Akki ❸❸❸
ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
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Waiting for next update![]()
Bhai apka email sahi hua ki nahiकल मेरे computer में malware आ गया जिस कारण मेरा email hack हो गया और email block हो गया! मैंने सोचा computer format कर नई windows डाल देता हूँ लेकिन जब pendrive (जिसमें windows थी) वो computer में लगाई तो pendrive नहीं चली!
दिषु के पास amazon prime है तो उसे बोलकर pendrive order कराई जो की शाम को मिली| रात तक दो बार windows डालनी पड़ गई क्योंकि पहली बार जो windows डाली उसमें microsoft office था ही नहीं! रात 10 बजे जा कर कहीं कंप्यूटर में सारे softwares डालकर computer ready किया|
अतः update आने में विलम्भ होगा, पूरी कोशिश रहगे की इस update को MEGA UPDATE बना दूँ ताकि आप सभी की गालियाँ कम खानी पड़ें!
देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ!
नहीं भाई, outlook बार-बार questions पूछता है और जवाब देने के बाद भी verification fail कर देता है!Bhai apka email sahi hua ki nahi
नहीं भाई, outlook बार-बार questions पूछता है और जवाब देने के बाद भी verification fail कर देता ह
Bhai ab kaise theek karoge kisi computer expert se help lijiye
God kare ki theek ho jayeVirus निकल गया है, अब अपनी email retrieve करने की कोशिश कर रहा हूँ|
अपडेट के इंतज़ार में ऐसे तो मैं बैठी हूँ..................तुम सब Akki ❸❸❸ सबसे बीच में............. journalist342 दाईं तरफ Abhi32 पीछे Lib am बाईं तरफ ........... तुम सब ऐसे बैठे होंगे.....................
Badhiya shaandaar update bhaiइकत्तीसवाँ अध्याय: घर संसार
भाग - 16
अब तक अपने पढ़ा:
अगली सुबह मेरी आँख जल्दी खुल गई और मेरे उठते ही मेरा कामदण्ड भी जाग गया| अब सुबह-सुबह पहलु में आपकी परिणीता हो और आपके भीतर रोमांस न जागे ऐसा तो हो नहीं सकता?! संगीता नग्न अवस्था में अब भी मेरी बाहों में थी इसलिए मैंने मौके का फायदा उठाते हुए अपने कामदण्ड को भेदन कार्य में लगा दिया| अभी आधा रास्ता तय हुआ था की संगीता की जाग खुल गई, मुझे अपने ऊपर झुका हुआ देख संगीता के चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गई; "आप न बड़े शैतान हो!" संगीता मुझे प्यारभरा उल्हाना देते हुए बोली| फिर संगीता ने अपने दोनों हाथों का हार मेरे गले में डाल दिया और मुझे अपने से चिपका लिया| प्यार का बवंडर फिर उठा और 6 बजे जा कर ये बवंडर थमा| जब ये बवंडर थमा तो संगीता मुझे उल्हाना देते हुए बोली; "आपकी सुबह तो मज़ेदार हो गई मगर मेरी तो हालत खराब कर दी न आपने! अब सोओ आराम से!" संगीता थोड़ा पिनकते हुए उठी और फटाफट तैयार होकर बच्चों को जगाने चली गई|
अब आगे:
मेरी आरज़ू पूरी हो चुकी थी इसलिए मैं अपने कपड़े पहन कर आराम से सो गया, लेकिन मेरी नींद कुछ ही देर में स्तुति के रोने के कारण टूट गई| स्तुति की नींद मेरी नामौजूदगी के कारण टूटी थी इसलिए स्तुति ने रो-रो कर कोहराम मचा दिया था| संगीता मेरी प्यारी बिटिया को अपनी गोदी में ले मेरे पास लाई ताकि मैं स्तुति को लाड कर चुप करवाऊँ| जैसे ही संगीता, स्तुति को ले कर कमरे के द्वार पर पहुँची, वैसे ही अपनी बेटी का रोना सुन मैं एकदम से उठ बैठा|
संगीता ने स्तुति को मेरी ओर बढ़ाया मगर मुझे देखते ही मेरी बेटी का रोना थम गया! स्तुति अपनी रोने से भीगी आँखों को बड़ा कर के मुझे देखना शुरू कर दिया था! उसे समझ नहीं आ रहा था की ये अनजान आदमी कौन है जो उसे गोदी लेने के लिए बाहें फैलाये बैठा है?
दरअसल, रात में जो मैंने अपनी अपनी दाढ़ी साफ़ की थी उस कारण मेरी प्यारी बिटिया मुझे पहचान नहीं पा रही थी! इधर रात में और सुबह की गई 'मेहनत' के कारण मैं ये भूल चूका था की दाढ़ी काटने से मेरी सूरत बदल चुकी है इसलिए स्तुति मुझे पहचान नहीं रही और मेरी गोदी में नहीं आ रही| हाँ मुझे थोड़ी हैरानी हो रही थी की स्तुति मुझे यूँ आँखें बड़ी कर के क्यों देख रही है?! "मेरा बच्चा" मैंने स्तुति को पुकारा तथा अपनी गोदी में आने के लिए प्यारभरा आग्रह किया| आज पहलीबार मुझे स्तुति को गोदी लेने के लिए इस तरह आग्रह करना पड़ रहा था| उधर मेरी बेचारी बिटिया रानी अब भी आँखें बड़ी किये मुझे देख रही थी और पहचानने की कोशिश कर रही थी| अब सोचने वाली बात है, अगर आपने 6 महीने लगा कर एक सवाल का जवाब याद किया हो और परीक्षा वाले दिन वो सवाल ही बदल दिया जाए तो आपका क्या हाल होगा? वही हाल बेचारी स्तुति का भी था! बेचारी नन्ही सी जान ने इतने मुश्किल से आँखें बड़ी कर के मुझे रोज़-रोज़ देख कर मेरा चेहरा अपने मन-मस्तिष्क में बिठाया था मगर मेरे दाढ़ी साफ़ करते ही मेरी सूरत बदल गई तथा मेरी बिटिया भर्मित हो गई थी!
जब स्तुति मेरी गोदी में नहीं आई तो मैंने सोचा की कुछ तो गड़बड़ है जो स्तुति मेरी गोदी में नहीं आ रही| स्तुति की नज़रें मेरे चेहरे पर थी इसलिए स्तुति की नजरों का पीछा करते हुए मैंने अपने गालों को छुआ और तब मुझे याद आया की मैंने कल रात को अपनी दाढ़ी साफ़ कर दी थी! बिटिया की माँ को खुश करने के चक्कर में, मैंने अपनी बिटिया को दुखी कर दिया था!
"बेटा...मैं हूँ...आपका पापा" मैंने स्तुति का ध्यान अपनी ओर खींचते हुए पुकारा तो मुझे एक अनजान आदमी समझ घबरा कर स्तुति रो पड़ी! मुझसे कभी अपने बच्चों के आँसूँ नहीं देखे जाते थे इसलिए मैं चिंतित हो कर संगीता को देखने लगा| मेरी चिंता समझ संगीता, स्तुति को समझाने लगी; "बेटा...ये आपके पापा हैं..." संगीता ने स्तुति को समझाते हुए बात शुरू की मगर स्तुति ने घबराकर और जोर से रोना शुरू कर दिया था|
मुझसे स्तुति का रोना बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने जबरन स्तुति को गोदी में लिया तथा उसके दाहिने हाथ में अपनी ऊँगली पकड़ा दी| "बेटा, सॉरी मैंने बिना आपसे पूछे अपनी दाढ़ी काट दी! आगे से मैं कभी अपनी दाढ़ी नहीं काटूँगा! हफ्ते दस दिन में मेरी दाढ़ी फिर उग जाएगी और आप मेरी दाढ़ी से फिर खेल पाओगे!" मैंने स्तुति को बहलाते हुए कहा और स्तुति को लाड कर उसके सर को चूमने लगा|
मेरे सीने से लग, मेरी ऊँगली थाम और मेरी आवाज़ को पहचानते हुए स्तुति के दिल को इत्मीनान आ रहा था की मैं उसका पापा ही हूँ इसलिए स्तुति धीरे-धीरे चुप हो गई| जब मैंने संगीता की तरफ देखा तो वो आँखों में प्यारभरा गुस्सा ले कर मुझे देख रही थी| दरअसल, स्तुति को चुप कराने के लिए मैंने कभी दाढ़ी न काटने की बात कही थी, जिससे संगीता मुझसे नाराज़ हो गई थी! "ये दाढ़ी मैंने बस आज, हमारी शादी की सालगिरह पर तुम्हें खुश करने के लिए काटी थी| ये मत सोचना की मैं अब कभी दाढ़ी नहीं उगाऊँगा!" मैंने संगीता को प्यार से समझाया और स्तुति के सर को चूमने लगा|
इतने में आयुष कमरे में प्रकट हुआ और उसकी नज़र सबसे पहले पड़ी मेरे नंगे गालों पर जिस पर उसकी मम्मी के दाँतों के निशान पड़े थे! "पापा जी, आपकी दाढ़ी कहाँ गई? और ये आपके गाल पर निशान कैसे हैं?" आयुष का सवाल सुन, संगीता की शर्म के मारे हालत खराब हो गई और वो मुँह छुपा कर कमरे से बाहर दौड़ गई| "बेटा ये निशान आपकी छोटी बहन ने बनाये हैं!" मैंने संगीता की करनी का सारा दोष अपनी निर्दोष बिटिया पर डालते हुए प्यारा सा झूठ बोला| स्तुति कुछ बोल तो सकती नहीं थी, जो वो कहती की मैं निर्दोष हूँ, लेकिन आयुष बहुत जिज्ञासु था इसलिए आयुष तुरंत सवाल करते हुए बोला; "लेकिन पापा जी, स्तुति के दाँत तो है ही नहीं?" अपने बेटे के इस होशियारी से भरे सवाल को सुन शर्माने की बारी मेरी थी!
हर बार की तरह मुझे शर्म से बचाने के लिए मेरी बेटी नेहा प्रकट हो गई, मेरे गाल देख नेहा सारा हाल समझ गई| "चुप कर! जा कर स्कूल के लिए तैयार हो!" नेहा ने बड़ी बहन होते हुए आयुष को डाँट लगाई| अपनी दीदी की डाँट सुन आयुष ने मेरे गाल पर सुबह की गुड मॉर्निंग वाली पप्पी दी और स्कूल के लिए तैयार होने को दौड़ गया| आयुष के जाने के बाद नेहा आयुष की शिकायत करते हुए बोली; "इस बुद्धू को बता करने की ज़रा भी तमीज़ नहीं!" नेहा, आयुष पर थोड़ा गुस्सा होते हुए बोली| "कोई बात नहीं बेटा, मेरी लाज रखने के लिए मेरी प्यारी-प्यारी बिटिया जो है!" मैंने नेहा की तारीफ की तो मेरी लाजवंती बिटिया आ कर मुझसे लिपट गई| सच में मेरी प्यारी बिटिया नेहा बहुत समझदार थी और हमेशा मुझे शर्मिंदा होने से बचा लेती थी| नेहा ने भी मुझे सुबह की गुड मॉर्निंग वाली पप्पी दी और मेरे गालों पर अपनी मम्मी द्वारा बनाये निशानों को देख खिलखिलाती हुई बहार दौड़ गई| मेरी बिटिया को आज मेरी ये दशा देख कर बहुत मज़ा आया था!
अब कमरे में बस हम बाप-बेटी रह गए थे, स्तुति मेरी गोदी में जाग रही थी और अपनी आँखें बड़ी कर के मुझे ही देख रही थी, मानो मेरा ये नया चेहरा याद कर रही हो| मैंने स्तुति का छोटा सा हाथ पकड़ कर अपने नरम-नरम गाल पर स्पर्श करवाया तो स्तुति के चेहरे पर मुस्कान खिल गई| अब चूँकि मेरे गालों पर बालों की परत नहीं थी तो ऐसे में अपनी लाड़ली बिटिया की पहली पप्पी तो बनती थी| मैं अपना गाल जब स्तुति के गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होठों के सामने लाया, तो स्तुति ने अपने एक हाथ से मेरा कान पड़ा और दूसरे हाथ से मेरी नाक पकड़ी तथा अपने होंठ मेरे गाला से भिड़ा दिए| मेरे गाल पर अपने होंठ भिड़ा कर स्तुति को बड़ा मज़ा आया और स्तुति के मुख से ख़ुशी की किलकारियाँ फूटने लगीं!
इतने में पीछे से संगीता आ गई और स्तुति को मेरे गाल पर पप्पी करते देख खुश होते हुए बोली; "अब तो स्तुति को भी आपके मुलायम गाल पसंद हैं, देखो कितने प्यार से आपको पप्पी दे रही है!" संगीता जानती थी की अगर उसने कहा की मैं दाढ़ी न उगाऊँ तो मैं उसकी बता नहीं मानूँगा इसलिए संगीता ने स्तुति को आगे किया क्योंकि मैं स्तुति की ख़ुशी के लिए कुछ भी करता| "तुम न अपनी पसंद मेरी लाड़ली बिटिया पर मत थोपो! है न स्तुति बेटा?" मैंने संगीता को प्यार से चेताया और अंत में स्तुति से सवाल पुछा जिसके जवाब में स्तुति के मुख से किलकारियाँ निकलने लगीं| अपनी बिटिया की किलकारियाँ सुन संगीता की नाक पर प्यारा सा गुस्सा आ बैठा और संगीता भुनभुनाती हुई बाहर चली गई!
इस डर से की माँ मेरे गालों पर संगीता के काटने के निशान न देख लें मैं सुबह से मैं कमरे में छुपा बैठा था और मैं माँ से मिलने बाहर नहीं निकला था| अंततः माँ ही मुझे पुकारती हुई कमरे में आईं, माँ को कमरे में देख मैंने उनसे थोड़ी दूरी बनाई तथा स्तुति को इस तरह गोदी में लिया की मेरा एक गाल छुप गया| उधर माँ की नज़र पड़ी मेरे दाढ़ी रहित गालों पर और माँ दरवाजे पर से ही बोलीं; "अरे वाह! आखिर तूने दाढ़ी काट ही दी!" शुक्र है की दूरी होने के कारण माँ मेरे गालों की दुर्दशा नहीं देख पाईं| फिर माँ ने देखा की स्तुति मेरे नरम गाल पर अपने होंठ टिकाये हुए है; "अच्छा...तो ये दाढ़ी तूने अपनी बिटिया की पप्पी पाने के लिए काटी है!" माँ मुझे प्यारभरा उल्हाना देते हुए बोलीं| अब मैं क्या जवाब देता, मैं तो बस मुस्कुरा कर टहलते हुए माँ से दूर रहा ताकि माँ मेरे गाल पर बने दाँतों के निशान न देख लें|
पीछे से दोनों बच्चे आ गए, नेहा कमरे के हालात देख कर कुछ-कुछ समझ गई थी इसलिए नेहा ने अपनी समझदारी दिखाते हुए बात बनाई; "दादी जी, हमारी स्कूल वैन आ गई होगी| प्लीज चलो न हमें छोड़ने!" मेरी बजाए माँ के साथ स्कूल जाने में आयुष को अधिक लालच था क्योंकि माँ आयुष को चॉकलेट खरीदकर देती थीं| मैं नेहा की चपलता समझ गया और मुस्कुराते हुए नेहा को मूक धन्यवाद दिया|
माँ और बच्चे निकले तो मैं स्तुति को गोदी में लिए हुए संगीता के पास पहुँचा; "ये जो कल तुमने रात को मेरे मना करने के बावजूद मेरे गालों पर ‘चित्रकारी’’ बनाई है न, अगर माँ ने ये 'चित्रकारी' देख ली तो दोनों को डाँट पड़ेगी इसलिए अब तुम्हें कैसे भी कर के माँ को मुझसे दूर अपनी बातों में व्यस्त रखना है|" मैंने संगीता को हिदायत दी और अपने कमरे में लौट आया| जबतक बच्चे स्कूल से लौट नहीं आये तबतक संगीता ने माँ को अपनी बातों में उलझाए रखा| मैं भी तबतक खाली नहीं बैठा, स्तुति को अपनी गोदी में ले कर घर में माँ से दूर घूमता रहा, कभी स्तुति को नहलाता, उसकी तेल मालिश करता, साइट पर फ़ोन कर काम का जायज़ा लेता, कभी स्तुति के साथ खेलने लगता|
जैसे ही बच्चे स्कूल से लौटे, दोनों दौड़ते हुए मेरे पास आये और मुझसे लिपट गए| स्तुति अब सो चुकी थी इसलिए मैंने दोनों बच्चों को गोदी लिया और खूब लाड-प्यार किया| नेहा तो मेरी गोदी से उतरी और नहाने चली गई मगर आयुष मुझसे लिपटा रहा| माँ ने जब मुझे आयुष को गोदी लिए हुए देखा तो वो बोलीं; "हे भगवान! आयुष तो हूबहू तेरे जैसा दिखता है!" दरअसल दाढ़ी काटने के बाद मेरा असली चेहरा सामने आया था और हम बाप-बेटे को इस तरह कोई भी अगर देखता तो यही कहता की हम दोनों एक जैसे दिखते हैं| बाप-बेटे होने का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता था की मेरा बेटा हूबहू मेरे जैसा दिखता है| इधर माँ की बात सुन हम बाप-बेटा एक दूसरे को देखने लगे; "पापा जी, मैं तो बिलकुल आपके जैसा दिखता हूँ!" आयुष बड़े गर्व से बोला और मेरे गाल पर पप्पी दी| किसी भी बच्चे को कहा जाए की वो बिलकुल अपने माँ-बाप जैसा दिखता है तो उस बच्चे को खुद पर बहुत गर्व होता है, यही गर्व इस समय आयुष महसूस कर रहा था|
दोपहर का खाना खाने के बाद माँ ने सभी को बैठक में बैठने को कहा, अब मुझे अपनी दशा माँ से छुपानी थी इसलिए मैं स्तुति को गोदी में लिए टहलने लगा| माँ ने जब मुझे बैठने को कहा तो मैंने बहाना बनाते हुए कहा; "मैं टहलूँगा नहीं तो स्तुति जाग जाएगी| आप बात शुरू करो!" माँ ने आखिर बात शुरू की; "आज तुम दोनों की शादी की सालगिरह है इसलिए शाम को हम सब मंदिर जायेंगे| फिर वापसी में हम सब खाना खाने किसी अच्छी सी जगह जायेंगे!" माँ ने जब अपने द्वारा बनाया हुआ प्लान बताया तो बच्चे बहुत खुश हुए, लेकिन मेरे और संगीता के चेहरे पर बारह बज गए!
सुबह से मैं घर में छुपा हुआ था ताकि अपने गालों की दुर्दशा सबसे छुपा सकूँ, परन्तु जब माँ ने बाहर जाने की बात कही तो मैं समझ गया की अब मेरा ये राज़ सबके सामने खुल जायेगा| मैं और संगीता इस डर से सहम गए थे और एक दूसरे की शक़्लें देख रहे थे| उधर माँ ने जब हम दोनों मियाँ-बीवी को एक दूसरे की शक़्लें ताकते हुए देखा तो उन्होंने इसका कुछ अलग ही मतलब निकाला;
माँ: तुम्हारे शादी की सालगिरह और तुम्हें ही याद नहीं?!
माँ ने भोयें सिकोड़ते हुए पुछा तो हम दोनों मियाँ-बीवी के सर झुक गए| अब उन्हें क्या पता की हम दोनों ने अपनी शादी की सालगिरह कल रात ही मना ली!
आयुष: दादी जी, शादी की सालगिरह क्या होती है?
आयुष ने बीच में बोलकर अपना सवाल पूछ माँ का ध्यान भटका दिया| माँ ने आयुष को शादी की सालगिरह का मतलब समझाया दिया और इसी के साथ माँ द्वारा बुलाई गई ये सभा समाप्त हुई!
माँ तो बच्चों को ले कर सोने चली गईं और इधर मैं और संगीता इस सोच में पड़ गए की मेरे गालों पर बने दाँतों के निशान मिटायें कैसे? संगीता ने अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से मेरे दाहिने गाल पर रगड़ना शुरू किया परन्तु इसका अधिक फायदा नहीं हुआ| "जानू, मेरे पास थोड़ा सा मेकअप का सामान है, उसे आपके गाल पर लगा कर निशान छुपा कर देखूँ?" संगीता उत्साहित होते हुए बोली| गौर करने वाली बात ये है की संगीता को मेकअप करना आता नहीं था, उसने आजतक बस फेस-पाउडर ही लगाया था!
'मुझे माफ़ करो मैडम जी! कल रात पहले ही आपने ये ‘चित्रकारी’ की है, अब मेकअप कर के मेरे चेहरे को ऑक्शन में बिकने वाली पेंटिंग मत बनाओ!" मैंने संगीता के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा| मेरी बात से संगीता ने अपना निचला होंठ फुलाया और प्यारभरे गुस्से से मुझे देखने लगी| इधर मैंने अपना बेसर-पैर का आईडिया लगाया और बाथरूम में घुस चेहरे पर फेसवाश लगा कर दोनों गाल रगड़ने लगा| 10 मिनट की रगड़ाई के बाद निशान कुछ कम हुए परन्तु मेरे गाल रगड़ने के कारण लाल हो गए! संगीता ने जब मेरे दोनों गाल लाल देखे तो वो हैरान रह गई, परन्तु मेरे डर के मारे कुछ नहीं बोली|
शाम को हम सभी तैयार हुए और घर से सीधा मंदिर के लिए निकले| रास्ते में माँ, संगीता और दोनों बच्चे सबसे आगे थे, जबकि हम बाप-बेटी (मैं और स्तुति) पीछे आराम से चल रहे थे| स्तुति आज पहलीबार यूँ मेरी गोदी में बाहर निकली थी इसलिए अपने आस-पास इतने सारे लोगों को देख, शोर-शराबा सुन बहुत उत्सुक थी| मंदिर पहुँच हम सभी ने आरती में हिस्सा लिया और आरती समाप्त होने के बाद जब मैं स्तुति को पंडित जी का आशीर्वाद दिलवा रहा था तब माँ ने मेरे गालों की दुर्दशा नज़दीक से देख ली| "ये क्या हुआ तेरे दोनों गालों को? ये लाल-लाल निशान कैसे हैं?" माँ ने भोयें सिकोड़ते हुए सवाल पुछा| मैं कुछ जवाब दूँ उससे पहले ही संगीता बोल पड़ी; "स्तुति के नाखून बड़े हो गए हैं, दाढ़ी न होने से दिन भर ये शैतान इनके (मेरे) गालों को नोच रही थी!" संगीता ने सारा दोष बेचारी स्तुति के सर मढ़ते हुए कहा| अब अगर मेरी बिटिया अपनी मम्मी की बात समझ पाती और बोल पाती तो वो अभी बोल पड़ती; 'झूठ क्यों बोल रही हो मम्मी, करनी सारी आपकी और दोष मुझ बेचारी के सर मढ़ रही हो!' लेकिन मेरी लाड़ली कुछ समझी नहीं, वो तो मंदिर में लगी भगवान की प्रतिमा देखने में व्यस्त थी| माँ भी उस वक़्त खुशियों में व्यस्त थीं इसलिए उन्होंने भी संगीता की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया|
खाना खा के आखिर हम सब घर लौटे, इतने में दिषु का फ़ोन आ गया और उसने हम दोनों मियाँ-बीवी को आज के दिन की बधाई दी| दरअसल दिषु दिल्ली से बाहर था और अभी-अभी घर पहुँचा था इसलिए वो इतनी देर से बधाई दे रहा था| "कोई बात नहीं भैया!" संगीता बीच में बोली और हमारी बात खत्म हुई| बच्चे तो माँ के पास सो गए, रह गए हम मियाँ-बीवी और स्तुति| स्तुति दिन में सोइ थी इसलिए अभी स्तुति ने करनी थी मस्ती, मेरे गालों पर हाथ फिराते हुए स्तुति की किलकारियाँ गूँजने लगी थी| अब संगीता का मन था प्रेम-मिलाप का मगर स्तुति सोये तब न?! "सो जा मेरी माँ! कितना हल्ला करेगी अब?!" संगीता ने स्तुति के आगे हाथ जोड़ते हुए प्यार भरे गुस्से से कहा| अब स्तुति को कहाँ कुछ समझ आना था, उसने तो बस अपनी मम्मी की कही बात पर खिखिलाकर हँसना शुरू कर दिया| अपनी बेटी के मज़ाक उड़ाने पर संगीता को प्यारभरा गुस्सा आ गया और वो स्तुति से बोली; "अच्छा...अब आना मेरे पास दूध पीने! अपने पापा जी से कहिओ की वो ही तुझे दूध पिलाएँ!" इतना कह संगीता मुँह फुला कर, पलंग पर आलथी-पालथी मारकर बैठ गई| इधर मेरी प्यारी बिटिया आज फुल मूड में थी, स्तुति की किलकारियाँ खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं! ऐसा लगता था मानो स्तुति को अपनी मम्मी का मज़ाक उड़ाने में बहुत मज़ा आ रहा है|
बड़ी मुश्किल से स्तुति को गोदी में लिए हुए लाड करके मैंने सुलाया, उधर जबतक स्तुति सो नहीं गई तब तक संगीता मुँह फुलाये पलंग पर आलथी-पालथी मार के बैठी रही| स्तुति को सुला कर मैंने पलंग पर अपनी जगह लिटाया और फिर शुरू हुआ हमारा प्रेम-मिलाप| संगीता का सारा ध्यान मेरे गाल पर ही था मगर इस बार वो मेरे गालों पर जोर से नहीं काट रही थी| हर बार मेरे गाल काटने के बाद संगीता काटी हुई जगह पर अपनी हथेली से साथ के साथ रगड़ भी रही थी| मुझे याद है, यही टोटका संगीता तब भी अपनाती थी जब मैं गाँव में था| खैर, इस बार प्रेम-मिलाप अधिक लम्बा नहीं चला क्योंकि स्तुति की नींद सुसु करने के कारण खुल गई थी इसलिए जल्दी-जल्दी में सब 'काम' निपटा कर हम सो गए!
उस दिन से हमारी ये प्रेम-मिलाप की गाडी निरंतर चल पड़ी, सबसे मज़े की बात ये थी की हमारा ये प्रेम-माँ की चोरी से होता था और हमें भी इस तरह चोरी-छुपे प्रेम करने में बड़ा मज़ा आता था|
शादी की सालगिरह के बाद दिन ऐसे बीते की संगीता का जन्मदिन नज़दीक आ गया| मैं उस दिन के लिए कोई खुराफाती आईडिया सोचूँ, उससे पहले ही संगीता ने मुझे चेता दिया; "खबरदार जो आपने इस बार आपने मेरे जन्मदिन वाले दिन मुझे जलाने के लिए कोई काण्ड किया तो! मुझे मेरे जन्मदिन पर क्या चाहिए ये मैं बताऊँगी!" आगे संगीता ने जो माँग रखी उसे सुन कर मेरे तोते उड़ गए!
जारी रहेगा भाग - 17 में...