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Incest कभी हमारे साथ भी सो जाओ..!!

Chutphar

Mahesh Kumar
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खैर मैंने अब संगीता भाभी की चूत को‌ एक बार तो ऊपर से चूमा और फिर अपनी जीभ को ‌निकाल‌ कर धीरे धीरे चूत की ‌फांकों को‌ चाटना शुरु कर‌ दिया.. जिससे भाभी ‌के मुँह से भी अब सिसकारियाँ फूटनी‌ शुरु‌ हो गई और वो खुद ही अपनी‌ चूत को मेरे मुँह पर घिसने लगी।

अपनी‌ चूत को‌ मेरे मुँह पर घिसते घिसते ही‌ संगीता भाभी का एक हाथ अब मेरे पेट पर से‌‌‌ रेंगता हुआ मेरे लंड पर जा पहुँचा था…

मेरे लंड को छूते ही संगीता भाभी एक बार तो थोड़ा सहम सी गई मगर फिर अगले ही पल उन्होंने मेरे लंड को मुट्ठी में भर के ऐसे कस कसकर भीँचना शुरु कर दिया मानो वो मेरे लण्ड का माप ले रही हो..

मेरे लण्ड का अच्छे से माप लेने के बाद संगीता भाभी मेरे सीने‌ पर बैठ बैठे ही पलट कर पीछे की तरफ घूम गयी। उनकी चुत मेरे होठो से अब अलग हो गयी थी मगर उन्होंने मेरे लण्ड को छोङा नही बल्कि उसे अब अपने दुसरे हाथ से पकङ‌ लिया..

संगीता भाभी ने मेरे लण्ड को दुसरे हाथ से पकड़ कर अब पहले तो लण्ड के सुपाङे की चमड़ी को हाथ से नीचे किया फिर धीरे से अपने गर्म होंठों से मेरे फूले हुए सुपाङे को जोर से चूम‌ लिया...

आनन्द के मारे मेरे मुँह से भी अब एक "आह्ह्.." निकल गई और अपने आप ही मेरे कूल्हे ऊपर हवा में उठ‌ गये..पर संगीता भाभी अब इतने पर ही नहीं रुकी...

उन्होने एक‌ हाथ से मेरे लंड को पकड़े पकड़े ही मेरे सुपाङे को अपनी गर्म‌ लचीली जीभ से चाटना भी शुरु कर दिया..

उनकी लचीली‌ जीभ मेरे गोल‌गोल‌ सुपाङे पर ऐसे चल रही थी जैसे कि वो किसी बर्फ के गोले को घुमा घुमाकर चारो तरफ से चाट रही हो...

मेरे लण्ड का सुपाङा काम रस छोड़ कर कुछ तो पहले ही भीगा हुआ था ऊपर से संगीता भाभी की जीभ उसे चाट चाट कर अब और भी चिकना करना शुरु कर दिया..

कसम से मुझे इतना‌‌ मजा आ रहा था की आनन्द के‌ मारे मेरे दोनो हाथ अब अपने‌ आप ही संगीता भाभी की कमर के दोनों तरफ से जाकर संगीता भाभी के सिर पर जा पहुँचे और मेरे मुँह सिसकारियाँ सी निकलना शुरु हो गयी...

मेरे सुपाङे को चाटते चाटते संगीता भाभी ने उसे अब अपने नाजुक होंठों के बीच हल्का सा दबा भी लिया.. मै पहले ही सिसक रहा था उपर से अब उनके मुँह की ये गर्मी मै सहन‌ नहीं कर पाया।

मेरे हाथो ने उनके‌ सिर को अपने‌ अब लण्ड पर दबा लिया तो मेरे कुल्हो ने भी अपने आप ही ऊपर उठ कर अब अपने पूरे सुपाङे को उनके मुँह में ठुस सा दिया...

संगीता भाभी ने भी अब मेरी ये तङप देखकर मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया और धीरे धीरे उसे चूसना शुर कर दिया..

सच बता रहा हूँ, मेरे आनन्द की अब कोई सीमा नहीं रही थी, मेरे हाथ जो संगीता भाभी के सिर को दबाये हुए थे, वो अपने आप ही अब उनके सिर पर घूम घूम कर उनके बालों को सहलाने लगे।

मेरे लंड को चूसते चूसते ही संगीता भाभी अपने घुटनों के सहारे खिसक कर थोड़ा सा पीछे हो गई और अपनी कमर को उठाकर अपनी चूत को फिर से मेरे मुँह पर लगा दिया...

संगीता भाभी का ये इशारा अब मै भी समझ रहा था इसलिये उनके कूल्हों को अपनी बाँहो में भरकर मैने भी उनकी गीली चूत को फिर से चाटना शुरु कर दिया..

संगीता भाभी भी अपनी जांघों को पूरा फैलाकर अब मुझ पर लेट गयी… पर उनका मुँह अब मेरे लंड की‌ तरफ था तो मेरा मुँह उनकी चूत की‌ तरफ…

उधर संगीता मुझ पर लेटे लेटे मेरे लंड को चूस रही थी तो इधर नीचे पड़ा पड़ा मै भी उनकी चूत को चाट रहा था, वो अँग्रेजी में कहते हैं ना 69 को पोजीशन मे।

मेरे लिये इस खेल का यह एक नया ही अनुभव था। आज से पहले मेरी पायल भाभी ने मेरे लंड को‌ काफी बार अपने मुँह लिया था तो मैंने भी उनकी चूत को चाटा था...

मगर इस तरह एक साथ एक दूसरे के ऊपर लेटकर मुखमैथुन का मेरे लिये यह एक नया ही अनुभव था‌ जो बेहद ही सुखद व उत्तेजना से भरा हुआ था।

संगीता भाभी की मेरे लंड पर हरकत अब तेज होने लगी थी‌। वो मेरे लंड के सुपाङे को पूरा मुँह में भर कर अब उसे जोर से चूस‌ने लगी थी जिससे मेरी हालत खराब अब होने लगी।

मेरे लंड का तो पानी छोड़ छोड़ कर अब हाल ही बेहाल था।क्योकि मेरे लंड से तो पानी निकल ही रहा था साथ ही संगीता भाभी के मुँह में भी अब लार सी निकल‌ रही थी..

वो लार अब उनके मुँह से रिस कर मेरे लंड के सहारे बहते हुवे मेरी जांघों पर फैलती जा रही थी जिससे मेरे लंड व जाँघो पर भी अब पूरा गीलापन हो गया था।

ऐसा नही था की हालत मेरी ही खराब थी।‌ हालत तो अब संगीता भाभी की भी‌ कुछ ऐसी ही थी, क्योंकि नीचे से मै भी तो अपनी पूरी जीभ निकाल कर उनकी चूत की फाँकों को ऊपर से नीचे तक चाट‌ रहा था..

संगीता भाभी की चूत भी प्रेमरस उगल उगल कर मेरे चेहरे को तरबतर कर रही थी। मेरा नाक, मुँह व गाल यहाँ तक की मेरी गर्दन भी संगीता भाभी की चूत के रस से अब बिल्कुल भीग गयी थी मगर फिर भी मैं उनकी चूत को चाटे जा रहा था...

संगीता भाभी की तो अब कमर भी धीरे धीरे हिलना शुरु हो गयी थी। वो खुद ही अब अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी चूत को मेरे मुँह पर घिसने लगी थी, साथ ही साथ वो मेरे लंड को भी अब जोरो से चूसने चाटने लगी थी, उनके होंठ और जीभ अब दोनों ही मेरे लंड पर चल रहे थे।

उत्तेजना से मेरा बुरा हाल हो गया था इसलिये मेरी भी कमर अब अपने आप ही हरकत करने लगी‌… मुझे तो लगने लगा था की अब जल्दी ही मेरे सब्र का बाँध टूटने वाला है।

मेरे सब्र का ये सैलाब कहीं संगीता भाभी के मुँह में ही ना फूट पड़े इसलिये मैं "इईई…श्श्शशश… बस्सस.. आ… ह्हहा…" कहते हुवे एक हाथ से संगीता भाभी को पकड़ने की‌ कोशिश करने लगा… मगर संगीता भाभी‌ तो रुकने का नाम ही नहीं ले रही‌ थी...

मेरे अब रोकने की कोशिश के बाद तो उन्होंने रुकने की बजाय अपनी हरकत को और भी अधिक तेज कर दिया… उन्होंने अपने होंठों व जीभ के साथ साथ अब तो अपने हाथ से भी मेरे लंड के बेस को ऊपर नीचे हिलाना शुर कर दिया...

अब तो ये सब मेरी बर्दाश्त के भी बाहर हो गया था इसलिये संगीता भाभी को रोकने की बजाय मैंने अब खुद ही कमर को‌‌ ऊपर नीचे हिला कर अपने लंड को उनके मुँह में अन्दर बाहर करना शुर कर दिया...

मेरे साथ साथ संगीता भाभी भी अब जोरों से अपनी कमर को हिलाने लगी‌‌ थी। शायद वो भी अब अपनी मँजिल के करीब ही थी। क्योंकि उनकी चुत मे अब काफी सँकुचन सा होने लगा था, तो पहले की बजाय चुत प्रेमरश भी अब कुछ ज्यादा ही उगलने लगी थी।

संगीता भाभी ने मेरे पूरे सुपाङे को अपने मुँह में भर रखा था। वो उसे जोर जोर से चूस चाट रही थी तो अन्दर ही अन्दर उनकी जीभ उसे सहला रही थी, उपर से उनका हाथ भी अब मेरे लंड के बेस को घर्षण दे रहा था...

अब इतना सुख पाकर मै कहाँ टिकने वाला था। मैंने दोनो हाथो से संगीता भाभी के सिर को अब जोरो से अपने लण्ड पर दबा लिया और अपनी कमर को जल्दी जल्दी हिलाते हुवे अब उ‌के मुँह में ही वीर्य उगलना शुरु कर दिया...

मै तो सोच रहा था की मेरे संगीता भाभी मुँह मे वीर्य निकालने से वो गुस्सा हो जायेगी। मगर ये क्या..? उसने मेरे वीर्य को बाहर नहीं निकाला बल्कि उसे मुँह के अन्दर ही अन्दर गटकना शुरु कर दिया...

अब जैसे जैसे किश्तों में मेरे लंड से वीर्य निकल रहा था वैसे वैसे ही संगीता भाभी उसे चट करने लगी… मगर वो बस दो तीन किश्तों को ही सम्भाल सकी‌, इसके बाद तो उनका मुँह मेरे वीर्य से पूरा भर गया और वो उनके मुँह ‌से रिस कर मेरे लंड के सहारे बहते हुए नीचे आने लगा…

मगर फिर जल्दी ही संगीता भाभी ने उसे फिर से सम्भाल लिया, तो साथ ही जो वीर्य मेरे लंड के सहारे बाहर रिस आया था उसे भी वो जीभ से चाट कर चट कर गयी...

रसखलन के बाद मै अब शाँत पङ गया मगर संगीता भाभी अभी भी अपनी चुत को मेरे मुँह पर घीसे जा रही थी। संगीता भाभी को अब जल्दी से शाँत करने के लिये मै अपने दोनो हाथ भी उनके कुल्हो‌ पर ले आया।

अपने दोनो हाथ संगीता भाभी के कुल्हो पर लाकर मैने अब उँगलियों से उनके गुदाद्वार को सहलाना शुर कर दिया तो‌ मेरी जीभ ने भी अब उनके प्रेमद्वार में अन्दर ही अन्दर खुदाई सी‌ शुरु कर दी....

मेरे इस दोहरे हमले को संगीता भाभी भी अब ज्यादा देर सहन नही कर सकी, और कुछ देर बाद ही उनकी ‌दोनों जाँघें मेरे सिर पर कसती चली गयी...

उन्होंने अपनी चूत से मेरे मुँह को जोरो से दबा लिया और रह‌ रह कर मेरे मुँह पर ही कामरस उगलना शुरु कर दिया जिससे मेरा पूरा चेहरा अब भीगता चला गया...

रसखलन के बाद कुछ देर तक तो हम दोनों अब ऐसे ही पड़े पड़े लम्बी लम्बी साँसें लेते रहे, फिर संगीता भाभी मुझ पर से उतरकर मेरी बगल में लेट गयी।
 

Dhansu

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Chutphar

Mahesh Kumar
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संगीता भाभी ने मेरी बगल मे‌ लेटकर अब पहले तो अपनी एक जाँघ को भी मेरी जाँघ पर रखा फिर मुझसे लिपटकर प्यार से मेरे होठो व गालो को चूमना शुर कर दिया…

मैंने भी अब उनके होंठों को चूमना चाहा मगर‌ उनके मुँह पर अभी भी मेरा वीर्य लगा हुआ था। उनका मुँह, नाक, यहाँ तक की उनके गाल भी मेरे वीर्य चिकने से हो रखे थे और उनमे से मेरे वीर्य की अजीब सी महक आ रही थी।

मुझे ये अजीब सा लग रहा था इसलिये मैंने बस एक बार उनके होंठों को हल्का सा चूमा, फिर अपना मुँह हटा लिया...

मगर तभी संगीता भाभी ने जबरदस्ती अपने गालों व होंठों ‌को मेरे होंठों से रगड़कर मेरे वीर्य को मेरे ही होंठों पर लगा दिया और फिर मेरे होंठों को अपने मुँह में भर कर जोर जोर से चूसना शुरु कर दिया...

मुझे यह अच्छा तो‌ नहीं लगा मगर संगीता भाभी का साथ देने के लिये मैं भी उनके होंठों को चूसने लगा जिससे मेरे ही वीर्य का स्वाद मेरे मुँह में भी आने लगा जो की इतना बुरा तो नही था। कुछ कुछ चूत के रस के जैसा नमकीन नमकीन ही लग रहा था मगर था तो मेरा ही वीर्य..?
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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इधर मेरे होंठों को‌ चूसते चूसते संगीता भाभी का हाथ भी अब फिर से मेरे लंड पर जा पहुँचा था जो‌ की अब बेहोश सा होकर मेरी जांघों पर पड़ा हुआ था।

मेरे लंड को हाथ में लेकर संगीता भाभी ने जैसे कीसी सोये हुवे आदमी को झँझोर कर हिलाते है बिल्कुल वैसे ही पहले तो एक बार हिला कर जगाने की कोशिश सी की, फिर उसे मुट्ठी मे भरकर धीरे धीरे मुट्ठियाना शुरु कर दिया...

संगीता भाभी के मुँह से मेरे वीर्य का स्वाद अब खत्म हो गया था और उनके होंठों व जीभ से अब उनके मुँह का मीठा मीठा सा स्वाद आ‌ए लगा था। इसलिये मैं भी अब मजा लेकर उनके होंठों व जीभ को चूसने लगा।

संगीता भाभी के मुट्ठियाने से मेरा लंड अब धीरे धीरे अपने होश में आने लगा था। वो पूरा होश में आकर अभी अपने पैरों पर तो खड़ा नहीं हुआ था मगर फिर भी हल्का सा कड़ा होकर संगीता भाभी के हाथ में हल्की हल्की ठुनकी‌ सी लेने लगा था।

तभी संगीता भाभी ने मेरे होंठों को छोड़कर दोनो हाथो से अपने पेटीकोट को पेट के ऊपर तक चढ़ा लिया और धीरे धीरे मुझे दबाते हुए मेरे‌ ऊपर चढ़ गयी।

मैं अब भी ऐसे ही चुपचाप लेटा रहा तब तक संगीता भाभी ने मेरे ऊपर चढ़कर अपनी चुत की दोनो फाँको के बीच मेरे लण्ड को दबा लिया..

मेरे लंड का अपनी‌ चूत पर स्पर्श पाते ही संगीता भाभी के बदन‌ ने एक बार तो हल्की झुरझुरी सी ली, फिर तभी मेरे होंठों पर मुझे कुछ गर्म‌ गर्म व गीला सा महसूस हुआ...

वो संगीता भाभी की जीभ थी जिसको वो मेरे होंठों पर चला रही‌ थी। मैंने‌ भी अब अपना पुरा मुँह खोलकर उनकी जीभ‌ का स्वागत किया...

मगर मेरे अब जीभ को मुँह मे लेने से‌ पहले ही संगीता भाभी ने अपनी जीभ को वापस खीँच लिया और मेरे नीचे के होंठ को अपने मुँह में भरकर चूसना शुरु‌ कर दिया...

मेरे होंठ को चूसते चूसते संगीता भाभी अब आगे पीछे होकर अपनी चूत की फाँको से मेरे लंड को भी घिसने लगी थी। बिल्कुल सॉफ्ट सॉफ्ट, मखमल के जैसा एकदम मुलायम व गीला गीला सा अहसास था उ‌नकी चुत का..

मुझे भी अब मजा आने लगा था इसलिये कुछ ही देर मे मेरा लंड फिर से कड़क हो गया। मैंने भी भाभी को अब अपनी‌ बाँहों में भर लिया और आँखें बंद करके भाभी की चूत घिसाई का मजा लेने लगा।

तब तक मेरा लंड पूरी तरह से उत्तेजित होकर इतना अब अकड़ गया की वो अपने आप ही संगीता भाभी की गीली चूत में घुसने की कोशिश करने लगा...
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा था, इसलिये करवट बदलकर मैने संगीता भाभी को‌ अब नीचे गिरा लिया और एक ही झटके मे उनके ब्लाउज के सारे बटन खोलकर उनकी ब्रा से ढकी दोनों चुँचियो पर मुँह सा‌ मारने लगा…

संगीता भाभी ने भी अब कस कर मेरे सिर को अपनी चुँचियो पर दबा दिया और..."ये पैकेट नहीं खोलोगे क्या..?" उनका इशारा उनकी ब्रा के तरफ था।

मैंने भी जोश जोश मे अब तुंरत दोनो हाथो से छिलके के जैसे उनके ब्लाउज व ब्रा को उतार फैका। ब्लाउज व ब्रा को उतारने‌ के बाद मैने‌ उनके पेटिकोट का नाड़ा भी खींच दिया था जिसे उतारे मे संगीता भाभी ने मेरी पिरी मदत की..

संगीता भाभी को नँगा करके मैने उन्हे अब फिर से नीचे गिरा लिया और सीधा उनके उपर चढके दोनों चुची को बदल बदल कर चूमना चाटना शुरु कर दिया..

संगीता भाभी ने भी अब दोनो हाथो से मेरे‌ सिर को थाम लिया और धीरे धीरे मेरे सिर पर हाथ फिराते हुए मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ सी लेने लगी...

संगीता भाभी की चुँचियो का सारा रस पीने के‌ बाद मैने चुँचियो को छोङ दिया और उनके पेट पर से चूमते हुए नीचे फिर से उनकी चूत पर आ गया।

चुत पर आके मैने पहले तो उसे एक बार होठो से ही बस हल्का सा चुमा। फिर चुत की फाँको को चाटते हुवे नीचे जन्नत के दरवाजे की तरफ बढ गया...

संगीता भाभी के दोनों हाथ अब फिर से मेरे सिर पर आ गये थे और.. "इईईई… श्श्शशश… अआआ… ह्ह्हहह…अब बस्सस.. ऊपर… आ..जाओ… इईईई… श्श्शशश… अआआ… ह्ह्हहह… बस्सस… मेरे ऊपर आ जा..ना…" कहते हुए मुझे अपने ऊपर खींचने की कोशिश करने लगी, मगर मै रुका नही...

मैने एक बार तो कामर रश से तर बत्तर उनकी जन्नत के दरवाजे को चाट ही लिया... जिससे संगीता भाभी ने एक‌ बार तो मीठी‌ आह्ह्.. सी भरी‌, फिर मेरे सिर को पकड़कर मुझे अपनी चूत पर से हटा ही दिया...

मैंने उनकी चूत को चाटने के लिये अब एक बार फिर से अपने सिर को‌ उनकी ‌जांघों के बीच घुसाने की‌ कोशिश की मगर इस बार उन्होंने मेरे सिर के बालो‌ को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और..
"इईईई…श्श्शशश… अब..बस्सस… अब क्या ऐसे ही‌ तड़पाता रहेगा..?" ये कहते हुवे उन्होने जोरो से मुझे अपने उपर खींच लिया..

बालों के खिंचने से मुझे दर्द हो रहा था इसलिये मै भी खिंचता हुआ अब संगीता भाभी के ऊपर जा पहुँचा..
अब बालो के खिँचने हुवे दर्द का‌ बदला‌ मैने संगीता‌ भाभी के होठो‌ से लिया..

उनके ऊपर आते ही मैंने उनके होंठों को मुँह में भर लिया और उन्हें जोरो से चूसना काटना शुरु कर दिया.. तब तक संगीता भाभी ने भी मुझे अपनी दोनों जांघों के बीच में ले लिया था और मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत पर घिसने लगी…

दरअसल वो कोशिश तो मेरे लंड को अपनी चूत में घुसाने के लिये ही कर रही थी मगर एक तो चूत की चिकनाई की वजह से और दूसरा मैं भी उनके होंठों को चूमते हुए काफी हिल ‌डुल रहा था जिसके कारण बार बार मेरा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर फिसल जा रहा था...

संगीता भाभी अब कुछ देर तो ऐसे ही कोशिश करती रही मगर जब उनसे सब्र नहीं हुआ तो उन्होंने खीजकर मेरे एक होंठ को दाँतो से इतनी‌ जोर से काट लिया की मै कराह ही पङा...

मेरे होठ को काटने के बाद भाभी ने उसे छोङा नही। वो उसे वैसे ही दाँतों के बीच दबाये रही। मुझे दर्द हो रहा था इसलिये दर्द के मारे मैं अब स्थिर हो गया था…

तब तक संगीता भाभी ने मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर पहले तो अपनी चूत के मुँह पर लगाया फिर अपने पैरों को उठाकर इस तरह से मेरे पैरों में फँसा लिया कि जैसे ही उन्होंने अपने पैरों से मेरे पैरों पर दबाव डाला, मेरे लंड का सुपाङा सीधा ही उनकी चूत की गहराई में उतर गया।

संगीता भाभी के इस चालाकी से तो मैं अब हैरान ही रह गया था। मैं सोचता था कि इन सब कामों में मैं ही निपुण हूँ मगर संगीता भाभी भी पुरी खेली खाई लग रही थी। कसम से उनकी इस चालाकी ने तो मेरा दिल‌ ही जीत लिया था।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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खैर मैंने भी अपने लंड को अब पहले तो थोड़ा सा बाहर खींचा, फिर एक जोर का धक्का लगा दिया जिससे मेरा आधे से ज्यादा लंड चूत की गहराई माप गया और संगीता भाभी मेरे होठ को छोङ "अआहः.. एऐऐ…" कहकर कराह सी गयी..

पर मै भी अब रुका नही। इसीके साथ साथ ही मैंने अपने लंड को फिर से थोड़ा सा बाहर खींचा और उसी तरह‌ एक जोर का धक्का लगाकर अब अपना पूरा ही लंड उनकी‌ चूत में घुसा दिया..

मेरे इस धक्के से संगीता भाभी पहले तो "इई… श्शशश… अआहः.. आ ए…" कहकर हल्का सा कराही मगर फिर उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर कर इतने प्यार व दुलार से मेरे गाल को चूम लिया जैसे की मैने कोई बहुत ही बङा काम‌ कर दिया हो..

मैंने भी अब एक बार उनके गालों को ‌चूमा और फिर नीचे से धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये जिससे संगीता भाभी इईई…श्श्शशश… अआआ… ह्हहाहा… इईई…श्श्शशश… अआआ… ह्हहाहा… करते हुए सिसकारियाँ लेने लगी।

संगीता भाभी ने मुझे अपनी बांहों में जोर से भींच रखा था और मेरी गर्दन व गालों को चूमे जा‌ रही‌ थी। उनका अब साथ देने के लिये मैंने भी‌ उनके होंठों को मुँह में भर लिया और धीरे धीरे धक्के लगाते हुए उनके होंठों को भी चूसने लगा।

अब होंठों चूसते चूसते पता नहीं कब उनकी जीभ मेरे मुँह में आ गयी... संगीता भाभी की‌ रसीली‌ जीभ को‌ चूसने में मैं अब इतना मशगूल हो‌ गया की एक पल‌ के लिये तो धक्के लगाना ही‌ भूल गया..

ज्यादा नही मैं बस कुछ देर के लिये ही रुका था पर संगीता भाभी से तो अब इतना भी बर्दाश्त नही हुवा..
उन्होंने अपने‌ पैरो‌ को तो पहले से ही मेरे पैरो मे फँसा रखा था।‌ अब अपने‌ हाथो को भी मेरे कुल्हो पर ले आई...

खीज‌ के‌ मारे उन्होने अपनी जीभ को‌ तो अब मुझसे छुड़वा लिया और खुद ही अपने हाथ पैरों से मेरे कूल्हों पर दबाव डालकर मुझे हिलाना शुरु कर दिया..


संगीता भाभी की ये बेताबी देखकर मुझे भी अब एक शरारत सुझी। उनको तड़पाने के लिये मैंने अब उनके होंठों को चूसना शुरु कर दिया और मैं खुद धक्के लगाने की बजाये संगीता भाभी धक्के लगवाने का मजा लेने लगा..

अब कुछ देर तो संगीता भाभी ऐसे मेरे कूल्हों को‌ दबाकर‌ मुझे हिलाती रही मगर फिर वो भी मेरी चालाकी को समझ‌ गई और...

"शैतान कहीं के!, ठहर… अभी बताती हूँ तुझे…! ज्यादा चालाक बनता है ना… ठहर..!" ये कहते हुवे उन्होने करवट बदलकर मुझे अब फिर से नीचे गिरा लिया और खुद मेरे ऊपर चढ़कर मेरे दोनों तरफ पैर करके अपने घुटनों पर खड़ी हो गई।

मेरे उपर चढकर उन्होंने पहले तो एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर सीधा खड़ा कर लिया फिर अपनी गिली चूत को मेरे लंड पर टिका के उस पर बैठने लगी...

मेरा लंड अब उनकी चूत में हल्का सा घुसा ही था कि भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड पर से हटा लिया जिससे वो उनकी चूत में घुसने की बजाय फिसल कर मेरी नाभि से जा टकराया।

पर भाभी भी अब कहाँ मानने वाली थी, उन्होंने फिर से मेरे लंड को पकड़ लिया और अपनी चूत के मुँह पर लगा कर फिर से उस पर बैठने लगी…

अबकी‌ बार उन्होंने मेरे लंड को छोड़ा नहीं बल्कि उसे पकड़े रही… उनकी चूत पहले से ही गीली और खुली हुई थी इसलिये अबकी बार मेरा सुपाङा आसानी से गीली चूत के अन्दर प्रवेश कर गया।

सुपाङा घुसने के बाद उन्होंने लंड को हाथ से छोड़ दिया और "अब बोल… अब दिखा अपनी चालाकी‌…" ये कहते हुए वो अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रख कर एकदम से उसके उपर बैठ गयी जिससे एक बार मे ही उनकी गीली चुत मेरा पुरा लण्ड खा गयी।

उनकी चूत में लंड मेरा पूरा जड़ तक का उतर गया था। अब एक‌ ही बार मे मेरा पूरा लंड अन्दर जाने से एक बार तो संगीता भाभी के हाथ भी मेरे सीने पर कस गये थे और वो हल्का सा कराह भी दी… मगर फिर वो आराम ‌से बैठ गई।

मैंने भी अब अपने दोनो हाथ बढ़ा कर संगीता भाभी की कोमल चुँचियो को थाम लिया… अब जैसे ही मैंने उनकी चूँचियो को पकङा, संगीता भाभी ने भी अपनी कमर को थोड़ी गति दे दी और...

"अब बोल… अब दिखा ना अपनी चालाकी‌…" ये कहते हुए धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाकर मेरे लण्ड से अपनी चूत की दीवारो को घिसना शुरु‌ कर दिया..

संगीता की चूत ने मेरे पूरे लण्ड को अब अपनी गिरफ्त में ले रखा था जिससे उनकी चूत मेरे लण्ड को पूरा घर्षण प्रदान कर रही थी। उनकी‌ इस चुदाई के तरीके से मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे की उनकी चूत मेरे लण्ड को चूस रही हो...

सच कह रहा हुँ अभी तक‌ मै तीन‌ चार औरतो से सम्बन्ध बना चुका था। वो सब भी खुल‌कर मजा‌ करती थी मगर इतनी लण्डखोर औरत मै पहली‌ बार देख रहा था।

चुदाई‌ करते समय मर्द को‌ उपर चढके धक्के लगाते मैने देखा भी था और ऐसा किया भी था। मगर कोई औरत खुद ही अपनी चूत को चुदवा सकती है ये मै पहली बार देख रहा था। मेरे लिये इस खेल का यह एक नया ही अनुभव था।

वैसे भी अगर मैं ऊपर‌ होकर धक्के लगाता तो बस मेरा लंड ही उनकी चूत में घिसता मगर इस तरह संगीता भाभी के मेरे ऊपर बैठकर आगे पीछे होने से उनकी‌ साबुत चूत, साथ ही उनकी भरी हुई मखमली‌ जाँघें, यहाँ तकी उनके नर्म मुलायम कूल्हे भी मेरी जांघों से चिपक कर मुझे परम आनन्द प्रदान कर रहे थे।

संगीता भाभी इस खेल की कुशल खिलाड़ी थी, मुझे भी उनसे काफ़ी कुछ सीखने को मिल ‌रहा था‌ इसलिये मैंने भी अब आनन्द से अपनी‌ आँखें बन्द कर ली और संगीता भाभी की चुँचियो को दबाते हुए उनकी चूत घिसाई के मज़े लेने लगा...

धीरे धीरे अब संगीता भाभी की कमर की हरकत भी तेज होने लगी। वो अब जल्दी जल्दी अपनी कमर को हिला हिला कर अपनी चूत से मेरे लण्ड को चूसने लगी थी। इसलिये मैं भी अब थोड़ा सा उपर उठ गया और संगीता भाभी की एक चुँची को अपने मुँह में भरकर उसे पीना उसे शुरू कर दिया…

संगीता भाभी की कमर की हरकत भी अब धीरे धीरे और भी तेज‌ होती जा रही थी जिससे उनकी साँस फूल सी गयी और मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलना शुरु हो गयी..

उत्तेजना व आनन्द के मारे मेरे हाथ भी अब अपने आप ही संगीता भाभी के नँगे कुल्हो पर जा पहुँचे..
मैने दोनो हाथो से उनके कूल्हों को पकड़ लिया और खुद भी नीचे से धीरे धीरे अपने कुल्हो‌ को हिलाना शुर कर दिया...

अब कुछ देर ‌तो‌ संगीता भाभी ऐसे ही मुझे अपनी चुँचियाँ ‌चूसवाती रही‌ मगर फिर उन्होंने दोनो हाथो से धकेलकर मुझे वापस बिस्तर पर ही गीरा दिया...

मुझे वापस बिस्तर पर पटक‌कर संगीता भाभी ने अब दोनो‌ हाथो से मेरे कँधो को‌ पकङ लिया और... "अब.. बोल… ना… ह्हुं… ह्हुं..
अब बोल.. ह्हुं..." अपनी फूलती साँसों से जोर जोर की सिसकारियाँ सी भरते हुए कमर को और भी तेजी से चलाना शुरु‌ कर दिया...

मेरे दोनो‌ हाथ अभी भी‌ उनके कुल्हो पर ही थे जिनसे मैने भी अब उनके कूल्हों को पकड़कर उनकी चूत को अपने लण्ड पर और भी जोरों से चिपका लिया और चुत की‌ मखमली चमड़ी से अपनी चमड़ी को जोर जोर से घिसवाना शुरु कर दिया...

संगीता भाभी तो जैसे अब पागल ही हो गयी... "बोल.. ह्हुंआआ… इईई… श्शश… अआआ…ह्हहा..हा…
अब बोल… ना… अआआ… ह्हहा..हा… इईई… श्शश… अआआ… ह्हहा..हा…’ की आवाजें निकालते हुए वो अपनी चूत को और भी तेजी से मेरे लण्ड पर घिसने लगी।

संगीता भाभी अब इतनी जोरों से अपनी‌ कमर को‌ हिला ‌हिलाकर मेरे लंड से अपनी‌ चूत को‌ घिस रही‌ थी कि पता ही नहीं चल रहा था, वो मुझे चोद रही थी या फिर मैं उनको‌ चोद रहा था?

शायद वो चरमोत्कर्ष के करीब ही‌ थी। समय तो अब मेरा भी आ गया था इसलिये मैं भी‌ उनके कूल्हों को पकड़ कर और भी जोरों से उनकी‌ चूत को‌ अपने लण्ड पर घिसवाने लगा। जिससे कुछ ही‌‌ देर बाद संगीता भाभी का‌ बदन‌ अब अकङता चला गया...

उनकी चुत अन्दर से अब भट्टी की‌ तरह एकदम‌ गर्म हो उठी और उसमे बहुत ही जोरो का संकुचन सा होने लगा। सँगीता भाभी की चुत का ये अहसास इतना गर्म‌ गर्म व कसाव भरा था की मानो जैसे उनकी‌ चूत अन्दर ही अन्दर सुलगकर मेरे लण्ड को निचौङने लगी हो।


उन्होंने "इई श्शश.. बोल. अआहाँ…
इई.श्शश.. ह्हहाँ… अआआह…
इई.श्शश.. बोल. अआहाँ… इई.श्शश.. ह्आआ.." कहते हुए अब अपना पूरा जोर लगाकर व कस कस कर अपनी चूत को तीन चार बार तो मेरे लण्ड पर घिसा फिर उनके हाथ मेरे कँधों‌ पर कसते चले गये‌...

संगीता भाभी ने अपना चरमसुख पा लिया था जिससे उनकी कमर की हरकत‌ अब स्थिर पड़ गयी थी मगर मैं अब भी प्यासा ही था। इसलिये मै अभी भी उनके कूल्हों को पकड़कर उनकी चूत को अपने लण्ड पर घिसे जा रहा था।

मेरे अब संगीता भाभी की चुत को अपने लण्ड पर घीसने से उन्हे शायद दिक्कत होने लगी‌ थी इसलिये उनके मुँह से कराहे सी‌ निकलना शुरु हो गयी....

"ऊऊ..ह्ह्ह्.. बस अब क्या है..?" संगीता भाभी ने अब कराहते हुवे कहा और मेरे लण्ड पर से उठने की कोशिश की। मगर उनके थोड़ा सा उठते ही थी मैंने उनकी कमर को पकड़ लिया।

संगीता भाभी के उपर उठ जाने की वजह से मेर लण्ड व उनकी चूत बीच अब थोड़ा सा फासला बन गया था इसलिये नीचे पड़े पड़े ही मैने अब अपने कुल्हो को उचका उचकाकर धक्के लगाने शुरु कर दिये‌...

संगीता अब भी कराह रही थी, उन्होंने मेरे कंधों को जोरों भींच रखा था और मेरे धक्को के साथ साथ वो ‘अआहँ… बस्सस… इई… श्शश… अआहँ… इई…श्शश…अआहँ…’ की आवाज कर रही थी मगर मैं रुका नहीं और नीचे से अपने कूल्हे तेजी से उचका उचका धक्के लगाता रहा...

संगीता भाभी की चूत में मेरे लंड के अन्दर बाहर होने से उनकी चूत का सारा रस अब मेरे लण्ड के सहारे चूत से रिस कर मेरी जांघों पर बह आया था। अब उनकी चूत के रस से भीग कर तो मेरा लंड और भी चपल‌ हो गया।

मेरे इस तरह धक्के लगाने से मेरी जाँघे संगीता भाभी के कुल्हो से टकरा रही थी जिससे "पट... पट..." की आवाजे तो आ ही रही थी उपर से उनकी गीली चुत मे अब चपल लण्ड के जाने से "फच्च... फच्च..." की आवाजे भी निकलना शुरु हो गयी...

संगीता भाभी की कराहों के साथ "फच्च… पट… फच्च… पट…
फच्च… पट…
फच्च… पट.." की आवाजों से अब पूरा कमरा गूंजने सा लगा था मगर मैं किसी की भी परवाह किये बगैर लगातार धक्के लगाता रहा...क्योंकि मैं भी अब अपनी मंजिल के करीब ही था…

फिर चार पाँच वार के बाद ही मैंने भी हथियार डाल दिये और संगीता भाभी को जोरों से अपनी बांहों में भींच कर उनकी चूत को अपने वीर्य से भरना शुरु कर दिया..

अब जब तक मै उनकी चुत मे वीर्य उगलता रहा तब तो संगीता भाभी अपने बदन को कङा किये ऐसे ही मेरे लण्ड पर बैठी रही फिर.. "हहाँ…हहाँ… जान…ही‌… निकाल‌ दी… हहाँ… मेरी‌… हहाँ… हहाँ…" संगीता भाभी ने अब कराहते हुए कहा और धीरे से मेरे उपर लेट गयी।

ज्यादा नही बस अब कुछ देर तो संगीता भाभी ऐसे ही मेरे उपर पङी रही फिर अचानक से उन्होने अपने कूल्हों को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया…

मेरा लंड मूर्छित सा होकर अभी तक उनकी चूत में ही घुसा हुआ था पर अब जैसे ही संगीता भाभी ने अपने कूल्हों को उँचा किया, हल्की "फच्च…" की सी आवाज के साथ मेरा लण्ड उनकी चूत से निकल कर मेरी नाभि पर आ गिरा...

अब चुत से लण्ड के निकलते ही उनकी चूत से एक गर्म गर्म से द्रव की धार सी निकली और वो पुरा द्रव मेरे पेट पर फैल गया।

ये मेरे और संगीता भाभी के कामरस का मिश्रण था इसलिये.. "बहुत मेहन की है ना इसे निकालने के लिये...,ये ले अब सम्भाल इसे..!" संगीता भाभी ने अब हंसते हुए कहा और अपनी चूत को भी मेरे पेट पर ही रगड़ कर साफ करके खड़ी हो गयी।

मैं अब भी ऐसे ही बिस्तर पर पड़ा रहा मगर संगीता भाभी बिस्तर से उठ कर अपने कपड़े पहने लगी..

"कहाँ जा रही हो..?" मैंने उनको फिर से पकड़ते हुवे पूछा।

"छोड़ मुझे… मरवायेगा क्या अब..? बाहर देख… ‌दिन निकल‌ आया है कोई‌ आ गया तो..?" संगीता भाभी ने मुझसे छुड़वाते हुए कहा‌ और फिर से अपने कपड़े पहनने लगी।

"इतनी जल्दी…" मैंने खिड़की की तरफ देखते हुए कहा। बाहर हल्की ‌सी रोशनी ‌दिखाई दे रही थी, शायद उजाला हो गया था।

संगीता भाभी के कपड़े पहन लेने के बाद मैंने एक बार फिर उनका हाथ पकड़ कर अपनी‌ तरफ खींच लिया जिससे वो भी अब मुझ‌ पर झुक गई…

"आप रात में पहले क्यों ‌नहीं आई..?" मैंने उनके गालों को चूमते हुए शिकायत के लहजे में कहा।


"अच्छा… अब मुझे ही उलाहना दे रहे हो.. मैं तो कब से सब कुछ निकाल कर तुम्हारे पास सो रही हूँ मगर तुम्हारी ही नींद कुम्भकर्ण की है जो खुलती‌ ही नहीं, आखिर में मुझे ही तुम्हें जगाना‌ पड़ा, पता है तुम्हारी वजह से मैं रात भर सो‌ई भी ‌नहीं…" संगीता भाभी ने मुझ पर‌ झुके झुके ही कहा और अपने तकिये के नीचे से कुछ निकाला।

वो उनकी‌ पेंटी थी जो‌‌ रात में उन्होंने खुद ही ‌निकाल कर अपने तकिये के नीचे रख‌ ली‌ थी। भाभी ने अब अपनी पेंटी से मेरे पेट पर गिरे हुए हम दोनों के कामरस को साफ‌ कर दिया और.."अब तुम भी कपड़े पहन लो, नहीं तो तेरी पायल भाभी ऊपर आती ही होगी… और हाँ, ये सब पायल‌ को मत बता देना, नहीं तो वो मुझे जीने नहीं देगी!"

अपनी‌ पेंटी से मेरे पेट को ‌साफ‌ करके संगीता भाभी ने पेंटी को‌ बैड के नीचे छुपा दिया और फिर दरवाजा खोलकर पहले तो दरवाजे के बाहर दोनों तरफ देखा और फिर जल्दी से बाहर चली गई।

मैं भी अब अपने कपड़े पहन कर फिर से बिस्तर पर लेट गया… और पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।

करीब दस बजे मेरी पायल भाभी ने मुझे जगाया। इसके बाद मैं और मेरी पायल भाभी वापस अपने घर आ गये मगर उस रात को मेरे जो संगीता भाभी की चुदाई हुई, वो आज भी चालू है, मैं जब कभी भी उनके यहाँ जाता हूँ तो भाभी की चुदाई हो ही जाती है।




दोस्तों जैसा की मैने‌ पहले भी बताया था मेरी‌ कहानियाँ छोटी छोटी ही‌ होँगी मगर सैक्स से भरपुर मिलेँगी...

अगर आपको ये पसन्द आती है तो कोमन्टस मे बताना, और अगर पसन्द नही आती तो प्लीज अपने किमती सुझाव जरुर देना। अब ईसी ‌के साथ मै अपनी ये कहानी समाप्त कर रहा हुँ...

!!.समाप्त.!!

 
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Jassybabra

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