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ये सीन चन्दा और मनोहर पर फोकस था, ये भी मुखय किरदार साबित होंगे कहानी मे, कंचन तो सूरज है इस कहानी का पर सूरज के बाद बाकी नव गृह भी तो होते है, अभी कुछ किरदार और जुड़ेंगे आगे, और कही आप जसवंत और सावित्री को तो नहीं भूल गएSuperb hot mind blowing update bhai....har baar aap ka update bohot hi mazedar hota he.....par kanchan pe aap jyada focus kriye......us ki chudai padh ne me zyada maza aata he
sahi he bro.....agle update ka besabri se intazar rahe gaये सीन चन्दा और मनोहर पर फोकस था, ये भी मुखय किरदार साबित होंगे कहानी मे, कंचन तो सूरज है इस कहानी का पर सूरज के बाद बाकी नव गृह भी तो होते है, अभी कुछ किरदार और जुड़ेंगे आगे, और कही आप जसवंत और सावित्री को तो नहीं भूल गए
पर कंचन पर हमेशा ज्यादा मलाई ही रहेगी, इसमे कोई शक नहीं है
काम चालू है अगले अपडेट पर भीsahi he bro.....agle update ka besabri se intazar rahe ga
wah wah wahअपडेट- 20…………
सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥
गाँव का एक जाना माना पुजारी मनोहर लाल पंडित था जिसकी उम्र 50 के करीब थी, जो की गाँव मे सबसे बड़ा ज्ञानी माना जाता था, वो बहुत ही चालाक और हारामी किसम का पंडित था, उसको ज्ञान बहुत था और वो इसी चीज का फ़ाएदा उठाकर लोगों को फांस लेता था, रामलाल गाँव का सबसे अमीर आदमी और सबसे बड़ा जमीदार था, पंडित की रामलाल से फटती थी, इसीलिए वो रामलाल से दोस्ती बनाकर रखता था और मायादेवी से कभी गलत बात नहीं करता था, पर दूसरी औरतो को नहीं छोड़ता था, उनको मोका लगने पर चोद देता था। पंडित बहुत ही शातिर किस्म का आदमी था, उसका जिस लड़की पर भी मन आ जाए उसे चोदे बिना नहीं छोड़ता था, और लोगों के बीच चर्चित होने की एक और वजह थी वो था उसके पास बहुत पैसा था, हमेशा बड़िया धोती कुर्ते मे रहता था, सोने की माला, अंगूठी और कडा पहनता था, और बड़िया महंगा इत्र भी लगाता था। उम्र मे बेशक अधेड़ था, पर बालों को काला कर चमका के रखता था, अपने शरीर का ध्यान रखता था, लंबा चोंड़ा 5’ फुट 10 इंच कंब शरीर था और बिल्कुल 40 के आस पास का लगता था। उसे हमेशा नई बहुओ और नई नई जवान हुई लड़किओ मे बहुत दिलचस्पी थी। एक प्यासे भवरे के तरह तो गाँव की लड़किओ आर बहूओ की चूत का पानी पीने के लिए मंडराता राहत था। जिन लोगों को पंडित के हरामीपन का पता था वो उससे दूर रहते थे पर बहुत ज्ञानी होने की वजह से कोई ना कोई काम पंडित से पड़ ही जाता था।
माया और चन्दा दोनों मंदिर पहुँच जाती है, और सीढ़ियों से पहले मंदिर के सामने नमस्कार करते हुए, माया और चन्दा दोनों मंदिर की सीढ़िया चढ़ रही थी, और मंदिर मे पंडित सफेद धोती और कुर्ता पहने गले मे सोने की माला दोनों हाथों मे सोने और चांदी की अंगूठियों के साथ तरह तरह के पथर डाले हुए थे, मंदिर की चोखट के पास वो चौकी पर बैठा हुआ था,
माया और चन्दा दोनों मंदिर मे घुसती है, मनोहर पंडित दोनों को नमस्कार करते हुए मुसकुराता हुआ बोलत है।
मनोहर- आओ बड़ी ठकुराइन और छोटी ठकुराइन बिल्कुल सही वक्त पर आई हो, कैसी हो दोनों ? सब ठीक है ?
पंडित की नजर दोनों औरतो पर पड़ती है एक तरफ मायादेवी हमेशा की तरह सीधे सादे हल्का सिर पर घूँघट करे हुए, हल्का छोटा माथे पर टियाक लगाए हुए ढीले कपड़ो मे थी और दूसरी तरफ चन्दा सजी धजी हुई टाइट कपड़ों मे अपने भरे हुए बदन को दिखा रही थी, दोनों औरतो ने पल्लू से घूँघट कर रखा था, पर चन्दा का पल्लू झीना और छोटा था जिसमे से पारदर्शी कपड़े से चन्दा की भारी मोटी चुचिया नजर आ रही थी, जिससे पंडित की नजर चन्दा पर टिक जाती है, और वो उसके बड़े स्तनों की और नजर गढ़ा देता है, जो की कुर्ते के डीप गले से बाहर आने को थी, और चन्दा के चलने से उसके भारी स्तन ऊपर नीचे हिल रहे थे,
दोनों मंदिर मे घुसकर पंडित को झुककर प्रणाम करती है, जिससे चन्दा का पल्लू थोड़ा नीचे से साइड हो जाता है और चन्दा की 70 % चूचियाँ पंडित देख लेता है, चन्दा की बड़ी बड़ी 38 इंच की चूचियाँ देख कर मनोहर पंडित के मुंह मे पानी आ जाता है, क्या नजारा था, भरी हुई दूधिया चूचियों के बीच की लकीर लगभग पूरी बाहर थी, दोनों स्तन कमीज और ब्रा से आपस मे कसे हुए थे, और उसके भारी लंड मे जो की लंगोट के आराम कर रहा था, तनाव मे आने लगता है,
पंडित- जीती रहो दोनों, आओ पूजा का समय हो रहा है (पंडित पहले माया देवी के सिर पर हाथ रख कर आशिवाद देता है उसके बाद चन्दा के सिर पर हाथ रखते हुए कमर तक ले जाता है और हल्का स थप थापा देता है, जिसे चन्दा भांप लेती है)
माया- चलिए पंडित जी
पंडित के पीछे दोनों माया और चन्दा पूजा का सामान लिए चल पड़ती है।
पंडित मंदिर मे मूरतिस्थान के पास हवनकुंड के पास बिछी हुई छोटी सी चौकी के ऊपर दरी पर बैठ जाता है, पूजा लंबी होने वाली थी तो धोती को थोड़ा संभालते हुए ढीला कर लेता है, और एक सतरंगी परना गले मे डाल लेता है। दोनों ठकुराइन पूजा की सामग्री हवं कुंड के पास रख कर, पूजा की तैयारी शुरू करने लग जाती है, पर पंडित की नजर चन्दा की भारी कसी हुई चूचियोंं पर ही लगी थी, जो चन्दा भांप रही थी।
ठकुराइन दो लोटो मे जल भर लाओ बाहर चलते नहर के पानी से, पूजा मे लगेगा
माया- जा चन्दा इन दोनों लोटो मे बाहर से पानी ले आ (समान से तांबे के दो लोटे चन्दा को देते हुए बोली)
चन्दा पंडित की और ही देख रही थी, और बोली- ठीक है दीदी अभी लाते है
ठहरो छोटी ठकुराइन, बड़ी ठकुराइन आज अमावस की रात है आज की पूजा के लिए पानी आपको यानि बड़ी बहू को ही लाना होगा, घर की बड़ी बहू ही पानी को सबसे पहले सिचती है, जिससे ज़िंदगी मे धन, सुख शांति का जीवन मे प्रवाह आता है
चन्दा थोड़ा थोड़ा पंडित की हरकत को समज रही थी और पंडित की और देखते हुए मुस्कुरा रही थी,
माया- हा पंडित जी आज तो अमावस है मैं तो भूल ही गई थी, ठीक है आपको तो ज्ञान है इन सब का, आपके बिना कोई पूजा इसीलिए तो हम नहीं कराते
चन्दा- आप ठीक कह रही है दीदी, पंडित जी के रहते हमे किसी बात की चिंता नहीं है, वो सही ही कह रहे होंगे (चन्दा पंडित की और देखती हुई बोली)
पंडित- ठकुराइन आप निश्चिंत रहिए आपकी हर पूजा हमारे रहते सफल होगी, अब देरी ना कीजिए और जल ले आइए, तब तक छोटी ठकुराइन पूजा की सामग्री लगा लेगी। और आखिर मे इसे अपने घर मे और चोखट पर छिड़क लेना (ये बोलकर पंडित ने चन्दा को थोड़ा स इशारा कर दिया, चन्दा समज गई)
माया- ठीक है अभी लाती हू पंडित जी,
चन्दा- हा दीदी, पानी भर लाओ, तब तक हम सामग्री तैयार कर लेते है,
माया दोनों लोटे लिए मंदिर की सीढ़िया उतरते हुए पास की नहर की और चली जाती है, जो की ठोड़ी दूर थी, और पंडित को पता था, पानी लाने मे से कम से कम 15 मिनट तो लग जाएंगे। तब तक वो चन्दा के साथ अकेला होगा, चंद ने ठोड़ी देर तो झुक कर समान जाचाया और खूब पंडित को अपने भारी लटके हुए स्तनों से दिखा दिखाकर गरम किया, फिर जैसे की सारी गाँव की औरते करती है, पंडित के बिल्कुल सामने झट से उकड़ू बैठ गई।
पंडित माया के जाते ही, कुछ देर तो धूप बत्ती जलाने मे रहा, फिर बोल- चन्दा आज के दिन तो सुंदर सजी हुई है, अच्छी लग रही हो (माया के जाते ही पंडित ठकुराइन से सीधा चन्दा पर आ गया था)
चन्दा नीचे उकड़ू बैठी हुई, पूजा की सामग्री लगा रही थी, उसकी दोनों टाँगे छाती पर दाबी हुई जिससे उसकी मोटी भारी चूचियां बाहर आने को थी, चूचिया काफी बाहर उभर आई थी, चन्दा को भी पंडित को तरक्षाने मे मजा आ रहा था, उसको साफ पता था पंडित की नजर उसके स्तनों पर ही है, दूसरा उकड़ू बाथेन पर उसकी मांसल जांघे खुल कर चूत के फूले हुए उभार को दिखा रही थी, पंडित का तो कलेजा मुंह मे आ गया था। उसके लंगोट मे उसका लंड हरक करने लगा था जिसे चालाक चन्दा ने भांप लिया था। पंडित जहा सीधा चन्दा की चूत और चूचियोंं पर नजर गड़ाए हुए था, उधर चन्दा भी छुप छुप कर पंडित के लंगोट मे हिलते उसके लंड को देख रही थी।
चन्दा पंडित की बात सुनकर मुस्कुरा कर बोली- ठकुराइन है पंडित जी तो सजेंगे ही (चन्दा तपाक से गर्व से बोली)
पंडित चन्दा के जवाब से मुस्कुरा देता है और बोलता है- वैसे तुम्हें सजने की जरूरत कहा चन्दा तुम तो वैसे ही खूबसूरत हो, गाँव मे तुम्हारी जैसी सुंदर कोई नहीं (पंडित चन्दा को मलाई लगता हुआ बोल)
चन्दा जानती थी पंडित मस्का लगा रहा है, फिर भी वो मुस्कुरा कर बनते हूए बोली- कहा अब तो हमारी उम्र हो गई है, 2 बच्चों की माँ हू, अब तो सावन जा चुका है
पंडित- नहीं चन्दा, तुम्हारा सावन अभी हर भरा है, बगीचे के फल अभी भी रसीले है (पंडित सीधा चन्दा के भारी मोटे स्तनों को घूरता हुआ बोला)
चन्दा पंडित की नजर भांप लेती है, और थोड़ा झुककर पंडित को अपनी चूचियोंं की घाटी दिखाती जिसमे बीच मे मंगल सूत्र लटक रहा था, फिर पंडित की और देखते हुए बोलती है- पंडित जी ये तो आपकी अच्छाई है जो हर किसी मे अच्छे को देखती है, पर सच तो ये है की हमारा अब कोई रस नहीं बचा, आप ध्यान से देखिए, अगर बचा होता तो, ये (भीमसिंगह) हम पर ध्यान देते (चन्दा को चुदाई करे २२ दिन से जयादा हो ये थे)
पंडित फिर से चन्दा पर कसते हुए- चन्दा, लुहार तो हीरे को पठार समझता है, और फूलो से सिर्फ भवरा ही शहद खा सकता है, और तेरे फूलों मे शहद अभी भी बहुत मीठा है और कूट कूट के भरा है।
पंडित की बातों से चन्दा की चूत पनिया लगती है, वो भी मजे लेटे हुए बोलती है- पर पंडित जी इस बागीचे मे लगे फूलों पर सिर्फ सिर्फ माली का ही हक है, और वो तो इस पर ध्यान ही देता, बागीचा सुख गया है। (चन्दा होंठों पर बेशर्म की जुबान फेरते हुए बोली)
पंडित- तो चन्दा तुम परेशां ना हो, तुम कहो तो हम दे देते है हमारा पानी तेरे बाग के सुखेपन को दूर कर देगा (ये बोलकर पंडित ने बेशर्मी से लंड को लंगोट के ऊपर से ही झटक दिया)
अब चन्दा गरम होने लगी थी ,चन्दा बोली- अरे पंडित जी हा, कैसी बात करते हो, माली को पता लग गया तो सारे बाग को आग लगा देगा, हम कही के नहीं रहेंगे (चन्दा पंडित को तरसा रही थी, इटन आसानी से पंडित को अपना रस कैसे खिला दे)
पंडित- अरे चन्दा बस थोड़ा स शहद ही तो मांगा है, जल्दी से चुपके से खा लेंगे, किसी को पता नहीं लगेगा, (पंडित का लंड अब लंगोट मे जोर मार रहा था, रह रह कर उसका रस सुपाड़े की चमड़ी के अंदर सुपाड़े को गीला कर रहा था)
चन्दा- नहीं नहीं हमे दर लगता है काही कुछ हो गया तो
पंडित- अरे चन्दा कुछ नहीं होगा, हम पर भरोसा रखो, बागीचे मे नाग तो निकाल ही आता है, बस नाग थोड़ा बागीचे मे घूम आएगा, बिल मे थोड़ी देर आराम कर लेगा (पंडित ये बोलकर लंगोट को हल्का सा साइड कर देता है, और लंड का मोटा सुपाड़ा थोड़ा झीना झीना दिखने लगता है)
चन्दा की नजर लंगोट के अंदर छुपे हुए सुपाड़े पर पड़ती है तो उसका गल सुख जाता है- हाय पंडित जी, ये कोई ऐसा वैसे सांप नहीं है, ये तो अजगर है,
पंडित- तो क्या हुआ चन्दा, २ बच्चे जन्मी हो तुम, इसमे क्या हो गया
चन्दा- पंडित जी, ये तो हमारे बिल को को चोंड़ा करके कुआ बना देगा, हमारी जान निकाल जाएगी (चन्दा अपने होंठ कांटते हुए बोली, चनाद की चूत छपाछप पानी छोड़ रही थी)
पंडित- तुम तो खाम खा डर रही हो, ये तो पहले भी तुम्हारे बागीचे मे कितनी बार घूम चुका है, देखो कितना प्यासा हो रहा है तुम्हारे लिए (बोलकर पंडित से लंड के मोटे सुपाड़े को धोती से बाहर निकाल लिया)
चन्दा लंड के २.५ इंच मोटे सुपाड़े को देखकर, जो अभी भी लंड की चमड़ी के अंदर था पर उसके मुंह पर वीर्य की बूंदे चमक रही थी, सहम गई, चन्दा की सांस अटक चुकी थी, चन्दा डर कर बोली- हाए पंडित जी ये तो बहुत प्यासा लग रहा है, कैसे रो भी रहा है, मन तो करता है इसकी प्यास भुझा दु, पर माया अभी आती ही होंगी, किसी और दिन इसको बागीचे मे घूम देंगे (चन्दा पहले भी कई बार पंडित से चुद चुकी थी, उसकी पनियाई चूत भारी मोटे लंबे लंड की मार याद करके भरपूर पानी छोड़ रही थी)
पंडित- चन्दा ऐसे मा कहो तुम्हारी भरी जवानी देखकर ये उत्तवला हो गया है, ऐसे मत तरसाओ
चन्दा- हम क्या करे पंडित जी, इसमे हमारा क्या कसूर
पंडित- कसूर तो तुम्हारा ही चन्दा, तुम्हारा गदराया बदन देखकर, ये बावला हो जाता है, ऊपर से तुम कसे हुए कपड़ों मे सजकर आई हो, तुमने इतना जुलम किया है इसपर (पंडित से अब धोती को थोड़ा और साइड कर दिया, आधा लंड बाहर निकाल आया, लंड पूरा फूल कर मोटा हो गया था, और उसके टट्टे भी बाहर आकार लटक रहे थे)
चन्दा घबरा गई, पर वो पंडित को रोज ना सकी उसकी गरम चूत भी उसे चुदवाए के लिए उसका रही थी, पंडित जी संजी हम मजबूर है, हम आपको ऐसे मना नहीं करते
पंडित- चन्दा तुम घबरा काहे रही हो, यह पीछे के कमरे मे माया को कुछ पता नहीं लगेगा, देखो कितना गरम हो रहा है तुम्हारे लिए (पंडित ने चन्दा का हाथ पकड़ कर एक दम अपने लंड पर लगा दिया)
चन्दा- हा पंडित जी ये आप क्या कर रहे है, हम फस जाएंगे, माया कभी भी आती ही होगी, (चन्दा ये बोल तो पर अपना हाथ नहीं हटाया बल्कि अपनी मुठहीलंड पर कस ली)
पंडित- हा आह चन्दा, देखो कितना मचल रहा है तेरे लिए, तेरे ये रसीले दूध कितने मांसल है दिखा तो (पंडित ने अपना हाथ चन्दा की चूचियों पर रख दिया, और उन्हे धीरे धीरे मीसने लगा)
चन्दा- आह पंडित आराम से हमारी कमीज खराब हो जाएगी (चन्दा ने पंडित को बिल्कुल नहीं रोका, एक पल के लिए वो भी माया को भूल गई थी, और अब उसने पंडीत के लंड के सुपाड़े को चमड़ी से बाहर निकाल लिया था, और उसे मुठिया रही थी)
पंडित- आह चन्दा, कितना मजा देती हो तुम
चन्दा- आप भी बहुत जोशीले है, कितना मस्त है आपका अजगर
पंडित- हा चन्दा तुम्हारा भरा पिछवाड़ा और स्तन देखकर ये मचल गया है, इसकी सेवा करो
चन्दा- पंडित जी आज तो माया है, आप फिर जब भी बुलाएंगे हम मना नहीं करेंगे
पंडित- चन्दा ये तो तूने ही खड़ा ही किया है इसको आज अब तू ही बिठाएगी
चन्दा- ऐसा मत बोलीये, माया को पता लग गया तो अनर्थ हो जाएगा
पंडित- माया को कुछ पता नहीं लगेगा, तू आजा पीछे के कमरे मे (पंडित सीधा तू तड़ाक पर आ गया था, अब उसने सारे परदे हट दिए थे)
चन्दा- नहीं नहीं पंडित जी, आज ना वक्त है हमारे पास ना सही जगह, फस जाएंगे
पंडित- चन्दा तू ऐसे मत मना कर, बिना पानी निकले ये नहीं मानेगा,
चन्दा- पंडित जी आपका इतना आसानी से कहा निकलेगा, और हमारी चीखे माया सुन लेगी, आप समझते नहीं है,
पंडित- चन्दा तू परेशान ना कर ऐसे, एक बार करने दे जल्दी से पानी निकाल लेंगे
इतना बोलना ही था, कि दोनों को कदमों की आहाट सुनी, दोनों सतर्क हो गए पंडित ने झट से अपना लंगोट सीधा कर लिया वापस दरी पर ठीक से बैठ गए, चन्दा ने भी अपना कमीज ठीक कर लिया, और ठीक से चकोडी मार कर बैठ गई, अपना पल्लू ठीक किया और सामान जचा लिया। पंडित से धूप जलाने के लिए माचिस उठा ली,
माया- पंडित जी, माफ कीजीएगा अगर देर लग गई तो
पंडित- अरे ठकुराइन देर नहीं तुम सही समय पर आई हो
चन्दा- हा दीदी आओ, हमने समान भी लगा लिया
माया- हा चन्दा, देख रही हू, समान अच्छे से लगाया है,
पंडित- अब दोनों ठकुराइन यह बैठ जाओ, हम पहले मंत्र बोलेंगे फिर, आरती करते हुए पूजा पूरी करेंगे।
माया- हमे क्या करना होगा पंडित जी,
पंडित- आप दोनों को पूजा के लिए ध्यान लगाना होगा, और अपनी आंखे बंद करके हमारे साथ मंत्र बोलने होंगे, ना भी बोलो तो भी कोई बात नहीं पर गलत मंत्र का उच्चारण नहीं करना और अपनी जो भी मनोकामना है वो मन मे बोलनी होग, हम इस सवछ जल का छिड़काव शुद्धि के लिए तुम्हारे ऊपर और आसपास करते रहेंगे। पर ध्यान रहे जब तक हम ना कहे आंखे नहीं खोलनी तुम्हें वरना पूजा सम्पन्न नहीं होगी
माया- ठीक है, पंडित जी हम ध्यान रखेंगे (माया झट से पंडित के सामने छोकड़ी मारकर बैठ गई)
चन्दा- हाजी पंडित जी, आप शुरू करिए अब,
चन्दा और पंडित आपस मे एक दूसरे को देख रहे थे, पंडित बार बार हल्के से इशारे चन्दा को कर रहा था, चन्दा बार बार पंडित को टाल रही थी, जिसका अंदेशा हल्का सा माया को हुआ पर वो पानी लाने से थक चुकी थी जल्दी से घर जाना जाती थी वो उसने ध्यान नहीं दिया
पंडित ने पूजा शुरू करते हुए मंत्र पढ़ने शुरू की, दोनों ठकुराइन ने अपनी आंखे बंद कर डी पर चन्दा के मन मे हलचल थी उसे पता था पंडित कुछ ना कुछ जरूर करेगा, धीरे धीरे समय बीत रहा था, पंडित उतावला था अमंत्र तो वो पढ़ रहा था पर उसका लंड चन्दा की चुदाई के लिए बेचैन हो गया था, उसके मन मे कुछ भी करके चन्दा की चुदाई करने के मन था, उसने एक उपाये सोच।
पंडित मंत्र पढ़ रहा था, उसने जब जल के छीटे मारने शुरू की तो माया के तो सिर्फ सिर पर हल्के से और सामने से छीटे मार रहा था, पर चन्दा के स्तनों और छाती पर उसके मंगल सूत्र पर जोर जोर से छीटे मर रहा रहा था, चन्दा से कुछ देर तो अपनी आंखे बंद रखी पर उसका बदन भी चुदाई के लिए जल रहा था, और जब पंडित के छीटे तेज हो गए, उसकी छाती बहुत गीली हो गई उसे डर था अगर पंडित उसको पूरा भीग ना दे तो वो घर कैसे जाएगी, पंडित का इशारा समझते हुए उसने अपनी आंखे खोल दी
चन्दा आंखे खोलकर देखती है, की पण्डित की धोती मे लंड पूरी टाइट हो रखा है, जिसे बार बार पंडित ठीक कर रहा था, और अपनी आँखों से इडहारे मे पूछती है क्या कर रहे हो
पंडित इशारे मे चन्दा को पिछले कमरे मे चलने के लिए बोतला है, चन्दा बार बारे मन कर रही थी,
पंडित मंत्र पढ़ रहा था, उसे पता था, की पूजा जल्द ही पूरी होने ही वाली है, उसे कुछ करना होगा, वो अपनी धोती को फिर से थोड़ा स साइड करदेता है, और अपना लंड बाहर निकाल लेटा है, हाथ से लंड पकड़कर चन्दा को लंड दिखाने लगता है,
चन्दा पंडित की इस हरकत से चोंक जाती है, चन्दा को पसंद था की मर्द उसके लिए तड़पे, और पंडित की ऐसे दिलेरी और हिम्मत देखकर वो थोड़ा पिघलने लगती है और थोड़ा खुश होते हुए, मुस्कुराकर पंडित को फिर पूछती है की कैसे होगा, माया यही है
पंडित उसको पीचले दरवाजे की और इशारा करता है, वो समज गया था की चन्दा भी चुदाई चाहती है पर डर रही है
चन्दा फिर उसे मन करने लगती है। महोहर पंडित फिर एक जाल फेंकता है, वो अपना हाथ मुट्ठी गोल करते हुए अपने चेहरे की और लेके आता है, और चन्दा को लंड चुसाई के लिए बोलत है (वो सोचता है की चन्दा चुदाई ना सही चुसाई के लिए तो मान ही जाएगी )
पर चन्दा बेहद डर रही थी, वो फिर से मन कर देती है, पर पंडित ने थोड़ा गुसा दिखाते हुए, पानी फिर से चन्दा की चूचियोंं पर दे मार, इससे चन्दा हस पड़ती है, चन्दा को बहुत मजा आता है, जब वो मर्द को ऐसे तरस कर चूत देती थी, इससे मर्द का जोश और बढ़ जाता था। चन्दा इशारे से पंडित को हा कर देती है।
पंडित अब खुश हो जाता है, इधर माया अपनी आंखे बंद किए, पंडित के साथ मंत्र पढ़ रही थी, वो ध्यान मे लीन थी, वो जानती थी चन्दा को कुछ ही मंत्र आते थे, इसीलिए वो चुप थी, पंडित और चन्दा ने माया के होते हुए ही चुदाई का प्लान बना लिया था, अब बस कुछ ही देर मे पंडित ने आखरी मंत्र पढ़ते हुए, पूजा सम्पन्न करनी की सोची, चन्दा समझ गई उसने अपने कपड़े थोड़ा ठीक की, जो पंडित के पानी मारने से थोड़ा गीले हो गई थी, उसकी चूचियाँ उसने अच्छे से ढक लि, जो पानी ने पूरी गीली होकर चमकने लग गई थी।
पंडित- ठकुराइन अब पूजा पूरी हो चुकी है, अपनी आंखे खोलो
माया आंखे खोलती है और पंडित को प्रणाम करती है, चन्दा ने तो पहले ही आंखे खोली हुई थी वो भी पंडित को परणाम करती है
पंडित- ठकुराइन ये पूजा पूरी हो गई है पर तुम दोनों को पूजा सम्पन्न के लिए उपाये करने होंगे
माया घबरा जाती है- पंडित जी पूजा हो गई है अब कोनसे उपाय
पंडित- घबराओ नहीं ठकुराइन कुछ जायद बड़ी बात नहीं है तुम्हें ये मंत्र १०८ बार यही बैठे ध्यान लगते हुए पढ़ना होगा, पर ध्यान रहे तुम्हारा मंत्र बीच मे छूटना नहीं चाहिए (पंडित एक कागज माया को देता है जिसपर लंबा मंत्र लिखा हुआ था)
चन्दा पंडित की चालाकी समझ जाती है वो पंडित से और ज्यादा इम्प्रेस हो जाती है,
माया- इससे क्या होगा पंडित जी,
पंडित- ठकुराइन तुम्हारे घर मे एक बाधा है, जिससे घर मे डर का घेरा बना हुआ है, जो कामों के मुस्किल लाता है
माया सोचती है की उसकी बहु बहुत डरती है शायद उसी की बात बता रहे है माया को कंचन से बहुत लगाव था वो झट से पंडित से बोलती है- हा पंडित जी मैं बिल्कुल तैयार हू, आजा चन्दा देख ये बोलना है हमे
पंडित- नहीं ठकुराइन छोटी ठकुराइन के लिए अलग उपाये है, इसकी हमे पहले कुंडली देखनी होगी, इसके घर मे एक दिक्कत आने वाली है, जिसको समय रहते नहीं ताल गया तो बड़ी विपतटी या सकती है
चन्दा- क्या पंडित जी, क्या करना होगा हमे (चन्दा समझ गई थी पर ऐक्टिंग करते हुए और पंडित की तरफ देखते हुए हल्के से आँख दबा देती है)
माया थोड़ा घबराकर सब ठीक तो है पंडित जी, कुछ गलत तो नहीं है
पंडित- ठकुराइन हम पर विस्वास रखो हमारे रहते इस घर पर कोई दिक्कत नहीं आने देंगे।
माया- पंडित जी आप पर ही विस्वास है आपके पास सब दर्दों का निवारण है
चन्दा- हा पंडित आप बताए हम सब कुछ करने को तैयार है, चाहे हमे किसी नाग का जहर क्यू ना पीना पड़े, हम पी लेंगे, अपने परिवार के लिए सब कुछ करने को तैयार है (पंडित को लंड चुसाई का इशारा करते हुए चन्दा बोलती है)
पंडित- ठकुराइन हम तो अपना धर्म निभा रहे है, पर आप अब देरी ना कीजिए शुब घड़ी निकाल नया जाए (पंडित उतावला हो गया था, उसका लंड धोती मे चन्दा के गदराए बदन की चुदाई के लिए तड़प रहा था)
माया- ठीक है पंडित जी
पंडित- आओ छोटी ठकुराइन, जल्दी हमारे पीछे इस कमरे मे
पंडित उठाने से पहले अपनी धोती को फिर से ठीक करता है, लंड इतना बड़ा था की उसको बार बार ठीक करना पड़ रहा था, चन्दा मंद मंद ये सब देखकर मुस्कुरा रही थी, पंडित के जाने के बाद माया मंत्र पढ़ना शुरू कर देती है, पंडित ने माया को लंबा मंत्र दिया था, १०८ बार मंत्र पढ़ने मे काफी समय लग सकता था।
बाहर माया मंत्र पढ़ रही थी, इधर कमरे मे दोनों पंडीत और चन्दा चुदाई के लिए गरम हो रखे थे, मंदिर मे पीछे मुरतिस्थान के दाई और अच्छा बड़ा कमरा था, जिसमे अच्छा बड़ा बेड था, जिसमे कभी कभी पंडित सो जाता था और कभी कभी कमरे को चुदाई के लिए काम मे लाता था जैसे आज ला रहा तह, वैसे तो उसके और भी ठिकाने थे चुदाई के लिए, पर मंदिर के कमरे मे कभी भी किसी को शक नहीं होता था, बाकी ठिकाने उसके बदनाम थे, क्यू की गाँव मे वो भी चुदाई के शौक से बदनाम था। चन्दा कमरे के बीचों बीच रखी चौकी के पास पहुच जाती है। चौकी बिस्तर के सामने बिछी हुई थी।
पंडित- कुछ लोगी चन्दा, पानी-ठंडा, ये बोलकर पंडित दरवाजे की साइड मे रखे मटके की और चल देता है (पंडित फिर से ठकुराइन छोड़कर चन्दा पे या गया था)
चन्दा- नहीं पंडित जी, बस हमे प्यास नहीं है (सोच पंडित मटके से पानी लेने जा रहे है)
पंडित-हमे तो बहुत प्यास है (ये बोलकर उसने मटके से एक गिलास पानी भर लिया, और पी लिया, मंत्र बोलकर उसका गल सुख गया था, और फिर उसने दरवाजे जो बंद कर दिया)
मनोहर पंडित ने कमरे के दरवाजे को बंद कर दिया, और कुंडी लगा दी। चन्दा ठोड़ी सी डर गई की पंडित के क्या इरादे है, पर पंडित निश्चिंत था, वो जानता था चन्दा बहुत चुदक्कड़ है, उसके साथ चन्दा फसी हुई थी क्यू की उसे चन्दा का राज पता था और वो चन्दा के जब भी मोका मिलता मजे ले लेता था।
पंडित वापिस चन्दा की तरफ जाता है और पीछे से उसके कंधे पर हाथ कर बोलता है- चन्दा आखिर तूने मेरी बात माँ ही ली (चन्दा अपना सिर कंधे पर झुका लेती है)
चन्दा का दिल तेजी से धडक रहा था, बोली- हाय पंडित जी ऐसे नहीं कहीये
पंडित- हमने झूठ कहा बोल, देख इसी इसका क्या हाल है (ये बोलकर पंडित चौकी पर बैठी हुई चन्दा के सामने या जाता है, पंडित ने कमरे मे घुसते ही अपनी धोती को ढील कर दिया था, और चन्दा के सामने लंड पूरा कडक होते हुए धोती को ऊपर उठा रहा था, लंड का फूलापान धोती के ऊपर से ही पता लग रहा था)
चन्दा- हाए राम पंडित जी ये क्या है
पंडित- ये तेरा प्रेमी है इसको प्यार नहीं करेगी तू चन्दा
चन्दा- जरूर करूंगा पंडित जी (ये बोलकर चन्दा अपना दाय हाथ लंड पर रख देती है और उसकी मोटाई और लंबाई का मॅप लेटे हुए लंड पर हाथ चलाने लगती है)
ऊपर खड़े हुए पंडित को चन्दा के मोटे मोटे स्तन नजर आ रहे थे, जो की चन्दा ने गीले होने की वजह से ढक लिए थे
पंडित- चन्दा ये तूने अपने रसीले फलों ढक क्यू लिया।
चन्दा- जी ये गीले हो गए थे, तो मैंने ढक लिया
पंडित- तो पगली हवा लगेगी तबी तो सूखेंगे, उतार दे इसे (ये बोलकर पंडित ने चन्दा का पल्लू खीच लिया)
चन्दा ने भी पंडित को बिल्कुल नहीं रोका , बल्कि हाथ से पल्लू को हटा दिया, और पंडित की तरफ देखती हुई मुस्कुराने लगी।
पंडित- आह चन्दा क्या खजाना है तेरे पास ये तेरे दोनों फल बड़ी रसीले है, अपना दाया हाथ चन्दा की छाती पर रखता हुआ बोला,
चन्दा- आपका ये बदमाश भी कमाल का है कैसे उताववाला हो रखा है (चन्दा लंड को मसल रही थी, और उसके टट्टो को ही ऊपर से महसूस कर रही थी)
पंडित- चन्दा ये तेरी खूबसूरती को देखने के लिए मचल रहा है, ये तेरे कितने सुंदर हॉट है, कितने रसीले है तू सारी ही रस से भारी हुई है, हमे पीला दे ना
चन्दा- तो पीलो जी तभी तो यहा आए है, आपने कैसे माया को बाहर बीठा दिया, और हम आपके खड़े लंड को बिठाने यह आ गए है
ये बोलना ही था पंडित ने चन्दा को दोनों कंधे पकड़ कर खड़ा कर दिया, और चन्दा के चेहरा पकड़ कर उसे चूमने लगा, नीचे चन्दा ने अपना हाथ पंडित के लंड से नहीं हटाया वो लगातार लंड को धोती पर से पकड़े मसल रही थी, दोनों की बेचनी बढ़ती जा रही थी, पंडित ने दोनों हाथों को पीछे ले जाकर चन्दा के चूतड़ों को दबोच लिया और जोर जोर से उनको मसलने लगा
पंडित- आह चन्दा क्या चूतड़ है इतने भरे हुए चूतड़ मैंने आज तक किसी के नहीं देखे
चन्दा को बेहद मजा आ रहा था चुदाई के वक्त उसे मर्द का यू तारीफ करना उसे बेहद पसंद था, वो भी पंडित को उसकसाते हुए बोली- इन चूतड़ों पर आपका ही राज आज आपने ही इनमे अपना पानी देना है
पंडित- आह चन्दा आज मैं अपना पूरा पानी तेरे अंदर भर दूंगा (पंडित चन्दा के चूतड़ों को बेरहमी से मसलता हुआ बोल)
चन्दा- आह ओह पंडित जी थोड़ा आराम से सलवार पर अगर सिलवाते पड़ गई तो माया को क्या जवाब देंगे
पंडित- तो चन्दा उतार दे ना इसे तेरा बाग हम देख लेंगे
चन्दा शरमाती हुई- अरे नहीं नहीं इसे निकालकर क्या करेंगे, हम ऐसे ही आपको खुश कर देंगे
पंडित- नहीं चन्दा, ऐसे नहीं खुश होंगे, आज हमे तुझे नंगी देखना है, तेरे चूतड़ों और चूचों को देखकर ही लंड धोती मे ही ठाप मर रहा है।
चन्दा- पर पंडित जी हमे शर्म आ रही है,
बात काटते हुए पंडित- पर वर कुछ नहीं, नाटक मत कर जल्दी कपड़े उतार दे, और अपनी जवानी दिखा दे,
चन्दा- ऐसे मत करो, ऐसा करो आप उधर मुंह करो हम उतारते है
पंडित- आए हाय कैसे कच्ची काली की शर्मा रही है चन्दा, ऐसी अदा ने तो जान ले ली, ठीक है साली तू बोल रही है तो (चन्दा बिस्तर के सामने मुंह करके अपने कपड़े उतारना शुरू कर देती है और उधर पंडित अपना मुंह दूसरी और घूम लेटा है, चन्दा की कमर पंडित की तरफ थी)
चन्दा को डर था की कही पंडित उसे चोद ना दे, पर जब ऊखली मे सर दे ही दिया है तो मूसल से क्या डरना ये सोचकर चन्दा से झट से अपने कपड़े उतार दिए और चौकी पर रख दिया, एक तो वो सोच रही थी की कपड़े थोड़े गीला भी हो गए है तो खराब हो सकते है, दूसरा चन्दा को पता था पंडित को जगह से जगह से मसलेगा तो कपड़े सिलवट खा जाएंगे, इसमे उसका भला था की उसने कपड़े उतार दिए, उसका भरा बदन अब आजाद हो गया, उसके भारी ४२ इंच चूतड़ और ३८ इंच के d – कप स्तन कपड़ों की कसावत से ब्रा-कच्ची और सलवार कमीज उतार आजाद हो गए थे, इधर पंडित भी सटासट अपने कपड़े उतारे मादरजात नंगा हो गया था, उसका लंड पूरा सख्त होकर फुफकार रहा था, ११ इंच लंबा ३ इंच मोटा मनोहर का अजगर चन्दा की चूत का प्यासा था। बीच बीच मे पंडित नजर चुराकर चन्दा को पकड़े बदलता भी देख लिया था
पंडित- कपड़े उतार दी चन्दा, देखे हम
चन्दा सकपका कर बोली- हाहा पण्डितत जीजी (चन्दा की पीठ पंडित की तरफ थी)
पंडित- अरे तू तो लड़की की तरह शर्मा रही है, ऐसे कर रही है जैसे पहली बार लंड खाएगी, २ बच्चे निकालने के बाद भी शर्मा रही है
पंडित को पता था चन्दा कितनी बड़ी लंडखोर है, वो चन्दा को छेड़ रहा था।
चन्दा- वो पंडित कई दिन हो गए हिय ना इसीलिए शर्म आ रही है
पंडित- अरे तो क्या तेरी चूत भूल गई मेरा लंड, उसकी मार
चन्दा-नहीं पंडित जी , ऐसा लंड कोई भूल सकता है बहाल
पंडित- भूल गई है तो बता दे साली को फिर से रगड़ देंगे (ये बोलक पंडित चन्दा के पीछे ची गया और अपना लंड दोनों चूतड़ों के बीच फस दिया, और चन्दा कीी गर्दन को चूमने लगा)
चन्दा- हा पंडित आपने कपड़े कब उतारे
पंडित-जब तू उतार रही थी, क्यू सही नहीं किया
चन्दा- नहीं नहीं बिल्कुल सही किया, आह कितना गरम लंड है आपका (अपने चूतड़ों को हिलाते हुए चन्दा बोली)
पंडित- चन्दा तेरी गांड का ही तो गुलाम है मेरा लंड, इसक हमेशा सलाम करता है
चन्दा- आह आह आह पंडित जी आराम से (पंडित लगतार चन्दा की गर्दन को चूमकर उससे गरम कर रहा था, वो चाहता था जल्दी से चन्दा उसका लंड अपनी चूत मे लेले)
पंडित- चन्दा एक बार झुक जाओ अपनी गांड के दर्शन करा दो, कैसे तड़प रहा है ये बेचारा
चन्दा- इसकी तड़प दूर करने के लिए ही तो हम आए है, इसको हमारे चूतड़ पसंद है, अभी दिखाती हू इसे
ये बोलकर चन्दा बेड पर घोड़ी बन जाती है, और अपने चूतड़ हवा मे ऊपर उठा लेटी है
पंडित- हाय चन्दा तेरी इसी अदा पर तो लंड पानी फेंक देता है, तू लंड को खुश करने के लिए तैयार रहती है
चन्दा- क्यू ना करूंगी खुश इस लंड ने भी हमे कितना खुश रखा है, इसकी पूरी मेहनत है हमपर
चन्दा के चूतड़ों पर मनोह हाथ फेरता हुआ चन्दा के पीछे आ गया, उसका लंड चन्दा के चूतड़ों से कुछ ही दूर था, पंडित ने चन्दा के दोनों चूतड़ों को अच्छे से मसला और फिर फैलाकर दोनों चूतड़ों के बीच चन्दा की फूली हुई पनियाई चूत के चीरे को देखने लगा, और बोल- चन्दा तेरी चूत तो बड़ी पनियाई हुई है
चन्दा बेशर्मी से बोई- जब ये मूसल ऐसे रगड़ मारेगा तो पनियाएगी ही
पंडित- ये पानी फेंक रही है, बड़ी रसीली लगती है (पंडित उंगली से चन्दा के चूत का रस लेटा है और चाट लेटा है)
पंडित की उंगली चूत पर लगते ही, चन्दा की सिसकारी निकाल जाती है, “आह पंडित जी”
पंडित सोचता है, चन्दा बड़ी गरम हो रखी है, यही सही मोका है, हथोड़ा मारने का, अगर चूत चूस के झड़ा दिया तो साली मुकर नया जाए।
खिड़की मे सरसों के तेल की कटोरी रखी हुई उसमे से थोड़ा सा तेल घोड़ी बनी हुई चन्दा की रसीली चूत के छेद और दोनों फाँकों पर पर चुपड़ देता है, तेल के लगते ही चन्दा की फूली हुई चूत की फाँके तेल मे चमकने लगती है चन्दा तेल के लगते ही अपने चूतड़ों को ऊपर करके उचका देती है, और थोड़ा स तेल चन्दा के 42 इंची चूतड़ों पर लगा कर दोनों फूले हुए चूतड़ों को चमका देता है, चन्दा ने भी अपना मुंह चादर पर लगा रखा था, दोनों हाथों से चादर को पकड़ा हुआ था, इधर पंडित का लंड चन्दा के उठे हुए चूतड़ों को देखकर पूरा मूसल की तरह तना हुआ था, और टन टनाकर झटके ले रहा था, वो झट से चन्दा के चूतड़ों को ठपकी देकर पकड़ लेता है, और लंड का मोटा टोपा चूत के छेद पर टिका देता है
चन्दा- ये आप क्या कर रहे है, आप तो लंड घुस रहे है
पंडित- तो और क्या यहा तेरी आरती करूंगा, साली
चन्दा मचलती हुई बोली, पर पंडित की पकड़ मजबूत थी-नहीं मुझे लगा बस लंड चुसाई के लिए आए है
पंडित- घोड़ी बनी हुई है अब तो घोडा चढ़कर ही उतरेगा
चन्दा-नहीं पंडित रहम करिए, बाहर माया है
पंडित- तू माया की फिकर ना कर, उसको बहुत टाइम लगेगा
चन्दा- नहीं पंडित जी चुदाई की आवाज सुन लेगी वो, वो भी शादीशुदा है कोई बच्ची नहीं।
पंडित- तो साला तुझ जैसी लंडखोर गदराई औरत को ऐसे ही छोड़ दु
चन्दा- छोड़ दीजिए, हम कल आ जाएंगे आपके पास वादा करते है, आज चोद दीजिए
पंडित- चन्दा देख मैं आराम आराम से डालूँगा, आवाज नहीं होगी
चन्दा-आप कितना भी आराम से डाले आपका लंड इतना बाद मूसल है आवाज तो होगी ही
ये सुनकर पंडित से ढेर सारा तेल अपने लंड पर चुपड़ लिया, और बोल- ले खूब तेल लगा लिया है लंड पर अब कोई मुस्किल नहीं होगी
चन्दा कुछ सोचते हुए- देखिए माँ जाइए, आपकी बात हमने आजतक नहीं ताली, आप मेरी भी एक बात माँ जाइए
पंडित- चन्दा मैं जानता पर मेरा लंड मेरी सुन नहीं रहा, तेरे चूतड़ों को देखकर साला बहरा हो गया है, आराम से डालूँगा
चन्दा सोच लेती है, कोई फ़ाएदा नहीं पंडित अपने मन के करेगा- ठीक है पंडित जी आप कर लीजिए अपने मन की, पर आराम से करिएगा, नहीं तो हम चले जाएंगे
पंडित मुस्कुरा कर चन्दा के चूतड़ों को सहलाने लगता है, चन्दा की चूत और गांड मे से मादक गंध आ रही थी,
पंडित- क्या चूतड़ है तेरे चन्दा पूरे गाँव मे तेरे जैसे मादक चूतड़ नहीं है, साला तू हमेशा लंड खड़ा कर देती है,
चन्दा धीमी आवाज मे- इन चूतड़ों पर आपकी भी तो मेहनत है और आपका लंड भी तो बमपिलाट भारी मोटा है, इसीलिए पंडित जी थोड़ा आराम से डालिएगा, बहुत मोटा है आपका (ये बोलकर चन्दा चादर को मुंह मे दबा लेती है)
पंडित- तुझे पसंद तो है ना
चन्दा- पसंद है तभी तो चुदवाने के लिए घोड़ी बनी खड़ी हू
पंडित- तो साली नखरे क्यू कर रही थी
चन्दा- आपका लंड इतना मोटा और लंबा है मेरी चीखे बाहर तक जाएंगी और माया बाहर सुन लेगी
पंडित- चुप कर साली, इतनी बार लंड खाने के बाद भी नाटक कर रही है
चन्दा- नाटक नहीं कर रही है, बेशक इसी लंड से कई बार चुदी हू, पर लंड मोटा ही इतना है, की जितना बार डालोगे उतनी बार दर्द होगा, और इतने दिनों से चुदी भी नहीं हू, और बाहर माया भी बैठी है उसने सुन्न लिया तो गजब हो जाएगा
पंडित- ठीक है तू अब चूतड़ों को फैला ले, लंड आसानी से जाएगा, दर्द कम होगा, (पंडित मन मे साली 2 बच्चे निकालने के बाद भी इस रंडी की चूत इतनी टाइट है)
चन्दा चूतड़ों को हाथ पीछे कर के चोड़े कर देती है, तेल लगी हूई पनियाई हुई चूत खुल कर उभर जाती है, फूली हुई चूत की फाँके बुर की शोभा बढ़ रही थी और गांड भूरा का छेद भी खुल बंद होकर पंडित को चिड़ा रहा है।
पंडित चन्दा के चूतड़ों को कस कर थाम लेता है, और जोर से ठाप लगा देता है, मोटे सुपाड़े के साथ 3 इंच “पक” से गीली चूत मे घुस जाता है, चूत के दोनों होंठ कस के लंड को दबोच लेटे है और चूत लंड के चारों और फैल जाती है। पंडित कुछ देर ऐसे ही चूत लंड पर लिपटे हुए और चूत की गर्माहट लेते हुए खड़ा रहता है।
पंडित- आह चन्दा बहुत गरम चूत पाई है तू, हर बार निहाल हो जाता हू।
चन्दा की चीख निकाल जाती है- आह्ह मा हे राम (जिसे बाहर बैठी माया सुन्न लेती है पर वो 108 मंत्र जप रही थी, तो कुछ बोली नहीं)
चन्दा कसमसा जाती है, और रोने की आवाज मे पंडित से बोलती है- आह बहुत मोटा है, पंडित जी, आज रहने दो मैं बोल रही हू कल आपके पास अकेले मे आ जाऊँगी, बाहर माया सुन लेगी, कल मैं नहीं रोकूँगी आपको, जितनी बार और जितनी देर चाहे, नहीं रोकूँगी बस आज रहने दीजिए (घोड़ी बनी हुई चन्दा बोली)
पंडित- मुंह बंद कर अपना, ये लंड तो तूने खड़ा किया है वो कोन खाएगा अब
ये बोलकर पंडित लंड को थोड़ा बाहर खीचता है चन्दा समझ जाती है की क्या होने वाला है और वो दोनों हाथ अपने मुंह पर रख लेती है और जोर से फिर एक ठाप चूत पर मार देता है, उसका 6 इंच लंड चूत मे धस जाता है चन्दा की दाबी हुई चीख निकाल जाती है।
पंडित- आह मजा आ गया, मस्त चूतड़ है तेरे चन्दा एक दम कसे हुए है (पंडित दोनों चूतड़ों पर हाथों के पंजे कसते हुए बोला)
चन्दा धीमी आवाज - आ मर गई, पंडित जी आप बाहर निकाल लो, मैं आपका पानी मुंह मे से छुड़वा दूँगी, आपका लंड नहीं तो चूत मे घुसे आधे घंटे से पहले बाहर नहीं निकलेगा और मेरी चीखे मैं दबा नहीं पाऊँगी, बाहर माया सब को सब सुन जाएगा,
पंडित चन्दा की बात को अनसुना करते हुए अपना लंड आगे पीछे करना शुरू कर देता है, पंडित- ये लंड चूत का प्यास है, इसको चूत का पानी ही पसंद है, मुंह मे जाकर क्या करेगा ये
वैसे तो चन्दा को पंडित की ऐसी हैवानियत भरी चुदाई पसंद थी, पार आज वो माया की वजह से बेबस थी, चन्दा- मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हू, आज छोड़ दीजिए, मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हू। (पंडित लगातार अपना लंड चूत मे फसाये हुए आगे पीछे ठाप मार रहा था)
जब पंडित से सुन की चन्दा सब कुछ करने के लिए तैयार है, तो ये सुनकर उसके मन मे कंचन को चोदने के लिए खवाब आने लगे, और उसने अपना लंड एक जोरदार धक्का देकर 8 इंच अंदर लंडखोर चूत मे ठूस दिया, चन्दा की एक और चीख निकाल गई, बेचारी चन्दा की आंखे नाम हो गई थी।
क्या कहा तू कुछ भी करने के लिए तैयार है, सोचले मैं कुछ भी मांग सकता हू चन्दा भी समझती थी पंडित बड़ा हारामी है ऐसे नहीं मानेगा, वो बोलती है- हा पंडित जी मैंने कभी किसी चीज का आपको मना नहीं किया, हम वचन देते है आपको
अब पंडित जान गया था, चन्दा फस चुकी थी, वैसे भी चन्दा पंडित की चेली थी, पंडित ने चन्दा को अपने जाल मे फांस रखा था, पंडित को चन्दा के सारे काले कांड और राज पता था, वो चन्दा से कोई भी काम कहेगा चन्दा वैसे भी मन नहीं कर सकती थी, वो लंड के 3-4 धक्के चूत मे देकर बोला- ठीक है चन्दा, तुम हमारा कितना खयाल और मांन रखती हो, हम तुम्हारी बात मान लेते है।(पंडित धीरे धीरे लंड को चूत के अंदर बाहर करता हुआ बोला और वो लगतार अपने हाथों को घोड़ी बनी हुई चन्दा के दोनों चूतड़ों पर हाथ रहा था)
चन्दा- ठीक है पंडित जी, आह आह आह ईसस ईसस ईसस पर आप तो चोदते ही जा रहे है, आह लंड को बाहर तो निकालए
पंडित- छोटी ठकुराइन, पहले बात तो सुनलों फिर निकाल लेंगे, कही मुकर गई तो (चन्दा के चूतड़ों पर मनोहर ने कसकर पकड़ बना रखी थी, उसने अब थूक का लोंदा अपने लंड पर दे मारा, और थूक को लंड पर चूत और गांड पर मसलने लग गया, और दाय हाथ हथेली को चन्दा को उठे हुए चूतड़ पर रख कर थूक से गीले अंगूठे को चन्दा की गांड पर घुमाना शुरू कर दिया)
जिससे चन्दा की मजे से भारी सिसकारी फुट पड़ी- आह आह आह ईसस ईसस ईसस, आह आप तो तड़पा रहे है, पंडित जी बोलिए जल्दी क्या बात है
पंडित एक जोर का ठाप लगते हुए बोल- हम चाहते है तुम कंचन को चोदने मे मेरी मदद करो
चन्दा ने मुंह पर हाथ रखे हुए थे, पर ठाप से उसकी दाबी हुई चीख निकाल जाती है- आह मा, हे राम ये आप क्या कह रहे है
पंडित- बता ठकुराइन, चुदवाएगी अपनी मुंहबोली बहू को!
चन्दा तो पहले ही कंचन को कैसे भी करके किसी से चुदवाना चाहती थी, पर वो इतनी जल्दी पंडित को इस बात के लिए कैसे हा करदे ऊपर से भारी मोटा मूसल उसके चूतड़ों के बीच चूत को फैला रहा था और लगातार दर्द से वो दोहरी हो रही थी- “आह मर गई पंडित जी, आप कहा उस मछली पकड़ रहे है, वो रामलाल की बहू है, अगर रामलाल को पता लग गया तो जान ले लेगा हमारी और आपकी भी,उसके सिवाय किसी और को चुदवा दूँगी” ।
पंडित- हमे सब पता है पर तेरे से राय नहीं मांगी मैंने, तू जितना बोलू उतना कर, ज्यादा बोलेगी तो यही तेरी चूत को चोद चोदकर भोंसड़ा बना दूंगा, और तेरी चीखे सिर्फ माया नहीं पूरा गाँव सुनगे, और फटी हुई चूत लेकर भीमसिंग के पास भेज दूंगा (ये बोलकर पंडित से थूक से गीला अंगूठा चन्दा के भूरे गयंद के छेद मे ठूस दिया, और हथेली को चूतड़ पर कस लिया, जिससे चन्दा की दर्द भारी सिसकारी निकाल जाती है,)
चन्दा डर जाती है की कही पंडित उसकी गांड मे लंड ना डाल दे अभी - आह पंडित नहीं नहीं आपकी बात हमको मंजूर है, हम कुछ भी करके कंचन को आपसे चुदवा देंगे। आपसे वादा करते है।
पंडित को पता था चन्दा मान जाएगी, वो तो बस उसको वैसे ही धमका रहा था, औरतो को दबाकर रखने मे और धमकाने मे पंडित को खूब मजा आता था
पंडित- ठीक है ठकुराइन, पर मेरा लंड तो पानी निकले बिना बैठेगा नहीं, इसको तो तू ही बिठाएगी तूने ही अपने चूचे और चूतड़ दिखाकर इसे खड़ा करा था।
चन्दा- आप इसको निकाल लीजिए, इस मुस्टंडे का पानी मैं निकाल दूँगी, इसको मैंने हमेशा खुश रखा है आज भी इसको पूरा मजा दूँगी
पंडित दोनों मांसल चूतड़ों को थप थपाकर और एक चपेड़ लगाकर अपने मूसल जैसे लंड को चूत से बाहर खींच लेता है, और चूत से “पाक” जैसे कॉर्क खुली हो की आवाज आती है जो कमरे मे गूंज उठती है, (अब तक माया 108 बार मंत्र पढ़ चुकी और बस पंडित और चन्दा का इंतज़ार कर रही थी, उसे इतनी लंड के चूत से बाहर निकालने की आवाज सुन गई थी) चूत का मुंह कुछ देर के लिए बड़ी “O” शेप मे खुल गया था, चूत के दोनों होंठ खुल कर अलग रह गए थे, चन्दा की मांसल जांघे एक बार कंपकपा जाती है।
चन्दा- आह पंडित जी, पूरा खोल दिया, जब भी चोदते है आप पूरा अंदर तक खोल देते है।
पंडित-चल रंडी अब जल्दी कर इसे ठंडा कर, तेरी बड़ी ठकुराइन बाहर इंतज़ार कर रही है, (ये बोलकर पंडित बेड पर बैठ जाता है, और अपनी टाँगे चोड़ी कर लेता है, उसका 11 इंची मूसल लोहे का छड़ बना हुआ छत की और मुंह करके खड़ा था, उसका 8-9 इंच लंड चन्दा की चूत के रस से सना हुआ था, सके नीचे उसके भारी टट्टे लटक रहे थे)
चन्दा जल्दी से घुटनों के बल हो जाती है, जैसे ही चूत के लंड मे सने हुए लंड को देखती है तो उसका दिल डर से हिल जाता है, ऐसे बमपिलाट लंड को उसकी चुदेल चूत खा गई थी, वो इतना मोटा लंड खाकर एक बार मन ही मन खुश हो जाती है, अपना एक हाथ बढ़ा कर को पकड़ लेती है, और ऊपर नीचे करने लगती है, और फिर मुंह खोल हुए अपने जीब निकाल कर लंड पर लगे हुए चूत के रस को “सुपड़ सुपड़ लप लप लप” करते हुए चाट लेती है, सबसे पहले चन्दा अपनी जीब से लंड के नीचे से चाटना शुरू करती है, और ऊपर सुपाड़े तक ले जाती है, पंडित की आहे निकाल जाती है, नीचे बैठी हुई चन्दा का मुंह उसके लंड पर था और उसके नीचे चन्दा की दोनों भारी चूचियाँ लटकी हुई आगे पीछे हिल रही थी,
चन्दा लंड से चूत के रस को पूरा चाटने के बाद नशीली आँखों से पंडित की आँखों मे देखते हुए, लंड को दोंनो हाथों से पकड़कर, सुपाड़े पर गोल गोल जीब चलना शुरू कर देती है, और एक कातिल मुस्कान के साथ लंड के सुपाड़े को “गप” की आवाज के साथ मुंह मे भर लेती है,और सुपाड़े को चूसते हुए, दोनों हाथों को मुठियाने लगती है, बीच बीच मे लंड से जो प्री-कम की बूंदे जो आती थी, वो भी चाट खाती थी, और मूत्र छेद मे और उसके आस पास जीब चलाकर पंडित को तड़पाती थी।
लंड को मुंह से बाहर निकाल कर चन्दा ने अपने थूक का लौंदा लिया लंड पर अच्छे से चुपड़ दिया, और लंड को मुंह मे भरकर दोनों हाथों को गोल गोल ऊपर नीचे करते हुए सुपाड़े को जोर जोर से “पक पक सप सप सप” करके चूसने लगी, धीरे धीरे चन्दा ने स्पीड बढ़ दी। पंडित की सिसकारिया उची हो गई थी,
“छप छप छप चप चप चप पक पक पक गो गो गो पुच पुच लप लप लप लप” की आवाज करते हुए चन्दा लंड को जोर जोर से चूसने लगती है (जिसे बाहर बैठी माया सुन लेती है)
पंडित- ये सुनकर चन्दा “पक” की आवाज से लंड के टोपे को अपने मुंह से बाहर निकालती है, और लंड के टोपे पर मूत्र छेद के पास जीब फिरते हुए, मुस्कुराने लगती है।
चन्दा पंडित का आधा लंड अपने चेहरे पर थप थपाते हुए हंद बोलती है- हाए पंडित जी आज माया ना होती तो आपको बिल्कुल ना रोकती, आपको तो पता है मुझे आपका लंड कितना पसंद है,
पंडित- हा मुझे पता है तेरी चूत को मेरा लंड कितना पसंद है इसको भी तेरी गीली फूली हुई चूत बहुत है
ये सुनकर चन्दा रंडी की तरह मुस्कुराने लगती है और लंड को अपने चेहरे रख लेती है, और जीब पूरा बाहर निकाल लेती है, पंडित का मोटा लंबा लंड चन्दा के माथे के ऊपर उसकी सिंदूर लगी हुई मांग को छू रहा था, और चन्दा अपनी लंबी जीब निकाले लंड के नीचले भाग को चाट रही थी, और लंड के नीचे लटकते टट्टो -पर भी जीब फिरा रही थी,
पंडित धीमी आवाज मे बोलता है- ओह चन्दा तू गजब का लंड चुस्ती है रे, आह आह आह चन्दा
चन्दा पंडित का लंड पकड़कर पूरे मुँह पर थप थपाने लगती है, और अपनी जीब बाहर निकालकर कर जीब पर लंड के मोटे सुपाड़े को थप थपाती है, फिर “गप” से वापिस सुपाड़े को मुंह मे भर लेती है, और मुंह को गोल गोल घुमाते हुए, दोनों हाथों से लंड को मुठीयाने लगती है, और मुंह को साथ साथ ऊपर नीचे करने लगती है,
पंडित- आ चन्दा मजा आ गया, साली तुझे लंड सच मे बहुत पसंद है, जी करता है पूरे दिन ऐसे ही तेरे मुंह मे लंड फसाये पड़ा रहु, आह्ह आह्ह आह्ह चन्दा
पंडित को चन्दा पसंद थी, क्युकी वो खुल के चुदाई का आनंद देती थी, चन्दा सुदंर भरे हुए शरीर के साथ साथ बहुत ही गरम औरत थी, और पंडित को ये पता था, पंडित जानता था चन्दा बड़े और मोटे लंडों की प्यासी है और की मर्दों से फसी हुई है, पर चन्दा चुदाई मे बहुत अच्छी थी, बिसपर पर पूरी रंडी बनकर मजा देती थी और लेती भी थी।
चन्दा नीचे बैठी हुई लंड को जबरदस्त चूस रही थी, “चप चप चप पच पच पच पच लप लप लप लप कच कच कच” की आवाजे आ रही थी, चन्दा के मुंह का थूक लंड को पूरा गीला कर चुका था, और चन्दा का काजल बिखर चूका था, चन्दा रह रह कर लंड पर थूक का लौंदा फेक देती फिर एक हाथ से पूरे लंड पर माल देती
चन्दा लंड चुसाई मे आनंद ले रही थी, उससे पता था की लंड चूसने मे कितनी अच्छी है, और मर्दों को उसके लंड की चुसाई कितनी पसंद है, वो इस बात कर गर्व करती थी,
कुछ देर लंड को चूसने के बाद चन्दा ने लंड को हाथ से थाम लिया और नीचे लटके टट्टो की सेव करनी शुरू कर दी, दोनों टट्टो को लालीपाप को जैसे बारी बारी चूसना शुरू कर दिया, चन्दा की जोर की चुसाई की आवाजे “ सप सप सप पुच पुच पुच” कमरे मे गूंज रही थी, दोनों गोटीओ को चन्दा अपने मुंह मे भर लेती और जुबान से सहला देती, जिससे ऊपर से पंडित की “ चन्दा आराम से आह चन्दा” आयाजे निकाल रही थी
बाहर बैठी माया को चन्दा की आवाजे आ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे कोई सुबक रहा हो, माया ठोड़ी घबरा गई, उसने सोच उठकर सुना जाए की क्या हो रहा है, फिर वो सोची ऐसे पंडित जी और चन्दा की आपस की बात सुनना गलत होगा, वो फिर वही दरी पर बैठी रही।
अंदर चंदर अब टट्टो की चुसाई के बाद चन्दा ने पूरे लंड पर जीब ऊपर नीचे रगड़ कर लंड को पूरा चाट लिया, पंडित अपनी सिसकारिया बड़ी मुस्किल से दबा रहा था, वो भी नहीं चाहता था की माया को कुछ भी पता चले, चन्दा ने लंड के सुपाड़े को अब अपने मुंह मे वापस से भर लिया, और एक हाथ से लंड को मुठियाते हुए, वो लंड को अपने मुंह के अंदर जितना हो सके ठूसने लगी, और पंडित भी चन्दा के सिर के पीछे हाथ रखकर उसके मुंह को लंड पर दबा दिया, देखते ही देखते चन्दा से पंडित का 9 इंच लंड निगल लिया। थोड़ी देर चन्दा ने लंड को मुंह के अंदर ही फसाये रखा ताकि मुंह फैलकर जगह बना ले, फिर जब चन्दा का गल रुँध गया उसने लंड को उबकाई के साथ बाहर निकाल लिया, ऐसा उसने की बार किया, थूक की लार पंडित के लंबे लंड के सुपाड़े और चन्दा के होंठों से लगी हुई थी, चन्दा को पता था पंडित अब कुछ ही देर मे झड़ने वाला था, उसका लंड और सख्त हो चल था,
चन्दा ने लंड को मुंह से बाहर निकालते हुए थोड़ा ऊपर हुए पहले अपना मंगलसूत्र पीछे गर्दन पर टिका दिया, और फिर अपनी दोनों मोटी चूचियोंं पर लंड को थप थपाने लगी, लंड के सुपाड़े को वो चूचियोंं के निपल के पास रगड़ दिया, ऐसा उसने थोड़ी देर दोनों चूचियोंं पर किया और फिर गप से लंड को दोनों स्तनों के बीच दबा कर, लंड को मुठियाने लगी, पंडित स्तनों का सपर अपने मोटे लंड पर पाकर होश खो बैठता है, कैसे उसका मोटा लंड चन्दा के स्तनों की घाटियों के बीच रगड़ खा रहा था, जहा थोड़ी देर पहले उसका मंगलसूत्र लटक रहा था, लंड का मोटा सुपाड़ा दोनों स्तनों के बीच निकलता हुआ चन्दा की ठोड़ी पर टकरा रहा था, पंडित अब अपने हाथों से चन्दा के स्तनों को पकड़ लेता है,धीरे धीरे बैठे बैठे अपने चूतड़ों को उठाकर लंड को चन्दा के स्तनों के बीच चन्दा से मुठियाने लगा, उसके लंड का मोटा सुपाड़ा चन्दा के होंठों को रहरहकर छू रहा था, जिसे चन्दा जीब निकालकर चाट रही थी, चन्दा पंडित के मन की मनष समझ गई और अब लंड के सुपाड़े को गप से मुंह मे भर लिया, लंड चूचियोंं के बीच रगड़ खा रहा था और चन्दा सुपाड़े को मुंह खोलकर चूस रही थी,
पंडित के सबर का बांध टूट चुका था, “आह रंडी इतना मजा देती है, साल भीमसिंग के अकेले से तेरी गर्मी शांत कैसे होती होगी” पंडित हुंकार भरता हुआ बोला,
चन्दा- आपको मेरे दूध पसंद है ना
पंडित- हा चन्दा बहुत गदराए हुए है, 2 बच्चों की माँ होने के बाद भी कसे हुए है
चन्दा- आपंके दबाने और चूसने से ही तो ऐसे है ये
पंडित- साली तेरी गर्मी ही इतनी है, निचोड़ लेने के मन करता है ये चूतड़ देख अपने, (बोलकर पंडित एक चपत चूतड़ों पर कस देता है)
चन्दा- आह पंडित जी आराम से
पंडित- साली तू आराम से चोदने का माल नहीं है तेरा पति होता तो दिनभर तुझ पर चढ़ा रहता
चन्दा मन मे सोचती है (आप अकेले चढ़े रहते तो दूसरे क्या करते है) और हस देती है, चन्दा- हा मेरे घोड़े, ये घोड़े जैसा लंड मेरी जैसी घोड़ी के लिए ही तो है। कितना जोश है आपमे इस उम्र मे भी
पंडित- साली उम्र की क्या बात करती है, जवान लौंडों के अंदर भी ऐसा जोश नहीं होगा
चन्दा - पंडित जी आपके लंड की तो मैं कायल हू तबी तो आपसे चुदने चली आती हू, पंडित मुझे आपके मोटे लंबे लंड वीर्य पीना है, दे दीजिए अपना गाढ़ा वीर्य, आह आह पंडित जी
ये बोलकर चन्दा लंड को स्तनों से निकाल लेती है, थूक से चन्दा के दोनों स्तन गीले हो गए थे, उसने पंडित के जोश को समझते हुए लंड को बाहर खीच लिया था , और तपाक से लंड को वापिस मुंह मे भर लिया, और और जोर जोर से लंड को मुंह मे भरकर दोनों हाथों से मुठियाना चालू कर दिया,
पंडित- चन्दा आह आह आह चन्दा ऐसे ही चूस साली
पंडित ने चन्दा का सिर अब दोनों हाथों से पकड़ लिया था और चन्दा का मुंह लंड पर दबा रहा था, पंडित के दोनों चूतड़ भी चन्दा के मुंह मे धक्के लगा रहे थे, तुझे लंड पसंद है मेरा, ले खा लंड, मोटे लंड खाती है तू रंडी ये बोलकर पंडित धक्के मार कर लंड को जितना हो सके चन्दा के मुंह मे ठूसने लगता है, लंड के टट्टे चन्दा की ठोड़ी से थप थप थप टकरा रहे थे, चन्दा की हालत बुरी हो चुकी थी, उसका गला दुखने लगा था, और आखों मे से पानी बह रहा था, पर वो जानती थी अब ये कुछ देर के बात थी,
पंडित- आह साली क्या चूसती है तू ओह ओह ओह मेरा निकालने वाला है चन्दा
चन्दा समज गई थी पंडित का जोश चरम पर है पर वो पानी मुंह के बाहर नहीं गिरना चाहती थी, उसे पता था की साफ करना कितना मुस्किल होगा।
इसलिए उसने लंड पर अपने होंठों की पकड़ तेज करदी और एक हाथ पंडित की जांघ पर और एक हाथ से पंडित के भारी टट्टो को सहलाने लगी है, और दबाने लगती है
पंडित समज गया की चन्दा मुंह मे ही पानी लेना कहती है इससे उसका जोश और बढ़ गया और लंड मुंह मे चोंड़ा होकर फैलने लगा,
पंडित-आह चन्दा आ गया मेरा
आह आह आह आह ओह ओह ओह ओह आआआआआआआ चन्दा बोलकर पंडित अपना लंड जितना हो सके पूरा चन्दा के अंदर ठूस देता है लंड लगभग पूरा 10 इंच तक चन्दा के गले को ढेलता हुआ है अंधार घुस जाता है, चन्दा का गल फूल चुका था, और टट्टे चन्दा ने जितना हो सके दबा कर खीच दिए, टट्टे फूलकर टाइट हो गए, टट्टो से होते हुए वीर्य मूत्र नाली से होता हुए सुपपड़े से सीधा चन्दा के पेट मे गिर रहा था, अब पंडित के वीर्य की लंबी लंबी पीचकारिया चन्दा गटागट पी रही थी, देखते ही देखते पंडित ने वीर्य से चन्दा का पेट भर दिया, और उसके बाद पंडित ने चन्दा के सिर पर पकड़ काम कर ली, चन्दा ने लंड को बाहर खीचना शुरू कर दिया, बच कुचा वीर्य उसने मुंह मे भरकर खा लिया, और सुपाड़े को चूस चूस कर सारा वीर्य मूत्र छेद से चाट लिया
पंडित चुसाई के बाद वापिस बेड पर बैठ गया, उसका लंड अभी भी ठुमके खा रहा था, टट्टे भारी लंड के नीचे लटक रहे थे, चन्दा ऐसा नजारा देखकर पूरी गरम हो गई थी, और चुदाई के लिए तड़प रही थी, पर उसको पता था देर हो चुकी है और बाहर माया इंतज़ार कर रही होगी
पंडित- बहुत मजा आया चन्दा, तुमने खुश कर दिया, पर प्यास नहीं भुजी हमारी तुम्हें कल फिर आना होगा
चन्दा ने पास मे रखे कपड़े से अपना चेहरे पोंछ लिया और अपनी छाती गर्दन को भी साफ कर लिया, चन्दा फटाफट कपड़े डाल रही थी- हा पंडित जी हमने आपको वादा किया है, हम जरूर आएंगे
पंडित भी अपने कपड़े डालकर तैयार हो जाता है, दोनों हल्का हल्का पानी मुंह पर डाल कर बाहर निकलते है,
बाहर के हाथ मे रुद्राक्ष की माल थी, और माया दोनों का इंतज़ार कर रही थी, उसके मंत्र पूरे हो गए थे। माया पंडित और चन्दा को देखती है, पंडित तो वैसे का वैसा ही था, पर चन्दा का काजल हट चुका था, उसका मूँह सूज गया था। होंठों पर लिपीस्टीक उतर गई थी।
पंडित- ठकुराइन तुमने मंत्र पूरे कर लिए ?
माया- हा पंडित जी, चन्दा का उपाय मिला कुछ ?(माया आवाजों के बारे मे पंडित से कुछ नहीं बोली, वो ये पूछकर पंडित का अपमान नहीं करना चाहती थी, इसीलिए वो चुप रही)
पंडित- हा उपाय मिल गया है, दोनों बच्चों के लिए ठोड़ी कठिनाई है, तो कल हवं के लिए छोटी ठकुराइन को आना होगा
माया- ठीक है पंडित जी हम भी आ जाएंगे,
चन्दा- नहीं दीदी आप क्यू परेशां होती है, हम अकेले आ जाएंगे
पंडित- ठकुराइन इसमे सिर्फ माँ का होना जरूरी है, माँ बच्चों का संबंद पवित्र होता हिय, और इसी संबंध को मजबूत करने के लिए सिर्फ माँ का होना जरूरी है
माया- ठीक है, जैसा आप उचित समझे, आप सही रास्ता ही बताएंगे।
चन्दा- हा दीदी, इन्होंने मेरी कुंडली अच्छे खोल कर देख ली हर दिशा और गहराई देखि, और तो पता लगा कुछ दुख और कठिनाई है, इसीलिए उपाय जरूरी है
माया- तू परेशां ना हो पंडित थी सब ठीक कर देंगे, भरोसा रख।
चन्दा- हा दीदी, मुजे पूरा भरोसा है, अब आप जल्दी घर चलिए देर हो रही है, बहू इंतज़ार कर रही होगी (चन्दा जल्दी से बात टाल रही कही कुछ ऐसा ना पूछ ले जिसका जवाब वो ना दे पाए)
माया भी थक चुकी थी, उसने कुछ नहीं बोल और कहा- हा चलो चन्दा, देर हो रही है, बहू पता नहीं अकेली होगी यार उसके बाबू जी आए होंगे या नहीं, ठीक है पंडित थी प्रणाम
चन्दा- प्रणाम पंडित जी
चन्दा अपने चूतड़ हिलाती हुई सीढ़िया उतरने लगती है, उसकी चाल मे लंड खाने के बाद थोड़ी थिरकन थी, और उसकी चूत अभी भी पनिया रही थी।
मंदिर के निकलते ही माया चन्दा से पूछती है- चन्दा ये तेरी छाती के पास क्या लगा है
चन्दा- सकपका जाती है- देखती है की छाती पर पंडित का वीर्य रह गया था, वो वीर्य को उंगली से चाट खाती है, चन्दा बोलती है- वो पंडित ने शहद चखाया था।
माया- अंदर से कैसी कैसी आवाजे आ रहे थे।
चन्दा घबरा जाती है, - कैसी आवाजे दीदी
माया- ऐसा लग रहा था, जैसे कोई बोतल खोल रहा था, अंदर तो कोई बोतल भी नहीं है ऐसी
चन्दा को याद आता है की पंडित का मोटा लंड चूत चोदी करके जब बाहर निकला था तो “पक” आवाज गूंज उठी थी, वो बोली- अरे दीदी बताया तो शहद चखा था, उसी की बोतल थी,
माया- और जो छप छप की आवाजे आ रही थी वो क्या था
चन्दा- दीदी वो शहद थोड़ा मेरे से लग कर जमीन पर गिर गया था। मैं पोचे से साफ कर रही थी, वो पोचे की आवाज ही होगी
माया- तू भी पंडित जी का काम बढ़ाती है,
चन्दा- (मन मे काम तो मेरा बढ़ा दिया उन्होंने,) उसको लग गया माया बहुत कुछ पूछेगी तो वो कहनी बनाकर बोलती है- अरे दीदी वो तो बहुत अच्छे है मेरी कुंडली देखकर पता लगा तो बोले गुड़िया पर मुसीबत कर साया है, गुड़िया की सोच मुझे बाद रोना आ गया मैं वही रोने लग गई, पंडित जी बड़ी मुस्किल से छुप कराया, फिर वही एक चोटी सी क्रिया करके मुझे अपना साहड़ खिला दिया, सच बाद मीठा शहद था मई तो सारा रोना भूल गई दीदी
माया- अच्छा तभी तेरे रोने की और सिसकने की आवाजे आ रही थी
चन्दा सोची बच गई आज तो, पंडित अगर पूरी चुदाई कर देते तो मेरी हालत कुछ और ही होनी थी और मैं माया को कुछ बोल भी नहीं पाती- हा दीदी आपको क्या लगा
माया- नहीं मुझे कुछ नहीं लगा, मैं तो परेशां हो गई थी तेरे लिए, एक तो तेरी कुंडली मे मुसीबत बताई पंडित जी ने और ऊपर से तू भी रो भी रही थी
चन्दा- हा पंडित जी मेरा बहुत होसला बँधाया अंदर, (मुसीबत तो खड़ी हो गई मेरे लिए, एक तो पंडित मेरी चुदाई करे बिना छोड़ेगा नहीं और दूसरा वो साल कंचन की चूत के पीछे भी है)
माया- तू चिंता ना कर सब ठीक होगा चन्दा
चन्दा- हा दीदी, चलो अब घर चलते है।
बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।
पंडित और चन्दा का पात्र मैंने बहुत मन से बनाया है, इन दोनों पात्रो की बहुत महटवपूर्ण भूमिका होगी, मुझे बहुत अच्छा लगा आपको दोनों के किरदार पसंद आए।wah wah wah
Kitna lenghty aur eritic se bharpoor update tha.Pndit aur chanda ka chamatkari update tha.bahut pani gadaar but imagination mein Agar Agar chanda ki jagah kanchan aur
pandit ki jagah kanchan ke bap hote to Bahut hi Erotic kamuk ashleelta se bharpoor update hota. Waise jitni aapki tarif ki jaay utna kam hai.
सही है सर ,अपडेट भी बहुत ही जबरदस्त था । कहानी की मूल नायक कंचन से कहानी दूर चल रही है ।आपकी अपडेट की लेंथ बहुत अच्छी होती है ।स्टोरी का हर कैरक्टर का स्वरूप अपने आपमें में बेजोड़ है ।लेकिन हम भी कंचन की जवानी को उसके पिता द्वारा नोचते,खसोटते,चूसते,चाटते हुए देखना चाहते हैं।जैसा कंचन के ससुर ने कंचन की जवानी लुफ्त उठाया,उसी तरह से उसके पिता द्वारा लम्बे लम्बे सेक्स सीन को संस्कारी बेटी के रूप में चुदते हुए देखना चाहते है।पंडित और चन्दा का पात्र मैंने बहुत मन से बनाया है, इन दोनों पात्रो की बहुत महटवपूर्ण भूमिका होगी, मुझे बहुत अच्छा लगा आपको दोनों के किरदार पसंद आए।
कहानी बिलकुल भी भटक नहीं रही है, ये सही है कहानी में हीरो होता है पर खलनायक भी तो होता है. अप्डेट २० में ये दिखाना था पंडित और चंदा का पात्र कैसा है, अपनी कामवासना को मंदिर की पूजा के समय भी रोक नहीं पाए. की उन्हें किसी भी भी चिंता नहीं है उनकी अपनी योजानाए और षड्यंत्र है जिन्हें वो कुछ भी करके सफल करना चाहते हैसही है सर ,अपडेट भी बहुत ही जबरदस्त था । कहानी की मूल नायक कंचन से कहानी दूर चल रही है ।आपकी अपडेट की लेंथ बहुत अच्छी होती है ।स्टोरी का हर कैरक्टर का स्वरूप अपने आपमें में बेजोड़ है ।लेकिन हम भी कंचन की जवानी को उसके पिता द्वारा नोचते,खसोटते,चूसते,चाटते हुए देखना चाहते हैं।जैसा कंचन के ससुर ने कंचन की जवानी लुफ्त उठाया,उसी तरह से उसके पिता द्वारा लम्बे लम्बे सेक्स सीन को संस्कारी बेटी के रूप में चुदते हुए देखना चाहते है।
इस फोरम की सबसे बेहतरीन थ्रेड है
अगले अपडेट इंतज़ार है ।