क्या भाई इतनी बढ़िया स्टोरी का अपडेट ही नहींतभी डॉ. लांबा के ऑफिस में फोन की घंटी बजी। डॉ. लांबा ने उसे उठाया और कहा...''ठीक है आने दो।'' "तुम्हारा पति आया है" उसने अनु से कहा। सब ने जल्दी से कपडे पहने। "काश आकाश थोड़ी देर से आता... मेरी बेचारी चूत का भी कुछ हो जाता" अनु ने आह भरते हुए सोचा। उसकी चूत इतना पानी छोड़ चुकी थी की उसके जाँघों का अंदरूनी भाग भी गीला हो गया था। वो बुझे मन से आके डा. के सामने वाली चेयर पर बैठ गयी।
आकाश केबिन में दाखिल हुआ। बुआ को वहां देख के वो थोड़ा सोच में पड़ा लेकिन नमस्ते बोल कर बगल की चेयर पे बैठ गया। कमरे में सेक्स की गंध फैली थी। कोई अनारी भी बता देता की यहाँ कुछ देर पहले तक क्या हो रहा था। लेकिन आकाश अंजान सा बैठा रहा। “तो आकाश जी, अनुष्का जी ने मुझे सब बता दिया है।” डा लम्बा ने प्रोफेशनल अंदाज़ में बोला, “मैं आप से जानना चाहूंगा की कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी समस्या के कारण आप अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पा रहे, जिसकी वजह से आपकी की बीवी को दुसरे मर्दो का सहारा लेना पड़ा?” यह सुनकर आकाश सकपका के अनु की तरफ देखते हुए बोला , ”नहीं … नहीं तो।” अनु मुश्किल से अपनी हंसी दबा रही थी। “वाह डॉक्टर साहब मान गए, मेरी करतूतों का पूरा इलज़ाम आकाश के ही मत्थे मढ़ दिया।”
“आकाश जी आप काउच पे लेट जाइये” डॉ लम्बा ने कहा। आकाश चुपचाप काउच पे जाके लेट गया। वो काउच बिलकुल फिल्मों के मनोवैज्ञानिक लोगो के जैसा था। डॉ लम्बा ने कमरे की बत्तियां डिम कर दी और आकाश के पास जाकर बैठ गये। “आकाश मै आपको रिलैक्स करने की कोशिश करूँगा, ठीक है? आप अपनी आँखों को बंद कीजिए। और जैसे जैसे मै दस से एक तक उलटी गिनती गिनूंगा आप की आँखे भारी होती जाएंगी …” यह कहकर डॉ लाम्बा ने उलटी गिनती चालू कर दी। “आकाश अब आपको कैसा लग रहा है ?” डॉ लाम्बा ने गिनती ख़त्म करके पुछा। “बहुत अच्छा …” आकाश ने लरजिश भरी आवाज में कहा। डॉ लाम्बा ने अनु और बुआ जी की तरफ मुड़ कर मुस्कुराते हुए कहा, “आकाश अब पूरी तरह से सम्मोहित है।”
“आकाश कल तुमने जो देखा वो तुम्हे याद है?” डॉ लम्बा ने पुछा। “अच्छी तरह से, मेरी बीवी रांडो की तरह अनु दो पराये मर्दों के लोड़ो से चुद रही थी। और मेरी ट्रिप कैंसिल होने की वजह से घर जल्दी वापस आया और अपनी छिनाल बीवी को रंगे हांथों पकड़ लिया।” अनु आकाश के मुँह से ऐसी भाषा सुन के डॉ लाम्बा की तरफ सवालिया दृष्टि से देखने लगी। “वो क्या है की सम्मोहन के समय प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स यानी कि दिमाग का वो भाग जो भाषा आदि की अंतर्बाधा को कण्ट्रोल करता है वो डीएक्टिवेट हो जाता है। इसलिए सब्जेक्ट को सही गलत की समझ नहीं रह जाती।” “क्या गजब लग रही थी मेरी छिनाल बीवी दो-दो लंड लेते हुए … ” आकाश बोले जा रहा था। अनु ने देखा की आकाश के पैंट में टेंट बन गया था। इसका मतलब उस घटना की यादें उसको उत्तेजित कर रही थी। यह सोच कर अनु की चूत में अजीब से गुद - गुदी हो रही थी।
“आकाश मैं चाहता हूँ की तुम कल की घटना को एक स्वप्न समझ के भूल जाओ। अब तुम्हारे मन में कल की इस घटना की कोई याद नहीं रह जायेगी।” डॉ लाम्बा ने भारी आवाज में कहा। आकाश ने केवल हम्म में उत्तर दिया। “वॉउ डॉक्टर आपने तो कमाल ही कर दिया” अनु ख़ुशी से उछालते हुए बोली “क्या आकाश अब वो सारी बातें भूल गया है?” “हाँ अनु, लेकिन दिमाग पूरी तरह से कुछ भी नहीं भूलता, मैंने यह यादें उसके अवचेतन मन में दबा दी हैं बस। किसी शॉक या ट्रामा से ये बातें कभी भी उभर सकती है।” डॉ लम्बा ने कहा।
“डॉ लाम्बा अगर ऐसा हुआ तो फिर क्या होगा?” अनु ने फिर गंभीर होते हुए पुछा। “आकाश का रिएक्शन उसकी परवरिश का नतीजा है। यही कारण है की सेक्स सम्बन्धी बातें जो हमें सहज लगती हैं, वो उसको आपत्तिजनक लगती हैं। हम उसकी उन्ही विचारों को दबा सकते हैं ताकि उसे भी यह सब सहज लगने लगे। और यदि यह यादें उभरती हैं, तब भी उसका रिएक्शन उतना खतरनाक नहीं होगा।” यह कह कर डॉ लम्बा ने कहा “आकाश तुम अब अपनी आँखें खोल और सामने स्क्रीन पे घुमते घेरे को देखो।” आकाश एक तक उस घेरे को देखता रहा। “आकाश तुम्हारा मन अपने आप पे लगायी सारी पाबंदियों से आज़ाद है …” काफी देर ऐसे ही बड़बड़ाने के बाद डॉ लम्बा ने कहा “मेरी चुटकी की आवाज से तुम हमारे पास वापस आ जाओगे।” ऐसा कहते ही डॉ लाम्बा ने दो बार चुटकी बजायी। आकाश चौंक उठा।
उसने इधर उधर देखा। अनु को देख कर बोला “अनु क्या हुआ था , कहाँ हूँ मैं।” “वो हम मैरिज काउंसलिंग के लिए आये थे न, याद नहीं तुम्हे? तुम्हारी थोड़ी तबियत खराब हो गयी थी तो तुम लेट गए थे।” अनु चहकते हुए बोली। उसे यकीन नहीं आ रहा था की ये तरकीब काम कर गयी और इतनी बड़ी बला उसके सर से टल गयी थी। उसने आकाश का चेहरा अपने हाथों में लेके उसे चूम लिया। पर अब चौंकने की बारी अनु की थी। उसका पति जो पब्लिक प्लेस पे हग करने से भी कतराता था, उसने अनु को बाहों में भर के फ्रेंच किस ले लिया, जैसे की बुआ जी और डॉ लाम्बा वहाँ हो ही नहीं। छूटते ही उसने घडी देखी और बोला “अरे अनु लंच ख़त्म हो गया है। मुझे ऑफिस भागना पड़ेगा। आगे का तुम देख लो” और आनन फानन में ऑफिस से चला गया।
अनु दौड़ के डॉ लाम्बा से चिपक गयी। अपनी चूचियां उनकी छाती पे मसलती हुई बोली “कमाल कर दिया डॉ साहब” और डॉ लम्बा के चिकने टकले को चूम लिया। “आपकी फीस ?” कहते हुए अनु पैंट के ऊपर से ही उनका लौड़ा मसलने लगी। “फीस तो लूंगा जरूर लेकिन अगली बार अनु जी, पेशेंट्स की लाइन लग गयी है बाहर”, डॉ लम्बा ने बुझे मन से कहा। मुस्कुराते हुए अनु ने एक बार फिर धन्यवाद कहा और बुआ के साथ क्लिनिक से बाहर आ गयी।
बुआ को अलविदा कहकर अनु घर की तरफ चली। आज तो वो बाल बाल बच गयी। इसकी ख़ुशी तो उसे थी ही लेकिन उसे बार बार यह चिंता भी सता रही थी की उसके रेगुलर लंड का इंतेज़ाम चला गया। वो अपने पुराने यारों को घर नहीं बुला सकती थी, क्यूंकि आकाश ने उन्हें देखा था। क्या पता उन्हें देखते ही वो यादें वापस आ जाएँ।
उसके मन में एक शैतानी ख्याल आया। उसने तुरंत अपना मोबाइल फ़ोन निकाल कर नंबर डायल किया, “हाय सुनील, कैसा है? छुट्टियां शुरू हो गयी तेरी? …” यह था सुनील उसका ममेरा भाई। अनु ने इसका लण्ड भी चख रखा था। अनु ने खुद की मन ही मन तारीफ की … “वाह अनु क्या अकल लगायी है … कोई सुनील पे शक भी नहीं करेगा।”
लेकिन इसकी एक दूसरी वजह भी थी रह रह के अनु को कल की वो बात याद आ रही थी की कैसे अपने पति की मौजूदगी में गैर मर्द से चुदवाते हुए एक अलग ही उत्तेजना हुई थी। यह सोचते सोचते वो फिर से गीली हो गयी थी।अनु को पति की मौजूदगी में सेक्स का चस्का लग गया था। वो इसे और ट्राय करना चाहती थी। और इसके लिए किसी पहचान वाले से बढ़िया कौन हो सकता था।
थैंक्स भाई कहानी को appreciate करने के लिए। थोड़ा बिजी हो गया था। अपडेट जल्द ही।क्या भाई इतनी बढ़िया स्टोरी का अपडेट ही नहीं
ये तो तहलका कहानी है
एक सिटिंग में पढ़ी
प्लीज़ अपडेट दें
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Sexy updateअनु घर पर आते ही बाथरूम में घुस गयी और अपने कपडे उतारने लगी। उसने अपने कपडे उतारे, उसकी चूचियों पे जगह-जगह डाo लाम्बा का सूखा हुआ वीर्य लगा था, जो वह निगल नहीं पायी थी। उसको फिर से डा. लाम्बा का वो हलब्बी लोडा याद आ गया। उसकी चूत में एक सिहरन दौड़ गयी। “सॉरी मुनिया - रानी, आज प्यासी रह गयी। कोई बात नहीं, तेरे लिए एक मस्त लण्ड का इंतज़ाम किया है।” अनु अपनी चिकनी चूत को सहलाते हुए बोली। उसे अपनी चूत में खुद ऊँगली करना पसंद नहीं था। वैसे उसे जरूरत भी नहीं पड़ती थी। वो अपनी कामवासना को भड़कने देती थी, जिससे की उसे बुझाने का मजा और बढ़ जाता था। अनु ने अपनी चूत और अंडर ऑर्म्स को हेयर रिमूवल क्रीम लगा कर अच्छे से साफ़ किया।
अनु टॉवल में बाथरूम से बाहर आ गयी। उसने ब्रा और पैंटी पहनते हुए आकाश को कॉल लगाया। “आकाश, वो तुम्हे सुनील याद है … अरे मेरा भाई … हाँ वही जो यहाँ पढाई करता है … उसकी लॉन्ग वीकेंड है। तो मामी कह रही थी की यहीं हमारे साथ रह ले। उसको पिक-अप करना है। आधे घंटे ? ओके मै रेडी होती हूँ।” अनु फ़ोन काट के बार की हुक बंद करने लगी। तभी उसको न जाने क्या सुझा कि उसने ब्रा उतार दी। “चलो डा. लाम्बा की थ्योरी टेस्ट करते हैं” उसने खुद से कहा और अलमारी से एक ब्लैक रंग की साडी निकाली। ये साड़ी एकदम झीनी थी, लगभग पारदर्शी। और उसके साथ एक लाल रंग का ब्लाउज। ब्लाउज या ब्रा ठीक से कह नहीं सकते थे। स्लीवलेस - एकदम गहरा गला और पीछे केवल एक पतली सी पट्टी। अनु ने ये बहुत शौक से खरीदा था लेकिन जब भी वो ये आकाश के सामने पब्लिक में पहनती तो आकाश नाक भौं सिकोड़ना शुरू कर देता था। तो वो ये साड़ी केवल आकाश की गैर - मौजूदगी में ही पहनती थी। डा. लम्बा ने कहा था की उनके हिप्नोटिस्म सेसन से आकाश के ऊपर से उसकी कंजर्वेटिव परवरिश का सर कम होगी। अनु उसी थ्योरी को टेस्ट करना चाहती थी।
उसने साड़ी पहन के खुद को आईने में देखा। अनु बहुत ही हॉट लग रही थी। झीनी साड़ी के पल्लू से उसकी गहराइयाँ झाँक रही थी। उसने साड़ी भी नाफ के ३-४ इंच नीचे पहना था। वो आईने में देखते हुए सोच में पड़ गयी की कुछ कमी है। उसने अपने ड्रेसिंग टेबल में से एक ज्वेलरी बॉक्स निकाला। उसमे से उसने एक अबुसन निकाला और अपनी बेली पे पहन लिया। दरअसल ये एक बेली - पियर्सिंग थी। उसने बहुत शौक से गोवा में करवाई थी जब वो दोनों हनीमून पे गए थे। लेकिन ये भी आकाश को न सुहाता था, इसलिए वो कभी कभार ही पहनती थी। “आज आकाश को जोर का झटका धीरे से लागेगा “ सोचते हुए अनु के होंठों पे एक शैतानी हसीं खेल गयी।
बेल की आवाज हुई। अनु ने दरवाजा खोला, सामने आकाश खड़ा था। उसने ऊपर से नीचे तक अनु को देखा। हालाँकि उसने कुछ कहा नहीं लेकिन अनु ने भांप लिया था। जहाँ पब्लिक में ऐसे कपड़ों में ले जाने के ख्याल से ही उसकी सूरत बिगड़ जाती थी वही आज कोई रिएक्शन नहीं था। मतलब की धीरे-धीरे ही सही डा. लम्बा का जादू आकाश पे चल रहा था। बस अनु को सावधान रहना था की कोई भी बदलाव धीरे धीरे हो। “बेबी - स्टेप्स” अनु ने खुद से कहा।
“क्या देख रहे हो जानू? चलें?” अनु ने आकाश से कहा। “हाँ | हाँ | चलो …” आकाश ने कहा। दोनों गाड़ी से सुनील के हॉस्टल की तरफ रवाना हुए। सुनील का हॉस्टल करीबन १ घंटे की दूरी पे था, शहर के बाहरी छोर की तरफ। वहां पहुंचने पे सुनील हॉस्टल के गेट पे खड़ा मिला। उसके साथ उसके कुछ दोस्त भी थे जो कार में बैठी अनु को देख के सुनील से कुछ हसीं मजाक करने लगे जिससे सुनील भी हंसने लगा। अनु को तो अनुमान हो गया था की कॉलेज के लड़के एक सेक्सी औरत को देख के क्या बातें कर रहे होंगे लेकिन आकाश कुछ भांप नहीं पाया। सुनील ने अनु और आकाश को नमस्ते किया। “अनु तुम पीछे क्यों नहीं बैठ जाती। सुनील को कंपनी मिलेगी।” आकाश ने अनु से कहा। अनु को तो मन मांगी मुराद मिल गयी। सुनील ने अपना बैकपैक आगे की सीट पर रख दिया। अनु और सुनील पीछे बैठ गए। अब तक दिन ढल गया था और अँधेरा हो चला था। आकाश ने गाडी स्टार्ट की और तीनो घर की ओर रवाना हो गए।
सुनील नज़र बचा के अनु की गोलाईयाँ देखे जा रहा था। अनु ने ये बात नोटिस कर ली थी। हलाकि दोनों एक बार एक रिश्तेदार के शादी के फंक्शन में काफी फ्लर्टिंग की थी। दोनो ने चुदाई भी की थी। लेकिन उसके बाद से सुनील अनु का संपर्क छूट गया था और जब भी दोनो मिले थे काफी फॉर्मल रहे। दोनो अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए। यह बात अनु अच्छे से जानती थी कि सुनील के मन से वो संकोच निकालना पड़ेगा। और इसमें तो अनु की पीएचडी थी।
अनु ने अपने कंधे ऐसे एडजस्ट किये कि उसका पल्लू सरक गया और उसकी उभार साफ़ दिखने लग गए। एक बार को तो लगा की सुनील की आँखें फट के बहार आ जाएँगी। अनु सुनील से सट के बैठ गयी। अनु ने देखा की आकाश का ध्यान रोड पे था। वैसे भी कार की बैक सीट का कुछ नहीं दिख रहा होगा आकाश को क्यूंकि उसकी कार में पीछे की खिड़कियों पे सन शेड लगे थे और बाहरी रास्ता होने के कारण स्ट्रीट लाइट्स भी नहीं थी। केवल अनु और सुनील ही कुछ देख पा रहे थे क्यूंकि उनकी आँखे अँधेरे में एडजस्ट हो गयी थी। अनु ने धीरे धीरे अपना हाथ सुनील की जाँघों पे रख दिया। सुनील का लंड वैसे ही अनु की चूचियां देख के खड़ा था और उसके पैंट में खड़ा हो कर एक तरफ हो गया था। अनु ने अपना हाथ सुनील की जांघ पे रखे हुए ही अपनी उँगलियाँ से उसके लंड के छोर के पंत के ऊपर से ही सहलाने लगी। अनु की हर छुवन से उसका लंड पेंट में हो फड़क के रह जा रहा था।
“और सुनील कैसी चल रही है इंजीनियरिंग?” आगे से आकाश ने पूछा। “ब.. बढियाँ जीजा जी। “ सुनील ने हड़बड़ाते हुए बोला। “काफी हार्ड होगा न ?” अनु ने अपनी हथेली को पूरा सुनील के लंड पर रखते हुए बोला। “क… क.. क्या… ?” सुनील चौंक कर बोला। अनु ने अब उसका लंड पूरा पकड़ कर कहा ,” कॉलेज और क्या बुद्धू ?” “ओह हाँ दीदी बहुत ज्यादा हार्ड है।” सुनील ने भी अनु की डबल मीनिंग सवाल में जोड़ते हुए कहा। अनु को समझ आ गया की सुनील की सकुचाहट अब चली गयी है। उसने धीरे से सुनील की पेंट की ज़िप खोली और कपड़ों की परतों में से उसका लंड निकाल लिया। सुनील का लंड पहले के मुकाबले काफी मोटा और लम्बा हो गया था। अनु ने सुनील के लंड की खाल पूरी नीचे कर दी। उसका सुपारा पूरा लिसलिसा हो गया था। अनु को शैतानी सूझी, उसने ऐसे ही मुट्ठी में पकडे हुई अपने अंगूठा उसके पेशाब वाले छेड़ पे रगड़ दिया। सुनील बुरी तरह मचल गया “आह”
“क्या हुआ ?” आकाश ने आगे से पुछा। “कुछ नहीं जीजा जी शायद मच्छर होगा।” सुनील ने बात सँभालते हुए कहा। “होगा नहीं होगी मादा ही चूसती है … खून।” अनु ने शरारती अंदाज़ में कहा। “ओह अच्छा .. मिल गयी तो मसल दूंगा। “ कहते हुए सुनील ने अपना हाथ अनु की ब्लाउज में डाल के उसकी एक चूची मसलने लगा। अनु डर गयी की कहीं आकाश न देख ले। उसने झट से फिर से पल्लू से अपने स्तनों को ढक लिया। इससे सुनील को और सह मिल गयी। वो अनु की निप्पल दो उँगलियों के बीच में मसलने लगा लगा जैसे की उससे बदला ले रहा हो। दोनों ऐसे ही एक दुसरे के जिस्म से खेलते हुए चले जा रहे थे। सुनील का लंड पत्थर जैसा हो गया था जिससे अनु की लार टपकने लगी।
अनु ने जोर की उवासी लेते हुए कहा “यार कितना टाइम है अभी आकाश मुझे तो नींद आ रही है।” “अभी कुछ आधे घंटे जितना लगेगा” आकाश ने सोचते हुए कहा। “ओह अच्छा तो मैं तो चली सोने। सुनील थोड़ा किनारे होके बैठो न…. मैं तुम्हारी गोद में सर रख के सो जाउंगी।” अनु ने कहा। सुनील खिड़की से सट कर बैठ गया और अनु उसकी गोद में सर रख के लेट गयी। अब सुनील का लंड अनु के चेहरे के सामने था। अनु ने समय न गवाते हुए लंड अपने मुँह में भर लिया। सुनील को तो अनु की हिम्मत पे हैरानी हो रही थी। अनु ने अपने हाथ से सुनील के टट्टो को मसलना शुरू कर दिया। अनु किसी शहनाई वादक की तरह लग रही थी। सुनील तो सातवे आसमान में था। उसने दांतो को भींच रखा था कि उसकी चीख न निकल जाए। सुनील ज्यादा देर टिक न पाया और अपना गाढ़ा वीर्य अनु के मुंह में उड़ेल दिया।
अनु ने कार की खिड़की से देखा की वो कर पहुंचने वाले हैं। अनु ने जल्दी अपने कपड़े सही किया। सुनील भी अपने लंड को पेंट में डाल रहा था। उसको थोड़ी तकलीफ हुई क्योंकि उसका लंड फिर से सख्त हो रहा था। ये बाद अनु ने भी नोटिस की और उसके मुंह से आह निकल गई। कल ही से अनु एक बार भी नही झड़ी थी और वासना की आग में जल रही थी।
क्योंकि देर हो चुकी थी, उन्होंने खाना बाहर से मांगा के खाया। सुनील जब से घर पे पहुंचा था, अनु को भूखी नजरों से देखा था। अनु भी अपनी चूचियों और गांड के नजारे दिखा के रिझाए जा रही थी उसे। “सुनील तुम हमारे कमरे में ही सो जाओ, गर्मी बहुत है और केवल हमारे कमरे में ए सी है।” आकाश ने कहा। अनु तो बहाने सोचने में लगी हुई थी कि आकाश ने खुद ही इंतजाम कर दिया।
उनके बेडरूम का बेड काफी बड़ा था तो तीन लोगो के लेटने में कोई दिक्कत नही थी। अनु बीच में आकाश से सट के एक साइड लेट गई और सुनील एक साइड में। उनके रूम का एसी एकदम चिल्ड रहता था, तो सबने एक एक कंफोर्टर ओढ़ रखा था। अनु आकाश की ओर करवट कर के उसके सोने का इंतजार करने लगी, क्योंकि उसे पता था कि अगर एक बार वो सो गया तो बम फटने पे भी नहीं जागता है, इतनी गहरी थी उसकी नींद। लेकिन तभी उसे महसूस हुआ की सुनील ने कंफर्टर के अंदर हाथ डाल के इधर उधर टटोल के अनु को ढूंढ रहा है। “लगता है, सुनील बाबू से कंट्रोल नही हो रहा” अनु ने मन ही मन मुस्कुराते हुए सोचा। अनु ने सेटिन का गाउन पहन रखा था बिना ब्रा और पैंटी के जो की उसके घुटनो के कुछ ऊपर तक आती थी । हमेशा वो यही पहन के सोती थी। अगर आकाश को इससे कोई आपत्ती थी भी तो उसने व्यक्त नही किया।
जल्दी ही सुनील की टटोलती उंगलियों को अनु की नंगी जांघें मिल गई। उसके हाथ धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगे। जल्द ही उसकी उंगलियां उसकी चिकनी चूत की दरार को छू गए। सुनील की उंगलियां एक सेकंड को ठिठक गई थी इस बात को लेके की अनु ने पैंटी नहीं पहन रखी थी। उसकी उंगलियां अनु की चूत की दरार को सहलाने लगी। अनु की शरीर में सिहरन दौड़ गई। वो चाहती थी की सुनील को रोके कि कम से कम आकाश को गहरी नींद में जाने दे, लेकिन अनु को झड़े हुए इतना समय हो गया था की वो अपने आपे में नहीं थी। सुनील की उंगलियां उसकी चूत की दरार से लेके गांड की दरार तक दौड़ लगा रही थी। अनु की सांसे तेज हो रही थी। अचानक सुनील को एक उंगली अनु की तर चूत में प्रवेश कर गई। अनु ने अपना मुंह तकिए में दबा लिया, उसके मुंह से जोर की सिसकारी निकल गई। सुनील धीरे धीरे उंगली अंदर बार करने लगा। अनु की सांसे दौड़ लगा रही थी।
अचानक आकाश की हल्की हल्की खर्राटों की आवाज आने लगी। अनु सुनील से कुछ कहती इससे पहले ही सुनील पीछे से उसे चिपक गया। वो अब एक हाथ गाउन में डाल के उसकी चूचियां मसल रहा था। और दूसरे हाथ की दो उंगलियां अनु की चूत से अंदर बाहर हो रही थी। सुनील का लंड अनु की गांड की दरार से सटा हुआ था। अब अनु से कंट्रोल नही हो रहा था। अनु अपना हाथ पीछे ले गई, सुनील ने अपना लंड बाहर ही निकल रखा था। अनु ने सुनील के लंड को जोकि किसी गर्म लोहे की रॉड जैसे हो गया था पकड़ा और अपनी चूत के छेद पे टिका दिया। “म्म्म्म…पेल दे अपना लंड मेरी चूत में भाई…” अनु फुसफुसाई। सुनील ने धीरे धीरे अपना पूरा लंड अनु की चूत में पेल दिया। अनु की चूत इतने गीली हो चली थी की सुनील का लंड उसमे ऐसे घुसता चला गया जैसे गर्म चाकू मक्कन में। “म्मम हां….” अनु के मुंह से निकला। सुनील अपना लंड धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा। उसका हर धक्का अनु को स्वर्ग के द्वार पे पहुंचा रहा था। करीबन 10 मिन. तक अनु ऐसे ही चुदवाती रही। लेकिन अनु को घमासान चुदाई चाहिए थी जो की बेड पे संभव नहीं थी। आकाश के जागने का खतरा था।
“बाथरूम में चलो” अनु सुनील के कान में फुफुसाई। सुनील चुदाई रोकना नहीं चाहता था, लेकिन अनु की बात कैसे टालता। दोनो धीरे से उठ के बाथरूम की ओर चले गए। बाथरूम में दो दरवाजे थे एक जो की बेडरूम में खुलता था और दूसरा ड्राइंग रूम में। अगर आकाश रात में उठता भी है तो अनु सुनील को दूसरे दरवाजे से बाहर निकाल सकती थी।
सलोनी बाथरूम की तरफ चल दी, सुनील ने भी टी शर्ट और शॉर्ट्स पहनी और अनु के पीछे पीछे चल दिया। अनु गाउन में ही थी। वो बाथरूम की दीवार के सहारे झुक गई। सुनील इस इशारे को समझ गया। उसने अपनी शॉर्ट्स उतार के अनु के गाउन को पीछे से उठाए और एक ही धक्के में पूरा का पूरा लंड अनु की चूत में पेल दिया। अनु की आह निकल गई। सुनील ने ताबड़ तोड़ धक्के मारने शुरू कर दिए थे। वो एक बार अनु के मुंह में झड़ चुका था। अब वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। अनु उसके लंड पे दो बार झड़ चुकी थी।
अब सुनील के धक्के और तेज हो चले थे। अनु एक और बार झड़ी। सुनील भी गुर्राते हुए झड़ने लगा। उसे लगा की कहीं चूत में झड़ने पे अनु माइंड न करे इसलिए उसने अपना लंड अनु की चूत से बाहर निकाल लिया। उसके लंड से वीर्य के फव्वारे छूट रहे थे। कुछ तो अनु के गाउन पे, कुछ उसकी गुदाज छोटड़ों में और अधिकतर बाथरूम के फ्लोर पे।
अनु ने एक उंगली से अपनी गांड पे गिरा वीर्य लिया और बहुत ही कामुक तरीके से चाटते हुए बोली, “कितना टेस्टी वीर्य वेस्ट कर दिया… अब से हमेशा मेरी चूत और मुंह में ही जाना चाहिए।” अनु ने झूठ मूठ का गुस्सा दिखाया। “...और गांड में ?” सुनील मुस्कुराते हुए बड़े भोलेपन से बोला। “वो देखेंगे … वो तुम्हारी परफॉर्मेंस का बोनस होगा” अनु शैतानी मुस्कुराहट के साथ बोली।
अनु और सुनील दोनो बेडरूम में आ कर सो गए। आकाश की हल्की हल्की खर्राटों की आवाज अभी भी आ रही था। अपनी चूत की आग शांत होने के वजह से अनु भी नींद की आगोश में समा गई।