Zamindar Boy
Zamindar Ji
- 19
- 112
- 28
Amazing update h manu bhai
wating next update
wating next update
Bahot shaandaar lajawab mazedaar update manu bhaiइक्कीसवाँ अध्याय: कोशिश नई शुरुआत की
भाग -7 (6)
अब तक आपने पढ़ा:
जैसे ही हम चलने को हुए तो करुणा बोली की उसे एक अच्छे angle पर मेरे अकेले की फोटो लेनी है जो मैं facebook पर डाल सकूँ| करुणा ने मुझसे 2-4 अच्छे pose बनवा कर पहले तो फोटो खींची, अंत में उसने मुझे शारुख खान की तरह हाथ फैला कर खड़ा होने को कहा| मुझे लगा की उससे अच्छी फोटो आएगी तो मैं वो pose ले कर खड़ा हो गया, ऐसे खड़ा होने से मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था और हँसी आ रही थी| तभी करुणा अचानक से मेरे नजदीक आई और कस कर अपनी बाहें मेरी पीठ के इर्द-गिर्द लपेट कर मेरे सीने से लग गई!
अब आगे:
"Thank you so much मिट्टू! आप मेरे लिए आज इतना सब किया, ताकि मैं वापस sad न हो जाऊँ! आप मेरा इतना ख्याल रखा, मुझे protect कर के रखा, मेरा इतना care किया, उसका लिए आपको बहुत सारा thank you!" करुणा भावुक हो कर बोली|
उसके मेरे गले लगते ही मेरा दिल बहुत जोर से धड़कने लगा, जिस दिल को भौजी ने तोड़ दिया था, जिस दिल से भौजी ने प्यार का आखरी कतरा तक निचोड़ लिया था आज फिर वही दिल जोर से धड़कने लगा था! इतने सालों में ये पहली बार था की भौजी के अलावा किसी पराई स्त्री ने मुझे इस तरह छुआ हो, ऐसी छुअन जो जिस्म पर नहीं बल्कि सीधा दिल को छू गई थी!
पर ये मन.....ये ससुरा किसी और को अपने करीब लाने से डरता था, घबराता था की; ‘अगर फिर दिल टूट गया तो क्या होगा? जिसे दिल से इतना चाहा, अपनी पत्नी माना जब उसने मुझे अपने जीवन से निकाल फेंका, तो करुणा को मैं जानता ही कितना हूँ? कल को उसकी नौकरी लग जायेगी तो कौन कहाँ मिलता है? फिर ये मत भूल की उम्र, धर्म, रंग और उसकी बेवकूफियाँ!’ मन की ये बेसर-पैर की बात सिर्फ और सिर्फ मुझे रोकने के लिए थीं ताकि मैं करुणा के प्यार न पड़ जाऊँ| दिमाग ने मन की बात सुनी और मेरे दिल को पकड़ कर बैठ गया ताकि वो करुणा के प्यार में न बह जाए, लेकिन मेरा दिल उस ओस की बूँद की तरह था जो ज़रा सा प्यार मिलते ही बह जाता था! दिमाग की लाख कोशिशों के बाद भी मेरे दोनों हाथ स्वतः ही चलने लगे और उन्होंने करुणा की पीठ के इर्द-गिर्द पकड़ बना ली| मेरे हाथों की गर्मी पा कर करुणा ने मुझे और कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया, इससे पहले की मैं कुछ बोलता करुणा ने एकदम से मुझे अपनी पकड़ से आजाद कर दिया| उसकी पकड़ छूटते ही मैंने भी अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ से हटा लिया|
करुणा के चेहरे पर पहले जैसी मुस्कान थी जिसे देख कर मेरे दिल को सुकून मिलता था|
मैं: Dear that was…unexpected!
मैंने बात शुरू करते हुए कहा|
करुणा: बस आज ऐसे ही....मन किया आपको hug करना!
करुणा शर्माते हुए बोली|
मैं: अगर पहले बता रे तो मैं अच्छे से hug करता!
मैंने करुणा को छेड़ते हुए कहा|
करुणा: मैं कोई भी काम बता कर नहीं करते!
करुणा ने गर्व से अपनी गर्दन ऊँची करते हुए कहा|
मैं: कहने से भी कौन सा काम करते हो आप?!
मैंने करुणा का मजाक उड़ाते हुए कहा, जिसे सुन करुणा प्यारभरे गुस्से से मुझे देखने लगी|
हम वापस ऑफिस पहुँचे और सीधा लाल सिंह जी के सामने खड़े हो गए, उन्होंने हमें बताया की भंवर लाल जी हम से मिलना चाहते हैं| उनका नाम सुनते ही करुणा डर गई, वो जान गई थी की भंवर लाल जी से उसे डाँट पड़ेगी| हम दोनों बारी-बारी से भंवर लाल जी के कमरे में घुसे और हमारे पीछे ही लाल सिंह जी घुसे जिन्होंने हमारी application भंवर लाल जी की ओर सरका दी| Application देखते ही उन्होंने हम दोनों को जम कर डाँट लगाई की हम कितने लापरवाह हैं की joining के letter को ठीक से पढ़ा तक नहीं! मैंने उनसे माफ़ी माँगी और उन्हीं विश्वास दिलाया की आगे उन्हें कोई शिकायत का मौका नहीं दूँगा| खैर उन्होंने हमारी application पर दस्तखत किये और हम वापस होटल पहुँचे| हमारी दिल्ली की बस रात 10 बजे की थी और उसकी बुकिंग अभी नहीं हो सकती थी, इसलिए हमें बस स्टैंड 8 बजे तक पहुँचना था, तब तक आराम करने के लिए हम होटल में ही रुके रहे| मैंने टीवी चालु किया और पीठ टिका कर पलंग पर बैठ गया, तभी करुणा ने अपने पर्स से पैसे निकाले और मुझे देने लगी| उसके पास इतने पैसे देख कर मुझे हैरानी हुई, जब मैंने उससे पुछा की ये कहाँ से आये तो उसने बताया की उसकी दीदी ने दिए थे ताकि अभी तक मैंने जो पैसे खर्च किये थे वो मुझे लौटाए जा सकें| दिल्ली से श्री विजयनगर तक की बस टिकट के पैसे मैंने दिए थे, फिर करुणा के दीदी और जीजा की वपसी की बस टिकट भी मैंने कराई थी| मैंने करुणा को सारा हिसाब लिख कर दिया और उतने ही पैसे लिए जितने खर्च हुए थे|
मैंने ध्यान दिया तो पाया की करुणा के पर्स में सब पैसे बिखरे हुए पड़े थे, इन कुछ सालों में मुझे अपनी चीजें arrange कर के रखने की आदत पड़ गई थी इसलिए जब मैंने करुणा के पर्स की ऐसी हालत देखि तो मुझे बड़ा अजीब लगा| मैंने करुणा का पर्स ठीक करने के लिए उससे उसका पर्स माँगा, पहले सारा पर्स खाली किया तो उसके पर्स में मुझे tooth pick से ले कर ear bud तक सब कुछ मिला! पहले तो मैं बहुत हँसा और मुझे यूँ अपना मजाक उड़ाते देख करुणा प्यार भरे गुस्से से मुझे देखने लगी, फिर मैंने सारे नोट सीधे कर के करुणा के पर्स में रखे तथा उसकी Hospital ID को मैंने सबसे आगे रखी ताकि जर्रूरत पड़ने पर वो उसे जल्दी से निकाल सके| अब समय था उसे एक जर्रूरी बात समझाने का;
मैं: Dear अब मैं आपको बहुत जर्रूरी सबक बताने जा रहा हूँ, ये सबक मैंने बहुत पहले सीखा था|
ये कहते हुए मैंने एक 500/- रुपये का नोट लिया और करुणा को दिखाते हुए उसके पर्स में सबसे पीछे रख दिया|
मैं: ये नोट आपकी emergency के लिए है, इसे सिर्फ और सिर्फ emergency में इस्तेमाल करना|
करुणा ने मेरी ये बात बड़े ध्यान से सुनी जो कम से कम कुछ दिनों के लिए तो उसके दिमाग में बैठी रही!
अभी शाम के बस 4 बजे थे और तबतक यहाँ बैठ कर बोर होने से अच्छा था की बाहर से कुछ shopping की जाए| हम दोनों बाहर घूमने निकले, इस पूरे दौरान करुणा मेरी दाहिनी हथेली थामे रही| हम एक दूकान में पहुँचे जहाँ जयपुरी रजाई बेचीं जाती थी, ऐसी रजाई जो सर्दी में गर्माहट देती थी और गर्मी में ठंडक! रजाई और ठंडक सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा पर वो रजाई वाक़ई में काम कर रही थी| करुणा को वहाँ नेहरू जैकेट दिखी और उसने वो मेरे लिए खरीदने की जिद्द पकड़ ली, मैंने बहुत कोशिश की उसे मना करने की पर वो नहीं मानी| अब दुकानदार को बेचना था माल तो उसने करुणा के साथ मुझ पर दबाव डालना शुरू कर दिया, जब मैं नहीं माना तो करुणा ने मुँह फुला लिया इसलिए मजबूरन मुझे जैकेट के लिए हाँ करनी पड़ी| मैंने भी करुणा के लिए एक रजाई ले ली ताकि joining के बाद उसे श्री विजयनगर में काम आ सके, यहाँ दिल्ली में तो उसकी दीदी का घर था पर वहाँ उसका ध्यान रखने वाला कोई नहीं था| इधर करुणा ने अपनी दीदी के लिए भी एक रजाई ले ली, सारा सामान ले कर हम होटल पहुँचे| थोड़ी देर आराम कर के, रात का खाना खा कर हम होटल से निकले और बस स्टैंड पहुँचे|
मैंने टिकट ली और हम बस में बैठ गए, बस AC चलने की वजह से बहुत ठंडी थी इसलिए करुणा ठंड से ठिठुरने लगी थी| उसने मेरे दाहिने हाथ को कस कर पकड़ लिया और उसी से लिपट गई| बस चल पड़ी और हेमशा की तरह करुणा चैन से सो गई, सुबह 4 बजे तक तो वो चैन से सोइ| लेकिन सवा चार बजे वो उठ गई और दबी हुई आवाज में से बोली; "मिट्टू...मेरा तबियत ठीक नहीं....मेरे को vomiting वाला फीलिंग हो रे!" करुणा की बात सुन कर मैं घबरा गया और सबसे पहले पॉलीथीन ढूँढने लगा| मैं हमेशा अपने बैग में extra पॉलीथीन रखता था, मैंने वो पॉलिथीन निकाल कर रेडी रखी ताकि अगर करुणा को जर्रूरत पड़े तो वो इस पॉलीथीन में उलटी कर सके| करुणा मेरे दाहिने कँधे पर सर रख कर सो गई और इधर मैं मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगा की करुणा को उलटी न आये| भगवान का शुक्र है की करुणा को उलटी नहीं आई और हम सही-सलामत दिल्ली पहुँच गए| करुणा की तबियत अब भी खराब थी इसलिए मैंने जल्दी से कैब बुलाई और ड्राइवर को जल्दी चलने को कहा| कैब ड्राइवर ने गाडी ऐसी भगाई की बिना किसी भी सिग्नल पर रुके हम सीधा करुणा के घर पहुँचे|
करुणा का सारा सामान उसके घर के दरवाजे के बाहर रख कर मैं वापस जाने लगा तो करुणा ने मुझे रोक लिया और जबरदस्ती मुझे अंदर आने को कहा| इतने में करुणा का जीजा आ गया और उसने मुझे अंदर आने को कहा| जूते उतार कर मैं अंदर पहुँचा और ऐसे नाटक किया जैसे मैं यहाँ पहलीबार आया हूँ, करुणा मेरी जबरदस्त एक्टिंग देख कर बहुत खुश हुई तथा उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई| सुबह-सुबह का समय था और करुणा का जीजा नाश्ता बना रहा था, उसने मुझे हाथ-मुँह धो कर बैठने को कहा| मैं हाथ-मुँह धो कर जैसे ही बैठक में बैठा की इतने में एंजेल उठ कर मेरे पास आ गई, मुझे देखते ही वो मुस्कुराने लगी और दौड़ कर मेरे पास आ गई| मैंने पहले तो उसे अपने गले लगाया और फिर अपनी गोद में बिठा लिया, एंजेल ने सामने टेबल पर पड़ा पेन देखा तो इशारे से मुझे उसे उठाने को कहा| मैं जान गया की उसे परसों वाला खेल खेलना है, इसलिए मैंने पेन और पेपर दोनों उठाये और एंजेल का हाथ पकड़ कर उसका नाम पेन से लिखवाने लगा| अपना नाम लिखे जाने से एंजेल बहुत खुश थी और चहक रही थी| फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसकी मौसी करुणा का नाम लिखवाया और उसे इशारे से समझाने लगा की ये उसकी मौसी का नाम है| तभी करुणा fresh होकर आ गई और हम दोनों को हँसते हुए देख कर वो भी हँसने लगी, मैंने करुणा को वो कागज दिखाया जिसमें मैंने एंजेल से दोनों का नाम लिखवाया था| करुणा ने एंजेल को मलयालम में समझाया की ये उन दोनों का नाम है, इतने में करुणा का जीजा नाश्ता परोस लाया तथा उसने भी पेपर पर लिखा दोनों का नाम पढ़ लिया| उसने मुस्कुराते हुए अपनी बेटी से मलयालम में पुछा की ये नाम उसने लिखे हैं तो एंजेल ने मेरी तरफ इशारा कर दिया की ये नाम मैंने लिखवाये हैं| "अरे वाह!" करुणा का जीजा मेरी तारीफ करते हुए बोला|
करुणा ने एंजेल को अपनी गोदी में लिया और मुझे नाश्ता करने को कहा, मैंने करुणा की तबियत के बारे में पुछा तो उसने बताया की उसे अभी थोड़ा आराम है| करुणा की तबियत के बारे में सुन कर उसके जीजा ने भी थोड़ी हमदर्दी जताई और मुझे बताया की करुणा शारीरिक तौर पर कमजोर है| खैर मैंने अपना ध्यान खाने में लगाया, नाश्ते में करुणा के जीजा ने रोटी सब्जी बनाई थी जो बहुत स्वाद थी| ‘आवाज चाहे जैसी हो, पर खाना बहुत स्वाद बनाता है!’ मैं मन ही मन बोला| तभी करुणा का जीजा मेरे लिए चाय ले आया और मुझसे पूछने लगा की नाश्ता कैसा है, मैंने भी उसकी अच्छी-खासी तारीफ कर दी जिसे सुन वो बहुत खुश हुआ|
नाश्ता कर के मैं अपने घर पहुँचा, माँ-पिताजी का आशीर्वाद ले कर मैं नाहा-धो कर तैयार हुआ| माँ ने ऑडिट के बारे में पुछा तो मैंने संक्षेप में जवाब दे दिया क्योंकि उनसे ज्यादा झूठ बोलने का मन नहीं था| इधर पिताजी ने बात शुरू कर दी और मुझे बताया की गट्टू की शादी तय हो गई है और अगले महीने ही शादी है| इस शादी के रिश्ते के बारे में पिताजी को कोई खबर नहीं की गई थी, उन्हें तो केवल फ़ोन कर के तरीक बताई गई थी| शादी का नाम सुन कर मैं समझ गया की पिताजी गाँव जाने के लिए कहेंगे, मुझे हो गई थी गाँव जाने से नफरत क्योंकि मुझे भौजी का चेहरा नहीं देखना था|
मैं: मैं नहीं जाऊँगा, आप दोनों चले जाइये!
मैंने गुस्से में सच तो बोल दिया पर अब मुझे अपने गुस्से और सच को छुपाने के लिए बहना मरना था वरना पिताजी इस सच को कुरेदना शुरू कर देते|
मैं: मेरी कुछ दिल्ली की ऑडिट हैं और फिर साइट का काम भी निपटाना है ताकि आप जिस बड़े प्रोजेक्ट के बारे में बता रहे थे वो आराम से शुरू हो सके|
कुछ सेकण्ड्स में इतना बढ़िया बहाना बनाने के लिए मैंने अपने दिमाग को शाबाशी दी पर इसका कोई फायदा नहीं हुआ, उल्टा डाँट और सुननी पड़ी;
पिताजी: तुझे बड़ी चिंता है साइट की? कभी आता भी है साइट पर?
पिताजी के गुस्से को देख माँ को ही बीच-बचाव के लिए उतरना पड़ा;
माँ: अजी ये इसलिए नहीं जाना चाहता क्योंकि वहाँ न तो लाइट-पँखा है और न ही इसका इंटरनेट!
माँ की बात सुन पिताजी शांत होने के बजाए मुझि पर बरस पड़े और मुझे तकनीक आने से पहले जीवन जीने पर अच्छा खासा ज्ञान दे मारा! वो तो शुक्र है की माँ थीं, इसलिए किसी तरह से उन्होंने पिताजी को बातों में लगा कर मुझे बचा लिया वरना पिताजी बहुत झाड़ते!
खैर मैं दुबारा नाश्ता कर के पिताजी के साथ निकला, दिनभर काम संभाला और फिर शाम को दिषु से मिलना है बोल कर गोल हो गया| जब करुणा से मिला तो उसने बताया की उसकी बहन ने उसके पूरे गाँव भर में मेरे चर्चे कर दिए हैं, उसके परिवार में सब मेरे नाम से परिचित हो गए हैं और करुणा की माँ ने तो यहाँ तक कह दिया की करुणा मुझसे शादी कर ले! शादी की बात सुन कर मैं ऐसे डरा मानो मैंने कोई भूत देख लिया हो! इधर करुणा को मेरी टांग खींचने का मौका मिल गया, वो हँसते हुए मुझसे बोली;
करुणा: मिट्टू, आप मेरे को कल्याणम (शादी) करते!
उसका सवाल सुन मेरे मुँह से सीधा न निकला;
मैं: नहीं!
ये सुन कर करुणा प्यार भरा गुस्सा दिखाते हुए मुँह बनाने लगी और बोली;
करुणा: क्यों?
उसका क्यों सुन कर मुझे होश आया, दरअसल मेरे दिल को भले ही प्यार की जर्रूरत थी पर वो सिवाए भौजी के किसी और के पास नहीं जाना चाहता था| इतने साल बाद भी उसे बस भौजी का इंतजार था, उधर मुझे करुणा के सवाल का जवाब देना था तो मैंने थोड़ा मजाक करते हुए करुणा को उसकी गलती से अवगत कराया;
मैं: आपका भरोसा नहीं, सुहागरात में आप बोलो; 'I still love my Ex!’
ये सुन करुणा के चेहरे पर प्यार भरा गुस्सा आ गया और उसने प्यार से मेरे बाएँ बाजू पर घूसा मारा!
असल में करुणा के मन में मेरे लिए बस दोस्तों वाला प्यार था, उसने कभी मुझसे न तो प्यार किया और न ही कभी मुझसे उस प्यार की उम्मीद की थी| मेरा मन भी मुझे करुणा के प्यार में पड़ने से रोक रहा था, उससे प्यार न करने की मेरे पास बहुत सी वजहें थीं और मेरे लिए वो सब वजहें काफी थीं|
खैर 2-4 दिन निकले और मैं उम्मीद करने लगा की करुणा के कागज़-पत्तर बन रहे होंगे इसलिए मैं खामोश बैठा था, पर पाँचवें दिन उसने बताया की उसकी दीदी उसकी कोई भी मदद नहीं कर रही| अब मुझे ही आगे बढ़ कर जिम्मेदारी उठानी पड़ी, मैंने उसे कहा की वो अपनी माँ से कहे की वो उसका मूल निवास पत्र बनवा दें बाकी के सारे कागज़ मैं यहीं बनवा देता हूँ| करुणा ने अपनी माँ को फ़ोन कर के अपने मूल निवास पत्र बनवाने के काम पर लगा दिया, इधर मैं करुणा को ले कर एक stamp paper वाले के पास पहुँचा और सबसे पहले उसका affidavit बनवाया|
मैंने करुणा से कहा की वो अपने हॉस्पिटल में पूछे की वहाँ किसी की जान पहचान का कोई सरकारी डॉक्टर है, जो उसका medical certificate बना दे? करुणा ने अपने हॉस्पिटल में कुछ डॉक्टरों से इस बारे में पुछा तो एक की जान पहचान निकल आई और उसने सोमवार को करुणा को अपने दवाखाने बुलाया| वहीं मैंने करुणा की police verification का पता किया, तो पता चला की उसके लिए हमें करुणा के घर के नजदीकी पुलिस स्टेशन जाना होगा| मैं करुणा को ले कर उसी शाम को पुलिस स्टेशन पहुँचा, आज से पहले मैं कभी पुलिस स्टेशन नहीं गया था इसलिए अंदर जाने से थोड़ा डर लग रहा था, करुणा का भी यही हाल था पर जिम्मेदारी मेरे सर थी तो हिम्मत मुझे ही दिखानी थी| हम दोनों पुलिस स्टेशन में घुसे तो पता चला की हम गलत पुलिस स्टेशन में आये हैं, पुलिस वेरिफिकेशन के लिए दूसरा ओफिस है| क्योंकि देर हो रही थी तो हम वहाँ से बाहर आ गए और दूसरे ऑफिस जाने का काम अगले दिन के लिए रखा|
करुणा: आपका साथ रहते हुए देखो मैं पुलिस स्टेशन भी आ गया!
करुणा मुस्कुराते हुए मुझे छेड़ने लगी|
मैं: मैंने बोला ता मेरे साथ रहने को!
मैंने करुणा की बात का उसी के अंदाज में जवाब दिया तो वो प्यार भरे गुस्से से मुझे देखने लगी|
अगले दिन हम दूसरे पुलिस स्टेशन पहुँचे और पुलिस वेरिफिकेशन के बारे में पुछा तो उन्होंने हमें एक फॉर्म दे दिया, मैं वहीं करुणा को ले कर बैठ गया तथा फॉर्म पढ़ने लगा ताकि अगर कुछ पूछना हो तो अभी पूछ लिया जाए| उस फॉर्म में हमें करुणा के आधार कार्ड की कॉपी लगानी थी, इतने साल रहने के बाद करुणा के पास सिवाए उसके हॉस्पिटल की ID के अलावा और कुछ नहीं था! गुस्सा तो बहुत आया पर करुणा को डाँट कर क्या होता, गलती उसकी और उसकी बहन दोनों की थी जो एक नंबर के लापरवाह थे| मैंने करुणा से दो दिन का समय माँगा ताकि मैं कोई जुगाड़ बिठा सकूँ, कुछ पूछ-ताछ के बाद एक जगह का पता चला जहाँ आधार कार्ड बना कर हाथों हाथ दिए जाते थे| मैंने करुणा से कहा की अगले दिन हमें 11 बजे आधार कार्ड बनवाने जाना होगा तथा वो मुझे आधे रास्ते में मिलेगी|
लेकिन अगले दिन काण्ड हो गया, सुबह-सुबह ही करुणा की उसकी बहन से मुझे ले कर बहुत लड़ाई हो गई! मैं सुबह साइट पर था जब मुझे एक अनजान नंबर से फ़ोन आया, मैंने कॉल उठाया तो एक डॉक्टर की आवाज आई जिसने मुझे बताया की करुणा जब से आई है तब से रोये जा रही है, उस ने मुझे करुणा का ध्यान रखने के लिए बुलाया| करुणा के रोने की बात सुन कर मैं अचभित हुआ और पिताजी से दिषु के ऑफिस जा रहा हूँ बोल कर निकल लिया| मैंने करुणा को कई बार कॉल किया पर उसका फ़ोन बीजी आ रहा था, मुझे उसकी बहुत चिंता हो रही थी इसलिए मैंने ऑटो किया और सीधा उसके हॉस्पिटल पहुँचा| हॉस्पिटल के बाहर से मैंने करुणा को फिर फ़ोन किया ताकि उसे कह सकूँ की वो बाहर आये पर उसका कॉल अब भी बीजी था, हारकर मैंने उसी डॉक्टर को फ़ोन मिलाया और उनसे करुणा को नीचे भेजने को कहा पर वो बोले की करुणा रोते हुए किसी से बात कर रही है इसलिए मुझे ही ऊपर आना होगा| मैं nursing room में पहुँचा तो करुणा की हालत देख कर दंग रह गया, रो-रो कर बेचारी का हाल बुरा था! मुझे देखते ही उसने इशारे से 2 मिनट रुकने को कहा, अपनी बात निपटा कर वो और रोने लगी| मैं उसे सांत्वना देने उसके नजदीक पहुँचा तो करुणा उठी और एकदम से मेरे गले लग गई तथा और जोर से रोने लगी| मैं करुणा की पीठ सहलाते हुए उसे शांत करने लगा की तभी करुणा की साथ nurses आ गईं और उन्होंने आपस में बात करना शुरू कर दिया;
नर्स: मिट्टू इतना decent man है और इसका बहन ऐसा बोलते!
ये सुन कर मैं जान गया की मेरे कारण ही दोनों बहनों में लड़ाई हुई है, पर आखिर कहा क्या करुणा की बहन ने?
मैं: चलो, आधार कार्ड बनवाना है|
मैंने बात शुरू करते हुए कहा, ताकि करुणा को हॉस्पिटल से बाहर लाऊँ और विस्तार से बात पूछ सकूँ, पर करुणा का मन अब फट चूका था;
करुणा: नहीं, मैं कुछ नहीं बनवाते!
करुणा गुस्से से बोली| मैं उसे समझना चाहता था, पर उसके लिए न तो ये सही जगह थी और न ही सही वक़्त था|
मैं: ठीक है, चलो कुछ खा कर आते हैं|
करुणा मेरा मतलब समझ गई और अपनी साथी नर्स को बोल कर मेरे साथ चल पड़ी|
मैं जनता था की करुणा ने सुबह से कुछ नहीं खाया होगा इसलिए मैंने बाहर से एक choco pie ली और उसे खाने को दी, उसने बहुत न नुकुर की पर मैंने जबरदस्ती उसे खाने को कहा| मैंने आधार कार्ड बनवाने जाने के लिए ऑटो किया, करुणा ने जाने से मना किया तो मैंने उसे समझाते हुए कहा;
मैं: Dear अपनी दीदी की साथ हुई लड़ाई की वजह से अपनी जिंदगी खराब मत करो, वो तो चाहती ही है की आप उसके घर में नौकरानी की तरह पड़ी रहो और घर के काम करती रहो!
मेरी बात करुणा के दिमाग में घुसी तो वो शांत हो गई, ऑटो में बैठते ही करुणा ने हमेशा की तरह अपना सर मेरे कँधे पर रख दिया तथा मेरे दाएँ हाथ को अपने दोनों हाथों से थाम लिया| शायद मेरे करीब आने से उसके दिल को चैन मिलता होगा!
हम आधार कार्ड बनने वाली जगह पहुँचे तो वहाँ बहुत बड़ी कतार थी, मैंने जिनसे इस जगह का पता लिया था उन्हीं के नाम को ले कर मैं सबसे आगे पहुँचा| वहाँ एक लड़का कंप्यूटर के सामने बैठा था, उसने मुझसे applicant का address proof माँगा| जैसे ही मैंने करुणा की ओर देखा तो उसने मुझे 1 स्टाम्प पेपर देते हुए कहा;
करुणा: ये मेरा दीदी का rent agreement का कॉपी है, इसमें मैं witness है!
मैं पहले तो आँखें फाड़े देखता रहा की आखिर ये किस तरह का address proof है? इधर कंप्यूटर के सामने बैठे लड़के ने मुझसे दुबारा address proof माँगा तो मैंने वही rent agreement की कॉपी उस लड़के को दे दी| फिर मैंने शर्मिंदा होते हुए उसे खुद बताया की आखरी पन्ने में witness के दस्तखत जिसके हैं वही applicant है| कागज देख के उसने साफ़ कह दिया की ये कागज नहीं चलेगा तो मैंने उसे समझना शुरु कर दिया;
मैं: भैया दरअसल ये Lessee की ही बहन हैं और उसी के साथ पिछले 5 साल से रहती है|
तब जा कर वो लड़का माना और उसने अपने कंप्यूटर पर करुणा का सारा ब्यौरा उससे पूछ-पूछ कर भरा, उसके बाद उसने करुणा के fingerprints scan करवाए, फिर उसका retinal scan हुआ और अब बारी आई करुणा की तस्वीर खींचने की| एक तो वो बेकार से कैमरा और उस पर करुणा का जो सुबह से रो-रो कर बुरा हाल था उसके कारन उसकी सूरत एकदम बिगड़ी हुई थी| जब वो लड़का करुणा की तस्वीर ले रहा था तो मैंने करुणा को मुस्कुराने का इशारा किया पर करुणा ने मेरे उस इशारे देखा ही नहीं, जिस कारन उसकी इतनी गन्दी तस्वीर आई की मानो वो किसी का मातम मना रही हो!
उस लड़के ने करुणा का ऑनलाइन फॉर्म भर के जमा कर दिया तथा हमें कल आधार कार्ड लेने आने को कहा, मैंने उसे पैसे दिए और करुणा को ले कर बाहर आ गया| दोपहर होने को आई थी और हम दोनों ही भूखे थे, मैंने करुणा से प्यार से पुछा की वो क्या खायेगी तो वो किसी बच्चे की तरह बुदबुदाते हुए बोली;
करुणा: छोला-भटूरा!
आलू के परांठें के बाद अगर करुणा को कुछ पसंद था तो वो थे छोले-भठूरे और इसके बाद राजमा चावल! भले ही वो दक्षिण भारत से थी पर उसकी पसंद केवल उत्तर प्रदेश के व्यंजन थे! मैं करुणा को अभी तक नेहरू प्लेस, लाजपत नगर के छोले-भठूरे खिलाये थे जो उसे बहुत पसंद थे, पर इन दोनों जगह में बैठ कर खाने का प्रबंध नहीं था, इसलिए मैं करुणा को ऐसे रेस्टुरेंट में लाया जहाँ बैठ कर खान खा सकते थे| हम रेस्टुरेंट पहुँचे और मैंने दो प्लेट छोले भठूरे का आर्डर दे दिया| वेटर खाने का आर्डर ले कर गया तो करुणा ने मुझसे बात शुरू की;
करुणा: आपको पता मेरा दीदी से लड़ाई क्यों हुआ?
करुणा ने मुझसे सवाल किया, जिसके जवाब में मैंने न में सर हिलाया|
करुणा: वो मुझे बहुत गन्दा-गन्दा बोल रा ता! वो बोलते की मैं किस-किस के साथ, कहाँ-कहाँ सो रे और उसका घर गंदा कर रे! वो बोला की मैं और आप एक साथ......सेक्स....किया!
करुणा ने सिसकते हुए कहा| उसकी बात सुन कर मुझे बहुत गुस्सा आया, उसकी दीदी मुझसे मिली थी, मेरे घर वालों को जानती थी और उसके बाद भी उसने मुझ पर इतना गन्दा इल्जाम लगाया! अगर वो मुझे नहीं जानती, मेरे घर वालों से नहीं मिली होती और तब वो ये कहती तो मैं समझ सकता की एक अनजान पर कोई कैसे भरोसा करे पर मेरे से मिलने के बाद वो मुझ पर ऐसा आरोप कैसे लगा सकती थीं?!
मैं: Dear I’m sorry to say this but आपकी दीदी का दिल बहुत गन्दा है, तभी न वो आप पर भरोसा करती हैं और न ही मुझ पर! वो मुझसे मिलीं थीं, तकरीबन एक पूरा दिन हमारे साथ थीं और उस पूरे दिन में मैंने जरा भी अजीब व्यवहार नहीं किया! लेकिन मुझे उनसे कोई बैर नहीं, बुरा लग रहा है तो इस बात का की वो आपको, अपनी सगी बहन को ऐसा कैसे कह सकती हैं?
मैंने करुणा को होंसला देना शुरू किया की वो इस बात को दिल से न लगाए और जल्द से जल्द अपनी मम्मा से अपना मूल निवास पत्र बनवाये ताकि वो यहाँ से जल्दी से जल्दी निकले| यहाँ से दूर रह कर वो खुश रहेगी वरना उसकी दीदी उसे ताने मार-मार के उसका जीना हराम कर देगी! करुणा का मन शांत करवा कर मैंने उसे खाना खिलाया और उसे उसके हॉस्पिटल छोड़ा| आज शाम को मिलना नहीं था क्योंकि आधा दिन मैं उसी के साथ था, हमारी अगली मुलाक़ात कल होनी थी|
अगले दिन मैं करुणा के साथ आधार कार्ड लेने पहुँचा, उस लड़के ने पुछा की हम print out लेंगे या प्लास्टिक के कार्ड पर लैमिनेट करवाना चाहेंगे? मैंने उसे कहा की वो प्लास्टिक के कार्ड पर लैमिनेट कर दे, जब उस लड़के ने करुणा का आधार कार्ड प्लास्टिक पर लैमिनेट कर के दिया तो करुणा के चेहरे पर मुस्कान आ गई, पर जैसे ही उसने आधार कार्ड में अपनी फोटो देखि तो वो छोटे बच्चे की तरह मुँह बना कर रोने लगी!
करुणा: मिट्टू....मेरा...फोटो...इतना गन्दा क्यों आते?! मैं काले है इसलिए न?!
करुणा के बच्चे की तरह रोने से पहले तो मुझे हँसी आई और मैंने हँसते हुए उसे कल का दिन याद दिलाया;
मैं: कल मैंने आपको कितने इशारे किये की smile करो, पर आपने सुना ही नहीं तो ऐसी तस्वीर आनी ही थी!
खैर हँसी मजाक खत्म हुआ तो मैं उसे ले कर पुलिस स्टेशन आया जहाँ हमने उसके आधार कार्ड की कॉपी लगाई, पर अब हमें चाहिए थी दो पासपोर्ट साइज फोटो जो की करुणा के पास नहीं थीं! मुझे अब करुणा की इस लापरवाही की आदत पड़ गई थी, मैं जान गया था की उसका कुछ नहीं हो सकता और जबतक मैं साथ हूँ मुझे ही सब देखना होगा| मैं उसे ले कर एक फोटोग्राफर के पास पहुँचा और करुणा को बालों का बन बनाने को कहा ताकि उसकी सूंदर और लम्बी गर्दन अच्छे से दिखे| फिर फोटोग्राफर ने उसकी एक ढंग की फोटो निकाली, फोटो कंप्यूटर में transfer कर के मुझे खुद फोटो ग्राफर के साथ बैठना पड़ा और करुणा के चेहरे को ठीक करवाना पड़ा| जब फोटोग्राफर ने फोटो print की तो अपनी ये तस्वीर देख कर करुणा बहुत खुश हुई,
करुणा: ये फोटो तो मैं frame करवा के रखते!
तब उसका ध्यान उसकी लम्बी गर्दन पर गया जिसे देख वो बोली;
करुणा: मिट्टू...मेरा neck देखा...wow.... इसलिए आप मेरे को bun बनाने को बोला न?!
मैंने मुस्कुरा कर हाँ में सर हिलाया|
करुणा: मैं इतना fair है क्या?
मैंने फोटोग्राफर के साथ बैठ कर करुणा के skin tone को थोड़ा fair किया था जिसे देख कर करुणा थोड़ा हैरान थी|
मैं: Face wash करके थोड़ा makeup करोगे तो ऐसे ही दिखोगे|
करुणा: सच मिट्टू?
मैंने हाँ में सर हिला कर कहा|
खैर हमने पुलिस स्टेशन लौट कर पुलिस वेरफिकेशन का फॉर्म जमा किया, हमें ये बताया गया की पुलिस वेरिफिकेशन का सर्टिफिकेट ऑनलाइन generate होगा जिसे हम 2-3 दिन बाद download कर सकते हैं| अब बस करुणा का मेडिकल सर्टिफिकेट बनाना रह गया था जो पिछले कुछ दिनों से डॉक्टर के पास समय न होने से टल रहा था! सुबह-सुबह करुणा का फ़ोन आया और उसने बताया की medical certificate के लिए आज जाना है| मुझे सुबह से ही बहुत छींकें आ रहीं थीं पर मैं फिर भी मैं करुणा से मिलने पहुँचा, जब उसने मेरी बुरी हालत देखि तो बहुत चिंता करने लगी| करुणा ने बहुत कहा की वो मुझे घर छोड़ देगी ताकि मैं आराम करूँ पर मैं जिद्द पर अड़ गया की आज कैसे भी उसका ये medical certificate का काम पूरा करना है|हम एक सरकारी दवाखाने पहुँचे, करुणा का medical certificate पहले से ही तैयार रखा था, डॉक्टर ने करुणा से थोड़ी बातें की और इस बीच मैं बाहर खड़ा रहा| चूँकि छींकों से मेरा हाल बुरा था तो करुणा ने डॉक्टर को मुझे चेक करने को कहा और मुझे अंदर बुलाया, वो मुझे चेक करते उससे पहले ही मैं बोल पड़ा;
मैं: Thank you sir! पर मैं पहले ही दवाई ले रहा हूँ!
मैंने हाथ जोड़ कर उनसे निवेदन किया| डॉक्टर ने मुझे आराम करने को कहा और फिर हम दोनों वहाँ से निकल लिए|
दवाखाने से main सड़क कुछ दूर थी तो हम पैदल चल पड़े, पैदल चलने से जिस्म में गर्मी आई और मेरी छींकें बंद हो गई| लंच का समय हो चूका था और पास ही में एक पार्क था तो करुणा मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वहाँ ले गई| दोपहर का समय था और पार्क पूरा खाली था, पेड़ की छौँ तले हम दोनों एक बेंच पर बैठ गए| करुणा ने अपना बैग खोला और उसमें से एक टिफ़िन निकाला, टिफ़िन खुलते ही मुझे इडली नजर आई! इडली देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया और मैंने खाने के लिए हाथ बढ़ाया, तभी करुणा ने टिफ़िन पीछे खींच लिया और बोली;
करुणा: मैं खिलाते!
ये कहते हुए उसने इडली को साम्बार में डूबा कर मेरे होठों के आगे कर दिया| उसका यूँ मुझे किसी बच्चे की तरह खाना खिलाना मुझे बहुत अच्छा लगता था और उन कुछ पलों के लिए मैं बच्चा बन जाता था|
मैं: Medical certificate बनने की ख़ुशी में ये खाने को मिलना था और आप मुझे घर भेज रहे थे?!
मैंने करुणा को प्यार भरे गुस्से से देखते हुए कहा| मेरा ये प्यार भरा गुस्सा करुणा को बहुत प्यारा लगता था, जिसे देख वो हमेशा खिलखिलाकर हँसने लगती थी|
इडली खा कर हम करुणा के हॉस्पिटल की तरफ चल दिए, हमें चलते हुए 5 मिनट होने को आये थे पर कोई ऑटो मिल ही नहीं रहा था तो हम बातें करते हुए गर्मी में चलने लगे| उन दिनों मैंने एक मलयालम फिल्म देखि थी; 'उस्ताद होटल' तो हम दोनों उसी की बात करने लगे| बातों-बातों में मैंने करुणा से पुछा की उसे कोई मलयालम गाना पूरा आता है, तो वो बोली की उसे कोई गाना पूरा नहीं आता| ये सुनते ही मैं बड़े गर्व से अपनी शेखी बघारते हुए बोला की मुझे इस फिल्म का सबसे मुश्किल गाना पूरा मुँहजबानी आता है, करुणा को मेरी बात पर विश्वास नहीं हुआ तो मैंने उसे वो पूरा गाना गा कर सुनाया| एक उतर भारत का रहने वाला पूरा मलयालम गाना याद कर ले तो ये किसी अस्चर्य से कम की बात नहीं होती, ठीक वही हाल करुणा का था| करुणा बीच सड़क पर चलते हुए रुक गई और मुँह बाए मुझे घूर रही थी;
करुणा: मिट्टू....आप को तो पूरा गाना आता है?
ये कहते हुए करुणा ताली बजाने लगी| मैं अपनी तारीफ सुनकर गदगद हो गया और गर्दन अकड़ कर चलने लगा|
दो दिन बाद मैंने online चेक किया और करुणा का police verification certificate download कर के करुणा को मेल कर दिया ताकि वो उसका print ले कर रख ले| अब बस उसका एक मूल निवास पत्र रह गया था, लेकिन उसका भी हमें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा क्योंकि 3 दिन बाद करुणा की मम्मा ने वो document courier कर दिया| सारे कागज तैयार थे तथा हम श्री विजयनगर जाने की सोच रहे थे की लाल सिंह जी का फ़ोन आया और उन्होंने सारे documents के बारे में पुछा, करुणा ने उन्हें बताया की सब documents तैयार हैं और हम 1-2 दिन में श्री विजयनगर निकल रहे हैं| लाल सिंह जी ने हमें सबसे पहले जयपुर बुलाया क्योंकि हमें वहाँ से नया joining लेटर लेना था तथा करुणा के सारे documents की एक कॉपी जमा करनी थी|
जारी रहेगा भाग 7(7) में...