Update 3:
डॉ. लाम्बा का ऑफिस -II
“ऑटो… “ अनु ने आवाज लगाई। एक ऑटो रुका और अनु ने उसमे बैठ के एड्रेस बता दिया।
ऑटो चल पड़ा, ऑटो वाला रह - रह की अनु की गोलाईयाँ देख रहा था। अनु ने भी कंधो को एडजस्ट करके पल्लू गिरा दिया और दोनों बाजूँओं को ऐसे दबाया कि लगा की उसके दोनो चूचियां अभी बहार आ जाएँगी।
अब तो ऑटो वाले की आँखें अनु की चूचियों से हट ही नहीं रही थीं। ऑटो वाले ने ध्यान नहीं दिया और ऑटो एक स्पीड ब्रेकर पे कूद गया। अनु का ब्लाउज वैसे ही छोटा था। झटके की वजह से उसकी एक स्तन का निप्पल बहार आ गया। ऑटो ने एक लहर खाई। “संभल के भैय्या” अनु निप्पल एडजस्ट करते हुए बोली। “हाँ मैडम जी, पता नहीं स्पीड ब्रेकर कहाँ से आ गया” ऑटो वाला बोला। अनु ने ऊपर वाले रियर व्यू मिरर में देखा की वो एक हाँथ से पैंट के ऊपर से अपना लंड मसल रहा था। अनु की चूत में ये देख के हलचल होने लगी। ऐसे मर्दों को रिझाना उसके लिए सहज था।
“लीजिए पहुँच गए मैडम जी” ऑटो वाले ने कहा और ऑटो रोक दिया। अनु उतरी और उसको पैसे देने के लिए हाथ बढ़ाया। ऑटोवाले ने पैसे लेने के बहाने उसकी कोमल कोमल हथेलियों का स्पर्श किया। उसकी खुरदुरी हथेली महसूस होते ही कोमल के बदन में बिजली से दौड़ गयी। ऑटो वाला पैसे लेके चलता बना।
अनु ने देखा सामने एक बड़ी पॉश बिल्डिंग थी। और उसकी प्रवेश द्वार पे खड़ी थी बुआ जी।
“कितनी देर लगा दी अनु ? चल आकाश के आने से पहले तुझे डॉक्टर से मिला दूँ” बुआ बोली और अनु को ले कर अंदर चली गयी।
डॉक्टर का ऑफिस पांचवें फ्लोर पे था। वो लोग लिफ्ट से ऊपर गए। लिफ्ट का दरवाजा खुलते ही अनु दंग रह गयी। वो क्लिनिक कम रिसोर्ट ज्यादा लग रहा था। रिसेप्शनिस्ट से लेके सारे ऑफिस वर्कर्स बहुत ही छोटी स्कर्ट और टाइट ब्लाउज में थे। सभी वर्कर्स दिखने में अच्छे थे। सामने बोर्ड पर अलग अलग डिपार्टमेंट के नाम लिखे थे : सेक्सोलॉजिस्ट, यूरोलॉजी , गायनोकॉलोजी , कॉस्मेटिक , मसाज एंड स्पा। बुआ रिसेप्शनिस्ट के पास गयी और बोली डॉक्टर लाम्बा से मिलना है। ऐसा लगा रिसेप्शनिस्ट उन्हें पहले से जानती है। “डॉ लाम्बा एक पेशेंट के साथ हैं, उनके बाद आप जा सकती हैं “, रिसेप्शनिस्ट ने कहा।
बुआ अनु के साथ आकर सोफे पर बैठ गयी। अनु ने सामने टेबल पर ब्रोशर उठा के देखा और पढ़ने लग गयी। ब्रोशर में लिखे कुछ सुविधाएँ तो आम जान पद रही थी , पर कुछ ऐसी भी थी जो अनु को थोड़ा हट के लगी , जैसे की हाइमेनोप्लास्टी , बूब जॉब्स , ऐस फिलर्स , वैजिनल टाईटनिंग आदि। यह सब इंडिया में इतनी प्रचलित नहीं थी। रिसोर्ट सेक्शन में वैजिनल और एनल ब्लीचिंग , बिकिनी वैक्स, एनीमा आदि की फैसिलिटीज थी। उनका एक सेक्स टॉयज का भी सेक्शन था जिसमे की भांति भांति के टॉयज थे, उनमे से कुछ को तो देख के अनु सोच में पड़ गयी की ये कहाँ जाएगा। सेक्सोलॉजिस्ट वाले सेक्शन में डॉ. लाम्बा ही फोटो लगी हुई थी , वो सामान्य कद के ५५-६० वर्ष के मालुम दे रहे थे। पेट निकला हुआ। सर पूरा साफ़ चिकना। चेहरे पर अधपकी मूंछ और मुस्कान। “डॉ लाम्बा अमित के दोस्त हैं “, बुआ बोली। अमित फूफा जी का नाम था। “और आपके ?” अनु ने हंस के बुआ को कोहनी मारी। “वो तो तुझे जल्द ही पता चल जाएगा”, बुआ ने अनु को आँख मारी। अनु ने डॉ लाम्बा के बारे में जो ब्यौरा दिया था वो पढ़ा। उसमे लिखा था की उसके पास गायनेकोलॉजी और साइकोलॉजी की डिग्री थी।
“डॉ. लाम्बा को मैंने सब बता दिया है… “ बुआ ने कहा। “सब?”, अनु चौंकाती हुई बोली। “हाँ…. तुझे इस झमेले से निकलना है कि नहीं ?”, बुआ उसे डपटते हुए बोली। “वैसे भी डॉ. लाम्बा इस फील्ड के एक्सपर्ट हैं। उन्होंने ने कई हाउस - वाइव्स की हेल्प की है.....” बुआ बोल रही थी। “उनका अभी आकाश जैसे किसी दूध से धुले से पाला नहीं पड़ा है … “, अनु मुँह बनाती हुई बोली। तभी रिसेप्शनिस्ट ने कहा “अब आप जा सकते हैं … “ अनु और बुआ दोनों डॉ. लाम्बा के केबिन में दाखिल हुए।
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केबिन बहुत ही बड़ा और आलिशान था। दीवार से लगे हुए सेटिन और मखमल के सोफे, एक काउच भी था साइड में। दीवारों में बिभिन्न काम क्रीड़ाओं को दर्शाती हुई चित्र और कलाकृतिया थी। बीच में डा. लाम्बा का टेबल। डा. लाम्बा बैठे हुए थे और एक लड़की जो शायद उनकी सेक्रेटरी थी उनके बगल में कड़ी थी। वह भी उनके क्लिनिक की बाकी लड़कियों की तरह शार्ट स्कर्ट और ब्लाउज़ पहने हुई थी। उसके भारी स्तनों का क्लीवेज साफ़ दिख रहा था। वो झुकी हुई डा. लाम्बा को कोई फाइल दिखा रही थी। डा. लाम्बा का ध्यान फाइल पे कम और उसकी चूचियों पे ज्यादा था। उनका दाहिना हाथ उस लड़की के पृष्ठ भाग में था , शायद उसकी गांड पे ? अनु ने सोचा।
उन दोनों को देख के डा. ने अपनी सेक्रेटरी को जाने के लिए कहा और कहा की कोई डिस्टर्ब न करे। सेक्रेटरी “ओके सर” बोल के चलती बनी। “भाभी जी ने मुझे आपकी प्रॉब्लम के बारे में बताया “ डा. लाम्बा ने अनु को ऊपर से नीचे ताड़ते हुए बोला “आप निश्चिंत रहिये, मैंने ऐसे कई केस सोल्व किये हैं “ . अनु को अभी भी समझ में नहीं आ रहा था की कैसे डा. लाम्बा इस मुसीबत से उसको निकालेंगे लेकिन उनका कॉन्फिडेंस देख के उसको थोड़ी शांति मिली।
डा. लाम्बा अब बुआ की ओर देख के बोले , “भाभी जी आपके मेडिकल चेकअप को एक महीने से ऊपर हो गए। “ “जी डा. साहब वो थोड़ा बिजी हो गयी थी।” बुआ ने मुस्कुराते हुए कहा। “अभी इनके पति को आने में समय है। कहिये तो अभी कर लें। “ अब डा. लाम्बा के मुँह पे भी एक कुटिल मुस्कान थी। “आप बाहर वेट कर सकती हैं” डा. ने अनु से कहा। “रहने दीजिये डॉक्टर साहब हमारे बीच में सब ओपन है।” बुआ अनु को आँख मार के बोली। “ओके ऐसा है तो … “ डा. ने भी कंधे उचका दिए।
डा. लाम्बा ने बुआ को बगल में रखे इंस्पेक्शन बेड पे बैठाया। “ पहले आपके बूब्स को देख लेते हैं की कोई गांठे तो नहीं है।” अनु को ये बात अजीब लगी , पहली तो ये की डा. साहब ने “बूब्स” शब्द यूज किया और दूसरा उन्होंने खुदा ही बुआ का पल्लू हटा के उनके ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए। देखते ही देखते बुआ अपनी लेसी ब्रा में थी। देखते ही देखते वो ब्रा भी जाती रही। डा. लाम्बा की हांथो की दक्षता साफ़ रही थी। अब बुआ जी की भरी भरकम चूंचियां खुले में थी। भारी लेकिन सुडोल और उनपे तने हुए १ -१ इंच के निप्पल। अनु ने भी अनगिनत बार उनके साथ खेला था, चूसा था। अक्सर कॉलेज के दिनों में जब फूफा जी बाहर होते तो वो दोनों साथ सोते और लेस्बियन सेक्स का आनंद लेते।
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डा. लाम्बा ने बुआ की चूचियों को सहलाना शुरू किया। बुआ अपनी आँखें बंद करके आनंद ले रही थी। फिर जो हुआ उसको देख कर अनु चौंक पड़ी। डा. लाम्बा ने देखते ही देखते बुआ का एक निप्पल मुँह में ले लिया और चूसने लगे। और तो और बुआ का भी उसपे कोई रिएक्शन नहीं था। उन्होंने आँखें खोली और अनु को मुस्कुराते हुए देखा। अनु को अब सब समझ आ गया था, बुआ जी के रेगुलर “मेडिकल चेकअप “ के बारे में।
अनु का डॉ. लांबा और अपनी बुआ जी की हरकतों को देख कर बुरा हाल था। उसने अपनी साड़ी ऊपर की और खुद को उँगलियों से सहलाना शुरू कर दिया। उसकी बुआ जी डॉ. लांबा की पैंट की बेल्ट में व्यस्त थी। डॉक्टर लाम्बा बुआ जी की चुचियों को चूस रहे थे। अनु यह देखकर आश्चर्यचकित थी कि वह कितनी ज्यादा गीली थी। उसकी बुआ जी ने डॉक्टर लांबा का लंड आज़ाद कर दिया। अनु का जबड़ा खुला का खुला रह गया। उसने डा. लाम्बा के पेंट का उभार देख कर ही अंदाजा लगा लिया था की उनका लौडा बड़ा ही होगा लेकिन उसने ऐसा लंड आज तक नहीं देखा।
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ऐसा लग रहा था जैसे यह किसी पोर्न फिल्म से निकल के आया हो... लगभग एक फीट लंबा और मुट्ठी में भी न आये इतना मोटा। उसकी बुआ जी को पता था कि अनु की नज़र डॉ. लांबा के लंड पर ही अटकी हुई थी। उन्होंने उसे अपनी हथेलियों में पकड़ लिया जैसे अनु को दिखा रही हो। उसकी बुआ जी की हथेलियाँ उसके आकार से बौनी लग रही थी। हे भगवान, कितना बड़ा था. तोप बहुत बड़ा और चमकदार था जैसे पहाड़ी आलू। आश्चर्य की बात यह है कि उसका खतना किया हुआ था। उसमे से भारी मात्रा में प्री-कम लीक हो रहा था। अनु ने अनजाने में अपने होठों में जीभ फिराई। वो उसे चखना चाहती थी।
बुआ जी ने मानो अनु के मन को पढ़ते हुए कहा, "अनु आओ।" अनु को इससे ज्यादा प्रोत्साहन की ज़रुरत नहीं थी। अनु आगे आई और डॉक्टर लांबा के लंड के सामने घुटनों के बल बैठ गयी. "डा. साहब ये इतना ...? मेरा मतलब.." अनु अपना सवाल पूरा नहीं कर पायी। "यह इतना बड़ा कैसे हो गया? यही न ?" डॉ. लांबा ने हंसते हुए कहा, "मैंने अपने लंड के आकार और पौरुष क्षमता को बेहतर बनाने के लिए बहुत सारी दवाएं, जड़ी-बूटियां और तकनीकें आजमाई हैं। शुरुआत में भी यह एक बुरे आकार का नहीं था लेकिन …" अनु उसके लंड को अविश्वास से देख रही थी।
अनु ने लंड को अपने दोनों हाथों में लिया और धीरे - धीरे मुठियाने लगी । उनका लंड प्रीकम से एकदम चिकना हो गया था । उसने टोपे के सिरे को धीरे चाटा और डॉ. लांबा के प्रीकम के नमकीन स्वाद चख कर मचल उठी। वह अपनी शादी बचाने के लिए आई थी लेकिन अब यहाँ उसके हाथ और मुँह में एक फिर एक बड़ा लंड था। अनु ने अपना मुँह खोला और लंड के टोपे को चूसा। बड़े बड़े लोड़ों को गट कर जाने वाली अनु उसका टोपा भर ही मुह में ले पायी।
डा. लाम्बा ने बुआ की सारी ऊपर करते हुए उनकी पैन्टी निकाल फेंकी। बुआ जी की चिकनी छूट जाहिर हुई। वो भी अनु की ही तरह सफा चट थी। डा. लांबा ने झुक के अपने होठ बुआ की चूत से लगा दिए। अब अनु के लंड चूसने की आवाज के साथ बुआ की सिसकारियां भी गूंजने लगी।
अनु को एहसास हो गया था कि डा. लाम्बा झड़ने वाले हैं। उसने अपने चूसे की रफ़्तार बढ़ा दी। कुछ देर बाद डा. लाम्बा किसी जानवर की तरह गरजना करते हुए झड़ने लगे । उनके पीछे बुआ जी भी कमर उचका - उचका के झड़ने लगी। अनु का मुँह पूरी तरह वीर्य से भर गया। वीर्य इतना ज्यादा था की अनु की आंखों में आंसू आ गए। अनु पूरा न निगल पायी। वीर्य उसके मुंह से और नाक से लीक होने लगा। लेकिन आश्चर्य डा. लाम्बा का लंड अभी भी कड़क था।
अनु ने विनय की दृष्टि से बुआ जी की तरफ से देखा, जैसे कोई बच्चा दुकान में चॉकलेट को देखता है, उसे ये लंड अपनी चूत में चाहिए था। बुआ को उसका मनोभाव समझ आ गया। उसने अनु को बेड पे आने के लिए कहा और खुद डा. लाम्बा के लंड को हिला के तैयार करने लगी।
तभी डॉ. लांबा के ऑफिस में फोन की घंटी बजी। डॉ. लांबा ने उसे उठाया और कहा...''ठीक है आने दो।'' "तुम्हारा पति आया है" उसने अनु से कहा। सब ने जल्दी से कपडे पहने। "काश आकाश थोड़ी देर से आता... मेरी बेचारी चूत का भी कुछ हो जाता" अनु ने आह भरते हुए सोचा। उसकी चूत इतना पानी छोड़ चुकी थी की उसके जाँघों का अंदरूनी भाग भी गीला हो गया था। वो बुझे मन से आके डा. के सामने वाली चेयर पर बैठ गयी।