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.... अचानक रवि उस सपने वाली लड़की को देखकर चौक गया था,पूरी रात राम लीला के आयोजन के देख रेख में था, बार बार उस लड़की को देखता है,और सुबह होते ही वो लड़की अपने परिवार के साथ कब गायब हो जाती है रवि को पता नही चलता। अब आगे......
पूरा दिन रवि परेशान था,उसके मन मे तरह तरह के सवाल थे,, जिसका उसके पास कोई जवाब नही था, बार बार वो मनु को परेशान करता और कुछ न कुछ पूछता रहता। रवि पूरा दिन सो नही पाया, रात का जागरण और दिन भर भी न सो पाना, उसके मिजाज़ पर हावी हो रहा था। शाम के होने के इंतजार में पूरा दिन बिगड़ गया था। और फिर..... रामलीला की दूसरी रात ।
रवि मनु के साथ अपने काम मे मशगूल होने की कोशिश कर रहा था, पर उसकी ये कोशिश नाकाम थी, निगाहे बार बार पंडाल के दरवाजे पर थी, भीड़ बढ़ती जा रही थी,, पर वो कल वाली लड़की नजर नही आ रही थी। अब समय था रामलीला के शुरू होने का। पूरा पंडाल भीड़ से खचाखच भर गया। रामलीला शुरू हुआ,, रवि की धड़कने तेज थी,नजरें भीड़ में हिरनी की तरह इधर उधर ढूंढ रही थी उसी अंजान लड़की को। मनु रवि के हाव भाव से पूरी तरह वाकिफ था, मनु की नजर रवि पर थी उसकी परेशानी देख रहा था।
'रवि' मनु ने रवि को पुकारा, पर रवि ने सुना ही नही।
'रवि, मनु की दूसरी बार आवाज देने पर रवि मनु की तरफ पलटा .. 'क्या है - उदासी भरे आवाज में बोला रवि,,
क्या कर रहा है भाई तू- " रामलीला पर ध्यान कर मेरे भाई" मनु रवि को समझाने वाले अंदाज में बोला।
हा हा ठीक है,अब भाषण मत दो,रवि झुंझला कर बोला,
पूरी रात निकल गई, रवि सच मे परेशान था,पहली बार ऐसा हुआ था उसकी जिंदगी में। और फिर..... रामलीला की तीसरी रात ।
थोड़ी सी तबियत खराब थी आज रवि की । दो दिनों से सही तरह से नींद ना लेने की वजह थी। मा का मन नही था कि आज भी रवि पंडाल में जाये,, लेकिन रवि नही माना, और अंधेरा होते ही पंडाल की तरफ निकल गया। आज भी रवि का कल जैसा ही हाल था,ढूंढ रहा था वो उस लड़की को,पर आज भी वो लड़की नही दिखी। पूरी रात निकल गयी, और फिर.. चौथी रात,, पांचवी रात,, छठी रात.….
इस तरह से पूरी तमलीला खत्म हो गई पर रवि को वो लड़की नही दिखी। सबसे अंतिम रात को इनाम से कलाकारों और वालंटियर को प्रोत्साहित किया गया ,पर उसमे रवि का नाम नही था,,रवि के कार्य से सरपंच खुश नही थे।
रवि को अब लगने लगा कि शायद उसके मन का भ्रम हो,, शायद कोई ऐसी लड़की थी ही नही जिसकी वो कल्पना कर रहा था। कुछ दिनों तक तो परेशान सा था, दिनचर्या बिगड़ गए थी,पर वो फिर से अपने पुराने वाले अंदाज में आने की कोशिश करने लगा,।
साइकिल की रफ्तार तेज थी, कुछ जरूरी काम की वजह से रवि आज कॉलेज से जल्दी ही निकल गया था, वो जल्द से जल्द घर पहुच जाना चाहता था,, सबको पीछे छोड़ती उसकी साइकिल सबसे आगे थे,,
अचानक में उसकी साइकिल की ब्रेक लगती है और रवि हड़बड़ाहट में सड़क के बगल में रुक जाता है और पीछे मुड़कर देखता है ,, बहुत सारे बच्चे पीछे आ रहे होते है, उनमे से ही एक वो रात वाली,, सपनो वाली लड़की भी थी,, जो अपनी नई साइकिल से आ रही थी,, रवि के सामने से निकली वो।
रवि फिर साइकिल पर बैठा और अब वो पीछे पीछे साइकिल चलाने लगा। खुद की आंखों पर विश्वाश नही था उसे, अब तो वो बार बार देखता,कभी सोचा नही था कि दुबारा देख पायेगा।
रवि घर आया और उसको उसने सारी बात बताई।
यार मनु वो तो अपने ही पास वाली गांव की है और रोजाना कॉलेज से आती जाती है,उसका समय अलग है।
तुम सच तो बोल रहे हो न वही लड़की है या फिर तुम्हारी पागलपंती,,
नही मेरे भाई,, वही है,, सच्ची में,,
हा तो फिर अब क्या प्लान है तुम्हारा ??
पता नही !! वो चहक कर बोला.. ।
बहुत खुश था रवि , ये उम्र का तकाजा था, रवि के मन मे हसीन सपने चलने लगे,, ख्यालो की दुनिया मे रहने लगा,, सोचने लगा कि कैसे मिलु,, क्या बात करू,, ।
शहर से बंक लगाकर आने का दूसरा दिन,, समय की हिसाब से रवि पीछे देखता देखता साइकिल से गांव की तरफ आ रहा था, और फिर रवि की नजर पड़ी उस लड़की पर।
बहुत हिम्मत कर के साइकिल को साथ साथ चलाने लगा,, कभी थोड़ा आगे फिर कभी थोड़ा पीछे,,
अब तो वो बहुत ही नजदीक से तिरछी नजरो से देख रहा था उस लड़की को,।
अब तो ये सिलसिला बरकरार था,,के दिन निकल गए,, कभी लड़की मिलती तो कभी नही,, पर रवि का क्लास से गायब होना रोजाना की लत बन गयी।
सुनिए,,, लड़की ने रवि को आवाज लगाई
जी ... रवि हड़बड़ाकर बोला,, आपने मुझसे कुछ कहा।
जी आपसे ही.... लड़की बहुत ही शालीनता से साइकिल चलाते हुए और नजर सामने सड़क पर स्थिर करते बोली ... मुझे ये सब पसंद नही! मैं देख रही हु आप कई दिनों से मेरा पीछा कर रहे है,,
नही नही ऐसी कोई बात नही,, बस मुझे आपसे थोड़ी बात करनी थी,, हिम्मत कर के रवि बोला,,
क्यों,,, ?क्या हुआ,, ? वो लड़की बोली।
आप रुको तो सही पहले...
नही आप चलते चलते ही बोलो,,
रवि - ''आपका नाम क्या है ? लड़की - 'क्यू ??
बस जानना था,, मैं आपके ही पास वाले गांव से हु,,
जी मुझे पता है,,लड़की बोली,, ... मेरा नाम परी है,,
इससे ज्यादा मैं कुछ बता नही सकती,, और आगे से मेरा पीछा मत करिएगा,,
निश्चित एक चौराहा वाले मोड़ से परी अपने गांव के रास्ते निकल गयी और रवि अपने गांव की तरफ।
रवि रात भर परी के बारे में सोचता रहा और उसने तय किया कि वो परी का पीछा नही करेगा,
एक सप्ताह तक वो अपने समय के हिसाब से कॉलेज से छूटता और घर आता,।
उधर परी ने महसूस किया कि अब रवि उसका पीछा सचमुच नही करता।
एक दिन रवि अपने ही धुन में शहर से गांव की तरफ आ रहा था,,और उसने परी को देखा,उससे रहा न गया और परी से पूछ लिया 'आप इतना देर से, आपका समय तो ये नही है।
रवि को लगा जैसे परी नाराज होगी और कोई जवाब नही देगी, पर परी ने बोला..हा आज कुछ किताबें लेनी थी ,, इस वजह से देर हो गया,,
ओह,रवि अपने ओठ गोल करता हुआ बोला-कैसी हो आप ??
जी बिल्कुल ठीक 'आप बताओ,
मैं भी .. रवि बोला -- एक बात पुछु आपसे,
परी - हा पूछिये, । रवि - 'आप मेरी दोस्त बनोगी,
परी हल्के से मुस्कुराई, पर कुछ न बोली, और फिर अपने गांव की तरफ मुड़ गई, और रवि अपने गांव की तरफ,
दो दिन बाद दोनों बाजार में अचानक ही मिल जाते है, और रवि फिर पूछता है,, आपने कोई जवाब नही दिया,
परी नाराजगी भरे अंदाज में बोली ''आप को इससे क्या" "आप अपना रास्ता देखो" और मुझे परेशान मत करो, पहले भी आपसे बोला था।
रवि को परी के शब्द दिल पर लग गए और उसकी आँखों से आंसू आ गए,, वो भी नही चाहता था पीछा करना, पर वो परी से अपने सपनो की बात बताकर दिल को हल्का करना चाहता था , वो सीधा घर गया और अपने कमरे में घुस गया,, फुट फुट कर रोया था बंदा,,
वाह ,, ये था रिश्ता ,, ये थी लगाव,, जब पता भी नही चलता और आंखों में आंसू आ जाते,,,
रवि परी को सपने में देखता है और फिर रामलीला में एक बार ,रवि की चाहत थी कि परी उसकी दोस्त बने पर परी उसे गलत समझती है और उसे बुरी तरह मन करती है। अब आगे...
रवि के दिलोदिमाग से परी की छवि नही जा रही थी। परी के फटकारने वाले अंदाज़ ने रवि को दुखी कर दिया था। और फिर रवि ने एक कठोर निर्णय लिया। रवि ने शहर में रहकर पढ़ाई करने का मन बना लिया, और बस परी को भूल जाना चाहता था।
11वी का परिणाम आया और रवि बहुत ही अच्छे क्रमांक के साथ सफल हुआ। उसकी पढ़ाई रंग ला रही थी। छुट्टियों में गांव आया था, और एक शाम उसके घर पे
एक लड़का आया कहने लगा कि आपको बड़ी अम्मा ने बुलाया है।
रवि सोच में पड़ गया ''कौन बड़ी अम्मा''
फिर उस लड़के ने बताया पूरी बात बताई । और बात ये थी कि परी की माँ ने रवि को बुलाया है अपने घर ,, रवि को नही पता था ये बात कि परी की माँ और रवि की माँ एक दूसरे को जानती है और थोड़ा बहुत कभी कभी मिलना हो जाता है, रवि को उन्होंने घर बुलाया है । क्यों, ? ये नही पता ।।।
रवि का दिल धक धक करने लगा था,, पता नही क्या बात होगी। खैर रवि गया परी के घर और परी की माँ से मिला,, परी की माँ ने परी के परीक्षा परिणाम के बारे में बताया कि 11वी अच्छा नही हुआ और शहर में कोई पर्सनल कोचिंग की व्यवस्था करनी है, ताकि 12वी अच्छे से पास हो , और एक घर भी किराए पर लेनी है शहर में अब परी भी वही रहकर पढ़ेगी अपने भाई के साथ।
रवि ने सोचा कि ये सब मुझसे क्यों ? पर सब बाद में पता चल गया ,, रवि के शहर में रहने और कोचिंग की सारी बाते रवि की माँ और ये अम्मा जी ने आपस मे कर ली थी । रवि ने सारी जिम्मेदारी ले ली।
''परी ओ परी ,, बेटा चाय तो लाओ,,परी की माँ ने आवाज लगाई और परी चाय के साथ हाजिर हुई ,, रवि ने चाय तो लिया पर नजरें नही मिला पाया,
रवि की तो धड़कने तेज हो गई हाथ कांपने लगा। बेटा रवि ये है मेरी बेटी परी,, अम्मा जी ने रवि की तरफ देखकर बोली ,,
रवि हा में सिर हिलाया और गर्म चाय जल्दी जल्दी में पी गया,,, अब मैं चलता हूं अम्मा जी ।।
जी बेटा मुझे बता देना, जी अम्मा बता दूंगा ।। ये बोलकर रवि निकल गया वहाँ से।।
जल्दी से घर पहुंचा और चैन की सांस लिया, दूसरे दिन रवि शहर निकल गया,, और बहुत जल्दी व्यवस्था कर देना चाहता था परी और उसके भाई के लिए किराए का घर। उसने इस मामले में बहुत जल्दी दिखाई और एक अच्छे से घर की व्यवस्था कर दिया,, पर्सनल कोचिंग की भी व्यवस्था हो गई,, अम्मा जी (परी की मां) बहुत धनी थीं,, तो किसी बात जी कमी नही थी,। अब परी शहर आ गयी थी,। जिस कोचिंग सेंटर में रवि पढ़ता था वही पर बात कर के परी के लिए अलग से व्यवस्था करवा दिया था, और खुद कोचिंग छोड़ दिया ताकि न तो वो परी से मिले , न देखे, और न तो परी को चिढ़ महसूस हो । कोचिंग वाले अध्यापक ने बहुत समझाया पर वो माना नही और स्वतः पढ़ने का निर्णय लिया ।
इसके विपरीत अब परी के दिल मे रवि के लिए जगह बनने लगी थी,रवि की काबिलियत और रवि के सीधेपन ने परी को सोचने पर मजबूर कर दिया। रवि अंजान था इस बात से, और परी अंजान थी रवि की सभी क्रियाकलापो से। मन लगाकर दोनों पढ़ाई करने लगे, परिणाम फिर से आया 12वी का और एक बार फिर से रवि अच्छे से पास हुआ और परी के नंबर फिर से कम आये।
एक बार फिर अम्मा जी ने रवि को घर बुलाया, परी एक कोने में बैठकर रो रही थी,, मैं समझ गया परिणाम आशा के विपरीत आने का था। मैं वहाँ बैठा रहा इस बार चाय मुझे उस घर के नौकर ने दी।
''' मुझे ऐसा लगता है कि परी को अब तुम्हारे साथ ही पढ़ना चाहिए आगे की पढ़ाई ,, अम्मा जी ने जब ये फैसला सुनाया तो रवि के तो होश उड़ गए,, परी ने तो पढ़ने से ही मना कर दिया, और घरवाले समझाते रह गए।
अब बारी रवि की थी , रवि जिसे खुद को समझ नही थी परी से डेढ़ सालों बाद बोला - '' आप कल मेरे घर आना हम वही बात करेंगे ,, और अम्मा को दिलासा देकर घर आ गया।
रात हुई,, दिन निकला ,, एक देवी का इंतजार जैसे भक्तों को रहता है ठीक उसी तरह रवि परी का इंतजार करता है,,परी आती भी और आते ही बरस पड़ी रवि पर,, ,, आप समझते क्या हो खुद को,,, भगवान,, या कुछ और,, रवि को कुछ समझ नही आता कि परी ऐसा क्यों बोल रही है, - क्या हुआ परी '' रवि धीरे से बोला
आपने मेरे लिए इतना किया,, खुद की कोचिंग छोड़ दी कि मुझे बुरा न लगे,, मैं पिछले एक एक साल से यही सब सोच रही हु,,, घर आते हो तो अम्मा से बात करते हो,, मुझसे तो बिल्कुल भी नही, आखिर क्यों ऐसा,,
एक बार फिर पगली ने रुला दिया,,, रवि के मन मे यही ख्याल थे। अब दोनों की आंखों में आंसू थे। अचानक रवि की माँ ने रवि के कमरे में दस्तक दी , और दोनों ने फटाफट अपने आंसू पोछे,,
अरे बिटिया तुम कब आई,, अभी आई हूं चाची,, परी रवि की माँ की तरफ देखती हुई बोली,,
अब सब कुछ ठीक था ।। परी को रवि ने खूब समझाया और परी मान भी गयी। रवि ने परी से सब कुछ साफ साफ बता दिया वो सपनो वाली रामलीला वाली बात ,, परी ठहाके मार कर हँसने लगी ,, अच्छा तो ये बात है ,,, मैं तो कुछ और ही समझ बैठी ,, कि बाकी लड़को जैसा आप भी । दोनों खूब बातें किये ,।।
एक अटूट विस्वास ने परी के मन मे रवि के लिए घर कर लिया था,, दोनों बहुत खुश थे,, अब अक्सर आना जाना होता ,, खूब सारी बाते होती,, दोनों के मन मे एक दूसरे के लिए गहरी विस्वास का समंदर बन गया था ।
दोनों ने एक साथ स्नातक के लिए आवेदन किया और हो भी गया,, अब साथ मे आना ,, साथ मे जाना, साथ मे प्रोजेक्ट का काम , और कभी कभी खाना पीना भी ।
परी के दिल मे रवि के लिए प्यार उमड़ने लगा, कभी कभी रवि परी के घर रुक जाता और दोनों साथ मे पूरी रात पढ़ाई करते,, ये सिलसिला चलता रहा,, रवि और परी के घरवालों को उनपे बहुत विस्वास था,, रवि ने परी को कभी दोस्त से ज्यादा नही देखा। कभी भी उसकी नजर में परी के लिए बुरे ख्याल नही आये,,
उम्र दोनों की थी, कि प्यार व्यार जैसे जंजाल में पड़ जाए,,पर रवि के दृढ़ निश्चय ने उसे प्रबल बना के रखा था। कुछ एक दो साल और निकले दोनों का रिश्ता बिना नाम के पटरी पर दौड़ने लगा ,, परी के मन मे अब रवि के लिए प्यार के लड्डू फूटने लगे थे । पर रवि उसे एक दोस्त समझता था ,, स्नातक दोनों के पुरे हो गए,, दोनों अच्छे प्रतिशत के साथ सफल हुए।
अब तो रवि के लिए परी के पूरे परिवार का विस्वास और बढ़ गया था। '' रवि परी को एक देवी की तरह पूजता था,, एक ऐसी देवी जिसकी सिर्फ पूजा ही कि जाती हो। रात रात भर दोनों साथ रहते , कई कप चाय की चुस्कियों के साथ रात गुजरी, बरसात निकले, गर्मी निकला,, और ठंड भी,, कभी पढ़ाई होती तो कभी तास की पत्तियों से टाइमपास । तास की पत्तियों में हार जीत पर दोनों में शर्ते लगती,, कुछ शर्तें खाने पीने की तो कुछ शर्तें उपहार की होती ,, कुछ शर्तें तो आज का पूरा खाना कौन बनाएगा,, इस पर भी लग जाती थी, और ज्यादातर शर्ते रवि हार जाता था ,, ये परी को भी पता रहती थी, , पर दोनों की नजर में कोई खोट नही था ।
रवि पूजा करता था, और परी प्यार,, ऐसा प्यार जो पाक था,, ऐसा प्रेम जो समर्पण की भावना रखता था,,, ऐसा प्यार जो रवि को भनक भी न लगने दिया ,, परी सोचती कि अगर इस देवता को पता चल गया कि वो प्यार करती है,, दोस्त से बढ़कर समझती है तो वो टूट जाएगा,, विस्वास जो बना रखा है बिखर जाएगा।। परी उस विस्वास को टूटने नही देगी ।।
ये कैसा रिश्ता था,, कैसा बचपना था रवि का ,, रवि पढ़ने में अच्छा था उसे डॉक्टर की पढ़ाई करनी थी,, पर उसके भोले स्वभाव ने परी के लिए वो परी के साथ स्नातक गणित से किया । ये बात परी को कभी पता नही चली।
और आज परी की शादी थी,, रात बहुत खुशनुमा थी, दोनों ने बहुत से पल एक साथ जिये,, रिक्शे पर एक साथ बैठे,, पर कभी बाइक पर नही, एक ही थाली में खाना खाएं पर कभी एक चम्मच से नही,, रवि का पूरा परिवार पहले से ही शादी में था, । परी बार बार रवि के बारे में पूछ रही थी,, पर रवि अभी तक नही आया था,
परी ने अम्मा जी को बोला '' माँ रवि जी को बुलाओ अभी तक नही आये,, और आखिर कर अम्मा ने रवि को आते देख लिया,, और रवि पर बरस पड़ी,, अब आ रहे हो ,, परी कब से ढूंढ रही है,, जाओ उसके पास ।।
रवि बिंदास परी के कमरे में गया पर वो बिंदासपन दिखा रहा था,, जाते जाते उसके कदम लड़खड़ा रहे थे,, हाथ मे उपहार लिए परी के पास पहुंचा,,
अभी आ रहे हो आप,, पूरा दिन गायब थे यार,, परी की शादी है आप की परी की शादी,, परी के आंखों में आंसू थे,, वो झल्लाकर अपनी सहेलियों से बोली -- ''' अब मुह क्या देख रही हो तुम सब अकेला छोड़ो मुझे कुछ देर के लिए ,, परी रवि से लिपट गईं,, रवि के हाथ से उपहार धड़ाम से नीचे गिर गया,,आज पहली बार गले लगी थी और खूब रोई जिसने कभी रवि को फटकारा था, अब कैसे रहूंगी मैं, रवि की दोनों बाँहे खुली थी अभी तक ,, पहली बार उसे परी के इतने नजदीक का एहसास हुआ था और वो सिहर गया था,डर भी गया था । इसलिए उसके हाथ खुले के खुले रह गए थे ।
क्या परी जी,,, रवि परी को सोफे पर बिठाते हुए बोला,,, किसी के आने जाने से जिंदगी रुकती है क्या ,,, और मेरा और आपका मेल तो बस यही तक था,, हम दोस्त है और पूरी जिंदगी दोस्त रहेंगे।
सुबह हुआ परी की विदाई हुई,, रवि कठोर बना एक तरफ खड़ा था,
आज परी एक गृहणी है,, अपने पति के साथ खुश है,, और रवि एक कॉलेज में गणित का प्रोफेसर।। दोनों में कभी कभी आज भी बाते होती है पर बहुत कम,, सिर्फ हाल चाल,मर्यादाओं और रिश्तों की अहमियत को दोनों ने भली भांति निभाया था। फर्ज दोनों ने अदा की थी,, रिश्ता नायाब था,,