अपडेट 10
सुबह ऊपर वाले को याद किया और दुआ मांगी के मेरा एग्जाम अच्छा जाए।
मेने अपना बैग में जरूरी सामान रखा और भाई को जगाने ऊपर उसके कमरे की तरफ चल दी।
दरवाजे पर पहुंच कर मैंने आवाज लगाई लेकिन कोई रेस्पॉन्स नही मिला और मैंने भाई का दरवाजा धीरे से खोला और अंदर आ गयी। भाई और मेरे बीच मे जो हो रहा था उससे मेरे अंदर झिझक ओर शर्म खत्म होती जा रही थी इसलिए मैं बिना डरे अंदर कमरे में आ गयी।
भाई चादर ओढ़ कर सोया हुआ था पर अपना मुंह चादर से बाहर निकाल रखा था, भाई सोते हुए बड़ा प्यारा लग रहा था। मैंने भाई को सोते हुए निहार ही रही थी के भाई की चादर में एक तंबू बना हुआ नजर आया जो चादर को ऊपर उठाया हुआ था। मुझे हैरानी हुई के चादर के अंदर ऐसी क्या चीज है जो चादर को इतना ऊपर उठाएं हुए है मैंने उस चीज को देखने के लिए भाई के जिस्म से चादर एकदम से खींच ली।
चादर हटा कर मेने जैसे ही भाई की तरफ देखा तो भाई एक दम नंगे सोये हुए थे और उसका लन्ड महाराज 100 डिग्री का कोण लिए भाई के पेट की तरफ जा रहा था
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भाई का लन्ड एक दम कठोर था और झटके ले रहा था। हैरानी से मेरा मुँह खुला हुआ था, मुझे हैरत हुई के भाई कब से नंगा सोने लगे ओर भाई का लन्ड कितना बड़ा और मोटा है।
भाई के लन्ड की टोपी एक दम आलू की तरह गोल ओर लन्ड के निचले भाग के मुताबिक बहुत बड़ी थी जिसे देखकर मेरे जिस्म में रोमांच की एक लहर दौड़ गयी की मेरा भाई का लन्ड भी उसकी तरह ही गोल ओर खूबसूरत है फिर मैंने लन्ड को निहार कर
भाई को हाथ से हिलाया लेकिन भाई सोते रहे, मैंने उसको सोता देख हिम्मत करके उसकी टांगों के बीच आ गयी और झुक कर भाई के लन्ड का मुआयना करने लगी। फिर मैंने अपने हाथ की कलाई को भाई के लन्ड के समांतर किया और नापा तो भाई का लन्ड मेरी कलाई से दोगुना था और लम्बा इतना कि मेरी पूरी कोहनी के बराबर था।
मैं हेरत में पड़ गयी कि क्या चीज है ये जो इतनी बड़ी ओर मोटी है। या ऊपर वाले ये क्या चीज दे दी भाई को जो इतनी बड़ी है। तभी मुझे एक मादक खुसबू अपने नथुनों में महसूस हुई और मैने भाई के लन्ड के पास नाक लाकर उसे सुंघा तो मेरा रोम रोम रोमांच ओर उत्तेजना से झूम उठा, मैं भाई के लन्ड को सूंघने लगी
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ओर भाई के लन्ड से निकल रही स्मेल में इतना खो गयी कि मुझे भाई का डर भी ना रहा के वो जाग सकते हैं और उन्हें पता लगा तो वो मेरे बारे में क्या सोचेंगे।
मेने अपनी नाक भाई के लन्ड के टोपे के बिल्कुल पास ले आई और जोर जोर से सूंघने लगी। मुझे लन्ड की गर्म महक पागल कर रही थी ओर मैं अपनी तालीम, इज्जत, अपनी नेक परहेजगारी इन गंदी चीजों के सामने बिल्कुल ख़ोती जा रही थी। मुझे इन गंदी चीजों में जो मजा ओर रोमांच मिलता था उसके सामने मेरी पढ़ाई, मेरे रिस्ते, मेरी तरबियत कमजोर पड़ती जा रही थी।
मैं भाई के लन्ड को सूंघ ही रही थी के भाई ने करवट ली और एक साइड करवट लेकर अपनी टांगे फोल्ड कर ली और सोने लगे ऐसा करने से भाई का लन्ड उसकी टांगो के बीच आ गया।
टांगे फोल्ड हुई तो मुझे भाई की प्यारी सी गाँड़ का नजारा सामने आ गया जिसमे गाँड़ के बीच भूरा छेद वाक़ई कमाल का था।
मुझे भाई का छेद देखकर चुत में कुछ रिश्ता हुआ महसूस हुआ।
भाई की गाँड़ को देखकर मुझे कुछ अजीब भी लग रहा था की मुझे ऐसी गन्दी निगाहों से नही देखना चाहिए पर मैं क्या करूँ जितना मैंने आपकी इज्जत को ढका उतना ही शैतानी जिस्म मेरी इज्जत को बेआबरू कर रहा था
मुझे इन सब चीजों से एक नया मजा मिल रहा था जिससे मैं आजतक अनजान थी। मेरा दिमाग हर चीज को थ्रिलर के रूप में मुझे पेश कर रहा था
मै भाई की गाँड़ के करीब आई और गौर से देखा तो भाई का छेद एकदम भूरा ओर उसपर बहुत छोटे छोटे बाल थे जो भाई की गाँड़ को ओर भी हसीन बना रहे थे
मैंने जल्दी से अपने आप को संभाला ओर कमरे से बाहर आ गयी और दरवाजा पीटने लगी। मेने भाई को आवाज दी के भाई जग जाओ और जल्दी से नहा धोकर मुझे एग्जाम दिलाने लाहौर चलो
बार बार दरवाजा पीटने ओर मेरी आवाज से भाई जग गए और मुझे जवाब दिया " बाजी आप तैयार हो जाओ उसके बाद मैं भी नहा धोकर आपको ले चलूंगा एग्जाम दिलाने।
मैं भाई को जगाकर नीचे आ गयी और अपने कमरे में पहुंचकर नए कपड़े लिए ओर ऊपर बाथरूम में आ गयी।
मैंने अपने कपड़े निकाले ओर फिर अपनी मोटी ओर गदराई गाँड़ लेकर शीट पर हगने (लैटरिंग) बैठ गयी।
मुझे काफी जोर से हगवास आ रही थी मेने बैठते ही अपनी गाँड़ का प्यारा सा भूरा टाइट छेद थोड़ा खोला ओर भरभरा कर हगवास निकलने लगी। ये दृश्य कैमरे में कैद करने लायक था
हक़ीक़त तो ये है कि अगर मुझे कोई हगते हुए देख ले तो उसका लन्ड असली लंबाई को छोड़कर 4 इंच फालतू बढ़ जाएगा और मेरी टट्टी को निकलते देख वीर्ये की बारिश कर दे। मुझे भी अपनी टट्टी करती हुई गाँड़ देखकर नशा सा हो रहा था। पीली पीली टट्टी लाइन के साथ निकल रही थी ओर लैटरिंग शीट पर जाके गिर रही थी
मुझे हगते हुए आज काफी मजा आ रहा, इससे पहले मैंने इन चीजों पर कभी ध्यान नही दिया, जबसे भाई के साथ वाकये हो रहे हैं मुझे अलग ही तरह की फीलिंग ओर मजा मिल रहा था जिसकी डिमांड मेरा जिस्म चीख चीख कर कर रहा था। मेरी गाँड़ हगवास से खाली हुई और लैटरिंग शीट पर निगाह डाली तो कम से कम दो ढाई किलो टट्टी पड़ी हुई थी। दरअसल मेरी गाँड़ गदराई ओर मोटी थी तो टट्टी भी ढेर सारी निकलती थी।
मैं हगने से फारिग हुई और गाँड़ धोने लगी, मैंने अच्छी तरह गाँड़ धोई ओर फिर टट्टी को पानी से बहाया
अपनी चुत को धोया ओर फिर अच्छी तरह ग़ुस्ल किया और नहाने लगी। मेरी चुचिया हमेशा की तरह तनी हुई थी जिसे आज तक किसी मर्द ने नही छुआ था, बल्कि देखा भी नही था भाई को छोड़कर।
मेने चुचियों पर अच्छी तरह साबुन लगाया और मसल मसल कर उन्हें मेल से बेदार करने लगी।
फिर चुत पर साबुन लगाया और उसे भी अच्छी तरह नहला कर
पूरे जिस्म को साफ किया और नया सूट पहनकर नीचे आ गयी।
भाई नीचे अब्बू से बाइक के बारे में बात कर रहे थे।
मेने कमरे में पहुंच कर बाल वगेरह ठीक किये और इत्र लगाया और बुर्का पहन लिया। मैं हमेशा अच्छी तरह बदन ढक कर ही बाहर जाती थी तैयार होकर मैं अम्मी के पास किचन में चली गयी और अम्मी की मदद करने लगी। दोनों ने मिलकर नास्ता तैयार किया और सबको नास्ते के लिए बोला।
इतने में भाई भी नीचे आ गए जो काफी खूबसूरत लग रहे थे जो किसी भी लड़की के राजकुमार बनने के लिए काफी थे।
हम सबने नास्ता किया और अब्बू ने भाई को हिदायत दी के बाइक आराम से चलाए ओर मुझे अच्छे से एग्जाम के अंदर बिठा दे और बाहर आवारागर्दी ना करे।
अम्मी ने मेरा माथा चूमकर कामयाबी की दुआयें दी और मैं कमरे से बेग लेकर बाहर आ गयी इतने में भाई ने बाइक घर से बाहर निकाल ली, में पूरी तरह कवर थी मेरी आँखों के अलावा कोई मेरे हाथ पैर भी नही देख सकता था।
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मैंने हाथों में ग्लोव्स ओर पाँवों में जुराब डाले हुए थे।
जो अक्सर हमारी औरते करती हैं
मैं भाई के साथ एक साइड पाँव करके बैठ गयी और अम्मी अब्बू से सलाम करके निकल गयी।
घर से निकल कर हम मैन सड़क पर आ गए जो लाहौर की ओर जाती थी। भाई अपनी ही मस्ती में बाइक चला रहे थे, तभी मेने भाई को बोला
मैं:- भाई बाइक आराम से ही चलाना कभी हीरोगिरी करके मुझे गिरा दो, सामने नजर रखकर बाइक चलाओ
भाई:- बाजी आप टेंशन ना लो, बाकी में हीरोगिरी किसके लिए करूँगा, मुझे लड़कियों से कोई मतलब नही बस एक लड़की से हैं
मैं:- कमीने कौन लड़की है जिसके चक्कर मे पड़ा हुआ है, कोई कॉलेज की दोस्त है या कोई और बता मुझे
भाई:- बाजी उसके बारे में आपको नही बताऊंगा, कभी आप उससे जलने लगो। वो इतनी खूबसूरत है कि आप पक्का उससे जलने लगोगी। इसलिये मैं नही बताऊंगा
मैं:- कमीने अब्बू से कहना पड़ेगा भाई गलत चक्करों में पड़ गए हैं। सम्भालो अपने लाडले को कहीं गलत रास्ते पर ना चल पड़े
भाई:- बाजी ऐसी कोई बात नही है मैं तो बहुत सीधा लड़का हूँ, मैं क्यों चक्करों में पडूंगा. पर एक लड़की है जिसे मैं जान से ज्यादा प्यार करता हूँ लेकिन वो मुझे पता नही पसन्द करती है या नही, पर मेरी कोशिश जारी है कि वो भी मुझे प्यार करे।
मैं:- कौन है वो बता तो सही, मैं भी तो देखु कौन है जो मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत है। तुम झूट तो नही बोल रहे बता मुझे
भाई:- बाजी सच मे उसके बारे में घर पहुंच कर बताऊंगा फिलहाल आप एग्जाम पर ध्यान दो। इसके बारे में बाद में बात करेंगे
मैं:- चलो कोई बात नही घर बता देना। वैसे भी मुझे क्या होगी कोई काली पीली। मुझे भाई की इस बात ने परेशान कर दिया था के वो किसी के चक्कर मे हैं पता नही वो केसी होगी कहीं भाई को गलत रास्ते पर ना ले जाये पर अभी मुझे सब्र करना था
कोई एक घटे के सफर के बाद हम इम्तिहान सेंटर पहुंचे जहां मेरा इम्तिहान था।
भाई ने सिटींग अरेंजमेंट पेपर पर मेरा रोल नम्बर चेक करके मुझे उस रूम में बैठा दिया जहां मेरा इम्तिहान था।
उस रूम में करीब 20 लड़कियां ओर थी जो पेपर देने आए थी।
करीब आधा घण्टा बाद टीचर आये और सबको पेपर दिया, भाई बाहर चले गए थे। पेपर शुरू हुआ और मैं लगभग सभी प्रश्न आसानी से करती गयी। मेरी तैयारी अच्छी थी जो पढ़ा था लगभग उसी में से प्रश्न आये हुए थे।
मेने सारा पेपर किया और टीचर जो कि एक महिला ही थी उसे पकड़ाया ओर बाहर आ गयी। गेट पर पहुंची तो मुझे भाई दिखे ओर मेरे पास आकर पेपर के बारे में पूछने लगे।
मेने उसे सारी बाते बताई और हम बाइक पर सवार होकर चल पड़े। रास्ते मे भाई ने बाइक मंदी की तो मैंने पूछा क्या हुआ
भाई:- बाजी कभी कभी तो मार्किट आते हैं क्यों ना आपको मन पसंद आइसक्रीम खिलाऊं
मैं:- ओह्हहह होह हो, तो आज भाई अपनी बाजी को आइसक्रीम खिलाने वाले हैं क्या बात क्या बात ह
भाई:- बाजी में तो कब से आपको आइस्क्रीम खिलाना चाहता हूं कभी मौका ही नही मिलता
मैं:- चलो फिर खिला देना, ओर भाई ने बाइक साइड में रोककर 2 आइसक्रीम लेकर आये।
भाई:- बाजी आप इनको सबके सामने तो खाएंगी नही क्योंकि फिर आपका मुँह दिखेगा, इसलिए इन्हें बेग में रखो घर जाकर खाएंगे।
मैं:- भाई ये तो घर तक पिघल जाएंगी फिर क्या मजा इनको खाने का, ऐसा करते हैं घर जाकर इन्हें फ्रीज़ में रख देंगे फिर जैसे ही जम जाएगी तो खा लेंगे।
भाई:- हाँ बाजी ये सही रहेगा।
फिर हम आइस्क्रीम लेकर चल पड़े और एक घण्टे बाद हम घर पहुंच गए। भाई ने बाइक अंदर खड़ी की ओर मैं अम्मी के पास गई जो बाहर बैठ कर हमारा ही इंतज़ार कर रही थी।
अम्मी:- आ गयी मेरी बच्ची, कैसा हुआ तुम्हारा इम्तिहान
मैं:- अम्मी बहुत अच्छा हुआ, मैं जरूर कामयाब हो जाऊंगी देखना तुम, मैंने सभी सवाल कर दिए थे।
अम्मी:- बेटी ये तो अच्छी बात है ऐसा करो तुम खाना गर्म करके खा लो और अपने भाई को भी दे देना।
ठीक है अम्मी ओर मैं कमरे में आ गयी और कपड़े बदल कर बेग से आइस्क्रीम निकाली और किचन में जाकर फ्रीज में रख दी। फिर मैं खाना गर्म करने लगी।
भाई भी अम्मी के साथ बैठकर बाते कर रहे थे।
मैंने खाना गर्म किया और भाई को लगा दिया और भाई अपना खाना ऊपर ले गए।
में भी अम्मी के पास बेठकर खाना खाने लगी, ओर अम्मी से बातें करती रही पेपर के बारे में।
खाना खाकर में कमरे में आ गयी और थकान की वजह से सो गई
शाम को अम्मी ने जगाया ओर किचन में खाना तैयार करवाया
इतने में अब्बू आ गए उन्होंने भी मेरे सर पर हाथ रखकर दुआएं दी और पेपर के बारे में पूछा। मैंने अब्बू को सारी बाते बताई और
कुछ देर बाद सब खाने के लिए इकट्ठा हुए और सबने बातें करते हुए खाना खाया।
सभी काम निपटा कर मैं भी रूम में आ गयी। और अपने कपड़े प्रेस करने लगी। मैं सभी के कपड़े प्रेस करती थी।
अम्मी ने ये काम मुझे ही सौंपा हुआ था, कपड़े धुलने में अम्मी मेरी मदद कर देती थी।
रात के करीब 10 बजे तक मेने कपड़ों की प्रेस की ओर फारिग होकर मेने कपड़ों को अलमारी में रखा और कुछ देर बैठ कर आराम किया।
तभी मुझे आइस्क्रीम याद आई और दौड़ कर किचन में गयी कहीं आइसक्रीम बर्फ ना बन गयी हो।
मेने उन्हें फ्रीज़ से निकाला तो वो अच्छी तरह ठंडी ओर जम भी गयी थी।
अम्मी अब्बू के कमरे की तरफ देखा तो उनकी लाइट बन्द हो चुकी थी इसका मतलब वो सोने की तैयारी में थे।
मैंने आइसक्रीम लेकर ऊपर जाने लगी, ऊपर पहुंच कर मेने आवाज लगाई तो भाई ने मुझे अंदर आने को कहा
मैं अंदर जाकर बेड पर जाकर बैठ गयी ओर आइसक्रीम भाई को दिखाते बोली कि भाई आइसक्रीम याद है आपको
भाई:- ओह्ह बाजी में तो भूल ही गया था कि हम आइस्क्रीम भी लाये थे,
मैं:- चलो आ जाओ ये लो आइसक्रीम, ओर मेने भाई को एक आइसक्रीम पकड़ा दी। हम दोनों अपनी अपनी आइसक्रीम खाने लगे तभी मुझे भाई की वो बात याद गयी जब उसने कहा था कि उसे एक लड़की पसन्द है
मैं:- भाई अब तो बता दो कोन है वो लड़की जिसे तुम मोहब्बत करते हो।
भाई:- अच्छा तुम्हे जानना है उसके बारे में चलो आइसक्रीम खा ले पहले उसके बाद बताऊंगा।
हम दोनों अपनी अपनी आइसक्रीम खत्म की तभी भाई बोला कि बाजी अपनी आंखें बंद करो
मैं:- आंखे बंद क्यों करू तुम वैसे ही बता दो ना
भाई:- बाजी अगर उसके बारे में जानना है तो आंखे बंद करनी पड़ेगी वरना नही बताऊंगा
मैं:- अच्छा चलो कर लेती हूं और मैंने अपनी आंखें बंद की तभी भाई ने मुझे खड़ा किया और आंखों पर हाथ रखकर मुझे कहि ले जाने लगे।
भाई :- बाजी आंखे मत खोलना प्लीज जब मैं कहूं तभी खोलना
भाई ने पता नही कहाँ ले जाकर मुझे खड़ा किया ओर फिर भाई ने मुझे आंखे खोलने को कहा मेने आराम से आंखे खोली तो सामने भाई का एक बड़ा आईना लगा था जिसमे हम दोनों दिख रहे थे।
मैं:- भाई ये तो आईना है क्या तुम आईने को प्यार करते हो
भाई:- मेरी भोली बाजी आईने में कौन है नजर आ रहा है या नही
मैं:- भाई इसमें तो मैं दिख रही हूं ओर भाई मेरे ठीक पीछे आ गए और मेरे कंधे पर सर रख दिया
भाई:- बाजी आप ही हो जिसे में बेइंतहा मोहब्बत करता हूँ आपके आलावा मेरा दिल कहीं नही लगता। आपसे सच्ची मोहब्बत हो गयी है बाजी ओर भाई ने मेरी गर्दन पर किस कर लिये
मैं:- आहहहह भाई क्या तुम सच मे मुझसे मोहब्बत करते हो, या मजाक कर रहे हो। मुझे सच मे भाई की ये अदा पसन्द आ गयी। क्योंकि मेरे जिस्म में भाई के चुंबन से एक लहर दौड़ गयी और मैं पिघलती जा रही थी आइसक्रीम की तरह
भाई:- बाजी मैं सच मे सिर्फ आपसे ही मोहब्बत करता हूँ, ओर हमेशा करूँगा। चाहे आप मना करर दो। फिर भी मेरा प्यार आपके लिए कम नही होगा। ओर इतना कहकर भाई की आवाज रोने वाली हो गई भाई के हर एक लफ्ज में प्यार झलक रहा था
मैं भी कहीं ना कहीं भाई को चाहने लगी उसके साथ टाइम कब बीत जाता पता ही नही चलता आखिर मेने भी दिल पर हाथ रखकर एक सांस ली और
मैं:- ahhh भाई मैं भी तुमसे मोहब्बत करने लगी हूँ, तुमसे दिल्लगी सी हो गयी है, जब तुम पास नही होते तो मेरा दिल नही लगता है। भाई तुम्हारे बिना में अधूरी हूँ। और मैने पलट कर भाई को किस करने लगी भाई ने भी मुझे चूमना शुरू कर दिया और हम एक दूसरे को चूमते हुए बेड पर आए और भाई ने मुझे धक्का देकर बेड पर लिटा दिया। मैं मदहोशी में एक बार फिर भाई को चूमने लगी।
आज मेरा दिल दिमाग तन मन सब भाई की आगोश में था। भाई ने मुझे लेटा कर मेरे ऊपर आये और मुझे चूमते रहे। कभी मैं भाई की जीभ को चुस्ती कभी भाई मेरी जीभ को मुँह में लेकर चूसते।
कोई 10 मिनट तक हम एक दूसरे को चूसते रहे जब सांस भर गई तो मैंने भाई को अलग किया और सांसे लेने लगी।
मेरी आँखें नशे में लाल हो गयी, ओर होंठ कांप रहे थे, यह जिंदगी का पहला मौका था जब मैं भाई के साथ खुल कर आनन्द ले रही थी। मेरा रोम रोम प्यार की लज्जत से खुश था
मैं:- भाई क्या हम ये सही कर रहे हैं, कोई गुनाह तो नही हो रहा है मुझसे, कहीं में बहक तो नही गयी। कहीं ऐसा तो नही होगा कि ये प्यार की मदहोशी से निकल कर जब मैं असल जिंदगी में आऊंगी तो पछताना पड़े
भाई:- बाजी ये हमारा प्यार है, ओर प्यार इंसान देखता है ना कि उनके रिस्ते, ऊपर वाले कि मर्जी है तभी तो मेरा दिल आपके लिए धड़का ओर आप का दिल मेरे लिए।
बाजी मैं बहुत खुश हूं कि मैंने आज अपने प्यार को पा लिया, अब जिंदगी से कोई शिकायत नही रही।
मैं:- भाई खुश तो मैं भी बहुत हूँ, मुझे तुम्हारी हरकते बहुत मासूम ओर प्यारी लगती है कब तुम्हारी मासूमियत से अपना दिल लगा बैठी पता ही नही चला।
भाई:- बाजी में हमेशा आपकी इज्जत करूँगा, चाहे केसी भी परिस्थिति आये मेरे लिए आप मेरी प्यारी सी बड़ी बाजी रहोगी।
मैं:- ओह्ह भाई शुक्रिया, भाई तुम कभी मुझे गलत मत समझना, मैं भी एक लड़की हूँ मेरी भी कुछ ख्वाइशें है। मैं कुछ गलत करू तो तुम मुझे सही रास्ता दिखा , मुझे तुम्हारा प्यार समझ आ गया है कि जब किसी को प्यार होता है तो कैसा फील होता है, भाई तुम्हारे टच करने से मेरे जिस्म में फूल बरसने लगते हैं, तुम्हारे आस पास रहती हूं तो अपने आपको बिल्कुल सुरक्षित महसूस करती हूं, तुम्हे देखने से मेरा दिल दिमाग तरोजाता हो जाता है भाई तुम बहुत अच्छे हो।
ओर इतना सुनकर भाई ने मुझे फिर से चूमना शुरू कर दिया मेरे सुर्ख लाल होंठ जिनमें शहद जैसा मीठापन था उन्हें जोर जोर से चूसने लगे।
मैं भी भाई की बाहों में लिपट कर उसके मर्दाना होठ पी रही थी।
भाई के मर्दाना होंठ शहद से भी ज्यादा मीठे लग रहे थे, मैं कभी भाई का निचला होठ दांतों से चबाती कभी ऊपर का।
भाई भी फूल गर्म हो चुके थे और मुझे बेहताशा चूमे जा रहे थे।
हम दोनों कुछ देर ऐसे ही चूमते रहे फिर मैंने भाई को अलग किया तो भाई बेमन से अलग हुए भाई का चेहरा मेरे थूक से गीला था और भाई के माथे पर पसीना आया हुआ था।
मैंने अपने दुपट्टे से भाई का मुँह साफ किया और पसीने को भी पोछ कर मैं भाई की तरफ देखने लगी।
मुझे अपनी तरफ देखकर भाई शर्मा गए और नजरे झुका ली।
मैं:- भाई मेरी कुछ शर्तें हैं जो आपको माननी पड़ेगी अगर प्यार करते हो तो।
भाई:- बाजी बताओ क्या शर्ते हैं मैं आपकी सारी शर्ते मानने को तैयार हूं।
मैं:- तुम मुझे हमेशा बाजी ही बुलाओगे चाहे केसी भी परिस्थिति आये, कभी मेरा मुकाम नही भूलोगे
कभी मुझे नाराज मत करना, में बहुत नाजुक हूँ कहीं कुछ कर ना बैठु, कभी मुझसे झूट मत बोलना जो भी बात हो सच बताना।
ओर सबसे मैन बात कभी मुझे ग़लत मत समझना, चाहे मैं केसी भी हरकत करू तुम मुझे वही इज्जत दोगे जो हमेशा देते आये हो
भाई:- ठीक है बाजी मैं आपकी हर बात मानने को तैयार हूं, मैं कभी भी आपको नाराज नही करूँगा।
मैं:- ठीक है अब मैं चलती हूँ तुम भी सो जाओ
भाई:- बाजी एक बात कहनी थी आपसे अगर नाराज ना हो तो
मैं:- कहो क्या बात है भाई मैं बुरा नही मानूँगी
भाई:- बाजी क्या आप उस दिन की तरह मुझे अपने बूब्स दिखा सकती हो, मेरे बहुत मन कर रहा है आपके बूब्स देखने को।
मुझे नींद अच्छी आ जायेगी अगर आप ऐसा कर दो, इसे आप प्यार कक बक्शीस समझ लेना और मुसकुराने लगा
मैं:- अच्छा जी अब बेगैरत इंसान को बख्शीश चाहिए,
भाई:- जी बाजी अगर आप दिल से देना चाहो तो, मन तो मेरा भी कर रहा था कि भाई कोई हरकत करे क्योंकि हम दोनों ही गर्म हुए बेठे थे, आज मुझे कुछ अलग करने का मन था जिसे भाई भी याद रखे मैंने एक साँस ली और भाई को बोला
मैं:- चलो भी ऐसा करते हैं तुम मेरे बूब्स देखकर हिला लो मैं यही बैठी हूँ
भाई:- बाजी ऐसे नही आप अपने ऊपर के कपड़े निकाल दो जिससे मेरा काम जल्दी हो जाये।
भाई की ये बात सुनकर मुझे भी सरारत सूझी ओर मैं
मैं:- मैं तो कुछ नही करूंगी जिसे जो करना है कर ले
भाई:- चलो बाजी आज मैं खुद ही आपके कपड़े निकल देता हूँ और ऐसा कहते हुए भाई मेरे पास आये और मेरे कमीज को पकड़ कर निकलने लगे।
मुझे शर्म तो बहुत आ रही थी के आज एक भाई अपनी इज्जतदार ओर नेक बाजी के कपड़े उतार था। इस चीज से मेरे जिस्म में तरंगे दौड़ने लगी
भाई ने कमीज उठाई और मैने अपने दोनों हाथ हवा में उठा लिए जिससे कमीज निकलने में परेशानी ना हो।
कमीज उतार कर अब मैं ब्रा में आ गयी थी मुझे अब ओर शर्म महसूस होने लगी और मैने अपने हाथ अपने चुचों पर रख दिया।
भाई ने आराम से मेरे हाथ हटाये ओर बाजी बाजी कहते हुए मेरे पीठ के पीछे गांठ को खोला और ब्रा निकाल दी जिससे मेरे मोटे मोटे चुंचे आजाद हो गए जो एकदम गोल शेप मैं थे।
![c8945ffdb6f638f85ab2a63db75f426e c8945ffdb6f638f85ab2a63db75f426e](https://i.ibb.co/2cR0VGM/c8945ffdb6f638f85ab2a63db75f426e.gif)
मैंने जल्दी से अपना हाथ ऊपर लाकर उन्हें ढक लिया, मेरा शर्म से बुरा हाल था के भाई आज मेरे बूब्स को गहरी निगाह से देख रहा था। भाई ने मेरे हाथों को पकड़ा और अपने चहरे की तरफ ले जाकर चुम लिया और मेरी सिसकी निकल गयी।
भाई ने मेरे चुचों को गौर से देखना शुरू किया और अपना पेंट निकलने लगे, उसके पेंट में हमेशा की तरह आज भी तंबू बन गया था, भाई ने पेंट निकाला और फिर कच्छा भी निकाल दिया
अब उसका हलब्बी लोडा मेरी निगाहों के सामने था, भाई का लन्ड झटके पे झटका मार रहा था, तभी भाई ने उसको हाथ से पकड़ा और मसलने लगे। मैं बेड पर ऊपर से नंगी होकर भाई की हरकतों से उत्तेजित हो रही थी, मेरी चुत भी बगावत पर उतर आई थी और उससे पानी रिसने लगा।
भाई अब तेज़ तेज़ अपने हलब्बी लोडे को हिला रहे थे और सिसक रहे थे,
![tumblr-n2tbuvs-BCD1rwts01o1-500 tumblr-n2tbuvs-BCD1rwts01o1-500](https://i.ibb.co/MfQWJ31/tumblr-n2tbuvs-BCD1rwts01o1-500.webp)
ahhhhhhh baajiiiiii kitnee pyareeee boobsssss hai apkeeeee kitneeeee moteeeee moteeeeee tarbujjjjjjj ki tarah aaahhhhhhhh baajiiiiii in boobssss ne meraaaaaa jinaaaaaa muskilll karr rkha hai aaahhhhhh baajiiiii
इस तरह की आवाजें भाई के मुँह से निकल रही थी जो मुझे जोश दिला रही थी। तभी भाई रुक गए और कहने लगे
भाई:- बाजी मजा नही आ रहा ऐसा करो तुम ही हिला दो ना अपने हाथों से
मैं:- पागल हो भाई, मैं तुम्हारी बाजी होकर इसे कैसे हिला सकती हूं, तुम खुद कर लो ना
भाई:- अहह बाजी प्लीज हिला दो आपके हाथों से इसका माल जल्दी निकल जायेगा। प्लीज बाजी हिला दो
मैं:- गंदे इंसान तुम पता नही क्या क्या करवाओगी अपनी बाजी से, मुझे भी अपनी तरह गन्दी कर दोगे। मैं शर्माती हुई अपने छोटे भाई के हलब्बी 9 इंच के लुल्ले के नीचे बैठ गयी ओर लोडे को देखकर मचलने लगी। भाई ने अपना हाथ लोडे से हटाया ओर मेरा हाथ पकड़ कर अपने तपते हुए लन्ड पर रख दिया।
भाई के लोडे पर हाथ लगते ही मुझे गर्म रॉड जैसा फील हुआ और चोंकती हुई ऊपर निगाह करके भाई का चेहरा देखने लगी
जोकि मेरी ही तरफ देख रहा था और आंखों से इशारे करके मुझे लोडा हिलाने की गुहार लगा रहा था।
मैंने भी फरमाबरदार माशूका के तौर पर भाई का लन्ड हिलाने लगी। भाई का लन्ड सूखा हुआ था जिससे मेरा हाथ आगे पीछे दर्द भरी रगड़ दे रहा था जो भाई के चेहरे से पता चल रहा था।
भाई ने मेरी तरफ देखते हुए मुझसे कहा
भाई:- बाजी ऐसे तो मुझे दर्द हो रहा है ऐसा करो तुम इसे गीला कर दो थूक वगेरह लगा कर। भाई की इस बात से मुझे बहुत शर्म महसूस हुई के अब यही काम रह गया है मुझे जो लोडों को गीला करती रहू।
मैं:- भाई मुझसे ऐसे बात मत करो, तुम्हे थोड़ी बहुत शर्म नही आती बाजी से ही थूक लगाने को कह रहे हो
भाई:- बाजी प्लीज लगा लो नही तो ऐसा करो अपने हाथ आगे करो मैं आपके हाथों पर थूक दूंगा फिर आप लन्ड पर लगा देना
भाई अब बात बात मुझे अपनी मनमर्जी मनवा रहे थे, जिससे मुझे भी अच्छा लग रहा था, सायद यही मेरे जिस्म की पुकार थी जो मैं गन्दी गन्दी चीजों को करके ज्यादा उत्तेजित होती थी
मैं जितनी ज्यादा परहेजगार ओर इज्जतदार थी उससे कहीं ज्यादा मुझे गन्दी चीजें से मजा आता था। मेरी आंखे जितना गंदा दृश्य देखती तुरंत मेरा दिमाग उस चीज को करने के लिए कहता
सायद मेरी बर्बादी के ताने बाने इन्ही चीजों से लिखे जाने थे
बहरहाल मैंने लन्ड को छोड़ा और दोनों हाथ जोड़कर जैसे दुआ मांगते है उसी तरह हाथ फैलाये ओर भाई ने अपने मुँह से ढेर सारा थूक गिराया जो मेरे हाथों पर आके गिरा। भाई ने 2-3 बार मेरे हाथों पर थूका ओर मैने दोनों हाथों को लोडे पर रखकर भाई का थूक लोडे पर मलने लगी। नीचे से मेरी चुत में चीटियां काट रही थी अब भाई के सामने तो इसे नही सहला सकती इसलिए मैंने चुत को थोड़ा सब्र रखने के लिए कहा।
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मेने अपनी प्यारी सी छोटी सी चुत को दिलासा दिया की जल्द ही मैं उसकी तरफ़ आऊंगी ओर उसकी भी तड़प मिटाऊंगी।
थूक मलने से भाई का लोडा अब गीला हो गया था जिससे मेरा हाथ अच्छी तरह फिसल फिसल कर भाई के लोडे का जहर निकालने में लगा हुआ था। मुझे भाई की झांटे दिखी जो अभी छोटी छोटी थी और भाई की बॉल्स बड़े आकार की थी जैसे कोई क्रिकेट की गेंद।
मुझे काफी टाइम हो गया और मैंने तेज़ तेज़ हाथ हिलाना शुरू कर दिया। भाई की सिसकियां निकलने लगी।
ahhhh meri baaji tezzzzz tezzzz hilaaao apne bhaaiiiiii ka hathiyaaaaa ahhhhhh baaaaji
मैं:- भाई तुम इसे हमेशा हथियार बोलते हो मुझे ऐसा लगता है इसका नाम कुछ और हो।
भाई:- अहहहहहहह बाजी इसे कुछ और भी बोलते हैं में आपके डर की वजह से नही बोल पाता
मैं:- इतना गन्दा काम करवा रहे हो फिर भी डर रहे हो आज बेझिझक इसका नाम बताओ क्या बोलते हैं
भाई:- ओह्ह हहहहहहहह बाजी इसे लन्ड बोलते है, कोई इसे लुल्ला बोलता है कोई इसे लोडा बोलता है पेनिस भी बोलते हैं
मैं इन नामों को सुनकर ओर ज्यादा एक्ससाइटिड हो गयी और बोली को बोली
मैं:- भाई एक चीज के इतने सारे नाम अहहहहहह भाई तुम्हे कोनसा नाम पसन्द है इनमें से।
भाई:- बाजी मुझे तो लुल्ला कहना पसन्द है लुल्ला कहने में अपना पन सा महसूस होता है। और बड़े लन्ड को लुल्ला ही बोलना चाहिए ahhhhhhh baaji mjaaaaa aaaa rhaaaaa haiiiiiiii tummmmmm bhiiiiii bolooooo naaaaaaaaa lullllllaaaaaaaaaaaa
मैं:- ahhhhh bhaaaiiiiiii kaaaaaaaa lullllllaaaaaaaa
mereeeeee bhaaiiiiii kaaaaaaaa bdaaaaaaa lulllaaaaaaaaaaaa , teriiiii baaajiiiiii keeeee haathhhhhh maiiiiii bdaaaaaaa lulllllaaaaaa
ओर मैं खुद भी लुल्ला बोलते हुए झड़ गयी आज भाई के लन्ड के मुठियाते हुए लुल्ला बोलने से मेरी चुत ने पानी छोड़ दिया
भाई के चहरे से लग रहा था कि वो भी आने वाले हैं और मैने भाई को जोश दिलाने के लिए फिर से नाम लेना शुरू कर दिया
bhaaiiiiii tumharaaaaa lullllaaaaaa kitnaaaaaa bdaaaaa haiiii dekho mereeeee hathoooooo me bhi nhiiiii aaaaa rhaaaaa aaaaaa bhaaai tumharaaaaa lullllllaaaaaa paaniiii kabbbb chodegaaaaaaa
ओर इतना सुनते ही भाई ने मेरे हाथ अपने लन्ड से हटाया ओर करीब आकर मेरे मुँह के ऊपर अपने लुल्ले से माल निकालने लगे। पहली पिचकारी मेरे बालों पे गिरी ओर फिर हेरत से मेरा मुँह खुल गया जिसकी वजह से भाई का गर्म गर्म माल मेरे मुँह में जाने लगा। भाई लगातार अपना माल मेरे मुँह में जमा कर रहे थे और मैं भी माल को अपने मुँह में लिए जा रही थी
कमसे कम एक मीनट तक भाई का लुल्ला माल छोड़ता रहा
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ओर जब भाई के माल खत्म हुआ तो एक बूंद गिरने को थी मैंने भाई का लन्ड पकड़ा और उंगली से उस माल की बूंद को निकाला और मुँह में ले लिया
भाइ अभी भी खड़े थे और उसकी सांसे चढ़ी हुई थी। और नीचे बैठी उसकी नेक, फरमाबरदार, ओर इज्जतदार बाजी के मुँह भाई के माल से फूल भरा हुआ था। भाइ की सांसे सम्भली तो भाई ने एक नजर नीचे बैठी अपनी बाजी पर डाली तो वो हैरत में पड़ गया कि इतना सारा माल मेरे मुँह में पड़ा था।
भाई:- बाजी इस माल को लिए बैठी क्यों हो जाओ बाथरूम ओर कुल्ली करके आओ
मैंने भाई की तरफ देखा और आंखों से आंखे मिला कर आंख मारी ओर उसका माल गटक गयी
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इतने सारे माल को पीने के लिए मुझे 3 घूंट लेने पड़े। सारा माल मेरे पेट मे चला गया और मैं दोबारा से मेरी टाइट चुत ने पानी छोड़ दिया।
मैंने अचछी तरह माल पीकर खड़ी हुई और भाई को अपना मुँह खोलकर दिखाने लगी
मैं:- भाई दिखना कहीं माल तो नही रह गया इधर उधर
भाई:- बाजी कुछ भी नही दिख रहा लगता है आपने मेरे लुल्ले का सारा पानी पी लिया। अहहहहहहहह बाजी तुम कितनी सेक्सी लग रही थी अपने छोटे भाइ के लुल्ले का पानी पीते हुए
मैं:- भाई माल से मुझे उल्टी आने को थी अगर उल्टियाँ कर देती तो अच्छा नही लगता इसलिए मजबूरी मैं पीना पड़ा, ये बात मेने भाई को झूठ बोली क्योंकि मुझे माल पीना बहुत अच्छा लगता था चटपटा सा स्वाद मुझे बहुत भाता है।
भाई:- बाजी तो कैसा लगा अपने ही भाई के लुल्ले से निकला माल, इतने सारे माल से तो पेट भर गया होगा आपका
भाई की इस बात में सच्चाई थी क्योंकि माल बहुत सारा था जिससे मेरा पेट फूल हो गया सारी प्यास बुझ गयी अहहहह
मैं:-भाई कहाँ से सीखा है तुमने ये काम की बाजी को ही माल पिला दिया, कमीने मुझे भी गन्दा कर दिया
भाई:- बाजी एक कहानी में एक भाई अपनी बहन को माल पिलाता है तो मैंने भी सोचा मैं भी आपको पिला देता हूँ।
मैं:- सारी गंदगी की जड़ ये तुम्हारी किताब ही है लाओ मुझे दो उनको मैं खुद जलाऊंगी उनको, पता नही क्या क्या गंदगी सीखी हुई है। मुझे अपनी गीली कच्छी से अब उलझन सी होने लगी थी क्योंकि उसमें मेरा 2 बार का लावा जमा था मैं अब जल्दी से अपने कमरे में जाना चाहती थी जिससे में कच्छी बदल सकू।
मैं:- भाई अब मुझे चलना चाहिए तुम्हारे गंदे अरमान भी पूरे हो गए अब मैं चलती हूँ और वो किताबें दो मुझे जिनसे तुम बिगड़ गए हो।
भाई:- बाजी किताबों का क्या करोगी अब
मैं:- तुम देते हो या नही, मेरी शर्त तोड़ रहे हो मना करके, जल्दी करो लाओ कहाँ रखी है वो। असल मे किताबे इसलिए ले रही थी जिससे में उन्हें पढ़ सकू ओर सेक्स की दुनियां का नॉलेज हासिल कर सकू। मुझे देखना था कि कैसे कोई अपने रिश्तों को दागदार करता है और गुनाहों को अंजाम देता है
भाई ने मुझे दोनों किताबे दी और मैं जाने के लिए मुड़ी तो भाई ने मुझे पीछे से बाहों में जकड़ लिया और बोला
भाई:- बाजी I Love You
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शुक्रिया आज के लिए
मैं:- I love You मेरे भाई चलो हटो मुझे जाने दो तुम्हारी बाजी अब लेट हो रही है।
भाई की रात सुहानी करके मैं नीचे कमरे में आ गयी और बेड पर लेटकर गंदे चित्रों वाली किताब देखने लगी।
फिर मेने इन्सेस्ट कहानियों वाली किताब पढ़ी, मैं किताबो में इतना डूब गई कि सुबह हो गयी। और सुबह उठने वाली नेक ओर पर्दा नसीन अंजुम के दिमाग मे सेक्स की हर परिभाषा फिट बैठ गयी। रात भर किताबें पड़ी ओर देखी जिससे मुझे 3 बार पानी निकालने पड़ा। अब मै किसी भी गन्दी चीज से अनजान नही थी, हर एक गन्दी चीज से में रात भर वाकिफ होती रही और चुत से पानी बहाती रही। अब आगे की जिंदगी क्या गुल खिलाएगी ये मैंने ऊपर वाले के भरोसे छोड़ा और बदन साफ करके ऊपर वाले को याद करने लगी।