Part - 01 (beginning of story)
Episode - 01
शिव की तीसरी आंख से बनी एक तीसरी दुनिया जो एक रहस्यमई दुनिया है। एक तंत्र की दुनिया जहा वास करते है तांत्रिक, कुछ बुरे तो कुछ अच्छे यह दुनिया पृथ्वी पर हि है यहा के लोगो मे घुले मिले हुए है ये लोग। कुछ तांत्रिको ने अपनी इच्छाओ की पूर्ति के लिए अपने तंत्र से छल किया तो कुछ ने भलाई। तंत्रिको ने अपने शक्तियों से कुदरत को अपने हाथो में ले लिया अमर होने के लिए, ये तांत्रिक कुछ भी कर सकते है, हजारों रूप बदल सकते है। करोड़ो कोश दूर किसी को भी वश में कर सकते है, आग से ये जलते नही मौत से ये डरते नहीं क्योंकि तांत्रिक कभी मरते नही।
English:-
A third world created by Shiva's third eye which is a mysterious world. The world of a system where tantriks live, some bad and some good, this world is on earth, these people are mixed in with the people here. Some tantriks cheated their system to fulfill their desires, while some did good. Tantriks have taken nature in their hands with their powers, to become immortal, these tantriks can do anything, they can change thousands of forms. Millions of koshas can tame anyone far away, they do not burn with fire, they are not afraid of death because tantrik never die.
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उत्तराखंड राज्य के एक जिला जिसका नाम है ******* इस जिले में एक गांव है जिसका नाम है कामलपुरा। जंगलों के बीच बसा है यह गांव।कामलपुरा एक बहुत ही सुंदर गांव है, कहते है कमल की तरह खूबसूरत है कामलपुरा यहां जो भी आता है बस यही का होकर रह जाता है। बहुत से बाहरी लोग इस गांव की सुंदरता को देखने के लिए यहा आते है, इस गांव की खास बात यह सुनने में आता है की यहां के जानवर भी इंसानों के साथ मिलकर रहते है ।
लेकिन यह कोई नहीं जानता की जितना यह गांव सुंदर है उससे कही ज्यादा खतरनाक भी। यहां कई ऐसे तांत्रिक है जो अपना तंत्र सिद्धि करते है।
इस गांव के देख भाल करने वाला वाले है यह के जमींदार ठाकुर भानु प्रताप सिंह जी जो इस गांव के भलाई के लिए सदैव तत्पर रहते है। इनकी शादी हो गई है और पत्नी का नाम है रुक्मणि देवी जो एक बेहद ही सुंदर और आकर्षक महिला है इनके आगे तो स्वर्ग की अप्सराएं भी शरमा जाए ये इतनी सुंदर थी, पर इनकी सुंदरता इनके कोई काम का नही था क्योंकि ये कभी मां नही बन सकती है।
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आज जमींदार भानु प्रताप जी ने दूसरी शादी की है, अपनी पत्नी और घर वालो के कहने पर अपने वारिश के लिए।इनकी दूसरी पत्नी का नाम था अपराजिता।
सदी के एक साल बाद ही इनके दूसरी पत्नी से इन्हे इनके घर का वारिश मिला दो पुत्र प्राप्त हुआ जिसनका नाम रखा गया पहला बेटा ठाकुर कुलदीप सिंह दूसरा ठाकुर मोतीलाल सिंह
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दोनो बेटे आज 22 वर्ष , 20 वर्ष के हो गए है।
जमींदार साहब भी बहुत खुश थे, लेकिन कुलदीप सिंह का दिल (दोस्तो मैं यहां कुलदीप को ठाकुर साहब लिखूंगा) एक वैश्या पर आ गया जो एक बेहद ही कामुक सुंदर और चालक किस्म की औरत थी। वह ठाकुर साहब को अपने रूप के जाल में उनके सम्मपति को हथियाने के फिराक में थी ।
ठाकुर साहब उसके रूपजल में ऐसे फस गए थे की पूछो ही मत। रोज उसके पास जाते लेकिन वह इन्हे हाथ भी लगाने नही देती । इन्हे और तड़पाती अपने हुस्न का जाल बिखेरती।
ठाकुर साहब इतने उसके रूपजाल में अंधे हो गए थे की उसके है बात को मानने लगे वह जो कहती वह करते थे यहां तक कि वह वैश्या ठाकुर का हवेली ही जाना बंद करा दिया वह वही पड़े रहते कारण यह था की वह वैश्या एक सौदाइन थी (सौदाइन वही होती है जो कला जादू, टोना, किसी को अपने वस में करने के कला और भी बहुत कुछ जानती है।)
और ठाकुर साहब पर काला जादू कर रखी थी।।
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ठाकुर साहब - रेशमा (वैश्या) क्यों इतना तड़पा रही हो आज तो अपने यह सुंदर यौवन का रस पिला दे, उसके बदले में जो चाहिए वो दूंगा तुझे बता क्या चाहिए तुझे।
रेशमा - भगवान झूठ ना बोलूं ठाकुर साहब मुझे कुछ ना चाहिए । केवल आप मुझ से शादी करलो बस मुझे कुछ ना चाहिए।फिर आप जितनी चाहे पीते रहना मेरे इस सुंदर जवानी का रस मैं ना रोकूंगी आपको।।
ठाकुर साहब - बस इतनी ही बात थी उसके लिए इतने साल तड़पा दिया मैं तुझे पाने के लिए कुछ भी कर सकता हु। बता कब करनी है शादी।
रेशमा - तुम अपने हिस्से की हवेली और गांव मेरे नाम कर दोगे तब।
ठाकुर साहब - ठीक है मेरी रेशमा रानी अब हमारी सुहागरात मन कर ही रहेगी।
और ठाकुर साहब अपने परिवार वालो के विरुद्ध जाकर उन्होंने ठाकुर साहब ने रेशमा से शादी कर ली और चल दिए हवेली लेके अपनी दुल्हनिया।
हवेली पहुंचने पर नई दुल्हनिया का गृह प्रवेश कराया गया ज्यों ही रेशमा अपना दाया पैर अंदर रखती है, हवेली का लाइट कट गई और हवेली में अंधेरा छा गया।
एक औरत हाय राम ये तो अपशगुन है, दुलहीन के गृह प्रवेश करते ही ये तो अपशगुनी है।।
ठाकुर साहब - क्या बात करती हो चाची ये अपशगुनी नही बल्कि इसलिए लाइट चली गई जब इस हवेली में चांद खुद यह धरती पर आकर हवेली में आई है रहने के लिए ।
और ये कहकर ठाकुर साहब रेशमा को अपने गोद में उठाकर चल दिए अपने रूम में । लेकिन रेशमा उन्हें छत पर ले गई।
और सारे परिवार वाले चल दिए अपने हवेली में क्योंकि यह हवेली जमींदार साहब ने खास कुलदीप के लिए है बनवाया था।
छत पर पूरा अंधेरा था क्योंकि आज अमावस्या की रात थी।
छत पर दोनो पत्नी पति छत पर ही क्रीड़ा कर रहे थे ठाकुर साहब रेशमा को पकड़ रहे थे और रेशमा ठाकुर साहब से बचाने के लिए इधर उधर भाग रही थी।
दोनो लोग हस्ते हुए इसी तरह का खेल खेल रहे थे।
आखिर में ठाकुर साहब ने पकड़ ही लिया । दोनो लोग हवेली के पीछे जंगल में देख रहे थे।दोनो किनारे पर आकर बैठ गए थे और बाते कर रहे थे।
रेशमा - ठाकुर साहब क्या इस जंगल में कोई भी खतरनाक जानवर नही है।
ठाकुर साहब - रेशमा वैसे तो इस जंगल कोई खतरनाक जानवर नही रहते है लेकिन एक भयानक जानवर रहता है। जो अगर कोई भी उसे देखले तो वह वही हार्ट आटैक से ही मर जायेगा और नही मारा तो वह जानवर खुद ही मार देगा।
अभी ये लोग बात ही कर रहे थे की जंगल में तेज गर्जना होती है। सारा जंगल दहल गया उस दहाड़ से।लेकिन वह दहाड़ शेर की नही थी।
ठाकुर साहब -आज इस और कैसे आया ये जानवर ये तो कभी भी इस तरफ नही आता।
अभी ठाकुर यह कह ही रहा था की रेशमा ने उसे धक्का दिया वो भी धीरे से।
ठाकुर साहब -हस्ते हुए नही गिरा पाओगी रेशमा डार्लिंग क्योंकि मैं तुम्हारा पति हो।
रेशमा - कैसे गिरेंगे ठाकुर साहब जब मैं इतना सा ही धक्का दिया है अगर ऐसे धक्का दे दू तब तो कोई बात बनेगी।
और यह कहकर उसने जोर से धक्का दे दिया । ठाकुर साहब चल दिए जंगल की सैर करने लेकिन ऐसा हुआ नही क्योंकि उन्होंने हवेली के छज्जे को पकड़ लिया था।
ठाकुर साहब - रेशमा ये क्या कर दिया है तूने मुझे गिराना चाहती हो।
रेशमा - थोड़ा डरते हुए ठाकुर साब मुझसे गलती हो गई , हस्ते हुए मैने तो आपको मार ही दिया था लेकिन आप तो छज्जे को पकड़ लिए कोई नही अब हो जायेगा।
ठाकुर साहब - ये क्या मजाक है रेशमा, तुम मजाक कर रही हो ना। अगर यह मजाक है तो ऐसा मजाक मत करो की मैं हार्ट अटैक से ही मर जाऊ please रेशमा मुझे ऊपर खींचो ।
मैं तुम्हारा सुहाग हूं।
रेशमा - यह मजाक नही है ठाकुर साहब ये सच है मैं तुझे मारने ही आई थी। और रही बात सुहाग की तो ये लो
मांगटीका, ये लो ये हार, कंगन, पायल, और ये सिंदूर पोंछ दिया अब तो होली ना आपकी विधवा हा।
और अपने गहने उतार उतार कर ठाकुर के ऊपर फेकने लगी जिससे ठाकुर साहब को काफी चोट आ गई थी ।
ठाकुर - लेकिन मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है रेशमा तुम मुझे क्यों करना चाहती हो।
रेशमा - तुझे याद नही है, मैं बताती हु याद है फूली हां फूली अरे वही तेरी नौकरानी वो मेरी बहन थी। जिसे तेरे मामा के लड़के बृजेंद्र ने अपने हवस मिटाया थे और उसने आत्म हत्या कर लिया और तूने अपने भाई को दंडित करने के बजाय मेरी बहन को ही चरित्रहीन बना दिया।इसीलिए मैं उसका बदला लेने के लिए तुझे बैस्या बनी।सिर्फ तुझे बदला लेने के लिए। समझा। अब मर
ठाकुर - मुझे माफ करदे रेशमा चाहे तो थाने में बंद करवा दे लेकिन यू मुझे न मार क्योंकि मेरी इच्छा पूरी नहीं हुई है। मुझे मुक्ति नही मिलेगी।
रेशमा - और तुझे मैं मुक्ति मिलने भी नही दुंगी।
यह कहकर उसने ठाकुर के हाथ पर वार किया और ठाकुर का हाथ छूट गया और ठाकुर नीचे गिराने लगा।
पेड़ो के डालियों से टकराते हुए वह नीचे की ओर गिराने लगा तभी उसने एक पतली सी डाली पकड़ ली। उसके कानो में रेशमा की आवाज सुनाई दिया।।।
अजी……...सुनते हो मर गए की नही जल्दी करो मुझे और भी काम करने है……………
तभी वह डाली टूट गई और ठाकुर नीचे गिराने लगा……उसके कानो में रेशमा द्वारा किए गए धोखे का ही दृश्य दिखा रहा था…………………………...वह जमीन पर आकर धड़ाम से गिरता है…….
आ….. ह
और वह दर्द से तड़पने लगता है …………….तभी उसी अपने पास गुर्राने की आवाज सुनाई देता है…………………………
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In the next episode, this story will start after seven years.