नोट : कहानी अभी अजिंक्य के वर्तमान और अतीत दोनो के हिस्सो पर चलेगी
अब गातांक से आगे
Part II
वर्तमान
अजिंक्य आज फिर से १२ बजते ही झील किनारे पहुंच गया अपने साथ सिगरेट और और आज एक डायरी लाया था । भूरे चमड़े के जिल्द वाली जिसे वो अपने शर्ट के अंदर अपने सीने से लगा कर रखा था । धीरे धीरे घाट की सीढयां उतर कर झील के पानी के पास आ कर बैठ गया ।झील लगभग १०किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई थी ।घाट के इस किनारे एक मंदिर था महादेव का और उसी से लगा हुआ एक बहुत बड़ा श्मशान था । वहां अक्सर ही अघोरी या कुछ तांत्रिक से लोग बने रहते थे अपनी साधना के लिए । खैर अजिंक्य सीढ़ियों पर बैठ कर पहले सिगरेट सुलगाई और लंबा कश खींच कर धुएं को अपने अंदर जज्ब कर बाकी का धुआं आसमान में उगल दिया । और आसमान की तरफ एकटक देखते हुए अपनी उंगलियों मानो किसी की तस्वीर बनाई और अगले ही पल उसे धुएं में ही उड़ा दी । अपनी डायरी खोली और पहला पन्ना देखा ,लिखा हुआ था वहा
" खुद के किरदार को मुफलिसी कीमत पर भी खरीदने से इंकार कर दूं ,जो बिकू कभी बाजारों में "
आगे पन्ना पलटा तो उसपर लिखा था " मुलाकात " ,कुछ देर यूं ही उस पन्ने को देखता रहा ,फिर मुस्कुराया और डायरी से पन्ना फाड़ कर उसके टुकड़े कर के पानी में फेंक दिया ।कुछ देर यूं ही न जाने क्या पानी में देखता ही रहा फिर अचानक उठा और पानी में कूद गया । हालांकि अजिंक्य को तैरना नहीं आता था लेकिन फिर भी वो पानी में कूद गया ।कुछ देर तक तो सांस बंद करके डूबता उतरता रहा । पर उसके फेफड़ो की भी एक सीमा थी संभालने की ।एक समय ऐसा आया जब वो हाथ पैर मारने लगा बचने हेतु । लग रहा था आज इहलीला समाप्त ही होने वाली है । उस एक पल में आंखे बंद होते होते पूरी बिताई जिंदगी नजर आने लगी । मां बाप ,भाई बहन और वो एक शख्स जिसने वादा लिया था अजिंक्य से जिंदा रहने का ,खुश रहने का ।बस अब लगा की जिंदगी की डोर टूटने ही वाली है कि अचानक किसी ने अजिंक्य के बाल पकड़े और घाट के तरफ खींचने लगा । और बाहर ला कर पटक दिया सीढ़ियों पर । कुछ देर यूं ही अजिंक्य खांसता रहा और अपनी सांसे संभालने की कोशिश करता रहा । सांस संभलने को हुई थी कि एक करारा थप्पड़ आ कर उसके गाल पे पड़ा और अजिंक्य को तारे दिखा दिया । और उसके शरीर में दर्द की तेज लहर दौड़ गई । आंखे खोल कर देखा तो एक बूढ़ा दिखा । लंबे बाल , जटाएं ,हल्की लंबी दाढ़ी ,लाल लंगोट ।
बूढ़ा : मादरचोद जब मरना नहीं था तो कूद क्यू गया ।इससे अच्छा तो किसी ट्रेन के नीचे आ जाता । भेंचोद सारे भड़वे यही आ जाते है अपनी मां चुदाने । अबे भोसड़ी के कुछ बोलेगा या नही ?
अजिंक्य सिर्फ उस बूढ़े को बोलते सुन देख रहा था । फिर वो सीढ़ियों पे अपने सिगरेट के पैकेट को ढूंढ कर उसमे से सिगरेट निकाली और सुलगा ली और बाबा की ओर बढ़ा कर पूछ लिया
अजिंक्य : बाबा गुस्सा छोड़ो ,सिगरेट पियो ।
अजिंक्य के इस व्यवहार से बूढ़ा हतप्रभ था । वो भी वही सीढ़ियों पर बैठ गया कुछ देर , सिगरेट पिया और वहा से उठ कर चल दिया वापस श्मशान की ओर । और इधर अजिंक्य भी सिगरेट पी कर बची हुई सिगरेट पानी में फेंक दी और चल पड़ा शमशान की ओर ।
इधर उधर देखा तो दूर दूर तक कुछ नहीं था बस कुछ दूरी पे एक चीता से धुआं सा उठ रहा था । शायद शाम को ही किसी की अंतेष्ठि हुई होगी । डरते डरते नंगे पैर ही अजिंक्य उस बाबा के पीछे पीछे चल दिया ।बूढ़े ने एक बार पलट कर देखा और चिल्लाया " भाग मादरचोद ,पीछे मत आ "
पर शायद अजिंक्य पर कोई फर्क नहीं पड़ा ,बस मुस्कुराते हुए वो भी बाबा के पीछे पीछे उस चिता तक आ गया और बूढ़े बाबा के संग वही बैठ गया ।
बूढ़ा : क्यू आया है यहां
अजिंक्य : ठंड लग रही है तो आग सेंकने आया हूं और आपको सिगरेट पिलाने ।
इतना कह कर अजिंक्य मुस्कुरा दिया ।बूढ़ा ध्यान से अजिंक्य के चेहरे की ओर एक पल को देखता रहा फिर आंखे बंद कुछ देर और जाने क्या सोच कर मुस्कुरा दिया । आंखे खोल कर अजिंक्य को देख कर बोला
" चला जा भोसड़ी के । अभी तेरा वक्त नही आया है न मरने का और न इधर आने का । "
अजिंक्य : हां तो इधर नही आ सकता अभी लेकिन आपसे तो मिल ही सकता हू ना ।
बूढ़ा उठा और वहां से एक लकड़ी उठाई और हवा में लहरा कर बोला अजिंक्य से " भाग मादरचोद ,एक बार में सुनाई नही दिया "
अजिंक्य को लगा के कही ये बूढ़ा मार न दे तो वो उठ कर चल दिया । बाहर सीढ़ियों पर आया अपनी डायरी उठाई और चल दिया बाइक से अपने रूम पर । रूम पर आया तो देखा घड़ी ३ बजा रही थी । कपड़े बदल कर बाहर बालकनी में बैठ गया कुर्सी पर । सिगरेट सुलगाई ,मोबाइल में पुराने हिंदी गाने बजाए और आंखे बंद करके बैठ गया । कुछ ही देर में वापस अपने अतीत में भवर में फंस गया ।
अतीत
दूसरे दिन सुबह पहले अजिंक्य उठा । और आसपास देखा तो अर्चित नंगा ही सो रहा है और उसका लन्ड खड़ा हो कर छत की ओर सलामी दे रहा है । अजिंक्य ने उसे ध्यान से देखा और मुस्कुरा कर मन में सोचा " अच्छा हुआ लोड़े का लंड इतना सा है वरना मेरी तो झांट फायर हो जाती जलन से "
फिर वो उठा और जा कर अर्चित के लात मारी और बोला " उठ बे भोसड़ी के देख ८ बज गए , कॉलेज नही जाना क्या , अबे उठ न "
अर्चित : अबे सोने दे ना हरामी
अजिंक्य : उठ रहा है या रूम का दरवाजा खोल कर बाकियों को भी तेरी हालत दिखाऊं
इतना सुनना था कि अर्चित हड़बड़ा कर उठा और अपनी निक्कर ढूंढने लगा । बिस्तर के नीचे से निक्कर निकाला और पहन लिया और बोला
अर्चित : यार कितना अच्छा सपना था ,मै सुनीता बाई की चूत चाट रहा था समोसे की मीठी वाली चटनी लगा कर और तू उसके चूंचे दबा रहा था
अजिंक्य : हाहाहाहाहा भोसड़ी के उसके चूंचे नही है
अर्चित: अबे तू भावनाओ को समझ न यार । मै बस उसकी चूत में लंड पेलने ही वाला था कि तूने उठा दिया ।
इतना कहते हुए अर्चित अपना लंड दबाने लगा निकर के ऊपर से ही । अजिंक्य हंसा और बोला
" चल बे ठरकी बस कर ,अब कॉलेज चलना है , जा कर जल्दी से नहा ,फिर मुझे भी नहाना है "
अर्चित हंसते हुए : चल भाई साथ में नहाते है हाहहह
अजिंक्य : ठीक है पर मैं तेरी गांड मारूंगा ,मंजूर हो तो बोल
अर्चित : भाग लोड़े ,तुझे मैं गांडू लगता हूं क्या । अबे गांडू से याद आया तुझे पता है वो अपने मैथ्स वाला hod hai na wo गांडू है ।
अजिंक्य : अबे सच बता । तुझे कैसे पता चला बे ।
अर्चित : और वो सिविल वाला अमित है न । वो बता रहा था की उसने hod की गांड मारी है अपने रूम में ।
अजिंक्य : देख ले तू भी अपना जुगाड़ फिट कर लें शायद इस बार मैथ्स में बैक नही लगेगा ।
अर्चित : हां यार बात तो सही कही तूने । अच्छा चल कॉलेज भी जाना है । वरना ये गांडू अपनी गांड मार लेगा ।
इतना कह कर दोनो कॉलेज के लिए तैयार होने चले जाते है ।
To be continued in next part