अपडेट -22
आरती हांफ रही थी, काया अपनी जांघो के बीच हाथ दबाये खुद के स्खलन को रोकने की कोशिश मे थी.
काया ने अभी अभी जो दृश्य देखा था उसपर यकीन करना मुश्किल था, कहाँ उसे शंका थी की कय्यूम के साथ बहक ना जाये लेकिन यहाँ तो नजारा ही कुछ और था.
जिंदगी मे दो तन्हा लोगो ने साथ ढूंढ़ लिया था, मुक़ाम पा लिया था.
काया को उसके सभी सवालों का जवाब मिल गया था "अकेलापन कैसा होता है? जब अकेलेपन को साथ मिलता है तो वो ज्वालामुखी जैसे फट पड़ता है,
जैसे आरती फटी थी, वासना का ज्वार उसकी चुत से बह रहा था, आँखों मे लाल वासना के डोरे तैर रहे थे.
काया ने जैसे तैसे खुद पर काबू पाया, सांसे लम्बी चल रही थी.
कय्यूम वापस कुर्सी पर जम गया था, आरती और काया की नजरें कय्यूम पर ही थी.
शायद कय्यूम भी ये बात जानता था, कय्यूम के हाथो ने जबरजस्त हरकत की, उसकी कमर मे बँधी लुंगी की गाठ खोल दी.
गाठ का खुलाना था की लुंगी अपने अपने हिस्से से नीचे लुढ़क पड़ी.
ऊऊह्ह्ह्ह... उउउफ्फ्फ्फ़.... काया और आरती के मुँह खुले रह गए,
हालांकि काया पहले भी कय्यूम के लंड को देख चुकी थी, परन्तु आरती के लिए ये अजूबा था, आठवा अजूबा.
आरती के सुलगते जिस्म ने तुरंत आग पकड़ ली, दिल धधक उठा.
मुँह खुला रह गया, लार चुने लगी.
काया भी इस भाव से अछूती नहीं थी, उसकी कामना पूरी हुई,. सामने ही कय्यूम का मोटा काला लंड उजाले मे साफ दिख रह था, लंड पा नसो का जाल फैला हुआ था,
काया पहली बार साफ उजाले मे कय्यूम के लंड को देख रही थी.
आरती की दबी छुपी कामवासना जाग उठी, आरती ने एम नजर काय को देखा, काया का चेहरा लाल पड़ गया था, आरती ने वापस नजरें लंड पर जमा ली, उसके जिस्म ने हरकत की और हाथ बढ़ा कर कय्यूम के लंड को कब्जे मे ले लिया.
"आअह्ह्ह... आरती जी " कय्यूम सिसक उठा.
काया तो बस नजरें फाडे देखे जा रही थी, जो वो ना कर सकी वो आरती ने कर दिखाया, आरती कहीं ज्यादा आगे निकल चुकी थी निकलती भी क्यों ना उसका जिस्म ने 10 साल बाद कामवासना को महसूस किया था.
"अब मेरी बारी है " आरती धीरे धीरे लंड को सहलाने लगी, ऊपर उठा कर हैरानी से देखने लगी, उसे महसूस करने लगी,
लंड इतना बड़ा था की आरती के हाथ मे भी नहीं समा रह था, स्त्री का कोमल अहसास पा कर कय्यूम का लंड फुदक रहा था.
काया मन मामोस के रह गई, दिल कर रहा था वो भी जा कर पकड़ ले, लेकिन नहीं एक नजर उसने रोहित को देखा, दिल धाड़ धाड़ कर रहा था..
काया कुर्सी पर पीछे को जम गई, उसकी हथेली अभी भी अपनी जांघो के बीच थी.
"ऐसे क्या देख रही हो आरती जी, कभी देखा नहीं क्या?" कय्यूम ने बदहवास आरती को देख पूछा.
"10 साल हो गए मुझे विधवा हुए, मर्दाना अंग कैसा होता है भूल ही गई थी "
आरती के शब्दों मे लाचारी थी, बेबसी थी.
जिसे काया ने भी महसूस किया, ऐसा मौका आरती नहीं छोड़ सकती थी.
"काया जी आपने तो देखा होगा ना?" कय्यूम ने काया को छेड़ते हुए कहाँ.
वहाँ शर्म हया का कोई नामोनिशान नहीं था. हवस का खेल चल रहा था, जिसमे काया ने जैसे तैसे खुद को शामिल होने से बचाये रखा था .
"कककक... क्या... ननन.. नहीं... हैं... हाँ... देखा है " काया हड़बड़ा गई क्या कहाँ कुछ पता नहीं.
वो तो बस आरती की हरकत देखी जा रही थी.
कय्यूम बस मुस्कुरा कर रहा गया, नजरें काया पर ही थी, कय्यूम ने हाथ आरती के सर पर रख आगे को धकेल दिया.
आरती समझदार थी तुरंत अपने गुलाबी होंठो को खोल दिया.
गुलप..... पच.... करता कय्यूम का लंड आरती के मुँह ने आधा समा गया..
लंड गिला होने से एक कैसेली गंध वातावरण मे फ़ैल गई,.
सससन्नणीयफ्फ्फ्फफ्फ्फ़...... इस्स्स.... जिसे काया ने भरपूर नाक मे खिंच लिया,
जिस्म घन घना गया, पसीने की बुँदे लकीर बनाती नीचे की ओर चलने लगी.
काया जिस्म मे गर्मी सी महसूस करने लगी, नतीजा पल्लू कब सरक गया उसे होश ही नहीं.
पसीने से भीगे स्तन कय्यूम के सामने उजागर थे, ऊपर से कय्यूम के लंड पर रगड़ते आरती के कोमल मुलायम होंठ उसे जन्नत का आनन्द दे रहे थे.
आअह्ह्ह..... इस्स्स.... आरती जी.
चाप... चाप.... गुलुप... गुलुप... पच... पच.... करती आरती लंड चूसे जा रही थी, चाटे जा रही थी.
आरती पागल हो गई थी, होश मे नहीं थी,
कय्यूम का लंड पूरी तरह से थूक और लार से सन गया था, जिसे सुपड कर आरती चूस लेती फिर वापस कय्यूम के लंड पर थूक देती.
10 साल पहले आरती ने जो सीखा था आज उसका प्रदर्शन कर रही थी.
काया का दिल बल्लियाँ उछाल रहा था, जलन हो रही थी आरती से, मन करता की आरती को हटा खुद आ जाये, लेकिन पैर जाम थे.
काया की हथेली खुद से हरकत कर रही थी, जांघो के बीच, जाँघे थोड़ी खुल गई थी.
खरबूजे को देख खरबूजा रंग बदल रहा था.
"आअह्ह्ह..... आरती जी क्या चूसती हो आप, कहाँ से सीखा "
आरति की तरफ से कोई जवाब नहीं, या फिर उसने सुना ही नहीं उसने सिर्फ नजर उठा कय्यूम को देख लिया.
आरती तारीफ सुन और भी उत्तेजित हो गई, और मुँह से लंड को बाहर निकाल कय्यूम के भारी टट्टो पर जमा दिए,
कय्यूम के पसीने से भरे गंदे टट्टे आरती चाट रही थी, चूस रही थी.
काला मेल थूक मे घुल नीचे गिर रहा था.
थोड़ी ही देर मे कय्यूम का लंड चमक रहा रहा, लंड के चारो तरफ थूक लगा हुआ था.
आरती की सारी कमर तक चढ़ी हुई थी, जिसके बीच हाथ डाले आरती अपनी चुत को मसल रही थी.
ये गर्मी अब सब्र लायक नहीं बची थी.
"काया जी आप भी बड़े बाबू के साथ ऐसे ही करती होंगी "कय्यूम काया की हरकतो को देख रहा था लेकिन एक बार भी उसने काया को निमंत्रण नहीं दिया ना कोई जबरजस्ती की.
"ककम.... क्या...?"
"आप भी लंड चूसती है?"
काया का दिल बैठ गया, परसो ही तो उसने पहली बार बाबू का लंड चूसा था, लेकिन रोहित के साथ ऐसा कभी कुछ नहीं किया
"ननन... नहीं इस्स्स..... " आखिर काया के मुँह से सच निकला.
उसका जिस्म जड़ हो गया था, बस सुन रही थी देख रही थी.
"आरती जी ऐसे ही और अंदर... लंड चूसावाने का मजा ही अलग है, क्यों आरती जी "
आरती ने बस गर्दन हिला दी, उसके लास वक़्त नहीं था, वो कय्यूम के लंड को निगलने मे बिजी थी.
कय्यूम ने हाथ आगे बड़ा आरती के ब्लाउज खोलने लगा टक.. टक... टक... एक एक करते बटन खुलने लगे.
हर बटन के साथ आरती के बड़े सुडोल स्तन बाहर को कूदने लगे.
काया सांस थामे देख रही थी, उसके हाथ तेज़ तेज़ चुत को मसल रहे थे.
कुछ ही पालो मे आरती का ब्लाउज उसके जिस्म से अलग हो चूका था, कय्यूम के हाथो मे आरती के सुडोल स्तन मचल रहे थे, जिन्हे अच्छे से रगड़ रहा था.
ईईस्स्स...... आअह्ह्ह... गु... गु... गयम... आरती हवस के शिखर पे थी, कभी भी झड़ सकती थी.
"काया जी अच्छे से कर लीजिये ना "
कय्यूम की आवाज़ से काया शर्मिंड़ा हो गई, उसे अहसास हुआ वो क्या कर रही है..
"कक्क... क्या?"
"अच्छे से मसल लीजिए, खुद को रोकना नहीं चाहिए "
कय्यूम की नजरें काया पर ही थी, लेकिन आरती के स्तन को मसल मसल के लाल कर दिया.
काया सकपका कर रह गई, लेकिन जांघो के बीच से हाथ नहीं हटाया, ये संभव भी नहीं था, काया खुद कामवासना से घिरी हुई थी, बस आरती उस से एक कदम आगे निकल गई थी.
काया ने भी अपनी जाँघे खोल ली, उउउडफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... इस्स्स.... साड़ी के ऊपर से ही क्या की ऊँगली चुत की लकीर को टटोलने लगी, जिसे देख कय्यूम मुस्कुरा दिया.
"बस आरती जी मुझे भी सेवा का अवसर दीजिये" कय्यूम ने आरती को पकड़ खड़ा कर दिया, आरती का ऊपरी भाग बिल्कुल नंगा था, स्तन थूक और पसीने से चमक रहे थे,.
आरती के चेहरे पे हैरानी थी "आखिर उसे रोका क्यों "
काया भी सांस रोके चुत दबाये देखे जा रही थी.
कय्यूम ने साड़ी का कोना पकड़ खिंच किया, आरती की साड़ी सरसरती खुलती चली गई, जबाब मे कय्यूम ने अपनी पसीने से भीगी बनियान उतार फ़ेंकी.
गठिला, भारी जिस्म दोनों काम पिपशु औरतों के सामने जगमगा गया.
क्या तबियत का मालिक था कय्यूम, एक दम मर्दाना जिस्म, पसीने की कड़क महक किसी का भी दिमाग़ ख़राब कर दे, पसीने से भीगी छाती, आरती काया उस मर्द को निहारती रह गई.
कय्यूम के हाथ आगे बड़े, हाथ मे आरती के पेटीकोट क नाड़ा था.
सससससरररर...... से पेटीकोट जमीन पर धारासाई हो गया,
चुस्त गद्दाराया जिस्म मात्र एक कच्छी मे खड़ा था, कच्छी भी अपनी जगह नहीं थी, जाँघ के किसी कोने. मे सिमटी पड़ी थी.
आरती को बस इसी पल की इच्छा थी, जिस चीज के लिए उसका जिस्म 10सालो से तड़प रहा था.
कय्यूम ने देर ना करते हुए, आरति को पीछे की तरफ धक्का दे दिया, पीछे लगी डाइनिंग टेबल पर आरती की मोटी गांड जा टिकी,
कय्यूम के खुर्दारे कठोर हाथो ने आरती के स्तनो को थाम लिया. और पीछे को धकेलने लगे.
आरती भी इशारा समझ गई थी, उसकी पीठ डाइनिंग टेबल से चिपकती चली गई, और सामने काया की सांस चढ़ती गई.
टेबल पर लेटते ही आरती की टांगे हवा मे झूल गई, जिसे कय्यूम के मजबूत हाथो ने तुरंत थाम लिया, और फैला दिया.
ईईस्स्स..... काया के मुँह से आह फुट पड़ी, उसकी ऊँगली साड़ी के ऊपर से ही चुत मे घुसने का प्रयास करने लगी.
ये सिस्कारी कय्यूम के कानो तक भी बकायादा पहुंची, कय्यूम ने एक नजर काया को देखा, उसकी जाँघे फ़ैल गई थी.
कय्यूम ने काया को देखते हुए अपनी कमर को आएगी धकेल दिया, कय्यूम का भारीभरकम लंड आरती की चुत को छेड़ता ऊपर की तरफ निकल गया.
आआहहहह.... कय्यूम जी... उउउफ्फ्फ... आरती सिसका उठी.
कय्यूम के टट्टे आरती की चुत से टकरा गए, लंड ठीक नाभि के ऊपर जा कर टिका था.
सफ़ेद रौशनी मे ये नजारा भयानक था.
आरती ने सर उठा के देखा उठती गिरती साँसो के साथ नाभि पर रखा लंड भी ऊपर नीचे हो रहा था.
"धीरे.... से... इस्स्स... आरती बस इतना ही बोल सकी, उसका सर पीछे को हो गया, आंखे बंद हो गई बस अब 10 साल के सूखे का अंत होने ही वाला था, बारिश होने वाली थी.
काया भी कहाँ खुद को इस सुखद नज़ारे से दूर कर पाई, गर्दन ऊपर कर उसे भी वही दिखा,
"उउउफ्फ्फ.... कैसे जायेगा ये अंदर " काया खुद के लिए ये कल्पना कर रही थी.
आरती की जगह वो खुद को महसूस कर रही थी, पल्लू तो कबका नीचे गिर गया था,
साड़ी भी घुटने के ऊपर जा चढ़ी थी.
सामने कय्यूम ने वापस से लंड को आरती की चुत के मुहने पर टिका दिया.
इस्स्स्स.... आरती और काया दोनों ही इंतज़ार मे थे.
लेकिन कय्यूम ने दोनों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया, वो अपने मोटे लंड को आरती की चुत पर घिसने लगा, जैसे बकरी हलाल करने से पहले औजार मे धार लगा रह हो.
आरती उत्तेजना के मारे मरी जा रही थी, गांड को ऊपर नीचे कर कय्यूम के लंड को लेने की कोशिश करती लेकिन प्रयास विफल हो रहे थे.
"काया जी कैसा लग रहा है " कय्यूम ने सवाल काया से पूछा.
उउउफ्फ्फ..... अंदर कय्यूम जी " जवान आरती मे दिया.
काया क्या बोलती, उसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था, बस दिख रहा था कय्यूम का काला मोटा मर्दाना लंड.
कय्यूम ने इस बार आरती को जाँघे अच्छे से फैला दी, चुत पूरी तरह से खुल गई थी.
कय्यूम ने हाथ से अपने लंड को पकड़ दबाव डालना शुरू किया.
पछह्ह्ह्हह्हब........ आआआहहहह..... उउउफ्फ्फ्फ़..... पच करता कय्यूम का मोटा लंड आरती की गीली चुत को चिरता घुसता चला गया..
आरती के जबडे भींचते चले गए, मुँह खल गया, आअह्ह्ह.... गूंज गई लेकिन सुनने वाला कौन था,
रोहित सुमित पीछे सोये पड़े थे.
बाजु मे कुर्सी पर काया जैसे वहाँ थी ही नहीं, काया का हाथ साड़ी के अंदर था वो अपनी चुत को कुरेद रही थी, मसल रही थी.
महसूस कर रही थी कय्यूम के लंड को.
कय्यूम ने काया की और देखते हुए, लंड पीछे खिंचा, फिर आगे धकेल दिया पुच.... फ़क..... आअह्ह्ह... आउच.... इस बार और अंदर गया.
काया की ऊँगली भी इस बार अंदर तक गई.
आआहहब..... कय्यूम.... आखिर काया के मुँह से कय्यूम का नाम निकला ही, दोनों की नजरें मिल गई.
कय्यूम ने लंड बाहर खींचा, काया ने भी ऊँगली बाहर खींची...
पच से कय्यूम ने वापस लंड अंदर धकेल दिया, काया ने भी ऊँगली को उसी रफ़्तार से अपनी चुत के अंदर दे मारा.
जैसे कय्यूम का लंड और काया की ऊँगली जुड़ गए थे.
धच... धच.... फच.... फच.... फाचक.... करता कय्यूम दनादन आरती की चुत मे लंड पेलने लगा, काया भी अपनी ऊँगली से खुद की चुत को चोदने लगी.
क्या हो गया था काया को, ऐसी तो ना थी वो, ऐसा उसने पहली बार किया था.
आअह्ह्ह.... आराम से.... कय्यूम जी " आरती सिसक रही थी, कराह रही थी.
इधर कय्यूम लगा हुआ था पच... पच... पच... धच... धच....
आअह्ह्ह.... ऊफ्फफ्फ्फ़... ओह्ह्ह.... आउच....
आरती और काया दोनों की चुत पानी से भर गई थी आवाज़ कर रही थी,
काया का पति इन सब से अनजान, खर्राटे भर रहा था, काया ने तो उस ओर देखा तक नहीं.
रोहित जग भी जाता तो काया रूकती नहीं, पागलो की तरह ऊँगली से चुत को कुरेद रही थी.
और ले.... कितनी टाइट चुत है तेरी " कय्यूम चोद आरती को रहा था लेकिन देख काया को रहा था
आरती आंखे बंद किये जीवन का सुख भोग रही थी.
कय्यूम धक्के दिए जा रहा था, पूरा लंड ना जाने कहाँ जा कर समा जा रह था आरती की चुत मे,, जब भी अंदर जाता आरती गांड उठा कर और अंदर लील लेती,.
पच... पच.. पच.... काया जी, कय्यूम ने दो ऊँगली का इशारा किया.
काया शायद समझ गई थी, काया ने अपनी दो ऊँगली को एक साथ जोड़ा, और पच... चच्चाक्स.... करती दोनों ऊँगली चुत मे जा धसी.
आआआह्हःब..... इसससस... काया की आंखे चढ़ गई, दो ऊँगली से चुत पूरी भर गई, एक ऊँगली से दो ऊँगली मे ज्यादा मजा है,
काया को महसूस हुआ की लंड का मोटा होना क्यों जरुरी है.
धच... धच... पच... पच.... काया कय्यूम के लंड के साथ ताल से ताल मिलाने लगी...
आआहहब.... कय्यूम जी जोर से आअह्ह्हम्म... और अंदर.... उउउफ्फ्फ... फाड़ दो मेरी चुत... आअह्ह्ह.. उउउफ्फ्फ्फ़... 10 सालो से लंड नहीं लिया मैंने.
आअह्ह्ह... मारो और अंदर मारो...
कय्यूम समझ गया था आरती झड़ने वाली है.
कय्यूम ने लंड बाहर निकाल लिया, फटता जवालमुखी रुक गया, काया की उंगलियां भी रुक गई.
आरती ने सर उठा देखा जैसे कय्यूम ने गुनाह कर दिया हो.
"नीचे आइये, आरती जी अंदर तक जायेगा, "कय्यूम ने आरती को टेबल से उठा जमीन पर घुटनो के बल बैठा आगे को झुका दिया, आरती तुरंत समझ गई कय्यूम क्या चाहता है.
आरती घोड़ी बन गई, उसकी गांड काया के ठीक सामने थी,
काया ने देखा आरती की चुत पूरी खुल गई है, गांड और चुत की दरार चिपचिपी और पूरी गीली पड़ी है.
कय्यूम काया के सामने ही खड़ा था उसका लंड काया के मुँह के नजदीक था लंड से उठती काम गंध की भीनी भीनी महक काया को महसूस हो रही थी.
काया का मन था की पकड़ ले इस लंड को, गुलप कर ले मुँह मे फसा ले,
शायद पकड़ ही लेती, लेकिन कय्यूम मुड़ गया आरती की गांड पर झुकता चला गया,
कय्यूम का लंड आरती की गांड की दरार मे सरकता चुत तक जा पहुंच... और... गुलप... पच... से पूरा का पूरा आरती की चुत मे जा धसा.
आआआहहब्ब.... आउच.... उउउफ्फ्फ.... पच... ओच... पच... फच... फच.... चुदाई फिर शुरू हो गई थी.
काया ये अभूतपूर्व नजारा पीछे से देख रही थी, पच... पच... थाड... थाड... करता कय्यूम का लंड पूरा चुत मे समा जाता, टट्टे चुत के दाने से जा टकराते, जाँघ से जाँघ एक दूसरे से भीड़ जाती.
आरती हर धक्के के साथ मादक अवस्था मे चीख रही थी,.
पीछे काया ने साड़ी कमर तक चढ़ा ली थी, पैंटी घुटनो पर आ गई थी, जाँघे पूरी तरह से फ़ैल गई थी.
पच... दग़ाच... धच... करती दो उंगलियां चुत को चोदे जा रही थी.
आअह्ह्ह.... इस्स्स.... इससे.... उउउफ्फ्फ... जबड़ा भींचे काया खुद की चुत मार रही थी, ये अनोखा था पहली बार था, सुखी जीवन की पहली सीढ़ी थी.
सामने कय्यूम किसी राक्षस की तरह आरती की गांड पर चढ़ा लंड अंदर तज पेले जा रह था.
आअहब्ब.... मै... गई... उउउफ.... आउच... आअह्ह्ह....
फच... फच... फच... फाचक... फूररररर.... करती आरती झड़ने लगी, चुत से पेशाब छूटने लगा,
पच... पच...पच... लेकिन कय्यूम रुका नहीं, आरती की गर्दन पकड़ फर्श पर टिका दी.
और जोर जोर से पेलने लगा हंफ... हंफ... हंफ....
आअ....ह्ह्उउउफ्फ्फ.म... आउच.... आअह्ह्ह..आअह्ह्हह्ह्ह्ह... रुक जाइये रुक जाइये... हंफ... हंफ....
आरती चिल्ला रही थी.
"बहुत चुदने का शौक है ना ले चुद " फच... फच... फच... उउउफ्फ्फ.... आउच... आअह्ह्ह....
कय्यूम दनादन चुत मारे जा रहा था.
पीछे काया कय्यूम का जानवरपना देख उत्तेजित हुई जा रही थी, खुद की चुत फाड़ देने पे उतारू थी.
आअह्ह्ह.... और जोर से... अंदर कय्यूम और अंदर आह्ह.... उउउफ्फ्फ... काया कय्यूम को आरती की चुत मारने मे लिए उकसा रही थी, जैसे आरती नहीं वो खुद घोड़ी बनी चुद रही हो.
काया ने उत्तेजना मे अपनी तीसरी ऊँगली को भी घुसाने का प्रयास किया, ऊँगली आधी धसी ही थी की फ़फ़फ़फ़रररर..... फाचक... पच... पच... करती काया की चुत झड़ने लगी.
आअह्ह्ह... हंफ.... हमफ.... कय्यूम जी.
आअह्ह्ह.... काया का सर पीछे कुर्सी पर टिक गया, जिस्म झटके खाने लगा,
सामने कय्यूम भी चरम सीमा पर था आअह्ह्... धच... पच... पच.... फाचक.... फच... करता कय्यूम ने अपना सारा वीर्य आरती की चुत मे ही छोड़ दिया.
गरम गरम वीर्य को आरती संभाल ना सकी, एक बार फिर भलभला के झड़ने लगी, इस बार उसके जिस्म मे ताकत नहीं बची थी, धड़ाम से फर्श पर फ़ैल गई.
हमफ़्फ़्फ़.... हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़..... आरती की आंखे बंद होने लगी.
कय्यूम ने खुद को गिरने से बचा लिया था, पुककककक.... से लंड चुत से घिसटता बाहर आ गया था.
पीछे मुड़ के देखा काया बेसुध कुर्सी पर पड़ी हुई थी, चुत मे तीन उंगलियां धसी हुई थी, पूरा जिस्म पसीने से नहाया हुआ था.
कय्यूम ने पास पड़ी लुंगी उठाई, और कस ली, चेहरे पे एक शातिर मुस्कान थी.
सोफे पर रोहित और सुमित के सामने जा बैठा.
दारू की बोत्तल आधी बची हुई थी. गट.. गट... गट..... कय्यूम ने बोत्तल मुँह से लगा ली.
चारो तरफ सन्नाटा था, रात जवानी को पार कर गई थी,
ये रात हवस की गवाह बन गई थी.
पार्टी की रात समाप्त हो गई थी, बाहर सूरज की लालिमा क्षितिज पर छाने लगी थी
इस हादसे के बाद काया के जीवन मे क्या बदलाव आएगा?
बने रहिये कहानी जारी है.