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Incest कभी हमारे साथ भी सो जाओ..!!

Chutphar

Mahesh Kumar
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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम महेश कुमार है और मैं एक सरकारी नौकरी करता हूँ। मैं आपको पहले भी बता चुका हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है अगर होता भी है तो यह मात्र एक संयोग ही होगा।

मेरी पिछली कहानी (एक‌ हसीन गलती) में आपने मेरे व सुमन दीदी के बारे में पढ़ा, यह उसी समय का एक छोटा सा वाकिया है लिख रहा हुँ… उम्मीद है ये भी आपको पसन्द आये...
 

Napster

Well-Known Member
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बहुत बढिया...
अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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चलो अब सीधा कहानी‌ पर आता हुँ। जैसा की आपने मेरी पिछली कहानी मे पढा, सुमन दीदी के साथ तो मेरे सम्बन्ध चल ‌ही रहे थे. इसी दौरान मेरी पायल भाभी के मायके में उनके पड़ोसी की लड़की की शादी थी।

मेरी भाभी के घर वालों के साथ उनके अच्छे सम्बन्ध थे इसलिये उन्होंने हमारे यहाँ भी शादी का निमन्त्रण भिजवाया था, और वैसे भी जिस लड़की की शादी थी वो मेरी भाभी की काफी अच्छी सहेली है।

जैसा आपने अभी तक मेरे व मेरे परीवार के बारे में पढ़ा, मेरी मम्मी की तबियत खराब रहती है इसलिये मेरी भाभी अपने मायके में बहुत ही कम जाती थी और जाती भी तो बस एक या दो दिन के लिये ही जाती ताकि हमें घर के काम की‌ दिक्कत ना हो।

अब घर पर काम करने के लिये सुमन‌ दीदी है, यह सोच कर मेरी भाभी भी उस शादी में जाना चाह रही थी और इसके लिये मेरे मम्मी पापा ने भी हामी भर दी थी, पर समस्या यह थी कि भाभी के साथ कौन जायेगा..?

पहले जब मेरे भैया घर पर होते तो वो उनके साथ चले जाते थे मगर मगर आपको तो पता ही है मेरे भैया आर्मी में है और उनको छुट्टी समय से ही मिलती है‌ इसलिये भाभी के साथ जाने के लिये मेरे सिवाय और कोई‌ था भी नहीं।

वैसे सुमन दीदी को छोड़कर मेरा जाने का दिल तो नहीं कर रहा था मगर मैं भाभी को मना भी नहीं कर सकता था, ऊपर से मेरे पापा ने भी मुझे भाभी के साथ जाने के लिये बोल दिया था।

खैर दो दिन की ही बात थी, इसलिये मैं भाभी के साथ जाने के लिये तैयार हो गया और शादी से एक दिन पहले ही हम भाभी के मायके पहुँच गये।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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हमारे घर पहुँचते ही अब भाभी के घर वाले खुश हो गये। वैसे मै यहाँ बताना चहुँगा की मेरी भाभी के घर में बस उनके मम्मी पापा, भैया भाभी और उनका एक लड़का ही है, जो उस समय बस तीन साल का ही था।

मेरी भाभी के भैया भी आर्मी में ही नौकरी‌ करते हैं। मगर उनको छुट्टी नहीं मिली थी इसलिये वो इस शादी में नहीं आये थे।

इससे पहले भी दो तीन बार मैं अपनी पायल भाभी के साथ उनके मायके में आया हुवा था इसलिये भाभी के सब घर वाले मुझे अच्छे से जानते थे। मैंने भी अब उनका अभीवादन किया और ड्राईंगरूम में जाकर बैठ गया।

मेरी भाभी बहुत ही कम अपने मायके में जाती थी इसलिये हमारे घर पहुँचते ही अड़ोस पड़ोस की काफी सारी औरतें व लड़कियाँ मेरी भाभी से मिलने के लिये आने लगी।

अब मेरी भाभी‌ से जो औरतें व लड़कियाँ मिलकर जा रही थी‌, उनमें से कुछ मुझे भी देखकर जा रही थी। तभी मैंने गौर किया की एक दो लड़कियों ने मुझे देखकर ऐसा तँज सा कसा जैसे उन्हें मेरे व मेरी भाभी के सम्बन्धों का पता हो।

मैंने भी अब सोचा कि हो सकता है मेरी भाभी ने अपनी खास सहेलियों को हमारे सम्बन्धों के बारे में बता दिया हो।

खैर इसके बाद मेरी भाभी तो अपनी सहेलियों के साथ उस शादी की रौनक में मशगूल हो गई मगर मैं ड्राईंगरूम में ही बैठा रहा।

मेरी भाभी व उनके घर वालों को छोड़कर बाकी किसी को मैं जानता भी नहीं था इसलिये उस दिन भर मैं ड्राईंगरूम में ही बैठे टी वी देखता रहा..

मगर ऐसा नहीं था कि मुझ पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, ड्राईंगरूम में ही चाय नाश्ते से लेकर खाने पीने तक का मेरा भी पूरा ख्याल रखा गया।

मेरी भाभी के घर वालों ने मेरी खातिरदारी में कोई कसर नहीं रखी और बीच बीच में मेरी भाभी की सहेलियाँ व संगीता भाभी (मेरी भाभी की भाभी) मुझसे हंसी मजाक भी करके चली‌ जाती थी जिससे मेरा वो पुरा दिन ऐसे ही बीत गया।

अब इसी‌ तरह दिन‌‌ ढल‌ गया और रात हो गयी। रात को मेरे सोने का प्रबंध ऊपर छत पर एक कमरे में कर दिया गया। आपने शायद मेरी भाभी की कहानी में मेरी भाभी के घर व घर वालों के बारे में पढ़ा होगा...

मगर फिर भी मैं आपको बता देता हूँ कि मेरी भाभी का घर दो मंजिल का है, नीचे एक कमरा, ड्राइंगरूम, रसोई और लैटरीन बाथरूम है, ऊपर दो कमरे और उनके बीच में सांझा लैटरीन-बाथरूम है।

नीचे के कमरे में मेरी भाभी के मम्मी-पापा रहते हैं और ऊपर का एक कमरा उनके भैया-भाभी का है और दूसरा शादी से पहले मेरी भाभी का था मगर अब वो खाली‌ ही रहता है।

मेरे सोने का प्रबंध मेरी भाभी का जो खाली कमरा थ उसी में किया गया था। मैं भी कमरे में जाते ही सो गया और सुबह देर तक सोता रहा। अब अगले दिन तैयार होने के बाद मैं जिनके यहाँ शादी थी उनके घर चला गया..

उस रात को शादी होने वाली थी और शादी वाले दिन आपको तो पता ही है, दिन भर शादी में आने वाले मेहमानों का‌ ताँता लगा ही रहता है, साथ ही उनके खाने पीने का व नाच गाने का कार्यक्रम भी चलता रहता है।

मैं भी दिन भर वो सब देखता रहा और शादी में आने वाली सुन्दर सुन्दर लड़कियों व औरतों को ताड़ता रहा है।

अब दिन‌ में तो मेरी पायल भाभी मुझे एक बार भी दिखाई नहीं दी थी मगर रात को जब वो शादी में सज-सँवर कर आई तो मैं उन्हें देखता ही रह गया...

वैसे तो‌ शादी में आने वाले हर एक महेमान‌ सजे सँवरे रहते हैं मगर मेरी भाभी सज सँवरने के बाद कुछ ज्यादा की खूबसूरत लग रही थी। इससे पहले मैंने उनको खुद उनकी ‌ही शादी में इतना सजे सँवरे देखा था।

अपनी पायल भाभी की‌ खूबसूरती देखकर मेरा खुद पर अब काबू नहीं हो रहा था‌। मैं उनको ‌ही ‌घूर घूर कर देखे जा रहा था। तभी पायल‌ भाभी की‌ नजर मुझ पर पड़ी और हम ‌दोनों की‌ नजर मिल गई…

भाभी को‌ इस तरह से सजे सँवरे देखकर मेरा शैतानी दिमाग अब कहाँ चैन से बैठने वाला था। मैंने आँखों ही आँखों में उन्हें एक ‌तरफ आने का‌ इशारा सा कर दिया.

पता नहीं मेरी भाभी ने मेरा इशारा देखा भी या‌ नहीं… मगर हाँ, मेरे इशारा करते ही पायल भाभी सभी‌ औरतों के बीच से निकल कर अब एक तरफ आ गई और फिर शादी वाले घर से बाहर निकल गयी।

मैं भी अब उनके पीछे पीछे हो लिया मगर घर से बाहर आने पर मुझे पायल भाभी कहीं भी दिखाई नहीं दी। मैंने सोचा कि शायद पायल‌ भाभी अपने घर पर गई‌ होगी‌ इसलिये मैं अब उनके घर पर ‌आ गया मगर घर पर भी मुझे वो कहीं दिखाई ‌नहीं दी.

तभी मुझे ऊपर के दोनों कमरों का दरवाजा खुला दिखाई दिया और उनकी लाईट भी जल रही थी, मैंने सोचा शायद भाभी ऊपर होंगी...?

मेरे लिये यह तो और भी अच्छा हो गया था क्योंकि ऊपर मैं जिस कमरे में कल सोया था, वो खाली ही था, इससे अच्छा मौका मुझे मिल भी नहीं सकता था. मैंने अपने दिल में ही सोचा और ऊपर छत पर आ गया.

ऊपर छत पर आकर मैंने उस कमरे में देखा जहाँ मैं पिछली‌ रात को सोया था..? उस कमरे में कुछ बच्चे व दो तीन बूढ़ी सी औरत सो रही थी।

पायल भाभी को‌ देखने के लिये मैं अब दूसरे कमरे में चला गया, मगर वहाँ जाकर देखा तो कमरे में संगीता भाभी सोई हुई थी। मुझे देखते ही वो उठकर बैठ गई और मुझे टोकते हुए.. "क्या हुआ, किसे देख रहे हो..?"

संगीता भाभी के सवाल से मैं अब हड़बड़ा सा गया। मुझे लगा जैसे मेरी चोरी पकड़ी‌ गई ‌हो इसलिये हकलाते हुए... "क्क्… कुछ नहीं..!"

"खाना खा लिया..?" संगीता‌ भाभी ने फिर से पूछ‌ लिया।

"ह्… ह्..हाँ खा लिया..!" घबराहट में मैंने हकलाते हुए ऐसे ही झूठ बोल‌ दिया।

तभी मुझे बहाना सुझ गया… मुझे यह तो पता ही था कि जिस कमरे में मैं कल सोया था, वो‌ अब‌ खाली ‌नहीं है इसलिये मैंने सोने के लिये जगह ना होने का बहाना बना‌ लिया और उन्हें बताया कि मैंने खाना खा लिया है और मुझे अब सोना है इसलिये पायल भाभी‌ को ढूँढ रहा हूँ.

"क्यों पायल के बिना आपको नींद नहीं आती क्या..?" उन्होंने हंसते हुए कहा।

उनकी बात सुनकर एक बार तो मैं झेंप सा गया और सोचने लगा कि कहीं इनको भी तो मेरे व मेरी भाभी के सम्बन्धों के बारे में नहीं पता..?

मगर फिर जल्दी‌ ही मैंने अपने आपको सम्भाल लिया और हिचकिचाते… "न्. न्.नहीं.. नहीं, मैं तो वो बस सोने के लिये…"

मैंने अब अपनी बात पूरी भी नहीं कही थी की..... "हाँ..हाँ...घर जाकर अपनी पायल भाभी के साथ ही सो जाना…पर कभी हमारे साथ भी सो जाओ..!"
उन्होंने फिर से मुझे छेड़ते हुए कहा और हंसने लगी।

"भाभी.. संगीता भाभी… बारात आने वाली है, आपको चाची बुला रही‌ है…!" तभी नीचे से किसी की आवाज सुनाई दी।

"हाँ हाँ आ रही हुँ..!" संगीता भाभी ने जोरो से कहा और जाने के लिये अब उठकर खड़ी हो गयी।

सामान्य होकर संगीता भाभी ने मुझे अब बताया कि "वो बस बच्चे को सुलाने के लिये यहाँ आई थी और अब जा रही है, उस कमरे में मेहमानों के बच्चे सो गये हैं इसलिये मैं इसी कमरे में सो जाँऊ…’" इतना कहकर संगीता भाभी अब कमरे से बाहर चली गई।

संगीता भाभी के चले जाने के बाद मैं बैड पर बैठ गया और सोचने लगा कि अब क्या किया जाये… मैंने झूठ में संगीता भाभी को बोल तो दिया कि मैंने खाना खा लिया है और अब सोने के लिये आया हूँ, जबकि मैंने खाना खाया भी नहीं था।

मुझे अब अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैं अब अपने ही बनाये बहाने में फँस गया था। वैसे मुझे इतनी भूख नहीं थी इसलिये मुझे खाने की तो नहीं पड़ी थी मगर मैंने अपनी‌ पायल भाभी‌ के लिये जो‌ अरमान बनाये थे वो सारे अब धरे के धरे रह गये थे।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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खैर, मै अब कर भी क्या सकता था इसलिये अपना मन‌ मसोस कर मैं उसी कमरे में संगीता भाभी के बच्चे के पास सो गया। दिन भर बैठे बैठे मैं थक गया था इसलिये बिस्तर पर जाते ही मुझे भी नींद भी आ गई।

मैं अब दो तीन घण्टे ही सोया था कि तभी‌‌ मुझे अपने पैरों पर कुछ भारी भारी सा महसूस हुआ… मैं पूरी तरह से तो नहीं जागा था मगर फिर भी नींद में ही मैंने अपने हाथ से टटोल‌कर देखा तो मुझे झटका सा लगा.. जिससे मेरी‌ नींद भी खुल गई।

क्योंकि मेरा हाथ किसी की बिल्कुल ही चिकने व नर्म मुलायम नँगे पैर को छू गया था जो की मेरे पैरों पर रखा हुवा था। मैंने अब आँखें खोल कर देखा तो कमरे में घुप्प अन्धेरा था।

मैं जब सोया था उस समय कमरे की लाईट जल रही थी और मैंने दरवाजा भी खुला ही छोड़ दिया था मगर अब लाईट बन्द थी और दरवाजा भी शायद अन्दर से बन्द किया हुआ था।

वैसे तो उस कमरे में बिल्कुल घुप्प ‌अन्धेरा था मगर फिर भी ध्यान ‌से देखने पर मैं पहचान गया कि मेरी बगल संगीता भाभी सो रही है। उनकी‌ साड़ी व पेटीकोट घुटनों‌ से ऊपर हो रखे थे‌ और उन्होंने अपना मुँह मेरी तरफ ही कर रखा था इसलिये उनका पैर मेरे पैरों पर आ गया था।

पता नहीं संगीता भाभी कब मेरे पास आकर सो गई थी। अभी तक तो मुझे जोर से नींद आ रही थी मगर अब मेरी नींद कोसों दूर भाग गई थी… क्योंकि मेरा दिल‌ अब जोर से धड़कन रहा था और मेरे दिमाग में रह रह कर सवालों का एक भूचाल सा उठ ने‌ लगा था…

मैं सोच रहा था कि कहीं संगीता भाभी की "कभी हमारे साथ भी सो जाओ" का मतलब यही तो नहीं था..?

मगर फिर दूसरा ख्याल आ गया कि "हो सकता है उनको‌‌ सोने के लिये जगह ना मिल रही हो इसलिये मेरे पास सो गई हों..?"

और यह भी हो सकता है कि "उनका बच्चा जाग गया होगा और वो अपने बच्चे को सुलाने के लिए मेरे पास ऐसे ही लेट गई हों और उनको नींद आ गई हो...?" ऐसे ही पता नहीं मैं अब क्या क्या सोच रहा था।

संगीता भाभी की उम्र लगभग 26-27 साल ही होगी, वो नयन नक्श से तो सुन्दर थी‌ ही… ऊपर‌ से उनके बदन का कटाव भी काफी आकर्षक था।

इससे पहले मेरे मन में संगीता भाभी के बारे में ऐसी कोई ग़लत भावना नहीं थी मगर संगीता भाभी को ऐसे बिस्तर पर पाकर मेरे मन में अजीब सी हलचल मच गई थी।

मेरा दिल‌ कर रहा था कि संगीता ‌भाभी के ऊपर चढ़ जाऊँ और अभी के अभी उन्हें पेल दूँ… क्योंकि उनकी वजह से ही तो मैं भाभी के साथ मजे लेने की बजाय सोने के लिये मजबूर हो गया था।

मैं सोच रहा था "चलो मेरी पायल भाभी नहीं मिली तो अब संगीता भाभी को ही पकड़ लेता हूँ…" मगर मैं रिश्तेदारी में आया हुआ था। यहाँ पर कोई गलत बात हो गई और मेरी शिकायत हो गई तो बहुत ज्यादा दिक्कत हो जानी थी, इसलिये किसी तरह इन सब बातों से अपना ध्यान हटाकर मैं अब फिर से सोने की कोशिश करने लगा....

मैं अब काफी देर तक ऐसे ही लेटा रहा मगर मेरे लाख कोशिश करने पर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी, मेरे दिमाग में तो अभी‌ तक‌ संगीता भाभी की "कभी हमारे साथ भी सो जाओ..!" वाली बात ही घूम‌ रही थी।

मेरा ध्यान भी अब बार बार संगीता भाभी के उस नँगे पैर पर ही जा रहा था जो अभी तक मेरे पैरों पर ही रखा हुवा था।

संगीता भाभी के बारे मे सोच सोचकर मेरा उत्तेजित लंड तो जैसे अब बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था तो फिर नीँद कहा से आनी थी। संगीता भाभी निश्चिंत भाव से सो रही थी मगर मेरा दिल अब भी रेल के इंजन की‌ तरह धक धक कर रहा था।

मै अब कुछ देर तो ऐसे ही पङा रहा फिर मैंने भी सोचा कि एक बार हाथ तो फिरा कर तो देख ही लेता हूँ और वैसे भी एक बार कोशिश करने में क्या जाता है अगर संगीता भाभी कुछ कहेगी भी तो नींद का बहाना करके उनसे माफी माँग लूँगा!

मुझे डर तो लग रहा था मगर फिर भी मैं खिसक कर संगीता भाभी के नजदीक हो गया और उनकी‌ तरफ करवट करके धीरे से अपना एक हाथ उठा कर उनके पैर पर रख दिया, जो की मेरे पैरों पर रखा हुआ था…

मेरा वो हाथ उनके नँगे घुटने पर पड़ा था‌। अब मेरे हाथ का स्पर्श पाते‌ ही संगीता भाभी भी थोड़ा सा हिली थी जिससे डर के मारे मैंने तुरन्त अपना हाथ वापस खींच लिया और एकदम‌ स्थिर सा हो गया।

संगीता भाभी भी बस अब एक‌ बार ही हिली थी‌‌ उसके‌ बाद वो शाँत हो गयी थी‌ मगर मै अब डर रहा था। इसलिये संगीता भाभी के शाँत होने पर भी मै काफी देर तक ऐसे ही पङा रहा की बस मै अब कुछ नही करुँगा..! मगर अब चैन कहा था..?

कुछ देर बाद ही मैने फिर से अपना हाथ धीरे से उनके पैर पर रख दिया मगर इस बार मैंने अपने हाथ को थोड़ा आगे की‌ तरफ बढ़ा कर रखा जिससे उनकी नर्म, मुलायम व चिकनी जाँघ ही मेरे हाथ में आ गयी।

अपना हाथ संगीता भाभी की जाँघ पर रख के मैंने अब कुछ देर वहीं रुक कर उनकी हरकत का इन्तजार किया और फिर धीरे से अपने हाथ को आगे बढ़ाने लगा…
 

Soku74

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खैर, मै अब कर भी क्या सकता था इसलिये अपना मन‌ मसोस कर मैं उसी कमरे में संगीता भाभी के बच्चे के पास सो गया। दिन भर बैठे बैठे मैं थक गया था इसलिये बिस्तर पर जाते ही मुझे भी नींद भी आ गई।

मैं अब दो तीन घण्टे ही सोया था कि तभी‌‌ मुझे अपने पैरों पर कुछ भारी भारी सा महसूस हुआ… मैं पूरी तरह से तो नहीं जागा था मगर फिर भी नींद में ही मैंने अपने हाथ से टटोल‌कर देखा तो मुझे झटका सा लगा.. जिससे मेरी‌ नींद भी खुल गई।

क्योंकि मेरा हाथ किसी की बिल्कुल ही चिकने व नर्म मुलायम नँगे पैर को छू गया था जो की मेरे पैरों पर रखा हुवा था। मैंने अब आँखें खोल कर देखा तो कमरे में घुप्प अन्धेरा था।

मैं जब सोया था उस समय कमरे की लाईट जल रही थी और मैंने दरवाजा भी खुला ही छोड़ दिया था मगर अब लाईट बन्द थी और दरवाजा भी शायद अन्दर से बन्द किया हुआ था।

वैसे तो उस कमरे में बिल्कुल घुप्प ‌अन्धेरा था मगर फिर भी ध्यान ‌से देखने पर मैं पहचान गया कि मेरी बगल संगीता भाभी सो रही है। उनकी‌ साड़ी व पेटीकोट घुटनों‌ से ऊपर हो रखे थे‌ और उन्होंने अपना मुँह मेरी तरफ ही कर रखा था इसलिये उनका पैर मेरे पैरों पर आ गया था।

पता नहीं संगीता भाभी कब मेरे पास आकर सो गई थी। अभी तक तो मुझे जोर से नींद आ रही थी मगर अब मेरी नींद कोसों दूर भाग गई थी… क्योंकि मेरा दिल‌ अब जोर से धड़कन रहा था और मेरे दिमाग में रह रह कर सवालों का एक भूचाल सा उठ ने‌ लगा था…

मैं सोच रहा था कि कहीं संगीता भाभी की "कभी हमारे साथ भी सो जाओ" का मतलब यही तो नहीं था..?

मगर फिर दूसरा ख्याल आ गया कि "हो सकता है उनको‌‌ सोने के लिये जगह ना मिल रही हो इसलिये मेरे पास सो गई हों..?"

और यह भी हो सकता है कि "उनका बच्चा जाग गया होगा और वो अपने बच्चे को सुलाने के लिए मेरे पास ऐसे ही लेट गई हों और उनको नींद आ गई हो...?" ऐसे ही पता नहीं मैं अब क्या क्या सोच रहा था।

संगीता भाभी की उम्र लगभग 26-27 साल ही होगी, वो नयन नक्श से तो सुन्दर थी‌ ही… ऊपर‌ से उनके बदन का कटाव भी काफी आकर्षक था।

इससे पहले मेरे मन में संगीता भाभी के बारे में ऐसी कोई ग़लत भावना नहीं थी मगर संगीता भाभी को ऐसे बिस्तर पर पाकर मेरे मन में अजीब सी हलचल मच गई थी।

मेरा दिल‌ कर रहा था कि संगीता ‌भाभी के ऊपर चढ़ जाऊँ और अभी के अभी उन्हें पेल दूँ… क्योंकि उनकी वजह से ही तो मैं भाभी के साथ मजे लेने की बजाय सोने के लिये मजबूर हो गया था।

मैं सोच रहा था "चलो मेरी पायल भाभी नहीं मिली तो अब संगीता भाभी को ही पकड़ लेता हूँ…" मगर मैं रिश्तेदारी में आया हुआ था। यहाँ पर कोई गलत बात हो गई और मेरी शिकायत हो गई तो बहुत ज्यादा दिक्कत हो जानी थी, इसलिये किसी तरह इन सब बातों से अपना ध्यान हटाकर मैं अब फिर से सोने की कोशिश करने लगा....

मैं अब काफी देर तक ऐसे ही लेटा रहा मगर मेरे लाख कोशिश करने पर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी, मेरे दिमाग में तो अभी‌ तक‌ संगीता भाभी की "कभी हमारे साथ भी सो जाओ..!" वाली बात ही घूम‌ रही थी।

मेरा ध्यान भी अब बार बार संगीता भाभी के उस नँगे पैर पर ही जा रहा था जो अभी तक मेरे पैरों पर ही रखा हुवा था।

संगीता भाभी के बारे मे सोच सोचकर मेरा उत्तेजित लंड तो जैसे अब बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था तो फिर नीँद कहा से आनी थी। संगीता भाभी निश्चिंत भाव से सो रही थी मगर मेरा दिल अब भी रेल के इंजन की‌ तरह धक धक कर रहा था।

मै अब कुछ देर तो ऐसे ही पङा रहा फिर मैंने भी सोचा कि एक बार हाथ तो फिरा कर तो देख ही लेता हूँ और वैसे भी एक बार कोशिश करने में क्या जाता है अगर संगीता भाभी कुछ कहेगी भी तो नींद का बहाना करके उनसे माफी माँग लूँगा!

मुझे डर तो लग रहा था मगर फिर भी मैं खिसक कर संगीता भाभी के नजदीक हो गया और उनकी‌ तरफ करवट करके धीरे से अपना एक हाथ उठा कर उनके पैर पर रख दिया, जो की मेरे पैरों पर रखा हुआ था…

मेरा वो हाथ उनके नँगे घुटने पर पड़ा था‌। अब मेरे हाथ का स्पर्श पाते‌ ही संगीता भाभी भी थोड़ा सा हिली थी जिससे डर के मारे मैंने तुरन्त अपना हाथ वापस खींच लिया और एकदम‌ स्थिर सा हो गया।

संगीता भाभी भी बस अब एक‌ बार ही हिली थी‌‌ उसके‌ बाद वो शाँत हो गयी थी‌ मगर मै अब डर रहा था। इसलिये संगीता भाभी के शाँत होने पर भी मै काफी देर तक ऐसे ही पङा रहा की बस मै अब कुछ नही करुँगा..! मगर अब चैन कहा था..?

कुछ देर बाद ही मैने फिर से अपना हाथ धीरे से उनके पैर पर रख दिया मगर इस बार मैंने अपने हाथ को थोड़ा आगे की‌ तरफ बढ़ा कर रखा जिससे उनकी नर्म, मुलायम व चिकनी जाँघ ही मेरे हाथ में आ गयी।


अपना हाथ संगीता भाभी की जाँघ पर रख के मैंने अब कुछ देर वहीं रुक कर उनकी हरकत का इन्तजार किया और फिर धीरे से अपने हाथ को आगे बढ़ाने लगा…
Maasssstttt update
 
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बढ़िया कहानी चल रही है। महेश के तो दोनों हाथों में लड्डू है पायल भाभी ना मिली तो संगीता भाभी ही सही
 
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Chutphar

Mahesh Kumar
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मैंने बस अब थो़ड़ा सा ही अपने हाथ को खिसकाया था कि तभी संगीता भाभी फिर से हिली और करवट बदलकर सीधा हो गई। डर के मारे मै आब फिर से स्थिर हो गया मगर इस बार मैंने अपना हाथ उनकी जाँघ से हटाया नहीं..

सोने का बहाना करके मै अपने हाथ को अबकी बार उनकी जाँघ पर ही रखे रहा जो की अब संगीता भाभी के करवट बदलने के कारण उनकी एक जाँघ पर से फिसलकर दूसरी जाँघ पर आ गया था।

संगीता भाभी अब पीठ के बल सीधी होकर सो गयी थी। इसलिये मैंने अब फिर से कुछ देर रुक कर उनकी हरकत का इन्तजार किया और जब उनकी तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो मैं अपने हाथ को अब फिर से धीरे धीरे आगे बढ़ाने लगा...

वैसे तो मैं संगीता भाभी की‌ जाँघ के ऊपर से अपना हाथ सरका रहा था मगर उनकी जाँघ इतनी चिकनी व मुलायम थी की अपने आप ही मेरा हाथ फिसलता हुआ उनकी दोनों जाँघों के बीच में घुस गया।

सच मे संगीता भाभी‌ जाँघे कुछ ज्यादा ही चिकनी थी। मुझे तो ऐसा लग रहा था मानो मेरा हाथ किसी रेशमी कपड़े पर ही चल ‌रहा था। इसलिये मैं भी अब अपने हाथ को दोनों जाँघों के अन्दर की तरफ से सरकाते हुए आहिस्ता आहिस्ता ऊपर बढ़ने‌ लगा...

मगर संगीता भाभी की दोनो जाँघो के बीच मैंने अपना हाथ बस अब थोड़ा सा ही ऊपर बढ़ाया था कि मेरा हाथ ठिठक कर वहीं रुक ‌गया..!

उपर से उनकी दोनों जाँघें एक दूसरे से आपस में मिली हुई थी इसलिये जाँघो के बीच में हाथ घुसाने की अब बिल्कुल भी जगह नहीं थी।

अब क्या करू.. और क्या ना करू..? मै ये सोचकर अब कुछ देर तो रुका रहा मगर फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने धीरे धीरे अपनी उंगलियों को उनकी दोनों जांघों के बीच में घुसाने की कोशिश शुरु कर दी…

मैने मुश्किल से अब अपनी दो उंगलियाँ उनकी जांघों के बीच घुसाई ही थी कि संगीता भाभी फिर से हिली।‌उन्होंने अब नीँद नीँद मे ही अपने एक पैर के घुटने को थोङा सा मोड़ा और फिर शाँत हो गई।

संगीता भाभी के घुटने को मोड़ लेने से उनकी जाँघें अब थोङा सा फैल गयी थी,‌ इसलिये मैंने भी मौके का फ़ायदा उठाकर अपना हाथ फिर से उनकी जाँघों के बीच धीरे धीरे उपर बढाना शुरु कर दिया...

मैने अपना हाथ बस अब थोड़ा सा ही ऊपर बढाया था‌ की ही अचानक मेरे शरीर का तापमान बढ़ गया तो दिल की धड़कनें भी तेज गई… क्योंकि मेरा हाथ अब संगीता भाभी की जांघों के जोड़ पर पहुँच गया था।

उन्होने नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी इसलिये मेरी उंगलियाँ अब सीधे ही उनकी चूत को छू गयी थी जो की कीसी भट्ठी की तरह सुलग सी रही थी।

मुझे अब डर तो लग रहा था मगर फिर भी मैंने धीरे से बहुत ही धीरे से अपनी उँगलियों को थोड़ा सा आगे बढ़ाकर उनकी चूत पर ही रख दिया…

चूत पर एक भी बाल नहीं था।‌ बिल्कुल कोरी चुत थी संगीता भाभी की शायद हाल ही में उन्होने अपनी चुत के बाल साफ किये थे। मेरे चूत पर हाथ रखते ही संगीता भाभी ने अब एक बार फिर से हल्की झुरझुरी सी ली और शाँत हो गयी।

डर के मारे मेरा बदन अब हल्के हल्के काँपने लगा था मगर फिर भी उँगलियों से धीरे धीरे कँपन सा करके मै अपनी‌‌ उँगलियों को चुत की फाँको के बीच ले‌ ही आया..

मगर तभी ये क्या..? मैने महसूस किया की संगीता भाभी की चुत मे तो काफी नमी आई हुई है। मेरे दिल की धड़कने जैसे अब थम सी गई… क्योंकि उनकी‌ चूत गीली होने का मतलब था कि‌ संगीता भाभी‌ को‌ भी मजा आ रहा है।

"कहीं संगीता भाभी जाग तो नहीं रही..?" मैंने अपने मन में सोचा और मेरे दिमाग में संगीता भाभी की "कभी हमारे साथ भी सो जाओ..!" वाली बात अब फिर से घूम गयी।

पर तभी "ये भी तो हो सकता है‌ की वो अभी अभी पिशाब करके सोई हो, और फिर मौसम‌ भी तो गर्मी का है इसलिये गर्मी के कारण उनकी चुत मे ये पसीने की भी‌ तो नमी‌ हो सकती है..?" मेरे दिमाग मे अब फिर से कुछ सवाल से चलने लगे..
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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मेरा वो हाथ अभी भी संगीता भाभी‌ की चुत पर ही था। मुझे डर तो‌ लग रहा था मगर फिर भी अपनी ये शँका दुर करने‌ के‌ लिये मैं अब धीरे धीरे, बिल्कुल ही आहिस्ता आहिस्ता से अपनी उँगलियों को चूत की फांकों के बीच नीचे उसके प्रवेशद्वार पर ले आया...

अब चुत के प्रवेशद्वार पर मेरी उँगलियों के लगते ही मेरी तो जैसे बाँछे ही खिल‌ गयी। जिस तरह कुवे की कङी मेहनत से‌ खुदाई‌ के‌ बाद किसान‌ को उसमे पानी मिलने से होती है वैसी ही खुशी अब मुझे महसूस हो रही थी।

क्योकि संगीता भाभी‌ की चुत का प्रवेशद्वार कामरश से बिल्कुल लबालब था जिससे मुझे भी अब समझते देर नहीं लगी कि संगीता भाभी जाग रही‌ है और चुपचाप मजा ले रही हैं।

संगीता भाभी की चुत मे‌ गीलापन‌ पाकर मुझमे जैसे अब जान‌सी आ गयी थी। इसलिये मेरी जो उंगलियाँ अब उनकी चूत के प्रवेशद्वार पर थी‌ उनमे से एक को हल्का सा दबा दिया...

प्रवेशद्वार गीला होकर बिल्कुल चिकना था इसलिये मेरे अब हल्का सा दबाते ही मेरी उंगली सीधा उनकी चूत में अन्दर तक घुस गयी… और संगीता भाभी‌ इईईई… श्श्श्श… अआआ… ह्हह… कह कर चिहुँक‌ सी पड़ी।

संगीता भाभी ने मेरे हाथ को‌ पकड़ लिया था मगर तब तक‌ मैंने तुंरत उनको कस कर अपनी बाहों में भर लिया और उनके गालों व होंठों पर चूम्बनो‌ की झङी सी‌ लगा दी..

"उह्ह… महेश्शश… यह क्या कर रहे हो तुम… छोड़ो.. छोड़ो मुझे…!" ये कहते हुए संगीता भाभी ने मुझे धकेलना चाहा मगर मैंने भी उनको कस कर पकड़ लिया और... "मुझे मालूम है आप पिछले आधे घंटे से जाग रही हो और मेरी हरकतों का मजा ले रही हो!"

"बदमाश कहीं के… तुम्हें डर नहीं लगा मेरे साथ ये सब करते हुवे..?" संगीता भाभी ने अब मेरी‌ बाँहो‌ मे कसमसाते हुवे कहा।

"डर तो बहुत लग रहा था… पर आपकी चूत जब पानी छोड़ने लगी थी तो मैं समझ गया था कि आपको भी मजा आ रहा है!, और अब तो अगर आप ना भी बोलोगी तब भी जबरन आपको चोद कर ही रहुँगा …!" यह कहते हुए मैंने अपना हाथ उनकी गोलाइयों पर रख दिया और उन्हें जोर जोर से मसलना शुरु कर दिया...

मेरे मुँह से इस तरह खुल्लम खुल्ला चूत का नाम सुनकर संगीता भाभी भी मस्ती में आ गई‌- "धत… बेशर्म कहीं के… देखने में तो तुम बहुत भोले लगते हो… पर तुम‌ तो‌ बहुत बदमाश हो..?

वैसे अगर तुम‌ कुछ नही करते तो मै जरुर तुम्हारे साथ आज रात जबरदस्ती कर लेती..! पर चलो तुमने ही हिम्मत दिखा दी..!" संगीता भाभी ने हंसते हुए कहा और मेरे कपड़े उतारने के लिये जल्दी जल्दी उन्हें नोचना शुरु कर दिया..

"अच्छा..! " मैने कहा।

"और नही तो... इतने कच्चे माल को ऐसे ही हाथ‌ जाने कैसे दूँगी..?" संगीता भाभी ने फिर से हशँते हुवे कहा।

संगीता भाभी मुझे कच्चा माल कह रही थी। अभी तक मैंने लड़कों को औरतों व लड़कियों को तो माल कहते सुना था पर आज पहली बार सुना कि औरतों व लड़कियों के लिये भी लड़के माल होते हैं।

खैर मैंने तब तक सँगीता भाभी ने मेरे सारे कपड़े उतार फेंके‌ थे।‌ इसलिये मेरे अब नंगा होते ही उन्होंने खुद भी अपनी साड़ी को उतार फैका और किसी भूखी शेरनी की तरह मुझ पर टूट पड़ी।

वो मेरे गालों व होंठों को जोर से चूमने चाटने लगी…तो उनका साथ देने के लिये मैंने भी‌ अब उनको अपनी बाँहों में भर लिया और उनके होंठों को चूसना चाटना शुरु कर दिया..

काफी देर तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे के होंठों व जीभ को चूसते रहे, फिर उनके होंठों को चूसते चुसते ही मेरा हाथ उनकी चूत पर जा पहुँचा‌ जो प्रेमरस से भीगकर अब बिल्कुल गीली‌ हो गई‌ थी।

मैंने पहले तो‌ उसे हल्का ‌सा सहलाया, फिर एक बार जोर से मसल ‌दिया जिससे संगीता भाभी उम्म्ह… अहह… हय… याह… करके चिँहुक पड़ी और मेरे हाथ को अपनी चूत पर से हटा दिया।

संगीता भाभी की चूत को सहलाने से मेरी उंगलियाँ उनके प्रेमरस से भीग गयी थी जिसको मैंने अब अपने व संगीता भाभी के होंठों पर लगा दिया जिससे...
"उऊऊँ..ह… क्या कर रहा है..?" संगीता भाभी ने अपना चेहरा घुमाते हुवे कहा।

"कुछ नहीं, मीठा ज्यादा हो‌ गया इसलिये नमकीन ‌कर रहा हूँ, मीठे के साथ नमकीन भी तो चाहिये ना?"
मैंने हंसते हुए कहा और उनके होंठों को‌ फिर से अपने मुँह में भर लिया।

चूत का रस लग जाने से सही में उनके होंठों का स्वाद अब नमकीन‌ सा हो गया जिनको मैं अब जोर‌ से चूसता चला गया...

संगीता भाभी भी एक बार तो मेरे होंठों को चूसने लगी मगर फिर तभी उनके दिल‌ में क्या आया कि‌ वो अचानक से अपने अपने आप को छुड़वाकर बिस्तर पर खङी हो गई और..

"नमकीन चाहिये..? नमकीन चाहिये ना..? अभी‌ देती हूँ नमकीन..!" ये कहते हुवे संगीता भाभी अब मेरे उपर सवार हो गयी और मेरी गर्दन के दोनों तरफ ‌‌पैर करके मेरी छाती‌ पर बैठ गयी...

मेरी‌ छाती पर बैठकर संगीता भाभी ने अब दोनो हाथो से अपने पेटीकोट को ऊपर उठा लिया और........
"नमकीन चाहिए ना..? तो ये लो नमकीन…!"
ये कहते हुवे उन्होने अब अपनी चूत को‌ ही मेरे मुँह पर लगा दिया..

संगीता भाभी की‌ इस अदा का‌ तो मैं अब दीवाना ही हो‌ गया। मैंने भी‌ अब तुरन्त अपने प्यासे होंठो को सीधा ही उनकी‌ गीली ‌‌‌‌‌चूत के होठो से जोङ दिया जिससे संगीता भाभी ने "इईई… श्श्शशश… अआआ… ह्हहाआह… " कह कर अपनी‌ चूत जोरो से मेरे मुँह पर दबा दिया‌।

संगीता भाभी का पेटीकोट भी अब उनके हाथ से छुट कर मेरे उपर गीर गया था। जिसे संगीता भाभी ने उसे अब अच्छी तरह से मेरे उपर डालकर मेरे सिर को अपने पेटीकोट के अन्दर ही घुसा लिया। शायद औरत के पेटीकोट में मुँह ‌छिपाने की कहावत ऐसी‌ ही‌ किसी वजह से बनी ‌थी...
 
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