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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

urc4me

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Is kahani ke pahle part ka pdf milega. Koi path de do. Is forum ki completed stories me nahi mila.
 

jonny khan

Nawab hai hum .... Mumbaikar
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निर्मला गहरी गहरी सांसे लेते हुए अपने बेटे की तरफ ही देख रही थी,,, मानो कह रही हो कि अब क्यों रुका है पूरा पेल दे गांड में,,,,
पर ऐसा लग रहा था कि मानो सुभम अपनी की मन की बात को सुन रहा हो और अगले ही पल एक जोरदार झटका मारा,,, और उसका आधे से ज्यादा लंड उसकी मां की गांड के छोटे से छेद की गहराई में घुस गया इस बार उसने इतना जोर से धक्का मारा था कि निर्मला की छोटे से छेद को चीरता हुआ शुभम का लंड उसकी गांड की गहराई में घुस गया था,,, निर्मला एकदम दर्द से बिलबिला उठी वह अपने दर्द को दबा नहीं पाई और उसके मुंह से चीख निकल गई

super hottt .. super erotic updates ..!!!!
yeh story ka sabse behatreen update hai yaar ya yu kaho mere girlfriend ki mummy se lekar Ek adhoori pyaas tak aisa update nahi pada ummed karta hu ab jitni aurto se shubham sex karega sabki gaand jarur marega aaj dil khush kar diya yaar
 

rohnny4545

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रुचि आज सुबह से बेचैन नजर आ रही थी,,, वह अंदर ही अंदर वह परेशान हुए जा रही थी एक तो अपनी सास की रंगरेलियां अपनी आंखों से देख चुकी थी और दूसरी यह कि आज उसकी रिपोर्ट आने वाली थी पता नहीं रिपोर्ट में क्या आने वाला है यह सोचकर वह घबरा रही थी वैसे तो उसे अपने आप पर पूरा विश्वास था कि कोई भी कमी उस में बिल्कुल भी नहीं है सारी कमी उसके बेटे में ही है लेकिन फिर भी रिपोर्ट देखने के बाद ही वह अपने मन को शांत कर सकते थी,,,,,, वह आज जल्दी खाना बना कर तैयार हो गई थी और अपने कमरे में अपने आप को देखकर मंद मंद मुस्कुरा भी रही थी और अपने आप को कोश भी रही थी कि कैसी किस्मत लेकर पैदा हुई है इतनी खूबसूरत होने के बावजूद भी शारीरिक सुख से वंचित रह गई,,, एक तरफ उसकी सासू मां थी जो कि उम्र के इस पड़ाव पर भी एक जवान लड़के से चुदवाने का भरपूर आनंद लूट रही थी और एक वह थी कि मर्यादा संस्कार इन सब के बंधनों में बैठकर अपनी शारीरिक जरूरतों को अनदेखा करते हुए अपनी जिंदगी और अपने सपनों का गला घोट रही थी,,,, आईने में साड़ी के ऊपर से भी उभरी हुई अपनी संतरे जैसे चुचियों के उभार को देखकर अपने आप से ही बातें कर रही थी कि सब कुछ तो है उसमे जो एक औरत में होना चाहिए,,, फिर वह क्यों शरीर सुख से वंचित होती जा रही है क्यों उसे अपने पति से शारीरिक संतुष्टि नहीं मिल पाती,,, अपने आपको आईने में देखते हुए उसे वह पल याद आ रहा था जब वह छत पर गई थी वह चोरी छुपे अपनी सास को पड़ोस के ही जवान लड़के सुमन से जबरजस्त चुदवाते हुए देखी थी हालांकि वह भी शुभम से शारीरिक सुख भोग चुकी थी और तब जाकर उसे पता चला था कि असली चुदाई क्या होती है और इसीलिए वह अपनी सास से ईर्ष्या कर रही थी कि इस उम्र में भी वह बिना किसी झिझक के रोक-टोक के बिना डरे छत पर खुले तौर पर उस से चुदवाने का आनंद लूट रही है और वह जवान औरत होते हुए भी ना तो पति से संतुष्टि प्राप्त कर पा रही है और ना ही कहीं बाहर से एक उसका भी वही शुभम ही सहारा था जो उसे शारीरिक सुख देकर उसे संतुष्ट कर सकता था ,,,, लेकिन अपनी सास के होते हुए वह घर में किस तरह से एक जवान लड़के को अपने कमरे में ले जाकर उससे चुदवा सकती थी यह उसकी मर्यादा और संस्कार के खिलाफ था और तो और इसमें बदनामी का भी डर था,,,, ऐसा कोई भी कदम उठाने में डरती थी जिससे उसमे उसकी बदनामी हो,,, वह अपने आपको आईने में देखकर यह सोचने लगी कि उससे कहीं ज्यादा हिम्मत वाली तो उसकी सांस है जो कि खुले तौर पर संध्या के वक्त छत पर जाकर एक जवान लड़के से चुदवाने का आनंद लूट रही थी,,,,, रुचि को शुभम से भी जलन होने लगी थी,, वह अपने मन में ही सोच रही थी कि शुभम कैसा लड़का है जो एक जवान औरत को चोदने के बाद भी एक उम्र दराज औरत को छत पर चोद रहा था वह चाहता तो किसी न किसी बहाने घर में आकर मौका देख कर उसकी भी चुदाई कर सकता था,,,,, वह अपने मन में यह सोचने लगी कि इतना तो तय है कि मर्दो को केवल उनकी बुर से ही मतलब रहता है उनकी उम्र से नहीं,,,,, तभी तो वह कितने मजे लेकर इतनी जोर जोर से धक्के लगा रहा था कि जैसे उम्र दराज औरत को नहीं बल्कि एक जवान औरत को चोद रहा हो,,, यह बात अपने मन में सोचते हुए रुचि को वह पल याद आ गया जब तूफानी बारिश में वह अनजान जगह पर झोपड़ी के अंदर उसकी जबरदस्त चुदाई किया था और वह भी बिना डरे उसे पूरी तरह से नंगी करके वाकई में शुभम में मर्दाना ताकत के साथ साथ मर्दाना जोश से भरा हुआ जिगर भी है,, जो कि यही एक औरत को पसंद भी आती है,,,,, ऊस तूफानी बारिश में सुभम द्वारा लगाए गए जबरदस्त धक्कों को याद करके रूचि का मन बहकने लगा उसे फिर से मोटे तगड़े और वो भी सुभम के लंड की जरूरत पड़ने लगी लेकिन ऐसा मुमकिन बिल्कुल भी नहीं था वही सोच रही थी कि ऐसा क्या जुगाड़ लगाया जाए कि वह जब चाहे तब शुभम के लंड को अपनी बुर में ले सके और अपनी प्यास बुझा सके उसे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था,,, तभी एकाएक उसके मन में ख्याल आया कि क्यों ना उसकी सांस की रंगरेलियां का ही फायदा उठाकर वह अपने शरीर की जरूरत को शुभम से पूरी कर सके,,,, ओर वह बीना डरे बिना रोक-टोक के ऐसा हो गया तो उसकी किस्मत खुल जाएगी,,,, यह ख्याल मन में आते ही रुचि के चेहरे पर चमक आ गई अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी सास को यह बात बिल्कुल भी पता नहीं है कि वह उसकी शुभम के साथ रंगरेलियां मनाते हुए देख चुकी है अगर यह बात उसकी सास को वह खुद बताए तो उसके चेहरे की हवाइयां उड़ने लगेगी,, और इस उम्र में आकर वह एक जवान लड़के से चुदाई करवा रही है,, यह बात कही में बताना था इसलिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाएगी और यही एक रास्ता है शुभम से हमेशा शरीर सुख भोगने का,, और उसे पक्का विश्वास था कि वह अपने इस युक्ति से शुभम को पूरी तरह से पा लेगी ,,, रुचि यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी सास उम्रदराज होने के साथ-साथ समाज में संस्कारी औरत वाली छवि शुरू से बनाए हुए हैं और समाज के लोग उसकी इज्जत भी करते हैं अगर यह बात बाहर आ गई कि वह कोई संस्कारी औरत नहीं बल्कि अपनी वासना मिटाने के लिए अपने ही बेटे की उम्र के लड़के के साथ चुदाई करवाती है तो उसकी कितनी बदनामी होगी,,, और यह राज को राज रखने के एवज में उसकी सास ना चाहते हुए भी उसे किसी भी मर्द के साथ खास करके शुभम के साथ संभोग करने की इजाजत दे देगी,, और यही तो रुचि चाहती थी,, रुचि को पक्का यकीन हो गया कि वह उसकी नियुक्ति जरूर काम करेगी और यही सोचकर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव आ गए वह जल्दी से तैयार होकर अपनी सास के कमरे की तरफ गई उसे बुलाने के लिए क्योंकि दवा खाने जाने का समय हो रहा था,,

दूसरी तरफ सरला भी तैयार हो रही थी जब से सुभम से मुलाकात हुई थी तब से वह भी सजना सवरना थोड़ा बहुत करने लगी थी,, क्योंकि जब 110 जैसा जवान लड़का उसकी मदमस्त जवानी कि आग मैं अपना हाथ सेकने के लिए तैयार था और से सेंक भी रहा था तो उसे यकीन था कि उसकी मद मस्त जवानी की आग अभी भी बची हुई है जिससे वह किसी भी जवान लड़के को पिघलाने में समर्थ है,,,, जिस तरह के ख्याल रुचि के मन में आ रहे थे वही ख्याल सरला के भी मन में आ रहा था उसे अब एक रास्ता सोच लिया था अपनी तड़पती हुई प्यास को बुझाने के लिए जिस तरह से वह छत पर सूखने के लिए रस्सी पर टंगी हुई साड़ी की ओट का सहारा लेकर शुभम से खुले तौर पर चुदाई करवाई थी उसे लगने लगा था कि अब वह इसी तरह से रोज सुभम से चुदवाएगी और अपने तन की प्यास बुझा पाएगी और यही सोचकर वह मन ही मन गीत गुनगुनाते हुए तैयार हो रही थी,,,,, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और रुचि उसे चलने के लिए बोली तो वह आने के लिए बोल कर जल्दी जल्दी तैयार होकर कमरे से बाहर आ गई,,,,, रुचि उसे देखी तो देखती ही रह गई क्योंकि पहली बार वह इतना ज्यादा सज धज कर दवा खाने जाने के लिए निकल रही थी,,,,,

क्या बात है मम्मी आजकल आप बहुत ज्यादा सज धज रही,,हो,,,

नहीं रे ऐसी कोई बात नहीं है बस ऐसे ही,,( अपने पल्लू को ठीक करते हुए सरला बोली,,,)

नहीं ऐसी कोई बात हो तो जरूर बता देना वैसे मुझसे नहीं कहोगी तो किस से कहोगी,,( रुचि अपनी दोनों आंखों को नचाते हुए सरला पर व्यंग कसते हुए बोली,,, रुचिका उसे इस तरह से बात करना सरला को कुछ ठीक नहीं लगा,,, वह बोली कुछ नहीं और घर से बाहर आ गई,,,)

यहां से रिक्शा कर लेते हैं जाने में आसानी होगी,,,,

नहीं मम्मी जी रहने दीजिए पैदल ही चलते हैं 15 20 मिनट तो लगेगा और वैसे भी पैदल चलने में सेहत भी सही रहती है आप अपने आप को मेंटेन रखेंगी तभी तो खूबसूरत लगेंगी,,,

ठीक है जैसा तू कहे ,,,,(ओर इतना कहकर पैदल चलने लगी सरला को कुछ ठीक नहीं लग रहा था जिस तरह से वह आज उससे बात कर रही थी उसे लगने लगा था कि दाल में जरूर कुछ काला है,, लेकिन उसे यह समझ में नहीं आया कि काला कहां है,,, रुचि को साफ नजर आ रहा था कि शर्मिला आज अपनी साड़ी को कुछ ज्यादा ही कस कर अपनी कमर से बांधी हुई थी जिससे उसकी बड़ी-बड़ी गांड फैली हुई नहीं बल्कि सुडौल लग रही थी,,, रुचि को समझते देर नहीं लगी कि अपनी गांड दिखा दिखाकर ही वह सुभम जैसे जवान लड़के को अपने बस में की है,,,, इकरा से वह अपनी सास की बड़ी बड़ी गांड देखकर ईर्ष्या कर रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि अधिकतर लड़कों को औरतों की बड़ी बड़ी गांड ही पसंद आती है जिसे वह पीछे से अपने हाथों से पकड़कर धक्के पर धक्के लगाते हैं,, यह सोचते हुए हो गए उसका ध्यान अपने आप ही अपने नितंबों पर चले गया जिस पर वह पीछे नजर करके नजर भर कर देख ले रहे थे उसे अपने नितंबों में जरा भी खोट नजर नहीं आई बल्कि जवानी से भरपूर औरत की गांड जिस तरह से होती है उसी तरह की गांड उसकी भी थी ना ज्यादा बड़ी ना ज्यादा छोटी उभरी हुई एकदम सुडोल मदमस्त कर देने वाली,,,, जोकि मर्दों की कमजोरी बनी रहती है उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सुबह जैसा जवान लड़का एक उम्रदराज औरत के पीछे कैसे पड़ गया या तो यह भी हो सकता है कि शुभम को केवल दूर से काम होता है औरत से और ना तो उसकी उम्र से कोई लेना देना नहीं होता लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह जिस तरह से रुचि से बातें करता था उससे बिल्कुल भी नहीं लगता था कि शुभम उम्रदराज औरतों के पीछे पागल होता होगा,, उसे सारा दोष अपनी सांस में ही नजर आ रहा था वहां अपने मन में सोच रही थी कि यही कुछ करी होगी उसे दीवाना बनाई होगी उसे लालच दी होगी तभी वह चाहकर इस तरह से उसकी चुदाई कर रहा था नहीं तो वह तो मौका देख कर उसे भी छोड़ दे सकता था क्योंकि एक बार तो उसकी चुदाई कर ही चुका था,,,, लेकिन अब वह मन में ठानी थी कि अब ऐसा दोबारा नहीं होने देगी वह शुभम को अपना बना कर रहेगी,,,,,
सास बहू दोनों फुटपाथ पर चल रहे थे सड़क पर गाड़ियां तेज रफ्तार से आ जा रही थी जिनके होरन की आवाज से पूरा वातावरण गूंज रहा था,, रुचि की नजरें उन मर्दों की नजरों से बच नहीं पाई जो उन दोनों को आते जाते देख रहे थे खास करके उन मर्दों की नजर उसकी सांस की बड़ी-बड़ी का और उसकी मदमस्त गांड पर टिक कर रह जाती थी ,,,
पहले यह सब रुचि को अच्छा नहीं लगता था लेकिन आज ना जाने क्यों उसे यह सब अच्छा लगने लगा था जो भी मर्द उसके खूबसूरत बदन या उसके नितंबों की तरफ देखता तो उसके तन बदन में हलचल सी होने लगती थी,, और जिस तरह से फुटपाथ पर आते जाते मर्दों की नजरें उसकी सांस की भी बड़ी बड़ी गांड पर ठहर कर रह जाती थी उससे उसे साफ पता चलता था कि मर्दों को औरतों की बड़ी बड़ी गांड और बड़े बड़े दूध सबसे ज्यादा प्यारे होते हैं,, अपनी सास से शिवम के बारे में बात करने के आगे वह रिपोर्ट वाली बात को भूल चुकी थी उसे अब इस बात की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी कि रिपोर्ट में क्या आने वाला है बस वह अपना उल्लू सीधा करने के चक्कर में थे इसलिए वह दो कदम आगे बढ़कर अपने सास के करीब पहुंच गई और उस से बोली,,,

मम्मी जी एक बात कहूं आप बुरा तो नहीं मानोगी,,,

नहीं ,,,,(सरला गौर से रुचि की तरफ देखते हुए बोली क्योंकि उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि रुचि क्या कहने वाली है,,)

मम्मी इस उमर में भी आपकी गांड बहुत जबरदस्त लगती है मैं आज पीछे से देखने पर आपको कह रही हूं,,
( रुचि वह अपना उल्लू सीधा करना था इसलिए जो मुंह में आया वह बोलने लगी हो आज बिल्कुल भी शर्म नहीं कर रही थी कि अपनी सास के आगे उसे कैसे बात करना है बल्कि वह किसी भी तरह से अपना काम बनाना चाहती थी)

यह क्या कह रही हो बहु तुम्हें ऐसा कहते शर्म नहीं आ रही है,,

शर्म कैसी मम्मी जी मैं तो सच कह रही हूं जो दिखता है वही कह रही हूं,, ( रुचि फिर से एक बार अपनी दोनों आंखों को नचाते हुए बोली,,,)

मम्मी मैं ऐसे ही थोड़ी कह रही हो आते जाते मैं सबकी नजर को देखकर बोल रही हो कि आते जाते जो भी आपको देख रहा है वह आपकी बड़ी बड़ी गांड को ही देख रहा है जो कि आपकी साड़ी कसी होने की वजह से और जबरदस्त लग रही है,,,,( अपनी बहू की बात सुनकर वह अपनी नजर पीछे की तरफ करके अपनी बड़े-बड़े नितंबों को देखने लगी क्योंकि वाकई में बेहद मादकता से भरे हुए लग रहे थे और उन्हें देखते ही उसे शुभम की याद आ गई जो कि वह भी उसकी बड़ी बड़ी गांड कहीं दीवाना था, अपनी बहू की यह वाली बात पर वह मुस्कुरा दी और मुस्कुराते हुए बोली,,,,)

तू पागल हो गई है बहु भला इस उमर में कौन लड़का देखता है मेरे में अब वह पहले वाली बात थोड़ी है,, ( अपने चारों तरफ आते जाते मर्दों की नजर को भांपते हुए सरला बोली जो कि वाकई में वह लोग उसी को देख रहे थे,,)

नहीं मम्मी आप हमें अभी भी पहले वाली बात है तभी तो मर्दों की नजर तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड पर टिकी रहती है और खासकर के जवान होते लड़कों की जैसे कि शुभम,, ( इतना कहकर रुची अपनी सास के चेहरे की तरफ देखने लगी जिस पर शुभम का नाम सुनते ही हवाईया उड़ने लगी थी,,)
 

Rakesh1999

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मस्त स्टोरी।अपडेट थोड़ा बड़ा दीजिये।
 

rohnny4545

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शुभम का नाम सुनते ही सरला के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थी,,,,, हड़बड़ाहट उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी,,,,

कककक,, क्या कह रही है तू तुझे कुछ समझ में आ रहा है कि क्या कह रही,, है,,,( सरला अपने बहु से नजरें चुराते हुए बोली,,,)

मैं जो कुछ भी कह रही हुं मम्मी ठीक ही कह रही,,हु,,,

तुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि शुभम,,,( इतना कहने के बाद वह आगे कुछ बोल नहीं पाई,,,)

सुभम,,,,, मम्मी जी,,, शुभम भी आपकी बड़ी बड़ी गांड का दीवाना है,,,,,( रुची सरला के एकदम बराबर आकर चलते हुए बोली,,,)


बहुत तुझे यह सब बातें मुझसे करते हो शर्म आनी चाहिए लेकिन तुम एकदम बेशर्म होकर मुझसे यह सब बातें कह रही है,,,( सरला थोड़ा गुस्से में जरूर थी लेकिन फिर भी शर्म के मारे अपनी नजरें चुराते हुए बोल रही थी,,,)

क्या बात है मम्मी जी मुझे यह बातें करते हुए शर्म आनी चाहिए और आपको यह सब करते हुए शर्म नहीं आनी चाहिए,,,,,, क्या कहना आपका,,,,,
( सरला से यह सब सुना नहीं जा रहा था सरला को लगने लगा कि रुचि ने शायद सब कुछ की आंखों से देख ली है,, लेकिन फिर भी आखरी तक अपना बचाव करने के लिए प्रयास करते हुए बोली,,)

कककक,,क्या,,, किया है मैंने,,, क्या करते हुए मुझे शर्म आनी चाहिए क्या करते हुए नहीं आनी चाहिए,, तु ये सब क्या बकवास कर रही है,,,, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,( सरला अपनी बहू से नजरे बचाते हुए जल्दी-जल्दी कदम आगे बढ़ाने लगी,,,)

मैं बकवास नहीं कह रही हूं मम्मी जी मैं जो कुछ भी कह रही हूं सच कह रही हूं मैं ऐसे ही कोई बात नहीं कहती और इतनी बड़ी बात तो बिल्कुल भी नहीं,, छत पर क्या हो रहा था यह सब मैं अपनी आंखों से देख चुकी हुं,,,,(इतना सुनते ही सरला को तो जैसे चक्कर आने लगा उसके पैरों तले की जमीन खिसकने लगी वह लगभग गिरने वाली थी क तब तक रूचि ने उसे अपने हाथ से संभाल लिया और धीरे से फुटपाथ पर लगे कुर्सी पर बिठा दी,,, यह सब देखकर फुटपाथ पर दूसरे चलने वाले लोग खड़े होकर पूछने लगे तो रोज ही ना जरा सा चक्कर आने का बहाना करके उन लोगों को जाने के लिए कह दिया और खुद उसी कुर्सी पर बगल में बैठ गई,,)
सब कुछ अपनी आंखों से देख चुकी हुं,,, मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि मम्मी तुम ऐसा कर सकती हो ,, इतनी इज्जत दार मर्यादा वाली औरत होने के बावजूद और समाज में इतनी इज्जत दार औरत होते हुए तुम इस तरह की गिरी हुई हरकत कर सकती हो अपने ही बेटे की उम्र के लड़के के साथ खुले छत पर चुदाई का खेल खेल रही थी,,,,,( सरला क्या कहती अब उसके पास अपना बचाव करने के लिए कोई भी शब्द नहीं थे, अपनी बहू की इस तरह की बातें सुनकर उसकी आंखों से आंसू गिरने लगे,, आंसुओं को देखकर भी रुचि आज उस पर बिल्कुल भी रहम नहीं करना चाहती थी वह अपनी सास पर आज अपनी पकड़ एकदम बराबर बना लेना चाहती थी,,, इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) पहले तो मुझे लगा मम्मी जी कि मैं कोई सपना देख रही हूं जब मेरी आंखें जो देख रही है वह छूट केवल भ्रम है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं,,था,,, मेरी आंखें जो कुछ भी देख रही थी वह हकीकत थी,, फिर मुझे लगा कि शायद भावना में आप बह गई होंगी आप से गलती हो गई होगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था आप तो बल्कि शुभम जो कि आपके बेटे की उम्र से भी कम उम्र का लड़का है उसे उकसा रही थी और जोर जोर से धक्के लगाने के,, लिए,,,( रुचि की यह सब बातें सरला से सुनी नहीं जा रही थी उसे एहसास हो रहा था कि उससे बहुत बड़ी गलती हुई है अपने ही बेटे की उम्र के लड़के के साथ वो भी खुले छत पर चुदाई का खेल खेल के वह बहुत बड़ी गलती कर दी है,,, वह लगातार रोए जा रही थी,,,)
मुझे तो वह सब सोचकर ही शर्म आती है मम्मी जी,, ओर वो शुभम बड़ा संस्कारी बना फिरता है उसे भी शर्म नहीं आई अपनी मां की उम्र से बड़ी औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए वह भी कितने मजे ले ले कर तूम्हे पीछे से चोद रहा था,, कि जैसे कोई लड़की को चोद रहा हो,,,,( रुचि यह सब बोलते हुए सरला की तरफ देख ले रही थी जो कि बहुत ही डरी हुई और सहमी हुई नजर आ रही थी उसकी आंखों से लगातार आंसुओं की धार गिरती जा रही थी,,, क्योंकि अब वह अपना बचाव करने में सक्षम नहीं थी वह पूरी तरह से फस चुकी थी,,,, अपनी सास की हालत को देखकर रुचि अंदर ही अंदर खुश हो रही थी उसे लगने लगा था कि उसका शिकंजा उसकी सांस पर पूरी तरह से कस्ता चला जा रहा है,,, वह किसी भी तरह से अपनी सास को छोड़ना नहीं चाहती थी इसलिए बातों के तीर उसके दिल पर चला रही थी और तभी एक तीर और दागते हुए बोली,,,)

मम्मी जी मुझे बहुत शर्म आ रही है मैं उसी दिन जब तुम शुभम से चुदवा रही थी तभी तुम्हें पकड़ लेना चाहती थी लेकिन मुझे लगा कि ऐसा करने पर आप बहुत शर्मिंदा होंगी आपको बहुत दुख होगा इसीलिए मैं खामोश रही लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं खामोश रह पाऊंगी अगर यह सब बात सब को पता चल गई तब सोचो क्या होगा अगर यही बात तुम्हारे बेटे को पता चल गई कि उसकी मां एक जवान लड़के से चोरी-छिपे छत पर चुदाई करवाती है रोज चुदवाती है तो सोचो वह क्या सोचेगा तुम्हारे बारे में,,


नहीं नहीं बहु ऐसा बिल्कुल मत करना मैं तेरे हाथ जोड़ती हूं (और ऐसा कहते हुए रोते हुए वह रुचि के आगे हाथ जोड़ने लगे लेकिन रुचि तुरंत उसका हाथ पकड़कर नीचे कर दी और बोली,,)

क्या करती हो मम्मी जी आते जाते सब लोग देख रहे हैं क्या सोचेंगे,,,,,

मैं क्या करूं बहु मैं बहक गई थी मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही है मैं सच में बहुत बड़ी गलती कर गई,,,,,
( रुचि को सरला के चेहरे पर साफ दिख रहा था कि उसे पछतावा हो रहा था वह अंदर ही अंदर दुखी थी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी अब सरला उसे और बेइज्जत नहीं करना चाहती थी इसलिए बोली,,,)

मम्मी जी आप चाहती हैं कि यह राज राज ही रहे तो यह राज हमेशा के लिए मेरे सीने में दफन रहेगा मैं यह बात किसी से नहीं कहूंगी आपके बेटे से भी नहीं,,,

बाहों में तेरी जिंदगी भर एहसानमंद रहूंगी तू जो कहेगी मैं वह करूंगी लेकिन यह बात किसी को मत बताना वरना मैं मर जाऊंगी,,

मम्मी जी आप यकीन रखिए में यह बात किसी से नहीं कहूंगी,,,( रुचि अपनी सास का हाथ अपने हाथ में लेकर उसे हल्के से दबाते हुए उसे एहसास दिलाते हुए बोली,,)
अब चलिए हमें दवाखाने भी जाना है ,,,,

इतना कहकर रुचि उसका हाथ पकड़ कर खड़ी हुई और धीरे-धीरे कदम आगे बढ़ा कर अस्पताल की तरफ जाने लगी रुचि मन ही मन में बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसे यकीन था कि उसकी युक्ति एकदम काम कर जाएगी जैसा कि वह चाहती है उसका तीर ठीक निशाने पर लगा था उसकी सास पूरी तरह से उसकी पकड़ में आ गई थी,,,, सरला अपनी बहू से नजर नहीं मिला पा रही थी ,,,वह एकदम शर्म से गड़ी जा रही थी कर भी क्या सकती थी उसकी हरकत ही कुछ ऐसी थी,,,, और देखा जाए तो हरकत कुछ गलत नहीं थी औरत को अपनी प्यास बुझाने का पूरा हक होता है जब तक कि उसका साथी उसके पास होता है तब तक यही क्रिया वह बड़े आराम से और दुनिया की नजर में सभ्यता के साथ करती रहती है लेकिन जब उसी के पास किसी भी प्रकार का जुगाड़ नहीं होता,, तब यही किया उसे बाहर करनी पड़ती है जो कि दुनिया की नजर में सभ्यता और संस्कार के खिलाफ होता है लेकिन औरतों की अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए यही रास्ता सही भी होता है,,,, सरला के लिए यह सब सही होता अगर वह पकड़ी नहीं गई होती तो,, लेकिन उसकी किस्मत खराब थी कि उसकी बहू ने उसे रंगेहाथ चुदवाई करवाते हुए देख ली थी,,,, और यही उसकी सबसे बड़ी गलती थी कि वह जल्दबाजी कर गई थी अपनी वासना अपनी जरूरत है थोड़ा भी सब्र नहीं कर पाई और आनन-फानन में अपनी बहू की मौजूदगी में ही वह खुले छत पर शुभम के साथ संभोग रत हो गई,,,,,

थोड़ी ही देर में दोनों अस्पताल पहुंच गए थे,, अब रुचि का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अभी तक वह अपनी युक्ति को काम लगाने के चक्कर में यह भूल गई थी कि आज उसकी रिपोर्ट आने वाले थे और यही रिपोर्ट उसे बताने वाली थी कि वह पूरी तरह से मां बनने में सक्षम है या नहीं,,,,, सरला भी परेशान नजर आ रही थी,, उसे लगने लगा था कि आज का दिन उसके लिए बहुत खराब है क्योंकि शुरुआत ही खराब हो चुकी थी और वह भी थोड़ी बहुत नहीं बेहद खराब हो चुकी थी,,, अब उसे यह डर सता रहा था कि कहीं रिपोर्ट में यह ना जाए कि उसका बेटा बाप बनने में सक्षम नहीं है क्योंकि थोड़ी बहुत शंका तो उसे अपने बेटे के हाव-भाव और उसके दुबले पतले शरीर को देखकर हो ही रही थी लेकिन आज रिपोर्ट आज आने पर सब कुछ साफ हो जाएगा वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि ऐसा कुछ भी ना रिपोर्ट में आए जिससे उसकी बदनामी और शर्मिंदगी,,हो,,,

थोड़ी ही देर में एक नर्स आई और उन्हें डॉक्टर के केबिन में जाने के लिए बोली,,, सास बहू दोनों धड़कते दिल के साथ डॉ के केबीन में चली गई,,, डॉक्टर ने रिपोर्ट के बारे में बताने लगा उसने यह बताया कि रुचि में कोई कमी नहीं है वह कभी भी मां बन सकती है और पूरी तरह से सछम लेकिन, उसका पति किसी भी सूरत में कभी भी बाप नहीं बन सकता यह सुनते ही सरला के नीचे से जमीन सरक गई उसे फिर से चक्कर जैसा आने लगा,,,, वह डॉक्टर के आगे हाथ जोड़कर विनती करने लगी कि किसी भी तरह से उसे बाप बनने में सक्षम बनाइए,, लेकिन वह डॉक्टर सरला से साफ शब्दों में कह चुका था कि वह या तो मेडिकल किसी भी तरह से उसकी कोई भी मदद नहीं कर सकते वह कभी भी बाप नहीं बन सकता,,,, रही सही उम्मीद सरला की जाती रही आज का उसका दिन ही खराब था,, दोनों सूरते हाल में उसकी इज्जत पर बनाई थी अगर छत वाली बात किसी को भी कानो कान खबर पड़ेगी तो वह समाज में मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगी और अगर उसका बेटा कभी बाप नहीं बन सका तो यह भी उसकी इज्जत पर बन आने वाली बात थी,, ,,, वह मां बनने में पूरी तरह से सक्षम है इस बात से रूचि बेहद खुश थी लेकिन इस बात का उसे बेहद दुख था कि वह कभी भी मां नहीं बन पाएगी क्योंकि उसका पति बाप बनने के लायक ही नहीं है,, उसकी धारणा बिल्कुल सही साबित हुई थी वह डॉक्टर के केबिन में कुछ बोल नहीं पाई वहां से दोनों सास बहू डॉक्टर के केबिन से बाहर आ गए,,,,

सड़क पर चलते समय सरला को कुछ सुझ नहीं रहा था कि वह क्या करें सब कुछ परिस्थिति उसके विपरीत चल रही थी,,,, रुचि भी अब कुछ बोल नहीं रही थी दोनों खामोश होकर घर वापस लौट आए,, छत वाली बात को लेकर रुचि अपनी सास से कुछ बोल नहीं पाई क्योंकि बात ही कुछ ऐसी हो गई थी,,,,, रात भर दोनों सास बहु अपने अपने कमरे में अपने बिस्तर पर करवट बदलते हुए इसी बारे में सोचते रहे कि आगे क्या होगा ,,,अब क्या किया जाए,,,,
दुनिया में औरतों के लिए सबसे बड़ा सुख होता है मां बनना,, रुचि भी यही चाहती थी कि वह जल्द से जल्द में आपने लेकिन अब उसके सारे सपने पर पानी फिर गया था क्योंकि उसका पति उसे मां बनाने लायक बिल्कुल भी नहीं,, था,, रुचि को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसके पास दूसरा कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था ऐसे में उसे,,,, शुभम का ख्याल आया,, ,, अपने मन में सोचने लगी कि उसका पति तो उसे मां बनाने से रहा क्यों ना वाह शुभम के साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए मां बन जाए वैसे भी उससे और उसकी सास के सिवा किसी और को भी पता नहीं है कि उसका पति बाप बनने लायक नहीं है,,,, ऐसे में उसका दो काम हो जाएगा एक तो अपनी शारीरिक संतुष्टि को भी प्राप्त कर देगी जुदाई के असली सुख को प्राप्त करके वह मां भी बन जाएगी,, और यह बात किसी को कानों कान खबर भी नहीं पड़ेगी मैं तो शुभम को भी यह बात के बारे में पता चलेगी कि उसके पेट में जो बच्चा पड़ रहा है उसी का है,, यह ख्याल मन में आते ही सुरुचि के चेहरे पर चमक आ गई उसे अब अपनी मंजिल नजर आने लगी कुछ देर पहले जो रास्ता नहीं सोच रहा था आप सब कुछ साफ हो चुका था बस उसे इस बारे में अपनी सास से बात करके उन्हें पटाना था जो कि इसमें कोई भी दिक्कत उसे नजर नहीं आ रही थी क्योंकि उसके लिए उसकी सास को काबू करने के लिए छत वाली बात ही काफी थी,, अपनी मुश्किल को सुलझा ली थी इसलिए आराम से सो गई लेकिन दूसरे कमरे में उसकी सास की आंखों से नींद कोसों दूर थी ,,, उसे कोई रास्ता नहीं सोच रहा था कि तोबा डबल मुसीबत में फंस गई थी एक तो उससे शुभम से चुदवाते हुए उसकी बहू ने देख ली थी और दूसरा यह कि उसका बेटा कभी बाप नहीं बन सकता था इन दोनों मुसीबत से उसे छुटकारा पाना था,,,, ऐसे में सरला के लिए मात्र एक सहारा शुभम ही नजर आ रहा था वह चाहती थी कि उसकी बहू शुभम के साथ शारीरिक संबंध बनाकर गर्भवती हो जाए और इस बात की कानो कान खबर ना तो शुभम को ही पता रहेगी और ना ही किसी को सबको यही लगेगा कि जब उसके पति का ही बच्चा है ऐसे में सब कुछ सही हो जाएगा,, रुचि की शारीरिक जरूरत भी पूरी हो जाएगी और वह मां भी बन जाएगी लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं रुचि इसके लिए तैयार होगी या नहीं होगी इस बारे में बात करने से भी से डर लग रहा था लेकिन क्या करें मुसीबत से रास्ता तो निकालना ही था इसलिए वह अपना मन पक्का करके सुबह में उससे बात करने की ठान कर वो भी सो गई ,,,
 

karan77

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ab dekhte hai dono mein pehal kaun karta hai
 
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