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गंगू जब नेहा के पास पहुँचा तो उसके लाल चेहरे को देखकर बोला : "क्या हुआ ...तुम ठीक तो हो ना ...''
वो अपनी सुर्ख आँखों से उसे देखती रही ..पर कुछ बोली नही ...
थोड़ी देर बाद दोनो घर की तरफ चल दिए ..
घर पहुँचकर उसने अपने कपड़े उतार दिए ..और सिर्फ़ पेंटी और ब्रा मे खड़ी होकर अपना बदन सूखाने लगी ..
गंगू ने भी दूसरी तरफ मुँह किया और अपना बदन पोंछते हुए उसने अपनी धोती खोल कर साईड मे रख दी ..वो बिल्कुल नंगा था अब ..
उसने थोड़ी देर पहले ही चुदाई की थी ..इसलिए उसका लॅंड बैठा हुआ था ...पर बैठे हुए भी वो किसी मोटे पाईप की तरहा लटका हुआ काफ़ी ख़तरनाक लग रहा था ...
नेहा की नज़र एकदम से उस तरफ चली गयी ..जब गंगू अपना अंडरवीयर उठा कर पहन रहा था ..
उसके लटके हुए हथियार को देखकर उसकी चूत मे एक टीस सी उभरने लगी ..उसने शायद पहली बार इतना बड़ा लॅंड देखा था ...काला भसंड था गंगू का लॅंड ...देखने मे काफ़ी भयानक सा लग रहा था ...पर ना जाने उस भयानक लॅंड को देखकर भी नेहा की चूत अपना रस निकाल रही थी ..ये कुदरती बात थी ..जो उसकी समझ से परे थी ..
गंगू मन ही मन निश्चय कर चुका था की वो नेहा को ज़ोर ज़बरदस्ती से नही बल्कि वो खुद जब चाहेगी तब चोदेगा ...इसलिए वो अपने लॅंड का प्रदर्शन कर रहा था उसके आगे ...क्योंकि उसका लॅंड ही था जो उसे अपनी मंज़िल तक पहुँचाने मे मदद कर सकता था ...
गंगू कुछ खाने का समान लेने के लिए बाहर निकल गया ..और पीछे से नेहा ने अपने अंगवस्त्र भी उतार कर बदल लिए और गंगू का लाया हुआ घाघरा चोली पहन कर बैठ गयी ..
नाश्ता करने के बाद गंगू जैसे ही बाहर जाने के लिए निकलने लगता है तो नेहा उससे बोली : "कहाँ जा रहे हो ...''
गंगू : "मैने तुम्हे बताया था ना अपने काम के बारे मे ...बस वही जा रहा हू ..भीख माँगने ...अब इस अपाहिज को कोई काम तो देता नही है ...''
उसने अपनी लंगड़ी टांग की तरफ इशारा करते हुए कहा
नेहा बोली : "मैं भी चलूंगी तुम्हारे साथ ...''
गंगू उसकी तरफ हैरानी से देखने लगा ....और बोला : "तुम क्या करोगी ...ये तुम्हारा काम नही है ....''
नेहा : "मैं घर पर क्या करूँगी ....ले चलो ना मुझे भी साथ ...शायद तुम्हारी कुछ मदद ही कर दू ...''
गंगू को क्या परेशानी हो सकती थी ....उसके शातिर दिमाग़ मे अचानक ये ख़याल आया की उसके साथ इतनी सुंदर लड़की को देखकर शायद उसे ज़्यादा भीख मिलने लग जाए ...क्योंकि कॉलोनी मे जो दूसरे भिखारी थे, जिस जिसके साथ उनकी बीबी या या जवान बेटी जाती थी, वो ज़्यादा कमा कर ही आते थे वापिस ...
उसने हामी भर दी और दोनो भीख माँगेने लिए निकल पड़े.
दोनो झोपड़पट्टी से निकल कर मैन रोड पर आ गये . यही से गंगू अक्सर भीख माँगने की शुरूवात करता था ..वहाँ एक चोराहा था, और रेड लाइट लगभग 2 मिनट की होती थी...इसलिए काफ़ी वक़्त मिल जाता था हर गाड़ी के पास जाकर भीख माँगने का ..
गंगू जब वहाँ पहुँचा तो पहले से ही 3-4 भिखारी उस जगह पर भीख माँग रहे थे ..गंगू उन सभी को जानता था ..उन भिखारियों ने जैसे ही गंगू को एक सुंदर सी लड़की के साथ आता हुआ देखा वो अपना काम छोड़कर उन्हे ही देखने लगे ...
नेहा किसी भी एंगल से भिखारी नही लग रही थी .. गंगू ने उसे फूटपाथ पर खड़े होने के लिए कहा और उसे समझाया की पहले देख लो की मैं कैसे भीख माँगता हू ..फिर तुम भी ट्राइ करना ..
ऐसा कहते हुए गंगू को मन ही मन हँसी भी आ रही थी ..वो सोच रहा था की ये इतने अमीर घराने की लड़की लगती है ..पर यादश्त खो जाने की वजह से कैसे काम करने पड़ रहे हैं इसको ..शायद ये भी नही जानती की भीख माँगना इस समाज का सबसे गिरा हुआ काम है जो वो करने जा रही है ..पर इस बात से गंगू को कोई फ़र्क नही पड़ रहा था ..आख़िर वो उसकी मदद ही तो कर रहा था ..वो ना होता तो उसकी इज़्ज़त लुट गयी होती ..शायद वो आदमी उसको मार ही देता उसका रेप करने के बाद ...उसने नेहा की इज़्ज़त ही नही बचाई बल्कि उसे रहने के लिए अपनी झोपड़ी मे जगह भी दी है ..अब वो अगर उसकी मदद कर रही है तो इसमे बुरा ही क्या है ..
गंगू उसको सब कुछ समझा कर एक गाड़ी की तरफ बढ़ गया ..
नेहा ने नोट किया की भीख माँगते हुए गंगू के चेहरे के एक्शप्रेशन बदल गये हैं ..उसकी टाँग मे थोड़ा और लड़कपन आ गया है ..उसकी आवाज़ भी कमजोर सी हो गयी है ..और बोलते हुए वो अपने हाथों को भी धीरे-2 उपर नीचे कर रहा था ..यानी कुल मिलकर वो अपनी बदहाल जिंदगी का वास्ता देकर भीख माँग रहा था ..
वो एक गाड़ी के पास गया ...उसने उसे भगा दिया...फिर दूसरी गाड़ी के पास गया ..उसने भी भगा दिया ...फिर गंगू एक गाड़ी के पास गया जिसमे साथ वाली सीट पर एक बुडी औरत बैठी थी ...वो उसकी तरफ का शीशा खटकाने लगा ...उसने गंगू की हालत देखी और शीशा नीचे करते हुए उसके हाथ मे पाँच का सिक्का रख दिया ..गंगू ने झुक कर उसका आभार प्रकट किया ..और आगे चल दिया ..
नेहा ये सब काफ़ी गौर से देख रही थी ..उसने अपने कपड़ो की तरफ देखा जो बिल्कुल सॉफ सुथरे थे ..कही से फटे भी नही थे और उसका चेहरा भी दूसरे भिखारियों की तरहा गंदा नही था ..
पर एक चीज़ थी उसके पास....उसका हुस्न ..
जिसको देखकर सुबह से ना जाने कितने लोग लार टपका रहे थे ..उसे इस बात का अंदाज़ा तो हो ही चुका था की इंसान की गंदी नज़रें उसके गोरे जिस्म को चोदने मे लगी हुई है ...अब उसके पास भिखारियों की तरहा गंदा जिस्म या कोई टूटा फूटा अंग तो था नही जिसकी सहानभूति बटोर कर वो भीख माँग सके ...जो कुछ भी था वो उसका जिस्म ही था ...
उसने घाघरा चोली पहना हुआ था ..और उपर से क्रॉस करते हुए उसने अपनी छातियों पर दुपट्टा भी लपेटा हुआ था ..नेहा ने वो दुपट्टा हटा दिया ...जिसकी वजा से उसके मोटे-2 मुममे कसी हुई चोली मे दिखने लगे ...चिलचिलाती हुई धूप मे उसका गोरा बदन चमक रहा था ..
गंगू एक कार के पास पहुँचा ...जिसमे एक मोटा सा आदमी बैठे हुए सिगरेट पी रहा था ..उसका एसी चल रहा था और उसने अपनी होंडा सिटी का शीशा खोल रखा था ..
गंगू उसके पास गया और और दोनो हाथ जोड़कर उससे भीख माँगने लगा ..मोटे आदमी ने उसको झिड़क दिया ..वो आगे जाने ही वाला था की तभी पीछे से नेहा की मीठी आवाज़ आई ..
''बाबूजी ....दे दो ना ...सुबह से कुछ नही खाया ...''
गंगू ने झट से पलटकर पीछे देखा ...नेहा अपनी गोल-2 आँखे नाचा कर उसको देखने लगी ..
गंगू मन ही मन खुश हो गया और साईड हो गया ..
अब मोटे आदमी की नज़रें सीधी नेहा की फूली हुई छातियों पर गयी ..उसे तो यकीन ही नही हो रहा था की इतनी सुंदर लड़की भिखारन हो सकती है ...उसने एक लंबा सा कश लिया और अपनी उंगली से इशारा करके नेहा को अपने पास बुलाया ...वो झिझकति हुई सी आगे हो गयी ...फिर उस मोटे आदमी ने अपने मुँह मे भरा हुआ धुंवा उसके चेहरे पर फूँक मारकर निकाल दिया ..
नेहा ने फिर से कहा : "बाबूजी ....दे दो ना कुछ ...''
वो नेहा को घूरता रहा और फिर उसका हाथ अपनी उपर वाली जेब मे गया और उसने एक नोट निकाल कर नेहा के हाथ मे रख दिया ...और रखते हुए उसने अपनी उंगलियों से उसके हाथ को रगड़ भी दिया ...नेहा के लिए ये थोड़ा अजीब था पर फिर भी वो कुछ ना बोली ..तभी ग्रीन लाइट हो गयी और वो कार आगे चली गयी .
उसके जाने के बाद गंगू ने जैसे ही उसके हाथ मे पकड़ा हुआ नोट देखा उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी ...वो 100 का नोट था ..इतने पैसे भीख मे मिलना हर किसी की किस्मत मे नही होता ...वो खुशी से फूला नही समा रहा था ..
नेहा की पहली भीख की कमाई के लिए उसने उसे शाबाशी दी ..और फिर दोनो मिलकर दूसरी तरफ के सिग्नल पर जाकर भीख माँगने लगे ...अगले दो घंटे मे ही उन दोनो ने मिलकर लगभग 800 रुपय कमा लिए ...नेहा को देखकर हर कोई भीख दे रहा था ...कोई 10 देता तो कोई बीस और कोई 50 भी देता ...
वो अपनी सुर्ख आँखों से उसे देखती रही ..पर कुछ बोली नही ...
थोड़ी देर बाद दोनो घर की तरफ चल दिए ..
घर पहुँचकर उसने अपने कपड़े उतार दिए ..और सिर्फ़ पेंटी और ब्रा मे खड़ी होकर अपना बदन सूखाने लगी ..
गंगू ने भी दूसरी तरफ मुँह किया और अपना बदन पोंछते हुए उसने अपनी धोती खोल कर साईड मे रख दी ..वो बिल्कुल नंगा था अब ..
उसने थोड़ी देर पहले ही चुदाई की थी ..इसलिए उसका लॅंड बैठा हुआ था ...पर बैठे हुए भी वो किसी मोटे पाईप की तरहा लटका हुआ काफ़ी ख़तरनाक लग रहा था ...
नेहा की नज़र एकदम से उस तरफ चली गयी ..जब गंगू अपना अंडरवीयर उठा कर पहन रहा था ..
उसके लटके हुए हथियार को देखकर उसकी चूत मे एक टीस सी उभरने लगी ..उसने शायद पहली बार इतना बड़ा लॅंड देखा था ...काला भसंड था गंगू का लॅंड ...देखने मे काफ़ी भयानक सा लग रहा था ...पर ना जाने उस भयानक लॅंड को देखकर भी नेहा की चूत अपना रस निकाल रही थी ..ये कुदरती बात थी ..जो उसकी समझ से परे थी ..
गंगू मन ही मन निश्चय कर चुका था की वो नेहा को ज़ोर ज़बरदस्ती से नही बल्कि वो खुद जब चाहेगी तब चोदेगा ...इसलिए वो अपने लॅंड का प्रदर्शन कर रहा था उसके आगे ...क्योंकि उसका लॅंड ही था जो उसे अपनी मंज़िल तक पहुँचाने मे मदद कर सकता था ...
गंगू कुछ खाने का समान लेने के लिए बाहर निकल गया ..और पीछे से नेहा ने अपने अंगवस्त्र भी उतार कर बदल लिए और गंगू का लाया हुआ घाघरा चोली पहन कर बैठ गयी ..
नाश्ता करने के बाद गंगू जैसे ही बाहर जाने के लिए निकलने लगता है तो नेहा उससे बोली : "कहाँ जा रहे हो ...''
गंगू : "मैने तुम्हे बताया था ना अपने काम के बारे मे ...बस वही जा रहा हू ..भीख माँगने ...अब इस अपाहिज को कोई काम तो देता नही है ...''
उसने अपनी लंगड़ी टांग की तरफ इशारा करते हुए कहा
नेहा बोली : "मैं भी चलूंगी तुम्हारे साथ ...''
गंगू उसकी तरफ हैरानी से देखने लगा ....और बोला : "तुम क्या करोगी ...ये तुम्हारा काम नही है ....''
नेहा : "मैं घर पर क्या करूँगी ....ले चलो ना मुझे भी साथ ...शायद तुम्हारी कुछ मदद ही कर दू ...''
गंगू को क्या परेशानी हो सकती थी ....उसके शातिर दिमाग़ मे अचानक ये ख़याल आया की उसके साथ इतनी सुंदर लड़की को देखकर शायद उसे ज़्यादा भीख मिलने लग जाए ...क्योंकि कॉलोनी मे जो दूसरे भिखारी थे, जिस जिसके साथ उनकी बीबी या या जवान बेटी जाती थी, वो ज़्यादा कमा कर ही आते थे वापिस ...
उसने हामी भर दी और दोनो भीख माँगेने लिए निकल पड़े.
दोनो झोपड़पट्टी से निकल कर मैन रोड पर आ गये . यही से गंगू अक्सर भीख माँगने की शुरूवात करता था ..वहाँ एक चोराहा था, और रेड लाइट लगभग 2 मिनट की होती थी...इसलिए काफ़ी वक़्त मिल जाता था हर गाड़ी के पास जाकर भीख माँगने का ..
गंगू जब वहाँ पहुँचा तो पहले से ही 3-4 भिखारी उस जगह पर भीख माँग रहे थे ..गंगू उन सभी को जानता था ..उन भिखारियों ने जैसे ही गंगू को एक सुंदर सी लड़की के साथ आता हुआ देखा वो अपना काम छोड़कर उन्हे ही देखने लगे ...
नेहा किसी भी एंगल से भिखारी नही लग रही थी .. गंगू ने उसे फूटपाथ पर खड़े होने के लिए कहा और उसे समझाया की पहले देख लो की मैं कैसे भीख माँगता हू ..फिर तुम भी ट्राइ करना ..
ऐसा कहते हुए गंगू को मन ही मन हँसी भी आ रही थी ..वो सोच रहा था की ये इतने अमीर घराने की लड़की लगती है ..पर यादश्त खो जाने की वजह से कैसे काम करने पड़ रहे हैं इसको ..शायद ये भी नही जानती की भीख माँगना इस समाज का सबसे गिरा हुआ काम है जो वो करने जा रही है ..पर इस बात से गंगू को कोई फ़र्क नही पड़ रहा था ..आख़िर वो उसकी मदद ही तो कर रहा था ..वो ना होता तो उसकी इज़्ज़त लुट गयी होती ..शायद वो आदमी उसको मार ही देता उसका रेप करने के बाद ...उसने नेहा की इज़्ज़त ही नही बचाई बल्कि उसे रहने के लिए अपनी झोपड़ी मे जगह भी दी है ..अब वो अगर उसकी मदद कर रही है तो इसमे बुरा ही क्या है ..
गंगू उसको सब कुछ समझा कर एक गाड़ी की तरफ बढ़ गया ..
नेहा ने नोट किया की भीख माँगते हुए गंगू के चेहरे के एक्शप्रेशन बदल गये हैं ..उसकी टाँग मे थोड़ा और लड़कपन आ गया है ..उसकी आवाज़ भी कमजोर सी हो गयी है ..और बोलते हुए वो अपने हाथों को भी धीरे-2 उपर नीचे कर रहा था ..यानी कुल मिलकर वो अपनी बदहाल जिंदगी का वास्ता देकर भीख माँग रहा था ..
वो एक गाड़ी के पास गया ...उसने उसे भगा दिया...फिर दूसरी गाड़ी के पास गया ..उसने भी भगा दिया ...फिर गंगू एक गाड़ी के पास गया जिसमे साथ वाली सीट पर एक बुडी औरत बैठी थी ...वो उसकी तरफ का शीशा खटकाने लगा ...उसने गंगू की हालत देखी और शीशा नीचे करते हुए उसके हाथ मे पाँच का सिक्का रख दिया ..गंगू ने झुक कर उसका आभार प्रकट किया ..और आगे चल दिया ..
नेहा ये सब काफ़ी गौर से देख रही थी ..उसने अपने कपड़ो की तरफ देखा जो बिल्कुल सॉफ सुथरे थे ..कही से फटे भी नही थे और उसका चेहरा भी दूसरे भिखारियों की तरहा गंदा नही था ..
पर एक चीज़ थी उसके पास....उसका हुस्न ..
जिसको देखकर सुबह से ना जाने कितने लोग लार टपका रहे थे ..उसे इस बात का अंदाज़ा तो हो ही चुका था की इंसान की गंदी नज़रें उसके गोरे जिस्म को चोदने मे लगी हुई है ...अब उसके पास भिखारियों की तरहा गंदा जिस्म या कोई टूटा फूटा अंग तो था नही जिसकी सहानभूति बटोर कर वो भीख माँग सके ...जो कुछ भी था वो उसका जिस्म ही था ...
उसने घाघरा चोली पहना हुआ था ..और उपर से क्रॉस करते हुए उसने अपनी छातियों पर दुपट्टा भी लपेटा हुआ था ..नेहा ने वो दुपट्टा हटा दिया ...जिसकी वजा से उसके मोटे-2 मुममे कसी हुई चोली मे दिखने लगे ...चिलचिलाती हुई धूप मे उसका गोरा बदन चमक रहा था ..
गंगू एक कार के पास पहुँचा ...जिसमे एक मोटा सा आदमी बैठे हुए सिगरेट पी रहा था ..उसका एसी चल रहा था और उसने अपनी होंडा सिटी का शीशा खोल रखा था ..
गंगू उसके पास गया और और दोनो हाथ जोड़कर उससे भीख माँगने लगा ..मोटे आदमी ने उसको झिड़क दिया ..वो आगे जाने ही वाला था की तभी पीछे से नेहा की मीठी आवाज़ आई ..
''बाबूजी ....दे दो ना ...सुबह से कुछ नही खाया ...''
गंगू ने झट से पलटकर पीछे देखा ...नेहा अपनी गोल-2 आँखे नाचा कर उसको देखने लगी ..
गंगू मन ही मन खुश हो गया और साईड हो गया ..
अब मोटे आदमी की नज़रें सीधी नेहा की फूली हुई छातियों पर गयी ..उसे तो यकीन ही नही हो रहा था की इतनी सुंदर लड़की भिखारन हो सकती है ...उसने एक लंबा सा कश लिया और अपनी उंगली से इशारा करके नेहा को अपने पास बुलाया ...वो झिझकति हुई सी आगे हो गयी ...फिर उस मोटे आदमी ने अपने मुँह मे भरा हुआ धुंवा उसके चेहरे पर फूँक मारकर निकाल दिया ..
नेहा ने फिर से कहा : "बाबूजी ....दे दो ना कुछ ...''
वो नेहा को घूरता रहा और फिर उसका हाथ अपनी उपर वाली जेब मे गया और उसने एक नोट निकाल कर नेहा के हाथ मे रख दिया ...और रखते हुए उसने अपनी उंगलियों से उसके हाथ को रगड़ भी दिया ...नेहा के लिए ये थोड़ा अजीब था पर फिर भी वो कुछ ना बोली ..तभी ग्रीन लाइट हो गयी और वो कार आगे चली गयी .
उसके जाने के बाद गंगू ने जैसे ही उसके हाथ मे पकड़ा हुआ नोट देखा उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी ...वो 100 का नोट था ..इतने पैसे भीख मे मिलना हर किसी की किस्मत मे नही होता ...वो खुशी से फूला नही समा रहा था ..
नेहा की पहली भीख की कमाई के लिए उसने उसे शाबाशी दी ..और फिर दोनो मिलकर दूसरी तरफ के सिग्नल पर जाकर भीख माँगने लगे ...अगले दो घंटे मे ही उन दोनो ने मिलकर लगभग 800 रुपय कमा लिए ...नेहा को देखकर हर कोई भीख दे रहा था ...कोई 10 देता तो कोई बीस और कोई 50 भी देता ...
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