Vikashkumar
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Dost ye Tatti ka scene mt likho.
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सलाम दोस्तो। मैंने बहुत सी कहानियां पड़ी अलग अलग फोरम पर, मेने सोचा क्यों ना एक कहानी मैं भी आपसे शेयर करू। कहानी ऐसी होगी कि आपको मजा मिलना तय है।
अपना प्यार बनाये रखना। पहली कहानी है तो कुछ गलतियां भी होंगी तो आप इग्नोर करना। मैं अपनी तरफ से आपका लन्ड ओर चुत गर्म करने की पूरी कोशिश करूंगा
कहानी में कुछ वर्ड्स को चेंज करके लिखा गया है, जो xforum पॉलिसी के खिलाफ हैं। उम्मीद है आप शब्दो को रिलेट कर पाए।
हम पाकिस्तान में लाहौर के अजीज भट्टी तहसील में रहते हैं
बाकी फैमिली का जिक्र आगे स्टोरी में किया जाएगा।
फैमिली :- अब्बू हुसैन खान , उम्र 45 साल जो एक बड़ी दुकान चलाते हैं जिससे महीने में 30-35 हजार रुपये बच जाते हैं जिससे हमारा गुजर काफी अच्छा हो जाता है।
हम मिडल फैमिली से आते हैं ना गरीब ना इतने अमीर
अब्बू की दुकान घर से 10 km दूर है। अभी अब्बू हट्टे कट्टे हैं और शरीर मजबूत बनाया हुआ है, सुबह जाते है और शाम को घर आते है
अम्मीसुमैय्या खान, (साइड एक्ट्रेस)
एक गदराए हुस्न की नेक खातून, अम्मी की हाइट 5.6इंच है जो काफी अच्छी है। जिस्म ऐसा की बुड्ढे भी लन्ड लेकर लाइन में लग जाये। उम्र 43 साल लेकिन जिस्म से 32-33 साल की लगती है।अपना बदन एकदम कड़क रखा हुआ है
जिस्म का सबसे खूबसूरत और आकर्षित हिस्सा उसकी गाँड़ ओर चुचे है जो उसे ओर भी सेक्सी बनाते है। अम्मी साफ ओर नेक औरत है। हर बुरी चीज से अपने आप को बचाया हुआ है ओर मोहल्ले में होने वाली औरतों की तहजीब वाले प्रोग्राम में जाती है और खुद भी अपनी बात रखती है।
बाजी :- अंजुम खान (लीड एक्टर)
बाजी की उम्र अभी 24 साल की है और गदराए जिस्म की मालिक है बाजी के चेहरे का नूर ऐसा की चांद भी शर्मा जाए। बाजी के होंठ गुलाब की तरह है, बाजी का जिस्म उम्र के हिसाब से ज्यादा लगता है क्योंकि बाजी की गाँड़ काफी मोटी-चौड़ी है। जो सूट सलवार में दिखाई देती है। बाजी की चुचियाँ बड़ी बड़ी हैं जो बाजी के जिस्म को ओर भी कातिल बनाते हैं। बाजी की चुचियाँ ऐसी की कोमा में पहुंचे हुए आदमी को पिला दे तो उठकर बोलने लगे। बाजी घर पे ही रहती है और सुबह शाम मदरसे जाती है जो सिर्फ लड़कियों के लिए बना है । बाजी काफी पर्दा पसंद लड़की है, और घर पर भी हिजाब में सलीके से रहती है और घर से बाहर बुर्के में जाती हूं। किसी गैर मर्द ने आजतक उसका चेहरा नही देखा है
【रीडर इस तस्वीर को दिमाग मे बैठा ले आप इस तस्वीर को इमेजिन करके कहानी पढ़े। बाजी बिल्कुल ऐसी ही है】
हीरो:- वक़ार खान (ये मैं हूँ) मेरा कद 5.11 इंच है। उम्र 23 साल रंग मेरा बाजी की तरह है जो हमे अम्मी से मिला है। मुझे देखकर हमारे मोहल्ले की लड़कियां आह भरती है। मैं ग्रेजुएशन कर चुका हूं और घर पर बैठ कर सरकारी एग्जाम की तैयारी कर रहा हूँ। लन्ड का साइज 8 इंच है जो फूल अकड़ कर 9 इंच तक पहुंच जाता है।
बाकी किरदार अगर आएंगे तो आगे बता दूंगा। जो अभी बताना सही नही होगा क्योंकि आपको याद रखने में दिक्कत होगी।
हमारे घर में तीन कमरें है जिसमे 2 कमरे नीचे है और एक कमरा ऊपर बनाया हुआ है मेरे लिए क्योंकि मुझे पढ़ाई करनी होती है इसलिए अब्बू से कहकर मेने उसे अपना पर्सनल रूम बना लिया है। नीचे 2 कमरों में एक कमरा बाजी का ओर दूसरा कमरा अम्मी अब्बू का है। बाथरूम टॉयलेट ऊपर है जो मेरे कमरे के बराबर है।
हमारी सबकी दिनचर्या कुछ ऐसी है कि बाजी सुबह मदरसे जाती है जो दोपहर को आती है। बाजी को स्कोलर बनना है। अम्मी सुबह उठकर नास्ता बनाना क्योंकि बाजी ओर अब्बू को जाना होता है तो अम्मी जल्दी उठकर उनके लिए नास्ता तैयार करती है कभी कभी बाजी भी उनकी मदद कर देती है।
ऐसे ही मजे से जिंदगी गुजर रही थी सब अपनी अपनी दुनियां में मस्त थे। फिर एक दिन ऐसा तूफान आया कि सब खाक हो गया ओर मैं क्या से क्या बन गया। कहानी अलग अलग लोगो के जुबानी पेश की जाएगी
बाजी की जुबानी:-
हुआ ऐसा की मैं सुबह मदरसे जा रही थी जो घर के पास ही था। रास्ते मे दो बच्चे आपस मे झगड़ रहे थे और एक दूसरे को गालियां दे रहे थे।" तेरी बहन की पुद्दी में मेरा लन्ड" तेरी माँ की पुद्दी मार दूंगा"
मेने जब सुना तो हैरान रह गयी कि कितने बत्तमीजी बच्चे है जो माँ बहन के बारे में ऐसा बोलते हैं।
मैंने उन बच्चों को डरा धमका कर चुप कर दिया और आगे बढ़ गयी। मदरसे पहुंच कर मैंने देखा कि लगभग सभी लड़कियां आ गयी है और टीचर को सबक सुना रही है। टीचर ओर लड़कियों के बीच एक कपड़े जैसा पर्दा होता था जो बीच मे लगा होता था।
लड़कियां ना तो टीचर को देख सकती थी, ओर ना ही टीचर लड़कियों को।
पर्दे का काफी एहतराम था इसलिए मेने अब्बू अम्मी से कहकर इसमें दाखिल ले लिया। मेने अपना सबक याद किया और अपनी बारी आने पर टीचर को सबक सुना दिया और सबक सुना कर वापस घर आ गयी। लेकिन एक नई बात जो मेरे साथ हुई के मेरे जेहन में उन बच्चों की कही गालियां जेहन में आने लगी।
मेने अपनी किताबे रखी और फ्रेश होंने बाथरूम में गयी।
मेने अपनी सलवार नीचे की ओर फिर कच्छी को नीचे किया और बेथ गयी पेशाब करने।
मेरे दिमाग मे उन बच्चों की गलियां फिर से आने लगी और सोचने लगी कि क्या वे बच्चे एक दूसरे की माँ बहन चोद सकते हैं वो तो कितने छोटे बच्चे थे फिर भी ऐसे सोच रखते थे। सोचते सोचते मेरे ध्यान अपनी गुलाबी पुद्दी ओर गया तो देखा कि एक कतरा जो कुछ सफेद सा था पुद्दी के आखिरी हिस्से पर आ गया था ओर नीचे निकलने वाला था मेने उसे हैरत से देखा और हाथ नीचे ले जाकर उसे उंगली पर लिया और देखने लगी। ये क्या है और पहली बार ऐसी चीज मेरी हसीन पुद्दी से निकली जो कभी नही देखी।
मैंने उसे नाक के पास लेकर आई और उसे सुंघा तो कोई खास स्मेल नही आई। फिर मेने पेशाब किया और अपनी पुद्दी को धोया ओर बाथरूम से निकल कर अपने कमरे में आ गयी।
फ्रेश होकर मेने खाना खाया और अम्मी की तबियत वगेरह पूछने उसके कमरे में गयी। कमरे में झांक कर देखा तो अम्मी सो रही थी
अम्मी की कमीज उसकी कमर से ऊपर हो गयी थी जो कुछ इस तरह हो गयी थी। अम्मी की गाँड़ पर नजर पड़ते ही मेरे दिमाग मे वो बच्चों की कही बात " तेरी माँ की पुद्दी मार लूंगा" याद आ गयी। बे ख्याली में मेरा ध्यान अम्मी की पूरी कमर पर गया और सोचने लगी कि अम्मी की गाँड़ कितनी मोटी है, अम्मी क्योंकि भरे हुए जिस्म की थी तो अम्मी की गाँड़ भारी थी। मेने अपनी नजरे हटाई ओर अम्मी को सोता देख वापस कमरे में आ गयी।
शाम को अब्बू भी आ गए थे अम्मी ने खाना टेबल ओर लगाया और मुझे भाई को बुलाने ऊपर भेजा
अम्मी:- अंजुम बेटी अपने भाई को बुला ला खाने के लिए
जा रही हूं अम्मी "ये भाई भी ना पता नही क्या करता है जो खाने का होश नही।
मेने भाई का रूम खटखटाया लेकिन जवाब नही मिला।
मैंने दरवाजा आराम से खोला ओर अंदर घुस गई और देखा कि भाई सो रहे हैं।
में उसके करीब जाकर उठाने के लिए आगे बढ़ी तो अचानक भाई के लोअर पर निगाहें गयी जो तंबू बना हुआ था।
मेरी सांस हलक में रह गयी क्योंकि भाई का लन्ड खड़ा हुआ था और लोअर फाड़ने की कमजोर कोशिस कर रहा था। देखने से लग रहा था कि उसकी मोटाई मेरी कलाई जितनी थी, ये क्या है, ओर ऐसे कैसे फूला हुआ है।
मेने आज पहली बार भाई का लन्ड देखा था लेकिन लोअर में था। भाई हमेशा दरवाजा बंद करके सोता था। कोई आये तो पहले आवाज लगा दे या दरवाजा पीट दे।
लेकिन आज मेने जो देखा उसपर यकीन नही आया
मेने अपने ख्यालो को पलटा ओर रूम से बाहर आकर भाई को जोर जोर से आवाज लगाई, भाई ने कोई 2 मिनट जवाब दिया "आया बाजी"
भाई दरवाजे पर आया और बोला क्या है बाजी?
भाई खाना तैयार है अम्मी बुला रही है जल्दी आ जाओ।
कुछ देर बाद भाई आये और सबने मिलकर खाना खाया और अब्बू ने पढ़ाई के बारे में पूछा वो हम भाई बहन ने बता दिया कि अब्बू अच्छी चल रही है।
खाना खा कर अब्बू ओर भाई अपने कमरे में चले गए और अम्मी बर्तन धोने लगी और मैने भी उसकी हेल्प की।
बर्तन धो कर में भी अपने कमरे में आ गयी और लेट कर आज की घटनाओं के बारे में सोचने लगी
उन बच्चों की गलियां ओर भाई का लन्ड दिमाग मे बार बार आ रहा था। मुझे इतना तो पता था कि लन्ड चुत की प्रजाति इस दुनियां में है लेकिन ये नही पता था कि लन्ड इतने लंबे लम्बे ओर मोटे होते होंगे। भाई का लन्ड सोचकर में गर्म होने लगी जो पहली बार हो रहा था। लन्ड को दिमाग मे सोच सोचकर मेरा हाथ कब चुत ओर पहुंच गया पता ही नही चला। और जिस्म की गर्मी में परेशान होकर मेने अपनी चुत ओर उंगली फिराई तो एक अनोखा सा मजा ओर लज्जत पाई, मेने उंगली फिराना जारी रखा और आनंद के सागर में नहाने लगी।
अपडेट 2
मैं भूल गयी कि मैं एक साफ, एक मदरसे में पढ़ने वाली लड़की जो ऊपर वाले से डरकर तालीम हासिल करने वाली हूँ, में इतनी परहेजगार की किसी को अपना बदन यहां तक कि चेहरा भी नही दिखाया। और आज जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर होकर अपनी प्यारी सी पुद्दी को उंगली से घिस घिस कर रगड़ दे रही हूं। लेकिन मेरा दिमाग उस लज्जत के आगे बेबस था ।
ओर उसी बेबसी में मैने अपनी सलवार निकालने का सोचा, ओर खड़ी हो गयी और सबसे पहले अपनी कमीज निकाली, उसके बाद अपनी सलवार निकाली और साइड में रख दी।
मेरे मम्मे ओर मेरी गुलाबी पुद्दी अब ब्रा ओर कच्छी में कैद थी। एक बार तो मेरा दिमाग डगमगाने लगा कि अंजुम ये तुम क्या कर रही हो, आजतक तूने ऐसा नही किया, करना तो दूर की बात ऐसा ख्याल नही आया।
ओर आज तुम नंगी होकर अपनी फुद्दी मसलने वाली हो।
कुछ देर इसी सोच में डूबी रही और फैसला किया कि आज कर लेती उसके बाद कभी ऐसा नही करूंगी।
ब्रा को निकाला और मम्मे उछल कर बाहर आ गए और लंबी लम्बी सांस लेने लगे। मम्मे ऐसे की कोई भी देखे तो देखता रहे, मम्मे के बीच में वो निप्पल जो हल्का सा काला था मम्मे के मुताबिक अकड़ा हुआ था।
फिर मेने कच्छी को निकाला और साइड में फेंक कर शीशे के सामने आ गयी।
शीशे में मेरा जिस्म चमक रहा था, ओर गवाही दे रहा था के कोई माई का लाल आजतक मुझे मसल नही पाया, दबोच नही पाया।
मेरी पुद्दी एकदम साफ , पुद्दी के होंठ आपस मे चिपके हुए किश कर रहे थे, जैसे किसी को अंदर आने ही नही देंगे। कुछ देर शीशे में बदन देखकर में बिस्तर पर आई और पुद्दी पर उंगली चलाने लगी।
उंगली चलाते हुए मेरे दिमाग मे भाई का लन्ड आ गया।
मैं उस लज्जत में इतना खो गयी कि मेरी सारी नेक, परहेजगारी, शर्म, तालीम बह गई। भूल गयी कि वो मेरा भाई है, ओर भाई के बारे में ऐसा कैसे सोच सकती हूँ। अंजुम तुम कितनी सरीफ ओर ऊपर वाले से डरने वाली, ओर एक इज्जतदार घर से ताल्लुक रखने वाली पर्दा नसीन लड़की हो।
अपने भाई का लन्ड ही सोचने लगी, मेरा दिमाग काम करना बंद हो गया, पुद्दी ओर उंगली अपना काम कर रही थी और दिमाग अपना।
आखिर पुद्दी की मांग सुनकर मेने उंगली चलानी जारी रखी और दिमाग मे भाई का लन्ड रखकर फिंगरिंग करने लगी। उंगली को पुद्दी के लिप्स के बीच रगड़ा तो मजे की इंतहा पार कर गयी।
भाई का लन्ड बराबर दिमाग मे था और सोचने लगी कि उन बच्चों ने कहा था कि तेरी बहन की पुद्दी मार लूंगा।
क्या सच मे बहन की पुद्दी मारी जाती है।
पुद्दी तो इतनी छोटी है तो लन्ड कैसे घुसता होगा। अगर वो लन्ड भाई जितना हुआ तो कभी नही।
मैं अनाप शनाप सोचने लगी और उंगली चलाने की गति बढ़ा दी। आज भाई का लन्ड जिसने मुझे ये काम करने पर मजबूर कर दिया वो जेहन में घर बनाता गया।
फिर एक ऐसा लम्हा आया कि मुझे अपने भाई का लन्ड अपनी उंगली की जगह महसूस हुआ।
जैसे कि भाई अपना लन्ड पुद्दी पर रगड़ रहा है
आंखे बंद थी और फिंगरिंग जारी रही।
मजा बढ़ता गया और मुझे पुद्दी से कुछ गर्म गर्म निकलता महसूस हुआ जैसे कोई गर्म लावा, जैसे कोई ज्वालामुखी फटकर बाहर आने को है
ओर फिर वही हुआ पुद्दी से एक फव्वारा इतनी तेज निकला और बिस्तर पर दूर जाकर गिरा और लगातार निकलता रहा। कोई एक मिनट तक पानी बहता रहा।
जब तूफान थम गया तो आंखे खोली ओर नीचे गीला गीला महसूस हुआ। देखा तो हैरान रह गयी कि इतना सारा पानी पर उंगली रखकर नाक के पास लाई ओर सुंघा तो पेशाब की महक आने लगी।
या मेने तो पेशाब कर दिया। में हैरान रह गयी कि आज कैसे मेने बिस्तर पर ही मूत दिया।
कपड़े से फुद्दी साफ की ओर रब से माफी मांगी और बिस्तर की गीली चादर बदली ओर ओर लेट गयी
कब नींद आ गयी पता ही नही चला।
सुबह प्राथना की ओर नास्ता करके मदरसे के लिए निकल गयी।
मदरसे पहुंची तो लड़कियां सभी आई हुई थी पर टीचर नजर नही आये। मैं किताबें लेकर लड़कियों के साथ बैठ गयी। लड़कियों में मेरी 2-3 दोस्त थी। दोस्ती इतनी की बस हाय हेल्लो ओर मदरसा टाइम हंस बोल लेना।
मेने अपनी दोस्त सना से पूछा कि टीचर कहाँ है अभी तक नही आये। तो सना ने बताया कि अभी गए है बाथरूम की तरफ सायद फ्रेश होने गए हों।
फिर हम सबक याद करने लगे थोड़ी देर बाद टीचर आ गए।
टीचर बारी बारी सबका सबक सुनने लगे, लड़कियां ज्यादा थी तो मेरा नंबर में आने में टाइम लग गई। सबक सुना कर मैं घर के लिए निकलने लगी तो मुझे पेशाब की हालत हुई। मेने सोचा घर जाकर कर लुंगी लेकिन पेशाब जोर से आ रहा था।
मदरसे के बाथरूम थोड़ा दूर थे जहाँ हम सबक सुनाते थे। मैं लड़कियों के बाथरूम में घुस गई और जगह तलाशने लगी। मैं देखती हूँ कि उसपर ताला लगा हुआ था। मैं दूसरे बाथरूम गयी तो उसमें पानी की नलकी खराब थी। मैं पानी लेने टंकी की तरफ लेकिन उसमें भी पानी नही था। (इन बाथरूम को लड़कियां कम इस्तेमाल करती थी क्योंकि सभी अपने अपने घर से फ्रेश होकर आती थी या कभी कभार इस्तेमाल कर लेती थी)
मैं परेशान क्या किया जाए पेशाब जोर लगा रहा था कहीं कपड़े ही खराब ना हो जाये। इसलिए मर्दो वाले बाथरूम की तरफ चल दी ये सोचकर कि टीचर तो सबक सुन रहे हैं किसी को क्या पता चलेगा।
एक ही बाथरूम था जो स्पेशल टीचर के लिए था। उसका दरवाजा हटाया ओर अंदर घुस गई।
अंदर जाकर देखा तो हैरान ओर शर्म से दोहरी हो गयी।
क्योंकि अंदर टीचर लैटरिंग करके गये थे ओर शायद पानी कम होने की वजह से लैटरिंग बहा कर नही गए। (पानी का एक बाल्टी रखी थी जिसमे बहुत थोड़ा पानी बचा था बाकी पानी टीचर ने गाँड़ धोने में लगा दिया होगा)
मुझे तेज़ पेशाब था अब कैसे इस गन्दे बाथरूम में पेशाब करू।
सामने टीचर की टट्टी पड़ी हुई थी जिससे बाथरूम में थोड़ी थोड़ी गंदी स्मेल आ रही थी।
मेने उसे इग्नोर करने का सोचा ओर लैटरिंग शीट पर बैठ गयी (ये लैटरिंग देसी थी विदेशी शीट नही थी क्योंकि उससे छींटे लगती है)
मेने पेशाब शुरु किया और करने लगी, मेरे दिमाग मे नशा होने लगा उस टट्टी की स्मेल से ओर सोचा कि इसे अपने मुत की धार से बहा दु। मैं उल्टी होकर बैठ गयी और उस टट्टी पर पेशाब की धार मारने लगी। टट्टी की स्मेल बढ़ती जा रही थी जो मेरे नाक से होते हुए मेरे दिमाग मे घुस रही थी। मैं मदहोश होने लगी, पता नही मुझे वो स्मेल अब अच्छी लगने लगी। और मैं आंखे बंद करके स्मेल लेती रही और मुतती रही।
मेरा मुत खत्म हुआ और मैं मदहोशी की दुनिया से बाहर आई और आंखे खोली तो मुत ओर टट्टी दोनों बह चुकी थी। मैं हैरान थी के मैं इतनी साफ़ सुथरी लड़की इतनी गन्दी चीज से बहक कैसे गयी।
शैतान इतना हावी कैसे हो रहा है मुझपर जो अच्छा बुरा सोचना ही भूल गयी हूँ।
मेने खड़ी होकर सलवार बांधी ओर बाथरूम से निकलकर घर के लिए चल दी।
जो आज हुआ उसके बारे में मुझे अपने अपने आप से घिन आने लगी थी। और कहीं ना कहीं मुझे अच्छा भी लग रहा था।
या यूं कहें कि ये मेरी बर्बादी की तरफ बढ़ने वाले कदम थे।
अपडेट 3
घर आकर में बाथरूम में घुस गई और महसूस किया कि मेरी कच्छी गीली हो गयी है। पता नही ये जवानी आग क्या क्या कराएगी मुझसे। मेने झुंझलाते हुए सलवार निकाली और कच्छी देखी तो उसपर पानी लगा हुआ था। कच्छी निकाल कर मेने उसे गौर से देखा तो उसपर कुछ चिपचिपा सा लगा हुआ था।
जो शायद मेरी पुद्दी का पानी था। मुझे अपने आप से घिन आने लगी कि इतनी गंदी चीज से में इतनी गर्म कैसे हो गयी। ये मेरी जवानी का शोर था जो मुझे बहका रहा था। मैं अपनी हया जितना बचाना चाहती थी ये जिस्म की गर्मी उतना मुझे बेपर्दा कर रही थी।
मेने कच्छी निकाल कर हेंगर पर लटका दी और पुद्दी धोकर बाहर निकल आई।
मैं सीधे अम्मी के कमरे में गयी तो सामने अम्मी किताब पढ़ रही थी।

अम्मी से दुआ सलाम किया और उसके पास बैठ गयी
अम्मी:- बेटी केसी हो पढ़कर आ गयी ?
अंजुम:- हाँ अम्मी आ गयी।
अम्मी:- बेटी कैसे चल रही है पढ़ाई, तुझे बहुत बड़ी स्कोलर बनना है जो आगे चलकर औरतों को अच्छी बातें बताये ओर गुनाहों से रोके।
अंजुम:- अम्मी पढ़ाई अच्छी जा रही है बस कोशिश है मैं अपनी अम्मी की तरह एक साफ ओर नेक औरत बनू। ओर मेने अम्मी को गले लगा लिया
अम्मी:- देखना मेरी बेटी एक दिन बहुत बड़ा नाम रोशन करेगी।
अंजुम:- हाँ अम्मी आपका नाम रोशन जरूर करूंगी ओर मेने अम्मी के सीने लग गयी। मेरा मुँह अम्मी के बूब्स से ऊपर था। मुझे अम्मी के जिस्म की महक अच्छी लग रही थी।
फिर अम्मी मेरे सर पे हाथ फेरा ओर उठकर कहने लगी
चल बेटी दोपहर की प्राथना की
मैं अम्मी के साथ बदन साफ करने लगी, अचानक मेरी निगाहें अम्मी के क्लीवेज पर गयी जहां दुप्पट्टा नही था।
(बदन साफ करते हुए अम्मी ने दुपट्टा पीछे डाल रखा था और थोड़ा झुक कर बदन साफ कर रही थी)
अम्मी के बूब्स की लकीर दिख रही थी। फिर अम्मी थोड़ा आगे हुई और उसके बूब्स के 40% हिस्सा दिखने लगा। मैं सोचने लगी कि अम्मी के बूब्स बहुत प्यारे हैं
मेने अपने बूब्स से नापतोल किया तो अम्मी के बूब्स थोड़े बड़े थे। और गदराए हुए जिस्म पर चार चांद लगा रहे थे। अचानक ही अम्मी का ध्यान सामने बैठी मुझपर पड़ा और कहने लगी बेटी क्या हुआ कैसे रुक गयी।
अम्मी ने मेरी निगाहों का पीछा किया तो उसे शर्म हुई और जल्दी से दुपट्टा सीने पर रख लिया ओर कहा
बेटी तुम क्या देख रही थी। मैंने कहा अम्मी आपका दुपट्टा गलती से वहां से हट गया था मैं आपको बोलने ही वाली थी।
बेटी कोई बात नही चलो अब जल्दी फारिक होकर प्राथना करो।
हमने फिर प्राथना की ओर अपने पापों की माफी मांगी।
वक़ार की जुबानी:- मैं एक बेहद शर्मिला लड़का हूँ जो अपने काम से काम रखता हूँ। गंदी चीजो के बारे में थोड़ा बहुत दोस्तों से पता चला जब कॉलेज में थे।
मैं बाजी ओर अम्मी का लाडला था और मैं भी उन्हें बहुत प्यार करता था। में दिन भर पढ़ाई करता ताकि पढ़ लिखकर अच्छी नोकरी कर सकू ओर घर की जिम्मेदारी संभालू।
जिंदगी अच्छी चल रही थी एक दिन मैं पेशाब करने बाथरूम गया तो मुझे हेंगर एक कच्छी पर अचानक निगाहे चली गयी।
मैंने इतना ध्यान नही दिया, मैं पेशाब करके निकलने वाला था कि शैतान मुझपर हावी होने लगा। मैं कभी कभी कभार मुठ मार लेता था जब हवस ज्यादा बढ़ जाती थी। मुझे सेक्स के बारे में पता था और इतना ध्यान नही देता था।
शैतान के आगे बेबस होकर में पलटा ओर कच्छी को हेंगर से लेकर देखने लगा।
कच्छी ओर कुछ दाग ओर चिपचिपा सा था।
मेने उसे गोर से देखता रहा और बेख्याली से उसे नाक के पास लाकर सूंघने लगा।
कच्छी से एक मादक महक मेरे नाक में प्रवेश कर गयी जो मेरे तन बदन की गर्मी को बढ़ा गयी।
मुझे कच्छी को सूंघने लगा, मुझे इतना होश नही रहा कि ये कच्छी किसकी है ओर क्यों सूंघ रहा हूँ।
(अबसे कच्छी को पैंटी लिखूंगा)
मुझपर एक नशा सा होने लगा ये पहली बार था जब मैं इतना गर्म हुआ था।
मैंने अपना पजामा नीचे किया और लन्ड जो फूल कर 9 इंच का हो गया था उसे हिलाने लगा।
पैंटी पर लगे दाग की खुशबू मेरे दिल दिमाग पर छा गयी और अच्छा बुरा भूल कर मैं अपना लन्ड हिलाने लगा।
मेरा लन्ड काफी गर्म हो गया था और मैं उस पैंटी को सूंघकर पागल हो गया।
ओर अचानक ही मेरा शरीर अकड़ने लगा और लन्ड से एक पिचकारी छूटी जो दीवार से टकराई।
पिचकारी इतनी तेज थी के दीवार पर लगकर उसे छींटे जगह जगह गिरे। ढेर सारा माल बाथरूम में पड़ा था।
मैं बेबस खड़ा होकर हाथों में पैंटी लिए इस घिनोनी हरकत पर पश्चात कर रहा था।
मदहोशी की दुनिया से बाहर आकर मेने पैंटी की तरफ देखा और सोचने लगा कि ये बाजी की पैंटी है या अम्मी की। देखने से लग रहा था कि बाजी ही इस तरह की पैंटी पहनती है। क्योंकि पैंटी का साइज अम्मी के मुताबिक छोटा था।
पैंटी को हेंगर पर लटका कर मैं वापस कमरे में आया और उस हरकत पर गौर करने लगा।
आज मैंने अपनी ही प्यारी ओर मासूम बाजी के लिए ये घिनोनी सोच रखकर बहुत बड़ा गुनाह किया है
मेरी साफ सुथरी बाजी जो हर दम साफ बनकर रहती, धर्म की नॉलेज के लिए मदरसे जाती उसकी पैंटी के साथ मैंने ये गुनाह किया।
मैं इस गुनाह के लिए अपने लिए मलामत ओर गालिया निकालता रहा और कब सो गया पता ही नही चला।
अंजुम की जबानी:- शाम को खाना तैयार हुआ ओर मैं भाई को जगाने के लिए ऊपर कमरे में गयी।
दरवाजा खटकाया पर कोई जवाब नही मिला,
एक दम से पिछले दिन वाली बात दिमाग मे आई कैसे भाई के लोअर में तंबू बना हुआ था।
दरवाजे पर खड़ी होकर इसी सोच में घूम थी के अंदर जाऊं या नही।
आखिर मेने अंदर चलने का निर्णय लिया और दरवाजा हटाया ओर अंदर घुस गई।
अंदर भाई सोये हुए थे। मैंने उसे जगाया ओर खाने के लिए बोला।
भाई खड़े हुए और बाथरूम में हाथ मुँह धोने चले गए
हम सब ने खाना खाया और अम्मी के साथ बर्तन धो कर अपने अपने कमरें में आ गए।
सुबह प्राथना की ओर अम्मी के साथ नास्ता बनाया।
नास्ता करके मैं मदरसे निकल जायेगी, ओर सबक सुना कर वापस आ गयी आज कोई ऐसी घटना नही हुई जो मुझे बहका सकती थी।
घर आकर मैने कपड़े लिए ओर नहाने चली गयी।
बाथरूम में घुसकर मेने कपड़े हेंगर पर टांके तभी मुझे फर्श ओर कुछ चिपचिपा पानी नजर आया।
मैं नीचे झुककर उसे गौर से देखने लगी और सोचने लगी कि ये क्या है कुछ चिपचिपा सा कुछ समझ नही आ रहा।
मैंने उसपर उंगली लगाई और उंगलियों के बीच मसला तो कुछ अजीब सा अहसास हुआ।
शैतान मुझपर हावी होने लगा, ओर जोर देने लगा कि मैं ये चीज सूंघ कर चेक करू की क्या है ये
मैं अपनी उंगली नाक के पास लाई ओर उसे सुंघा, लेकिन कुछ खास पता नही चला तो मैंने उसे जीभ से टच किया तो एक कसेला का स्वाद आया, मैंने पूरी उंगली को मुँह में लिया और उसे चाटने लगी।
मुझे उसका स्वाद मदहोश करने लगा और मैं एक बार फिर लज्जतों की राह पर निकल पड़ी।
मेने अपनी उंगली को चाट चाटकर साफ किया, उसका स्वाद मुझे ऐसा भाया की मेने फर्श पर पड़े उस चिपचिपे पानी को कुतिया की तरह झुक कर चाटने लगी।
चाट चाटकर मेने फर्श पर पड़ी उस चीज को साफ कर दिया और हलक में उतार लिया

मैं भूल गयी कि मेरी क्या शिक्षा क्या है, मैं कितनी पढ़ी लिखी ओर परहेजगार औरत हूँ। मेरा जिस्म मुझसे वो गुनाह करा रहा था जो मैं तो क्या कोई भी नही करना चाहता।
अपडेट 4
वक़ार भाई की जुबानी:-
बाजी की पैंटी को सूंघकर हवस ने मुझे अलग तरह की दुनियां में पहुंचा दिया था। बाजी को सोच सोचकर में परेशान था। आखिर मुझे अपनी बाजी ही मिली थी जिसकी पर्सनल चीज को देखकर मैंने अपना माल गिराया था। मैंने कभी पोर्न देखी थी ना कभी कोई सेक्सी किताब पढ़ी, इज़लिये मैं इन गुनाहों से बचा रहा। और हमारी तरबियत भी ऐसी हुई के कभी इन चीजों को जानने की जरूरत पड़ी। पर जब से बाथरूम वाली घटना मेरे साथ हुई मुझे अब इन चीजों में इंटरेस्ट सा जाग गया था। मैं जानना चाहता था कि ये चीजें आखिर कुदरत ने क्यों बनाई है और कैसे इनको अंजाम दिया जाता है। शैतान अब मुझपर हावी होने लगा था। इन सब सोच से निकलकर मेने फ़ोन उठाया और सेक्सी वीडियो सर्च किया। मैं वीडियो में देखता हूँ कि तरह तरह के सेक्स और तरह तरह की अश्लीलता वीडियो में दिखाई गई है। मेरा सर चकराने लगा और शरीर एक दम पसीना पसीना हो गया।
लन्ड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया और मजे का अहसास तन बदन में फैलता गया।
अचानक एक पॉप अप स्क्रीन पर आया जिसमे एक लड़की बुर्के में थी और एक मर्द लेता हुआ था।
मैंने उस पॉपअप पर क्लिक किया तो एक फोटो खुल कर सामने आया। गौर से देखने पर मेरी आँखें फ़टी की फटी रह गयी। छीईईई.......कितनी गंदी औरत है।
भला कोई वहां भी मुँह लगाता है। कितनी गंदी जगह जहां से आदमी अपनी गंदगी को निकलता है, ओर ये औरत उसी जगह को चाट रही है। आदमी भी मजे की दुनियां में आंखे बंद करके लेटा हुआ है।
मैंने फ़ौरन मोबाइल बंद किया और साइड में रख दिया
ओर सोचने लगा कि ऐसे भी लोग है क्या इस दुनियां में जो इतना गंदा काम करते हैं। क्या ये लड़कियां अपनी इज्जत आबरू, अपनी शर्मो हया का दामन इन गंदी चीजो के लिए छोड़ देती है। मैंने दोबारा फ़ोन उठाया और उस साइट पर क्लिक करके वीडियो देखने लगा
वीडियो में जितनी जहालत, ओर बेशर्मी थी वो आज मेरे सामने उजागर हो गयी थी। और मैं सेक्स की एक अलग परिभाषा को जान गया था।
मैं उठा और खाना खाने के लिए नीचे गया तो बाजी अम्मी के साथ मिलकर खाना बना रही थी।
बाजी सब्जियां काटने में अम्मी की मदद कर रही थी और जाकर सोफे पर बैठ गया। सोफे से किचेन की तरफ देखा जाए तो किचन के अंदर वाला इंसान दिख जाता था। मैं अम्मी ओर बाजी को देख रहा था कि दोनों माँ बेटी एक साथ हंस बोल कर काम कर रही थी।
अचानक मेरी निगाहें बाजी की कमर पर पड़ी तो उसकी कमीज सलवार या यु कहे उसके चूतड़ों के बीच फंसी हुई थी
बाजी का कोई ध्यान ना तो उस फंसी हुई कमीज पर था और ना ही मेरी तरफ, बाजी अपनी मस्ती में ही किचन का काम कर रही थी।
मेरा दिमाग अब दिन पे दिन हवस का मोहताज होता जा रहा है। मुझे अब यह भी ख्याल नही रहता कि सामने मेरी बाजी है या कोई और।
भाइयों का हक़ होता है कि वो अपनी बहनों पर प्यार लुटाये, उनकी छोटी छोटी ख्वाइशों को पूरा करे।
अपनी बहनों की हिफाजत करें। लेकिन मेरा दिमाग इन सबसे दूर अपनी बाजी की गाँड़ पर जोर देना चाह रहा था। बाजी की गाँड़ उनके बाकी जिस्म के मुताबिक कुछ मोटी ओर भारी लग रही थी। बाजी के कूल्हों पर मास ज्यादा जो बाजी को ओर ज्यादा प्यारा बनाता है।
वैसे बाजी मेरी लाखों में एक थी, हुस्न तो भर भर दिया था रब ने हमारे घर मे।
बाजी की गाँड़ देखने से कसी हुई लग रही थी। बाजी मेरी बाकायदा परहेजगार ओर नेक तालीम याफ्ता लड़की थी। बाजी की गाँड़ का जायजा लेते लेते मेरा शरीर गर्म होने लगा और मेरा हाथ लोअर की तरह बढ़ गया, जहां मेरा औजार हलचल मचाए हुए था। मेने देखा तो लन्ड अपनी सारी हदों को तोड़ता हुआ अपने फूल आकर में था जो कुछ ऐसा दिख रहा था
मैंने अपना हाथ लन्ड पर रखा जो लोअर के अंदर था और उसे मसलने लगा। मैं बाजी की सलवार में ढकी हुई गाँड़ का मुआयना करने लगा और लन्ड पर हाथ आगे पिछे करने लगा। मजे से मेरी आँखें बंद हो गयी और ख्यालों में खो गया कि बाजी की गाँड़ कितनी चौड़ी है।
कितना खुशकिस्मत होगा वो शख्स जो बाजी से शादी करेगा।मेरी बाजी को अपने बिस्तर की जीनत बनाएगा ओर उसके जिस्म के हर हिस्से ओर अपना हर्फ़ बख्शेगा।
आंखे जब खुली तो बाजी दरवाजे पर आकर मेरी तरफ हैरत भरी निगाहों से देख रही थी।
जैसे ही मेने बाजी को अपनी चोरी पकड़ी जाने पर देखा तो शर्म से पानी पानी हो गया। और भाग कर अपने कमरे में चला गया।

कमरे में पहुंच कर मैं परेशान हाल इधर उधर चक्कर लगाने लगा और आने वाले खतरे को भांप कर मेरे शरीर से पसीना निकलने लगा।
मैं सोच में पड़ गया कि आज सब खत्म हो जाएगा और बाजी अम्मी अब्बू को सब बता देगी। मुझे आज अब्बू से डांट पड़ने वाली है, हो सकता है अब्बू मुझे घर से बाहर निकाल दे।
एक घण्टे बाद अम्मी ने आवाज लगाई और मुझे बुलाया।। मैं घबराया हुआ था कि आज तो मैं गया, बाजी ने सब कुछ बता दिया होगा।
मैं डरते डरते नीचे आने लगा और दिल जोर जोर से धड़क रहा था। नीचे आया और डाइनिंग टेबल पर अम्मी अब्बू दिखे। बाजी मुझे नजर ना आई।
डाइनिंग टेबल के पास गया तो अम्मी ने बैठने को कहा और मैं डरते हुए बैठ गया।
अम्मी अब्बू के चेहरे एक दम साफ थे, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। हमने खाना शुरू किया और अब्बू ने सवाल किया।
बेटा! पढ़ाई कैसे चल रही है
मैंने बताया अब्बू अच्छी चल रही है।
अब्बू ने पूछा तुम्हारा एग्जाम कब है, मैंने बताया अब्बू अभी तो कोई डेट नहीं है फिर भी 5-6 महीने बाद होने की उम्मीद है। दोस्तो मेंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और अब सरकारी नोकरी की पढ़ाई कर रहा हूँ।
हमने कहना शुरू किया लेकिन एक बात दिमाग मे थी के आज बाजी हमारे साथ खाना क्यों नही खा रही
मैंने अम्मी से पूछा कि अम्मी बाजी कहाँ है
अम्मी:- बेटा उसकी तबियत सही नही है तो वो खाना अपने कमरे में लेकर गयी बोल रही थी के अम्मी रूम में खा लुंगी मुझे कुछ चक्कर आ रहे हैं।
अब्बू:- हाँ बेटा जब तुम्हारी अम्मी उस बेचारी से इतना काम कराएगी तो मेरी बच्ची को चक्कर तो आएंगे ही।
मेरी फूल सी बच्ची को इतना काम करने की आदत नही है फिर भी तुम्हारी अम्मी उससे काम लेती है।
अम्मी:- हाँ उसकी साइड तो आप लोगे ही, वो बच्ची नही रही अब उसके लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दो आप।
अब्बू:- एक बार मेरी बच्ची पढ़ लिख जाये तो मैं उसकी शादी धूम धाम से करूँगा।
इतने में हमने खाना खत्म किया और मैं पानी पीकर अपने कमरे की तरफ चल दिया।
मेरी हिम्मत नही हुई के मैं बाजी का हाल चाल पूछ सकू
कहीं ना कहीं बाजी की इस हालत का जिम्मेदार मैं ही हूँ। कमरे में पहुंच कर मैं बेड पर बैठ गया और बाजी के बारे में सोचने लगा। मुझे पछतावा हो रहा था कि मैने अपनी पाक साफ और नेक बाजी के लिए ये अहसास पैदा किये। काफी देर में इसी तरह सोचता रहा और बेड ओर लेट गया। कब नींद आ गयी पता ही नही चला।
रात करीब 10 बजे किसी ने मेरा दरवाजा खटखटाया, मैंने सोचा इस वक़्त कौन हो सकता है।
मैं उठकर दरवाजे पर गया और दरवाजा खोला तो बाजी सामने खड़ी थी और चेहरे से गंभीर लग रही है।
मैंने बाजी को अंदर आने को कहा तो बाजी अंदर आई और बेड के कोने पर बैठ गयी नजरें नीचे किये हुए।
मैं डरते हुए बाजी के पास गया और चुपचाप बाजी से थोड़ा दूर बैठ गया।
दोस्तो लिखने में बहुत टाइम लगता है आप सब कमेंट करके हौसला बढ़ाये ताकि में आगे लिख सकू। किसी का कोई विचार हो तो वो भी बताएं
अपडेट 5
थोड़ी देर हम दोनों खामोश बैठे रहे। कमरे का माहौल एक दम शांत था।
आखिर मेने ही बोलना का फैसला किया और बाजी की तरफ देखकर
मैं:- बाजी मुझे माफ़ कर दो मुझसे गलती हो गयी है
बाजी:- किस बात की माफी भाई ?
मैं:- बाजी मैंने आप पर गलत निगाहें डाली जो मुझे नही करना चाहिए था, मुझे क्या किसी को भी नही करना चाहिए था।
बाजी खड़ी हुई और मेरे पास आकर मेरे मुँह पर थप्पड़ जड़ दिया 1.....2...3....4 लगातार थप्पड़ मारती गयी। मैं बाजी के इस बर्ताव पर हैरान था। बाजी ओर मेरे बीच आजतक कोई गुस्से वाली लड़ाई नही हुई थी। हम दोनों आपस मे एक दूसरे से मिल झूल कर रहते थे और एक दूसरे की इज्जत करते थे। लेकिन आज सब बदल गया था ओर बाजी मेरे मुँह ओर पीठ और थप्पड़ मारती रही और फिर खुद ही रोने लगी।
बाजी:- तूने ऐसा कैसे कर दिया, क्या तुझे शर्म नही आई कि मैं तेरी बड़ी बहन हूँ। तुझसे बड़ी हूँ।
तेरी शर्म ओ हया कहाँ चली गयी जो तू इतनी गंदी हरकत छी.ई.ईई... बोलने में भी शर्म आ रही है।
लेकिन तुझे शर्म ना आई, क्या यही तरबियत दी ही अम्मी अब्बू ने तुम्हे। क्या यही सीख रहे हो तुम
मैं:- बाजी मैं माफी चाहता हूं इस गुनाह के लिए, मुझे नही पता मैंने ऐसा क्यों किया।
बाजी:- हरामजादे तुझे ये भी नही पता था कि सामने तेरी बाजी है। कुत्ते क्या सोच कर तुमने ये काम किया बता मुझे ओर जोर जोर से रोने लगी।
मैं बेचैन हो गया और उठकर खड़ा हुआ और बाजी के पैरों में जाकर उसके पैर पकड़ लिए प्लीज बाजी मुझे माफ़ करदो, अम्मी अब्बू को पता चलेगा तो वो मेरी जान ले लेंगे। बाजी प्लीज रहम करो मुझपर आइंदा ऐसी गलती नही होगी
ओर मेरी आँख से भी आंसू आने लगे.मैं रोता रहा और बाजी से माफी मांगता रहा, मेरी आँखों से आंसू टपक कर बाजी के पैरों पर गिरने लगे
तो बाजी ने मेरे कंधों से पकड़कर उठाया और मेरी तरफ देखने लगी।
बाजी भी रो रही थी और मेरी आँखों से भी आंसू लगातार जारी थे।
बाजी ने मुझे रोता देख अपने सीने से लगा लिया और चुप कराने लगी।
बाजी:- चुप होजा भाई, तुमने माफी मांग ली यही बहुत है मेरे लिए। लेकिन भाई तुम्हे ऐसा नही करना चाहिए था
मैं:- बाजी में शर्मिंदा हूँ अपनी हरकत पर.
बाजी:- चल अपने आँसू साफ कर ओर बैठ इधर

मैंने अपने आंसू पोंछे ओर बाजी के पास बैठ गया
बाजी:- भाई मैं तुमसे ओर लड़ना नही चाहती पर इतना पूछना चाहूंगी कि तुम्हारा मन मे ये बात कैसे आई कि तुम अपनी बाजी की तरफ गंदी नजरों से देखो।
मैं:- मैं क्या जवाब देता की बाजी आपकी गाँड़ में मुझे पागल कर दिया था ओर आपकी गाँड़ में फंसी हुई कमीज ने मुझसे ये गुनाह कराया है,
बाजी मुझे माफ़ करना, मुझे ऐसा नही करना था, आप मेरी बड़ी बाजी हो
बाजी:- भाई कोई तो वजह होगी जिससे तुम ये हरकत कर गए, मैं बुरा नही मानूँगी बस तुम वजह बता दो क्या वजह थी इसके पीछे।
मैं:- बाजी आपको सुनकर बुरा लगेगा, इसलिये आप ना ही पूछे तो बेहतर रहेगा।
बाजी:- भाई जो होना था हो गया, ओर तुमने माफी भी मांग और मैंने माफ भी कर दिया। मैं बुरा नही मानूँगी
मैं:- बाजी वो...वो...वो आप जब किचन में काम कर रही थी तो आपकी कमीज फंस गई थी
बाजी:- कहाँ फंस गई थी
मैं:- बाजी रहने दो ना जो हो गया वो हो गया अब जाने दो इस बात को।
बाजी:- भाई बताओ मैं कुछ नही बोलूंगी तुमसे जो बात सच है वो बताओ अगर अपनी बाजी से थोड़ी बहुत मोहब्बत करते हो तो
मैं:- बाजी मैं भी आपसे मोहब्बत करता हूँ, एक आप ही तो मेरे साथ हो जिंदगी के हर मोड़ पर
बाजी:- हाँ तो बताओ
मैं:- बाजी आपकी कमीज आपके पीछे कमर में फंस गई थी।
बाजी:- ओह्ह ऊपर वाले ये कैसे हुआ। मुझे ध्यान ही नही रहा अपने कपड़ों का।
मैं:- बाजी इसमें आपकी कोई गलती नही है वो गलती से हो गया होगा। मेरी ही गलती है जो मैं देखकर नजर नही हटा पाया।
बाजी:- भाई तुम्हे क्या हो गया जो तुमने ऐसी कंडीशन देख कर अपनी निगाहों ओर काबू नही किया
मैं:- पता नही बाजी मुझे देखना अच्छा लग रहा था या कुछ और बात थी ,पर मैं नजर नही हटा पाया आपसे
बाजी:- चलो छोड़ो इस बात को अब आगे से ध्यान रखना ठीक है
इतना बोलकर बाजी रूम से जाने लगी और मैंने कहा बाजी एक बार फिर शुक्रिया मुझे माफ़ करने के लिए
इतना सुनकर बाजी बाहर चली गयी और फाइनली मेने राहत की सांस ली। मुसीबत तो टल गई लेकिन मेरी हवस जो मेरा साथ नही दे रही देखना है वो कहाँ ले जाएगी।
अपडेट 6
अगले दिन कि सुबह मेरी आँख खुली तो टाइम 9:00 बज रहे थे। मेने बाथरूम में जाकर फ्रेश हुआ और नीचे डाइनिंग हाल में आया तो अम्मी किचन में नास्ता बना रही थी। अब्बू नहा धोकर तैयार बैठे थे और अखबार पढ़ रहे थे एक सोफे पर बैठकर। अब्बू भी नास्ते का इंतज़ार कर रहे थे।
मैंने अम्मी को आवाज लगाई " अम्मी नास्ते में कितना टाइम लगेगा"
अम्मी:- बस हो गया बेटा 5 मिनट ओर लगेगी
मैं फिर वहीं बैठकर मोबाइल चलाने लगा, कुछ देर बाद अम्मी नास्ता लेकर आई । इतने में बाजी भी नास्ते की टेबल पर आ गयी। आज बाजी बहुत प्यारी लग रही थी,
बाजी ने हिजाब पहना हुआ था, क्योंकि बाजी नास्ता करके मदरसे जाने वाली थी।
शैतान मुझपर धीरे धीरे हावी होने लगा और मैं बाजी को हवस भरी नजरों से देखने लगा। बाजी की कमर बुर्के से बाहर निकल जाती थी क्योंकि बाजी की कमर थोड़ी बाहर को निकली रहती थी। बाजी के मम्मों का कटाव भी साफ दिखता था। बाजी के मम्मे बुर्के में गोल गोल नजर आ रहे थे, जो मेरा लन्ड खड़ा करने के लिए काफी थे।
हम सबने नास्ता किया और बाजी मदरसे निकल गयी और अब्बू दुकान के लिए
फिर मैं भी कमरे में चला गया ओर पढ़ने के लिए बैठ गया। पढ़ते पढ़ते जब बोर हो गया तो मैंने मोबाइल उठाया और गाने सुनने लगा। गाने सुनते हुए मेरा मन फिर से गंदी वीडियोस देखने को हुआ। अब मेरा रोजाना गंदी वीडियोस देखने का मामूल (आदत) बनता जा रहा था। मेने पोर्न सर्च किया और देखने लगा। जिसमे वही नार्मल चुदाई वाली वीडियो थी।
फिर मुझे एक ऐसी वीडियो दिखी जिसके नीचे "माँ बेटे की चुदाई" ऐसा कुछ लिखा था। और मैं हैरानी से सोचने लगा कि अब क्या दुनियां में यही गंदगी बची थी जो कोई अपनी माँ के साथ ही हमबिस्तर हो।
मैंने वीडियो ओपन की जिसमे एक औरत थी, जो जिस्म से हट्टी कट्टी ओर गदराई हुई थी
एक उस लड़के का लन्ड चूस रही थी, मैं हैरान पूर्वक उस वीडियो को देखता गया।
वीडियो में उस लड़के कभी लन्ड चुसाया, कभी चुत मारता कभी गाँड़।
मुझे यकीन नही आ रहा था कि दुनियां में क्या ऐसे भी लोग है जो अपनी माँ को भी चोद लेते हैं। क्या मजबूरी रहती होगी इनकी या इन्हें मजा आता है।
मेरे पास कोई जवाब नही था, औरत के हाव भाव से लग रहा था कि उसे मजा आ रहा है, उसके मम्मों के ऊपर उस आदमी ने अपना माल छोड़ा था जो उसका बेटा था।
मैंने फ़ोन बंद किया और सोचने लगा कि कितनी गंदी दुनियां है जिसमे रिश्तों का कोई लिहाज नही, अपनी लाज लज्जत की कोई फिक्र नही ओर इन गुनाहों में मुब्तिला (शामिल) है।
मैं खड़ा हुआ और पानी के लिए जग के पास गया तो वो खाली था।
मैंने गिलास उठाया और पानी पीने नीचे उतर कर जाने लगा।
(नीचे हमारे दो कमरे थे एक साथ । कमरों के बीचों बीच एक किचन था ओर कमरों के सामने बरामदा था, जिसमे एक दो पलँग बिछे रहते थे एक सोफा रहता था बरामदे में ही हम लोग टेबल लगाकर खाना खाते थे)
बरामदे में पहुंचा तो मुझे अम्मी लेटी हुई दिखी जो पलंग पर सो गई थी। उसके साइड में एक दीनी किताब पड़ी हुई थी। अम्मी अक्सर दोपहर को उर्दू किताब पढ़ती है और फिर वहीं सो जाती। क्योंकि किताबें पढ़कर नींद कब आती है पता ही नही चलता।
अम्मी कुछ तरह सोई हुई थी
अम्मी ने एक टांग फोल्ड की हुई थी जिससे अम्मी की विशालकाय गाँड़ मेरी नजरों के सामने थी।
अम्मी के टांग फोल्ड होने की वजह से सलवार चूतड़ों से चिपकी हुई थी और कमीज ऊपर हो गयी थी सोते समय
अम्मी की गाँड़ का शानदार नजारा मेरे सामने था।
अम्मी एक तालीम याफ्ता औरत थी जिसे बस अपने बच्चों और शौहर से मतलब था, बाकी समय उर्दू किताबों में देती थी। अम्मी की तारीफ पूरे कस्बे में थी उनकी परहेजगारी ओर नेक होने की वजह से।
लेकिन आज अम्मी को इस हालत में देखकर मैं अपने आपको काबू नही रख पा रहा था। दिल रोकने की गवाही दे रहा था तो दिमाग मुझे उकसा रहा था।
मेरी पाक दामन अम्मी बेखबर सो रही थी उसे क्या पता कि उसका बेटा उसकी किन किन चीजों को देख रहा है।
में पलट कर साइड में गया तो मुझे एक ओर नजारा मिला
अम्मी के बूब्स कमीज से झांक रहे थे, जैसे कि आजाद होना चाहते हो। अम्मी के मम्मे एक दम सफेद और दुध जैसे थे। और मम्मों कि मोटाई भी अच्छी खासी थी और गोल मटोल थे।
मुझे एक दम वो " माँ बेटे वाली वीडियो" याद आ गयी जिसमे माँ अपने बेटे से गंदा काम करती है।
उस वीडियो और अम्मी को हालत में सोता देख मेरा लन्ड खड़ा हो गया, ओर झूमने लगा मैं कभी अम्मी के मम्मों को देखता कभी अम्मी की गाँड़ का।
मैं एक फिर अम्मी के चूतड़ों की तरफ आया और चूतड़ों का जायजा लेने लगा,अम्मी की गाँड़ में मेरा बुरा हाल कर दिया, ओर मैं अपने लन्ड को भी मसलता रहा।
आज मुझपर एक जुनून सवार था हवस का मैं अच्छे बुरे का फर्क भूल गया था, सामने जो नजारा था उसका आनंद ले रहा था। मैंने हिम्मत करके अम्मी की गाँड़ के नजदीक अपना मुँह किया और गोर से देखने लगा।
अम्मी की गाँड़ वाकई लाजवाब थी एक दम टाइट ओर गदराई हुई मांस जितना होना चाहिए उतना मांस था अम्मी की गाँड़ पर।
मैंने हवस के हाथों मजबूर होकर अपना मुँह अम्मी के गाँड़ से बिल्कुल करीब लाया, अब अम्मी की गाँड़ ओर मेरे मुँह के बीच मैं बस 2 इंच का फर्क था।
मैंने अम्मी की गाँड़ के पास मुँह लाकर एक जोरदार साँस खींची ओर उस साँस में अम्मी की गाँड़ से एक मादक महक मेरे नथुनों में घुस गई। गाँड़ से क्या खुसबू आ रही थी बिल्कुल मादकता से भरपूर। अम्मी की गाँड़ से कुछ कुछ पाद (जिसे fart बोलते है जो सोते समय अक्सर आता है) जैसी खुश्बू आ रही थी, जो मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। अम्मी का पाद सूंघकर जो मजा मिला उसके बयान करना मेरे बस मैं नही है।
गाँड़ से मुँह लगाकर मैं जोर जोर से सांस खीँचने लगा या यूं कहें सूंघना लगा और मैंने हवस की ड़ोर थामें अपना लन्ड लोअर से बाहर निकाल लिया
अम्मी की गांड के नशे में मुझे कोई होश नही था कि अम्मी कभी भी जाग सकती है, या बाजी भी आ सकती है मदरसे से। मैंने सोचा जो होगा देखा जायेगा वैसे भी अम्मी गहरी नींद में सोती है क्यों ना आज में इन लम्हों का मजा लिया जाए
हाथ मेरा लन्ड पर ही था और उसे मुठिया रहा था, मैंने थोड़ा आगे बढ़ने का सोचा ओर अम्मी की इलास्टिक वाली सलवार के ऊपरी हिस्से को दोनों हाथों से पकड़ा और आराम आराम से नीचे करने लगा। डर से मेरे हाथ कांप रहे थी, आखिरकार में अम्मी की सलवार नीचे करने में सफल हो गया।
सलवार इतना नीचे हो गयी की अम्मी की साफ सुथरी, गाँड़ बिल्कुल मेरे सामने नंगी थी। सलवार निकलने से अम्मी की गाँड़ का छेद ओर चुत की फांके दिखने लगी
अम्मी की गाँड़ का भूरा छेद एक दम कसा हुआ था जैसे एक तिनका भी अंदर नही जाएगा,
(मुझे क्या पता ये हमारी तहजीबदार, नेक खातून, शर्मो हया का दामन थामे हुए हमारी औरतें के अंदर कितने ही जोशीले लन्ड घुसकर अपना आत्म समर्पण कर गए और उनका नामो ओ निशान ना मिला)
गाँड़ का छेद कभी खुलता कभी बंद होता। गाँड़ की मिड भाग पर सिलवटे थी जो कतारबद्ध अम्मी की गाँड़ के छेद की तरह जा रही थी, जो अम्मी की गाँड़ को ओर भी मादक ओर लज्जत दार बना रही थी,
मैं अम्मी की नंगी गाँड़ के पास अपनी नाक लाया और एक सांस खींची, अहहहहहहहह क्या महक थी अम्मी की गाँड़ से गुलाब की महक भी फीकी पड़ जाए। मैंने उस महक को से अपने तन बदन को तरोताजा किया और लगातार सांसे लेने लगा।
अचानक अम्मी की गाँड़ का छेद थोड़ा खुला ओर एक मधुर आवाज से जोरदार पाद(fart) मेरे मुँह पर आकर लगा , मेरा मुँह नाक अम्मी की गाँड़ के पास था तो समूचा पाद मेरे मुँह ओर नाक के रास्ते अंदर चला गया। पाद की महक इतनी बुरी नही थी जितना उसमे मादकता ओर नशा था। ऐसा नशा जो तन बदन में खून का संचार बढ़ा दे। ऐसा नशा जिसे जितना किया जाए उतना कम। अम्मी के पाद के नशे से निकल कर मेने अपनी आंखें खोली जो पाद सूंघते समय आनंद में अपने आप बंद ही गयी थी। आंखे खोली तो अम्मी की हसीन गाँड़ का छेद सामने था। मैंने हवस की हालत में आगे बढ़ने का सोचा लेकिन एक डर अभी भी था के अगर अम्मी ने जाग जाना है तो मुझे मौत के सिवा कुछ नही मिलेगा, पर पोर्न देखते देखते ओर अम्मी को इस तरह महसूस करके वो डर भी अब छोटा पड़ गया था।
मैंने ऊपर वाला का नाम लिया और अम्मी की खुशबूदार छेद पर अपनी जबान की नोक रख दी।
छेद ओर जबान टच होते ही मेरा 9 इंच लौड़ा फुल अकड़ गया और उससे प्री-कम निकलने लगा।
मैंने अम्मी की छेद पर एक दो बार जीभ टच, बाकी मैं अम्मी के छेद के पास नाक रखकर सूंघता रहा।
बदन में नशा बढ़ता गया और मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मेरे लन्ड ने वीर्ये की बारिश कर दी।
मेरा ढेर सारा वीर्या फर्श पर पड़ा था, वीर्ये की मात्रा इतनी थी के उससे आधा ग्लास भर सकता था जो मेरे लिए चोंका देने वाला सीन था।
मैंने अम्मी की सलवार को ऊपर किया और सही तरीके से पहना दिया।
अब मैं हवस से बाहर निकल कर अपनी असली दुनियां में आ गया और एक कपड़ा लेकर फर्श पर पड़े अपने वीर्ये को साफ किया और बाहर आ गया
ओर कमरे में आकर इस घटना का मुआयना करने लगा
【अगला सेक्सी अपडेट तब आएगा जब कम से 30 कमेंट कर दोगे। कमेंट मैं अपना सुझाव रखें और कोनसी चीज ने आपको ज्यादा उत्तेजित किया वो बताना】
अपडेट 7
बाजी की जुबानी:-
मैं रोजाना की तरह सुबह मदरसे के लिए तैयार हुई, बुर्का पहना ओर नास्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर पहुंची, जहां पहले ही अम्मी अब्बू ओर भाई बैठे थे।
मैं भी उनके साथ बैठ गई और नास्ता करने लगी।
नास्ता करते हुए अचानक ही मेरी निगाहें भाई की तरफ गयी जो मुझे घूर रहे थे, मेने उसकी नजरों का पीछा किया तो वो मेरे सीने की तरफ देख रहे थे।
मुझे भाई की इस हरकत ने फिर से चोंका दिया था, ओर गुस्से में मेरी आँखें आग फेंकने लगी। ये वही भाई था जिसने कल ही मुझसे अपने गुनाहों की माफी मांगी, ओर ये फिर से वही हरकत कर रहा था।
मैंने भाई की तरफ गुस्से से देखा तो उसने अपनी निगाह फेर ली। लेकिन भाई ये हरकतें मुझे अब सोचने पर मजबूर कर रही थी, ऐसी कोनसी खास चीज है मेरे अंदर जो भाई कंट्रोल नही कर पाते अपनी निगाहों को।
मन मे बहुत से सवाल थे, जिन्हें सोचने का फिलहाल समय नही किया, मैंने फटाफट नास्ता किया और अम्मी अब्बू को सलाम करके मदरसे के लिए चल दी।
पूरे रास्ते मैं इसी उधेड़बुन में रही कि क्यों भाई की नजरें मेरे लिए इतनी गंदी हो चली है जो अपनी पाकीजा ओर एक पढ़ी लिखी आलिमा को ही नही बख्स रही।
क्यों भाई मुझे गन्दे तरीके से देखता है मेरे अंगों को घूरता है। मुझे उससे बात करनी होगी। ओर अपने सवालों का जवाब लेना होगा।
यही सब सोचते हुए मेरा मदरसा आ गया, मैं सभी लड़कियों के साथ किताबें लेकर बैठ गयी।
सना जो दूर बैठी थी वो मेरे पास आई और दुआ सलाम किया और कहा
सना:- अंजुम आज तुम बहुत प्यारी लग रही है
मैं:- ऐसी क्या बात है सना मैं तो रोज ऐसे ही आती हूँ
सना:- नही अंजुम आज तुम ज्यादा ही प्यारी लग रही हो, सभी लड़कियां तुम्हारी खूबसूरती से जलती हैं।
मैं:- मैंने उनकी पीठ पर मुक्का मारा " तुम भी सना मुझसे मजाक करती करती हो"
सना:- सच मे अंजुम तुम वाक़ई में बहुत खूबसूरत हो।
मैं:- चल छोड़ सना अपना सबक याद करो, हमारा नम्बर आने वाला है। बारी बारी सभी लड़कियों ने सबक सुनाया ओर फिर मेरा भी नम्बर आ गया।
मैंने सबक सुनाया ओर घर की तरफ चल दी।
जैसे ही मैं मदरसे के आखरी गेट पर पहुंची मुझे टीचर की बाथरूम वाली घटना याद आ गयी।
मेरा मन अब अपने काबू से बाहर हो चला था। मेरा जिस्म मुझे बार बार उस बाथरूम की तरफ जाने को कह रहा रहा।
आखिर मैं वापस मदरसे के बाथरूम की तरफ चल दी, मैंने सोचा पहले लड़कियों वाले बाथरूम में जाकर पेशाब कर लेती हूं। मैं लड़कियों वाले बाथरूम गयी और पेशाब किया। पेशाब से फारिक होकर में अभी दरवाजे तक आई थी के मुझे टीचर अपने पर्सनल बाथरूम की तरह जाते हुए दिखाई दिए।
(टीचर की बीवी ओर बच्चे लाहौर में रहते है और मदरसा उस जगह से 40-45 km दूर था। टीचर फ्राइडे को ही घर जाते थे बाकी दिन वो मदरसे के कमरे में ही रहते थे)
मैं टीचर को देखकर थोड़ा छिप गयी और इंतज़ार करने लगी कि कब टीचर वापस आते हैं
मैं फिर से बहकने लगी थी, मेरा दिल धड़क रहा था। मुझे अच्छे बुरे का ख्याल तो आता और मेरा जिस्म मेरा साथ नही देता, मैं अपनी तालीम, अपना मुकाम सब भूलती जा रही थी, घर पर भाई की नजर ओर इधर मेरी चढ़ती जवानी की डिमांड।
इतने में मुझे टीचर आते दिखाई दिए जो बच्चों की तरफ जा रहे थे।
मैंने थोड़ा इंतजार किया और फिर उस बाथरूम की तरफ चल दी। वहां पहुंच कर मेने दरवाजा खोला और अंदर झांका तो मुझे कुछ ना दिखा। मैंने बाथरूम में चारो तरफ नजर गुमाई तो दीवार पर कुछ चिपचिपा दिखाई दिया जो बहुत ज्यादा था।
मैंने बाहर आकर इधर उधर नजर दौड़ाई तो कोई दिखाई नही दिया, मैंने तसल्ली की कोई नही है तो वापस बाथरूम में आ गयी और दीवार पर लगे हुए उस चिपचिपे पानी को देखने लगी।
मैंने अपनी उंगली को उस पर फिराया ओर सुंघा तो एक सोंधी की महक मेरे नथुनों में घुस गई।
मैं समझ गयी कि ऐसा ही पानी उस दिन अपने घर के बाथरूम में था। मुझे समझ नही आ रहा था कि ये आता कहाँ से है। क्या ये टीचर की कोई चीज है, क्या वो इसे निकाल कर गए हैं। मुझे नही पता था कि ये चीज आखिर निकलती कहाँ से हैं।
मुझे उसकी महक ने पागल करना शुरू कर दिया और आंखे बंद करके मेने उंगली पर लगे हुए उस चिपचिपी चीज को चाट लिया। उस चीज को जीभ पर रखकर मेने टेस्ट किया को मजे से चटकारे लेकर निगल गयी। अब मेरी निगाहें दीवार पर थी जहां अभी भी ढेर सारा माल पड़ा हुआ था।
मैने दीवार पर लगे पानी पर जीभ फिराई, जिस जबान से मैं दुआएं मांगती थी उससे मैने एक एक करके सारा पानी चाट गयी।
उस चीज को चाटकर मेरे शरीर मे झुरझुरी सी हुई और फिर शांत हो गयी।
आज एक बार फिर में गुनाहों के दलदल में एक डुबकी लगा चुकी थी और ना जाने कितनी ही डुबकियां मुझे लगानी बाकी थी। मैं वहां से निकल कर घर आ गयी और कमरें में जाकर कपड़े बदले।
कपड़े बदलकर मैने भाई से बात करने की सोची जो हरकत उसने सुबह की थी।
मैं ऊपर भाई के कमरे की तरफ चल दी ओर दरवाजा देखा तो बन्द था और उसमें से हल्की हल्की कराहने की आवाज आ रही थी। में उस आवाज को सुनकर चोंक गयी, कहीं भाई को कोई चोट या बीमार तो नही है जो इस तरह की आवाज निकल रही है अंदर से।
मैंने पहले दरवाजे के की-होल से देखा जहां मुझे पहले भाई का बेड दिखा ओर बेड के पास भाई खड़े थे वो भी नंगे। बेड पर कपड़े जैसी कोई चीज रखी थी।
मैं घबरा गई कि आज भाई नंगे क्यों हैं। मैंने दोबारा की-होल से देखा तो मेरी निगाहें एकाएक भाई की टांगो के बीच गयी जहां भाई कपड़े की तरफ देखकर अपना लन्ड हिला रहे थे ओर कुछ बुदबुदा रहे थे।
मुझे भाई की हरकत ने हैरान कर दिया था। मुझे भाई की वो किचन वाली बात याद आ गयी कि उस दिन भी भाई मुझे घूरते हुए अपना लन्ड मसल रहे थे। मुझे भाई का लन्ड खूंखार लग रहा था जो बिल्कुल डरावना सा था।
मुझे लन्ड देखकर शर्म आई मैंने निगाहें हटा ली। मेने आगे जानने के लिए की भाई आगे क्या करता है। एक बार फिर से की-होल में निगाहे डाल दी।
अब भाई खड़े थे और वो बेड पे पड़ा कपड़ा उसकी नाक के पास था और उसे सूंघते हुए लन्ड हिला रहे थे। भाई इस बात से बिल्कुल बेखबर लग रहे थे कि कोई आ भी सकता है या बाजी मदरसे से आ सकती है और आवाजे सुन सकती है। कपड़े को सूंघते हुए भाई लगातार लन्ड हिला रहे थे। मैंने भाई के मुँह पर निगाहे डाली जहां भाई उस कपड़े को अब चाट रहे थे।
ओर अचानक ही वो कपड़ा मुझे जाना पहचाना लगा
जी हाँ ये तो मेरा ही कपड़ा है और वो भी मेरी शर्मगाह को ढकने वाला कपड़ा। जिस को मैं सुबह कमरे में उतार कर गयी थी और अपने बेड के नीचे रख दिया था छिपाकर।
मुझे भाई की इस हरकत ने शॉक में ला दिया ओर मैं दौड़ कर अपने कमरे में आई और बेड के नीचे नजर दौड़ाई तो वहां मेरी कच्छी नही थी।
मुझे अब विश्वास हो गया कि भाई मेरी कच्छी के साथ ही गलत हरकत कर रहे हैं।
मैं फिर दौड़ कर की-होल पर गयी और अंदर देखने लगी जहां भाई तेज़ तेज़ लन्ड हिला रहे थे। उनकी आवाजे अब तेज़ हो चली थी "आहह.हहह..हहह बाजी तुम कितनी प्यारी हो, तुम्हारी चुत की खुसबू ने मुझे पागल कर दिया है। क्या खुसबू है तेरे जिस्म की"
भाई की जुबान पर अपना नाम सुनना मेरे लिए किसी सदमे से कम नही था।
बाजी मुझे तुमसे प्यार हो गया है, बाजी ये गुनाह है लेकिन मुझे अपने ऊपर कंट्रोल नही रहा, बाजी तुम्हारे मम्मे, तुम्हारी गाँड़ ने मुझे पागल कर दिया है।
बाजी तुम्हारी गाँड़ बहुत सेक्सी है जब तुम चलती हो तो मन करता है तुम्हे पीछे से पकड़ लू अहह बा.ब..ब.जी
ओर भाई ने मेरी कच्छी को लन्ड के सामने किया और एक तेज़ धार मेरी कच्छी पर जाकर गिरी ओर फिर कई सारी पिचकारी भाई के लन्ड से निकलकर मेरी कच्छी पर गिरी ओर कच्छी को लबालब अपने माल से भर दिया।
अचानक भाई ने दरवाजे के तरफ निगाहें डाली तो उसे एक साया दिखाई दिया जो दरवाजे के नीचे देखने से पता चला।
मैं डर गई कहीं भाई को पता चल जाये कि मैं इसे गंदा काम करते हुए देख रही हूं, मैं दौड़ कर अपने कमरे में आ गयी और दरवाजा बंद करके बेड पर उल्टा लेट गयी और इस हादसे के बारे में सोचने लगी। आज भाई ने मुझे अपनी आंखों में नंगा कर दिया था
जिस संस्कार को मैं खोना नही चाहती उसे मेरा भाई तार तार करने पे तुला हुआ था। कई हादसे ऐसे हो चुके थे जिनमें मेरी खुद की गलती भी थी, चाहे वो भाई का माल चाटना हो या टीचर का माल हो। मुझे भाई के लन्ड से निकलनते माल को देखकर अंदाजा लग गया था कि जो चिपचिपा पानी मेने टीचर के बाथरूम से चाटा था वो लन्ड से ही निकलता है।
मुझे वो बात रह रह कर याद आ रही थी कि मैंने कैसे कुतिया की तरह झुक कर टीचर का माल चाटा था।
मुझ जैसी साफ सुथरी तालीम याफ्ता लड़की कैसे इतना गिर गयी कि गेर मर्द का पानी चाटने की लत लग गयी।
मुझे रोना आ रहा था अपनी हरकतों पर, मेरा जिस्म मुझसे क्या क्या करा रहा था। और रही सही कसर भाई ने पूरी कर दी आज।
मैंने ऊपर वाले कि तरफ देखकर दुआ की ऐ ऊपर वाले मुझे इन गुनाहों से बचा, मैं बहक रही हूं, मैं गंदी होती जा रही हूं।
मे मेली होती जा रही हूं , मेरा भाई ही मुझे गंदा करना चाहता है।
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मैंने सारे हादसों के बारे में सोचा, लेकिन कोई हल नही मिला।
मैंने सब ऊपर वाले के हवाले छोड़ कर अम्मी के पास गई जो कमरे में दोपहर की प्राथना कर रही थी।
मैं बदन साफ करने के लिए बैठ गयी और बदन साफ कर अम्मी के बराबर प्राथना करने लगी। प्राथना करके अपने गुनाहों की माफी मांगी और सही रास्ते पर चलने की दुआ की।
कुछ देर अम्मी से बातें की उनकी तबियत के बारे में पूछ कर
अपने कमरें में आ गयी ओर लेट गयी।
आज जो हुआ और जो आगे होना है उसे सोचते हुए कब नींद आ गयी पता ही नही चला।
शाम को अम्मी ने आवाज लगा कर खड़ा किया
अम्मी:- बेटी अंजुम जाग जाओ, चलो मेरे साथ खाना बनाओ जिससे तुम भी खाना बनाना सीख जाओ
वरना तुम्हारी सास तुम्हे ताना देगी और अम्मी मुस्कुराने लगी
मैं:- अम्मी तुम भी ना, मुझे नही करनी शादी वादी, मैं तो आप लोगो के साथ ही रहूंगी
अम्मी:- अरे बेटी दुनियां की हर लड़की शादी करती है और दूसरे घर की जीनत बनती है। देखना अपनी बेटी की शादी हम धूम धाम से करेंगे।
मैं:- अम्मी बस करो, चलो मैं आती हूँ किचन में फिर आप सिखा देना मुझे खाना बनाना।
अम्मी:- जल्दी आ जाओ बेटी, तुम्हारे अब्बू भी आने वाले होंगे।
इतना कहकर अम्मी चली गयी, ओर मैं भी हाथ मुँह धोकर अम्मी के पास चली गयी.
मैंने अम्मी के साथ खाना बनाया इतने मैं अब्बू आ गए।
मैंने अब्बू को पानी दिया और एक दूसरे का हाल पूछा।
मैं टेबल पर खाना लगाने लगी इतने में अम्मी ने कहा कि अपने भाई को बुला लाओ ऊपर स खाने के लिए
अम्मी तुम चली जाओ मैं खाना लगा देती हूं
(आज की घटना से मेरा मन नही किया कि ऊपर जाऊं ओर भाई का सामना करू)
अम्मी ऊपर चली गयी भाई को जगाने मैंने खाना लगाया अब्बू को आवाज देकर खाने के लिए बुलाया।
अब्बू को खाना दिया इतने मैं भाई और अम्मी भी आ गए।
भाई आज मुझसे नजरें चुरा रहे थे जो मेने नोट कर लिया था
भाई अब्बू के बराबर बैठ गए और सामने मैं ओर अम्मी बैठ गए और खाना शुरू कर दिया।
मेरी निगाह जब भी सामने बैठे भाई पर जाती तो वो शर्मा कर नजरें झुका लेता।
इसी तरह खाना हुआ और भाई कमरे में चले गए।
मैंने अम्मी के साथ बर्तन धुले ओर कमरे में आ गयी, कमरे में आकर मैं किताबे लेकर बैठ गयी और अपना सबक याद करने लगी।
कोई एक घण्टा पढ़ाई करके मैं सोने की तैयारी करने लगी, मैंने अपने कपड़े बदले ओर ढीले सलवार कमीज पहनकर लेट गयी अभी कुछ ही देर हुई कि अचानक मुझे दिन की बात याद गयी
मैंने सोचा क्यों ना भाई से बात करके उसके गुनाह के बारे में बात की जाय, क्या वजह है जो भाई मुझपर ही अपनी गंदी नजर रखे हुए है।
टाइम देखा तो 10 बज गए थे। मैं पहले अम्मी अब्बू को देखकर तसल्ली कर लेना चाहती थी वो सो गए हैं या जाग रहे हैं
उनके कमरे की तरफ निगाह डाली तो लाइट बन्द थी इसका मतलब अम्मी अब्बू सो गए होंगे या सोने की तैयारी कर रहे होंगे।
मैंने सोचा अगर भाई के पास डायरेक्ट गयी तो भाई डर जाएंगे और हो सकता है भाई मुझे कुछ ना बताए या सच बात ना पता पाय, मुझे प्यार से काम लेना होगा ताकि में भाई के दिल की बात उगलवा सकू
मैंने पहले बाथरूम जाने का फैसला किया ओर धीरे धीरे कदमो से ऊपर चल दी। भाई के रूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला था लेकिन अंदर का कुछ दिखाई नही दे सकता था। इसका मतलब भाई अभी भी जाग रहे थे या पढ़ाई कर रहे होंगे। आगे बढ़कर मैं बाथरूम में इंटर हुई और पेशाब करने बैठ गयी
मेरी आदत थी के मैं ज्यादातर उल्टा ही बैठकर पेशाब करती थी जिससे पेशाब सीधे लैटरिंग शीट के आखरी छोर पे गिरता था जिससे पेशाब के छींटे लगने का चांस बहुत कम होते थे।
कई बार ऐसा होता है कि पेशाब की धार तेज़ हो तो पेशाब शीट से टकराकर वापस कपड़ो पर लग जाता था इसलिए में उल्टा ही बैठती थी।
मैं पेशाब करने लगी और पेशाब को गिरते देखती रही, मेरे पेशाब करने की आवाज कुछ ज्यादा थी, लेकिन भी मैं कोशिस करती की पेशाब की सीटी वाली आवाज कम आये।
पेशाब खत्म करके मैं चुत धोने के लिए सीधी हुई और पानी लेकर धोने लगी तभी मुझे एक साया/परछाई दिखी जो दरवाजे के नीचे से दिखाई दी।
मुझे पता चल गया था कि ये भाई ही है जो पेशाब वाली सीटी सुनकर आये हैं। मैंने जल्दी से पानी डाला और खड़ी हो गयी।
मै भाई को ये अहसास नही कराना चाहती थी के मैंने उसकी परछाई देख ली है। हालांकि मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था भाई पर, लेकिन मैं आराम से काम ले रही थी ताकि भाई की इन हरक़तों की वजह जान सकू।
मैंने धीरे से बाथरूम का दरवाजा खोला और बाहर देखा तो भाई नही थे सायद वो कमरे में चले गए थे मुझे उठता देख कर।
मैं अब भाई के दरवाजे पर खड़ी थी इस कशमकश में कई अंदर जाऊं या नही, क्योंकि जो बातें होंगी वो एक भाई बहन के लिए बेहद शर्मनाक थी।
मैंने दरवाजा हटाया तक भाई बेंच पर बैठे पढ़ाई करने का नाटक कर रहे थे। मैंने भाई से इजाजत ली भाई अंदर आ जाऊं
भाई ने बोला आ जाओ बाजी। अंदर जाकर में बेड के किनारे बैठ गयी।
भाई:- बाजी क्या बात है जो इस समय आप मेरे कमरे में आई हो
मैं:- क्यों मैं अब अपने भाई के कमरे में भी नही आ सकती
भाई:- नही नही बाजी वो बात नही है मैं तो बस वैसे ही पूछ रहा हूँ, कुछ बात हो गयी है कोई खास बात तो नही हैं
मैं:- बात तो खास है अगर तुम सच बताओ तो
भाई:- क्या बात है बाजी पूछे क्या पूछना है तुम्हे ओर मेरे साइड में आकर बैठ गए।
मैं:- भाई क्या तुम अभी बाथरूम करने बाहर गए थे
भाई :- नही बाजी मैं तो अंदर ही था, बताओ क्या बात हो गयी
इतना सुनकर भाई के चेहरे का रंग बदल गया मुझे पता था भाई झूट बोल रहा है।
मैं:- भाई क्या हो गया है तुम्हे जो तुम अपनी सगी बहन को ही नंगा देखते हो, मुझे पता है जब मैं पेशाब कर रही थी तो तुम वहां थे तुम्हारा साया मुझे नजर पड़ गया था।
इतना सुनते ही भाई का चेहरा पीला पड़ गया और अपनी नजरे झुका ली। भाई को पता लग गया कि मैं सब कुछ जानती हूं
मैं :- भाई तुम तो इतना गिर चुके हो कि दिन में मेरे कपड़ों को चुराकर तुम उन पर गंदा गलीच पानी डालते हो।
शर्म आनी चाहिए तुम्हे, मैं बाजी हूँ तुम्हारी भाई कोई गेर नही।
भाई:- बाजी मुझे माफ़ कर देना, पता नही मुझे क्या हो जाता है
मैं कंट्रोल नही कर पाता, मन करता है बस आपको देखता रहू
मैं:- भाई ये तुम क्या बकवास कर रहे हो, तुम्हारी सोच इतनी गंदी होगी मैंने कभी सोचा ना था। भाई तो अपनी बहन की इज्जत के रखवाले होते हैं और तुम मेरी ही इज्जत उतारने चाहते हो, मुझे गंदा करना चाहते हो। ये तुम्हारी हवस है जिस दिन ये उतर जाएगी तुम्हे बहुत अफसोस होगा भाई
भाई:- बाजी ये सच्चा प्यार है मेरा, मैं आपसे मोहब्बत करने लगा हूँ। क्या भाई अपनी बहन से प्यार नही कर सकता
मैं:- भाइ मैं भी तुमसे प्यार करती हूं लेकिन भाई बहन की तरह
उस तरह नही जिस तरह तुम करते हो, हमारे माशरे इसे गंदगी कहते हैं, तुम मुझे बहन की तरह प्यार कर सकते हो, पर जो तुम करते हो वो हवस है और कुछ नही।
भाई:- बाजी मुझसे अब बहन वाला प्यार नही होगा, मुझे आप अच्छी लगती है और मैं आपसे ऐसे ही प्यार करूँगा, चाहे तो आप अम्मी अब्बू को बता दे या फिर मुझे मार ले, अब मुझे कोई डर नही है।
मैं:- भाई तुम इतना जलील कैसे हो गए जो अपनी बहन से ही मोहब्बत करने चले हो।
भाई:- बाजी मैं क्या करूँ मुझसे अब बर्दास्त नही होता, मेरा मन करता है बस आपको देखता रहू, आपका प्यार ही अब मेरी जिंदगी है।
मैं:- चुप हो जाओ गलीज इंसान, क्या हो गया है तुम्हे कहाँ से सीखा है तुमने ये गंदा काम, मेरा कपड़ा कहाँ है जो तूने अपनी हवस में गन्दा किया है।
भाई:- भाई खड़े हुए और अपने तकिए के नीचे से मेरी कच्छी निकाली और अपने हाथों से पकड़ कर उसे देखते रहे
मैं भाई को इस तरह देख कर शर्मिंदा हो गयी और उसके हाथ से कच्छी छीन ली, ओर भाई से कहा
मैं:- सुधर जाओ भाई, ये अच्छी बात नही है तुमने मेरे कपड़े चुराने शुरू कर दिए और उन्हें गन्दा भी करते हो।
भाई:- भाई बाजी इस बात की माफी चाहता हूं, आगे से आपके कपड़े धोकर रख दिया करूँगा, मैंने भाई की तरह थप्पड़ दिखाया और चुप रहने का इशारा किया
मैं:- जा रही हूं मैं,ओर अपनी गंदी हरकतों से बाज आ जाओ वरना अब्बू को बताकर तुझे डांट लगवा दूंगी
भाई:- बाजी आप जो करो आपकी मर्जी मैं तो बस आपको ही प्यार करता रहूंगा।
मैं:- चुप कर ओर सोजा रात बहुत हो गयी है, मैं उठकर कमरे से बाहर निकलने लगी जैसे ही मैं दरवाजे पर पहुंची तो भाई ने आवाज दी
भाई:- बाजी एक रिकवेस्ट है सुबह अपनी कच्छी उतार कर हेंगर पर लटका देना, भाई अब खुलकर बोल रहा था, सायद वो मुझे भांप गया कि मैं उससे नाराज नही हूँ
मैं:- क्यों ताकि तुम फिरसे गंदा कर सको अपने गलीज पानी से
भाई:- बाजी मे धो दूंगा अगर गन्दा किया तो, बस आप सुबह हेंगर से लटका कर मदर्स चले जाना।
में उसकी बात को नजरअंदाज करके नीचे चली आई और कमरे में पहुंची और दरवाजा लॉक करके बेड पर सांसे दुरुस्त करने लगी।
भाई की मानसिकता मुझे पता लग गयी थी, वो अब रुकने वाला नही था।
मुझे ही उसे लाइन पर लाना होगा, मैं भी उससे अब ज्यादा झगड़ नही सकती, क्योंकि मेरा एक ही भाई है अगर उसने कुछ उल्टा सीधा कर लिया तो मैं भी जिंदा नही रहूंगी।
मैंने भाई को प्यार से हैंडल करना है और उसके दिमाग से हवस का भूत उतारना है, चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े।
इतने में मेरा ध्यान बेड पर पड़ी कच्छी पर गया और उसे गौर से देखने लगी। कच्छी अकड़ी हुई लग रही थी और उसपर जो भाई ने माल छोड़ा था वो सुख कर पपड़ी बन गया था।
मैं उसे नाक के पास लाई ओर सुंघा तो एक गंदी सी स्मेल मेरी नाक के रास्ते अंदर चली गयी। वो स्मेल गंदी थी फिर भी मेरा जिस्म उसे महसूस करके उत्तेजित हो रहा था, मेने उस पपड़ी बन चुके माल पर जीभ गुमाई तो मेरा थूक उस सूखे हुए माल पर लगा और एक तेज़ जायका मेरी जीभ पर आ गया।
मेने जीभ पर रखे माल को निगल गयी और दोबारा से जीभ घुमा घुमा कर माल पीने लगी। जब सब चाट लिया तो मैंने कच्छी को मरोड़ मरोड़ कर टाइट किया और मुँह के ऊपर रखकर दबाया तो एक कतरा उससे गिरने लगा जो मेरे हलक में जाके गिरा।
मैं भाई का माल आज फिरसे पी गयी,
मेरा जिस्म अब मदहोश होने लगा और चुत में चींटियां सी काटने लगी, जैसे कोई चुत पर अपने डंकों से वार कर रही हो।
मैंने कच्छी साइड फेंकी ओर अपनी सलवार निकाल दी, सलवार निकालकर मेरा ध्यान मेरी कच्छी पर गया तो वो मुझे गीली गीली लगी। मैंने उसे थोड़ा ऊपर किया तो उस पर मेरी गुलाबी चुत का पानी चिपका हुआ था, जो भाई का माल पीने से उत्तेजित होकर निकल गया था।
मुझे भी की वो बात याद आ गयी जब भाई ने बोला कि बाजी अपनी कच्छी हेंगर से टांक देना।
मैं सोच में पड़ गयी ऐसा क्या करेंगे भाई मेरी कच्छी के साथ, क्या दोबारा से भाई मेरी कच्छी को सूंघ कर उसपर अपना माल निकलेंगे, भाई की कच्छी सूंघने वाली बात सोचकर में गर्म होने लगी और कच्छी के ऊपर से ही चुत मसलने लगी।
चुत मसलते मसलते मुझे मजा आने लगा और मैं खुमारी में तेज तेज़ हाथ चलाने लगी ओर भाई की हरकतों को सोचकर मजा आने लगा। मैं भूल गयी कि जो हरकते मैं कर रही हूं वो ना काबिले गुनाह है, पर मैं जवानी के उस मोड़ पर थी जहां मुझे भी ये चीज अच्छी लगने लगी थी।
जवानी का जोश उबाल मार रहा था कि एकदम भाई का औजार जहन में आ गया
कितना लम्बा ओर मोटा था भाई का लन्ड, मेरी कलाई से भी दोगुना मोटा, ओर उसपर चारो तरह नशों( veins)का ढेर
तौबह भाई भी पता नही क्या खाते है जो इतना लंबा मोटा लन्ड लिए बैठे हैं। मैं अब फूल उफान पर थी कभी भी मेरे अंदर का लावा फुट कर बाहर निकलने वाला था। अहह.हहहहहह.सीईई सीईई की आवाजें मेरे मुँह से निकलने लगी।
भाई के लन्ड से निकली पिचकारी को ओर निकले हुए माल को सोचकर मेरी गुलाबी चुत ने भी आंसू बहा दिए और मैं खल्लाश हो गयी। बहुत सारा चुत का पानी मेरी कच्छी पर लग चुका था जो कच्छी ने अपने अंदर सोंख लिया।
मुझे अब गीली कच्छी से उलझन होने लगी और मैंने उसे निकाला और देखा कि उसपर बहुत सारा पानी लगा हुआ था। मैंने उसे अखबार से लपेटा ओर बेड के नीचे फेंक दिया।
मेरा जिस्म ठंडा पड़ गया था जिस्म एक दम हल्का फुल्का हो गया, जैसे कितना ही बोझ मेरे पानी के साथ मेरे जिस्म से निकल गया हो।
मैंने सलवार पहनी ओर पानी पीकर लेट गयी कब नींद आई पता ही ना चला।
सुबह उठकर मदरसे की तैयारी करने लगी, कपड़े लिए ओर बेड के नीचे पड़ी हुई गंदी कच्छी को लेकर ऊपर बाथरूम चल दी
बाथरूम में पहुंच कर मैंने कपड़ो को टांगा ओर नहाने लगी
ग़ुस्ल किया और अच्छी तरह रगड़ रगड़ कर अपने जिस्म को साफ किया फिर साबुन लगा कर अच्छी तरह नहा कर फारिग हो गयी।
अपनी गंदी कच्छी पर निगाह गयी तो मुस्कुरा पड़ी, सायद मुझे भी भाई के लिए कच्छी देना अच्छा लग रहा था, जिस्म में एक रोमांच पैदा हो गया था।
कपड़े पहने ओर बाथरूम से निकल कर नीचे आ गयी।
अम्मी ने नास्ता लगाया इतने में भाई भी नीचे आ गए, हम सब बैठकर नास्ता करने लगे। भाई आज कुछ खुश लग रहे थे, उसकी वजह उसका प्यार इजहार करना था मेरे लिए।
मैंने भाई की तरफ निगाहे डाली तो वो मेरे सीने को घूर रहा रहा, मैंने उसे आंखे दिखाई फिर भी उनकी हरकत बदसूरत जारी रही।
मैंने नास्ता किया और अम्मी अब्बू से दुआ सलाम करके बाहर आकर मदरसे के लिए निकल गयी।
भाई की जुबानी:-
मैंने बाजी से अपना प्यार का इजहार कर दिया था अब देखना था बाजी इसमें मेरा साथ देती है या नही,
बाजी को रात में बोला था कि अपनी कच्छी बाथरूम में रख देना
मैंने नास्ता किया और बाजी के जाने का इंतज़ार कर रहा था,
आखिर बाजी के जाते ही मैं दौड़ कर बाथरूम गया और हेंगर पर लटकी हुई बाजी की कच्छी को उठा कर अपने कमरे में ले आया
कमरे में आकर मेने दरवाजा लॉक किया कहीं अम्मी ऊपर आकर मेरी हरकत देख ले। सबसे पहले मैंने अपने कपड़े निकाले ओर एक दम नंगा हो गया। नंगा होकर मेरा 9 इंच का अजगर फुंकार कर बाहर आ गया।
कच्छी को उठाकर अपनी नाक पर रखकर सूंघने लगा और लन्ड को हिलाने लगा, आज बाजी की कच्छी पर ढेर सारा पानी लगा हुआ था, कहीं ना कहीं मैं भी अब बाजी के चुत रस का आदि हो गया था, कच्छी को सूंघते हुए मैंने अपनी जबान निकाल कर चाटने लगा और मजे से मेरी आँखें बंद हो गयी।
बंद आंखों से मैं बाजी के सपने देखने लगा अहह.हह आह्हह बाजी तेरी चुत रस बड़ा मीठा है, क्या खूबसूरत चुत होगी बाजी, कब आएगा वो दिन जब मैं अपनी बाजी को प्यार करूँगा,
बाजी की गोल गोल चुचियों को मुँह में भर कर चुसूंगा, अहह हह हा बाजी मेरी प्यारी बाजी कब समझोगी तुम मेरी तड़प को
ओर मेरे लन्ड ने जहर छोड़ दिया जो बाजी की कच्छी को नहलाता चला गया। आज मेरे लन्ड ने इतना माल छोड़ा की उससे आधा ग्लास भर सकता था। मेरा लन्ड 9 इंच का था तो माल भी ढेर सारा निकलता था। मुठ मार कर मैंने बाजी की कच्छी को बाथरूम में ही छोड़ दिया और नहा धोकर आराम करने लगा।
मुठ मारकर आलस आ गया तो आराम करने लगा और बाजी के बारे में सोचने लगा। मैं आगे की प्लानिंग करने लगा, किस तरह बाजी को गर्म किया जाए, किस तरह बाजी को अपना बनाया जाए। नेट पर मैंने पढा था कि लड़की बड़े लन्ड को देखकर आकर्षित होती है जो पहले ही मेरे पास था।
मैंने एक सेक्सी किताब लाने के बारे में सोचा, ताकि बाजी गलती से वो किताबे देख ले और उनके मन मे भी सेक्स की तरफ रुचि बढ़े। मैं बाजार जाने के लिए तैयार हुआ और अम्मी को बताकर "अम्मी किताबे लेने जा रहा हूँ" बोलकर घर से निकल आया।
हमारे पास एक बाइक थी जिससे अब्बू दुकान पर जाते थे इसलिए मुझे सवारी से जाना था। मैंने ऑटो लिया और मार्किट चल पड़ा।
मार्किट पहुंच कर मैंने बुक सेलर वाली दुकान ढूंढना शुरू कर दी, काफी खोज बीन के बाद मुझे एक दुकान दिखी, वहां पहुंच कर मैं बुक्स देखने लगा। बुक्स दुकान के सामने लगी हुई जो फैली हुई थी। मैंने कुछ देर ढूंढा तो मुझे एक कवर पेज पर नंगा फ़ोटो दिखा। मैंने पेज पलट पलट कर पूरी किताब को देखा तो मुझे अच्छी लगी, वही साइड मैं एक ओर बुक थी जिस पर इन्सेस्ट कहानियां लिखा हुआ था। मैंने उसे भी खंगाल कर देखा तो उसमें रिश्तों पर आधारित सेक्स कहानियां थी।
मैंने दोनों बुक खरीदी ओर पैसे देकर घर की तरफ चल दिया।
मुझे एक बात का डर लगने लगा कि अगर अम्मी किताबों के बारे में पूछेगी या उन्होंने किताबें देख ली तो कयामत आ जायेगी।
मैं उन्हें छिपाने की तरकीब सोचने लगा तभी मैंने सोचा इन्हें पीछे की साइड शर्ट में छिपा लेता हूँ और कमीज पैंट के अंदर डाल लेता हूँ ताकि किताबे गिरे ना।
मैंने ऐसा ही किया और घर पहुंचा तो अम्मी घर के कामों में लगी हुई थी, बाजी अभी नही आई थी। बाजी अक्सर दोपहर एक बजे के आसपास आती थी
मैंने अम्मी को बोला कि अम्मी में आ गया हूँ किताबे लेकर
अम्मी ने बोला मिल गयी बेटा किताबें
मैंने कहाँ अम्मी अभी किताबे नही थी लेकिन दुकानदार ने बोला कि एक दो दिन में आ जाएंगी तब लेकर चले जाना
अम्मी ने बोला चलो कोई बात नही बेटा, अम्मी आज नहा धोकर गजब की खूबसूरत लग रही थी।
मेरी नियत अम्मी पर बिगड़ने लगी थी, मुझे वो दिन याद आ गया किस तरह मैंने अम्मी की गाँड़ देखकर ओर सूंघकर अपना माल निकाला था, हालांकि अम्मी बहुत नेक ओर परहेजगार थी पर मेरी चढ़ती हवस अब कोई रिश्ता नाता नही देख रही थी।
फिलहाल में बाजी पर ध्यान लगाना चाहता था, अम्मी थोड़ी हेल्थी थी अम्मी जब चलती तो उसके चूतड़ आपस मे टकराते थे।
सीने पर दो बड़े बड़े फुटबाल नुमा चुचे थे, जिन्हें सायद अब्बा ने खूब चूसा होगा। अम्मी को थोड़ी देर ताड़ कर मैं ऊपर चला गया और सेक्सी किताब जिसमे नंगे फ़ोटो थे उसे गोर से देखने लगा।
उस किताब ने चुदाई करते हुए फ़ोटो थी, किसी फ़ोटो में लड़का गाँड़ मार रहा था तो किसी फ़ोटो में चुत। लगभग सभी प्रकार के फोटो उस किताब में थे। फिर मेने दूसरी किताब उठाई जिसमे माँ बहन की सेक्सी कहानियां थी।
मैंने उसे ओपन किया तो उसमें तरह तरह की कहानियां थी, उनमें से एक कहानी का टाइटल " माँ बहन को चोदा" उस पर मेरा ध्यान चला गया। मैं इतना पढ़कर ही उत्तेजित हो गया कि कोई मां बहन को भी चोदता है क्या, या फिर ये सब झूटी कहानियां है।
नही नही अगर ये झूटी है तो पोर्न वीडियो में भी तो मैंने देखा था कैसे एक बेटा अपनी गदराई हुई माँ को चोद रहा था।
फिर मैंने पहला पेज पढ़ा जिसमे राइटर ने लिखा
"सभी कहानियां हकीकत है ओर अलग अलग लोगो ने आकर अपनी सच्ची आपबीती हमे बताई और हमने सोचा क्यों ना इन कहानियों को एक किताब के रूप में आप सब को पेश किया जाए"
इतना पढ़कर मुझे यकीन हो गया कि दुनियां में बहुत से लोग हैं जो अपनी माँ बहन को ही चोदते है।
मैंने कहानी पढ़ने का सोचा लेकिन रात तक के लिए मैंने अपना इरादा रोक लिया।
इसके बाद मैं अपनी पढ़ाई के लिए बैठ गया जो मैं रोजाना करता हूँ। थोड़ी देर बाद मुझे नीचे से बाजी की आवाज आई जो अम्मी को कुछ कह रही थी। मुझे पता था बाजी अब बाथरूम आएगी और अपनी कच्छी को देखेगी की उसका मैंने क्या किया है।
अंदाजे के मुताबिक सीढ़ियों से किसी के आने की आवाज आती गयी। मैं चौकन्ना हो गया और पढ़ाई करने लगा ताकि बाजी को पता चले कि मैं पढ़ रहा हूँ, असल मैं बाजी को शक नही करवाना चाहता था कि मुझे बाजी का ऊपर आना पता है।
मैं देखना चाहता था कि बाजी बाथरूम में क्या करती है।
बाजी ऊपर आई और की-होल से मुझे पड़ता देखा, मुझे भी बाजी का अंदाजा हो गया कि बाजी रूम के अंदर झाक रही है। इसलिये मैने ध्यान पढ़ाई पर रखा।
बाजी मुझे पड़ता देखकर बाथरूम चली गयी, मैं बहुत आराम से धीरे धीरे कदमो से बाहर आया और बाथरूम के पास पहुंच गया, मुझे डर नही था क्योंकि मैं बाजी से कह चुका था कि उनसे प्यार करता हूँ। अगर बाजी ने देख भी लिया तो कोई डर नही था
आने को तो मैं सीधा भी आ सकता था लेकिन फिर बाजी वो नही करती जो मैं देखना चाहता था आप समझ गए होंगे उम्मीद है
मैं धीरे से नीचे बैठा ओर अपनी निगाहे दरवाजे के नीचे से अंदर बाथरूम में डाली तो बाजी खड़ी थी। लेकिन उसका मुँह नही दिख रहा था। मैंने थोड़ा आगे मुँह किया तो मुझे बाजी का मुँह दिख गया। बाजी खड़ी थी और उनके हाथों में अपनी गंदी कच्छी थी, जिसे वो चाट रही थी। बाजी कभी उस कच्छी पर थूक फेंकती ओर फिर चाट लेती। बाजी का ये रूप मैं पहली बार देख रहा था। बाजी कितनी पढ़ी लिखी थी, रोज तालीम हासिल करने मदरसे जाती थी, अम्मी अब्बू को उनसे स्कोलर बनने की उम्मीद थी, लेकिन बाजी किसी बाजारू रंडी की तरह अपनी ही गंदी कच्छी पर अपने भाई का गाढ़ा माल चाट कर पी रही थी।
मुझे बाजी के लिए बुरा लग रहा था मुझे तरस आ रहा था बाजी पर , कहीं ना कहीं बाजी की इस हालत का जिम्मेदार मैं भी था। बाजी को मैं प्यार करता था लेकिन उनसे इतने गंदे काम की उम्मीद नही की थी। इतनी गंदी हरकतें मेरी अपकमिंग स्कोलर बाजी करेगी मुझे अंदाजा ना था।
हवस भी क्या चीज बनाई है जो ना रिस्ते देखती है ना शर्म, इन्ही सोचो में घूम था कि मेरा ध्यान बाजी पर गया जो सायद रो रही थी क्योंकि बाजी का आंसुओ से भरा दिखाई दिया।
बाजी का रोना मुझे हैरान कर रहा था कि बाजी का क्या हुआ, अभी तो मेरा माल अपनी कच्छी से चाट चाटकर साफ किया है और अभी रोने भी लगी, मुझे कुछ समझ नही आया।
[बाजी का रोना आगे स्टोरी में पता लगेगा जो बाजी मुझे खुद बतायेगी]
मैं वहां से उठा और कमरें मैं आ गया।
बाजी के बाथरूम से निकलने ओर सीढ़ियाँ उतरने की आवाज आई और वो भी नीचे चली गयी।
शाम को मैं खाना खाने नीचे गया तो बाजी कुछ अजीब सी बेचैनी में दिखी। बाजी अम्मी के साथ खाना लगा रही थी।
मैं बरामदे में बैठा बाजी ओर अम्मी को चुपके से देख रहा था
की मेरा ध्यान अम्मी पर गया जो नीचे झुक कर कुछ चीज ढूंढ रही थी।
बाजी तो बाजी मेरा दिल अम्मी की गाँड़ पर भी आ गया था, क्या गुदाज ओर गदराई हुई गाँड़ थी अम्मी की
इसी बीच खाना लगा अब्बू कमरे से निकलकर खाने के लिए ओर मुझे वहां बैठा देखकर मेरा हाल चाल पूछा।
अब्बू को मैं खाने के टाइम ही मिलता था, क्योंकि अम्मी अब्बू ऊपर कभी कभार ही आते थे।
ओर दिन में अब्बू दुकान पर होते है, अब्बू से दुआ सलाम किया और पढ़ाई लिखाई का पूछ कर खाने के लिए बैठ गए।
इतने मैं बाजी ओर अम्मी ने खाना रखा और सब बैठ कर खाना शुरू किया। खाने पर ऐसी कोई बात नही
सब खाना वगेरह से फारिग होकर अपने अपने कमरे चले गए।
1 option4 प्रशन है जिनमे से एक को चुनना है
1:- हीरो एक ही हो वक़ार
2:- अब्बू, नाना को भी ऐड करो
3:- फीमेल करैक्टर ऐड होने चाहिए
4:- अब्बू, नाना, वक़ार सभी मिलके खानदान को चोदे
15 कॉमेंट के आधार पर कहानी आगे बढ़ेगी। जब तक 15 कॉमेंट नही आएंगे एक वर्ड भी नही लिखा जाएगा।
Nahi bhai sahi haiKisi dost ko add kro rahul yaha raj ko phir story aur bhi achi lagegi
Sahi baat hai..Keep Going
Dost ye Tatti ka scene mt likho.
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