(तो दोस्तो आपके कमेंट पढ कर बहुत अच्छा लगा और मेरी पत्नी मे किसी को भी मजा नही आया । इसलिए इस केरेकटर को एक चुदायी के बाद खत्म कर देगें ।एक बात और इस कहानी मै बहुत से लोग है जिनके बारे मै समय समय पर बताता रहुगां
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तो मेरे प्यारे लन्ड वाले दोस्तो और चुत वाली रानी सभी अपना सलवार खोल लो कहानी शुरू करते है
ये तब की बात है जब मै 9वी कक्षा मे पढता था। मै उस समय सेक्स के बारे मै कुछ भी नही जानता था ।मे और मेरे सभी दोस्त साईकल से स्कुल जाते थे ।हम सभी को इन सेक्स वाली बातो मै कोइ मजा नही आता था।हम सभी गावँ मे आम ,अमरूद और गन्ना ,खीरा ,ककडी,तरबुज और वहा पर पेदा होने वाली बहुत सी फल और कच्ची सब्जीयो का ही मजा लेते थे।एक दिन मे और मेरा दोस्त योगेश स्कुल की छुट्टी होने के बाद अमरुद खाने का प्रोगराम बनाते है।हमारे स्कुल से गावँ मै आने के तीन रास्ते है एट पक्की सडक वाला और दो कच्ची सडक वाले।उनमे से एक हमारे दुर वाले खेतो से होकर आता है।हम उसी रास्ते से हमारे खेत के पास वाले अमरूद खाने चले गये।हमने अपनी साइकल रास्ते के पास ही गन्ने के खेत मे छुपा दी क्योकी हम चोरी करकर अमरूद खाने वाले थे।मैने योगेश को बोला की अन्दर वाले अमरूद पर चलते है वहा कोइ नही जाता और अमरूद भी अच्छे मिलेगें।हम जब गन्ने के खेत से धिरे धिरे अमरूद के पास जाने लगे तो हमे गन्ने के खेत मे कुछ आवजे आयी जैसे आह आह,ऊह,हाय मर गयी ससहहहह हम दोनो वही रुक गये और आवाज सुनने लगे मगर वो आवखज भी बन्द हो मुझे लगा उनहे भी हमारे आने का अहसास हो गया है।हम दोनो वही बैठ गये और फिर से आवाज आने की प्रतिक्षा करने लगे।पर आवाज नही आयी मेरा दोस्त बोला कोई जानवर होगा चल अमरूद खाते है।हम दोनो अमरूद के पेड पर चढ गये और अमरूद तोडने लगे और खाने लगे।मेरा दोस्त मुझ से उपर चढा था बोला रास्ते पर कोई घास काटने वाली है।मै बोला काटने दे तु अमरूद खा ।थोडी देर बाद बोला कोई बुढ्ढा भी है उसके पास बात कर रहा है मैने बोला अमरूद का मालीक तो नही है बोला नही वो नही है।योगेश बोला यार वो उस घास वाली को बार बार पकड रहा है।इतना सुनते ही मै भी उपर चढ गया तो देखा वो बुढ्ढा उस घास काटने वाली की चुची पकड और दबा रहा और वो औरत भी हसते हुऐ बुढ्ढे से छुटने की कोशीश कर रही थी ।योगेश बोला ये क्या कर रहे है पता नही लग रहा है।तब तक वो बुढ्ढा उस औरत को गन्नै के खेत मे खीच लेता है और खडे खडे ही उस औरत की चुची बहार निकाल कर दुध पिने लगता है।थोडी देर दुध पीने के बाद वो औरत और बुढ्ढा हसते हुऐ चले जाते है। मै और मैरा दोस्त आपस मे बात करते हुऐ और अमरुद खाते हुऐ घर चलने लगते है।योगेश बोला यार ये घास काटने वाली उस बुढ्ढे की माँ थी क्या
मैने बोला नही यार वो खुद बुढ्ढा है उसकी माँ तो और बुढीया होगी ये औरत तो कोई और है।
योगेश बोला इतना बुढ्ढा होकर भी ये बुढ्ढा चुची से दुध पी रहा है और मैरी मम्मी मुझे बोलती है तु बडा हो गया।
मैने कहा मेरी मम्मी भी मुझे नही पिलाती चुची से दुध।
योगेश बोला आज म्ममी को बोलुगां की मुझे भी दुध पिना हे चुची से
मैने कहा मै भी पिऊगां