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Incest कर्ज और फर्ज - एक कश्मकश

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Bhai party pr to bohot ho gaya Jara story pe bhi aajao
 
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manu@84

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Bhai party pr to bohot ho gaya Jara story pe bhi aajao
बस परसो पोस्ट करता हूँ, आधा आज kamplet कर लिया है 😍🙏
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Or Manu bhai kaise ho
Falcon se resign kar diya kya
 

manu@84

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Or Manu bhai kaise ho
Falcon se resign kar diya kya
दोस्त falcon में कोई नौकरी थोड़े ही कर रहा था, जो resign करूँगा..... मेरी निष्ठा संजू VR जी के लिए है, और उन्ही के निमंत्रण पर मै वहा गया था और उन्ही की आज्ञा से वापस आ गया। और अच्छा ही हुआ अपनी कहानी का plot ही पूरा दिमाग से निकल गया था, बड़ी मुश्किल से दो दिन के चिंतन के बाद उल्टा सीधा लिख लिया है, आज रात तक पोस्ट करता हूँ।
 

manu@84

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सास ससुर की कड़कती आवाज सुनकर दोनों माँ - बेटी जल्दी से भागकर अपने अपने कमरे में घुस गये......... सास ससुर उसी सोफे पर जाकर बैठ गये जो कुछ सेकंड पहले कुरुक्षेत्र (अखाड़े) का मैदान बना हुआ था।


अरुण की मम्मी मुझे अपने परिवार और पुरखों की इज्जत धूमिल होती नजर आ रही है, जरा गौर से सुनो अपने घर की मर्यादाओं की दीवारों के सरकने की आवाज, अगर सुन सकती हो तो सुनो। और मै कितना विवश हू जो सब कुछ जानते हुए भी कुछ कर नही सकता। " कहते है स्त्री का श्राप कभी बेकार नही जाता आदमी के अपने बुरे कर्मो का फल यही भोगना पड़ता है, ये मेरे ही कर्मो का फल है..." मैने ही फरेब की विरासत अपने परिवार में डाल दी। पापा बहुत ही गंभीर मुद्रा में दुखियाते हुए मम्मी से बात कर रहे थे।


अभी दो दिन पहले जब तुम्हारे लाडले बेटे से मैने कहा.... अपनी जवान बेटी के पहनावे पर ध्यान दो.. जवान लड़की का बच्चों सी फ़टी निक्कर पहनकर छोटी टॉप पहनकर फैशन के नाम पर घूमना हमारे परिवार की संस्कृति का अंग नहीं है। बाप बने हो तो बाप होने का फर्ज निभाओ....??? तो तुम्हारा लाडला मेरी बातों को इंग्नोर कर गया, जाते जाते बड़बदाता हुआ बोला आपने बस मुझे ही समझाने का ठेका लिया हू, अपनी बहू को कुछ भी नही बोलते, क्या रिंकी उसकी बेटी नही है...... ऊपर से उसे घर से बाहर भेजने में बड़ी खुशी हो रही थी, बड़ा फक्र कर रहे थे।


मम्मी चोंकते हुए क्या सच में अरुण ने ऐसा बोला, मै नही मानती...!


उसने सामने से तो नही बोला लेकिन उसके मन के हाव भाव से मुझे समझ आ गया था।


गलती.... गलती.... बहुत बड़ी गलती हो गयी, पापा अपना माथे पर हाथ मारते हुए बोले।


आप ऐसा क्यों कह रहे हो आपने कोनसी गलती कर दी.... ??? मम्मी पापा को समझाते हुए बोली।


एक गलती नही मैने बहुत गलतिया की है और हर बार की गलती पहले वाली गलती से बड़ी होती गयी।


पहली गलती अरुण की सगाई के वक्त तुमने ठीक कहा था कि जवान बेटी को दहेज में माँ के साथ लाना ठीक नहीं है लेकिन मैने तुम्हारी एक ना सुनी.... समाज के रिवाजो को ना मानकर आधुनिकता के चक्कर में आकर और भावनाओ में बहकर जवान लड़की को भी साथ ले आया।


बस भी करो आप और शांत हो जाओ, माँ बेटी का झगडा था और अभी मै जाकर दोनों से पूछती हूँ सुबह सुबह ये क्या नंग नाच हो रहा था... मम्मी पापा को शांत करते हुए बोली।

दूसरी तरफ अपने घर में मचे कोहराम और नंग नाच से बेखबर अपने दामाद होने का फर्ज निभाते हुए पैसों का पैकेट लेकर अपनी ससुराल में पहुँच गया। दरवाजे पर लटका ताला देखकर मैने ससुर को फोन लगाया तो उन्होंने कहा शहर के बाहरी इलाके में एक मैरिज हाल में सब घर वालों के रुकने का ठहरने का अच्छा इंतज़ाम कर रखा है और वहीं शादी के सभी रस्मो रिवाज़ होने है. बारातियों के रुकने के लिए नज़दीक के ही एक होटल में किया गया है.

खैर मैं वहा पहुँच गया मैरिज हाल एक काफी बड़े लॉन में था. उसमें दो बैंक्वेट हाल थे: एक छोटा, एक बड़ा और 16 कमरे थे. शादी के लिए बड़ा वाला बैंक्वेट तय किया गया था और भोजन बाहर लॉन में. कमरे तो परिवार वाले मेहमानों को दे दिए गए. बुड्ढे लोग, बिन ब्याहे लड़के और लड़कियों के लिए छोटे वाले बैंक्वेट में फर्श पर बिस्तर बिछा दिए गए थे. एक तरफ लड़के लोग, दूसरी तरफ लड़कियां और हा दोनों के बीच में बुज़ुर्ग लोग, ताकि कोई भी कुछ गड़बड़ न कर सके. छोटे छोटे शहरों में आज भी बड़े शहरों जैसा खुलापन नहीं होता.

मैरिज हाल में बड़ा हड़कंप मचा था. मैने सबसे पहले अपने ससुर के पैर छुये,उनको पैसों का बंडल थमाया। उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया और साथ साथ ये भी बताया आज शाम का महिला संगीत और कल शादी का सारा कार्यक्रम यही ही आयोजित होगा।

वो मुझे अंदर लेकर गये, बहुत से रिश्तेदार आये थे. मैंने कितने बड़े बूढ़ों और बूढ़ियों के पैर छुए, उसकी गिनती ही नहीं है, सब नया जमाई करके इधर उधर मुझे मिलवाने ले जा रहे थे. मेरी सालियाँ और मेरी सास तो मुझे बहुत कम दिखीं, हां मेरा साला रिंकू दिखा जो सास को ढूंढ रहा था, बेचारा अपनी किस्मत का मारा था. हां, बाद में जब औरतों का एक झुंड सीढ़ियों से नीचे उतरता हुआ आया तो वे तीनों दिखीं.

जी हाँ वो तीनों मतलब प्रीति, जूली और मेरी सास सब इतनी सुंदर लग रही थीं. याने वे सुंदर तो थीं ही, मैंने सबकी सुंदरता इतने पास से देखी थी पर आज सिल्क की साड़ियां, गहने, मेकप इन सब के कारण वे एकदम रानियां लग रही थीं. जूली तो लग ही रही थी राजकुमारी जैसी, जब मैंने प्रीति को भली भांति देखा. कम्बख्त क्या गज़ब की क़ातिल जवानी थी. पटियाला कट सलवार और प्रिंट की शमीज़, पांव में जूतियाँ. हल्का सा मेकअप, गले में सोने की चैन, कलाइयों में गुलाबी चूड़ियां और एक एक सोने का कंगन. पैरों में चांदी की खन खन की आवाज़ करने वाली पायजेब.

दोनों में से कोई भी एक दूसरे से कम नहीं थी जूली और प्रीति दोनों बहनें बेहद सुन्दर तो थी हीं, कामुक भी बहुत थीं. एक सी कद काठी, एक सी हसीन बाहें, एक से खूबसूरत हाथ और पैर. जूली बहुत गोरी चिट्टी थी परन्तु प्रीति जैसी अँगरेज़ सरीखी गोरी नहीं. प्रीति के सामने तो वो साँवली दिख रही थी. उसके चूचे जूली के चूचों से काफी बड़े और भारी थे.

(जैसे ही प्रीति से आँखें चार हुईं, मुझे फ़ौरन अहसास हो गया कि इस क़यामत को चोदना तो पड़ेगा ही, वर्ना चैन नहीं मिलेगा. उसकी आँखों में मैंने तैरती हुई जो नंगी वासना देखी उससे यह भी पक्का हो गया कि उसको पटाने में ज़्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी.)


और मेरी सासूमां, उफ़्फ़ उनका क्या कहना, गहरी नीले रंग की कांजीवरम साड़ी में उनका रूप खिल आया था. "साड़ी पहनकर स्त्रियाँ तब ही अच्छी लगती है, जब तक उनकी नाभि ना दिखे...... वरना सूट सलवार ही बढ़िया है"


बेटियों (सालियों) ने शायद जिद करके उनको हल्की लिपस्टिक भी लगा दी थी, उनके होंठ गुलाब की कलियों जैसे मोहक लग रहे थे और जब मैंने उनके होंठो के चुंबनों के स्वाद के बारे में सोचा तो कुरता पहने होने के बावजूद मेरा हल्का सा तंबू दिखने लगा, बड़ी मुश्किल से मैंने लंड को शांत किया नहीं तो भरी सभा में बेइज्जती हो जाती. एक बात थी, मैं कितना भाग्यवान हूं कि ऐसी सुंदर सुंदर सालियों और सास वाली भरी हुई ससुराल मिली है, ये बात मेरे मन में उतर गयी थी. पर उस समय कोई मुझे कहता कि फटाफट चुदाई याने क्विकी के लिये तीनों में से एक चुनो, तो मुश्किल होती. शायद मैं प्रीति को चुन लेता!! क्या पता!! ह्म्म्म ह्म्म्म


इस वक्त मेरे मन में दो तरह की वासनायें उमड़ रही थीं. एक खालिस औरत मर्द सेक्स वाली ... बस पटककर चोद डालूं, मसल मसल कर उसके मुलायम गोरे बदन को चबा डालूं, जहां मन चाहे वहां मुंह लगा कर उनका रस पी जाऊं ये वासना .... दुसरी ये चाहत कि उसको बाहों में भर लूं, उसके सुंदर मुखड़े को चूम लूं, उसके गुलाबी पंखुड़ी जैसे होंठों के अमरित को चखूं ...


इनमें से कौनसी वासना जीतती ये कहना मुश्किल है. पर मेरा काम आसान करने को सासु अचानक मेरे पास आ गयी. मैं चौंका नहीं, वैसा ही मुस्कुराता हुआ खड़ा रहा. सालियाँ भी तैयार होकर आयी थी, लगता था मंडप और हल्दी, तेल वाली (रसम) की तैयारी करके आई थी.


मुझे उस पोज़ में देख कर सासु ममतामयी बोली " आप ... जमाई जी अकेले ही आये हो कुसुम और रिंकी बिटिया साथ क्यों नही आई " पता नही सास का ये वाक्य मुझे समझ नहीं आया या अजीब सा लगा, और मेरी मुह फट होने की बुरी आदत होने की वजह से अचानक निकल गया।


तो मै वापस चला जाता हूँ, मै टोन में बोला।


अरे बेटा मेरा वो मतलब नही था। सासु लाड़ से मुस्कुरा कर बोली।


मम्मी क्या मुझे अकेला नहीं आना चाहिए था, क्या कुसुम कोई यहाँ आने का एंट्री टिकट है। इस बार मै हस्ते हुए बोला।


तभी प्रीति मेरी टांग खीचते हुए बोली " हा ये सही कहा है, जीजाजी आपने कुसुम आपकी ससुराल का एंट्री टिकट ही है, जीजाजी ससुराल में भला कोई जमाई बिना अपनी लुगाई के आता है कभी...??? ह्म्म्म ह्म्म्म


ये बात है तो फिर गलती हो गयी मुझसे, मै फिर निकलता हूं यहाँ से बिना टिकट जो आ गया...... मै चिढ़ते हुए बोला।


चुप करो बदमाशी, मेरी सास ने प्रीति को बनावटी फटकार लगाई। और वो हँसने लगी। तभी मेरी मम्मी का फोन आ गया और मुझे घर जल्दी आने को कहा.....! फिर मै अपनी ससुराल का रंगीन माहौल छोड़ बेमन से घर वापस आ गया।


मै जब घर पहुँचा, घर में शांत माहौल था। पापा बाहर बरामदे में बैठे हुए नाक पर चश्मा चढाये हुए अखबार पढ़ रहे थे। मै उनको हर बार की तरह इन्गोर करते हुए घर के अंदर दाखिल होने ही वाला था कि पीछे से आवाज आई.... अरुण यहाँ आओ।


मै मन ही मन सोचा इनकी सेजवानी में क्या परेशानी हो गयी.... जी पापा बोलिये कुछ काम था क्या...???


काम तो नही बेटा लेकिन एक बात मेरी सुनते हुए अंदर जाओ... पापा अखबार लपेटते हुए बोले।


जी सुनाइये.... पापा जी

बेटा अरुण जीवन भी गिटार या वीणा जैसा वाद्य यंत्र हो, ज्यादा कसना भी गलत है और ज्यादा ढील छोड़ना भी गलत है। सँस्कार की जरूरत स्त्री व पुरुष दोनों को है, गाड़ी के दोनों पहिये में संस्कार की हवा चाहिए, एक भी पंचर हुआ तो जीवन डिस्टर्ब होगा।

पापा मै कुछ समझा नही, आप क्या कह रहे हो..??? मै उनकी गोल मटोल बातों को सुनकर बोला।

जिनकी बुद्धि कुमार्ग पर चल रही हो, उन्हे सच्ची और अच्छी बातें कम समझ आती है, बेटा तुम अंदर जाओ तुम्हारी मम्मी तुम्हे तुम्हारी भाषा में समझा देगी। पापा व्यंग भरे सुर में बोले। और फिर मै अंदर आ गया।

मम्मी किचिन में थी, मेरी आहट सुनकर वो धीरे से दबी आवाज में कुसुम और रिंकी के कमरे की तरफ हाथों से डिशूम डिशूम (लड़ाई) का इशारा करते हुए हस्ती हुयी उनके कमरे में मुझे अंदर जाने को बोली।

मै जब अंदर कमरे में गया तो कुसुम उल्टी होकर बेड पर लेटी हुयी मोबाइल में लगी हुई थी.....

मै बेड के नजदीक पहुँच कर उससे बोला और... मैडम क्या हुआ... ???

क्या होना चाहिए था, तुम क्या चाहते हो... मेरी आहट और आवाज सुनकर मोबाइल बिस्तर पर पटकते हुए कुसुम मुझसे तुनक कर बोली।

मै तुम्हारे दोनों कोमल पैरो को अपने काँधे पर रखकर, पायल की मधुर आवाज सुनना चाहता हूं। मैने बड़े रोमांटिक अंदाज़ में कहा।

ऐसा है, ज्यादा रोमांटिक होने की जरूरत नहीं है, जिस काम से गये थे वो हो गया, मेरे पापा को पैसे दे आये। कुसुम ने एक जिम्मेदार पत्नी की तरफ मुझसे पूछा।

हा, दे आया....। वैसे तुम्हारा मूड इतना उखड़ा हुआ क्यों है, कुछ हुआ माँ बेटी में.... मैने बात को घुमाते हुए किचिन में मेरी मम्मी के झगड़े के इशारे वाली बात को कुसुम से पूछा....???

मुझसे क्यो पूछ रहे हो, अपनी हितैषी बिटिया से जाकर पूछो.... बहुत जबान चलाने लगी है। (कुसुम ने पूरी बात ना बताते हुए जबाब दिया) कुसुम का मूड देखकर मै कमरे से निकलकर रिंकी के कमरे में आ गया।

और मेरी नज़र अब रिंकी के गोरी चिकनी टांगो पर थी. मुझे पता था कि बिना नहाई हुई मेरी बेटी रिंकी के बिखरे बाल और उस नाइटी में उसकी गोरी चिकनी टाँगे सभी कुछ मुझ को उकसा रहे थे. मेरा लंड जैसे खुद ब खुद ही फूलने लगा था. पर फिर भी किसी तरह खुद पे काबू कर मै उन सब भावनाओं को अनदेखा करता रहा. वो अपना चेहरा तकिये से छिपाये लेटी थी ,पता नही क्यो...???

मेरे कदमों की चाप सुनकर उसने अपने चेहरे को तकिये की आड़ में से निकाला
“मैंने जब रिंकी के चेहरे की तरफ निगाह घुमाई उसके मासूम से चहरे को देखा उसकी आंखे सच मे थोड़ी सूजी हुई थी मानो जी भर वो रोइ हो ,

आखिर मेंने पूछ लिया रिंकी क्या हुआ....? इतना सुनता ही उसके मासूम चेहरे पर एक मुस्कुराहट खिल गयी.... और वो बड़े लाड़ से बोली "करीब आकर बात करो ना, नजर कमजोर है मेरी, मुझे दूर का दिखाई नही देता"

मै बड़े अचंभे मे था क्योकि कुछ पल पहले मैने जब कुसुम से रोमांटिक अंदाज में बात की तो उसने कोई रिस्पोंस नही दिया, जबकि उसके उलट जब रिंकी मुझसे इस तरह रोमांटिक अंदाज़ में बात कर रही है तो उसके साथ मेरा यू बुत बन खड़े रहना न्यायोचित नही होगा। और अपने कदम बढ़ाते हुए उसके एकदम नजदीक बैठ गया।
और मुस्कुरा कर पूछा अब बताओ रिंकी क्या हुआ है....???

फिर उसने अपने गुलाब के पंखुड़ियों जैसे होंठों को मेरे कान के नजदीक लाकर बोली......

ग़म का फ़साना बन गया अच्छा
एक बहाना बन गया अच्छा
सरकार ने आके मेरा हाल तो पूछा

इतना सुनते ही मेरी हँसी छूट पड़ी... और मैने भी सुर में सुर में मिलाते हुए कहा
अच्छा जी.... और आगे.....

रिंकी मेरे हाथ को अपने सीने पर रखते हुए

बतायें तुम्हें क्या कहाँ दर्द है
यहाँ हाथ रखना यहाँ दर्द है
देखो बातों बातों में
दो ही मुलाकातों में
दिल ये निशाना बन गया अच्छा...

मैने रिंकी के सीने पर हाथ रखे हुए ही बोला, तुम्हारा दिल तो बड़ा मुलायम है रिंकी.....???

तभी पीछे से कुसुम की तेज गुस्से भरी आवाज आई, प्रोफेसर साहब हाथ हटाइये वहा से वो मुलायम चीज दिल नही है उसका.... ... ....!!!!!!!


जारी है..... ✍️
 

manu@84

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Update bahut hi super fast train mafik tha,
Ek taraf pati patni ka pyaar aur usi taraf pati ka patni ke liye bewafayi ka dar , apne kiye karname ko bhula kr,
Ek taraf damad rupi putr ka kartavya nibha rha hai , wahi apni patni ke aashiq se Jalan bhi mahsus kar rha hai,
Dono ma beti me shit yudh ab trity visw yudh ka rup le rha hai, kabhi bhi visphot ho skta hai
Bohot khoob manu bhai. Bhumika ban chuki hai, akhada bhi taiyaar hai, dekhna ye hai ki kon jeet-ta hai.
Or ma beti me khulkar bate to ho sakti Hai bar Kusum to seedha dusro k Lund choosne per agai
Behtreen update
Update पोस्ट कर दिया एक गुजारिश के साथ आप सभी ज्यादा से ज्यादा शब्दों की बारिश से अपने रिव्यू, प्रतिक्रिया, विचार, शिकायते, खूबियां, कमिया, गालियाँ जिसको जैसा ठीक लगे.......बस इस कहानी को अपना प्यार, आशीर्वाद दे...... 🙏🙏🙏
 
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