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एक भाई की वासना
INDEX
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Superbअपडेट 17
आपने अभी तक पढ़ा..
सूरज ने अपना हाथ आहिस्ता-आहिस्ता रश्मि की जाँघों पर फिराना शुरू कर दिया और उसकी जाँघों को सहलाने लगा।
सूरज का हाथ नीचे उसके घुटनों तक जाता और फिर ऊपर को आ जाता। उसे अपनी बहन की जाँघों पर हाथ फेरने में शायद बहुत ही अच्छा लग रहा था।
मैंने भी महसूस किया कि वो थोड़ा सा ऊपर को उठा और उसने बहुत ही आहिस्ता से रश्मि के गाल की तरफ अपनी मुँह कर बढ़ाया और उसके गोरे-गोरे गाल को चूम लिया।
अब आगे..
मैं यह सब कुछ अपनी अधखुली आँखों से देख रही थी। एक भाई को इस तरह से अपनी बहन के जिस्म से मजे लेते हुए और उसे किस करते हुए देख कर मेरी अपनी चूत भी गीली हो रही थी।
अब मेरा ख्वाहिश हो रही थी कि जल्दी से सूरज अपनी बहन की चूत को छुए लेकिन मुझे लग रहा था कि वो इस हद तक जाने से डर रहा है।
सूरज ने थोड़ा सा ऊपर होकर अब मेरी तरफ देखा और फिर उसका हाथ अपने पजामे की ऊपर से ही अपने खड़े हुए लंड पर चला गया। उसने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को रश्मि की जांघों के साथ रगड़ने लगा।
मेरा दिल कर रहा था कि जल्दी से अपनी चूत को अपने हाथ से सहलाते हुए उसे ठंडा करना शुरू करूँ..
लेकिन मैं सूरज के सामने खुद को एक्सपोज़ करके उसे शर्मिंदा नहीं करना चाहती थी कि उसे पता चले कि उसकी बीवी को पता चल गया है कि वो अपनी ही सग़ी बहन को इस तरह से छू रहा है।
एक बात का मुझे थोड़ा-थोड़ा यक़ीन होता चला जा रहा था कि हो ना हो.. रश्मि भी जाग रही है और अपने भाई के अपने जिस्म पर टच करने का मज़ा ले रही है।
वो भी शायद अपनी झिझक और शर्म की वजह से ही उसे रोक नहीं पा रही थी।
जब रश्मि को अहसास हुआ कि उसका भाई हद से गुज़रता जा रहा है.. तो उसने इससे बचने के लिए एकदम अपना रुख़ बदला.. और मेरी तरफ करवट ले ली। अब उसने मेरे ऊपर अपनी बाँहें डाल लीं।
इस अचानक हुई हरकत से सूरज भी थोड़ा बौखला गया और फ़ौरन ही पीछे हट कर लेट गया।
लेकिन मुझे पता था कि इस वक़्त रश्मि के खूबसूरत चूतड़ सूरज के बिल्कुल सामने होंगे और उसके लिए खुद को रोकना मुश्किल होगा।
उसे छूने से जैसे ही रश्मि ने मुझे हग किया.. तो मुझे उसका नर्म ओ मुलायम जिस्म इस क़दर प्यारा लगा कि मैंने भी फ़ौरन ही उसे हग कर लिया और खुद भी उससे चिपक गई।
अब सूरज के लिए कुछ और कर पाना मुश्किल था.. शायद इसलिए उसने भी जल्दी से दूसरी तरफ करवट ले ली और जल्द ही सो गया।
अगले दिन जब मैं सुबह नाश्ता बना रही थी तो रश्मि रसोई में आई।
मैंने ऐसे ही उसे तंग करने के लिए कहा- रात को कब सोई थी तुम?
मेरी बात सुन कर रश्मि घबरा गई और थोड़ा हकलाकर बोली- भाभी… आपके साथ ही तो आँख लग गई थी मेरी.. कककक.. क्यों पूछ रही हो आप यह?
मैंने उसे आँख मारी और बोली- इसलिए पूछ रही हूँ कि तेरे भैया ने तुझे तो तंग नहीं किया रात को?
मेरी बात सुनते ही रश्मि के चेहरे का रंग ही उड़ गया और उसकी आँखें फैल गईं।
फिर वो बोली- भाभी भला मुझे भैया क्यों तंग करेंगे?
मैं मुस्कराई और उसके गोरे-गोरे चिकने लाल होते हुए गाल पर एक चुटकी लेते हुए बोली- इसलिए तो मैंने तुझे बीच में अपनी जगह पर सुलाया था.. मैं होती तेरी जगह.. तो सारी रात ही मुझे तंग करते रहते तेरे भैया..
रश्मि कुछ सोच मैं डूबी हुई थी जैसे याद कर रही हो कि कैसे उसके भाई ने रात को उसके जिस्म को टच किया था।
मैंने उससे कहा- अरे किस सोच में डूब गई हो.. तैयारी करो.. कॉलेज नहीं जाना क्या?
मेरी बात सुन कर उसे तो जैसे मौका मिल गया तो वो फ़ौरन ही रसोई से भाग गई। नाश्ते की टेबल पर दोनों आए तो रश्मि की नजरें आज भी नीचे को झुकी हुई थीं और हमेशा की तरह सूरज की नज़र उसके जिस्म पर ही बहक रही थी।
रश्मि ने अपना कॉलेज का सफ़ेद यूनिफॉर्म पहना हुआ था और शर्ट के नीचे उसने ब्लैक ब्रेजियर पहन रखी थी। अभी उसने दुपट्टा नहीं लिया हुआ था।
जब वो उठ कर रसोई की तरफ गई तो सूरज की नज़र फ़ौरन ही उसकी पीछे गई उसकी बैक पर उसकी ब्लैक ब्रा की स्ट्रेप्स और हुक्स पर गई.. जो बिल्कुल साफ़ नज़र आ रही थी।
सूरज की प्यासी नजरें देख कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। जब वो दोनों बाइक पर जाने लगे.. तो मैं हमेशा की तरह उन दोनों को सी-ऑफ करने की लिए गेट पर ही थी।
मैंने महसूस किया कि रश्मि आज अपने भाई के पीछे बैठती हुई थोड़ा झिझक रही थी। ज़ाहिर है कि उसे याद आ गया था कि रात को उसका भाई उसके जिस्म को कैसे-कैसे छू रहा था।
मैं उन दोनों की हालत पर मुस्करा रही थी। फिर आख़िर रश्मि सूरज के पीछे बैठे और दोनों निकल गए।
दोपहर को सूरज से पहले ही रश्मि जल्दी कॉलेज से वापिस आ गई। आज मैंने सोच रखा था कि इसे इसके भाई की सामने कुछ और एक्सपोज़ करना है। इसलिए जैसे ही वो अपने कमरे में अपना यूनिफॉर्म चेंज करने की लिए जाने लगी.. तो मैंने उसको कहा- ठहरो.. मैं अभी आती हूँ।
मैं अपने कमरे में गई और उसके भाई का एक बरमूडा और अपनी एक स्लीबलैस टी-शर्ट उठा लाई और बोली- रश्मि.. आज से तुम घर में यह भी पहना करोगी.. देखो ना कितनी गर्मी है..
रश्मि ने हैरत से उस बरमूडा की तरफ देखा और बोली- भाभी मैं यह कैसे पहन सकती हूँ.. वो भी भैया की सामने।
मैं बोली- अरे इसमें शरमाने वाली कौन सी बात है.. देखो तो मैंने भी तो रात से यही पहना हुआ है और वैसे भी हमारे घर पर कौन से कोई मेहमान आते हैं जो हमें फिकर होगी।
रश्मि- लेकिन.. भाभीईई..
मैं- लेकिन वेकिन कुछ नहीं.. बस मुझे नहीं पता.. अगर नहीं पहना ना मेरी मर्ज़ी के मुताबिक़.. तो इसे फेंक दो सोफे पर.. और अपनी मर्ज़ी का पहन लो जो पहनना है.. लेकिन फिर मुझसे बात ना करना तुम..
यह कह कर मैं मुड़ी और रसोई की तरफ बढ़ी।
मैंने भावुक होते हुए अपना तीर चलाया और मेरी उम्मीद के मुताबिक़ मेरा तीर लगा भी ठीक निशाने पर..
रश्मि ने फ़ौरन ही आगे बढ़ कर मुझे पीछे से हग कर लिया और अपनी बाँहें मेरे गले में डाल कर पीछे से अपना मुँह आगे लाते हुए मेरे गाल को किस किया और बोली- मैं अपनी प्यारी सी भाभी को कैसे नाराज़ कर सकती हूँ.. अरे भाभी तुम कहो तो मैं कुछ भी नहीं पहनूंगी.. लेकिन तुम मुझसे नाराज़ ना होना।
मैंने मुस्करा कर रश्मि की बालों में हाथ फेरा और बोली- यह हुई ना मेरी प्यारी सी ननद वाली बात.. सच में रश्मि तू तो बहुत ही प्यारी और मासूम है.. हाँ.. तू मेरी मासूम सी ननद है मेरी जान..
मैं दिल ही दिल में अपने शैतानी खेल पर मुस्कराती हुई रसोई में आ गई और रश्मि चेंज करने के लिए अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।
Superb updateअपडेट 18
आपने अभी तक पढ़ा..
रश्मि ने फ़ौरन ही आगे बढ़ कर मुझे पीछे से हग कर लिया और अपनी बाँहें मेरे गले में डाल कर पीछे से अपना मुँह आगे लाते हुए मेरे गाल को चूम लिया और बोली- मैं अपनी प्यारी सी भाभी को कैसे नाराज़ कर सकती हूँ.. अरे भाभी तुम कहो तुम कहो तो मैं कुछ भी नहीं पहनूंगी.. लेकिन तुम मुझसे नाराज़ ना होना।
मैंने मुस्करा कर रश्मि की बालों में हाथ फेरा और बोली- यह हुई ना मेरी प्यारी सी ननद वाली बात.. सच में रश्मि तू तो बहुत ही प्यारी और मासूम है.. हाँ.. तू मेरी मासूम सी ननद है मेरी जान..
मैं दिल ही दिल में अपने शैतानी खेल पर मुस्कराती हुई रसोई में आ गई और रश्मि चेंज करने के लिए अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।
अब आगे..
कुछ देर के बाद रश्मि अपने कमरे से मेरा दिया हुआ कपड़े पहन कर मेरे पास रसोई में आई तो बहुत ही शर्मा रही थी। मैंने उसे देखा तो हमेशा की तरह उससे मज़ाक़ करने की बजाए उसको उत्साहित करने लगी कि तुम सच में बहुत ही प्यारी लग रही हो।
रश्मि ने अपने भाई वाला जो बरमूडा पहना था.. वो उसके घुटनों तक आ रहा था.. उससे नीचे उसकी गोरी-गोरी टाँगें बिल्कुल नंगी थीं.. बिल्कुल ही साफ़ गोरी-गोरी चिकनी टाँगें जिन पर एक भी बाल नहीं था.. मतलब किसी को भी उसकी चिकनी टाँगें देखते साथ ही मज़ा आ जाए।
ऊपर से उसने मेरी स्लीवलैस शर्ट पहन ली थी, यह शर्ट उसको काफ़ी ढीली थी, उसकी दोनों बाँहें बिल्कुल नंगी थीं, बिल्कुल गोरे और चिकने कन्धों पर उसकी ब्रेजियर की तनियाँ एकदम साफ़ नज़र आ रही थीं।
स्लीवलैस शर्ट होने की वजह से रश्मि ने प्लास्टिक की पारदर्शी स्ट्रेप्स वाली ब्रेजियर पहन ली थी। ताकि कम से कम नज़र आ सकें… लेकिन कन्धों पर सब मर्दों की नजरें तो ब्रा की स्ट्रेप्स पर ही होती है ना..
शर्ट की स्ट्रेप्स तो चौड़ी थीं.. लेकिन फिर भी थोड़ी सी भी चलने-फिरने के साथ ही वो पीछे को हट जाती थीं और ब्रेजियर की स्ट्रेप्स नजर आने लगती थीं।
मैंने बिना कुछ ज्यादा बात किए रश्मि को काम पर लगा दिया.. ताकि उसे भी कोई अहसास ना हो।
काम करते हुए रश्मि आहिस्ता से बोली- भाभी वो भैया.. मेरा मतलब है कि वो भैया नाराज़ हो गए तो.. मुझे ऐसी ड्रेस में देख कर.. मेरा मतलब था!
मैं- अरे पगली तू तो इतनी प्यारी लग रही है.. तो तेरा भाई तुझे देख कर क्यों नाराज़ होगा.. कोई भी भाई अपनी बहन पर नाराज़ नहीं होता।
शाम में जब सूरज घर आया तो खाने की टेबल पर पहुँचने तक उसकी मुलाक़ात रश्मि से नहीं हो सकी। सूरज टेबल पर बैठा था और जैसे ही रश्मि खाने की ट्रे लेकर आई तो सूरज की आँखें फटी की फटी रह गईं।
(सूरज का रश्मि को देख ऐसे करने का भावना आया )
उसकी नजरें अपनी बहन की नंगी टाँगों पर जमी हुई थीं। जो कि उसके बरमूडा के नीचे बिल्कुल नंगी थीं।
मैं सूरज की नज़रों को ही देख रही थी लेकिन शो ऐसा ही कर रही थी। जैसे कि मैं उन लोगों को नहीं देख रही होऊँ।
रश्मि बुरी तरह से शर्मा रही थी और सूरज की नजरें न चाहते हुए भी अपनी बहन के जिस्म पर से नहीं हट पा रही थीं। कभी वो उसकी नंगी बाँहों को देखता और कभी चिकनी टाँगों को देखने लगता।
मैंने देखा कि रश्मि के कन्धों पर उसकी ब्रेजियर के स्ट्रेप्स भी साफ़ नज़र आ रहे हैं।जब रश्मि खाना परोसने के लिए झुकी उसको देख कर तो मेरी भी हालत खुसक गई ,
हम दोनों पति पत्नी रश्मि को कहा जाने वाले नजर से देख रहे थे तो रश्मि को खाने के समय ऑक्वर्ड फ़ील हो रही थी,रश्मि ने बड़ी ही मुश्किल से खाना खाया.. मैं इधर-उधर की बातों से उसकी तवज्जो हटाने की कोशिश करती रही लेकिन वो अपनी ड्रेस में बहुत ही परेशानी महसूस कर रही थी।
खाने के बाद सूरज ने कुछ देर बैठ कर टीवी देखा.. रात हो रही थी तो वो अपने बेडरूम में सोने चला गया।
मैंने रसोई से सामान समेटा और फिर चाय बना कर मैंने और रश्मि ने पी। चाय पीने के बाद मैं उससे बोली- आओ एसी में सोने चलते हैं..
रश्मि ड्रेस चेंज करने की कहना चाहती थी लेकिन कह ना पाई और खामोशी से मेरे साथ हमारे बेडरूम में आ गई।
हम दोनों कमरे में आए तो सूरज सो रहा था.. उसकी हल्के-हल्के खर्राटे कमरे में गूँज रहे थे।
लेकिन मुझे शक़ था कि वो सो नहीं रहा होगा.. जाहीर है कि वो अपनी बहन के आने का इन्तजार कर रहा होगा।
कमरे में आकर मैंने दरवाजा बन्द किया और बिस्तर पर जाने की बजाए टॉयलेट में चली गई.. ताकि रश्मि बिस्तर पर आराम से लेट सके और कुछ दिमाग की उलझन से मुक्त हो सके।
थोड़ी देर बाद मैं बाथरूम से बाहर निकली तो रश्मि अपनी ही वाली तरफ को लेटी हुई थी। मैंने बिस्तर के क़रीब आकर उसे आगे को होने को कहा.. पहले तो वो चुप रही.. फिर आहिस्ता से अपने भैया की तरफ सरक़ गई।
मुझे खुशी इस बात की थी कि अगर वो कल रात जाग रही थी और उसे अपने भाई के हाथों से खुद के जिस्म को छूने का पता चला था.. तो उसके बावजूद भी उसने अपने भाई के साथ लेटना क़बूल कर लिया था। शायद उसे भी इस खेल में कुछ मज़ा आने लगा था।
ज़ाहिर है कि वो एक नौजवान झूबसूरत लड़की थी.. जिसे आज तक कभी भी किसी मर्द ने नहीं छुआ था और जब कोई उसे छू रहा था.. तो उसे उसका छूना अच्छा लग रहा था।
अब उसका बदन इस चीज़ को मानने के लिए तैयार नहीं था कि वो उसका भाई है.. तो यह गलत है।
लेकिन उसका दिमाग उसे अभी भी समझाता था.. जिसकी वजह से उसके अन्दर अभी भी थोड़ी झिझक बाकी थी।
दूसरी वजह उसकी उस झिझक का कारण मैं थी। उसके ख्याल में मुझे इन सब बातों कुछ भी एहसास नहीं था.. और अगर मुझे पता हो जाएगा.. तो ऐसा लगता था कि इस बात का मैं बहुत बुरा मान जाऊँगी.. कि वो मेरे पति के साथ जिस्मानी मजा लेना चाह रही है।
हालांकि उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह सारा गेम मेरा ही था.. जिस पर वो दोनों बहन-भाई ना चाहते हुए भी आगे बढ़ रहे थे और एक-दूसरे के क़रीब आते जा रहे थे.. बिना यह सोचे समझे कि यह एक गुनाह है.. और गलत बात है।
सूरज दूसरी तरफ मुँह करके लेटा हुआ था और रश्मि बिल्कुल सीधी.. अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी।
मैंने रश्मि की तरफ करवट ली और उससे बातें करने लगी। हम दोनों ने बरमूडा ही पहना हुआ था और दूसरी तरफ सूरज ने भी अपना शॉर्ट्स पहन रखा था, हम दोनों की नंगी टाँगें एक-दूसरे से टच हो रही थीं।
मैंने अपनी टाँग ऊपर करके रश्मि की टाँग पर रखी और उसकी टाँग को आहिस्ता-आहिस्ता सहलाते हुए बोली- रश्मि तुम्हारा जिस्म बहुत ही मुलायम है।
रश्मि शरमाई और बोली- भाभी आप का भी तो ऐसा ही है..
मैं- रश्मि जो भी लड़का तुम्हें हासिल करेगा ना.. वो बहुत ही लकी होगा..!
रश्मि शर्मा कर बोली- क्या मतलब भाभी?
मैं- अरे तेरे जैसे खूबसूरत लड़की जिसको अपने नीचे लिटाने को मिलेगी.. उसकी तो समझो कि लॉटरी ही निकल पड़ेगी।
रश्मि मेरी बात सुन कर शर्मा गई। मैं ऐसी बातें इसलिए कर रही थी ताकि अगर सूरज सो नहीं रहा है.. तो वो भी मेरी बातें सुन सके और मैं उसको उत्तेजित करने की लिए ऐसी बातें कर रही थी।
ऐसी उत्तेजित बातें करते समय मेरी खुद की चूत में रस निकलने लगा था।
Superb updateअपडेट 19
आपने अभी तक पढ़ा..
मैं- रश्मि जो भी लड़का तुम्हें हासिल करेगा ना.. वो बहुत ही लकी होगा..
रश्मि शर्मा कर बोली- क्या मतलब भाभी?
मैं- अरे तेरे जैसे खूबसूरत लड़की जिसको अपने नीचे लिटाने को मिलेगी.. उसकी तो समझो कि लॉटरी ही निकल पड़ेगी..
रश्मि मेरी बात सुन कर शर्मा गई। मैं ऐसी बातें इसलिए कर रही थी ताकि अगर सूरज सो नहीं रहा है.. तो वो भी मेरी बातें सुन सके और मैं उसको उत्तेजित करने की लिए ऐसी बातें कर रही थी।
ऐसी उत्तेजना भरी बातें करते समय मेरी खुद की चूत में रस निकलने लगा था।
अब आगे..
ऐसी ही थोड़ी देर तक बातें करने के बाद मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं.. जैसे कि मैं सो गई हूँ। काफ़ी देर तक खामोशी रही.. मुझे नींद भला कहा आने थी। थोड़ी सी आँख खोल कर मैंने देखा तो रश्मि की आँखें भी बंद थीं।
ऐसी ही क़रीब-क़रीब एक घंटा गुज़र गया.. तो मुझे रश्मि की दूसरी तरफ सूरज हिलता हुआ महसूस हुआ। उसने जैसे नींद में ही करवट ली और सीधा अपनी बाज़ू और टांग को अपनी बहन के ऊपर रख दिया।
मैंने देखा की रश्मि ने फ़ौरन ही आहिस्ता से आँखें खोलीं और सबसे पहले अपने भाई की तरफ देखा और फिर मेरी तरफ देख कर मेरा पक्का किया कि मैं सो रही हूँ या जाग रही हूँ।
अपनी तसल्ली करके रश्मि ने आराम से अपनी आँखें बंद कर लीं। मैं हैरान हुई कि उसने अपने भाई का बाज़ू या टांग हटाने की कोई कोशिश नहीं की। उसके भाई की बाज़ू उसकी चूचियों से बिल्कुल नीचे लगी पड़ी थी और टांग उसकी जाँघों पर थी।
मैं समझ गई कि रश्मि भी आज मजे लेने के चक्कर में है।
अब मेरी तरह से रश्मि भी सोती हुई बनी हुई थी.. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि मैं जाग रही हूँ।
कुछ ही देर गुज़ारने के बाद मुझे सूरज के हाथ में हल्की-हल्की हरकत महसूस हुई। सूरज का अपनी बहन के जिस्म के ऊपर रखा हुआ हाथ आहिस्ता आहिस्ता हरकत में आ रहा था।
उसने आहिस्ता आहिस्ता अपना हाथ अपनी बहन की टी-शर्ट के ऊपर से ही उसके पेट पर फेरना शुरू कर दिया।
जब उसे महसूस हुआ कि उसकी बहन के जिस्म में कोई भी हरकत नहीं हो रही है.. तो उसको यक़ीन हो गया कि वो सो रही है.. अब उसकी हिम्मत बढ़ चली और उसके हाथ का रश्मि के सीने की पहाड़ियों पर चढ़ने का सफ़र शुरू हुआ।
सूरज ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ से रश्मि की चूचियों के निचले हिस्से को छूना शुरू कर दिया। सूरज का हाथ अपनी बहन की चूचियों को नीचे से छू रहा था।
आहिस्ता आहिस्ता उसने अपने हाथ को हरकत देते हुए रश्मि की चूचियों की ऊपर रख दिया और हाथ ऊपर रख कर वहीं पर कुछ देर के लिए ठहर गया।
जैसे वो रश्मि की प्रतिक्रिया देखना चाह रहा हो।
मुझे मज़ा आ रहा था.. लेकिन उससे बढ़ कर रश्मि के संयम पर हैरत हो रही थी कि कैसे वो खामोश अपने चेहरे के हाव-भाव को कंट्रोल करके लेटी हुई है।
सूरज ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ को रश्मि की चूचियों पर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया।
एक भाई के हाथ के नीचे उसकी बहन की चूची देख कर मेरी तो अपनी चूत गीली होने लगी थी। मेरा दिल कर रहा था कि मैं अपने हाथ अपनी चूत पर ले जाऊँ और अपनी चूत को सहलाने लगूँ लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती थी।
रश्मि ने जो शर्ट पहन रखी थी.. वो स्लीबलैस थी और उसका गला भी काफ़ी बड़ा था.. जिसमें उसकी सीने का काफ़ी हिस्सा साफ़ नंगा नज़र आता था।
दोनों चूचियों पर हाथ फेरते हुए सूरज के हाथ आहिस्ता आहिस्ता रश्मि के नंगे सीने पर आ गए और उसने अपनी उंगलियों को अपनी बहन के नंगे और गोरे-गोरे उठे हुए सीने पर रख दिए।
अब आहिस्ता आहिस्ता वो अपना हाथ अपनी बहन के गले के नीचे छातियों पर फेरने लगा।
सूरज का हाथ आहिस्ता-आहिस्ता रश्मि के सीने पर फिसलता हुआ मेरी तरफ को आने लगा और उसने अपना हाथ रश्मि की शर्ट की स्ट्रेप्स को नीचे को सरका दिया और फिर वापिस अपना हाथ ऊपर की तरफ ले गया।
रश्मि के सीने पर हाथ फेरते हुए उसका हाथ आहिस्ता आहिस्ता नीचे को जाने लगा।
अब इस तरह लेटने की वजह से रश्मि की चूचियों का क्लीवेज भी साफ़ नज़र आ रहा था। सूरज ने अपनी एक उंगली उस खूबसूरत क्लीवेज में घुसेड़ दी और आहिस्ता आहिस्ता उसे आगे-पीछे करने लगा।
सूरज की एक टाँग अभी तक रश्मि की टाँगों पर ही थी।
अपनी बहन की चूचियों की क्लीवेज में कुछ देर अपनी उंगली फेरने के बाद मेरे पति ने अपने हाथ की बाक़ी उंगलियां भी आहिस्ता आहिस्ता रश्मि की टी-शर्ट के अन्दर को घुसेड़ना शुरू कीं और अपना पूरा हाथ रश्मि की चूचियों पर ले गया।
अभी शायद वो रश्मि की चूचियों पर उसकी ब्रा की ऊपर से ही हाथ फेर रहा था। उसका हाथ रश्मि की ब्रेजियर के ऊपर से ही उसकी चूचियों को छू रहा था।
सूरज के हाथ रश्मि की नंगी चूचियों को भी छू रहे थे.. जो कि उसकी ब्रा के आधे कप में से बाहर निकल रही थीं।
मेरी नज़र रश्मि के चेहरे की तरफ गई.. तो उसकी आँखें हल्की-हल्की सी हिल-डुल रही थीं.. जैसे की वो खुद को पूर सुकून में रखने की कोशिश कर रही हो।
उस अँधेरे कमरे में जहाँ सिर्फ़ एसी की जलते-बुझते नंबर्स की बहुत ही मद्धिम सी रोशनी फैली हुई थी। उस रोशनी में कोई भी किसी की चेहरे के हाव-भाव नहीं देख सकता था। किसी को नहीं पता था कि दूसरा जाग रहा है.. या सो रहा है।
हर कोई दूसरी को सोता हुआ ही समझ रहा था। हम तीनों के तीनों उस बिस्तर पर एक-दूसरे के क़रीब लेटे हुए भी जाग रहे थे लेकिन सूरज समझ रहा था कि मैं और रश्मि दोनों सो रहे हैं।
रश्मि मेरे सोए हुए होने की प्रार्थना कर रही थी और खुद भी सोने की एक्टिंग करते हुए अपने भाई को अपने जिस्म से खेलने का मौका दे रही थी।
ज्यादा देर तक अपना हाथ रश्मि की शर्ट की अन्दर रखे बिना ही सूरज ने अपना हाथ उसकी शर्ट से बाहर निकाला और फिर बिस्तर पर उठ कर बैठ गया।
मैंने फ़ौरन ही अपनी आँखें बंद कर लीं। चंद लम्हों के बाद मैंने देखा तो वो उठ कर बिस्तर के हमारे पैरों वाली साइड पर चला गया हुआ था और नीचे झुक कर आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के गोरे-गोरे पैरों को चूमने लगा था।
वो रश्मि के पैरों को नीचे और ऊपर से चूम रहा था। उसके पैरों को चूमते हुए धीरे-धीरे उसकी टाँगों पर आ गया और उसकी चिकनी और गोरी टाँगों पर हाथ फेरने लगा।
फिर नीचे झुक कर अपने होंठ उसकी गोरी टाँगों पर रख दिए और उन मरमरी टाँगों को चूमने लगा।
रश्मि की नंगी टाँगों के पास ही मेरी भी टाँगें थीं और वो भी नंगी थीं। सूरज ने एक नज़र मेरे चेहरे पर डाली और फिर अपना दूसरा हाथ मेरी नंगी गोरी टाँग पर रख दिया।
अब उसका एक हाथ मेरी टांग को भी सहला रहा था.. तो दूसरा अपनी बहन की टांग को सहला रहा था।
शायद वो दोनों को कंपेयर कर रहा था कि कौन ज्यादा चिकनी है.. उसकी बहन या उसकी बीवी..
रश्मि की टाँगों पर हाथ फिराता हुआ सूरज ऊपर को आ रहा था। अब उसका हाथ रश्मि के घुटनों तक पहुँच चुका था और फिर उसका हाथ ऊपर को सरका और उसने अपना हाथ अपनी बहन की नंगी जांघ पर रख दिया।
जैसे ही सूरज के हाथ ने रश्मि की नंगी जाँघों को छुआ.. तो मेरी चूत ने तो फ़ौरन ही पानी छोड़ दिया।
मैं अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और ना ही मैं इतनी जल्दी और इतनी आसानी से अभी सूरज को रश्मि की चूत तक पहुँचने देना चाहती थी।
Superb
Superb update
Shukriya bhaiSuperb update
Superb updateअपडेट 19
आपने अभी तक पढ़ा..
मैं- रश्मि जो भी लड़का तुम्हें हासिल करेगा ना.. वो बहुत ही लकी होगा..
रश्मि शर्मा कर बोली- क्या मतलब भाभी?
मैं- अरे तेरे जैसे खूबसूरत लड़की जिसको अपने नीचे लिटाने को मिलेगी.. उसकी तो समझो कि लॉटरी ही निकल पड़ेगी..
रश्मि मेरी बात सुन कर शर्मा गई। मैं ऐसी बातें इसलिए कर रही थी ताकि अगर सूरज सो नहीं रहा है.. तो वो भी मेरी बातें सुन सके और मैं उसको उत्तेजित करने की लिए ऐसी बातें कर रही थी।
ऐसी उत्तेजना भरी बातें करते समय मेरी खुद की चूत में रस निकलने लगा था।
अब आगे..
ऐसी ही थोड़ी देर तक बातें करने के बाद मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं.. जैसे कि मैं सो गई हूँ। काफ़ी देर तक खामोशी रही.. मुझे नींद भला कहा आने थी। थोड़ी सी आँख खोल कर मैंने देखा तो रश्मि की आँखें भी बंद थीं।
ऐसी ही क़रीब-क़रीब एक घंटा गुज़र गया.. तो मुझे रश्मि की दूसरी तरफ सूरज हिलता हुआ महसूस हुआ। उसने जैसे नींद में ही करवट ली और सीधा अपनी बाज़ू और टांग को अपनी बहन के ऊपर रख दिया।
मैंने देखा की रश्मि ने फ़ौरन ही आहिस्ता से आँखें खोलीं और सबसे पहले अपने भाई की तरफ देखा और फिर मेरी तरफ देख कर मेरा पक्का किया कि मैं सो रही हूँ या जाग रही हूँ।
अपनी तसल्ली करके रश्मि ने आराम से अपनी आँखें बंद कर लीं। मैं हैरान हुई कि उसने अपने भाई का बाज़ू या टांग हटाने की कोई कोशिश नहीं की। उसके भाई की बाज़ू उसकी चूचियों से बिल्कुल नीचे लगी पड़ी थी और टांग उसकी जाँघों पर थी।
मैं समझ गई कि रश्मि भी आज मजे लेने के चक्कर में है।
अब मेरी तरह से रश्मि भी सोती हुई बनी हुई थी.. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि मैं जाग रही हूँ।
कुछ ही देर गुज़ारने के बाद मुझे सूरज के हाथ में हल्की-हल्की हरकत महसूस हुई। सूरज का अपनी बहन के जिस्म के ऊपर रखा हुआ हाथ आहिस्ता आहिस्ता हरकत में आ रहा था।
उसने आहिस्ता आहिस्ता अपना हाथ अपनी बहन की टी-शर्ट के ऊपर से ही उसके पेट पर फेरना शुरू कर दिया।
जब उसे महसूस हुआ कि उसकी बहन के जिस्म में कोई भी हरकत नहीं हो रही है.. तो उसको यक़ीन हो गया कि वो सो रही है.. अब उसकी हिम्मत बढ़ चली और उसके हाथ का रश्मि के सीने की पहाड़ियों पर चढ़ने का सफ़र शुरू हुआ।
सूरज ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ से रश्मि की चूचियों के निचले हिस्से को छूना शुरू कर दिया। सूरज का हाथ अपनी बहन की चूचियों को नीचे से छू रहा था।
आहिस्ता आहिस्ता उसने अपने हाथ को हरकत देते हुए रश्मि की चूचियों की ऊपर रख दिया और हाथ ऊपर रख कर वहीं पर कुछ देर के लिए ठहर गया।
जैसे वो रश्मि की प्रतिक्रिया देखना चाह रहा हो।
मुझे मज़ा आ रहा था.. लेकिन उससे बढ़ कर रश्मि के संयम पर हैरत हो रही थी कि कैसे वो खामोश अपने चेहरे के हाव-भाव को कंट्रोल करके लेटी हुई है।
सूरज ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ को रश्मि की चूचियों पर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया।
एक भाई के हाथ के नीचे उसकी बहन की चूची देख कर मेरी तो अपनी चूत गीली होने लगी थी। मेरा दिल कर रहा था कि मैं अपने हाथ अपनी चूत पर ले जाऊँ और अपनी चूत को सहलाने लगूँ लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती थी।
रश्मि ने जो शर्ट पहन रखी थी.. वो स्लीबलैस थी और उसका गला भी काफ़ी बड़ा था.. जिसमें उसकी सीने का काफ़ी हिस्सा साफ़ नंगा नज़र आता था।
दोनों चूचियों पर हाथ फेरते हुए सूरज के हाथ आहिस्ता आहिस्ता रश्मि के नंगे सीने पर आ गए और उसने अपनी उंगलियों को अपनी बहन के नंगे और गोरे-गोरे उठे हुए सीने पर रख दिए।
अब आहिस्ता आहिस्ता वो अपना हाथ अपनी बहन के गले के नीचे छातियों पर फेरने लगा।
सूरज का हाथ आहिस्ता-आहिस्ता रश्मि के सीने पर फिसलता हुआ मेरी तरफ को आने लगा और उसने अपना हाथ रश्मि की शर्ट की स्ट्रेप्स को नीचे को सरका दिया और फिर वापिस अपना हाथ ऊपर की तरफ ले गया।
रश्मि के सीने पर हाथ फेरते हुए उसका हाथ आहिस्ता आहिस्ता नीचे को जाने लगा।
अब इस तरह लेटने की वजह से रश्मि की चूचियों का क्लीवेज भी साफ़ नज़र आ रहा था। सूरज ने अपनी एक उंगली उस खूबसूरत क्लीवेज में घुसेड़ दी और आहिस्ता आहिस्ता उसे आगे-पीछे करने लगा।
सूरज की एक टाँग अभी तक रश्मि की टाँगों पर ही थी।
अपनी बहन की चूचियों की क्लीवेज में कुछ देर अपनी उंगली फेरने के बाद मेरे पति ने अपने हाथ की बाक़ी उंगलियां भी आहिस्ता आहिस्ता रश्मि की टी-शर्ट के अन्दर को घुसेड़ना शुरू कीं और अपना पूरा हाथ रश्मि की चूचियों पर ले गया।
अभी शायद वो रश्मि की चूचियों पर उसकी ब्रा की ऊपर से ही हाथ फेर रहा था। उसका हाथ रश्मि की ब्रेजियर के ऊपर से ही उसकी चूचियों को छू रहा था।
सूरज के हाथ रश्मि की नंगी चूचियों को भी छू रहे थे.. जो कि उसकी ब्रा के आधे कप में से बाहर निकल रही थीं।
मेरी नज़र रश्मि के चेहरे की तरफ गई.. तो उसकी आँखें हल्की-हल्की सी हिल-डुल रही थीं.. जैसे की वो खुद को पूर सुकून में रखने की कोशिश कर रही हो।
उस अँधेरे कमरे में जहाँ सिर्फ़ एसी की जलते-बुझते नंबर्स की बहुत ही मद्धिम सी रोशनी फैली हुई थी। उस रोशनी में कोई भी किसी की चेहरे के हाव-भाव नहीं देख सकता था। किसी को नहीं पता था कि दूसरा जाग रहा है.. या सो रहा है।
हर कोई दूसरी को सोता हुआ ही समझ रहा था। हम तीनों के तीनों उस बिस्तर पर एक-दूसरे के क़रीब लेटे हुए भी जाग रहे थे लेकिन सूरज समझ रहा था कि मैं और रश्मि दोनों सो रहे हैं।
रश्मि मेरे सोए हुए होने की प्रार्थना कर रही थी और खुद भी सोने की एक्टिंग करते हुए अपने भाई को अपने जिस्म से खेलने का मौका दे रही थी।
ज्यादा देर तक अपना हाथ रश्मि की शर्ट की अन्दर रखे बिना ही सूरज ने अपना हाथ उसकी शर्ट से बाहर निकाला और फिर बिस्तर पर उठ कर बैठ गया।
मैंने फ़ौरन ही अपनी आँखें बंद कर लीं। चंद लम्हों के बाद मैंने देखा तो वो उठ कर बिस्तर के हमारे पैरों वाली साइड पर चला गया हुआ था और नीचे झुक कर आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के गोरे-गोरे पैरों को चूमने लगा था।
वो रश्मि के पैरों को नीचे और ऊपर से चूम रहा था। उसके पैरों को चूमते हुए धीरे-धीरे उसकी टाँगों पर आ गया और उसकी चिकनी और गोरी टाँगों पर हाथ फेरने लगा।
फिर नीचे झुक कर अपने होंठ उसकी गोरी टाँगों पर रख दिए और उन मरमरी टाँगों को चूमने लगा।
रश्मि की नंगी टाँगों के पास ही मेरी भी टाँगें थीं और वो भी नंगी थीं। सूरज ने एक नज़र मेरे चेहरे पर डाली और फिर अपना दूसरा हाथ मेरी नंगी गोरी टाँग पर रख दिया।
अब उसका एक हाथ मेरी टांग को भी सहला रहा था.. तो दूसरा अपनी बहन की टांग को सहला रहा था।
शायद वो दोनों को कंपेयर कर रहा था कि कौन ज्यादा चिकनी है.. उसकी बहन या उसकी बीवी..
रश्मि की टाँगों पर हाथ फिराता हुआ सूरज ऊपर को आ रहा था। अब उसका हाथ रश्मि के घुटनों तक पहुँच चुका था और फिर उसका हाथ ऊपर को सरका और उसने अपना हाथ अपनी बहन की नंगी जांघ पर रख दिया।
जैसे ही सूरज के हाथ ने रश्मि की नंगी जाँघों को छुआ.. तो मेरी चूत ने तो फ़ौरन ही पानी छोड़ दिया।
मैं अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और ना ही मैं इतनी जल्दी और इतनी आसानी से अभी सूरज को रश्मि की चूत तक पहुँचने देना चाहती थी।