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कैसे कैसे परिवार: Chapter 72 is posted
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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Update Posted.Bhai family me piss drinking ka v khel hona chahiye maza aaega.... please bhai story update kro
Update Posted.Are yar yahan koi bhi female nhi hai jo chat kre
बहुत की कामुक मगर स्यमित अपडेट, ना ज्यादा कुछ अभद्रता ना ज्यादा गली गलौच। सबकुछ एक मर्यादा के भीतर। बहुत ही सुंदर एवम आनंदमय लेखन। धन्यवाद।आठवाँ घर: स्मिता और विक्रम शेट्टी
अध्याय ८.३.१०
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अब तक:
महक अपने भावी सास ससुर के साथ रात बिताने के बाद घर लौट आती है.. सुजाता के घर में रात भर चुदाई का क्रम चला था. नूतन ने मेहुल को क्लब की कुछ विशिष्ट पद्धतियों से अवगत कराया. मेहुल इसके लिए धन्यवाद करने हेतु उसे पूरी लग्न के साथ रात भर चोदा था.
मेहुल ग्यारह बजे नूतन के घर से निकला. मेहुल ने अपना फोन उठाया और एक कॉल लगाई. "मेरे पास आपके लिए एक आदेश भी है और एक प्रस्ताव भी.” ये कहकर मेहुल ने फोन बंद किया.
अब आगे:
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मेहुल:
मेहुल ने अपनी कार रोकी और अपने जूते मोज़े उतार कर एक ओर जूते के स्थान पर लगा दिया. फिर उसने तीन बार घंटी बजाई. दो तीन मिनट के बाद घर के अंदर से कुण्डी खुली पर दरवाजा खोला नहीं गया. मेहुल ने स्वयं खोला और अंदर चला गया. उसके सामने एक स्त्री घुटनों के बल बैठी थी और अपना सिर झुकाये हुए थी. उसके कपड़े एक ओर पड़े सोफे पर अस्तव्यस्त पड़े थे और वो पूर्ण नग्नावस्था में थी.
मेहुल उसके सामने जाकर खड़ा हो गया. महिला ने झुककर मेहुल के पैरों को चाटा। मेहुल आगे बढ़कर एक सोफे पर बैठ गया और अपने पैर टेबल पर रख दिए. वो महिला घुटनों के बल चलकर आयी और इस बार उसने मेहुल के तलवे चाटकर साफ किया. मेहुल मुस्कुराया.
“गुड़ गर्ल. तुम बहुत अच्छी दासी हो. हो न?”
महिला ने सिर हिलाया. हालाँकि वो अब लड़की नहीं थी, पर अपने लिए गर्ल का सम्बोधन सुनकर उसे प्रसन्नता अवश्य हुई थी.
“तो मैं आपके लिए एक प्रस्ताव लाया हूँ. अगर आप उसे स्वीकार करेंगी तो मैं आपको अपनी दासता से मुक्त कर दूँगा।”
उस महिला ने न में सिर हिलाया.
“क्या आपको स्वीकार नहीं है?” मेहुल के स्वर में आश्चर्य था.
“मुझे मुक्ति नहीं चाहिए. ये मेरे लिए एक नया अनुभव है और मैं कुछ दिन और इसका आचरण करना चाहती हूँ.”
मेहुल के अट्ठास में एक कुटिलता थी, जिसे सुनकर वो महिला सहम गई.
“अच्छा है, बहुत अच्छा. जैसे आपकी इच्छा. अपनी गांड दिखाओ.”
महिला मुड़ी और अपनी गांड मेहुल की ओर करते हुए आगे झुक गई. मेहुल को देखकर ही आभास हो गया कि इस गांड में रात में किसी ने गुल्ली डंडा खेला है. उसके मन में एक विचार आया.
“अब से इस गांड में कोई और लंड नहीं जायेगा, जब तक आपकी दासता समाप्त नहीं हो जाती.”
“ये कैसे सम्भव है. प्लीज, ऐसा मत करो.”
“ठीक है. पर जिस दिन मैं आने के लिए कहूँगा उसके एक दिन पहले से कोई लंड नहीं जाना चाहिए. ठीक है?”
“जी. ये सम्भव है.”
मेहुल मुस्कुराया. अपने कपड़े उतारकर उसे एक ओर रखे और उसके तमतमाए लंड को देखकर महिला का मुंह सूख गया.
“आज मेरे पास अधिक समय नहीं है. पर इस गांड को मारे बिना तो जा नहीं पाउँगा.” मेहुल ने महिला के चेहरे पर ख़ुशी की झलक देखी. “पर पहले मेरा प्रस्ताव. अगर स्वीकार नहीं होगा, तो आज के बाद मैं आपके पास कभी नहीं आऊँगा।”
महिला समझ गई कि ये कुछ ऐसा होगा जो उसके लिए कठिन होगा. अन्यथा…
“तो मैं चाहता हूँ कि ........” मेहुल बता रहा था और उस महिला के चेहरे की हवाइयाँ उड़ रही थीं. ऐसा अपमानजनक प्रस्ताव सुनकर वो विचलित हो गई. पर उसकी आँखों के सामने मेहुल अपने लंड को भी सहला रहा था, जिसके बिना उसे अब चुदाई की चरम आनंद की सीमा खोने का भय भी था.
“ऐसा आपको मात्र एक बार करना है. इसके बाद कभी भी ऐसी कोई भी परिस्थिति नहीं उपजेगी. तो आप क्या सोचती हैं?”
“मु मु मुझे कुछ समय चाहिए.”
“चलिए आपकी गांड की सिकाई करने तक का समय में आपको देता हूँ. गांड मरने तक आपको अपना निर्णय लेना होगा.” मेहुल ने उस महिला को उठाते हुए सोफे पर बैठाया.
“इतना कठिन नहीं है. और सम्भव है इसमें भी आपको आनंद आये. मेरी दासी बनने के पहले आपने ऐसी कल्पना की थी? नहीं न, तो चिंता छोड़ दीजिये. अब सोफे पर ही झुक जाइये. आज आपकी गांड यहीं मारने का मन है.”
महिला एक नशे जैसी मनस्थिति से सोफे पर आगे की ओर झुक गई. मेहुल ने अपने लंड को उसके मुंह के सामने किया तो अपनी गांड के लेने से पहले चाटकर गीला करने का अवसर मिलने पर महिला को कुछ शांति मिली. उसने लंड को चाटा और अच्छे से गीला कर दिया और कुछ देर चूसा.
“सुबह मेरी रात की साथिन की चूत और गांड का स्वाद कैसा लगा? अच्छा लगा न?”
महिला ने कोई उत्तर नहीं दिया और मेहुल के लंड को और अधिक ऊर्जा से चूसने लगी.
“अब इतना ही ठीक है.”
मेहुल उसके पीछे गया और उसकी गांड में अपने मुंह से ढेर सारा थूक उढेल दिया. अंगूठे से उसे अंदर डालकर उसने अपने लंड को छेद पर रखा. लंड का दबाव बनाते हुए टोपे के अंदर प्रविष्ट होते ही महिला ने एक गहरी श्वास भरी.
“आह!”
“आप जानती हो न मुझे कैसे गांड मारना अच्छा लगता है?”
“हाँ, और मुझे भी इस मोटे लंड से गांड मरवाने में बहुत आनंद आता है. इसके लिए मैं बीच चौराहे पर भी नंगी होकर गांड मरवा सकती हूँ.”
मेहुल ने अपने लंड को अब तक एक चौथाई तक उस गांड में डाल लिया था. इस बार उसने लंड को बाहर किया और एक अच्छा धक्का लगाया. इतनी खुली और चुदी हुई गांड में भी उसके लंड ने केवल आधा ही लक्ष्य भेदा. महिला दूभर होकर सोफे पर फ़ैल गई. मेहुल इतनी ही गहराई तक अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा. महिला के मुंह से आनंद की सिसकारियाँ निकल रही थीं. मेहुल ने इस क्रम में अचानक से एक और शक्तिशाली धक्का लगाया तो लंड इस बार पूरा गांड में समा गया. महिला की चीख ने कमरे को दहला दिया.
“मर गई, माँ. मर गई. मेरी गांड फट गई. मत कर बेटा इतना अत्याचार. क्यों फाड़ रहा है मेरी गांड?” महिला की याचना ने मेहुल के मन को और कठोर कर दिया. ये मेहुल का वो व्यक्तित्व था जिसके लिए प्रौढ़ महिलाएं उसकी दीवानी थीं. उसके मन में दया करुणा का कोई स्थान नहीं रहता था जब वो अपने इस रूप में उनकी चुदाई करता था.
“नहीं फ़टी है. और फटेगी भी नहीं. इतने लौड़े खाने के बाद भी अगर आपकी गांड फट रही होती तो उस दिन ही फट चुकी होती जिस दिन मैंने पहली बाद इसे चोदा था. अब रोना गाना बंद करो, नहीं तो मैं चला जाऊँगा और लौटूँगा भी नहीं.” मेहुल के कर्कश स्वर ने महिला के रुदन को एकाएक रोक दिया.
“कर ले अपने मन की, पर जाने की बात मत करना. फट जाये तो फट जाये पर तेरे लंड के बिना अब जीवन नहीं जीना है.”
“ये हुई न बात, अब देखो कैसे तुम्हारी गांड की खुजली मिटाता हूँ.” इसके बाद तो मेहुल ने जिस धुआंधार गति से उसकी गांड में अपने लंड से पेला तो उस महिला को स्वर्ग और नर्क के एक साथ दर्शन प्राप्त हो गए. दस मिनट की इस भीषण चुदाई के बाद अब उस महिला के मुंह से दर्द की कराहों ने आनंद की सीत्कारों निकलने लगीं.
“सच में, तेरा जैसा गांड मारने वाला मुझे आज तक नहीं मिला. तू अपनी माँ की भी गांड मारना ऐसे ही. उसे भी रुलाना. उसकी गांड को अपने बाप के लायक मत छोड़ना. मार दिया तूने मुझे आज, पर अब मैं हर दिन मरने के लिए भी तैयार हूँ. आह, आह, वाह क्या मोटा लौड़ा है तेरा मादरचोद. क्या खाकर पैदा किया था तेरी माँ ने? ऐसी माँ को तो ऐसे लौड़े से चुदने का पूरा अधिकार है.”
महिला जो कह रही थी, उसके कारण मेहुल का आक्रोश बढ़ रहा था. अपनी माँ के लिए ऐसे शब्द सुनकर उसके चेहरे पर क्रूरता की चमक आ गई. उसने अपने लंड के पूरे लम्बाई के साथ महिला की गांड पर हमले करने आरम्भ कर दिए. इसके साथ ही वो महिला के नितम्बों पर थप्पड़ मारने लगा. गांड में चलायमान लम्बा मोटा लंड और गांड पर पड़ते हुए थप्पड़ों के कारण वो महिला अचानक एक भयानक चीख के साथ झड़ी और आगे गिर कर शिथिल हो गई.
मेहुल ने अपना आक्रमण नहीं रोका और अगले दस मिनट तक उस मृतप्राय महिला की गांड के परखच्चे उडाता रहा. अंत में उसने अपने पानी को उसकी गांड में ही छोड़ दिया. लंड को धीरे से बाहर निकालकर वो महिला के मुंह के पास गया. उसके बाल पकड़कर उसके चेहरे को ऊपर किया और अपने लंड को आश्चर्य से खुले मुंह में डाल दिया.
“माँ की लौड़ी, मेरी माँ के बारे में अगर कभी और उल्टा सीधा बोली तो तेरी वो हालत करूँगा की तेरी आत्मा काँप जाएगी. समझी रंडी माँ की लौड़ी?” मेहुल ने जिस स्वर में ये बोला था तो उस महिला को आभास हो गया कि उसने सीमा पर कर ली थी. लंड को चाटने के बाद वो सोफे से उतर कर मेहुल के पैरों में गिर गई.
“मुझे क्षमा कर दे बेटा, मेरे मुंह से जो भी निकला उसे मेरी भूल समझ कर क्षमा कर दे. अब मैं सपने में भी ऐसा नहीं करुँगी.” ये कहते हुए वो मेहुल के पैर चाटने लगी. मेहुल को अपने पैरों पर उसके आँसुओं का आभास हुआ.
उसने महिला को उठाया और सोफे पर बैठाया.
“ठीक है, पर आगे से इस बात का ध्यान रखना. मैं नहीं चाहता कि आपको किसी प्रकार से चोट पहुंचे. आप हमारे बीच कभी मेरी माँ को मत लाना. अब बताइये कि मेरा प्रस्ताव स्वीकार है या नहीं?”
महिला ने स्वीकृति दी तो मेहुल ने उसे कपड़े पहनने के लिए कहा और स्वयं भी कपड़े पहन लिए.
“मैं अभी आया.” ये कहकर मेहुल कार से वो बैग ले आया.
“इन्हें देखिये और मैंने आपको जो कहा है, ये सब उनके लिए ही है.” मेहुल ने उसे हर वस्तु का अभिप्राय समझाया और उसे कैसे उपयोग में लाना है ये भी बताया.
“मेहुल. मैं तुम्हारे लिए इस तिरिस्कार को भी झेलने के लिए मान रही हूँ. पर ये वचन दो कि इसके बाद ये दासी की भूमिका केवल हम दोनों के एकांत में ही होगी. प्लीज.”
“मैंने तो आपको मुक्त करने का भी प्रस्ताव किया था. आपने ही उसे नहीं माना। पर मैं वचन का धनी हूँ. ये आपको मात्र एक बार ही करना है.”
महिला ने मेहुल का माथा चूमा और उस बैग को बंद कर लिया. मेहुल निकल गया और उस महिला ने वो बैग अपनी अलमारी में छुपाकर रख दिया. गांड सहलाते हुए वो बाथरूम में घुस गई.
स्मिता का घर:
एक बजे तक सारे पंछी अपने घोसले में लौट चुके थे. भोजन करने के बाद स्मिता ने मेहुल से बात करनी चाही. स्मिता और श्रेया एक सोफे पर बैठे थे और मेहुल उनके सामने था.
“बेटा, हमें ये निर्णय लेना है कि तुम्हे महक और स्नेहा के साथ पहले भेजा जाये, या हम दोनों का जो अधूरा कार्य है उसे सम्पन्न किया जाये.”
माँ और भाभी की गांड मारने के बारे में सोचते ही मेहुल का लंड अंगड़ाई लेने लगा. पर उसने कुछ बोला नहीं.
“मैं और श्रेया चाहते है कि अधूरा कार्य पूरा किया जाये और हम दोनों को उसे एक साथ करने में कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि हमें ये अधिक रुचिकर लग रहा है.”
श्रेया बोली, “भैया, इसके बाद आप महक और स्नेहा के साथ भी कार्य अधूरा छोड़कर उसे दोनों के साथ एक बार में पूरा कर सकते हो. दोनों अभी इतना परिपक्व नहीं हैं कि आपके लंड को सरलता से झेल सकें.”
मेहुल, “जैसा आप उचित समझें. परन्तु ये होगा कैसे?”
स्मिता ने उसकी ओर एक पर्ची बढ़ाई.
SC: कल
M: दो दिन बाद
S: उसके दो दिन बाद
MS: उसके दो या तीन दिन बाद.
मेहुल ने इसका अर्थ समझ लिया.
“ठीक है माँ, भाभी. पर अगर एक दो दिन इधर उधर हो जाएँ तो आप बुरा मत मानना। मेरे अपने भी कुछ कार्य हैं, जिनकी मैं उपेक्षा नहीं कर सकता. पर मैं आपकी इस समय सारणी का पूरा मान रखने का प्रयास करूँगा। कल कब?”
“दोपहर तीन के बाद ही. तुम्हें कुछ काम है क्या?”
“नहीं कल नहीं है. और मैं प्रयास करूँगा कि जो दिन अपने निर्धारित किये हैं उन दिनों भी मैं उपलब्ध रहूँ। क्या हम तीन बजे ही हर दिन के लिए निर्धारित कर सकते हैं?”
“मेरे विचार से ये उचित है.” श्रेया के चेहरे के भाव से मेहुल उनकी सुंदरता की प्रशंसा किये बिना न रह सका.
“भाभी, यू आर टू ब्यूटीफुल.”
श्रेया शर्मा गई.
“धत्त, कोई अपनी भाभी को ऐसे बोलता है क्या?”
“उनकी भाभी आपके जितनी सुंदर भी नहीं होंगी.”
स्मिता ने बीच में टोका, “ठीक है. तो कल मिलेंगे. अभी नींद आ रही है.”
मेहुल, “मॉम, मुझे आपसे कुछ कहना है, अकेले में.”
श्रेया उठकर चली गई और मेहुल स्मिता के पास जाकर बैठा. उसने जो कल रात अन्य बंगले के परिवारों के बारे में जाना तो वो स्मिता को बताया. पर ये वचन भी लिया कि वो आगे किसी को नहीं कहेगी. उसके पापा को भी नहीं. स्मिता मान गई. इसके बाद मेहुल ने कल के लिए कुछ विशेष निवेदन किया किसे सुनकर स्मिता अचरज में तो पड़ी पर सहर्ष मान भी गई. मेहुल और स्मिता इसके बाद अपने कमरों में चले गए.
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अन्य प्रकरण:
नूतन ने शोनाली को फोन करके कल रात की प्रगति के बारे में बताया. शोनाली ने ध्यान से सुना और उसे धन्यवाद किया. शोनाली ने पार्थ को बताया और दोनों के चेहरे पर एक मुस्कान छा गई.
जीवन सलोनी को उसके घर छोड़ने के बाद बलवंत और गीता के घर पहुंचा जहाँ उसका भरपूर स्वागत हुआ. गीता ने उसे भोजन कराया और फिर कुछ देर विश्राम करने की सलाह दी. दोपहर को मैनेजर को बुलाया गया था जिसमें उसे दोनों की खेतों के रख रखाव का कार्य सौंपा जाना था. जीवन जाकर सो गया और फिर दोपहर में मैनेजर से साथ उसकी और बलवंत की बात हो गई. मैनेजर भी प्रसन्न था क्योंकि उसे भी अपने वेतन में बढ़ोत्तरी अपेक्षा से अधिक मिली थी.
सुजाता अपने कमरे में मेहुल के लंड के बारे में सोच रही थी कि वो उसके लिए इतनी आसक्त क्यों हो चली है? जीवन भर दूसरों के ऊपर राज करने वाली सुजाता मेहुल से इतना अधिक क्यों प्रभावित हो गई? ये सोचते हुए उसकी आँख लग गई.
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स्मिता का घर:
मेहुल अगले दिन तक घर में ही रहा. उसकी पढ़ाई के कुछ पीछे रह जाने के कारण उसने इस पूरे समय केवल उस पर ही ध्यान दिया. उसे इस रूप में देखकर कोई सोच भी नहीं सकता था कि ये लड़का किसी को भी निर्ममता से चोद सकता है. उसकी प्रिंसिपल मैरी का निमत्रण आया था परन्तु मेहुल ने उनसे क्षमा माँगते हुए आने में असमर्थता बताई थी. मैरी ने भी अपनी चुदाई से अधिक महत्व मेहुल की पढ़ाई को दिया, वो एक शिक्षिका जो थीं.
महक अपने भाई के साथ मिलन के लिए अब आतुर तो हो गई थी, पर उसकी माँ और भाभी ने उसे दो दिन रुकने के लिए कहा था. महक ने राणा परिवार के सप्ताहांत के निमंत्रण के बारे में बताया तो स्मिता को कुछ निराशा हुई क्योंकि इसी समय उनके अपने परिवार में भी सामूहिक चुदाई का खेल होता था. परन्तु महक के ससुराल वालों को प्रसन्न रखना भी उतना ही आवश्यक था. उसने महक से कहा कि वो सुनीति से कहे कि वो बारी बारी से एक सप्ताह छोड़कर जाया करेगी. उसे विश्वास था कि सुनीति मान जाएगी.
श्रेया ने स्मिता से समुदाय के प्रबंधन के चुनाव से हटने के लिए निवेदन किया तो स्मिता ने मान लिया और अपना समर्थन सुजाता को देने की घोषणा समुदाय में कर दी. महक के विवाह में व्यस्त होने का कारण बताने से उसके इस निर्णय पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ.
अगले दिन:
सुबह मेहुल ने उठकर नहा धोकर नाश्ता किया और फिर से अपनी पढ़ाई पूरी करने में जुट गया. फिर एक बजे खाना खाया और फिर अपने कमरे में लौट गया. ये घर में उसका सामान्य व्यवहार था इसीलिए किसी ने उसे कुछ नहीं कहा. खाने के बाद उसने अपने कमरे में जाकर कुछ लोगों से बात की और फिर एक घंटे के लिए सो गया. ढाई बजे उठकर स्नान किया और फिर आज के कार्यक्रम के लिए उचित कपड़े पहने. अपना फोन लेकर बैठक में गया जहाँ स्मिता बैठी थी.
“श्रेया को मैंने कमरे में भेज दिया है. मैं भी जाती हूँ. तुम कितनी देर में आने वाले हो?” स्मिता ने पूछा.
मेहुल ने घड़ी देखी, “बस आपके पीछे पीछे आता हूँ.”
स्मिता चली गई और मेहुल ने रसोई में जाकर पानी पिया. उसके फोन पर एक संदेश आया. उसने देखा और फिर घर के दरवाजे को हल्का खोलकर स्मिता के कमरे में चला गया.
मेहुल कमरे में गया तो देखा कि स्मिता और श्रेया अब तक यूँ ही बैठे थे.
“क्या हुआ?” उसने पूछा.
“तुम्हारी ही राह देख रहे थे.”
“ओह, ठीक है.” ये कहते हुए उसने आगे बढ़कर अपनी माँ को बाँहों में भर लिया. फिर दूसरे हाथ को फैलाकर श्रेया को भी बाँहों में ले लिया.
“मेरी प्यारी मॉम और भाभी. मैं बता नहीं सकता कि मैं आज कितना प्रसन्न हूँ. मैंने जीवन में कभी सोचा न था कि ऐसा दिन भी आएगा, जब हम इस प्रकार से एक दूसरे के साथ होंगे.”
“पर हमें पता था. तुम्हें न बताना हमारी दुविधा थी. वैसे भी बीस वर्ष के होने के बाद तुम्हें सब बताना ही था. पर तुम्हें स्वयं ही सब पता चल ही गया.”
मेहुल ने स्मिता के गाउन को उसके कंधे से खिसकाया तो वो पल भर में ही नीचे गिर गया और स्मिता का लुभावना शरीर अपने पूरे दर्प में चमक उठा.
“भैया.” मेहुल ने सुना तो उसने श्रेया को देखा और उसके भी गाउन को उसी प्रकार से उतार दिया. अब उसके सामने उसकी माँ और भाभी पूर्णतया नग्न खड़ी हुई थीं. न उनके शरीर पर एक भी धागा ही था न ही आँखों में रत्ती भर शर्म. एक प्यास थी जिसे मिटाने का दायित्व मेहुल पर था. मेहुल की टी-शर्ट को श्रेया ने उतारा और स्मिता उसके पजामे के नाड़े को खींचकर पजामे को निकाल फेंकने को ही थी, कि उसे लगा कि वो कुछ भारी था.
“मेरा मोबाइल है उसमे.” मेहुल ने बताया और फिर पजामे से मोबाइल निकालकर एक ओर रख दिया.
“भाभी, मैंने आज के लिए एक विशेष प्रबंध किया है. परन्तु आपको मेरे ऊपर विश्वास करना होगा कि ये केवल आज के लिए है. आप किसी भी प्रकार से मुझपर गुस्सा नहीं होने वाली हैं.”
श्रेया को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी, हालाँकि उसने सोचा कि ये मेहुल ने केवल उससे ही क्यों पूछा.
“मॉम, आपको भी.” मेहुल ने मानो भाभी के मन को पढ़ लिया था.
“अवश्य.” माँ और भाभी ने उसे विश्वास दिलाया. इतने में मेहुल का मोबाइल थरथराया.
“ठीक है. तो मुझे पाँच मिनट का समय दीजिये. मैं बस यूँ गया और यूँ आया.” ये कहकर मेहुल नंगा ही कमरे से निकल गया.
जब मेहुल कमरे में लौटा तो उसके हाथों में एक कुत्ते को घुमाने वाला पट्टा था. और जब वो और भीतर पहुँचा तो स्मिता और श्रेया की ऑंखें आश्चर्य से फ़टी रह गयीं. पट्टे के दूसरे छोर पर एक नंगी महिला थी. पट्टा उसके गले में बंधा था और वो घुटनों के बल चलकर मेहुल के पीछे आ रही थी. यही नहीं, उसकी गांड में से पूँछ जैसी वस्तु दिख रही थी. कानों के ऊपर भी कुत्ते के जैसे नकली कान लगे हुए थे. एक प्रकार से वो महिला एक कुतिया ही लग रही थी. और वो कोई और नहीं, बल्कि श्रेया की माँ सुजाता थी!
स्मिता को मेहुल ने कुछ कुछ संकेत दिया था, पर जो उसने देखा उससे उसका मन भी विचलित हो गया. और श्रेया! उसे तो जैसे काटो तो खून नहीं. सुजाता उनके आगे उसी रूप में रही. मेहुल ने पट्टे को एक हल्का सा झटका दिया तो सुजाता ने आगे बढ़कर स्मिता के पैरों को चाटना आरम्भ कर दिया. दोनों पैर चाटकर उन मेहुल को देखा. मेहुल ने उसे संकेत दिया और वो लौटकर अपने स्थान पर आ गई.
“मुझे आंटीजी के इस प्रकार की विकृति के बारे में जब पता चला तो मैंने सोचा कि क्यों न उन्हें भी इस खेल में आज सम्मिलित कर लिया जाये. वो मेरी हर आज्ञा पालन करने के लिए आतुर रहती हैं और मैं उन्हें प्यार से…” मेहुल ने सुजाता की ओर देखा, “… क्या बुलाया करता हूँ मैं आपको?”
“सूजी, सूजी डार्लिंग.” सुजाता ने उत्तर दिया. श्रेया ये देखकर अचम्भित थी कि उसकी माँ किसी प्रकार से भी किसी प्रभाव में नहीं दिख रही थी और न उन्हें उनके सामने इस प्रकार से उपस्थित होने में कोई शर्म आ रही थी.
“सूजी डार्लिंग, बहुत प्यारा नाम रखा है इसका तुमने बेटा। तो क्या ये मेरी भी आज्ञा मानेगी?” स्मिता ने आनंद लेते हुए कहा.
“क्यों सूजी डार्लिंग, क्या कहती हो?” मेहुल ने पट्टे को खींचकर पूछा.
“अगर मेरे मालिक कहेंगे तो अवश्य मानूँगी.”
“सही उत्तर सूजी डार्लिंग। आज के लिए तुम हम तीनों की आज्ञा मानोगी. अपनी बेटी को भी अपनी मालकिन समझकर ही बात करोगी. समझीं?”
“जी.”
“और इसके लिए तुम्हें ऊपर स्वरूप क्या मिलेगा, ये भी बता ही दो.”
सुजाता ने श्रेया और स्मिता की ओर देखा और बिना हिचक उत्तर दिया, “आप मेरी गांड मारेंगे और मुझे मेरी इन दोनों मालकिनों को हर प्रकार से साफ करने का अवसर देंगे.”
“हम्म्म. मॉम, भाभी. आपकी कोई इच्छा है?”
“अभी नहीं. पर अगर कुछ मन में आया तो अवश्य बोलूँगी। वैसे मेरे पैरों के तलवे भी गंदे हो गए हैं. तो सूजी डार्लिंग, अपनी जीभ से उन्हें भी चाटकर साफ कर दो. और मेरी प्यारी बहू के भी.”
श्रेया ने एक बार कुछ कहना चाहा, पर मेहुल के सिर के संकेत के कारण रुक गई.
“सूजी डार्लिंग, तुम मॉम की इच्छा पूरी करो, मुझे भाभी से कुछ बात करनी है.”
ये कहकर मेहुल श्रेया को एक ओर ले गया.
“भाभी, अभी आप बिना प्रश्न इस खेल में सम्मिलित हो जाइये. आंटीजी को भी ये आनंद देता है. शेष मैं आपको बाद में समझा दूँगा। उन्हें आप जितना तिरस्कृत करेंगी, उन्हें उतनी ही उत्तेजना होती है. मैं बाद में समझाता हूँ. पर आप.....”
“ठीक है. मुझे तुम पर विश्वास है. अब चलो, देखें सूजी डार्लिंग क्या कर रही है. मेहुल, मॉम ने हम सबको सदा अपने अंगूठे के नीचे रखा और कई बार हम सबको तिरस्कृत और प्रताड़ित किया है. न जाने क्यों मुझे आज अपने सामान्य स्वभाव के विपरीत उन्हें उनके ही ढंग से उत्तर देने की इच्छा है. ये मेरा स्वाभाविक स्वरूप नहीं है, तो अगर मैं कुछ अधिक आगे बढ़ जाऊँ तो मुझे टोक देना.”
मेहुल को श्रेया के उत्तर से शांति मिली और दोनों पास आकर खड़े हो गए. सुजाता अब तक स्मिता के पैरों के तलवे चाट कर चमका चुकी थी और उसी प्रकार बैठी हुई अगली आज्ञा की प्रतीक्षा कर रही थी.
स्मिता, “ओके, सूजी डार्लिंग. देखो मेरी बहू भी आ ही गई है. तुम तो इसे जानती ही हो? तुम्हारी बेटी जो ठहरी. अब जाओ, उसके भी पैरों को चाटकर साफ करो. उसके बाद मैं तुम्हें आगे का करना ही बताती हूँ.”
ये अब सिद्ध हो गया था कि खेल की कमान अब स्मिता ने संभाल ली थी. सुजाता से इतने वर्षों का वैमनस्व का आज वो स्वयं बदला लेने वाली थी. उन्होंने मेहुल को देखा कि अगर उसे आपत्ति हो. मेहुल ने अपने उठे अंगूठे से उसकी शंका को दूर कर दिया. आज न केवल मेहुल अपनी माँ और भाभी की गांड मारने वाला था, बल्कि उन्हें अपने ऊपर किए गए अपराधों का भी मोल चुकाने का अवसर दे रहा था.
श्रेया अपनी माँ के गालों को अपने मुक्त तलवे से सहला रही थी. सुजाता पूरी तन्मयता से श्रेया के पैरों को चाट रही थी. स्मिता उसके पीछे आई और उसकी गांड में लगे डिल्डो को जोर से हिला दिया और गांड पर अपने पैरों से एक हल्की चपत लगाई.
“जी मम्मीजी, मारो इसके गांड पर लात और थप्पड़. बहुत अकड़ू है ये.” सुजाता ने आश्चर्य से सिर उठाकर श्रेया को देखा तो श्रेया ने अपने अंगूठे को उसके मुंह में डाला और बोली, “किसने कहा रुकने को? चल अपना काम कर नहीं तो मेहुल को कह दूँगी और तुझे उसके लंड से गांड मरवाने की इच्छा को भूलना होगा.”
सुजाता का शरीर सिहर उठा और ऐसा प्रतीत हुआ मानो वो झड़ गई हो. पर वो श्रेया के पैरों को चाटने में लग गई. जब दोनों पैरों को चाट लिया तो स्मिता ने मेहुल से पट्टे को ले लिया.
“सूजी डार्लिंग, आज तुम हम तीनों की कुतिया हो. मेरी गांड मारने के लिए मेरा बेटा बहुत दिनों से उतावला है. पर इसके लंड को ऐसे झेलना मेरे वश का नहीं है. तो आकर मेरी गांड को चाटो और उसे उसके लंड के लिए सुगम बना दो.” स्मिता ने क्रूर स्वर में बोला।
“मॉम, भाभी. इसके पहले आप ये सम्भालो.” मेहुल ने दो रिमोट जैसे उपकरण उन्हें दिए. “सूजी की गांड में जो डिल्डो है, उसमें बैटरी है, इस बटन से उसे चलाया जाता है, इन दो से उसकी गति कम या अधिक की जाती है और इस बटन से उसे रोका जाता है.” ये रिमोट स्मिता ने ले लिए.
दूसरे रिमोट को श्रेया को देकर कहा, “भाभी, आंटीजी की चूत में एक अंडे के आकार का वाइब्रेटर है. उसे भी इसी प्रकार से चलाया जाता है. अब आप दोनों के हाथ में ये हैं तो जैसे चाहें उपयोग करें.”
सास बहू ने दोनों को चलाया तो सुजाता की चूत और गांड में हलचल होने लगी और वो कंपकँपा गई. धीमा और तेज करने का अभ्यास करने के बाद दोनों को न्यूनतम गति पर लेकर छोड़ दिया. अब सुजाता की चूत और गांड में हल्के स्पंदन हो रहे थे. पर आज उसे अपना पद पता था. मेहुल को लगा कि उसने इन दोनों को प्रभार देकर गलती कर दी. वे दोनों इस समय ही इतनी कड़ाई दिखा रही थीं तो आगे न जाने क्या करेंगी. उसने अपने दोनों हाथों को नीचे की ओर करते हुए उन्हें संकेत किया कि वे संयम में रहें. श्रेया ने अपने पैर हटा लिए.
“ओके, सूजी डार्लिंग. जाओ अब मेरी सासू माँ की गांड को भलीभांति मेरे लाडले देवर के लंड के लिए तैयार कर दो. पर इसके लिए केवल अपने मुंह और जीभ का प्रयोग करना. जैल इत्यादि को बाद में लगाना. तब तक मैं देवर राजा के लंड को चूसती हूँ.”
मेहुल को पास बुलाकर उसने लंड को हाथ में लिया. “देखो सूजी डार्लिंग. कैसा मोटा तगड़ा लौड़ा है मेरे देवर का. गांड में पूरी खलबली मचा देगा. तुम तो ले चुकी हो इसे, कैसे लगा था?”
“बहुत ही अच्छा. ऐसे गांड मारी थी मेरी कि मैं इसकी दासी बन गई.” सुजाता को मानो उस याद ने घेर लिया.
“पूछा किसी ने कैसे मारी थी? और हम भी देख रहे हैं कि तुम इसकी दासी हो. अपना काम सम्भालो. मम्मीजी चलिए इन्हें अपनी गांड चाटने दीजिये.” श्रेया ने कहा.
“मुझे लगता है मैं सोफे पर जाती हूँ, वहाँ ठीक रहेगा. इसे बिस्तर पर नहीं चढ़ने देना है.” स्मिता ने कहा और सोफे पर जाकर बैठी और अपनी दोनों टाँगों को ऊपर कर लिया. इस प्रकार से उसकी चूत और गांड दोनों अब नीचे बैठकर चाटी जा सकती थीं.
“आओ, सूजी डार्लिंग. मेरे बेटे के लिए मेरी गांड को अच्छे से साफ और गीला कर दो. ध्यान रहे अंदर तक सफाई करनी है. मेरे प्यारे बेटे के लंड पर कोई गंदगी नहीं लगनी चाहिए.”
सुजाता न जाने क्यों इस सबमें भी उत्तेजित हो रही थी. वो स्मिता की गांड के नीचे जाकर रुकी और अपनी जीभ से चाटने लगी.
“आओ भैया, अब तुम्हारे लंड को भी मम्मीजी की गांड के लिए सही कर दूँ.” श्रेया ने कहा और फिर रिमोट से सुजाता कि चूत के अंदर के अंडे की गति बढ़ा दी.
श्रेया ने मेहुल के लंड को मुंह में लिया पर अपनी माँ की गतिविधियों पर भी ध्यान रखा. वो अंडे की गति से खेल रही थी. कभी बढ़ा देती तो कभी कम कर देती. सुजाता भी उसी गति से स्मिता की गांड को चाट रही थी. स्मिता ने अपने नितम्ब फैलाये और उसकी गांड का छेद खुल गया.
“अंदर भी चाटो सूजी डार्लिंग.” स्मिता ने कहा.
सुजाता ने तपाक से स्मिता की गांड में जीभ डाली ही थी कि स्मिता ने गांड को बंद कर लिया. सुजाता की जीभ उसमे फँसी रह गई. पर सुजाता भी कोई कच्ची खिलाडी तो थी नहीं, उसने स्मिता के नितम्ब फैलाये और अपनी जीभ को बाहर निकाल ही लिया. पर इस बार वो अपनी जीभ को अंडे की गति के अनुरूप स्मिता की गांड में अंदर और बाहर करने लगी. जीभ में थूक को एकत्रित करती और फिर स्मिता की गांड में डालकर अपनी जीभ से अंदर तक धकेल देती.
स्मिता ने श्रेया को देखा तो उसका एक हाथ रिमोट पर था. स्मिता ने भी अब रिमोट से खेलना आरम्भ किया और सुजाता की गांड में डला हुआ डिल्डो हलचल में आ गया. अब सुजाता के लिए समस्या हो गई. दोनों अलग गति से उसकी चूत और गांड में हिल रहे थे. और उसका मस्तिष्क इसे समझने में असमर्थ था. उसकी चूत भी अब पानी छोड़ रही थी, पर उसे पता था कि आज उसे अपने कर्मों की प्रायश्चित करना है. वो स्मिता की गांड को अंदर से चाटने में जुटी रही.
“हम्म्म, श्रेया. इधर आओ और देखो सूजी डार्लिंग ने ठीक से काम किया है या नहीं?” स्मिता ने श्रेया को पुकारा. श्रेया ने मेहुल के तमतमाए लंड को मुंह से निकाला और स्मिता की गांड का निरीक्षण किया.
“सूजी डार्लिंग ने अच्छा काम किया है. फिर वो एक ओर पड़ी जैल की ट्यूब ले आई और सुजाता को देकर कहा, “सूजी डार्लिंग, अब इनकी गांड में अच्छे से लगा दो और हट कर अपने स्थान पर चली जाओ.”
सुजाता ने आज्ञा का पालन किया और फिर घुटनों के बल कुतिया के समान खड़ी हो गई (दो पैरों और हाथों पर). श्रेया ने अब मेहुल को पुकारा और उसके लंड पर भी जैल लगाया.
“आ जाओ, भैया. कर दो अपनी मम्मी की गांड का भी बेड़ा पर. पर इन पर दया करना, ये सूजी डार्लिंग जैसी रण्डी नहीं हैं. माँ हैं आपकी.”
“बिलकुल भाभी. और फिर आपकी गांड भी उतने ही प्रेम से मारूंगा।”
श्रेया ने मेहुल के लंड को अपनी सास की गांड के मुहाने रखा. और फिर आगे जाकर स्मिता के होंठों को चूमा.
“मम्मी जी, अब देखिये अपने छोटे बेटे के बड़े लंड का प्रताप.”
“मॉम, आर यू रेडी?” मेहुल ने पूछा.
“हाँ, मेरे लाल. कब से तरस रही हूँ इसके लिए. अब देर न कर.”
मेहुल ने लंड पर दबाव बनाया और सुजाता के परिश्रम और जैल के कारण चिकनी हुई गांड में लंड पक्क से घुस गया. स्मिता की हल्की से आह निकली. मेहुल अपनी माँ की गांड में लंड का टोपा डालने के बाद रुक गया. स्मिता की गांड का स्पंदन और गर्मी ने उसे एक अपूर्व सुख का आभास कराया. कुछ देर तक यूँ ही रुकने के बाद उसने फिर दबाव डाला और लंड कुछ और अंदर गया. मेहुल फिर रुका और स्मिता भी अपनी साँसों को संभालने लगी.
मेहुल ने इसी प्रकार अपने लंड को दो तीन इंच अंदर डालकर रुकने के बाद अंतिम लक्ष्य को पार किया. और इसमें उसने लगभग सात आठ मिनट लगा दिए. लंड जब पूरा अंदर समा गया तो मेहुल रुका रहा. उसकी तीव्र इच्छा थी कि पूरे लंड को बाहर निकालकर पेल दे, पर अपनी माँ के साथ वो ऐसा नहीं कर था. तो उसने तीन चार इंच निकाला और फिर धकेला. इस प्रकार से स्मिता की गांड को कुछ देर तक मारने के बाद उसने कुछ लम्बे धक्के लगाने आरम्भ किये, पर पूरा लंड अभी तक उपयोग नहीं किया.
स्मिता आनंद से दूभर हो गई थी.
“कैसा लग रहा है मम्मीजी?” श्रेया ने पूछा.
“पूरा भरा हुआ, पर बहुत अच्छा भी. जा तू अब अपनी गांड भी चटवा कर आ जा फिर दोनों को एक साथ चोद पायेगा ये.” स्मिता ने सुझाव दिया.
सुजाता ने जब ये सुना तो उसकी आँखें चमक उठीं. अपनी बेटी को इस लंड के लिए उपयुक्त बनाने के विचार से उसकी चूत फिर से बहने लगी. श्रेया ने उसकी ओर देखा.
“सूजी डार्लिंग, सुना मम्मीजी ने क्या कहा? आ जाओ, अब मेरी गांड को भी मेरे प्यारे देवर के लिए तैयार करो.” ये कहते हुए श्रेया उसी प्रकार से सोफे पर जा बैठी और सुजाता उसके सामने जाकर उसकी गांड को चाटने लगी.
जिस प्रकार से सुजाता ने स्मिता की गांड के साथ किया था उसने वही ढंग श्रेया की गांड अपनाया. पर एक समस्या ये रही कि श्रेया की गांड स्मिता की गांड से कहीं अधिक तंग और संकरी थी. परन्तु सुजाता ने इस अड़चन को भी सुलझा कर श्रेया की गांड को समुचित रूप से खोल दिया. इसके बाद उसने जाकर ट्यूब ली और श्रेया की गांड में डालकर उसे अच्छे से अंदर तक चिपड़ दिया. सुजाता ने फिर श्रेया को देखा और संकेत दिया कि अब वो स्मिता के पास चली जाये.
अब मेहुल स्मिता की गांड पूरे लंड से मार रहा था और स्मिता कि सिसकारियों ने कमरे में एक संगीत बिखेरा हुआ था. श्रेया स्मिता के साथ जाकर घोड़ी के आसन में आ गई.
“सूजी डार्लिंग,” मेहुल ने सुजाता को पुकारा.
“जी”
“इधर आओ, और जब मैं अपना लंड एक गांड से निकालूँगा तब तुम इसे साफ करके दूसरी गांड में डालना. और खाली हुई गांड को चाटकर उसे गीला बनाये रखना. इसके लिए मैं तुम्हें बिस्तर पर आने की अनुमति दे रहा हूँ.”
सुजाता मेहुल के पास आकर उकड़ूँ बैठ गई.
स्मिता ने श्रेया को देखा और बोली, “अब देख तू भी मेरे छोटे बेटे के मोटे लौड़े का प्रताप.”
श्रेया हंस पड़ी और उसने अपनी गांड मटकाई और मेहुल से बोली, “आ जाओ मेरे देवर जी. अपनी भाभी की गांड भी कृतार्थ कर दो.”
मेहुल ने अपने लंड को स्मिता की गांड से धीरे से बाहर निकाला और सुजाता की ओर किया. सुजाता ने लपक कर उसे चाटा और फिर एक मिनट के लिए चूसा और अपनी बेटी, स्मिता की बहू और मेहुल की भाभी की गांड के मुहाने पर रख दिया. उसने दीन दृष्टि से मेहुल को देखा, मानो कह रह थी कि मेरी बेटी पर दया करना. मेहुल ने मुस्कुराकर सिर हिलाकर उन्हें भरोसा दिलाया. फिर अपनी माँ की गांड की ओर संकेत किया मानो कहा हो कि आपका ध्यान उधर रखा चाहिए.
“भाभी, आर यू रेडी?” मेहुल ने पूछा.
सुजाता देखना चाहती थी अपनी बेटी की गांड में मेहुल के लंड का प्रवेश और वो स्मिता की गांड को ऊपर से चाटते हुए मेहुल के लंड को देखती रही. मेहुल ने स्मिता के समान ही श्रेया की भी गांड में अपने लंड को डाला. लगभग एक ही ढंग वो आज उन दोनों की गांड मारने वाला था. आधे लंड से दस मिनट तक श्रेया की गांड मारने के बाद उसने लंड निकाला और सुजाता ने फिर से स्मिता की गांड से अपना मुंह हटाते हुए उसके लंड को चाटा।
“चूसना नहीं है.” मेहुल ने कहा तो सुजाता ने मन मारकर लंड साफ करके उसे स्मिता की गांड पर लगा दिया और स्वयं श्रेया की ओर मुड़ गई. अपनी बेटी की खुली गांड देखकर उसे कुछ दया आई. उसने अपनी जीभ से उसकी गांड के खुले भाग को चाटा तो गांड स्वतः ही बंद होती चली गई.
बस अब इसी प्रकार का क्रम चल निकला मेहुल एक की गांड मारता फिर सुजाता ऊके लंड को चाटती, अगली गांड पर लगाती और जिस गांड से निकला था उसे चाटने में व्यक्त हो जाती। मेहुल इस प्रकार से अपनी माँ और भाभी दोनों की गांड मार रहा था और सुजाता उनकी सहायक थी.
आधे घंटे से अधिक तक चले इस क्रम का अंत अब निकट था. मेहुल ने सुजाता को कुछ समझाया और वो जैसे ही स्मिता की गांड में झड़ने लगा तो लंड बाहर निकाला, सुजाता ने उसे अपनी मुठ्ठी में पकड़ा जिससे कि रस बाहर न गिरे और श्रेया की गांड में डाल दिया. मेहुल ने एक दो धक्के ही श्रेया की गांड में लगाए और उसे अपने रस से भर दिया. उसका शरीर अकड़ा हुआ था.
श्रेया की गांड पर मेहुल का लंड लगाने के बाद सुजाता ने अपना मुंह स्मिता की गांड पर लगाकर मेहुल का रस चूस लिया. उधर जैसे ही श्रेया की गांड से लंड निकला तो उसने श्रेया की गांड भी चूसकर खाली कर दी. अब वो प्यासी आँखों से मेहुल के लंड को ताकने लगी. मेहुल ने अपने लंड को उसके नाक के सामने किया और सुजाता ने उसक लंड को मुंह में लेकर बेशर्मी से चूसना आरम्भ कर दिया.
सास बहू अब संतुष्ट होकर उसी मुद्रा में थी. फिर दोनों ने करवट ली और सुजाता की मेहुल के लंड पर हो रही गतिविधि को देखने लगीं. मेहुल ने अपने लंड को बाहर निकाला और सुजाता के सिर पर थपकी दी.
“गुड जॉब, सूजी डार्लिंग.”
“यस, सूजी डार्लिंग. वेरी गुड जॉब.” स्मिता और श्रेया ने भी सहमति जताई.
सुजाता का गर्व से फूल कर सीना चौड़ा हो गया.
“कुछ समय के लिए विश्राम करते हैं. उसके बाद सूजी डार्लिंग को उनके उत्तम प्रदर्शन के लिए उनका उचित प्रकार से धन्यवाद किया जायेगा.” मेहुल ने कहा तो सब बैठ गए, केवल सुजाता अपने स्थान पर निर्धारित आसन में ही रही.
“अब जब सूजी डार्लिंग के पुरुस्कार की बात चली है तो उन्हें कुछ ट्रेलर दिखाया जाये?” श्रेया ने कहा और रिमोट से सुजाता की गांड के डिल्डो को उच्चतम गति पर कर दिया. देखा देखी स्मिता ने भी यही किया. बेचारी सुजाता से अब सहन नहीं हो रहा था, वो इस आसन में डोल रही थी पर उसके ऊपर दया करने वाला वहाँ कोई न था.
मेहुल ने उसकी ये स्थिति देखी तो कहा, “इतना मत करिये कि सूजी डार्लिंग अपने पुरुस्कार के पहले ही धराशाई हो जाएँ. बल्कि मैं सोच रहा हूँ कि उनकी गांड का डिल्डो निकाल ही दिया जाये. नहीं तो इतनी खुली गांड मारने में कोई आनंद नहीं आएगा.”
ये सुनकर श्रेया ने रिमोट से उसे बंद किया और पास आकर धीरे से डिल्डो को निकाल दिया. गांड खुल कर सामने आई तो श्रेया बोली, “ठीक कहा आपने भैया. ऐसी खुली गांड तो रेल की सुरंग जितनी चौड़ी है. कुछ सामान्य होने दीजिये, नहीं तो न आपको, न ही सूजी डार्लिंग को आनंद आएगा.”
ये सुनकर सुजाता का चेहरा लाल हो गया. फिर श्रेया ने जाकर सबके लिए फलों का रस लाया और सबने उसे शांति से पिया. इतनी देर का विराम ही मेहुल के लिए पर्याप्त सिद्ध हुआ. स्मिता और श्रेया ने कानाफूसी की.
स्मिता, “मेहुल, सूजी डार्लिंग का उपहार उसे इसी स्थान पर देना चाहोगे या बिस्तर पर?”
मेहुल, “बिस्तर पर. घुटने दुःख गए होंगे और मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई विशेष आनंद आएगा दोनों को. उपहार है तो कष्ट नहीं होना चाहिए.”
स्मिता, “ओके, सूजी डार्लिंग अब तुम उठ सकती हो और बिस्तर पर जाओ. श्रेया जाकर सूजी डार्लिंग की गांड में जैल लगा दो. चाहे सुरंग जितनी चौड़ी ही क्यों न हो, पर मेरे बेटे के लंड के लिए फिर भी संकरी ही है.”
सुजाता ने धन्य माना कि उसे अब यूँ नहीं बैठना होगा. और उठकर कुछ लड़खड़ाते हुए बिस्तर पर जाकर घोड़ी का आसन बना लिया. श्रेया ने जाकर उसकी गांड में जैल लगाया और फिर मेहुल के लंड पर जैल लगाकर उसे सवारी गांठने के लिए कहा. इसके बाद मेहुल ने अपने चिर परिचित ढंग से सुजाता की गांड की धज्जियाँ उड़ा दीं. स्मिता और श्रेया ये दृश्य देखकर स्वयं को भाग्यशाली माने कि मेहुल ने उनकी गांड में ऐसा आतंक नहीं मचाया.
पंद्रह मिनट तक सुजाता की गांड मारकर मेहुल ने अपने लंड को निकालकर सुजाता में मुंह में डाला और अपना रस वहीं मुंह में ही छोड़ दिया.
इसके बाद सब सहज हो गए. श्रेया ने सुजाता को बाथरूम में ले जाकर नहलाया.
“मॉम, आज के आचरण के लिए मुझे क्षमा करना. पर आपने हम सबको हमेशा नीचा दिखाया है, इसीलिए मैं आज स्वयं को रोक न पाई.” उसने सुजाता से कहा.
“सच तो ये है कि जब तक मेहुल के नीचे मैं नहीं आई थी तब तक मैं भी बहुत घमंडी थी. इस लड़के ने मेरी पूरी विचारधारा बदल दी. अब मुझे लगता है कि मुझे इस प्रकार के व्यव्हार की अपेक्षा थी, कि कब कोई आएगा और मुझे मेरा स्थान दिखायेगा. काश, तुम्हारे पापा ये समझ पाते तो तुम सबको इतना सहन न करना पड़ता.” सुजाता ने बोला।
“और मैं चाहूँगी कि बीच बीच में मुझे इस प्रकार का घूँट पिलाया जाये, मुझे इसमें सच में एक आनंद आया, मानो मेरी एक कुँठा जाग्रत हो गई है.”
“ठीक है, आप जब चाहोगी हम आपको ऐसे ही तिरस्कृत करेंगे. मम्मीजी और मेहुल से भी बात कर लेते हैं.”
श्रेया और सुजाता कमरे में आये तो स्मिता और मेहुल यूँ ही बैठे थे. श्रेया ने सुजाता के साथ हुई बात को बताया तो स्मिता ने कहा, “ठीक है. ये "सूजी डार्लिंग" हमारा कोड वर्ड रहेगा. जब भी हम में से किसी को इस प्रकार के आनंद की इच्छा होगी वो इसका प्रयोग कर सकता है. इस के सिवाय हम सब सामान्य रूप से रहेंगे.”
सबको ये सुझाव रुचिकर लगा. इसके बाद एक से गले मिलकर स्मिता, श्रेया स्नान करने चले गए. मेहुल सुजाता को लेकर उसे घर के बाहर छोड़ने आया.
“मेहुल बेटा, मैं तुम्हारा धन्यवाद करती हूँ. और मैं तुम्हारी दासता से कभी मुक्त नहीं होना चाहती. पर स्मिता की बात भी सही है.”
“ओके आंटीजी. अब आप जाइये, आज आपने बहुत कुछ वहन किया है. अब जाकर विश्राम कीजिये.”
सुजाता का घर:
चार दिन बाद:
शाम को सभी भोजन के बाद अपने कमरों में चले गए. सुजाता और अविरल भी अपने कमरे में चले गए. सुजाता बाथरूम में गई तो अविरल अपनी कार से एक बैग लेकर आया. उसे सोफे के एक ओर रख दिया. सुजाता बाहर आई तो उसका पानी से गीला शरीर दमक रहा था. अविरल ने उसे अपने साथ बैठाया और उसके गले में बाँहें डाल दीं.
“क्या बात है, आज बड़ा प्रेम उमड़ रहा है मुझ पर?” सुजाता ने इठलाकर पूछा.
“बात ही कुछ ऐसी है. न जाने क्यों मुझे लगता है कि मेरी वर्षों की दबी इच्छा पूरी होने वाली है.” अविरल ने उसके होंठ चूमकर कहा.
“अच्छा जी. और वो क्या है.”
“बात ये है "सूजी डार्लिंग”,” अविरल ने बैग को उठाकर सामने की टेबल पर रखा, “कि श्रेया ने मुझे तुम्हारी दबी हुई इच्छाओं से अवगत करा दिया है.”
सुजाता अचरज से अपने पति को देखती रही, फिर मुस्कराई और नीचे बैठकर अविरल के पैरों को चाटने लगी. अविरल ने अपने पैर फैला दिए और सोफे पर फैलकर बैठ गया.
उन दोनों के जीवन में नए रंग भरने लगे थे.
और रात अभी शेष थी.
अगले अध्याय में:
महक और स्नेहा के आठ मेहुल की रासलीला.
क्रमशः
Working on Disha.prkin Bhai...dono stories bahut acche hain...isiliye itne views bhi mile hain aapki story ke liye
Congrats!!
Hope next update would be on Disha...look forward to it.
yahi prayas tha bhai.बहुत की कामुक मगर स्यमित अपडेट, ना ज्यादा कुछ अभद्रता ना ज्यादा गली गलौच। सबकुछ एक मर्यादा के भीतर। बहुत ही सुंदर एवम आनंदमय लेखन। धन्यवाद।