अचानक मुझे याद आये वो शब्द जो कुसुम ने मेरे बाहों के आगोश में कहे थे "उफ्फ्फ जल्दी से मेरा प्रमोशन के साथ वापस अपने शहर में ट्रांसफर हो जाय तो थोड़ा आराम आएगा”
मैंने फिर कुसुम के सुकून की नींद में सोते हुए चेहरे को देखा … एक अनजानी सी खुशी ने मुझे घेर लिया, पर साथ ही एक अनजाना सा दुख भी था…।
जब तक कुसुम की आँखे नही खुली तब तक मै उसे ही देख रहा था और जब वो जागी तो मेरी निगाहों ने एक प्यारी मुस्कान की जगह ले ली, हम दोनो ही एक दूसरे के चहरे को देख रहे थे।
सोकर उठने के बाद कुसुम थोड़ी ताजगी महसूस कर रही थी. वो बाथरूम चली गई, मै टीवी देखने लगा। थोड़ी देर बाद बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैं उसके हुस्न को देखता ही रह गया,
उसके गुलाबी साड़ी से झलकता उसका यौवन शायद किसी को भी दीवाना बना देता पर मेरे लिए तो वो प्यार की एक मूरत थी जिसकी मैं पूजा करता था,
पिंक साड़ी में पिंक टाइट ब्लाउज़ ,जिससे उसके तने स्तनों की सुंदरता झांक रही थी,और नंगा पेट जो दूधिया सा चमक रहा था,भरा हुआ होने के कारण वो बहुत ही कामुक लग रहा था,कमर से नीचे भी उसने बड़े सलीके से साड़ी को मोड़ा था,उसके जिस्म का हर मोड़ दिखाई दे,साड़ी में भी कमाल की हसीना लग रही थी,मांग में हल्का सिंदूर था और हाथो में कुछ चूड़ियां,
चहरा ………………..चहरे पर नजर जाते ही सब कुछ भूल जाने का दिल करता ,वो मासूमियत और प्यारी सी हँसी,बालो की कोमलता और होठो की वो शरारते,मेरी जान किसी जन्नत के हूर से कम ना थी,बड़ी काली आंखों में सब कुछ लुटाने का समर्पण वो प्यार की दरिया थी,और मैं एक प्यासा ….
वो मेरे ऊपर झुकी मैं उसके जिस्म को हाथ लगाता उससे पहले ही उसने मुझे रोक दिया और पलटकर दर्पण के पास गई,वो अपने बेग से सिंदूर की डिबिया और अलमारी से चूड़ियां निकालने लगी,पिक कलर की ही चूड़ियों से उसने अपने हाथो को भर लिया और माथे में लगे हल्के सिंदूर को उसने गाढ़ा कर लिया जब वो पलटी तो उसके बाल खुले हुए थे और वो कयामत की सुंदर लग रही थी ,मेरा मुह उसे देखकर ही खुल गया जो खुला ही रहा ,वो मुझे ऐसे देखता पाकर कुछ शर्मा गई और धीरे से मेरे पास आकर मेरे सामने खड़ी हो गई, मैं, मेरा सर उसकी कमर के पास था,वो नीचे देखती हुई खड़ी थी ,मेरा मुह अनायास ही उसके नंगे नाभि पर चला गया और.. “आह “
“मुझे अब थोड़ी देर बाद वापस भी जाना है” जब मैने उससे ये कहा, तो मैंने उसके चहरे का रंग बदलते देखा वो कुछ मायूस सी हो गई ,
वो मेरा हाथ खिंचते हुए सीधे बैडरूम में ले गई जैसे मुझसे ज्यादा उसे जल्दी हो ,मैंने ना ही अभी हाथ-पैर ही धोया था ना ही कुछ खाया था,वो सीधे मुझे बिस्तर में ले जाकर बिठा दी और मेरा हाथ अपने हाथो में लेकर बोली...!
सुनो ना, मुझे तुम्हे एक बात बतानी है...???
बोलो ना क्या बात हुई,
थोड़ी देर खुद को संभालने के बाद कुसुम ने जवाब दिया.. ... मैने बाहर खड़ी गाड़ी के एवज में जिस टेंडर की गोपनीय राशि जिस ठेकेदार को गुपचुप तरीके से बताई थी, वो टेंडर निरस्त हो गया है, और वो ठेकेदार आये दिन ऑफिस में आकर अपने पैसे वापस मांग रहा है।
अरे ये तो बहुत बुरा हुआ, तो फिर अब क्या होगा....??? मैने चोंकते हुए पूछा.... ।
वैसे होना.... जाना कुछ नहीं है, मैने उसे गाड़ी वापस देने का फैसला किया है, लेकिन अब मुझे ऑफिस में सब घूस खाने वाली समझते है, इसलिए मैने अब फैसला किया है कि अब मुझे यहाँ से ट्रांसफर करा लेना चाहिए... इसी हफ्ते के आखिर में एस डी एम शर्मा सर रीटायर होने वाले है, और उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि रिटाइयर मेंट् से पहले मुझे स्टेनो की पोस्ट पर प्रमोट कर जिला डी एम ऑफिस, नागालेण्ड ट्रांसफर कर देंगे.....कुसुम ने गंभीरता से कहा।
तो ये तो ख़ुशी की बात है... मैने झूठी मुस्कान देते हुए उससे कहा।
अरुण मैने कभी सोचा न था कि जिंदगी इस तरह भी करवट बदलेगी. ‘ब्रेन विद ब्यूटी’ का टैग हमेशा मेरे साथ चिपका रहा. आज यह टैग मुझे खोखला सा प्रतीत हो रहा है. कितनी तकलीफो को झेलने बाद मैने कितना कुछ हासिल किया. बस एक आखिरी महत्वकान्छा एक बड़े से सरकारी दफ्तर में उच्च पद पर आसीन होने की. पर क्या ये सब एक सुखी वैवाहिक पारिवारिक जीवन की गारंटी दे सकते हैं?.. . नही ना..!
सो अब मैने ये तय कर लिया है, आगे से अब मै अपनी नोकरी पूरी ईमानदारी से करूँगी, और साथ साथ अब अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाऊँगी।
ये सुनकर मै आश्चर्य से कुसुम का मुह ताकने लगा। अब मुझ को सचमुच काफी टेंसन होने लगी थी, पर कुसुम तो बस बोले ही जा रही थी।
वैसे भी , मेरे पापा की तबियत भी अब खराब रहती है, मेरी मम्मी भी बोल रही थी कि उन्हें डॉक्टर ने कम्पलीट रेस्ट पर रहने के लिए कहा है, अपने शहर, अपने घर पर रहूँगी तो उनसे भी मिलती रहूँगी। वैसे भी रिंकी के भी कॉलेज अगले हफ्ते से खुल जायेंगे, वो भी कॉलेज जाने लगेगी घर के काम करेगी तो उसकी क्लास और पढाई भी डिस्ट्रब होगी। आपकी मम्मी मेरी सास से भी इस उम्र में घर गृहस्थी के काम, और भाग दौड़ नही हो पाएगी, इसलिए मुझे उनकी मदद करने के लिए भी अब अपनी ससुराल मै ही अपनी सास ससुर के साथ रहना जरूरी है,
'मुझे उसकी बातों में एक बेटी, बहु और एक माँ की ममता साफ साफ दिखाई दे रही थी, और साथ साथ एक डर भी था, उसके द्वारा किये गए भृष्टाचार के भांडा फूटने का।
अब मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे लिए आने वाला समय बहुत ही दुखदायी होने वाला है' और मैने उसे उसका डिसिजन गलत साबित करने के लिए आखिरी दांव फेंका।
पर तुम इतने विश्वास और यकीन से कैसे कह सकती हो की शर्मा तुझे स्टेनो की पोस्ट देकर ट्रांसेफर लेटर देकर बोलेगा कि जाओ कुसुम अपनी ससुराल जियो अपनी जिंदगी।
बेशक, ऐसा ही बोलेंगे, मैं सब सम्भाल लूंगी, शर्मा जी बहुत दिनों से डिनर पर साथ चलने की बोल रहे थे, वैसे भी बेचारे इसी हफ्ते रिटायर हो जायेंगे तो आज उनके साथ डिनर कर ही लेती हूँ। आप बस आज रात का इंतजार कीजिये कल सुबह आपको खुश खबरी दूँगी।
मै अब निशब्द था, उसने पहले ही पूरा प्लान जो बनाया हुआ था।
कुछ देर बाद चलो ठीक है मै अब निकलता हूँ, अभी की गाड़ी से चलकर दोपहर तक घर पहुंच जाऊंगा
मै भी ऑफिस ही चल रही हु , साथ चलते हैं तुम्हे बस स्टैंड पर छोड़ दूँगी।
ठीक है,
कुसुम ने मुझे बस स्टैंड पर छोड़ दिया, मैं उसे जाते हुए बोला, पर तुम ज्यादा चिंता मत करो, भगवान ने चाहा तो सब ठीक हो जाएगा,
ठीक है बाय, सम्भलकर जाना।
बाय
मेरे लिए ये कोई झटके से कम नही था, मैने तो रिंकी के साथ आने वाली रातों को रंगीन बनाने के लिए पूरा 'टाइम टेबल' बना लिया था, पर अब तो मुझे अपना सपना मिट्टी में मिलता नज़र आ रहा था, वो भी खुद की खोदी हुई कब्र की मिट्टी में।
अब मेरे पास सिर्फ एक हफ्ते का ही वक्त था, इसलिए मैने ठान लिया था कि कुसुम के वापस अपने शहर, अपने घर में आने से पहले इस पूरे हफ्ते रिंकी की चुत का स्वाद जरूर चखउगा, अपने मकसद को कामयाब करने के लिए मै जल्दी से बस की ओर चल पड़ा अपने घर जाने के लिए, जहां रिंकी पहले ही पलकें बिछाए अपने पापा का इंतेज़ार कर रही थी,
दो घंटे बाद मै अपने घर पहुँच गया।
मुझे बस अब दो ही चीज से मतलब था वो था की --
1. मेरा और मेरी बेटी रिंकी के नाजायज रिश्ते का राज दुनिया (कुसुम) के सामने नही आये,
2. एक तरफ मैं चाहता था की मेरी बीवी को कोई भी मत छुए वही दूसरी तरफ एक अजीब सी तम्मना भी थी की कुसुम आज रात मुझे धोखा दे जाए......।
रात के 10 बजे थे अभी मैं अपने बेडरूम में अकेला ही था, आज की रात मेरे लिए बहुत भारी होने वाली थी, मेरे जेहन में रिंकी का ख्याल तो जैसे खतम सा हो गया, मेरा पूरा ध्यान सिर्फ कुसुम की बेफवाई पर था।
मैंने सबसे पहले कुसुम को काल किया,
पहले तो उसके हँसी की आवाज सुनाई दी फिर उसने हैल्लो कहा और साथ ही थोड़ा रुको भी …
“हा जान आप पहुच गए “
“हा दोपहर में ही पहुच गया था, तुम कहा हो “
“कहा था ना की शर्मा सर के साथ डिनर पर आयी हु ,अब घर जाने वाली हु “
“ओह घर अकेले जाओगी या ..”
उसकी हल्की सी हँसी सुनाई दी
“फोन पर पता कर लेना ऐसे 15 मिनट में घर पहुच जाऊंगी “ उसने हंसते हुए फोन को रख दिया ..
क्या बतलाऊ की इस खेल में मेरा क्या हाल हो रहा था,मुझे एक अजीब सा रोमांच महसूस हो रहा था,मैंने अपने मोबाइल से कैमरे को देखने लगा सभी कैमरे अपने सही जगह पर थे,बेडरूम में ही एक माइक्रो फोन भी लगा रखा था,उसमे से कोई भी आवाज अभी तो नही आ रही थी ,
जलन और रोमांच से .. दिल की धड़कने बड़ी हुई थी समझ नही आ रहा था की सही क्या है और गलत क्या है,एक तरफ मैं चाहता था की मेरी बीवी को कोई भी ना छुए वही दूसरी तरफ एक अजीब सी तम्मना भी थी आज रात कुसुम मुझे धोखा दे जाए..
मैं बेसब्री से मोबाइल में नजर टिकाए हुए बैठा था , लेकिन अभी तक तो घर कोई भी नही आया ,लेकिन थोड़ी ही देर में मुझे कुसुम, शर्मा के साथ घर के अंदर घुसते हुए दिखी,दोनो ही खुस लग रहे थे,लेकिन शर्मा ने कोई भी ऐसी वैसी हरकत नही की थी की मुझे उन पर थोड़ा भी शक हो …
वो अंदर घुसे , मै हाल का चित्र देखने लगा, शर्मा सोफे में जा जमा और कुसुम अपना बेग रखकर किचन में चली गई फिर पानी के साथ आयी ,उसने शर्मा से कुछ कहा और शर्मा ने सर हिला कर घर के बेडरूम में प्रवेश कर दिया, मैंने वँहा भी कैमरा लगा रखा था,वो बेडरूम में जाकर सीधे बाथरूम में घुस गया ।
वही हाल में बैठी कुसुम उसके जाने के तुरंत भी बाद उठी और उसने पहले हाल का कैमरा की ओर शरारती मुस्कान देते हुए देखा, मैं उसका चहरा अच्छे से देख सकता था उसने मुझे जीभ दिखाकर चिढ़ाया और हँसी ,उसकी आवाज तो मेरे कानो तक नही आयी लेकिन उसने मुझे जी भर कर चिढ़ाया। यानी कुसुम को पता था कि मैने घर में छिपे हुए कैमरा या माइक्रोफोन लगा रखे ..???
तब तक शर्मा बाहर आ गया था,वो उस कमरे में घुसी शर्मा को पता ही नही लगने दिया की वो क्या कर रही है, फिर थोड़ी ही देर में वो हमारे बेडरूम में आयी पहले तो वो एक जोर की अंगड़ाई ली फिर अपने काम में जुट गई उसने कैमरा को अपने चहरे की ओर कर लिया और माइक्रोफोन को अपने होठो के पास रखा…
मेरे सामने उसका चहरा था और कानो में एक आवाज गूंजी ..
“जान ...तो ऐसे मेरी जासूसी करने वाले थे आप,हाहाहाहाहाहाहाहा (वो जोरो से हँसी ) अब क्या करोगे प्रोफ़ेसर अरुण कुमार ...भूल ही जाते हो की मैं आपकी ही बीवी हु आपके हर ट्रिक का मुझे पता है , मेरे घर की कोनसी दीवाल पर कितनी कील लगी है, मै सब उंगलियों पर गिन कर बात सकती हू। हाहाहाहाहा ओह मेरा बेबी जलन तो फूल हो रही होगी लेकिन कर कुछ ही नही सकते ,ओ ओह ..हाहाहाहाहा “
मैं सच में पसीने से भीग गया था वो तो सच में बेहद ही चालाक निकली ,मुझे ऐसे चिढ़ा रही थी की लग रहा था अभी जाकर उसे अपने बांहो में मसल दु,जी हा उसके ऊपर बेहद ही प्यार आ रहा था लेकिन हवस वाला ..
उसकी आवाज फिर से आई ..
“चलो ये कैमरा तो और माइक्रोफोन तो बंद कर रही हु अब रात भर सोचना की आखिर हम दोनो घर में कर क्या रहे है ,लेकिन आप के ऊपर भी एक रहम कर देती हु ,गेट वाला कैमरा नही निकलूंगी हाहाहाहाहा”
हे भगवान उसे ये भी पता था की गेट में भी कैमरा लगा के रखा हु ,आखिर वो कैमरा उसने सच्ची में बंद कर दिया वही माइक्रोफोन से आवाज आनी भी बंद हो गई
मेरा दिल कसमसा कर रह गया,संच मे ये बात मुझे जला भी देती और रोमांचित भी कर देती की मेरी बीवी घर में अकेले (गैर मर्द के साथ) अपने बॉस के साथ है,वो क्या कर रहे होंगे ,मेरे लिए तो सहना ही मुश्किल था ,आखिर अब करू तो क्या करू ……….
दिमाग खराब बेहद ही खराब था,आंखों के सामने बस वो गेट का फुटेज था जो की बंद था, मैं अपना मोबाइल चालू किये बस उसे ही देख रहा था ,,अंदर क्या हो रहा होगा,??
मुझे कुसुम पर इतना तो भरोसा था की वो इतना आगे तो नही जाएगी की हमारी शादी को खतरा हो …
और वो चली गई तो ,मैं ही तो था जो उसे उकसाता रहता था,नही ये नही हो सकता,
जब दिमाग काम करना बंद कर देता है तो आप क्या करते है …? बाथरूम का सहारा, मैं दो बार पेशाब करके आ चुका था,आधा घंटा होई चुका था ..मैं परेशान भी था तो उत्तेजित भी ,लेकिन इतनी उत्तेजना की आदत मुझे नही थी ,मैं अब भी अपनी बीवी से बेहद प्यार था,और मैं अब भी कही ना कही ये चाहता था की वो वही कुसुम रहे जिसे मैं घर में छोड़कर आया था,किसी भी मर्द के लिए ये इतना आसान नही हो सकता की वो अपनी बीवी को ऐसे ही छोड़ दे …
बीवी खुद की संपति होती है और आपकी संपति पर कोई दूसरा राज करे तो सोच लो कैसा लगेगा ….
अचानक ही मेरे मोबाइल में एक मेसेज आया ,वो कुसुम का मेसेज था …
‘बेडरूम वाला कैमरा ऑन कर रही हु ,और माइक्रोफोन भी ..’
मेसेज पड़कर मेरे आंखों में आंसू आ गए क्या वो मुझे अपने बॉस के साथ मनाने वाली रंगरलियां दिखाने वाली है …
मैं सच में रो ही पड़ा ,तभी स्क्रीन में बेडरूम वाला कैमरा ऑन हुआ , कुसुम का चहरा मेरे सामने था,उसकी आंखे लाल थी जैसे बेहद गुस्से में हो,उसने अभी भी अपने कपड़े चेंज नही किया था …
वो कुछ बोलती उससे पहले ही मैंने अपने मोबाइल से उसे वीडियो काल कर दिया ...उसने कैमरा नीचे फेक दिया और मेरा काल उठाया …
हम दोनो के सामने हमारे चहरे थे दोनो की आंखों में आंसू था ,तभी मुझे एक आवाज आयी जैसे कोई दरवाजा पिट रहा हो ...वो शर्मा ही होगा ..
‘कुसुम जी प्लीज् मुझे माफ कर दो ..’
शर्मा की ये आवाज मेरे कानो में आयी ,
कुसुम मुझे ही देख रही थी उसकी आंखे गुस्से से भरी हुई थी , सुर्ख लाल …
“मुझे माफ कर दो जान मैं तुम पर कभी भी शक नहीं करूँगा और ना ही तुमसे कुछ करने को कहूंगा प्लीज् …”
मैं उसके सामने गिड़गिड़ाने लगा ,वो गुस्से में होते हुए भी हल्के से हँसी …
“आपको तो लगा होगा की आज मैं शर्मा के साथ इसी बिस्तर पर है ना...इसीलिए माफी मांग रहे हो ना ताकि मैं ऐसा कुछ ना करू ..” उसकी आवाज में एक गुस्सा और शरारत दोनो ही थी ...
मैंने हा में सर हिलाया
“भारतीय नारी हु अपने पति को ऐसे ही किसी ऐरे गैरे शर्मा वर्मा की बातो में आकर धोखा नही दे सकती समझे ,लेकिन आपने तो दिल ही दुखा दिया क्या आप सच में ऐसा सोच रहे थे की मैं ऐसा कुछ करूंगी …”
वो नाराज लग रही थी ।
“पागल हो गई हो क्या नही नही ...मैं जानता था की तुम ऐसा कुछ नही करोगी तुम तो बस मुझे जला रही हो ,लेकिन डर तो लगता है ना “
वो हल्के से मुस्कुराई ..
तभी पीछे से दरवाजा पीटने की आवाज तेज हो गई , शर्मा जोरो से कुसुम को सॉरी कह रहा था,
“तुम आज रात भर बाथरूम में बंद रहोगे शर्मा “ कुसुम चिल्लाई और फिर से मुझे देखने लगी
“क्या हुआ वो ऐसे क्यो दरवाजा पिट रहा है …”
वो हल्के से फिर से हँसी ..
“क्योकि उसे भी वही लगा जो आपको लगा,कि पति नही है जाऊंगा और कुछ हो जाएगा,साला मुझे समझ के क्या रखा है ...एक झापड़ मार कर उसे बाथरूम में बंद कर दिया अब चिल्लाने दो उसे “
मेरा मन एकदम से शांत हो गया ,मुझे पता था की कुसुम जब तक ना चाहे कोई उसे कुछ नही कर पायेगा ..
मेरी खुसी देखकर कुसुम भी मुस्कुरा उठी ..
“इतना खुस मत हो वो आज आपके ना होने का पूरा फायदा उठा रहा था,साले ने जबरदस्ती क्या क्या नही दबा दिया ..”
वो इतराते हुए बोली ,एक पल के लिए मेरी सांसे ही रुक गई ..
“क्या ...उसे तो मैं ..”
मैं बोल तो गया लेकिन मेरे चहरे को देखकर वो मुस्कुराई
“आपको गुस्सा तो नही आ रहा है ये सब किसी और को कहना इतना झूट तो मैं भी पकड़ सकती हु “मैं हँस पड़ा सच में मुझे इस बात पर कोई गुस्सा नही आया था ,असल में मैं तो बस इस बात से खुस था की कुछ ज्यादा नही हुआ ,
“गुस्सा नही आया तो उत्तेजना तो आई ही होगी आपको की शर्मा ने मुझे मसल दिया “
उसके होठो में एक शरारती सी हँसी आ गई ..मैंने उसे आंखे बड़ी करके देखा
“वैसे जिस काम के लिए तुमने शर्मा को बुलाया था वो हुआ क्या...???
वो हल्के से हँसी लेकिन उदास स्वर में कहा जैसे खुद से कह रही हो .. हा ट्रांसफर और प्रमोशन लेटर पर उसने signature
कर ऑफिस में ही दे दिये थे। पांच दिन बाद रिपोर्ट करना है जिला कलेक्ट्रेट ऑफिस में।
तो फिर उसको अब बख़्श दो, जाने दो उसे यार... मुझसे अब उसकी माफी भरी आवाजे सुनी नही जा रही, उसके लिए इतना सबक बहुत है.....!
कुछ देर सोचने के बाद कुसुम “बाथरूम के दरवाजे के पास शर्मा से बोली... दरवाजा खोल रही हू, चुपचाप से सीधे निकल जाना।
दरवाजा खुलते ही, शर्मा भीगी बिल्ली की तरह दुम दबा कर घर के दरवाजे की तरफ चलने लगा। जाते जाते वो सॉरी बोल रहा था।
शर्मा जी यहाँ जो हुआ I hope उससे मेरे प्रमोशन और ट्रांसफर पर कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। क्योकि वो सब कैमरे में रिकॉर्ड हो चुका है, और जिसे मेरे पति अपने मोबाइल पर लाइव देख रहे है।
और जाते जाते मेरी एक बात सुनते जाओ
खुले ख्यालात और खुले कपड़ों में बहुत फर्क होता है। इस अंतर को समझना होगा अन्यथा मुश्किल में दिखाई दोगे। शादी शुदा औरत के खुले विचार होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वो आपके लिए अपने कपड़े उतार देगी। मेरे जैसी खुले ख्यालात वाली बहुत सारी औरते अकेले रह कर नौकरी करती, इसका यह मतलब नहीं कि हम सबके लिए कपड़े खोल देते हैं। हमारी अपनी पसंद होती है और हम अपनी पसंद से इंजॉय करती हैं और यह हक हमको हमारे पति ने दिया है। खुले ख्यालात वाली शादी शुदा औरत और वैश्या में फर्क करना सीखो..... आज सच में मुझे बहुत बुरा लगा क्योकि आपने जबरदस्ती की , जिसे मैं दिल से अपना दोस्त मानती हु ,...”
जारी है....