mujhe to lag raha hai ki koi group hai jo ki mrityu mantra wali goli bana rahi hai logo ko marne ke liye,aur ye group koi screte group hi hoga jisak talllkul kaali ke dada aur us taswir se hogi ..8.......
बीप....बीप....बीप.....बीप....
आरोही इस वक़्त हॉस्पिटल के एक कॉटेज में बेसुध सोई हुई थी....और वहां लगी मशीनों से निकलती आवाजें माहौल को और ज्यादा गमगीन बनाए जा रही थी....
सलोनी का चेहरा रो रो कर सुज चुका था और ना जाने कब वो रोते रोते आरोही से लिपट कर सो गई....मेरी आंखो मै नींद कोसों दूर तक नहीं थी....अगर कुछ था तो ये जानने की जिज्ञासा की आखिर एक साथ इतनी मुसीबतें कैसे आ गई मेरे परिवार पर....
नवीन चाचा को फोन करके मैंने सारी स्थिति बता दी थी और उन्हें ये भी कहा था कि मम्मी को इस बात का पता बिल्कुल भी ना चले की आरोही हॉस्पिटल में है.....सुबह के 5 बजने वाले थे और हॉस्पिटल के बाहर गहमा गहमी शुरू हो चुकी थी....
आरोही अब खतरे से बाहर थी लेकिन दोपहर तक उसे हॉस्पिटल में ही रहना होगा....ये एक सुसाइड की कोशिश थी इस लिए पुलिस को भी इतल्ला होनी वाजबी थी....
तभी दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई....
मैंने दरवाजा खोल देखा तो पाया वहां एक 24 -25 साल का वर्दी धारी इंस्पेक्टर खड़ा था....
"" सर वैसे तो ये सही वक़्त नहीं है लेकिन फिर भी मुझे कुछ कानूनी कार्यवाही करनी ही पड़ेगी.....वैसे कमिश्नर सर से मेरी बात हो गई है इसलिए मै आपका ज्यादा वक़्त बिल्कुल भी नहीं लूंगा....""
मैंने एक नजर आरोही और सलोनी की तरफ मुड़ कर देखा और स्वीकृति में अपनी गर्दन हिला कर बाहर चलने का इशारा किया....
कॉटेज वार्ड से बाहर निकल कर एक छोटी सी कैंटीन बनी हुई थी जो की पूरी तरह व्यवस्थित लग रही थी....अभी इस वक़्त भी कैंटीन के स्टाफ के साथ साथ कुछ ही लोग वहां उपस्थित थे....
एक मुनासिब जगह तलाश कर हम दोनों वहां बैठ गए और फिर शुरू हो गया सवाल जवाब का सिलसिला....
"" काली सर ऐसी क्या वजह आ गई की आरोही यानी कि आपकी बहन को स्लीपिंग पिल्स खानी पड़ गई...???""
सवाल बिल्कुल सीधा और सपाट था.... इंस्पेक्टर ने बिना कोई भूमिका बांधे सरल शब्दों मै अपना सवाल मेरे सामने रख दिया था...
"" आप तो जानते ही है कि एक ही दिन में हमारे घर में क्या से क्या हो गया.....पहले पापा कि डैथ उसके बाद मम्मी को आया अटेक हमारे परिवार पर ईश्वर का बेइंतहा जुल्म था , शायद इसी वजह से आरोही को इतना धक्का लगा कि वो अपने आप को संभाल नहीं पाई और ये सब कर गई..""
अपने सामने पड़ी एक डायरी मै इंस्पेक्टर अपनी कलम से कुछ नोट करने लगता है और उसी के साथ साथ अपना अगला सवाल दाग देता है....
"" आपने ठीक कहा सर...ऐसे आलम मै खुद को संभालना काफी मुश्किल होता है वो तो शुक्र है कि आप मैडम को सही समय पर हॉस्पिटल ले आए वरना कुछ भी हो सकता था....खेर अब जो मै आपसे पूछना चाहता हूं हो सकता है कि वो आपको बुरा लगे लेकिन ऐसे सवाल असली वजह ढूंढने मै मदद भी करते है.....आप के पिता की मौत के बाद सम्पत्ति का भी बटवारा हुआ....कहीं ऐसा तो नहीं कि सम्पत्ति के कारण कोई ऐसा विवाद आप दोनों भाई बहन के बीच हुआ और इसी बात को लेकर उन्होंने ऐसा कुछ कर लिया...???""
एक बार तो सवाल सुनकर मेरा रोम रोम गुस्से से बिलबिला गया...मन तो किया कि अभी एक तगड़ा थप्पड़ चिपका दू इंस्पेक्टर के गाल पे लेकिन खुद को शांत करता हुआ में बोला....
"" मुझे नहीं लगता कि आपको हमारे परिवार के बारे में कुछ भी पता है....अगर पता होता तो शायद आप ऐसा सवाल करने की सोचते भी नहीं , लेकिन फिर भी में आपकी जानकारी के लिए बता देता हूं कि सम्पत्ति तो क्या अगर आरोही या मेरे परिवार का कोई भी सदस्य मुझ से मेरी जान भी मांगता तो दे देता....""
इंस्पेक्टर मेरे इस जवाब पर काफी शर्मिंदा होता हुआ बोला....
"" मुझे माफ़ करें काली सर....मेरा दिल तो नहीं चाहता कि मै आपसे इस तरह के सवाल करू लेकिन मेरी मजबूरी ही ऐसी है कि मुझे इस तरह के सवाल करने ही पड़ते है....""
मैंने भी खुद को नॉर्मल करते हुए इंस्पेक्टर की विवशता को पूरा सम्मान दिया और एक सवाल का तीर उस इंस्पेक्टर पर छोड़ दिया....
"" में आपकी विवशता समझ सकता हूं ....लेकिन आप इस वक़्त हमारी परेशानी कम करने की बजाए उसे और बढ़ा रहे हो....इस वक़्त मुझे मेरी बहनों के पास होना चाहिए ना की आपके साथ यहां सवाल जवाब वाला खेल खेलना चाहिए , फिर भी मेरा एक सवाल आप से भी है.... मेरे पिता की हत्या किसने कि और क्यों.....मेरे ख्याल से इस सवाल का जवाब आपके पास नहीं होगा....""
कुछ सोचते हुए इंस्पेक्टर ने कहा...
"" आपके पिता कि हत्या किसने कि या करवाई इसका तो अभी तक पता नहीं चल पाया है लेकिन फिर भी हमे कुछ ऐसा पता चला है जो काफी शॉकिंग था हमारे लिए भी...""
"" शौकिंग....??? आप कहना क्या चाहते है इंस्पेक्टर.....क्या पता चला है आपको??""
"" दरअसल पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार उनकी मृत्यु स्नाइपर से फायर हुई एक बुलेट से हुई है लेकिन जब हमने उस बुलेट को देखा तो उसके बारे में कुछ और भी पता चला.... उस बुलेट पर एक सितारे की तस्वीर बनी हुई थी या कुछ इस तरह से समझे तो दो त्रिभुज आकर के पिरामिड सितारे की शक्ल में....""
मुझे कुछ भी समझ नहीं आया कि आखिर ये इंस्पेक्टर कहना क्या चाहता है इसलिए मैंने उसे कहा....
"" में आप की बात समझ नहीं पा रहा हूं इंस्पेक्टर.....वो सितारा उस बुलेट का कोई ट्रेडमार्क भी हो सकता है....इस में ऐसा शोकिंग आपको क्या लगा....""
सामने की टेबल पर पड़ी अपनी डायरी फिर से अपने बैग में डालता हुआ इंस्पेक्टर बोला....
"" पहली बार जब हमने उस बुलेट को देखा तो हमे भी यही लगा कि ये कोई ट्रेडमार्क होगा.....लेकिन ध्यान से देखने पर पता चला कि बुलेट पर किसी ने मृत्यु यंत्र का निर्माण किया था.....और ये अपने आप मै एक शॉकिंग खबर ही है कि क्यों कोई बुलेट पर मृत्यु यंत्र का निर्माण करेगा , जबकि स्नाइपर की वो बुलेट शर्तिया जान लेने के लिए ही बनी होती है....""
इंस्पेक्टर अपनी बात ख़तम कर अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ बाहर जाने के लिए....तभी मुझे नवीन चाचा की आवाज आई..
"" काली मै काफी देर से तुझे ही ढूंढ़ रहा था....आरोही को होश आ गया है और वो तुझे पुकार रही है....तू पहले आरोही से मिल के इंस्पेक्टर से बात में कर लेता हूं...""
"" नहीं नहीं नवीन जी.....मेरा काम यहां पूरा हो चुका है....जो कुछ भी मुझे पूछना था में काली सर से पूछ चुका हूं.....कभी अगर मेरी कोई जरूरत हो तो जरूर मुझे याद करना....अब मैं चलता हूं ""
इतना कह वो इंस्पेक्टर तेज़ी से कैंटीन से बाहर निकल गया.....
"" चाचा....मम्मी की तबीयत कैसी है अभी.....?? ""
चाचा ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा....
"" तेरा फोन आते ही में सीधा यहीं चला आया....रास्ते में तेरी चाची से मेरी बात हुई थी भाभी की तबीयत के बारे में तो उसने मुझे बताया कि अब वो पहले से ठीक है लेकिन अभी कुछ दिन और आराम करना होगा उन्हें.....मैंने तेरी चाची को मना कर दिया आरोही के बारे में भाभी को कुछ भी बताने के लिए इस लिए तू उस तरफ से निश्चिंत रह और अब जा आरोही से मिल ले जब तक मैं तुम लोगों के लिए कुछ नाश्ते का प्रबंध करता हूं...""
इतना कह कर उन्होंने मुझे एक बार गले से लगाया और बाहर चले गए...
में इस वक़्त आरोही के सामने खड़ा था....
"" काली तू मुझ से नाराज़ तो नहीं है ना मेरे भाई ....पापा कि नफरत में छुपे प्यार को में देख ही नहीं पाई कभी , उन्होंने हमेशा तुझसे नफरत करी और में भी उसी नफरत की दलदल में फंसती चली गई.....मुझे बस एक बार माफ़ कर दे मेरे भाई ....""
इतना कहते ही आरोही फूट फूट कर रोने लगी....आरोही को इस तरह बिखरता देख मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया और कहने लगा....
"" कुछ दिन पहले तक मुझे लगता था इस दुनिया मै मुझे प्यार करने वाली सिर्फ एक मेरी मां और एक सलोनी ही है लेकिन कल मुझे पापा का प्यार भी मिला और आज मेरी बड़ी बहन का भी....पापा हमे छोड़ कर चले गए लेकिन अब मै किसी को भी खुद से दूर नहीं जाने दूंगा.....दीदी मुझ से वादा करो कसम खाओ मेरे सिर पर हाथ रख कर दुबारा मुझ से दूर जाने की कभी सोचोगी भी नहीं....""
"" तेरी कसम मेरे भाई....तेरी ये बहन तुझे छोड़ के कभी नहीं जाएगी..""
इतना कहते ही आरोही ने मुझे कस कर गले से लगा लिया और साथ है साथ सलोनी को भी हाथ बढ़ा कर अपनी कोमल बांहों मै जकड़ लिया....
Update haajir hai dost....kisi tarah ki baichani mat rakho.....kahani khule dil se padho or abhi se ye mat socho ki konsa kirdar kaisa hai kyonki kahani to abhi theek se shuru bhi nahi hui hai
Adbhut update maja a Gaya
Awesome update
ThanksNice update
Thanks for comment.....abhi dheere dheere sabhi kirdar saamne aa rahe hai....jaldi hi pata chalega kon kitne pani main haibehtareen update lajaab kali ko aaj ek bahen aur mil gayi..inspector bhi bhala aadmi laga mujhe..ye qatil akhir hai kaun kya chahta hai wo aur pita ne itni nafrat kyan ki sabke samne jabki wo dil se pyar karte the kali ko
Hmmm us nishaan ka kuch na kuch matlab to jarur nikalega or ye aap jaise parkhi writer ki nazron se kaise bach sakta hai..... comment karne ke liye shukriyamujhe to lag raha hai ki koi group hai jo ki mrityu mantra wali goli bana rahi hai logo ko marne ke liye,aur ye group koi screte group hi hoga jisak talllkul kaali ke dada aur us taswir se hogi ..
khair jo bhi ho story bahut achhi lag rahi hai ..
aur ab arohi bhi line me aa gai hai to incest bhi shuru ho sakta hai story me ,dekhna hoga ki pahle koun chachi ya fir bahane
agale update ka intjar hai vijay bhai
Trishul nahi sitara.....jaldi hi pata chalega ki aakhir ye sab kya ho raha haiji huzur .. jaisi aapki aagya .. hum to kahani ko full enjoy kar rahe hai .. magar aap hi kabhi - kabhi lamba kheech dete ho ...
chalo Kaali ke liye nafrat ghar mein se to khatam hui .. ab Kaali ko apne ghar walo ki taraf se to dukh nahi milega .. magar ab ye Trishul wali goli ka kya raaz hai ...
Thanks naina ji....Wahi mai bhi soch raha hu goli to wese bhi jaan lene ke liye bani hai phir mrityu yantr kis liyewaise bullet pe mrityu yantra ki pic banake kisiko maarna .....maybe goli miss nah ho isliye sayad.....
update Vijay sir..... extraordinary