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Incest एक पाकीजा परिवार

बताओ किस्से ओर कैसा सेक्स पढ़ना चाहोगे ?


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शाम को आंखे खुली तो फ्रेश होकर किचन की तरफ बढ़ गयी जहां अम्मी खाना बनाने की तैयारी में लगी हुई थी अम्मी ने सलवार कमीज पहनी हुई थी और अम्मी की कमीज उनकी भारी भरकम गांड में फंसी हुई थी

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ये नजारा देखने लायक था, अक्सर करके अम्मी की कमीज गाँड़ में फंस जाती थी क्योंकि अम्मी के दोनों चूतड़ थे जो अम्मी के बैठने से अलग अलग हो जाते होंगे और जब अम्मी खड़ी होती होंगी तो वो दोनों चूतड़ आपस मे कमीज को भींच लेते थे।
बहरहाल में किचन में घुसी ओर अम्मी के पास खड़ी हो गयी और काम के बारे में बात करने लगी। अम्मी को अभी भी अपने मदमस्त चूतड़ों में फंसी हुई कमीज पर ध्यान नही गया था, मैंने अच्छी बेटी का सबूत देते हुए अम्मी की कमीज पकड़ी ओर बाहर की तरफ खींची तो चूतड़ों के दोनों तरबूज थरथरा गए और कमीज निकल आई। कमीज निकलने से अम्मी का ध्यान मुझपर गया और पूछा क्या हुआ बेटी।
मैं:- अम्मी वो आपकी कमीज फंसी हुई थी पीछे वो निकाली है
अम्मी:- ओह्हहह शुक्रिया मेरी बच्ची, बेख्याली में हो जाता है ऐसा एक तो मैं दिन पे दिन मोटी होती जा रही हूं क्या करूँ
मैं:- अम्मी किसने कहा आप मोटी हो गयी है, आप तो एक प्यारी सी गोल मटोल अम्मी हो, ऊपर वाले ने आपको बिल्कुल परफेक्ट बनाया है।
अम्मी:- कहाँ बेटी मांस ज्यादा हो गया है जिस्म पर,अब में बूढ़ी भी हो चली हूँ. अब अम्मी को क्या पता इस गदराए जिस्म की क्या कीमत है।
मैं:-अम्मी अभी आप कहाँ बूढ़ी हुई है अभी तो आप 30 साल की लगती है। ऊपर वाले ने आपको गजब का हुस्न दिया है
अम्मी:- मेरी बच्ची हुस्न तो तुम्हे भी भर भर के मिला है, मेरी बच्ची लाखों में एक है, ओर अम्मी ने मेरा माथा चुम लिया
हम दोनों ने मिलके खाना बनाया और मैं अब्बू ओर भाई को खाने के लिए बोला।
सबने मिलके खाना खत्म किया तभी अम्मी अब्बू से मुखातिब होते हुए बोली
अम्मी:- जी वो अंजुम बिटिया कह रही थी के उसे एंड्रॉयड मोबाइल चाहिए पढ़ने के लिए, इसकी छुट्टियां हो गयी है तो घर पे बेठकर अपनी ऑनलाइन पढ़ाई कर लेगी
अब्बू:- अंजुम बेटी वाक़ई में तुम मोबाइल लेना चाहती हो पढ़ाई के लिए
मैं:- जी अब्बू उससे मैं घर बैठ कर पढ़ाई कर लुंगी ये इरादा है मेरा अब्बू
अब्बू:- कोई बात नही बेटी कल भाई के साथ जाकर मोबाइल खरीद लेना जो अच्छा लगे, मैं वक़ार को पैसे दे दूंगा
ओर वक़ार तुम अपनी बाजी के साथ जाकर मोबाइल खरीद लेना
वाकर: जी अब्बू में चला जाऊंगा बाजी के साथ
अब्बू:- चलो अच्छा है अब तो खुश हो ना अंजुम बेटी
अब अब्बू को मैं क्या बताऊँ की मैं कितनी खुश हूं, मन कर रहा है कि अब्बू को चूम लू, पर ऐसा नही हो सकता था।
मैं: जी अब्बू मैं बहुत खुश हूं।
सभी खाना खा कर अपने अपने कमरों में आ गए और सोने की तैयारी करने लगे।
मैं भी थक हार कर सो गई। रात करीब 2 बजे मेरी आँखें खुली तो पानी पीने किचन में आई और पानी पिया, आज भी अम्मी के रूम से आवाजें आ रही थी अहहहहहहहहह ओह्हहहहहहह
मैं पानी पीकर रूम के पास आई तो आवाजें साफ सुनाई देने लगी, आह्हहहहहहह...जी आराम..से..करो...अहहहहहहहह मर..गयी..मैं हैरान थी के अम्मी अब्बू के छोटे से लन्ड से इतना क्यों चिल्लाती है जबकि कहानियों में तो माएँ अपने बेटों का लंबा- लम्बा लन्ड भी निगल जाती है। पता नही अम्मी क्यों इतना चिल्लाती है मैंने कुछ देर अम्मी की आवाजें सुनी और फिर आवाजें बन्द हो गयी तो मैं अपने कमरे में आ गयी।
मुझे दोबारा नींद नही आ रही थी तो मैंने नंगी फ़ोटो वाली किताब उठाई और गन्दे गन्दे फ़ोटो देखने लगी। जिनमे कहीं चुदाई की जा रही कहीं चुसाई,
मेरी भी काम वासना दिन पे दिन बढ़ती जा रही थी, वहाँ अम्मी अपना सुख भोग रही थी यहां में उंगली से सहला कर अपना काम निकाल रही थी, मेरा भी मन कर रहा था कोई आये और मेरी चुत की गर्मी को अपने हलब्बी लन्ड से शांत करे, मेरी कठोर चुचियों को अपने मुँह में भरकर चूसे, इनके निप्पलों पर अपना कातिलाना जलवा दिखाए पर अफसोस के सिवाय कुछ नही था मेरे पास, ओर मेरी तालीम भी इस गुनाह को करने के आड़े आ रही थी फिलहाल मुझे उंगली से काम चलाना था
मैंने थोड़ी देर किताबें देखी और सो गई।
सुबह टाइम से खड़ी हुई और ऊपर वाले के आगे झुक कर दुवाएँ मांगी और किचन में जाकर नास्ता बनाने लगी, इतने में अम्मी भी
आ गयी। दोनों माँ बेटी ने नास्ता बनाया और मैं भाई को बुलाने ऊपर गयी, कमरे में दाखिल हुए तो लाड़ साहब सोये हुए थे
ओर कच्छे में तंबू हमेशा की तरह दिखाई पड़ रहा था..
मेने मजाक में भाई की चादर खींची तो उसका हलब्बी लन्ड मेरी आँखों के सामने फुंकार रहा था।

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चादर खींचने से भाई की आंखे खुली ओर उठ कर बैठ गया
भाई:- क्या हुआ बाजी, क्या काम है
मैं:- बाजी के बच्चे जल्दी खड़ा हो जा नास्ता बन गया नीचे अम्मी बुला रही है
भाई:- चलो बाजी आता हूँ, ओर अपने लन्ड को देखकर उसको छिपाने लगे।
मैं:- कमीने ये क्यों बाहर निकाल रखा है, तमीज नही तुझमे की तुम्हारी बाजी भी आ सकती है,
भाई:- बाजी ने तो देख रखा है, फिर भी क्या मसला है
मैं:- बाजी ने देख रखा है इसका मतलब ये नही की इसे शरेआम दिखाओगे, चलो नीचे अम्मी बुला रही है।
भाई:- बाजी मैं ऐसे कैसे आऊं देखो कैसे खड़ा है ये, नीचे जाऊंगा तो सबको पता चल जाएगा मैं तो शर्म से मार जाऊंगा
मैं:- तो फिर क्या करोगे, इसे कच्छे के अंदर डालो ओर पेंट पहन लो, फिर कुछ नही दिखेगा ओर इतना कहकर भाई खड़े हो गए
भाई:- बाजी आप इसे अपने हाथों से अंदर डाल दो कच्छे में ओर मुस्कुराने लगा।
मैं:- हॉं कमीने मेने इसलिए ही तो जन्म लिया है कि मैं अपने छोटे भाई का हलब्बी लुल्ला कच्छे में डालू
भाई:- प्लीज बाजी, इतना कर दो फिर आराम से नीचे चल दूंगा
मुझे अपने भाई की बात से फुरफुरी सी आने लगी, ओर मेरा मन भी था के भाई के लन्ड को पकड़ कर अंदर डाल दु,
मैं भाई के पाओं में बैठी ओर शर्माते हुए भाई का लन्ड पकड़ लिया जो मेरे हाथों की छुअन से वो ओर बेकाबू हो गया।
भाई का लन्ड मेरे मुँह के पास था जिसकी मादक महक मेरे नथुनों में घुस रही थी, मेंने लन्ड को पकड़ा और अपने मुँह के पास लाई ओर सूंघने लगी। अहहहहहहहह क्या जबरदस्त मर्दाना महक थी भाई के लन्ड की, भाई आंखे बंद किये हुए इस काम का मजे ले रहे थे, भाई का लन्ड मेरे सर के ठीक ऊपर था जिसे मेने अपने माथे पर रख दिया, लन्ड की लंबाई ने मेरा पूरा मुँह ढक दिया अहहहहहहहह...कितना...बड़ा...है...कमीने..का

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लन्ड मेरे मुँह पर पड़ा जो काफी वजनी लग रहा था, मेने उसे अच्छे से सूंघ कर भाई के कच्छे में मुश्किल से घुसा दिया,
ओर उठ गई भाई भी पेंट पहनकर मुँह धोने बाथरूम में घुस गया।
नीचे आकर हमने नास्ता शुरू किया और भाई भी आकर बैठ गए
नास्ता खत्म करके अब्बू बोले
अब्बू:- बेटा वक़ार तुम अपनी बाजी को फ़ोन दिलाने ले जा रहे हो ना,
भाई:- जी अब्बू कोई मसला नही है मैं चला जाऊंगा बाजी को लेकर
अब्बू:- तुम ऐसा करना सवारी से चले जाना, बाइक से मुझे काम है, एक दोस्त की तबियत खराब है उससे मिलने जाना है
बेटी अंजुम तुम्हे कोई दिक्कत तो नही है ना सवारी से जाने में
मैं:- जी अब्बू कोई दिक्कत नही है मैं चली जाऊंगी
अब्बू:- ये लो वक़ार 20 हजार रुपये हैं कोई अच्छा सा मोबाइल दिला देना अपनी बाजी को
भाई ने पैसे लिए ओर मैंने उठकर अब्बू का टिफिन रेडी किया, आज अब्बू की मोहब्बत पर मुझे प्यार आ रहा था, की मेरे अब्बू मेरी कितनी परवाह करते हैं।
मेने अब्बू को टिफिन दिया और उसे प्यार भरी नजरों से अलविदा किया।
नास्ता करके मेने बर्तन धुले ओर फिर मार्किट के लिए रेडी हो गयी, अच्छी तरह बदन ढका ओर भाई के साथ निकल पड़ी।
घर के पास से ऑटो लिया उसमे बैठ कर हम बस स्टॉप पर पहुंचे।
हमने 5-10 मिनट बस का इंतजार किया और लाहौर के लिए निकल पड़े, बस में काफी भीड़ थी लेकिन हमें खड़े होने की जगह मिल गयी। भाई मेरे पीछे खड़े हुए थे ताकि कोई गैरमर्द मुझसे टच ना हो सके। तभी एक स्टैंड पर बस रुकी ओर उसमे 10-15 सवारी चढ़ गई। अब बस में भीड़ इतनी थी के पाँव रखने की जगह नही थी। मेरे सामने एक औरत खड़ी थी और पीछे भाई थे।
भाई बिल्कुल मुझसे चिपके हुए थे, भीड़ की वजह से उसका चिपका जायज भी था, थोड़ी दूर चलकर मुझे अपनी गाँड़ पर कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ, मैंने पीछे पलटकर देखा तो भाई के अलावा कोई भी मुझसे टच नही था, पर भाई ऐसी हरकत बस में क्यों करेगा। धीरे धीरे ओर सख्त चीज मेरी गाँड़ में चुभने लगी जैसे कोई धक्का लगा रहा हो, मेने मुड़कर भाई की तरफ देखा तो उसकी आँखों मे हवस दिख रही थी और मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा पड़े। सवारी अपनी अपनी जगह खड़ी होकर अपने स्टैंड का इंतजार कर रही थी किसी का ध्यान एक दूसरे पर नही था।
भाई की हरकते बढ़ती जा रही थी वो जैसे मुझमे घुस जाना चाहता था। भाई का लन्ड मुसलसल मेरी चौड़ी गाँड़ पर वार कर रहा था। जैसे बुर्के को फाड़ कर मेरी गाँड़ में घुस जाएगा
मुझे भी मजा आने लगा, मेरी भी सांसे उखड़ने लगी और ओर भाई के लन्ड की चुभन का मजा लेने लगी तभी भाई ने अपना हाथ आगे लाकर मेरा हाथ पकड़ा और अपने खड़े लन्ड पर रख दिया. आह्हहहहहह कितना तप रहा था भाई का लोडा, जैसे भट्टी से निकला हो। मैंने भीड़ की तरफ देखा जो अपने मे ही मगन थी, में भाई के लोडे को मसलने लगी और भाई मेरी गाँड़ पर घस्से मार रहा था। तभी भाई ने एक हाथ मेरी जांघो के बीच रख दिया और सहलाने लगे। दोनों तरह हवस की आग लगी हुई थी भाई ने अपना हाथ मेरी चुत पर रख दिया हालांकि मेने बुर्का पहना हुआ था फिर भी उसकी उंगलियों का अहसास मेरी चुत अच्छी तरह कर रही थी। मैंने नशे में भाई के कंधों पर सर रख लिया और उसका लन्ड मसलती जा रही थी। हमे भीड़ का डर नही था कि कोई देख भी सकता था, बस एक दूसरे को लज्ज़त से रूबरू करा रहे थे। भाई का लन्ड तेज़ तेज़ मेरी गाँड़ पर हमला कर रहा था घस्से इतने तगड़े थे अगर मेरे कपड़े ना होते तो भाई का पूरा लन्ड मेरी कुँवारी गाँड़ को फाड़कर जड़ तक घुस जाना था। हम किसी भी वक़्त झड़ने वाले थे, मुझे डर था कहीं मेरे कपड़ों पर भाई अपना माल ना छोड़ दे फिर कैसे में खरीदारी कर पाऊंगा, में भाईई का लन्ड छोड़ कर आगे खिसक गई जिससे भाई का हाथ भी मेरी चुत से हट गया। भाई ने दोबारा मुझे अपने से चिपका लिया तो मैने भाई से फुसफुसा कर बोला कि
वाक़रर यहां नही भीड़ काफी है कोई देख लेगा, ओर तुम्हारा माल निकल जायेगा तो मेरे कपड़े गंदे हो जाएंगे
भाई:- प्लीज बाजी मेरा निकलने वाला है थोड़ी देर ओर करने दो
मैं:- भाई यहां नही क्यों मुझे बदनाम करने पे तुले हुए हो, घर चलकर कर लेना इतनी ही आग लगी है तो
भाई ने मेरी बात मान ली मुरझाए हुए चेहरे से मुझे देखने लगा।
मैं:- भाई ये सही जगह नहि है भाई अगर किसी ने देख लिया तो आफत आ जायेगी घर चलकर अपना काम कर लेना यहां नही
चाहती तो मैं भी रही थी कि मेरा भी पानी निकल जाए पर कपड़ो ओर भीड़ को देखते हुए ये प्लान अभी के रद्द कर दिया।
कच्छी तो मेरी भी गीली हो गयी कि भीड़ में ये काम करने से रोमांच जो आया उसे लफ्जो में नही बयां कर सकती।
अनजान लोगों के बीच अपने ही भाई का लोडा अपनी मुलायम गाँड़ पर रगड़वाना जोश पैदा कर रहा था
बहरहाल हमारा स्टॉप आया और हम उतर कर मोबाइल की दुकान तलाशने लगे, थोड़ा ढूंढने के बाद हमे एक शॉप दिखी जिसमे बहुत तरह के मोबाइल रखे हुए थे।
हम अंदर गए और भाई ने मोबाइल दिखाने को बोला
भाई:-सर हमे कोई अच्छा सा एंड्रॉयड मोबाइल दिखाओ
शॉपकीपर:- जी आपको किस तरह का मोबाइल चाहिए, कैमरे वाला या जिसकी बैटरी बैकअप अच्छा हो वो वाला
भाई:- जी जिसमे दोनों चीजे अच्छी हो वो दिखा दीजिए
शॉपकीपर:- जी सर अभी दिख देता हूँ, तभी उसने 2-3 मोबाइल हमारे सामने रख दिये जिन्हें हम देखने लगे।
मैंने उनमें से एक अच्छा मोबाइल पसन्द किया और भाई भी उसे लेने के लिए राजी हो गए। भाई ने दुकानवाले को उस मोबाइल के बारे में डिटेल्स ली और फाइनली उसे पैक कर लिया
भाई ने उसे 18 हजार रुपये दिये और उसके साथ एक सिम कार्ड भी खरीफ लिया।
सारी चीजें फाइनल करके हम वापस आने लगे
भाई:- बाजी अब तो खुश हो ना मोबाइल मिल गया आपको आज तो पार्टी बनती है मेरी
मैं:- हॉं भाई पार्टी तो बनती है तुम्हारी बताओ क्या खाओगे पिओगे।
भाई:- जो आप खिलाना पिलाना चाहो बाजी।
मैं:- भाई आप ही बताओ ना क्या चाहिए तुम्हे, मैं आपकी इच्छा जरूर पूरी करूंगी।
भाई:- बाजी घर चलकर डिसाइड करंगे की क्या करना है क्या नही लेकिन आप मुकर मत जाना अपनी जबान से।
मैं:- नही भाई जैसा आप कहोगे वही करूंगी वादा रहा तुमसे
उसके बाद हम बस पकड़ने के लिए स्टॉप पर खड़े हो गए थोड़ी देर बाद बस आई जिसमे कम ही सवारी थी, हम सीट पर जाकर बैठ गए। भाई मेरे सट कर बैठे थे उसका गर्म जिस्म मेरे जिस्म से टकरा रहा था, मैंने इसपर खास ध्यान नही दिया और घर आ गए। घर में घुसते ही बाहर सहन में अम्मी सोई हुई थी

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अम्मी की कमीज चूतड़ों से हटी हुई थी और बहुत ही कामुक नजारा था, अम्मी की विशालकाय गाँड़ के दोनों पट बड़े दिलकश लग रहे थे। मैंने भाई की तरफ देखा जो घूर घूर कर अम्मी की चौड़ी गाँड़ में घुसना चाह रहा था
मैने उसे ऊपर जाने को कहा और अम्मी के पास जाकर इधर उधर देखा और फिर अम्मी की गाँड़ के बीचों बीच नाक ले जाकर सुंघा अहहहहहहहह अम्मी...क्या..खुसबू..है..आपकी गाँड़ में
मेरी ठरक अम्मी के लिए क्यों है इसका मुझे भी नही पता था बस जब भी ऐसा कोई सीन देखती तो मैं कंट्रोल नही कर पाती थी, ये सायद अपने सगे रिश्तों की हवस का रोमांच था मुझे ये बात सोच कर ही फुरफुरी चढ़ती थी के मेरी सगी वालिदा मजीद की गाँड़ केसी होगी, उसकी महक केसी होगी, उसकी गाँड़ की हगवास केसी निकलती होगी इन चीजों से मुझे बहुत ज्यादा हवस चढ़ती थी, ये मेरी गन्दी किताबों का पढ़ना का असर था या मेरा कभी इन चीजों से पाला नही पड़ा था। मैं तो बस घर से मदरसा ओर मदरसे से घर यही मेरी जिंदगी थी। लेकिन अब मैं हर एक चीज का लुफ्त लेना सिख गयी थी। मैं अम्मी की गाँड़ को सूंघती रही और उस मादक खुसबू का आनंद लेने लगी। अम्मी की गाँड़ से गर्म गर्म तपिस जैसी महक आ रही थी जैसे अम्मी की गाँड़ आग फेंक रही हो। मेरी वालिदा सोती हुई बहुत प्यारी लग रही थी उसके मोटे मोटे गाल, सुर्ख गुलाबी होठ जो खून से भरे हुए थे
तीखे नेत्र नयन ओर खड़ी हुई नाक
कुदरत की बनाई हुई नायाब चीजों में से एक थी मेरी अम्मी जो इस वक़्त सोती हुई अपनी लाडली अंजुम बेटी के मुँह पर गर्म गर्म खुशबूदार तपिस सुंघा रही थी। मेरी चुत भी अब पानी इकट्ठा करके निकालने की कोशिश में थी, मेने जोर से सांस खींच कर अपनी नाक हटा ली कहीं अम्मी जाग जाए और कमयत का छोटा मोटा मंजर देखने को मिले। मैंने अम्मी की कमीज से चूतड़ों को ढका और मैं अपने कमरे में आ गई और भाई ऊपर चले गए।
मेने कपड़े वगेरह बदले ओर कुछ देर लेट कर मोबाइल को चलाने लगी , थोड़ी देर बाद में मैं फ़ोन की सेटिंग्स ओर व्हाट्सअप डाऊनलोड करवाने के लिए ऊपर भाई की तरफ चल दी। ऊपर भाई के कमरे में घुसी जो बेड पर लेटकर गेम खेल रहा था।
मैं:- भाई क्या कर रहे हो देखना मेरे फ़ोन की सेटिंग्स को, ओर इसमें व्हाट्सअप भी डॉनलोड कर देना।
भाई:- लाओ दो अपना फ़ोन में देख लेता हूँ, ओर भाई फ़ोन की सेटिंग्स ठीक करने लगे और व्हाट्सअप भी डाउनलोड कर दिया।
मैं:- भाई व्हाट्सअप पर फ़ोटो कैसे भेजते है, ओर कैसे चैट करते हैं वो सिखा दो मुझे, अपनी दोस्तो को मैसेज भेजा करूंगी।
भाई:- देखो इस तरह टायपिंग करते हैं और किसी को फ़ोटो भेजना हो तो फ़ोटो सलेक्ट करके भेज दो। देखो में भेजकर दिखाता हुन आपको, भाई ने पहले मेरा नंबर सेव किया और भाई ने अपना एक फोटो मुझे भेजकर सीखा दिया।
मैं:- अच्छा ठीक है में सिख गयी हूँ थोड़ा बहुत ओर बताओं क्या चल रहा है पार्टी में क्या खाओगे पिओगे
भाई:- बाजी कुछ भी खिला पिला दो, हम तो आपके हाथों से जहर भी खा लेंगे।
मैं:- कुत्ते जहर क्यों खिलाने लगी में तुझे, एक ही भाई है तू मेरा
तुझे भी मार दु क्या
भाई:- सॉरी बाजी जो आपका मन हो वो खिला दो।
मैं:- फिर भी बताओ तो सही कुछ
भाई:- बाजी कुछ मीठा कुछ खट्टा जो भी खिलाओ आप सब मंजूर है।
मैं;- भाई आप पहेली मत बुझाओ बताओ ने क्या चाहिए
भाई:- बाजी में बता तो दूंगा पर आप करोगी नही गुस्सा हो जाओगी आप
मैं:- मैने जबान दी है ना आज कुछ भी मांगो सब मिलेगा, आज में बहुत खुश हूं।
भाई:- बाजी आप बुरा ना मानना मुझे आपको कच्छी ब्रा में देखना है।
मैं:- ओह्हहहहहहह भाई ये क्या बोल रहे हो तुम, कोई अपनी बाजी को इस तरह बोलता है क्या
भाई:- बाजी जो मुझे चाहिए वो तो यही है आप की जो मर्जी हो आप कर लो।
मैं:- भाई कुछ और मांग लो ना मुझे बहुत शर्म आएगी तुम्हारे सामने कपड़े निकालते हुए
भाई:- बाजी मेने जो कह दिया बस कह दिया, आपको मुकरना है तो मुकर सकती है वादे से। मैं कशमकश में पड़ गयी कि अब क्या करूँ भाई जो बोल रहे हैं वो तो बड़े शर्म की बात है। पर क्या करूँ जबान दी भाई को मैने पीछे भी नही हट सकती।
वैसे भी भाई ने मुझे ऊपर से तो नंगा देख ही रखा है।
मेने भाई को बेमन से इजाजत दे दी।
भाई:- ये हुई ना बात, आप वाक़ई में जबान की पक्की हो
मैं:- भाई अम्मी कभी भी जाग सकती है इसलिए बाथरुम में चलो वहां सेफ रहेगा
भाई:- जैसे आपकी मर्जी बाजी। ओर फिर हम दोनों बाथरूम में घुस गए और कुंदी लगाकर में खड़ी रही।
भाई:- क्या हुआ बाजी निकालो ना अपने कपड़े, रुको मुझे आपसे एक बात और कहनी थी कि मैं जो कुछ भी करू आप मना नही करोगी
मैं:- कमीने तुम पता नही क्या क्या गन्दी हरकत करोगे मैं नही मानने वाली तुम्हारी बात, तुमने कपड़े निकालने को बोला था वो मैं कर सकती हूं बस
भाई:- चलो इतना ही कर दो बाजी, मैंने पहले अपना दुप्पटा उतारा और हेंगर से टांक दिया शर्म तो बहुत आ रही थी के भाई आज मुझे कपड़े उतारते हुए देखेंगे पर क्या कर सकती थी मजबूरी में सब करना पड़ रहा था भाई दीवार के सहारे खड़े हुए मुझे देख रहे थे और मैं अपनी कमीज निकाल रही थी
कमीज निकालकर मेने उसे हेंगर से टांक दिया और पीठ मोड़ कर खड़ी रही तभी भाई मेरे पास आये और पीछे से चिपक कर अपना सर मेरे कंधों पर टिका दिया
भाई:- बाजी बहुत खूबसूरत लग रही हो, कमाल का हुस्न दिया है आपको ऊपर वाले ने ओर मेरे कान की लौ को मुँह में भर दिया
मैं इस हमले से सिसक पड़ी और अपने होठों को काटने लगी तभी भाई ने कान की लौ को चूमते हुए मेरी पीठ पीछे हाथ लेजा कर मेरी ब्रा खोल दी और में धीरे धीरे मेरे नाजुक जिस्म से दूर कर दी। अब मैं भाई के सामने अपनी अनछुई कठोर मादक चुचियाँ लेकर खड़ी थी। मेरी चुचियों का निप्पल तना हुआ था क्या भरी हुई चुचियाँ थी मेरी जैसे दूध भरा हो इनमें। मेने आजतक अपनी चुचियों मसलना तो दूर गलत तरीके से छुआ भी नही था। ब्रा निकलते ही भाई की निगाहें मेरे भरे हुए चुचों पर गयी और उसकी सिसकी निकल गयी
भाई:- अहहहहहहहह...बाजी..क्या...बूब्स है आपके प्यारे प्यारे भरे हुए आह्हहहहहह बाजी...ये नजारा देखने के लिए तरस गया था में। भाई की जबान अब फिसलती हुई मेरी गर्दन पर आ गयी और मेरी गर्दन पर चूमने लगे आह्हहहह....भाई... क्या..कर..रहे..हो अहहहहहहह
अभी भी भाई के हाथ मेरी खड़ी चुचियों से दूर थे मेने भाई को अलग किया और चुचियों पर हाथ रख लिया
भाई:- बाजी अपनी सलवार भी उतारो ना
मैं:- कमीने मुझे शर्म आ रही है मैं नही निकालूंगी
मेरे इतने कहते ही भाई दोबारा से मेरे पीछे आये और सलवार का नाड़ा पकड़ा और खींच दिया। मेरी सलवार अब फर्श पर पड़ी थी और मैं सिर्फ कच्छी में अपने छोटे भाई के सामने नंगी थी।
भाई पीछे हटे ओर मुझे नंगा देखने लगे. मेने शर्म से आंखे बंद कर ली तभी भाई की आवाज आई
भाई:- अहहहहहहहह..बाजी..क्या..मस्त चूतड़ है आपके बता नही सकता क्या लाजवाब चीज हो आप बाजी
कितने कसे हुए और बड़े बड़े चूतड़ हैं आपके किसी हीरोइन से भी ज्यादा सुंदर। भाई मेरी तारीफ करते जा रहे थे और अपनी आंखों से मेरी 40 cm चौड़ी गाँड़ को घूर रहे थे। मुझे इतनी शर्म कभी महसूस नही हुई जितना आज भाई को अपनी गाँड़ दिखाते हुए हो रही थी।
मैं:- अब मन भर गया हो तो कपड़े पहन लू, मुझे बहुत शर्म आ रही है। मुझे कोई जवाब नही मिला तो मैने पीछे मुड़के देखा तो भाई नंगे खड़े होकर अपना लोडा निकालकर हिला रहे थे।

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मैं:- अब इसे क्यों निकाल लिया, मैं कपड़े पहन रही हूं भाई मेने अपना वादा पूरा किया। तभी अचानक भाई आगे आये और मुझे घुमाकर अपने से चिपका लिया। अब हालात ये थे कि मेरी मोटी मोटी चुचियाँ भाई के सीने में धंस गयी थी और जो भाई का लौड़ा था वो कच्छी के ऊपर से ही मेरी चुत पर जा लगा।
चुत पर लोडे का वार होते ही मेरी सिसकी निकल गयी अहहहहहहहह भाईइईईई क्याआआ करतैय्य्य्य होओऊऊऊ
ओर भाई ने मेरे होंठो पर अपने तपते हुए होंठ रख दिये। अचानक हुए इन दो-तीन हमलों से मैं पढ़ी लिखी परहेजगार खातून अपने सगे छोटे भाई की बाहों में लगभग नंगी चिपकी खड़ी हुई थी और मेरी चुत पर भाई का हलब्बी मोटा लौड़ा चुत पर घस्से मार रहा था। चुचियाँ भाई के सीने में धंसी हुई थी और होंठ चूसे जा रहे थे। ये मेने सपने में भी नही सोचा था कि मैं इस तरह अपने ही भाई की बाहों में नंगी चिपक कर मजे लुंगी।
भाई मेरे मुँह में जीभ घुसा चुके थे और चारो तरफ घुमा कर मेरा मुँह का सलाइवा (थूक) पी रहे थे। मैं भी उसकी जीभ को चूस रही थी कभी कभी मेरी जीभ भी भाई के मुँह में घुस जाती।
दुनियां जहां से बेखबर दो जख्मी हवस के शिकारी हवस में अंधाधुँध चुसाई कर रहे थे। नीचे भाई का लोडा मेरी कच्छी के ऊपर से चुत को गर्मी पहुंचा रहा था।

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मेने भाई को अलग करने करने की कोशिश की लेकिन भाई मुझे छोड़ने के मूड में कतई नही थे, उसने मेरे होंठ छोड़कर मेरी चुचियों को पकड़ लिया और मसलने लगे, मेरी अनछुई चुचियाँ आज पहली बार मसली जा रही थी जिससे मुझे मीठा मीठा दर्द होने लगा।
भाई:- अहहहहहह बाजीईईई कितनीईई बडीईई बडीईई चुचियाँ है आपकीईईई, इनका रस पीना है मुझे आह्दहहहहहहह बाजीईईई
मैं:- भाईईई इनमें कोईई रससस्स नहीई है आह्दहहहहहहह आराम से भाईईईई
भाई के हाथों चूची मसलवाने से मुझे अत्यंत मजा आने लगा, मेरी चुचियों की ऐंठन गायब हो रही थी
भाई:- बाजीईईई अपनी चूची पिलाओ मुझे, आज आपका सारा दूध पी जाऊंगा मैं अहहहहहहहहहह बाजी
मैं:- कमीने इनमें दूध नही है, छोड़ दे मुझे क्यों तड़पा रहा है मुझे, मुझे होश हवास नही था कि मैं क्या कर रही हूं और किसके साथ कर रही हूं, बस इन पलों का भरपूर मजा लेना चाहती थी।
भाई:- आह्दहहहहह बाजीईईई इनमें दूध कब आएगा मेरिई सेक्सी बाजी। भाई अब ज्यादा उत्तेजित होकर अनाप शनाप बक रहे थे और मैं उनकी बातों से गीली होती जा रही थी।
मैं:- आह्दहहहहह भाई इनमें दूध जब आएगा जब मेरी शादी हो जाएगी, मेरे शौहर ही इनमें दूध भरेंगे
भाई:- अहहहहहहह बाजी मुझे आपका दूध पीना है अभी, क्या मोटी मोटी चुचियाँ है मेरी सेक्सी गर्म बाजी।
मैं:- अहहहहहह बाजी जोर जोर से मसलों अपनी बाजी की चुचियों को, इनमें बहुत रस भरा है, तुम पीना चाहते हो क्या मेरी चुचियों का रस अहहहहहहह
भाई:- हाँ मैं पीना चाहता हूं आपकी चुचियाँ पिला दो मुझे अपना रस मेरी गर्म बाजी
मैं:- अहहहद ऐसे नही पहले मुझसे रिकवेस्ट करो कि बाजी अपनी गर्म गर्म चुचियाँ पिलाओ भाईईईई
भाई:- आह्दहहहहहह मेरी गर्म बाजी प्लीज अपनी चुचियाँ मेरे मुँह में दे दो, मैं आपका दूध पीना चाहता हूं।
ओर मेने अपनी एक चूची पकड़ कर अपने भाई के मुँह में ठूस दी अहहहहहहहहह क्या मजा था भाई को चूची पिलाने का
भाई ने पूरा मुँह फाड़ कर मेरी पूरी चूची को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा, मैं तिलमिला गयी मजे के अहसास में की मैं अपने लाडले भाई को अपनी चुचियाँ पिला रही हूं, भाई बारी बारी मेरी दोनों चुचियों को पी रहे थे काट रहे थे। नीचे चुत पर उसका लोडा कच्छी को एक साइड कर चुका था और मेरी नंगी चुत को रगड़ रहा था इस मजे को मैं बर्दास्त नही पाई और मैने भाई के मुँह से चूची निकाली और ढेर सारा थूक इकट्ठा करके अपनी एक चूची पर उड़ेल दिया जो रिसता हुआ मेरे निप्पल पर पहुंच गया। भाई ये दृश्य देख कर पागल हो गया और मेरी थूक से सनी चूची को फिर से मुँह में भर लिया। अहहहहहहह भाईई पियो अपनी अंजुम बाजी की चुचियों को पी जाओ मेरे नमकीन थूक को, आज में तुम्हे पार्टी का असल मतलब समझाऊंगी मेरे भाई
भाई ने मेरी चूची के थूक को चाट लिया और मेरी तरफ हसरत भरी निगाहों से देखने लगे जैसे चाहते हो कि मैं ओर थूक पिलाऊं उसे।
मैं:- भाई केस लगा अपनी गर्म बाजी के थूक से सने हुए चुचे पीकर अहहहहहहहहह
भाई:- बाजी बहुत टेस्टी थूक है आपका प्लीज ओर पिलाओ ना मुझे बाजी।
मैं:- अहहहद भाई अपना मुँह खोलो मैं अभी तुम्हारी प्यास बुझा देती हूं और भाई ने अपना मुँह खोला और मैने उसके मुंह के अंदर थूक दिया जिसे भाई ने गटक लिया। ये सीन देखते ही मेरी चुत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया और भाई 9 इंच के लोडे को पूरा भिगो दिया।
भाई:- आह्दहहहहहह बाजी तुमने मुत दिया है क्या, नीचे मेरा लोडा भीग गया है आपके मुत से।
अब मैं भाई को क्या बताऊँ की उसकी गर्म बाजी ने अपना लावा छोड़ दिया है जो बहुत सारा था।
भाईई का लोडा मेरे पानी से भीगकर स्लिपरी हो गया और मेरी चुत पर फिसलने लगा।
छोटे भाई का लौड़ा इतना मोटा था कि मेरी पूरी चुत को ढक सकता था, क्या शानदार हलब्बी लन्ड दिया था ऊपर वाले ने मेरे भाई को जो अपनी बाजी को गर्म कर रहा था।
भाई मेरी आँखों मे देख रहे रहे और चुत पर लौड़ा से घस्से मार रहे थे। उसके हाथ मेरी चुचियों को भींच रहे थे।
भाई:- बाजी बहुत मजा आ रहा है आपकी चुचियों को मसल कर अहहहहहहहह कितनी मुलायम है ओह्ह बाजी
मैं:-अहहहहहह भाईईई मुझे भी बहुत मजा आ रहा है तुझसे भिचवाँ कर मेरी चुत अहहहहहहहह मर..गईई..
भाई;- बाजीईईई आपकी चुत कितना पानी छोड़ रही है मेरा पूरा लोडा भिगो दिया है मेरी गर्म बाजीईईई
मैं:- अहहहहहह तुम्हारा लोडा है भी कितना बड़ा इसने मेरी चुत लाल कर दी घिस घिस कररर
तभी मुझे भाई ने अपनी गोद मे उठा लिया और मैं सकपका कर बोली क्या कर रहे हो भाईईई
भाई:- बाजी मुझसे रहा नही जा रहा इसलिए मैंने आपको गोद मे उठा लिया अहहहद क्या नशीली चीज हो मेरी सेक्सी बाजी
मैं भाई के मुकाबले हट्टी कट्टी थी लेकिन फिर भी भाई ने मुझे गुड़िया की तरह उठा रखा था और झूला रहे थे।
मेरी चुत पर अभी भी कच्छी थी जो मेरी चुत की हिफाजत पूरी ईमानदारी से कर रही थी। हमे काफी देर हो चुकी थी अम्मी कभी भी जग सकती थी तो मैंने भाई को बोला
मैं:- भाईईई अम्मी कभी भी जग सकती है अब छोड़ दो मुझे तुम्हारी पार्टी कब की खत्म हो गयी है।
भाई:- अभी मेरा पानी नही निकला है बाजी, कुछ सेक्सी सेक्सी बाते करो जिससे मेरा पानी निकल जाए बाजीईईई
मैं:- अहहहहहह भाई क्या बात करू में तेरे मूसल ने मेरी ऐसी तैसी कर रखी है क्या खिलाते हो इसे आह्दहहहह अम्मिईईईईई
भाई:- बाजी तुम किस चीज पर बैठी हो अहहहहहहहह बताओ
मैं समझ गयी कि भाई मुझसे गन्दी गन्दी बातें करना चाहता हैं और मुझे भी जल्दी फारिग करना था कहीं अम्मी ना जाग जाए
मैं:- अहहहहहहह कमीने तेरे लोडे पर बैठी हूँ गर्म गर्म लोडे की सवारी कर रही हूं अहहहहहह भाईई
भाई:- बोलो अपने छोटे भाई के लुल्ले पर झूल रही हूं।
मैं:- हाँ अपने छोटे भाई वक़ार के बड़े लुल्ले पर झूल रही हूं मैं
भाई:- बोलो बाजीईईई की अपनी गर्म चुत ओर गर्म गाँड़ की सिकाई कर रही हूं भाई के लोडे से
मैं:- अहहहहहह मैं अपनी गर्म चुत ओर गाँड़ की सिकाई कर रही हूं तेरे हलब्बी लन्ड पर चढ़कर मेरे भाईईईई
भाई:- बोलो मेरी गर्म गाँड़ की गर्मी निकाल दो अपने लोडे से
मैं:- हॉं अपने लोडे से मेरी चौड़ी गर्म गाँड़ की गर्मी निकाल दो ठोकर मार मार कर
भाई:- बोलो बाजी की वक़ार भाई तुम्हारा लोडा मेरी गांण्ड फाड़ देगा अहहहहहहहह
मैं:- अहह भाई तुम्हारा लोडा मेरी गांण्ड में घुस गया गाँड़ तो क्या मेरी टट्टी भी निकाल देगा, तुम्हारे लोडे की मार से मैं वहीं टट्टी कर दूंगी अहहहहहहहहह भाईईई।
इस बात से गर्म होकर भाई ने मेरी कच्छी साइड कर दी अब भाई के लोडे का मोटा टोपा मेरी गाँड़ के द्वार पर था।
भाई ने मुझे ऊपर किया और मेरी आँखों मे देखकर जोर से नीचे लाये ओर उसका टोपा मेरी गाँड़ में अच्छी खासी ठोकर देने लगा।
मुझे लगा कहीं भाई अपना लोडा मेरी कुँवारी गर्म गाँड़ में ना ठूस दे, भाईईई क्या कर रहे हो अंदर मत डाल देना वरना कभी माफ नही करूंगी तुझे अहहहहहहहह
भाई:-अहहहहहहह बाजी मन तो करता है कि आपकी आग फेंकती गांण्ड में पूरा 9 इंच लोडा ठूस दु ओर कभी ना निकालू अहहहहहह बाजी आपकी गाँड़ गर्मी फेंक रही है मेरा लोडा जला देगी ये तोहहहहहहहहह
मैं:- अहहहहहहहह कमीने अपनी बाजी की गाँड़ मारोगे क्या तुम, इतना बड़ा लुल्ला मेरी छोटी सी गाँड़ में कैसे जाएगा।
भाई:- आह्दहहहहहह बाजी आपकी गाँड़ को ठंडा करने के लिए मेरा जैसा हलब्बी लौड़ा ही चाहिए होगा, छोटा मोटा लोडा तो आपके गाँड़ पल भर में ही ढेर कर देगी। कितनी गर्म गाँड़ है मेरी सेक्सी बाजीईईई
भाई की बात मुझे काफी हद तक सही लगी कि मेरी गाँड़ में जो गर्मी थी वो कोई बड़ा लोडा ही ठंडा कर सकता था। छोटे मोटे लोडे तो मेरी गांण्ड के छेद तक ही पहुंच सकते थे,
भाई का लोडा वो काबिलियत रखता था जो मेरी गाँड़ की दीवारों को फाड़कर जड़ तक जाकर मेरी गर्मी निकाल सकता था पर भाई से ये काम कराना मुझे शोभा नही देता था।
भाई:- आह्दहहहहह बाजी मैं आने वाला हूँ कहाँ छोड़ू अपना माल अहहहहहहह ओह्हहहहह बाजीईईई
मेने भाई की गोद मे झूलते हुए उसका मुँह ऊपर किया और उसकी नाक में अपनी पैनी जीभ घुसा दी,

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भाई ये हरकत बर्दास्त नही कर सका और आखरी बार अपने लोडे पर मेरी गाँड़ दे मारी, धक्का इतना तेज था कि भाई के लोडे ने मेरी गाँड़ आधा इंच खोल दी जैसे कोई किसी छेद से झांकता है उसी तरह लोडा मेरी गाँड़ में झांकने लगा और अपना पानी छोड़ने लगा। भाई के धक्के से मेरी घुटी हुई चीख निकल गयी एक तो उसका सुपाड़ा इतना मोटा ओर गाँड़ का छेद इतना छोटा
मे अपनी पैनी जीभ भाई के नथुनों में घुमा घुमा कर उसे चाट रही थी और भाई का लोडा मेरी गाँड़ के अंदर माल निकाल रहा था।
मेने जोर जोर से जीभ भाई के नथुनों में चलाई ओर मेरी चुत ने भी पानी छोड़ दिया।
भाई:- अहहहद बाजी कहाँ से सीखा है ये हुनर, कितना नशीला वार किया है आपने मेरा पानी निकाल दिया यहहहहहहहह
मैं:- अहहहहहहह भाईईई मेने एक कहानी में पढ़ा था कि नाक में जीभ डालने से लड़को को जोश आता है अहहहहहह मैं भी गयी भाईईई
भाई:- अहहहहहह बाजीईईई मजा आ गया आपकी गर्म गांण्ड में पानी छोड़कर अहहहहहह, क्या भभकती हुई गांण्ड है तुम्हारी मेरी सेक्सी बाजीईईई। , क्या भभकती हुई गांण्ड है तुम्हारी मेरी सेक्सी बाजीईईई।
भाई ने मुझे लन्ड से उतारा और मैं उसे जाने को बोलने लगी
मैं:- भाई अब तुम जाओ बहुत देर हो चुकी है , अम्मी कभी भी जाग सकती है कपड़े पहनो जल्दी ओर निकलो।
भाई:- ठीक है बाजी शुक्रिया इस मजे के लिए आगे भी ऐसे ही मजे लेते रहेंगे हहहहहहहह।
इतना कहकर भाई बाथरूम से निकल गया और मैंने थोड़ी देर सांसे दुरुस्त की ओर फ्रेश होने के लिए बैठ गयी।
जोर लगाने पर मेरी गांण्ड से भाई का वीर्या निकलने लगा जो लगातार कतारबद्ध निकल रहा था। अहहहहहहह कमीने ने कितना पानी छोड़ा है पूरी गांण्ड ही भर दीहहहहह
शुक्र है भाई ने रहम किया वरना तेरी तो फट जानी थी, देखा नही कितना मोटा लौड़ा है मेरे भाई का, तुम्हारी टट्टी निकाल देता अगर पूरा घुस जाता तो, कुछ देर अपनी गांण्ड से बाते करके मैं रगड़ रगड़ कर नहाई ओर नीचे आ गयी।
अम्मी अभी भी सो रही थी मैं कमरे में घुस कर अपना काम करने लगी। और फिर कुछ देर में आराम करने लेट गयी।
 
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prasha_tam

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Manisha queen

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maakaloda

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Chudai se bhi jyada maza ismain aaya.aise hi Bhai bahen ko chipka ke rakho,aur bhi gandi-2 batain karao
 
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Vikashkumar

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Bahut khoob maja aa gaya
Keep Going
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