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Adultery एक हज़ार एक रातें ...

thrktwr

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Part 2
बुआ की युक्ति


"प्रणाम बुआ", अनु बोली। "जीती रहो और पेलवाती रहो" बुआ ने कहा और हसने लगी। अनु और मंगला बुआ का रिश्ता ऐसा ही था। वे दोनो खुल के हसीं मजाक करती थी।


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और एक दूसरे के कारनामे चटकारे लेके सुनती थी।
वैसे तो मंगला बुआ जी तारीफ की मोहताज नहीं हैं, लेकिन चलिए पाठकों को इनसे तार्रुफ करवा देते हैं। मंगला बुआ भी अनु के ही शहर लखनऊ में रहती थी । स्कूल के दिनों से ही अनु की ज्यादातर छुट्टियां मंगला बुआ के यहां बीती हैं। फूफा जी खेती की वजह से कानपुर में रहते थे और हफ़्ते में एकाद बार आया करते थे। बुआ को पूरी आजादी थी। अनु बुआ का बिंदास अंदाज और उन्मुक्त व्यक्तित्व अनु को बहुत जचता था। जब कॉलेज चयन करने की बात आई"प्रणाम बुआ", अनु बोली। "जीती रहो और पेलवाती रहो" बुआ ने कहा और हसने लगी। अनु और मंगला बुआ का रिश्ता ऐसा ही था। वे दोनो खुल के हसीं मजाक करती थी। और एक दूसरे के कारनामे चटकारे लेके सुनती थी।

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मंगला बुआ
वैसे तो मंगला बुआ जी तारीफ की मोहताज नहीं हैं, लेकिन चलिए पाठकों को इनसे तार्रुफ करवा देते हैं। मंगला बुआ भी अनु के ही शहर लखनऊ में रहती थी । स्कूल के दिनों से ही अनु की ज्यादातर छुट्टियां मंगला बुआ के यहां बीती हैं। फूफा जी कारोबार की वजह से कानपुर में रहते थे और हफ़्ते में एकाद बार आया करते थे। बुआ को पूरी आजादी थी। अनु बुआ का बिंदास अंदाज और उन्मुक्त व्यक्तित्व अनु को बहुत जचता था। दिखने में अनु उन्ही का युवा प्रति दिखती थी | वाही कसे हुए स्तन और गांड , बस उम्र के साथ थोडा भराव आ गया था जिसने उनके शारीर को और कामुक बना दिया था | अनु उन्ही के नक्शे - कदम पे चल रही थी | जब कॉलेज चयन करने की बात आई तो अनु ने जान बूझ के लखनऊ चुना। अनु वैसे भी शुरू से बहुत कामुक थी, बुआ की सह पाकर उसकी सेक्स लाइफ में चार चांद लग गए। बुआ ने हर तरह से उसकी सहायता की, चाहे यारों से चुदने के लिए जगह का इंतजाम, गर्भ ठहर जाने पे डॉक्टर साहिबा से झूठ बोल कर गर्भ पात करवाना (केवल एक बारी), नए - नए लंड का इंतज़ाम। और बुआ जी के चूत चाटने की कला के क्या कहने। अनु ने कई बार इसका फर्स्ट हैंड एक्सपीरियंस लिया था ।
"बुआ पिलवा ही रही थी, तभी लेने के देने पड़ गए" अनु ने करुण स्वर में कहा और सारी घटना बुआ को बताती चली गई। अनु की कहानी सुनने के बात बुआ खिलखिला के हस उठी, "मान गए मेरी जान, लंड के नशे में चौकीदार और दूधवाले को भी नही छोड़ा, मेरी सच्ची चेली तो तू ही है.... हा... हा और कितने और ऐसे लंड लिए हैं जो अपनी प्यारी बुआ से छिपा रखा है?" । अनु थोड़ा झुंझला के बोली, " बुआ सब बताऊंगी....पहले इस मुसीबत से तो बाहर निकलने का रास्ता बताओ। कहीं आकाश कुछ ऐसा वैसा न कर बैठे ।" अनु को भी पता था की आकाश जैसा केयरिंग और अंडरस्टैंडिंग पति उसको नही मिल सकता था और वो नही चाहती थी की उसकी शादी पे आंच आए। अनु ने प्यार और सेक्स को हमेशा अलग अलग समझा। "आकाश को बहलाने के लिए कुछ कर और कुछ दिनों तक घर की दाल से काम चला।" "बुआ....ये तो न हो पाएगा। इतने दिनो तक मुर्गे की डाइट से सीधे घर की दाल पे नहीं आ सकती। कोई और रास्ता बताओ।"

अनु आकाश से बेशक प्यार करती थी, लेकिन यह भी सच था की सेक्स उसका दूसरा प्यार था। वह रेगुलर चुदाई की इतनी आदी हो गई थी कि एक दिन भी लंड न मिले तो उसका सिर भन्नाने लगता था, वासना से बुरा हाल हो जाता था। और आकाश सेक्स के मामले में बुरा नही था, सामान्य ही था, मतलब एवरेज। अनु ने इतनी घमासान चुदाइयों का अनुभव किया था की वो अब केवल एवरेज से काम नहीं चला सकती थी। उसकी असल जीवन की "Mr Nice Guy" वाली छवि बिस्तर पे भी दिखती थी। न चूसना चाटना, न कभी कभार एनल, बस एक ही पोजीसन ....मिशनरी।
"बुआ प्लीज कुछ तो बोलो...." अनु ने करुण स्वर में बोला। "एक रास्ता है मेरी जान, जिससे तेरी मुनिया की लंड को सप्लाई भी नहीं रुकेगी और तेरी घर की दाल में तड़का लग जाएगा"।"वाउ बुआ ऐसा हो जाए तो मजा ही आ जायेगा। पर ये सब होगा कैसे।" अनु चहक के बोली।
"वो तो मुझ पे छोड़ दे, बस आकाश को मैरेज काउंसलिंग के लिए मना ले।" बुआ बोली।
अनु के कुछ समझ में नही आ रहा था। "कोई भी मैरेज काउंसलर इस स्टोरी को सुनने के बाद तो आकाश को यही सलाह देगा की भाग निकल इस शादी से"। " हां लेकिन तुझे किसी भी काउंसलर के पास नही, बल्कि मेरे बताए हुए काउंसलर के पास आने के लिए आकाश को मनाना है। मैं तुझे कल सुबह वही मिलूंगी"
अनु को अभी भी कुछ समझ नही आ रहा था। लेकिन उसने सोचा कि बुआ ने कुछ सोच के ही कहा होगा। यही सोच के वो आकाश को मनाने की योजना बनाने लगी।
*
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आकाश पूरे दिन ऑफिस में अपनी डेस्क पे बैठा कंप्यूटर स्क्रीन को देखता रहा । सुबह का सीन उसके दिमाग में बार बार रिप्ले हो रहा था। अनु अपने मुंह और चूत में पराए मर्दों का लंड लिए हुए। आकाश को गुस्सा तो था लेकिन कहीं न कहीं अपनी बीवी के उस कामदेवी वाली रूप की वजह से उत्तेजना भी महसूस हो रही था। वो भूल नहीं पा रहा था की घर से निकलते समय उसका लंड पुरी तरह खड़ा था। उसको इन्ही फीलिंग्स को लेके आत्मग्लानि महसूस हो रही थी। आकाश देखने में हैंडसम, गोरा और लंबा चौड़ा बॉडी वाला था। ऑफिस की लड़कियां उसपे जान छिड़कती थी लेकिन उन कभी किसी को घास नहीं डाली थी। उसपे भी उसके साथ ये सब हुआ। यह सब सोच के आकाश फिर गुस्से से भर गया। क्या होना था पता नही, लेकिन फिर भी आकाश अनु को एक मौका देना चाहता था सफाई का।

*
डोरबेल की आवाज आते ही अनुष्का ने दरवाजा खोला। आकाश अंदर आया और अनुष्का की ओर बिना एक भी नजर डाले बेडरूम की ओर चल दिया। बेडरूम में दाखिल होते ही उसकी सुबह की यादें फिर एक बार ताजा हो गई। वो जल्दी से बाथरूम में घुस गया। जब वो नहा के बाहर डाइनिंग टेबल पे आया तो उसने देखा की अनु खाना लगा रही थी। उसने झीनी सारी और ब्रा नुमा ब्लाउज पहन रखा था, पता नही क्यों आज उसे अनु कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही थी। उसे पता था की सामाजिक कायदे तो यही कहते हैं कि उसकी पत्नी ने उसे धोखा दिया, शादी के पवित्र रिश्ते को तोड़ा,लेकिन उसने आज अपने धर्मपत्नी को एक अलग अवतार में देखा था, एक कामुक स्त्री के रूप में ।इसी उधेड़बुन में वो टेबल पे जा बैठा और खुद ही परोस के खाने लग गया।
*

अनु ने पूरी प्लानिंग कर ली थी। उसने आकाश की फेवरेट सारी और ब्लाउज पहने थे। उसे पता था की झीनी सारी में उसकी कमर और क्लीवेज आकाश को कितना उत्तेजित करते थे। मर्दों की फैंटेसी और पसंद का अनु को बहुत गहरी समझ थी। हालांकि आज शायद उसका असर कुछ कम हो लेकिन अनु कोई पैंतरा छोड़ना नही चाहती थी।
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आकाश खाना के के उठ गया। अनु भी उसके साथ ही उठ खड़ी हुई। किचन में उसने आकाश का हाथ पकड़ा, "जानू सुबह के बारे में कुछ कहने चाहते हो तो के सकते हो"।
"अब कहने को क्या रहा है अनु, तुम अपनी सफाई में कुछ कहना चाहती हो तो की सकती हो।" आकाश बोला।
"आकाश वो दोनो मुझे अकेला समझ के मेरे बेडरूम में आ गए और जबरदस्ती करने लगे। मैं अकेली क्या करती" अनु ने बनावटी भोलेपन से कहा।
"अनु प्लीज, जबरदस्ती और मस्ती में क्या फर्क होता है मुझे अच्छे से पता है।" आकाश झुंझला के बोला।
अनु मन ही मन मुस्कायी, "अरे वाह मेरे पतिदेव जी इतने भी अनाड़ी नहीं हैं।" अनु को उम्मीद भी नहीं थी की आकाश इतनी फालतू सी बात में आ जायेगा। वो तो उसने बस मैरिज काउंसलर वाली बात उठाने के लिए उसको जरिया बनाया था। "व्हाट्स रॉन्ग विथ यू अनु? व्हाट्स रॉन्ग विथ अवर रिलेशन?" आकाश ने परेशान हो के अनु से कहा।
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"पता नही जानू, लेकिन मैं हमारे रिश्ते को बचाने के लिए कुछ भी कर सकती हूं। तुम कहोगे तो मैं मैरिज काउंसलिंग के लिए भी रेडी हूं।" अनु ने बोला। "क्या ??....काउंसलिंग.." आकाश कन्फ्यूज्ड था की काउंसलिंग की बात कहां से आई। आकाश की बात खतम होने से पहले ही अनु ने तपाक से बोला, "हां मैं बेस्ट काउंसलर ढूंढ के कल का अपॉइंटमेंट ले लेती हूं"। ये अनु की चाल थी, अब आकाश को ये अंदाजा भी नही था की ये सब अनु ने पहले से सोच के रखा था। और आकाश भी अनु से प्यार करता था, वो अपने रिश्ते को बचाने के लिए हर भरसक प्रयास कर लेना चाहता था।
अगली सुबह आकाश ऑफिस निकल गया तो अनु ने बुआ जी का भेजा हुआ एड्रेस देखा।
" Dr. बंसी लाल लांबा, psychiatrist, sexologist, marriage counselor..."
और आकाश को एड्रेस भेज के ३.०० बजे आने के लिए कहा।
*
अनु अच्छे से तैयार हुई, क्या पता बुआ के मन में क्या था। नाभि चार इंच नीचे झीनी साड़ी , जिससे की उसका चिकना सुतवा पेट अच्छे से दिख रहा था। एक टाइट बिकिनी स्ट्रप वाला ब्लाउज, जिसमे से उसकी चूचियां और उनके बीच की घाटी उसे झीनी साड़ी में साफ़ साफ़ दिख रहे थे। और बीच में इसका मंगलसूत्र उसी घाटी में लुप्त हो रहा था। अनु अपने मंगलसूत्र, सिन्दूर और बिंदिया को हमेशा फ्लॉन्ट करती थी। उसे पता था की एक शादी शुदा औरत की चुदाई मर्दों को बहुत उत्तेजित करती है। पैरों में ऊँची एडी की सैंडल डाल के वो घर से निकली।
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रस्ते में कई सब्जी वाले, फेरी वालों और अन्य लोगों ने हूट किया। कइयों ने अपने पैंट में बनते तम्बू को एडजस्ट किया। अनु मन ही मन मुस्काते हुए चली जा रही थी। वो मानती थी की समाज के निचले तबके के लोग नारी रूप को अच्छे से सराहते हैं, वहीँ तथाकथित सभ्य समाज के मर्दों की मर्दानगी दब के रह गयी। यह फ़र्क़ उनके चुदाई के तरीकों में भी साफ़ दिखता है। इसीलिए अनु ने हमेशा ऐसे यार चुने जो उसकी कामपिपासा बुझा सके, न की निठल्ले “प्रेटी बॉयज”
“ऑटो… “ अनु ने आवाज लगायी। एक ऑटो रुका और अनु ने उसमे बैठ के एड्रेस बता दिया। to be continued
 

thrktwr

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Woww awesome plot first time reading a female in commanding position after commiting adultery hope anu servers more and more dick shows in front of aakash
Thanks.... I too think the stories in which the women are commanding or at least actively participating are more exciting.
 
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Smith_15

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Smith_15

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Update 3 please
 

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अनुष्का की खुशी का ठिकाना नहीं था। आकाश, उसका पति सुबह 6 बजे ही की फ्लाइट से दिल्ली निकल गया था। वो जब से उठी थी उसके शरीर में अजब सी मस्ती थी। आकाश दो दिन की ऑफिशियल ट्रिप पे था। इसका मतलब था खुले आम चुदाई। आकाश अक्सर ऑफिशियल ट्रिप पे जाता रहता था, और अनुष्का ऐसे मौकों की तलाश में रहती।
इस बार इंतजार काफी लंबा हो गया। वासना से अनुष्का का बुरा हाल हो गया था। वो अभी भी जैसी पारदर्शी नाइटी में सोई थी, उसी में थी। नाइटी इतनी छोटी की उसके गोल नितंभ भी नहीं ढक पा रहे थे। नाइटी की पैंटी उसके चूत रस से तर थी। उत्तेजना इतनी बढ़ गई थी की अनुष्का को बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
तभी उसके फोन पे मैसेज का टोन बजा। अनुष्का ने झट से फोन उठाया और उसके मादक होठों पे एक मुस्कान फेल गई।

मैसेज में एक तगड़े लंड की फोटो थी। और नीचे टूटी फूटी इंग्लिश में लिखा था, "Weting for u"। अनुष्का इस लंड को भली भांति पहचानती थी। ये लंड था उसकी सोसायटी के पुराने वॉचमैन का था, भोलेराव। उस फोटो को देख के अनुष्का का और भी बुरा हाल हो गया।
इतनी दिन की प्यासी थी अनुष्का, इसीलिए उसने तय किया था की उसकी वासना को शांत करना किसी एक लंड के बस की बात नही है और उसने दो यारों को अपने हुस्न की दावत दी थी। एक तो ये भालेराव और दूसरा....। टिंग टांग, किसी ने डोरबेल बजाई। अनुष्का उसी पारदर्शी और अर्धनग्न अवस्था में दरवाजा खोलने चली गई। दरवाजा खुला तो सामने मोती था, जो रोज उनके यहां दूध पहुंचाने आता था। अनुष्का ने उसे देख के खीजते हुए बोला, "ये भालेराव कहां मर गया?"। अनुष्का की ये बात सुनकर मोती हंसता हुआ बोला, "फोन आया था उसका मैडम जी, आवत होई। तब तक हमई से काम चला लो।" ये सुनते ही अनुष्का ने उसकी धोती के ऊपर से उसके भारी टट्टे दबोच लिए। और उनपे हल्का दबाव देती हुई बोली, "ज्यादा बोली नही आ रही है तुम्हे?"। मोती दर्द से छटपटा उठा, "अरे मैडम जी आप तो बुरा मान गई, हम तो ऐसे ही मजाक करत रहे"। तो ये था वो दूसरा खुशनसीब आदमी। वैसे देखने में तो वो कुछ खास नहीं था, सांवला, ठिगना कद, तोंद, झबरी अधपकी मूछ, आधे बांह की गंजी और धोती। पर इस सब से अनुष्का कोई कोई मतलब न था। उसकी वह चीज जो अनुष्का को पसंद थी वो उसके हाथ में थी। अनुष्का ने अपनी पकड़ ढीली की, उसके टट्टों को हाथ में तोला, दोनो बटेर के अंडे के बराबर, गाढ़े वीर्य से भरे हुए। ये सोच के अनुष्का के मुंह में पानी आ गया।
वो अपना हाथ धीरे धीरे उसके लंड पे ले गई, जिसने अभी अभी जागना सुरु किया था। हाय क्या मोटा लंड था उसका...। जानवरों के बीच में रह के उसका लंड भी उनकी तरह हो गया था शायद। अनुष्का ने लंड पूरा मुठ्ठी में ले लिया, और उसके पहाड़ी आलू जैसे सुपाड़े को सहलाने लगी। धीरे धीरे उसका लंड अपनी पूरी मोटाई पे आ रहा था। अनुष्का अब अपनी पूरी मुठ्ठी बंद कर पा रही थी। वो अपना अंगूठा उसके लंड के छेद पे ले गई, जहां से थोड़ा वीर्य निकल रहा था। अनुष्का ने उसे अंगूठे से सुपाड़े पे फैलाया। उसके अंगूठे का स्पर्श सुपाड़े पे होते ही मोती की आह निकल गई।
इससे अनुष्का की तंद्रा टूटी और उसे अहसास हुआ की वो दोनों इस अवस्था में बाहर के दरवाजे पे खड़े थे जिससे कोई भी आता जाता उन्हे देख सकता था।अनुष्का उसको लंड से ख्रीचती हुई अंदर ले आई और सोफे पे बैठा दिया। अनुष्का ने देखते ही देखते उसकी धोती खोल कर अलग कर दी।
अनुष्का उसके सामने घुटने पे बैठ गई। मोती का मोटा मूसल लोड़ा उसकी काली झांटों के बीच ऐसा लग रहा था जैसे झाड़ियों के बीच कोई नाग अपना फन उठा रहा हो। और उसके टट्टे किसी छोटे नारियल जैसे थे, जो कि अभी सोफे पे उसकी जांघो के बीच फैले थे।
अनुष्का को तरह तरह के लंड चखने का शौक था, फिर वो लंड किसका भी हो, अनुष्का भेद भाव नहीं करती थी। दोस्त परिवार, जवान बूढ़े किसी में भी कभी फर्क नही किया था उसने।
अनुष्का मोती का लंड पकड़ के मुठियाने लगी। मोती की आहें किसी सांड की तरह पूरे कमरे में गूंजने लगी। अनुष्का अपना मुंह उसके लंड के पास ले गई और उसपे अपनी नुकीली जीभ फेरने लगी। फिर धीरे धीरे उसने पहले उसके सुपाड़ा, फिर आधा लंड और फिर पूरा लंड अपने मुंह में भर लिया। आठ इंच का वह लंड, लेकिन हमारी अनुष्का भी माहिर खिलाड़ी थी। उसे उकलाई या जिसे अंग्रेजी में गैग रिफ्लेक्स कहते है, नही आती थी। इसिका फायदा वो उठा के अपनी लंड चुसाई का सबको दीवाना बना लेती थी। मोती अब आप से बाहर हो रहा था। उसने अनुष्का के सर को पीछे से पकड़ा और अनुष्का के मुंह को कमर उठा के चोदने लगा। अनुष्का के आंखों से आंसू आ गए।
अनुष्का को पता चल गया की वो झड़ने वाला है। उसने उसका लंड मुंह से बाहर निकाला और मुठियाना शुरू कर दिया। जल्द ही मोती बुरी तरह ऐंठने लगा। अनुष्का ने उसका लंड अपने मुंह में भर लिया। कुछ लड़कियां वीर्य चखने में हिचकिचाती हैं, लेकिन अनुष्का को वीर्य का स्वाद बेहद पसंद था, ये एक बड़ा कारण था कि उसे लंड चुसाई इतनी पसंद थी। उसकी जबान वीर्य रस को ले के इतनी संवेदनशील थी की वह वीर्य चख कर बता सकती थी के उसके किस यार का है।
मोती के लंड ने वीर्य की पहली धार छोड़ी। अनुष्का का मुंह us चिर परिचित स्वाद से भर गया, एकदम गाढ़ा, थोड़ा नमकीन, जैसे नमकीन मक्खन। क्या गाय भैंसो के बीच रहने से उसका वीर्य ऐसा हो गया था? यह तो शोध का विषय हो सकता है। अनुष्का ये सोच के मन ही मन मुसकाई। लेकिन तभी उसका मुंह में वीर्य इतना भर गया की वो निगल नही पाईं। वीर्य के धागे उसके नाइटी से ढके चूचियों पे पड़े, और वह कपड़ा जो पहले से सम पारदर्शी था, पूरी तरह से पारदर्शी हो गया और उसकी चूचियों से चिपक गया। उसके सख्त गुलाबी निपल उसकी नाइटी से झांकने लगे।
तभी दुबारा डोरबेल बजने को आवाज आई। उसने की होल से देखा और दरवाजा खोल दिया। सामने भालेराव था। दुबला पतला और लंबा, ढीली ढाली सिक्योरिटी गार्ड की यूनिफॉर्म में था। कोई उसे देख के यही सोचेगा पता नही उसको कौन सिक्योरिटी गार्ड की जॉब पे रखता होगा, एक थप्पड़ भी शायद से न पाए। लेकिन जिस तेरह हीरे की पहचान जोहरी को होती है, उसी तरह अनुष्का भी आदमी देख के जान जाती थी की पतलून में क्या छिपा है। जहां मोती का लंड मोटा तगड़ा था और चूत चौड़ी करने के लिए परफेक्ट था वहीं भालेराव का लंड पतला और लंबा, लेकिन उसकी सबसे कमाल की बात थी उसका टोपा, जो की मोती से भी बड़ा था। इसकी वजह से वो किसी लॉलीपॉप जैसा लगता था। उसका लंड अनुष्का को गांड में लेने में बहुत मजा आता था। वो एकदम अंदर तक गुदगुदी करते हुए जाता था, जिसकी वजह से कई बार तो अनुष्का गांड ठुकाई से ही झड़ चुकी है। अनुष्का का आज यही प्लान था कि दोनो के लंड एक साथ लिया जाए।
खैर, भालेराव ने अनुष्का के चुचकों पे वीर्य देखा, और उसके पीछे सोफे पे कुत्ते जैसे हांफते हुए मोती को देखा तो उसे पूरी स्तिथि को भांपते समय नहीं लगा। "मदर चोद तो मेरे बिना ही शुरू हो गया?" उसने मोती को लात मारते हुए कहा। मोती भी हांफते हांफते बोला, "भोसड़ी के पता नही कहां ...अपनी मैया चुदावत रहे, मैडम के सामने ज्यादा देर कंट्रोल नाही होत हमार"।
"तुम दोनो को लड़ने से फुर्सत है?"अनुष्का ने डपटते हुए बोला। उसको लगा कहीं इन चूतियों के चक्कर में उसकी मुनिया प्यासी न रह जाए।
ये सुन के दोनो मिमियाने लगे। कोई भी अनुष्का को नाराज नही करना चाहता था। उन्हे आज तक अपनी किस्मत पे भरोसा नहीं आ रहा था की ऐसी माल ने उनमें क्या देखा। इतनी बिंदास और खुली हुई औरत उन्होंने केवल पोर्न फिल्मों में देखी थी। वो दोनो अनुष्का को सेक्स की देवी समझ के पूजते थे।
भोलेराव ने अनुष्का को बाहों में भर लिया इधर उधर चूमने लगा। अनुष्का ने उसका लंड पकड़ा और पैंट से बाहर निकाल लिया नौ या दस इंच उसका लंड पकड़ के अनुष्का हौले हौले मुठियाने लगी।
भोलेराव सोफे पे बैठ गया। अनुष्का लेट के उसका लंड चूसने लगी। मोती, जिसकी अब जा के सांस में सांस आई थी, यह सब देख रहा था। नाइटी से पारदर्शी पैंटी से झांकती अनुष्का की चूत उसी की ओर थी। मोती का लंड फिर सख्त हो रहा था। वह भी फिर से खेल में शामिल होना चाहता था। उसने धीरे से अनुष्का की पैंटी में अंगूठा फसा के उन्होंने सरकाना शुरू किया। अनुष्का को जैसे ही लगा की मोती क्या करने की कोशिश कर रहा है, अनुष्का ने अपनी गांड को उठा के उसकी सहायता कर दी।
अनुष्का की मखमली चूत देखते ही मोती की मुंह में पानी आ गया।अनुष्का अपनी चूत स्कूल के ही दिनों से डेली शेव करती थी। पिछले कुछ दिनों से वह लेजर हेयर रिमूवल करवाने भी जा रही है, जिससे की उसकी चूत और भी मुलायम लगती थी। उसने बस चूत के ऊपरी भाग पे लैंडिंग स्ट्रिप जैसे बाल छोड़ रखे थे, जैसे पोर्न फिल्मों में होता है। उसके पति ने कई बार इसपे एतराज भी किया लेकिन अनुष्का को अपनी ये "हेयरस्टाइल" बहुत उत्तेजित करती थी, तो उसने अनसुना कर दिया।
अनुष्का की चूत कामरस से भीगी हुई थी। और क्यों न हो, अभी तक उसकी चूत को झड़ने का मौका नहीं मिला था।
मोती ने अपने मोती मोती अंगुलियों से उसकी चूत की फांकों को अलग किया और अपना मुंह उसपे रख दिया।
अनुष्का जिसके मुंह में भालेराव का लंड था, उसकी एक दबी हुई आह निकल गई। मोती की झबरी मूछे उसके चूत की फांकों में गुदगुदी कर रहे थे, और उसकी मोती खुरदुरी जीभ अंदर बाहर होकर उसके स्वर्ग की अनुभूति दे रहे थे।
इसी उत्तेजना में उसने भालेराव का लंड और जोर से चूसना शुरू कर दिया। वो झड़ने वाली थी और उसको पता चल गया था की भालेराव भी जल्द झड़ने वाला है।
पूरा कमरा चभ चभ की आवाजों से भर गया। भालेराव और अनु दोनों ही चरम की ओर बढ़ने लगे। भालेराव की आहें कमरे में गूजने लगी। और जो होना था हुआ…. भालेराव किसी सांड की तरह चिल्लाते हुए…. अनु के मुंह में झड़ने लगा. …. अनु का मुँह फिर एक बार वीर्य से भरने लगा। मोती भी और जोर से चाटने लगा , जिससे की अनु भी झड़ने लगी। मोती का मुंह अनु के कामरस से भर गया। भालेराव के लैंड को चूस - चूस के अनु ने साफ़ कर दिया। अनु उठ कड़ी हुई और देखा की उसकी नेग्लीजी वीर्य और उसके खुद के कामरस से तर हो कर इधर - उधर चिपक रही थी। अनु ने अपने दोनों हाँथ उठाकर नेग्लीजी उतार के अलग रख दी। अनु के गदराये स्तन आजाद हो गये। उनपे पड़े लाल निशान अपनी आप-बीती बता रहे थे। भालेराव और मोती भूखे कुत्तोँ की तरह अनु के कामुक बदन को घूर रहे थे। “अरे नालायकों, ऐसे क्या देख रहे हो? चलो टाइम पास मत करो, बैडरूम में आओ….” अनु अपने पति के आने से पहले जितनी बार चुद सकती थी , चुद लेना चाहती थी। वैसे तो चुदाई का प्रोग्राम उसकी पति की मौजूदगी में भी चलता था लेकिन लुक छुप के चुदने और खुलेआम बेपरवाह चुदने दोनों के अपने मजे थे।
मोती और भालेराव दोनों “जी मैडम जी “ बोल के उसके पीछे चल पड़े।
अनु बैडरूम में पहुँच कर AC ऑन किया और के बेड पे पीठ के बल लेट गयी और अपनी टाँगे फैला दी। मोती ने खुला न्योता जान के अनु की टाँगे अपने कंधे पे उठाई और एक ही झटके में पूरा लण्ड अनु की चूत में पेल दिया। मोती का गदह लण्ड अचानक से पूरा अंदर जाने से अनु की चीख निकल गयी “मादरचोद…. तेरी माँ का भोसड़ा नहीं है…. ” । “मांफ करना मैडम जी… “ मोती ने मिमियाते हुए बोला लेकिन धक्के लगाना जारी रखा। अनु ने इशारे से भालेराव को अपने बगल में बुलाया और उसके मुरझाये लण्ड से खेलने लगी। मोती का हर धक्का उसको चरम आनंद दे रहा था।

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आकाश लिफ्ट से ऊपर आते हुए सोच रहा था , कि अनु कितनी खुस होगी यह जानकार की उसका टूर कैंसिल हो गया था। वो एयरपोर्ट के आधे रास्ते से वापस आ गया था। वो डोरबेल बजने ही जा रहा था की उसका हाँथ रुक गया। उसके पास एक स्पेयर चाभी थी। उसने सोचा क्यों न अनु को सरप्राइज किया जाए। उसने दरवाजा धीरे से खोला और अंदर हॉल में आया। उसने देखा की अनु की नेग्लीजी ज़मीन पे पड़ी हुई थी। “अनु भी न…. कहीं भी कपडे उतार के भूल जाती है” मन ही मन बुदबुदाते हुए उसने नेग्लीजी उठाई और सोफे पे रख दी। अनु दिखाई नहीं पड़ी तो उसने सोचा जरूर सो रही होगी। “बेस्ट है, अनु को बैडरूम में सरप्राइज करता हूँ “ सोचकर आकाश बैडरूम की ओर चल दिया। उसने धीरे से दरवाजा खोला तो उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी। उसके सामने का नज़ारा किसी पोर्न फिल्म के सेट जैसा लग रहा था। सामने उसकी बीवी दो मर्दो से एक साथ चुद रही थी। आकाश को अपनी आँखों पे विशवास नहीं हो रहा था। उसके मन में इतने मिले जुले भाव आ रहे की वो वैसे ही स्तब्ध खड़ा देखता रहा एक मिनट तक…. गुस्सा, घृणा , ईर्ष्या और शायद थोड़ी उत्तेजना भी। हलाकि उसका सपनो का गृहस्त जीवन उसकी आँखों से सामने ढह रहा था लेकिन वो इस बात से इंकार नहीं कर सकता था की सामने का दृश्य बहुत ही कामोत्तेजक था। उसकी बीवी उस मोटे, काले भैंसे का लण्ड लेते साक्षात् सेक्स की देवी लग रही थी। ये बात मन आते ही आकाश ने अपने आप को धिक्कारा। दोनों मर्दों की पीठ आकाश की तरफ थी इसलिए वो उसे देख नहीं पाए। अनु ने एक आदमी का लण्ड अपने मुंह में लिया हुआ था और आंखें बंद करके चूस रही थी। दरवाजा बंद होने की वजह से और AC की वजह से सभी अनजान हो के चुदाई का मज़ा ले रहे थे। तभी अनु की आँखें खुली और उसकी नज़र आकाश पे पड़ी। कुछ लम्हो के लिए वो पराये मर्द का लण्ड अपने मुँह में लिए हुए अपने पति को देखती रही। उसने सोचा की अगर कुछ बोलेगी तो मोती और भालेराव को पता चल जाएगा और बखेड़ा खड़ा हो जाएगा। उसकी नज़रें आकाश की पैंट पे गयी, जिसमे तम्बू बना हुआ था। जैस ही उसकी नज़रें आकाश पे गयी आकाश ने बैडरूम का दरवाजा बंद कर दिया। अनु ने सोचा जो होना है वो होगा ही, अभी चुदाई रोक के मज़ा क्यों खराब करना। और फिर मोती और भालेराव की भी फट जायेगी ये सब जानकर तो वो दो यारों से हाँथ धो देगी। वैसे भी ये पहली बार नहीं था की वो चुदवाती पकड़ी गयी थी। मोती के धक्कों ने अनु के मन से रही सही फिक्र भी निकाल दी। अनु गांड उचका उचका के मजे लेने लगी। जल्द ही मोती के धक्के तेज हो गए अनु ने भी अपने चूसने की रफ़्तार बढ़ा दी। कुछ ही पल बाद तीनो ही झड़ गए।
अनु ने ऊपर से नाइटी डाली और बैडरूम के बाहर गयी। उसने देखा की आकाश जा चूका था। उसके पीछे मोती और भालेराव भी बाहर आये। अनु ने उन दोनों को रवाना किया और सोफे पे बैठ गयी।
चुदाई की खुमारी उतरने के बाद अब उसे लग रहा था की बात कहीं ज्यादा न बढ़ जाए, क्यूंकि इस उलझन से निकलने का तरीका तो उसे भी नहीं सूझ रहा था। फिर कुछ सोच के उसने अपना फ़ोन उठाया और नंबर डायल किया “मंगला बुआ “. अब इस उलझन से कोई उसे निकाल सकता था तो वो थी उसकी बुआ। वही तो थी जो इन सब मामलो में उसकी भी गुरु थी, उन्ही से अनु ने इन सब गुरों की दीक्षा ली थी। फ़ोन से दूसरी तरफ आवाज आयी। ..”हेलो ….”. “प्रणाम बुआ … “ अनु बोली।
Boss thrktwr कहानी और किरदार रोचक गढ़े हैं आपने और सेक्स सीन का वर्णन भी मदमस्त करने वाला है। जो बात मुझे जरा खटकी वो ये है की किरदारों का चरित्र थोड़ा गहराई से बता कर शुरू करते तो पाठक के रूप में ज़्यादा कनेक्ट कर पाते हम। उम्मीद है कि आगे कि कड़ियों में आप किरदारों की गहराई , पिछली ज़िंदगी और उनके चरित्र पर बेहतर लिखेंगे।
नई कहानी की शुभकामनायें ,
 

sperdo

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Bahot badhiya update and pic selction bhai, apki detailed expanation lajawaab h


Part 2
बुआ की युक्ति

"प्रणाम बुआ", अनु बोली। "जीती रहो और पेलवाती रहो" बुआ ने कहा और हसने लगी। अनु और मंगला बुआ का रिश्ता ऐसा ही था। वे दोनो खुल के हसीं मजाक करती थी।


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और एक दूसरे के कारनामे चटकारे लेके सुनती थी।
वैसे तो मंगला बुआ जी तारीफ की मोहताज नहीं हैं, लेकिन चलिए पाठकों को इनसे तार्रुफ करवा देते हैं। मंगला बुआ भी अनु के ही शहर लखनऊ में रहती थी । स्कूल के दिनों से ही अनु की ज्यादातर छुट्टियां मंगला बुआ के यहां बीती हैं। फूफा जी खेती की वजह से कानपुर में रहते थे और हफ़्ते में एकाद बार आया करते थे। बुआ को पूरी आजादी थी। अनु बुआ का बिंदास अंदाज और उन्मुक्त व्यक्तित्व अनु को बहुत जचता था। जब कॉलेज चयन करने की बात आई"प्रणाम बुआ", अनु बोली। "जीती रहो और पेलवाती रहो" बुआ ने कहा और हसने लगी। अनु और मंगला बुआ का रिश्ता ऐसा ही था। वे दोनो खुल के हसीं मजाक करती थी। और एक दूसरे के कारनामे चटकारे लेके सुनती थी।

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मंगला बुआ
वैसे तो मंगला बुआ जी तारीफ की मोहताज नहीं हैं, लेकिन चलिए पाठकों को इनसे तार्रुफ करवा देते हैं। मंगला बुआ भी अनु के ही शहर लखनऊ में रहती थी । स्कूल के दिनों से ही अनु की ज्यादातर छुट्टियां मंगला बुआ के यहां बीती हैं। फूफा जी कारोबार की वजह से कानपुर में रहते थे और हफ़्ते में एकाद बार आया करते थे। बुआ को पूरी आजादी थी। अनु बुआ का बिंदास अंदाज और उन्मुक्त व्यक्तित्व अनु को बहुत जचता था। दिखने में अनु उन्ही का युवा प्रति दिखती थी | वाही कसे हुए स्तन और गांड , बस उम्र के साथ थोडा भराव आ गया था जिसने उनके शारीर को और कामुक बना दिया था | अनु उन्ही के नक्शे - कदम पे चल रही थी | जब कॉलेज चयन करने की बात आई तो अनु ने जान बूझ के लखनऊ चुना। अनु वैसे भी शुरू से बहुत कामुक थी, बुआ की सह पाकर उसकी सेक्स लाइफ में चार चांद लग गए। बुआ ने हर तरह से उसकी सहायता की, चाहे यारों से चुदने के लिए जगह का इंतजाम, गर्भ ठहर जाने पे डॉक्टर साहिबा से झूठ बोल कर गर्भ पात करवाना (केवल एक बारी), नए - नए लंड का इंतज़ाम। और बुआ जी के चूत चाटने की कला के क्या कहने। अनु ने कई बार इसका फर्स्ट हैंड एक्सपीरियंस लिया था ।
"बुआ पिलवा ही रही थी, तभी लेने के देने पड़ गए" अनु ने करुण स्वर में कहा और सारी घटना बुआ को बताती चली गई। अनु की कहानी सुनने के बात बुआ खिलखिला के हस उठी, "मान गए मेरी जान, लंड के नशे में चौकीदार और दूधवाले को भी नही छोड़ा, मेरी सच्ची चेली तो तू ही है.... हा... हा और कितने और ऐसे लंड लिए हैं जो अपनी प्यारी बुआ से छिपा रखा है?" । अनु थोड़ा झुंझला के बोली, " बुआ सब बताऊंगी....पहले इस मुसीबत से तो बाहर निकलने का रास्ता बताओ। कहीं आकाश कुछ ऐसा वैसा न कर बैठे ।" अनु को भी पता था की आकाश जैसा केयरिंग और अंडरस्टैंडिंग पति उसको नही मिल सकता था और वो नही चाहती थी की उसकी शादी पे आंच आए। अनु ने प्यार और सेक्स को हमेशा अलग अलग समझा। "आकाश को बहलाने के लिए कुछ कर और कुछ दिनों तक घर की दाल से काम चला।" "बुआ....ये तो न हो पाएगा। इतने दिनो तक मुर्गे की डाइट से सीधे घर की दाल पे नहीं आ सकती। कोई और रास्ता बताओ।"

अनु आकाश से बेशक प्यार करती थी, लेकिन यह भी सच था की सेक्स उसका दूसरा प्यार था। वह रेगुलर चुदाई की इतनी आदी हो गई थी कि एक दिन भी लंड न मिले तो उसका सिर भन्नाने लगता था, वासना से बुरा हाल हो जाता था। और आकाश सेक्स के मामले में बुरा नही था, सामान्य ही था, मतलब एवरेज। अनु ने इतनी घमासान चुदाइयों का अनुभव किया था की वो अब केवल एवरेज से काम नहीं चला सकती थी। उसकी असल जीवन की "Mr Nice Guy" वाली छवि बिस्तर पे भी दिखती थी। न चूसना चाटना, न कभी कभार एनल, बस एक ही पोजीसन ....मिशनरी।
"बुआ प्लीज कुछ तो बोलो...." अनु ने करुण स्वर में बोला। "एक रास्ता है मेरी जान, जिससे तेरी मुनिया की लंड को सप्लाई भी नहीं रुकेगी और तेरी घर की दाल में तड़का लग जाएगा"।"वाउ बुआ ऐसा हो जाए तो मजा ही आ जायेगा। पर ये सब होगा कैसे।" अनु चहक के बोली।
"वो तो मुझ पे छोड़ दे, बस आकाश को मैरेज काउंसलिंग के लिए मना ले।" बुआ बोली।
अनु के कुछ समझ में नही आ रहा था। "कोई भी मैरेज काउंसलर इस स्टोरी को सुनने के बाद तो आकाश को यही सलाह देगा की भाग निकल इस शादी से"। " हां लेकिन तुझे किसी भी काउंसलर के पास नही, बल्कि मेरे बताए हुए काउंसलर के पास आने के लिए आकाश को मनाना है। मैं तुझे कल सुबह वही मिलूंगी"
अनु को अभी भी कुछ समझ नही आ रहा था। लेकिन उसने सोचा कि बुआ ने कुछ सोच के ही कहा होगा। यही सोच के वो आकाश को मनाने की योजना बनाने लगी।
*
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आकाश पूरे दिन ऑफिस में अपनी डेस्क पे बैठा कंप्यूटर स्क्रीन को देखता रहा । सुबह का सीन उसके दिमाग में बार बार रिप्ले हो रहा था। अनु अपने मुंह और चूत में पराए मर्दों का लंड लिए हुए। आकाश को गुस्सा तो था लेकिन कहीं न कहीं अपनी बीवी के उस कामदेवी वाली रूप की वजह से उत्तेजना भी महसूस हो रही था। वो भूल नहीं पा रहा था की घर से निकलते समय उसका लंड पुरी तरह खड़ा था। उसको इन्ही फीलिंग्स को लेके आत्मग्लानि महसूस हो रही थी। आकाश देखने में हैंडसम, गोरा और लंबा चौड़ा बॉडी वाला था। ऑफिस की लड़कियां उसपे जान छिड़कती थी लेकिन उन कभी किसी को घास नहीं डाली थी। उसपे भी उसके साथ ये सब हुआ। यह सब सोच के आकाश फिर गुस्से से भर गया। क्या होना था पता नही, लेकिन फिर भी आकाश अनु को एक मौका देना चाहता था सफाई का।

*
डोरबेल की आवाज आते ही अनुष्का ने दरवाजा खोला। आकाश अंदर आया और अनुष्का की ओर बिना एक भी नजर डाले बेडरूम की ओर चल दिया। बेडरूम में दाखिल होते ही उसकी सुबह की यादें फिर एक बार ताजा हो गई। वो जल्दी से बाथरूम में घुस गया। जब वो नहा के बाहर डाइनिंग टेबल पे आया तो उसने देखा की अनु खाना लगा रही थी। उसने झीनी सारी और ब्रा नुमा ब्लाउज पहन रखा था, पता नही क्यों आज उसे अनु कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही थी। उसे पता था की सामाजिक कायदे तो यही कहते हैं कि उसकी पत्नी ने उसे धोखा दिया, शादी के पवित्र रिश्ते को तोड़ा,लेकिन उसने आज अपने धर्मपत्नी को एक अलग अवतार में देखा था, एक कामुक स्त्री के रूप में ।इसी उधेड़बुन में वो टेबल पे जा बैठा और खुद ही परोस के खाने लग गया।
*

अनु ने पूरी प्लानिंग कर ली थी। उसने आकाश की फेवरेट सारी और ब्लाउज पहने थे। उसे पता था की झीनी सारी में उसकी कमर और क्लीवेज आकाश को कितना उत्तेजित करते थे। मर्दों की फैंटेसी और पसंद का अनु को बहुत गहरी समझ थी। हालांकि आज शायद उसका असर कुछ कम हो लेकिन अनु कोई पैंतरा छोड़ना नही चाहती थी।
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आकाश खाना के के उठ गया। अनु भी उसके साथ ही उठ खड़ी हुई। किचन में उसने आकाश का हाथ पकड़ा, "जानू सुबह के बारे में कुछ कहने चाहते हो तो के सकते हो"।
"अब कहने को क्या रहा है अनु, तुम अपनी सफाई में कुछ कहना चाहती हो तो की सकती हो।" आकाश बोला।
"आकाश वो दोनो मुझे अकेला समझ के मेरे बेडरूम में आ गए और जबरदस्ती करने लगे। मैं अकेली क्या करती" अनु ने बनावटी भोलेपन से कहा।
"अनु प्लीज, जबरदस्ती और मस्ती में क्या फर्क होता है मुझे अच्छे से पता है।" आकाश झुंझला के बोला।
अनु मन ही मन मुस्कायी, "अरे वाह मेरे पतिदेव जी इतने भी अनाड़ी नहीं हैं।" अनु को उम्मीद भी नहीं थी की आकाश इतनी फालतू सी बात में आ जायेगा। वो तो उसने बस मैरिज काउंसलर वाली बात उठाने के लिए उसको जरिया बनाया था। "व्हाट्स रॉन्ग विथ यू अनु? व्हाट्स रॉन्ग विथ अवर रिलेशन?" आकाश ने परेशान हो के अनु से कहा।
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"पता नही जानू, लेकिन मैं हमारे रिश्ते को बचाने के लिए कुछ भी कर सकती हूं। तुम कहोगे तो मैं मैरिज काउंसलिंग के लिए भी रेडी हूं।" अनु ने बोला। "क्या ??....काउंसलिंग.." आकाश कन्फ्यूज्ड था की काउंसलिंग की बात कहां से आई। आकाश की बात खतम होने से पहले ही अनु ने तपाक से बोला, "हां मैं बेस्ट काउंसलर ढूंढ के कल का अपॉइंटमेंट ले लेती हूं"। ये अनु की चाल थी, अब आकाश को ये अंदाजा भी नही था की ये सब अनु ने पहले से सोच के रखा था। और आकाश भी अनु से प्यार करता था, वो अपने रिश्ते को बचाने के लिए हर भरसक प्रयास कर लेना चाहता था।
अगली सुबह आकाश ऑफिस निकल गया तो अनु ने बुआ जी का भेजा हुआ एड्रेस देखा।
" Dr. बंसी लाल लांबा, psychiatrist, sexologist, marriage counselor..."
और आकाश को एड्रेस भेज के ३.०० बजे आने के लिए कहा।
*
अनु अच्छे से तैयार हुई, क्या पता बुआ के मन में क्या था। नाभि चार इंच नीचे झीनी साड़ी , जिससे की उसका चिकना सुतवा पेट अच्छे से दिख रहा था। एक टाइट बिकिनी स्ट्रप वाला ब्लाउज, जिसमे से उसकी चूचियां और उनके बीच की घाटी उसे झीनी साड़ी में साफ़ साफ़ दिख रहे थे। और बीच में इसका मंगलसूत्र उसी घाटी में लुप्त हो रहा था। अनु अपने मंगलसूत्र, सिन्दूर और बिंदिया को हमेशा फ्लॉन्ट करती थी। उसे पता था की एक शादी शुदा औरत की चुदाई मर्दों को बहुत उत्तेजित करती है। पैरों में ऊँची एडी की सैंडल डाल के वो घर से निकली।
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रस्ते में कई सब्जी वाले, फेरी वालों और अन्य लोगों ने हूट किया। कइयों ने अपने पैंट में बनते तम्बू को एडजस्ट किया। अनु मन ही मन मुस्काते हुए चली जा रही थी। वो मानती थी की समाज के निचले तबके के लोग नारी रूप को अच्छे से सराहते हैं, वहीँ तथाकथित सभ्य समाज के मर्दों की मर्दानगी दब के रह गयी। यह फ़र्क़ उनके चुदाई के तरीकों में भी साफ़ दिखता है। इसीलिए अनु ने हमेशा ऐसे यार चुने जो उसकी कामपिपासा बुझा सके, न की निठल्ले “प्रेटी बॉयज”
“ऑटो… “ अनु ने आवाज लगायी। एक ऑटो रुका और अनु ने उसमे बैठ के एड्रेस बता दिया। to be continued
 
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malikarman

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Part 2
बुआ की युक्ति

"प्रणाम बुआ", अनु बोली। "जीती रहो और पेलवाती रहो" बुआ ने कहा और हसने लगी। अनु और मंगला बुआ का रिश्ता ऐसा ही था। वे दोनो खुल के हसीं मजाक करती थी।


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और एक दूसरे के कारनामे चटकारे लेके सुनती थी।
वैसे तो मंगला बुआ जी तारीफ की मोहताज नहीं हैं, लेकिन चलिए पाठकों को इनसे तार्रुफ करवा देते हैं। मंगला बुआ भी अनु के ही शहर लखनऊ में रहती थी । स्कूल के दिनों से ही अनु की ज्यादातर छुट्टियां मंगला बुआ के यहां बीती हैं। फूफा जी खेती की वजह से कानपुर में रहते थे और हफ़्ते में एकाद बार आया करते थे। बुआ को पूरी आजादी थी। अनु बुआ का बिंदास अंदाज और उन्मुक्त व्यक्तित्व अनु को बहुत जचता था। जब कॉलेज चयन करने की बात आई"प्रणाम बुआ", अनु बोली। "जीती रहो और पेलवाती रहो" बुआ ने कहा और हसने लगी। अनु और मंगला बुआ का रिश्ता ऐसा ही था। वे दोनो खुल के हसीं मजाक करती थी। और एक दूसरे के कारनामे चटकारे लेके सुनती थी।

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मंगला बुआ
वैसे तो मंगला बुआ जी तारीफ की मोहताज नहीं हैं, लेकिन चलिए पाठकों को इनसे तार्रुफ करवा देते हैं। मंगला बुआ भी अनु के ही शहर लखनऊ में रहती थी । स्कूल के दिनों से ही अनु की ज्यादातर छुट्टियां मंगला बुआ के यहां बीती हैं। फूफा जी कारोबार की वजह से कानपुर में रहते थे और हफ़्ते में एकाद बार आया करते थे। बुआ को पूरी आजादी थी। अनु बुआ का बिंदास अंदाज और उन्मुक्त व्यक्तित्व अनु को बहुत जचता था। दिखने में अनु उन्ही का युवा प्रति दिखती थी | वाही कसे हुए स्तन और गांड , बस उम्र के साथ थोडा भराव आ गया था जिसने उनके शारीर को और कामुक बना दिया था | अनु उन्ही के नक्शे - कदम पे चल रही थी | जब कॉलेज चयन करने की बात आई तो अनु ने जान बूझ के लखनऊ चुना। अनु वैसे भी शुरू से बहुत कामुक थी, बुआ की सह पाकर उसकी सेक्स लाइफ में चार चांद लग गए। बुआ ने हर तरह से उसकी सहायता की, चाहे यारों से चुदने के लिए जगह का इंतजाम, गर्भ ठहर जाने पे डॉक्टर साहिबा से झूठ बोल कर गर्भ पात करवाना (केवल एक बारी), नए - नए लंड का इंतज़ाम। और बुआ जी के चूत चाटने की कला के क्या कहने। अनु ने कई बार इसका फर्स्ट हैंड एक्सपीरियंस लिया था ।
"बुआ पिलवा ही रही थी, तभी लेने के देने पड़ गए" अनु ने करुण स्वर में कहा और सारी घटना बुआ को बताती चली गई। अनु की कहानी सुनने के बात बुआ खिलखिला के हस उठी, "मान गए मेरी जान, लंड के नशे में चौकीदार और दूधवाले को भी नही छोड़ा, मेरी सच्ची चेली तो तू ही है.... हा... हा और कितने और ऐसे लंड लिए हैं जो अपनी प्यारी बुआ से छिपा रखा है?" । अनु थोड़ा झुंझला के बोली, " बुआ सब बताऊंगी....पहले इस मुसीबत से तो बाहर निकलने का रास्ता बताओ। कहीं आकाश कुछ ऐसा वैसा न कर बैठे ।" अनु को भी पता था की आकाश जैसा केयरिंग और अंडरस्टैंडिंग पति उसको नही मिल सकता था और वो नही चाहती थी की उसकी शादी पे आंच आए। अनु ने प्यार और सेक्स को हमेशा अलग अलग समझा। "आकाश को बहलाने के लिए कुछ कर और कुछ दिनों तक घर की दाल से काम चला।" "बुआ....ये तो न हो पाएगा। इतने दिनो तक मुर्गे की डाइट से सीधे घर की दाल पे नहीं आ सकती। कोई और रास्ता बताओ।"

अनु आकाश से बेशक प्यार करती थी, लेकिन यह भी सच था की सेक्स उसका दूसरा प्यार था। वह रेगुलर चुदाई की इतनी आदी हो गई थी कि एक दिन भी लंड न मिले तो उसका सिर भन्नाने लगता था, वासना से बुरा हाल हो जाता था। और आकाश सेक्स के मामले में बुरा नही था, सामान्य ही था, मतलब एवरेज। अनु ने इतनी घमासान चुदाइयों का अनुभव किया था की वो अब केवल एवरेज से काम नहीं चला सकती थी। उसकी असल जीवन की "Mr Nice Guy" वाली छवि बिस्तर पे भी दिखती थी। न चूसना चाटना, न कभी कभार एनल, बस एक ही पोजीसन ....मिशनरी।
"बुआ प्लीज कुछ तो बोलो...." अनु ने करुण स्वर में बोला। "एक रास्ता है मेरी जान, जिससे तेरी मुनिया की लंड को सप्लाई भी नहीं रुकेगी और तेरी घर की दाल में तड़का लग जाएगा"।"वाउ बुआ ऐसा हो जाए तो मजा ही आ जायेगा। पर ये सब होगा कैसे।" अनु चहक के बोली।
"वो तो मुझ पे छोड़ दे, बस आकाश को मैरेज काउंसलिंग के लिए मना ले।" बुआ बोली।
अनु के कुछ समझ में नही आ रहा था। "कोई भी मैरेज काउंसलर इस स्टोरी को सुनने के बाद तो आकाश को यही सलाह देगा की भाग निकल इस शादी से"। " हां लेकिन तुझे किसी भी काउंसलर के पास नही, बल्कि मेरे बताए हुए काउंसलर के पास आने के लिए आकाश को मनाना है। मैं तुझे कल सुबह वही मिलूंगी"
अनु को अभी भी कुछ समझ नही आ रहा था। लेकिन उसने सोचा कि बुआ ने कुछ सोच के ही कहा होगा। यही सोच के वो आकाश को मनाने की योजना बनाने लगी।
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आकाश पूरे दिन ऑफिस में अपनी डेस्क पे बैठा कंप्यूटर स्क्रीन को देखता रहा । सुबह का सीन उसके दिमाग में बार बार रिप्ले हो रहा था। अनु अपने मुंह और चूत में पराए मर्दों का लंड लिए हुए। आकाश को गुस्सा तो था लेकिन कहीं न कहीं अपनी बीवी के उस कामदेवी वाली रूप की वजह से उत्तेजना भी महसूस हो रही था। वो भूल नहीं पा रहा था की घर से निकलते समय उसका लंड पुरी तरह खड़ा था। उसको इन्ही फीलिंग्स को लेके आत्मग्लानि महसूस हो रही थी। आकाश देखने में हैंडसम, गोरा और लंबा चौड़ा बॉडी वाला था। ऑफिस की लड़कियां उसपे जान छिड़कती थी लेकिन उन कभी किसी को घास नहीं डाली थी। उसपे भी उसके साथ ये सब हुआ। यह सब सोच के आकाश फिर गुस्से से भर गया। क्या होना था पता नही, लेकिन फिर भी आकाश अनु को एक मौका देना चाहता था सफाई का।

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डोरबेल की आवाज आते ही अनुष्का ने दरवाजा खोला। आकाश अंदर आया और अनुष्का की ओर बिना एक भी नजर डाले बेडरूम की ओर चल दिया। बेडरूम में दाखिल होते ही उसकी सुबह की यादें फिर एक बार ताजा हो गई। वो जल्दी से बाथरूम में घुस गया। जब वो नहा के बाहर डाइनिंग टेबल पे आया तो उसने देखा की अनु खाना लगा रही थी। उसने झीनी सारी और ब्रा नुमा ब्लाउज पहन रखा था, पता नही क्यों आज उसे अनु कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही थी। उसे पता था की सामाजिक कायदे तो यही कहते हैं कि उसकी पत्नी ने उसे धोखा दिया, शादी के पवित्र रिश्ते को तोड़ा,लेकिन उसने आज अपने धर्मपत्नी को एक अलग अवतार में देखा था, एक कामुक स्त्री के रूप में ।इसी उधेड़बुन में वो टेबल पे जा बैठा और खुद ही परोस के खाने लग गया।
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अनु ने पूरी प्लानिंग कर ली थी। उसने आकाश की फेवरेट सारी और ब्लाउज पहने थे। उसे पता था की झीनी सारी में उसकी कमर और क्लीवेज आकाश को कितना उत्तेजित करते थे। मर्दों की फैंटेसी और पसंद का अनु को बहुत गहरी समझ थी। हालांकि आज शायद उसका असर कुछ कम हो लेकिन अनु कोई पैंतरा छोड़ना नही चाहती थी।
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आकाश खाना के के उठ गया। अनु भी उसके साथ ही उठ खड़ी हुई। किचन में उसने आकाश का हाथ पकड़ा, "जानू सुबह के बारे में कुछ कहने चाहते हो तो के सकते हो"।
"अब कहने को क्या रहा है अनु, तुम अपनी सफाई में कुछ कहना चाहती हो तो की सकती हो।" आकाश बोला।
"आकाश वो दोनो मुझे अकेला समझ के मेरे बेडरूम में आ गए और जबरदस्ती करने लगे। मैं अकेली क्या करती" अनु ने बनावटी भोलेपन से कहा।
"अनु प्लीज, जबरदस्ती और मस्ती में क्या फर्क होता है मुझे अच्छे से पता है।" आकाश झुंझला के बोला।
अनु मन ही मन मुस्कायी, "अरे वाह मेरे पतिदेव जी इतने भी अनाड़ी नहीं हैं।" अनु को उम्मीद भी नहीं थी की आकाश इतनी फालतू सी बात में आ जायेगा। वो तो उसने बस मैरिज काउंसलर वाली बात उठाने के लिए उसको जरिया बनाया था। "व्हाट्स रॉन्ग विथ यू अनु? व्हाट्स रॉन्ग विथ अवर रिलेशन?" आकाश ने परेशान हो के अनु से कहा।
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"पता नही जानू, लेकिन मैं हमारे रिश्ते को बचाने के लिए कुछ भी कर सकती हूं। तुम कहोगे तो मैं मैरिज काउंसलिंग के लिए भी रेडी हूं।" अनु ने बोला। "क्या ??....काउंसलिंग.." आकाश कन्फ्यूज्ड था की काउंसलिंग की बात कहां से आई। आकाश की बात खतम होने से पहले ही अनु ने तपाक से बोला, "हां मैं बेस्ट काउंसलर ढूंढ के कल का अपॉइंटमेंट ले लेती हूं"। ये अनु की चाल थी, अब आकाश को ये अंदाजा भी नही था की ये सब अनु ने पहले से सोच के रखा था। और आकाश भी अनु से प्यार करता था, वो अपने रिश्ते को बचाने के लिए हर भरसक प्रयास कर लेना चाहता था।
अगली सुबह आकाश ऑफिस निकल गया तो अनु ने बुआ जी का भेजा हुआ एड्रेस देखा।
" Dr. बंसी लाल लांबा, psychiatrist, sexologist, marriage counselor..."
और आकाश को एड्रेस भेज के ३.०० बजे आने के लिए कहा।
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अनु अच्छे से तैयार हुई, क्या पता बुआ के मन में क्या था। नाभि चार इंच नीचे झीनी साड़ी , जिससे की उसका चिकना सुतवा पेट अच्छे से दिख रहा था। एक टाइट बिकिनी स्ट्रप वाला ब्लाउज, जिसमे से उसकी चूचियां और उनके बीच की घाटी उसे झीनी साड़ी में साफ़ साफ़ दिख रहे थे। और बीच में इसका मंगलसूत्र उसी घाटी में लुप्त हो रहा था। अनु अपने मंगलसूत्र, सिन्दूर और बिंदिया को हमेशा फ्लॉन्ट करती थी। उसे पता था की एक शादी शुदा औरत की चुदाई मर्दों को बहुत उत्तेजित करती है। पैरों में ऊँची एडी की सैंडल डाल के वो घर से निकली।
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रस्ते में कई सब्जी वाले, फेरी वालों और अन्य लोगों ने हूट किया। कइयों ने अपने पैंट में बनते तम्बू को एडजस्ट किया। अनु मन ही मन मुस्काते हुए चली जा रही थी। वो मानती थी की समाज के निचले तबके के लोग नारी रूप को अच्छे से सराहते हैं, वहीँ तथाकथित सभ्य समाज के मर्दों की मर्दानगी दब के रह गयी। यह फ़र्क़ उनके चुदाई के तरीकों में भी साफ़ दिखता है। इसीलिए अनु ने हमेशा ऐसे यार चुने जो उसकी कामपिपासा बुझा सके, न की निठल्ले “प्रेटी बॉयज”
“ऑटो… “ अनु ने आवाज लगायी। एक ऑटो रुका और अनु ने उसमे बैठ के एड्रेस बता दिया। to be continued
Next update please
 
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