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Adultery काजल, दीवाली और जुए का खेल

kya iss story ko aage lekr jana chahiye


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Sare update ek bar Mai hi post KR skte ho ..koi jayda lambi story v nhi hai.
 
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Bakchod_Engineer

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और ये जानकार भी की छोटा होते हुए भी उसका भाई उससे आगे निकल गया है...यानी किसी के साथ संबंध बना लिया है उसने...और एक वो है...अभी तक अपनी कुँवारी चूत की घर बैठकर मालिश कर रही है बस...

उसके मन मे आया की 'काश....ऐसी कोई जगह होती..जहाँ कभी भी , कोई भी जाकर चुद सके..बिना कोई सवाल पूछे..बस वहाँ जाए, और चुदाई करनी या करवानी शुरू कर दे...तो वो भी वहाँ जाती और अपने प्यासे जिस्म की प्यास बुझा लेती...'

ऐसे बे-सिर-पैर के ख़याल अक्सर उसके दिमाग़ मे आते रहते थे.

अब केशव की बारी थी...पर उसकी समझ में नही आ रहा था की वो पूछे भी तो क्या पूछे ...उसकी बहन ने वो काम अभी तक नही किए थे...तो कैसे वो आगे की बाते पूछे..वो पूछना चाहता था की 'दीदी,आपने किसी के साथ कोई संबंध नही रखा,पर क्या आपने आज तक मूठ भी नही मारी..आपको कुछ होता नही है क्या अंदर से...'

पर वो ऐसा पूछ नही पाया...

फिर अचानक वो बोला : "आप ये बताओ...ये कैसे पता चला की मेरी एक गर्लफ्रेंड है...मैने तो आज तक आपको बताया नही..और सारिका से तो आपकी 2 सालो से बोलचाल बंद है..फिर पता कैसे चला..''

काजल ने सिर झुकाते हुए धीरे से कहा : "वो....मैने....कई बार...तुम्हारे मोबाइल पर मैसेजस पड़े हैं...इसलिए...''


केशव : ओह तेरी.....तो ऐसे पता चला काजल को...'

और काजल को उसका नाम शायद इसलिए नही पता था क्योंकि उसने अपने मोबाइल मे सारिका को ''शोना'' के नाम से सेव किया हुआ था..और ये नया नंबर था, इसलिए काजल समझ नही पाई की ये ''शोना'' असल मे उसकी पक्की सहेली सारिका ही है.

केशव : "चलो कोई बात नही...अब तो आपको पता चल ही गया है...अब आप फिर से ब्लाइंड यानी कुछ और पूछना चाहती हो तो पूछो ...वरना अपने पत्ते खोलकर चाल चलो...''

काजल के पास तो काफ़ी सवाल थे...पर पहली बार मे ही वो सब पूछकर वो केशव को भगाना नही चाहती थी...उसने अपने पत्ते उठा लिए..पर ये पत्ते उसकी समझ मे नही आए...

केशव ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे...उसके पास 5 का पेयर आया था...वो खुश हो गया..पर काजल के प्रश्नवाचक चेहरे को देखकर बोला : "क्या हुआ दीदी...पत्ते ठीक नही आए क्या...''

काजल : "पता नही...ये देखो ज़रा...''

उसने अपने पत्ते सामने फेंक दिए...वो थे इक्का, बादशाह और बेगम...

केशव : "यार दीदी....आप तो कमाल हो...पता है ये क्या है....सबसे बड़ी सीक्वेंस ...इनको तो सिर्फ़ और सिर्फ़ ट्रेल ही काट सकती है..जो बड़ी मुश्किल से आती है...जैसी आपके पास पिछली बार आई थी..इक्के की ''
और फिर केशव ने काजल को सभी तरह के पत्तो के बारे मे बताया की क्या बड़ा होता है...क्या छोटा...सुच्ची किसे कहते हैं...कलर...पेयर ..सीक्वेंस ...सभी की जानकारी दी उसने..

केशव : "ये गेम तो आप जीत गयी...''

काजल : "अब पैसे तो रखे नही है हमने ...फिर मुझे क्या मिलेगा...''

वो मंद -2 मुस्कुरा भी रही थी ये बोलते हुए...

केशव को उसकी हँसी का जो मतलब नज़र आ रहा था..वो कहना नही चाहता था...और ये भी नही बोलना चाहता था की जीतने के बाद वो क्या माँगने की बात कर रही है...

केशव : "वो बाद मे बता देना...अभी मुझे कुछ और देखना है...''

काजल : "क्या ???"

और जान बूझकर काजल ने अपने दोनो हाथ अपनी छातियों पर रख लिए...जैसे केशव उन्हे ही देखने की बात कर रहा हो..
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और फिर केशव के मासूमियत से भरे चेहरे पर पसीना देखकर वो खुद ही हंस-हंसकर लोट-पोट हो गयी...

काजल : "हा हा हा ....केशव तू भी ना....कितना बड़ा भोंदू है...पता नही तूने वो सब कैसे किया होगा सारिका के साथ...वो तो तुझे कक्चा खा गयी होगी...''

केशव : "मुझे ...और वो....आप ये बात कैसे कह सकती हो ...''

वो ताश की गड्डी को पीटता हुआ बोला

काजल : "मुझे पता है...वो ऐसी ही है शुरू से...जिस तरह की बाते वो करती थी की ये करेगी...वो करेगी...मैं तो सोच भी नहीं सकती थी वो सब...और वो बोल भी देती थी...उसकी बातें सुनकर ही मुझे पता चल गया था की इसके हाथ जो भी पहला शिकार आएगा...वो उसका क्या हाल करेगी...और मुझे क्या पता था की उसका शिकार मेरा भाई ही होकर रहेगा...हा हा''

और वो फिर से अपना पेट पकड़कर ज़ोर-2 से हँसने लगी

अब केशव अपनी बहन को क्या बताता...पहली बार उसने सारिका की चूत यहीं मारी थी...वो भी इसी बेड पर, जहाँ वो इस समय खेल रहे थे..काजल ऑफीस गयी हुई थी और माँ किसी काम से मार्केट...

उस समय उसने सारिका की ऐसी चीखे निकलवाई थी की वो आज भी याद करके सहम जाती है...बाद में तो उसे केशव के मोटे लंड की आदत पड़ गयी...पर बाद मे भी हर बार वो उसकी रेल बनाकर ही चुदाई करता था...

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वो हारकर पस्त हो जाती है..पर केशव अपनी हार नही मानता...और शायद इसलिए वो पिछले 1 साल से किसी और की तरफ देखती तक नही है...ऐसी चुदाई करने वाला बी एफ आसानी से थोड़े ही मिलता है आख़िर.

केशव : "चलो , छोड़ो अब ये सब सच बुलवाने वाली गेम्स...मेरे दिमाग़ मे कुछ आ रहा है...वो चेक करने दो पहले मुझे...''

और फिर से उसने दोनों को 3-3 पत्ते बाँटे...और फिर बिना ब्लाइंड या चाल चले केशव ने दोनो के पत्ते पलट कर सीधे कर दिए..

केशव ने अपने पत्ते देखे...ऐसे ही थे..बेकार से...पर काजल के पत्ते इस बार भी कमाल के थे...उसके पास पान का कलर आया था...

केशव ने फिर से पत्ते बाँटे और फिर से उन्हे पलट कर सीधा किया...इस बार भी काजल के पास इकके का पेयर आया...

वो फिर से पत्ते बाँटने लगा
काजल : "ये तू कर क्या रहा है...मुझे भी तो बता ज़रा...''

केशव : "रूको दीदी. ...बस थोड़ी देर और...''

और उसके बाद केशव ने 3 बार और पत्ते बाँटे ...और हर बार काजल के पत्ते भारी थे...और हर बार उसके पास चाल खेलने लायक ही पत्ते आ रहे थे...कभी पेयर ...कभी कलर...कभी सीक्वेंस ...

आख़िर मे केशव बोला : "दीदी...लगता है आपके अंदर कोई शक्ति छुपी है...या कोई वरदान है ,आप देख रही हो ना...हर बार आपके पत्ते कितने जबरदस्त आ रहे हैं...''

काजल : "हाँ तो....''

केशव (अपने चेहरे पर चालाकी भरी मुस्कान लाते हुए) : "दीदी ...मेरे पास एक प्लान है..''
काजल : "प्लान....? कैसा प्लान...और किसलिए.."

केशव : "देखो दीदी...आजकल दीवाली का टाइम है..और इस टाइम सभी लोग जुआ खेलते हैं...वैसे जुआ खेलने वाले तो पूरा साल खेलते हैं पर इन दिनों और भी ज़्यादा और बड़ी-2 गेम्स होती है ...और इसलिए वो कल में इतने पैसे जीत कर लाया था...''

काजल : "हाँ ...तो ..? "

केशव : "तो अगर हम लोग ये जुआ खेले...मेरा मतलब है की तुम...तो शायद काफ़ी पैसे आ सकते हैं...मेरे जितने भी दोस्त है वो सब खेलने वाले हैं...उनके साथ खेलेंगे..और मुझे पूरा विश्वास है की आप ही जीतोगे ..आप देख रहे हो ना, किस तरह के पत्ते आते हैं हर बार आपके पास...''

काजल का तो दिमाग़ ही घूम गया उसकी बात सुनकर..

काजल : "तू पागल हो गया है....तू चाहता है की में तेरी तरह जुआ खेलूं ..और वो भी तेरे उन आवारा दोस्तों के साथ...तुझे शर्म नही आएगी की तेरी बहन बाहर जाकर जुआ खेले...कभी सुना है तूने की कोई लड़की जुआ खेलती है...तुझे पता भी है की कितनी बदनामी होगी हमारी...''
बोलते-2 उसकी आवाज़ काफ़ी तेज हो गयी थी गुस्से की वजह से.

केशव आराम से सब सुनता रहा और आख़िर मे बोला : "दीदी....सबसे पहले तो ये ख्याल मन से निकाल दो की लड़कियाँ ये काम नही करती...ये दीवाली के दिन है...और इन दिनों लड़कियाँ और औरतें ही सबसे ज़्यादा खेलती हैं...चाहे शगुन के लिए ही सही पर इन दिवाली के दिनों में जुआ खेलना शुभ माना जाता है..और आपको कहीं बाहर नही जाना है खेलने, मैं उन्हे यहीं बुला लूँगा...अपने घर पर..और आपको मेरे होते हुए किसी से भी डरने की जरुरत नही है...आप शायद नही जानती की मेरा कितना दबदबा है इस मोहल्ले में...कोई आपकी तरफ आँख उठा कर भी नही देख सकता...''

काजल उसकी बात सुनती रही..शायद उसको वो सब सही लग रहा था अब..

काजल (थोड़े नरम स्वर मे) : "पर...माँ हॉस्पिटल में है और हम लोग ऐसे घर मे बैठकर जुआ खेलेंगे...माना की तेरे दोस्त तेरे सामने नही बोलेंगे...पर पीछे से तो हर कोई यही कहेगा ना की माँ हॉस्पिटल मे है और इन्हे जुआ खेलने की पड़ी है..''

केशव : "ये सब मै माँ के लिए ही कर रहा हू...कल मेरी डॉक्टर् से बात हुई थी..उन्हे घर लाने के लिए..तो उन्होने कहा था की या तो 10 दिन तक उनका हॉस्पिटल मे रहकर इलाज करवा लो...या फिर घर लेजाकर एक इंजेक्शन रोज लगवाना, 5 दीनो तक..जो करीब 3000 का एक है..हम उन्हे कल ही घर ले आएँगे...और इन पैसों से उनका घर पर ही इलाज करवाएँगे..''



काजल को उसकी बात मे तर्क नज़र आया...क्योंकि ये बात डॉक्टर ने उसे भी कही थी...पर इतने पैसे कहाँ से लाती वो, यही सोचकर उसने उस बात पर ज़्यादा ध्यान नही दिया था..कहने को तो ये सरकारी हॉस्पिटल था पर उसमे भी उनके पैसे लग ही रहे थे....और रोज -2 आने-जाने की मशक्कत भी अलग से करनी पड़ती थी.अगर माँ को घर ले आएँ तो ये सारी चिंता और परेशानी ख़त्म हो जाएगी.

काजल : "पर असली में खेलते हुए अगर मैं हार गयी तो, मेरा मतलब है की अगर खेलते हुए लक्क ने मेरा साथ नही दिया तो ??"

केशव : "आप उसकी चिंता मत करो , मै सब संभाल लूंगा "

काजल चुप हो गयी....केशव समझ गया की वो उसकी बातों पर विचार कर रही है.

केशव : "दीदी...आप इतना मत सोचो...आजकल तो सभी के घर पर जुआ चलता है...कल भी मै अपने दोस्त गुल्लू के घर पर ही खेल रहा था...और उसकी बीबी को तो आप जानती ही हो, रूबी, वो भी खेल रही थी उसके साथ...अब ऐसा त्योहार का माहोल हो तो घर की औरतों का भी थोड़ा बहुत एंटरटेनमेंट हो जाता है...''

काजल तो पहले ही मान चुकी थी...केशव बेकार मे अभी तक उसे मनाने के लिए इधर-उधर की बातें कर रहा था..

वो जैसे ही बोला 'और वो जो मेरा दोस्त है ना.....'

काजल : "ओके ..बाबा ...समझ गयी....अब चुप कर जा....समझ गयी मैं...''

काजल ने हंसते हुए कहा तो केशव भी खुशी के मारे उछल पड़ा...और प्रेम भाव मे आकर वो काजल से लिपट गया..
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केशव : "ओह ...दीदी ....मुझे पता था की आप ज़रूर समझोगी...भले ही ये ग़लत तरीका है पैसे कमाने का..पर हमें इस समय इन पैसो की बहुत ज़रूरत है...''
काजल की साँसे तेज हो गयी...दरअसल केशव के जिस्म से निकल रही मर्दाना खुशबु उसे सम्मोहित सी कर रही थी...ऐसा लग रहा था की जैसे कोई नशा है जो केशव के शरीर से निकल कर उसकी सांसो मे समा रहा है..और ये सब महसूस करते-2 कब उसके निप्पल बाहर निकल कर केशव को चुभने लग गये, उसे भी पता नही चला...और

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केशव को लगा की शायद उसके गले मे पड़ा हुआ लॉकेट चुभ रहा है उसके सीने मे..पर फिर उसे याद आया की वो तो काफ़ी उपर बँधा है...और तब उसे एहसास हुआ की ये कोई लोकेट नही बल्कि कुछ और है...जो दोनो तरफ से एक बराबर चुभ रहा है..और उसे समझते देर नहीं लगी की वो क्या है

अब उत्तेजित होने की बारी केशव की थी...उसने लाख कोशिश की पर उसके लंड ने उसकी एक नही मानी और एकदम से तन कर खड़ा हो गया..जिसे काजल ने भी अपने पेट पर महसूस किया..

और ये था उसके शरीर पर किसी खड़े लंड का पहला एहसास...
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भले ही रात के समय वो कितने ही लड़को के लंड खड़े करके मज़े लेती थी पर उनके एहसास को महसूस करने का ये पहला अवसर था उसके लिए और इस एहसास ने उसके शरीर को पसीने से भिगो दिया..और चूत को भी महका दिया

दोनो एकदम से अलग हो गये...और एक दूसरे से नज़रें चुराते हुए इधर-उधर देखने लगे..

केशव : "ओके ..दीदी ...अब मै चलता हू...अपने रूम मे..गुड नाइट. और हां आप कल ऑफीस की छुट्टी कर लेना..हम दोनो सुबह ही हॉस्पिटल चलेंगे और माँ को घर ले आएँगे......''

काजल : "ओक....मै सुबह ऑफीस में फोन कर दूँगी...गुड नाइट..''

उस रात काजल ने अपने वर्चुअल आशिकों से कोई भी बात नही की...पर जम कर अपनी बिना बालों वाली चूत और अपनी गांड को रगड़ा
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तना रगड़ा की उसपर लाल निशान पड़ गये..और जब वो झड़ी तो उसके शरीर के कंपन से पूरा पलंग हिल गया..

और वो ये सोचकर मुस्कुरा उठी की जब वो किसी के लंड की वजह से झड़ेगी तो शायद ये पलंग टूट ही जाएगा..

केशव भी अपने कमरे मे जाकर पूरा नंगा हो गया..
 
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और अपने हाथ में लंड लेकर ज़ोर-2 से हिलाने लगा..वो चाहता नही था की इस समय उसकी बहन काजल का ख़याल भी आए..इसलिए वो अपनी आँखे बंद करके सारिका के बारे में सोचने लगा..उसके नंगे शरीर के बारे मे सोचने लगा..उसे कैसे चोदा था वो याद करने लगा..पर अपने ऑर्गैस्म के करीब जाते-2 कब सारिका का चेहरा काजल मे बदल गया, वो भी समझ नही पाया...और अंत मे आकर जब उसके लंड से पिचकारियाँ निकली तो उस सफेद पानी के साथ -2 उसके मुँह पर भी काजल का ही नाम था..
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'
'अहह ....ओह काजल...... उम्म्म्मममममममममम''
फिर वो सब कुछ साफ़ करके सो गया...ऐसे ही नंगा.

अगली सुबह काजल की नींद जल्दी खुल गयी...जो उसकी हमेशा की आदत थी...भले ही उसे आज ऑफीस नही जाना था पर नहा धोकर वो 8 बजे तक तैयार हो गयी...घर की सफाई भी कर ली...वो रोज 8 बजे तक निकल ही जाती थी घर से..और केशव घर पर सोता रहता था...वो 10 बजे उठता और करीब 12 बजे तक हॉस्पिटल पहुंचता था रोज...यही था दोनो का नियम पिछले एक महीने से...

काजल नीचे किचन मे अपने लिए चाय बना ही रही थी की बाहर का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई...उसने बाहर भी झाड़ू लगाया था इसलिए दरवाजा खुला ही रह गया था..वो किचन से निकल कर जब तक बाहर निकली तो उसने देखा की सारिका जल्दी से अंदर घुसी और उसने दरवाजा अंदर से बंद किया और हिरनी की तरह छलाँगें लगाती हुई वो उपर केशव के कमरे की तरफ चल दी..

उसने एक टी शर्ट और स्कर्ट पहनी हुई थी , जिसमे वो बड़ी सेक्सी लग रही थी

काजल के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान तैर गयी...सारिका को शायद नही पता था की आज काजल घर पर ही है...और शायद उसके ऑफीस चले जाने के बाद पीछे से घर पर आना उसका रोज का नियम था...


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काजल ने सोचा 'अच्छा, तो ये कारण है केशव के रोज इतनी लेट हॉस्पिटल पहुंचने का, सारिका कभी मेरे सामने तो घर पर आ नहीं सकती , इसलिए मेरे ऑफिस जाने के बाद के टाइम पर ही आई है ,अब मज़ा आएगा...उपर का सीन देखने लायक होगा'

उसने जल्दी से गैस को बंद किया और दबे पाँव उपर चल दी..

अपनी पुरानी सहेली और अपने प्यारे भाई को रंगे हाथों पकड़ने.


सारिका भागती हुई सी केशव के रूम मे पहुँची..वो चादर तान कर सो रहा था..

सारिका : "गुड मॉर्निंग जानू...देखो मैं आ गयी...''

पर वो जाग रहा होता तो जवाब देता न...रात को वो ना जाने कितनी देर तक अपनी बहन और जुए के बारे मे सोचता रहा था..

सारिका : "अब ये नाटक छोड़ो...मुझे पता है तुम जाग रहे हो...नीचे का दरवाजा तुमने मेरे लिए ही खोलकर रखा था ना आज...''

पर फिर भी कोई जवाब नही मिला..

सारिका आगे बड़ी और उसने एक ही झटके मे केशव की चादर खींच कर अलग कर दी..

और जो उसने सामने देखा , उसे अपनी आँखो पर विश्वास नही हुआ..

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केशव मादरजात नंगा होकर सो रहा था...और उसका 9 इंच का लंड पूरा खड़ा होकर हुंकार रहा था..अब ये मॉर्निंग इरेक्शन था या फिर वो कोई सपना देखा रहा था, ये अलग बात थी.

पर सारिका की आँखो मे एक अजीब सी चमक आ गयी..वो तो वैसे भी उसके लंड की दीवानी थी और अभी भी चुदवाने के लिए ही आई थी..उसने केशव को ऐसी गहरी नींद मे सोते हुए आज तक नही देखा था..और ना ही कभी नंगा सोते हुए..वो हमेशा शॉर्ट्स और टी शर्ट पहन कर ही सोता था..

पर उसे क्या पता की कल रात को क्या-2 हुआ केशव के साथ...और अपनी बहन काजल के बारे मे सोचकर मूठ मारने के बाद उसने कपड़े पहनने की जहमत भी नही उठाई और ऐसे ही सो गया..ये भी बिना सोचे समझे की सुबह किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा..

सारिका के होंठ सूख गये उसके लंड को देखकर..पर नीचे के होंठ गीले हो गये..उसका एक हाथ अपनी चूत पर चला गया...और दूसरे से वो अपनी ब्रेस्ट को मसलने लगी...और धीरे-2 चलती हुई वो केशव के पलंग पर बैठ गयी..

इसी बीच काजल भी उपर आ चुकी थी...और दरवाजे के बाहर छुपकर वो उनकी रासलीला देख रही थी.

पर जब उसने अंदर देखा तो उसके होश ही उड़ गये...उसका भाई पलंग पर नंगा लेटा हुआ था..यानी सो रहा था...और उसका लंड बिल्कुल उपर की तरफ मुँह करके हुंकार रहा था...ये काजल की जिंदगी का पहला लंड था जो उसने अपनी आँखो से देखा था...और वो भी अपने खुद के भाई का...उसकी भी हालत सारिका जैसी हो गयी...उपर के होंठ सूख गये और नीचे के गीले हो गये.
सारिका तो निश्चिंत थी की उन दोनो के अलावा कोई भी घर पर नही है...और किसी और के एकदम से आने की भी आशा नही है..क्योंकि दरवाजा वो खुद बंद करके आई है.

काजल ने देखा की सारिका के होंठ थरथरा रहे हैं...जैसे वो केशव के लंड को अपने मुँह मे लेकर चूसना चाहती हो...वो बाहर खड़ी होकर खुद इतनी उत्तेजित हो रही थी, अंदर खड़ी हुई सारिका का पता नही क्या हाल हो रहा होगा..

अचानक काजल ने देखा की अपने दोनो हाथ उपर करके सारिका ने अपनी टी शर्ट को उतार कर नीचे फेंक दिया...नीचे उसने एक सेक्सी सी ब्रा पहनी हुई थी...जिसमे उसके 32 साइज़ के बूब्स क़ैद थे...फिर काजल के देखते ही देखते सारिका ने अपनी स्कर्ट भी उतार दी...

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और अब वो उसके भाई के कमरे मे सिर्फ़ ब्रा-पेंटी मे खड़ी थी..पेंटी की हालत देखकर काजल समझ गयी की वो कितनी ज़्यादा उत्तेजित है...क्योंकि वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.

आज पहली बार काजल ने अपनी सहेली को ऐसी हालत मे देखा था...कपड़ो में तो वो साधारण सी ही लगती थी...पर अब उसका कसा हुआ बदन किसी लिंगरी मॉडेल से कम नही लग रहा था...बिल्कुल सही आकार के बूब्स थे उसके...सपाट पेट और भरी हुई सी गांड ...

वो उसकी सुंदरता का अवलोकन कर ही रही थी की सारिका ने एक और दुसाहसी कदम उठाते हुए पहले अपनी पेंटी और फिर ब्रा भी खोल कर नीचे गिरा दी.


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.और अब वो पूरी नंगी होकर खड़ी थी उस छोटे से कमरे मे...जहाँ उसका भाई गहरी नींद मे सोया हुआ था..
काजल समझ गयी की अब ये क्या करने वाली है...वैसे भी कल रात को ही केशव ने बता दिया था की वो उसके साथ फकिंग कर चुका है...इसलिए उसे अभी चुदाई के लिए तैयार होते देखकर काजल को ज़्यादा आष्चर्य नही हुआ.
सारिका ने अपना हाथ अपनी चूत पर रगड़ा और ढेर सारा शहद निकाल कर केशव के लंड पर मल दिया...और फिर अपना मुँह नीचे करके उसने उस शहद से डूबे भुट्टे को अपने मुँह मे लिया
और ज़ोर-2 से चूसने लगी...




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केशव का शरीर कुछ देर के लिए कसमसाया...पर शायद गहरी नींद में था वो..इसलिए कुछ और नही किया...पर उसका सिर इधर-उधर होने लगा था...क्योंकि नींद मे ही सही, उसे ये एहसास हो रहा था की उसका लंड चूसा जा रहा है...



फिर सारिका ने एक मिनट तक चूसने के बाद उसे बाहर निकाला और केशव के पलंग पर चढ़ गयी ..उसके दोनों तरफ टांगे करते हुए उसने उसके लंड को ठीक अपनी चूत के उपर रखा और धप्प से उपर बैठ गयी..
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'अहह....... उम्म्म्मममममममममम ............ ओह .... केशव .............. ''

और अपने लंड पर दबाव का एहसास और सारिका की चीख सुनकर केशव की नींद एकदम से खुल गयी..और सोते हुए वो ये सपना देखा रहा था की उसका लंड काजल चूस रही है..और चुदाई भी वो करवा रही है...इसलिए आँखे खुलने से पहले उसके मुँह से एक उत्तेजना से भारी आवाज़ निकली : "ओह ..... काजल ..........''

और फिर जब उसने आँखे खोलकर देखा की असल मे उसके उपर सारिका है तो उसके तो जैसे होश ही उड़ गये...

केशव : " ये...ये क्या ..... सारिका ...... तू ....यहाँ ....और ये क्या है ..... श तेरी ......''

और सारिका उसे शक भारी नज़रों से देखते हुए ,गुस्से मे भरकर बोली : "क्या बोला तू अभी....काजल बोला था न ...''

तब तक केशव की नज़र बाहर छुपकर उनकी चुदाई देख रही काजल पर जा चुकी थी..और उसे समझते देर नही लगी की असल मे हो क्या रहा है वहाँ...
वो एकदम से बोला : "अरी बेवकूफ़...अपने पीछे देख...काजल दीदी खड़ी है..उन्हें देखकर बोला था मैं ''

और इतना कहते हुए उसने नीचे गिरी हुई चादर अपने और सारिका के नंगे जिस्म पर खींच ली..
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काजल भी समझ गयी की अब छुपने का कोई फायदा नही है...वो बाहर निकल कर अंदर आ गयी..

और सारिका की हालत तो ऐसी हो रही थी जैसे कोई चोर चोरी करते हुए पकड़ा गया हो...एक तो उसकी पुरानी सहेली , उपर से उससे बोलचाल बंद...और साथ ही वो उसके घर पर ही उसके भाई से चुदवाती हुई पकड़ी गयी..इससे ज़्यादा शरम की और क्या बात हो सकती है...

काजल के लिए ऐसे केशव के कमरे मे खड़े रहना थोड़ा अजीब सा था...कल रात को उनके बीच वो बात चीत न हुई होती तो शायद केशव के देख लेने के बाद वो भागकर नीचे चली जाती और बाद मे इस घटना के बारे मे कोई बात भी नही करती...पर अब दोनो के बीच हालात बदल चुके थे..

दूसरी तरफ केशव को भी ज़्यादा डर नही लगा...क्योंकि इतनी अंडरस्टैंडिंग तो हो ही चुकी थी उनमें कल रात , जब वो अपनी बहन को देखकर और उसकी बहन उसको देखकर और वैसी बाते करके कितने उत्तेजित हो रहे थे...

काजल : "तो ये सब होता है रोज मेरे जाने के बाद...''

सारिका ने अपना चेहरा चादर के अंदर छुपा लिया...बेचारी अपना मुँह तक नही दिखा पा रही थी अपनी पुरानी सहेली को..
काजल ने एकदम से हंसते हुए कहा : "इट्स ओके सारिका ..... ऐसे शरमाने की या डरने की कोई ज़रूरत नही है... मुझे केशव ने सब बता दिया है तुम दोनों के बारे में ...''

सारिका ने एकदम से अपना सिर चादर से बाहर निकाला...और केशव के चेहरे को घूरने लगी..

केशव : "अरे .... कल रात ही बात हुई थी तुम्हे लेकर...इसलिए बताना पड़ा...डोंट वरी ... दीदी से डरने की कोई बात नही है..''

काजल : "हाँ ...सारिका ....और मै किचन मे ही थी...जब तुम उपर आई...इसलिए मैने जब तक उपर आकर देखा की तुम क्या कर रही हो तो.....आधे से ज़्यादा मामला निपट चुका था....''

उसके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी..

उसकी बात सुनकर सारिका के साथ-2 केशव भी शरमा गया.
काजल : "अब जल्दी से बाकी का काम निपटा लो केशव ...और तैयार हो जाओ...हॉस्पिटल भी जाना है...में नीचे नाश्ता बना रही हू...''

इतना कहकर वो नीचे उतर गयी...उन दोनों को उसी हालत मे छोड़कर..

पर काजल ने नीचे उतरने के 5 मिनट बाद ही सारिका भी नीचे उतरी और काजल से बिना कुछ बोले बाहर निकल गयी.शायद उन्होंने काजल के घर पर रहते चुदाई के इरादे को त्याग दिया था

आधे घंटे बाद केशव भी तैयार होकर नीचे आ गया...और दोनो हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े..

रास्ते मे दोनो के बीच सारिका वाले मामले को लेकर कोई बात नही हुई...बस नॉर्मल बातें होती रही..और जुए के बारे में भी बातें हुई.

शाम तक दोनो अपनी माँ को डिसचार्ज करवाकर घर ले आए...और उन्होने संभलकर उन्हे उपर वाले कमरे मे भी पहुँचा दिया..डॉक्टर्स के परामर्श के अनुसार अब उन्हे अगले 5 दीनो तक वो इंजेक्शन लगना था..आज का वो लगवा कर ही आए थे....इसलिए 8 बजते-2 काजल ने खाना भी बना दिया और उन्हे खाना खिला कर सुला भी दिया..

केशव बाहर गया हुआ था...काजल नीचे ड्रॉयिंग रूम मे बैठकर टीवी देख रही थी की बाहर की बेल बजी..

उसने दरवाजा खोला तो बाहर केशव अपने 2 दोस्तों के साथ खड़ा था.

केशव : "आ जा भाई ....अपना ही घर समझ .... ''

और काजल को उनका परिचय करवाते हुए बोला : "दीदी ...ये मेरे दोस्त है .... ये बिल्लू, इसको तो आप जानती ही हो.... और ये है गन्नू ...मतलब गणेश ...''

दोनो ने काजल को नमस्ते की और अंदर आकर बैठ गये.

दोनो भाई बहन ने पहले से डिसाईड कर लिया था की कैसे वो योजना के अनुसार खेलने के लिए मैदान में उतरेगी..

सो अंदर आते ही केशव शुरू हो गया : "दीदी ....अब आपके कहने पर ही में आज घर पर आकर खेल रहा हू...थोड़ा बहुत शोर शराबा हुआ तो आप बुरा मत मानना ..''

काजल : "अब तेरी दीवाली के दिनों मे जुआ खेलने की जिद्द है तो में क्या कर सकती हू ... जब तूने खेलना ही है तो घर पर ही खेल ना... माँ की तबीयत खराब हुई तो में अकेली कहाँ भागूँगी .तू घर पर रहेगा तो मुझे तसल्ली रहेगी..''

ये सब बातें वो अपनी बनाई योजना के अनुसार कर रहे थे..

उसके बाद वो तीनों वहीं टेबल के चारो तरफ बैठ गये...और पत्ते बाँटने लगे..

काजल भी केशव के पास जाकर बैठ गयी और बोली : "अब मैने बोर तो होना नही है....में भी तुम्हारे पास बैठकर ये खेल देखूँगी..''

केशव कुछ बोल पता, इससे पहले ही बिल्लू बोल पड़ा : "हां ...हां ..काजल ..क्यों नही ...ज़रूर बैठो ....''

उसकी आँखो की चमक बता रही थी की वो काजल को ऐसे पत्तो के खेल मे इंटरस्ट लेते देखकर कितना खुश हो रहा था...अब उसकी खुशी के पीछे मंशा क्या थी,ये तो वो ही जाने, पर उसकी बात सुनकर काजल भी हँसती हुई सी केशव के साथ बैठ गयी..

और फिर शुरू हुआ..जुआ.
 
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Update 6

जो आगे चलकर कितना मजेदार और कामुक होने वाला था, ये उनमें से कोई भी नही जानता था.


काजल सोफे के साइड मे हाथ रखने वाली जगह पर बैठी थी...केशव के कंधे पर हाथ रखकर...उसके उपर झुकी हुई सी..केशव को उसकी गर्म साँसे अपने कान और चेहरे पर सॉफ महसूस हो रही थी..

केशव ने पत्ते बाँटे..और सभी ने बूट के 100 रुपय बीच मे रख दिए..

और उसके बाद सभी ने 2 बार ब्लाइंड भी चली 100-100 की..

सबसे पहले गणेश ने अपने पत्ते उठा कर देखे..और देखने के साथ ही उसने 200 की चाल चल दी.

चाल देखते ही बिल्लू ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे..पर देखने के साथ ही पैक भी कर दिया..

अब बारी थी केशव की

केशव ने मुड़कर काजल की तरफ देखा...उसने सिर हिला कर उसे इशारा किया और अगले ही पल केशव ने फिर से ब्लाइंड चल दी
गणेश बोला : "ओहो ..... इतना कॉन्फिडेन्स ....आज क्या हो गया तुझे...''

और हंसते हुए उसने फिर से 400 की चाल चल दी...डबल करते हुए.

अब तो केशव को भी डर सा लगने लगा..उसने अपने पत्ते उठा कर देखे...एक-2 करते हुए..

पहला पत्ता था इक्का..

दूसरा निकला बादशाह...

केशव का दिल ज़ोर-2 से धड़कने लगा...वो सोचने लगा की अगला पत्ता कोई भी आ जाए...बेगम आए तो सबसे बढ़िया ...वरना..एक और इक्का...या एक और बादशाह ...कलर तो बन नही सकता था...क्योंकि अभी तक के दोनो पत्ते अलग-2 थे..

उसने भगवान का नाम लेते हुए तीसरा पत्ता भी देखा...

वो गुलाम निकला..

शिट यार....ऐसा कैसे हो सकता है...शायद...मैं खेल रहा हू इसलिए...काजल खेलेगी तो उसके पास पत्ते आएँगे ना अच्छे ...मैं बेकार में ही इतना आगे खेल गया..पर फिर भी,शो माँगने लायक तो थे ही उसके पत्ते..

और उसने 400 बीच मे फेंक कर शो माँग लिया..

गणेश ने अपने पत्ते सामने फेंक दिए..उसके पास पान का कलर था..

केशव ने अपने पत्ते नीचे पटक दिए..

गणेश ने हंसते हुए सारे पैसे उठा लिए..

काजल ने झुक कर गणेश के पत्ते उठा कर देखे..शायद वो ये देखने की कोशिश कर रही थी की कही बीच मे पान के अलावा कोई दूसरा लाल रंग ना हो...

पर इतना ही समय काफ़ी था, गणेश की तीखी नज़रों ने उसके गले की गहराई नाप ली...
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उसकी ब्लेक ब्रा मे कसे हुए उसके दोनो मुम्मे किसी टेनिस बॉल्स की तरह अपने जाल मे फँसे हुए दिख गये उसे...उसने गहरी मुस्कान के साथ बिल्लू की तरफ देखा...वो भी शायद उस गहराई को देख चुका था...दोनों के चेहरों पर कुटिलता से भरी हँसी आ गयी..और आँखो ही आँखो मे उन्होने काजल की जवानी से भरी छातियों का गुणगान कर दिया..

अगली गेम शुरू हुई...इस बार दो ब्लाइंड चलने के बाद बिल्लू ने पत्ते देखे और पेक कर दिया..दो और ब्लाइंड चलने के बाद केशव ने पत्ते उठा लिए...वो अभी के लिए ज़्यादा रिस्क नही लेना चाहता था...पर उसके पास बड़े ही बेकार पत्ते आए...7, 3, 5.

उसने बिना शो माँगे ही पैक कर दिया...

गणेश ने फिर से हंसते हुए सारे पैसे उठा लिए.

केशव : "आज तो लगता है इसी का दिन है...दो गेम में ही डेड -दो हज़ार जीत गया...''

गणेश : "केशव भाई, ये तो वक़्त-2 की बात है...कल तुम्हारा दिन था...आज मेरा दिन है...और वैसे भी, अभी तो खेल शुरू हुआ है...शायद तुम जीत जाओ आगे चलकर...''

केशव ने मन मे सोचा 'वो तो होना ही है...एक बार काजल को आने दो बीच मे..फिर देखना, तुम्हारी जेब कैसे खाली करवाता हूँ मैं...''

अगला खेल शुरू हुआ..तभी केशव बोला : "मैं ज़रा बाथरूम होकर आता हू...तुम मेरे पत्ते काजल को बाँट दो...तब तक ये खेल लेगी...''

इसमे भला उन दोनो को क्या परेशानी हो सकती थी..उनके तो चेहरे और भी ज़्यादा चमक उठे..

केशव उठकर उपर चला गया..

काजल सोफे पर बैठी..उसका दिल अब जोरो से धड़क रहा था..गणेश ने गड्डी को काजल की तरफ बढ़ाया .ताकि वो उसे काट सके..जैसे ही काजल ने गड्डी पर हाथ रखा, गणेश ने उसके हाथ के उपर अपना हाथ रखकर उसे दबोच लिया..

गणेश : "अर्रे...अर्रे ....ऐसे नही....इतने पत्ते मत निकालो...थोड़ा आराम से...आधे से कम काटो...आराम से...''

और ये सब कहते-2 वो काजल के नर्म और मुलायम हाथ को अपने कठोर हाथों से सहला भी रहा था..

काजल भी उसके ऐसे स्पर्श के महसूस करके कसमसा उठी..उसके शरीर के रोँये खड़े हो गये...क्योंकि आज तक उसे किसी ने इस तरह से छुआ नही था..कल अपने भाई का स्पर्श और अब इस गणेश का...दो दिन मे दो मर्दों के शरीर ने उसे छुआ था..ये एक कुँवारी लड़की के लिए एक शॉक से कम नही होता..
काजल ने थोड़े से ही पत्ते उठाए और ताश को काट कर नीचे रख दिया.गणेश ने पत्ते बाँटे.

बूट के बाद सभी ने 3-3 बार ब्लाइंड चली..काजल वैसे तो निश्चिन्त ही थी, क्योंकि उसे पता था की उसके पत्ते अच्छे ही निकलेंगे..पर एक डर भी लग रहा था..की कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए..
और ऐसा सोचते-2 उसने एकदम से अपने पत्ते उठा लिए...उन्हे देखकर उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था...एक बादशाह था...दूसरी बेगम....और तीसरा दस.

केशव ने तो कहा था की उसके पत्ते हमेशा चाल चलने लायक होते हैं...उसने गेम समझ तो ली थी..पर अभी तक सही से वो अपने दिमाग़ मे बिठा नही पाई थी..पर फिर भी केशव की बात को याद करते हुए उसने चाल चल दी ..

बिल्लू तो काजल के हुस्न का दीदार करने मे मस्त था...वो उसकी छातियों को टकटकी लगाकर देखे जा रहा था..और उसका साइज़ क्या होगा ये सोचने मे मग्न था...उसके निप्पल किस पॉइंट पर होंगे, वो उसकी रूपरेखा बना रहा था...ब्रा तो वो देख ही चुका था उसकी, ब्लैक कलर की..अगर वो ब्रा में ही बैठकर खेले तो कितना मज़ा मिलेगा..

और बिल्लू को अपनी तरफ ऐसे देखते देखकर काजल का दिल भी हिचकोले खा रहा था...और उसके दोनो निप्पल एकदम से सख़्त होकर सूट के कपड़े मे उभर आए..
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और बिल्लू का अंदाज़ा बिल्कुल सही निकला, उसने जिस जगह पर सोचा था, वहीं पर उसे हल्के-2 निप्पल्स उभरते हुए दिख गये..वो अपनी क़ाबलियत पर खुश हो गया.

पर काजल को चाल चलते देखकर उसने एकदम से अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का और दो छोटे पत्ते थे...चाल चलने या शो माँगने का सवाल नही था, क्योंकि गणेश ने अभी तक अपने पत्ते देखे भी नही थे..

बिल्लू ने पेक कर दिया.

अब गणेश की बारी थी....उसने अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का, बादशाह और दुग्गी थी...उसका एक मन तो हुआ की पेक कर दे...क्योंकि सामने से चाल आ चुकी थी...पर वो इतने पैसे जीत चुका था अभी तक की शो माँगकर भी वो ही फायदे में ही रहता...और वैसे भी वो देखना चाहता था की काजल के पत्ते कैसे हैं...उसे खेलना भी आता है या नही..

और उसने 400 बीच मे फेंक कर शो माँग लिया..
और काजल के पत्ते देखकर वो ज़ोर-2 से हँसने लगा..और सारे पैसे बीच मे से उठा कर अपनी तरफ कर लिए...बिल्लू भी काजल के पत्ते देखकर मुस्कुरा दिया और बोला : "अभी तुम्हे सही से खेलना आता नही है काजल...या फिर तुम ब्लफ खेल रही थी...''

तब तक उपर से केशव भी आ गया...उसने भी बीच मे पड़े काजल और गणेश के पत्ते देखे...उसे तो विश्वास ही नही हो रहा था की काजल अपनी पहली ही गेम में हार गयी...उसने तो क्या-2 सोचा हुआ था..पर ऐसे काजल को हारता हुआ देखकर उसे अपनी सारी प्लानिंग फैल सी होती दिख रही थी..

केशव : "अरे नही....ब्लूफ भला ये क्या जाने...हम दोनो बस घर बैठकर थोड़ा बहुत खेल लेते हैं, बस वही आता है इसे...चलो, एक बार और बाँटो पत्ते...देखते हैं की इसकी कैसी किस्मत है ...''

काजल के साथ एक बार और खेलने की बात सुनकर बिल्लू और गणेश मुस्कुरा दिए...पर काजल ने धीरे से केशव के कान मे कहा : "नही केशव...तुम ही खेलो...मुझे नही लगता की मैं कल की तरह जीत पाऊँगी ..वो शायद कोई इत्तेफ़ाक था...ऐसे ही बेकार मे अपने पैसे मत बर्बाद करो...''

केशव फुसफुसाया : "नही दीदी....एक और गेम खेलो...शायद इस बार अच्छे पत्ते आ जाए..प्लीज़ ...मेरे कहने पर...''

और केशव के ज़ोर देने पर काजल फिर से खेलने लगी.

उसके निप्पल का साइज़ और भी ज़्यादा बड़ चुका था...शायद परेशानी में भी लड़कियो के निप्पल खड़े हो जाते हैं, जैसे उत्तेजना के वक़्त होते हैं...

वो दोनो हरामी तो उसकी छातियों पर लगे छोटे-2 बल्ब देखकर अपने लंड सहला रहे थे...केशव का ध्यान इस बात पर नही था अभी...उसे तो चिंता सता रही थी की अगली गेम वो जीतेगा या नही..

पत्ते फिर से बाँटे गये...बूट के बाद 2-2 बार ब्लाइंड भी चली गयी...बिल्लू ने फिर से अपने पत्ते उठाए...और पहली बार वो अपने पत्ते देखकर खुश हुआ...और उसने 200 की चाल चल दी..

बिल्लू के बाद गणेश ने भी अपने पत्ते देखे और चाल चल दी..

केशव ने काजल को भी अपने पत्ते उठाने के लिए कहा..

काजल ने काँपते हाथों से एक-2 करके अपने पत्ते उठाए..

पहला 7 नंबर था..

दूसरा पत्ता 9 नंबर था...और अभी तक के दोनो पत्ते हुक्म के थे..

केशव मन ही मन खुश हो रहा था...उसे तो जैसे पूरा विश्वास था की इस बार या तो 8 आएगा, जिसकी वजह से 7,8,9 का सीक़वेंस बन जाएगा...या फिर एक और हुक्म का पत्ता आएगा जिसकी वजह से कलर बन सकेगा...अगर दोनो मे से कुछ भी नही आया तो पेयर बनाने के लिए 7 या 9 में से कुछ भी आ जाएगा..

पर जैसे ही काजल का तीसरा पत्ता देखा, उसका दिल धक से रह गया..वो ईंट का 4 था..
ये तो हद ही हो गयी...ऐसे बेकार पत्ते तो उसके पास भी नही आते थे...और ये अब काजल के पास आ रहे हैं...ऐसा कैसे हो सकता है...क्यों कल की तरह काजल के पास अच्छे पत्ते नही आ रहे...क्यों वो हार रही है...

उसने अपने दाँत पीस लिए और काजल को पेक करने के लिए कहा..

काजल ने पत्ते फेंक दिए..और केशव से धीरे से बोली : "मैने कहा था ना...कल शायद कोई इत्तेफ़ाक था...तुम बेकार मे मुझसे खिलवा रहे हो और हार भी रहे हो...''

और इतना कहकर वो भागती हुई सी किचन मे चली गयी...ये कहकर की चाय बना कर लाती हूँ सबके लिए..

केशव कुछ नही बोल पाया..

इसी बीच बिल्लू और गणेश चाल पर चाल चल रहे थे...दोनो ही झुकने को तैयार नही थे...केशव भी समझ गया की दोनो के पास अच्छे पत्ते आए होंगे...

बीच मे लगभग 8 हज़ार रुपय इकट्ठे हो चुके थे...आख़िर मे जाकर गणेश ने शो माँगा..बिल्लू ने अपने पत्ते दिखाए...उसके पास सीक़वेंस आया था..5,6,7

और बिल्लू के पास कलर था, ईंट का..उसने अपना माथा पीट लिया...वो जीते हुए पैसो के अलावा अपनी जेब से भी 3 हज़ार हार चुका था..

बिल्लू ने हंसते हुए सारे पैसे समेत लिए..

बिल्लू : "हा हा हा ...सो सुनार की और एक लोहार की ...''

केशव बोला : "मैं ज़रा काजल को देखकर आता हू, उसे शायद लग रहा है की उसकी वजह से मैं हार गया...''

बिल्लू : "हाँ भाई...जाओ ...मना कर लाओ उसको ...ऐसे दिल छोटा नही करते....मैं भी तो इतनी गेम हारने के बाद जीता हूँ ..वो भी जीतेगी..जाओ बुला लाओ उसको...तब तक हम इंतजार करते है...''

केशव भागकर किचन मे गया...काजल रुंआसी सी होकर चाय बना रही थी..

केशव : "क्या दीदी...आप भी ना....ऐसे अपना मूड मत खराब करो...''

काजल एक दम से रो पड़ी और केशव से लिपट गयी : "मैने कहा था ना, मुझसे नही होगा ये...तुमने बेकार मे अपने इतने पैसे बर्बाद किए मेरी वजह से...ऐसे ही चलता रहा तो कल वाले सारे पैसे हार जाओगे...माँ का इलाज कैसे करवाएँगे...''

केशव उसकी पीठ सहलाता हुआ बोला : "ऐसा मत सोचो दीदी ....चलो चुप हो जाओ...कोई ना कोई बात तो ज़रूर है...मेरा अंदाज़ा खाली नही जाता ऐसे
 

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और फिर कुछ देर चुप रहकर वो बोला : "दीदी...ये टोटके बाजी वाला खेल होता है...अगर तुम जीत रहे हो तो तुमने क्या पहना था ये याद रखो..किस सीट पर बैठे थे वो याद रखो....''

काजल : "मतलब ??"

केशव : "मतलब ये की तुम शायद उन्ही चीज़ो की वजह से जीत रही थी जो उस वक़्त वहाँ मोजूद थी...जैसे तुम्हारे कपड़े...तुमने कल रात को अपना नाइट सूट पहना हुआ था..वही पहन कर आओ...शायद उसकी वजह से तुम जीत रही थी कल...''

काजल : "तू पागल हो गया है...तेरे सामने अलग बात थी..पर इन दोनो के सामने मैं नाइट सूट क्यो पहनू ....नही मैं नही पहनने वाली....मुझसे नही होगा..''

अब भला वो अपने भाई से क्या बोलती की वो नाइट सूट क्यो नही पहनना चाहती..उसका गला इतना चोडा है की उसकी क्लीवेज साफ दिखाई देती है उसमे...और उसकी कसी हुई जांघों की बनावट भी उभरकर आती है उसमे क्योंकि उसका पायज़ामा काफ़ी टाइट है...

केशव : "दीदी ...आप समझने की कोशिश करो...मैने कहा ना, इनसे घबराने की ज़रूरत नही है...इन्हे भी अपना भाई समझो...जाओ जल्दी से पहन कर आओ...मैं चाय लेकर जाता हुआ अंदर...''
और काजल की बात सुने बिना ही वो चाय लेकर अंदर आ गया...बेचारी काजल बुरी तरह से फँस चुकी थी...वो बड़बड़ाती हुई सी उपर अपने कमरे मे चल दी...अपना नाइट सूट पहनने...

अगली गेम से पहले सभी चाय पीने लगे...बिल्लू ने पत्ते बाँटने के लिए गड्डी उठाई ही थी की केशव बोला : "रूको ...काजल को भी आने दो...वो बेचारी समझ रही है की उसकी वजह से मैं हार गया...एक-दो गेम और खेलने दो बेचारी को...शायद जीत जाए...वरना रोती रहेगी की उसकी वजह से मैं हार गया.."

उन दोनो को भला क्या परेशानी हो सकती थी...वो तो खुद काजल के हुस्न को देखते हुए खेलना चाहते थे...

गणेश बोला : "पर काजल आएगी कब ?"

तभी उसके पीछे से आवाज़ आई : "आ गयी मैं ...''

और सभी की नज़रें काजल की तरफ घूम गयी...और उसे उसकी नाइट ड्रेस मे देखकर सभी की आँखे फटी रह गयी..
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छोटी सी टाइट टी शर्ट और टाइट पायज़ामे में वो सेक्स बॉम्ब जैसी लग रही थी...

वो दोनो तो आँखो ही आँखो मे उसे चोदने लगे...

और केशव अगली गेम में जीतने वाले पैसों के बारे मे सोचने लगा..


अब तो केशव को पूरा भरोसा था की अगली गेम काजल ही जीतेगी..उसने काजल को अपनी सीट पर बिठाया और बोला : "चलो ....अब आप खेलो दीदी .....देखना , इस बार आप जीतकर रहोगी...''

बैठने के साथ ही उसकी दोनो बॉल्स झटके से उपर नीचे हुई...और उसकी क्लिवेज और भी ज़्यादा उभरकर बाहर आ गयी..
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केशव की नज़रें तो पत्तो पर थी पर बिल्लू और गणेश के मुँह से तो पानी ही टपकने लगा बाहर...उन्होने अपनी जीभ को होंठों पर फेर कर सारा रस निगल लिया..

अगली गेम शुरू हो गयी
सबने बूट के बाद 3-3 ब्लाइंड भी चल दी..

अगली ब्लाइंड की बारी काजल की थी...केशव ने 100 के बदले सीधा 500 की ब्लाइंड चल दी..

हैरान होते हुए बिल्लू ने भी 500 की ब्लाइंड चल दी..

पर गणेश इस बार डर सा गया...उसने अपने पत्ते उठा कर देखे...10 नंबर था उसका सबसे बड़ा...उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए पॅक कर दिया.

केशव ने फिर से 500 की ब्लाइंड चली..अब तो बिल्लू ने भी अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास सबसे बड़ा पत्ता बादशाह था...उसने रिस्क लेना सही नही समझा और पेक कर दिया..

उसके पेक करते ही केशव खुशी से चिल्ला उठा : "देखा काजल, मैने कहा था...आप जीत गयी...''

पैसे भले ही ज़्यादा नही आए थे...पर पहली जीत थी वो काजल की, दोनों मन ही मन खुश हो गए की उनका टोटका काम कर गया

अब तो काजल भी केशव की कपड़े बदलने वाली बात को सही मान रही थी, उसने कल भी यही कपड़े पहने थे और जीत रही थी...और अभी से पहले दूसरे कपड़े मे वो हार रही थी, पर कल वाले कपड़े पहनते ही वो फिर से जीत गयी...

केशव ने बीच मे रखे सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए..

और साथ ही साथ सारे पत्ते भी उठा कर वापिस गड्डी में लगा दिए..अभी तक किसी ने भी काजल के पत्ते देखे नही क्योंकि सामने से शो ही नही माँगा गया था..

केशव ने काजल के पत्ते उठाए और गड्डी में डालने से पहले उन्हे देखा.

वो थे 2,5, 7

इतने छोटे पत्ते और वो भी बिना कलर के...उसने उपर वाले का शुक्र मनाया की सामने से किसी ने शो नही माँगा , वरना ये गेम भी वो हार जाते...क्योंकि उसे पूरा विश्वास था की दोनो में से किसी ना किसी के पत्ते तो उससे बड़े ही होते...
पर ऐसा क्यों हुआ....वो तो समझ रहा था की काजल के कपड़े बदल लेने के बाद वो जीतेगा ...पर उसका ये टोटका काम क्यो नही आया...ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था .

उसने मन ही मन कुछ सोच लिया और अगली गेम शुरू हुई.

और पत्ते बाँटने के बाद 2-2 ब्लाइंड चली गयी , पर इस बार केशव ने तीसरी ब्लाइंड चलने से पहले ही काजल के पत्ते उठा कर देख लिए.

काजल के पास थे 9,गुलाम और बादशाह

वो भी बिना कलर के..

पर फिर भी उसने रिस्क लेते हुए 200 की चाल चल दी.

गणेश : "क्या हुआ केशव...पिछली बार तो 500 की ब्लाइंड चल रहा था...और अब जीतने के बाद 100 से आगे ही नही बड़ा...सीधा चाल चल दी...''

केशव कुछ नही बोला...वो तो अपनी केल्कुलेशन मे लगा हुआ था.

पर चाल बीच मे आ चुकी थी, इसलिए गणेश ने अपने पत्ते उठा कर देखे...और देखने के साथ ही चाल चल दी.

बिल्लू ने अपने पत्ते देखे और उसने भी मंद-2 मुस्कुराते हुए चाल चल दी.

केशव ने तो ब्लफ खेला था..उसके पास वैसे भी चाल चलने लायक पत्ते नही थे...उसने फ़ौरन पेक कर दिया..

अब खेल शुरू हुआ बिल्लू और गणेश के बीच...दोनो चाल पर चाल चल रहे थे...और आख़िर मे जब बीच मे लगभग 6 हज़ार रुपय इकट्ठे हो गये तो बिल्लू ने शो माँग लिया...

गणेश ने अपने पत्ते सामने फेंके..

वो थे 3,4,5 की सीक़वेंस..

उसे देखते ही बिल्लू ठहाका लगाकर हंस दिया...उसने अपने पत्ते सामने फेंक दिए

उसके पास थे 9,10,11 की सीक़वेंस.
 

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Update 8

वो जैसे ही सारे पैसे अपनी तरफ करने लगा, गणेश ने रोक दिया और बोला : "मेरे पत्ते दोबारा देख भाई...इतना खुश मत हो अभी...''

बिल्लू और केशव ने फिर से गणेश के पत्तो की तरफ देखा..वो थे तो 3,4,5 पर साथ ही साथ वो कलर मे भी थे...लाल पान का कलर..यानी प्योर सीक़वेंस.

बिल्लू बुदबुदाया : "साला...हरामी...आज तो इसकी किस्मत अच्छी है..''

और अब ठहाका लगाने की बारी गणेश की थी...उसने सारे पैसे बीच में से अपनी तरफ खिसका लिए.

अगली गेम शुरू होने को ही थी की केशव बोल पड़ा : "यार...अभी और रहने देते हैं...माँ को दवाई भी देनी है और उन्हे इंजेक्शन भी लगाना है...बाकी कल खेलेंगे..''

काजल बोलने ही वाली थी की दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हैं...पर केशव ने उसे इशारे से चुप करवा दिया.

अब वो दोनो भी क्या बोल सकते थे...मन मसोस कर दोनो वहाँ से चले गये.अगले दिन आने का वादा करके

उनके जाते ही काजल बोली : "तुमने ऐसा क्यो बोला...माँ को दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हो..और हम एक गेम भी तो जीत ही चुके थे..''

केशव : "दीदी...वो गेम जो हमने जीती थी, उसमे पत्ते बड़े ही बेकार आए थे...वो तो शुक्र है की उन दोनो ने भी पेक कर दिया, वरना वो गेम भी हम हार जाते...''

काजल : "पर तुमने तो कहा था की कल वाले कपड़े पहन कर आओ, तो जीत जाएँगे...मैने तो पहले ही कहा था की ये सब तुक्का था...कल और बात थी...आज खेलने में सब सामने आ गया...''

केशव उसकी बाते सुनता रहा...और कुछ देर चुप रहने के बाद बोला : "दीदी .... वो .....आपने ये कल वाले ही कपड़े पहने है ना..''
काजल : "हाँ ....ये वही है....''

केशव (झिझकते हुए) : "और अंदर....''

उसकी आवाज़ बड़ी ही मुश्किल से निकली उसके मुँह से....नज़रें ज़मीन पर थी उसकी.

काजल : "अंदर...? मतलब ....''

पर अगले ही पल उसका मतलब समझ कर वो झेंप सी गयी...केशव उसके अंडरगारमेंट्स के बारे मे पूछ रहा था..

काजल ने अपने दिमाग़ पर ज़ोर दिया , उसने अभी ब्लेक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी ...पर कल....कल तो केशव के साथ खेलते हुए उसने अंदर कुछ भी नही पहना था..

अब ये बात वो केशव को कैसे बोलती..पर शायद ये वजह भी हो सकती है उसके हारने की..शायद कल वो बिना अंडरगारमेंट्स के थी, इसलिए जीत रही थी...

काजल : "तुम्हारे टोटके के हिसाब से क्या कल वाले कपड़े सेम तो सेम वही होने चाहिए...तभी मैं जीतूँगी क्या ??''

केशव ने हाँ में सिर हिला दिया.

काजल : "चलो...वो भी देख लेते हैं ....तुम यही बैठो...मैं अभी आई...''

और इतना कहकर वो भागकर उपर अपने कमरे मे चली गयी..

अब केशव उसे क्या बोलता, वो तो अच्छी तरह जानता था की कल काजल ने अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था...उसके खड़े हुए निप्पल उसे अभी तक याद थे...आज तो उसने ब्रा पहनी हुई थी...उसकी बगल मे बैठकर वो ये तो अच्छी तरह से देख चुका था...पर उस वक़्त उसके मन मे ये बात नही आई थी..पर लास्ट गेम जो उसने जीती थी, उसके बाद उसके दिमाग़ मे वो बात कोंधी थी..पर उनके सामने ये कैसे बोलता, इसलिए आज के लिए अपने दोस्तों को भगा दिया था उसने...और उनके जाने के बाद बड़ी ही मुश्किल से उसने काजल को ये बोला...अपनी बड़ी बहन को उसके अंडरगारमेंट्स के लिए बोलना आज केशव के लिए बड़ा मुश्किल था...पर अपनी तसल्ली के लिए वो ये देख लेना चाहता था की जो वो सोच रहा है वो सही है तो शायद कल वाली गेम में वो जीत जाएँ.

तभी उपर से काजल वापिस नीचे आती हुई दिखाई दी केशव को...और उसकी नज़रें सीधा उसकी ब्रेस्ट वाली जगह पर जा चिपकी...और उसकी आशा के अनुरूप वहाँ ब्रा का नामोनिशान नही था ...उसकी गोल मटोल छातियाँ उस छोटी सी टी शर्ट मे अठखेलियाँ करती हुई उछल कूद मचा रही थी..
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और साथ ही साथ उसके खड़े हुए निप्पल उनकी सुंदरता मे चार चाँद लगा रहे थे..

काजल आकर केशव के सामने बैठ गयी,
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और बोली : "चलो...अब एक बार फिर से पत्ते बाँटो ...मैं भी देखना चाहती हू की तुम्हारी बात मे कितनी सच्चाई है..''

केशव ने बड़ी ही मुश्किल से अपना ध्यान उसकी छातियों और खड़े हुए निप्पल्स से हटाया..और पत्ते बाँटने लगा...पत्ते बाँटने के बाद उसने पहले अपने पत्ते उठा कर देखे, उसके पास 5 का पेयर आया था..यानी चाल चलने लायक थे वो..और फिर उसने काजल के पत्ते पलट कर देखे...

काजल के पास बादशाह का पेयर आया था.

केशव की आँखो मे चमक आ गयी, वो बोला : "देखा....मैने कहा था ना...''

काजल : "ये भी शायद इत्तेफ़ाक से आ गये हो...एक बार और बाँटो..''

केशव : "अब तो मुझे पूरा विश्वास है, जितनी बार भी बँटवा लो ये पत्ते, हर बार तुम ही जीतोगी कल की तरह..''

उसने फिर से पत्ते बाँटे...और इस बार भी काजल ही जीती...उसके पास चिड़ी का कलर आया था..

केशव ने गड्डी काजल को दी और उसे पत्ते बाँटने के लिए कहा...काजल ने पत्ते बाँटे और इस बार भी वही जीती...केशव के पास सबसे बड़ा पत्ता इक्का था...और काजल के पास इकके का पेयर..

अगली 4 गेम्स भी काजल ही जीती...केशव ने जगह बदल कर भी देखि..गड्डी को अच्छी तरह से फेंटकर भी पत्ते बांटे ..हर तरह से बदलाव करके देख लिया, पर वो काजल से हर बार हार ही रहा था...उसने चार जगह पत्ते बांटकर भी देखे,पर उसमे भी सिर्फ काजल के पत्ते बड़े निकले और हर बार हारने के बाद उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी आ जाती..

अंत मे केशव बोला : "देखा लिया ना दीदी...मेरी बात बिल्कुल सही निकली...आज जब आप कपड़े बदल कर आई तो उसी वक़्त अगर ब्रा -पेंटी उतार कर आ जाती तो शायद आज हम बहुत पैसे जीत जाते...''

यानी उसका भाई ये अच्छी तरह से नोट कर रहा था की कल उसने अंदर कुछ नही पहना हुआ था..अपने भाई के मुँह से सीधा अपनी ब्रा पेंटी का शब्द सुनकर उसका चेहरा शर्म से लाल सुर्ख हो उठा...
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और उसके चेहरे पर एक अलग ही तरह की मुस्कान आ गयी..पर वो कुछ बोली नही..

केशव समझ गया की शायद उसने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया है

केशव : "सॉरी दीदी....वो मुझे शायद ऐसे नही बोलना चाहिए था..''

और इतना कहकर वो अपनी जगह से उठा और लगभग भागता हुआ सा उपर अपने कमरे की तरफ चल दिया.ऐसे भागकर जाने की एक वजह और भी थी , काजल से इस तरह बात करते हुए वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसका लंड टेंट बना चुका था उसके पायजामे में.

वो सीधा अपने कमरे में गया और अपने बेड पर बैठकर पायजामे को नीचे किया और . लंड हाथ मे पकड़ कर ज़ोर से मसलने लगा...

''ओह....... दीदी .................क्या करते हो आप................अहह ....... क्या चीज़ हो यार..............''

और उसकी बंद आँखो के सामने उसकी बहन की नंगी छातियाँ घूम रही थी..

और वो ज़ोर-2 से अपने लंड को मसलते हुए मूठ मारने लगा.
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काजल कुछ देर तक वहीं बैठी रही और फिर उपर की तरफ चल दी...उसने अपनी माँ को देखा तो वो गहरी नींद में सो रही थी...वो निश्चिंत हो गयी...उसने अपना मोबाइल उठाया...आज वो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित थी...और अपने वी चेट और ऍफ़ बी फ्रेंड्स के साथ कुछ ख़ास करने के मूड में थी...वो अपनी माँ की बगल मे लेटने ही वाली थी की उसे केशव के कमरे से कोई आवाज़ आई..

उसने देखा की उसके कमरे की लाइट जल रही है..और शायद दरवाजा भी खुला है..

उसने गोर से सुना तो वो आवाज़ फिर से आई....और इस बार की आवाज़ सुनकर वो समझ गयी की वो क्या है...और अगले ही पल उसके होंठों पर एक शरारत भरी मुस्कान आ गयी...और वो बिल्ली की तरह दबे पाँव से अपने भाई के कमरे की तरफ चल दी
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एक अलग ही तरह का रोमांच महसूस कर रही थी काजल...उसके दिल की धड़कने उसे अपने कानों तक सुनाई दे रही थी..अंदर से तो वो पूरी नंगी पहले से ही थी..इसलिए उसके खड़े हुए निप्पल टी शर्ट से रगड़ खाकर उसमे ड्रिल करने लायक पैने हो चुके थे..

वो केशव के कमरे के बाहर जाकर खड़ी हो गयी...और उसने खुले हुए दरवाजे की झिर्री में से झाँककर अंदर देखा..

उसका भाई केशव नीचे से नंगा होकर लेटा था और अपनी आँखे बंद करके बड़ी ही तेज़ी से अपने लंड को रगड़ रहा था..
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ऐसा सेक्सी सीन तो उसने आज तक नही देखा था...और ना ही सोचा था..उसकी आँखे तो केशव के लंड के उपर जम कर रह गयी..वो आज सुबह भी उसके लंड को देख चुकी थी..जब वो सारिका की चुदाई करने जा रहा था..पर अभी वो सारिका को सोचकर मूठ मार रहा है या उसे सोचकर ये जानने की उत्सुकतता थी काजल के मन मे..

भले ही वो उसका सगा भाई था...पर अगर वो उसके बारे मे सोचकर मूठ मार रहा है तो उसे अंदर से अलग ही खुशी का एहसास होना था..शायद काजल को भी अपने भाई मे अब इंटरस्ट आने लगा था...भाई होने से पहले वो एक मर्द था...और वो भी बड़े लंड वाला..ऐसे लंड को देखकर ही काजल की टाँगो के बीच कुछ-2 हो रहा था..जब वो वहाँ जायेगा तो पता नही क्या होगा..

काजल ने अपनी जांघे भींच ली और अंदर देखने लगी...उसका एक हाथ उपर रेंगता हुआ आया और अपनी ब्रेस्ट को पकड़ कर धीरे-2 भींचने लगा.
वो लगातार ये भी सोच रही थी की ऐसे कब तक चलता रहेगा...उसके और केशव के बीच के बीच जो शर्म का परदा था वो तो गिर ही चुका है...कुछ और परदे गिराने बाकी हैं,पर वो छोटा है इसलिए अपनी तरफ से पहल करने मे शायद शरमा रहा है...और उसने खुद भी अपनी तरफ से कुछ ज़्यादा नही किया..एक लड़की होने के नाते इतनी अकल तो थी उसको...और उपर से दोनो का रिश्ता भी तो ऐसा था की कुछ भी करने से पहले सब कुछ सोचना पड़ रहा था..पर यहाँ कौन है उन्हे देखने वाला..सारी दुनिया सो रही है...उनकी माँ भी दूसरे कमरे मे खर्राटे मार रही है..ऐसे मे अगर थोड़ी बहुत मस्ती कर भी ले तो क्या बिगड़ेगा..
 

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और ये सब सोचते-2 उसने अचानक से ही दरवाजे को एक ही झटके मे खोल दिया..

और दरवाजा खुलने की आवाज़ से केशव ने अपनी आँखे एकदम से खोली और काजल को सामने खड़ा पाकर एकदम से उसने पास ही पड़ा तकिया उठाकर अपने लंड के ऊपर लगा लिया..

केशव : "दी ...दीदी ...आप .....ये दरवाजा ......शिट .....मैं समझा मैने बंद कर दिया ...
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वो नज़रें भी नही मिला पा रहा था काजल से..पर काजल तो जैसे सोच ही चुकी थी की अब ये बेकार की ड्रामेबाजी को बीच मे से निकाल देना चाहिए.

वो आगे आई और सीधा आकर केशव के साथ ही पलंग पर एक टाँग रखकर बैठ गयी..


काजल : "अरे कोई बात नही...ये तो सब करते हैं...मैं भी करती हू अपने कमरे मे...जब माँ सो जाती है...वो तो अभी जाग रही थी..इसलिए मैने सोचा कुछ देर इंतजार कर लेती हू...और फिर तुम्हारा दरवाजा खुला हुआ देखा तो यहाँ चली आई...पर तुम तो यहाँ पहले से ही... ही ही ही ..''

और वो शरारत भरी हँसी हँसने लगी..
और उसके व्यवहार से साफ़ पता चल रहा हा की केशव को ऐसी अवस्था मे देखने के बाद उसे कोई फ़र्क ही नही पड़ता...वो बिल्कुल नॉर्मल सा बिहेव कर रही थी.

एक टाँग मोड़कर बैठने की वजह से उसका घुटना केशव की नंगी जाँघ से टच कर रहा था..काजल का तो पता नही पर केशव के जिस्म मे जैसे कोई करंट प्रवाह कर रहा था.

उसे तो पहले लगा की एक ही दिन मे लगातार दूसरी बार अपनी बहन के हाथो ऐसे पकड़े जाने के बाद वो पता नही उससे कभी नज़रें भी मिला पाएगा या नही...पर काजल का दोस्ताना व्यवहार देखकर उसमे भी थोड़ी बहुत हिम्मत आ गयी.

केशव : "आई एम सॉरी दीदी...मुझे ये सब ...ऐसे नही करना चाहिए था...आज सुबह भी आपके सामने...''

काजल : "अरे मुझे बिल्कुल भी बुरा नही लगा तेरी इन बातों का...तेरी उम्र ही ऐसी है...हो जाता है ये सब...और सुबह वाली और अब वाली बात पर तो मुझे सॉरी बोलना चाहिए तुझे...दोनो बार ही मेरी वजह से तू बीच मे लटका रह गया..''

और ये कहकर वो अपने मुँह पर हाथ रखकर हँसने लगी..
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केशव भी उसे शरारत मे हंसते देखकर बोला : "हाँ , ये बात तो सही कही आपने...अब आप क्या जानो, हम लड़कों की ये कितनी बड़ी प्राब्लम है...जब तक अंदर से वो निकलता नही ,बड़ी टेंशन् सी फील होती है..''

काजल : "क्या नही निकलता ??"

केशव एकदम से झेंप सा गया...उसने बोल तो दिया था,पर काजल के सवाल का जवाब देने मे उसका चेहरा लाल हो उठा.
काजल ये देखकर फिर से हँसने लगी, और बोली : "तू तो एकदम लड़कियो की तरह से शरमाता है...सीधा बोल ना, माल जब तक अंदर से बाहर नही निकलता, परेशानी होती है.
अपनी बहन को ऐसे बेशार्मों की तरहा बोलता देखकर केशव का मुँह खुला रह गया

काजल : "ऐसे क्या देख रहा है तू...तुझे क्या लगा, मुझे ये सब नही पता...लगता है तुझे सारिका ने कुछ भी नही बताया...की हम दोनो के बीच कैसी-2 बातें होती थी पहले..''
केशव : "नही...उसके साथ ऐसी बातें करने का टाइम ही नही मिला कभी...
काजल (आँखे घुमाते हुए) : "हाँ , उसके साथ तो तुझे बस एक ही काम करने का टाइम मिलता होगा...और उसमे भी मैं बीच मे टपक पड़ती हू .. ही ही''

केशव भी हंस दिया..

काजल : "अच्छा एक बात तो बता...अभी भी तू उसके बारे मे सोचकर ही ये कर रहा था ना..''

अब मज़ा लेने की बारी केशव की थी.

केशव : "मैं ...मैं क्या कर रहा था अभी ?''

काजल : "अच्छा ...अब मुझसे छुपाने का क्या फायदा ...अभी मेरे आने से पहले तू वो कर रहा था ना...''

केशव : "नही दीदी...मैं तो बस कपड़े चेंज कर रहा था..मैने पायज़ामा नीचे उतारा ही था की आप आ गयी...''

काजल : "झूठ मत बोल...मैं सब देख रही थी दरवाजे के पीछे से...तू अपना वो रगड़ रहा था...माल निकालने के लिए...बोल ...''

केशव : "क्या रगड़ रहा था दीदी...खुल कर बोलो ना...''

अब काजल भी समझ चुकी थी की उनके बीच का एक और परदा गिर चुका है...अब खुलकर वो सब बोल सकते हैं..

काजल : "अपना लंड रगड़ रहा था तू...यही सुनना चाहता था ना ...बोल, रगड़ रहा था या नही...''

अपनी सेक्सी बहन के मुँह से लंड शब्द सुनकर तकिया थोड़ा सा और उपर हो गया...उसके लंड ने अंदर ही अंदर झटके मारने शुरू कर दिए थे.
केशव कुछ नही बोला...बस मुस्कुराता रहा...

उसकी नज़रें फिर से उसकी टी शर्ट मे उभरे निप्पल्स को घूरने लगी.....
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केशव की जलती हुई आँखे उसके जिस्म मे जहाँ-2 पड़ रही थी, उसे ऐसे लग रहा था की वो हिस्सा जल रहा है..उसकी छातियाँ...उसकी नाभि...उसके होंठ...उसके कान...आँखे..और चूत भी बुरी तरह से सुलग रही थी उसकी.

काजल : "बोल ना....उसके बारे मे ही सोच रहा था ना तू...''

वो पूछ तो अपनी सहेली के बारे मे रही थी...पर केशव के मुँह से अपना नाम सुनना चाहती थी.

केशव : "नही...उसके बारे मे सोचकर नही...किसी और के बारे मे सोचकर..''

इतना सुनते ही काजल का मन हुआ की केशव से लिपट जाए...उसके होंठों को चूस ले...और एकदम से नंगी होकर उसके लंड पर सवार हो जाए.
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उसके दिल ने फिर से धाड़-2 धड़कना शुरू कर दिया.

काजल : "तो फिर किस …… किसके...बारे मे....सोचकर....ये ...कर रहा था..''

उसके होंठ काँप से रहे थे...उसके कान लाल हो उठे...जैसे अपना नाम सुनने की तैयारी कर रहे हो..

केशव भी अब गेम में आ चुका था...वो भी काजल को तड़पाना चाहता था, जैसे वो अभी उसको तडपा रही थी..

केशव : " है कोई...उससे भी सुंदर...उससे भी हसीन...उसकी आँखे तो कमाल की हैं...और उसके बूब्स...वो तो जैसे नाप तोलकर बनाए हुए हैं...और उसके निप्पल्स,वो तो कहर भरपा दे,उन्हे चूसने भर से ही शायद सारी प्यास बुझ जाए मेरी..''

केशव का हर शब्द काजल की चूत से रिस रहे पानी को और तेज़ी से बाहर धकेल रहा था...जो शायद केशव के बिस्तर पर आज की रात धब्बे के रूप मे रहने वाला था.

काजल : "नाम तो बता मुझे....ऐसे नही समझ आ रहा ....''
उसकी आँखों मे लाल डोरे तैरने लगे थे..हल्का पानी भी आने लगा था उनमे...

केशव : "उसका नाम तुम मेरे दोस्त से पूछ लो...''

और केशव ने ग़जब की हिम्मत दिखाते हुए अपना तकिया नीचे गिरा दिया...और अपना विशालकाए लंड अपनी सग़ी बहन काजल की आँखो के सामने लहरा दिया
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काजल की आँखे फैल गयी उसके लंड को इतने करीब से देखकर.... पास से देखने से वो और भी बड़ा लग रहा था
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काजल तो सम्मोहित सी होकर उसे देखे जा रही थी...जैसे आँखो ही आँखो मे उसे निगल रही हो..
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केशव ने अपने लंड को हिलाते हुए उपर नीचे किया और उसे काजल की तरफ करते हुए बोला : "लो दीदी...पूछ लो मेरे दोस्त से...मैं किसके बारे मे सोचकर इसे रगड़ रहा था...''
काजल का दाँया हाथ कांपता हुआ सा आगे की तरफ बड़ा...उसके मुँह से साँसे तेज़ी से बाहर निकलने लगी...छातियाँ उपर नीचे होने लगी...और उसने अपने ठंडे हाथों से केशव के गरमा गर्म लंड को पकड़ लिया..
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और जैसे ही काजल के ठंडे और नर्म हाथ उसके लंड से टकराए, उसने ज़ोर से सिसकारी मारते हुए कहा : "ओह.......काजल ............''

केशव के दोस्त ने तो नही,पर उसने वो नाम खुद ही बता दिया अपनी बहन को ...

और अपना नाम सुनते ही काजल का पूरा बदन झनझना उठा...और उसने अपने प्यासे होंठ तेज़ी से अपने भाई की तरफ बड़ा दिए..

तभी बाहर से उनकी माँ की आवाज़ आई : "काजल ......केशव....कहाँ हो तुम दोनो....''


काजल का तो चेहरा ही पीला पड़ गया अपनी माँ की आवाज़ सुनकर...उनके रूम का तो दरवाजा भी खुला हुआ था..काजल ने भी आते हुए केशव के रूम का दरवाजा बंद नही किया था..अभी तो उनकी तबीयत खराब है , इसलिए वो बेड से उठ नही सकती...वरना अगर वो ऐसे वक़्त पर उस कमरे मे आ जाती तो उन दोनो को रंगे हाथों पकड़ लेती..

काजल ने एक ही झटके मे केशव के लंड को छोड़ दिया और भागती हुई सी अपने कमरे की तरफ गयी

''आईईईई माँ ...''

और वहाँ पहुँचकर देखा तो वो बेड से उठने की कोशिश कर रही है..

काजल : "रूको माँ ...अभी उठो मत...बोलो क्या चाहिए..''

मान : "तू इतनी रात को कहाँ थी...मैं कितनी देर से तुझे आवाज़ें लगा रही थी..''

काजल : "वो ....केशव अभी-2 आया था...उसके लिए खाना गर्म कर रही थी..''

उसने बड़ी ही सफाई से झूठ बोलकर खुद को और केशव को बचा लिया..

कुछ ही देर मे उसकी माँ के खर्राटे गूंजने लगे कमरे में..पर उसके बाद काजल की हिम्मत नही हुई की वापिस केशव के कमरे मे जाए..बस अपनी चूत को मसल कर वो वहीं सो गयी..

केशव ने भी अपने लंड को रगड़ -2 कर अपने माल से दीवार पर काजल लिख दिया..

अगले दिन केशव के उठने से पहले काजल ऑफीस के लिए निकल गयी..केशव भी लगभग 11 बजे उठा और नाश्ता वगेरह करके माँ के पास बैठा रहा , उन्हे खाना भी खिलाया, दवाई भी दी और पास ही के डॉक्टर को बुलवा कर वो इंजेक्शन भी लगवा दिया.

उसके बाद पूरी दोपहर वो रात के बारे मे सोचता रहा...उसे अब पूरी उम्मीद हो चुकी थी की वो अपनी सेक्सी बहन काजल के साथ हर तरह के मज़े ले सकता है...पर उसे जो भी करना था वो सब काफ़ी सोच समझ कर ही करना था.

उसने एक चीज़ नोट की, वो ये की काजल उसकी हर बात मान लेती है...चाहे वो उसके दोस्तों के सामने कपड़े बदलकर आने वाली हो, उनके साथ जुआ खेलने वाली..या फिर कल रात को उसके कमरे मे कही गयी सारी बातें..

उसे लग रहा था की शायद काजल काफ़ी दिनों से यही सब कुछ चाहती है..और शायद इसलिए वो उसकी बात एक ही बार मे मान लेती है..उसने मन में सोच लिया की आज वो इस बात का इत्मीनान करके रहेगा की वो जो बात सोच रहा है वो सही भी है या नही...अगर है तो उसके तो काफ़ी मज़े होने वाले हैं..और उसके दिमाग़ के घोड़े काफ़ी दूर तक भागने लगे.

खैर, इन सब बातों के अलावा उसने अपने दोस्तों को भी फोन करके बोल दिया आज की रात को दोबारा आने के लिए...बिल्लू और गणेश तो कल भी वापिस जाना नही चाहते थे...सेक्सी काजल के साथ 3 पत्ती खेलने का मज़ा ही कुछ और था.
शाम को 7 बजे के आस पास काजल भी आ गयी..केशव ने दरवाजा खोला तो दोनों के चेहरों पर एक अलग ही स्माइल थी ...केशव का तो मन कर रहा था की वहीं के वहीं उसके गले लग जाए..पर वो पहले ये यकीन भी कर लेना चाहता था की कल वाली बात से वो नाराज़ तो नही है.

काजल उपर अपने कमरे मे चली गयी...कुछ देर माँ के पास बैठी...अपने कपड़े बदले और नीचे आकर किचन मे चाय बनाने लगी.

केशव अंदर बैठा टीवी देख रहा था...काजल ने किचन से ही आवाज़ लगाई : "केशव...तूने भी चाय पीनी है क्या..''

केशव सीधा उठकर किचन मे ही चला गया और बोला : "आप पिलाओगी तो कुछ भी पी लूँगा...''

काजल उसकी बात का दूसरा मतलब समझकर मंद-2 मुस्कुराने लगी...केशव ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया..और बोला : "दीदी...वो कल रात वाली बात से...आप नाराज़ तो नही है ना..''

काजल एकदम से उसकी तरफ पलटी...वो इतना पास खड़ा था की पलटते हुए काजल के बूब्स उसकी बाजुओं से छू गये..

काजल : "तू पागल है क्या...हम छोटे बच्चे हैं जो इन बातों की समझ नही है हमें...आजकल सब कुछ ओपन है...सब चलता है...हम दोनो ही अगर एक दूसरे की हेल्प नही करेंगे तो कौन करेगा...''

केशव : "यानी....आप भी यही चाहती हैं...थैंक गॉड ...मैं तो पूरी रात सो नही पाया...ये सोचकर की पता नही आप क्या सोच रही होंगी ...''

काजल ने उसके दोनो हाथ अपने हाथों मे पकड़ लिए : "रिलेक्स ....ज़्यादा मत सोचा करो...''

और फिर उसने केशव को अपने गले से लगा लिया...केशव ने भी अपनी बाहें उसकी कमर मे डाल कर उसे अपनी तरफ खींच लिया...और आज की ये हग और दिनों से कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से थी और कुछ ज़्यादा ही लंबी..

केशव के हाथ उसकी कमर पर उपर नीचे हो रहे थे..उसके दोनो बूब्स को वो अपनी छाती पर महसूस कर पा रहा था..उसके जिस्म से आ रही खुश्बू को वो सूंघ कर मदहोश सा हुए जा रहा था..
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उसका लंड खड़ा होकर काजल के नीचे वाले दरवाजे पर दस्तक दे रहा था...काजल को फिर से वही रात वाला सीन याद आ गया...जब वो उसके लंड को पकड़कर हिला रही थी..और उसे चूमने भी वाली थी.

काजल ने एकदम से उसके लंड के उपर हाथ रख दिया...और धीरे-2 सहलाने लगी..
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काजल : "इसको थोड़ी तमीज़ नही सिखाई तुमने...अपनी बहन को देखकर भी खड़ा हो रहा है ये तो...''

केशव : "बहन तो मेरी हो तुम...इसकी नही...ये तो मेरा दोस्त है...और आजकल अपने दोस्त की बहन पर ही सबसे ज़्यादा लोग लाइन मारते हैं...''

काजल : "अच्छा जी...इसका मतलब है की तुम भी अपने दोस्तों की बहन पर लाइन मारते हो...या फिर हो सकता ही की वो मुझपर लाइन मारते हो..''

केशव : "मैं तो बस तुम्हारी फ्रेंड पर लाइन मरता हू...वो तो आपको पता चल ही चुका है...और रही बात आपके उपर लाइन मारने की तो सबसे पहला हक मेरे इस दोस्त का है आपके उपर..उसके बाद किसी और का..''

काजल ये सोचने मात्र से ही सिहर उठी की उसके भाई के अलावा उसके सारे दोस्त भी उसे चोदने लिए तैयार बैठे हैं..

एकदम से चाय उबल गयी


काजल : "ओहो ...चलो छोड़ो मुझे...अंदर जाओ...मैं चाय लेकर आती हू...''


केशव ने बेमन से उसे छोड़ दिया...और अंदर जाकर बैठ गया..कुछ ही देर मे काजल चाय लेकर आ गयी और दोनों चुस्कियाँ लेते हुए चाय पीने लगे...और बातें करने लगे.

काजल : "आज भी आ रहे हैं क्या वो दोनों ...रात को खेलने''

केशव : "वो तो कल भी जाना नही चाहते थे...मैने उन्हे दिन में ही फोन कर दिया था...वो ठीक 9 बजे आ जाएँगे..''

अभी 7:30 बज रहे थे..

काजल : "ओहो ....मुझे थोड़ा जल्दी करना होगा...खाना भी बनाना है..माँ को दवाई भी देनी है बाद मे...उन लोगो के आने से पहले माँ को सुला देना है...वरना उन्हे बेकार की परेशानी होगी.

केशव समझ गया की अभी कुछ नही हो सकता...अंदर किचन मे ही एक-दो किस्सेस ले लेनी चाहिए थी उसको...

चाय पीने के बाद काजल फटाफट काम पर लग गयी...खाना बनाकर उसने माँ को खिलाया और केशव को भी..और बाद मे खुद ऊपर कमरे में चली गयी .ये सब करते-करते 9 बज गये.

और ठीक 9 बजे उनके घर की बेल बजी...केशव ने जाकर दरवाजा खोला तो दोनो बाहर खड़े थे...उनके मुँह से शराब की भी महक आ रही थी..शायद शाम से ही दोनो पीने मे लगे थे..काजल के बारे मे सोच-सोचकर..

केशव ने उन्हे अंदर बिठाया और भागकर उपर गया, माँ सो चुकी थी और काजल अपना खाना खा रही थी.

केशव : "दीदी ...वो लोग आ गये हैं...आप जल्दी से चेंज करके नीचे आ जाओ..''

ये केशव का इशारा था की वो अपने वही वाले कपड़े पहन कर नीचे आ जाए, जिसमें वो जीत रही थी.

और फिर वो नीचे आकर बैठ गया और पत्ते बाँटने लगा..

वो पहली बार मे ही काजल को गेम खिलाकर उनके मन मे शक़ पैदा नही करना चाहता था.

जब पत्ते बंट गये और सभी की बूट के बाद 2-2 चाल भी आ गयी तो केशव ने सबसे पहले पत्ते उठा कर देख लिए..उसके पास सिर्फ़ एक इक्का था और दो छोटे पत्ते...उसने पेक कर दिया.

गणेश और बिल्लू खेलने लगे..

खेलते-2 गणेश बोला : "आज काजल नही खेलेगी क्या...?"
 
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