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Thriller एक सफेदपोश की....मौत!

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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बहुत अच्छा लिखा है ! गति भी काफ़ी तेज़ है। बढ़िया !
 

Lovely Anand

Love is life
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बहुत अच्छा लिखा है ! गति भी काफ़ी तेज़ है। बढ़िया !
धन्यवाद। जुड़े रहें यह बिना सेक्स वाली कहानी है. U/A type
 
Last edited:

sunoanuj

Well-Known Member
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धन्यवाद। जुड़े रहें यह बिना सेक्स वाली कहानी है. U/A type

Bahut badhiya bahut dino baad koi thriller khani aayi hai …

next update kab tak aane ki umeed hai mitr

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻🌷🌷🌷🌷
 

Lovely Anand

Love is life
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अपडेट 3
कुछ ही देर में जोरावर सिंह का भाई राजा कमरे में आ चुका था उसने शराब पी हुई थी तथा उसके दाहिने गाल पर चोट का निशान था. ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी मजबूत चीज से टकराने की वजह से वह लाल हो गया था तथा कुछ फूल भी गया था।

अंदर का दृश्य देखकर राजा की आंखें आश्चर्य से फट गई शराब की खुमारी एक पल में काफूर हो गई। उसने अपने गाउन की जेब टटोली पर वह मोबाइल अपने कमरे में ही छोड़ आया था उसने रजिया से कहा

" जा मेरा मोबाइल ले आ"

रजिया भागती हुई राजा के कमरे की तरफ चली गई। इधर राजा जोरावर सिंह को छूकर यह तसल्ली करना चाह रहा था कि अभी उनमें कहीं जान बाकी तो नहीं है परंतु वहां खड़े पुलिस वाले ने उसे रोकने की कोशिश की।

"राजा भैया वहां मत जाइए विधायक साहब अब नहीं रहे"

राजा ने उसकी बात न मानी और वह जोरावर सिंह का हाथ पकड़कर उसकी नब्ज नापने की कोशिश करने लगा तथा जैसे ही उसे नब्ज शांत होने का एहसास हुआ वह एक बार फिर फूट-फूट कर रोने लगा और उनके हाथों को चूमने लगा। वही पुलिस वाला एक बार फिर राजा को पकड़ कर उन्हें जोरावर सिंह से दूर कर रहा था अब तक रजिया फोन लेकर आ चुकी थी।

राजा ने फोन लिया उसकी उंगलियां तेजी से उसके मोबाइल की कांटेक्ट लिस्ट को तलाशने लगीं।.

"भूरेलाल...तुरंत लाल कोठी पर आ जा सारे थानों को फोन कर पूरे शहर की नाकेबंदी करा. वो मादरचोद यहां से भागना नहीं चाहिए अभी वह ज्यादा दूर नहीं गया होगा।"

"राजा भैया हुआ क्या?" भूरे लाल की आवाज

"किसी ने जोरावर भैया का खून कर दिया है"

रिया अब अपनी आंखें खोल चुकी थी रश्मि उसे सांत्वना दे रही थी राजा की गरजती आवाज से वह डर से कांप रही थी। अनिष्ट हो चुका था वह अपनी सांसें रोके सामने चल रहे दृश्य देख रही थी। उसी समय जोरावर सिंह के कमरे में लगी घड़ी में दो बार मधुर आवाज में टन टन की आवाज देकर रात के 2:00 बजने की सूचना दे दी.

उघर लाल कोठी के मुख्य द्वार पर अब सिर्फ एक पुलिस वाला बचा था बाकी के दो पुलिस वाले लाल कोठी के अंदर आ गए थे तभी एक व्यक्ति लाल कोठी के मेन गेट से बाहर जाने का प्रयास कर रहा था। उसने सफेद रंग का कुर्ता पायजामा पहना हुआ था तथा चेहरे पर अंगोछा बंधे हुए था।

जैसे ही वह विकेट गेट ( मुख्य द्वार के अंदर एक छोटा दरवाजा जो सामान्यतः आने जाने के लिए प्रयोग किया जाता है) को खोलकर बाहर आया..

गेट पर खड़े पुलिस वाले ने कहा…

"अभी इस कोठी से बाहर कोई नहीं जा सकता अंदर मर्डर हुआ है साहब को आने दीजिए तब बाहर जाइएगा"

उस व्यक्ति ने पुलिस वाले को धक्का दिया और तेजी से भाग निकला इस अप्रत्याशित हमले से वह पुलिस वाला जमीन पर नीचे गिर पड़ा था जब तक की वह उठकर उसका पीछा करता वह व्यक्ति अंधेरे में विलीन हो गया। पुलिस वाले ने कोठी के अंदर गए अपने साथियों को इस बात की सूचना दी परंतु अब देर हो चुकी थी। कुछ ही देर में पुलिस की कई गाड़ियां सायरन बजाती हुई लाल कोठी के मुख्य द्वार पर आ चुकी। पुलिस की बड़ी वैन में 30 - 40 सिपाही आकर लाल कोठी को घेर चुके थे।

लाल कोठी के सामने वाले पार्क में अब भी 20 - 25 आदमी थे जो सहमे हुए खड़े थे उनमें से कुछ अपना टेंट का सामान समेट रहे थे पुलिस वालों के आते ही वह सावधान मुद्रा में खड़े हो गए।

पुलिस इंस्पेक्टर खान ने गरजती आवाज में कहा

"कोई आदमी कोठी से बाहर नहीं जाएगा तुम सब लोग लाइन लगाकर इधर खड़े हो जाओ जब तक मैं ना कहूं कोई यहां से हिलेगा भी नहीं।"

पठान नीचे ही खड़ा था वह इस्पेक्टर खान को लेकर जोरावर सिंह के कमरे की तरफ जाने लगा रास्ते में इस्पेक्टर खान ने पूछा

"तुम लोगों के रहते किस मादरचोद की हिम्मत हुई?"

"साहब हम लोग तो गेट पर ही थे पिछले 2 घंटे में कोई बाहर का आदमी अंदर नहीं गया"

"तो क्या कातिल पहले से ही घर में घुस कर बैठा था"

पठान जब तक कुछ सोच पाता तब तक जोरावर सिंह का कमरा आ गया था। खान ने कहा

"प्लीज आप लोग सब कमरे से बाहर चाहिए यह क्राइम सीन है यहां पर किसी का रहना उचित नहीं।"

रश्मि रिया को लेकर उसके कमरे में आ गई जो कि जोरावर सिंह के कमरे के ठीक बगल में था। रजिया और उसकी मां भी उनके पीछे पीछे रिया के कमरे में आ गई। कालू और हीरा अभी भी नीचे ही खड़े थे।

खान के साथ आए 5- 6 पुलिस वालों ने कमरे का बारीकी से मुआयना करना शुरू कर दिया.

थोड़ी ही देर में डीएसपी भूरेलाल भी कमरे में आ चुका था उसने आते ही कमान संभाल ली. उसके साथ आए फोटोग्राफर ने घटनास्थल की हर एंगल से तस्वीरें लेना शुरू कर दी. .

जोरावर सिंह को 2 गोलियां मारी गई थीं एक कान के नीचे और दूसरा गुदाद्वार और प्राइवेट पार्ट के बीच में। जोरावर सिंह के दाहिनी भुजा पर खंजर या चाकू की खरोच के निशान थे। कान के पास मारी गई गोली के कारण रक्त स्राव हुआ था जिससे उनका चेहरा रक्त से सन गया था।

वहीं दूसरी तरफ रजनी को गोली ठीक हृदय के ऊपर लगी थी।

जोरावर सिंह की रिवाल्वर राजसी पलंग के साथ लगे साइड टेबल पर रखी हुई थी ऐसा लग रहा था जैसे उसे जानबूझकर उस जगह पर रखा गया हो तीनों गोलियां उसी रिवाल्वर से चलाई गई थी। बिस्तर पर कई बाल भी मिले थे जिनकी लंबाई अलग अलग थी बिस्तर पर कुछ चमकीले गोल गोल तश्तरी नुमा सितारे थे ऐसा प्रतीत होता था जैसे किसी सस्ते लहंगे को सजाने के लिए उनका प्रयोग किया गया था। इंस्पेक्टर खान ने उस सितारे को उठाकर ध्यान से देखा तथा अपने मन में कहानियां गढ़ने लगा।

अचानक इंस्पेक्टर का ध्यान खिड़की पर गया खिड़की की चौखट पर भी रक्त के निशान थे यह खिड़की बेहद बड़ी थी जिस पर कोई ग्रिल नहीं थी खिड़की के पल्ले बाहर की तरफ खुलते थे खिड़की के कब्जों पर भी रक्त के निशान थे खिड़की की चौखट पर रस्सी के रगड़ के निशान थे।

सुबह के 7:00 बज चुके थे सूर्योदय हो चुका था। सूरज की किरण खिड़की से कमरे में प्रवेश कर रही थी तथा जोरावर सिंह के रक्तरंजित चेहरे को रोशन कर रही थी। लाल कोठी का चमकता सितारा अंधेरे में विलीन हो चुका था।

भूरेलाल और इंस्पेक्टर खान ने मिलकर सारे सबूत इकट्ठा किए और दोनों ही मृत शरीरों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

अपनी मां रजनी को घर से जाते हुए देख कर रिया फफक कर रो पड़ी उस किशोरी का अब इस घर में कोई नहीं था। उसे जोरावर सिंह से कोई विशेष लगाव नहीं था। वैसे भी जोरावर सिंह ज्यादातर अपने कार्यों में व्यस्त रहते थे। परंतु उसकी मां रजनी तो आखिर मां थी वह निश्चय ही रिया की उम्मीदों पर खरी ना उतरती परंतु फिर भी इस दुनिया में यदि रिया का कोई सहारा था तो वह उसकी मां रजनी ही थी।

जब तक दोनों लाशों एंबुलेंस में रखा जाता जयंत अपनी स्कॉर्पियो से लाल कोठी में प्रवेश कर चुका था। अपने पिता से लिपट कर रोने लगा उसे शायद जोरावर सिंह के अनैतिक कार्यों की सूचना न थी।

एंबुलेंस अपनी नीली लाइट चमकाती हुई तथा साय…...सांय….. की आवाज आती हुई लाल कोठी से बाहर हो रही थी. घर का मुखिया और उसकी नई नवेली पत्नी इस भौतिक साम्राज्य को छोड़कर स्वर्ग या नरक की यात्रा पर निकल पड़े थे। घर के सदस्य पिछले चार-पांच घंटों से जगह-जगह थक गए थे। और स्वाभाविक रूप से परेशान हो गए थे।

भूरे लाल ने घर के सभी नौकर क्या करूं तथा टेंट हाउस के 20 25 आदमियों को ( जो रात में टेंट हटाने का कार्य कर रहे थे) एक लाइन से खड़ा कर दिया और सभी से पूछताछ शुरू कर दी।

गेट पर खड़े पुलिस वाले ने जिसने एक अनजान व्यक्ति को विकेट गेट से बाहर निकलते और उसे धक्का देकर गिराने के बाद भागते हुए देखा था वह अपना मुंह नहीं खोल रहा था वह शायद अपनी गलती को छुपाना चाहता था। पर घटनाओं की कई आंखें होती है टेंट हाउस के एक आदमी ने वह दृश्य देखा था।

भूरेलाल के पूछते ही वह बोल पड़ा।

"साहब एक आदमी गेट वाले पुलिस भैया को धक्का देकर बाहर भागा था जब तक पुलिस भैया उसे पकड़ पाते वह निकल चुका था।"

भूरेलाल ने उस पुलिस वाले को बुलाया और जोर का चाटा मारा.

" साहब माफ कर दीजिए उसने मुझे अचानक धक्का दे दिया था मैं उसे नहीं पकड़ पाया"

"हुलिया बता उसका"

"साहब लंबाई इसके जैसी रही होगी उसने टेंट हाउस के एक आदमी की तरफ इशारा किया जो उस अनजान व्यक्ति की कद काठी से मिलता-जुलता था। साहब उसका चेहरा गोरा था तथा उसने चेहरे पर गमछा लपेटा हुआ था।"

"क्या पहना था उसने"

"पजामा और कुर्ता सफेद रंग का लग रहा था जैसे कोई छूटभैया नेता हो"

पठान उस पुलिस वाले द्वारा बताए जा रहे हुलिए को ध्यान से सुन रहा था अचानक उसे मनोहर की याद आयी।

मनोहर रजनी का साथी था जो अक्सर रजनी से मिलने आया करता था रजनी उसे मनोहर भैया कहकर पुकारती परंतु वह जोरावर सिंह को नापसंद था परंतु रजनी के कहने पर वह उसे कुछ बोलता नहीं था।

इस उत्सव में भी वह निश्चय ही रजनी के कहने पर ही आया था।

पठान ने उस पुलिस वाले से पूछा क्या उस आदमी की तोंद निकली हुई थी।

"हां निकली थी लगभग इतनी ही" उस पुलिस वाले ने स्वयं अपनी तोंद पर हाथ फिराते हुए बोला..

डीएसपी भूरेलाल और इंस्पेक्टर खान ने कई सारे फोन किए और मनोहर का हुलिया बताते हुए उसे पकड़ने के लिए जाल फैलाना शुरू कर दिया। मनोहर के घर पर दबिश देने की तैयारी होने लगी।

उधर जयंत लाल कोठी में अपने कमरे में बैठा इस घटनाक्रम के बारे में सोच रहा था। आखिर वह कौन व्यक्ति था जिसने यह जघन्य कृत्य किया होगा ? उसके पिता के कई दुश्मन थे परंतु इस तरह आकर कत्ल करना इतना आसान न था? वह अपनी उधेड़बुन में खोया हुआ था तभी कमरे में रिया आ गई उसका चेहरा रोते-रोते सूज गया था. जयंत ने उठकर रिया को अपने आलिंगन में ले लिया वह उसके माथे को चूमते हुए उसकी पीठ सहलाने लगा। जयंत और रिया के बीच यह आलिंगन उनके बीच के सामाजिक रिश्ते (भाई बहन) के आलिंगन से कुछ ज्यादा था।

शेष अगले भाग में…..
 
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Mast update,
Ek hi update lagta hai do baar post ho gaya hai.
 
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