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Naina

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yudh ya ladayi mein sabse faidemand wohi rehte hai jo zyada uchayi pe rehkar ladte hai.. Kyunki aise mein unko ek to paryapt cover mil jaate hai, dumsan ki aurr se huye humlo se bache bhi rehte hai aur sath hi zyada uchayi se nazar bhi rakh sakte hai dusman par...
Aaj raat kismat aur ran neeti dono hi mukhiya aur uske logo ka khoob sath de rahi hai...
dhiraj, devsingh aur phulsingh ke kayi log mare, kayi log aahat bhi huye...
Lekin dhiraj haar na maante huye abhi bhi mukhiya ke kile ko gher ke hamla karni koshish kar raha hai, par gaur talab baat ye hai ki yahan mukhiya yahin chahta hai dhiraj ya devsingh ya phoolsingh goliya chalaye.... aur unki chupi jagah ke bare mein pata chal jaaye... taaki counter attack karke un teeno kaam tamaam kar sake..

Wohi dusri taraf pandit aur Pandey abhi ke liye to behosh hai, lekin hosh mein aate hi jaane kounsa kahar barshaye... kyunki wo dono ab insaan nahi rahe... upar se un dono ke sath Sandhya bhi hai...
Well shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi..
mukhiya aur dhiraj ke bich jo goli bari ho rahi hai iska natiza kya hoga?

Pandit, Pandey aur Sandhya jaane aage kya khel khele...

Kya wo saitan apne mansoobo mein kamyaab ho jayega?

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:

......
Waise sach bolu to us kanchan uske sasural walo ki aisi ki taisi ho jaaye to dil ko sukun mile :roflol:
 
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Aaj raat kismat aur ran neeti dono hi mukhiya aur uske logo ka khoob sath de rahi hai...
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Wohi dusri taraf pandit aur Pandey abhi ke liye to behosh hai, lekin hosh mein aate hi jaane kounsa kahar barshaye... kyunki wo dono ab insaan nahi rahe... upar se un dono ke sath Sandhya bhi hai...
Well shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi..
mukhiya aur dhiraj ke bich jo goli bari ho rahi hai iska natiza kya hoga?

Pandit, Pandey aur Sandhya jaane aage kya khel khele...

Kya wo saitan apne mansoobo mein kamyaab ho jayega?

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:

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Waise sach bolu to us kanchan uske sasural walo ki aisi ki taisi ho jaaye to dil ko sukun mile :roflol:

Bahut bahut dhanyawad aapke revo ke lie, agle 2 update me fight scene khatam ho jaaega, uske baad sasural ki taraf Chalenge :redface:

Waise sach bolu to us kanchan uske sasural walo ki aisi ki taisi ho jaaye to dil ko sukun mile :roflol:
Aisa ho sakta hai :D: par dekhte hai kya hota hai
 

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Bahut bahut dhanyawad aapke revo ke lie, agle 2 update me fight scene khatam ho jaaega, uske baad sasural ki taraf Chalenge :redface:


Aisa ho sakta hai :D: par dekhte hai kya hota hai
Intezaar agle update ke liye....
 

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अपडेट- 41………



सीन भाग- करो या मरो

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पिछले भाग मे।।



मुखिया चिमनी में बैठ हुआ सही वक्त का इंतज़ार कर रहा की कब धीरज और दोनो ठाकुर, अपनी छुपी हुई जगह से गोली चलाए और वो उनको खत्म करे, उसे पता था, अब धीरज को और बाकी दोनो को लड़ाई में उतरना पड़ेगा, वो चिमनी में लेता हुआ, अपने चेहरे पर पसीने को बहते हुए महसूस कर रहा था, भारी बमबारी, दर्द भरी चीखो और दहकती आग के बीच उसे सिरफ अपने दिल की धड़कने सुनाई दे रही थी।

वो लंबी लंबी साँसों के साथ, अगले पलों का इंतज़ार कर रहा था।



अब आगे।।

गतिशील सीन :-


मुखिया चिमनी में बैठा हुआ आग की लपटों के बीच से लड़ते हुए पुलिसवालों और अपने गुंडों को देख रहा था, कुछ सिपाहियों ने पेड़ के पीछे छिपते हुए अपनी जगह बना ली थी और वो सब वहाँ से गोलियां चला रहे थे।

पर उसे पता था की जब तक पीछे बैठे छुपे हुए स्नाइपर को वो मार नहीं देते खतरा नहीं टलेगा। वो धीरज, फूल सिंह और देवसिंघ के बाहर आने का इंतज़ार कर रहा था, और उसे पता था अब उसका पलड़ा भारी था।



पर धीरज इस ओर एक मंझा हुआ खिलाड़ी था, उसे ऐसे खतरों का तजुर्बा था, बेशक उसे अब आग के पार गोलियां चलाने में और निशाना लगाने में मुस्किल होगी, क्यू की आप रोशनी की तरफ निशाना नहीं लगा सकते। पर उसके पास एक प्लान था।



उसने फूलसिंह और देवसिंघ को इशारा किया और कहा- फूलसिंह जो की सबसे बाहिने तरफ था, झाड़ियों के बीच नीचे लेता हुआ था।, उसको रेडियो पर कहा।



धीरज- फूलसिंह तुम सबसे पहले फायर करोगे, तुम्हें दीवार के ऊपर दो लोग खड़े हुए दिख रहे है ?

(समीर और विशाल, दोनो अब कोठी की दीवार पर खड़े होकर गोलियां चल रहे थे)

फूलसिंह- मुझे दो लोग दिख रहे है, दाहिने और बहिने तरफ।

धीरज- बिल्कुल सही, तुम्हें और देवसिंघ को एक- एक करके गोलियां चालानी है, सबसे पहले तुम चालान उसके बाद देवसिंघ चलाएगा, जब दीवार पर खड़े दोनो लोग गिर जाए, उसके बाद छुपकर मेरे इशारे का इंतज़ार करना।

फूलसिंह, देवसिंघ साथ में- जी इन्स्पेक्टर साब समझ गए।

इधर समीर और विशाल दोनो बेखबर होकर गोलियां चला रहे थे, उनके पास AK-47 थी, जिनसे वो लगातार गोलियां चलाए जा रहे थे।


आग की दूसरी तरफ फूलसिंह और देवसिंघ, दोनो ने अपनी स्नाइपर बंदूकों में गोलियां भर ली। दोनो की बंदूकों में 5-5 गोलियां भर जा सकती थी और धीरज की बंदूक में 8 गोली। दाहिने तरफ धीरज दीवार के ऊपर समीर और विशाल को देख रहा था। उसने फूलसिंह और देवसिंघ को पहले गोली चलाने को कहा ताकि अगर कोई छिपकर गोली चलाने वाला हो तो उसका पता चल जाए।


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फूलसिंह और देवसिंघ ने आपस में एक दूसरे की तरफ देखा, पहली गोली फूलसिंह चलाने वाला था तो उसने देवसिंघ को इशारे से समीर की तरफ निशान लगा को बोला

फूलसिंह ने लंबी सांस भारी और स्नाइपर के स्कोप में से समीर को निशाने में लाने लगा, रात के अंधेरे में और आग के उस पार निशाना बहुत धुंदला रहा था, ऊपर से निशाना बहुत दूर था उसका स्कोप इतनी दूर का निशाना साफ नहीं दिखा रहा था, उसने फिर भी साहस बांधते हुए समीर की छाती पर निशाना बांधा, ऐसा ही देवसिंघ ने भी किया, क्लिक-क्लाक की आवाज के साथ, दोनो ने गहरी सांस भरी और पहली गोली फूलसिंह ने चलाई।

"बम्ब " की आवाज पूरी जगह में गूंज उठी, (फूलसिंह और देवसिंघ ठाकुर थे, उनके पास शिकार में काम आने वाली स्नाइपर बंदूनके थी, जो की आवाज करती थी)

स्नाइपर बंदूक की गोली हवा की चीरती हुई, आग के बीच में से होती हुई, समीर के बाई हाथ की बाजू के पास से निकाल गई, जिसे उनसे महसूस किया पर ध्यान नहीं दिया, ऊपर से मुखिया ने चिमनी में स्नाइपर बंदूक से निकली रोशनी को पहचान लिया, और वहाँ पर अपनी बंदूक से देखने लगा। पर इंटने में ही।।

चुकी फूलसिंह चूक गया था, तो अब बारी देवसिंघ की थी, उसने भी अपनी बंदूक से एक गोली चलाई “बम्ब” की आवाज के साथ गोली चीरती हुई गई, पर समीर की छाती में न लगते हुए गोली उसकी बंदूक से जा लागि और समीर के हाथ से उसकी बंदूक छूट गई। इससे पहले की वो संभाल पाता, एक और गोली फूलसिंह ने चल दी पर इस बार निशाना उसका चुका नहीं, गोली उसके सीने पर कंधे के पास लागि, और वो जमीन पर गिर पड़ा। स्नाइपर की गोली बड़ी होती है, गोली की वजह से कंधे के पास से बाजू एक दम उखाड़ सा गया था, खून बहुत तेजी से बह रहा था।

ऐसा बहुत जल्दी हुई, मुखिया को बस इतना पता लगा की दो स्नाइपर है जो छिपे हुए है, जिसमे से उसे एक की जगह का पता लग गया था। पर उसने समझदार se काम लेते हुए, विशाल को रेडियो पर बोलने की सोची पर, पर विशाल को शॉक लगा था, उसने जब देखा की समीर को गोली लगी है और वो जमीन पर पड़ा खून बहा रहा है, तो उसका कुछ समय के लिए दिमाग काम करना बंद कर दिया, क्यू की समीर उसके लिए एक छोटे भाई की तरह था, पर मुखिया ने जब 2-3 बार जोर से चिलाया तो विशाल अपने होश में वापिस आ गया।

मुखिया- विहसाल, विशाल, विशाल..

विशाल- जी सरदार

मुखिया- जल्दी से मिसल लोड करो और जहा से गोली चली है वहाँ पर फायर कर दो

विशाल- पर सरदार इतनी दूर कैसे फायर होगा

मुखिया- जितना हो सके करो।

विशाल ने बंदूक छोड़ फिर से जल्दी से मिसल लोर्न्चर में मिसल भरा, और दीवार के पास जाकर मिसल चलाना चाहा, जैसे ही वो दीवार के पास गया फूलसिंह और देवसीग उसके लिए तैयार थे, फूलसिंह ने गोली चलाई और एक गोली फिर से उड़कर मिसल लोर्न्चर पर लग पड़ी।

( धीरज को दिख गया था की वो मिसल उनपर फायर करना चाहता है, पर उसकी जान में जान अा गई ये देखकर की लोर्न्चर विशाल के हाथ से छूट गया है )

और मिसल लोर्न्चर विशाल के हाथ से छूट कर दूर जा पड़ा, और उसमे धीरे धीरे आग लगने लग गई।

पर विशाल ने समय न गवाते हुए जल्दी से समीर का मिसल लोर्न्चर उठाया और उसमे मिसल भरकर दीवार की तरफ गया, और इस बार गोली लगने की परवाह न करते हुए उसने जहा से स्नाइपर गोली चली उस तरफ उसने फायर कर दिया।

दूसरे फायर का धीरज और दोनो ठाकुरों को अंदाजा नहीं था, मिसल सीधा तीनों जहा छिपे हुए थे, उसके 15 फुट जाकर लागि, और सब जगह आग फैल गई, धमाका इतना तेज था की तीनों 2 फुट जाकर गिर पड़े। आग की लपटे हर जगह फैल गई और रोशनी हो गई, तीनों अभी संभले नहीं थे, और आग थोड़ी सी कम हुई।

बाकी पुलिसवाले और गाँव वाले जो अभी तक चिप कर कोठी के पास लड़ रहे थे, वो भी घबरा गए क्यू की वह धीरज छिपा हुआ था और अगर वो मारा गया तो ये सारी लड़ाई और मुठभेड़ व्यर्थ चली जाएगी।

जिससे तीनों की जगह छिपे हुए मुखिया को दिख गई। मुखिया ने अब समय न गवाते हुए। अपनी बंदूक से निशाना लगाया, और सबसे पहले उसने फूलसिंह के ऊपर निशान साधा क्यू की सबसे पहली जगह उसकी ही पता चली थी।

मुखिया की बंदूक में एक बारी में 12 गोलिया चलती और वो पहले ही तैयार था, फूलसिंह थोड़ा स घायल हो चुका था और कमर के बाल पेड़ का सहारा लेकर बैठा था, और उसकी नजर देवसिंघ के ऊपर थी जो की पेट के पड़ा हुआ था, उसकी साँसे चल रही थी पर वो हिल नहीं पा रहा था, शायद उसे भी चोट लगी थी।

मुखिया ने समय न गवाते हुए जल्दी से लंबी सांस भरी और गोली चला दी। गोली चलते ही धीरज जो अभी तक मुस्किल से संभला हुआ था, उसे होश नहीं था, उसके सीने में डर की लहर दौड़ पड़ी, और गोली हवा को चीरती हुई, सीधा फूलसिंह के सीने में जा लागि, और फूलसिंह ने वही दम तोड़ दिया।

धीरज ने देखा की क्या हुआ है, उसने सबसे पहले देखा और अंदाज लगाया गोली कोठी के छत के ऊपर बनी चिमनी से आई है, और फुर्ती दिखई और भागकर देवसिंघ को लपक लिया, मुखिया ने तेजी दिखाते हुए 2 गोलियां और चल दी, पर धीरज बिल्ली की तरह तेज था और जहा वो पहले छिपा था उसके पीछे एक बड़ी चट्टान के पीछे जाकर छिप गया।

अब विशाल ने वापिस एक मिसल लोर्न्चर में missile भरने के सोची और एक और missile लेने के लिए दीवार के साथ लगे हथियाओ के बक्से में missile निकालने ही वाला होता है की एक धमाका छत पर हो जाता है। और धमाका इतना बड़ा था की पूरी छत पर आग लग और चिमनी तक भी आग पहुँच गई, मुखिया के कपड़े जल उठे थे।


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धमाके का कारण था, गोली लगे हुए missile launcher का, वो पहले ही जल रहा था और उसमे जो missile थी वो फट गई। और मुखिया का सारा प्लान लगभग फेल होता लगा।

धामके के बाद विशाल को भारी चोट आई थी, और वो उठने के लायक नहीं था। उसके कानों में धमाके की झन्नाहट थी, और बाकी उसके साथी गुंडे जो की नीचे लड़ रहे वो इस धमाके से घबरा गए क्यू की उन्हे पता था, मुखिया और विशाल दोनो छत पर है।

विशाल दर्द से हल्के हल्के करहा रहा था उसे लगा की उसकी अंतिम घड़ी आ गई है, उसने दीवार के पास समीर को पड़े पड़े तड़पते हुए देखा था।

समीर- विशाल भाई, भाई तुम्हें चोट आई है क्या, बोलो कुछ बोलते क्यू नहीं

इधर विशाल के कानों में धमाके के बाद आवाज नहीं जा रही थी, उसके कानों में से खून निकाल रहा था, और उसका चेहरा पूरा काला हो चुका था।

समीर दर्द के साथ विशाल को पुकार रहा था, पर विशाल उसका जवाब नहीं दे रहा था।

थोड़ी देर बाद जब विशाल को सुनने लगा, पर उसे मालूम था उसकी साँसे रुक रही है, और वो जल्दी ही बेहोश हो जाएगा।

विशाल को समीर की आवाज सुनाई देती है, वो पड़ा पड़ा ही हल्के से मूड कर समीर की तरफ देखता है और मुस्कुरा कर बोलता है

विशाल- अबे क्यू चिल्ला रहा है, तेरी बुआ जग जाएगी, चुप होजा

समीर विशाल के शबाद सुनकर खुश होता है और बोलता है- मेरे चिलाने से ही तेरी फटी हुई है, इधर आजा तेरी सिल देता हु।

ये बोलकर दोनो हस पड़ते है, फिर दोनो की मुंह से कराहट निकलती है “आह इसश “

विशाल देखता है की समीर की हालत भी बेहोशी की है। वो भी खून बहने से जल्द ही बेहोश हो जाएगा। वो धीरे धीरे रेंगता हुआ, समीर की तरफ बढ़ता है। और समीर देखता है की विशाल उसकी तरफ बढ़ रहा है उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान फैल जाती है।

पूरी छत पर आग लगी हुई थी, हल्की हल्की आग की लपटे विशाल के पैरों को छू रही थी। वो धीरे धीरे रेंगते हुए समीर की तरफ बढ़ता है। समीर की आंखे बंद होने वाली थी, पर फिर भी वो अपना दाया हाथ आगे बढ़ा देता है।

विशाल अब कुछ ही दूर था, वो भी अपना दाया हाथ आगे बढ़ा देता है और बोलता है- बहुत अच्छा लड़े मेरे भाई तुम, जिंदा रहे तो फिर मिलेंगे।

(ये बोलकर विशाल समीर का हाथ पकड़ लेता है और समीर मुस्कुरा कर विशाल की तरफ देखता है, और दोनो की आंखे बंद हो जाती है)






बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।

 

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pal pal saanse thama de, aisi thrilling aur action se bharpur update tha, aur sath hi thodi bahot emotional bhi...

Dono pakso ne is goli bari mein tez dimag ka padarshan kiya.... lekin is mamle mein dhiraj sabse aage raha...
niche rehne ke bawjud bhi usne bahot badhiya tarike apni team lead ki.... lekin ye Jung hai, log to marenge hi na dono taraf se... mukhiya ke taraf se kayi maare gaye yahan tak ki vishal aur sameer ki haalat bhi bahot kharab hai... undono ka ab bachna shayad mushkil hai.. dusri taraf dhiraj ke team mein se bhi kayi log mare, yahan tak ki Phool singh ne bhi maut ko gale laga liya...
Waise ye first time hai... jab mein thodi bahot emotional ho gayi jis tarah se in teeno kirdaaro ki mrityu huyi hai..

Btw jab do team ya group ke bich ladayi ho rahi ho aur agar unke leader ko kuch ho jaaye to team ya group ka bikhad jana samnya si baat hai... kyunki lead karne wala insaan hi na raha to lade bhi to kaise... niche aur upar dono taraf missile fat jaane se mukhiya aur dhiraj dono ke group ghabra Gaye the.... I think gaon walo ke liye ye badhiya mauka mila hai mukhiya ke gundo pe tut padne ke liye.. Yaha shart ye hai ki gaon walo pata chal jana chahiye ki unke leaders sahi salamat hai...
fight & action scenes ko bahot hi dilchasp tarike se pesh ki aapne....story pe har mod aur pehlu ke saath sath jis tarah se aise actio scenes create karte hai jishe padh lage ki ankhon ke samne create ho rahi wo fight scenes... Lage ki us story world mein chali gayi hu kuch lamho ke liye, un lamho ko mehsoos kar rahi... yehi to Kamal hai aapki writing skills ka...

Well shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi
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Brilliant update with awesome writing skills :yourock: :yourock:
 
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niche rehne ke bawjud bhi usne bahot badhiya tarike apni team lead ki.... lekin ye Jung hai, log to marenge hi na dono taraf se... mukhiya ke taraf se kayi maare gaye yahan tak ki vishal aur sameer ki haalat bhi bahot kharab hai... undono ka ab bachna shayad mushkil hai.. dusri taraf dhiraj ke team mein se bhi kayi log mare, yahan tak ki Phool singh ne bhi maut ko gale laga liya...
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Btw jab do team ya group ke bich ladayi ho rahi ho aur agar unke leader ko kuch ho jaaye to team ya group ka bikhad jana samnya si baat hai... kyunki lead karne wala insaan hi na raha to lade bhi to kaise... niche aur upar dono taraf missile fat jaane se mukhiya aur dhiraj dono ke group ghabra Gaye the.... I think gaon walo ke liye ye badhiya mauka mila hai mukhiya ke gundo pe tut padne ke liye.. Yaha shart ye hai ki gaon walo pata chal jana chahiye ki unke leaders sahi salamat hai...
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Jude rahiye naina ji, aane wale updates aur bhi kamaal hone waale hai. Waada rhaa.

To be continued....
 
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