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कैसे कैसे परिवार: Chapter 72 is posted
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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Update Posted.Bhai family me piss drinking ka v khel hona chahiye maza aaega.... please bhai story update kro
Update Posted.Bohot mast maza aayga bhai
Agla update jaldi do
Update Posted.Ye to hai lekhak ko apriciation to milna hi chahiye.apke lekhan kaushal ka bahut bahut aabhar bhaiya g.shandaar update.agle ki pratiksha rahegi.
Update Posted.Sir, I always awaits your stories update but I am apologise that I couldn't written throughout about your stories update because anyone can be addict of your stories after read the update and last I want to say about your style to write a story that's excellent
तो सूजी डार्लिंग अब सबके साथ अपने इस नए रूप में आएंगी, जो की बहुत ही जबरदस्त होने वाला है। मजाक भी मेहुल पर मोहित हो ही गई उसके अनुभव और कौशल को देख कर। जबरदस्त अपडेट।आठवाँ घर: स्मिता और विक्रम शेट्टी
अध्याय ८.३.११
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अब तक:
मेहुल ने अपनी माँ स्मिता और भाभी श्रेया की गांड मारने का कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लिया था. इस मेल में उसने सुजाता की दूसरों की अधीनता में सुख पाने की कुंठा को भी अपनी माँ और भाभी को दिखा दिया था. श्रेया ने अपने पिता को इसके बारे में अवगत कराया तो अविरल ने भी अब अपना अधिकार को अपनी पत्नी पर दर्शाने का निर्णय किया.
महक के साथ मिलन में अब मात्र एक ही दिन शेष था, तो स्नेहा के साथ के लिए तीन. पिछले अंक में कहानी जिस स्थान पर रुकी थी वो स्नेहा के मेहुल के साथ वाला दिन था. हम वहीं से आरम्भ करने के बाद महक और स्नेहा के साथ मेहुल के समागम पर लौटेंगे.
“बात ये है "सूजी डार्लिंग”,” अविरल ने बैग को उठाकर सामने की टेबल पर रखा, “कि श्रेया ने मुझे तुम्हारी दबी हुई इच्छाओं से अवगत करा दिया है.”
सुजाता अचरज से अपने पति को देखती रही, फिर मुस्कराई और नीचे बैठकर अविरल के पैरों को चाटने लगी.
अब आगे:
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सुजाता का घर:
अविरल अपनी पत्नी के इस नए रूप में देखकर दुविधा में था. आज तक उसने सुजाता को अन्य लोगों पर एक प्रकार से राज करते हुए ही देखा था. उसने एक और अनुभव किया था. पिछले कुछ दिनों से उसके इस व्यवहार में स्पष्ट रूप से कमी आई थी. और वो पहले से अधिक संतुष्ट भी लग रही थी. क्या उसका वो दुर्व्यवहार का कारण उसकी इस विकृति का पोषित न हो पाना था? क्या अब वो इसीलिए अधिक प्रसन्न है क्योंकि उसे अपना सच्चा रूप दिख गया था?
“सूजी डार्लिंग, उठो और व्हिस्की लेकर आओ. और वो बड़ा कटोरा भी ले आओ जिसमें तुम नमकीन इत्यादि रखती हो. उसे खाली ही लाना.”
सुजाता ने रसोई से वो कटोरा ले आई. साथ में कुछ अल्पाहार भी ले आई. अविरल उसकी अधीनता की सीमा जानना चाहता था. सुजाता ने कटोरा अविरल के सामने रखा फिर व्हिस्की, पानी और दो ग्लास भी ले आई. उसके बाद सुजाता उसके सामने ही घुटनों के बल बैठ गई.
“सूजी डार्लिंग, मैं कुछ नियम बनाना चाहता हूँ. इनका तुम्हें पालन करना होगा. तुम उनके विषय में क्या विचार रखती हो इससे मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता. समझ रही हो न?”
“जी.”
“एक: ये कमरा अब से मेरा और सूजी डार्लिंग का है. इस कमरे में सुजाता के लिए कोई स्थान नहीं है. कमरे के बंद होते ही तुम सूजी डार्लिंग बन जाओगी. ठीक है?”
सुजाता के उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना ही अविरल आगे बोलै, “दो: कमरे के बाहर तुम केवल सुजाता ही रहोगी और इस नाम का कोई अर्थ नहीं होगा. हाँ अगर श्रेया या अन्य किसी को इस विषय में बात करनी हो तो उन्हें इस कमरे में ही आना होगा.”
“तीन: स्मिता और विक्रम के घर में भी ये नियम उनके कमरे में ही उपयोग में आएगा. ये आज श्रेया स्मिता को समझा देगी. इसका अर्थ ये है कि इन दो स्थानों के सिवाय तुम सदा ही सुजाता रहोगी, और इन दो स्थानों में सूजी डार्लिंग. इस व्यवस्था को कुछ समय के लिए केवल तीन लोग ही परिवर्तित कर सकते हैं: मैं, श्रेया और मेहुल.”
सुजाता आश्चर्य से अविरल को देखने लगी. अविरल मुस्कुराया.
“श्रेया ने मुझे बताया कि तुम्हें मेहुल ने ही इस राह पर डाला है, तो मैं उसके अधिकार को तो छीनने से रहा.”
“मैं कुछ कहना चाहती हूँ.” सुजाता बोली.
“मुझे आपके नियम मानने में कोई कठिनाई नहीं है. परन्तु अगर विवेक, स्नेहा और मोहन हमारे साथ रहे जैसे पिछले सप्ताह थे तो क्या होगा?”
“कुछ नहीं होगा, यही नियम रहेगा और तुम सूजी डार्लिंग ही बनी रहोगी. यही स्मिता के घर के लिए भी उपयुक्त है. अन्य परिवार के लोगों को भी इस नियम से अवगत करा दिया जायेगा, जब भी उन्हें जानने की आवश्यकता होगी.”
“और अंतिम नियम: ये रूप केवल हमारे परिवार के साथ ही होगा। बाहरी किसी भी व्यक्ति, चाहे वो समुदाय का ही क्यों न हो, इस रूप के दर्शन नहीं करेगा.”
“आप बच्चों के सामने मुझे सूजी डार्लिंग बनाये रखेंगे?”
“मुझे विश्वास है कि तुम्हें भी इसमें अत्यधिक आनंद आएगा. क्या श्रेया की दासी बनना तुम्हें अच्छा नहीं लगा था?”
“लगा था. आप ठीक कह रहे हैं. और इन नियमों के कारण कभी भी स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं होगी.”
सुजाता अब अत्यधिक उत्तेजित होने लगी थी. अगर उसके परिवार वाले भी उसे इस प्रकार से उपयोग करेंगे तो उसकी हर दबी इच्छा पूरी हो सकेगी.
“गुड गर्ल सूजी डार्लिंग. आओ इस नए जीवन के लिए एक एक पेग हो जाये.”
सुजाता उठकर पेग बनाने लगी. पहला पेग बनाते ही अविरल ने उसे रोक दिया. वो सुजाता की सीमा की जाँच करना चाहता था.
“ये मेरा ग्लास है. तुम्हारे लिए मेरे पास एक नया विचार है.”
सुजाता उसे देखने लगी. अविरल ने कटोरा उठाया और उसे थमा दिया.
“मेरे पैरों को व्हिस्की से धोकर उसे ग्लास में डालकर पीना, सूजी डार्लिंग.”
सुजाता के शरीर में एक झुरझुरी सी हुई. इस प्रकार के तिरिस्कार उसने कल्पना भी नहीं की थी.
“और आगे भी पहले मेरे पाँव धोया करोगी, इसी प्रकार से.”
“जी.”
सुजाता ने एक गिलास में व्हिस्की डाली और कटोरे को नीचे रखकर अविरल के पाँव धोये और फिर उस व्हिस्की को ग्लास में डाल लिया.
“गुड, गुड, चीयर्स माई डियर सूजी डार्लिंग!”
अविरल को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया था.
**********
दो दिन पहले:
मेहुल और महक:
महक आज बहुत चहक रही थी. सुबह नाश्ते के समय भी उसके इस हर्ष का अनुमान लग गया था. मेहुल शांत था, पर उसे महक की आँखों में दिख रहा था कि वो उसे ही देख रही थी.
“तो मेहुल, तुम्हारा आज का क्या कार्यक्रम है?” विक्रम ने पूछा.
“जैसे आपको पता न हो? आप भी न!” स्मिता ने हंसकर कहा.
“अरे भाई, पूछने में क्या जाता है? क्यों महक?” विक्रम भी हंस पड़ा, पर महक का चेहरा लाल हो गया.
“देखो कैसे लाल हो गए हैं इसके गाल.” विक्रम ने हँसते हुए कहा.
“पापा. आप बहुत बुरे हो. मैं आपसे बात नहीं करती. मम्मी, बस आप ही मेरी फ्रेंड हो.” महक ने रूठने का नाटक किया.
“अब देखें शाम तक चेहरा ही लाल रहेगा या कुछ और भी लाल लाल हो जायेगा. क्यों महक?”
“मम्मा, आप भी पापा के साथ हो गयीं. अब मेरा क्या होगा?” महक ने रुंआसे स्वर में पूछा।
“क्या हो गया भई हमारी प्यारी नंद को?” श्रेया भी आ गई तो पूछने लगी.
स्मिता ने बताया तो श्रेया भी हंसने लगी. वो महक के कान के पास गई और फुसफुसाई, “अगर कहो तो पहले मैं कुछ तेल वेल लगा दूँ, कहीं सूज न जाये तुम्हारी….”
“मैं जा रही हूँ, इस घर में मेरा कोई भी नहीं है.” महक उठते हुए बोली, हालाँकि उसके मन में भी लड्डू फूट रहे थे.
“अरे रुको, दीदी. नाश्ता कर के जाओ. फिर न जाने कब मिले? चलो मैं चलता हूँ साथ.” मेहुल ने उसके हाथ को पकड़ा और बैठा लिया.
“अब तू कह रहा है तो रुक जाती हूँ. नहीं तो चली ही जाने वाली थी.”
“चलो, अच्छा हुआ. अब वैसे भी विवाह के बाद तू अपने ससुराल जो चली जाएगी. फिर हमारी याद कहाँ आनी है,” श्रेया ने कहा.
“ऐसा मत कहो भाभी.”
“अच्छा अब ये बताओ कि क्या है आज का कार्यक्रम?”
स्मिता: “मैं और श्रेया तो इसके मायके जा रहे हैं. सुजाता के साथ फिर उसके चुनाव में सहायता करने के लिए. आप और मोहन अपने काम पर जाओ. और महक और मेहुल अपने कार्य को पूरा करेंगे.”
नाश्ते के बाद स्मिता ने मेहुल को पास बुलाया. “मेहुल बेटा, महक का ध्यान रखना. तेरा लंड बहुत लम्बा और मोटा है. उसे चोट न पहुंचे. वैसे भी अब वो कुछ ही दिनों में पराई भी हो जाएगी.”
मेहुल, “मम्मी, आप बिल्कुल भी चिंता न करो. दीदी को कुछ नहीं होगा. ये मेरा वचन है.”
ग्यारह बजे तक विक्रम, मोहन, श्रेया और स्मिता निकल गए. मेहुल बैठक में ही बैठा रहा, वो महक दीदी के बुलावे के लिए ठहरा हुआ था. आधे घटे बाद महक भी आई तो मेहुल उसे ठगा सा देखता रह गया. महक ने बहुत सुंदर कपड़े पहने थे और उत्कृष्ट मेकअप किया हुआ था. उसकी सुंदरता इस समय चन्द्रमा को भी पीछे छोड़ रही थी. मेहुल को यूँ तकते देख वो शर्मा गयी.
“क्या देख रहा है, भाई?”
“दीदी, तुम कितनी सुंदर हो. असीम कितना भाग्यशाली हैं.”
महक आगे बढ़कर मेहुल के गले लग गयी. “आई लव यू.”
“आई लव यू, टू.”
“चलो मेरे कमरे में.” महक ने मेहुल के हाथ को पकड़ा और एक नयी यात्रा के लिए दोनों चल पड़े.
मेहुल के मन में एक ही भावना थी. वो आज महक को ऐसा सुख देना चाहता था जिसे वो जन्म जन्मांतर तक न भूले. आज वो अपनी उन सारी प्रशिक्षिकाओं के अनुभव के निचोड़ का उपयोग करने वाला था. महक भी मन में ऐसा ही कुछ विचार कर रही थी. उसके मन में ये था कि वो मेहुल को अपने प्रेम से इतना आनंदित कर देगी कि उसे पिछले दिनों में जो भी अनुभव हुआ है उसे वो भूल जायेगा. उसे ये नहीं पता था कि मेहुल इस खेल में दो साल से लिप्त था और उसका अनुभव ऐसी अनुभवी और परिपक़्व महिलाओं के साथ था जो महक से कोसों आगे थीं.
महक के कमरे में जाते ही मेहुल के नथुनों में एक सुगंध भर गयी. महक ने उसके इस संगम के लिए एक सुंदर वातावरण बनाया था. मेहुल का मन अपनी दीदी के इस प्रेम से विव्हल हो गया. महक ने उसकी ओर मुड़कर उसे अपनी बाँहों में भर लिया.
महक, “मुझे जब ये पता चला था कि समुदाय में जाने के बाद एक दिन मुझे तुम्हारे साथ भी सम्भोग का अवसर मिलेगा तो मुझे स्वयं पर संशय होने लगा था. तब तुम अठारह वर्ष के थे और ऐसा सोचना भी मुझे पाप लगा था. पर जैसे समय निकला, मैंने तुम्हारे बारे में भी सोचना आरम्भ किया तो कई दिन तो मैं केवल तुम्हें ही अपने साथ होने की कल्पना करती थी.”
मेहुल ये नहीं बता सका कि उसके मन में परिवार की किसी भी स्त्री के लिए मन में कभी ऐसे विचार भी आये हों. वो अपनी अन्य महिला मित्रों से ही संतुष्ट था. पर वो महक की बात सुन रहा था.
“उस दिन जब तुमने भैया, भाभी और स्नेहा को पकड़ा तो मुझे लगा था कि मेरी इच्छा कभी पूर्ण न होगी, और तुम हमें छोड़कर चले जाओगे. जब तुमने मम्मी के साथ जाने का निर्णय लिया तो मेरे मन को इतनी शांति मिली थी कि मैं रात भर सोई नहीं थी. और आज मैं तुम्हारे साथ हूँ. मुझे चुदाई का बहुत अनुभव नहीं है. घर में ही मैं अधिक चुदाई करती हूँ. समुदाय में जहाँ मेरी सहेलियाँ हर दूसरे दिन किसी न किसी से चुदवाती हैं, मैं इसमें बहुत कोताही करती हूँ. जो समुदाय के नियमों के लिए आवश्यक है केवल उतनी.”
मेहुल: “एक बात का मैं भी समर्थन करता हूँ. मुझे समुदाय में अत्यधिक रूचि नहीं है. पर क्योंकि ये हम सबके लिए नितांत आवश्यक है तो मैं भी उतना ही भाग लूँगा जितना न्यूनतम है.”
महक: “अब असीम के साथ विवाह भी होने वाला है. उनके परिवार में तो और भी अधिक ही चुदाई का वातावरण है. तो मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलने वाला है. पर जो भी मैं जानती हूँ, मैं उसे हम दोनों के सुख के लिए प्रयोग में लाना चाहती हूँ.”
मेहुल ने जब महक की बात सुनी तो उसने भी अपने पिछले दो वर्षों के बारे में उसे संक्षेप में बताया. महक को अचरज इस बात का हुआ कि मेहुल इतनी चतुरता से अपने इस रूप को सबसे छुपा सका था. उसे भी लगा कि मेहुल के अनुभव से उसे भी कुछ नया अनुभव होने वाला है.
महक: “तो मेरा छोटा भाई उतना भी अनुभवहीन नहीं है जितना सब समझते हैं. पर इस बात को जिस चतुराई से छुपाया है वो भी प्रशंसनीय है.”
मेहुल: “मैं नहीं चाहता था कि मेरे इस चरित्र का किसी को पता चले. मुझे क्या पता था कि यहाँ तो सब चार कदम आगे थे.” कहते हुए वो हंस पड़ा.
उसके हाथ महक की पीठ को सहला रहे थे. महक ने अपना चेहरा उठाया तो मेहुल ने उसे चूम लिया. और मानो दोनों को शरीर में बिजली सी कौंध गयी. एक दूसरे को वो चूमने लगे और मेहुल की जीभ ने महक के मुंह में हलचल मचा दी.
मेहुल: “मुझे आपको अच्छे से देखना और प्यार करना है. कपड़े उतार देते हैं.”
महक: “मेरे मन की बात.”
और दोनों पलक झपकते ही एक दूसरे के सामने नंगे हो गए. एक दूसरे के शरीर आज पहली बार इतनी निकटता से देखे थे, वो भी बिना वस्त्रों के बंधन के तो कुछ समय तक तो एक दूसरे को देखते ही रहे. महक सुंदरता की प्रतिमा थी तो मेहुल युवा शक्ति का नमूना. महक ने जब मेहुल के लंड को देखा तो वो सहम गई. अभी तक लंड पूरा खड़ा भी नहीं हुआ था फिर भी वो बहुत भयानक सा लग रहा था.
“भाई, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है. क्या ये मेरी चूत में जा पायेगा?”
“दीदी, बिलकुल जायेगा.” मेहुल ने महक को बाँहों में लेकर चूमा, “और आपको मैं इस प्रकार से चोदुँगा कि आपको केवल आनंद का अनुभव होगा.”
महक कुछ सोचते हुए, “हाँ, मैं समझती हूँ. फिर भी डर लग रहा है.”
“आप मुँह पर विश्वास कर सकती हो.”
“मैं जानती हूँ.”
मेहुल ने महक को बिस्तर पर बैठाया और फिर धीरे से लिटा दिया. एक बार महक के लेटते ही उसके पाँव चौड़े करते हुए वो उनके बीच में खिली हुई चूत को देखने लगा. उसे न जाने क्यों पैंतीस वर्ष के ऊपर की ही स्त्रियों में अधिक रूचि थी. मेहुल ने दो तीन अपनी आयु की लड़कियों को भी चोदा था, पर जो आकर्षण उसे महक की चूत में दिख रहा था वो पहले कभी न हुआ था. उसके बीच में अपने सिर को रखते हुए उसने एक गहरी साँस लेते हुए उसकी चूत की मादक सुगंध को सूँघा। फिर अपनी जीभ से उसे चाटना आरम्भ किया.
“ओह, मेहुल!” महक ने सिसकारी ली. और अपने भाई के सिर पर प्यार से हाथ फिराने लगी. मेहुल भी पूरे मन से महक की चूत के रस को चाट रहा था और महक की चूत भी उसे पर्याप्त रस दे रही थी. ऐसा लग रहा था मानो महक की चूत कोई नहर या नदी थी जिसमे जल की कोई कमी न थी. मेहुल ने भी अपनी जीभ को इस बहती हुई नदी में और अंदर धकेला और महक की चूत के जितना सम्भव हो उतना अंदर तक चाटने का प्रयास किया.
महक को भी एक अद्भुत आनंद आ रहा था. उसने तो सोचा था कि मेहुल अनाड़ी होगा, पर उसके कार्यकलापों ने सिद्ध कर दिया था कि इससे बड़ा खिलाड़ी सम्भवतः उसके संसर्ग में अब तक नहीं आया था. मेहुल के सिर पर हाथ फिराते हुए वो अपनी जाँघें चौड़ी किये हुए मेहुल की जादुई जीभ की प्रतिभा का आनंद ले रही थी.
मेहुल वैसे तो जीवन भर ये रस पी सकता था, पर आज उसके मन में अन्य ही लक्ष्य था. उसने सर उठाकर महक को देखा तो महक उसके बालों में हाथ घुमाते हुए उसे अत्यधिक प्रेम से देख रही थी. मानो वासना का एक कण भी न हो. दोनों की आँखें मिलीं तो महक मुस्कुराई.
“दी….” मेहुल ने इतना ही कहा था कि महक ने उसे रोक दिया. “अब मुझे भी तेरे लंड का स्वाद लेने दे. देखूं तो मेरा भाई जो इतना बड़ा लंड लेकर घूम रहा था मेरे मुंह में समायेगा या नहीं?”
मेहुल उठ गया और महक वहीं बिस्तर पर बैठ गई. मेहुल का विशाल लंड इस समय तमतमाया हुआ था और महक एक बार तो डर ही गई. परन्तु उसने हार न मानी और सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराई। लंड ने झटका मारा और उसके इस कार्य का स्वागत किया. लंड को चाटते हुए महक का आत्मविश्वास भी बढ़ने लगा और वो और तेज गति से लंड को चाटने लगी. फिर उसने अपने मुंह में लिया और पूरे भरे मुंह से उसे चूसने का प्रयास करने लगी. कुछ देर में उसका मुंह मेहुल के लंड का अभ्यस्त हो गया और फिर महक ने पूरे प्रेम से मेहुल के लंड की चूसा.
पर दोनों भाई बहन के शरीर मिलने के लिए आतुर थे. महक की चूत अब और संयम नहीं रख सकती थी और न ही मेहुल के लंड को अब सहन हो रहा था. महक ने लंड को मुंह से निकाला और फिर मेहुल को देखा. मेहुल उसकी निशब्द भाषा को समझ गया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया.
“धीरे करना, तेरा लंड बहुत बड़ा है.” महक ने प्रार्थना की.
“दीदी, आप चिंता न करो. बस आनंद लो. सम्भव है कि कुछ कष्ट हो, पर वो क्षणिक ही होगा. ये मेरा वचन है.”
मेहुल ने एक बार फिर महक की चूत को देखा और उसे चाटने से स्वयं को रोक न पाया. दो तीन मिनट उसे चाटकर जब उसे शांति मिली तो उसने अपने लंड को चूत पर लगाया.
“धीरे” महक ने अंतिम बार कहा.
मेहुल ने कुछ न बोला और लंड को महक की चूत में बहुत सहज गति से अंदर डाल दिया. महक ने एक सिसकारी ली, और अपने पैरों को फैला दिया. महक को चूत में मेहुल की यात्रा आगे बढ़ती रही. पर आधे लंड के अंदर समाने के बाद वो ठहर गया. अब उसने लंड को आगे पीछे करना आरम्भ किया और महक को आनंद आने लगा. मेहुल स्वयं पर अंकुश लगाए था. और इसी प्रकार से वो कुछ समय तक चोदता रहा. जब उसे लगा कि महक की चूत में आगे बढ़ा जा सकता है तो धीरे धीरे वो और अंदर तक जाने लगा.
सधे हुए धक्के और शांत रूप से चल रहे इस सम्भोग में महक को कोई भी असहजता नहीं हुई. हालाँकि उसे मेहुल के इस नियंत्रण पर आश्चर्य और गर्व अवश्य हुआ. वो आनंद के सागर में डूबती उभरती रही और मेहुल अपने लंड को उसकी चूत में एक सतत गति से चलाता रहा. महक के शरीर ने एक झुरझुरी के साथ अपने पहले स्खलन की घोषणा की. मेहुल के लंड ने अपना पूरा लक्ष्य प्राप्त कर लिया था और उसके लंड की ठोकर के साथ ही महक के शरीर ने इसका स्वागत किया था.
मेहुल एक निश्चित योजना के साथ महक को पूरे लौड़े के साथ चोदने लगा, गति भी ऐसी थी कि महक हर कुछ देर में झड़ जाती थी. कई दिनों से इस प्रकार की चुदाई से उसका नाता नहीं रहा था. उसे चुदाई और सम्भोग का अंतर भी समझ आया. जो मेहुल कर रहा था वो सम्भोग था, चुदाई नहीं.
मेहुल भी ये जानता था कि दीदी की पहली चुदाई में प्रेम होना आवश्यक था. चुदाई तो इसके बाद भी की जा सकती थी. दोनों भाई बहन इस यात्रा के नए राही थे और दोनों उसका पूर्ण आनंद ले रहे थे.
दोनों भाई बहन इसी प्रकार से प्रगाढ़ प्रेम के साथ सम्भोग में न जाने कितनी ही देर तक लीन रहे. महक को ये सम्भोग सदा के लिए स्मरण रहने वाला था. मेहुल भी इसी प्रकार के भावों में खोया था. अब जिस सरलता और चपलता से उसका लंड महक की चूत में चल रहा था उसका कारण महक की चूत से बहती हुई रस की निरंतर धारा थी. मेहुल भी अब अपने चरम पर पहुंच चुका था और झड़ने की कगार पर था. उसने महक से पूछना आवश्यक नहीं समझा और उसे केवल एक चेतावनी ही दी.
महक ने कोई उत्तर नहीं दिया और इस लम्बी दौड़ के समापन पर मेहुल ने अपना रस महक की चूत में छोड़ दिया. दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और फिर मेहुल महक के साथ लेट गया जहाँ उनके होंठ एक दूसरे से अलग नहीं हुए.
फिर एक दूसरे के होंठों के छोड़कर एक दूसरे की आँखों में देखते हुए उनकी मुस्कुराहट ने अपना प्रेम दर्शा दिया.
महक ने पहले बात बोल, “वाओ, मेहुल, तुम तो सच में अद्भुत हो. मुझे तुम्हारे लंड से एक बार भी कोई पीड़ा नहीं हुई.”
मेहुल, “मैंने तो पहले ही कहा था.”
महक: “हाँ. पर अब मुझे अगली बार जोर से जम कर चोदना, मुझे भी तो पता चले कि मेरे भाई के पीछे इतनी स्त्रियाँ क्यों मरती हैं.”
मेहुल: “बिलकुल, दी. जाइए आप चाहो.”
अध्याय समाप्त
क्रमशः
Brilliant update bhai... Bhai aur bahan ka milan kafi kamuk aur uttezit karne wala tha keep it upआठवाँ घर: स्मिता और विक्रम शेट्टी
अध्याय ८.३.११
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अब तक:
मेहुल ने अपनी माँ स्मिता और भाभी श्रेया की गांड मारने का कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लिया था. इस मेल में उसने सुजाता की दूसरों की अधीनता में सुख पाने की कुंठा को भी अपनी माँ और भाभी को दिखा दिया था. श्रेया ने अपने पिता को इसके बारे में अवगत कराया तो अविरल ने भी अब अपना अधिकार को अपनी पत्नी पर दर्शाने का निर्णय किया.
महक के साथ मिलन में अब मात्र एक ही दिन शेष था, तो स्नेहा के साथ के लिए तीन. पिछले अंक में कहानी जिस स्थान पर रुकी थी वो स्नेहा के मेहुल के साथ वाला दिन था. हम वहीं से आरम्भ करने के बाद महक और स्नेहा के साथ मेहुल के समागम पर लौटेंगे.
“बात ये है "सूजी डार्लिंग”,” अविरल ने बैग को उठाकर सामने की टेबल पर रखा, “कि श्रेया ने मुझे तुम्हारी दबी हुई इच्छाओं से अवगत करा दिया है.”
सुजाता अचरज से अपने पति को देखती रही, फिर मुस्कराई और नीचे बैठकर अविरल के पैरों को चाटने लगी.
अब आगे:
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सुजाता का घर:
अविरल अपनी पत्नी के इस नए रूप में देखकर दुविधा में था. आज तक उसने सुजाता को अन्य लोगों पर एक प्रकार से राज करते हुए ही देखा था. उसने एक और अनुभव किया था. पिछले कुछ दिनों से उसके इस व्यवहार में स्पष्ट रूप से कमी आई थी. और वो पहले से अधिक संतुष्ट भी लग रही थी. क्या उसका वो दुर्व्यवहार का कारण उसकी इस विकृति का पोषित न हो पाना था? क्या अब वो इसीलिए अधिक प्रसन्न है क्योंकि उसे अपना सच्चा रूप दिख गया था?
“सूजी डार्लिंग, उठो और व्हिस्की लेकर आओ. और वो बड़ा कटोरा भी ले आओ जिसमें तुम नमकीन इत्यादि रखती हो. उसे खाली ही लाना.”
सुजाता ने रसोई से वो कटोरा ले आई. साथ में कुछ अल्पाहार भी ले आई. अविरल उसकी अधीनता की सीमा जानना चाहता था. सुजाता ने कटोरा अविरल के सामने रखा फिर व्हिस्की, पानी और दो ग्लास भी ले आई. उसके बाद सुजाता उसके सामने ही घुटनों के बल बैठ गई.
“सूजी डार्लिंग, मैं कुछ नियम बनाना चाहता हूँ. इनका तुम्हें पालन करना होगा. तुम उनके विषय में क्या विचार रखती हो इससे मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता. समझ रही हो न?”
“जी.”
“एक: ये कमरा अब से मेरा और सूजी डार्लिंग का है. इस कमरे में सुजाता के लिए कोई स्थान नहीं है. कमरे के बंद होते ही तुम सूजी डार्लिंग बन जाओगी. ठीक है?”
सुजाता के उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना ही अविरल आगे बोलै, “दो: कमरे के बाहर तुम केवल सुजाता ही रहोगी और इस नाम का कोई अर्थ नहीं होगा. हाँ अगर श्रेया या अन्य किसी को इस विषय में बात करनी हो तो उन्हें इस कमरे में ही आना होगा.”
“तीन: स्मिता और विक्रम के घर में भी ये नियम उनके कमरे में ही उपयोग में आएगा. ये आज श्रेया स्मिता को समझा देगी. इसका अर्थ ये है कि इन दो स्थानों के सिवाय तुम सदा ही सुजाता रहोगी, और इन दो स्थानों में सूजी डार्लिंग. इस व्यवस्था को कुछ समय के लिए केवल तीन लोग ही परिवर्तित कर सकते हैं: मैं, श्रेया और मेहुल.”
सुजाता आश्चर्य से अविरल को देखने लगी. अविरल मुस्कुराया.
“श्रेया ने मुझे बताया कि तुम्हें मेहुल ने ही इस राह पर डाला है, तो मैं उसके अधिकार को तो छीनने से रहा.”
“मैं कुछ कहना चाहती हूँ.” सुजाता बोली.
“मुझे आपके नियम मानने में कोई कठिनाई नहीं है. परन्तु अगर विवेक, स्नेहा और मोहन हमारे साथ रहे जैसे पिछले सप्ताह थे तो क्या होगा?”
“कुछ नहीं होगा, यही नियम रहेगा और तुम सूजी डार्लिंग ही बनी रहोगी. यही स्मिता के घर के लिए भी उपयुक्त है. अन्य परिवार के लोगों को भी इस नियम से अवगत करा दिया जायेगा, जब भी उन्हें जानने की आवश्यकता होगी.”
“और अंतिम नियम: ये रूप केवल हमारे परिवार के साथ ही होगा। बाहरी किसी भी व्यक्ति, चाहे वो समुदाय का ही क्यों न हो, इस रूप के दर्शन नहीं करेगा.”
“आप बच्चों के सामने मुझे सूजी डार्लिंग बनाये रखेंगे?”
“मुझे विश्वास है कि तुम्हें भी इसमें अत्यधिक आनंद आएगा. क्या श्रेया की दासी बनना तुम्हें अच्छा नहीं लगा था?”
“लगा था. आप ठीक कह रहे हैं. और इन नियमों के कारण कभी भी स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं होगी.”
सुजाता अब अत्यधिक उत्तेजित होने लगी थी. अगर उसके परिवार वाले भी उसे इस प्रकार से उपयोग करेंगे तो उसकी हर दबी इच्छा पूरी हो सकेगी.
“गुड गर्ल सूजी डार्लिंग. आओ इस नए जीवन के लिए एक एक पेग हो जाये.”
सुजाता उठकर पेग बनाने लगी. पहला पेग बनाते ही अविरल ने उसे रोक दिया. वो सुजाता की सीमा की जाँच करना चाहता था.
“ये मेरा ग्लास है. तुम्हारे लिए मेरे पास एक नया विचार है.”
सुजाता उसे देखने लगी. अविरल ने कटोरा उठाया और उसे थमा दिया.
“मेरे पैरों को व्हिस्की से धोकर उसे ग्लास में डालकर पीना, सूजी डार्लिंग.”
सुजाता के शरीर में एक झुरझुरी सी हुई. इस प्रकार के तिरिस्कार उसने कल्पना भी नहीं की थी.
“और आगे भी पहले मेरे पाँव धोया करोगी, इसी प्रकार से.”
“जी.”
सुजाता ने एक गिलास में व्हिस्की डाली और कटोरे को नीचे रखकर अविरल के पाँव धोये और फिर उस व्हिस्की को ग्लास में डाल लिया.
“गुड, गुड, चीयर्स माई डियर सूजी डार्लिंग!”
अविरल को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया था.
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दो दिन पहले:
मेहुल और महक:
महक आज बहुत चहक रही थी. सुबह नाश्ते के समय भी उसके इस हर्ष का अनुमान लग गया था. मेहुल शांत था, पर उसे महक की आँखों में दिख रहा था कि वो उसे ही देख रही थी.
“तो मेहुल, तुम्हारा आज का क्या कार्यक्रम है?” विक्रम ने पूछा.
“जैसे आपको पता न हो? आप भी न!” स्मिता ने हंसकर कहा.
“अरे भाई, पूछने में क्या जाता है? क्यों महक?” विक्रम भी हंस पड़ा, पर महक का चेहरा लाल हो गया.
“देखो कैसे लाल हो गए हैं इसके गाल.” विक्रम ने हँसते हुए कहा.
“पापा. आप बहुत बुरे हो. मैं आपसे बात नहीं करती. मम्मी, बस आप ही मेरी फ्रेंड हो.” महक ने रूठने का नाटक किया.
“अब देखें शाम तक चेहरा ही लाल रहेगा या कुछ और भी लाल लाल हो जायेगा. क्यों महक?”
“मम्मा, आप भी पापा के साथ हो गयीं. अब मेरा क्या होगा?” महक ने रुंआसे स्वर में पूछा।
“क्या हो गया भई हमारी प्यारी नंद को?” श्रेया भी आ गई तो पूछने लगी.
स्मिता ने बताया तो श्रेया भी हंसने लगी. वो महक के कान के पास गई और फुसफुसाई, “अगर कहो तो पहले मैं कुछ तेल वेल लगा दूँ, कहीं सूज न जाये तुम्हारी….”
“मैं जा रही हूँ, इस घर में मेरा कोई भी नहीं है.” महक उठते हुए बोली, हालाँकि उसके मन में भी लड्डू फूट रहे थे.
“अरे रुको, दीदी. नाश्ता कर के जाओ. फिर न जाने कब मिले? चलो मैं चलता हूँ साथ.” मेहुल ने उसके हाथ को पकड़ा और बैठा लिया.
“अब तू कह रहा है तो रुक जाती हूँ. नहीं तो चली ही जाने वाली थी.”
“चलो, अच्छा हुआ. अब वैसे भी विवाह के बाद तू अपने ससुराल जो चली जाएगी. फिर हमारी याद कहाँ आनी है,” श्रेया ने कहा.
“ऐसा मत कहो भाभी.”
“अच्छा अब ये बताओ कि क्या है आज का कार्यक्रम?”
स्मिता: “मैं और श्रेया तो इसके मायके जा रहे हैं. सुजाता के साथ फिर उसके चुनाव में सहायता करने के लिए. आप और मोहन अपने काम पर जाओ. और महक और मेहुल अपने कार्य को पूरा करेंगे.”
नाश्ते के बाद स्मिता ने मेहुल को पास बुलाया. “मेहुल बेटा, महक का ध्यान रखना. तेरा लंड बहुत लम्बा और मोटा है. उसे चोट न पहुंचे. वैसे भी अब वो कुछ ही दिनों में पराई भी हो जाएगी.”
मेहुल, “मम्मी, आप बिल्कुल भी चिंता न करो. दीदी को कुछ नहीं होगा. ये मेरा वचन है.”
ग्यारह बजे तक विक्रम, मोहन, श्रेया और स्मिता निकल गए. मेहुल बैठक में ही बैठा रहा, वो महक दीदी के बुलावे के लिए ठहरा हुआ था. आधे घटे बाद महक भी आई तो मेहुल उसे ठगा सा देखता रह गया. महक ने बहुत सुंदर कपड़े पहने थे और उत्कृष्ट मेकअप किया हुआ था. उसकी सुंदरता इस समय चन्द्रमा को भी पीछे छोड़ रही थी. मेहुल को यूँ तकते देख वो शर्मा गयी.
“क्या देख रहा है, भाई?”
“दीदी, तुम कितनी सुंदर हो. असीम कितना भाग्यशाली हैं.”
महक आगे बढ़कर मेहुल के गले लग गयी. “आई लव यू.”
“आई लव यू, टू.”
“चलो मेरे कमरे में.” महक ने मेहुल के हाथ को पकड़ा और एक नयी यात्रा के लिए दोनों चल पड़े.
मेहुल के मन में एक ही भावना थी. वो आज महक को ऐसा सुख देना चाहता था जिसे वो जन्म जन्मांतर तक न भूले. आज वो अपनी उन सारी प्रशिक्षिकाओं के अनुभव के निचोड़ का उपयोग करने वाला था. महक भी मन में ऐसा ही कुछ विचार कर रही थी. उसके मन में ये था कि वो मेहुल को अपने प्रेम से इतना आनंदित कर देगी कि उसे पिछले दिनों में जो भी अनुभव हुआ है उसे वो भूल जायेगा. उसे ये नहीं पता था कि मेहुल इस खेल में दो साल से लिप्त था और उसका अनुभव ऐसी अनुभवी और परिपक़्व महिलाओं के साथ था जो महक से कोसों आगे थीं.
महक के कमरे में जाते ही मेहुल के नथुनों में एक सुगंध भर गयी. महक ने उसके इस संगम के लिए एक सुंदर वातावरण बनाया था. मेहुल का मन अपनी दीदी के इस प्रेम से विव्हल हो गया. महक ने उसकी ओर मुड़कर उसे अपनी बाँहों में भर लिया.
महक, “मुझे जब ये पता चला था कि समुदाय में जाने के बाद एक दिन मुझे तुम्हारे साथ भी सम्भोग का अवसर मिलेगा तो मुझे स्वयं पर संशय होने लगा था. तब तुम अठारह वर्ष के थे और ऐसा सोचना भी मुझे पाप लगा था. पर जैसे समय निकला, मैंने तुम्हारे बारे में भी सोचना आरम्भ किया तो कई दिन तो मैं केवल तुम्हें ही अपने साथ होने की कल्पना करती थी.”
मेहुल ये नहीं बता सका कि उसके मन में परिवार की किसी भी स्त्री के लिए मन में कभी ऐसे विचार भी आये हों. वो अपनी अन्य महिला मित्रों से ही संतुष्ट था. पर वो महक की बात सुन रहा था.
“उस दिन जब तुमने भैया, भाभी और स्नेहा को पकड़ा तो मुझे लगा था कि मेरी इच्छा कभी पूर्ण न होगी, और तुम हमें छोड़कर चले जाओगे. जब तुमने मम्मी के साथ जाने का निर्णय लिया तो मेरे मन को इतनी शांति मिली थी कि मैं रात भर सोई नहीं थी. और आज मैं तुम्हारे साथ हूँ. मुझे चुदाई का बहुत अनुभव नहीं है. घर में ही मैं अधिक चुदाई करती हूँ. समुदाय में जहाँ मेरी सहेलियाँ हर दूसरे दिन किसी न किसी से चुदवाती हैं, मैं इसमें बहुत कोताही करती हूँ. जो समुदाय के नियमों के लिए आवश्यक है केवल उतनी.”
मेहुल: “एक बात का मैं भी समर्थन करता हूँ. मुझे समुदाय में अत्यधिक रूचि नहीं है. पर क्योंकि ये हम सबके लिए नितांत आवश्यक है तो मैं भी उतना ही भाग लूँगा जितना न्यूनतम है.”
महक: “अब असीम के साथ विवाह भी होने वाला है. उनके परिवार में तो और भी अधिक ही चुदाई का वातावरण है. तो मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलने वाला है. पर जो भी मैं जानती हूँ, मैं उसे हम दोनों के सुख के लिए प्रयोग में लाना चाहती हूँ.”
मेहुल ने जब महक की बात सुनी तो उसने भी अपने पिछले दो वर्षों के बारे में उसे संक्षेप में बताया. महक को अचरज इस बात का हुआ कि मेहुल इतनी चतुरता से अपने इस रूप को सबसे छुपा सका था. उसे भी लगा कि मेहुल के अनुभव से उसे भी कुछ नया अनुभव होने वाला है.
महक: “तो मेरा छोटा भाई उतना भी अनुभवहीन नहीं है जितना सब समझते हैं. पर इस बात को जिस चतुराई से छुपाया है वो भी प्रशंसनीय है.”
मेहुल: “मैं नहीं चाहता था कि मेरे इस चरित्र का किसी को पता चले. मुझे क्या पता था कि यहाँ तो सब चार कदम आगे थे.” कहते हुए वो हंस पड़ा.
उसके हाथ महक की पीठ को सहला रहे थे. महक ने अपना चेहरा उठाया तो मेहुल ने उसे चूम लिया. और मानो दोनों को शरीर में बिजली सी कौंध गयी. एक दूसरे को वो चूमने लगे और मेहुल की जीभ ने महक के मुंह में हलचल मचा दी.
मेहुल: “मुझे आपको अच्छे से देखना और प्यार करना है. कपड़े उतार देते हैं.”
महक: “मेरे मन की बात.”
और दोनों पलक झपकते ही एक दूसरे के सामने नंगे हो गए. एक दूसरे के शरीर आज पहली बार इतनी निकटता से देखे थे, वो भी बिना वस्त्रों के बंधन के तो कुछ समय तक तो एक दूसरे को देखते ही रहे. महक सुंदरता की प्रतिमा थी तो मेहुल युवा शक्ति का नमूना. महक ने जब मेहुल के लंड को देखा तो वो सहम गई. अभी तक लंड पूरा खड़ा भी नहीं हुआ था फिर भी वो बहुत भयानक सा लग रहा था.
“भाई, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है. क्या ये मेरी चूत में जा पायेगा?”
“दीदी, बिलकुल जायेगा.” मेहुल ने महक को बाँहों में लेकर चूमा, “और आपको मैं इस प्रकार से चोदुँगा कि आपको केवल आनंद का अनुभव होगा.”
महक कुछ सोचते हुए, “हाँ, मैं समझती हूँ. फिर भी डर लग रहा है.”
“आप मुँह पर विश्वास कर सकती हो.”
“मैं जानती हूँ.”
मेहुल ने महक को बिस्तर पर बैठाया और फिर धीरे से लिटा दिया. एक बार महक के लेटते ही उसके पाँव चौड़े करते हुए वो उनके बीच में खिली हुई चूत को देखने लगा. उसे न जाने क्यों पैंतीस वर्ष के ऊपर की ही स्त्रियों में अधिक रूचि थी. मेहुल ने दो तीन अपनी आयु की लड़कियों को भी चोदा था, पर जो आकर्षण उसे महक की चूत में दिख रहा था वो पहले कभी न हुआ था. उसके बीच में अपने सिर को रखते हुए उसने एक गहरी साँस लेते हुए उसकी चूत की मादक सुगंध को सूँघा। फिर अपनी जीभ से उसे चाटना आरम्भ किया.
“ओह, मेहुल!” महक ने सिसकारी ली. और अपने भाई के सिर पर प्यार से हाथ फिराने लगी. मेहुल भी पूरे मन से महक की चूत के रस को चाट रहा था और महक की चूत भी उसे पर्याप्त रस दे रही थी. ऐसा लग रहा था मानो महक की चूत कोई नहर या नदी थी जिसमे जल की कोई कमी न थी. मेहुल ने भी अपनी जीभ को इस बहती हुई नदी में और अंदर धकेला और महक की चूत के जितना सम्भव हो उतना अंदर तक चाटने का प्रयास किया.
महक को भी एक अद्भुत आनंद आ रहा था. उसने तो सोचा था कि मेहुल अनाड़ी होगा, पर उसके कार्यकलापों ने सिद्ध कर दिया था कि इससे बड़ा खिलाड़ी सम्भवतः उसके संसर्ग में अब तक नहीं आया था. मेहुल के सिर पर हाथ फिराते हुए वो अपनी जाँघें चौड़ी किये हुए मेहुल की जादुई जीभ की प्रतिभा का आनंद ले रही थी.
मेहुल वैसे तो जीवन भर ये रस पी सकता था, पर आज उसके मन में अन्य ही लक्ष्य था. उसने सर उठाकर महक को देखा तो महक उसके बालों में हाथ घुमाते हुए उसे अत्यधिक प्रेम से देख रही थी. मानो वासना का एक कण भी न हो. दोनों की आँखें मिलीं तो महक मुस्कुराई.
“दी….” मेहुल ने इतना ही कहा था कि महक ने उसे रोक दिया. “अब मुझे भी तेरे लंड का स्वाद लेने दे. देखूं तो मेरा भाई जो इतना बड़ा लंड लेकर घूम रहा था मेरे मुंह में समायेगा या नहीं?”
मेहुल उठ गया और महक वहीं बिस्तर पर बैठ गई. मेहुल का विशाल लंड इस समय तमतमाया हुआ था और महक एक बार तो डर ही गई. परन्तु उसने हार न मानी और सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराई। लंड ने झटका मारा और उसके इस कार्य का स्वागत किया. लंड को चाटते हुए महक का आत्मविश्वास भी बढ़ने लगा और वो और तेज गति से लंड को चाटने लगी. फिर उसने अपने मुंह में लिया और पूरे भरे मुंह से उसे चूसने का प्रयास करने लगी. कुछ देर में उसका मुंह मेहुल के लंड का अभ्यस्त हो गया और फिर महक ने पूरे प्रेम से मेहुल के लंड की चूसा.
पर दोनों भाई बहन के शरीर मिलने के लिए आतुर थे. महक की चूत अब और संयम नहीं रख सकती थी और न ही मेहुल के लंड को अब सहन हो रहा था. महक ने लंड को मुंह से निकाला और फिर मेहुल को देखा. मेहुल उसकी निशब्द भाषा को समझ गया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया.
“धीरे करना, तेरा लंड बहुत बड़ा है.” महक ने प्रार्थना की.
“दीदी, आप चिंता न करो. बस आनंद लो. सम्भव है कि कुछ कष्ट हो, पर वो क्षणिक ही होगा. ये मेरा वचन है.”
मेहुल ने एक बार फिर महक की चूत को देखा और उसे चाटने से स्वयं को रोक न पाया. दो तीन मिनट उसे चाटकर जब उसे शांति मिली तो उसने अपने लंड को चूत पर लगाया.
“धीरे” महक ने अंतिम बार कहा.
मेहुल ने कुछ न बोला और लंड को महक की चूत में बहुत सहज गति से अंदर डाल दिया. महक ने एक सिसकारी ली, और अपने पैरों को फैला दिया. महक को चूत में मेहुल की यात्रा आगे बढ़ती रही. पर आधे लंड के अंदर समाने के बाद वो ठहर गया. अब उसने लंड को आगे पीछे करना आरम्भ किया और महक को आनंद आने लगा. मेहुल स्वयं पर अंकुश लगाए था. और इसी प्रकार से वो कुछ समय तक चोदता रहा. जब उसे लगा कि महक की चूत में आगे बढ़ा जा सकता है तो धीरे धीरे वो और अंदर तक जाने लगा.
सधे हुए धक्के और शांत रूप से चल रहे इस सम्भोग में महक को कोई भी असहजता नहीं हुई. हालाँकि उसे मेहुल के इस नियंत्रण पर आश्चर्य और गर्व अवश्य हुआ. वो आनंद के सागर में डूबती उभरती रही और मेहुल अपने लंड को उसकी चूत में एक सतत गति से चलाता रहा. महक के शरीर ने एक झुरझुरी के साथ अपने पहले स्खलन की घोषणा की. मेहुल के लंड ने अपना पूरा लक्ष्य प्राप्त कर लिया था और उसके लंड की ठोकर के साथ ही महक के शरीर ने इसका स्वागत किया था.
मेहुल एक निश्चित योजना के साथ महक को पूरे लौड़े के साथ चोदने लगा, गति भी ऐसी थी कि महक हर कुछ देर में झड़ जाती थी. कई दिनों से इस प्रकार की चुदाई से उसका नाता नहीं रहा था. उसे चुदाई और सम्भोग का अंतर भी समझ आया. जो मेहुल कर रहा था वो सम्भोग था, चुदाई नहीं.
मेहुल भी ये जानता था कि दीदी की पहली चुदाई में प्रेम होना आवश्यक था. चुदाई तो इसके बाद भी की जा सकती थी. दोनों भाई बहन इस यात्रा के नए राही थे और दोनों उसका पूर्ण आनंद ले रहे थे.
दोनों भाई बहन इसी प्रकार से प्रगाढ़ प्रेम के साथ सम्भोग में न जाने कितनी ही देर तक लीन रहे. महक को ये सम्भोग सदा के लिए स्मरण रहने वाला था. मेहुल भी इसी प्रकार के भावों में खोया था. अब जिस सरलता और चपलता से उसका लंड महक की चूत में चल रहा था उसका कारण महक की चूत से बहती हुई रस की निरंतर धारा थी. मेहुल भी अब अपने चरम पर पहुंच चुका था और झड़ने की कगार पर था. उसने महक से पूछना आवश्यक नहीं समझा और उसे केवल एक चेतावनी ही दी.
महक ने कोई उत्तर नहीं दिया और इस लम्बी दौड़ के समापन पर मेहुल ने अपना रस महक की चूत में छोड़ दिया. दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और फिर मेहुल महक के साथ लेट गया जहाँ उनके होंठ एक दूसरे से अलग नहीं हुए.
फिर एक दूसरे के होंठों के छोड़कर एक दूसरे की आँखों में देखते हुए उनकी मुस्कुराहट ने अपना प्रेम दर्शा दिया.
महक ने पहले बात बोल, “वाओ, मेहुल, तुम तो सच में अद्भुत हो. मुझे तुम्हारे लंड से एक बार भी कोई पीड़ा नहीं हुई.”
मेहुल, “मैंने तो पहले ही कहा था.”
महक: “हाँ. पर अब मुझे अगली बार जोर से जम कर चोदना, मुझे भी तो पता चले कि मेरे भाई के पीछे इतनी स्त्रियाँ क्यों मरती हैं.”
मेहुल: “बिलकुल, दी. जाइए आप चाहो.”
अध्याय समाप्त
क्रमशः