Darkk Soul
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Jhakas update sir jeeअध्याय 22
मैं अपने कमरे में ही बैठा था और पुरे काबिले में हल्ला हो गया की मुझे होश आ चूका है , काबिले के सरदार और उसकी बीबी भी मुझसे मिलने पहुच गए ….
वांग भी उनके साथ आया ..
“ये सरदार .. काबिले के “
वांग ने अपनी टूटी फूटी हिंदी में कहा , मैंने आदर से हाथ जोड़कर उनका नमन किया , सरदार बुम्बदु एक शक्तिशाली व्यक्ति प्रतीत हो रहा था , वो काजल की तरह काला था मानो धुप में तपाया गया हो , और उसका शरीर जैसे जंगलो में विचरता कोई स्वतंत्र शेर हो , बदन गठीला तो नहीं था लेकिन पेट बिलकुल ही सपाट थी , बड़ी बड़ी भुजाये और भुजाओ में पहने घास और लकडियो के आभूषण उसकी शोभा बढ़ा रहे थे , छाती चर्बी युक्त थी लेकिन उसे थुलथुला नहीं कहा जा सकता , उसकी साफ़ आँखों में चमक थी और चमकदार दांत उसके काले चहरे में जैसे जगमगा जाते , वही उसके साथ खड़ी उसकी बहन और बीवी बम्बादा उसकी ही तरह चर्बी युक्त और श्याम रंग की थी , जैसे बरसात के बादल हो , उसे देखकर मैं अपने आँखों को उसके जिस्म पर चलाने से रोक ही नहीं पाया कोई 35-40 की उम्र रही होगी और गदराये जिस्म पर अलग अलग जगह कई टेटू थे , माना की टेटू का नीला रंग उसके काले रंग में थोडा दब सा जा रहा था लेकिन उसके गोल चहरे में उसकी ठोड़ी पर बने 4 बिंदु बहुत ही मनमोहक लग रहे थे , पेड़ के पत्तो से बनी हुई एक स्कर्ट सी चीज पहने हुई थी , वही गले में डाले गए कई माला भी उसके स्तन को छुपाने में नाकाम थे , ना ही वो इसे छिपाने की कोई भी कोशिस ही कर रही थी , शायद यंहा महिलाओ को अपने वक्ष छिपाने की जरुरत नहीं थी , उसके बड़े बड़े तरबूज उसकी छातियो में बड़े ही गर्व से झूल रहे थे और मेरी निगाह एक बार वही रुक सी गई , मुझे खुद पर ही थोड़ी शर्म आई और मैंने अपनी नज़रे निचे कर ली , लेकिन मैं फिर से उसके जन्घो के बीच जाकर रुक गया , दो पत्ते के बीच से झांकते हुए योनी के बाल ने मेरा पूरा आकर्षण खिंच लिया था , मुझे होश में आये बहुत समय बीत चूका था लेकिन अब जाकर मुझे अपने लिंग का अहसास हुआ , मैं थोडा डर भी गया क्योकि वो इतना कड़क हो चूका था की मेरे शरीर के निचले हिस्से को ढकने के लिए डाला गया एक छोटा सा कपडा अब एक तम्बू जैसा बन चूका था ...
दोनों की नज़ारे भी वंहा पड़ी और दोनों ने आपस में कुछ कहा
मैं डर रहा था की कही ये हरकत मुझे भारी न पड़ जाए
“ये क्या बोल रहे है “
मैंने साथ ही सर झुकाए खड़े वांग से पूछा
“लिंग .. अकड़ा दो रात से “
मुझे समझ नहीं आया की ये क्या बोल रहा है , तभी हाथ में एक बड़ी सी पुस्तक लिए गैरी वंहा आया , उसने सरदार से कुछ बात की और सब वंहा से चले गए , अब कमरे में बस मैं और गैरी ही बचे थे ...
“सरदार क्या बोल रहा था “
मैंने उत्सुकता से पूछा
“कुछ नहीं वो राज जानना चाहता है जिसके कारन तुम्हारा लिंग इस हालत में भी पिछले दो दिनों से अकड़ा हुआ है “
मैंने अपने लिंग को देखा , दर्द तो मुझे अभी महसूस हुआ था लेकिन ये अकड़ा हुआ पहले से ही था , मैंने इस पर अभी तक कोई भी ध्यान नहीं दिया था ..
“लेकिन ऐसा कैसे हो गया ??”
मैं भी आश्चर्य में था
“मुझे तो लगता है की तुम्हारे अन्डकोशो के साथ किसी ने खिलवाड़ किया है , या तुमने ही कोई सर्जरी करवाई हो अपनी बीवी को खुस रखने के लिए “
गैरी के होठो में एक अर्थपूर्ण मुस्कान थी , मुझे डॉ का कमीनापन याद आया , कैसे उसने मुझे बेहोस करके मेरे अन्डकोशो के साथ खिलवाड़ किया था ..
“मैंने नहीं डॉ चुतिया ने मुझे सजा देने के लिए ऐसा किया था “
गैरी की आंखे बड़ी हो गयी ,
“ये सजा है ??? मुझे तो लगा की ये कोई पुरुस्कार है जो तुम्हे मिला होगा , इस काबिले में सेक्स की बहुत ही महत्ता है क्योकि इसी से ओरतो के गर्भ में बिज जाता है , ऐसे भी यंहा पर संक्रमण और दूसरी बीमारियों के कारन पैदा होने वाले बहुत कम बच्चे ही बच पाते है , जो बच जाते है वो तगड़े ही होते है क्योकि जो बच्चा ऐसी स्थितियों में बच जाए समझ लो उसकी प्रतिरोधक क्षमता कमाल की होगी “
“ओह्ह्ह “
मेरे मुह से बस इतना ही निकला , शायद डॉ की लगाईं डिवाइस में कोई झोल हो गया था और मेरा लिंग अब खड़ा ही रहने वाला था ..
“मैंने तुम्हारे अन्डकोशो की जाँच की लेकिन मुझे कुछ मिला नहीं , ऐसे भी तुम्हे इतनी चोट आई है की मुझे लगा था की तुम कभी बाप भी नहीं बन पाओगे , लेकिन दो दिनों से इसे देखकर सभी स्तब्ध है , तुम्हे कुछ महसूस हो रहा है ??”
“हां मैंने जब सरदार की पत्नी को देखा तो मेरे लिंग में मुझे थोड़ी हलचल सी महसूस हुई , उससे पहले तक तो मुझे भी नहीं पता था की मेरा लिंग इस तरह से अकड़ा हुआ है “
“कमाल है .... मतलब जब तुम्हारे अन्दर हवास जागता है तब ही तुम्हे अपने लिंग का आभास होता है जैसे की सामान्य रूप से सभी के साथ होता है , ये तो अच्छा है ना “
गैरी जन्हा खुश हो रहा था मेरी हालत ख़राब हो रही थी
“क्या खाक कमाल है , ऐसा ही रहा तो मैं तो पागल हो जाऊंगा , इस तरह इस खड़े हुए लिंग को लेकर मैं कहा कहा घुमु “
गैरी जोरो से हँस पड़ा
“फिक्र मत करो इसकी भी आदत पड़ जाएगी तुम्हे , अब ये देखो “
उसने मेरे सामने वो पुस्तक रख दी , मैं बड़ी मुस्किल से उठ कर बैठ पाया था , पुरे शरीर में दर्द फैला हुआ था ..
पुस्तक की प्राचीन भाषा मेरे समझ के परे थी लेकिन गैरी ने मुझे समझाना शुरू किया , वही बाते जो मुझे पहले से पता थी , लेकिन एक और नयी चीज पता चली ..
ब्लैक कोबरा के राजा के बारे में , जो पुरे विश्व में फैले हुए सदस्यों को आदेश देता है लेकिन उसके बारे में कोई नहीं जानता, केवल डॉ चुतिया और कुछ खास नुमाइंदो के अलावा ,
“ये राजा आखिर रहता कहा है ??”
मेरी बात सुनकर गैरी मुस्कुराया और उसने एक पेज खोला
“ऐसे तो कोई नहीं जानता की वो रहता कहा है लेकिन इतना जरुर पता है की साल में 2 बार वो यंहा जरुर जाते है , ये ही वो जगह है जिसके बारे में कहा जाता है की यही से उन्हें अपनी शक्तिया मिलती है ..”
“कैसी शक्तिया ??”
“इस पुस्तक में किसी शक्तियों का वर्णन तो नहीं है , लेकिन हर राजा की राजधानी जरुर होती है जन्हा से वो अपने सिपहसालारो से मिलता है , शायद ये उसकी राजधानी होगी “
“ये कौन सी जगह है “
मैंने पुस्तक में बने नक़्शे को देखते हुए कहा , वो नक्शा मेरे समझ से बाहर था
“उत्तरी श्रीलंका के जंगलो के बीच की कोई जगह है , ये नक्शा वंहा तक पंहुचा सकता है लेकिन इसके लिए तुम्हे इसे समझना होगा ... “
मैंने हां में सर हिलाया
“अब तुम्हे आराम करना चाहिए, मैं चाहता हु की तुम जल्द से जल्द ठीक हो जाओ और आर्या वांग के साथ सम्भोग कर सके “
गैरी जा चूका था , यंहा सभी को बस सम्भोग की ही चिंता रहती है , मैंने मन में सोचा और आराम से वंहा लेट गया ...
मैं अब ब्लैक कोबरा के बारे में सोच कर अपना दिमाग खराब नहीं करना चाहता था , मुझे आराम की जरुरत थी और मैं अब आराम ही करना चाहता था , मुझे जल्द से जल्द ठीक होकर शहर पहुचना था ताकि मैं काजल को ढूढ़ सकू ......
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10 दिन बीच चुके थे , मैं अब अपने पैरो में खड़ा हो पा रहा था , थोडा मोड़ा चल भी पा रहा था , मैंने अपने दिमाग से अपनी बीती जिंदगी को निकाल दिया था लेकिन एक चहरा अब भी जेहन में जिन्दा थी वो थी मेरी काजल ...
जाने कहा होगी , और वो कमीना डॉ चुतिया उसके साथ क्या कर रहा होगा , बस यही तकलीफ मेरे जेहन को कुरेद जाती थी ..
वांग मेरी खातिरदारी करता लेकिन इन दिनों मैंने आर्या को बस एक दो बार ही देखा था , मैं अब वांग की टूटी फूटी बाते समझ पा रहा था वही गैरी मुझे वंहा की भाषा का भी ज्ञान दे रहा था ताकि मैं सामान्य चीजो को समझ पाऊ , मैं उसमे कामियाब थी था ...
वांग और गैरी के कहने पर मैं उस तम्बू से बाहर निकला जन्हा मुझे रखा गया था , ये कबीला कुछ 500 लोगो का था और वांग फिर से मेरे पीछे पड़ गया ...
इतने शक्तिशाली और शिकार के हुनरमंद नवजवान कोई आखिर मैं सिखाता ही क्या लेकिन कुछ तो उसे सिखाना ही था , आखिर उसकी उम्मीद मुझसे जुडी हुई थी ..
वांग मुझे लेकर एक नदी के किनारे पंहुचा बिलकुल एकांत जगह थी , और बहुत ही मनोहर ,प्रकृति की गोद में ऐसा अवसर हम शहर में रहने वालो को बहुत कम ही नसीब होता है , मैं इस जगह के आकर्षण में मंत्रमुग्ध होकर बस प्रकृति के इस सौंदर्य को निहार रहा था , तभी वांग एक धनुष बाण लिए मेरे पास पंहुचा ..
मैंने उसे पेड़ की ओर इशारा कर दिया , और उसके तीर वाले कमान से 50 तीर निकाल कर उसे दे दिए .. पेड़ में एक छोटा सा गोल निशान भी बना दिया
“इस पर निशाना साधो यही आज दिन भर तुम्हे करना है “
मैंने उसे समझाते हुए कहा वो खुश होकर मेरे पैर में अपना सर रख दिया और अपने काम में लग गया , मुझे आज समझ आ रहा था की हमारे शहरो में यही काम ट्यूशन वाले करते है ,लम्बी चौड़ी सामग्री स्टूडेंट्स को दे देते है की पढो , उतना अगर को पढ़ ले तो वो आराम से कॉम्पिटिशन एग्जाम निकाल ही ले , अब अगर वो निकाल लिया तो टीचर श्रेय ले लेते है ना हुआ तो स्टूडेंट की गलती क्योकि उसने पढाई नहीं की , यही सब मुझे भी करना पड़ रहा था क्योकि मुझे लड़ना तो सिखाया गया था लेकिन बन्दुखो से और कुछ कराटे टाइप की चीजो के जरिये , यंहा वांग तलवार और धनुष से लड़ना सीखना चाहता था , मैं उसे क्या ही सिखाता ,फिर भी मैंने उसे निराश नहीं करना चाहता था , भले ही मुझे ये सब नहीं आता लेकिन ये तो आता ही था की किसी को सिखाते कैसे है ...
वांग को बिजी करके मैं आराम से नदी के किनारे बैठ गया , नदी के जल में जन्हा जल रुका हुआ था वंहा मुझे अपनी परछाई दिखाई दे रही थी ,मैने अपना चहरा कई दिनों से नहीं देखा था मैं उस जल में अपना स्वरुप निहारने लगा ..
देखते ही देखते मेरे आँखों में पानी आ गया , मेरे चहरे का नकाब अब उतर चूका था,मैं अब देव नहीं था लेकिन आकृत भी नहीं रह गया था , चहरा बुरी तरह से विक्षिप्त हो चूका था , जगह जगह घाव के निशान थे , मैं किसी दरिन्दे की तरह दिख रहा था , मैंने अपने आँखों से आंसू पोछ लिए और फिर वांग की ओर मुड़ा ..
“यही पर आप मिले “
वांग ने चहकते हुए कहा और अचानक से ही मेरे दिमाग में एक बात आई , आखिर मैं यंहा तक आ कैसे गया ...???
मैं महारास्ट्र में खाई में गिरा था और नदी के सहारे आखिर भारत के दुसरे छोर तक नागालैंड कैसे पहुच गया , सोचने वाली बात थी , मैंने वांग से पूछा की क्या ये नदी किसी बड़ी नदी से जाकर मिलती है , उसने हां तो कहा लेकिन फिर भी ये थोडा विचित्र था ..
ऐसे मैं एक चीज तो जानता था की भारत की मुख्य नदियों में से 2 के अलावा बाकि सभी नदिया बंगाल की खाड़ी में गिरती है , क्योकि भारत के मैदान की ढलान पश्चिम से पूर्व की ओर है , लेकिन फिर भी एक छोर से दुसरे छोर तक पहुच जाना थोडा अजीब था ..
मेरे सोचने से क्या होता है , जो हो चूका था वो तो हो चूका था , अब मुझे बस यंहा से निकलने का प्लान करना था ...
वांग अपनी प्रक्टिस में लगा हुआ था और मैं टहलता हुआ थोड़ी दूर निकल गया , नदी के ही किनारे में मैंने जो देखा उसे देख कर मैं वही स्तब्ध खड़ा हो गया था ..
मेरा लिंग मुझे फिर से अपने होने का आभास दे रहा था , वो सवाली काया जो नदी के पानी से भीगी हुई थी और मुझे मुस्कुराते हुए घुर रही थी , वो मादक भरा हुआ जिस्म जिसे मैं जब भी देखता तो मुझमे लालच और मेरे लिंग में संवेदना का संचार हो जाता , वो पूर्ण नंग होकर मेरे सामने खड़ी थी ,
वो इठलाते हुए मेरे पास आई , उसकी चाल जैसे कोई हथनी की हो , बड़े बड़े लेकिन कसे हुए चुतड और पतली लेकिन मांसल कमर को हिलाते हुए वो मेरे पास आ रही थी और मेरी सांसे उसे देखकर मानो रुक सी जा रही थी ..
वो बिलकुल मेरे पास थी और उसने मेरे पत्ते के बने स्कर्ट को टटोला , मेरा अकड़ा हुआ लिंग उसके हाथो में था , मेरी सांसे और भी तेज होने लगी थी , मैं स्त्री के सुख से कई दिनों से वांछित रहा था और मेरी ये अकडन वाली बीमारी ..
“सरदारनी जी कोई देख लेगा “
मैंने उसकी भाषा में उसे कहा
बदले में हँसते हुए उसने मुझे कुछ कहा जिसका हमारी भाषा में तात्पर्य होता है
“माँ चुदाये दुनिया “
उसने कस कर मुझे अपने से सटा लिया था ............
sahi kahaMujhe nhi lagta ye translation dev ne kiya balki mujhe lagta hai ki ye translation dr. Sahab ne kiya ....
to kisne kaha tha ki story ka naam dekh kar story padho ..Story Ka Jo naam h usse koso door h story
dev ek do update ke baad shahar chala hi jayega dont worry ..kya dev jabtak yaha hai to kajal aur dr. chutiya kya kar rahe hsi us taraf kahani nahi jayegi ??.
kahani dev ke view se chal rahi hai ,to kya shahar me kya ho raha hai ye pata nahi chalega ??
dhnayawad leon bhaimajedar update ..sardarni ko dekhkar dev ka ling jhanjhana gaya .. aur ye nayi baat ki 2 din se dev ka ling khada hi hai ..
cobra ka raja kis jagah jata hai apni shaktiya haasil karne ye to pata nahi chal paya ..
dev ka ye sochna bhi sahi hai ki wo us jagah kaise aaya ..
kya dr. chutiya ne usko waha rakha ho sakta hai ..
vaang ko sikha raha hai dev wo bhi dhanush baan jiska koi gyan nahi dev ko ..
ab kya sardarni chudne ka soch rahi hai dev se ..
yup , wo kitab me bana hua naksha hi unhe wanha tak pahuchayegahmmm to dr chutiya ke gang aur uske head ke link yahan se jude hain aur wo kitab mein bhi ek map hai so lets hope ab ye inspector use se sri lanka ka address dhoond sake