• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest एक अनोखा बंधन - पुन: प्रारंभ (Completed)

Akki ❸❸❸

ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
26,787
31,015
304
11

पढ़ा है दोस्त शायद 2 या 3बार पढ़ा है तभी तो!

आप अपनी जगह ठीक हो !लेकिन एक बात बताना.आपको 30dinबाद कोई कार्य करना है but 15दिन बाद आपको जाना है और वापसी का कोई चांस नहीं है नामुमकिन है तो क्या आप उस कार्य करके जाओगे या उसे ऐसे ही छोड़ जाओगे?
Baat to apki sahi h bhai ki, kam to niptaane padega, lekin isme madhuri kaha se aa gayi
4e6da28748b4f3026cfa840d38b168c1d8afa03b72fb10606238c2ac2591a147.jpg
 
Last edited:

Thor cap.america

Active Member
525
2,051
138
:sorry::sorry:ओके सरकार जी मैं आगे कुछ नहीं कहूंगा आगे कहना बहस करना हो जायेगा. अगर मेरे कहे हुए किसी वाक्य से खफा ho तो उसके लिए तहे दिल से माफ़ी मांगता हूँ.
मेरा उदेश्य किसी हर्ट करना नहीं था बस मेरे मन मैं जो विचार आया माधुरी के प्रति मैने वो कहा था
:sorry:
 

Akki ❸❸❸

ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
26,787
31,015
304
:sorry::sorry:ओके सरकार जी मैं आगे कुछ नहीं कहूंगा आगे कहना बहस करना हो जायेगा. अगर मेरे कहे हुए किसी वाक्य से खफा ho तो उसके लिए तहे दिल से माफ़ी मांगता हूँ.
मेरा उदेश्य किसी हर्ट करना नहीं था बस मेरे मन मैं जो विचार आया माधुरी के प्रति मैने वो कहा था
:sorry:
Ap to serious le gye, bhai mjak hi tha, sorry bhai agar bura laga ho


Meri smaj me sach me hi nahi aya, ki ap kehna kya chahte ho
 
Last edited:

Rockstar_Rocky

Well-Known Member
8,942
36,774
219
बारहवाँ अध्याय: नई शुरुरात
भाग - 1 (2)


अब तक आपने पढ़ा:

फिर अजय भैया ने बातों का सिलसिला चालु किया की खाना खाने के समय तक बातें चलती रहीं| खाना खा कर आज मैं वापस अपनी पुरानी जगह पर ही सोने वाला था, वही भौजी के घर के पास वाली जगह! कुछ देर बाद माँ खाना खा कर आईं और मेरे पास बैठ के मेरा हल-चाल पूछने लगीं| आप कितना भी छुपाओ पर माँ आपके हर दुःख को भाँप लेती है| मेरी माँ ने भी मेरे अंदर छुपी उदासी को ढूंढ लिया था और वो इसका कारन जानना चाहती थीं, पर मैं उन्हें कुछ नहीं बता सकता था| वो तो शुक्र है की भौजी वहाँ आ गईं; "चाची आप चिंता मत करो, मैं हूँ ना!" भौजी ने इतना अपनेपन से कहा की माँ निश्चिन्त हो गईं और भौजी को कह गईं, "बहु, एक तु ही है जिसे ये सब बताता है| कैसे भी मेरे लाल को पहले की तरह हँसने बोलने वाला बना दे|" भौजी ने हाँ में सर हिलाया और माँ उठ के सोने चली गईं| "देखा आपने, चाची को कितनी चिंता है आपकी? खेर आज के बाद आप कभी उदास नहीं होओगे! अभी आप आराम करो, मैं कुछ देर बाद आपको उठाने आऊँगी!" भौजी बोलीं और मुस्कुराते हुए अपने घर के भीतर चली गईं और मुझे उनके किवाड़ बंद करने की आवाज आई|

अब आगे:

नेहा मुझसे लिपट कर सो चुकी थी तो मैंने सोच की क्यों न मैं फिर से सोने की कोशिश करूँ, शायद कामयाबी मिल जाए| पर कहाँ जी?! जैसे ही आँख बंद करता बार-बार ऐसा लगता जैसे माधुरी मेरे जिस्म से चिपकी हुई मेरी पीठ सहला रही है, अगले ही पल ऐसा लगता की वो मेरे लंड पर सवार है और उसके हाथ मेरी छाती पर धीरे-धीरे रेंगते हुए मेरी नाभि तक जा रहे हैं| ये ऐसा भयानक पल था जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था की तभी अचानक भौजी ने मुझे जगाने को मेरे कंधे पर हाथ रखा और मैं सकपका के उठ बैठा| मेरे दिल की धड़कनें तेज हो चलीं थीं, चेहरे पर डर के भाव थे, माथे पर हल्का सा पसीना था जबकि मौसम कुछ ठंडा था और धीमी-धीमी सर्द हवाएँ चल रहीं थी| मेरी ये हालत देख के एक पल के लिए तो भौजी के चेहरे पर भी चिंता के भाव आ गए| उन्होंने मेरा दाहिना हाथ पकड़ा और मुझे अपने घर के भीतर ले आईं| मैं आँगन में खड़ा, अपनी कमर पर दोनों हाथ रखे लम्बी-लम्बी सांसें ले रहा था ताकि अपने तेज धड़कते दिल पर काबू पा सकूँ! भौजी ने धीरे से दरवाजा बंद किया और ठीक मेरे पीछे आके खड़ी हो गईं, धीरे से उन्होंने मेरी कमर में हाथ डाला और मुझसे लिपट गईं| उनकी सांसें मुझे अपनी पीठ पर महसूस होने लगीं तो मैं सिंहर उठा!

भौजी ने अपना तथाकथित उपचार शुरू करते हुए मेरी टी-शर्ट को नीचे से पकड़ा और धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ाते हुए उतार दिया| अब मैं ऊपर से बिलकुल नग्न अवस्था में था| ठंडी हवा का स्पर्श नंगी पीठ पर होते ही मैंने अपनी आँखें बंद कर ली! भौजी ने अपने दहकते होठों को जैसे ही मेरी पीठ पर रखा की एक अजीब से एहसास ने मुझे झिंझोड़ दिया! ऐसा लगा जैसे गर्म लोहे की सलाख को किसी ने ठन्डे पानी में डाल दिया और उसमें से आवाज आई हो 'स्स्स्सस्स्स्स!!!' मेरे लिए ये चुम्बन कोई आम चुम्बन नहीं था क्योंकि भौजी ने अब भी अपने होंठ वहीं टिका रखे थे, जैसे की वो मेरी पीठ से जहर चूस रहीं हों! कुछ सेकंड बाद उन्होंने मेरी पीठ पर दूसरी जगह को अपने होठों से चूम लिया और फिर कुछ सेकंड बाद तीसरी जगह! एक-एक कर भौजी मेरी पीठ पर हर जगह चूमती जा रहीं थीं और मैं आँखें बंद किये महसूस करने लगा

जैसे माधुरी का 'विष' अब मेरी पीठ से मेरी छाती की ओर भाग रहा हो! मेरे पूरे जिस्म के रोंगटे खड़े हो गए थे, सांसें तेज हो गई थीं और दिल की गाती इस कदर बढ़ गई थी की वो धक-धक की जगह ढोल की तरह बजने लगा था, इतना तेज की मुझे अपनी धड़कनें कानों में सुनाई देने लगीं थीं! रात के कीड़ों की आवाज हो, या हवा की सायें-सायें आवाज कुछ भी मेरे जिस्म को महसूस नहीं हो रहा था! फिर से मेरे माथे पर पसीना बहने लगा था, गला सूखने लगा था, कान लाल हो गए थे, हाथ कांपने लगे थे और मन विचलित हो चूका था!



पूरी पीठ को अपने होठों से नाप भौजी मेरी पथ से चिपक गईं और मेरे कान में खुसफुसाई; "आप लेट जाओ!" मैं बिना कुछ कहे, बिना कुछ समझे, मन्त्र मुग्ध सा आँखें बंद किये चारपाई पर पीठ के बल लेट गया| कुछ ही पलों में मुझे भौजी की चूड़ियों के खनकने की आवाज आने लगी, अब चूँकि आँखें बंद थीं तो मुझे पता नहीं था की ये आवाज क्यों आ रही है! फिर धीरे-धीरे मुझे भौजी के पायल की छम-छम आवाज सुनाई दी, आवाज से मैंने इतना अंदाजा तो लगा लिया की वो मेरे पैरों के पास खड़ी हैं! भौजी मेरी तरफ झुकीं और उन्होंने मेरे पाजामे का नाडा खोलना शुरू कर दिया, फिर उन्होंने धीरे से मेरे पजामे को नीचे खींचा परन्तु पूरी तरह उतारा नहीं| फिर उनके हाथ मेरे मेरे कच्छे की इलास्टिक पर पहुँचे और उन्होंने इलास्टिक में अपनी ऊँगली फँसाई और उसे खींच कर घुटने तक कर दिया| वो बड़े धीमे-धीमे रेंगते हुए मेरे ऊपर आईं, मानो कोई सांप किसी पेड़ पर चढ़ रहा हो! अगले ही पल मुझे अपनी छाती पर उनके नंगे स्तन रगड़ते हुए महसूस हुए| भौजी का मुख अब ठीक मेरे चेहरे के सामने था क्योंकि मुझे अपने चेहरे पर उनकी गर्म सांसें महसूस हो रहीं थी| पर भौजी ने कोई जल्दी नहीं दिखाई बल्कि टकटकी बांधे मुझे देखने लगीं, इधर मुझे उनकी आँखों की चुभन मेरी बंद आँखों पर होने लगी थी!

कुछ पल बाद भौजी ने सबसे पहले अपने हाथो से मेरे माथे का पसीना पोंछा, फिर उन्होंने झुक के मेरे माथे को चूमा| इसबार उनका ये चुंबन बहुत गहरा था, वो करीब पाँच सेकंड तक अपने होठों को मेरे मस्तक पर रखे हुई थीं| ये एहसास मेरे लिए बहुत ठंडा था और मैंने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया था| मुझे लगने लगा जैसे जो विश मेरे मस्तिष्क में भरा हुआ था वो अब नीचे उतारने लगा है! पाँच सेकंड बाद भौजी धीरे-धीरे मेरे मस्तक से नीचे आने लगीं| उन्होंने मेरी नाक को चूमा और अपनी नाक को मेरी नाक से लड़ाने लगीं! उनकी इस हरकत से मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई! मेरे चेहरे पर मुस्कान देख कर भौजी के दिल को बड़ा सुकून मिला था| उधर जैसे ही उनकी नजर मेरे बाएं गाल पर पड़ी तो उन्हें लालच आ गया, लेकिन अपने उपचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्होंने अपने लालच को काबू में किया और उस पर अपने थिरकते होंठ रख कर चूमा| पाँच सेकंड बाद उन्होंने मेरे दायें गाल को चूमा और ऐसा लगा मानो वो विष मेरी गर्दन तक नीचे उतर चूका हो| फिर उन्होंने मेरे कंठ को चूमा, उनके होंठों का दबाव मेरे कंठ पर कुछ ज्यादा था जिससे मुझे एक पल के लिए लगा जैसे मेरी सांस ही रूक गई हो! पाँच सेकंड बाद वो थोड़ा निचे खिसक कर मेरे लिंग के ऊपर बैठ गईं लेकिन भौजी के जिस्म की गर्माहट पा कर भी मेरा लिंग शांत था! अब उन्होंने मेरे दायें हाथ को उठा के अपने होठों के पास लाईं और मेरी हथेली को चूम लिया, ऐसा लगा मानो विष कुछ ऊपर को चढ़ा हो! भौजी मेरे ऊपर झुनकी और धीरे-धीरे मेरे पूरे हाथ को चूमते हुए ऊपर की ओर बढ़ीं, मेरी कोहनी को चूम वो मेरे कंधे तक पहुँची और फिर उसे चूम एकबार फिर टकटकी बांधे मेरी ओर देखने लगीं| एकबार फिर मुझे उनकी नजरें अपने चेहरे पर चुभती हुई महसूस हुई पर ये ऐसी चुभन थी जो मुझे सुकून दे रही थी! अब भौजी ने मेरे बाएँ हाथ को उठाया और उसे अपने होठों के पास लाईं तथा मेरी हथेली को चूमा, एकबार फिर मुझे लगा मानो विष वहाँ से भी ऊपर की ओर भागने लगा है| धीरे-धीरे वो कलाई से होते होते हुए मेरी कोहनी तक पहुँची और फिर मेरे कंधे को चूम एक बार फिर मुझे टकटकी बांधे देखने लगीं| इधर मुझे लगने लगा था जैसे सारा विष मेरी दोनों बाहों से होता हुआ मेरी छाती में इकठ्ठा हो चूका है! लेकिन वो कम्बख्त विष वापस मेरे पूरे शरीर में फ़ैल जाना चाहता था, पर चूँकि भौजी ने मेरी पीठ, मस्तक, गले और हाथों को अपने चुमबन से चिन्हित (Marked) कर दिया था इसलिए उस विष को कहीं भी भागने की जगह नहीं मिल रही थी!



उधर अभी भी भौजी का उपचार खत्म नहीं हुआ था, अब भौजी खिसक कर मेरे घुटनो पर बैठ गईं और मेरी छाती पर हर जगह अपने चुम्बनों की बौछार कर दी| परन्तु वो ये जल्दी-जल्दी नहीं कर रहीं थीं, अब भी उनका वो पाँच सेकंड तक चूमने का टोटका बरकरार था! मेरे निप्पल, मेरी नाभि कुछ भी उन्होंने नहीं छोड़ी थी! इधर वो विष अब नीचे की ओर भागने लगा था| भौजी और नीचे खिसक कर मेरे पाँव के पास आ गईं! अपने इस तथाकथित उपचार के अंतिम पड़ाव में पहुँच उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे लिंग को पकड़ा और उनके स्पर्श मात्र से उसमें जान आने लगी तथा वो अकड़ कर अपना पूर्ण अकार ले कर भौजी की ओर देखने लगा| भौजी ने उसकी चमड़ी को धीरे-धीरे नीचे किया जिससे अब सुपाड़ा बहार आ चूका था| फिर भौजी झुकीं तथा उन्होंने मेरे लिंग के छिद्र पर अपने होंठ रख दिए और इस एहसास से मेरा कमर से ऊपर का बदन कमान की तरह अकड़ गया! पूरे जिस्म में जैसे झुनझुनी छूट गई और सारा का सारा खून मेरे लिंग की तरफ भागने लगा| इधर भौजी ने धीरे-धीरे सुपाड़े को अपने मुँह में भरना शुरू किया, मुझे लग की भौजी उसे अपने मुँह के अंदर-बहार करेंगी पर नहीं वो बस सुपाड़े को अपने मुँह में भरे स्थिर थीं!

भौजी का ये उपचार मुझे बेचैन करने लगा था, उनकी गर्म-गर्म सांसें मेरे सुपाडे पर पड़ रही थीं जिस कारन उसमें कसावट बढ़ने लगी थी| अब मेरी कमर से नीचे के हिस्से में कुछ होने लगा था, जैसे कोई चीज बहार निकलने को बेताब हो! वो क्या थी ये मैं नहीं जानता पर मैं उसे बाहर निकलते हुए अवश्य महसूस करा पा रहा था, जबकि असल में कुछ हो भी नहीं रहा था! धीरे-धीरे मेरा शरीर ऐठने लगा और लगा की अब मैं इस विष से मुक्त हो जाऊँगा! ये ऐठन बस कुछ पल की थी और धीरे-धीरे...धीरे-धीरे मेरा बदन सामान्य होने लगा| मैं अब शिथिल पड़ने लगा था, शरीर ने कोई भी प्रतिक्रिया देनी बंद कर दी थी, सांसें सामन्य होने लगी थीं तथा ह्रदय की गति भी सामान्य हो गई थी|



भौजी अब निश्चिन्त थीं क्योंकि उनका पति अब चिंतामुक्त हो चूका था, इसलिए भौजी मेरे ऊपर आ कर लेट गईं| उनके नंगे स्तन मेरी छाती में धंसे हुए थे और उनके हाथों ने मुझे मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द अपनी पकड़ बना चुके थे| भौजी के नंगे ठंडे स्तनों का एहसास पा कर मैंने भी उन्हें अपनी बाहों में भर लिया| कुछ पल के लिए हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे रहे, लेकिन अगले ही पल भौजी को न जाने क्या सूझी की उन्होंने मेरे लिंग को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी योनि में प्रवेश करा दिया| मुझे लगा शायद भौजी का मन सम्भोग करने का है पर वो वैसे ही मेरे ऊपर बिना हिले-डुले लेटी रहीं|उनकी योनि अंदर से पनिया चुकी थी और मुझे अपने लिंग पर इस गर्मी और गीलेपन का एहसास होने लगा था| लेकिन मेरा मन बिलकुल शांत था और ये सुकून मेरे लिए बहुत आवश्यक था इसलिए मैंने नीचे से कोई भी हरकत नहीं की|

पिछले कई दिनों से मैं ठीक तरह से सो नहीं पाया था और आज भौजी के इस तथाकथित उपचार के बाद मुझे मीठी-मीठी नींद आने लगी थी| नजाने कब मेरी आँखें बंद हुई मुझे पता ही नहीं चला और जब आँख खुली तो सर पर सूरज चमक रहा था| मैं जल्दी से उठ के बैठा तो पाया की मैं रात को भौजी के घर में ही सो गया था और मैं अब भी अर्ध नग्न हालत में था| मैंने जल्दी से पास पड़ी मेरी टी-शर्ट उठाई और पहन के बहार आ गया, मेरी बुरी तरह फटी हुई थी क्योंकि मैं और भौजी रात भर अंदर अकेले सोये थे और अब तक तो सारे घर-भर में बात फ़ैल चुकी होगी! आज तो शामत थी मेरी!!!




जारी रहेगा भाग - 2 में....
 
Last edited:

Rockstar_Rocky

Well-Known Member
8,942
36,774
219
:sorry::sorry:ओके सरकार जी मैं आगे कुछ नहीं कहूंगा आगे कहना बहस करना हो जायेगा. अगर मेरे कहे हुए किसी वाक्य से खफा ho तो उसके लिए तहे दिल से माफ़ी मांगता हूँ.
मेरा उदेश्य किसी हर्ट करना नहीं था बस मेरे मन मैं जो विचार आया माधुरी के प्रति मैने वो कहा था
:sorry:

मित्र खफा होने की कउनो बात नाहीं! हम बस आपकी बात का जवाब दिए रहे कउनो बहसबाजी का सवाले नहीं उठता! कृपया आगे भी इसी प्रकार कमेंट करते रहिओ!!!
इसी बात पर आज की अपडेट तोहरे नाम! :)
 

Rockstar_Rocky

Well-Known Member
8,942
36,774
219
Ap to serious le gye, bhai mjak hi tha, sorry bhai agar bura laga ho


Meri smaj me sach me hi nahi aya, ki ap kehna kya chahte ho




पुरानी गाँव की कहावत याद आई तो लिख दी, आप दोनों इसे दिल से न लगा लीजियेगा!
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
Staff member
Moderator
32,793
79,337
304
The method of getting the poison out of the body was very sweet. If someone will cure the disease with so much love, I want to get sick every day. As poison was coming out of Manu's body, so my enjoyment was increasing. Heart got happy after reading today's update, it was very lovely and a little short but I liked it. But in the last you again put Manu in trouble.
Now let's see what happens next, You are writing very well, Till then waiting for the next part of the story.
Thank You...
 
Top