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तड़प , आंसू , दर्द , तन्हाई , खामोशी , बेजान , बीरान , बिरह ये सब तो इश्क़ के तोफे हैं । मगर दोस्ती की आंचल में सिवाए सुकून के और कुछ नहीं । ऐसा मेरे दिल का मानना था। मगर हकीकत से तब वाकिफ हुए जब दिल के पास सिवाए सवाल के और कुछ बचा ही न। क्या कहूं अपनी उस कहानी के बारे में लफ्ज़ लड़खड़ा जाते हैं। बस दो बूंद आंसू और चार लफ्ज़ खामोशी के साथ रोज उन तमाम हसीं पलों को जी लेता हूं जो कभी जीवन में जीना स्वपन हुआ करता था। उलझन में ना डालते हुए कहानी शुरू करता हूं...
ये कैसा रिश्ता है !