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Adultery एक चौथाई इश्क एक तिहाई बदला

कहानी का पहला भाग खत्म हों गया तो पुराने पाठक अब ये बताइए , कहानी का कौन सा भाग शुरू करूं ?


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parkas

Well-Known Member
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INTRODUCTION

Ajinkya : xx saal ka middle class family se belong karta hai . Thoda dabbu nature hai ,gussail hai lekin sab andar hi reh jata hai . Man me bahut se khwab hai jinhe pura karna chahta hai . Kahani ka lagbhag hero/villain .

Suresh ji : ajinkya ke pita ji . 41 warshiy jo chennai ke kisi MNC me manager hai aur wahi rehte hai . Ghar 3-4 mahine me ek baar aate hai 2-3 din ke liye .

Komal ji – 40 warshiy bhare shareer ki mahila . Swabhav se bholi. Aur dabbu nature ki . Apna hero apne hi maa ke upar gaya hai . Inka role bas aate me namak barabar hai .

Ashi : 20 warshiy sexy hot ladki pahad ki waadiyo se utri hui apsara jaisi . Chehra gol matol sa ,32 30 34 vitals wali . Jab hansti hai to apne hero k dil k taar jhanjhanaa jaati hai . Pehla aur aakhiri pyar ajinkya ka aur kahani k mukhya patron me se ek .

Shivkesh baba : aghori baba ,jo apne hero se bas sanyog se takra jaate hai . In dono ki mulakat sanyog hi thi lekin bahut jabardast thi . Apne hero ke guru ,dost yaa use sambhaalne wala keh sakte hai .

Sam aur ajay : 20 warshiy ,jo ki ajinkya ke best friend hai aur har achche bure karm ke sathi . Pure manmouji Hai lekin ek dusre ke liye jaan bhi de sakte hai.

Baaki paatra aate jaye aur unke baare me batata jaunga .


PART 1

घनघोर बारिश हो रही थी एकदम काले काले बादल घुमड़ आए थे ,मानो आज ये भी किसी की याद में रो रहे हो ।हवा सांय सांय चल रही थी और बारिश की बूंदे मुंह पर थपेड़ों के जैसे पड़ रही थी । रात के २ बजे का वक्त था । एक लड़का बारिश में भीगते हुए झील के किनारे घाट पर पानी में पैर लटकाए बैठा हुआ था।और जाने क्या क्या बड़बड़ाए जा रहा था।ध्यान से सुनने पर बस एक ही बात समझ आ रही थी जैसे वो बोल रहा था “I am fine I will be back “

कुछ देर ऐसे ही बैठा रहा फिर उठा और सीढ़ियों से नीचे चल दिया पानी में ।पानी में आगे जाता जा रहा था और तब तक आगे बढ़ता गया जब तक पानी उसके सीने तक न आ गया ।कुछ देर वो ऐसे ही खड़ा रहा और अचानक ही खुद को डुबो दिया था ।कुछ देर तक हलचल नहीं हुई और खुद को तब तक डुबो कर रखा जब तक सीना भर न आया और फेफड़े सांस के लिए चीत्कार न करने लगे ।कुछ सेकंड्स में ही वो बाहर निकला हांफता हुआ और जा कर वापस सीढ़ियों पर बैठ कर अपनी सांसे दुरुस्त करने लगा। और उसका ये ही क्रम ३ -४ बार चला । मानो वो खुद को खत्म करना चाहता है पर हिम्मत नही हो रही । थक हार कर उठा और एक पेड़ के नीचे बैठ गया और जब से पन्नी में पैक की हुई सिगरेट का पैकेट निकाल उसमे से सिगरेट और लाइटर निकाला और सिगरेट सुलगा कर आंखे बंद कर सिगरेट के धुएं को खुद में ही घुलने देने लगा ।
जाने क्या मन में चल रहा था की एक तरफ खुद को खत्म करने में आमादा था और दूजी तरफ धुएं में खोते हुए गुनगुना रहा था । थोड़ी देर बाद उठा और खड़ा हो कर एक बार झील की तरफ देखा ,मुस्कुराया और चल दिया अपनी बाइक की ओर ।

कुछ महीनो पहले ही आया था बड़े शहर में पढ़ने अपने कस्बे से ।और यहां आते ही समझ में आ गया था की यहां भोलेपन से काम नहीं चलेगा ,दुनिया हरामी है ,इसके लिए हरामी ही बनना पड़ेगा। यहां आते ही एक हॉस्टल में दाखिला करवा लिया रहने के लिए । सुनीता बाई के हॉस्टल के नाम से प्रसिद्ध था वो । सुनीता उस समय २८ वर्ष की दुबली पतली महिला था बिना चूंचे और बिना गांड के । मेरा मतलब चूंचे बिलकुल चीकू के आकार के थे और गांड में मांस नहीं था । मुझे तो ताज्जुब ये होता था इसका पति जब इसको चोदता होगा तो वो पकड़ता क्या होगा । जरूर दोनो लोगो की हड्डियां ठकरा कर बर्तन जैसी आवाज निकालते होंगे ।
सुबह नाश्ते में एक पराठा और चाय ,दोपहर में ४ रोटी सब्जी दाल चावल और ऐसा ही कुछ रात में ।रात में १० के बाद एंट्री नहीं ।
खैर हॉस्टल में रूम ले लिया था । एक १०X१२ का रूम था जिसमे दो बेड पड़े थे और साथ में एक रूममेट था ।अर्चित १९ साल का गोरा सा चिकना सा लड़का ।लेकिन दर हरामी । रात में बिना मुट्ठ मारे नींद नही आती । और हिलाता भी था तो सुनीता को चोदने के बारे में सोच कर । पता नही उस हड्डी की दुकान में इसे क्या पसंद था । वक्त के साथ पता चला की लड़का हरामी होने के साथ साथ जिगरवाला भी है ।
हॉस्टल के रूम में आते ही पहले ही दिन अर्चित से दोस्ती हो गई । और रात में हॉस्टल की छत में दारू पी कर दोस्ती को मजबूत बनाया । जब शराब का सुरूर चढ़ गया तो अर्चित पूछा

अर्चित : यार अजिंक्य भाई , ये तेरा नाम कुछ ज्यादा लंबा नहीं होगा तेरी हाइट के जैसे । कुछ छोटा नाम नही है क्या
मै : (हंसते हुए) अबे कुछ भी पुकार ले ,नाम से लौड़ा कुछ फर्क नही पड़ता ।बस दिल मिलने चाहिए ।

अर्चित : हां भाई सच बोली ये बात । अच्छा भाई अब हम दोस्त बन ही गए है तो एक बात पहले ही क्लियर कर दूं ,मै सोने से पहले मुट्ठ मारता हूं रूम में ही । वो नही छोड़ने वाला । और दूसरी बात अगर कभी सुनीता बाई को चोदने का मौका मिला तो पहले मैं चोदूंगा फिर तुम

मै : हाहाहाहाहा अबे लोडू बाकी सब ठीक है लेकिन तुझे इस सींकड़ी में क्या अच्छा दिखा के इसे चोदना चाहता है बे

अर्चित : और भाई तू बात मत कर उसकी यार । एक बार अपने रूम में कपड़े बदल रही थी। और मैं अचानक ही इसके रूम का दरवाजा खोल दिया कुछ बात करने को। तो दरवाजा खुल गया और ये अंदर नंगी खड़ी थी । एक पल में मैने इसके छोटे छोटे सांवले चूचे देख लिए और इसकी बिना बालों वाली चूत भी । तब से इसे चोदना चाहता हू । बस एक बार मिल जाए ।

मै : हाहाहाहाहा वाह भोसड़ी के वाह । बस यही बचा रह गया है जिंदगी में ।

खैर रात में दो बजे के आसपास छत से नीचे उतर कर आए और बिस्तर पर लेट गया । और उधर अर्चित बेड पे आते ही शराब के नशे मे जाने क्या क्या बड़बड़ाए हुए सो गया ।

To be continued in next part ....
Nice and beautiful introduction of the story...
Nice and excellent start of the story.....
 

Innocent_devil

Evil by heart angel by mind 🖤
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नोट : कहानी अभी अजिंक्य के वर्तमान और अतीत दोनो के हिस्सो पर चलेगी

अब गातांक से आगे

Part II
वर्तमान

अजिंक्य आज फिर से १२ बजते ही झील किनारे पहुंच गया अपने साथ सिगरेट और और आज एक डायरी लाया था । भूरे चमड़े के जिल्द वाली जिसे वो अपने शर्ट के अंदर अपने सीने से लगा कर रखा था । धीरे धीरे घाट की सीढयां उतर कर झील के पानी के पास आ कर बैठ गया ।झील लगभग १०किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई थी ।घाट के इस किनारे एक मंदिर था महादेव का और उसी से लगा हुआ एक बहुत बड़ा श्मशान था । वहां अक्सर ही अघोरी या कुछ तांत्रिक से लोग बने रहते थे अपनी साधना के लिए । खैर अजिंक्य सीढ़ियों पर बैठ कर पहले सिगरेट सुलगाई और लंबा कश खींच कर धुएं को अपने अंदर जज्ब कर बाकी का धुआं आसमान में उगल दिया । और आसमान की तरफ एकटक देखते हुए अपनी उंगलियों मानो किसी की तस्वीर बनाई और अगले ही पल उसे धुएं में ही उड़ा दी । अपनी डायरी खोली और पहला पन्ना देखा ,लिखा हुआ था वहा
" खुद के किरदार को मुफलिसी कीमत पर भी खरीदने से इंकार कर दूं ,जो बिकू कभी बाजारों में "

आगे पन्ना पलटा तो उसपर लिखा था " मुलाकात " ,कुछ देर यूं ही उस पन्ने को देखता रहा ,फिर मुस्कुराया और डायरी से पन्ना फाड़ कर उसके टुकड़े कर के पानी में फेंक दिया ।कुछ देर यूं ही न जाने क्या पानी में देखता ही रहा फिर अचानक उठा और पानी में कूद गया । हालांकि अजिंक्य को तैरना नहीं आता था लेकिन फिर भी वो पानी में कूद गया ।कुछ देर तक तो सांस बंद करके डूबता उतरता रहा । पर उसके फेफड़ो की भी एक सीमा थी संभालने की ।एक समय ऐसा आया जब वो हाथ पैर मारने लगा बचने हेतु । लग रहा था आज इहलीला समाप्त ही होने वाली है । उस एक पल में आंखे बंद होते होते पूरी बिताई जिंदगी नजर आने लगी । मां बाप ,भाई बहन और वो एक शख्स जिसने वादा लिया था अजिंक्य से जिंदा रहने का ,खुश रहने का ।बस अब लगा की जिंदगी की डोर टूटने ही वाली है कि अचानक किसी ने अजिंक्य के बाल पकड़े और घाट के तरफ खींचने लगा । और बाहर ला कर पटक दिया सीढ़ियों पर । कुछ देर यूं ही अजिंक्य खांसता रहा और अपनी सांसे संभालने की कोशिश करता रहा । सांस संभलने को हुई थी कि एक करारा थप्पड़ आ कर उसके गाल पे पड़ा और अजिंक्य को तारे दिखा दिया । और उसके शरीर में दर्द की तेज लहर दौड़ गई । आंखे खोल कर देखा तो एक बूढ़ा दिखा । लंबे बाल , जटाएं ,हल्की लंबी दाढ़ी ,लाल लंगोट ।

बूढ़ा : मादरचोद जब मरना नहीं था तो कूद क्यू गया ।इससे अच्छा तो किसी ट्रेन के नीचे आ जाता । भेंचोद सारे भड़वे यही आ जाते है अपनी मां चुदाने । अबे भोसड़ी के कुछ बोलेगा या नही ?

अजिंक्य सिर्फ उस बूढ़े को बोलते सुन देख रहा था । फिर वो सीढ़ियों पे अपने सिगरेट के पैकेट को ढूंढ कर उसमे से सिगरेट निकाली और सुलगा ली और बाबा की ओर बढ़ा कर पूछ लिया

अजिंक्य : बाबा गुस्सा छोड़ो ,सिगरेट पियो ।

अजिंक्य के इस व्यवहार से बूढ़ा हतप्रभ था । वो भी वही सीढ़ियों पर बैठ गया कुछ देर , सिगरेट पिया और वहा से उठ कर चल दिया वापस श्मशान की ओर । और इधर अजिंक्य भी सिगरेट पी कर बची हुई सिगरेट पानी में फेंक दी और चल पड़ा शमशान की ओर ।
इधर उधर देखा तो दूर दूर तक कुछ नहीं था बस कुछ दूरी पे एक चीता से धुआं सा उठ रहा था । शायद शाम को ही किसी की अंतेष्ठि हुई होगी । डरते डरते नंगे पैर ही अजिंक्य उस बाबा के पीछे पीछे चल दिया ।बूढ़े ने एक बार पलट कर देखा और चिल्लाया " भाग मादरचोद ,पीछे मत आ "
पर शायद अजिंक्य पर कोई फर्क नहीं पड़ा ,बस मुस्कुराते हुए वो भी बाबा के पीछे पीछे उस चिता तक आ गया और बूढ़े बाबा के संग वही बैठ गया ।

बूढ़ा : क्यू आया है यहां

अजिंक्य : ठंड लग रही है तो आग सेंकने आया हूं और आपको सिगरेट पिलाने ।

इतना कह कर अजिंक्य मुस्कुरा दिया ।बूढ़ा ध्यान से अजिंक्य के चेहरे की ओर एक पल को देखता रहा फिर आंखे बंद कुछ देर और जाने क्या सोच कर मुस्कुरा दिया । आंखे खोल कर अजिंक्य को देख कर बोला
" चला जा भोसड़ी के । अभी तेरा वक्त नही आया है न मरने का और न इधर आने का । "

अजिंक्य : हां तो इधर नही आ सकता अभी लेकिन आपसे तो मिल ही सकता हू ना ।
बूढ़ा उठा और वहां से एक लकड़ी उठाई और हवा में लहरा कर बोला अजिंक्य से " भाग मादरचोद ,एक बार में सुनाई नही दिया "
अजिंक्य को लगा के कही ये बूढ़ा मार न दे तो वो उठ कर चल दिया । बाहर सीढ़ियों पर आया अपनी डायरी उठाई और चल दिया बाइक से अपने रूम पर । रूम पर आया तो देखा घड़ी ३ बजा रही थी । कपड़े बदल कर बाहर बालकनी में बैठ गया कुर्सी पर । सिगरेट सुलगाई ,मोबाइल में पुराने हिंदी गाने बजाए और आंखे बंद करके बैठ गया । कुछ ही देर में वापस अपने अतीत में भवर में फंस गया ।

अतीत

दूसरे दिन सुबह पहले अजिंक्य उठा । और आसपास देखा तो अर्चित नंगा ही सो रहा है और उसका लन्ड खड़ा हो कर छत की ओर सलामी दे रहा है । अजिंक्य ने उसे ध्यान से देखा और मुस्कुरा कर मन में सोचा " अच्छा हुआ लोड़े का लंड इतना सा है वरना मेरी तो झांट फायर हो जाती जलन से "
फिर वो उठा और जा कर अर्चित के लात मारी और बोला " उठ बे भोसड़ी के देख ८ बज गए , कॉलेज नही जाना क्या , अबे उठ न "

अर्चित : अबे सोने दे ना हरामी
अजिंक्य : उठ रहा है या रूम का दरवाजा खोल कर बाकियों को भी तेरी हालत दिखाऊं

इतना सुनना था कि अर्चित हड़बड़ा कर उठा और अपनी निक्कर ढूंढने लगा । बिस्तर के नीचे से निक्कर निकाला और पहन लिया और बोला
अर्चित : यार कितना अच्छा सपना था ,मै सुनीता बाई की चूत चाट रहा था समोसे की मीठी वाली चटनी लगा कर और तू उसके चूंचे दबा रहा था

अजिंक्य : हाहाहाहाहा भोसड़ी के उसके चूंचे नही है
अर्चित: अबे तू भावनाओ को समझ न यार । मै बस उसकी चूत में लंड पेलने ही वाला था कि तूने उठा दिया ।

इतना कहते हुए अर्चित अपना लंड दबाने लगा निकर के ऊपर से ही । अजिंक्य हंसा और बोला

" चल बे ठरकी बस कर ,अब कॉलेज चलना है , जा कर जल्दी से नहा ,फिर मुझे भी नहाना है "

अर्चित हंसते हुए : चल भाई साथ में नहाते है हाहहह

अजिंक्य : ठीक है पर मैं तेरी गांड मारूंगा ,मंजूर हो तो बोल

अर्चित : भाग लोड़े ,तुझे मैं गांडू लगता हूं क्या । अबे गांडू से याद आया तुझे पता है वो अपने मैथ्स वाला hod hai na wo गांडू है ।

अजिंक्य : अबे सच बता । तुझे कैसे पता चला बे ।

अर्चित : और वो सिविल वाला अमित है न । वो बता रहा था की उसने hod की गांड मारी है अपने रूम में ।

अजिंक्य : देख ले तू भी अपना जुगाड़ फिट कर लें शायद इस बार मैथ्स में बैक नही लगेगा ।

अर्चित : हां यार बात तो सही कही तूने । अच्छा चल कॉलेज भी जाना है । वरना ये गांडू अपनी गांड मार लेगा ।

इतना कह कर दोनो कॉलेज के लिए तैयार होने चले जाते है ।



To be continued in next part
 

parkas

Well-Known Member
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नोट : कहानी अभी अजिंक्य के वर्तमान और अतीत दोनो के हिस्सो पर चलेगी

अब गातांक से आगे

Part II
वर्तमान

अजिंक्य आज फिर से १२ बजते ही झील किनारे पहुंच गया अपने साथ सिगरेट और और आज एक डायरी लाया था । भूरे चमड़े के जिल्द वाली जिसे वो अपने शर्ट के अंदर अपने सीने से लगा कर रखा था । धीरे धीरे घाट की सीढयां उतर कर झील के पानी के पास आ कर बैठ गया ।झील लगभग १०किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई थी ।घाट के इस किनारे एक मंदिर था महादेव का और उसी से लगा हुआ एक बहुत बड़ा श्मशान था । वहां अक्सर ही अघोरी या कुछ तांत्रिक से लोग बने रहते थे अपनी साधना के लिए । खैर अजिंक्य सीढ़ियों पर बैठ कर पहले सिगरेट सुलगाई और लंबा कश खींच कर धुएं को अपने अंदर जज्ब कर बाकी का धुआं आसमान में उगल दिया । और आसमान की तरफ एकटक देखते हुए अपनी उंगलियों मानो किसी की तस्वीर बनाई और अगले ही पल उसे धुएं में ही उड़ा दी । अपनी डायरी खोली और पहला पन्ना देखा ,लिखा हुआ था वहा
" खुद के किरदार को मुफलिसी कीमत पर भी खरीदने से इंकार कर दूं ,जो बिकू कभी बाजारों में "

आगे पन्ना पलटा तो उसपर लिखा था " मुलाकात " ,कुछ देर यूं ही उस पन्ने को देखता रहा ,फिर मुस्कुराया और डायरी से पन्ना फाड़ कर उसके टुकड़े कर के पानी में फेंक दिया ।कुछ देर यूं ही न जाने क्या पानी में देखता ही रहा फिर अचानक उठा और पानी में कूद गया । हालांकि अजिंक्य को तैरना नहीं आता था लेकिन फिर भी वो पानी में कूद गया ।कुछ देर तक तो सांस बंद करके डूबता उतरता रहा । पर उसके फेफड़ो की भी एक सीमा थी संभालने की ।एक समय ऐसा आया जब वो हाथ पैर मारने लगा बचने हेतु । लग रहा था आज इहलीला समाप्त ही होने वाली है । उस एक पल में आंखे बंद होते होते पूरी बिताई जिंदगी नजर आने लगी । मां बाप ,भाई बहन और वो एक शख्स जिसने वादा लिया था अजिंक्य से जिंदा रहने का ,खुश रहने का ।बस अब लगा की जिंदगी की डोर टूटने ही वाली है कि अचानक किसी ने अजिंक्य के बाल पकड़े और घाट के तरफ खींचने लगा । और बाहर ला कर पटक दिया सीढ़ियों पर । कुछ देर यूं ही अजिंक्य खांसता रहा और अपनी सांसे संभालने की कोशिश करता रहा । सांस संभलने को हुई थी कि एक करारा थप्पड़ आ कर उसके गाल पे पड़ा और अजिंक्य को तारे दिखा दिया । और उसके शरीर में दर्द की तेज लहर दौड़ गई । आंखे खोल कर देखा तो एक बूढ़ा दिखा । लंबे बाल , जटाएं ,हल्की लंबी दाढ़ी ,लाल लंगोट ।

बूढ़ा : मादरचोद जब मरना नहीं था तो कूद क्यू गया ।इससे अच्छा तो किसी ट्रेन के नीचे आ जाता । भेंचोद सारे भड़वे यही आ जाते है अपनी मां चुदाने । अबे भोसड़ी के कुछ बोलेगा या नही ?

अजिंक्य सिर्फ उस बूढ़े को बोलते सुन देख रहा था । फिर वो सीढ़ियों पे अपने सिगरेट के पैकेट को ढूंढ कर उसमे से सिगरेट निकाली और सुलगा ली और बाबा की ओर बढ़ा कर पूछ लिया

अजिंक्य : बाबा गुस्सा छोड़ो ,सिगरेट पियो ।

अजिंक्य के इस व्यवहार से बूढ़ा हतप्रभ था । वो भी वही सीढ़ियों पर बैठ गया कुछ देर , सिगरेट पिया और वहा से उठ कर चल दिया वापस श्मशान की ओर । और इधर अजिंक्य भी सिगरेट पी कर बची हुई सिगरेट पानी में फेंक दी और चल पड़ा शमशान की ओर ।
इधर उधर देखा तो दूर दूर तक कुछ नहीं था बस कुछ दूरी पे एक चीता से धुआं सा उठ रहा था । शायद शाम को ही किसी की अंतेष्ठि हुई होगी । डरते डरते नंगे पैर ही अजिंक्य उस बाबा के पीछे पीछे चल दिया ।बूढ़े ने एक बार पलट कर देखा और चिल्लाया " भाग मादरचोद ,पीछे मत आ "
पर शायद अजिंक्य पर कोई फर्क नहीं पड़ा ,बस मुस्कुराते हुए वो भी बाबा के पीछे पीछे उस चिता तक आ गया और बूढ़े बाबा के संग वही बैठ गया ।

बूढ़ा : क्यू आया है यहां

अजिंक्य : ठंड लग रही है तो आग सेंकने आया हूं और आपको सिगरेट पिलाने ।

इतना कह कर अजिंक्य मुस्कुरा दिया ।बूढ़ा ध्यान से अजिंक्य के चेहरे की ओर एक पल को देखता रहा फिर आंखे बंद कुछ देर और जाने क्या सोच कर मुस्कुरा दिया । आंखे खोल कर अजिंक्य को देख कर बोला
" चला जा भोसड़ी के । अभी तेरा वक्त नही आया है न मरने का और न इधर आने का । "

अजिंक्य : हां तो इधर नही आ सकता अभी लेकिन आपसे तो मिल ही सकता हू ना ।
बूढ़ा उठा और वहां से एक लकड़ी उठाई और हवा में लहरा कर बोला अजिंक्य से " भाग मादरचोद ,एक बार में सुनाई नही दिया "
अजिंक्य को लगा के कही ये बूढ़ा मार न दे तो वो उठ कर चल दिया । बाहर सीढ़ियों पर आया अपनी डायरी उठाई और चल दिया बाइक से अपने रूम पर । रूम पर आया तो देखा घड़ी ३ बजा रही थी । कपड़े बदल कर बाहर बालकनी में बैठ गया कुर्सी पर । सिगरेट सुलगाई ,मोबाइल में पुराने हिंदी गाने बजाए और आंखे बंद करके बैठ गया । कुछ ही देर में वापस अपने अतीत में भवर में फंस गया ।

अतीत

दूसरे दिन सुबह पहले अजिंक्य उठा । और आसपास देखा तो अर्चित नंगा ही सो रहा है और उसका लन्ड खड़ा हो कर छत की ओर सलामी दे रहा है । अजिंक्य ने उसे ध्यान से देखा और मुस्कुरा कर मन में सोचा " अच्छा हुआ लोड़े का लंड इतना सा है वरना मेरी तो झांट फायर हो जाती जलन से "
फिर वो उठा और जा कर अर्चित के लात मारी और बोला " उठ बे भोसड़ी के देख ८ बज गए , कॉलेज नही जाना क्या , अबे उठ न "

अर्चित : अबे सोने दे ना हरामी
अजिंक्य : उठ रहा है या रूम का दरवाजा खोल कर बाकियों को भी तेरी हालत दिखाऊं

इतना सुनना था कि अर्चित हड़बड़ा कर उठा और अपनी निक्कर ढूंढने लगा । बिस्तर के नीचे से निक्कर निकाला और पहन लिया और बोला
अर्चित : यार कितना अच्छा सपना था ,मै सुनीता बाई की चूत चाट रहा था समोसे की मीठी वाली चटनी लगा कर और तू उसके चूंचे दबा रहा था

अजिंक्य : हाहाहाहाहा भोसड़ी के उसके चूंचे नही है
अर्चित: अबे तू भावनाओ को समझ न यार । मै बस उसकी चूत में लंड पेलने ही वाला था कि तूने उठा दिया ।

इतना कहते हुए अर्चित अपना लंड दबाने लगा निकर के ऊपर से ही । अजिंक्य हंसा और बोला

" चल बे ठरकी बस कर ,अब कॉलेज चलना है , जा कर जल्दी से नहा ,फिर मुझे भी नहाना है "

अर्चित हंसते हुए : चल भाई साथ में नहाते है हाहहह

अजिंक्य : ठीक है पर मैं तेरी गांड मारूंगा ,मंजूर हो तो बोल

अर्चित : भाग लोड़े ,तुझे मैं गांडू लगता हूं क्या । अबे गांडू से याद आया तुझे पता है वो अपने मैथ्स वाला hod hai na wo गांडू है ।

अजिंक्य : अबे सच बता । तुझे कैसे पता चला बे ।

अर्चित : और वो सिविल वाला अमित है न । वो बता रहा था की उसने hod की गांड मारी है अपने रूम में ।

अजिंक्य : देख ले तू भी अपना जुगाड़ फिट कर लें शायद इस बार मैथ्स में बैक नही लगेगा ।

अर्चित : हां यार बात तो सही कही तूने । अच्छा चल कॉलेज भी जाना है । वरना ये गांडू अपनी गांड मार लेगा ।

इतना कह कर दोनो कॉलेज के लिए तैयार होने चले जाते है ।



To be continued in next part
Nice and lovely update....
 
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