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Thriller कातिल रात

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

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#01

बारिश: (रात 8 बजे!)

इस बार दिल्ली की सर्दियों में बारिश अपना अलग ही स्यापा कर रही थी।
कहने वाले तो कहने लगे थे कि, दिल्ली भी बारिश के मामले में अब मुम्बई बनती जा रही है।

एक तो जनवरी के पहले सप्ताह की कड़ाके की सर्दी और उस पर ये बारिश का कहर।

मैं उसी सर्दी की मार से बचने के लिए इस वक़्त अपने फ्लैट में अपने बेड पर और अपनी ही रजाई में लिपट कर अपनी सर्दी को दूर भगाने का प्रयास कर रहा था।

अब आप भी सोच रहे होंगे की ये कौन अहमक इंसान है,जो बेवजह दिल्ली के मौसम का आँखों देख़ा हाल सुना रहा है। :D

वैसे तो अभी तक आपने अपने इस सेवक को पहचान ही लिया होगा , लेकिन फिर भी मैं आपको बता दूं कि मैं “रोमेश!” दिल्ली में एक छोटा मोटा जासूसी का धंधा करता हूँ…न न मैं कोई राॅ का एजेंट नही हूँ,मैं तो एक प्राइवेट डिटेक्टिव हूँ, जो सिर्फ कत्ल के केस में ही अपनी टांग घुसाता है। :yo:

जासूसी के बाकी धंधो मसलन, शक धोखा, पीछा, तलाक जैसे सड़क छाप धंधों से मैं दूर ही रहता हूँ।

बन्दे को बचपन से ही जासूसी उपन्यास पढ़ने का शौक इस कदर था, की जिस उम्र में मुझें स्कूल की किताबें पढ़नी चाहिए थी,उस उम्र में मैं दिन रात जासूसी किस्से कहानिया पढ़ा करता था।:dazed:

इसी वजह से अपुन का मन भी सिर्फ जासूसी में ही अपना मुकाम बनाने का करने लगा था।

वैसे तो आपका ये सेवक जासूसी में दिल्ली से लेकर मेरठ आगरा ,मुम्बई और राजस्थान तक अपने झंडे गाड़ चुका था ,और आज किसी परिचय का मोहताज नही था , लेकिन मेरी एक नकचढ़ी सेक्रेटरी है,जिसका नाम रागिनी है, वो बन्दे की इस काबलियत की जरा भी कदर नही करती है,:beee: उसकी नजर में अपन आज भी घर की मुर्गी दाल बराबर है, लेकिन उसकी महिमा का बखान मैं बाद में करूँगा, इस वक़्त आपके इस जिल्ले-इलाही के फ्लैट को कोई बुरी तरह से पीट रहा था।

दरवाजा इतनी बेतरतीबी से पीटा जा रहा था कि, मानो कोई दरवाजा तोड़कर अंदर घुसना चाहता हो, मैं हड़बड़ाकर अपनी रजाई में से निकला और दराज में से अपनी पिस्टल निकालकर अपने बरमूडा में फँसाई और तेज कदमो दरवाजे की ओर बढ़ा और दरवाजे के पास जाकर ठिठक गया।

"कौन है,क्यो दरवाजा तोड़ने पर आमादा हो "मैंने बन्द दरवाजे के पीछे से ही बोला।

"दरवाजा खोलो ! मैं बहुत बड़ी मुसिबत में हूँ" ये किसी लड़की की घबराई हुई आवाज थी।

अब एक तो लड़की और ऊपर से मुसीबतजदा, और ऊपर से गुहार भी उस इंसान से लगा रही थी,जो मुसीबतजदा लड़कियों का सबसे बड़ा खैरख्वाह था,:smarty: तो अब दरवाजा खोलना तो बनता था, सो मैंने दरवाजा खोला और फोरन से पेश्तर खोला।

दरवाजा खोलते ही मुझे यू लगा मानो कोई आंधी तूफान कमरे में घुस आया हो, वो लडकी डेढ़ सौ किलोमीटर की रफ्तार से कमरे में घुसी और सीधा मेरे बेड पर बैठ गई।

मै किंककर्तव्यमूढ़ सा बस उस
लड़की की ओर देखता रहा, उस मोहतरमा में एक बार भी मुझ से अंदर आने के लिए पूछना गवांरा नही समझा था।

"दरवाजा बंद करो न, ऐसे क्या देख रहे हो, कभी कोई लडकी नही देखी क्या" उस लड़की की आवाज जैसे ही मेरे कानो में पड़ी, मैंने हड़बड़ा कर दरवाजे को बन्द कर दिया।

दरवाजा बंद करते ही मेरी नजर उस लड़की पर पहली बार पूरी नजर पड़ी थी। लड़की उची लंबे कद
की बेइंतेहा खूबसूरत थी।

उसके कटीले नैन नक्श पर उसका मक्खन में सिंदूर मिला रंग तो कयामत ही ढा रहा था।

उसे ध्यान से देखते ही मेरे दिल की घण्टिया किसी मंदिर के घड़ियाल की तरह से बजने लगी थी।:love2:

पता नही साला ये अपनी उम्र का तकाजा था या अभी तक कुंवारा रहने का नतीजा था कि,आजकल अपुन को हर लड़की खूबसूरत लगती थी। :loveeyed2:

मुझे इस तरह से कुत्ते की तरह से अपनी तरफ घूरते हुए देखकर वो लड़की अब बेचैनी से अपना पहलू बदलने लगी थी।:D

"हो गया हो तो, अब इधर भी आ जाओ" उस लड़की को शायद ऐसी कुत्ती निग़ाहों का अच्छा खासा तजुर्बा था।

होता भी क्यो नही, जो जलवा उसकी खूबसूरती का था, उसके मद्देनजर तो जिसने भी डाली होगी मेरे जैसी कुत्ति नजर ही डाली होगी।

लेकिन आपके इस सेवक ने लड़की के बोलते ही अपनी इस छिछोरी हरकत पर ब्रेक लगाई,और चहलकदमी करता हुआ उसके सामने आकर खड़ा हो गया।

एक तो साला सर्दी का मौसम, ऊपर से कड़कड़ाती बरसात, और अब ये कहर बरपाती मेरे ही बेड पर बैठी हुई मोहतरमा, मेरी जगह कोई और होता तो अभी तक इस खूबसूरत बला के साथ पूरी रात की योजना अपने ख्यालों में बना चुका होता, लेकिन अपनी नजर भले ही कितनी भी कुत्ती हो, दिल शीशे की तरह से साफ है।:declare:

"कौन हो तुम, और इतनी बरसात में मेरे पास क्यो आई हो" मै अब उसकी सुंदरता के खुमार से कुछ कुछ निकलते हुए बोला।

"मेरी जान खतरे में है,मुझे कोई मारना चाहता है" उस लड़की की आवाज में फिर से घबराहट का पुट आ चुका था।

"लेकिन आपको मेरे बारे में किसने बताया कि मैं मुसीबतजदा हसीनाओं की मदद आधी रात को भी सिर के बल चल कर करता हूँ" मैं अब अपनी जासूस वाली फोम में आता जा रहा था।

"मैं आपको नही जानती, मेरे पीछे तो कुछ लोग लगे हुए थे, मैं तो उनसे बचने के लिए आपके फ्लैट का दरवाजा पीटने लगी थी" उन मोहतरमा ने जो बोला था, वो मेरे लिए अनपेक्षित था ।

ऐसे कोई जबकि सर्दियो के दिनों में आठ बजते ही आधी रात का आलम लगने लगता है, क्यो किसी अंजान के घर मे ऐसे घुसेगा और न सिर्फ घुसेगा बल्कि आकर आराम से आकर बेड पर भी बैठ जाएगा।

"आप हो कौन, और कौन लोग है जो आपकीं जान लेना चाहते है" मैंने एक स्वभाविक सवाल किया।

"मेरा नाम अनामिका है, मै यही आपके इलाके के सेक्टर ग्यारह में रहती हूँ, मैं इधर किसी काम से आई थी, लेकिन जब मैं घर वापिस जा रही थी, तो मैंने देखा कि चार लोग मेरा पीछा कर रहे थे, मैं उन्हें देख कर घबरा गई और भागने लगी, तभी आपके फ्लैट पर नजर पड़ी, आपकी लाइट भी जली हुई थी, तो आपके फ्लैट का दरवाजा पीटने लगी" अनामिका ने बोला।

"उन लोगो को आपने पहले भी कभी अपने पीछे आते हुए देखा है, या आज ही देखा था" मै अब उससे सवाल जवाब करने के मूड में आ गया था।

"उन लोगो को तो मैंने आज ही देखा था, लेकिन मुझे कई दिनों से लग रहा है कि कोई मेरा पीछा कर रहा है" अनामिका ने रहस्यमय तरीके से बोला।

"ऐसा लगने का कोई कारण भी तो होना चाहिए, क्या आपको किसी से अपनी जान का खतरा है" मैंने उसके जवाब में से ही सवाल ढूंढा।

"खतरा तो मेरी जान को बहुत है, मुझे नही पता कि मौत किस पल मेरा शिकार कर ले" अनामिका की आवाज से ही ये बोलते हुए उसका डर झलक रहा था।

"कौन लेना चाहता है तुम्हारी जान" मैंने फिर से उसी सवाल को घुमा फिरा कर पूछा।

"धीरज!पूरा नाम उसका धीरज खत्री है" अनामिका ने मुझे उस बन्दे का नाम बताया।

"आप धीरज को कैसे जानती है" मेरा ये पूछना स्वभाविक था।

"किसी समय वो मेरा बॉयफ्रेंड था, लेकिन जल्दी ही मुझे ये एहसास ही गया कि मैंने गलत आदमी से प्यार कर लिया है, उसके बाद मैंने उससे अपने रिलेशन ख़त्म कर लिये, और दूसरी जगह शादी कर ली, उसके बाद से वो बन्दा मेरी जान का दुश्मन बना हुआ है" अनामिका ने पूरी बात बताई।

"देखिए मैं एक डिटेक्टिव हूँ… मेरा पाला हर रोज ऐसे लोगो से ही पड़ता है, आप मेरा ये कार्ड रख लीजिए, और कल मेरे आफिस आकर मुझे सभी कुछ डिटेल में बताइये, हो सकता है, इसके बाद आपका बॉयफ्रेंड फिर कभी आपको परेशान न करे" मैंने उसको विश्वास दिलवाने वाले शब्दो मे बोला।

"अगर आपने सच मे मेरा उस आदमी से पीछा छुड़ा दिया तो, आपको आपके वजन के बराबर नोट से तोल दूँगी" अनामिका ने उत्साहित स्वर में बोला।

"लेकिन मैडम इतना बता दीजिए कि वो नोट दस के होंगे या दो हजार के होंगे" मैंने उसकी बात का झोल पकड़ते हुए बोला।:D

मेरी बात सुनकर वो नाजनीन न केवल मुस्कराई बल्कि खिलखिलाकर हँस भी पड़ी।

"आप बहुत हाजिर जवाब हो रोमेश साहब" अनामिका ने मेरा नाम मेरे विजिटिंग कार्ड पर पढ़ते हुए बोला।

"चलिये अब मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूँ, वैसे भी रात अब गहरी होती जा रही है" मैंने अनामिका की तरफ देख कर बोला।

"काफी शरीफ आदमी मालूम पड़ते हो रोमेश साहब, वरना मौसम तो आशिकाना है" उस जालिम ने एकाएक ऐसी बात बोलकर मेरे दिल के तारों को झंकृत कर दिया।

"इस मौसम की वजह से ही तो बोल रहा हूँ, आपके कपडे गीले हो चुके है, घर आपका पास में ही है, मैं अपको घर छोड़ देता हूँ, ताकि आप इन गीले कपड़ो से छुटकारा पा सको" मैंने अनामिका की बात को एक नया मोड़ दिया।

"लेकिन मैं अभी घर नही जाना चाहती हूँ, मेरे पति भी आज घर पर नही है, और मुझे ऐसे हालात में डर भी बहुत लगेगा"

अनामिका अब सीधे सीधे मेरे गले पड़ रही थी। जबकि मेरी छटी इंद्री मुझे बार बार सचेत कर रही थी।

मुझे न जाने क्यो ये लडकी खुद को जो बता रही थी,वो नही लग रही थी।

लेकिन इस बार उसने जो बहाना बनाया था, उसने मुझे कुछ बोलने लायक नही छोड़ा था।

"लेकिन देवी जी, ये बन्दा यहां अकेला रहता है, कल को किसी को पता चलेगा तो आपकी बदनामी नही होगी" मैने वो बात बोली, जो आजकल के जमाने मे अपनी अहमियत खो चुकी थी।

मेरी इस बात को अनामिका की हँसी ने सही भी साबित कर दिया था।

"किस जमाने मे जी रहे हो रोमेश बाबू, आजकल किसके पास इतनी फुर्सत है कि कोई मेरी रातों का हिसाब रखें कि मैं अपनी रात कहाँ किसके साथ बिताकर आ रही हूँ.. यार अब ये फालतू की बाते बन्द करो, और अगर एक कप कॉफी पिला सकते हो तो पिला दो" अनामिका मेरे गले पड़ने में कामयाब हो चुकी थी।

मैं मरता क्या न करता के अंदाज में अपने किचन की ओर चल दिया।

कॉफी की जरूरत तो मुझे भी थी। इसलिए मैंने कॉफी के लिये कोई आना कानी नही की।

मैंने अपने बरमूडा से अपनी पिस्टस्ल को निकाल कर दराज में डाला और कॉफी बनाने के वास्ते किचन की ओर चल दिया।

मै कोई दस मिनट के बाद काफी बनाकर जब बैडरूम में पहुंचा तो अनामिका वहां नही थी।

मैंने इधर उधर नजर दौड़ाई, लेकिन वो कहीं नजर नही आई। मैंने बाथरूम की तरफ देखा, उसका दरवाजा भी बाहर से ही लॉक था।

मैने दरवाजे पर नजर डाली, दरवाजा इस वक़्त हल्का सा खुला हुआ था। मुझे तत्काल इस बात का ध्यान हो आया कि दरवाजा मैंने अनामिका के घर मे घुसते ही बन्द कर दिया था।

अब दरवाजा खुला होने का मतलब था कि चिड़िया फुर्र हो चुकी थी।

मैंने दोनो कॉफी के कप टेबल पर रखे, और अपने बेड पर धम्म से बैठ गया।

मेरी समझ मे नही आ रहा था की मेरे फ्लैट में आने का उसका मकसद क्या था, और वो जिस तरह से एकाएक गायब हुई है, उसके पीछे उसका उद्देश्य क्या था।

अचानक ही मेरे दिमाग मे एक बिजली सी कौंधी और मै अपनी जगह से उछल कर खड़ा हो गया।

मैंने तत्काल कमरे में अपनी नजर घुमाई। घर की सभी चीजें अपने स्थान पर यथावत थी।

फिर मैंने दराजो को खंगालना शुरू किया। दराज में नजर पड़ते ही मेरे होश फाख्ता हो चुके थे।

आपके इस सेवक की पिस्टल दराज से गायब थी।


जारी रहेगा________✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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:congrats: For starting new story thread....

Congratulations for new story

Congratulations bro

Intejar hai 1st update ka bhai agar ho sake to background rural rakhna

Congratulations

Bhut bhut शुभकामनाएं

:congrats: for new story thread

New chapter, new vibe, can’t wait to see your creativity light up the pages....
Good luck Raj_sharma 🤞

Romesh bhi Josoos vakel dono thaa
Cameo hi karwa do uska mazaa aajayega
Ajju Landwalia
SANJU ( V. R. )
kamdev99008
Sanju@
Gaurav1969
Aladdin_
Napster
sunoanuj
avsji

पहला अपडेट आ चुका है दोस्तों, अपनी राय अवश्य साझा करें। :declare:
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
Prime
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244
तो दोस्तों आपके सामने बोहोत जल्द लेकर आ रहा हूॅ एक नई कहानी, जिसका नाम है "कातिल रात!" जो कि एक सनसनीखेज जासूसी कहानी होगी । तो साथ बने रहिए। :D
Many Many Congratulations Bhai ko
 

DEVIL MAXIMUM

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बारिश: (रात 8 बजे!)

इस बार दिल्ली की सर्दियों में बारिश अपना अलग ही स्यापा कर रही थी।
कहने वाले तो कहने लगे थे कि, दिल्ली भी बारिश के मामले में अब मुम्बई बनती जा रही है।

एक तो जनवरी के पहले सप्ताह की कड़ाके की सर्दी और उस पर ये बारिश का कहर।

मैं उसी सर्दी की मार से बचने के लिए इस वक़्त अपने फ्लैट में अपने बेड पर और अपनी ही रजाई में लिपट कर अपनी सर्दी को दूर भगाने का प्रयास कर रहा था।

अब आप भी सोच रहे होंगे की ये कौन अहमक इंसान है,जो बेवजह दिल्ली के मौसम का आँखों देख़ा हाल सुना रहा है। :D

वैसे तो अभी तक आपने अपने इस सेवक को पहचान ही लिया होगा , लेकिन फिर भी मैं आपको बता दूं कि मैं “रोमेश!” दिल्ली में एक छोटा मोटा जासूसी का धंधा करता हूँ…न न मैं कोई राॅ का एजेंट नही हूँ,मैं तो एक प्राइवेट डिटेक्टिव हूँ, जो सिर्फ कत्ल के केस में ही अपनी टांग घुसाता है। :yo:

जासूसी के बाकी धंधो मसलन, शक धोखा, पीछा, तलाक जैसे सड़क छाप धंधों से मैं दूर ही रहता हूँ।

बन्दे को बचपन से ही जासूसी उपन्यास पढ़ने का शौक इस कदर था, की जिस उम्र में मुझें स्कूल की किताबें पढ़नी चाहिए थी,उस उम्र में मैं दिन रात जासूसी किस्से कहानिया पढ़ा करता था।:dazed:

इसी वजह से अपुन का मन भी सिर्फ जासूसी में ही अपना मुकाम बनाने का करने लगा था।

वैसे तो आपका ये सेवक जासूसी में दिल्ली से लेकर मेरठ आगरा ,मुम्बई और राजस्थान तक अपने झंडे गाड़ चुका था ,और आज किसी परिचय का मोहताज नही था , लेकिन मेरी एक नकचढ़ी सेक्रेटरी है,जिसका नाम रागिनी है, वो बन्दे की इस काबलियत की जरा भी कदर नही करती है,:beee: उसकी नजर में अपन आज भी घर की मुर्गी दाल बराबर है, लेकिन उसकी महिमा का बखान मैं बाद में करूँगा, इस वक़्त आपके इस जिल्ले-इलाही के फ्लैट को कोई बुरी तरह से पीट रहा था।

दरवाजा इतनी बेतरतीबी से पीटा जा रहा था कि, मानो कोई दरवाजा तोड़कर अंदर घुसना चाहता हो, मैं हड़बड़ाकर अपनी रजाई में से निकला और दराज में से अपनी पिस्टल निकालकर अपने बरमूडा में फँसाई और तेज कदमो दरवाजे की ओर बढ़ा और दरवाजे के पास जाकर ठिठक गया।

"कौन है,क्यो दरवाजा तोड़ने पर आमादा हो "मैंने बन्द दरवाजे के पीछे से ही बोला।

"दरवाजा खोलो ! मैं बहुत बड़ी मुसिबत में हूँ" ये किसी लड़की की घबराई हुई आवाज थी।

अब एक तो लड़की और ऊपर से मुसीबतजदा, और ऊपर से गुहार भी उस इंसान से लगा रही थी,जो मुसीबतजदा लड़कियों का सबसे बड़ा खैरख्वाह था,:smarty: तो अब दरवाजा खोलना तो बनता था, सो मैंने दरवाजा खोला और फोरन से पेश्तर खोला।

दरवाजा खोलते ही मुझे यू लगा मानो कोई आंधी तूफान कमरे में घुस आया हो, वो लडकी डेढ़ सौ किलोमीटर की रफ्तार से कमरे में घुसी और सीधा मेरे बेड पर बैठ गई।

मै किंककर्तव्यमूढ़ सा बस उस
लड़की की ओर देखता रहा, उस मोहतरमा में एक बार भी मुझ से अंदर आने के लिए पूछना गवांरा नही समझा था।

"दरवाजा बंद करो न, ऐसे क्या देख रहे हो, कभी कोई लडकी नही देखी क्या" उस लड़की की आवाज जैसे ही मेरे कानो में पड़ी, मैंने हड़बड़ा कर दरवाजे को बन्द कर दिया।

दरवाजा बंद करते ही मेरी नजर उस लड़की पर पहली बार पूरी नजर पड़ी थी। लड़की उची लंबे कद
की बेइंतेहा खूबसूरत थी।

उसके कटीले नैन नक्श पर उसका मक्खन में सिंदूर मिला रंग तो कयामत ही ढा रहा था।

उसे ध्यान से देखते ही मेरे दिल की घण्टिया किसी मंदिर के घड़ियाल की तरह से बजने लगी थी।:love2:

पता नही साला ये अपनी उम्र का तकाजा था या अभी तक कुंवारा रहने का नतीजा था कि,आजकल अपुन को हर लड़की खूबसूरत लगती थी। :loveeyed2:

मुझे इस तरह से कुत्ते की तरह से अपनी तरफ घूरते हुए देखकर वो लड़की अब बेचैनी से अपना पहलू बदलने लगी थी।:D

"हो गया हो तो, अब इधर भी आ जाओ" उस लड़की को शायद ऐसी कुत्ती निग़ाहों का अच्छा खासा तजुर्बा था।

होता भी क्यो नही, जो जलवा उसकी खूबसूरती का था, उसके मद्देनजर तो जिसने भी डाली होगी मेरे जैसी कुत्ति नजर ही डाली होगी।

लेकिन आपके इस सेवक ने लड़की के बोलते ही अपनी इस छिछोरी हरकत पर ब्रेक लगाई,और चहलकदमी करता हुआ उसके सामने आकर खड़ा हो गया।

एक तो साला सर्दी का मौसम, ऊपर से कड़कड़ाती बरसात, और अब ये कहर बरपाती मेरे ही बेड पर बैठी हुई मोहतरमा, मेरी जगह कोई और होता तो अभी तक इस खूबसूरत बला के साथ पूरी रात की योजना अपने ख्यालों में बना चुका होता, लेकिन अपनी नजर भले ही कितनी भी कुत्ती हो, दिल शीशे की तरह से साफ है।:declare:

"कौन हो तुम, और इतनी बरसात में मेरे पास क्यो आई हो" मै अब उसकी सुंदरता के खुमार से कुछ कुछ निकलते हुए बोला।

"मेरी जान खतरे में है,मुझे कोई मारना चाहता है" उस लड़की की आवाज में फिर से घबराहट का पुट आ चुका था।

"लेकिन आपको मेरे बारे में किसने बताया कि मैं मुसीबतजदा हसीनाओं की मदद आधी रात को भी सिर के बल चल कर करता हूँ" मैं अब अपनी जासूस वाली फोम में आता जा रहा था।

"मैं आपको नही जानती, मेरे पीछे तो कुछ लोग लगे हुए थे, मैं तो उनसे बचने के लिए आपके फ्लैट का दरवाजा पीटने लगी थी" उन मोहतरमा ने जो बोला था, वो मेरे लिए अनपेक्षित था ।

ऐसे कोई जबकि सर्दियो के दिनों में आठ बजते ही आधी रात का आलम लगने लगता है, क्यो किसी अंजान के घर मे ऐसे घुसेगा और न सिर्फ घुसेगा बल्कि आकर आराम से आकर बेड पर भी बैठ जाएगा।

"आप हो कौन, और कौन लोग है जो आपकीं जान लेना चाहते है" मैंने एक स्वभाविक सवाल किया।

"मेरा नाम अनामिका है, मै यही आपके इलाके के सेक्टर ग्यारह में रहती हूँ, मैं इधर किसी काम से आई थी, लेकिन जब मैं घर वापिस जा रही थी, तो मैंने देखा कि चार लोग मेरा पीछा कर रहे थे, मैं उन्हें देख कर घबरा गई और भागने लगी, तभी आपके फ्लैट पर नजर पड़ी, आपकी लाइट भी जली हुई थी, तो आपके फ्लैट का दरवाजा पीटने लगी" अनामिका ने बोला।

"उन लोगो को आपने पहले भी कभी अपने पीछे आते हुए देखा है, या आज ही देखा था" मै अब उससे सवाल जवाब करने के मूड में आ गया था।

"उन लोगो को तो मैंने आज ही देखा था, लेकिन मुझे कई दिनों से लग रहा है कि कोई मेरा पीछा कर रहा है" अनामिका ने रहस्यमय तरीके से बोला।

"ऐसा लगने का कोई कारण भी तो होना चाहिए, क्या आपको किसी से अपनी जान का खतरा है" मैंने उसके जवाब में से ही सवाल ढूंढा।

"खतरा तो मेरी जान को बहुत है, मुझे नही पता कि मौत किस पल मेरा शिकार कर ले" अनामिका की आवाज से ही ये बोलते हुए उसका डर झलक रहा था।

"कौन लेना चाहता है तुम्हारी जान" मैंने फिर से उसी सवाल को घुमा फिरा कर पूछा।

"धीरज!पूरा नाम उसका धीरज खत्री है" अनामिका ने मुझे उस बन्दे का नाम बताया।

"आप धीरज को कैसे जानती है" मेरा ये पूछना स्वभाविक था।

"किसी समय वो मेरा बॉयफ्रेंड था, लेकिन जल्दी ही मुझे ये एहसास ही गया कि मैंने गलत आदमी से प्यार कर लिया है, उसके बाद मैंने उससे अपने रिलेशन ख़त्म कर लिये, और दूसरी जगह शादी कर ली, उसके बाद से वो बन्दा मेरी जान का दुश्मन बना हुआ है" अनामिका ने पूरी बात बताई।

"देखिए मैं एक डिटेक्टिव हूँ… मेरा पाला हर रोज ऐसे लोगो से ही पड़ता है, आप मेरा ये कार्ड रख लीजिए, और कल मेरे आफिस आकर मुझे सभी कुछ डिटेल में बताइये, हो सकता है, इसके बाद आपका बॉयफ्रेंड फिर कभी आपको परेशान न करे" मैंने उसको विश्वास दिलवाने वाले शब्दो मे बोला।

"अगर आपने सच मे मेरा उस आदमी से पीछा छुड़ा दिया तो, आपको आपके वजन के बराबर नोट से तोल दूँगी" अनामिका ने उत्साहित स्वर में बोला।

"लेकिन मैडम इतना बता दीजिए कि वो नोट दस के होंगे या दो हजार के होंगे" मैंने उसकी बात का झोल पकड़ते हुए बोला।:D

मेरी बात सुनकर वो नाजनीन न केवल मुस्कराई बल्कि खिलखिलाकर हँस भी पड़ी।

"आप बहुत हाजिर जवाब हो रोमेश साहब" अनामिका ने मेरा नाम मेरे विजिटिंग कार्ड पर पढ़ते हुए बोला।

"चलिये अब मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूँ, वैसे भी रात अब गहरी होती जा रही है" मैंने अनामिका की तरफ देख कर बोला।

"काफी शरीफ आदमी मालूम पड़ते हो रोमेश साहब, वरना मौसम तो आशिकाना है" उस जालिम ने एकाएक ऐसी बात बोलकर मेरे दिल के तारों को झंकृत कर दिया।

"इस मौसम की वजह से ही तो बोल रहा हूँ, आपके कपडे गीले हो चुके है, घर आपका पास में ही है, मैं अपको घर छोड़ देता हूँ, ताकि आप इन गीले कपड़ो से छुटकारा पा सको" मैंने अनामिका की बात को एक नया मोड़ दिया।

"लेकिन मैं अभी घर नही जाना चाहती हूँ, मेरे पति भी आज घर पर नही है, और मुझे ऐसे हालात में डर भी बहुत लगेगा"

अनामिका अब सीधे सीधे मेरे गले पड़ रही थी। जबकि मेरी छटी इंद्री मुझे बार बार सचेत कर रही थी।

मुझे न जाने क्यो ये लडकी खुद को जो बता रही थी,वो नही लग रही थी।

लेकिन इस बार उसने जो बहाना बनाया था, उसने मुझे कुछ बोलने लायक नही छोड़ा था।

"लेकिन देवी जी, ये बन्दा यहां अकेला रहता है, कल को किसी को पता चलेगा तो आपकी बदनामी नही होगी" मैने वो बात बोली, जो आजकल के जमाने मे अपनी अहमियत खो चुकी थी।

मेरी इस बात को अनामिका की हँसी ने सही भी साबित कर दिया था।

"किस जमाने मे जी रहे हो रोमेश बाबू, आजकल किसके पास इतनी फुर्सत है कि कोई मेरी रातों का हिसाब रखें कि मैं अपनी रात कहाँ किसके साथ बिताकर आ रही हूँ.. यार अब ये फालतू की बाते बन्द करो, और अगर एक कप कॉफी पिला सकते हो तो पिला दो" अनामिका मेरे गले पड़ने में कामयाब हो चुकी थी।

मैं मरता क्या न करता के अंदाज में अपने किचन की ओर चल दिया।

कॉफी की जरूरत तो मुझे भी थी। इसलिए मैंने कॉफी के लिये कोई आना कानी नही की।

मैंने अपने बरमूडा से अपनी पिस्टस्ल को निकाल कर दराज में डाला और कॉफी बनाने के वास्ते किचन की ओर चल दिया।

मै कोई दस मिनट के बाद काफी बनाकर जब बैडरूम में पहुंचा तो अनामिका वहां नही थी।

मैंने इधर उधर नजर दौड़ाई, लेकिन वो कहीं नजर नही आई। मैंने बाथरूम की तरफ देखा, उसका दरवाजा भी बाहर से ही लॉक था।

मैने दरवाजे पर नजर डाली, दरवाजा इस वक़्त हल्का सा खुला हुआ था। मुझे तत्काल इस बात का ध्यान हो आया कि दरवाजा मैंने अनामिका के घर मे घुसते ही बन्द कर दिया था।

अब दरवाजा खुला होने का मतलब था कि चिड़िया फुर्र हो चुकी थी।

मैंने दोनो कॉफी के कप टेबल पर रखे, और अपने बेड पर धम्म से बैठ गया।

मेरी समझ मे नही आ रहा था की मेरे फ्लैट में आने का उसका मकसद क्या था, और वो जिस तरह से एकाएक गायब हुई है, उसके पीछे उसका उद्देश्य क्या था।

अचानक ही मेरे दिमाग मे एक बिजली सी कौंधी और मै अपनी जगह से उछल कर खड़ा हो गया।

मैंने तत्काल कमरे में अपनी नजर घुमाई। घर की सभी चीजें अपने स्थान पर यथावत थी।

फिर मैंने दराजो को खंगालना शुरू किया। दराज में नजर पड़ते ही मेरे होश फाख्ता हो चुके थे।

आपके इस सेवक की पिस्टल दराज से गायब थी।


जारी रहेगा________✍️
Wah Barsaat ki raat Romesh ke sath Anamika
Ache se laga gyee chunaa Bechare Jasoos ko bhi 😂😂😂
 

Raj_sharma

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Wah Barsaat ki raat Romesh ke sath Anamika
Ache se laga gyee chunaa Bechare Jasoos ko bhi 😂😂😂

Aao mitra aao, bohot din baad dikhe ho? Maine aapko jaanboojh kar tag nahi kiya tha, socha aajkal tum jyada busy rahte ho? Waise aaua karo yar, saadi ka ye matlab yo nahi ki dosto ko hi bhool jaao 😁

Dekh lo, bechare Romesh ko chuna laga gai, wo bhi tumhare hote hue, jaldi dhoondho use :shhhh:
Thank you very much for your valuable review and support , :thanks:
pahla review tumhara hi hai 😊
 

Raj_sharma

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vihan27

Blood Makes Empire Not Tear
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#01

बारिश: (रात 8 बजे!)

इस बार दिल्ली की सर्दियों में बारिश अपना अलग ही स्यापा कर रही थी।
कहने वाले तो कहने लगे थे कि, दिल्ली भी बारिश के मामले में अब मुम्बई बनती जा रही है।

एक तो जनवरी के पहले सप्ताह की कड़ाके की सर्दी और उस पर ये बारिश का कहर।

मैं उसी सर्दी की मार से बचने के लिए इस वक़्त अपने फ्लैट में अपने बेड पर और अपनी ही रजाई में लिपट कर अपनी सर्दी को दूर भगाने का प्रयास कर रहा था।

अब आप भी सोच रहे होंगे की ये कौन अहमक इंसान है,जो बेवजह दिल्ली के मौसम का आँखों देख़ा हाल सुना रहा है। :D

वैसे तो अभी तक आपने अपने इस सेवक को पहचान ही लिया होगा , लेकिन फिर भी मैं आपको बता दूं कि मैं “रोमेश!” दिल्ली में एक छोटा मोटा जासूसी का धंधा करता हूँ…न न मैं कोई राॅ का एजेंट नही हूँ,मैं तो एक प्राइवेट डिटेक्टिव हूँ, जो सिर्फ कत्ल के केस में ही अपनी टांग घुसाता है। :yo:

जासूसी के बाकी धंधो मसलन, शक धोखा, पीछा, तलाक जैसे सड़क छाप धंधों से मैं दूर ही रहता हूँ।

बन्दे को बचपन से ही जासूसी उपन्यास पढ़ने का शौक इस कदर था, की जिस उम्र में मुझें स्कूल की किताबें पढ़नी चाहिए थी,उस उम्र में मैं दिन रात जासूसी किस्से कहानिया पढ़ा करता था।:dazed:

इसी वजह से अपुन का मन भी सिर्फ जासूसी में ही अपना मुकाम बनाने का करने लगा था।

वैसे तो आपका ये सेवक जासूसी में दिल्ली से लेकर मेरठ आगरा ,मुम्बई और राजस्थान तक अपने झंडे गाड़ चुका था ,और आज किसी परिचय का मोहताज नही था , लेकिन मेरी एक नकचढ़ी सेक्रेटरी है,जिसका नाम रागिनी है, वो बन्दे की इस काबलियत की जरा भी कदर नही करती है,:beee: उसकी नजर में अपन आज भी घर की मुर्गी दाल बराबर है, लेकिन उसकी महिमा का बखान मैं बाद में करूँगा, इस वक़्त आपके इस जिल्ले-इलाही के फ्लैट को कोई बुरी तरह से पीट रहा था।

दरवाजा इतनी बेतरतीबी से पीटा जा रहा था कि, मानो कोई दरवाजा तोड़कर अंदर घुसना चाहता हो, मैं हड़बड़ाकर अपनी रजाई में से निकला और दराज में से अपनी पिस्टल निकालकर अपने बरमूडा में फँसाई और तेज कदमो दरवाजे की ओर बढ़ा और दरवाजे के पास जाकर ठिठक गया।

"कौन है,क्यो दरवाजा तोड़ने पर आमादा हो "मैंने बन्द दरवाजे के पीछे से ही बोला।

"दरवाजा खोलो ! मैं बहुत बड़ी मुसिबत में हूँ" ये किसी लड़की की घबराई हुई आवाज थी।

अब एक तो लड़की और ऊपर से मुसीबतजदा, और ऊपर से गुहार भी उस इंसान से लगा रही थी,जो मुसीबतजदा लड़कियों का सबसे बड़ा खैरख्वाह था,:smarty: तो अब दरवाजा खोलना तो बनता था, सो मैंने दरवाजा खोला और फोरन से पेश्तर खोला।

दरवाजा खोलते ही मुझे यू लगा मानो कोई आंधी तूफान कमरे में घुस आया हो, वो लडकी डेढ़ सौ किलोमीटर की रफ्तार से कमरे में घुसी और सीधा मेरे बेड पर बैठ गई।

मै किंककर्तव्यमूढ़ सा बस उस
लड़की की ओर देखता रहा, उस मोहतरमा में एक बार भी मुझ से अंदर आने के लिए पूछना गवांरा नही समझा था।

"दरवाजा बंद करो न, ऐसे क्या देख रहे हो, कभी कोई लडकी नही देखी क्या" उस लड़की की आवाज जैसे ही मेरे कानो में पड़ी, मैंने हड़बड़ा कर दरवाजे को बन्द कर दिया।

दरवाजा बंद करते ही मेरी नजर उस लड़की पर पहली बार पूरी नजर पड़ी थी। लड़की उची लंबे कद
की बेइंतेहा खूबसूरत थी।

उसके कटीले नैन नक्श पर उसका मक्खन में सिंदूर मिला रंग तो कयामत ही ढा रहा था।

उसे ध्यान से देखते ही मेरे दिल की घण्टिया किसी मंदिर के घड़ियाल की तरह से बजने लगी थी।:love2:

पता नही साला ये अपनी उम्र का तकाजा था या अभी तक कुंवारा रहने का नतीजा था कि,आजकल अपुन को हर लड़की खूबसूरत लगती थी। :loveeyed2:

मुझे इस तरह से कुत्ते की तरह से अपनी तरफ घूरते हुए देखकर वो लड़की अब बेचैनी से अपना पहलू बदलने लगी थी।:D

"हो गया हो तो, अब इधर भी आ जाओ" उस लड़की को शायद ऐसी कुत्ती निग़ाहों का अच्छा खासा तजुर्बा था।

होता भी क्यो नही, जो जलवा उसकी खूबसूरती का था, उसके मद्देनजर तो जिसने भी डाली होगी मेरे जैसी कुत्ति नजर ही डाली होगी।

लेकिन आपके इस सेवक ने लड़की के बोलते ही अपनी इस छिछोरी हरकत पर ब्रेक लगाई,और चहलकदमी करता हुआ उसके सामने आकर खड़ा हो गया।

एक तो साला सर्दी का मौसम, ऊपर से कड़कड़ाती बरसात, और अब ये कहर बरपाती मेरे ही बेड पर बैठी हुई मोहतरमा, मेरी जगह कोई और होता तो अभी तक इस खूबसूरत बला के साथ पूरी रात की योजना अपने ख्यालों में बना चुका होता, लेकिन अपनी नजर भले ही कितनी भी कुत्ती हो, दिल शीशे की तरह से साफ है।:declare:

"कौन हो तुम, और इतनी बरसात में मेरे पास क्यो आई हो" मै अब उसकी सुंदरता के खुमार से कुछ कुछ निकलते हुए बोला।

"मेरी जान खतरे में है,मुझे कोई मारना चाहता है" उस लड़की की आवाज में फिर से घबराहट का पुट आ चुका था।

"लेकिन आपको मेरे बारे में किसने बताया कि मैं मुसीबतजदा हसीनाओं की मदद आधी रात को भी सिर के बल चल कर करता हूँ" मैं अब अपनी जासूस वाली फोम में आता जा रहा था।

"मैं आपको नही जानती, मेरे पीछे तो कुछ लोग लगे हुए थे, मैं तो उनसे बचने के लिए आपके फ्लैट का दरवाजा पीटने लगी थी" उन मोहतरमा ने जो बोला था, वो मेरे लिए अनपेक्षित था ।

ऐसे कोई जबकि सर्दियो के दिनों में आठ बजते ही आधी रात का आलम लगने लगता है, क्यो किसी अंजान के घर मे ऐसे घुसेगा और न सिर्फ घुसेगा बल्कि आकर आराम से आकर बेड पर भी बैठ जाएगा।

"आप हो कौन, और कौन लोग है जो आपकीं जान लेना चाहते है" मैंने एक स्वभाविक सवाल किया।

"मेरा नाम अनामिका है, मै यही आपके इलाके के सेक्टर ग्यारह में रहती हूँ, मैं इधर किसी काम से आई थी, लेकिन जब मैं घर वापिस जा रही थी, तो मैंने देखा कि चार लोग मेरा पीछा कर रहे थे, मैं उन्हें देख कर घबरा गई और भागने लगी, तभी आपके फ्लैट पर नजर पड़ी, आपकी लाइट भी जली हुई थी, तो आपके फ्लैट का दरवाजा पीटने लगी" अनामिका ने बोला।

"उन लोगो को आपने पहले भी कभी अपने पीछे आते हुए देखा है, या आज ही देखा था" मै अब उससे सवाल जवाब करने के मूड में आ गया था।

"उन लोगो को तो मैंने आज ही देखा था, लेकिन मुझे कई दिनों से लग रहा है कि कोई मेरा पीछा कर रहा है" अनामिका ने रहस्यमय तरीके से बोला।

"ऐसा लगने का कोई कारण भी तो होना चाहिए, क्या आपको किसी से अपनी जान का खतरा है" मैंने उसके जवाब में से ही सवाल ढूंढा।

"खतरा तो मेरी जान को बहुत है, मुझे नही पता कि मौत किस पल मेरा शिकार कर ले" अनामिका की आवाज से ही ये बोलते हुए उसका डर झलक रहा था।

"कौन लेना चाहता है तुम्हारी जान" मैंने फिर से उसी सवाल को घुमा फिरा कर पूछा।

"धीरज!पूरा नाम उसका धीरज खत्री है" अनामिका ने मुझे उस बन्दे का नाम बताया।

"आप धीरज को कैसे जानती है" मेरा ये पूछना स्वभाविक था।

"किसी समय वो मेरा बॉयफ्रेंड था, लेकिन जल्दी ही मुझे ये एहसास ही गया कि मैंने गलत आदमी से प्यार कर लिया है, उसके बाद मैंने उससे अपने रिलेशन ख़त्म कर लिये, और दूसरी जगह शादी कर ली, उसके बाद से वो बन्दा मेरी जान का दुश्मन बना हुआ है" अनामिका ने पूरी बात बताई।

"देखिए मैं एक डिटेक्टिव हूँ… मेरा पाला हर रोज ऐसे लोगो से ही पड़ता है, आप मेरा ये कार्ड रख लीजिए, और कल मेरे आफिस आकर मुझे सभी कुछ डिटेल में बताइये, हो सकता है, इसके बाद आपका बॉयफ्रेंड फिर कभी आपको परेशान न करे" मैंने उसको विश्वास दिलवाने वाले शब्दो मे बोला।

"अगर आपने सच मे मेरा उस आदमी से पीछा छुड़ा दिया तो, आपको आपके वजन के बराबर नोट से तोल दूँगी" अनामिका ने उत्साहित स्वर में बोला।

"लेकिन मैडम इतना बता दीजिए कि वो नोट दस के होंगे या दो हजार के होंगे" मैंने उसकी बात का झोल पकड़ते हुए बोला।:D

मेरी बात सुनकर वो नाजनीन न केवल मुस्कराई बल्कि खिलखिलाकर हँस भी पड़ी।

"आप बहुत हाजिर जवाब हो रोमेश साहब" अनामिका ने मेरा नाम मेरे विजिटिंग कार्ड पर पढ़ते हुए बोला।

"चलिये अब मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूँ, वैसे भी रात अब गहरी होती जा रही है" मैंने अनामिका की तरफ देख कर बोला।

"काफी शरीफ आदमी मालूम पड़ते हो रोमेश साहब, वरना मौसम तो आशिकाना है" उस जालिम ने एकाएक ऐसी बात बोलकर मेरे दिल के तारों को झंकृत कर दिया।

"इस मौसम की वजह से ही तो बोल रहा हूँ, आपके कपडे गीले हो चुके है, घर आपका पास में ही है, मैं अपको घर छोड़ देता हूँ, ताकि आप इन गीले कपड़ो से छुटकारा पा सको" मैंने अनामिका की बात को एक नया मोड़ दिया।

"लेकिन मैं अभी घर नही जाना चाहती हूँ, मेरे पति भी आज घर पर नही है, और मुझे ऐसे हालात में डर भी बहुत लगेगा"

अनामिका अब सीधे सीधे मेरे गले पड़ रही थी। जबकि मेरी छटी इंद्री मुझे बार बार सचेत कर रही थी।

मुझे न जाने क्यो ये लडकी खुद को जो बता रही थी,वो नही लग रही थी।

लेकिन इस बार उसने जो बहाना बनाया था, उसने मुझे कुछ बोलने लायक नही छोड़ा था।

"लेकिन देवी जी, ये बन्दा यहां अकेला रहता है, कल को किसी को पता चलेगा तो आपकी बदनामी नही होगी" मैने वो बात बोली, जो आजकल के जमाने मे अपनी अहमियत खो चुकी थी।

मेरी इस बात को अनामिका की हँसी ने सही भी साबित कर दिया था।

"किस जमाने मे जी रहे हो रोमेश बाबू, आजकल किसके पास इतनी फुर्सत है कि कोई मेरी रातों का हिसाब रखें कि मैं अपनी रात कहाँ किसके साथ बिताकर आ रही हूँ.. यार अब ये फालतू की बाते बन्द करो, और अगर एक कप कॉफी पिला सकते हो तो पिला दो" अनामिका मेरे गले पड़ने में कामयाब हो चुकी थी।

मैं मरता क्या न करता के अंदाज में अपने किचन की ओर चल दिया।

कॉफी की जरूरत तो मुझे भी थी। इसलिए मैंने कॉफी के लिये कोई आना कानी नही की।

मैंने अपने बरमूडा से अपनी पिस्टस्ल को निकाल कर दराज में डाला और कॉफी बनाने के वास्ते किचन की ओर चल दिया।

मै कोई दस मिनट के बाद काफी बनाकर जब बैडरूम में पहुंचा तो अनामिका वहां नही थी।

मैंने इधर उधर नजर दौड़ाई, लेकिन वो कहीं नजर नही आई। मैंने बाथरूम की तरफ देखा, उसका दरवाजा भी बाहर से ही लॉक था।

मैने दरवाजे पर नजर डाली, दरवाजा इस वक़्त हल्का सा खुला हुआ था। मुझे तत्काल इस बात का ध्यान हो आया कि दरवाजा मैंने अनामिका के घर मे घुसते ही बन्द कर दिया था।

अब दरवाजा खुला होने का मतलब था कि चिड़िया फुर्र हो चुकी थी।

मैंने दोनो कॉफी के कप टेबल पर रखे, और अपने बेड पर धम्म से बैठ गया।

मेरी समझ मे नही आ रहा था की मेरे फ्लैट में आने का उसका मकसद क्या था, और वो जिस तरह से एकाएक गायब हुई है, उसके पीछे उसका उद्देश्य क्या था।

अचानक ही मेरे दिमाग मे एक बिजली सी कौंधी और मै अपनी जगह से उछल कर खड़ा हो गया।

मैंने तत्काल कमरे में अपनी नजर घुमाई। घर की सभी चीजें अपने स्थान पर यथावत थी।

फिर मैंने दराजो को खंगालना शुरू किया। दराज में नजर पड़ते ही मेरे होश फाख्ता हो चुके थे।

आपके इस सेवक की पिस्टल दराज से गायब थी।


जारी रहेगा________✍️
Shuruaat se hi story ne pakad liya — Delhi ki thand, baarish aur Romesh ke funny style ekdum real feel diya
Anamika ki sudden entry ne to suspense aur thrill dono badha diye
Romesh ka character mujhe bahut real laga — smart bhi hai, honest bhi, aur apni harkaton se thoda mastikhor bhi 😄

Dialogues itne natural the ki padte padte face pe smile aa gayi 😊
Aur last me jab pistol gayab hui… uff! ekdum unexpected twist
Ab to bas dil me ek hi sawaal hai — Anamika sach me kaun hai, aur Romesh kis museebat me phansne wala hai

suspense aur humor ka perfect combo bana diya hai Raj_sharma
Waiting for next update...
 

sam21003

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बारिश: (रात 8 बजे!)

इस बार दिल्ली की सर्दियों में बारिश अपना अलग ही स्यापा कर रही थी।
कहने वाले तो कहने लगे थे कि, दिल्ली भी बारिश के मामले में अब मुम्बई बनती जा रही है।

एक तो जनवरी के पहले सप्ताह की कड़ाके की सर्दी और उस पर ये बारिश का कहर।

मैं उसी सर्दी की मार से बचने के लिए इस वक़्त अपने फ्लैट में अपने बेड पर और अपनी ही रजाई में लिपट कर अपनी सर्दी को दूर भगाने का प्रयास कर रहा था।

अब आप भी सोच रहे होंगे की ये कौन अहमक इंसान है,जो बेवजह दिल्ली के मौसम का आँखों देख़ा हाल सुना रहा है। :D

वैसे तो अभी तक आपने अपने इस सेवक को पहचान ही लिया होगा , लेकिन फिर भी मैं आपको बता दूं कि मैं “रोमेश!” दिल्ली में एक छोटा मोटा जासूसी का धंधा करता हूँ…न न मैं कोई राॅ का एजेंट नही हूँ,मैं तो एक प्राइवेट डिटेक्टिव हूँ, जो सिर्फ कत्ल के केस में ही अपनी टांग घुसाता है। :yo:

जासूसी के बाकी धंधो मसलन, शक धोखा, पीछा, तलाक जैसे सड़क छाप धंधों से मैं दूर ही रहता हूँ।

बन्दे को बचपन से ही जासूसी उपन्यास पढ़ने का शौक इस कदर था, की जिस उम्र में मुझें स्कूल की किताबें पढ़नी चाहिए थी,उस उम्र में मैं दिन रात जासूसी किस्से कहानिया पढ़ा करता था।:dazed:

इसी वजह से अपुन का मन भी सिर्फ जासूसी में ही अपना मुकाम बनाने का करने लगा था।

वैसे तो आपका ये सेवक जासूसी में दिल्ली से लेकर मेरठ आगरा ,मुम्बई और राजस्थान तक अपने झंडे गाड़ चुका था ,और आज किसी परिचय का मोहताज नही था , लेकिन मेरी एक नकचढ़ी सेक्रेटरी है,जिसका नाम रागिनी है, वो बन्दे की इस काबलियत की जरा भी कदर नही करती है,:beee: उसकी नजर में अपन आज भी घर की मुर्गी दाल बराबर है, लेकिन उसकी महिमा का बखान मैं बाद में करूँगा, इस वक़्त आपके इस जिल्ले-इलाही के फ्लैट को कोई बुरी तरह से पीट रहा था।

दरवाजा इतनी बेतरतीबी से पीटा जा रहा था कि, मानो कोई दरवाजा तोड़कर अंदर घुसना चाहता हो, मैं हड़बड़ाकर अपनी रजाई में से निकला और दराज में से अपनी पिस्टल निकालकर अपने बरमूडा में फँसाई और तेज कदमो दरवाजे की ओर बढ़ा और दरवाजे के पास जाकर ठिठक गया।

"कौन है,क्यो दरवाजा तोड़ने पर आमादा हो "मैंने बन्द दरवाजे के पीछे से ही बोला।

"दरवाजा खोलो ! मैं बहुत बड़ी मुसिबत में हूँ" ये किसी लड़की की घबराई हुई आवाज थी।

अब एक तो लड़की और ऊपर से मुसीबतजदा, और ऊपर से गुहार भी उस इंसान से लगा रही थी,जो मुसीबतजदा लड़कियों का सबसे बड़ा खैरख्वाह था,:smarty: तो अब दरवाजा खोलना तो बनता था, सो मैंने दरवाजा खोला और फोरन से पेश्तर खोला।

दरवाजा खोलते ही मुझे यू लगा मानो कोई आंधी तूफान कमरे में घुस आया हो, वो लडकी डेढ़ सौ किलोमीटर की रफ्तार से कमरे में घुसी और सीधा मेरे बेड पर बैठ गई।

मै किंककर्तव्यमूढ़ सा बस उस
लड़की की ओर देखता रहा, उस मोहतरमा में एक बार भी मुझ से अंदर आने के लिए पूछना गवांरा नही समझा था।

"दरवाजा बंद करो न, ऐसे क्या देख रहे हो, कभी कोई लडकी नही देखी क्या" उस लड़की की आवाज जैसे ही मेरे कानो में पड़ी, मैंने हड़बड़ा कर दरवाजे को बन्द कर दिया।

दरवाजा बंद करते ही मेरी नजर उस लड़की पर पहली बार पूरी नजर पड़ी थी। लड़की उची लंबे कद
की बेइंतेहा खूबसूरत थी।

उसके कटीले नैन नक्श पर उसका मक्खन में सिंदूर मिला रंग तो कयामत ही ढा रहा था।

उसे ध्यान से देखते ही मेरे दिल की घण्टिया किसी मंदिर के घड़ियाल की तरह से बजने लगी थी।:love2:

पता नही साला ये अपनी उम्र का तकाजा था या अभी तक कुंवारा रहने का नतीजा था कि,आजकल अपुन को हर लड़की खूबसूरत लगती थी। :loveeyed2:

मुझे इस तरह से कुत्ते की तरह से अपनी तरफ घूरते हुए देखकर वो लड़की अब बेचैनी से अपना पहलू बदलने लगी थी।:D

"हो गया हो तो, अब इधर भी आ जाओ" उस लड़की को शायद ऐसी कुत्ती निग़ाहों का अच्छा खासा तजुर्बा था।

होता भी क्यो नही, जो जलवा उसकी खूबसूरती का था, उसके मद्देनजर तो जिसने भी डाली होगी मेरे जैसी कुत्ति नजर ही डाली होगी।

लेकिन आपके इस सेवक ने लड़की के बोलते ही अपनी इस छिछोरी हरकत पर ब्रेक लगाई,और चहलकदमी करता हुआ उसके सामने आकर खड़ा हो गया।

एक तो साला सर्दी का मौसम, ऊपर से कड़कड़ाती बरसात, और अब ये कहर बरपाती मेरे ही बेड पर बैठी हुई मोहतरमा, मेरी जगह कोई और होता तो अभी तक इस खूबसूरत बला के साथ पूरी रात की योजना अपने ख्यालों में बना चुका होता, लेकिन अपनी नजर भले ही कितनी भी कुत्ती हो, दिल शीशे की तरह से साफ है।:declare:

"कौन हो तुम, और इतनी बरसात में मेरे पास क्यो आई हो" मै अब उसकी सुंदरता के खुमार से कुछ कुछ निकलते हुए बोला।

"मेरी जान खतरे में है,मुझे कोई मारना चाहता है" उस लड़की की आवाज में फिर से घबराहट का पुट आ चुका था।

"लेकिन आपको मेरे बारे में किसने बताया कि मैं मुसीबतजदा हसीनाओं की मदद आधी रात को भी सिर के बल चल कर करता हूँ" मैं अब अपनी जासूस वाली फोम में आता जा रहा था।

"मैं आपको नही जानती, मेरे पीछे तो कुछ लोग लगे हुए थे, मैं तो उनसे बचने के लिए आपके फ्लैट का दरवाजा पीटने लगी थी" उन मोहतरमा ने जो बोला था, वो मेरे लिए अनपेक्षित था ।

ऐसे कोई जबकि सर्दियो के दिनों में आठ बजते ही आधी रात का आलम लगने लगता है, क्यो किसी अंजान के घर मे ऐसे घुसेगा और न सिर्फ घुसेगा बल्कि आकर आराम से आकर बेड पर भी बैठ जाएगा।

"आप हो कौन, और कौन लोग है जो आपकीं जान लेना चाहते है" मैंने एक स्वभाविक सवाल किया।

"मेरा नाम अनामिका है, मै यही आपके इलाके के सेक्टर ग्यारह में रहती हूँ, मैं इधर किसी काम से आई थी, लेकिन जब मैं घर वापिस जा रही थी, तो मैंने देखा कि चार लोग मेरा पीछा कर रहे थे, मैं उन्हें देख कर घबरा गई और भागने लगी, तभी आपके फ्लैट पर नजर पड़ी, आपकी लाइट भी जली हुई थी, तो आपके फ्लैट का दरवाजा पीटने लगी" अनामिका ने बोला।

"उन लोगो को आपने पहले भी कभी अपने पीछे आते हुए देखा है, या आज ही देखा था" मै अब उससे सवाल जवाब करने के मूड में आ गया था।

"उन लोगो को तो मैंने आज ही देखा था, लेकिन मुझे कई दिनों से लग रहा है कि कोई मेरा पीछा कर रहा है" अनामिका ने रहस्यमय तरीके से बोला।

"ऐसा लगने का कोई कारण भी तो होना चाहिए, क्या आपको किसी से अपनी जान का खतरा है" मैंने उसके जवाब में से ही सवाल ढूंढा।

"खतरा तो मेरी जान को बहुत है, मुझे नही पता कि मौत किस पल मेरा शिकार कर ले" अनामिका की आवाज से ही ये बोलते हुए उसका डर झलक रहा था।

"कौन लेना चाहता है तुम्हारी जान" मैंने फिर से उसी सवाल को घुमा फिरा कर पूछा।

"धीरज!पूरा नाम उसका धीरज खत्री है" अनामिका ने मुझे उस बन्दे का नाम बताया।

"आप धीरज को कैसे जानती है" मेरा ये पूछना स्वभाविक था।

"किसी समय वो मेरा बॉयफ्रेंड था, लेकिन जल्दी ही मुझे ये एहसास ही गया कि मैंने गलत आदमी से प्यार कर लिया है, उसके बाद मैंने उससे अपने रिलेशन ख़त्म कर लिये, और दूसरी जगह शादी कर ली, उसके बाद से वो बन्दा मेरी जान का दुश्मन बना हुआ है" अनामिका ने पूरी बात बताई।

"देखिए मैं एक डिटेक्टिव हूँ… मेरा पाला हर रोज ऐसे लोगो से ही पड़ता है, आप मेरा ये कार्ड रख लीजिए, और कल मेरे आफिस आकर मुझे सभी कुछ डिटेल में बताइये, हो सकता है, इसके बाद आपका बॉयफ्रेंड फिर कभी आपको परेशान न करे" मैंने उसको विश्वास दिलवाने वाले शब्दो मे बोला।

"अगर आपने सच मे मेरा उस आदमी से पीछा छुड़ा दिया तो, आपको आपके वजन के बराबर नोट से तोल दूँगी" अनामिका ने उत्साहित स्वर में बोला।

"लेकिन मैडम इतना बता दीजिए कि वो नोट दस के होंगे या दो हजार के होंगे" मैंने उसकी बात का झोल पकड़ते हुए बोला।:D

मेरी बात सुनकर वो नाजनीन न केवल मुस्कराई बल्कि खिलखिलाकर हँस भी पड़ी।

"आप बहुत हाजिर जवाब हो रोमेश साहब" अनामिका ने मेरा नाम मेरे विजिटिंग कार्ड पर पढ़ते हुए बोला।

"चलिये अब मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूँ, वैसे भी रात अब गहरी होती जा रही है" मैंने अनामिका की तरफ देख कर बोला।

"काफी शरीफ आदमी मालूम पड़ते हो रोमेश साहब, वरना मौसम तो आशिकाना है" उस जालिम ने एकाएक ऐसी बात बोलकर मेरे दिल के तारों को झंकृत कर दिया।

"इस मौसम की वजह से ही तो बोल रहा हूँ, आपके कपडे गीले हो चुके है, घर आपका पास में ही है, मैं अपको घर छोड़ देता हूँ, ताकि आप इन गीले कपड़ो से छुटकारा पा सको" मैंने अनामिका की बात को एक नया मोड़ दिया।

"लेकिन मैं अभी घर नही जाना चाहती हूँ, मेरे पति भी आज घर पर नही है, और मुझे ऐसे हालात में डर भी बहुत लगेगा"

अनामिका अब सीधे सीधे मेरे गले पड़ रही थी। जबकि मेरी छटी इंद्री मुझे बार बार सचेत कर रही थी।

मुझे न जाने क्यो ये लडकी खुद को जो बता रही थी,वो नही लग रही थी।

लेकिन इस बार उसने जो बहाना बनाया था, उसने मुझे कुछ बोलने लायक नही छोड़ा था।

"लेकिन देवी जी, ये बन्दा यहां अकेला रहता है, कल को किसी को पता चलेगा तो आपकी बदनामी नही होगी" मैने वो बात बोली, जो आजकल के जमाने मे अपनी अहमियत खो चुकी थी।

मेरी इस बात को अनामिका की हँसी ने सही भी साबित कर दिया था।

"किस जमाने मे जी रहे हो रोमेश बाबू, आजकल किसके पास इतनी फुर्सत है कि कोई मेरी रातों का हिसाब रखें कि मैं अपनी रात कहाँ किसके साथ बिताकर आ रही हूँ.. यार अब ये फालतू की बाते बन्द करो, और अगर एक कप कॉफी पिला सकते हो तो पिला दो" अनामिका मेरे गले पड़ने में कामयाब हो चुकी थी।

मैं मरता क्या न करता के अंदाज में अपने किचन की ओर चल दिया।

कॉफी की जरूरत तो मुझे भी थी। इसलिए मैंने कॉफी के लिये कोई आना कानी नही की।

मैंने अपने बरमूडा से अपनी पिस्टस्ल को निकाल कर दराज में डाला और कॉफी बनाने के वास्ते किचन की ओर चल दिया।

मै कोई दस मिनट के बाद काफी बनाकर जब बैडरूम में पहुंचा तो अनामिका वहां नही थी।

मैंने इधर उधर नजर दौड़ाई, लेकिन वो कहीं नजर नही आई। मैंने बाथरूम की तरफ देखा, उसका दरवाजा भी बाहर से ही लॉक था।

मैने दरवाजे पर नजर डाली, दरवाजा इस वक़्त हल्का सा खुला हुआ था। मुझे तत्काल इस बात का ध्यान हो आया कि दरवाजा मैंने अनामिका के घर मे घुसते ही बन्द कर दिया था।

अब दरवाजा खुला होने का मतलब था कि चिड़िया फुर्र हो चुकी थी।

मैंने दोनो कॉफी के कप टेबल पर रखे, और अपने बेड पर धम्म से बैठ गया।

मेरी समझ मे नही आ रहा था की मेरे फ्लैट में आने का उसका मकसद क्या था, और वो जिस तरह से एकाएक गायब हुई है, उसके पीछे उसका उद्देश्य क्या था।

अचानक ही मेरे दिमाग मे एक बिजली सी कौंधी और मै अपनी जगह से उछल कर खड़ा हो गया।

मैंने तत्काल कमरे में अपनी नजर घुमाई। घर की सभी चीजें अपने स्थान पर यथावत थी।

फिर मैंने दराजो को खंगालना शुरू किया। दराज में नजर पड़ते ही मेरे होश फाख्ता हो चुके थे।

आपके इस सेवक की पिस्टल दराज से गायब थी।


जारी रहेगा________✍️
Bahut hi shandar shuruwat
 
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