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Adultery कामुक काजल -जासूसी और मजा

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RAAZ

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अध्याय 24

आखिर हवास की आंधी थम गई थी , हम दोनों ही एक दुसरे के जिस्म से बंधे हुए सो रहे थे ..

जब मेरी नींद खुली तो आर्य वंहा नहीं थी , मैं भी खुद को तैयार करके वंहा से निकला ...

वांग अब भी उसी जगह में अपनी प्रेक्टिस कर रहा था , उसे देख कर मुझे थोडा आश्चर्य हुआ वो मुझे देखकर मेरे पास आया ..

चहरे में फैली नाराजगी साफ़ दिखाई दे रही थी ..

“मुझे नही , तुम्हे चोदा .. “

उसने मायूस स्वर में कहा

मैंने उसके कंधे पर अपने हाथ रखे

“निराश मत हो वांग वो उसका फैसला था , लेकिन तुम अभी तक प्रेक्टिस कर रहे हो ..”

“मुझे उससे बेहतर बनना , मैं उसे दिखाऊंगा ...”

ओह तो ये बात थी , वांग ठुकरा के मेरा प्यार मेरा इतन्काम देखेगी वाले मूड में आ गया था ..

आर्य के प्यार ने तो नहीं लेकिन शायद अब उसका जख्मी दिल उसे प्रेरित नहीं पाए और वो कुछ कर पाए ..

मैंने वांग को सांत्वना दी और फिर से उसी जगह चला गया , अभी भी वो पुस्तक वंहा रखी हुई थी ..

मैंने उसे पलटना शुरू कर दिया लिखा क्या है ये तो मुझे समझ नही आ रहा था लेकिन तस्वीरे देखते देखते मैं कई पन्ने पलट चूका था , तभी मेरे आँखों के सामने एक तस्वीर आई , वो एक निशान सा था , एक जगह का नक्शा और एक बड़ी सी काले रंग की मूर्ति जो की बेहद ही डरावनी लग रही थी , उसे देखते ही मेरी आंखे लाल हो गई, सर में तेज दर्द उठने लगा , मुझे ये सब बेहद ही पहचानी सी लग रही थी जबकि मैंने इन्हें पहली बार देखा था , आखिर ये हो क्या रहा है मेरे साथ , सर का तेज दर्द ने मुझे पागल बना दिया था , मैं चिल्लाने लगा था मेरे आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा और जैसे मैं एक दुसरे ही दुनिया में पहुच गया हु , मुझे कई तस्वीरे दिखने लगी थी जिन्हें मैं नहीं जानता था , लेकिन मेरा दिल कह रहा था की मैं सब जानता हु , ये आखिर था क्या , मैं जितना सोचता मेरा सर उतना तेजी से दर्द करने लगता ... आखिर मैं उस दर्द को सम्हाल नहीं पाया और बेहोश होकर वही गिर गया ...

===========

“देव तुम वापस आ गए ..”

एक मुस्काता चहरा मेरे सामने था , मैं भी उसे देख कर मुस्कुरा रहा है , प्यार से उसके गालो को छू रहा था , वो मेरी जान थी जिसे मैंने बेहद प्यार किया था , वो मेरी काजल थी ..

“मेरी जान...” मैं उसके होठो को अपने होठो में लेने को बेताब हो रहा था

“मेरे दोस्त तू वापस आ गया ..”

मैंने चौक कर उस आवाज की ओर देखा जो की अभी अभी आई थी ..

“तुम ..???”

मैंने उस लम्बे चौड़े शख्स को देख रहा था ..नफरत से मेरी आँखे लाल हो रही थी लेकिन उसके होठो में एक मधुर मुस्कान अभी भी थी ..

“हा मैं तुम्हारा दोस्त रॉकी .. तुम्हारा डॉ चुतिया “

उसने उसी मुस्कान के साथ कहा ..

“तुम और मेरे दोस्त ..?? “ मैंने उसे गुस्से से कहा

“हा तुम्हरा सबसे अच्छा दोस्त , याद करो दोस्त , हमारी दोस्ती को याद करो , वापस आओ , वापस आ जाओ , उठो उठो ...”

डॉ की बातो से मैं और भी बेचैन हो रहा था , अचानक से मेरी आँखे खुली

“तुम उठ गए ... “ सामने बैठा गैरी मुस्कुरा रहा था , आर्या मेरे पास बैठी मेरे बालो में हाथ फेर रही थी वही वांग भी शांति से वही खड़ा हुआ था ..

“मुझे क्या हुआ था ??”

मैंने गैरी से कहा

बदले में वो बस मुस्कुराया

“तुम्हारे जागने का समय हो चूका है आकृत “

उसने उसी मुस्कान के साथ मुझसे कहा

“मेरे जागने का ??”

मैं अचंभित होकर उसे देख रहा था , गैरी ने बिना कुछ बोले ही एक प्याला मेरे सामने कर दिया , उसमें गढ़ा सा द्रव्य रखा था ..

“इसे पी लो “

“क्या है ये ??”

“तुम्हे जगाने वाली दवा , जिसको देने के लिए हमें इन्तजार करना पड़ा था की तुम अब उस हालत में आओगे जब तुम्हे ये दी जाएगी ... इसलिए ही तुम यंहा हो , तुम्हारे दिमाग में भी ये ख्याल आया होगा की आखिर महारास्ट्र की नदी में गिरकर तुम नागालैंड कैसे पहुच गए , ये सब उसका ही उत्तर है ..”

मुझे अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था

“मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा है ??”

गैरी के होठो की मुस्कान और भी गहरी हो गई

“आएगा भी नहीं जब तक की तुम जागोगे नहीं , इसे पियो “

उससे बिना और कोई सवाल किये मैंने वो प्याला अपने हाथ में ले लिया और एक ही साँस में वो पूरा द्रव्य पि गया , ऐसा लगा की मैंने कई बोतल शराब एक साथ पि ली हो , मेरा सर तेजी से घुमने लगा था , आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा, शरीर कांपने लगा ..

“ये क्या हो रहा है ..” आर्य की चिंता से भरी हुई आवाज मेरे कानो में पड़ी ..

“फिक्र मत करो ये इसी के लिए बना है , ये इसे सम्हाल लेगा .. आकृत सो जाओ , सो जाओ “

गैरी की आवाज मेरे कानो में पड़ने लगी थी , मैं ऐसे भी अपनी सुध खोने लगा था , धीरे धीरे मैं पूरी तरह से बेहोश हो चूका था .........

======

कमरे में हलकी सी रोशनी खिड़की से छानकर कमरे में आ रही थी , मुझे आभास होने लगा था की मेरे शरीर में हलकी सी गर्मी महसूस हो रही है , कानो में चिडियों की चहचहाहट की मधुरता एक अलग ही सुकून मेरे मन में बिखेर रही थी , मैं उतना आनंद में था जितना कभी नही रहा , ऐसा लगा की एक लम्बी गहरी नींद के बाद जाग रहा हु , आँखे खुली तो खुद को जमीन में घास के बने बिस्तर में लेटा पाया , अभी तक मेरे साथ बीती सभी घटनाओ को याद कर मेरे होठो में एक गहरी मुस्कान फ़ैल गई थी , मैं उठा और उस झोपडी के बाहर आ गया .. सूर्य देवता अपने चरम में चमक रहे थे , दोपहर का समय था , सभी लोग अपने काम में व्यस्त थे इसलिए कोई मुझपर ध्यान नहीं दे रहा था , मैं खुद को बहुत ही ताजा फील कर रहा था , और इसका कारन भी मुझे पता था ..

मैं चारो ओर देखने लगा , तभी दो ओरते मेरे पास से गुजरी ..

उसने मुझे देखते हुए अपनी भाषा में एक दुसरे से कहा

“ इस शहरी का लिंग हमेशा जागता रहता है “

दोनों खिलखिला कर हँसने लगे

“कभी चूसकर देखो स्वादिस्ट भी है “ मैंने उन्हें उनकी ही भाषा में जवाब दिया था जिसे सुनकर वो थोड़े देर के लिए , ठिठक गए क्योकि अभी तक मैं उनकी भाषा को टूटी फूटी ही बोलता था लेकिन आज बिलकुल धारा प्रवाह बोल गया था , साथ ही बिना किसी डर और शर्म के ..

वो थोड़े देर ठिठकी फिर हँसते हुए वंहा से निकल गई , उन्हें देखकर मेरे होठो की मुस्कान और भी तेज हो गई थी , मैंने अपने लिंग को सहलाया , इसी के चलते ये सब हो रहा था .. खैर जो हो चूका था उसे तो मैं नहीं बदल सकता था लेकिन अब मुझे बहुत काम करने थे ...

मैं चलता हुआ उस जगह पंहुचा जन्हा वांग प्रक्टिस करता था , वांग अभी भी बाण चला रहा था , मुझे देखते ही वो ठिठका ..

“ऐसे में तो तुम कभी नहीं सिख पाओगे “ मैंने उसे उसकी ही भाषा में कहा (अब जो भी बात होगी वो काबिले वाली भाषा में ही होगी )

वांग भी मुझे आश्चर्य से देखने लगा था ..

“तुमने ही तो ये सिखाया था “

“हां मैंने ही सिखाया था लेकिन सोये मैंने ने ना की जागे मैं ने “

वांग आश्चर्य से मुझे देखने लगा

“मतलब ..??”

“मतलब पहले मैं बेहोश था अब मुझे पूरा होश आया है “

“मतलब ..???”

वांग की बात सुनकर मैं हँस पड़ा

“छोडो ये सब “

मैंने वांग के हाथो से धनुष बाण ले लिया और पेड़ में बने उस छोटे से गोले के पास गया जो मैंने ही बनाया था , मैंने उस गोले के अन्दर बीचो बीच तीर की नोक से एक बिंदु बना दिया , मैं वही पंहुचा जन्हा पर वांग खड़ा था , तीर ताना और छोड़ दिया ...

“वाह ... ये कैसे किया “

तीर सीधा उस बिन्दू पर जा लगी थी , मैंने लगातार 5 तीर अलग अलग जगहों से छोड़े और सभी उस बिंदु पर लगते गए ..

वांग का मुह खुला का खुला रह गया था , वो जानने को बेताब था की मैंने ऐसा कैसे किया ..

“त्राटक करो , इससे तुम्हारे दिमाग में एकाग्रता आएगी “

मैंने उसे पूरी विधि बताई और वंहा से उस जगह चला गया जन्हा आर्या से मिला था ..

वो मुझे देखते ही भाग कर आई और मुझसे लिपट गई ... (अब आर्य के साथ मैं हिंदी में बात करूँगा ये बताना पड़ता है क्योकि दो भाषाए चल रही है )

“आप ठीक हो ..”

उसने बड़े ही प्यार से मुझे देखते हुए कहा , मैंने बदले में उसके होठो पर होठ रख दिए ..

हम दोनों एक दुसरे को चुमते हुए वही लेट चुके थे ...

लिंग फिर से अकड़ने लगा था अब मैं उसकी अकडन को कंट्रोल कर पा रहा था , निचे लेटते ही हमने खुद को नग्न कर लिया था , मैंने उसकी प्यारी सी योनी में अपने मुसल को रगड़ना शुरू कर दिया , वो मजे में सिसकिया लेने लगी थी , उसकी योनी के अच्छे से गिला होने तक मैं रुका रहा है फिर धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लिंग ही उसके योनी में उतार दिया ..

आनदं में उसकी आँखे बंद हो चुकी थी , मैंने उसकी कमर को पकड कर उसे हवा में उठा लिया और खड़े खड़े ही मैं उसे धक्के देने लगा , वो पतली दुबली थी और बहुत ही लचीली भी , मैं उसे उठाये हुए नदी तक ले गया , उसके पैर मेरे कमर में बंधे हुए थे और वो अपने कमर को हलके हल्के चला रही थी , आज मुझे कई सालो बाद अपनी असली ताकत का आभास हो रहा था , मैंने नदी के पानी में खड़ा था और आर्य को पत्थर में लिटाकर चोदने लगा था ..

वो तो मजे में चिल्लाने लगी , मैं भी मानो दहाड़ रहा था , मैंने दूर खड़े वांग को देखा और आर्या से दूर हटकर नदी से एक पत्थर उठा कर उसकी ओर फेका ..

“जाके प्रक्टिस कर “

मैंने गुस्से में कहा था जिसे सुनकर वांग तुरंत ही वंहा से भागा वही आर्या हँसने लगी

“जी हिसाब से ये मेहनत कर रहा है एक दिन ये मुझे जीत ही लेगा “

आर्या के गालो में लाली आ गई थी

“बिलकुल आखिर मेरा शिष्य जो है वो , लेकिन जब तक वो काबिल नहीं हो जाता तुम मेरी हो “

मैंने फिर से उसकी चुदाई शुरू कर दी थी ...

=========

शाम को गैरी और मैं अपने झोपड़े में बैठे हुए थे ...

“तुम्हारा धन्यवाद कैसे करू गैरी “

मैंने बेहद ही आभार के भाव से उससे कहा

“ये तो मेरा काम है , इसमें धन्यवाद जैसी कोई बात नहीं ... हां लेकिन अब मेरी उम्र हो गई है , अब हमे कोई और चाहिए जिसे मैं ये सब सिखा सकू , हमारा इतिहास बता सकू ..”

“हम्म्म वांग और आर्या मिलकर ये कर सकते है , वो तुम्हारी जगह ले सकते है “

गैरी ने हां में सर हिलाया

“मुझे कल ही मुंबई निकलना होगा गैरी , बहुत से अधूरे काम है करने को , पहले तो अपना ये चहरा भी सुधरवाना होगा ...”

“बिलकुल .. मैं चाहता हु की तुम आर्य और वांग को भी अपने साथ ले जाओ , तुम्हारी कुछ मदद हो जाएगी और उन्हें भी तुमसे कुछ सिखने का मौका मिलेगा “

“बेसक “

मैंने मुस्कुराते हुए कहा ..........
Wah doctor wah Kia twist deta Hai bhai Sala kaha se kaha le jaata hain story. Pehlay. Mumbai se dev ko Nagaland lagaya ab Kia ho Gaya woh Pata nahi lekin yaha bhi Ek kaam jam kar Kian aur woh Hai ghapa ghap:kiss3:phir back to Mumbai ab waha per kajal to ab tak PAKKI raand ban chuki hogi dekhtay Hai Kia Hua Hai Dev ke sath aur woh jo pia Tha woh Kia hain.
Agli update ka Intezar rahega dimagh ki gand marwane ko
 

malikarman

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Update plz
 
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Chutiyadr

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dactar sahib kahan gayab ho jate ho ?
Yahi hu sir bas aajkal likhne me time lag jata hai.. dekhta hu aaj ho sake to update pura karke post karta hu
 
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