अनुष्का की खुशी का ठिकाना नहीं था। आकाश, उसका पति सुबह 6 बजे ही की फ्लाइट से दिल्ली निकल गया था। वो जब से उठी थी उसके शरीर में अजब सी मस्ती थी। आकाश दो दिन की ऑफिशियल ट्रिप पे था। इसका मतलब था खुले आम चुदाई। आकाश अक्सर ऑफिशियल ट्रिप पे जाता रहता था, और अनुष्का ऐसे मौकों की तलाश में रहती।
इस बार इंतजार काफी लंबा हो गया। वासना से अनुष्का का बुरा हाल हो गया था। वो अभी भी जैसी पारदर्शी नाइटी में सोई थी, उसी में थी। नाइटी इतनी छोटी की उसके गोल नितंभ भी नहीं ढक पा रहे थे। नाइटी की पैंटी उसके चूत रस से तर थी। उत्तेजना इतनी बढ़ गई थी की अनुष्का को बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
तभी उसके फोन पे मैसेज का टोन बजा। अनुष्का ने झट से फोन उठाया और उसके मादक होठों पे एक मुस्कान फेल गई।
मैसेज में एक तगड़े लंड की फोटो थी। और नीचे टूटी फूटी इंग्लिश में लिखा था, "Weting for u"। अनुष्का इस लंड को भली भांति पहचानती थी। ये लंड था उसकी सोसायटी के पुराने वॉचमैन का था, भोलेराव। उस फोटो को देख के अनुष्का का और भी बुरा हाल हो गया।
इतनी दिन की प्यासी थी अनुष्का, इसीलिए उसने तय किया था की उसकी वासना को शांत करना किसी एक लंड के बस की बात नही है और उसने दो यारों को अपने हुस्न की दावत दी थी। एक तो ये भालेराव और दूसरा....। टिंग टांग, किसी ने डोरबेल बजाई। अनुष्का उसी पारदर्शी और अर्धनग्न अवस्था में दरवाजा खोलने चली गई। दरवाजा खुला तो सामने मोती था, जो रोज उनके यहां दूध पहुंचाने आता था। अनुष्का ने उसे देख के खीजते हुए बोला, "ये भालेराव कहां मर गया?"। अनुष्का की ये बात सुनकर मोती हंसता हुआ बोला, "फोन आया था उसका मैडम जी, आवत होई। तब तक हमई से काम चला लो।" ये सुनते ही अनुष्का ने उसकी धोती के ऊपर से उसके भारी टट्टे दबोच लिए। और उनपे हल्का दबाव देती हुई बोली, "ज्यादा बोली नही आ रही है तुम्हे?"। मोती दर्द से छटपटा उठा, "अरे मैडम जी आप तो बुरा मान गई, हम तो ऐसे ही मजाक करत रहे"। तो ये था वो दूसरा खुशनसीब आदमी। वैसे देखने में तो वो कुछ खास नहीं था, सांवला, ठिगना कद, तोंद, झबरी अधपकी मूछ, आधे बांह की गंजी और धोती। पर इस सब से अनुष्का कोई कोई मतलब न था। उसकी वह चीज जो अनुष्का को पसंद थी वो उसके हाथ में थी। अनुष्का ने अपनी पकड़ ढीली की, उसके टट्टों को हाथ में तोला, दोनो बटेर के अंडे के बराबर, गाढ़े वीर्य से भरे हुए। ये सोच के अनुष्का के मुंह में पानी आ गया।
वो अपना हाथ धीरे धीरे उसके लंड पे ले गई, जिसने अभी अभी जागना सुरु किया था। हाय क्या मोटा लंड था उसका...। जानवरों के बीच में रह के उसका लंड भी उनकी तरह हो गया था शायद। अनुष्का ने लंड पूरा मुठ्ठी में ले लिया, और उसके पहाड़ी आलू जैसे सुपाड़े को सहलाने लगी। धीरे धीरे उसका लंड अपनी पूरी मोटाई पे आ रहा था। अनुष्का अब अपनी पूरी मुठ्ठी बंद कर पा रही थी। वो अपना अंगूठा उसके लंड के छेद पे ले गई, जहां से थोड़ा वीर्य निकल रहा था। अनुष्का ने उसे अंगूठे से सुपाड़े पे फैलाया। उसके अंगूठे का स्पर्श सुपाड़े पे होते ही मोती की आह निकल गई।
इससे अनुष्का की तंद्रा टूटी और उसे अहसास हुआ की वो दोनों इस अवस्था में बाहर के दरवाजे पे खड़े थे जिससे कोई भी आता जाता उन्हे देख सकता था।अनुष्का उसको लंड से ख्रीचती हुई अंदर ले आई और सोफे पे बैठा दिया। अनुष्का ने देखते ही देखते उसकी धोती खोल कर अलग कर दी।
अनुष्का उसके सामने घुटने पे बैठ गई। मोती का मोटा मूसल लोड़ा उसकी काली झांटों के बीच ऐसा लग रहा था जैसे झाड़ियों के बीच कोई नाग अपना फन उठा रहा हो। और उसके टट्टे किसी छोटे नारियल जैसे थे, जो कि अभी सोफे पे उसकी जांघो के बीच फैले थे।
अनुष्का को तरह तरह के लंड चखने का शौक था, फिर वो लंड किसका भी हो, अनुष्का भेद भाव नहीं करती थी। दोस्त परिवार, जवान बूढ़े किसी में भी कभी फर्क नही किया था उसने।
अनुष्का मोती का लंड पकड़ के मुठियाने लगी। मोती की आहें किसी सांड की तरह पूरे कमरे में गूंजने लगी। अनुष्का अपना मुंह उसके लंड के पास ले गई और उसपे अपनी नुकीली जीभ फेरने लगी। फिर धीरे धीरे उसने पहले उसके सुपाड़ा, फिर आधा लंड और फिर पूरा लंड अपने मुंह में भर लिया। आठ इंच का वह लंड, लेकिन हमारी अनुष्का भी माहिर खिलाड़ी थी। उसे उकलाई या जिसे अंग्रेजी में गैग रिफ्लेक्स कहते है, नही आती थी। इसिका फायदा वो उठा के अपनी लंड चुसाई का सबको दीवाना बना लेती थी। मोती अब आप से बाहर हो रहा था। उसने अनुष्का के सर को पीछे से पकड़ा और अनुष्का के मुंह को कमर उठा के चोदने लगा। अनुष्का के आंखों से आंसू आ गए।
अनुष्का को पता चल गया की वो झड़ने वाला है। उसने उसका लंड मुंह से बाहर निकाला और मुठियाना शुरू कर दिया। जल्द ही मोती बुरी तरह ऐंठने लगा। अनुष्का ने उसका लंड अपने मुंह में भर लिया। कुछ लड़कियां वीर्य चखने में हिचकिचाती हैं, लेकिन अनुष्का को वीर्य का स्वाद बेहद पसंद था, ये एक बड़ा कारण था कि उसे लंड चुसाई इतनी पसंद थी। उसकी जबान वीर्य रस को ले के इतनी संवेदनशील थी की वह वीर्य चख कर बता सकती थी के उसके किस यार का है।
मोती के लंड ने वीर्य की पहली धार छोड़ी। अनुष्का का मुंह us चिर परिचित स्वाद से भर गया, एकदम गाढ़ा, थोड़ा नमकीन, जैसे नमकीन मक्खन। क्या गाय भैंसो के बीच रहने से उसका वीर्य ऐसा हो गया था? यह तो शोध का विषय हो सकता है। अनुष्का ये सोच के मन ही मन मुसकाई। लेकिन तभी उसका मुंह में वीर्य इतना भर गया की वो निगल नही पाईं। वीर्य के धागे उसके नाइटी से ढके चूचियों पे पड़े, और वह कपड़ा जो पहले से सम पारदर्शी था, पूरी तरह से पारदर्शी हो गया और उसकी चूचियों से चिपक गया। उसके सख्त गुलाबी निपल उसकी नाइटी से झांकने लगे।
तभी दुबारा डोरबेल बजने को आवाज आई। उसने की होल से देखा और दरवाजा खोल दिया। सामने भालेराव था। दुबला पतला और लंबा, ढीली ढाली सिक्योरिटी गार्ड की यूनिफॉर्म में था। कोई उसे देख के यही सोचेगा पता नही उसको कौन सिक्योरिटी गार्ड की जॉब पे रखता होगा, एक थप्पड़ भी शायद से न पाए। लेकिन जिस तेरह हीरे की पहचान जोहरी को होती है, उसी तरह अनुष्का भी आदमी देख के जान जाती थी की पतलून में क्या छिपा है। जहां मोती का लंड मोटा तगड़ा था और चूत चौड़ी करने के लिए परफेक्ट था वहीं भालेराव का लंड पतला और लंबा, लेकिन उसकी सबसे कमाल की बात थी उसका टोपा, जो की मोती से भी बड़ा था। इसकी वजह से वो किसी लॉलीपॉप जैसा लगता था। उसका लंड अनुष्का को गांड में लेने में बहुत मजा आता था। वो एकदम अंदर तक गुदगुदी करते हुए जाता था, जिसकी वजह से कई बार तो अनुष्का गांड ठुकाई से ही झड़ चुकी है। अनुष्का का आज यही प्लान था कि दोनो के लंड एक साथ लिया जाए।
खैर, भालेराव ने अनुष्का के चुचकों पे वीर्य देखा, और उसके पीछे सोफे पे कुत्ते जैसे हांफते हुए मोती को देखा तो उसे पूरी स्तिथि को भांपते समय नहीं लगा। "मदर चोद तो मेरे बिना ही शुरू हो गया?" उसने मोती को लात मारते हुए कहा। मोती भी हांफते हांफते बोला, "भोसड़ी के पता नही कहां ...अपनी मैया चुदावत रहे, मैडम के सामने ज्यादा देर कंट्रोल नाही होत हमार"।
"तुम दोनो को लड़ने से फुर्सत है?"अनुष्का ने डपटते हुए बोला। उसको लगा कहीं इन चूतियों के चक्कर में उसकी मुनिया प्यासी न रह जाए।
ये सुन के दोनो मिमियाने लगे। कोई भी अनुष्का को नाराज नही करना चाहता था। उन्हे आज तक अपनी किस्मत पे भरोसा नहीं आ रहा था की ऐसी माल ने उनमें क्या देखा। इतनी बिंदास और खुली हुई औरत उन्होंने केवल पोर्न फिल्मों में देखी थी। वो दोनो अनुष्का को सेक्स की देवी समझ के पूजते थे।
भोलेराव ने अनुष्का को बाहों में भर लिया इधर उधर चूमने लगा। अनुष्का ने उसका लंड पकड़ा और पैंट से बाहर निकाल लिया नौ या दस इंच उसका लंड पकड़ के अनुष्का हौले हौले मुठियाने लगी।
भोलेराव सोफे पे बैठ गया। अनुष्का लेट के उसका लंड चूसने लगी। मोती, जिसकी अब जा के सांस में सांस आई थी, यह सब देख रहा था। नाइटी से पारदर्शी पैंटी से झांकती अनुष्का की चूत उसी की ओर थी। मोती का लंड फिर सख्त हो रहा था। वह भी फिर से खेल में शामिल होना चाहता था। उसने धीरे से अनुष्का की पैंटी में अंगूठा फसा के उन्होंने सरकाना शुरू किया। अनुष्का को जैसे ही लगा की मोती क्या करने की कोशिश कर रहा है, अनुष्का ने अपनी गांड को उठा के उसकी सहायता कर दी।
अनुष्का की मखमली चूत देखते ही मोती की मुंह में पानी आ गया।अनुष्का अपनी चूत स्कूल के ही दिनों से डेली शेव करती थी। पिछले कुछ दिनों से वह लेजर हेयर रिमूवल करवाने भी जा रही है, जिससे की उसकी चूत और भी मुलायम लगती थी। उसने बस चूत के ऊपरी भाग पे लैंडिंग स्ट्रिप जैसे बाल छोड़ रखे थे, जैसे पोर्न फिल्मों में होता है। उसके पति ने कई बार इसपे एतराज भी किया लेकिन अनुष्का को अपनी ये "हेयरस्टाइल" बहुत उत्तेजित करती थी, तो उसने अनसुना कर दिया।
अनुष्का की चूत कामरस से भीगी हुई थी। और क्यों न हो, अभी तक उसकी चूत को झड़ने का मौका नहीं मिला था।
मोती ने अपने मोती मोती अंगुलियों से उसकी चूत की फांकों को अलग किया और अपना मुंह उसपे रख दिया।
अनुष्का जिसके मुंह में भालेराव का लंड था, उसकी एक दबी हुई आह निकल गई। मोती की झबरी मूछे उसके चूत की फांकों में गुदगुदी कर रहे थे, और उसकी मोती खुरदुरी जीभ अंदर बाहर होकर उसके स्वर्ग की अनुभूति दे रहे थे।
इसी उत्तेजना में उसने भालेराव का लंड और जोर से चूसना शुरू कर दिया। वो झड़ने वाली थी और उसको पता चल गया था की भालेराव भी जल्द झड़ने वाला है।
पूरा कमरा चभ चभ की आवाजों से भर गया। भालेराव और अनु दोनों ही चरम की ओर बढ़ने लगे। भालेराव की आहें कमरे में गूजने लगी। और जो होना था हुआ…. भालेराव किसी सांड की तरह चिल्लाते हुए…. अनु के मुंह में झड़ने लगा. …. अनु का मुँह फिर एक बार वीर्य से भरने लगा। मोती भी और जोर से चाटने लगा , जिससे की अनु भी झड़ने लगी। मोती का मुंह अनु के कामरस से भर गया। भालेराव के लैंड को चूस - चूस के अनु ने साफ़ कर दिया। अनु उठ कड़ी हुई और देखा की उसकी नेग्लीजी वीर्य और उसके खुद के कामरस से तर हो कर इधर - उधर चिपक रही थी। अनु ने अपने दोनों हाँथ उठाकर नेग्लीजी उतार के अलग रख दी। अनु के गदराये स्तन आजाद हो गये। उनपे पड़े लाल निशान अपनी आप-बीती बता रहे थे। भालेराव और मोती भूखे कुत्तोँ की तरह अनु के कामुक बदन को घूर रहे थे। “अरे नालायकों, ऐसे क्या देख रहे हो? चलो टाइम पास मत करो, बैडरूम में आओ….” अनु अपने पति के आने से पहले जितनी बार चुद सकती थी , चुद लेना चाहती थी। वैसे तो चुदाई का प्रोग्राम उसकी पति की मौजूदगी में भी चलता था लेकिन लुक छुप के चुदने और खुलेआम बेपरवाह चुदने दोनों के अपने मजे थे।
मोती और भालेराव दोनों “जी मैडम जी “ बोल के उसके पीछे चल पड़े।
अनु बैडरूम में पहुँच कर AC ऑन किया और के बेड पे पीठ के बल लेट गयी और अपनी टाँगे फैला दी। मोती ने खुला न्योता जान के अनु की टाँगे अपने कंधे पे उठाई और एक ही झटके में पूरा लण्ड अनु की चूत में पेल दिया। मोती का गदह लण्ड अचानक से पूरा अंदर जाने से अनु की चीख निकल गयी “मादरचोद…. तेरी माँ का भोसड़ा नहीं है…. ” । “मांफ करना मैडम जी… “ मोती ने मिमियाते हुए बोला लेकिन धक्के लगाना जारी रखा। अनु ने इशारे से भालेराव को अपने बगल में बुलाया और उसके मुरझाये लण्ड से खेलने लगी। मोती का हर धक्का उसको चरम आनंद दे रहा था।
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आकाश लिफ्ट से ऊपर आते हुए सोच रहा था , कि अनु कितनी खुस होगी यह जानकार की उसका टूर कैंसिल हो गया था। वो एयरपोर्ट के आधे रास्ते से वापस आ गया था। वो डोरबेल बजने ही जा रहा था की उसका हाँथ रुक गया। उसके पास एक स्पेयर चाभी थी। उसने सोचा क्यों न अनु को सरप्राइज किया जाए। उसने दरवाजा धीरे से खोला और अंदर हॉल में आया। उसने देखा की अनु की नेग्लीजी ज़मीन पे पड़ी हुई थी। “अनु भी न…. कहीं भी कपडे उतार के भूल जाती है” मन ही मन बुदबुदाते हुए उसने नेग्लीजी उठाई और सोफे पे रख दी। अनु दिखाई नहीं पड़ी तो उसने सोचा जरूर सो रही होगी। “बेस्ट है, अनु को बैडरूम में सरप्राइज करता हूँ “ सोचकर आकाश बैडरूम की ओर चल दिया। उसने धीरे से दरवाजा खोला तो उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी। उसके सामने का नज़ारा किसी पोर्न फिल्म के सेट जैसा लग रहा था। सामने उसकी बीवी दो मर्दो से एक साथ चुद रही थी। आकाश को अपनी आँखों पे विशवास नहीं हो रहा था। उसके मन में इतने मिले जुले भाव आ रहे की वो वैसे ही स्तब्ध खड़ा देखता रहा एक मिनट तक…. गुस्सा, घृणा , ईर्ष्या और शायद थोड़ी उत्तेजना भी। हलाकि उसका सपनो का गृहस्त जीवन उसकी आँखों से सामने ढह रहा था लेकिन वो इस बात से इंकार नहीं कर सकता था की सामने का दृश्य बहुत ही कामोत्तेजक था। उसकी बीवी उस मोटे, काले भैंसे का लण्ड लेते साक्षात् सेक्स की देवी लग रही थी। ये बात मन आते ही आकाश ने अपने आप को धिक्कारा। दोनों मर्दों की पीठ आकाश की तरफ थी इसलिए वो उसे देख नहीं पाए। अनु ने एक आदमी का लण्ड अपने मुंह में लिया हुआ था और आंखें बंद करके चूस रही थी। दरवाजा बंद होने की वजह से और AC की वजह से सभी अनजान हो के चुदाई का मज़ा ले रहे थे। तभी अनु की आँखें खुली और उसकी नज़र आकाश पे पड़ी। कुछ लम्हो के लिए वो पराये मर्द का लण्ड अपने मुँह में लिए हुए अपने पति को देखती रही। उसने सोचा की अगर कुछ बोलेगी तो मोती और भालेराव को पता चल जाएगा और बखेड़ा खड़ा हो जाएगा। उसकी नज़रें आकाश की पैंट पे गयी, जिसमे तम्बू बना हुआ था। जैस ही उसकी नज़रें आकाश पे गयी आकाश ने बैडरूम का दरवाजा बंद कर दिया। अनु ने सोचा जो होना है वो होगा ही, अभी चुदाई रोक के मज़ा क्यों खराब करना। और फिर मोती और भालेराव की भी फट जायेगी ये सब जानकर तो वो दो यारों से हाँथ धो देगी। वैसे भी ये पहली बार नहीं था की वो चुदवाती पकड़ी गयी थी। मोती के धक्कों ने अनु के मन से रही सही फिक्र भी निकाल दी। अनु गांड उचका उचका के मजे लेने लगी। जल्द ही मोती के धक्के तेज हो गए अनु ने भी अपने चूसने की रफ़्तार बढ़ा दी। कुछ ही पल बाद तीनो ही झड़ गए।
अनु ने ऊपर से नाइटी डाली और बैडरूम के बाहर गयी। उसने देखा की आकाश जा चूका था। उसके पीछे मोती और भालेराव भी बाहर आये। अनु ने उन दोनों को रवाना किया और सोफे पे बैठ गयी।
चुदाई की खुमारी उतरने के बाद अब उसे लग रहा था की बात कहीं ज्यादा न बढ़ जाए, क्यूंकि इस उलझन से निकलने का तरीका तो उसे भी नहीं सूझ रहा था। फिर कुछ सोच के उसने अपना फ़ोन उठाया और नंबर डायल किया “मंगला बुआ “. अब इस उलझन से कोई उसे निकाल सकता था तो वो थी उसकी बुआ। वही तो थी जो इन सब मामलो में उसकी भी गुरु थी, उन्ही से अनु ने इन सब गुरों की दीक्षा ली थी। फ़ोन से दूसरी तरफ आवाज आयी। ..”हेलो ….”. “प्रणाम बुआ … “ अनु बोली।