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Incest कामुक माँ और बहना के फायदे

Tumhari mummy

Shobna kashyap
714
1,967
123
हैलो फ्रेंड्स.. समय खराब करे बिना मैं अपनी कहानी पर आता हूँ.. वैसे भी मेरे बारे में जान कर भी आप लोग क्या करेंगे।
मैं आपको सीधे अपनी बहन के बारे में बताता हूँ, यह कहानी मेरे और मेरी बड़ी बहन के बीच में हुए अनुभव की है।
मेरी उम्र 25 साल है और मेरी बहन की 28 साल, मेरी बहन की शादी हुए करीब दो साल हो गए हैं।
मेरी बहन देखने में एकदम माल है.. शादी से पूर्व भी मोहल्ले के सभी लौंडे मेरी बहन को चोदना चाहते थे।
मेरी बहन का फिगर 36-25-38 का है। उसके अभी कोई बच्चा नहीं हुआ है।



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मैं अपनी बहन को

उसकी शादी से पहले से ही चोदना चाहता था.. पर कभी कोई मौका ही नहीं मिला। जब गली के सब लौंडे मज़े ले सकते हैं तो हम घर में ही क्यों नहीं ले सकते..
मैं जानता था कि मेरी बहन का चक्कर बहुत सारे लड़कों के साथ चल रहा था.. जिनमें से कुछ हमारे एरिया के गुंडे टाइप लड़के भी थे। वो आते-जाते भी मेरी बड़ी बहन के साथ मज़े लिया करते थे और मेरी बहन भी उनकी हरकतों में मज़े लिया करती थे।
मैंने कई बार अपनी बहन को लड़कों के साथ मॉल में भी देखा था.. जिसे देख कर मुझे बहुत गुस्सा आता था। फिर मैंने भी सोच लिया कि जब सारा मोहल्ला मेरी माल किस्म की बहन का मज़ा ले सकता है.. तो मैं क्यों नहीं..
पर मैं डरता था कि कहीं मेरे कुछ करने से मेरी बहन मेरी शिकायत मम्मी या पापा से ना कर दे।
फिर एक दिन जब मेरी बहन शादी के बाद हमारे घर आई हुई थी.. तो मुझे वो मौका मिल ही गया.. जिसकी तलाश में मैं बहुत सालों से था।
उस दिन मम्मी और पापा किसी काम से बाहर गए हुए थे। घर में मेरे और मेरी बहन के अलावा और कोई नहीं था।
मेरी बहन करीब दोपहर के दो बजे नहाने के लिए बाथरूम में गई हुई थी और रोज़ की तरह वो आज भी अपने कपड़े बाहर ही छोड़ गई थी। जब वो नहा कर बाहर आने ही वाली थी.. तो उसने मेरे को आवाज़ लगाई और अपने कपड़े देने के लिए कहा।
पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया जिस पर मेरी बहन को गुस्सा आ गया और वो बिना कपड़ों के ही बाहर आ गई।



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मैं तो अपने कान में इयरफोन की लीड लगा कर मस्त गाने सुन रहा था।
इतने में ही मेरी बहन मेरे कमरे में आ गई जहाँ उसके कपड़े भी रखे थे।
मैं उसको इस हालत में बिना कपड़ों के देख कर खुद पर काबू नहीं रख पाया और अचानक ही खड़ा हो गया।
मेरी बहन मुझ पर चिल्ला रही थी.. पर मैं तो उसके बड़े-बड़े चूचों को देख कर होश ही खो बैठा था।
फिर वो बोली- देखता क्या है.. कपड़े दे मेरे!
पर मैंने कपड़े देने तो दूर उसकी तरफ बढ़ने लगा.. जिससे देख कर मेरी बहन थोड़ा डरने लगी और बोली- तुम ये क्या कर रहे हो?
मैं बिना कुछ बोले उसकी तरफ बढ़ता रहा और जाकर उसके चूचों को दबाने लगा। जिससे उसने मुझे धक्का दे दिया।
फिर मैंने गुस्से में बोल दिया- जब सारे मोहल्ले से चुदती फिरती है.. तब तो तुझे कोई परेशानी नहीं होती.. आज मैंने थोड़ा सा छू क्या लिया.. बड़ी सती सावित्री बन रही है।

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इस बात को सुन कर मेरी बहन को भी गुस्सा आ गया और बोली- तू अपनी बहन को चोद कर बहनचोद बनना चाहता है.. तो ठीक है.. ले कर ले.. जो तुझे करना है।
फिर यह सुनकर तो मुझे भी हरी झंडी मिल गई, इतने में ही मैंने अपने होंठ अपनी बहन के होंठों से लगा दिए।
अब क्या था.. अब तो मेरी बहन भी मेरा साथ पूरी एक रंडी की तरह रह कर देने लगी।
हम दोनों एक-दूसरे के होंठ और जीभ चूस रहे थे।
फिर मैंने अपनी बहन को अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर पटक दिया, मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए।
मेरे लण्ड को देख कर मेरी बहन बोली- अगर मुझे पता होता कि घर में ही इतना मस्त लण्ड है.. तो मैं भला कभी भी मोहल्ले के लड़कों से क्यों चुदती फिरती।
मेरा लण्ड सात इंच लंबा और तीन इंच मोटा है।
अब हम दोनों 69 की हालत में आ गए थे.. मैं अपनी बहन की मस्त चूत चूस रहा था और वो मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले कर चूस रही थी।
करीब दस मिनट तक चुसाई करने के बाद मैंने अपनी बहन को सीधा करके बिस्तर पर लिटा दिया।
अब मेरी बहन कहने लगी- अब मुझे और मत तड़पा.. मेरी चूत को अपने बड़े लण्ड से फाड़ दे..
फिर मैंने अपनी बहन की टाँगों को अपने कंधों पर रख लिए और अपने लण्ड को धीरे-धीरे अपनी बहन की चूत पर रगड़ने लगा।
मैंने एक ही धक्के में अपना आधा लण्ड अपनी बहन की चूत में उतार दिया.. जिससे वो बहुत ज़ोर से चिल्लाने लगी, उसके मुँह को अपने होंठों से बंद कर दिया।
फिर धीरे-धीरे मेरी बहन को भी मज़ा आने लगा, अब वो अपनी गाण्ड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। अब वो बड़ी ही मादक आवाज़ करने लगी थी.. इससे मेरा जोश और भी बढ़ गया और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
लगभग 20 मिनट की धकापेल चुदाई में मेरी बहन दो बार झड़ चुकी थी और मैं भी झड़ने वाला था।
अब मैंने अपनी बहन से पूछा- अन्दर ही निकाल दूँ या बाहर?
इस पर मेरी बहन बोली- अन्दर ही झाड़ दे.. अब तो तूने अपनी बहन को चोद ही लिया है.. क्या फ़र्क पड़ता है.. अब तू मामा बने या बाप..
उसके बाद मम्मी-पापा के आने के पहले हमने कई बार जम कर चुदाई करी और फिर एक साथ नहाए भी..
अब जब भी मौका मिलता है.. तो मैं और मेरी बहन खूब मज़े करते हैं।
 

Harshit

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139
हैलो फ्रेंड्स.. समय खराब करे बिना मैं अपनी कहानी पर आता हूँ.. वैसे भी मेरे बारे में जान कर भी आप लोग क्या करेंगे।
मैं आपको सीधे अपनी बहन के बारे में बताता हूँ, यह कहानी मेरे और मेरी बड़ी बहन के बीच में हुए अनुभव की है।
मेरी उम्र 25 साल है और मेरी बहन की 28 साल, मेरी बहन की शादी हुए करीब दो साल हो गए हैं।
मेरी बहन देखने में एकदम माल है.. शादी से पूर्व भी मोहल्ले के सभी लौंडे मेरी बहन को चोदना चाहते थे।
मेरी बहन का फिगर 36-25-38 का है। उसके अभी कोई बच्चा नहीं हुआ है।



Jawan-bhabhi-947x1536 Sexy-Khusbu-bhabhi-1128x1536

मैं अपनी बहन को

उसकी शादी से पहले से ही चोदना चाहता था.. पर कभी कोई मौका ही नहीं मिला। जब गली के सब लौंडे मज़े ले सकते हैं तो हम घर में ही क्यों नहीं ले सकते..
मैं जानता था कि मेरी बहन का चक्कर बहुत सारे लड़कों के साथ चल रहा था.. जिनमें से कुछ हमारे एरिया के गुंडे टाइप लड़के भी थे। वो आते-जाते भी मेरी बड़ी बहन के साथ मज़े लिया करते थे और मेरी बहन भी उनकी हरकतों में मज़े लिया करती थे।
मैंने कई बार अपनी बहन को लड़कों के साथ मॉल में भी देखा था.. जिसे देख कर मुझे बहुत गुस्सा आता था। फिर मैंने भी सोच लिया कि जब सारा मोहल्ला मेरी माल किस्म की बहन का मज़ा ले सकता है.. तो मैं क्यों नहीं..
पर मैं डरता था कि कहीं मेरे कुछ करने से मेरी बहन मेरी शिकायत मम्मी या पापा से ना कर दे।
फिर एक दिन जब मेरी बहन शादी के बाद हमारे घर आई हुई थी.. तो मुझे वो मौका मिल ही गया.. जिसकी तलाश में मैं बहुत सालों से था।
उस दिन मम्मी और पापा किसी काम से बाहर गए हुए थे। घर में मेरे और मेरी बहन के अलावा और कोई नहीं था।
मेरी बहन करीब दोपहर के दो बजे नहाने के लिए बाथरूम में गई हुई थी और रोज़ की तरह वो आज भी अपने कपड़े बाहर ही छोड़ गई थी। जब वो नहा कर बाहर आने ही वाली थी.. तो उसने मेरे को आवाज़ लगाई और अपने कपड़े देने के लिए कहा।
पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया जिस पर मेरी बहन को गुस्सा आ गया और वो बिना कपड़ों के ही बाहर आ गई।



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मैं तो अपने कान में इयरफोन की लीड लगा कर मस्त गाने सुन रहा था।
इतने में ही मेरी बहन मेरे कमरे में आ गई जहाँ उसके कपड़े भी रखे थे।
मैं उसको इस हालत में बिना कपड़ों के देख कर खुद पर काबू नहीं रख पाया और अचानक ही खड़ा हो गया।
मेरी बहन मुझ पर चिल्ला रही थी.. पर मैं तो उसके बड़े-बड़े चूचों को देख कर होश ही खो बैठा था।
फिर वो बोली- देखता क्या है.. कपड़े दे मेरे!
पर मैंने कपड़े देने तो दूर उसकी तरफ बढ़ने लगा.. जिससे देख कर मेरी बहन थोड़ा डरने लगी और बोली- तुम ये क्या कर रहे हो?
मैं बिना कुछ बोले उसकी तरफ बढ़ता रहा और जाकर उसके चूचों को दबाने लगा। जिससे उसने मुझे धक्का दे दिया।
फिर मैंने गुस्से में बोल दिया- जब सारे मोहल्ले से चुदती फिरती है.. तब तो तुझे कोई परेशानी नहीं होती.. आज मैंने थोड़ा सा छू क्या लिया.. बड़ी सती सावित्री बन रही है।

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इस बात को सुन कर मेरी बहन को भी गुस्सा आ गया और बोली- तू अपनी बहन को चोद कर बहनचोद बनना चाहता है.. तो ठीक है.. ले कर ले.. जो तुझे करना है।
फिर यह सुनकर तो मुझे भी हरी झंडी मिल गई, इतने में ही मैंने अपने होंठ अपनी बहन के होंठों से लगा दिए।
अब क्या था.. अब तो मेरी बहन भी मेरा साथ पूरी एक रंडी की तरह रह कर देने लगी।
हम दोनों एक-दूसरे के होंठ और जीभ चूस रहे थे।
फिर मैंने अपनी बहन को अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर पटक दिया, मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए।
मेरे लण्ड को देख कर मेरी बहन बोली- अगर मुझे पता होता कि घर में ही इतना मस्त लण्ड है.. तो मैं भला कभी भी मोहल्ले के लड़कों से क्यों चुदती फिरती।
मेरा लण्ड सात इंच लंबा और तीन इंच मोटा है।
अब हम दोनों 69 की हालत में आ गए थे.. मैं अपनी बहन की मस्त चूत चूस रहा था और वो मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले कर चूस रही थी।
करीब दस मिनट तक चुसाई करने के बाद मैंने अपनी बहन को सीधा करके बिस्तर पर लिटा दिया।
अब मेरी बहन कहने लगी- अब मुझे और मत तड़पा.. मेरी चूत को अपने बड़े लण्ड से फाड़ दे..
फिर मैंने अपनी बहन की टाँगों को अपने कंधों पर रख लिए और अपने लण्ड को धीरे-धीरे अपनी बहन की चूत पर रगड़ने लगा।
मैंने एक ही धक्के में अपना आधा लण्ड अपनी बहन की चूत में उतार दिया.. जिससे वो बहुत ज़ोर से चिल्लाने लगी, उसके मुँह को अपने होंठों से बंद कर दिया।
फिर धीरे-धीरे मेरी बहन को भी मज़ा आने लगा, अब वो अपनी गाण्ड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। अब वो बड़ी ही मादक आवाज़ करने लगी थी.. इससे मेरा जोश और भी बढ़ गया और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
लगभग 20 मिनट की धकापेल चुदाई में मेरी बहन दो बार झड़ चुकी थी और मैं भी झड़ने वाला था।
अब मैंने अपनी बहन से पूछा- अन्दर ही निकाल दूँ या बाहर?
इस पर मेरी बहन बोली- अन्दर ही झाड़ दे.. अब तो तूने अपनी बहन को चोद ही लिया है.. क्या फ़र्क पड़ता है.. अब तू मामा बने या बाप..
उसके बाद मम्मी-पापा के आने के पहले हमने कई बार जम कर चुदाई करी और फिर एक साथ नहाए भी..
अब जब भी मौका मिलता है.. तो मैं और मेरी बहन खूब मज़े करते हैं।
Aage bhi to likho mummy ji
 

Tumhari mummy

Shobna kashyap
714
1,967
123
दीदी की ससुराल में दीदी को चोदा

मैं कॉलेज में प्रथम वर्ष का छात्र हूँ और जब मेरे प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा खत्म हुई तो मैं 15-20 दिन के लिए फ्री हो गया, तो मैंने छुट्टियों में इंदौर जाने का फ़ैसला किया जहाँ मेरी बड़ी दीदी रहती हैं।

उनकी शादी आज से दो साल पहले हो गई थी और अब वो इंदौर में ही रहती हैं। मेरी दीदी का नाम आरती, उम्र 23 साल है, उनका रंग गोरा और उनका फीगर एकदम मस्त है, पर मैंने अपनी दीदी को चोदने के बारे में कभी नहीं सोचा, हम दोनों का रिश्ता हमेशा से ही भाई-बहन तक सीमित रहा है।

तो मैंने दीदी की ससुराल जाने का और वहाँ एक सप्ताह रहने का प्लान बना लिया, मैं इंदौर के लिए सुबह घर से निकल गया और ट्रेन से दो बजे तक इंदौर पहुँच गया, वहाँ जीजाजी मुझे लेने पहुँच गए और हम आधे घंटे में दीदी के ससुराल पहुँच गए।

दीदी ने मुझे देखते ही गले लगा लिया क्योंकि हम बहुत समय बाद मिल रहे थे। दीदी को देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए, वो पहले से भी ज्यादा सुडोल और फूली हुई लग रही थी और उनके स्तन पहले से कहीं ज्यादा बड़े लग रहे थे, उस समय मुझे दीदी को देख कर उन्हें चोदने का मन करने लगा।

इन सबके बाद मैंने घर पर खाना खाया और सभी घर वालों से बात करने लगा पर दीदी ने मुझे टोक कर कहा- तुम थक गए होगे इसलिए थोड़ा आराम कर लो!

और मैं भी सोने के लिए चला गया। मैं चार बजे सोया और शाम को सात बजे उठ गया, मैंने उठने के बाद थोड़ी देर टी.वी. देखा और नौ बजे तक डिनर का वक्त हो गया। हम सभी ने खाना खाया और बात करने लगे। यह सब होते-होते 11 बज गए और सबका सोने का समय हो गया।

दीदी को पता था कि मैं थोड़े शर्मीले स्वभाव का हूँ इसलिए दीदी ने मुझे अपने साथ सोने को कहा।

यह सुन कर तो मेर पप्पू फुंफ़कारें मारने लगा। जीजाजी भी यह कह कर राजी हो गए की दोनों भाई-बहन बहुत दिनों बाद मिले है, तो इन दोनों को बहुत सारी बातें करने होगी। ये सब बातें होने के बाद सभी अपने-अपने कमरों में सोने चले गए।

दीदी के सास-ससुर एक कमरे में, देवर एक कमरे में और जीजाजी जी अलग कमरे में और दीदी वाले कमरे में दीदी, मैं और उनकी एक साल की बच्ची जिसका नाम कृति है सोने के लिए गए।

दीदी के कमरे में जाने के बाद मैंने देखा कि वहाँ सिंगल बेड ही था पर मैंने सोचा कि इसमें मेरा ही फायदा है, दीदी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी पर मुझे पता था कि दीदी मेक्सी पहन कर सोती है। इसके बाद दीदी ने बाथरूम में जाकर काले रंग की मेक्सी पहन ली, इसमें वो और भी सेक्सी लग रही थी, उनके स्तनों का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था और मैं उन्हें ही घूर रहा था।

इसके बाद बेड की बाईं ओर दीदी लेट गई, दाईं तरफ मैं और बीच में मेरी एक साल की भांजी कृति लेट गए। यह देख कर मैं निराश हो गया क्योंकि मैं दीदी के साथ सोना चाहता था।

दीदी कृति को सुलाने के लिए उसे अपने दायें स्तन से दूध पिलाने लगी और स्तनों के ऊपर दुपट्टा डाल लिया और दीदी मुझसे बात भी कर रही थी। मैं बीच-बीच में चुपके से दीदी के स्तनों को दुपट्टे के ऊपर से ही निहारने की कोशिश भी कर रहा था और शायद दीदी ने मुझे यह करते हुए देख भी लिया था।

मैं केवल अंडरवियर और बनियान में ही सोता हूँ तो उस दिन भी मैं वैसे ही सो रहा था और मैंने एक चादर ओढ़ रखी थी

बातें करते करते हमें साढ़े बारह बज गए और कृति भी सो चुकी थी इसलिए हम भी सोने लगे लेकिन मैं अभी भी दीदी को चोदने के बारे में ही सोच रहा था। पर मेरे और दीदी के बीच में कृति आ रही थी तो मैंने सोचा कि आज तो कुछ नहीं हो सकता।

और मैं भी सोने लगा पर भगवान को तो यह मंजूर नहीं था इसलिए लगभग आधे घंटे बाद कृति की नींद खुल गई और इससे दीदी की भी नींद खुल गई और दीदी उसे चुप कराने लग गई पर उसके चुप न होने पर दीदी ने उसे दूध पिलाने की सोची। क्योंकि दीदी ने पहले उसे अपने दायें स्तन से दूध पिलाया था इसलिए उसे अपने बायें स्तन से दूध पिलाने के लिए दीदी बीच में आ गईंऔर कृति को बेड की बाईं तरफ सुला दिया और दूध पिलाने लगी।

यह सब देख मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद कृति फिर से सो गई और दीदी की भी नींद लग गई। दीदी अपनी गांड मेरी तरफ करके सोयी हुई थी और जैसा कि मैंने बताया था कि हम सिंगल बेड पर थे इसलिए जगह भी कम थी तो मैं थोड़ा दीदी की तरफ सरक गया।

अब मेरा लंड जो पहले से ही खड़ा हुआ था, अब मेरी दीदी की गांड से छूने होने लगा था, मुझे इसमें बहुत मजा आ रहा था, मैंने अपना लंड अंडरवियर के बाहर निकाल लिया और दीदी की मेक्सी के ऊपर से ही धीरे-धीरे उनकी गांड मारने लगा।

अभी तक दीदी की नींद नहीं खुली थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई और अब मैंने पीछे से दीदी के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें सीधा लेटा दिया, दीदी ने थोड़ी बहुत हलचल की पर वो अभी भी नींद में ही थी। दीदी का एक स्तन अभी भी बाहर ही था क्योंकि उन्होंने कृति को दूध पिलाने के बाद उसे अन्दर नहीं किया था।

यह देखकर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उनके खुले स्तन पर रख दिया और उसे सहलाने लगा और साथ में उसे दबाने भी लगा। फिर मैंने दीदी की मेक्सी के सारे बटन खोल दिए और मुझे उनकी ब्रा दिखने लगी, मैं ब्रा के ऊपर से ही दीदी के चूचों को मसल रहा था और दीदी अभी भी सोयी हुई थी तो मैंने अपना एक हाथ दीदी की जांघ पर रख दिया और उसे ऊपर से ही सहलाने लगा।

फिर मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ दीदी की चूत के ऊपर रख दिया और मेक्सी के ऊपर से ही चूत की दरार में अपनी ऊँगलियाँ फेरने लगा।

थोड़ी देर बाद दीदी मुझे कुछ कसमसाती लगी, मुझे लगा कि दीदी की नींद खुल गई, इसलिए मैंने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया और बिल्कुल भी नहीं हिला।

लेकिन दीदी का कोई भी विरोध न करने पर मेरी हिम्मत बढ़ गई पर मेरे हाथ-पैर कांप भी रहे थे, लेकिन मैंने हिम्मत करके फिर से दीदी की चूत पर हाथ रख दिया और उसे जोर-जोर से मसलने लगा और अब शायद दीदी भी जग चुकी थी, दीदी ने थोड़ी देर बाद अपनी आँखें खोल ली और उनके कुछ कहने से पहले मैंने अपने होंठ उनके होंठों से मिला दिए और उन्होंने भी मेरा कोई विरोध न करते हुए मेरा साथ दिया।

पांच मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे को चूमते रहे और इसके बाद दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी।

मैंने भी दीदी की मेक्सी ऊपर करके उनकी जांघों से होता हुआ उनकी चूत पर पहुँच गया और सहलाने लगा। दीदी की पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी तो मैंने पहले दीदी को उनकी मेक्सी उतारने को कहा और अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी, उनका बदन एकदम दूध जैसा गोरा था, उनके स्तन काफी कड़े हो चुके थे। मैंने उनकी ब्रा भी उतार फेंकी, उनके स्तन बहुत बड़े थे और मैं पहली बार इतने पास से किसी औरत के स्तन देख रहा था।

मैंने स्तनों को बहुत चूसा और फिर दीदी की पेंटी उतार दी। उनकी चूत को देख कर मैं हैरान रह गया, उनकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे जो उसकी शोभा बढ़ा रहे थे। फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारकर उनकी टाँगें चौड़ी कर दी। दीदी की चूत के दोनों होंठ बिल्कुल गुलाबी थे।

जैसे ही मैंने उनकी चूत पर अपना हाथ रखा, मुझे अपने हाथ में असीम गर्माहट का एहसास हुआ और दीदी भी बहुत गर्म हो चुकी थी और आ आ आ ऊ ऊ ऊ के स्वर निकाल रही थी। इसे सुनकर मैं और भी उत्तेजित हो रहा था।

इसके बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मैं उनकी चूत चाट रहा था जबकि वो मेरे लंड को बड़े चाव से चूस रही थी।

लगभग 15 मिनट चूसने के बाद दीदी बोली- वरुण, अब नहीं रुका जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दे।

फिर मैंने दीदी की दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखा और अपने लंड के सुपारे को दीदी की चूत पर रखकर जोर का धक्का लगाया और मेरा आधा लंड दीदी की चूत में चला गया।

दीदी अपने मुख से कामुक आवाजें निकाल रही थी और कह रही थी- फाड़ दे आज मेरी चूत! और जोर से! और जोर से।

इसके बाद मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा दी और करीब दस मिनट हिलने के बाद मैं झड़ गया और दीदी के ऊपर ही लेट गया।

पर मैं कहाँ अभी मानने वाला था, लगभग 15 मिनट बाद मैं फिर से दीदी को चोदने के लिए तैयार हो गया और इस बार मैंने दीदी को अलग प्रकार से चोदा। इस वाले दौर में दीदी भी झड़ गई। बाद में दीदी ने मेरा पूरा लंड चाट कर साफ़ कर दिया।

उस रात दीदी को मैंने दो बार और चोदा और जब तक मैं दीदी की ससुराल में रहा, मैंने दीदी को खूब चोदा और उनकी गांड भी मारी।

फिर मैं भोपाल वापस आ गया और अब दीदी से फ़ोन पर ही सेक्स की बातें होती हैं। उसके बाद से मैंने अभी तक किसी और लड़की की चूत नहीं मारी पर मैं इधर से उधर चूत मारने के लिए लड़कियों को ढूंढता फिरता हूँ।
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Thanks
Aakash...?
 
Last edited by a moderator:

Aaryapatel

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