Devil12525
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इक्कीसवाँ अध्याय: कोशिश नई शुरुआत की
भाग -7 (8)
अब तक आपने पढ़ा:
करुणा: कोई believe करते की हम दोनों honeymoon suite में ता और फिर भी हम अच्छा से दोस्त की तरह रहा, एक सेकंड के लिए भी हमारा मन में कुछ गलत नहीं आया!
करुणा की बात सच थी क्योंकि आजकल की दुनिया में कौन मान सकता था की एक लड़का और लड़की, honeymoon suite में एक रात बिताएँ, लेकिन फिर भी दोनों के जिस्म में एक पल को भी सेक्स की चिंगारी न भड़की हो?!
मैं: Dear अगर मैंने कभी कहानी लिखी तो ये बात उसमें जर्रूर लिखूँगा!
मैंने मुस्कुराते हुए कहा| वहीं करुणा मेरी बात सुन कर हँस पड़ी और बोली;
करुणा: उसमें ये मत लिखना की हम कुछ नहीं किया, उसमें लिखना की हम बहुत कुछ किया वरना कोई believe नहीं करते!
अब आगे:
तैयार हो कर नाश्ता कर के हम जल्दी ऑफिस पहुँच गए, लाल सिंह जी आज वो मिठाई खाने के मूड में थे इसलिए उन्होंने पहले ही करुणा का नया joining letter तैयार कर रखा था| Letter हमें देते हुए उन्होंने चाय-पीने की माँग की, चाय पीने का नाम सुन मैं जान गया की वो बिना कुछ लिए मानेंगे नहीं| मैंने करुणा को इशारा किया तो उसने अपने पर्स से 500/- रुपये का एक नोट निकाला, अब लाल सिंह जी कोई चपरासी तो थे नहीं जो 500/- रुपये से खुश हो जाते इसलिए 500/- रुपये का एक नोट देख उनका मुँह बन गया| मैंने अपने पर्स से 500/- का एक नोट निकाला और करुणा के नोट के साथ मिला कर उनकी हथेली में रख कर उनकी मुट्ठी बंद करते हुए कहा;
मैं: सर अभी कमा नहीं रही, जब कमाएगी तब आपके पास फिर आएंगे|
करुणा को रिश्वत देना कतई पसंद नहीं था, इसलिए वो पैसे देने में उसका खून जल रहा था| ऑफिस से निकलते समय उसने अपना लाल सिंह जी पर का गुस्सा निकालते हुए कहा;
करुणा: इतना greedy लोग है ये, जरा भी शर्म नहीं इनको! मैं कोई पैसा वाला तो है नहीं, पैसा ही होते तो मैं यहाँ क्यों जॉब करने आता!
मैं: Dear सरकारी काम ऐसे ही होते हैं, अगर हम पैसे नहीं देते तो अगलीबार कुछ काम पड़ता तो ये आदमी काम लटका देता|
मैंने करुणा को समझाते हुए कहा|
करुणा: अगलीबार क्या काम होते?
करुणा ने हैरान होते हुए पुछा|
मैं: यार ये आपका head office है, कोई भी छोटा-मोटा काम निकल सकता है| छोड़ो ये सब बातें और बताओ की क्या खाना है?
मैंने करुणा का ध्यान खाने की तरफ लगाया, अब उसे खाना था चिकन-मटन और बाहर आ कर मुझे डर था की कहीं गलती से हम ऊँट का माँस न खा लें, इसलिए मैंने थोड़ी पूछताछ की तथा उस बजार में पहुँचा जहाँ अच्छा nonveg मिलता था| यहाँ पर एक काफी बड़ी दूकान थी पर इस वक़्त खाली थी, मैं और करुणा दूकान की पहली मंजिल पर बैठ गए| तभी वहाँ पर एक अफ़ग़ानी परिवार मियाँ-बीवी और एक बच्चा लंच करने आया| सब के सब गोर-चिट्टे, मियाँ ने पठानी सूट पहना था और बच्चे ने भी वैसा ही सूट पहना था, बीवी ने बुरखा पहना था जो की फिलहाल सामने की ओर से खुला था|
करुणा का रंग काला था इसलिए अपने सामने गोर-गोर लोगों को देख कर उसके मन में हीन भावना (inferiority complex) पैदा हुई|
करुणा: ये लोग इतना गोरा कैसे होते?
मैं: Dear ख़ूबसूरती अंदर की अच्छी होती है, बाहरी खूबसूरती को इतना मोल नहीं देना चाहिए|
मैंने बात खत्म करते हुए कहा| खाना order करने का समय था तो करुणा ने चिकन चंगेजी, बुर्रा मटन और नान मँगाए| मैंने nonveg खाना तो शुरू कर दिया था पर मैं उसे खाने के तौर-तरीके में निपुण नहीं हुआ था, आज भी मैं अपने दोनों हाथों की मदद से nonveg खता हूँ| जब खाना परोसा गया तो अचानक ही करुणा के मन में अपने दोस्त के लिए अंतहीन प्यार जाग गया, उसने बड़े प्यार से मुझे कहा;
करुणा: मिट्टू आपको मैं खिलाते!
उसका ये प्यार देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा पर आज थोड़ा अजीब भी लग रहा था, जिसका कारन था हमारा बाहर होना| करुणा ने धीरे-धीरे मुझे अपने हाथ से खिलाना शुरू किया, वो गर्म-गर्म नान के कौर को मुटून की gravy में डुबाती और मटन का एक छोटा टुकड़ा अपने हाथ से तोड़कर नान में लपेट कर मुझे खिलाती|
कुछ मिनट बाद मेरी नजर पड़ी उस अफ़ग़ानी परिवार पर जो हमारे सामने की टेबल पर खाना खा रहा था, वहाँ बैठी बीवी की नजर हम दोनों पर थी और वो करुणा को मुझे खिलाते हुए देख कर खुश हो रही थी| शायद उसे लग रहा होगा की हम दोनों प्रेमी युगल हैं जो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं| अब मुझे कुछ-कुछ शर्म आ रही थी क्योंकि हम दोनों के (करुणा और मेरे) बीच 'ऐसा' कुछ नहीं था, इसलिए मैंने करुणा से कहा की मैं खा लूँगा और साथ ही मैंने उसे इशारे से ये भी बताया की सामने वाली टेबल पर बैठी औरत हम दोनों को देख रही है|
करुणा: जब से वो आया तब से आप ही को देख रे!
करुणा ने जलन भरी आवाज से चिढ़ते हुए कहा| अब मैं समझ गया की अचानक उसके दिल में इतना प्यार कैसे आ गया|
करुणा: एक husband है, बच्चा है फिर मेरा friend को क्यों देख रे?
करुणा झुंझुला कर बोली|
मैं: Relax यार! आपका friend उसे sexy लग रहा होगा, इसलिए इतना देख रही है!
मैंने करुणा से मजाक करते हुए कहा|
करुणा: हेल्लो! आपको sexy मैं बनाया, ठीक है!
करुणा बड़े गर्व से बोली| देखा जाए तो सच ही था करुणा से मिलने के बाद ही मैंने अपना dressing sense बदला था, उससे मिलने से पहले तो मैं बस तड़प-तड़प कर दिन काट रहा था!
खाना खाते समय करुणा ने मुझे बहुत ही दिलचस्प बात बताई, जिसे सुन कर मैं पेट पकड़ कर हँसने लगा था|
करुणा: मेरा मम्मा को मेरा जीजा बिलकुल पसंद नहीं!
मैं: क्यों?
मैंने दिलचस्पी लेते हुए पुछा|
करुणा: Actually, मेरा दीदी ने love marriage किया, पर मुझे पता था की दीदी किससे कल्याणम (शादी) कर रे| जब मैं अपना जीजा से मिला न तो मुझे ये आदमी बिलकुल अच्छा नहीं लगा, इतना पतला आदमी ऊपर से ऐसा ladies वाला आवाज वाला! छी! मैं दीदी को बोला की ये आदमी अच्छा नहीं है इसको कल्याणम मत कर पर वो सुना नहीं और मुझे डाँट दिया| कल्याणम के बाद जब ये दोनों मम्मा से मिला तो मेरा मम्मा जीजा को देखते ही दीदी से बोला; "तेरे को इतना पतला आदमी ही मिला? ये तो बिलकुल 'पाटा' जैसा है, जरा सा हवा आ रे तो ये उड़ जाते!"
करुणा के मुँह से 'पाटा' शब्द सुन कर मेरे मन में उसका अर्थ जानने की जिज्ञासा हुई|
मैं: पाटा मतलबा?
करुणा: कॉकरोच!
ये शब्द सुन कर हम दोनों ठहाका मार के हँस पड़े! करुणा की माँ अपने जमाई को कॉकरोच कहती है ये सुन कर मेरी हँसी रुक ही नहीं रही थी और मुझे हँसता हुआ देख करुणा की हँसी नहीं रुक रही थी| हमदोनों को यूँ पागलों की तरह हँसता हुआ देख वो अफ़ग़ानी परिवार हमें घूर-घूर कर देख रहा था|
खैर खाना हो चूका था सामान बँध चूका था, हमने होटल से checkout किया और बस स्टैंड पहुँच कर मैंने श्री विजयनगर की टिकट ली| श्री विजयनगर तक जाने वाली बस स्लीपर बस थी और करुणा ने कहा था की मैं एक double sleeper बुक करूँ, इसलिए मैंने double sleeper ली| हम बस में बैठे और बस चल पड़ी, कुछ देर बाद माँ का फ़ोन आया तथा उन्होंने मेरा हाल-चाल पुछा| जब माँ ने दोपहर के खाने के बारे में पुछा तो मैंने उन्हें बताया की मैंने दबा कर nonveg खाया है, ये सुन कर माँ हँस पड़ीं क्योंकि उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था की मैंने शहर से बाहर ऐसा कुछ खाया होगा|
कुछ देर बाद जैसे ही बस ने अपनी रफ़्तार पकड़ी तो हमारा उस स्लीपर में लेट पाना दूभर हो गया, बस जब भी मोड़ लेती तो लगता की हम दोनों फिसल कर गिर जाएंगे| कई बार बस तीव्र मोड़ लेती तो मेरा जिस्म करुणा की तरफ फिसलने लगता, मेरा जिस्म उससे छू न जाये इसलिए मुझे बहुत ध्यान रखना पड़ता था, तथा कुछ न कुछ पकड़ कर अपने जिस्म को करुणा की ओर जाने से रोकना पड़ता| दिन का समय था तो बस की खिड़की के बाहर हम कुछ इमारतें या दूसरी गाड़ियाँ देख पा रहे थे, लेकिन इसमें इस बार मजा बिलकुल नहीं आ रहा था| आज पहलीबार मैं मना रहा था की ये सफर जल्दी से जल्दी खत्म हो क्योंकि इस तंग जगह में मुझसे न तो ठीक से लेटा जा रहा था और न ही ठीक से बैठा जा रहा था| हमारे पास कुछ चिप्स और बिस्किट थे जिन्हें खाते हुए रात हुई, रात होते ही करुणा तो चैन से सो गई पर मैं बस के झटकों को सहते हुए अपने जिस्म को करुणा के जिस्म से छूने से बचाते हुए जागता रहा| रात करीब डेढ़ बजे बस ने हमें श्री विजयनगर उतारा, बस से उतर कर मैंने अंगड़ाई लेते हुए अपने अंजर-पंजर सीधे किये|
पूरे बस स्टैंड पर सन्नाटा पसरा हुआ था और करुणा को डर लगने लगा था, इसी कारन करुणा ने मेरा दायाँ हाथ पकड़ लिया| हम बाहर आये तो बाहर हमें एक ऑटो वाला मिला, मैंने उससे होटल के बारे में पुछा तो वो हमें साथ ले कर अपने कमीशन वाले होटल ले गया पर रात इतनी थी की कहीं कोई कमरा नहीं था, जहाँ था भी तो उन्होंने एक लड़का और लड़की को देने से मना कर दिया था| ऑटोवाले ने मुझे कहा की मुझे झूठ बोलना होगा की हम दोनों शादीशुदा हैं तभी कहीं कमरा मिलेगा, मैंने करुणा को ये बात बताई तो उसने मुस्कुराते हुए हाँ कर दी| इस तरह का झूठ मैं पहली बार नहीं बोल रहा था, अयोध्या में जब मैं और भौजी एक रात रुके थे तब भी हम एक पति पत्नी की तरह रुके थे| पर तब मैं भौजी से प्यार करता था इसलिए उनके साथ ये झूठ बोलने में बिलकुल डर नहीं लग रहा था, लेकिन करुणा से मेरा सिर्फ दोस्ती का रिश्ता था और इसी कारन मैं इस झूठ से बहुत डरा हुआ था| जब receptionist ने नाम पुछा तो मैंने काँपती हुई आवाज में हम दोनों का नाम बताया;
मैं: मानु मौर्या और करुणा मौर्या!
ये कह कर मैंने receptionist से नजरें चुरा ली, वहीं करुणा अपने आप को पूरी तरह सामान्य दिखा रही थी|
Receptionist: आप दोनों शादीशुदा है न?
उसने किसी अध्यापक की तरह सवाल किया, तो मैंने नकली आत्मविश्वास दिखाते हुए हाँ में गर्दन हिलाई| फिर उसने हम दोनों की ID माँगी, हमने अपनी ID दी तो उसने एक नजर भर कर दोनों को देखा और फिर ID स्कैन करने लगा| उसका यूँ हमें देखना मुझे खटकने लगा था और मेरे दिल में झूठ बोलने को ले कर जो डर था वो मुझ पर हावी होने लगा| दिल ने अचानक ही मनहूस बातें सोचना शुरू कर दिया की कुछ ही देर में ये आदमी पुलिस को फ़ोन कर के बुलाएगा और हम दोनों को हवालात पहुँचा देगा! पुलिस हमसे क्या क्या सवाल पूछेगी मैंने उन सभी सवालों की गणना करना शुरू कर दिया और मन ही मन उन सवालों का जवाब सोचने लगा|
Receptionist ने हमें हमारा कमरा दिखाया और कमरे में पहुँच कर मैंने गहरी साँसें लेनी शुरू कर दी| करुणा ने जब मुझे ऐसे देखा तो वो घबरा गई;
करुणा: क्या हुआ मिट्टू?
मैं: यार मैंने आजतक ऐसा झूठ नहीं बोला!
करुणा मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए बोली;
करुणा: कोई बात नहीं मिट्टू, कुछ नहीं होते! आप tension मत लो!
उसने तो कह दिया की tension मत लो पर मेरी तो हालत खराब थी|
मैं: Dear to be on a safe side, अगर कोई पूछे तो कहना की हमने love marriage की है और हमारी शादी 2 महीने पहले हुई है|
मेरी आदत थी अपने झूठ को fool proof बनाने की, इसीलिए मैंने फटाफट से झूठ सोच कर करुणा को बताया, जिसे सुन कर करुणा हँस पड़ी और ख़ुशी-ख़ुशी मेरे झूठ में सम्मलित हो गई| मैंने झूठ तो सोच लिया था पर अगर ये झूठ बोलते तो पुलिस ऐसे ही थोड़े छोड़ देती? वो तो और सवाल पूछती और फिर कुरेदते-कुरेदते वो हमारे घर तक पहुँच जाती, फिर ये बताने की जर्रूरत तो नहीं की घर में क्या तांडव होता!
हम दोनों ने कपडे बदले और लेट गए, पर मुझे चैन नहीं मिल रहा था और मैं बस करवटें बदल रहा था|
करुणा: मिट्टू टेंशन मत लो, सब ठीक होते!
करुणा ने मेरे कँधे पर हाथ रखते हुए कहा|
मैं: यार पिछले 24 घंटों में जो हो रहा है, उससे थोड़ा डरा हुआ हूँ| पहले honeymoon suite में रात गुजरना और अब नकली पति-पत्नी बन कर इस होटल में रुके हैं!
ये सुन करुणा मुस्कुराने लगी और बोली;
करुणा: May be destiny कुछ point कर रे!
करुणा की ये बात सुन कर मेरी आँखें फ़ैल गईं और मैं घूरकर उसे देखने लगा|
करुणा: मैं मजाक कर रहा था dear, क्यों इतना tension ले रे!
करुणा ठहाका लगाते हुए बोली|
किसी तरह मैं सो गया और सुबह जल्दी उठ गया, सुबह जल्दी उठने का भी एक कारन था| वो ये था की मुझे करुणा से अपना morning wood छुपाना था! अगर करुणा सुबह उठ कर पाजामे में अकड़ा हुआ मेरा उभार देख लेती तो हमारे दोस्ती के रिश्ते को तार-तार कर देती! भौजी से मिलने के बाद ही मुझे अपने सुबह के morning wood का एहसास हुआ था और तब मैं यही सोचता था की ये भौजी के प्रति मेरे शारीरिक समर्पण के कारन होता है| कोई 'ये' देख कर मुझ पर शक न करने लगे इसलिए मैं अपने morning wood को हमेशा छुपाता था| अगर मैं भौजी के इतने नजदीक नहीं गया होता तो शायद मुझे कभी morning wood के बारे में पता ही नहीं चलता|
नाहा धो कर दोनों तैयार हुए और नाश्ता करने निकले, नाश्ता हमने करुणा का मन पसंद यानी छोले-भठूरे खाये| दिल्ली वाला स्वाद तो नहीं आया पर कमसकम पेट तो भर गया, फिर करुणा के हॉस्पिटल जाते समय रास्ते में मंदिर के सामने रुक कर मैंने भगवान से प्रार्थना की कि करुणा को आज joining मिल जाये, पर होनी कुछ और ही लिखी थी!
हम दोनों सीधा उन साहब के पास पहुँचे जिन्होंने पिछलीबार हमें पूरे कागज लाने को कहा था, मैंने सारे कागज़ उनके सामने रख दिए| उन्होंने सारे कागज़ बारीकी से देखने शुरू किये, सबसे पहले उन्होंने मूल निवास पत्र देखा और उसे एक तरफ रख दिया| फिर उनकी नजर पड़ी affidavit पर, उसे देखते ही वो बोले की ये दिल्ली का affidavit है और यहाँ नहीं चलेगा| अस्पताल से कुछ दूर पर कचेहरी है जहाँ पर हमें नया affidavit बनवाना होगा| अगला कागज जो उन्होंने उठाया वो था police verification, ये कागज उनके अनुसार ठीक था तो उसे उन्होंने मूल निवास पात्र के साथ रख दिया| अंतिम कागज था करुणा का medical certificate जिसे देखते ही वो बोले की ये certificate हमें यहाँ के सरकारी अस्पताल से बनवाना होगा और जब तक हम दोनों पूरे कागज़ नहीं लाते वो joining नहीं देंगे| ये सुन कर करुणा हताश हो गई और उसकी मायूसी उसके चेहरे पर दिखने लगी| करुणा को नौकरी दिलवाना मेरी जिम्मेदारी थी इसलिए मैंने खुद को मजबूत किया और उन साहब से उस सरकारी अस्पताल का पता पुछा जहाँ ये medical certificate बनना था| उन साहब ने बताया की आज शनिवार है और अगर मैं जल्दी कागज ले आऊँ तो आज ही से joining मिल जाएगी| मैंने करुणा को साथ लिया और तेजी से बाहर निकला, बाहर लोगों से पूछते-पूछते हम कचहरी पहुँचे| कचहरी का दृश्य देख कर मैं तो हैरान रह गया, परिसर में घुसते ही वहाँ काली छतरियों का अम्बार लगा हुआ था जिसके नीचे वकील बैठे थे| इक्का-दुक्का लोगों के पास मैंने laptop देखे बाकी के सब लोग typewriter पर काम कर रहे थे| यहाँ वकीलों का बड़ा रसूख था, दिल्ली की तरह नहीं जहाँ साकेत कोर्ट में घुसते ही वकील घेर लेते हैं! यहाँ बेचारे भोले-भाले लोग वकीलों के आगे-पीछे घूम रहे थे, यहाँ पर सारा काम शुद्ध हिंदी में किया जा रहा था जो मेरे लिए नई बात थी! मैं जिधर भी नजर दौड़ता वहाँ वकील बिजी थे, ऐसे में मैंने एक वृद्ध वकील साहब को देखा| मेरी नजर उन पर पड़ते ही उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया, हम दोनों उनके पास पहुँचे और उन्हें सब बताया| उन्होंने typewriter पर करुणा का affidavit टाइप करना शुरू किया, आज पता नहीं क्यों उस typewriter की खटर-पटर सुन कर बड़ा अच्छा लगा रहा था, मन कर रहा था की मैं ही टाइप करना शुरू कर दूँ!
वकील साहब वृद्ध थे इस कारन उनकी टाइपिंग की गति कम थी जिस कारण करुणा को कोफ़्त हो रही थी, वो मेरे कान में खुसफुसाते हुए बोली;
करुणा: आपको ये अपप्पन (वृद्ध) के अलावा कोई और नहीं दिखते!
करुणा की बात सही तो थी पर मुझे उन वकील साहब की वृद्ध दशा देख कर उनसे सहानुभूति हो रही थी| शुक्र है की affidavit ज्यादा बड़ा नहीं लिखना था वरना वकील साहब उसे लिखने में आधा दिन लगा देते, 20 मिनट में affidavit तैयार हुआ तो करुणा ने उसे sign किया फिर मैंने उस affidavit को notary और attest दोनों करवा लिया|
कचहेरी से निकल कर हम चौक पर पहुँचे और सरकारी अस्पताल तक के लिए सवारी की| हमने एक sharing ऑटो किया जिसमें मुझे ड्राइवर के बगल में बैठना पड़ा और करुणा को पीछे महिलाओं के साथ बैठना पड़ा| आधे घंटे बाद आखिर वो सरकारी अस्पताल आया, वहाँ उतर कर पूछते-पूछते हम अस्पताल के मुख डॉक्टर साहब से मिले| उन्हें भी मैंने सारी बात बताई, उन्होंने करुणा से उसकी बीमारियों के बारे में पुछा| करुणा ने उन्हें बताया की उसे कोई बिमारी नहीं है, उन्होंने एक कागज पर कुछ जाँच लिख दी और कहा की मैं बाहर से पर्ची बनवा कर ये सब जाँच करवा कर रिपोर्ट उन्हें ला कर दूँ| हम दोनों बाहर पर्ची बनवाने आये तो वहाँ बहुत लम्बी लाइन थी, आदमियों की अलग और औरतों की अलग| जो बात मैं नहीं जानता था वो ये की आदमियों की लाइन में सिर्फ आदमियों की पर्ची बनती थी और औरतों की लाइन में सिर्फ औरतों की पर्ची| मैंने करुणा को औरतों वाली लाइन में लगाया और मैं खुद मर्दों वाली लाइन में लग गया, किस्मत से मेरा नंबर जल्दी आ गया तो मैंने पर्ची बनाने वाले को करुणा के नाम की पर्ची बनाने को कहा| पर्ची बनाने वाला आदमी शायद बहरा था क्योंकि उसने करुणा नहीं करण नाम की पर्ची बना कर मुझे दे दी, मैं भी हड़बड़ी में था क्योंकि पीछे वाले धक्का-मुक्की कर रहे थे इसलिए मैंने भी नाम ठीक से नहीं पढ़ा| मैंने करुणा को जब वो पर्ची दी तो वो अपना नाम पढ़ कर हँस पड़ी और तब मुझे पता चला की नाम लिखने में गड़बड़ हुई है| मैंने करुणा को कहा की जब डॉक्टर उसके जाँच की रिपोर्ट बनाये तो वो अपना नाम ठीक से लिखवाये वरना बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाती|
जो पहली जाँच हमें करवानी थी वो थी कान की, मैं करुणा को ले कर उस कमरे में पहुँचा तो पाया की वहाँ कोई है ही नहीं! आस-पास पूछते हुए ENT वाले डॉक्टर साहब मिले, मैंने उन्हें सारी बात बताई तो उन्होंने अपना writing pad उठाया और दो मिनट में बिना करुणा की कोई जाँच किये अपनी report लिख कर हमें दे दी| अगला नंबर था एक general physician जिसे करुणा का ECG, BP और Sugar चेक करनी थी| उनके कमरे के बाहर पहले से ही लाइन लगी थी, मैंने करुणा को साथ लिया और धड़धड़ाते हुए कमरे में घुस गया| उन्हें भी मैंने करुणा की सारी बात बताई तथा उनसे निवेदन किया की वो पहले करुणा को देख लें ताकि आज उसकी joining हो जाए| उन्होंने नर्स को बुला कर करुणा के सभी check up करने को कहा जिसमें करुणा खुद से ही मदद कर रही थी| 5 मिनट में सारे टेस्ट कर के डॉक्टर साहब ने अपनी report लिख कर हमें फारिग कर दिया| अंतिम जाँच थी आँखों की जिसके लिए हमें ऊपर जाना पड़ा, ऊपर की मंजिल बिलकुल भूलभुलैया जैसी थी, वो तो शुक्र है की मुझे रास्ता याद था वरना हम तो हॉस्पिटल में ही खो जाते| आँखों वाले डॉक्टर साहब भी बहुत व्यस्त थे, वो तो मैंने उनसे निवेदन किया तो उन्होंने करुणा को कुर्सी पर बिठा कर शब्द पढ़ने को कहे जिसे करुणा ने फुल स्पीड में पढ़ दिया| उन्होंने भी करुणा की report लिख कर हमें चलता कर दिया, सारी reports ले कर हमें बड़े डॉक्टर साहब के पास आते-आते दोपहर के 12 बज गए| उनकी छुट्टी का समय हो गया था इसलिए वो अपनी कुर्सी से उठ चुके थे, मैंने और करुणा ने उनसे बड़ी मिन्नत की कि वो बस दो मिनट रुक कर हमें करुणा का medical certificate दे दें पर वो नहीं माने और हमें सोमवार को आने का बोलकर बाहर चले गए|
सुबह से हमारी इतनी भाग दौड़ के बाद भी करुणा को आज joining नहीं मिली थी, इसे सोच-सोच कर करुणा ने हार मान ली और वो टूट के रोने लगी| मैंने आगे बढ़ कर करुणा को सम्भाला और उसे अस्पताल से बाहर लाया, उसे पीने के लिए पानी दिया तथा उससे खाने के लिए पुछा तो करुणा ने सर न में हिला कर खाने से मना कर दिया| मैंने sharing ऑटो किया जिसमें हम दोनों आमने-सामने बैठे, करुणा की आँखों से अब भी आँसूँ निकल रहे थे और उसे यूँ रोता हुआ देख मुझे बुरा लग रहा था|
करुणा: वो डॉक्टर जानबूझ कर report नहीं दिया! वो दो मिनट रुक नहीं सकता था?
करुणा गुस्से से बोली| उसका गुस्सा देख बगल में बैठी एक गाँव की औरत हैरानी से उसे देखने लगी|
मैं: यार जो होना था वो हो चूका है, आपके रोने से कुछ बदलने वाला नहीं|
मैंने करुणा को समझाते हुए कहा|
करुणा: दो मिनट रुक कर हमारा help कर रे तो God उसको bless करते, पर वो हमें attitude दिखा कर गया!
करुणा का गुस्सा जायज था पर मुझे उसके इस गुस्से से बाहर निकालना था| खाने का समय था और मैं जानता था की खाना खा कर उसका गुस्सा कम होगा, इसलिए मैं उसे ले कर सीधा एक रेस्टुरेंट पहुँचा जहाँ हमने खाना खाया| खाने के दौरान भी करुणा उस डॉक्टर को curse किये जा रही थी और मैं उसे शांत करने में लगा हुआ था|
खाना खा कर जब हम बाहर निकले तो मुझे वो होटल दिखा जहाँ हम पिछलीबार रुके थे, मैंने वहाँ जा कर पुछा की हमें यहाँ कमरा मिलेगा तो receptionist मुझे पहचान गया और हाँ में गर्दन हिलाई| मैंने उसे अपनी ID दी और कमरा ले लिया वो भी बिना पति-पत्नी का बहाना किये| फिर मैं कल रात हम जिस होटल में रुके थे वहाँ आया और अपना समान उठा कर पैसे दे कर वापस इस होटल लौट आये| अब जा कर मुझे चैन की साँस लेना का मौका मिला था, मेरे सर पर अब कोई बोझ नहीं था और मैं पूरी तरह निश्चिन्त था|
जारी रहेगा भाग 7(9) में...
Dono bolte hai ki "aisa" kuch nahi hai... toh karuna ko kahe mirchi lag rahi hai... dekh hi rahi thi woh aurat.. thodi na sath baithne aayi thi....करुणा: जब से वो आया तब से आप ही को देख रे!
करुणा ने जलन भरी आवाज से चिढ़ते हुए कहा| अब मैं समझ गया की अचानक उसके दिल में इतना प्यार कैसे आ गया|
करुणा: एक husband है, बच्चा है फिर मेरा friend को क्यों देख रे?
करुणा झुंझुला कर बोली|
मैं: Relax यार! आपका friend उसे sexy लग रहा होगा, इसलिए इतना देख रही है!
मैंने करुणा से मजाक करते हुए कहा|
करुणा: हेल्लो! आपको sexy मैं बनाया, ठीक है!
करुणा बड़े गर्व से बोली| देखा जाए तो सच ही था करुणा से मिलने के बाद ही मैंने अपना dressing sense बदला था, उससे मिलने से पहले तो मैं बस तड़प-तड़प कर दिन काट रहा था!
O ho karuna na ki soch aur hi hai.... kahin pe nigahe kahin pe nishana...मैं: यार पिछले 24 घंटों में जो हो रहा है, उससे थोड़ा डरा हुआ हूँ| पहले honeymoon suite में रात गुजरना और अब नकली पति-पत्नी बन कर इस होटल में रुके हैं!
ये सुन करुणा मुस्कुराने लगी और बोली;
करुणा: May be destiny कुछ point कर रे!
करुणा की ये बात सुन कर मेरी आँखें फ़ैल गईं और मैं घूरकर उसे देखने लगा|
करुणा: मैं मजाक कर रहा था dear, क्यों इतना tension ले रे!
करुणा ठहाका लगाते हुए बोली|