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Incest काली पहाड़ी की जंगल यात्रा

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swati1

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Interesting story and nice start.
 
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अपडेट १

"राघव यार, इस बार फिर से लड़के वाले मेरी दीदी का रिश्ता ठुकरा कर चले गए"

"सत्यम भाई, मेरी मम्मी एक बड़े ज्ञानी पंडित को जानती हैं तू कहे तो मैं अपनी मम्मी से बात करूं"

"अच्छा ठीक है इस बारे में मैं मम्मी से पूछ कर तुझसे बात करूंगा" कहकर सत्यम ने कॉल काट दिया।

दरअसल बात ये थी कि सत्यम की दीदी हंसिका २६ साल की हो चुकी थी देखने में बला की खूबसूरत थी लेकिन उसके साथ कोई शादी करने के लिए तैयार नहीं था क्योंकि उसकी कुंडली में दोष था इसलिए कई बार लड़के वाले हंसिका का रिश्ता ठुकरा कर चले गए थे।

सत्यम की मम्मी पार्वती ४६ वर्ष की विधवा औरत थी, ५ साल पहले हार्ट अटैक की वजह से पार्वती के पति की मौत हो गई थी, पार्वती अपने पति धर्मवीर का ज्वैलरी बिजनेस चला रही थी उसकी कंपनी का नाम राधाकृष्ण ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड था।

सत्यम एक एवरेज सा लड़का है उम्र २३ वर्ष है जिसकी कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो चुकी है और अपनी मम्मी के साथ अपने पापा की कंपनी में काम करता था और फ्री टाइम में बॉक्सिंग की प्रैक्टिस करता है।

पार्वती की पर्सनल सेक्रेटरी उसके बचपन की सहेली सविता थी, सविता की उम्र ४६ वर्ष थी, सविता का पति अशोक एक एक्सीडेंट में पैरालाइज हो गया था, अशोक के जीवन के कुछ दिन ही रह गए हैं उसकी धड़कन चल रही है बाकी शरीर ने काम करना लगभग बंद कर दिया है।

सविता का बेटा राघव (२३) सत्यम का अच्छा दोस्त है, लेकिन ये छुपारुस्तम टाइप का लड़का है, अपने दिल की बातें किसी से भी नहीं कहता है, ये सत्यम के साथ उसकी कंपनी में ही काम करता है।

राघव के कहने पर सत्यम अपनी मम्मी से बात करता है लेकिन पार्वती मना कर देती है क्योंकि ये बात सविता पार्वती से ऑफिस में कह–कहकर थक चुकी थी पर सत्यम काफी ज्यादा फोर्स करके कहता है कि मम्मी एक बार कोशिश करके देख लेते हैं क्या पता सच में हंसिका दीदी की कुंडली का दोष खत्म हो जाए तो काफी देर तक सोचने के बाद आखिर पार्वती मान जाती है।

फिर सत्यम अपने दोस्त राघव को कॉल करके बता देता है कि उसकी मम्मी मान गई हैं और राघव अपनी मम्मी सविता को बता देता है, उसके अगले दिन सविता एक पंडित जी को लेकर पार्वती के घर पहुंच जाती है।

पंडित जी पार्वती से उसकी बेटी हंसिका की कुंडली मांगते हैं और कुंडली देखने के बाद चिंतित हो जाते हैं।

पार्वती– क्या बात है पंडित जी ? आप परेशान क्यों हो गए

पंडित जी– हंसिका बेटी की कुंडली में बड़ा खतरनाक दोस्त है जिससे उसकी मृत्यु तक हो सकती है।

पार्वती डर जाती है और रोने लगती है– पंडित जी ऐसा मत बोलिए कोई तो रास्ता होगा जिससे मेरी बेटी की जान बच जाए।

पंडित जी– केवल एक रास्ता है बेटी!

पार्वती– क्या?

पंडित जी– काली पहाड़ी पर कालभैरव की पूजा विधि अनुसार पूरी करनी होगी तभी तुम्हारी बेटी की जान बच सकती है।

पार्वती– मैं तैयार हूं पंडित जी, मैं कल ही चली जाऊंगी।

पंडित जी– पूजा में तुम्हारा पूरा परिवार उपस्थित होना चाहिए बाकी पूजा की विधि तुम्हें काली पहाड़ी के कालभैरव मंदिर में ही पता चलेगी वहां के तांत्रिक विधि अनुसार पूजा करवा देंगे।

पार्वती– ठीक है पंडित जी मैं अपने बेटे और बेटी के साथ कालभैरव के मंदिर पहुंच जाऊंगी लेकिन ये काली पहाड़ी कहां है ?

सविता– पार्वती मुझे पता है कि काली पहाड़ी कहां है , राघव जब छोटा था तो हमेशा बीमार रहता था उसकी स्वास्थ के लिए मैंने काली पहाड़ी पर कालभैरव के मंदिर में पूजा करवाई थी और फिर राघव बिलकुल ठीक हो गया।

पार्वती– फिर तुम और राघव दोनों हमारे साथ चल लेना।

सविता– क्यूं नही पार्वती,,,,

पार्वती– दक्षिणा कितना देना है पंडित जी

पंडित जी– हिहिही आप अपने मन अनुसार दे दीजिए।

तभी पार्वती १० लाख का चेक काट के पंडित जी को दे देती है और पंडित जी कांपते हुए हाथ से उस चेक को अपनी पॉकेट में रख लेते है। फिर पंडित जी और सविता कार में बैठकर निकल जाते हैं।

शाम को ऑफिस से जब सत्यम और हंसिका घर आते हैं तो पार्वती उन्हें सब कुछ बता देती है और वह दोनों कल के लिए जाने की तैयारी करने लगते हैं।

इधर सविता और पंडित जी गाड़ी से एक कच्ची सड़क से होकर जा रहे थे।

पंडित जी– देखिए मैने आपका काम कर दिया, अब आप मुझे १० लाख रुपिया दीजिए।

सविता– साले तुझे १० लाख मिल तो गए,,,,

पंडित जी– ये तो पार्वती जी ने दक्षिणा दी है, आप भी दीजिए नही तो मैं पार्वती जी को सब कुछ बता दूंगा।

सविता गाड़ी रोकती हुई– आप तो गुस्सा हो गए पंडित जी, पीछे डिक्की में रखे हुए हैं पूरे १० लाख कैश, उतरिए और निकाल लीजिए।

पंडित जी मुस्कुराए हुए गाड़ी से बाहर आते है और जैसे ही डिक्की खोलते हैं तो वहां उन्हें कुछ नहीं मिलता है।

पंडित जी गुस्से में कार की विंडो के पास आकर बोले– ये क्या बेहूदा,,,,,,, पंडित जी इतना ही बोल पाए कि तभी बंदूक से एक गोली निकलकर पंडित जी के खोपड़ी के आर पार चली गई।

एक पेड़ के पीछे राघव पिस्टल लिए खड़ा था और उसका निशाना बिलकुल सटीक बैठा था। सविता ने गाड़ी से बाहर उतरकर पंडित जी की पॉकेट में से १० लाख का चेक निकाल के अपने पास रख लिया, फिर राघव और सविता गाड़ी में बैठकर अपने घर निकल गए।
Congratulations🎉🎉🎉 for your story. Yeh kya bhirte hi action.
 
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अपडेट २

अगले दिन सब लोग एसयूवी से काली पहाड़ी के लिए निकल गए थे, राघव कार ड्राइव कर रहा था, सत्यम आगे बैठा था और पार्वती, हंसिका और सविता पीछे बैठे हुए थे।

करीब ६ घंटे बाद पूछताछ करते हुए हम काली पहाड़ी के जंगल तक पहुंच गए थे, आश्चर्य की बात तो ये थी कि किसी को भी काली पहाड़ी का रास्ता ठीक से पता नहीं था, फिर भी किसी तरह घूमते हुए वो लोग एक जगह पहुंच गए थे जहां रास्ता खत्म और जंगल शुरू हो रहा था उसके आगे गाड़ी नहीं जा सकती थी।

उसके बाद सब गाड़ी से उतरकर जंगल की तरफ देखने लगे बड़ा घना जंगल था, जंगल जितना डरावना था उतना ही खूबसूरत भी लग रहा था, दोपहर का समय हो रहा था पार्वती बोली कि अंधेरा होने से पहले पहुंच जाए तो अच्छा रहेगा। फिर क्या था सब गाड़ी की डिक्की से अपने सामान निकालकर जंगल के अंदर जाने लगे, सत्यम सबसे आगे और उसके पीछे पार्वती और हंसिका चल रहे थे, राघव और सविता थोड़ा पीछे चल रहे थे।

सब लोग जंगल का वातावरण देखकर हैरान थे, वहां के पेड़ पौधे बिलकुल अलग किस्म के थे ऐसे पेड़ पौंधे उन्होंने अपनी जिंदगी में आज तक नही देखे थे, कीड़े–मकोड़े तक बिलकुल अजीब थे, सतर्क होकर बिना आवाज किए वो आगे बढ़ रहे थे

राघव– मम्मी अब और कितना इंतजार करोगी?

सविता– थोड़ा और इंतजार करो, ऐसी जगह उन्हें मारेंगे कि पुलिस को किसी की हड्डियां तक नहीं मिलेंगी।

राघव– लेकिन हंसिका दीदी को मारने से पहले मुझे उनके साथ हिहिहिही

सविता– हां बेटा तुम्हें उसके साथ जो करना है कर लेना।

फिर राघव और सविता चलते हुए पार्वती और हंसिका के ठीक पीछे आ गए, सत्यम सबसे आगे था और तभी सत्यम अचानक से रुक गया उसके रुकते ही पीछे सभी लोग रुक गए।

पार्वती– क्या हुआ बेटा रुक क्यों गया?

सत्यम ने सबको बिलकुल चुप रहने के लिए कहा और सामने एक अजीब से जानवर को देखने का इशारा किया।

हंसिका– ये कैसा जानवर है न तो ये खरगोश लग रहा है और न ही ये कुत्ता लग रहा था, ऐसा लग रहा है कैसे कुत्ते और खरगोश को मिक्स करके जानवर की कोई प्रजाति बना दी गई हो।

पार्वती– हां और उस चिड़िया को तो देखो वह भी बिलकुल अजीब है ऐसा लग रहा है न तो वह कबूतर है और न ही तोता है , कोई कबूतर और तोते के बीच की कोई प्रजाति है।
सत्यम– यहां तो सब कुछ अजीब है, पेड़ पौधे से लेकर कीड़े मकोड़े और जानवर सब अजीब है, ऐसा लग रहा है हम किसी और दुनिया में आ गए हैं।

सभी ने हिम्मत से काम लिया और आगे बढ़ने लगे , अब जंगल और घना हो गया था और रास्ता और ज्यादा संकरा होता चला जा रहा था, सत्यम झाड़ियों को हटाकर सबके लिए रास्ता बना रहा था।

इधर सविता ने राघव को कुछ इशारा किया और दोनों ने पिस्टल बाहर निकाल लिया लेकिन जैसे ही उन्होंने पीछे से सत्यम और पार्वती पर गोली चलाने के लिए पिस्टल उठाई तो सामने से एक अजीब सा घोड़े और भैंसा जैसा जानवर उनके ऊपर से कूदकर निकल गया जिससे डरकर सविता और राघव ने पिस्टल के वापस रख लिया,

उस जानवर के पेट में किसी ने तीर मारा था वो थोड़ी दूर पर मर गया, पार्वती और हंसिका उस जानवर को देखकर काफी डर गए थे और जानवर के मरते ही जंगल के वातावरण में अजीब सी आवाजें गूंजने लगी।

तभी वो हुआ जिसके बारे में किसी ने नहीं सोचा था हमें चारों तरफ से छह–छह फूट लंबी और तंदुरुस्त लड़कियों ने घेर रखा था और हमारी गर्दन पर अपना भाला तानकर खड़ी हुई थी, हंसिका की आंखों से आंसू बहने लगे थे। पार्वती और सत्यम दोनों बहुत ज्यादा डर गए थे, और राघव और सविता को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हुआ? और ये लड़कियां कहां से आ गईं।

कुछ देर बाद दूर झाड़ियों में से एक साढ़े छह फूट लंबी लड़की धनुष लेकर बाहर आई और उसके पीछे भाला लेकर सात फूट लंबी लड़की उसके साथ आ रहा थी, वो साढ़े छह फूट वाली लड़की उस जानवर के पास आई और अपने घुटनों पर बैठकर हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगी, सात फूट वाली लड़की उस साढ़े छह फूट वाली लड़की के पास खड़ी थी ऐसा लग रहा था जैसे उसकी हिफाजत कर रही हो। साढ़े छह फूट वाली लड़की प्रार्थना करके उठी और सात फूट वाली लड़की के साथ चलते हुए इन लोगों के पास आने लगी। सभी लड़कियों ने लोहे का सूट पहना हुआ था ऐसा लग रहा था जैसे किसी जंग पर आई हुई हैं।

सात फूट वाली लड़की– तुम लोग हमारे गांव की सीमा में किसलिए आए हो?

पार्वती– हम काली पहाड़ी वाले कालभैरव मंदिर के दर्शन के लिए आए हैं,,,, फिर पार्वती ने सब कुछ बताने लगी कि उसकी बेटी की कुंडली में दोष है जिस वजह से वो लोग कालभैरव के दर्शन के लिए आए हैं।

तभी साढ़े छह फूट वाली लड़की बोली– फिर तो आप हमारे मेहमान हुए क्योंकि कालभैरव का मंदिर हमारे गांव के कुछ दूर पर है लेकिन कुछ समय पश्चात् यहां रात्रि हो जाएगी और रात्रि के समय कालभैरव के मंदिर जाना बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है क्योंकि इस समय यहां जंगली जानवरों का बहुत खतरा रहता है।

सत्यम– तो हम ऐसा करते हैं कि वापस लौट जाते हैं और कल सुबह जल्दी आकर कालभैरव के दर्शन कर लेंगे।

साढ़े छह फूट वाली लड़की– आपको वापस जाने की कोई जरूरत नही है, आप चाहें तो आज की रात्रि आप हमारे गांव में विश्राम करके बिता सकते हैं फिर कल सुबह मैं खुद अपने सैनिकों के साथ आप सभी की सुरक्षा को ध्यान में रखकर कालभैरव के दर्शन करवा दूंगी।

पार्वती– आपका बहुत–बहुत धन्यवाद लेकिन यहां से हमारा लौट जाना उचित रहेगा, हम आपको कष्ट नहीं देना चाहते।

साढ़े छह फूट वाली लड़की– देखिए यहां दिन में भी जंगली जानवर घूमते हैं, खतरा दिन में भी है लेकिन रात जितना नहीं पर खतरा तो है ना, हम कल सुबह आपको सुरक्षित मंदिर तक पहुंचा देंगे।

फिर सविता और पार्वती बातें करने लगी, सविता ने किसी तरह पार्वती को रुकने के लिए मना लिया।

सविता– हम आज रात्रि आपके गांव में रुकने के लिए तैयार हैं।

फिर सात फूट वाली लड़की ने दूसरी लड़कियों को आदेश दिया– सनिकों अपने भाले हटाओ।

फिर सब उस साढ़े छह फूट वाली लड़की के साथ चल पड़े।
साढ़े छह फूट वाली लड़की बोली– आप सब अपना परिचय दीजिए।

फिर एक एक करके सबने अपना परिचय दिया।

पार्वती– क्या हम आपके बारे में जान सकते है, क्या आप अपना परिचय देंगी?

साढ़े छह फूट वाली लड़की– हमारा नाम सुलेखा है और हम कामासुर गांव की महारानी चंद्रमुखी की उत्तराधिकारी हैं।

सत्यम– मतलब?

सुलेखा– देखिए हमारे गांव के नियम और कानून बाहर की दुनिया से बिलकुल अलग हैं। हमारे यहां रानी की बेटी रानी नहीं बनती है यहां तक की रानी की बेटी को पता तक नहीं होता कि वह रानी की बेटी है और न ही रानी को पता होता है कि उसकी मां कौन है, सेनापति को छोड़कर किसी बच्चे तक को पता नहीं होता कि उसकी मां कौन है।

सत्यम– ये क्या बात हुई! तो फिर रानी कौन बनती है और सेनापति को छोड़कर बाकी किसी को उसकी मां के बारे में क्यों नहीं बताते, और क्या आपके पिता इसकी अनुमति कैसे दे सकते है।

सुलेखा– जो कन्या बल और बुद्धि से सबसे निपुड़ होती है उसको हमारे गांव की महारानी अपना उत्तराधिकारी चुनती हैं। यहां पिता कोई भी हो सकता है क्योंकि यहां की औरतें अपने जीवन काल में बहुत सारे मर्दों के साथ संभोग करती हैं और उनके बच्चे पैदा करती हैं।

तभी सात फूट वाली लड़की बोली– सुलेखा तुम्हें सब कुछ नही बताना चाहिए , ये हमारे मेहमान हैं लेकिन ये बाहर की दुनिया के हैं।

सुलेखा– छाया, मैं इन्हें उतना ही बता रही हूं जितना इनके लिए उचित है।

छाया थोड़ा सा गुस्से में बोली– आप महारानी की उत्तराधिकारी हैं ना तो आप कुछ भी करिए।

सुलेखा मुस्कुराते हुए– मेरी प्यारी सहेली तुम फिर से गुस्सा हो गई, अच्छा बाबा मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ कर दीजिए महारानी छाया जी।

सुलेखा की हरकतें देख सब मुस्कुराने लगे और फिर छाया भी मुस्कुराने लगी।

फिर कुछ समय बाद सबको एक बड़ा सा किला दिखाई दिया, किला चारों तरफ से झील से घिरा हुआ था और उस झील में खतरनाक भूखे मगरमच्छ थे, हमें किले के ऊपर एक बड़ा सा आदमी दिखाई दिया तभी छाया ने उस दानव जैसे आदमी को देखकर कुछ इशारा किया।

सब ध्यान से देख रहे थे, ऐसा किला तो इन्होंने बस फिल्मों में देखा था आज अपनी आखों के सामने देख रहे थे, उस किले के दरवाजे पर से एक बड़ा सा पटरा नीचे आने लगा दरअसल पटरा किले के दरवाजे तक जाने का रास्ता था, पटना बिलकुल नीचे आ गया, फिर हम लोग उस पटरे से होते हुए किले के दरवाजे तक पहुंच गए, पटरे पर चलने में सबकी हालत खराब हो गई थी क्योंकि झील में भूखे मगरमच्छ थे।

तभी ६० फूट लंबी किले की दीवार के ऊपर से वो बड़ा सा दानव जैसा आदमी कूद गया, और उसको कुछ हुआ ही नहीं , साला बड़ा बलशाली था, सब लोग बिलकुल हैरान होकर उस आदमी को देख रहे थे उसका कद छाया जितना सात फूट का था लेकिन शरीर से छाया से बहुत ज्यादा हट्टा कट्टा था, उसने भी लोहे का सूट पहन रखा था

सुलेखा– रक्षाप्रमुख विक्रम ये हमारे मेहमान है किले का दरवाजा खोलिए।

रक्षाप्रमुख विक्रम किले दरवाजा खोलता है और सब लोग किले के अंदर का नजारा देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, ऐसा लग रहा था जैसे किसी स्वर्ग में आ गए हैं।

किले के अंदर बिलकुल महोत्सव जैसा माहौल था, जैसे ही पार्वती , सत्यम , हंसिका , सविता और राघव किले के अंदर दाखिल होते हैं वैसे ही गांव के सभी मर्द और जवान लड़के अपनी–अपनी धोती में से लन्ड बाहर निकालकर हिलाने लगते हैं और गांव की सभी औरतों और जवान लड़कियां अपनी–अपनी साड़ी और घागरा उठाकर चूत में उंगली करने लगती हैं।

गांव के लोगों का ऐसा व्यवहार देख सब लोग बिलकुल आश्चर्यचकित हो जाते हैं , पार्वती जल्दी से अपनी साड़ी के पल्लू से अपनी बेटी हंसिका की आंखे ढक देती है और अपने बेटे सत्यम को अपनी छाती से लगा लेती है।

दूसरी तरफ इतने सारे काले लन्ड देखकर सविता की चूत रस छोड़ने लग गई थी , और इतनी सारी रसीली चूतें देखकर राघव के लन्ड से पानी निकलने लगा था।

पार्वती गुस्से में बोली– सुलेखा जी ये क्या है ? हमारे साथ ये दुर्व्यवहार करने के लिए आपने हमें अपने किले में आमंत्रित किया है।

सुलेखा– मैंने आपसे कहा था कि हमारे यहां के नियम और कानून बाहर की दुनिया से बिलकुल अलग है, ये लोग आपके साथ दुर्व्यवहार नहीं कर रहे बल्कि आपका स्वागत कर रहे हैं ये हमारा सम्मान देने का तरीका है , वो तो हमने , छाया ने , विक्रम ने और हमारे सैनिकों ने लोहे का कवज पहन रखा है नहीं तो हम भी आपको इसी तरह सम्मान देते।

सुलेखा की बातें सुनकर पार्वती को थोड़ा सुकून पहुंचता है, फिर सब सुलेखा के साथ उसके पीछे पीछे जाने लगते हैं।

कुछ देर बाद सब लोग सुलेखा के पीछे पीछे चलते हुए राजमहल में दाखिल हुए, राजमहल देखने में किसी सोने के महल से कम नहीं था ऐसा लग रहा था जैसे प्राचीन भारत का कोई महल है।

सुलेख ने उन्हें राजमहल में बैठा दिया और सबके लिए फल खाने का प्रबंध किया।

सुलेखा– आप सब लोग भोजन ग्रहण कीजिए कुछ देर बाद हमारी महारानी चंद्रमुखी आप सभी से भेंट करने के लिए आएंगी। ऐसा कहकर सुलेखा अपनी सहेली छाया के साथ वहां से चली गई।

पार्वती , सत्यम और हंसिका राजमहल का माहौल देखकर अच्छा महसूस कर रहे थे तो दूसरी तरफ सविता और राघव कामासुर गांव के प्रति इतना मंत्रमुग्ध हो गए थे कि उन्होंने अपना जीवन काल यहीं पर बिताने का ठान लिया था, सविता तो गांव की महारानी बनने के सपने देखने लगी थी तो राघव गांव की औरतों और जवान लड़कियों को अपनी रखैल बनाने के सपने देख रहा था।

इधर दूसरी तरफ एक बेहद बदसूरत दानव जैसा ९ फूट का आदमी शिकार करके लाए हुए जानवर को किसी भूखे भेड़िए की तरह कच्चा चबा रहा था और उसके सामने रक्षाप्रमुख विक्रम खड़ा था।

विक्रम– सेनापति चामुण्डा हमारे गांव में बाहर की दुनिया के कुछ लोग आए हुए हैं,,,,

चामुण्डा घुर्राते हुए बोला– कौन लोग हैं? औरतें और जवान लड़कियां हैं कोई?

विक्रम– मुझे नहीं पता वो कौन हैं, महारानी की उत्तराधिकारी सुलेखा उनको लेकर आई है, उनमें दो औरतें है एक जवान लड़की है और दो जवान लड़के हैं, दोनों औरतें बेहद खूबसूरत हैं एक औरत तो महारानी चंद्रमुखी से भी ज्यादा सुंदर है और दूसरी औरत बड़ी कामुक है और जवान लड़की तो बिलकुल कच्ची कली है।

रक्षाप्रमुख विक्रम की बातें सुनकर सेनापति चामुण्डा का लन्ड खड़ा हो गया , उसका लन्ड देखने में काफी भयानक था करीब १२–१३ इंच लंबा और ३–३.५ इंच मोटा था।

चामुण्डा– कुत्ते के पिल्ले, ये क्या बकवास कर रहा है तू, चंद्रमुखी जैसी खूबसूरत दुनिया में कोई दूसरी औरत नही है, तेरी बात झूठी हुई तो मैं तेरा सर तेरे धड़ से अलग कर दूंगा।
विक्रम– सेनापति चामुंडा आप खुद देख लेना , कुछ देर में महारानी चंद्रमुखी उनका स्वागत करने के लिए आने वाली हैं।

फिर रक्षाप्रमुख विक्रम वहां से चला गया , और सेनापति चामुण्डा अपने कक्ष में राजमहल आने के लिए तैयारी करने लगा।

यहां राजमहल की सभा में महारानी चंद्रमुखी मेहमानों के स्वागत के लिए आने वाली थी इसलिए पूरे गांव को राजमहल में आने के लिए निमंत्रण दिया गया था , धीरे धीरे गांव के सभी लोग बच्चे बूढ़े औरतें लड़कियां लड़के सब राजमहल में आ गए थे। बच्चे लंगोट पहन रखे थे, जवान लड़के और बूढ़े नीचे धोती पहने हुए थे और ऊपर से नंगे थे और औरतें बस साड़ी पहनी हुई थी उनके जिस्म पर किसी तरह का कोई ब्लाउज या पेटीकोट नही था उन्होंने पल्लू से अपनी चुचियों को ढका हुआ था और जवान लड़कियां और बच्चियां घागरा चोली पहनी हुई थी।

राजमहल के राजदरबार में चार सिंघासन लगे हुए थे , एक सिंघासन सबसे ऊंचाई पर था जो की महारानी चंद्रमुखी का था, महारानी के सिंघासन के राइट साइड में थोड़ा नीचे की तरफ एक और सिंघासन था जो की महारानी की उत्तराधिकारी सुलेखा का था, महारानी के सिंघासन के लेफ्ट साइड में नीचे की तरफ एक बड़ा सा सिघासन था जो की सेनापति का था।

कुछ देर बाद रक्षाप्रमुख विक्रम और महारानी चंद्रमुखी की उत्तराधिकारी की सहेली छाया राजमहल के राजदरबार में दाखिल हुए, विक्रम और छाया दोनों राजदरबार की सुरक्षा की जांचपड़ताल करने के बाद अपने–अपने स्थान पर जाकर खड़े हो गए।

रक्षाप्रमुख विक्रम प्यासी नजरों से सविता की तरफ देखने लगा, सविता को भनक लगते थोड़ी सी भी देर नहीं लगी कि विक्रम उसे गंदी नजर से देख रहा है बल्कि वो तो किले के दरवाजे पर ही समझ गई थी जब विक्रम उसकी साड़ी के पल्लू से उसकी बड़ी बड़ी चूचियों की गहरी खाई में छलांग लगाने की कोशिश कर रहा था।

सविता के दिमाग में पता नही क्या शैतानी सूझी कि उसने सबसे नजरें बचाकर अपनी ब्लाउज के ऊपर के २–३ हुक खोल दिए और अपनी साड़ी का पल्लू हल्का सा सरका के रक्षाप्रमुख विक्रम को अपनी बड़ी बड़ी चूचियों के दर्शन करवाने लगी, सविता की इस हरकत से विक्रम के सोए हुए लन्ड में खून की लहर दौड़ गई और उसका लन्ड खड़ा हो गया।

फिर राजदरबार का मुख्य दरबान सेनापति चामुण्डा के आने की घोषणा करने लगा।

तभी सेनापति चामुण्डा दरबार में दाखिल हुआ उसके राजदरबार के अंदर आते ही सब लोग उठकर खड़े हो गए, उसके शरीर से बहुत गंदी बदबू आ रही थी, सेनापति चामुंडा बिलकुल नंगा था उसका मोटा और बड़ा सा लन्ड हवा में झूल रहा था और बस सोने का मुकुट पहने हुए था और उसके हाथ में लोहे का सीकड़ था जो काफी लंबा और मोटा था।

सेनापति चामुंडा अपने सिंघासन पर बैठने के लिए जा रहा था पर उसके सीकड़ की लंबाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी, उसके शरीर से आ रही बदबू पार्वती के बर्दाश्त से बाहर थी उसने अपनी नाक पर साड़ी का पल्लू रख लिया था और हंसिका को तो उसकी तरफ देखने से ही घिन आ रही थी, जबकि सविता की नजर उसके लन्ड पर ही टिकी हुई थी, और सत्यम अपनी दुनिया में ही खो गया था, उसको यहां नही आना चाहिए था ऐसा सोच रहा था, और राघव की नजर अपनी मां सविता पर थी वो देख रहा था कैसे उनकी मां ललचाई हुई नजरों से उसके लन्ड को देख रही है।

सेनापति चामुंडा सिंघासन पर बैठते हुए अपने हाथ से उस लोहे के सीकड़ को खींचते हुऐ– कुतीया आ अपने मालिक के पास।

चामुंडा के मुंह से ये बात सुनकर पार्वती , सत्यम , हंसिका , सविता और राघव बिलकुल हैरान हो गए दरअसल सीकड़ की दूसरी तरफ एक गोरी गदराई ८ फूट लंबी औरत को उसके गले से बांधा हुआ था वो औरत अपने घुटनो और हथेलियों के बल राजदरबार में चलकर दाखिल हुई, उस औरत की चूत से खून बह रहा था चूत कहना गलत होगा क्योंकि उसकी चूत के चीथड़े उड़े हुए थे, उसका भोसड़ा पूरी तरह से फटा हुआ था, वह औरत किसी तरह रेंगते हुए सेनापति चामुंडा के पास पहुंच गई और उसके गंदे और बदबूदार पैर चाटने लगी।

तभी चामुंडा की नजर पार्वती पर गई जिससे उसका मोटा लन्ड फड़फड़ाने लगा तो वो अपने सिंघासन से खड़ा होकर पार्वती की तरफ देखते हुए अपना लन्ड हिलाने लगा, उसकी इस हरकत से पार्वती शर्म के मारे पानी–पानी हो गई और सत्यम क्रोधित हो गया उसका खून जैसे उबाल मारने लगा वो कुछ बोलने वाला था कि दरबान फिर से घोषणा करते लगा तो चामुंडा अपने सिंघासन पर बैठ गया और अपना लन्ड अपनी पालतू रण्डी के मुंह में देकर उससे चुसवाने लगा।

दरबान की घोषणा के बाद और एक औरत राजदरबार में दाखिल हुई, दरबान के द्वारा उस औरत का नाम राजवैद्य माया देवी बताया गया, माया देवी बला की खूबसूरत ८ फूट लंबी औरत थी लेकिन उसके जिस्म से बिलकुल वैसी ही बदबू आ रही थी जैसी बदबू सेनापति चामुंडा से आ रही थी, ये लोग समझ गए कि हो न हो इस राजवैद्य माया देवी का सेनापति चामुंडा से कोई रिश्ता है, राजवैद्य माया देवी सेनापति चामुंडा के सिंघासन के पास पहुंच गई और उसकी जंघा पर बैठकर उसके होंठों को चूमने लगी, ये लोग समझ रहे थे कि राजवैद्य माया देवी सेनापति चामुंडा की प्रेमिका है पर असल में माया देवी चामुंडा की प्रेमिका नही बल्कि उसकी सगी मां थी।

तभी फिर से घोषणा होने लगी और इस बार महारानी चंद्रमुखी की उत्तराधिकारी सुलेखा की घोषणा हुई थी, सुलेखा बिलकुल तैयार होकर आई थी उसकी खूबसूरती का पूरा गांव दीवाना था, उसने अपने दोनों हाथों में सोने के कंगन और सुनहरे रंग की साड़ी पहनी हुई थी।

सुलेखा को देखकर सब मंत्रमुग्ध हो गए थे सिवाए एक के अलावा और वो थी सुलेखा की सहेली छाया उसके चेहरे पर गुस्से , जलन और नफरत के भाव थे जो राघव अपनी पारखी नजरों से पहचान गया था, राघव को तो जंगल में ही ये एहसास हो गया था की छाया सुलेखा को पसंद नहीं करती है क्योंकि जब सब सुलेखा की बातें सुनने में मग्न थे तो राघव छाया की काया और उसके चेहरे के पढ़ने में व्यस्त था। सुलेखा अपने सिंघासन पर जाकर बैठ गई थी।

अब आखिरी बार दरबान फिर से घोषणा करने लगा और अबकी बार उसने कामासुर गांव की महारानी चंद्रमुखी की घोषणा की थी।
Mast update 👌👌.
 
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Nikunjbaba

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aditya Hooda

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