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Adultery किस्मत का फेर (New Updates )

Anchal ki chudai kiske sath dekhna chahte ho ?

  • Sameer ke sath

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ekthadeewana

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Update 10


समीर अपनी कुर्सी से उठा और आँचल की ओर बढ़ा । आँचल को अपनी तरफ घुमाकर उसने मजबूत बाँहों के घेरे में भरके उसे अपनी ओर खींचा । आंचल ने अपनी आँसुओं से भरी आँखें उठाकर समीर की आँखों में देखा , वहां अब असमंजस के भाव नहीं थे , समीर ने निर्णय ले चुका था ।आँचल ने अपनी बाहें उसके गले में डालकर उसकी छाती में अपना सर रख दिया । वो दोनों थोड़ी देर तक एक दूसरे की बांहों में ऐसे ही खड़े रहे । समीर ने अपने हाथ नीचे ले जाकर आंचल के नितम्बों को पकड़कर आँचल को प्यार से थोड़ा और अपनी तरफ खींचा । आँचल मानो इन्ही पलों का इंतज़ार कर रही थी वह खुद ही समीर से चिपट गयी । समीर की बांहों में जो ख़ुशी आंचल को मिली उससे उसे ऐसा महसूस हुआ मानो उसका दिल ही उछल कर बाहर आ जायेगा ।

समीर ने पहली बार अपनी बहन के नरम जिस्म और उसकी मादक गंध को महसूस किया । लेकिन वो जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था । उसके दिल से बोझ उतर चुका था और वो अब बहुत हल्का महसूस कर रहा था । समीर ने अपना सर झुकाकर आँचल को देखा , पहली बार एक लड़के की नज़र से , आँचल खूबसूरत थी और अब तो समीर का दिल भी पिघल चुका था । अब उनके बीच कोई दीवार नहीं थी । समीर ने आँचल के माथे का धीरे से चुम्बन लिया और फिर आँचल के सर के ऊपर अपना चेहरा रख दिया । आँचल ने समीर का चुम्बन अपने माथे पर महसूस किया , उसके पूरे बदन में एक लहर सी दौड़ गयी और तभी उसको समीर का चेहरा अपने बालों में महसूस हुआ । उसने अपने सर को थोड़ा हटाया और समीर की तरफ देखा । दोनों की नज़रें मिली ।

" तुम ये मेरी खुशी के लिए कर रहे हो ? " आँचल फुसफुसाई ।

"हमारी ख़ुशी के लिए आँचल " समीर मुस्कुराया ।

फिर समीर ने अपना चेहरा झुकाके आँचल के होठों की तरफ अपने होंठ बढ़ाये । आँचल ने अपने कंपकपाते होंठ समीर के होठों से लगा लिये । दोनों किसी नए प्रेमी जोड़े की तरह धीरे धीरे एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे । शुरू में थोड़ी झिझक हुई पर कुछ पलों बाद दोनों का चुम्बन लम्बा और प्रगाढ़ होता चला गया ।
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समीर ने अपने दोनों हाथ आँचल के बड़े गोल नितम्बों पर रखे हुए थे और आँचल ने अपनी बाहें समीर के गले में डाली हुई थी । आँचल ने अपने होंठ समीर के होठों से अलग किये बिना ही अपना एक हाथ समीर की कमीज के अंदर डाल दिया और उसके पेट , चौड़ी छाती और मजबूत कन्धों पर अपना हाथ फिराने लगी । जब उसकी उँगलियों ने समीर के निप्पल को छुआ तो आँचल ने उसको उंगुलियों के बीच थोड़ा दबाया और गोल गोल घुमाया ।

अपनी बाँहों में लेकर आँचल का प्रेमी की तरह चुम्बन लेते हुए समीर को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था । उसके नाजुक और रसीले होठों को समीर चूमते रहा । फिर समीर ने अपना बांया हाथ उसकी पैंटी के अंदर खिसकाया । उसने आँचल के बदन में कम्पन महसूस किया । कुछ पलों तक उसने अपना हाथ आँचल के बड़े गोल नितम्ब पर रोके रखा और अपनी बहन के नग्न शरीर के स्पर्श का सुख लिया फिर उसका हाथ दोनों नितम्बों के बीच की दरार की तरफ बढ़ गया ।जब उसकी उँगलियों ने दरार के बीच से आँचल की चूत को छुआ तो उसको अपनी उँगलियों में गीलापन महसूस हुआ । आँचल ने उत्तेजना से अपने पैर जकड़ लिये । समीर ने चूत के नरम और गीले होठों को अपनी उँगलियों से सहलाया और अपनी दो उँगलियाँ चूत के छेद के अंदर डालकर अंदर की गर्मी और गीलेपन को महसूस किया । दोनों के होंठ अभी भी एक दूसरे से चिपके हुए थे । समीर की उँगलियों के अपनी चूत में स्पर्श से आँचल ने अपने पूरे बदन में उतेज़ना की बढ़ती लहर महसूस की ।

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समीर ने आँचल के बदन में उठती उत्तेजना की लहरें महसूस की । उसने भांप लिया कि अगर वो ऐसे ही उसकी चूत में उँगलियाँ अंदर बाहर करते रहेगा तो आँचल झड़ जायेगी । लेकिन वो इतनी जल्दी ऐसा होना नहीं चाहता था । इन मादक पलों को लम्बा खींचने के लिये उसने अपनी उँगलियाँ आँचल की चूत से बाहर निकाल लीं और अपने होंठ उसके होठों से अलग कर लिये । लेकिन आँचल को चुम्बन तोडना पसंद नहीं आया वो तो सुधबुध खोकर आँखें बंद किये चुम्बन लेते हुए किसी और ही दुनिया में खोयी थी ।
फिर समीर आँचल की टीशर्ट को उतारने लगा ।
आँचल ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर टीशर्ट उतारने में मदद की ।
अब समीर की आँखों के सामने अपनी बहन की बड़ी बड़ी गोल चूचियां थीं
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, जिन्हें वो पहली बार देख रहा था । समीर ने दोनों चूचियों के निप्पल को एक एक करके अपने होठों के बीच लेकर उनका चुम्बन लिया । आँचल की उत्तेजना से सिसकारी निकल गयी। फिर उसने अपनी कमीज भी उतार दी । कमीज़ उतरते ही अपने हैंडसम भाई के गठीले जिस्म को देखकर आँचल की आँखों में चमक आ गयी । उसने तुरंत अपने हाथों को उसके गठीले जिस्म पर फिराया । फिर उसका निक्कर का बटन खोलकर उसे फर्श पर गिरा दिया। पैंटी और अंडरवियर छोड़कर अब दोनों के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था । दोनों भाई बहन ने एक दूसरे के बदन पर बचे आखिरी कपडे को पकड़ा और नीचे को खींच लिया ।

दोनों पहली बार एक दूसरे के नग्न बदन को देख रहे थे । आँचल के खूबसूरत नग्न जिस्म को देखकर समीर का लंड तनकर खड़ा हो गया । आँचल ने पहली बार समीर के लंड को देखा । उसने लंड को हाथ में लेकर उसकी मोटाई का अंदाजा लिया ।समीर का लंड 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था
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उसे याद आया इसी मोटे लंड से उस रात समीर ने आँचल की खूब धुलाई की थी । समीर अभी भी अपनी बहन के नग्न जिस्म की खूबसूरती में खोया हुआ था । उस रात अँधेरे कमरे में दोनों ने एक दूसरे को महसूस किया था पर आज पहली बार दोनों एक दूसरे के नंगे बदन को अपनी आँखों से देख रहे थे ।


समीर ने आँचल के नग्न बदन को अपने आलिंगन में भर लिया । आँचल को अपने बदन में पेट के पास समीर के खड़े लंड की चुभन महसूस हुई । उसने अपने होंठ फिर से समीर के होठों से लगा लिए । कुछ देर तक दोनों चुम्बन लेते रहे । समीर ने अपने होंठ अलग किये और फिर अपने दोनों हाथ आँचल के कन्धों पर रखकर उसको नीचे घुटनों के बल झुका दिया । अब आँचल की आँखों के सामने समीर का तना हुआ लंड था । वो समझ गयी कि उसका भाई क्या चाहता है । उसने एक गहरी साँस ली और अपने होंठ सुपाड़े पर रख दिये और उसका चुम्बन लिया । फिर अपना मुंह खोलकर सुपाड़े को अंदर ले लिया । और लंड को अपने हाथ से ऊपर नीचे करने लगी।
आँचल को अपनी जीभ पर लंड से टपकी pre - cum की बूँद का स्वाद महसूस हुआ । अपना दूसरा हाथ वो समीर की जांघों के पिछले हिस्से पर फेरने लगी और लंड को चूसते चूसते अपने हाथ को समीर के नितम्बों पर फिराने लगी । समीर ने आँचल के सर को दोनों हाथों से पकड़ा और अपने लंड को उसके मुंह में गले तक डाल दिया ।
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आँचल को दम घुटता सा महसूस हुआ । वो समझ गयी कि dominating nature का समीर उसे उसी तरह से अपने काबू में कर रहा है , जैसे उसने उस रात किया था । थोड़ी देर तक आँचल का मुंह चोदने के बाद समीर ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और आँचल के सर पर पकड़ ढीली कर दी । वो अभी झड़ना नहीं चाहता था और इन पलों को और लम्बा खींचना चाहता था । आँचल ने लंड को चूसते और चाटते हुए समीर की बढ़ती हुई उत्तेजना महसूस की । तभी समीर ने आँचल को रोक दिया और उसको खड़ा करके उसके होठों पर गहरा चुम्बन लिया ।

फिर समीर ने आँचल को उठाया और किचन काउंटर पर बैठा दिया । उसके पैर फैलाकर खुद उनके बीच आ गया। आँचल को समीर के हाथ अपनी नग्न पीठ पर घूमते महसूस हुए और समीर का लंड उसकी चूत को स्पर्श कर रहा था । फिर समीर ने अपने होंठ आँचल के होठों पर रख दिये। दोनों एक दूसरे के होठों को चूमने लगे और एक दूसरे के मुंह में जीभ घुमाने लगे । उनके हाथ एक दूसरे के बदन और पीठ पर घूम रहे थे ।
तभी आँचल ने साँस लेने के लिए चुम्बन तोड़ दिया और बोली ,
" भाई अगर तुम्हें सही नहीं लग रहा है तो अभी भी रुक सकते हो । मैं नहीं चाहती कि बाद में तुम कुछ और फील करो । मुझे तो अच्छा लग रहा है पर मैं चाहती हूँ कि तुम फिर से सोच लो ।"

समीर ने आँचल की आँखों में देखा फिर बोला ,
" देखो आँचल तुम जितना मुझे चाहती हो , मैं भी तुम्हें उतना ही चाहता हूँ । सिर्फ निर्णय न ले पाने से उलझन थी , झिझक थी । जो अब दूर हो चुकी है ।अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड ।"
फिर उसने अपने लंड को आँचल की चूत के छेद पर लगा दिया और थोड़ा अंदर धकेल दिया ।
आँचल ने दोनों हाथों से समीर के नितम्बों को पकड़ा और धीरे धीरे अपनी तरफ खींचने लगी। समीर का पूरा लंड आँचल की पूरी तरह से गीली हो चुकी चूत में घुसता चला गया ।
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"अहह ........ समीर बहुत अच्छा लग रहा है " मदहोशी में आँखे बंद करके सिसकारी लेते हुए आँचल बोली ।
समीर के मोटे लंड से आँचल को अपनी टाइट चूत में कुछ दर्द सा भी महसूस हो रहा था लेकिन दर्द के साथ साथ बहुत कामसुख भी मिल रहा था । आँचल के चेहरे के भाव देखकर समीर ने उससे पूछा " आँचल तुम्हें कुछ परेशानी , दर्द तो नहीं हो रहा ? "
आँचल ने एक पल के लिए आँखे खोली , समीर को देखा , हल्का मुस्कुरायी , " नहीं समीर , मुझे कोई दर्द नहीं हो रहा । तुम करते रहो ।"

समीर ने सुपाड़ा छोड़कर बाकी लंड बाहर निकाल लिया । फिर आँचल के नितम्बों को दोनों हाथ से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर , अचानक एक झटके में पूरा लंड अंदर धांस दिया । आँचल की तेज चीख निकल गयी । फिर समीर चूत में थपाथप धक्के लगाने लगा । धक्के लगाते हुए ही अपने एक हाथ से आँचल की हिलती हुई बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़कर उन्हें मसलने लगा । कुछ देर बाद अपने मुंह को आँचल की चूचियों पर रखकर उन्हें चूसने लगा ।

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समीर के अपनी चूत पर पड़ते धक्कों से आँचल की सिसकारियां बढ़ती चली गयीं । दर्द और उत्तेजना से उसने समीर के कन्धों पर अपने नाख़ून गड़ा दिये और अपनी टांगों को उसकी कमर के चारों ओर लपेट लिया । कुछ देर बाद आँचल का बदन अकड़ गया ओर उसको एक जबरदस्त ओर्गास्म की लहरें आयीं । समीर भी ज्यादा देर नहीं रुक पाया और उसने अपनी बहन आँचल की चूत को अपने वीर्य से भर दिया ।
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फिर कुछ समय तक दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।

कुछ देर बाद समीर ने आँचल को किचन काउंटर से उतार दिया और उसको घुमाकर कमर से झुका दिया ।
आँचल ने अपनी बांहें किचन काउंटर पर टिका दीं । उसकी बड़ी बड़ी चूचियां लटकी हुई थीं और लम्बी चिकनी टाँगें थोड़ा फैली हुई थीं ।



"लगता है अभी मेरे प्रेमी का मन नहीं भरा ।" आँचल पीछे की ओर सर मोड़कर समीर को देखते हुए बोली ।

समीर बस मुस्कुरा दिया । आँचल की खूबसूरत गांड उसके सामने थी । उसने आँचल की एक टांग मोड़कर किचन काउंटर पर रख दी । अब आँचल घबरा गयी उसने सोचा समीर उसकी गांड में लंड घुसाने जा रहा है , वो भी बिना किसी lube के , जैसे उसने उस रात अँधेरे कमरे में घुसेड़ दिया था । तब समीर के मोटे लंड ने आँचल की गांड की जो कुटाई की थी , उससे आँचल दो दिन तक ठीक से चल नहीं पायी थी ।
उसने जोर से सर हिलाकर "नहीं " कहा ।
पर समीर ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया और अपने तने हुए लंड को, आँचल की चूतरस से भीगी हुई चूत में पीछे से घुसेड़ दिया ।
आँचल तो कुछ और ही सोच रही थी , हुआ कुछ और ।

समीर ने पूछा , " तुमने नहीं क्यों कहा ?"

" कुछ नहीं , मैंने सोचा तुम आज फिर मेरे बदन की कुटाई करने वाले हो । " आँचल ने शरारत भरी मुस्कान से समीर को देखा ।

समीर मुस्कुरा दिया , उसे अच्छी तरह से पता था कि आँचल ने “ नहीं “ क्यों कहा था। वो जानता था अब आँचल उसके मोटे लंड को अपनी टाइट गांड में डालने नहीं देगी । वो तो बस मज़े में आँचल के मुंह से सुनना चाह रहा था । पर आँचल ने भी सीधे कहने की बजाय इशारों में जवाब दिया था ।
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अब समीर ने दोनों हाथों से आँचल की कमर पकड़कर पीछे से धक्के लगाने शुरू कर दिए । आँचल भी अपने भाई का पूरा साथ देते हुए पीछे को गांड दबाकर लंड अपनी चूत में ज्यादा से ज्यादा अंदर भरने की कोशिश करने लगी । समीर बीच बीच में आँचल की मखमली पीठ पर हाथ फेरने लगता । कभी आगे हाथ बढ़ाकर उसकी नीचे को लटक के हिलती हुई मुलायम चूचियों और निप्पल को हाथ में दबाकर मसलने लगता और आँचल को तड़पाने के लिए धक्के रोक देता ।
धक्के रोक देने से आँचल का मज़ा बिगड़ जा रहा था तो उसने खुद ही अपनी चूत आगे पीछे करते हुए समीर के लंड को चोदना शुरू कर दिया । आँचल की कामुकता देखकर समीर को भी जोश चढ़ गया । उसने पूरी तेजी से जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए । आँचल की सिसकारियां उसी तेजी से धक्कों के साथ बढ़ती गयीं । सिसकारियों लेते लेते ही वो बोली ,
"समीर मेरे छोटे भाई !!! हाँ ऐसे ही तेज तेज धक्के लगाते रहो .....आह आह .आआ हहहह ..."
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और देखते ही देखते अपने बदन में कंपकपी के साथ वो दूसरी बार कामतृप्त हो गयी । इस बार का ओर्गास्म कुछ ज्यादा ही तेज और देर तक आया था ।पर अभी समीर का पानी नहीं निकला था । वो दोनों हाथ से आँचल की गांड पकड़कर उसकी चूत को पेलता रहा ।कुछ देर बाद समीर को भी लगा कि वो अब झड़ने वाला है । उसने आगे झुककर दोनों हाथों में आँचल की चूचियां पकड़ ली और दोनों चूचियों को मसलने लगा । फिर उसका बदन कांपा और उसके लंड से वीर्य निकलकर आँचल की चूत में गिरने लगा ।
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थककर वो आँचल की पीठ में ही पस्त हो गया ।
दोनों भाई बहन जी भरकर कामतृप्त हो चुके थे ।

कुछ पलों बाद जब उसकी सांस लौटी तब वो आँचल के बदन से अलग हुआ । उसका लंड आँचल की चूत से बाहर निकल आया । चूत से वीर्य और चूतरस का मिला जुला जूस बाहर निकलकर आँचल की टांगों में बहने लगा ।



आँचल मुस्कुरायी और समीर की तरफ मुड़कर थोड़ा झुकी फिर दोनों हाथों में समीर का लंड पकड़कर उसको चूमा। फिर खड़े होकर समीर के गले में बाहें डालकर समीर के होठों पर एक जोरदार चुम्बन दिया ।

"थैंक यू मेरे भाई !! तुमने मेरा सपना पूरा कर दिया। "

"थैंक्स मुझे नहीं , रिया को कहना आँचल । उसी की वजह से आज मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड हूँ । "

"मेरा भाई , मेरा बॉयफ्रेंड। " आँचल के दमकते चेहरे पर अब सुख की मुस्कान थी ।

भाई बहन की इस पहली चुदाई के चक्कर में उनके कॉलेज जाने का वक़्त निकल चुका था । पर उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं थी ।

जब घर में इतना सुख मिल रहा हो तो कॉलेज जाके करना भी क्या था ।
 
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