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अपडेट- 39………


सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥

सीन भाग- मनोहर पंडित और शैतान की पूजा


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रात गुलाबी…….


पिछले भाग मे।।

इस तरह मनोहर का सपना बस अधूरा बन कर रह गया और उसने अपनी पिछले जनम की ज़िंदगी कांचन की याद मे बिताई, क्यू की वो शैतान को अपनी मानवता और ज़िंदगी दे चुका था, उसकी आत्मा भी उसी दर्द मे घूमती रही थी। और 50 की उम्र मे ही उसकी मौत हो गई थी। मनोहर को आज भी शैतान का प्लान नहीं पता था, उसको लगा था की वो बच्चा उसका और कंचन का है, पर सच्चाई ये थी वो बच्चा शैतान का था।

अब आगे।।

गतिशील सीन

शैतान- पंडित इतनी भी क्या जल्दी है थोड़ा बातचीत कर लो ये तुम्हारा दोस्त कौन है इनसे नहीं मिलाओगे हमे (ये बोलकर शैतान थोड़ा मुस्कुरा पडा, इसके पीछे शैतान की एक चाल थी)

पंडित- ये मेरा साथी, मेरा भाई देस पांडे है, विधि के अनुसार दो लोगों की जरूरत थी तो मैं इसे लेकर आया हु

(शैतान एक कुटिल मुस्कान के साथ बोल, जिसके उसके बड़े खूनी दांत दिखने लगे)- ये तो तुमने बहुत अच्छा किया मनोहर, दिखने मे देस पांडे बहुत तेजस्वी लगता है, क्यू देस पांडे हम सही कह रहे है

मनोहर पंडित पांडे की और देखता है, और बोलने का इशारा करता है, अभी तक पांडे बहुत चकित और डरा हुआ था शैतान देखने मे बहुत डरावना था, उसकी एक झलक अच्छे अच्छों की पतलून गीली कर सकती थी, ऐसा दानवी रूप और ऐसा वातावरण देखकर उसके उसके गले से आवाज जैसे खतम हो गई थी। फिर भी पंडित को देखकर उसको थोड़ा साहस आया

और पांडे दर्ता हुआ लड़खड़ाती हुई आवाज मे बोला - जी जी महराज

शैतान- अरे देस पांडे हम महसूस कर रहे है तुम डर रहे हो, तुम हमारे मेहमान हो तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है

पांडे- क्या क्या , नहीं नहीं महाराज ऐसी कोई बात नहीं है

शैतान- ऐसा होना किसी भी इंसान के लिए सावभाविक है, कोई भी पहली बार आता है और इस जगह को देखता है उसके साथ ऐसा ही होता है, पर हम तुम्हें अपनी जबान देते है तुम हमारे मेहमान हो खुलकर बात कर सकते हो

ये सुनकर पांडे थोड़ा नॉर्मल हो गया, ठीक है महराज, आपकी मेहमान ना का बहुत बहुत शुक्रिया, आपकी मेहमानवाजी बहुत बड़िया है, और आपका महल बहुत सुंदर है।

शैतान ये सुनकर हल्का सा मुस्कुरा दिया उसकी खोपड़ी जैसे मुंह के बड़े बड़े खूनी दांत दिखने लगे और काली खोखली आँखों से हल्की आग की लपटे दिखने लगी।

शैतान बोलता है- ठीक है अब तुम दोनों को मैं अपने मे बताता मेरा नाम मृत्युदेव है मैं दानवदेवता हु, मैं भी कभी मानव था और बहुत समय पहले मुझे इस दुनिया मे कैद करके इसको संभालने के लिए कहा गया था। और तबसे ही मैं इस जगह को संभाल रहा हु, मेरा रूप तुम्हें भयभीत कर रहा होगा, मैं तुम्हारे लिए अपने मानवी रूप मे अअ जाता हु।

ये कहते ही दानवदेवता के चारों और आग का गोला बन उठता है एक मानवी रूप मे आ जाता है, एक सुंदर बलवानी रूप मे, जो 6 फुट अच्छा खासा मर्दाना शरीर था, चेहरा बहुत ही सुंदर था, काली बड़ी बड़ी आंखे जिनके अंदर से लाल रंग की झलक थी, चोंडा लंबा चेहरा चोड़े कंधे और गहरे काले बाल, और मांसल भरे हुए हाथ और पैर। दिखने मे साफ बहुत ही शक्तिशाली था। उसके चेहरे मात्र से एक सम्मोहित करने वाली ऊर्जा निकल रही थी।

पंडित और पांडे दोनों दानवदेव के रूप को देख कर चोंक जाते है और कुछ हद तक सहज महसूस करते है, क्यू की अब तक शैतान का रूप बहु ही डरावना था वो रूप बदलकर अब सुंदर और आकर्षक हो गया था।

दानवदेवता- अब ठीक है तुम्हारे लिए, अब हम आराम से बात कर सकते है। बताओ पंडित क्या चाहिए तुम्हें इस बार, मुझे अंदेशा है की तुम कुछ बड़ा मांगना चाहते हो

पंडित- हा महाराज, आपको तो पता है मैं कंचन को कितना चाहता हु, पर वो एक देवी का रूप है और उसको पाने के लिए मुझे आपकी सहायता चाहिए

दानवदेवता- पंडित तुमने बलि इतनी बड़ी दी है, तुम्हारी सभी बाते मानी जाएंगी, बताओ हम क्या कर सकते है।

पंडित- मैं चाहता हु की आपके यहा के जीव और दानवों मेरी बात माने, और और.. बोलकर पंडित चुप हो जाता है

पांडे पंडित को और देख रहा था, वो देख रहा था की पंडित भी शैतान के आगे हिककिचा रहा है।

दानवदेवता- खुल कर बोलो पंडित, हमे पता है तुम क्या मांगना चाहते हो, और हम जानते की उसकी आवशक्यता भी पड़ सकती है, (ये बोलकर शैतान मुस्कुरा पड़ा, क्यू की उसकी ये सब चाल थी, जिसमे पंडित और पांडे फसते जा रहे थे)

पंडित- और आपकी शक्तीया की भी जरूरत पड सकती है तो वो भी चाहिए होंगी, आपको तो पता है पिछले बार क्या हुआ था। उसी की वजह से इस बार हमे सफल होने के लिए सब कुछ करना होगा

ये सुनकर पांडे हैरत मे पड़ जाता है, उसे पिछले जनम के बारे मे कुछ नहीं पता था, और वो बस चुपचाप पंडित और शैतान की बातो को सुन रहा था।

शैतान मुस्कुरा कर बोलता है- तुम सही कह रहे हो पंडित, पर मेरी शक्तियों को पाने का मतलब तुम्हें पता ही होगा

पंडित- जी महाराज, मुझे पता है, मेरी आत्मा और शरीर पर आप कभी भी काबू कर सकते है, और मरने के बाद 500 साल तक मुझे इस दुनिया मे आपका गुलाम रहना पड़ेगा

ये सुनकर पांडे चौक जाता है उसको नहीं पता था की पंडित इतना बाद बलिदान देने को तैयार है, उसका मन बैठ जाता है और उसके दिमाग मे आता है की वो लड़की “कंचन“ उस्ताद के लिए कितनी जरूरी होगी, कितना प्यार होगा

बीच मे दानवदेव और पंडित अपनी बात कर रहे होते है

शैतान- तो पंडित तुमको पता है सब, और तुम इस बलि के लिए पूरी तरह से तैयार भी हो।

पंडित- एक बात और महाराज, मुझे आपके सभी दानवों और प्राणियों पर काबू रखने वाली शक्ति भी चाहिए, मुझे इनका बल और शक्ति चाहिए जिससे मैं अपने काम मे कामयाब हो सकु

शैतान- तुम्हें मिल जाएगी, जैसे ही तुम्हें मेरी शक्तीय मिलेंगी तुम सब प्राणियों और दानवों को काबू कर पाओगे, पर तुम्हारा शरीर एक मानव का शरीर नहीं रहेगा तुम खुद एक दानव बन जाओगे, तुम काभी इंसानी बच्चों को जनम नहीं दे पाओगे, इंसानी ज़िंदगी तुम्हें फिर काभी रास नहीं आएगी, तुम्हें हमेशा इंसानी खून की तलब रहेगी, एक दानव की तरह मानवों के प्रति तुम्हारा व्यवहार होगा, क्या तुम सच मे यही चाहते हो

पंडित- हा महाराज मुझे मंजूर है मैं यही चाहता हु

शैतान- ठीक है पंडित तुम्हे मेरी शक्तीया मिल जाएंगी, पहले तुम्हारे साथी से भी पूछ ले की इसे क्या चाहिए, क्यों पांडे बताओ तुम्हारी क्या इच्छा है

पांडे अभी तक दानवदेव और पंडित की बाते सुन रहा था पर पांडे अपना नाम सुनकर जैसे नींद से जाग गयाा,- जी जी महाराज मैं मैं

शैतान थोड़ा मुसकुराता है और बोलत है- हा तुम, बकरी की तरह क्यू मिमियाँ रहे हो, हम तीनों के अलावा इधर और नहीं है

पांडे- वो महाराज, मैं भी आपसे कुछ मांगना चाहता हु।

शैतान- हा पांडे तुमने भी बलि दी है अपने हाथ की बताओ क्या चाहते हो तुम, हम जरूर पूरा करेंगे

पांडे शैतानी दुनिया के प्राणियों और औरतों को देखकर बहक गया था, उसे भी उनकी अपार शक्ति चाहिए थी, वो मानव जैसे कमजोर शरीर से बढ़कर कुछ चाहता था।

पांडे- जी मुझे यहा के प्राणियों की अपार बलवान बनना है, और इनकी तरह तेज, फुर्तीला और खूंखार बनना है।

शैतान- तुम्हें भी एक बार हम बता दे की तुम्हें ये मिल जाएगा पर तुम्हारी मानवता से तुम हाथ धो बैठोगे, क्या तुम इसके लिए तैयार हो ?

पांडे बीजईझक बोल पड़ता है, हा महाराज, मैं तैयार हु, पूरी ज़िंदगी मैंने इस कमजोर शरीर मे बिताई है, मुझे ताकतवर बनना है और शक्ति को पाना है (पांडे की आवाज मे गुरूर के तेवर थे)

शैतान ये देखकर खुश हुआ, उसको उसका प्लान सफल होता नजर आ रहा था।

शैतान- ठीक है पंडित और पांडे मैं तुम दोनों को तुम जो चाहते हो वो दे दूंगा, पहले तुम्हें याद दिलाना चाहता हु की विधि के अनुसार जिस जिस धरती के जीवित प्राणी क रक्त सामग्री मे मिल है उन सबको कुछ ना कुछ दानवी शक्तीय मिलेंगी। तो इस अनुसार तुम्हारे अलावा कुल 12 लोग है जिनको दानवी रूप मिलेगा, और पंडित तुम्हारे पास मेरी शक्तियां होंगी तो तुम किसी भी आदमी की बलि लेकर उसको दानव रूपी बना सकते हो।

पंडित ये सुनकर बोला ठीक है महाराज, पर मैं आपसे पूछना चाहूँगा की इन सभी दानवों और प्राणियों की शक्तियों और काबिलियत का पता मुझे कैसे होगा

शैतान- तुम उसकी चिंता मत करो उसका बंदोबस्त मैं कर दूंगा।

पंडित- ठीक है, महाराज जैसा आप कहे

शैतान- तो क्या तुम दोनों तैयार हो

पंडित और पांडे दोनों साथ मे, जी महाराज

दोनों, पंडित और पांडे की आत्माओ मे से अभी तक सफेद रोशनी निकाल रही थी, जैसे ही दोनों ने शैतान की बातों की हामी भरी, शैतान की आंखे लाल होकर जल उठी, दोनों मे आग निकालने लगी।
और शैतान धीरे धीरे फिर से अपने दानवी रूप मे बदल उठा, उसका वही दानवी रूप, सिर पर सिंग, हड्डी की खोपडी, बड़े बड़े खूनी दांत 15 फुट लंबा शरीर, लाल शरीर जैसे आंग मे दहक रहा हो।

और इसके साथ ही, पंडित और पांडे, दोनों की आत्माओ मे से सफेद रोशनी शैतान के मुंह के अंदर समाने लगी, और शैतान की जैसे आँखों आग से भर उठी और शैतान के शरीर मे से लाल रोशनी निकालने लगी, ऐसा साफ लग रहा था जैसे पंडित और पांडे दोनो की इंसानियत शैतान खा रहा हो.

इधर पंडित और पांडे दोनों को वैसे तो कुछ पता नहीं लग रहा था, क्यू की उनका शरीर तो धरती पर था, पर उसके विचारों मे बदलाव जरूर अअ रहा था, वो अपने मानवता से जुड़े विचारों को भूल रहे थे, समाज से जुड़े बंधनों से दूर हो रहे थे, सभी रिस्तों को भूल रहे थे, एक हैवानियत और गुस्सा उनके विचारों मे भर रहा था।
पर उनको ना जाने कोनसा अजीब सा सुकून मिल रहा था। असल बात ये थी कि उनकी आत्मा का मौत से मिलन हो रहा था, और मौत के मिलने पर मानवता खत्म हो जाती है, सब सामाजिक रिश्तों से नाता टूट जाता है। और यही हो रहा था। अब जब दोनो धरती पर पहुंचेंगे तो उनके पास मानवता को महसूस करने वाला अंग खत्म हो चुका होगा, बस हैवान या कहे दानव बन कर वो धरती पर घूमेंगे।

पंडित और पांडे दोनों, अंदर ही अंदर खुश हो रहे थे की उन्हे अब सबकुछ मिल जाएगा, जिनकी उन्हे उम्मीद थी। पर असल मे तो यह शैतान की जीत थी, वो इतनी सदियों से इस दुनिया मे कैद था उसका धरती पर का करने का सपना जल्द ही पूरा होने वाला था।


कुछ ही पलों मे, शैतान के अंदर दोनों आत्माओ की सफेद रोशनी समय गई, और फिर शैतान ने अपने दाय हाथ की छड़ी को हवा मे उठाकर दोनों की और किया, तो पंडित और पांडे दोनों मे एक अजीब सी लाल रंग की समाती जा रही थी, दोनों को अपनी अंदर एक अल si ऊर्जा शक और हल्का दर्द जैसा अनुब हो रहा था। और जैसे ही ऐसा होना खतम हुआ, शैतान के सीने मे से एक काली रंग की जादुई तिलसम उड़ कर पंडित के सीने मे समा गई।

अब दोनों की आतमाये दानवी रूप मे आ चुकी थी, और शैतान का काम पूरा हो चुका था।

शैतान- पंडित और पांडे, मैंने तुम्हारी इच्छाओ की पूर्ति कर दी है, परंतु तुम्हारा काम सफल हो इस ब को पक्का करने के लिए मैं एक कोशिश और करूंगा, तुम मेरी बेटी को अपने साथ लेके जाओगे। वो तुम्हारे हर काम मे साथ देगी और तुम्हें इस दुनिया के दानवों और प्राणियों के बारे मे भी बताएगी। एक बात और तुम्हारा दानवी रूप सिर्फ रात मे काम करेगा, दिन मे तुम मानव ही रहोगे, पर आधा दानवी बल और शक्ति उस व्यक्त भी रहेगी, पर रात मे तुम्हारी इच्छा से ही दानवी रूप बाहर आ पाएगा, और तुम्हारी शक्तीया इंसान की बलि और खून से और बढ़ जाएंगी।

ये बोलकर शैतान (दानवदेव) फिर से मानवी रूप मे अअ गया। पर अब पंडित और पांडे को कोई डर नहीं लग रहा था, वो खुद को शैतान की दुनिया का ही एक प्राणी महसूस कर पा रहे थे।

शैतान- बाकी तुम्हारा पूरा साथ हमारी बेटी देगी, आओ बेटी, ये हमारी बेटी है, संध्या आओ बेटी।

दानवदेव के इतना कहते ही एक सुंदर सी स्त्री शाही चमकते सुनहरे वस्त्रों मे आई, उसके वस्त्र सोने और आभूषणों से युक्त थे, उसकी त्वचा का रंग हल्का लाल और नीला था, जिसके नयन नक्श बहुत तीखे थे, सूरमे वाली आंखे काली बड़ी बड़ी, सुंदर काले खुले बाल, नायक मे बाली, लंबी गार्डन, रसीले मोठे होंठ। बड़े चोड़े कंधे, भारी मोटे स्तन जो हर कदम के साथ थिरक रहे थे, पतली कमर से लगे हुए उसके मोटे गोल उठे हुए कूल्हे बहुत ही मादक लग रहे थे। वो एक लंबी चोड़ी दानवी थी पर कुछ कुछ मानव जैसी भी लग रही थी, उसका दानवी रूप मे कद 6.5 फुट जितना था, और उसका शरीर उतना ही ज्यादा कद के हिसाब से फैला हुआ था, उसके स्तन और कूल्हे उतने ही ज्यादा भरे हुए थे। फिर भी उसकी सुंदरता देखते ही बनती थी,


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संध्या को देखते ही पंडित और पांडे मंत्रमुगद हो गए थे, पांडे का तो ईमान डॉल गया था उसने आजतक इतनी सुंदर स्त्री नहीं देखि थी। पांडे का मन जैसे उस पर आ गया था, उसकी नजर संध्या से हट ही नहीं रही थी।

संध्या ने एक तक नजरे पंडित और पांडे को देखा फिर अपने पिता शैतान को थोड़ा झुक कर बोली- बोलिए पिता जी

शैतान- बेटी जैसा की हमने तुम्हें पहले भी बताया था की तुम्हें धरती पर जाना पड़ेगा, तो आज वही घड़ी आ चुकी है, इनसे मिलो ये है पंडित और पांडे, ये दोनों धरती वासी है, तुम इन दोनों को दानवी शक्तियों का परिचय दोगी और इन्हे मकसद को पूरा करने मे मदद करोगी, और पंडित तुम्हारे पास हमारी शक्तीय होंगी उन्हे संध्या तुम्हें काबू करना सिखाएगी और एक बार तुम्हें शक्तीया प्रयोग मे लानी अअ गई तो तुम इस दुनिया मे से कितने भी दानवों को धरती पर ला सकते हो। और इसको तुम्हारे साथ इसीलिए भेज रहे क्यू की हमे इस पर पूरा भरोसा है, और ये आधी इंसान और दानवी है इसी वजह से सिर्फ ये तुम्हारे साथ जा सकती है। (ये बोलकर शैतान के चेहरे पर हारामी किसम की मुस्कान फैल गई )

पंडित को थोड़ा अजीब लगा की वो अपनी बेटी को क्यू भेज रहा था, पर उसकी मनोकामना पूरी हो चुकी वो बस वापस जाकर कंचन को पाना चाहता था थोड़ा उसके मन डर था संध्या को लेकर, पर उसके लिए थोड़ा अच्छा भी था शैतान की बेटी उसको शैतानी दुनिया की शक्तियों के बारे मे सिखाएगी और राज भी बताएगी। और उसमे उसको पूरा फ़ाएदा ही होगा।

पंडित - ठीक है महाराज जैसा आप कहे

शैतान- मैं तुम्हें अपने मानव नाम बताता हु, जो मेरे दानव बनने से पहले थे, अब तुम मुझे उसी नाम से बुलाना, मेरा नाम है पृथ्वीराज, मेरा ये नाम था क्यू की मैं पृथ्वी पर जनम लेने वाले शुरू के कुछ लोगों मे से था, तो तुम मुझे आज से इस नाम से बुलाना

पंडित- ठीक है, पृथ्वीराज जी, आपका जैसा हुकूम


शैतान- ठीक है तुम तीनों तैयार हो अब जाने के लिए, संध्या, पंडित और पांडे

इधर पांडे, को कुछ सूज ही नहीं रहा था की वो क्या बोले वो बस संध्या को देखे जा रहा था, जो संध्या भी देख रही थी

संध्या- ठीक है पिता जी मैं तैयार हु, पर पहले मैं अपने ठीक वस्त्रों मे तो अअ जाऊ (ये बोलकर वो पंडित और पांडे की तरफ देखती है और एक कामिनी मुस्कान उसके रसीले होंठों पर फैल जाती है। और वो अपने शाही वस्त्रों को बड़ी कामुकता से उतारने लगती है। देखते ही देखते वो सिर्फ अपने स्तनों और जांघों को ढकने वाले एक सुनहरे सोने के रंग के वस्त्र मे आ जाती है, और उसके बाद वो अपना रूप बदलकर मानवी रूप मे जैसे ही आती है तो पंडित और पांडे, दोनों के होश उड़ जाते है, वो एक आती काउक स्त्री के रूप मे आ चुकी थी, उसका कद अब 5 फुट 8 इंच का हो चुका था, और उसका शरीर भी उसके हिसाब से ढल चुका था। उसके बाद संध्या ने अपने बदन पर एक काले रंग का गहरा चोगा डाल लिया, जिससे उसका उसका सिर से लेके पाव तक पूरा बदन धक चुका था।

शैतान अपनी बेटी की चाल को समझ जाता है, और पंडित और पांडे के चेहरो देखकर खुश हो जाता है। वो मन मे सोचता है की उसकी बेटी कितनी तेज है, अभी से दोनों के मन को काबू करने की चाल चल रही थी।

दानवदेव- पंडित और पांडे, दोनों को बाकी छीजे मेरी बेटी समझा देगी, अभी तुम इसके साथ वापिस पहुच जाओ।

शैतान- बेटी अपना खयाल रखना, ये बोलकर शैतान ने पास खड़ी अपनी बेटी को गले से लगा लिया, उसकी बड़ी बाजुओ ने संध्या को कस लिया, संध्या ने भी अपनी बाजुए अपने पिता शैतान की कमर पर कस दी, दोनों की आँखों मे एक बिछड़ जाने को लेकर गम था, की शायद उनका अब मिलन कब होगा।

शैतान- जाओ बेटी, समय बहुत कम है।

संध्या- ठीक है पिता जी

पंडित- चलो पांडे जल्दी चलते है

शैतान- तुम सा इस पोर्टल से चले जाओ जहा से ये थे वही पहुच जाओगे, (शैतान अपने बाई और अपनी छड़ी से एक पोर्टल खोल देता है)

पोर्टल मे से दिखता है की पंडित और पांडे दोनों हवं के पास बेहोस पड़े है, और आग की लपटे उची उची हवा मे उड़ रही है।

आओ तुम सब, संध्या ये बोलती है और अपने हाथ को कुछ गो घुमाती है, और बोलती है ये अब मेरे और तुम दोनों के लिए जाने का रास्ता बन गया है, चलो जल्दी। पंडित और पांडे दोनों हड़बड़ा जाते है, संध्या दोनों का हाथ पकड़ लेती है, और अब वो दोनो दानव थे तो संध्या उनको शैतानी दुनिया मे छू सकती थी।


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संध्या ने काले रंग के चोगे को पहने हुए अपने पिता की और मूड कर नाम आँखों से देखती है और कहती है, अलविदा पिता जी जल्द ही मिलेंगे

शैतान बस नाम आँखों ने उन तीनों को देखते हुए रह जाता है, बस उम्मीद करता है की उसका प्लान सफल होगा।



बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।
 
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Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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to kuch shaktiyo ka laalcha aur kanchan ko pane ke liye pandit ne apni aatma ko bech diya ek tarah se... Lobh, laalach ya kisi ko paane ke liye is kadar bhi log pagal ho jaaye ki apni insaaniyat ko hi taak mein rakh de.... pande aur pandit ne bahot badi kimat chukayi hai...
Lekin yahan faida unlogo ka nahi balki har taraf se us prithviraj ka ho raha tha..
Insaaniyat ki kimat chukake Abhi abhi jo shaktiya mili hai dono ko.. isse wo dono bahot kuch bhi hashil kar sakta hai, lekin planning ke mutabik aakhir mein prithviraj hi raj karne wala hai sab par...
Shayad pande aur pandit ko is baat ka andaza nahi ki wo log kya galti kar ke aaye hai... ab in dono ke galti ka khamiyaza pure maanav jaati ko bhugatna padega...
Usne saitan ne ek aur chaal chhali hai...
is baat ko pukhta karne ke liye ki kahi pandit na-kamyaab na ho jaaye... isliye apni beti ko bhi un dono ke sath bhej di hai madad karne hetu.... aur sath hi Sandhya pande aur pandit ko moh jaal mein fanshake gulam ki tarah planning ko anjam dene wali hai...
Lagta hai is baar wo saitan koi mistake hone chance nahi lena chaahta hai...
....
Khair.... aage bahot twists aur turns aane wale hai story pe..
well.. Shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan... Sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi..

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:
 

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to kuch shaktiyo ka laalcha aur kanchan ko pane ke liye pandit ne apni aatma ko bech diya ek tarah se... Lobh, laalach ya kisi ko paane ke liye is kadar bhi log pagal ho jaaye ki apni insaaniyat ko hi taak mein rakh de.... pande aur pandit ne bahot badi kimat chukayi hai...
Lekin yahan faida unlogo ka nahi balki har taraf se us prithviraj ka ho raha tha..
Insaaniyat ki kimat chukake Abhi abhi jo shaktiya mili hai dono ko.. isse wo dono bahot kuch bhi hashil kar sakta hai, lekin planning ke mutabik aakhir mein prithviraj hi raj karne wala hai sab par...
Shayad pande aur pandit ko is baat ka andaza nahi ki wo log kya galti kar ke aaye hai... ab in dono ke galti ka khamiyaza pure maanav jaati ko bhugatna padega...
Usne saitan ne ek aur chaal chhali hai...
is baat ko pukhta karne ke liye ki kahi pandit na-kamyaab na ho jaaye... isliye apni beti ko bhi un dono ke sath bhej di hai madad karne hetu.... aur sath hi Sandhya pande aur pandit ko moh jaal mein fanshake gulam ki tarah planning ko anjam dene wali hai...
Lagta hai is baar wo saitan koi mistake hone chance nahi lena chaahta hai...
....
Khair.... aage bahot twists aur turns aane wale hai story pe..
well.. Shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan... Sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi..

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:

आपके इतने बेहतरीन revo के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद नैना जी, अब पांडे और पंडित को शक्तियां तो मिल गई है, पर वो आजतक मानव थे उन्हें अपने दानवी रूप पर काबू नही करना आया था।
तो अब क्या होगा वो देखने लायक होगा, आगे के लिए जुड़े रहिए
 

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Iske sing to bakre jaise hai :D
Aankhe mendak jaisi :wooow:

Olle Olle.. Sandhya aunty :baby: ke baal to 100 saal ki budhiya ki tarah pake huye safed hai :D
वो एक दानवी है, अपना रूप रंग बदल सकती है, अपने पिता के जैसे उसके सिंग है। अब बेटी है बाप पर जाएगी।
बाकी आंखो का क्या करे, इंटरनेट पर और कुछ मिला नही।
Laptop ने भी मेहनत करवाई, फोन में लिखना पड़ा
 

prkin

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Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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NICE UPDATE
 
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