"ओह , ये तो तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ , समीर । लेकिन मेरी दोस्त के मामले में तुम्हारे साथ ऐसा नहीं होगा ।
जहाँ तक मुझे मालूम है वो आजकल सिंगल ही है और अभी तो वो सेक्स के लिए उतावली भी है ।
तुम्हें भी बहुत मज़ा आएगा उसके साथ , सच में , मेरा यकीन मानो तुम ।”
ये सुनकर समीर हंस दिया । रिया के साथ अब उसका मूड भी थोड़ा ठीक हो गया था ।
“ वो बहुत अच्छी लड़की है और खूबसूरत भी । बल्कि मुझसे भी कहीं ज्यादा सुन्दर ।
मुझे उसको अपने से सुन्दर बताने में जलन हो रही है । लेकिन वो वास्तव में बहुत सुन्दर है तुम मेरा विश्वास करो । “
मूड थोड़ा ठीक होने से समीर को रिया का ये प्रस्ताव भा जाता है ।
जब लड़की की इतनी तारीफ ये कर रही है तो मौका हाथ से क्यों जाने दूँ ।
काम्या के साथ वैसे भी उसकी KLPD हो गयी थी।
अब अपनी अधूरी रह गयी उत्तेजना को शांत करने का ये सुनहरा मौका था ।
" ठीक है , मैं तैयार हूँ । "
“एक बात और है समीर , मेरी दोस्त फर्स्ट फ्लोर में एक अँधेरे कमरे में है ।
और वो अपनी पहचान उजागर करना नहीं चाहती । वो तुमसे कुछ भी नहीं बोलेगी और तुम भी उसे कुछ नहीं बोलोगे ।
अजनबियों की तरह सेक्स करोगे और बिना कुछ बोले ही कमरे से बाहर आ जाओगे ।
मंजूर है तुम्हें ? “
“ ये है तो कुछ अजीब सी बात लेकिन चलेगा । तुम चाहती हो कि मैं अभी जाऊं उसके पास या …..”
समीर ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी ताकि ये न लगे कि वो सेक्स के लिए उतावला हो रहा है ।
“तुम्हारी मर्ज़ी जब भी तुम जाना चाहो । मैं तुम्हें वो कमरा दिखा देती हूँ ।
मैं फिर से तुम्हें बता रही हूँ कि अगर तुम्हें कुछ बोलना पड़ ही जाये तो अपनी आवाज़ चेंज कर के धीमे से बोलना
और जितना हो सके कम से कम शब्द ही बोलना , ठीक है ? ”
“ ठीक है । "
रिया समीर को कमरे की तरफ ले जाती है ।
कमरे के पास पहुंचकर दोनों रुक गये ।
“ दरवाज़ा खोलने से पहले मुझसे वादा करो कि तुम मेरी प्यारी दोस्त को कोई भी कष्ट नहीं दोगे ।
मैं नहीं चाहती कि उसे कुछ भी परेशानी हो । “
समीर सहमति में सर हिला देता है और कमरे के अंदर जाकर दरवाज़ा बंद कर देता है ।
आँचल बेड पर दरवाज़े की तरफ पीठ करके बैठी थी
अँधेरे और सुनसानी की वजह से वह अपने दिल की तेज धड़कनो को साफ़ महसूस कर पा रही थी ।
घबराहट से वो हांफ रही थी और उसकी छाती ऊपर नीचे हो रही थी ।
तभी दरवाज़ा खुलने और बंद होने की आवाज़ कमरे में गूँज उठी और
उसके पीछे से क़दमों की आहट नज़दीक आते गयी ।
आँचल नर्वस होकर अपने हाथ आपस में मलने लगी । उसकी घबराहट और बढ़ गयी ।
एक अनजाने डर से उसके शरीर में एक कंपकंपी सी दौड़ गयी ।
तभी उसने अपने कन्धों पर किसी के हाथ का स्पर्श महसूस किया ।
उसका शरीर बुरी तरह से काँप उठा ।