उनके सिर जैसे ही नीचे आए, मालविना ने दोनो के सिर पकड़े और अपने शराब से भीगे हुए निप्पल्स उन दोनो के मुँह मे घुसेड कर उन्हे अपनी छाती से चिपका लिया..
दोनो भूखे बच्चों की तरह उसका दूध पीने लगे..उसके स्तनों पर लगी मदिरा को चखने लगे....मालविना के सेक्सी निप्पल्स से लगकर वो शराब और भी नशीली हो गयी थी..
गंगू ने उसकी गांड पर हाथ रखकर ज़ोर से दबा दिया...इतनी मुलायम डबलरोटी उसने आज तक नही मसली थी...विदेशी जो थी.
भूरे ने उसकी स्कर्ट खोल दी और वो नीचे लहरा गयी...और अब उसकी रसीली , मखमली और गोरी चिट्टी चूत उन दोनो की भूखी आँखों के सामने थी..
मालविना ने अपना एक पैर उपर उठाया और गंगू के सिर को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ झुकाने लगी...गंगू ने भी पूरी उत्तेजना के साथ अपनी जीभ निकाली और उसकी बरफी जैसी मीठी चूत पर दे मारी..
उसके चेहरे पर उगी दाढ़ी और मूँछे उसकी चिकनी चूत पर चुभी और वो एक रोमांच भरे स्वर मे सिसक उठी....
''अहह.....येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......''
उसने शायद ऐसे जंगली लुक वाले जानवर के साथ पहले कभी चुदाई नही करवाई थी...
भूरे भी पहले गंगू को मौका देकर उसकी मर्दानगी का टेस्ट लेना चाहता था...उसके हिसाब से तो गंगू के बस का कुछ भी नही था..जो भी करना था उसको खुद ही करना था बाद मे...इसलिए वो साइड मे हो गया..
गंगू ने उसके मांसल जिस्म को पकड़ा और उसे हर जगह से नींबू की तरह निचोड़ने लगा..वो जैसे पागल हो गया था इतना कोरा माल देखकर..
वो भी सेक्सी आवाज़ें निकाल रही थी, जैसे पॉर्न मूवीस मे लड़कियाँ निकालती है..पूरा कमरा गंगू की गर्म साँसों की आवाज़ और मालविना की सेक्सी सिसकारियों से गूँज रहा था..
मालविना गंगू के सामने घुटनों के बल बैठ गयी..और उसकी नई पेंट की जीप खोल दी...फिर जैसे ही उसका अजगर बाहर आया, उसके मुँह से एक सिसकारी निकल गयी..शायद ये सोचकर की जब वो रेंगता हुआ उसके बिल मे जाएगा तो कितना मज़ा आएगा..
वहीं दूसरी तरफ भूरे ने जब उसके खड़े हुए लंड को देखा तो वो भी हैरान रह गया...उसने तो आशा भी नहीं की थी की गंगू के पास इतना बड़ा लंड होगा...और वो भी खड़ा हुआ..ये कैसे हो सकता है.
वो हैरानी से उसे देखने लगा.
मालविना ने अपना मुँह खोला और उसके लंड को मुँह मे भरकर उसे प्यार करने लगी.
गंगू भी उसके सुनहेरे बालों को पकड़कर अपने लंड के उपर ज़ोर-2 से मारने लगा.
कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद वो खड़ी हुई और गंगू का हाथ पकड़कर दूसरे कमरे मे ले गयी..भूरे वहीं बैठा रहा..क्योंकि वहाँ से भी अंदर का नज़ारा साफ़ दिख रहा था..उसने अपने लिए एक लार्ज पेग बनाया और उन्हे देखते हुए उसे पीने लगा..
अंदर जाकर गंगू ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए..और अब वो जंगली भालू की तरह नंगा उसके सामने खड़ा था..
मालविना हाइ क्लास की रंडी थी..इसलिए शायद उसने इतना भद्दा सा दिखने वाला इंसान अपनी लाइफ मे अभी तक नही देखा था..पर जो पैसे उसको मिल रहे थे और जो लंड उसको सामने दिख रहा था, वो बहुत था उसकी सोच को रोकने के लिए.
गंगू ने मालविना को अपनी बाहों मे भरा और उसके स्ट्रॉबेरी जैसे होंठों पर टूट पड़ा...उसके गुलाबी होंठों को उसने चूस-2 कर लाल कर दिया...और फिर यही हाल उसने उसकी दोनो ब्रेस्ट का भी किया..
मालविना भी उसके जंगलीपन को देखकर अपनी उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चुकी थी...वो अँग्रेज़ी मे बड़बडाए जा रही थी .. "बाइट मी.......सक मी.....क़िस्स्स मी. ..अहह ....एससस्स .....उम्म्म्मममम ''
और फिर उसके शरीर के हर हिस्से को अपनी लार से भिगोता हुआ गंगू दक्षिण दिशा की तरफ बड़ा..और जैसे ही उसके सपाट पेट के बाद उसकी उभरी हुई चूत की दरारें उसके मुँह के सामने आई, वो उनपर टूट पड़ा...और फिर से अपनी दाढ़ी -मूँछ से भरा मुँह उसकी चूत पर फिराने लगा..
वो बिस्तर पर किसी जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी...गंगू अपनी लंबी जीभ से सड़प -2 करता हुआ उसकी चूत से निकल रहा विदेशी शहद सॉफ कर रहा था..
अब मालविना की हालत खराब होने लगी थी...उसने उसके बालों को पकड़कर उपर खींचा और ज़ोर से चिल्लाई : "अहह.....फकककक मीsssssssssssssssss .....फककक मी ....यू बास्टर्ड ........''
गंगू उसको अच्छी तरह से तडपा चुका था...इसलिए अब मालविना से बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था..
और बाहर बैठा हुआ भूरे अपनी साँस रोककर बैठ गया, वो अभी भी ये आस लगा कर बैठा था की गंगू उसकी चूत नही मार पाएगा..
गंगू उसके उपर आया और अपने स्टील रोड जैसे लंड को अपने हाथ मे पकड़कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा...पर अंदर नही डाला..उसकी ये हरकत से मालविना पागल सी होकर हुंकारने लगी..
''फकककक मीssssssssssssssssssss ....यू बास्टर्ड......फक्क मीीssssss ....कुत्ते....''
उसने हिन्दी वर्ड कुत्ते बोला, शायद इतना तो वो सीख ही चुकी थी इंडिया आकर..
अपने लिए कुत्ता शब्द एक विदेशी के मुँह से सुनते ही जैसे गंगू के अंदर एक देशभक्ति की भावना आ गयी ...वो ज़ोर से चिल्लाया : "साली .....मुझे कुत्ता बोलती है....तेरी माँ की चूत .....अभी तेरी चूत के परखच्चे उड़ाता हू, गली की कुतिया की तरह चुदाई ना करी तो मेरा भी नाम गंगू नही...''
और उसने अपने लौड़े को बिना किसी वॉर्निंग के उसकी चूत के अंदर धकेल दिया...इतना मोटा लंड उसकी छोटी सी चूत के अंदर जाते हुए फँस गया ..पर गंगू उसके उपर अपने पूरे भार के साथ लेट गया..और उसका पहलवान उसकी चूत को ककड़ी की तरह चीरता हुआ अंदर तक घुस गया और उसके अखाड़े मे जाकर ही दम लिया उसने..
मालविना की आँखों से आँसू निकल आए, इतना मोटा लंड अपने अंदर लेकर..ये उसका पहला मौका था जब उसके अंदर इतना मोटा गया था...उसको दर्द तो हो रहा था, पर वो उसके लंड की कायल हो उठी..उसने अपनी टांगे थोड़ी देर के लिए गंगू की कमर मे लपेटी और उसे अपने उपर खींचकर उसे फ्रेंच किस करने लगी..
पर गंगू अब पागल हो चुका था..वो उपर उठा और उसने मालविना की टाँगो को दोनो दिशाओं मे फैलाकर चोडा किया और अपने लंड को किसी पिस्टन की तरह अंदर-बाहर करने लगा..
कुछ ही देर मे मालविना का दर्द भी गायब हो गया...और वो मस्ती मे भरकर चीखे मारने लगी..
''आहह आअहह उम्म्म्ममम...येसस्स्सस्स....फककक मी...लाइक दिस ...याsssssssssssssssss अ...ऑश याअ.... आई एम लविंग इट .....ह ...एसस्स...... ओफफफफ्फ़ ...... उम्म्म्मममम .......आई एम कमिंग....''
और वो झड़ गयी..
पर अपना हीरो हिन्दुस्तानी कहाँ हारने वाला था...वैसे भी वो अभी-2 झड़ा था, इसलिए वो देर तक चलने वाला था इस बार...वो लगा रहा..
फिर वो आसान बदल-2 कर उसको चोदने लगा...कभी उसको अपने उपर खींच कर उसके मुम्मे चूसता हुआ धक्के मारता, कभी उसको पेट के बल लिटा कर उसकी चूत मे पीछे से लंड डालता..और आख़िर मे जब वो झड़ने के करीब आया तो उसने उसको कुतिया वाले पोज़ मे लाकर उसकी भरी हुई गांड को मसल-2 कर चोदा ..और अंत मे उसने अपना सारा माल उसके विदेशी बॅंक मे जमा करा दिया और उसके उपर गिरकर सांड की तरह हाँफने लगा..
ये पूरा कार्यकरम लगभग 40 मिनट तक चला था..
और बाहर बैठा हुआ भूरे सिंग उसकी चुदाई की कला को देखकर हैरान और परेशान हुए जा रहा था...
मालविना में और चुदवाने की हिम्मत नही बची थी, गंगू ने उसकी हालत इतनी बुरी जो कर दी थी.
कुछ देर बाद वो भूरे को किसी तरह से समझा बुझा कर चली गयी...भूरे का मन भी अब चुदाई करने का नही कर रहा था...दोनो ने मिलकर बची हुई शराब की बोतल ख़त्म की और फिर दोनो वापिस अपनी झुग्गी की तरफ चल दिए.
गंगू अपने आप को दुनिया का सबसे भाग्यशाली इंसान समझ रहा था...पर आज पूरे दिन की मेहनत और चुदाई के बाद उसके शरीर मे कुछ भी करने की हालत नही बची थी..उपर से वो नशे मे धुत्त था...वो बस जाकर सोना चाहता था..
पर उसको नही पता था की उसका इंतजार कर रही नेहा के मन मे आज क्या प्रोग्राम चल रहा है.
भूरे ने अपनी जीप कॉलोनी के बाहर ही रोक दी, क्योंकि अंदर तक गाड़ी के जाने का रास्ता नही था..काफ़ी रात हो चुकी थी..भूरे ने किसी तरह से गंगू को अपने कंधे का सहारा दिया और उसको लेकर झुग्गी की तरफ चल दिया.
उसके घर पहुँच कर भूरे ने दरवाजा खड़काया, और कुछ ही देर मे नेहा ने दरवाजा खोल दिया, भूरे ने जैसे ही नेहा को देखा तो वो उसको देखता ही रह गया..
उसने सिर्फ़ एक ब्लाउस और पेटीकोट पहना हुआ था..जिसमे से उसके मोटे-2 उरोज किसी फूटबाल की तरह फँसे हुए थे..गंगू को नशे की हालत मे देखते ही वो जल्दी से दूसरी तरफ आई और उसे अपने कंधे का सहारा देते हुए दोनो अंदर ले आए..
नेहा : "ये क्या हुआ इन्हे....शराब पे है क्या..?"
भूरे : "हाँ भाभी...आप तो ऐसे बोल रही है, जैसे जानती ही नही की ये शराब पीता है..''
अब वो क्या बोलती, वो अपने कमजोर दिमाग़ को दोष देने लगी की क्यो उसको कुछ याद नही है..
वो सोच मे डूबी हुई थी और भूरे उसके गुदाज जिस्म को घूर रहा था..पेटीकोट मे उसकी थाई की शेप साफ़ दिख रही थी..और साथ ही साथ उसके उठते बैठते सीने पर भी उसकी गंदी नज़र थी
और उसकी कुत्ते जैसी नज़र को अपने जिस्म पर चुभता हुआ नेहा भी महसूस कर रही थी..वो तो आज पहले से ही मूड मे थी की कब गंगू आए और कब वो उसके साथ मज़े ले..पर वो नशे की हालत मे क्या कर पाएगा और क्या नही ये तो तभी पता चलेगा जब भूरे सिंह वहाँ से वापिस जाएगा...वो तो गंगू की चारपाई पर ऐसे बैठ गया जैसे वहीं रहने का प्लान हो उसका..
भूरे मन मे सोच रहा था की आख़िर क्या करे की नेहा की जवानी चखने के लिए मिल जाए...पर उसको अपनी बात शुरू करने का कोई उपाय नही सूझ रहा था..और तभी जैसे उपर वाले ने उसकी सुन ली, बिजली चली गयी पूरी कॉलोनी की..और झुग्गी के अंदर घुपप अंधेरा हो गया..
नेहा एकदम से परेशान सी हो गयी...वो अपने हाथों को आगे करती हुई किचन वाले हिस्से मे गयी और माचिस ढूढ़ने लगी..भूरे अपनी जगह से उठा और अपनी उल्लू जैसी आँखों से अंधेरे मे जाकर नेहा से जा टकराया..
नेहा : "ओह्ह्ह्ह .....आप क्यो तकलीफ़ कर रहे हैं....आप बैठिए..मैं माचिस ढूँढती हू...''
भूरे : "कोई बात नही भाभी जी...मैं भी आपकी मदद करता हू..''
इतना कहते हुए भूरे उसके जिस्म से रग़ड़ लगाता हुआ आगे की तरफ आ गया...और फिर अचानक नेहा की तरफ पलट कर खड़ा हो गया..अंधेरा इतना था की नेहा उसकी चाल समझ नही पाई और ना ही देख पाई और सीधा उससे जा टकराई...भूरे ने एकदम से उसको अपनी बाहों मे भर लिया और उसके सेक्सी शरीर को निचोड़ कर रख दिया..
भूरे : "ओफफफफ्फ़ .....सॉरी भाभी ....ये अंधेरा इतना है....ओह्ह्ह्ह्ह ...सम्भालो ...आप गिर ना जाओ...''
उसने जान बूझकर उसका बेलेंस बिगाड़ दिया और नीचे गिरती हुई नेहा को अपनी बाहों मे जकड़कर उपर उठा लिया..उसके मोटे-2 खरबूजे उसकी छाती से बुरी तरह से पिस गये..और हड़बड़ाहट मे उसका हाथ एक बार के लिए भूरे के खड़े हुए लंड से भी छू गया..
एक पल के लिए जैसे वक़्त रुक सा गया...दोनो की गर्म साँसे कमरे मे सुनाई दे रही थी...और साथ ही गंगू के खर्राटे..
नेहा का हाथ उसके लंड से लगकर वहीं जाम सा हो गया..उसका फायेदा उठाकर भूरे ने अपने लंड को एक-दो ठुमके देकर और बड़ा कर लिया..नेहा की हथेली से जैसे आग निकल रही थी..जो उसके लंड को झुलसा देना चाहती हो..
पर अपनी तरफ से पहल करके वो कोई परेशानी खड़ी नही करना चाहता था...एक तो वो जानता नही था की अगर वो अपनी तरफ से पहल करेगा तो नेहा भी उसका साथ देगी या नही और अगर गंगू को बोल दिया तो वो उसको छोड़ेगा नही..गंगू काफ़ी काम का बंदा था अब उसके लिए..जिस तरह से उसने आज करोड़ो रूपए डूबने से बचा लिए वो उसका फायदा आगे भी लेना चाहता था..
वो बिना हीले डुले वहीँ खड़ा रहा..
पर नेहा की हालत खराब थी...उसके लिए तो सारे लंड एक ही समान थे...थोड़ी बहुत बातें उसकी समझ मे आने लगी थी..पर सेक्स अपने पति के साथ ही करना है, ऐसी कोई पाबंदी वो नही जानती थी..
एक तो पहले से ही वो सुलग रही थी..और अब भूरे के खड़े लंड का सहारा मिलने से उसकी भावनाए उमड़ने लगी थी...और उन्ही भावनाओ मे बहते हुए उसने भूरे के लंड को उमेठ दिया..
अब वो भी समझ गया की चिड़िया जाल मे फँस गयी है..वो अपने हाथ उसके मुम्मे पर रखना ही चाहता था की एकदम से लाइट आ गयी..
और गंगू जहाँ सो रहा था, उसके सिर के बिल्कुल उपर बल्ब लगा हुआ था,और एकदम से अपनी आँखों मे रोशनी पड़ते ही वो जाग गया और हड़बड़ा कर उठ बैठा..
पर वो कुछ देख पाता, उससे पहले ही भूरे और नेहा अलग हो गये..
भूरे की तो के एल पी डी हो गयी...उसका लंड मुरझा कर बैठ गया.
गंगू ने अपनी आँखे खोली और उन्हे मलते हुए दोनो की तरफ देखा..
भूरे : "गंगू, तू तो पीने के बाद लूड़क गया था, मैं बस अभी-2 तुझे लेकर आया हू.."
उसने अपने लिए जैसे सफाई दी
गंगू कुछ ना बोला, वो नशे की हालत मे अपने आप को संभालने की कोशिश करने लगा..
पर अब भूरे ने वहाँ से निकलने मे ही भलाई समझी..उसने दोनो से विदा ली और बाहर निकल आया.
पर जाते हुए उसके मन मे एक बात तो पक्की हो चुकी थी की अगर नेहा को ढंग से हेंडल किया जाए तो उसको चोदना काफ़ी आसान काम है.
उसके जाते ही नेहा ने दरवाजा बंद कर दिया और लपककर गंगू के पास आई..पर तब तक वो फिर से सो चुका था..
नेहा को गुस्सा तो काफ़ी आया पर वो कुछ बोल नही पाई..पर आज उसने भी ठान लिया था की मज़े लेकर ही रहेगी...उसने जल्दी-2 अपने कपड़े उतार फेंके और पूरी नंगी हो गयी..
अगर गंगू होश मे होता तो उसे पता चलता की जिसे इतने दीनो से नंगा देखने की चाहत थी वो उसके कमरे मे नंगी खड़ी है और चुदने के लिए पूरी तरह से तय्यार है, पर उसकी किस्मत जैसी आज सुबह से थी शायद रात होते-2 पलट चुकी थी, इसलिए उसके हाथ से इतना सुनहरा मौका निकल गया था.
नेहा का तराशा हुआ बदन बल्ब की रोशनी मे चमक रहा था..वो चलती हुई गंगू के पास आई और उसकी पेंट खोल कर नीचे कर दी..फिर उसने धड़कते दिल से उसके अंडरवीयर को भी नीचे खिसका दिया..
एक पल के लिए तो वो भी डर गयी, उसके सोए हुए नाग को देखकर..सोया हुआ काला लंड इतना ख़तरनाक लग रहा था की अगर कोई पहली बार उसको देख ले तो मर ही जाए..पर नेहा के दिमाग़ मे तो उत्तेजना का बुखार चड़ा हुआ था..उसने काँपते हुए हाथों से उसे अपने हाथ मे लिया..
एक पल के लिए तो उसका शरीर काँप सा उठा, इतना मुलायम लंड था उसका, जैसे कोई जेली से बना हुआ खिलोना हो..वो आगे की तरफ झुकी और अपनी जीभ निकाल कर उसके लंड पर घुमा दी..
उसके लंड से इतनी बुरी बदबू आ रही थी की एक पल के लिए तो उसने अपना मुँह पीछे कर लिया...पर हाथ मे पकड़े हुए लंड मे अचानक जान सी आने लगी तो अपनी चूत के कहने पर वो फिर से गंगू के लंड के करीब गयी और अपनी साँस रोककर एक ही बार मे उसके अकड़ रहे लंड को अपने मुँह मे लेकर ज़ोर-2 से चूसने लगी..
जितना पानी उसकी चूत से निकल रहा था उससे ज़्यादा उसकी लार निकल कर गंगू के लंड को नहला रही थी..
अब नेहा को भी मज़ा आने लगा था उसे चूसते हुए...लंड जितना काला होता है उसका स्वाद उतना ही उत्तेजना से भरा होता है,ये बात आज उसने जान ली थी.
वो गंगू के काले भूसंड लंड को अपने मुँह मे लेकर ज़ोर -2 से चूस रही थी.. जैसे कोई लोलीपोप हो
उसके दिमाग़ मे उस दिन का सीन चल रहा था जब गंगू और रज्जो ने अस्तबल मे चुदाई की थी...काश वो होश मे होता तो वो सारे आसन कर लेती उसके साथ..
पर गंगू होश मे भले ही नही था, पर अपने सपनों मे वो पूरे मज़े ले रहा था..
उसको तो लग रहा था की उसका लंड अभी भी वो रशियन लड़की मालविना ही चूस रही है..उसने अपना हाथ नेहा के सिर पर रख दिया और नशे की हालत मे बड़बड़ाने लगा : "अहहssssssssssssssss ....मालविना .....मेरी जान ....चूस इसको.....खा जा साली, मेरे लौड़े को ...''
गंगू के मुँह से मालविना का नाम सुनकर नेहा की समझ मे कुछ नही आया...अगर कोई समझदार पत्नी होती तो ऐसी हालत मे अपने पति के मुँह से किसी दूसरी लड़की का नाम सुनकर उसकी माँ ही चोद देती, पर नेहा का मामला थोड़ा अलग था...वो बेचारी अपने अधिकारों के बारे मे कुछ भी नही जानती थी...उसकी बला से वो मालविना का नाम ले या रज्जो की चुदाई करे, उसे कोई फ़र्क नही पड़ता था..
वो चारपाई पर चढ़ गयी..वो 69 पोसिशन के बारे मे नही जानती थी, वरना उस वक़्त वो घूमकर गंगू को अपनी चूत खिला देती और खुद उसके लंड की पार्टी उड़ाती..उस बेचारी की चूत मे काफ़ी खुजली हो रही थी...जिसे बुझाना ज़रूरी था...वो गंगू के लंड को जल्द से जल्द अपनी चूत मे लेना चाहती थी...पर गंगू उसके सिर को अपने लंड पर दबाए हुए उसे उपर उठने ही नही दे रहा था..बेचारी अकड़ू सी होकर उसकी टाँगो के बीच बैठी हुई उसके लंड को चूसती रही..
अचानक उसने गंगू की टाँग को अपनी दोनों टांगो के बीच ले लिया , जिसकी वजह से उसके पैर का अंगूठा उसकी चूत से जा टकराया, और अपनी चूत पर उसके पैर का घिस्सा लगते ही वो तड़प सी उठी और दुगने जोश के साथ उसके लंड को चूसने लगी..
पर गंगू ने अपनी तरफ से कुछ नही किया, जिसकी वजह से वो तड़प सी उठी और उसने अपनी चूत को थोड़ा एडजस्ट करते हुए सीधा उसके पैर के अंगूठे पर रखा और उसे अपने अंदर लेकर सिसक उठी..
''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म। …। अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''
भले ही वो पैर का अंगूठा था, पर काफ़ी मोटा और लंबा था...देखा जाए तो वो एक छोटे-मोटे लंड के जैसा ही था..जिसे अपनी चूत मे लेकर नेहा मज़े ले रही थी..अभी के लिए तो उसे जितना मिल रहा था वो उसमे ही खुश हो रही थी...क्योंकि उसे अपनी चूत की आग को बुझाने का इससे अच्छा कोई और उपाय नही सूझ रहा था...
गंगू का अंगूठा अंदर जाकर उसकी क्लिट की मसाज कर रहा था और उसकी बाकी की उंगलियाँ उसकी चूत के होंठों की रगडाई करते हुए उसे दोहरा मज़ा दे रही थी..
और दूसरी तरफ अपनी सुनहरी परी मालविना के सपने लेते हुए गंगू के लंड ने अचानक ज़ोर-2 से पिचकारियाँ निकालनी शुरू कर दी...
नेहा ने इसके बारे मे तो कुछ भी सोचा नही था...उसने अपने मुँह को पीछे करने की काफ़ी कोशिश की पर गंगू ने उसे अपने लंड पर बुरी तरह से दबा रखा था..वो उसके रस नो निगलने के सिवा और कुछ कर ही नही पाई...
और जैसे ही उसके रस का स्वाद उसे अच्छा लगने लगा, बाकी की मलाई वो खुद ही चूस चूसकर उसके लंड की नसों से निकालने लगी...
और साथ ही साथ उसके अंगूठे से घिसाई करते हुए उसकी चूत ने भी गरमा गरम चाशनी उसके पैरों के उपर निकालनी शुरू कर दी..
और बुरी तरह से पस्त होकर वो उपर की तरफ आई और गंगू के गले से लिपट कर लेट गयी...और लेटने के कुछ देर बाद ही उसे गहरी नींद भी आ गयी..
अब वो पूरी नंगी होकर उसके जिस्म से चिपक कर सो रही थी..गंगू भी आधा नंगा था..अब एक बात तो पक्की थी, सुबह उठकर गंगू को अपनी जिंदगी का सबसे हसीन दृश्य देखने को मिलने वाला था ...और उसके बाद क्या होगा ये तो आप सोच भी नही सकते..