• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.
Status
Not open for further replies.

Tri2010

Well-Known Member
2,007
1,889
143
अपडेट -16

दिन के 2 बजने को आये थे.
"ये लीजिये बड़े बाबू पानी " शबाना पानी का गिलास लिए सामने झुकी हुई थी.
शबाना की पूरी छाती बाहर को आ गई थी, रोहित इतनी पास से इस पहाड़ी को देख रहा था की हरी धमनिया तक दिख जा रही थी..
20210801-173657.jpg

जब से वो यहाँ आया था उसके दिल को बार बार झटके लग रहे थे, जांघो कर बीच गुदगुदी सी चल रही थी.
"क्या हुआ बड़े बाबू? पीजिये ना" शबाना ने अपनी बात पर जोर दिया.
"वो... वो... हाँ हाँ..." रोहित ने झट से गिलास हाथ मे पकड़ इधर उधर देखने लगा, जयश्री चोरी पकड़ी गई हो.
"आप भी बड़े बाबू " शबाना सामने ही बैठ गई.
गोरा जिस्म चमक रहा था, दुप्पटा तो नाममात्र का था बदन पर, छोटी सी चोली ने कसे मादक स्तन, उसके नीचे सपाट पेट, ऐसा हुस्न देख के तो रोहित दौड़ पड़ता था.
1613016814-sherlyn-chopra-1.jpg

लेकिन आज जैसे सांप सूंघ गया था उसे.
हलक सुख गया था, गुलप गुलप.... गट.. गट.... गटक... कर रोहित ने पूरा पानी एक बार मे ही हलक मे उडेल लिया, गले मे तो क्या गया पूरा पानी शर्ट को भिगोता पैंट के ऊपरी हिस्से पर जा गिरा.
"उफ्फ्फ.... वो... वो.. माफ़ करना " रोहित अभी कुछ करता की
"ये.. ये क्या किया बड़े बाबू " शबाना के कोमल हाथ रोहित की जांघो के बीच पानी को हटाने लगे.
ये सब अकस्मात हुआ, रोहित को समझ नहीं आ रहा था क्या करे.
"आ... आप आप रहने दीजिये " रोहित ने खुद को छुड़ाना चाहा.
लेकिन अब तक बहुत देर हो गई थू, शबाना के हाथ रोहित के नाजुक अंग को महसूस करने लगे थे.
रोहित आखिर मर्द ही था कब तक खुद को रोकता, उसके लंड मे तनाव आने लगा, उसका कामुक अंग आजादी माँग रहा था.
शबाना खूब खेली खाई औरत थी, उसके हाथ पानी को कबका साफ कर चुके थे, अब जो कर रहे थे उस हरकत से कोई भी मर्द सोचने समझने की स्थिति मे नहीं रहता..
शबाना लगातार रोहित के लंड को पैंट के ऊपर से टटोल राही थी, एक कदकपान सा महसूस कर रही थी.
"बड़े बाबू.... ये ये.. क्या?"
"वो.. वो... आअह्ह्ह......" रोहित क्या जवाब देता उसकी तो घिघी बंध गई थी.
शबाना के हाथ लगातार रोहित के लंड पर चल रहे थे.
"इस्स्स. स.... शबाना जी नहीं... रहने दीजिये "
शबाना मर्दो की कमजोरी अच्छे से जानती थी, उसके हाथ नहीं रुके.
बाहर खिड़की से आती ठंडी रूहानी हवा, शबाना जैसी कामुक महिला और क्या चाहिए एक मर्द को
"आअह्ह्..... इससससस...." बड़े बाबू आप बहुत सुन्दर है.
शबाना के दिल के अल्फाज़ उसके मुँह मे आ गए थे.
शबाना के लिए भी ये पहला मौका था जब उसके सामने कोई कामदेव सरिखा मर्द खड़ा था, गोरा सुन्दर, सुतवा नैन नक्श, जिस्म से उठती भीनी भीनी खुसबू, मांस की कहीं भी अधिकता नहीं.
कौन कहता है पुरुषो मे सुंदरता नहीं होती
आज शबाना से पूछिए, जिसके नसीब मे गांव के बूढ़े खूसट जमींदार ही थे, खुर्दारे मेले हाथ उसके जिस्म को नोंचते थे, खसोटते थे,
सभी का एकमात्र लक्ष्य शबाना को रोंद देना था.
लेकिन रोहित अलग था, उसकी ऐसी कोई चाहत नहीं थी, वो शबाना को इज़्ज़त दे रहा था, महिला होने का हक़ दे रह था.
बस यही वो चीज थी जो शबाना को रोहित की ओर खिंच ले गई.
"आअह्ह्हम्म्म.... शबाना जी बस रहने दे " रोहित के हाथ खुद ही शबाना के सर को सहला रहे थे.
मुँह मे ना थी लेकिन हाथ तो हाँ मे थे.
"चरररररर..... जिप्प्पपप्प..... की आवाज़ उस कमरे मे गूंज गई.
रोहित ने नीचे देखा, शबाना की उंगलियां उसकी पैंट की जीप को खिंच नीचे ले आई थी.
बस अब ये खेल रोहित के हक़ से बाहर चला गया था, मर्द petrol की आग की तरह होता है, चिंगारी देखी नहीं की तुरंत आग पकड़ लेता है.
रोहित के जिस्म ने भी वो आग पकड़ ली थी, अब सब मंजूर था.. सही गलत बनाया किसने, गधा है वो जो इस हसीन पलो को सही गलत मे तोलता है.
"बड़े बाबू.... इस्स्स...." शबाना की आंखे ऊपर रोहित की आँखों मे देख रही थी जैसे इज़ाज़त मांग रही हो.
"उउउफ्फ्फ...." रोहित कुछ ना बोला बस आंखे बंद कर ली.
काम कला मे निपुड़ शबाना इस भाषा को खूब समझती थी.
शबाना के हाथ पैंट की खुली जीप मे घुस गए, इधर उधर कुछ टाटोला जैसे सांप के बिल मे सांप पकड़ रही हो.
मेहनत तुरंत रंग लाइ.... 2पल मे ही रोहित का गिरा चिट्टा लंड शबाना के हाथो मे झटके खा रह था.
"उउउउफ्फ्फ..... आअह्ह्ह..." शबाना जी
"ईईस्स्स..... बड़े बाबू कितना गर्म है "
शबाना ने एक मुस्कुराहट से रोहित की ओर देखा, उस मुस्कान मे कुछ भेद था, उपहास तो बिल्कुल भी ना था.
कारण था रोहित का लंड पूरी तरह से शबाना की मुट्ठी मे छुपा हुआ था.
"बड़े बाबू का छोटा बाबू " शबाना बढ़बढ़ाती मुस्कुरा दी.
रोहित इन सब से अनजान सिर्फ नीचे देख रहा था, शबाना के करतब का मुरीद हुए जा रहा था.
शबाना के हाथ एक दो बार आगे पीछे हुए, रोहित के लंड की चमड़ी खुलती चली गई,
एक साफ सुथरी सुगंध से भारी गुलाबी सी आकृति बाहर आ गई.
शबाना ने ना जाने कितने मर्दो के अंग को सहलाया था, सब गंदे काले घटिया, पसीने से भरे.
लेकिन यहाँ एक सुख था, एक महक थी... शबाना उस महक कॉनर पाना चाहती थी,
उसका जिस्म आगे को सरक गया.
"ससससस.... ये... ये... ये क्या कर रही है आप " रोहित चित्कार उठा.
शबाना जैसे बाहरी हो गई थी, उसकी नाक रोहित के गुलाबी अंग के पास जा टिकी "ससससन्नणीयफ़्फ़्फ़..... आएगीह्ह्ह्हह्हब.... सससन्ननीफ्फ..... शबाना ने एक जोरदार सांस खिंच ली.
एक मदहोशी ने शबाना को आज घेर लिया था, इस खेल की पुरानी खिलाडी थी लेकिन आज कच्चे खिलाडी से हारने को तैयार बैठी थी.
शबाना ने पल भर मे अपना जीवन खंघाल लिया, लेकिन ऐसा सुख ऐसी खुसबू उसे याद ना आई.
शबाना के लाल होंठ खुलते चले गए, रोहित का गुलाबी हिस्सा एक बार मे उस काम पीपासु औरत के मुँह मे समा गया.
20210802-163552.jpg

"आअह्ह्ह....... नहीं... शबाना जी.. आअह्ह्ह....." रोहित की गर्दन पीछे को जा लटकी, हाथ शबाना के बालो पर कसते चले गए .
रोहित को ये सुख काया से कभी नहीं मिला था, या फिर ये इस सुख से अनजान था.
"गुलप..... पच... पच...." शबाना की जीभ मुँह ने आये मेहमान के स्वागत मे लग गई, रोहित के लंड के छेड़ को कुरेदने लगी, सहलाने लगी.
"आअह्ह्ह.... उउउफ्फ्फ....." रोहित नशे मे था काम नशे मे आंखे पलट गई थी.
शबाना के होंठ रोहित के लंड पर आगे को सरकने लगे, एक गोरा मर्दाना अंग लाल होंठो मे धसता जा रहा था.
अंदर और अंदर.... शबाना के होंठ रोहित के टट्टो से जा लगे, रोहित का पूरा लंड शबाना के मुँह मे था.
"ईईस्स्स..... आअह्ह्ह...." रोहित को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ज्वालामुखी मे उसका लंड घुस गया है.
शबाना के होंठ वापस पीछे की ओर जाने लगे, मुँह के अंदर जीभ मेहमान को सहला रही थी.
"आआहहहह..... शबाना जी पच पच... पचाक......" रोहित के शहरी खूबसूरत लंड ने जवाब दे दिया.
वीर्य की 5,6 बून्द शबाना के मुँह मे धाय धाय मर गिर गई, रोहित किसी कटे पेड़ की तरह पीछे पलग पर जा गिरा,.
खेल ख़त्म.... शबाना के मुँह का मेहमान भाग गया था जैसे.
वो हैरान थी ये क्या हुआ, कब हुआ? आखिर हुआ क्यों?. अभी तो सुख मिला था, अभी तो राहत आई थी.
शबाना का जलता जिस्म ठंडा पड़ गया.

"हमफ.... हमफ़्फ़्फ़... हंफ.... रोहित सामने बिस्तर पर चित लेता हांफ रहा था.
शायद उसकी जिंदगी मे वो ऐसे नहीं झाड़ा था कभी.
"बड़े.... बाबू.... बाबू... बड़े बाबू.... आप ठीक है ना " शबाना ने कच्चे खिलाडी को आउट कर दिया था
"हाँ... हाँ.... हंफ....".
" रुकिए मै कुछ लाती हूँ आपके लिए " शबाना आपने होंठो को पोछते हुए बाहर को चल दी.
एक सन्नाटा सा पसर गया था की तभी.... चाडक्य..... गगगगगगररररर...... रिमझिम..... बाहर बिजली कड़क उठी, सोंधी सी खुसबू रोहित के नाथूनो को भिगोने लगी.
ये सबूत था बाहर बारिश होबे लगी है, इस सोंधी खुसबू ने रोहित के जिस्म मे प्राण फूँक दिए.
आखिर बारिश जिसे पसंद नहीं होती, कमरे की खिड़की से पानी की बुँदे अंदर छींटे मार रही थी,
रोहित के कदम उस खिड़की को बंद करने चल पड़े.
खिड़की के पास पहुंच उसे बंद करना चाहा लेकिन अनायास ही उसकी नजर कोठी के सामने मैन सडक पर जा पड़ी, बरसात जोरो ओर थी.
एक लड़का लड़की गाड़ी पर बैठे कोठी के सामने से चले जा रहे थे.
रोहित के चेहरे पे मुस्कान आ गई, "ये बारिश का मौसम भी ना " रोहित ने खिड़की बंद कर दी.

ठीक उसी समय
काया और बाबू कोठी के सामने से गुजर रहे थे
" बाबू ये हवेली किसकी है"
"है कोई नचनिया, कहते है किसी जमींदार ने ख़ुश हो कर इसे दे दी "
कककककअअअअडडडररर....... धड़ाम..... रिमझिम.....
एकाएक तेज़ बिजली कड़की, बारिश होने लगी.
काया उस गर्जाना के डर से बाबू से जा चिपकी....
"जल्दी कहीं रोको बारिश आ गई " काया सहम गई थी.
वो कोठी के मैन गेट के सामने से गुजर रहे थे, काया की नजर कोठी पर ही थी.
बारिश तेज़ थी, कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था,
काया की सरसराती नजर कोठी के ऊपर कमरे पे जा टिकी, किसी ने खुली खिड़की को बंद कर दिया था.
"ये बारिश भी ना " काया के मुँह से स्वतः ही निकल गया.
बाबू और काया कोठी को पार कर गए थे.
बारिश शुरु हो गई थी, साथ ही बिजली कड़कने लगी थी, काया के चेहरे पे चिंता साफ देखी जा सकती थी.
"मैडम वो सामने.... सामने खंडर सा है वहाँ रुकते है "
कोठी से आगे चल कर ही एक खंडर सा ढांचा बना हुआ था.
काया और बाबू तुरंत भागते हुए उस खंडर के अहाते मे समा गए, आसमान बदलो से घिर गया था, ठंडी पानी भरी हवाएं काया और बाबू के जिस्म को झकझोड रही थी.
दोनों के जिस्म पानी से सरोबर थे.
Jordaar update
 
  • Like
Reactions: andypndy

malikarman

Well-Known Member
2,912
2,357
158
समय की कमी की वजह से बहुत छोटा अपडेट दे रहा हूँ.
माफ़ कीजियेगा.. 🫣
लेकिन वादा है नेक्स्ट अपडेट जोरदार होगा 👍
Aapke waade pe aitwar hai
 
  • Like
Reactions: andypndy

malikarman

Well-Known Member
2,912
2,357
158
अपडेट -16

दिन के 2 बजने को आये थे.
"ये लीजिये बड़े बाबू पानी " शबाना पानी का गिलास लिए सामने झुकी हुई थी.
शबाना की पूरी छाती बाहर को आ गई थी, रोहित इतनी पास से इस पहाड़ी को देख रहा था की हरी धमनिया तक दिख जा रही थी..
20210801-173657.jpg

जब से वो यहाँ आया था उसके दिल को बार बार झटके लग रहे थे, जांघो कर बीच गुदगुदी सी चल रही थी.
"क्या हुआ बड़े बाबू? पीजिये ना" शबाना ने अपनी बात पर जोर दिया.
"वो... वो... हाँ हाँ..." रोहित ने झट से गिलास हाथ मे पकड़ इधर उधर देखने लगा, जयश्री चोरी पकड़ी गई हो.
"आप भी बड़े बाबू " शबाना सामने ही बैठ गई.
गोरा जिस्म चमक रहा था, दुप्पटा तो नाममात्र का था बदन पर, छोटी सी चोली ने कसे मादक स्तन, उसके नीचे सपाट पेट, ऐसा हुस्न देख के तो रोहित दौड़ पड़ता था.
1613016814-sherlyn-chopra-1.jpg

लेकिन आज जैसे सांप सूंघ गया था उसे.
हलक सुख गया था, गुलप गुलप.... गट.. गट.... गटक... कर रोहित ने पूरा पानी एक बार मे ही हलक मे उडेल लिया, गले मे तो क्या गया पूरा पानी शर्ट को भिगोता पैंट के ऊपरी हिस्से पर जा गिरा.
"उफ्फ्फ.... वो... वो.. माफ़ करना " रोहित अभी कुछ करता की
"ये.. ये क्या किया बड़े बाबू " शबाना के कोमल हाथ रोहित की जांघो के बीच पानी को हटाने लगे.
ये सब अकस्मात हुआ, रोहित को समझ नहीं आ रहा था क्या करे.
"आ... आप आप रहने दीजिये " रोहित ने खुद को छुड़ाना चाहा.
लेकिन अब तक बहुत देर हो गई थू, शबाना के हाथ रोहित के नाजुक अंग को महसूस करने लगे थे.
रोहित आखिर मर्द ही था कब तक खुद को रोकता, उसके लंड मे तनाव आने लगा, उसका कामुक अंग आजादी माँग रहा था.
शबाना खूब खेली खाई औरत थी, उसके हाथ पानी को कबका साफ कर चुके थे, अब जो कर रहे थे उस हरकत से कोई भी मर्द सोचने समझने की स्थिति मे नहीं रहता..
शबाना लगातार रोहित के लंड को पैंट के ऊपर से टटोल राही थी, एक कदकपान सा महसूस कर रही थी.
"बड़े बाबू.... ये ये.. क्या?"
"वो.. वो... आअह्ह्ह......" रोहित क्या जवाब देता उसकी तो घिघी बंध गई थी.
शबाना के हाथ लगातार रोहित के लंड पर चल रहे थे.
"इस्स्स. स.... शबाना जी नहीं... रहने दीजिये "
शबाना मर्दो की कमजोरी अच्छे से जानती थी, उसके हाथ नहीं रुके.
बाहर खिड़की से आती ठंडी रूहानी हवा, शबाना जैसी कामुक महिला और क्या चाहिए एक मर्द को
"आअह्ह्..... इससससस...." बड़े बाबू आप बहुत सुन्दर है.
शबाना के दिल के अल्फाज़ उसके मुँह मे आ गए थे.
शबाना के लिए भी ये पहला मौका था जब उसके सामने कोई कामदेव सरिखा मर्द खड़ा था, गोरा सुन्दर, सुतवा नैन नक्श, जिस्म से उठती भीनी भीनी खुसबू, मांस की कहीं भी अधिकता नहीं.
कौन कहता है पुरुषो मे सुंदरता नहीं होती
आज शबाना से पूछिए, जिसके नसीब मे गांव के बूढ़े खूसट जमींदार ही थे, खुर्दारे मेले हाथ उसके जिस्म को नोंचते थे, खसोटते थे,
सभी का एकमात्र लक्ष्य शबाना को रोंद देना था.
लेकिन रोहित अलग था, उसकी ऐसी कोई चाहत नहीं थी, वो शबाना को इज़्ज़त दे रहा था, महिला होने का हक़ दे रह था.
बस यही वो चीज थी जो शबाना को रोहित की ओर खिंच ले गई.
"आअह्ह्हम्म्म.... शबाना जी बस रहने दे " रोहित के हाथ खुद ही शबाना के सर को सहला रहे थे.
मुँह मे ना थी लेकिन हाथ तो हाँ मे थे.
"चरररररर..... जिप्प्पपप्प..... की आवाज़ उस कमरे मे गूंज गई.
रोहित ने नीचे देखा, शबाना की उंगलियां उसकी पैंट की जीप को खिंच नीचे ले आई थी.
बस अब ये खेल रोहित के हक़ से बाहर चला गया था, मर्द petrol की आग की तरह होता है, चिंगारी देखी नहीं की तुरंत आग पकड़ लेता है.
रोहित के जिस्म ने भी वो आग पकड़ ली थी, अब सब मंजूर था.. सही गलत बनाया किसने, गधा है वो जो इस हसीन पलो को सही गलत मे तोलता है.
"बड़े बाबू.... इस्स्स...." शबाना की आंखे ऊपर रोहित की आँखों मे देख रही थी जैसे इज़ाज़त मांग रही हो.
"उउउफ्फ्फ...." रोहित कुछ ना बोला बस आंखे बंद कर ली.
काम कला मे निपुड़ शबाना इस भाषा को खूब समझती थी.
शबाना के हाथ पैंट की खुली जीप मे घुस गए, इधर उधर कुछ टाटोला जैसे सांप के बिल मे सांप पकड़ रही हो.
मेहनत तुरंत रंग लाइ.... 2पल मे ही रोहित का गिरा चिट्टा लंड शबाना के हाथो मे झटके खा रह था.
"उउउउफ्फ्फ..... आअह्ह्ह..." शबाना जी
"ईईस्स्स..... बड़े बाबू कितना गर्म है "
शबाना ने एक मुस्कुराहट से रोहित की ओर देखा, उस मुस्कान मे कुछ भेद था, उपहास तो बिल्कुल भी ना था.
कारण था रोहित का लंड पूरी तरह से शबाना की मुट्ठी मे छुपा हुआ था.
"बड़े बाबू का छोटा बाबू " शबाना बढ़बढ़ाती मुस्कुरा दी.
रोहित इन सब से अनजान सिर्फ नीचे देख रहा था, शबाना के करतब का मुरीद हुए जा रहा था.
शबाना के हाथ एक दो बार आगे पीछे हुए, रोहित के लंड की चमड़ी खुलती चली गई,
एक साफ सुथरी सुगंध से भारी गुलाबी सी आकृति बाहर आ गई.
शबाना ने ना जाने कितने मर्दो के अंग को सहलाया था, सब गंदे काले घटिया, पसीने से भरे.
लेकिन यहाँ एक सुख था, एक महक थी... शबाना उस महक कॉनर पाना चाहती थी,
उसका जिस्म आगे को सरक गया.
"ससससस.... ये... ये... ये क्या कर रही है आप " रोहित चित्कार उठा.
शबाना जैसे बाहरी हो गई थी, उसकी नाक रोहित के गुलाबी अंग के पास जा टिकी "ससससन्नणीयफ़्फ़्फ़..... आएगीह्ह्ह्हह्हब.... सससन्ननीफ्फ..... शबाना ने एक जोरदार सांस खिंच ली.
एक मदहोशी ने शबाना को आज घेर लिया था, इस खेल की पुरानी खिलाडी थी लेकिन आज कच्चे खिलाडी से हारने को तैयार बैठी थी.
शबाना ने पल भर मे अपना जीवन खंघाल लिया, लेकिन ऐसा सुख ऐसी खुसबू उसे याद ना आई.
शबाना के लाल होंठ खुलते चले गए, रोहित का गुलाबी हिस्सा एक बार मे उस काम पीपासु औरत के मुँह मे समा गया.
20210802-163552.jpg

"आअह्ह्ह....... नहीं... शबाना जी.. आअह्ह्ह....." रोहित की गर्दन पीछे को जा लटकी, हाथ शबाना के बालो पर कसते चले गए .
रोहित को ये सुख काया से कभी नहीं मिला था, या फिर ये इस सुख से अनजान था.
"गुलप..... पच... पच...." शबाना की जीभ मुँह ने आये मेहमान के स्वागत मे लग गई, रोहित के लंड के छेड़ को कुरेदने लगी, सहलाने लगी.
"आअह्ह्ह.... उउउफ्फ्फ....." रोहित नशे मे था काम नशे मे आंखे पलट गई थी.
शबाना के होंठ रोहित के लंड पर आगे को सरकने लगे, एक गोरा मर्दाना अंग लाल होंठो मे धसता जा रहा था.
अंदर और अंदर.... शबाना के होंठ रोहित के टट्टो से जा लगे, रोहित का पूरा लंड शबाना के मुँह मे था.
"ईईस्स्स..... आअह्ह्ह...." रोहित को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ज्वालामुखी मे उसका लंड घुस गया है.
शबाना के होंठ वापस पीछे की ओर जाने लगे, मुँह के अंदर जीभ मेहमान को सहला रही थी.
"आआहहहह..... शबाना जी पच पच... पचाक......" रोहित के शहरी खूबसूरत लंड ने जवाब दे दिया.
वीर्य की 5,6 बून्द शबाना के मुँह मे धाय धाय मर गिर गई, रोहित किसी कटे पेड़ की तरह पीछे पलग पर जा गिरा,.
खेल ख़त्म.... शबाना के मुँह का मेहमान भाग गया था जैसे.
वो हैरान थी ये क्या हुआ, कब हुआ? आखिर हुआ क्यों?. अभी तो सुख मिला था, अभी तो राहत आई थी.
शबाना का जलता जिस्म ठंडा पड़ गया.

"हमफ.... हमफ़्फ़्फ़... हंफ.... रोहित सामने बिस्तर पर चित लेता हांफ रहा था.
शायद उसकी जिंदगी मे वो ऐसे नहीं झाड़ा था कभी.
"बड़े.... बाबू.... बाबू... बड़े बाबू.... आप ठीक है ना " शबाना ने कच्चे खिलाडी को आउट कर दिया था
"हाँ... हाँ.... हंफ....".
" रुकिए मै कुछ लाती हूँ आपके लिए " शबाना आपने होंठो को पोछते हुए बाहर को चल दी.
एक सन्नाटा सा पसर गया था की तभी.... चाडक्य..... गगगगगगररररर...... रिमझिम..... बाहर बिजली कड़क उठी, सोंधी सी खुसबू रोहित के नाथूनो को भिगोने लगी.
ये सबूत था बाहर बारिश होबे लगी है, इस सोंधी खुसबू ने रोहित के जिस्म मे प्राण फूँक दिए.
आखिर बारिश जिसे पसंद नहीं होती, कमरे की खिड़की से पानी की बुँदे अंदर छींटे मार रही थी,
रोहित के कदम उस खिड़की को बंद करने चल पड़े.
खिड़की के पास पहुंच उसे बंद करना चाहा लेकिन अनायास ही उसकी नजर कोठी के सामने मैन सडक पर जा पड़ी, बरसात जोरो ओर थी.
एक लड़का लड़की गाड़ी पर बैठे कोठी के सामने से चले जा रहे थे.
रोहित के चेहरे पे मुस्कान आ गई, "ये बारिश का मौसम भी ना " रोहित ने खिड़की बंद कर दी.

ठीक उसी समय
काया और बाबू कोठी के सामने से गुजर रहे थे
" बाबू ये हवेली किसकी है"
"है कोई नचनिया, कहते है किसी जमींदार ने ख़ुश हो कर इसे दे दी "
कककककअअअअडडडररर....... धड़ाम..... रिमझिम.....
एकाएक तेज़ बिजली कड़की, बारिश होने लगी.
काया उस गर्जाना के डर से बाबू से जा चिपकी....
"जल्दी कहीं रोको बारिश आ गई " काया सहम गई थी.
वो कोठी के मैन गेट के सामने से गुजर रहे थे, काया की नजर कोठी पर ही थी.
बारिश तेज़ थी, कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था,
काया की सरसराती नजर कोठी के ऊपर कमरे पे जा टिकी, किसी ने खुली खिड़की को बंद कर दिया था.
"ये बारिश भी ना " काया के मुँह से स्वतः ही निकल गया.
बाबू और काया कोठी को पार कर गए थे.
बारिश शुरु हो गई थी, साथ ही बिजली कड़कने लगी थी, काया के चेहरे पे चिंता साफ देखी जा सकती थी.
"मैडम वो सामने.... सामने खंडर सा है वहाँ रुकते है "
कोठी से आगे चल कर ही एक खंडर सा ढांचा बना हुआ था.
काया और बाबू तुरंत भागते हुए उस खंडर के अहाते मे समा गए, आसमान बदलो से घिर गया था, ठंडी पानी भरी हवाएं काया और बाबू के जिस्म को झकझोड रही थी.
दोनों के जिस्म पानी से सरोबर थे.
Shandar update
 
  • Like
Reactions: andypndy

chachajaani

Active Member
560
981
108
अभी केवल ९ एपिसोड पढ़े हैं! कहानी लिखने की शैली बहुत अच्छी है और कहानी का प्लॉट बहुत मस्त है! 👏👏👏

लेकिन हिन्दी का फ़ॉण्ट बहुत छोटा इस्तेमाल किया है जिससे पढ़ने में दिक़्क़त होती है। कृपया बड़े फ़ॉण्ट के साथ लिखो
 
Last edited:
  • Like
Reactions: andypndy
Status
Not open for further replies.
Top