हमारे घर पहुँचते ही अब भाभी के घर वाले खुश हो गये। वैसे मै यहाँ बताना चहुँगा की मेरी भाभी के घर में बस उनके मम्मी पापा, भैया भाभी और उनका एक लड़का ही है, जो उस समय बस तीन साल का ही था।
मेरी भाभी के भैया भी आर्मी में ही नौकरी करते हैं। मगर उनको छुट्टी नहीं मिली थी इसलिये वो इस शादी में नहीं आये थे।
इससे पहले भी दो तीन बार मैं अपनी पायल भाभी के साथ उनके मायके में आया हुवा था इसलिये भाभी के सब घर वाले मुझे अच्छे से जानते थे। मैंने भी अब उनका अभीवादन किया और ड्राईंगरूम में जाकर बैठ गया।
मेरी भाभी बहुत ही कम अपने मायके में जाती थी इसलिये हमारे घर पहुँचते ही अड़ोस पड़ोस की काफी सारी औरतें व लड़कियाँ मेरी भाभी से मिलने के लिये आने लगी।
अब मेरी भाभी से जो औरतें व लड़कियाँ मिलकर जा रही थी, उनमें से कुछ मुझे भी देखकर जा रही थी। तभी मैंने गौर किया की एक दो लड़कियों ने मुझे देखकर ऐसा तँज सा कसा जैसे उन्हें मेरे व मेरी भाभी के सम्बन्धों का पता हो।
मैंने भी अब सोचा कि हो सकता है मेरी भाभी ने अपनी खास सहेलियों को हमारे सम्बन्धों के बारे में बता दिया हो।
खैर इसके बाद मेरी भाभी तो अपनी सहेलियों के साथ उस शादी की रौनक में मशगूल हो गई मगर मैं ड्राईंगरूम में ही बैठा रहा।
मेरी भाभी व उनके घर वालों को छोड़कर बाकी किसी को मैं जानता भी नहीं था इसलिये उस दिन भर मैं ड्राईंगरूम में ही बैठे टी वी देखता रहा..
मगर ऐसा नहीं था कि मुझ पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, ड्राईंगरूम में ही चाय नाश्ते से लेकर खाने पीने तक का मेरा भी पूरा ख्याल रखा गया।
मेरी भाभी के घर वालों ने मेरी खातिरदारी में कोई कसर नहीं रखी और बीच बीच में मेरी भाभी की सहेलियाँ व संगीता भाभी (मेरी भाभी की भाभी) मुझसे हंसी मजाक भी करके चली जाती थी जिससे मेरा वो पुरा दिन ऐसे ही बीत गया।
अब इसी तरह दिन ढल गया और रात हो गयी। रात को मेरे सोने का प्रबंध ऊपर छत पर एक कमरे में कर दिया गया। आपने शायद मेरी भाभी की कहानी में मेरी भाभी के घर व घर वालों के बारे में पढ़ा होगा...
मगर फिर भी मैं आपको बता देता हूँ कि मेरी भाभी का घर दो मंजिल का है, नीचे एक कमरा, ड्राइंगरूम, रसोई और लैटरीन बाथरूम है, ऊपर दो कमरे और उनके बीच में सांझा लैटरीन-बाथरूम है।
नीचे के कमरे में मेरी भाभी के मम्मी-पापा रहते हैं और ऊपर का एक कमरा उनके भैया-भाभी का है और दूसरा शादी से पहले मेरी भाभी का था मगर अब वो खाली ही रहता है।
मेरे सोने का प्रबंध मेरी भाभी का जो खाली कमरा थ उसी में किया गया था। मैं भी कमरे में जाते ही सो गया और सुबह देर तक सोता रहा। अब अगले दिन तैयार होने के बाद मैं जिनके यहाँ शादी थी उनके घर चला गया..
उस रात को शादी होने वाली थी और शादी वाले दिन आपको तो पता ही है, दिन भर शादी में आने वाले मेहमानों का ताँता लगा ही रहता है, साथ ही उनके खाने पीने का व नाच गाने का कार्यक्रम भी चलता रहता है।
मैं भी दिन भर वो सब देखता रहा और शादी में आने वाली सुन्दर सुन्दर लड़कियों व औरतों को ताड़ता रहा है।
अब दिन में तो मेरी पायल भाभी मुझे एक बार भी दिखाई नहीं दी थी मगर रात को जब वो शादी में सज-सँवर कर आई तो मैं उन्हें देखता ही रह गया...
वैसे तो शादी में आने वाले हर एक महेमान सजे सँवरे रहते हैं मगर मेरी भाभी सज सँवरने के बाद कुछ ज्यादा की खूबसूरत लग रही थी। इससे पहले मैंने उनको खुद उनकी ही शादी में इतना सजे सँवरे देखा था।
अपनी पायल भाभी की खूबसूरती देखकर मेरा खुद पर अब काबू नहीं हो रहा था। मैं उनको ही घूर घूर कर देखे जा रहा था। तभी पायल भाभी की नजर मुझ पर पड़ी और हम दोनों की नजर मिल गई…
भाभी को इस तरह से सजे सँवरे देखकर मेरा शैतानी दिमाग अब कहाँ चैन से बैठने वाला था। मैंने आँखों ही आँखों में उन्हें एक तरफ आने का इशारा सा कर दिया.
पता नहीं मेरी भाभी ने मेरा इशारा देखा भी या नहीं… मगर हाँ, मेरे इशारा करते ही पायल भाभी सभी औरतों के बीच से निकल कर अब एक तरफ आ गई और फिर शादी वाले घर से बाहर निकल गयी।
मैं भी अब उनके पीछे पीछे हो लिया मगर घर से बाहर आने पर मुझे पायल भाभी कहीं भी दिखाई नहीं दी। मैंने सोचा कि शायद पायल भाभी अपने घर पर गई होगी इसलिये मैं अब उनके घर पर आ गया मगर घर पर भी मुझे वो कहीं दिखाई नहीं दी.
तभी मुझे ऊपर के दोनों कमरों का दरवाजा खुला दिखाई दिया और उनकी लाईट भी जल रही थी, मैंने सोचा शायद भाभी ऊपर होंगी...?
मेरे लिये यह तो और भी अच्छा हो गया था क्योंकि ऊपर मैं जिस कमरे में कल सोया था, वो खाली ही था, इससे अच्छा मौका मुझे मिल भी नहीं सकता था. मैंने अपने दिल में ही सोचा और ऊपर छत पर आ गया.
ऊपर छत पर आकर मैंने उस कमरे में देखा जहाँ मैं पिछली रात को सोया था..? उस कमरे में कुछ बच्चे व दो तीन बूढ़ी सी औरत सो रही थी।
पायल भाभी को देखने के लिये मैं अब दूसरे कमरे में चला गया, मगर वहाँ जाकर देखा तो कमरे में संगीता भाभी सोई हुई थी। मुझे देखते ही वो उठकर बैठ गई और मुझे टोकते हुए.. "क्या हुआ, किसे देख रहे हो..?"
संगीता भाभी के सवाल से मैं अब हड़बड़ा सा गया। मुझे लगा जैसे मेरी चोरी पकड़ी गई हो इसलिये हकलाते हुए... "क्क्… कुछ नहीं..!"
"खाना खा लिया..?" संगीता भाभी ने फिर से पूछ लिया।
"ह्… ह्..हाँ खा लिया..!" घबराहट में मैंने हकलाते हुए ऐसे ही झूठ बोल दिया।
तभी मुझे बहाना सुझ गया… मुझे यह तो पता ही था कि जिस कमरे में मैं कल सोया था, वो अब खाली नहीं है इसलिये मैंने सोने के लिये जगह ना होने का बहाना बना लिया और उन्हें बताया कि मैंने खाना खा लिया है और मुझे अब सोना है इसलिये पायल भाभी को ढूँढ रहा हूँ.
"क्यों पायल के बिना आपको नींद नहीं आती क्या..?" उन्होंने हंसते हुए कहा।
उनकी बात सुनकर एक बार तो मैं झेंप सा गया और सोचने लगा कि कहीं इनको भी तो मेरे व मेरी भाभी के सम्बन्धों के बारे में नहीं पता..?
मगर फिर जल्दी ही मैंने अपने आपको सम्भाल लिया और हिचकिचाते… "न्. न्.नहीं.. नहीं, मैं तो वो बस सोने के लिये…"
मैंने अब अपनी बात पूरी भी नहीं कही थी की..... "हाँ..हाँ...घर जाकर अपनी पायल भाभी के साथ ही सो जाना…पर कभी हमारे साथ भी सो जाओ..!"
उन्होंने फिर से मुझे छेड़ते हुए कहा और हंसने लगी।
"भाभी.. संगीता भाभी… बारात आने वाली है, आपको चाची बुला रही है…!" तभी नीचे से किसी की आवाज सुनाई दी।
"हाँ हाँ आ रही हुँ..!" संगीता भाभी ने जोरो से कहा और जाने के लिये अब उठकर खड़ी हो गयी।
सामान्य होकर संगीता भाभी ने मुझे अब बताया कि "वो बस बच्चे को सुलाने के लिये यहाँ आई थी और अब जा रही है, उस कमरे में मेहमानों के बच्चे सो गये हैं इसलिये मैं इसी कमरे में सो जाँऊ…’" इतना कहकर संगीता भाभी अब कमरे से बाहर चली गई।
संगीता भाभी के चले जाने के बाद मैं बैड पर बैठ गया और सोचने लगा कि अब क्या किया जाये… मैंने झूठ में संगीता भाभी को बोल तो दिया कि मैंने खाना खा लिया है और अब सोने के लिये आया हूँ, जबकि मैंने खाना खाया भी नहीं था।
मुझे अब अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैं अब अपने ही बनाये बहाने में फँस गया था। वैसे मुझे इतनी भूख नहीं थी इसलिये मुझे खाने की तो नहीं पड़ी थी मगर मैंने अपनी पायल भाभी के लिये जो अरमान बनाये थे वो सारे अब धरे के धरे रह गये थे।