह जवाब में अपने बेटे से बोली)
हाय मेरे राजा तेरी इसी अदा पर तो मैं अपनी दोनों टांगें खोल देती हूं,,,,( ऐसा कहते हुए अपने बेटे के खड़े लंड को अपने हाथ से हिलाने लगी और दूसरे हाथ की हथेली से पैंटी के ऊपर से ही अपनी रसभरी बुर को सहलाने लगी, अपनी मां की मादकता भरी हरकत को देखकर सुभम से रहा नहीं गया और वह अपने तपते होठों को अपनी मां के गुलाबी होठों पर रखकर उसे चूसना शुरू कर दिया पलभर में ही दोनों एकदम मदहोश होने लगे और निर्मला भी अपने बेटे का साथ देते हुए तुरंत अपने होठों को खोल कर उसके होंठ को मुंह में भरकर चूसना शुरु कर दी,,,,,,
ससससहहहह,,,,आहहहहहहह,,,,, शुभम तुमने मुझे पागल कर दिया है रे,,,,
तो तूने ही कब मुझे छोड़ा है तूने तो मुझे अपना दीवाना बना लिया है,,,,( ऐसा कहते ही सुभम अपने दोनों हाथ को अपनी मां की चिकनी पीठ पर से फिसलाते हुए नीचे की तरफ ले गया और उसके मदमस्त बड़े-बड़े गांड के उभार को पकड़कर दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया,,)
ओहहहह मम्मी तुम्हें इस रूप में देखकर मेरी काम आओ ना और ज्यादा बढ़ गई है मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरा लंड फट जाएगा,,,,,,
ससससहहहह,,,आहहहहह,,,, ऐसा गजब मत होने देना तेरा लंड फट गया तो मैं क्या करूंगी कहां जाऊंगी इससे तो तू मेरी बुर फाड़ दे,,, मेरी बुर के अंदर तक अपने लंड को डालकर मेरी चुदाई कर,,,,
ऐसा ही होगा मम्मी मेरा लंड तुम्हारी बुर के लिए बना है यह तुम्हारी बुर की सेवा करता रहेगा,,,,,( ऐसा कहते हुए सुभम अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ लाकर अपनी मां के ब्रा के हुक को खोल दिया और देखते ही देखते उसकी मां की कसी हुई ब्रा दोनों फड़फड़ाते हुए कबूतर पर से अपनी पकड़ ढीली करते हुए बड़ी फुर्ती के साथ शुभम के हाथों से निर्मला के दोनों खूबसूरत बाजूओ से निकलकर डाइनिंग टेबल पर बिखर गया,,,, शुभम की आंखों के सामने उसकी मां की खूबसूरत चुचियों का जोड़ा था जो कि शुभम के हाथों में आने के लिए तड़प रहा था,, निर्मला यही चाहती थी कि शुभम उसकी दोनों चूचियों को मसल मसल कर उसके साथ प्यार करे उससे खेले,,,,, क्योंकि काफी दिन हो गए थे शुभम उसकी चुचियों के साथ जी भर कर खेला नहीं था इसलिए निर्मला अपने दोनों हाथों में अपनी बड़ी बड़ी खरबूजे जैसे चुचियों को हथेली से ऊपर की तरफ उठाते हुए मानो किसी स्वादिष्ट व्यंजन की तरह उसे किसी थाली में परोस कर अपने बेटे के सामने प्रस्तुत कर रही थी जिसे देखकर शुभम के तन बदन में आग लग गई और वह आगे बढ़कर अपने दोनों हाथों में अपनी मां की दोनों चुचियों को थाम लिया ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी चूचियां नहीं बल्कि निर्मला द्वारा दी जाने वाली कोई पुरस्कार हो,,, लेकिन निर्मला की तरफ से वास्तव में शुभम को उसके हाथों में थाम आने वाली उसकी चूचियां किसी पुरस्कार से कम नहीं थी जो कि शुभम की मदमस्त मर्दाना ताकत से भरी हुई जवानी को देखकर उसकी मां उसे पुरस्कृत कर रही थी,,, यह पल किसी भी जवान लड़के के लिए बेहद अनोखा और अद्भुत होता है जिसकी तुलना वह किसी भी पल से नहीं कर सकता क्योंकि एक औरत तभी अपनी दोनों चुचियों को एक मर्द के हाथ में सौंपती है जब उसे उस मर्द पर उससे संतुष्टि भरी एहसास को पाने की आशा होती है और उसे विश्वास होता है जो कि यह आशा और विश्वास निर्मला अपने बेटे शुभम में बराबर देखती थी,,,,,
अपनी मां के विश्वास पर खरा उतरता हुआ शुभम अपनी मां की दोनों खरबूजा जैसी बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथों में थाम कर उसे जोर जोर से किसी हापुस आम की तरह दबाना शुरू कर दिया,, जैसे आम के सीजन में लोग आम को अपने दोनों हाथों से चुस चुस कर उसके मीठे रस को पीते हैं उसी तरह से शुभम भी अपनी मां की चुचियों को आम की तरह दबा दबा कर उसके निप्पल को मुंह में लेकर उसके रस को पी रहा था,,,,, निर्मला मदहोश में जा रही थी क्योंकि बड़ी शक्ति के साथ हुआ है उसकी चूचियों को दबा रहा था वह पागल हुए जा रही थी उसके मुंह से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज छूट रही थी,, पहली बार वह इस तरह से डाइनिंग रूम में अपनी मदहोश जवानी अपने बेटे के हाथों से लूटवा रही थी,,, अपने बंगले में अपने कमरे में नहीं बल्कि डाइनिंग हॉल में इस तरह से अपने बेटे से रास लीला रचाते हुए उसे अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था उसके तन बदन में रचना की चिंगारी और ज्यादा फूट रही थी,,,,
शुभम पागल हुए जा रहा था ऐसा लग रहा था कि उसके पजामा फाड़ कर उसका लंड बाहर आ जाएगा,,, वह किसी तरह से एक हाथ से पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाने की कोशिश कर रहा था जिसमें वह नाकाम साबित हो रहा था उसे इस बात का डर था कि ज्यादा उत्तेजना के कारण उसका लंड समय से पहले कहीं पानी ना छोड़ दे क्योंकि आज उसके तन बदन में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का आभास हो रहा था,, निर्मला के तन बदन में मदहोशी अपना असर पूरी तरह से दिखा रही थी उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी,,, वह पागलों की तरह अपने बेटे के द्वारा स्तन मर्दन और उसकी चुसाई का आनंद ले रही थी वह छोटे बच्चे की तरह अपने बेटे को दूध पिला रही थी,,,,, और शुभम जी अपनी मां की चूची पीने में पूरी तरह से माग्न हो गया था,,,,,
निर्मला अच्छी तरह से जानती थी कि उसका पति घर पर आने वाला नहीं था इसलिए तो वह आज अपने कमरे से बाहर निकल कर इस जगह पर अपनी जवानी को और भी ज्यादा पानी देना चाहती थी,, इसलिए तो निर्मला पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसे जोर जोर से मसल रही थी और शुभम मदहोशी भरे आलम में पूरी तरह से लिप्त होकर एक हाथ अपनी मां की पेंटिं में डालकर उसकी कचोरी जैसी फुली हुई बुर मसल रहा था,,,। जिस से लगातार निर्मला के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज निकल रही थी और वह पूरे घर में गूंज रही थी लेकिन उसे सुनने वाला उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं,,,,,,,
बहुत ही जल्द निर्मला अपने बेटे की गरम हरकतों के कारण घुटने टेक दिए उसी अपनी बुर के अंदर कुछ ज्यादा ही खुशी महसूस होने लगी थी वह जल्द से जल्द अपने बेटे के खड़े लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाना चाहती थी और अपनी खुजली को मिटाना चाहती थी,, इसलिए वह उत्तेजना के मारे अपने होठों से शब्द ना निकल सकने की स्थिति में भी टूटे-फूटे शब्दों के साथ अपने बेटे से लगभग गिडगिडाते हुए बोली,,,,
ओहहहह ,,,,, शुभम मेरे राजा मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है मेरी बुर पानी छोड़ रही है और तेरा लंड पूरा खड़ा हो गया है अब देर मत कर जल्दी जल्दी से मेरी बुर में डालकर मेरी चुदाई कर दे,,,,,सहहहहह,,,,आहहहहहहह,,, शुभम मेरे लाल देर मत कर,,,,
( सुभम समझ गया था कि उसकी मां को उसके मोटे तगड़े लंड की जरूरत है और वह जल्द से जल्द चुदवाना चाहती है लेकिन शुभम इतनी जल्दी चुदाई का कार्यक्रम शुरू करने की स्थिति में नहीं था वह आज अपनी मां को गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी में देखकर कुछ ज्यादा ही मदहोश हो गया था इसलिए वह अपनी मां के खूबसूरत बदन के साथ कुछ देर तक और खेलना चाहता था उसे मस्ती करना चाहता था उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था इसलिए वह तुरंत अपनी स्थिति बदलते हुए,, अपनी मां को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसे डाइनिंग टेबल की तरफ कर दिया और उसे डाइनिंग टेबल पर झुका दिया,,,, अब हालात और स्थिति दोनों बदल गए थे निर्मला को ऐसा लग रहा था कि शुभम पीछे से उसकी बुर में डालेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था,,, शुभम के दिमाग में कुछ और चल रहा था ना कुछ और करना चाहता था डायनिंग टेबल पर झुकने की वजह से है निर्मला की बड़ी-बड़ी गांड हवा में कुछ ज्यादा ही उठ गई थी जिसे देखकर सुभम के मुंह में पानी आ गया और वह गुलाबी रंग की पैंटी के ऊपर से ही दो चार चपत अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड पर लगा दिया जिससे निर्मला के मुंह से हल्की कराहने की आवाज के साथ साथ गर्म सिसकारी की आवाज भी फूट पड़ी,,,,,
Nirmala ki madmast gaand
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आहहहहहहह,,,ससईईईईईई,,,, क्या कर रहा है रे दर्द होता है,,
ज्यादा दर्द ना हो इसीलिए तो यह सब कर हूं मेरी रानी इतना कहने के साथ ही शुभम घुटनों के बल नीचे बैठ गया,, और अपना हाथ आगे बढ़ाकर धीरे-धीरे अपनी मां की पेंटिं को पकड़कर नीचे उतारने लगा,,, निर्मला प्यासी नजरों से नजरें पीछे की तरफ करके अपने बेटे की हरकत को देखकर और ज्यादा मस्त हो रही थी,,,