अपडेट १६#
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युविका को ये सुन कर झटका लगता है की जिस कुमार को वो बचपन से चाहती आ रही है, वो सुनैना से प्यार करता है। उसका मन उदास हो जाता है ये सब जान कर, मगर उसका जिद्दी चित्त उसे चैन नहीं लेने देता, और वो कुछ सोच कर एक कुटिल मुस्कान के साथ सबके पास चली जाती है.....
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इस बार होलिका का उत्सव बहुत ही धूम धाम से संपन्न हुआ। कुमार, युविका और सुनैना के साथ मिल कर सबने इससे यादगार बना दिया था। ये देख राजा और सारे मंत्रीगण भी बहुत खुश थे की राज्य की आने वाली पीढ़ी भी राज्य और प्रजा के प्रति गंभीर है।
आधी रात तक समारोह चलता रहा और जब उसके बाद सब लोग आराम करने के लिए जाने लगे तभी राजा सुरेंद्र ने विक्रम को अपने साथ अकेले में आने को कहा, जिसे सुन कर विक्रम कुमार से सबको घर ले जाने को कहते हैं।
कुमार सबको घर ले कर आ जाता है, और कुछ समय के बाद विक्रम भी घर लौट आता है, और सीधे अपने कमरे में चला जाता है। वो कुछ परेशान सा लगता है कुमार को, लेकिन उसे लगता है कि शायद राज्य से संबंधित कोई समस्या होगी, और वो भी अपने कमरे में जा कर सो जाता है, क्योंकि उसे कल अपने और सुनैना के बारे में बात करनी थी।
अगले दिन सुबह कुमार बहुत उत्साह से अपने मां पिता के पास जाता है और उनके पैर छू कर उनका आशीर्वाद लेता है। दोनो उसे चिरंजीवी होने का आशीर्वाद देते हैं, लेकिन उनके चेहरे पर कुछ परेशानी साफ देखी जा सकती थी।
ये देख कर कुमार: क्या बात है पिताजी? आप कल रात जबसे महल से लौटे हैं काफी चिंतित दिख रहे हैं। और अभी मां भी कुछ उदास सी हैं। क्या बात है आखिर?
विक्रम, मुस्कुराते हुए: हमारी छोड़ो, पहले तुम बताओ, इतने उत्साहित हो सुबह सुबह। क्या बात है?
कुमार, शर्माते हुए: मां, पिताजी, मुझे आपसे कुछ बात करनी है। वो पिताजी, मैं... मैं... मतलब हम....
विक्रम: कुमार, ये क्या मैं हम्बलागा रखा है, सीधे सीधे बोलो क्या बात करनी है?
कुमार: जी पिताजी, वो दरअसल मैं और... मैं और सुनैना... एक दूसरे से प्रेम करते हैं, और आपकी इजाजत से शादी करना चाहते हैं।
इतना बोल कर कुमार शर्म से अपनी गर्दन नीचे कर लेता है, लेकिन उसकी ये बात उसके मां पिताजी को और चिंता में डाल देती है।
कुमार, सर नीचे झुकाए हुए ही: मां कुछ तो बोलो आप। क्या सुनैना आपको पसंद नही है? पिताजी?
विक्रम: बेटा, सुनैना बहुत अच्छी लड़की है, और वो हम क्या किसी को भी नापसंद तो नही ही होगी। लेकिन एक बात बताओ, तुम्हे युवरानी कैसी लगती है?
कुमार: युविका? वो तो हमारी सबसे अच्छी मित्र है पिताजी, बहुत अच्छी है वो। लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?
विक्रम: दरअसल बेटा, हमे आपके और सुनैना के बारे में पहले से अंदेशा था। और आपकी मां को तो सुनैना बहुत पसंद है, और उनको आप लोग के बारे में सब पता था पहले से ही।
कुमार: कैसे मां? क्या सुनैना ने बोला आपको।
बीना (कुमार की मां): बेटा, हम मां हैं आपकी। आपके बारे में सब हमे बस आपके चेहरे को देख कर ही लग जाता है।
विक्रम: पर बेटा, हम शायद आप दोनो की शादी नही करवा पाए।
कुमार, आश्चर्य से: पर क्यों पिताजी?
विक्रम: आप पूछ रहे थे न कि हम दोनो चिंतित क्यों हैं। दरअसल, कल रात को जब महराज जी ने हमे रोक कर कुछ बात करने कहा था, तो उन्होंने आपके और युविका के रिश्ते की बात की है। युविका ने महराज को कहा है की आप और युविका प्रेम करते है, और वो आपसे शादी करना चाहती है। ये बात सुन कर ही हम चिंतित हैं, क्योंकि हम तो आपके और सुनैना के बारे में लग रहा था, पर युविका?
कुमार: नही पिताजी, हम और युविका बस अच्छे मित्र है, हमारे बीच ऐसी कभी कोई बात ही नही हुई। फिर आखिर उसने ऐसा क्यों बोला महाराज को, जरूर कोई गलतफहमी हुई है। मैं महाराज से बात करता हूं।
विक्रम: जरूर बात करिए, देखिए आखिर क्या गलतफहमी हुई है महराज को। हम तो उनको मना भी नही कर सकते, आखिर वो न सिर्फ हमारे महराजा है, हमारे अच्छे मित्र भी है। लेकिन आपकी खुशी सबसे बढ़ कर है बेटे।
कुछ देर बाद सब लोग महल के लिए निकल जाते हैं। उधर महल में होली का उत्सव शुरू हो चुका होता है। युविका आज बहुत बहुत उत्साह के साथ होली खेल रही थी। तभी उसकी नजर कुमार पर पड़ती है जो बहुत ही गुस्से में महराज की तरफ जा रहा था, जिसे देख युविका भी पीछे से उसी ओर जाने लगती है।
कुमार महराज के पास पहुंच कर उनके पैर छूता है, और कहता है: महराज, मुझे आपसे कुछ बात करनी है।
महराज सुरेंद्र: बोलो बेटे, और आप अब मुझे महराज न कहा करो, पिताजी कहो।
कुमार: यहां नही, महराज। कहीं अकेले में।
महाराज उसको ले कर एक कमरे की ओर चल देते हैं। युविका भी छुपते हुए उनके पीछे चल देती है।
कमरे में पहुंचते ही।
महाराज: बोलो बेटे, क्या बात करनी है आपको? और आप इतने गुस्से में क्यों नजर आ रहे हैं?
कुमार: महाराज, क्या आपने कल पिताजी से मेरे और युविका के रिश्ते की बात की है?
महाराज: हां बेटे, आप और युविका तो प्रेम करते हैं न एक दूसरे को, बस इसीलिए।
कुमार: पर महाराज, ये आपसे किसने कहा की हम दोनो एक दूसरे से प्रेम करते हैं?
महाराज, थोड़ा आश्चर्य से: खुद युविका ने।
कुमार, आश्चर्य से: क्या? पर हमारी कभी ऐसी बात ही नही हुई। मैं तो उसको बस अपना सबसे अच्छा दोस्त मानता हूं, और महाराज मैं ये शादी भी नही करना चाहता।
महाराज: पर क्यों बेटे? क्या कमी है युविका में?
कुमार: नही महाराज, युविका तो बहुत अच्छी लड़की है, कोई कमी नही है उसमे। लेकिन मैं उससे प्रेम नही करता, बस इसीलिए।
महाराज: फिर युविका ने ऐसा क्यों कहा? क्या वो आपसे प्रेम करती है, और क्या आप नही करते?
कुमार: ये बात उसने भी कभी नही की, तो मैं कैसे कहूं महाराज, वैसे भी मैं सुनैना से प्रेम करता हूं। इसीलिए शादी भी बस उसी से करूंगा।
तभी कमरे में युविका आती है, और: और मैं जो तुमसे प्रेम करती हूं कुमार, उसका क्या?
महाराज: युविका, आप बिना आज्ञा हमारे कमरे में कैसे आईं? और आप हमारी बातें छिप कर सुन रही थी? इसकी सजा मिलेगी आपको।
युविका: पिताजी, ये हमारी जिंदगी का सवाल है। हमने आपसे कल ही कहा था कि बिना कुमार के हम जी नही पाएंगे।
महाराज: युविका, आप अभी बाहर जाइए, हम आपसे बाद में बात करेंगे, और ये आपके पिता नही महाराज सुरेंद्र की आज्ञा है।
ये सुन कर युविका तेज कदमों से वहां से चली जाती है।
महाराज: कुमार, हमने आपकी बात सुनी, और ये भी जानता हूं कि आपके लिए ये विवाह संभव नहीं है। लेकिन हम चाहते हैं कि ये बात आप युविका को समझाएं।
कुमार: लेकिन महाराज ये कैसे संभव है, सब उनके जिद्दी स्वभाव से परिचित है, और ऐसी स्थिति में वो बस आपकी और महारानी की ही सुनती हैं। हम कैसे उन्हें समझा सकते हैं भला?
महाराज: हम जानते हैं, लेकिन फिर भी पहले आप कोशिश करिए। नही हुआ तो हम हैं न। और आपके पिताजी को हम बता देंगे आपके और सुनैना बेटी के बारे में, वो भी हमारी ही बच्ची है। लेकिन हम चाहते थे कि आप ही हमारे दामाद बने, लेकिन शायद होनी को ये मंजूर नहीं। खैर, आप जाएं और युविका को समझाएं।
कुमार बाहर आ कर युविका को ढूंढने लगता है, लेकिन वो उसे कहीं नहीं दिखती। फिर वो महल के पीछे बने तालाब की ओर चला जाता है, क्योंकि वही इन तीनों के मिलने की जगह थी।
युविका तालाब के किनारे उसे मिल जाती है, जो बहुत ही गुस्से में थी। कुमार उसके पास पहुंच कर साथ में बैठ जाता है।
युविका: अब क्यों आए हो यहां। जब मैं पसंद ही नही तब?
कुमार: युविका आप बात क्यों नहीं समझ रही है, हम आपसे प्यार नही करते, और अगर जो हमारी और आपकी शादी हो भी गई, तो भी शायद हम कभी एक न हो पाए, और उस तरह से तो आप हमको पूरी तरह से खो देंगी। अभी कम से कम हम आपके मित्र तो रहेंगे ही हमेशा।
युविका: मगर हम आपसे प्यार करते हैं कुमार, और कभी किसी और से शायद न कर पाएं। और तुमने कभी क्या मुझे प्रेम नही किया?
कुमार: बिल्कुल नही युविका, आप हमेशा से हमारी अच्छी मित्र रही हैं, और हम हमेशा आपको उसी नजर से देखते आएं है। और आपने भी तो कभी इसका अहसास नही होने दिया। वैसे भी प्रेम किया नही जाता, बस हो जाता है। मेरी बात मानिए और हमारी मित्रता की खातिर ही सही, कृपया अपनी जिद छोड़ दीजिए।
युविका, रोते हुए: तुमको प्यार हो सकता है तो क्या मुझे नही? तुम नही भूल सकते तो मैं कैसे भूल जाऊं?
और वो वहां से उठ कर चली जाती है। कुमार भी हताश हो कर वापस महाराज के पास जाकर सारी बात बताता है। महाराज उसे आश्वाशन देकर घर भेज देते हैं।
कई दिन तक महाराज और महारानी युविका को समझते हैं, इसी बीच कुमार और नैना की सगाई भी हो जाती है। इधर सबके इतना समझने पर भी युविका अपनी जिद नही छोड़ पाती, लेकिन ऊपर से वो अब शांत दिखती थी, और एक दिन वो कुछ निर्णय ले कर भैंरवी के पास कुछ साधना करने चली जाती है.....