अपडेट - १
मै फटाफट उठ के देखता हूँ कि वो बाथरूम में चली गई इधर उसके भाई पर नजर डाली तो वो खर्राटे मार रहा था | मैंने लड़की के बैग की तरफ नजर डाली तो वो अधखुला पड़ा हुआ था और मोबाईल सामने ही नज़र आ रहा था | मैंने फट से उसका मोबाईल उठा लिया और लास्ट कॉल का नम्बर अपने मोबाईल में फीड कर लिया | अब मैंने उसके मोबाइल से अपना नम्बर डायल किया और और उसके मोबाइल से लास्ट डायल्ड कॉल डिलीट कर दी | झट से मैंने उसका मोबाइल उसी तरह रख दिया जैसे रक्खा था और लेट कर अधखुली आँखों से उसके आने का इंतज़ार करने लगा | जल्द ही वो आ गई और अपनी सीट पर खिड़की के पास बैठ गई |
इधर मेरा दिल धक धक कर रहा था | थोड़ी देर में जब मै सामान्य हुआ तो मुझे लगा की लड़की अकेली बैठी है उसका भाई सो रहा है सो मौक़ा छोड़ना नही चाहिए | इसका फायदा उठाने की कोशिश करनी चाहिए | मरे मन में कई तरह के विचार आने लगे थे किसी की कही ये बात मुझे बार बार याद आ रही थी की वासना में डूबी हुई औरत अपनी वासना मिटाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है | मैंने ऐसे किस्से कहानियाँ तो बहुत सुने थे की ट्रेन के सफर के दौरान हुई मुलाक़ात में लड़की पट गई और उसने करवा भी लिया | लेकिन मेरा यह पहला मौक़ा था जब मेरे सामने एक शादीशुदा लेकिन प्यासी और वासना में डूबी हुई एक औरत थी लेकिन बात आगे कैसे बढानी है यह मेरे लिए एक बड़ा चैलेंज था | लड़की माल इतनी मस्त थी की मैंने रिस्क लेने कि सोची | लेकिन बात कैसे शुरू करूँ ? कुछ समझ नही आ रहा था | बहुत सोचने के बाद मरे दिमाग में एक आइडिया आया | मैंने अपने मोबाइल की रिंग टोन जान बुझ कर बजा दी और दो तीन रिंग के बाद उठ बैठा | फोन हाथ में लेते हुए लड़की की तरफ नजर डाली ...........एक बार मेरी तरफ देखने के बाद वो फिर खिड़की से बाहर देखने लगी | मै फोन उठा के बात करने का नाटक करते हुए बोला ................हैलो ..........हाँ बोलिए | कुछ देर रुकने के बाद मै बोला (यह दिखाते हुए की इतनी देर मै दूसरी तरफ के आदमी की बात सुन रहा था ) देखो सुनीता हर बार यह ठीक नही है | तुम्हारे और आलोक के कहने पर मैंने तुम्हारे साथ वो सब कुछ किया |
अब मैंने देखा की वो लड़की बहुत ध्यान से मेरी बात सुनने लगी थी जो मै चाहता भी था | थोड़ी देर रुकने के बाद मैने कहा .............
हाँ सुनीता माना की आलोक तुम्हारा पति है और वो इसके लिए राजी है लेकिन हर बार मेरे साथ करवाओगी तो मै और तुम भावनात्मक रूप से जुड़ते चले जाएंगे और आलोक तुमसे दूर होता जाएगा |
फिर थोड़ी देर रुक के मै बोला .........सुनीता मै ट्रेन में हूँ और इस वक्त अपने धक्कों और कितनी देर करता हूँ आदि की खुल कर बात नही कर सकता और इसमें करने वाली बात है भी नही ............ये तुम भी जानती हो और मै भी | अब आलोक का मेरे जितना लम्बा और मोटा तो नही हो सकता पर हाँ तुम सपोर्ट करोगी तो धीरे धीरे वो कुछ देर तक तुम्हारे साथ कर पाएगा |
मै फिर थोड़ी देर रुका और यह समझने कि कोशिश की कि सामने बैठी लड़की के मन में क्या चल रहा है ? फिर मैंने बोलना शुरू किया ............ अच्छा यार मान लिया ...........बस अब खुश ? आज पहुँच रहा हूँ | अब तो ठीक है ? फिर थोड़ी देर रुकने के बाद ...........ओके बाय और मैंने फोन रख दिया |
अब मैंने थोड़ी हिम्मत करके उस लड़की से मुखातिब होते हुए बोला ........... माफ़ कीजिएगा बहनजी मै जानता हूँ मुझे आपके सामने ऐसी बातें नही करनी चाहिए यही लेकिन यही समझ लीजिए की मेरी मजबूरी थी | नही करता यो वो लड़की थोड़ी सेंटिमेंटल है जाने क्या कर बैठती |
हल्की मुस्कराहट के साथ सामने वाली लड़की बोली ........ कोई बात नही मै समझ सकती हूँ | उसके इस ज़वाब के बाद हमारे बीच बातचीत बंद हो गई | मै बेचैन हो गया की बातचीत कैसे आगे बढ़ाऊँ ? मै इसी उधेड़बुन में था कि वो लड़की बोल उठी ........... क्या जिस लड़की से आप बात कर रहे थे वो आपकी पड़ोसन है ?
न नही असल में वो मेरी रिश्तेदार है |
हाय राम .... उस लड़की के मुँह से निकला | तो क्या रिश्तेदारी में भी ये सब होता है ?
बहनजी जब जिंदगी ऐसे मोड़ पर ला के खड़ा करती है तो बाप बेटी का रिश्ता खत्म होते देर नही लगती फिर ये तो मेरी दूर की मौसेरी बहन है |
हे भगवान् भाई बहन के बीच ये सब? उस लड़की कि मानो आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गईं |
हाँ बहनजी | मुझे पता है पहली नज़र में ये किसी को भी गलत लगेगा पर मै यही कहूंगा की किसी भी बात का फैसला पूरी बात सुन कर ही करना चाहिए |
ऐसी क्या बात हो सकती है सिवाय इसके की दोनों भाई बहन ऐयाश हैं और अपनी वासना पूरी करने के लिए ऐसा कर रहे हैं |
नही ऐसा नही है |
तो कैसा है आप ही बताइए |
जरुर बताऊंगा पर एक शर्त है |
वो क्या ?
वो ये की आप निष्पक्ष हो के अपने विचार बताएंगी |
मंजूर है .......... लड़की बोली |
मेरी मौसेरी बहन का नाम सुनीता है और इसकी शादी एक साधारण परिवार में हुई | शादी के समय सुनीता वास्तव में कुँवारी थी और उसने अपना कौमार्य अपने पति आलोक को सौंपा | तब तक हम दोनों के मन में एक दुसरे के लिए कोई ऐसी वैसी भावना नही थी |
अच्छा | फिर ?
सुनीता का पति एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता है और मेरा बिजनेस भी इसी शहर में है | शादी के कुछ दिनों बाद एक दिन सुनीता अपने पति के साथ मेरे घर आई | यहाँ पर भी मैंने अपना घर बनवा लिया है |
कौन कौन रहता है यहाँ आपके घर में ?.............लड़की पूछ बैठी |
कोई नही बस मै अकेला ही रहता हूँ |
अच्छा फिर सुनीता आपके घर आई तो क्या हुआ आगे ?
कुछ ख़ास नही वो बातो ही बातों में बोली की भैया इस महंगाई के जमाने में इनकी कम तनख्वाह में मुश्किल से गुज़ारा हो पाता है | घर के किराए में ही अच्छा खासा पैसा निकल जाता है |
तब मैंने कहा अरे सुनीता मेरा घर तो खाली ही है तो तुम आ जाओ मेरे घर में | मुझे भी नौकर के हाथ के खाने से मुक्ति मिल जाएगी | अपनी बहन के हाथ का खाना खाने को मिलेगा |
लेकिन भैया इतने बड़े घर का किराया ? सुनीता कुछ सकुचाते हुए बोली |
कोई किराया नही | पागल है क्या ? भाई बोलती है और किराए कि बात करती है?
ओह भैया आप कितने नेकदिल हो कहते हुए सुनीता मेरे गले लग गई |
मैंने उसके बालों में हाथ फिराया और उसे अपने से अलग किया |
तो क्या उस समय आपके मन में अपनी बहन के लिए कोई गलत ख्याल आया था | लड़की ने पूछा |
नही बिलकुल नही |
ओके फिर आगे क्या हुआ ?
फिर एक दो दिन बाद सुनीता मेरे घर में शिफ्ट हो गई |
दिन बीतने लगे |जैसे जैसे दिन बितते गए मुझे सुनीता और आलोक के विषय में कुछ आंतरिक बातें पता चलने लगी |
जैसे कौन सी बात ?
जैसे की आलोक शराब पीता था | वो कोई बड़ा शराबी नही था लेकिन बिना पीए रात को सोता नही था |
अच्छा | लड़की बोली |
और इधर सुनीता शराब से नफरत करती थी | एक बात और ...............
वो क्या ? लड़की ने उत्सुकता से पूछा
वो की सोने से पहले वो सुनीता के साथ करता जरूर था | मेरा मतलब की .............. शायद आप समझ गई होंगी |
लड़की ने नजरें नीची कर ली और कहा जी हाँ मै शादीशुदा हूँ तो ये सब समझती हूँ | आप आगे बताइए |
जी ......... कहते हुए मैने कहना शुरू किया ................
एक तो सुनीता को शराब की दुर्गन्ध पसंद नही थी उपर से आलोक सुनीता के बदन की गर्मी ज्यादा देर नही बर्दाश्त कर पाता था और उसका पानी छूट जाता था | नतीजा ये होता था की सुनीता तड़पती रह जाती और आलोक अपना काम निपटा के सो जाता | ये रोज़ का सिलसिला था और इसके कारण आलोक और सुनीता में झगड़े होने भी शुरू हो गए थे |
मैंने अब अपनी बातों में खुलापन लाना शुरू कर दिया था और रश्मी (सामने वाली लड़की ) मग्न होकर मेरी बात सुन रही थी | अब तक मै सुनीता कि कहानी उस मोड़ पर ला चुका था जहां वो रश्मी की जिंदगी से मिलती जुलती हो गई थी क्योंकि रश्मी का पति भी उसे संतुष्ट नही कर पाता था जैसा की उसकी फोन पर की हुई बातों से समझ आया था | अब मै यह देखना चाहता था की सुनीता की कहानी रश्मी पर क्या असर डालती और वही मेरा आगे का कदम भी तय करने वाली थी
मै फटाफट उठ के देखता हूँ कि वो बाथरूम में चली गई इधर उसके भाई पर नजर डाली तो वो खर्राटे मार रहा था | मैंने लड़की के बैग की तरफ नजर डाली तो वो अधखुला पड़ा हुआ था और मोबाईल सामने ही नज़र आ रहा था | मैंने फट से उसका मोबाईल उठा लिया और लास्ट कॉल का नम्बर अपने मोबाईल में फीड कर लिया | अब मैंने उसके मोबाइल से अपना नम्बर डायल किया और और उसके मोबाइल से लास्ट डायल्ड कॉल डिलीट कर दी | झट से मैंने उसका मोबाइल उसी तरह रख दिया जैसे रक्खा था और लेट कर अधखुली आँखों से उसके आने का इंतज़ार करने लगा | जल्द ही वो आ गई और अपनी सीट पर खिड़की के पास बैठ गई |
इधर मेरा दिल धक धक कर रहा था | थोड़ी देर में जब मै सामान्य हुआ तो मुझे लगा की लड़की अकेली बैठी है उसका भाई सो रहा है सो मौक़ा छोड़ना नही चाहिए | इसका फायदा उठाने की कोशिश करनी चाहिए | मरे मन में कई तरह के विचार आने लगे थे किसी की कही ये बात मुझे बार बार याद आ रही थी की वासना में डूबी हुई औरत अपनी वासना मिटाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है | मैंने ऐसे किस्से कहानियाँ तो बहुत सुने थे की ट्रेन के सफर के दौरान हुई मुलाक़ात में लड़की पट गई और उसने करवा भी लिया | लेकिन मेरा यह पहला मौक़ा था जब मेरे सामने एक शादीशुदा लेकिन प्यासी और वासना में डूबी हुई एक औरत थी लेकिन बात आगे कैसे बढानी है यह मेरे लिए एक बड़ा चैलेंज था | लड़की माल इतनी मस्त थी की मैंने रिस्क लेने कि सोची | लेकिन बात कैसे शुरू करूँ ? कुछ समझ नही आ रहा था | बहुत सोचने के बाद मरे दिमाग में एक आइडिया आया | मैंने अपने मोबाइल की रिंग टोन जान बुझ कर बजा दी और दो तीन रिंग के बाद उठ बैठा | फोन हाथ में लेते हुए लड़की की तरफ नजर डाली ...........एक बार मेरी तरफ देखने के बाद वो फिर खिड़की से बाहर देखने लगी | मै फोन उठा के बात करने का नाटक करते हुए बोला ................हैलो ..........हाँ बोलिए | कुछ देर रुकने के बाद मै बोला (यह दिखाते हुए की इतनी देर मै दूसरी तरफ के आदमी की बात सुन रहा था ) देखो सुनीता हर बार यह ठीक नही है | तुम्हारे और आलोक के कहने पर मैंने तुम्हारे साथ वो सब कुछ किया |
अब मैंने देखा की वो लड़की बहुत ध्यान से मेरी बात सुनने लगी थी जो मै चाहता भी था | थोड़ी देर रुकने के बाद मैने कहा .............
हाँ सुनीता माना की आलोक तुम्हारा पति है और वो इसके लिए राजी है लेकिन हर बार मेरे साथ करवाओगी तो मै और तुम भावनात्मक रूप से जुड़ते चले जाएंगे और आलोक तुमसे दूर होता जाएगा |
फिर थोड़ी देर रुक के मै बोला .........सुनीता मै ट्रेन में हूँ और इस वक्त अपने धक्कों और कितनी देर करता हूँ आदि की खुल कर बात नही कर सकता और इसमें करने वाली बात है भी नही ............ये तुम भी जानती हो और मै भी | अब आलोक का मेरे जितना लम्बा और मोटा तो नही हो सकता पर हाँ तुम सपोर्ट करोगी तो धीरे धीरे वो कुछ देर तक तुम्हारे साथ कर पाएगा |
मै फिर थोड़ी देर रुका और यह समझने कि कोशिश की कि सामने बैठी लड़की के मन में क्या चल रहा है ? फिर मैंने बोलना शुरू किया ............ अच्छा यार मान लिया ...........बस अब खुश ? आज पहुँच रहा हूँ | अब तो ठीक है ? फिर थोड़ी देर रुकने के बाद ...........ओके बाय और मैंने फोन रख दिया |
अब मैंने थोड़ी हिम्मत करके उस लड़की से मुखातिब होते हुए बोला ........... माफ़ कीजिएगा बहनजी मै जानता हूँ मुझे आपके सामने ऐसी बातें नही करनी चाहिए यही लेकिन यही समझ लीजिए की मेरी मजबूरी थी | नही करता यो वो लड़की थोड़ी सेंटिमेंटल है जाने क्या कर बैठती |
हल्की मुस्कराहट के साथ सामने वाली लड़की बोली ........ कोई बात नही मै समझ सकती हूँ | उसके इस ज़वाब के बाद हमारे बीच बातचीत बंद हो गई | मै बेचैन हो गया की बातचीत कैसे आगे बढ़ाऊँ ? मै इसी उधेड़बुन में था कि वो लड़की बोल उठी ........... क्या जिस लड़की से आप बात कर रहे थे वो आपकी पड़ोसन है ?
न नही असल में वो मेरी रिश्तेदार है |
हाय राम .... उस लड़की के मुँह से निकला | तो क्या रिश्तेदारी में भी ये सब होता है ?
बहनजी जब जिंदगी ऐसे मोड़ पर ला के खड़ा करती है तो बाप बेटी का रिश्ता खत्म होते देर नही लगती फिर ये तो मेरी दूर की मौसेरी बहन है |
हे भगवान् भाई बहन के बीच ये सब? उस लड़की कि मानो आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गईं |
हाँ बहनजी | मुझे पता है पहली नज़र में ये किसी को भी गलत लगेगा पर मै यही कहूंगा की किसी भी बात का फैसला पूरी बात सुन कर ही करना चाहिए |
ऐसी क्या बात हो सकती है सिवाय इसके की दोनों भाई बहन ऐयाश हैं और अपनी वासना पूरी करने के लिए ऐसा कर रहे हैं |
नही ऐसा नही है |
तो कैसा है आप ही बताइए |
जरुर बताऊंगा पर एक शर्त है |
वो क्या ?
वो ये की आप निष्पक्ष हो के अपने विचार बताएंगी |
मंजूर है .......... लड़की बोली |
मेरी मौसेरी बहन का नाम सुनीता है और इसकी शादी एक साधारण परिवार में हुई | शादी के समय सुनीता वास्तव में कुँवारी थी और उसने अपना कौमार्य अपने पति आलोक को सौंपा | तब तक हम दोनों के मन में एक दुसरे के लिए कोई ऐसी वैसी भावना नही थी |
अच्छा | फिर ?
सुनीता का पति एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता है और मेरा बिजनेस भी इसी शहर में है | शादी के कुछ दिनों बाद एक दिन सुनीता अपने पति के साथ मेरे घर आई | यहाँ पर भी मैंने अपना घर बनवा लिया है |
कौन कौन रहता है यहाँ आपके घर में ?.............लड़की पूछ बैठी |
कोई नही बस मै अकेला ही रहता हूँ |
अच्छा फिर सुनीता आपके घर आई तो क्या हुआ आगे ?
कुछ ख़ास नही वो बातो ही बातों में बोली की भैया इस महंगाई के जमाने में इनकी कम तनख्वाह में मुश्किल से गुज़ारा हो पाता है | घर के किराए में ही अच्छा खासा पैसा निकल जाता है |
तब मैंने कहा अरे सुनीता मेरा घर तो खाली ही है तो तुम आ जाओ मेरे घर में | मुझे भी नौकर के हाथ के खाने से मुक्ति मिल जाएगी | अपनी बहन के हाथ का खाना खाने को मिलेगा |
लेकिन भैया इतने बड़े घर का किराया ? सुनीता कुछ सकुचाते हुए बोली |
कोई किराया नही | पागल है क्या ? भाई बोलती है और किराए कि बात करती है?
ओह भैया आप कितने नेकदिल हो कहते हुए सुनीता मेरे गले लग गई |
मैंने उसके बालों में हाथ फिराया और उसे अपने से अलग किया |
तो क्या उस समय आपके मन में अपनी बहन के लिए कोई गलत ख्याल आया था | लड़की ने पूछा |
नही बिलकुल नही |
ओके फिर आगे क्या हुआ ?
फिर एक दो दिन बाद सुनीता मेरे घर में शिफ्ट हो गई |
दिन बीतने लगे |जैसे जैसे दिन बितते गए मुझे सुनीता और आलोक के विषय में कुछ आंतरिक बातें पता चलने लगी |
जैसे कौन सी बात ?
जैसे की आलोक शराब पीता था | वो कोई बड़ा शराबी नही था लेकिन बिना पीए रात को सोता नही था |
अच्छा | लड़की बोली |
और इधर सुनीता शराब से नफरत करती थी | एक बात और ...............
वो क्या ? लड़की ने उत्सुकता से पूछा
वो की सोने से पहले वो सुनीता के साथ करता जरूर था | मेरा मतलब की .............. शायद आप समझ गई होंगी |
लड़की ने नजरें नीची कर ली और कहा जी हाँ मै शादीशुदा हूँ तो ये सब समझती हूँ | आप आगे बताइए |
जी ......... कहते हुए मैने कहना शुरू किया ................
एक तो सुनीता को शराब की दुर्गन्ध पसंद नही थी उपर से आलोक सुनीता के बदन की गर्मी ज्यादा देर नही बर्दाश्त कर पाता था और उसका पानी छूट जाता था | नतीजा ये होता था की सुनीता तड़पती रह जाती और आलोक अपना काम निपटा के सो जाता | ये रोज़ का सिलसिला था और इसके कारण आलोक और सुनीता में झगड़े होने भी शुरू हो गए थे |
मैंने अब अपनी बातों में खुलापन लाना शुरू कर दिया था और रश्मी (सामने वाली लड़की ) मग्न होकर मेरी बात सुन रही थी | अब तक मै सुनीता कि कहानी उस मोड़ पर ला चुका था जहां वो रश्मी की जिंदगी से मिलती जुलती हो गई थी क्योंकि रश्मी का पति भी उसे संतुष्ट नही कर पाता था जैसा की उसकी फोन पर की हुई बातों से समझ आया था | अब मै यह देखना चाहता था की सुनीता की कहानी रश्मी पर क्या असर डालती और वही मेरा आगे का कदम भी तय करने वाली थी