intjaar rahega sakha
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Update no likh dijiyeप्रिय मित्रों,
Update में हो रही देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ, मगर फ़िलहाल मैं अध्याय के शीर्षक को चुनने में व्यस्त हूँ! Update लिखने का कार्य भी साथ ही चल रहा है, उम्मीद है की एक उपयुक्त शीर्षक जल्दी मिल जाए!
नहीं मित्र! ये कोई कहानी नहीं है, मेरी जीवनी है और मैं इसे बेहतर से बेहतर ढँग से लिखना चाहता हूँ| शीर्षक चुनने के लिए हर बार की तरह kamdev99008 सर जी मेरी मदद कर रहे हैं, इसलिए आप थोड़ा इंतजार करें| हो सकता है की शीर्षक ढूँढ़ते-ढूँढ़ते अगली अपडेट बड़ी निकले?!Update no likh dijiye
Sirshak update post karne ke baad soch lena
shukriya bandhuप्रिय मित्रों,
Update में हो रही देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ, मगर फ़िलहाल मैं अध्याय के शीर्षक को चुनने में व्यस्त हूँ! Update लिखने का कार्य भी साथ ही चल रहा है, उम्मीद है की एक उपयुक्त शीर्षक जल्दी मिल जाए!
intjaar rahega babu mosayeनहीं मित्र! ये कोई कहानी नहीं है, मेरी जीवनी है और मैं इसे बेहतर से बेहतर ढँग से लिखना चाहता हूँ| शीर्षक चुनने के लिए हर बार की तरह kamdev99008 सर जी मेरी मदद कर रहे हैं, इसलिए आप थोड़ा इंतजार करें| हो सकता है की शीर्षक ढूँढ़ते-ढूँढ़ते अगली अपडेट बड़ी निकले?!
jeevan charit ke agle update me kishi na kishi rang me dubi hui shrinkhla ki kal partiksha rahegi sakha hrideye seअगली अपडेट कल!
Bahot shaandaar kamukta se bharpoor lajawab update Manu bhaiतेईसवाँ अध्याय: अभिलाषित प्रेम बन्धन
भाग - 25
अब तक आपने पढ़ा:
बच्चों को अपने मम्मी-पापा के साथ में सोने का मौका मिला तो दोंनो ख़ुशी-ख़ुशी मान गए| मैं दोनों बच्चों को ले कर भौजी वाले कमरे में पहुँचा, मैं और भौजी अगल-बगल लेट गए तथा बच्चे हमारे बीचे में| मैंने बच्चों को प्यारी-प्यारी कहानी सुनाई और दोनों मेरी तरफ करवट ले कर सो गए! बच्चों के सोने के बाद मैंने खुद को उनकी पकड़ से छुड़ाया और बिस्तर से उठ गया| कमरे के दरवाजे पर पहुँच कर मैं रुका और भौजी की तरफ मुड़ते हुए बोला;
मैं: रात बारह बजे!
मैंने भौजी की आँख मारते हुए कहा| मुझे आगे कुछ बोलने की जर्रूरत नहीं पड़ी क्योंकि भौजी मेरा इशारा समझ चुकीं थीं!
अब आगे:
भौजी के कमरे से निकल कर मैंने एक नजर माँ के कमरे पर डाली, माँ व्रत रखने के कारन थक गईं थीं इसलिए खाना खा कर वो मस्त घोड़े बेच कर सोइ हुई थीं! रास्ता साफ़ था और आज हमारे (भौजी और मेरे) मिलन में कोई विघ्न नहीं पड़ने वाला था! मैं चुपचाप अपने कमरे में आ गया और बगैर दरवाजा बंद किये पलंग पर अपनी पीठ टिका कर बैठ गया| मुझे आजकी रात यादगार बनानी थी इसलिए मैंने अपना tablet उठाया और उस पर गानों की playlist बनाने लगा| घडी ने बारह बजाये और मुझे अपने कमरे के बाहर से 'छम' की आवाज आ गई, ये छम की आवाज भौजी की पायल की थी जिसे सुन मैं जान गया की भौजी मेरे कमरे में प्रवेश करने वाली हैं| मैं दरवाजे पर नजरें बिछाए उनके भीतर आने का इंतजार करने लगा, आखिरकर भौजी ने कमरे में प्रवेश किया और जैसी ही मेरी नजर उन पर पड़ी तो मैं उन्हें टकटकी लगाए देखने लगा! मेहरून रंग की satin वाली नाइटी जिसको बाँधने वाली रस्सी भौजी के पीछे कमर पर बँधी थी, माँग में लाल रंग का सिन्दूर, बाल खुले, होठों पर लाली, जिस्म से उठ रही मधुर सुगँध! सच भौजी ने मुझे लुभाने के लिए बड़े दिल से तैयारी की थी!
मुझे खुद को निहारते देख भौजी मुस्कुराईं और दरवाजा बंद करने को मुड़ीं! बस यही वो पल था जब मैंने अपना आपा खो दिया, मैं एकदम से पलंग से उठा और भौजी को फटक से अपनी गोद में उठा लिया! भौजी शायद इसके लिए पहले से ही तैयार थीं, उन्होंने अपना बायाँ हाथ मेरी गर्दन में डाला और मेरे होठों पर एक चुम्मा जड़ दिया! भौजी को गोद में उठाये हुए ही मैंने भौजी को लाइट बुझाने का इशारा किया तो भौजी ने अपना दायाँ हाथ दिवार में लगे switch board की तरफ बढ़ाया और लाइट बंद कर लाल रंग का zero watt का बल्ब जला दिया! बीतते हर पल के साथ मेरा सब्र जवाब दे रहा था इसलिए मैं भौजी को गोद में लिए हुए पलंग पर चढ़ गया, अपने घुटने मोड़ कर मैंने उन्हें पलंग के बीचों बीच लिटा दिया! मैं भौजी के ऊपर झुका और आँख बंद किये उनके अधरों को अपने मुँह में भर कर उनका पान करने लगा! भौजी के जिस्म से आ रही मधुर सुगंध ने मुझे मंत्र-मुग्ध कर दिया था जिस कारन मैं सब कुछ भुला कर आज उन्हें जी भर कर प्यार करना चाहता था! जिस जोश में मैं भौजी के कोमल अधरों को चूस रहा था उससे भौजी मेरे दिल में लगी आग को भाँप गई थीं, फिर भी मेरे दिल की टोह लेने के लिए भौजी मेरी टाँग खींचते हुए पहले मुझे अपने होठों से दूर किया और मुस्कुराते हुए मेरी आँखों में देखते हुए बोलीं;
भौजी: क्या बात है जानू आज बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर?
भौजी के मुझे अपने होठों से दूर करने और मुझसे सवाल पूछने को मैंने उनका उल्हाना समझा|
मैं: आपकी फरमाइश पूरी करने के दो रास्ते थे, एक ये की मैं सब बेमन से सिर्फ आपकी ख़ुशी के लिए करूँ, जिसमें न आपको आनंद आता न मुझे! दूसरा रास्ता था की मैं सब कुछ दिल से तथा पूरे मन से करूँ, इसलिए मैंने दूसरा रास्ता चुना!
मैंने भौजी को समझाते हुए कहा| मेरी बात सुन भौजी मुस्कुरा दी|
मैंने अपना tablet उठाया और अपनी playlist से पहला गाना धीमी आवाज में चलाया: 'आज फिर तुम पर प्यार आया है!' गाना भौजी के सवाल का जवाब था इसलिए भौजी के चेहरे पर कातिल मुस्कान आ गई!
भौजी: जानू गाना बिलकुल सूट कर रहा है!
भौजी अपना होंठ काटते हुए बोलीं|
मैं: तभी तो लगाया है मेरी जान!
मैंने भौजी को आँख मारते हुए कहा| गाने ने हम दोनों पर एक सुरुर्र सा चढ़ा दिया था, मेरी नजर भौजी की सुराहीदार गर्दन पर पड़ी, उसे देखते ही मेरे होंठ खुदबखुद थरथराने लगे! मैंने अपने थरथराते होंठ भौजी की गर्दन पर रख दिए! भौजी की गर्दन को चूमते हुए मैं उसी में खो स गया, मेरा मन ही नहीं हुआ की मैं उनकी गर्दन को छोड़ूँ! मेरे उनकी गर्दन को चूमने से भौजी के जिस्म में सिहरन उठने लगी तथा भौजी की दिल की धड़कनें तेज हो चलीं थीं! भौजी ने अपनी बाहों को मेरी गर्दन के पीछे ले जाके lock कर दिया, कुछ पल बाद मैं भौजी की गर्दन को चूमता हुआ उनके चेहरे की ओर आ गया तथा उनके लबों को अपने लबों से पुनः मिला दिया| बिना देरी किये मैंने अपनी जीभ भौजी के मुँह में प्रवेश करा दी और भौजी ने उसे अपनाते हुए अपने दाँतों से पकड़ चूसने लगीं| इधर मेरे हाथों ने भौजी के स्तनों के ऊपर चहलकदमी शुरू कर दी, मैं उनकी नाइटी के ऊपर से ही उनके स्तनों को सहला रहा था और धीरे-धीरे मींज रहा था! भौजी के गुदाज स्तन को महसूस कर के मेरे जिस्म में जोश भरता जा रहा था जिस कारन मैं कभी-कभी उनके स्तनों को कस कर दबा देता था और भौजी; "उम्म्म" कह के कसमसा कर रह जातीं!
मिनट भर बाद भौजी ने कमान अपने हाथों में संभालनी चाहि, भौजी ने बड़े धीरे से अपनी जीभ मेरे मुँह में प्रवेश करा दी! मेरा ध्यान अब भौजी की जीभ पर आ गया था, मैंने भौजी की जीभ को अपने दाँत से दबा लिया ओर अपनी जीभ उनकी जीभ से भिड़ा दी! भौजी ने इसकी कतई उम्मीद नहीं की थी, इसलिए जैसे ही मैंने अपनी जीभ से भौजी की जीभ चुभलानी शुरू किया तो भौजी के जिस्म ने मचलना शुरू कर दिया! भौजी के दोनों हाथों ने मेरी पीठ पर घूमना शुरू कर दिया! मुझे भी उस पल नजाने क्या सूझी मैंने कस कर भौजी के चुचुक उमेठ दिए! "उम्म्म्म" भौजी कसमसाईं और उनका पूरा जिस्म नागिन की तरह बलखाने लगा! जिस तरह भौजी कसमसा रहीं थीं, एक पल को लगा की मैं शायद भौजी के उफनते जिस्म को सँभाल ही न पाऊँ!
भौजी को यूँ कसमसाते देख मैंने उन्हें थोड़ा तड़पाने की सोची, मैंने भौजी की जीभ को छोड़ दिया और भौजी के ऊपर से हट गया तथा उनकी बगल में कोहनी का सहारा ले कर लेट गया| भौजी आँखें बंद किये हुए किसी खुमारी में गुम थीं, भौजी को उनकी खुमारी से बाहर लाने के लिए मैंने अपने बाएँ हाथ की उँगलियाँ भौजी के चेहरे पर फिरानी शुरू कर दी| मेरी उँगलियाँ जहाँ-जहाँ जातीं भौजी अपनी गर्दन उसी ओर घुमा लेतीं! भौजी की खुमारी टूटी तो उन्होंने मेरी तरफ करवट ले ली और अपने दाएँ हाथ की ऊँगली मेरे होठों पर रख दी, मैंने गप्प से भौजी की वो ऊँगली अपने मुँह में भर ली तथा उसे अपनी जीभ की सहायता से चूसने-चुभलाने लगा! मैंने भौजी के साथ थोड़ी और मस्ती करनी चाहि इसलिए मैंने भौजी की ऊँगली को धीरे से काट लिया;
भौजी: स्स्स्स्स्स्स्स्स.... जानू....
भौजी सीसियाते हुए कुछ कहतीं उससे पहले ही मैंने भौजी के होठों पर ऊँगली रखते हुए उन्हें खामोश कर दिया| मैंने पलट कर अपना tablet उठाया और दूसरा गाना लगाया; 'कुछ न कहो, कुछ भी न कहो!' गाने के पहले बोल सुनते ही भौजी प्यारभरी नजरों से मुझे देखने लगीं, जैसे की मुझसे पूछ रहीं हों की; ‘आज आपको हो क्या गया है? इतना रोमांस आपको कैसे सूझ रहा है?' पर ये तो हमारी मिलन की रात की शुरुआत भर थी!
भौजी ने अपना दायाँ हाथ कमर पर ले जाते हुए अपनी नाइटी की रस्सी खोलनी चाहिए, ठीक उसी समय गाने के बोल आये; 'समय का ये पल, थम सा गया है!
और इस पल में, कोई नहीं है,
बस एक मैं हूँ, बस एक तुम हो!'
गाने के बोल सुन भौजी ने अपनी नाइटी खोलन का प्रयास छोड़ दिया! इस गाने ने पूरे कमरे का माहौल रोमांटिक बना दिया, ऊपर से गाने के बोल ऐसे थे की हम दोनों खामोशी से बिना कुछ कहे अपने दिल के जज्बात एक दूसरे से कह पा रहे थे| गाना सुनते हुए मैं भौजी को निहार रहा था, ऐसा लगता था की बरसों बाद उन्हें इस तरह निहार रहा हूँ! उधर भौजी भी मुझे बिना पलकें झपकाये देख रहीं थीं, उस मध्धम बल्ब की रौशनी में दो धड़कते दिल बस एक दूसरे को निहारने में व्यस्त थे! हमें आज कोई जल्दी नहीं थी क्योंकि अभी तो आधी रात बाकी थी!
कुछ मिनट बाद गाने के बोल आये, जो मैंने भौजी को देखते हुए गुनगुनाये;
मैं: सुलगी-सुलगी साँसे, बहकी-बहकी धड़कन
और इस पल में कोई नहीं है,
बस एक मैं हूँ,
बस एक तुम हो!!!
मेरे मुँह से निकले ये बोल हम दोनों की अंदरूनी परिस्थिति ब्यान कर रहे थे! मेरे मुँह से ये बोल सुन भौजी के चेहरे पर भीनी सी मुस्कान आ गई! उनकी ये मुस्कान देख मैंने सीधे भौजी की गर्दन को चूम लिया! भौजी के जिस्म की महक में कुछ जादू तो था जो मैं बार-बार बहक जाता था! गाने के अंतिम बोल चल रहे थे और मैं पुनः भौजी के ऊपर छा चूका था! भौजी का शरीर मेरी दोनों टांगों के बीच था, मैंने उनकी कमर के नीचे हाथ ले जाकर उनकी नाइटी की डोर खोल दी, लेकिन मैंने उनकी नाइटी को सामने से नहीं खोला!
उधर tablet पर गाना खत्म हो चूका था और भौजी को अपनी पसंद का गाना सुनना था| उन्होंने tablet उठाया और उस पर गाना ढूँढने लगीं| अगला गाना जो उन्होंने लगाया वो था; 'पिया बसंती रे!' चूँकि मैं भौजी की नाइटी की डोर खोल कर भौजी की जाँघों पर बैठा था तो मुझे उल्हाना देने के लिए भौजी ने ये गाना लगाया था;
भौजी: पीया बसंती रे, काहे सताए आ जा!
भौजी ने उलहाने देते हुए कहा और अपनी दोनों बाहें खोल कर मुझे अपने गले लगने का निमंत्रण देने लगीं! मैं भौजी का उल्हाना समझ चूका था, मैं उनके गले लगा और पुनः भौजी की जाँघों पर बैठ कर उनकी नाइटी को धीरे-धीरे खोलने लगा| जब नाइटी खुली तो सामने जो दृश्य था उसे देख कर मैं सन्न था! भौजी ने गहरे लाल रंग की satin वाली ब्रा-पैंटी पहनी हुई थी! लाल रंग मेरा शुरू से पसंदीदा रहा है, ये ऐसा रंग था जो मुझे उत्तेजित कर देता था!
भौजी को लाल रंग की ब्रा-पैंटी में देख मेरी आँखें बड़ी हो चुकी थीं, मेरी उत्तेजना धीरे-धीरे बढ़ रही थी! मैंने भौजी के ऊपर पुनः झुक कर उनके सीने को चूम लिया तथा फिर से उनकी बगल में कोहनी का सहारा ले के लेट गया! मुझे अपनी ये उत्तेजना संभालनी थी ताकि कहीं मैं अपनी उत्तेजना में बहते हुए भौजी को मझधार में छोड़ने की गलती न कर दूँ!
मैं: जान क्या बात है, एक के बाद एक surprise दे रहे हो? Satin की नाइटी, लाल रंग की satin वाली ब्रा-पैंटी! लगता है आज तो आप मेरा कत्ल कर के रहोगे!
मैंने खुसफुसाते हुए भौजी की टाँग खींचते हुए कहा!
भौजी: जानू, आज के दिन की तैयारी मैंने नजाने कब से कर रखी थी!
भौजी खुद पर गर्व महसूस करती हुई बोलीं! भौजी की वो भोली सूरत देख मुझे उन पर बहुत प्यार आ रहा था, मैंने आगे बढ़ते हुए भौजी को एक बार फिर kiss कर लिया! गाना खत्म हो चूका था और मेरा पूरा कमरा बिलकुल शांत था|
इधर भौजी के जिस्म में उत्तेजना का ज्वर चढ़ने लगा था, इसलिए भौजी ने मेरी तरफ करवट ली और मुझे धक्का देते हुए मेरे ऊपर आ के बैठ गईं| भौजी ने अपनी नाइटी उतार फेंकी और ब्रा-पैंटी पहने मेरे कामदण्ड पर बैठ गईं!
मैं: जान अपनी पैंटी तो उतारो!
मैंने मुस्कुराते हुए भौजी की पैंटी को छूते हुए कहा|
भौजी: न!
भौजी अपना सर न में हिलाते हुए बचकाने ढँग से बोलीं|
भौजी: आप उतारो|
भौजी ने मेरी तरफ ऊँगली करते हुए बड़े नटखट ढँग से कहा| भौजी के नटखट अंदाज को देख मेरे दिल में तरंगें उठने लगीं| मैंने अपने दोनों हाथों से भौजी की कमर को थामा और एकदम से करवट लेके उन्हें अपने नीचे ले आया!
मैं: My naughty girl!
मैंने मुस्कुराते हुए कहा| मैंने भौजी की पैंटी के दोनों किनारों में अपनी ऊँगली फँसाई और नीचे खींचते हुए भौजी की पैंटी उतार कर नीचे फेंक दी! भौजी की नग्न योनि को देख अचानक मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई, दिल तो किया की घप्प से भौजी की योनि पर मुँह लगा दूँ लेकिन मुझे आज जल्दी नहीं दिखानी थी! मुझे तो आज भौजी के हर अंग को जी भर कर प्रेम करना था, इसलिए मैंने झुक कर भौजी की योनि को बाहर से एक बार चूमा और पीठ के बल सीधा लेट गया! मेरी ये हरकत देख भौजी को अचंभा हुआ;
भौजी: बस?
भौजी ने प्यासी नजरों से पुछा|
मैं: नहीं जान, अभी तो शुरुआत है! आप ऐसा करो अपनी दोनों टाँगें फैला कर मेरे मुँह पर बैठ जाओ! भौजी मेरा मतलब अच्छे से समझ गईं, वो मुस्कुराते हुए उठ के खड़ी हुईं और मेरे चेहरे के ऊपर आ कर उकड़ूँ होके इस प्रकार बैठीं की उनकी योनि ठीक मेरे होठों के ऊपर थी! भौजी की योनि की सुगंध से मेरे पूरे जिस्म में चहल-पहल मच गई! मेरा कामदण्ड अपना विराट रूप इख्तियार करने लगा, आँखें एकदम से बंद हुईं और लपलपाती हुई मेरी जीभ भौजी की योनि की फाँकों को फैलाते हुए भौजी की योनि में पहुँच गई! भौजी की योनि भीतर से बहुत गर्म थी, मानो भौजी के जिस्म की सारी गर्मी उनकी योनि में समा गई हो और उनकी यही गर्मी मेरी उत्तेजना बढाए जा रही थी! मैंने अपनी जीभ को भौजी की योनि के भीतर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया, मेरी जीभ ने भौजी की योनि में हड़कंप मचाना शुरू किया तो भौजी के मुँह से सीत्कारें निकलने लगीं; "स्स्स्स्स्स...जानू.....!" मैंने अपनी जीभ भौजी की योनि से बाहर निकाली और उनकी योनि की फाँकों को बारी-बारी से मुँह में लेके चूसने लगा, भौजी की योनि की फाँकों को खींच कर चूसने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था! मेरे भौजी की फाँकों को चुभलाने से उन्होंने अपनी कमर आगे-पीछे हिलाना शुरू कर दिया था! मिनट भर बाद मैंने अपनी जीभ वापस उनकी योनि में प्रवेश करा दी, अब भौजी की कमर आगे-पीछे हिलाने से ऐसा लग रहा था जैसे मेरी जीभ मेरे कामदण्ड का काम कर रही हो और अंदर-बाहर होते हुए भौजी को वही संतुष्टि प्रदान कर रही थी जो मेरा कामदण्ड करता!
भौजी के जिस्म में उठ रही काम हिलोरों के कारन उनके लिए अब उकड़ूँ हो के बैठ पाना मुश्किल हो रहा था, इसलिए वो एकदम से खड़ी हुईं और वापस अपने घुटने टेक कर ठीक मेरे होठों पर अपनी योनि टिका के बैठ गईं| भौजी की योनि और मेरे होठों के बीच नेश मात्र भी जगह नहीं था, मैंने देर न करते हुए अपनी जीभ सरसराती हुई भौजी की योनि में पुनः प्रवेश करा दी! इस बार मेरी जीभ समूची भौजी की योनि में दाखिल हो गई, उधर भौजी मेरी समूची जीभ को अपनी योनि के भीतर महसूस कर बड़े ही मादक ढँग से अपनी कमर को गोल-गोल मटकाने लगीं! साफ़ पता चल रहा था की भौजी की उत्तेजना उनके चरम की ओर बढ़ रही है! भौजी से खुद को संभाल पाना मुश्किल हो रहा था इसलिए उन्होंने अपने शरीर का सम्पूर्ण भार मेरे मुँह पर रख दिया! अपनी उत्तेजना में बहते हुए भौजी ने अपना दाहिना हाथ मेरे सर पर रखा और उसे अपनी योनि पर दबाने लगीं तथा अपनी कमर को आगे-पीछे हिलाने लगीं|
मुझे भौजी को जल्द से जल्द चरम पर पहुँचाना था क्योंकि जिस आसन में भौजी बैठीं थीं उस आसान में मेरे लिए साँस ले पाना मुश्किल हो रहा था! मैंने अपनी जीभ भौजी की योनि में लपलपानी शुरू की, किसी giant ant eater की तरह मेरी जीभ बड़ी तेजी से भौजी की योनि में अंदर-बाहर होने लगी! भौजी से मेरी जीभ की ये चहलकदमी बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो रहा था, अंततः भौजी अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गईं ओर अगले ही पल कलकल करतीं हुईं स्खलित होने लगीं! स्खलित होते समय भौजी ने उत्तेजना वश मेरे सर के बालों को अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपने कामरज की एक-एक बूँद मेरे मुँह में उड़ेल दी! भौजी का रज आज इतना था की एक पल के लिए मैं हैरान था की अभी कुछ दिन पहले ही तो मैंने इन्हें अपने मुख के द्वारा यौन सुख दिया था और उस समय भी भौजी की योनि से इतना रज नहीं निकला था जितना आज निकल रहा था| मेरा मुँह भौजी के योनि के तले दबा हुआ था इसलिए मैं अपना मुँह इधर-उधर भी नहीं कर सकता था! मैंने भौजी का अधिकतम रज पी लिया था, बाकी थोड़ा-बहुत मेरे मुँह के किनारों से बहता हुआ मेरी दाढ़ी में सन गया था!
भौजी का स्खलन समाप्त हुआ तो भौजी बड़ी मुश्किल से मेरे मुँह के ऊपर से उठीं और हाँफती हुई मेरी बगल में लेट गईं! मैंने भौजी की नाइटी से अपना चेहरा साफ़ किया और भौजी को आँखें बंद किये हुए अपनी साँसों को दुरुस्त करते हुए देखने लगा! भौजी के हाँफने से उनकी छाती ऊपर नीचे हो रही थी और उनकी छाती ऊपर-नीचे होने से उनके स्तन भी ऊपर-नीचे हो रहे थे! मुझे ये दृश्य कुछ ज्यादा ही मनभावन लग रहा था इसलिए मैं मुस्कुराते हुए उन्हें (स्तनों को) ऊपर नीचे होते हुए देख रहा था! भौजी की सांसें सामन्य होने में थोड़ा समय लगा और जब तक वो सामन्य नहीं हुईं मैंने उन्हें स्पर्श नहीं किया, बल्कि मैं भी पीठ के बल स्थिर लेटा रहा| जब भौजी की सांसें समन्य हुईं तो उन्होंने मुझे स्थिर लेटे हुए पाया, उन्हें लगा की मैं उन्हें चरमसुख दे कर स्वयं सो गया!
भौजी: सो गए क्या?
भौजी ने मेरा बायाँ कंधा हिलाते हुए पुछा|
मैं: नहीं जान! यार आज भी अगर मैं सो गया तो, जानता हूँ कल आप मुझसे बात नहीं करोगे|
मैंने भौजी को प्यार से ताना मारते हुए कहा|
भौजी: वो तो है! और सिर्फ बात ही नहीं करुँगी, बल्कि चाक़ू से अपनी नस काट लूँगी|
भौजी थोड़ा गुस्से से बोलीं! ये भौजी का पागलपन था जो कभी-कभी सामने आ जाया करता था! गाँव में मेरे दिल्ली वापस आने के समय भौजी यही पागलपन करने वाली थीं और उस दिन की याद आते ही मेरे चेहरे पर गुस्सा आ गया;
मैं: Hey!!!
मैंने गुस्से में आवाज ऊँची करते हुए कहा| आवाज इतनी ऊँची नहीं थी की माँ सुन ले, लेकिन इतनी कठोर थी की भौजी को एहसास हो जाए की उनके इस पागलपन से भरी बात को सुन कर मुझे कितना गुस्सा आया है|
भौजी: Sorry बाबा!
भौजी अपने कान पकड़ते हुए बोलीं! इस डर से की कहीं मैं उन्हें (भौजी को) डाँट कर सारे मूड का सत्यानाश न कर दूँ, भौजी उठीं और सीधा मेरे कामदण्ड पर बैठ गईं! भौजी ने फिलहाल केवल ब्रा पहनी थी, वहीं मैं इस वक़्त पूरे कपड़ों अर्थात टी-शर्ट और पाजामे में था| भौजी ने मेरे कामदण्ड पर बैठे-बैठे मेरे ऊपर झुकीं और मेरी टी-शर्ट निकाल फेंकी! फिर उन्होंने मेरे पजामे का नाड़ा खोला, उठ कर मेरे पाजामे तथा मेरे कच्छे को एक साथ खींचते हुए निकाल फेंका और मेरी जाँघों पर बैठ गईं| भौजी ने मेरी बिना बालों वाली छाती पर एक बार हाथ फेरा और फिर उसपर अपने गर्म होंठ रखते हुए बोलीं;
भौजी: Wow जानू! आपकी chest बिना बालों के कितनी दमक रही है!
मैं: हम्म! आपके लिए ही साफ़ की है!
मैंने भौजी को आँख मारते हुए कहा| अब भौजी ने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों गालों को सहलाया और शिकायत करते हुए बोलीं;
भौजी: तो इस मुई दाढ़ी का भी कुछ करो ना? मुझे आप दाढ़ी में अच्छे नहीं लगते, clean shaven अच्छे लगते हो बिलकुल पहले की तरह!
भौजी किसी प्रेमिका की तरह माँग करते हुए बोलीं| भौजी अब सीधी हो कर बैठ गईं थीं और उनकी नजर मेरे कामदण्ड पर थी;
भौजी: अब आपका 'ये' (मेरा कामदण्ड) देखो, बिना बालों के कितना प्यारा लग रहा है!
ये कहते हुए भौजी शर्म से लाल हो चुकी थीं!
भौजी: मुझे न आप में सब कुछ पहले जैसा चाहिए, इसलिए please कल शेव कर लेना!
भौजी ने लजाते हुए आँखें झुका कर विनती की!
मैं: हाय!
भौजी के इस तरह लजाने से मैं घायल हो गया था इसलिए मैं ठंडी आह भरते हुए बोला!
मैं: जान आपके आने के बाद से मैंने दाढ़ी हलकी रखी हुई ताकि बाहर घुमते समय हम दोनों perfect couple लगें!
Perfect couple से मेरा मतलब था की कोई मेरी और भौजी के बीच में मौजूद उम्र का फासला न पकड़ पाए| अब ये बात मैं सीधे-सीधे भौजी से कह कर उनका मन खराब नहीं करना चाहता था इसलिए मैंने बात थोड़ी घुमा कर कही, लेकिन भौजी के मेरी ये बात पल्ले नहीं पड़ी!
भौजी: वो सब मैं नहीं जानती! आपको kiss करते समय ये (दाढ़ी) चुभती है, इसलिए आप कल ही मेरी इस सौतन दाढ़ी को काट लेना|
भौजी नाराज हो कर हुक्म देते हुए बोलीं|
मैं: ठीक है बाबा!
मैंने मुस्कुरा कर कहा|
मुझसे कुछ पल बातें करने से भौजी का कामज्वर अब शांत हो चूका था, इसलिए अब उनका पूरा ध्यान मेरे ऊपर था! भौजी मेरे ऊपर झुकीं और मेरे लबों को अपने लबों से मिलाते हुए मेरे लबों को निचोड़ने लगीं! मिनट भर मेरे होठों को पीने के बाद भौजी धीरे-धीरे नीचे की ओर सरकने लगीं, मेरे कामदण्ड के नजदीक पहुँच उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे कामदण्ड को कस कर पकड़ लिया तथा कुछ क्षण भर के लिए उसे निहारते हुए अपने मुँह की गर्म साँसें उस पर छोड़ने लगीं! ऐसा लगा मानो जैसे भौजी मेरे लिंग को देख कर चिंतित हों, फिलहाल उनकी ये चिंता मेरी समझ से परे थी! भौजी की कसी हुई पकड़ ने मेरे लिंग में खून का प्रवाह ते ज कर दिया था, अब मैं उम्मीद कर रहा था की भौजी जल्दी से अपना मुख खोल कर उसे (मेरे लिंग को) अपने मुख के भीतर ले लें! उधर भौजी को शायद मुझे उकसाना था तभी तो वो सब कुछ धीरे-धीरे कर रहीं थीं! उन्होंने सर्वप्रथम अपने गीले होठों से मेरे लिंग के मुंड को छुआ, मुंड को छूने के दौरान भौजी ने अपनी लार से मेरे लिंग को गीला कर दिया| अब भौजी ने धीरे-धीरे अपने होठों को खोला और अपनी जीभ की नोक से मेरे मुंड के छिद्र को कुरेदने लगीं! भौजी की इस क्रिया से मुझे एक जोरदार करंट का आभास हुआ और मेरी हालत खरब होने लगी|
मैं: सससस....जान you’re killing me! ममम...ससस....!
मैं सीसियाते हुए बोला! मेरे जिस्म में उठा वो करंट कामोत्तेजना को निमंत्रण दे चूका था!
भौजी: ममम!
भौजी मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखते हुए बोलीं!
भौजी को मेरे जिस्म में मौजूद कामोत्तेजक जगह का पता लग गया था और अब वो मुझे भरपूर सुख देना चाहतीं थीं! अगले ही पल भौजी जितना अपना मुँह खोल सकतीं थीं उतना खोला और मेरा समूचा कामदण्ड अपने मुख में भरने का भरसक प्रयास करने लगीं, मगर फिर भी मेरा वो (मेरा लिंग) थोड़ा-बहुत बाहर रह ही गया! इतने सालों बाद आज भौजी का प्रथम प्रयास था, न उन्हें (भौजी को) deepthroat आता था और न ही मैं इतना kinky था! भौजी ने हार न मानते हुए 2-4 बार अपनी गर्दन को मेरे लिंग पर ऊपर-नीचे करते हुए पुनः कोशिश की लेकिन वो नाकामयाब रहीं, मगर उनकी इस कोशिश ने मुझे जो सुखद एहसास कराया था उसे एहसास ने मेरे जिम के रोएं खड़े कर दिए थे! जब भौजी ने मेरे कामदण्ड को अपने मुँह से निकाला तो मेरा लिंग भौजी की लार से सना हुआ चमक रहा था! मेरा वो (लिंग) इतना चमक रहा था की मैं उसे देख कर हैरान था, ऐसा लगता था की जैसे किसी ने aloevera gel से उसे सान दिया हो! मैं हैरान भोयें सिकोड़ कर भौजी को देखने लगा की आखिर भौजी ऐसा क्यों कर रहीं हैं?! भौजी मेरी हैरानी समझ गईं और आँखें झुकाते हुए लजा कर बोलीं;
भौजी: जानू, मैंने आपको बताया नहीं, आयुष जब पैदा हुआ था तो मैंने 'caesarian surgery' करवाई थी क्योंकि मैं चाहती थी की जब हम दुबारा मिलें तो आपको मेरी उसमें (योनि) वही एहसास (कसावट) हो जो पहले मिलता था! आज हम पाँच साल बाद यूँ मिले हैं और अब मेरी 'ये' (योनि) बहुत ज्यादा संकुंचा गई है क्योंकि मैंने इन पाँच सालों में मैंने कभी भी खुद को फारिग करने की नहीं सोची, हालांकि आपको याद कर-कर के मन तो बहुत किया लेकिन मेरा एक सपना था की मेरा 'रज' आपके 'रज' से मिले! लेकिन उस रात आपने मेरा ये सपना तोड़ दिया और मुझे अकेला छोड़ कर घर चले आये! इसलिए आज पाँच साल बाद मेरे लिए 'first time' जैसा है, आपका 'ये' (मेरा कामदण्ड) इतना बड़ा हो चूका है की मैं इसे झेल नहीं पाऊँगी, इसीलिए मैं 'इसे' (मेरे कामदण्ड को) चिकना कर रही हूँ!
भौजी की बात सुन कर मैं हैरान था, मैं जानता था की वो मुझसे कितना प्यार करती हैं मगर उन्होंने मेरे लिए इतना सोचा ये मेरी समझ से परे था!
कहते हैं जब सम्भोग के दौरान औरत खुल कर बोलती है तो मर्दों के लिए आनंद दुगना हो जाता है! भौजी ने भले ही हमारे यौनांगों को 'इसे', 'ये', 'वो' आदि कहा हो, परन्तु मेरे लिए तो ये भी कामोत्तेजक था! भौजी की बातें सुन कर, कुछ देर पहले उनके चेहरे पर आई चिंता की लकीरों का कारन समझ गया था! दरअसल भौजी को चिंता थी की मेरा कामदण्ड उनकी छुई-मुई की क्या गत करेगा?
मैं: समझा!
मैंने मुस्कुराते हुए कहा और भौजी को एकदम से अपने ऊपर खींच लिया, फिर मैंने करवट बदली और उन्हें अपने नीचे ले आया| भौजी की घबराहट उनके चेहरे से झलक रही थी, मगर साथ ही साथ उनके जिस्म में प्रेम की अगन भी दहक रही थी!
मैं: जान relax! मैं बहुत प्यार से 'करूँगा', ज़रा सी भी जबरदस्ती नहीं करूँगा! I'll be VERY cautious!
मैंने भौजी को निश्चिंत करते हुए कहा|
मैं: फिर भी अगर आपको लगता है की आप अभी 'उसके' लिए (सम्भोग के लिए) तैयार नहीं हो तो कल करते हैं!
मैंने भौजी को सताने के लिए कहा और उनके ऊपर से हटने का दिखावा करने लगा| मेरे ऊपर से हटने को सच मान कर भौजी डर गईं की कहीं आज भी हमारा मिलन अधूरा न रह जाए इसलिए वो तपाक से बोलीं;
भौजी: नहीं! जो करना है, आज ही करो! मुझे आप पर पूरा विश्वास है!
भौजी के इस तरह घबराजाने से मैं मुस्कुराने लगा और तब भौजी को मेरा छल समझ आया, साथ ही वो अपनी आतुरता पर हँसने लगीं!
मैं: Okay जान! I'll be gentle!
मैंने मुस्कुरा कर भौजी को फिर आश्वस्त किया|
अब समय आ गया था हमारे यौनांगों के मिलन का! मैंने अपने कामदण्ड को हाथ में थामा तो वो गुस्से से फुँफकारने लगा, मैंने अपने लिंग के मुंड को भौजी की योनि द्वार पर रख उसे सहलाना शुरू कर दिया| मेरी इस क्रिया की प्रतिक्रिया भौजी ने आँखें मीचते हुए अपने दोनों हाथों से कस कर पलंग पर बिछी चादर को अपनी मुट्ठी में भींचते हुए दी! इधर नीचे मेरे सहलाने के कारन भौजी की योनि ने एक लिसलिसे द्रव्य (precum) को बहाना शुरू कर दिया, वहीं मेरे छोटे भाईसाहब (लिंग) ने भी वैसा ही लिसलिसा (precum) द्रव्य बहाना शुरू कर दिया था| अब समय था 'भेदन' का, मैंने अपने कामदण्ड को भौजी की योनि पर रखा और बहुत धीरे-धीरे अपना कामदण्ड भौजी की योनि में भेदना शुरू किया!
अभी केवल मेरे लिंग का मुंड अंदर गया था मगर भौजी के जिस्म में दर्द की तेज लहर दौड़ चुकी थी! भौजी ने कस कर आँखें मीचे हुए अपने दोनों हाथ मेरी छाती पर रख मुझे आगे बढ़ने से रोक दिया! भौजी की योनि अंदर से काफी गर्म तथा गीली थी, उनकी योनि में कसावट इतनी थी की मेरे कामदण्ड को निगलकर उसका सारा रस निचोड़ ले! मुझे अपने कामदण्ड के इर्द-गिर्द कुछ गीला-गीला महसूस होने लगा था, शायद भौजी का स्खलन हुआ था! मैं उसी आसन में बिना हिले-डुले झुका रहा! मेरे मन में भौजी के 'श्वेत कबूतर' देखने की इच्छा पैदा हुई तो मैंने धीरे से अपने हाथ ले जा कर भौजी की ब्रा उतारनी चाहि, नजाने कब भौजी ने अपनी ब्रा का हुक खोल दिया था क्योंकि जैसे ही मैंने भौजी के कँधे के elastic band को सरकाया भौजी की ब्रा खिसकती हुई आधी खुल गई! मैंने भौजी की ब्रा निकाल दी और अपने सामने उन 'सफ़ेद बर्फ के गोलों' को निहारने लगा! ऐसा नहीं था की मैं उन्हें पहली बार देख रहा था, बल्कि जब भी उन्हीं देखता था तो हरबार मुझे वो आकर्षक दिखते थे! मुझे खुद को यूँ देखते हुए भौजी के स्तन शिकायत करने लगे; 'हमें इतना चाहते हो और हम ही से इतनी दूरी?' भौजी की स्तनों की शिकायत सुन मेरे मन ने उन्हें छूने की सोची, अगले ही पल मेरे दोनों हाथ उनकी (भौजी के स्तनों की) ओर चल पड़े| मेरे दाएँ हाथ ने भौजी का दायाँ स्तन और मेरे बाएँ हाथ ने भौजी का बाएँ स्तन को दबोच लिया! मैंने दोनों हाथों से भौजी के दोनों स्तनों का मर्दन किया, परन्तु अब होठों को उनका (भौजी के स्तनों का) स्वाद चखना था, इसलिए मैं भौजी के ऊपर कुछ इस तरह झुका की मेरा लिंग भौजी की योनि में अंदर न जाए!
इस समय मेरे मन में जोश इतना था की मैंने सबसे पहले भौजी के दाएँ स्तन पर हमला किया तथा अपने दाँत भौजी के स्तन पर गड़ा दिए! "आह..उम्म्म!" भौजी कराँहि! मुझे एहसास हुआ की भौजी की योनि पहले ही मेरे कामदण्ड के लिए खुद को समायोजित कर रही है उसपर मेरे इस तरह दाँत गड़ा देने से भौजी को बहुत दर्द हो रहा होगा इसलिए मैंने खुद पर काबू किया और धीरे से भौजी के चुचुक को अपने होठों में दबा कर चूसने तथा अपनी जीभ से चुभलाने लगा! मेरा इरादा था की भौजी के स्तनों पर हो रही चहलकदमी से भौजी की पीड़ा कम होने लगे ताकि मैं नीचे अपने कामदण्ड को कुछ अंदर ले जा सकूँ! मगर हुआ कुछ उल्टा ही, भौजी के लिए मेरे ये दोहरे हमले झेलपाना मुश्किल हो गया था! उनके माथे पर दर्द भरी शिकन नजर आने लगी, दरअसल भौजी के चुचुक को चूसने के समय मेरी उत्तेजना और बढ़ गई थी जिस कारन मेरा कामदण्ड फूलने लगा था जो भौजी की योनि को और फैलाता जा रहा था जिस करण भौजी को बहुत दर्द होने लगा था!
मैं: दर्द हो रहा है जान?
मैंने चिंतित होते हुए पुछा|
भौजी: नहीं....आपको पाने का सुख इस दर्द से बहुत बड़ा है! इतना दर्द तो मैं सह ही लूँगी!
भौजी दर्द भरी मुस्कान से बोलीं| भौजी की बात में प्रेम झलक रहा था और खुद पर गर्व भी की उन्होंने आज मुझे लगभग पा ही लिया है!
इधर मैं उलझन में था की आगे क्या करूँ? 'आगे बढ़ूँ या पीछे हट जाऊँ?!' मैंने कुछ कहानियों में पढ़ा था की अगर ऐसा कुछ हो तो क्या करें, मैंने आज वही ज्ञान यहाँ लड़ाने की सोची! मेरे लिंग ने भौजी की योनि में थोड़ी बहुत जगह बना ली थी, इसलिए जितना वो अंदर था मैंने उतना ही अंदर-बाहर करना शरू कर दिया| मुझे नहीं पता ये उपाए कितना कारगर था, पर इस उपाए के इलावा मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था! परन्तु ये उपाए कारगर सिद्द हुआ! मेरे इन छोटे-छोटे हमलों से भौजी को आनंद आने लगा था तथा उनका जिस्म उन्माद से भर उठा था! भौजी ने एकदम से मुझे छाती से जकड़ लिया और मेरी नंगी पीठ पर हाथ फिराते हुए बोलीं;
भौजी: जानू please थोड़ा और अंदर 'push' करो न!
भौजी के जिस्म में उठे उन्माद ने उनके दर्द को भुला दिया था और भौजी अब मेरे दूसरे प्रहार के लिए तैयार हो चुकी थीं|
मैं: पक्का?
मैंने थोड़ा हैरान होते हुए पुछा, क्योंकि मुझे यक़ीन नहीं हो रहा था की मेरा तुक्का fit हो चूका था!
भौजी: स्स्स्स्स...हाँ!
भौजी ने सीसियाते हुए अपनी स्वीकृतिति दी! मैंने धीरे-धीरे अपने कामदण्ड को भौजी की योनि के भीतर दबाना शुरू किया! जैसे-जैसे वो अंदर जा रहा था भौजी के चेहरे पर फिर से दर्द की लकीरें पड़ने लगी थीं| जब मेरा लिंग आधे से ज्यादा अंदर पहुँच गया तो भौजी से दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ, उनकी कमर से ऊपर का हिस्सा दर्द के मारे कमान की तरह तन गया! भौजी को यूँ दर्द में देख मैं जिस आसन में था उसी आसन में घबरा कर रुक गया! मैं फिरसे असमंजस की स्थिति में था, समझ नहीं आ रहा था की आगे बढ़ूँ या पीछे हटूं?! करीब मिनट भर बाद जब भौजी का शरीर ढीला हो कर पुनः सामन्य हुआ तब मेरी चिंता कुछ कम हुई! लेकिन ये क्या, भौजी तो भरभरा कर स्खलित हो गईं थीं और तेजी से साँस लेते हुए हाँफने लगी थीं!
मैं भौजी को सताना नहीं चाहता था इसलिए उनकी योनि में अपना कामदण्ड डाले हुए ही घुटने मोड़ कर बैठ गया| भौजी आँखें बंद किये हुए अपने चरमोत्कृष्ठ के नशे में चूर थीं, उन्हें यूँ स्खलन की थकान में देख मुझे आज खुद पर बहुत फक्र हो रहा था! मैंने आज बिना ज्यादा मेहनत किये भौजी को दो बार 'छका' दिया था, मेरी उत्तेजना पूरी तरह से मेरे काबू में थी और मुझे अपने इस कण्ट्रोल पर ग़ुमान होने लगा था! देखा जाए तो मैंने कोई तीर नहीं मारा था, मैं अभी तक 'टिका' हुआ था क्योंकि मैंने अभी तक जोश लगाया ही नहीं था, भौजी को हो रही पीड़ा के कारन मैं डर चूका था और जो थोड़ी-बहुत मेहनत मैंने की थी वो कुछ ख़ास नहीं थी!
कुछ पल बाद जब भौजी की सांसें नियंत्रित हुईं और उन्होंने अपनी आँखें खोलीं तब मैंने अपना लिंग उनकी योनि से निकला| भौजी के चेहरे पर थकान दिख रही थी और मुझे उन पर तरस आ रहा था, इसलिए मैं उठ कर उनकी बगल में लेट गया| पूरे कमरे में भौजी के योनि रस की महक गूँज रही थी जो मुझे बहकाये जा रही थी और मेरे छोटे साहब को बार-बार ठुमके मारने पर मजबूर कर रही थी!
वहीँ जैसे ही भौजी को अपने भीतर खालीपन का एहसास हुआ उन्होंने मुझे देखा और चिंतित होते हुए बोलीं;
भौजी: ये क्या, आप हट क्यों गए? आज मैं आपको relieve किये बिना जाने नहीं दूँगी|
भौजी की आवाज में मेरे लिए प्यार और गुस्सा दोनों झलक रहा था| उन्हें लग रहा था की मैं इस बार भी उन्हें संतुष्ट कर प्यासा रहने वाला हूँ! भौजी कभी स्वार्थी नहीं थीं, हम सम्भोग करें और मैं प्यासा रह जाऊँ ये उन्हीं नगवार था!
दो बार के स्खलन से भौजी कुछ थक गईं थीं मगर फिर भी वो उचक कर मेरे कामदण्ड पर बैठ गईं! हमारे यौनांगों का मिलन हुआ था मगर अभी मेरा कामदण्ड उनकी 'फूलकुमारी' के भीतर नहीं था! भौजी की फूलकुमारी से निकल रही आँच ने मेरे छोटे भाईसाहब को ललकारा था और मेरे छोटे भाईसाहब अपना दमखम दिखाने के लिए तैयार थे!
मैं: जान, I’m not going anywhere, in fact I'm gonna give you the best fuck of your lifetime. I was just giving you some time so you can recharge or you'll be exhausted for the grand finale!
मैंने खुसफुसाते हुए कहा| भले ही मेरे अंदर वासना की आग लगी हुई थी मगर मुझे भौजी का भी ख्याल था!
भौजी: You don’t care about my exhaustion जानू! I just want you inside me!
भौजी मुझे उकसाते हुए बोलीं! भौजी आगे की ओर झुकीं और मेरे कामदण्ड को अपने हाथों में लेते हुए अपनी 'सुकुमारी' (भौजी की योनि) के मुख से भिड़ाते हुए 'गचक' से सीधी बैठ गईं! मेरा लिंग सरसराते हुए भौजी की योनि में 'घुस' गया ओर सीधा उनके (भौजी के) गर्भाशय से जा टकराया! दर्द की तेज लहर भौजी के जिस्म में दौड़ गई और भौजी दर्द के मारे चिंहुँक उठीं; "आहहहह!...मममम!" भौजी की आँखों से आँसुओं की धारा बह निकली थी, वो अपनी आँखें बंद किये हुए बिना हिले-डुले, अपने होठों को दाँतों तले दबाये हुए अपने दर्द को दबाने में लगी थीं! वहीं दूसरी तरफ भौजी की सुकुमारी ने मेरे छोटे भाईसाहब के इर्द-गिर्द जो पकड़ बनाई थी उसने मुझे चरमोत्कर्ष की राह दिखा दी थी और मैं इस राह पर आँखें बंद किये हुए चल पड़ा था, इस बात से अनजान की मेरी प्रियतमा दर्द से तड़प रही है! मिनट भर तक जब भौजी ने कोई चहलकर्मी नहीं की तो मैंने आँखें खोलीं और भौजी को पीड़ा से जूझते हुए देख बोला;
मैं: See I told you to be careful!
मैंने भौजी की चिंता करते हुए कहा|
भौजी: Its okay जी!
भौजी मुस्कुराते हुए बोलीं, मगर उनकी इस मुस्कराहट में दर्द छुपा था!
भौजी ने अपनी हिम्मत बटोरी और धीरे-धीरे मेरे कामदण्ड की सवारी शुरू की! मेरी उत्तेजना भड़कने लगी थी इसलिए जैसे ही भौजी अपनी कमर ऊपर उठातीं मैं अपनी कमर नीचे खींच लेता, लेकिन जैसे ही भौजी अपनी कमर नीचे लातीं मैं अपनी कमर ऊपर उठा देता जिससे मेरा समूचा लिंग भौजी के गर्भाशय से जा टकराता! मुझे इसमें बहुत मज़ा आने लगा था, भौजी के गर्भाशय से लिंग टकराने का एहसास मेरे लिए आनंदमई था! भौजी की गति बहुत कम थी और मेरी उत्तेजना मुझ पर हावी होने लगी थी! मुझे अब कमान अपने हाथ में चाहिए थी ताकि मैं अपनी गति से चरमोत्कर्ष की राह पर जा सकूँ! मैंने भौजी को कमर से थामा और करवट लेते हुए उन्हें फिर से अपने नीचे ले आया! मैंने गति पकड़ी और अपनी पूरी ताक़त झोकने लगा! मेरी रफ़्तार के आगे भौजी का टिक पाना मुश्किल था क्योंकि इतने सालों बाद तो मेरे अंदर कामज्वर उठा था और आज रात इस ज्वर ने भौजी के फाक्ते उड़ाने थे! उधर भौजी की हालत खराब होने लगी थी, मेरी तेजी ने भौजी के मुख से सीत्कारें निकाल दी थीं; "स्स्स्स्स्स्स...अह्ह्ह्ह...सससस...आह्ह्ह्ह...म्म्म्म....ससस...जानू...प्लीज.....!" भौजी मेरी रफ़्तार का पूर्ण आनंद ले रहीं थीं और उनकी ये सीत्कारें मेरा जोश बढ़ा रहीं थीं! 5 मिनट के भीतर ही अपने जोश में बहते हुए मैं अपने चरमोत्कृष्ठ तक पहुँचने वाला था की तभी मैंने एकदम से break लगा दी! मेरा मन मुझे इतनी जल्दी स्खलन पर जाने से रोक रहा था, वो चाहता था की ये round और देर तक चले इसलिए मुझे खुद पर काबू करना था! मैंने 'Stop-Start' का तरीका अपनाया, जब भी मैं स्खलित होने वाला होता तो मैं एकदम रुक जाता, फिर जब मेरी कामोत्तेजना कम होने लगती तो मैं धीरे-धीरे फिर अपनी गति पकड़ने लगता!
मैं झुक कर भौजी के स्तनों को चूसते हुए अपनी कामोत्तेजना को शांत कर रहा था और भौजी अपने दाएँ हाथ की उँगलियाँ मेरे बालों में चला रहीं थीं, साफ़ था की उन्हें भी संतुष्टि मिल रही थी!
भौजी: स्स्स्स....जानू....आप....रूक क्यों ....गए?
भौजी अपनी साँसें दुरुस्त करते हुए बोलीं! दरअसल भौजी हैरान थीं की भला मैं क्यों अपनी गाडी 100 की स्पीड पर ला कर एकदम से रोक देता हूँ?!
मैं: Just want to extend this pleasure!
मैंने भौजी को आँख मारते हुए कहा, भौजी मेरा इशारा समझ गईं और मुस्कुराने लगीं!
मैं बड़े आराम से भौजी के दोनों श्वेत कबूतरों को अपनी मुठ्ठी से मींजता और उन्हें अपने होठों में भर कर जीभ से चुभलाता, लेकिन भौजी बेसब्र हो रहीं थीं क्योंकि वो मुझे स्खलित होते हुए देखना चाहतीं थीं, इसलिए भौजी ने नीचे से अपनी कमर उचकानी शुरू कर दी! मतलब भौजी चाहतीं थीं की मैं फिर से शुरू हो जाऊँ, मगर मेरे दिमाग में कुछ और ही खुराफात चल रही थी! मैं भौजी के कान में खुसफसाते हुए बोला;
मैं: Hold me tight!
भौजी ने फ़ौरन अपनी बाहों को मेरे गर्दन के इर्द-गिर्द कस लिया और अपनी टाँगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द lock कर लिया| मैंने कस कर भौजी की कमर को थामा और उन्हें खुद से चिपकाए हुए बिस्तर से उठा! भौजी मेरी खुराफात जान नहीं पाईं थीं इसलिए मुस्कुराते हुए हैरानी से मुझे टकटकी बांधे देख रहीं थीं! इधर भौजी को खुद से चिपकाए हुए मैं अपने कमरे के दरवाजे पर पहुँचा और भौजी की पीठ दरवाजे से सटा दी और तेजी से धक्के लगाने लगा! मेरे अंदर जैसे कोई जानवर जाग गया था जो बस अपने 'उपभोग' के बारे में सोच रहा था!
ठंडे फर्श की ठंडक मेरे पाँव के तलवे से होती हुई मेरे जिस्म में नै ऊर्जा फूँक रही थी, मेरा लिंग कहीं शिथिल न पड़ जाए इस डर से मैं भौजी पर कुछ ज्यादा ही ताक़त दिखाने लगा था! उधर भौजी मेरे और दरवाजे के बीच दबी हुई कराहना चाह रहीं थीं, मगर माँ या बच्चे न जाग जाएँ उस डर से अपनी कराह दबाने की जी-तोड़ कोशिश कर रहीं थीं! बीतते हर सेकन्ड के साथ मेरा खुद पर से काबू छूटने लगा था और मेरी गति बढ़ती जा रही थी! वहीं भौजी से अपनी कराह नहीं दबाई जा रही थी, मेरे हर तीव्र झटके से भौजी के मुख से "आहहहनन" की कराह निकल रही थी, मेरे कान भौजी की कराह नहीं सुन रहे थे या फिर मैं इसे भौजी को आ रहे आनंद का सूचक समझ रहा था! कराहते-कराहते भौजी अपने तीसरे चरमोत्कृष्ठ पर पहुँच गई थीं, मैं भी उनके पीछे-पीछे अपने स्खलन की ओर पहुँच चूका था लेकिन तभी भौजी अपने दाँत पीसते हुए बोलीं;
भौजी: I'mmmm cummming! आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह....स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स!!!!
भौजी का ये स्खलन बहुत तीव्र था और भौजी की साँस उखड़ने सी लगी थी! भौजी की हालत मुझे खस्ता लग रही थी और उस एक पल में मेरी सारी उत्तेजना काफूर हो गई! मुझे खुद पर क्रोध आने लगा की मैं कैसा प्रेमी हूँ जो अपनी परिणीता पर ऐसी बर्बरता दिखा रहा है! 'क्या सच में इतना बड़ा जानवर हूँ जो अपनी ही प्रेयसी को नोच खाने वाला था?' इस एक सवाल ने मेरा जोश ठंडा कर दिया! मुझे भौजी पर तरस और खुद पर बेहद क्रोध आ रहा था इसलिए मैंने भौजी को बड़े प्यार से सम्भाला और पुनः बिस्तर पर लिटा दिया| भौजी को लिटा कर जैसे ही मैं उनपर से हटने लगा, भौजी ने अपनी दोनों बाहों को मेरी गर्दन के पीछे ले जा कर मुझे जकड़ लिया!
भौजी: कहाँ...जा....रहे....हो....आप?
भौजी अपनी साँसों को नियंत्रित करते हुए बोलीं|
मैं: Yaar look at you…you’re completely exhausted!
मैंने भौजी की चिंता करते हुए कहा|
भौजी: But you haven't finished! And I’m not letting you slip away this time!
भौजी मेरी आँखों में देखते हुए बोलीं|
मैं: यार आप तीन बार...(स्खलित)...हो चुके हो...आप एक और बार बर्दाश्त नहीं कर पाओगे...बेहोश हो जाओगे!
मैंने अपनी चिंता जाहिर की|
भौजी: I don't care!! Finish what you started!
भौजी गुस्से में मुझे हुक्म देते हुए बोलीं|
मैं: Please...don't make me do this!
मैंने भौजी से विनती की तो भौजी पिघल गईं और मेरे आगे हाथ जोड़ते हुए रूँधे गले से बोलीं;
भौजी: I beg of you! I want you inside me!
ये कहते हुए भौजी की आँखें भर आईं थीं, लेकिन इससे पहले की भौजी की आँखें छलकती मैंने भौजी पर झुकते हुए उनके होठों पर जोरदार चुंबन जड़ दिया! मेरे चुंबन का जवाब देते हुए भौजी ने अपनी जीभ मेरे मुख के भीतर पहुँचा दी जिसे मैंने अपने दाँतों से पकड़ लिया और उसे चूसने लगा! मेरा ध्यान चुंबन पर ही केंद्रित था क्योंकि मैं भौजी को चैन की साँस लेने का समय देना चाहता था|
वहीं भौजी में बिलकुल ताकत नहीं बची थी, मगर फिर भी पता नहीं कैसे उन्होंने नीचे से अपनी कमर की थाप मेरे कामदण्ड पर शुरू कर दी! मैं भौजी का इशारा समझ गया और धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू कर दिया| मैंने अपने धक्कों की गति जान-बुझ के कम रखी ताकि भौजी थक न जाएँ, परन्तु मेरा लिंग को इस गति से संतुष्टि नहीं मिल रही थी! मेरी इस धीमी गति में भी भौजी की आह निकल रही थी;
भौजी: लगता है....(आह)....ससस...सारी रात...स्स्स्स्स्स्स.....यूँ ही आपके नीचे कटेगी.......मेरी...(आह)!
भौजी आँखें बंद किये हुए मुस्कुरा कर बोलीं! मैं भौजी का मतलब समझ गया था, अब मुझे मजबूरन अपनी तीव्रता बढ़ानी थी जिसका सीधा असर भौजी के पहले से थके जिस्म पर होने वाला था! मैंने अपनी गति बढ़ाई तो भौजी ने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया, उनमें अब जरा भी ताक़त नहीं बची थी की वो मेरा साथ दे पाएँ! मेरी तीव्रता के आगे भौजी का जिस्म अब बुरी तरह हिलने लगा था, मुझे जल्द से जल्द हमारा ये सम्भोग सम्पन्न करना था ताकि भौजी को आराम मिले| चरम पर पहुँचने का जोश मेरे दिमाग पर चढ़ने लगा था और मेरी कामोत्तेजना फिर से भड़क उठी थी! मेरा जोश इतना था की नीचे के हमले के साथ-साथ मैंने भौजी के ऊपरी जिस्म पर अपने दाँत गड़ाने शुरू कर दिए! सबसे पहले मेरी नजर भौजी की सुराहीदार गर्दन पर पड़ी, उसे देखते ही पता नहीं मेरे जिस्म में क्या बिजली कौंधी की मैंने उस (गर्दन) पर अपने Dracula जैसे पैने दाँत गड़ा दिए! "आहम्म्म!" भौजी कराहिं पर उनकी ये कराह मेरे लिए उत्तेजना साबित हुई, मैंने अपनी गति और तीव्र कर दी और सीधा भौजी के स्तनों पर हमला कर दिया! मैंने भौजी के दोनों चुचुकों को काट खाया, मेरे काटने से उतपन्न हुए दर्द के कारन भौजी तड़प उठीं मगर मुझ पर रत्ती भर फर्क नहीं पड़ा! भौजी के गोल-गोल, सफ़ेद-सफ़ेद स्तनों को देख मुझे फिर जोश आया और मैंने अपना पूरा मुँह खोल कर सारे दाँत उन (स्तनों) पर गड़ा दिए, भौजी कसमसा कर कराहती रहीं! भौजी का ऊपर का जिस्म जगह-जगह से मेरे काटने के कारण लाल हो चूका था!
20 मिनट की धक्कमपेल के बाद हम दोनों के जिस्म पसीने से तरबतर थे! भौजी अपने स्खलन पर पहुँच चुकीं थीं और उनसे अब बर्दाश्त कर पाना नामुमकिन था! भौजी ने तैश में आकर अपने नाखून मेरी नंगी पसीने से भीगी पीठ में गड़ा दिए तथा मुझसे कस कर चिपक गईं! भौजी के स्खलन ने उनके भीतर से सारी जान निकाल दी थी, परन्तु अपने स्खलन के अंतिम पड़ाव में भौजी ने कचकचा के अपने दाँत मेरे कंधे पर गड़ा दिए और बहुत जोर से काट खाया! "आह्हः!" मैं दर्द से बिलबिलाया! भौजी के काटने से उठे दर्द ने मुझे एकदम से चरम पर पहुँचा दिया और मैं भरभरा कर स्खलित होने लगा! मेरे जिस्म में मौजूद गाढ़ा-गाढ़ा लावा जो इतने सालों से अंडकोष रुपी safe deposit box में पड़ा था वो आज सूत समेत भौजी की योनि में भरने लगा था! मेरा 'जीवन सार' भौजी की फूलकुमारी के भीतर लबालब भर चूका था! मैं बहुत थक गया था इसलिए भौजी के ऊपर ही पसर गया!
अगले दस मिनट तक हम दोंनो इसी तरह पड़े रहे, मेरा कामदण्ड अब भी भौजी की योनि में किसी ‘बुच’ की तरह लगा हुआ था! जैसे मैं भौजी के ऊपर से हटा तो भौजी की योनि में से मेरा लिंग बहार आया और उसके साथ ही हम दोनों का कामरज बाहर की ओर रिसने लगा! मैंने भौजी को देखा तो वो आँखें बंद किये हुए थीं, उनकी हालत मुझे बहुत ज्यादा खस्ता लग रही थी! इतनी खस्ता की मैं अब उनके स्वास्थ्य को लेकर डरने लगा था!
वहीं मेरा पूरा कमरा हम दोनों के कामरस की महक से भरा हुआ था! मैंने side table पर पड़ी घडी उठा कर देखि तो उसमें सुबह के तीन बज रहे थे, मतलब माँ के उठने में बस दो घंटे रह गए थे! मैं सकपका कर खड़ा हुआ और भौजी की नाइटी ढूँढने लगा, नाइटी मिली तो मैंने भौजी को जगाना चाहा पर वो नहीं उठीं! मुझे लगा की थकावट के कारन वो गहरी नींद में होंगी इसलिए मैंने सोचा की मैं ही उन्हें नाइटी पहना देता हूँ! मैंने भौजी का हाथ पकड़ कर उन्हें बिठाया और बड़ी मुश्किल से नाइटी पहनाई क्योंकि भौजी का जिस्म किसी कटे हुए पेड़ की तरह बार-बार बिस्तर पर लुढ़क रहा था! फिर मैंने फटाफट अपने कपड़े पहने, मुझ में भौजी को ब्रा-पैंटी पहनाने का सब्र नहीं था, इसलिए केवल नाइटी पहना कर मैंने भौजी को गोद में उठाया और दबे पाँव उन्हें उनके कमरे में ले आया| मैंने बड़े ध्यान से भौजी को बिस्तर पर लिटाया और उनके ऊपर एक चादर डाल दी तथा भौजी की ब्रा-पैंटी मैंने पलंग के नीचे फेंक दी! मैंने भौजी के माथे को चूमा और अपने कमरे में जाने के लिए पलटा, नजाने क्यों मेरा मन उन्हें सोते हुए देखने का किया?! आज भौजी को पा कर मेरा मन अत्यधिक खुश था, ऐसे मिलन की तो मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी, शायद यही कारन था की मुझे भौजी पर बहुत प्यार आ रहा था! मैं कुछ देर के लिए रुक गया और दिवार का सहारा लेकर भौजी को सोते हुए निहारने लगा| मैं उम्मीद कर रहा था की वो करवट लें, मगर 10 मिनट के इंतजार के बाद भी उन्होंने कोई करवट नहीं बदली तो मुझे घबराहट होने लगी! दरअसल भौजी अपने अंतिम स्खलन के बाद बेहोश हो चुकी थीं और ये बात मुझे अब जा कर महसूस होने लगी थी! मैंने फटाफट भौजी की छाती से अपने कान भिड़ाये और उनके दिल की धड़कन सुनने लगा| भौजी का दिल सामान्य रफ़्तार से धड़क रहा था, मैंने खुद को समझाया की इतने जबरदस्त प्रेम मिलन के बाद भौजी थक गई होंगी, सुबह तक आराम करेंगी तो ठीक हो जाएँगी! यही कामने लिए की सुबह भौजी मेरे लिए चाय ले कर आएँगी, मैं अपने कमरे में लौट आया!
अपने कमरे में लौट कर जब मैंने लाइट जलाई तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया! पूरा पलंग अस्त-व्यस्त था, चादर गद्दे के चारों कोनो से निकली पड़ी थी, ठीक बीचों बीच भौजी की योनि से निकला खून तथा हम दोनों के स्खलन से निकला हुआ कामरज चादर से होता हुआ गद्दे को भिगा रहा था, और तो और मैं अभी दरवाजे के पास खड़ा था, वहाँ भी ज़मीन पर भौजी का कामरज फैला हुआ था! ये दृश्य देख कर मैंने अपना सर पीट लिया; 'ओ बहनचोद! ये क्या गदर मचाया तूने?!' मेरा दिमाग मुझे गरियाते हुए बोला! मैंने फटाफट कमरे की खिड़की खोली ताकि ताज़ी हवा आये और कमरे में मौजूद दो जिस्मों के मिलन की महक को अपने साथ बाहर ले जाए वरना सुबह अगर माँ कमरे में आतीं तो उन्हें सब पता चल जाता! फिर मैंने बिस्तर पर पड़ी चादर समेटी और उसी चादर से दरवाजे के पास वाली ज़मीन पर घिस कर वहाँ पड़ा हुआ भौजी का कामरज साफ़ किया! ये गन्दी चादर मैंने अपने बाथरूम में कोने में छुपा दी, फिर नई चादर पलंग पर बिछाई और मुँह-हाथ धो कर पलंग पर पसर गया! थकावट मुझ पर असर दिखाने लगी थी, पहले सम्भोग और उसके बाद सफाई के कारन मैं बहुत थक चूका था, इसलिए लेटते ही मेरी आँख लग गई! मगर चैन तो मेरी क़िस्मत में लिखा ही नहीं था सो सुबह अलग ही कोहराम मचा जब भौजी उठी ही नहीं!
जारी रहेगा भाग - 26 में...