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Incest कैसे कैसे परिवार

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अध्याय १८: आठवाँ घर - स्मिता और विक्रम शेट्टी ३
*************************************
स्मिता का घर


घर लौटते हुए स्मिता बहुत खुश थी. उसे विश्वास था कि मेहुल ने अवश्य सुजाता के घमंड को चकनाचूर कर दिया होगा, तभी तो उसने मुझसे भी क्षमा मांगी. स्मिता गाड़ी चलते हुए इसी ख़ुशी से गुनगुना रही थी. मेहुल ने अपने बैग में से दोनों कैमरे निकाले और उनके मेमोरी कार्ड निकाल लिए.

मेहुल: “घर पहुंचकर मैं इन्हें एक USB में कॉपी कर दूंगा, फिर कल आप देखना.”

स्मिता: “क्या तुम मेरे साथ देखोगे?”

मेहुल: "अगर आप कहोगी तो, पर मुझे कल १ बजे बाहर जाना है.”

स्मिता: “किसी से मिलना है?”

स्मिता: “हाँ. आने के बाद बता दूंगा.”

स्मिता: “ठीक है.”

कुछ ही देर में वो घर पहुँच गए. श्रेया उनकी प्रतीक्षा में बैठी हुई थी. उसने उठकर मेहुल को गले से लगा लिया.

“मेहुल, मुझे पक्का है कि अपने मम्मी को संतुष्ट कर दिया होगा.”

मेहुल का माथा ठनका, क्या सुजाता ने कुछ बोला?

मेहुल: “आप ऐसा कैसे कह रही हो भाभी?”

श्रेया: “मेहुल, आप इतने अच्छे हो कि आप सबका ध्यान पहले रखते हो. मैंने मम्मी से पूछा तो बोल रही थीं कि आप बहुत जल्दी सीख जाओगे और उनको आपके साथ बहुत अच्छा लगा.”

मेहुल: “और क्या बोलीं आंटीजी?”

श्रेया: “और कुछ भी बताने से मना कर दिया. कहा कि मुझे इसका अनुभव स्वयं ही करना होगा. तो आप मुझे कब समय दे रहे हो.”

मेहुल: “भाभी, कल तक तो नहीं हो पायेगा. परसों का रख लेते हैं.”

श्रेया: “महक और स्नेहा? उनका नंबर कब आएगा?”

मेहुल: “एक दिन छोड़कर. स्नेहा का अंत में.”

श्रेया: “अच्छा है. मैं स्नेहा को बता दूंगी.”

मेहुल मन ही मन में: “जैसे वो मेरे लिए मरी जा रही हो.”

फिर स्मिता से: “आप जैसा उचित समझो, भाभी.”

श्रेया: “माँ जी आप और मेहुल थोड़ा मुंह हाथ धो लो, मैं चाय बनाती हूँ. अगर मम्मी ने कुछ नहीं बताया तो आप भी बताने से रहे. मैं तो सोच रही थी कि गर्मागर्म कहानी सुनने मिलेगी. आप ने तो मन ही तोड़ दिया.”

इस बार मेहुल श्रेया को अपने पास खींचकर बाँहों में ले लेता है. “भाभी, आपका दिल कभी नहीं तोड़ सकता, बस ये है कि आंटीजी और मैंने ये तय किया है कि स्नेहा के साथ होने के बाद मैं सब बता दूंगा.”

श्रेया: “कोई बात नहीं मेहुल, मैं तो परसों स्वयं ही जान लूंगी।” ये कहकर उसने मेहुल के होंठ चूमे और उसे जाने के लिए कहा.

************


सुजाता का घर


अविरल जब तक घर पहुंचा, मेहुल और स्मिता निकल चुके थे. वो बिना रुके सीधे अपने कमरे में गया और कैमरे में से मेमोरी कार्ड निकाल लिया. इसे वो कल ऑफिस में देखेगा. सुजाता ने खाने का प्रबंध किया हुआ था और अन्य सभी के आने की प्रतीक्षा में दोनों बैठ गए. सुजाता ने अविरल को उसकी ड्रिंक दी. अविरल पूछना तो बहुत कुछ चाहता था पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि बात शुरू कैसे करे. इस समस्या का हल सुजाता ने कर दिया.

सुजाता: “आप कुछ सोच रहे हो?”

अविरल: “सब ठीक तो रहा न? कोई परेशानी?”

सुजाता: “नहीं. पर मेहुल को सेक्स का अनुभव है और उसे अधिक कुछ बताने की आवश्यकता नहीं पड़ी. मेरे विचार से माँ बेटे के सम्बन्ध के कारण स्मिता से वो ठीक प्रकार से चुदाई नहीं कर पाया. मैंने उसे समुदाय के बारे में कुछ समझाया है, और ये भी बताया कि ये सम्बन्ध अनैतिक भले ही हों, परन्तु अत्यंत सुखद होते है. उसे मेरी बात समझ आ गयी.” सुजाता ने संभवतः पहली बार अपने पति से झूठ बोलते हुए कहा. अविरल ने एक चैन की साँस ली. पर उसे अभी भी मेहुल पर पूरा विश्वास नहीं था. उसने इस बात को यहीं समाप्त करना ठीक समझा.

अविरल: “तो आज क्या तुम चुदाई के लिए फिर तत्पर हो. मैं कुछ थका हुआ हूँ.”

सुजाता: “नहीं. आज मैं आपके ही साथ रहूंगी.”

अविरल ये सुनकर खुश हो गया क्योंकि सुजाता हर दिन उठकर विवेक के पास चली जाती थी. कुछ ही देर में स्नेहा और विवेक भी आ गए.

स्नेहा: “और मॉम, कैसा रहा भोंदू का प्रशिक्षण?”

इससे पहले कि सुजाता उत्तर देती अविरल बोल उठा:”स्नेहा, मैंने तुम्हें पहले भी समझाया है और अब आखिरी बार बता रहा हूँ. अगर तुमने इस प्रकार से परिवार के किसी भी सदस्य के लिए बात की तो मैं स्वयं तुम्हे समुदाय ने निकाले जाने का प्रस्ताव रखूँगा। और तुम समझ सकती हो कि इसका क्या अर्थ होगा. आज से एक सप्ताह परिवार का कोई भी तुम्हे छुएगा भी नहीं. और अगर तुमने बाहर कुछ करने की चेष्टा की और मुझे पता लगा तो तुम्हें समुदाय और घर दोनों से निकाल दूँगा।”

स्नेहा के पावों तले से जमीन निकल गई. उसे कल ही चेतावनी मिली थी और उसने गंभीरता से नहीं लिया था. उधर सुजाता और विवेक भी सन्न रह गए.

सुजाता ने बचाव करने के लिए कहा: “मत गुस्सा हो. बच्ची है. मैं समझाती हूँ इसे.”

अविरल ने सुजाता को जलती हुई आँखों से देखा: “और अगर नहीं समझा पायीं तो तुम भी इस घर में नहीं रहोगी इसकी अगली गलती के बाद, ये सोचकर इस आग में हाथ डालना. मैं ये बच्ची है, बच्ची है सुनते हुए थक चुका हूँ. चुदवा सकती है, गांड मरवाती है, दो दो लौड़े खाती है तब इसका बचपन कहाँ चला जाता है.”

स्नेहा सहमे हुए स्वर में बोली: “पापा, आगे से कभी ऐसी गलती नहीं होगी. आय एम रियली सॉरी।”

अविरल ने कोई उत्तर नहीं दिया. विवेक सब सुनते हुए भी शांत रहा. उसने अपने पिता का ये रौद्र रूप कम ही देखा था. और इस समय उनसे कुछ भी कहना अपने लिए समस्या खड़ी करना ही था. सब लोगों ने इसी तनाव में खाना खाया. फिर अविरल अपने लिए एक ड्रिंक बनाकर बिना कुछ कहे अपने कमरे में चला गया.

स्नेहा: “मॉम, सच में, मैं ऐसा कभी नहीं करूंगी.”

सुजाता ने इस बार बुद्धिमानी से काम लिया और उठते हुए कहा: “मेरे विचार से तुम्हारे लिए यही ठीक रहेगा. पर जैसा तुम्हारे पापा ने कहा, मैं इस हाथ से अपना बसा हुआ घर नहीं उजाड़ूंगी. तुम जो करोगी, तुम्हें स्वयं ही उसका मोल चुकाना होगा.”

इसके बाद सुजाता अपने कमरे में अपने पति के पास चली गई.

************************


स्मिता का घर


कुछ समय बाद स्मिता और मेहुल बैठक में अकेले थे.

स्मिता: “मेहुल, मेरे विचार से ये जो तुम्हारा सीधेपन का स्वांग है, उसे थोड़ा कम करो. अब अगर मेरे और सुजाता से मिलने के बाद भी तुम यही रूप रखोगे तो बाद में इसे बदलना असम्भव हो जायेगा. धीरे धीरे इस हटाकर अपने असली चरित्र में आ जाओ.”

मेहुल: “हाँ मॉम, आप सही सोच रही हो. फिर श्रेया भाभी भी तो हैं. मुझे आंटी ने बताया कि भाभी मुझे बहुत चाहती हैं और वो मुझे ट्रेन करने के लिए भी उत्सुक है. पर स्नेहा को ठीक करने के पहले मैं उन्हें कुछ नहीं बता सकता.”

इतने में ही श्रेया आ गई और मेहुल के साथ बैठ गई.

श्रेया: “मेहुल, आप कभी हमारे साथ बैठते ही नहीं हो.”

मेहुल: “हाँ भाभी, ये मेरी कमी है. पर अब से मैं आप सबके साथ अधिक समय बिताऊंगा.”

श्रेया: “तो क्या कोई गर्लफ्रेंड है जिसके चक्कर में हम सबको भूल गए.”

मेहुल: ‘है तो भाभी, पर ऐसी नहीं कि आपको भुला सके. ये पूर्ण रूप से मेरी ही गलती है. पर मम्मी और आंटीजी से मिलकर मुझे अपने परिवार के लिए अपना कर्तव्य याद आ गया. भाभी, एक बात बोलूँ ?

श्रेया: “हाँ हाँ.”

मेहुल: “क्या मैं महक के बाद स्नेहा के साथ चु चु चुदाई कर सकता हूँ. आपके साथ बाद में?”

श्रेया: “ओह, बच्चू तो ये बात है. मुझे क्यों आपत्ति होगी. मैं जानती हूँ तू स्नेहा पर कितना लट्टू है. और इसमें बुरा लगने वाली बात भी नहीं है. मैं मम्मीजी को बता दूंगी कि स्नेहा को यहाँ भेज दें चार दिन बाद.”

मेहुल: “भाभी, प्लीज़, आंटीजी को मत कहिये, आप सीधे स्नेहा से ही बात करो और इसे हमारी सीक्रेट रहने दो. मैं आंटीजी से सीखी कला को आजमाना चाहता हूँ, और अगर उन्हें पता लगा तो मुझे बहुत अजीब लगेगा.”

श्रेया को मेहुल की बात का कोई औचित्य तो नहीं लगा पर उसने ये बात मान ली. फिर उसने अपने कमरे में जाकर स्नेहा को फोन किया और उसे चार दिन बाद आने के लिए कहा. उसे लग रहा था कि स्नेहा कुछ उल्टा सीधा बोलेगी, पर उसकी तुरंत स्वीकृति ने उसे अचंभित कर दिया. उसे लगा कि स्नेहा ने मेहुल के प्रति अपना विचार बदल लिया है. इस बात से खुश होकर उसने मेहुल और स्मिता को ये शुभ समाचार दे दिया.

************


सुजाता का घर


अविरल अभी भी गुस्से से तमतमाया हुआ था. सुजाता जब अंदर आयी तो उसने ये सोचकर कि कहीं वो सुजाता पर और न भड़क उठे, अपने शयनकक्ष से सटे अपने ऑफिस में चला गया. इसका उपयोग वो कम ही करता था, पर आज इसके लिए समय उचित था. उसने दरवाजे को बंद किया और सोच में पड़ गया. फिर उसने कैमरे से निकले हुए कार्ड को निकला और बैग से अपने लैपटॉप को निकालकर ऑन किया. उसने कार्ड को लैपटॉप में लगाया और उसमे देखने लगा. पर ये क्या? उसमें तो कुछ भी नहीं था. कार्ड पूरा खाली था. ये कैसे हुआ? कहीं मेहुल ने इसे देख तो नहीं लिया था? अब उसकी घबराहट स्नेहा को लेकर और बढ़ गयी. उसने लैपटॉप बंद किया और कमरे में लौट गया. सुजाता वहीँ सोफे पर बैठी उसकी राह देख रही थी.

सुजाता: “सुनिए, आप परेशान मत हो. मैं स्नेहा को समझाऊंगी.”

अविरल उसकी बात अनसुनी करते हुए: “कमरे में मेहुल और तुम्हारे सिवाय कोई और भी आया था?”

सुजाता: “हाँ, स्मिता आयी थी बाथरूम जाने के लिए.”

और इस समय अविरल की ऑंखें कमरे के उन स्थानों को देख रही थीं जहां कुछ छुपाया जा सकता है.

सुजाता: “कुछ हुआ क्या?”

अविरल: “नहीं. ठीक है. मैं स्नेहा को समझाने का दायित्व तुम्हें देता हूँ. और तुमसे क्षमा मांगता हूँ अभी के व्यव्हार के लिए.”

सुजाता: “नहीं, अपने ठीक ही किया था. आपकी इस डाँट से स्नेहा को अब समझ आ गया होगा कि आप कितने गंभीर हो. आप बैठो, मैं आपकी ड्रिंक बनाती हूँ और फिर सिर दबा देती हूँ.”

अविरल ने हामी भरी और सुजाता दोनों के लिए ड्रिंक लेकर आ गयी. अविरल का सिर गोद में लेकर उसके सिर को हलके हाथों से दबाने लगी. बीच बीच में वो ड्रिंक का एक घूँट लेती और अविरल के मुंह से मुंह लगाकर उसे पिला देती.

अविरल: “कभी कभी मैं सोचता हूँ कि मैं कितना भाग्यशाली हूँ जो तुम्हारे जैसी पत्नी मिली.”

सुजाता: “आपको जो भी मिलती, आप उसे अपने रूप में ढाल लेते.” सुजाता अपने पति के बाल सहलाते हुए बोली. “मेरा सौभाग्य है जो मुझे आप मिले और अपना ये परिवार.”

कुछ समय में ही अविरल गोद में सिर रखे हुए ही सो गया. सुजाता भी ऊँघने लगी. तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया और फिर धीरे से खोलते हुए अंदर प्रवेश किया. ये स्नेहा थी. बहुत डरी और सहमी हुई. उसने देखा कि अविरल सो रहा है.

स्नेहा: “मॉम, मुझे आपसे कुछ बात करनी है.”

सुजाता: “हाँ इधर आकर बात करो. तुम्हारे पापा सो रहे हैं.”

स्नेहा: “मॉम, आप प्लीज़ पापा को बोलना, आय एम रिअली सॉरी। मैं अब कभी मेहुल का अनादर नहीं करुँगी. सच में.”

अविरल ये सब सुन पा रहा था और चुप रहा.

सुजाता: “तुम्हारे पापा तम्हारे लिए बहुत चिंतित हैं. मैंने उन्हें इतना परेशान केवल एक ही बार देखा है जब तुम बचपन में बीमार पड़ी थीं. चार दिन तक तुम्हें गोद में लिए रहे थे. नीचे उतारते ही तुम रोने जो लगती थीं. उनके मन में कुछ खटक रहा है. और अगर वो ऐसा कह रहे हैं तो तुम्हें उनकी बात पर बहुत ध्यान देना चाहिए. तुम चिंता मत करो, अभी उठेंगे तो मैं बता दूंगी कि तुम आयी थीं.”

अविरल: “मुझे पता है कि मेरी लाडो आयी है. ये आये और पापा को पता न चले?”

स्नेहा रो पड़ी: “पापा, मुझे प्लीज़ क्षमा कर दो.” और फफक फफक कर रोते हुए अविरल से लिपट गई. अविरल उठा और उसे अपने सीने से लगा लिया.

अविरल: “रो मत. मैं तुझसे कभी गुस्सा रह सकता हूँ भला ?” ये कहकर उसने स्नेहा को साथ में बैठा लिया.

स्नेहा के आँसू अभी भी नहीं रुक रहे थे. वो अविरल के गले से लगकर रोये जा रही थी.

स्नेहा: “पापा, मुझे आपसे दूर नहीं जाना है. मुझे अपने से अलग मत करो.”

अविरल का दिल भी रो रहा था उसके भी आँसू निकल रहे थे. उसने स्नेहा के बहते हुए आँसुओं को चूमते हुए कहा: “कभी नहीं. वैसे भी तेरा विवाह भी इसी शहर में ही होना है, अपने समुदाय में ही, तो तू मुझसे कभी दूर हो ही नहीं सकेगी. पर गुड़िया, जब भी मेहुल मिले उससे मन से क्षमा माँगना। उसे बता देना कि तेरे ये विचार क्यों थे और क्यों तुझे लगता है कि तू गलत थी.”

स्नेहा: “जी पापा.” ये कहते हुए उसने अविरक के होंठ चूम लिए.

बाप बेटी इस भावनात्मक घड़ी में एक दूसरे के पास थे और दोनों की भावनाएं इस समय चरम पर थीं. सुजाता पास बैठी उनके इस मिलन को देख रही थी और प्रार्थना कर रही थी कि मेहुल स्नेहा से बदला न ले. उसने मेहुल से सुबह बात करने का प्रण किया, स्मिता के घर जाकर. वो पूरा प्रयास करेगी कि उसकी फूल जैसी बेटी को मेहुल क्षमा कर दे.

उधर अविरल और स्नेहा का चुम्बन प्रगाढ़ हो चला था. और कोई समय होता तो सुजाता की वासना उभर आती, पर संभवतः मेहुल ने उसकी इस भूख को समाप्त कर दिया था. और वो इस परिवर्तन से संतुष्ट थी. उसने ये भी निर्णय लिया कि केशव या कोई और जिसे भी उसके पास प्रशिक्षण हेतु भेजा जायेगा, उन्हें वो उनकी माँ के समान ही प्यार देगी। न जाने क्यों, इस निर्णय से उसकी आत्मा को एक शांति मिली. अविरल अब तक स्नेहा का टॉप निकालकर उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को प्यार से मसल रहा था. स्नेहा के हाथ भी अविरल के खड़े होते लंड को उसके गाउन में सहला रहे थे.

फिर स्नेहा उठी और उसने अपनी ब्रा और अन्य वस्त्र उतार दिए और अपने पिता के पांवों के बीच में बैठकर उसके लंड को अपने मुंह से चाटने लगी. अविरल ने अपने सिर को पीछे करते हुए ऊपर की ओर कर दिया और वो स्नेहा के इस कार्य का आनंद लेने लगा. सुजाता अभी भी उन दोनों को देखकर बहुत ही संतुष्टि अनुभव कर रही थी. अच्छा हुआ कि उसके कुछ किये बिना ही, सब कुछ सामान्य हो गया. वो उठी और अपने लिए एक ड्रिंक बनाकर सामने घटित हो रहे प्रसंग को देखने लगी. तभी कमरे का दरवाजा खुला और विवेक ने अंदर झाँका. उसने सोफे पर चल रहे प्रेमालाप को देखा और सुजाता की ओर देखते हुए थम्ब्स अप किया. सुजाता ने उसे संकेत देकर अंदर बुला लिया। विवेक अंदर आया और उसने दरवाजा बंद कर दिया.

इस सब से अनिभिज्ञ स्नेहा अपने पिता के लंड को चूस रही थी और अविरल अपने हाथ से उसके सिर को सहला रहा था. फिर अविरल ने उसे उठने के लिए कहा और उसे लेकर बिस्तर की ओर बढ़ गया. विवेक ने अपने लिए एक ड्रिंक बनाई और वो सोफे पर बैठकर सुजाता कि भांति अपने पिता और बहन के बीच चलते हुए संसर्ग को देखने लगा. अविरल ने स्नेहा को लिटाकर उसकी चूत पर धावा बोल दिया और उसे पागलों के समान चाटने लगा. स्नेहा के रस से सराबोर उसके चेहरा चमक रहा था. वो अपनी जीभ से स्नेहा की चूत को अंदर से चाटने लगा.

“ओह, पापा.”

अविरल ने उसे अनसुना करके अपनी जीभ का हमला नहीं रोका. बल्कि उसने अब अपनी दो उँगलियाँ भी स्नेहा की चूत में डालकर उसे चोदने लगा. पर आज समय मिलन का था और इसीलिए अविरल ने उठकर अपने लंड को स्नेहा की चूत पर रखा और एक बार में आधा और दूसरे झटके में पूरा अंदर कर दिया. स्नेहा आनंद से चीख पड़ी और फिर से रोने लगी.

स्नेहा: “मुझे जोर से चोदो, पापा. मैंने जो अब तक गलती की हैं, इसी चूत के नशे में की हैं. आज इसकी सारी अकड़ निकाल दो. पर मुझे अपने से अलग मत करना कभी भी. मैं मर जाऊंगी. इससे तो अच्छा आप मुझे चोद चोद कर ही मार डालो.”

अविरल उसका दर्द समझ रहा था. उसने अपनी गति को अच्छा तेज रखा हुआ था, ऐसे जैसे कि वो स्नेहा को सजा दे रहा हो. पर ये उसका गुस्सा था, मेहुल पर, सुजाता पर और स्नेहा पर. और कुछ स्वयं पर भी. उसे लगा कि उसने स्नेहा को सुजाता के भरोसे छोड़कर ठीक नहीं किया था. पिछले साल से जब से सुजाता की चुदास बड़ी थी, तो उसने स्नेहा पर ध्यान देना कम कर दिया था. वो स्नेहा के बहते हुए आंसुओं के लिए अपने आप को भी दोषी समझ रहा था.

उसने आगे झुकते हुए स्नेहा के चेहरे को चाट कर उसके नमकीन आंसुओं को पी लिया. फिर उसने स्नेहा के होंठ पर अपने होंठ लगाए और एक सशक्त चुम्बन का आरम्भ किया. इस चुम्बन के साथ ही उसने अपनी चुदाई की गति और बढ़ा दी. स्नेहा इसी प्यार की प्यासी थी और उसकी चूत ने उसकी भावनाओं की समझकर पानी छोड़ना शुरू ही किया था कि स्नेहा का शरीर अकड़ कर काँपने लगा और उसके झड़ने का क्रम शुरू हो गया. अविरल बिना रुके उसे चोदे जा रहा था, और स्नेहा बिना ठहराव झड़ रही थी. फिर उसका शरीर ढीला पड़ गया और अविरल ने भी अपने शरीर में उत्कर्ष की भावना अनुभव की और वो भी चिंघाड़ते हुए स्नेहा की चूत में अपने लंड का रस बिखेरने लगा. उसका शरीर भी अकड़ा हुआ था और उसकी कमर बिना किसी लय के झटके ले रही थी. फिर अविरल ने अपने लंड को बाहर निकाला और अपने होंठों को स्नेहा से अलग किया.

“थैंक यू, पापा.” स्नेहा उसके गले में बहन डालकर बोली.

“थैंक यू, गुड़िया.” ये कहकर अविरल ने सुजाता की ओर देखा तो सुजाता की ऑंखें चमक उठीं.

वो उठी और उसने स्नेहा की चूत पर धावा बोल दिया और चाट चाट कर अविरल और स्नेहा के मिलेजुले रस को ग्रहण किया. फिर उसने उठकर स्नेहा को चूमा और कुछ रस उसे दान कर दिया.

“वी ऑल लव यू, बेबी. सब ठीक है.”

स्नेहा ने अपनी माँ को बाँहों में लेकर चूमते हुए उसका भी धन्यवाद किया.

विवेक: “लगता है कि अब सब ठीक हो गया है घर में. मुझे बहुत चिंता थी.”

अविरल ने अपने लंड को सुजाता के मुंह से लगाकर कहा: “ऐसी कोई समस्या नहीं जिसे चुदाई से दूर नहीं किया जा सके. क्यों ठीक है न ?”

इस बात पर सब हंसने लगे और घर का वातावरण सामान्य हो गया. कुछ ही देर में सब लोग शांति से सो रहे थे.

************


स्मिता का घर


नाश्ते के समय श्रेया बोली: “मम्मी का फोन आया था, कह रही थीं आने के लिए.”

स्मिता: “हाँ, मुझसे भी पूछा था. मैंने १० बजे के बाद आने के लिए कहा है.”

विक्रम: “क्या हुआ, आज उन्हें पूछ के आने की क्या आवश्यकता पड़ी. वो तो कभी भी आ सकती हैं.”

स्मिता: “मैंने भी यही पूछा था. तो बोली कि मैं और श्रेया कहीं बाहर न जा रहे हों. आप आज कितने बजे तक आएंगे?”

विक्रम: “आज कुछ विशेष काम तो है नहीं. तो समय से ही आ जाऊँगा. और अगर तुम कहो तो जल्दी आ जाऊं.”

स्मिता: “आप देख लेना, जब मन करे, तब चले आना.”

विक्रम: “तुम इधर देख लो अगर, तो मैं जाऊंगा ही नहीं.”

स्मिता: “चलिए, बड़े रोमांटिक मत बनिए. जब मन करे आ जाना.”

विक्रम: “जैसी आज्ञा, देवी.”

सब हंस पड़े और उनके प्यार को देखकर ईर्ष्या भी करने लगे. फिर विक्रम और मोहन महक को लेकर निकल गए. मेहुल अपने कमरे में चला गया. श्रेया और स्मिता ने सुजाता के आने का प्रबंध किया. सवा दस बजे सुजाता आ गयी और साथ में स्नेहा भी. सुजाता स्मिता के साथ बैठ गई और श्रेया स्नेहा को अपने कमरे में ले गई.

सुजाता स्मिता से: “मैं आपसे विनती करने आयी हूँ. आप तो जान गयी होगी मेहुल ने मेरे साथ क्या किया?”

स्मिता: “नहीं, उसने मुझे कुछ भी नहीं बताया.” स्मिता ने अभी तक वीडियो भी नहीं देखे थे तो उसे ये कहने में कोई झिझक नहीं हुई.

सुजाता: “मेरी बस यही विनती है, कि वो स्नेहा को प्यार से चोदे, मेरी फूल सी बच्ची पर दया करे.”

स्मिता ने सुजाता का हाथ पकड़ा, “मैं नहीं जानती कि उसने क्या किया पर मैं उसे अवश्य समझाऊंगी कि वो स्नेहा को अपनी बहन के समान ही समझे. अब तुम मत घबराओ, वो मेरी बात नहीं टालेगा.”

सुजाता स्मिता के पैरों से लिपट गयी. उसने रोते हुए कहा, “प्लीज, स्मिता. भूलना नहीं. कल उसके पापा ने उसे बहुत डाँटा और घर से निकालने तक की चेतावनी दी है, वो कभी मेहुल का अपमान नहीं करेगी, जीवन भर.”

स्मिता: “उठ जाओ. मैंने कहा न, मेहुल मेरी बात नहीं टालेगा। अच्छा रुको मैं उसे यहीं बुलाकर समझती हूँ.”

स्मिता ने मेहुल को बुलाया और बैठकर कहा: “मेहुल, सुजाता की ये विनती है कि तुम स्नेहा पर दया दिखाना और उसे सुजाता के समान मत चोदना। और मैं भी यही चाहती हूँ.”

इससे पहले कि मेहुल कुछ कहता सुजाता उसके पांवों से लिपट गयी. “हमें क्षमा कर दो बेटा। कल उसके पापा ने उसे अपना व्यव्हार सुधारने या घर से निकल जाने के लिए कह दिया है. वो बहुत पछता रही है. उस पर दया करना बेटा, मैं तुमसे भीख मांग रही हूँ.”

मेहुल का दिल पसीज गया और फिर उसकी माँ की आज्ञा भी थी. उसने सुजाता को उठाया और उठकर उसे गले से लगा लिया.

“आंटीजी, मैं आपको वचन देता हूँ, कि स्नेहा को बिलकुल भी कष्ट नहीं दूंगा. आप मेरी ओर से निश्चिंत रहिये. और किसी और को भी उसे दुखी नहीं करने दूंगा. चलिए मम्मी के कमरे में चलते हैं, वहां मैं आपको अपने प्यार का भी उदाहरण दे देता हूँ.”

इसके साथ ही वो तीनों स्मिता के कमरे की और बढ़े ही थे की श्रेया और स्नेहा आ गए. स्नेहा मेहुल के गले से लिपट गयी.

“मेहुल, प्लीज़ मुझे क्षमा कर दो. मैंने तुम्हे कई बार अपमानित किया है. पर कल पापा ने मेरा घमंड ठिकाने लगा दिया. आगे से मैं तुम्हें कभी भी नीचा दिखाने का प्रयास नहीं करुँगी.”

ये कहते हुए स्नेहा भी उसके पांवो से लिपट गई. मेहुल का तो सिर ही भन्ना गया. इसका अर्थ यही था कि अविरल अंकल बहुत सुलझे हुए आदमी हैं और उन्होंने बिना कुछ देखे भी स्थिति की गंभीरता को समझ लिया था. उसने स्नेहा को उठाया और उसे बाँहों में भर लिया.

“मैंने तुम्हें क्षमा कर दिया. अब तुम निश्चिन्त हो जाओ. मैं थोड़ी देर के लिए मम्मी और आंटीजी की कुछ दिखाने के लिए मम्मी के कमरे में जा रहा हूँ. तुम भाभी के साथ रहो. मैं तुमसे कल बात करूँगा, मुझे अभी कुछ देर में बाहर जाना है. अब खुश होकर अपनी प्यारी वाली स्माइल दो.”

स्नेहा के रोते हुए चेहरे पर मुस्कराहट आ गई. मेहुल ने उसके होंठ चूमे और उसे गले से लगाकर भाभी के पास भेज दिया और स्वयं स्मिता और सुजाता के साथ स्मिता के कमरे में चला गया.s

************


मेहुल का नया मित्र:


मेहुल दोपहर का खाना खाने के बाद बाहर चला गया. आज उसने कॉलेज को पूरा ही बंक मार दिया था. उसे पता था कि दो पीरियड में तो उसे उपस्थित दिखा दिया जायेगा. उसका मूल्य उसे अवश्य उन दोनों शिक्षिकाओं को चुकाना होगा. घर से निकलकर वो अपनी बाइक से एक कॉलोनी में बने एक घर में अपनी बाइक लगा दी. घर में इस समय एक कार और एक और बाइक भी खड़ी थी. बाइक को देखते हुए वो घर के दरवाजे पर गया और चाबी से दरवाजा खोला. घर में जाने के बाद उसने अपने जूते निकालकर एक ओर लगे स्टेण्ड में लगा दिए और फिर किचन से पानी की ठंडी बोतल निकालकर आधी बोतल पानी पिया.

उसे घर के शांत वातावरण में ऊपर के कमरे से कुछ हल्की मद्धम ध्वनि आ रही थी. वो मुस्कुराते हुए धीमे पांवों से ऊपर की ओर चल पड़ा. ऊपर तीन कमरे थे, जिसमे से एक का ही दरवाजा कुछ खुला लग रहा था और ये ध्वनि भी वहीँ से आ रही थीं. उसने अपनी टी-शर्ट उतारी और अपनी बेल्ट खोलकर फिर अपनी पैंट भी उतार दी. उसने ये सब वहीँ रखी एक कुर्सी पर रख दिया. फिर अपनी अंडरवियर भी उतारा और उसे भी कपड़ों पर फेंक दिया. अपने लंड को उसने अपने ही हाथों से सहलाया और फिर कमरे में प्रवेश कर गया. सामने के दृश्य ने उसे चकित कर दिया.

उसके प्रिंसिपल की माँ मरियम घुटनों पर नंगी बैठी हुई एक हृष्ट पुष्ट लड़के का लंड चूस रही थी. मेहुल ने देखा कि उस लड़के का भी लंड उसके नाप का ही होगा. पर मेहुल को जलन जैसी कोई भावना नहीं आयी. जब वो माँ और बेटी (प्रिंसिपल मैरी) को साथ चोद सकता था तो उसे इस लड़के से ईर्ष्या करने का कोई अर्थ नहीं था.

लड़का: “हे, डूड. आय एम सचिन.”

मेहुल: “हाई, आय एम मेहुल.”

तभी बाथरूम से फ़्लश चलने की आवाज़ आयी और फिर बाथरूम का दरवाजा खुला और प्रिंसिपल मैरी कमरे में आ गयीं. वो भी अपनी माँ के समान नंगी ही थी.

मैरी: “हैलो मेहुल, चलो अच्छा हुआ तुम भी समय से आ गए. ये मेरी शैली रमोना का बेटा सचिन हैं. और जैसा तुम देख रहे हो ये भी लौड़े के मामले में तुम्हारे जैसा घोड़ा ही है.”

इस बार सचिन ने मेहुल के लंड को देखा और सीटी बजाई।

मैरी: “मैं कई दिनों से रमोना से कह रही थी कि उसने अपने लड़के से कभी मिलाया नहीं. तो आज उसने भेज ही दिया, उचित प्रकार से मिलाने से. अच्छी बात ये है कि हम दोनों को अब तुम्हारे लंड के लिए प्रतीक्षा नहीं करनी होगी. दोनों एक साथ चुद सकती हैं. और तुम्हें इसमें कोई आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए.”

ये कहकर मैरी मेहुल के आगे घुटनों के बल बैठ गयी और उसके लंड को मुंह में लेकर चाटने और चूसने लगी.

मरियम: “और हम दोनों की तुम डबल चुदाई भी कर सकोगे. क्यों है न सही?”

मेहुल का लौड़ा ये सुनकर एकदम टनटना गया. वहीँ सचिन का भी लंड अकड़ कर लोहे जैसा हो गया. मेहुल ने अभी तक कभी डबल चुदाई का आनंद नहीं लिया था, हालाँकि सचिन इसमें अनुभवी था. दोनों लंड अपने जोश में देखकर मैरी मैडम ने कहा, “अब टाइम वेस्ट करने का कोई मतलब नहीं है. मॉम, आपको किसके साथ चुदाई करनी है.”

मरियम: “मुझे तो ये नया लौड़ा ही चाहिए आज. मुझे बहुत दिन हो गए नए लंड से चुदे हुए. तुम तो फिर भी नया आनंद लेती रहती हो.”

ये सच भी था. कॉलेज के लड़के मैरी मैडम को तो चोदने के लिए तत्पर रहते थे, पर मरियम तक सबको लाना सम्भव नहीं था. उसके पास बहुत भली भांति देखे गए लड़कों को ही प्रिंसिपल मैरी घर लाती थीं. उनमे से भी कुछ मरियम की आयु के कारण बिदक जाते थे. मरियम इस अपमान को अपनी बेटी के लिए सहन कर लेती थी. पर आज सचिन ने किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं की और सीधे उसके मम्मे दबाकर अपना आशय व्यक्त किया तो मरियम झूम उठी. सचिन ने मरियम और मेहुल ने मैरी मैडम को उठाया और बिस्तर पर घोड़ी के आसन में कर दिया. इस आसन में दोनों माँ बेटी एक दूसरे के चेहरे के सामने थीं. मरियम ने मैरी मैडम को चूम लिया और तब तक उनके दोनों घोड़ों ने उसने पीछे अपना स्थान ले लिया.

इधर माँ बेटी एक दूसरे को चूम रही थीं और उनके पीछे सचिन और मेहुल अपने लौड़े उसकी चूतों में उतार रहे थे. माँ बेटी को बड़े और मोटे लौड़े लेना का वृहद अनुभव था और अपनी चूत को खुलते हुए और उसके अंदर जाते हुए लौड़े के आनंद से दोनों काँपती हुई एक दूसरे को चूमे जा रही थीं.

सचिन: “मेहुल, इन्हें कैसी चुदाई पसंद है?”

मेहुल: “बड़े लौड़े पसंद करती हैं तो प्यार वाली चुदाई तो चाहती नहीं होंगी. जैसे मन हो वैसे चोदो।”

सचिन: “थैंक्स, भाई. और हाँ इसके बाद मुझे तुमसे कुछ और भी बात करनी है.”

ये कहते हुए सचिन ने अपने लंड से मरियम को ताबड़तोड़ गति से चोदना शुरू कर दिया. पर उस बुढ़िया को इसमें इतना आनंद आया कि वो चिल्ला चिल्लाकर उसे और जोर से चोदने के लिए उत्साहित करने लगी. सचिन कब रुकने वाला था. उसने अपने दोनों पांव अच्छे से जमाये और दे दनादन धक्के लगाने आरम्भ कर दिए. बूढ़ी मरियम कि चूत इस आयु में भी पानी छोड़ने लगी और सचिन के लंड के अंदर बाहर होने में छप छप की ध्वनि आने लगी.

सचिन: “ये तो बहुत गर्म औरत है, भाई. ऐसे पानी छोड़ रही है जैसे कि नहर.”

मेहुल अपनी प्रिंसिपल की चूत में अटका हुआ था और उसे भी उसी तेज गति से चोद रहा था और मैरी मेडम भी झड़े जा रही थीं.

मेहुल: “अरे अभी तुमने कुछ देखा ही नहीं. जब मैडम उनकी चूत चाटेंगी और तुम इनकी गांड मारोगे तब देखना इनका हाल. मैडम को कई लीटर पानी पिला देती हैं दादीजी.”

मरियम ने भी अब अपनी बात रखी. “पर आज मैरी को चूत चाटने का अवसर नहीं दूंगी. आज एक लौड़ा चूत में और एक गांड में लूँगी।”

मेहुल ने छेड़ा: “तो मुंह का क्या होगा दादीजी?”

मरियम: “उसके लिए मैरी की चूत और गांड रहेगी. और फिर मैरी मेरी चूत और गांड से तुम्हारा रस पीयेगी. क्यों मैरी, ठीक कहा न मैंने.”

मैरी मैडम: “बिलकुल मॉम, और यही मेरे साथ भी होगा. आज सच में ऐसे दो लौडों से चुदवाकर आत्मा तृप्त हो जाएगी.”

दोनों माँ बेटी अब बुरी तरह से कांपती हुई झड़े जा रही थीं. अंततः दोनों चीखते हुए धराशायी हो गयीं. पर सचिन और मेहुल ने उनको चोदना बंद नहीं किया. और कुछ देर बाद ही दोनों घोड़ों ने अपना माल उन प्यासी चूतों में अर्पित कर दिया और उनके ऊपर ही लेट गए. दो चार मिनट के बाद दोनों ने अपने लंड बाहर निकाले और वहीँ बैठ गए. लंड बाहर निकलते ही दोनों माँ बेटी जैसे जाग उठीं. पहले दोनों ने अपने घोड़े के लौड़े को चाटकर उसे साफ करके चमका दिया और फिर एक दूसरे की चूतों पर टूट पड़ीं और एक एक बूँद पी कर अपनी प्यास बुझाई.

मैरी मैडम: “आह, आनंद आ गया आज मॉम।”

मरियम: “बहुत, मैरी. पर अभी असली खेल शेष है.” उनका तात्पर्य दुहरी चुदाई से था और प्रिंसिपल मैरी ने उनके कथन का समर्थन किया.

इतने में सचिन बोला: “आंटी, मुझे मेहुल से कुछ बात करनी थी अकेले में. क्या हम बाहर बैठक में बैठ सकते हैं?”

मैरी मैडम: “हाँ हाँ क्यों नहीं. हम दोनों को भी कुछ समय चाहिए.”

सचिन और मेहुल ने बिना अंडरवियर के ही अपने कपड़े पहने और बाहर बैठक में बैठ गए.

सचिन: “तुम मैडम को कबसे जानते हो?”

मेहुल: “यही कोई डेढ़ साल से.”

सचिन: “अगर मैं तुम्हे कुछ बताऊँ तो क्या तुम उसे गुप्त रख सकते हो?”

मेहुल: “अवश्य. मेरे दिल में वैसे भी कई बातें दबी हुई हैं.”

सचिन: “ठीक है. मैं एक क्लब में पार्ट टाइम काम करता हूँ. उस क्लब में अधेड़ उम्र की स्त्रियां सदस्य हैं और हम लड़के उनकी शारीरिक भूख को मिटाते हैं. और इसमें लड़कों का जो मुख्य मापदंड है, वो है आयु २६ से कम, लौड़ा १० इंच से बड़ा और सम्पूंर्ण गोपनीयता रखने का सामर्थ्य. इसके साथ चुदाई में निपुण भी होना चाहिए. मेरे विचार से तुम उसमे कार्य कर सकते हो अगर तुम्हारी पृष्ठभूमि के आकलन में तुम उत्तीर्ण हो जाते हो.”

इसके बाद सचिन ने उसे दिंची क्लब के बारे में बताया पर कोई नाम या स्थान नहीं बताया. मेहुल ने उसमे काम करने के लिए अपनी स्वीकृति दे दी.

सचिन: “ठीक है, मैं पार्थ सर और शोनाली मैडम से बात करूँगा. इसके आगे उनके ऊपर निर्भर है.”

नाम सुनकर मेहुल का माथा ठनका.

मेहुल: “क्या ये दोनों संभ्रांत नगर में रहते हैं.”

सचिन को तभी ये लग गया कि उसने नाम लेकर गलती कर दी है. पर तीर कमान से निकल चुका था.

सचिन: “हाँ, पर..”

मेहुल: “तुम मेरा विश्वास करो, ये बात मेरे आगे नहीं जाएगी. बिलकुल भी नहीं. और ये भी जान लो कि मैं भी संभ्रांत नगर में ही रहता हूँ.”

सचिन के चेहरे पर अब घबराहट दिख रही थी.

मेहुल: “ये जान लो कि उन दोनों को कभी ये नहीं पता लगेगा कि तुमने उनके बारे में मुझसे कुछ भी कहा है. अब ये बताओ कि अगर मैडम तुम्हारी मॉम को जानती हैं तो तुम यहाँ कैसे आ गए?”

सचिन को मेहुल पर अब विश्वास हो चला था. उसकी बातों में कोई छल नहीं दिख रहा था. उसने उसे सच बताने का निश्चय किया.

सचिन: “मेहुल, मैं अपनी माँ की चुदाई भी करता हूँ. उन्होंने ही मुझे दिंची क्लब में शामिल करवाया था. ये सुनकर हो सकता है कि तुम मुझसे घृणा करने लगो. पर मैं तुम्हे अपना मित्र समझने लगा हूँ.”

मेहुल ने अपना हाथ बढाकर सचिन से हाथ मिलाया, “मेहुल मित्रों को कभी धोखा नहीं देता. और घृणा तो तब करूंगा अगर मैं भी ऐसा नहीं कर रहा होता.” मेहुल के चेहरे पर मुस्कराहट थी.

सचिन: “यानि, तुम भी…?”

मेहुल: “हाँ, और ये अभी कुछ ही दिन पहले शुरू हुआ है. अभी तक मैंने अपनी मॉम और अपनी भाभी की मॉम को ही चोदा है.”

सचिन: “यू लकी बास्टर्ड!”

मेहुल: “चलो, तुम मुझे दिंची में रोमियो का काम दिलाने का प्रयास करो. इन दोनों को ऐसे छोड़ना है कि ये दोनों और देखने वाले सबको आनंद आये.”

सचिन: “हमारे सिवाय कौन देखेगा.”

कुछ समय दोनों और बातें करते रहे जिसमे सचिन ने पटेल परिवार और सबीना के बारे में भी बताया. क्योंकि ये मेहुल की पहले डबल चुदाई थी तो सचिन ने उसे कुछ गुर दिए और किस तरह से ताल बैठानी है ये भी बताया. फिर दोनों उठकर शयनकक्ष की ओर चल पड़े. अंदर जाने के पहले मेहुल ने सचिन का हाथ पकड़ा.

मेहुल: “आओ, मैं तुम्हें कुछ दिखता हूँ.”

ये कहते हुए वो हॉल के एक दूसरे कमरे की ओर चल पड़ा. सचिन उसके पीछे हो गया. उस कमरे के बाहर जाकर उसने दरवाजे को खोलने के लिए घुंडी घुमाई और वो खुल गया. उसने चौथाई के लगभग दरवाजा खोला और सचिन को अंदर देखने के लिए आमंत्रित किया. अंदर एक अत्यंत वृद्ध पुरुष और एक अधेड़ पुरुष सोफे पर बैठे थे और टीवी देख रहे थे. टीवी पर जो दृश्य था उसे देखकर सचिन अचंभित हो गया. ये मैडम के शयन कक्ष का दृश्य था और इस समय मैडम और उनकी माँ दिखाई दे रही थीं.

वृद्ध: “क्या हुआ लौडों को, कहाँ चले गए?”

अधेड़: “पापाजी, धीरज रखो, अभी आते ही होंगे.”

वृद्ध: “गांड मारने में मेहुल तो सही है, इस नए लड़के को तो सही से आता होगा न? ऐसा न हो ये मेरी मरियम को गांड फाड़ दे.”

अधेड़: “ऐसा कुछ नहीं होगा, वैसे भी मम्मी की गांड इतनी खुली हुई है कि फाड़ना सम्भव ही नहीं है.”

दोनों हंसने लगे. और अपने हाथ में लिए हुए ग्लास से कुछ पीने लगे. मेहुल ने सचिन को पीछे करते हुए दरवाजा वापिस बंद किया और मैडम के कमरे की ओर चल पड़ा. उसने देखा कि सचिन के मन में कुछ सवाल हैं.

मेहुल: “मैडम और उनकी मम्मी के पति. अब केवल उन्हें चुदते देखकर ही सुख पाते हैं. मैडम के पति की किसी बीमारी के कारण सेक्स की क्षमता नहीं रही. पर वो मैडम को चुदने से नहीं रोकते. उनके बारे में मैडम से कभी कुछ न बोलना. उनके बारे में कोई अपशब्द उन्हें सहन नहीं होगा.” ये कहकर मेहुल ने मैडम के कमरे का दरवाजा खोला और दोनों अंदर प्रवेश कर गए.

अंदर का दृश्य तो उन्हें पता ही था, अभी टीवी पर देखकर जो आ रहे थे. पर सचिन की ऑंखें उन कैमरों को ढूँढ रही थी. मेहुल समझ गया और उसके कान में बोला, “कैमरे के चक्कर में मत रहना, अगली बार नहीं आ पाओगे फिर. इन्हें पता नहीं है कि मुझे पता है. इसीलिए सावधान रहना.” सचिन ने सिर हिलाकर समझने का संकेत दिया.

मरियम: “आ गए मेरे शेर, हो गयी बात तुम्हारी?”

सचिन: “जी आंटी, अब बताएं हमारे लिए क्या आदेश है?”

मैरी मैडम ने अपनी माँ की जांघों के बीच से अपना सिर निकाला, “पहले मॉम की डबलिंग करो. मैंने गांड भी खोल दी है.”

मेहुल अचम्भे से, “पर पहले क्या केवल गांड नहीं मरवाएँगी?”

मैरी मैडम: “जब दो दो लौड़े उपलब्ध हैं तो एक से क्यों संतुष्ट होना, क्यों?”

मेहुल: “जी, आप सही कहती हैं. तो फिर हमारे लंड कौन खड़ा करेगा?”

मैरी मैडम: “मॉम, आपको गांड किससे मरवानी है?”

मरियम: “सचिन. नए लंड का स्वाद लेना है.”

मैरी मैडम: “ठीक है तो फिर मैं इसके लंड को बढ़ाती करती हूँ आप मेहुल को सम्भालो.”

ये कहते हुए दोनों एक एक लंड को अपने मुंह में लेकर चाटने लगीं. शीघ्र ही जवान लौड़े अपने पूरे तनाव में आ गए. मरियम ने मेहुल को लेटने के लिए कहा और उसके ऊपर आकर दोनों ओर पांव करते हुए उसके लंड को अपनी चूत में डाल लिया. खुली चूत में लंड आसानी से घुस गया. कोई छह सात बार उसपर उठक बैठक करने के बाद मरियम आगे झुक गई. और सचिन को उसकी गांड का छेद दिखने लगा. मैडम मैरी ने उसमे बहुत मन से जैल लगाया था, और उसके लंड को जाने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए थी.

मैडम मैरी: “मॉम, गेट रेडी, ही इस गोइंग तो फक योर आस. एन्जॉय योर डबल फक.”

मरियम: “कितने दिनों के बाद ये सुख मिलेगा. और सुनो तुम दोनों, अच्छे से चोदना, प्यार व्यार के लिए नहीं चुदवाती हूँ तुम सबसे. हड्डियां हिल जानी चाहिए आज तो. और चिंता न करना, मुझमें सब सहन करने की शक्ति है. अब पेलो मुझे.”

सचिन को किसी और आमंत्रण की आवश्यकता नहीं थी. उसने अपने लंड को मरियम की गांड पर रखा और दबाते हुए लंड के टोपे को अंदर कर दिया. मरियम चिहुंक पड़ी, और अपने आप को आश्वस्त कर रही थी कि सब ठीक होगा कि सचिन ने एक लम्बे धक्के के साथ पूरा लौड़ा अंदर पेल दिया. मरियम की खुली गांड भी इस आक्रमण से दहल गई. उसे लगा जैसे उसकी गांड में आग लग गई हो.

लंड जब अच्छी तरह से गांड में जम गया तो मेहुल सचिन के सिखाये अनुसार अपने लंड से चूत की चुदाई करने लगा. दस धक्कों के बाद वो रुका और इस बार सचिन ने गांड की चुदाई की. दोनों ने ये क्रम सात आठ बार दोहराया और फिर इस ताल को बदल दिया. अब दोनों एक साथ लौड़े अंदर बाहर चलने लगे. पर अभी गति सामान्य ही रखी थी. मरियम ने ऐसा सुख पहले कई बार पाया था, परन्तु उसे समय को वर्षों हो चुके थे. इन दोनों के लौडों के नाप के लौडों से डबल चुदाई का कभी अनुभव नहीं किया था. उसने पहले जब डबल चुदाई की भी थी तो लंड सामान्य नाम के ही थे. ऐसे मोटे और लम्बे लौडों के साथ उसका पहला अनुभव था. और वो इसका पूरा आनंद ले रही थी.

“फाड़ो मेरी चूत, फाड़ो मेरी गांड. चोदो मुझे, फक मी, फक मी , फक मिइइइइइइइइ.”

सचिन और मेहुल ने अब अपनी गति तेज कर दी और उस चुड़क्कड़ बूढी पर दोनों ओर से हमले तेज कर दिए. कुछ समय तक तो वो अपनी लय रख पाए फिर ये ले टूट गई और दोनों अपनी लय में मरियम को चोदने लगे. ये मरियम के लिए बहुत कष्टदायक हो गया क्योंकि उसका शरीर इस प्रकार के अत्याचार के लिए अभ्यस्त नहीं था. पर बुढ़िया थी दमदार और उसने हार न मानकर उन दोनों को उत्साहित करने के लिए चीखना बंद नहीं किया. मैडम मैरी भी अपनी प्रतिक्रिया में उन्हें उकसा रही थी.

“या बॉयज, फक द शिट आउट ऑफ़ हर. फक हर, फक हर गुड़. कम ऑन, फक हर फ़ास्ट, फक हर हार्ड.”

मेहुल और सचिन अब एक दूसरे को भूलकर मरियम की चूत और गांड का कीमा बनाने में जुट गए. मरियम जो बढ़ी आयु के कारण कम झड़ती थी, आज उस अवरोध को तोड़ते हुए रस की धार बहा रही थी. उसके शरीर में अब अकड़न होने लगी थी. बूढ़ा शरीर अब थकने लगा था. उसकी चूत ने रक्षा स्वरूप अंतिम अवसाद किया और ये इतना तीव्र था कि मरियम चीखकर ढह गई. उधर मेहुल और सचिन भी नहीं रुके. पहले सचिन ने अपना गाढ़ा द्रव्य मरियम की गांड में छोड़ा तो मेहुल भी लगभग उसी समय अपने रस से मरियम की चूत सींचने लगा.

कुछ देर रुकने के बाद सचिन ने अपना लंड को फटी हुई गांड से बाहर निकाला और एक ओर बैठ गया. मैडम मैरी ने तुरंत उठकर उसके गंदे और गीले लंड को चाटकर चमका दिया. मरियम भी मेहुल के लंड से हट चुकी थी. मेहुल उठा तो उसने बेसुध मरियम को देखा जिसके होंठों पर एक असीम आनंद और तृप्ति की मुस्कान थी. वो भी बैठ गया और मैडम मैरी ने सचिन के लंड पर अपना कर्तव्य निभाकर उसके लंड को भी चाटकर चमका दिया. सचिन और मेहुल वहीँ बैठे आसन में ही बिस्तर पर लेट गए.

“मॉम, लगता है तुमने इन दोनों की बैटरी पूरी डिस्चार्ज कर दी.” ये कहते हुए मैडम मैरी ने अपना मुंह अपनी माँ की जांघों के बीच स्थापित किया और उनके दोनों छेदों से जीवन के अमूल्य रस को ग्रहण कर लिया. फिर उन्होंने उठकर अपनी माँ के होंठ चूमते हुए कुछ अमृत पान उन्हें भी कराया.

“जवान लड़के है, अभी फिर खड़े हो जायेंगे. और तेरी तो माँ चोद देंगे.”

“हाँ हाँ, जैसे अभी तक किसी और की चोद रहे थे.” मैडम मैरी ने भी हंसकर उत्तर दिया. इस बात पर सब लोग ठहाका मारकर खिलखिला उठे.

मेहुल: “मैडम, हम बियर लेकर आते है. बहुत प्यास लगी है.”

मैडम मैरी: “ओके. हमारे लिए भी ले आना.”

मेहुल और सचिन किचन में गए और बियर लेकर लौटने लगे.

मेहुल: “मैडम की गांड ज्यादा टाइट है, उसे ऐसे चोदेेंगे तो छिल सकती है.”

सचिन: “नहीं. इतना जैल उन्होंने डाला है कि छिलेगी तो नहीं. पर देखते हैं उन्हें क्या पसंद है.”

कमरे में जाने के पहले सचिन ने उस दूसरे कमरे की ओर संकेत किया. मेहुल उसके साथ गया और दरवाजे से उन दोनों पुरुषों को देखने लगा. दोनों बैठे हुए कुछ पी रहे थे और टीवी पर अगले प्रकरण की प्रतीक्षा कर रहे थे. मेहुल और सचिन लौटकर मैडम के कमरे में चले गए. दोनों ने बियर बाँटी और बैठकर पीने लगे.

मैडम मैरी: “अगर तुम रमोना को बताओगे तो वो अवश्य मेहुल से चुदवाने के लिए कहेगी.”

सचिन: “मुझे नहीं लगता कि मेहुल को इसमें कोई आपत्ति होगी. मैडम, आपको कैसे चुदवाना पसंद है?”

मैडम मैरी: “पहले तो मैं मॉम के ही समान सोच रही थी पर मुझे लगता है कि आज थोड़ा सामान्य ही रहे तो ठीक है. इतने बड़े लौडों से एक साथ कभी चुदाई की नहीं है. और मॉम की बात अलग है, पर मुझे इतनी भयंकर चुदाई से डर लग रहा है.”

मेहुल: “आप चिंता न करें, आपको जैसी चाहिए, हम वैसी ही चुदाई करेंगे.”

बियर समाप्त करने के बाद फिर से दोनों के लंड चाटकर खड़े किये गए और इस बार सचिन लेटा और मैडम मैरी ने उसकी सवारी गांठी. और गांड की सेवा का कार्य मेहुल ने संभाला.

और एक नया घमासान युद्ध उस कमरे में फिर से छिड़ गया.

************


स्मिता का घर


अंजलि से मिलकर श्रेया जब घर पहुंची तो सभी नाश्ता कर रहे थे. उसे बाहर से आता देख मोहन और महक के सिवाय सबको आश्चर्य हुआ. अपना नाश्ता लेकर वो बैठ कर खाने लगी. सबकी आँखें अपने ऊपर देखकर उसने बताया.

“कुछ काम आ पड़ा था अंजलि से, इसीलिए चली गई थी. सोचा कहीं बाहर न निकल जाये.”

“बता कर तो जा सकती थीं.” विक्रम ने बोला।

“मुझे बताया था डैड, मुझे लगा कि थोड़ी ही देर की बात है सो कुछ कहा नहीं.” मोहन ने उत्तर दिया.

“ओके, ओके.”

नाश्ता समाप्त होते ही श्रेया ने मोहन को संकेत दिया.

“श्रेया, आज क्या तुम मेरे साथ चलना चाहोगी?”

“ठीक है, मैं कपड़े बदल लूँ. बस पाँच मिनट.”

“ठीक है, मैं यहीं बैठता हूँ. तब तक मैं और पापा बिज़नस की बातें भी कर लेंगे.”

“पाँच मिनट में क्या बात कर लोगे?” विक्रम ने आश्चर्य से पूछा।

“क्या पापा, इतने साल शादी के हो गए, आपको तो पता होगा मम्मी और श्रेया का पाँच मिनट एक घंटे से पहले पूरा नहीं होने वाला.”

दोनों हंस पड़े और स्मिता मुंह बनाने लगी. अनुमान के विपरीत एक घंटे पूरा होने के पहले ही श्रेया आ गई.

“अरे अभी ५ मिनट पूरा होने में दस पंद्रह मिनट और हैं.” मोहन ने हसंते हुए कहा.

“तो क्या इस बार आप पंद्रह मिनट रुकोगे?” श्रेया ने मुस्कुरा कर पूछा.

“अरे नहीं, चलते हैं. मॉम श्रेया लंच तक आ जाएगी.”

“ठीक है, ध्यान से आना जाना.”

मोहन और श्रेया कार में बैठे और मोहन ने कार चलाई.

“तो क्या पता चला?”

“मेरा संदेह सही निकला है. हालाँकि अंजलि ने कुछ कहा नहीं पर उसने हाव भाव से अपनी पोल खोल दी.”

“तो अब क्या करना है?”

“मधु जी से मिलने चलते हैं. उन्हें इस परिवार का सत्यापन करने में तीन चार महीने लग ही जायेंगे. तब तक अगर ये सम्मिलित होने के लिए माने तो ठीक, नहीं तो हमें इसका व्यय वहन करना ही होगा.”

“उनसे पूछा है आने के लिए?”

“नहीं, पर अगर नहीं मिलीं तो संदेश छोड़ देंगे और बाद में लौट आएंगे.”

“ठीक है.” मोहन ने कार की गति बढ़ाई और मधु जी के बंगले की ओर चल पड़ा.

************


मधुजी का घर:


मधुजी के बंगले पर पहुंचने के बाद श्रेया ने घंटी बजाई। मान्या ने दरवाजा खोला और किलकारी ली.

“श्रेया आंटी, मोहन अंकल. कैसे हो आप दोनों. दादी अपने ऑफिस में हैं और मैं बाहर जा रही हूँ. चलिए मैं आपको उनके पास ले चलती हूँ.”

मोहन और श्रेया को ये पता नहीं था कि मधुजी के घर में भी ऑफिस है. मान्या उन्हें ले गई जहाँ मधुजी किन्ही फाइलों में डूबी हुई थीं.

“दादी देखो कौन आया है.” मान्या ने कहा तो मधुजी ने उनकी ओर देखा.

“अरे श्रेया और मोहन, आओ आओ. मान्या कुछ खाने पीने के लिए ले आओ, प्लीज.”

“ओके दादी, फिर मुझे जाना है तो मैं शाम को ही आऊंगी।”

“ठीक है.”

मान्या कुछ अल्पाहार और जूस देकर चली गई. जाने के पहले उसने अपनी दादी के होंठ चूमे और फिर फुर्र से चली गई.

“क्या हुआ, बिना बताये आये हो. कोई विशेष कारण है?”

“जी. श्रेया ही बताएगी.” मोहन ने कहा.

श्रेया ने नायक परिवार के बारे में संक्षिप्त में बताया.

“मेरे विचार से वे भी हमारे समुदाय का हिस्सा बन सकते हैं. इसके लिए जो भी जाँच आवश्यक है, उसे आरम्भ कर दीजिये.”

“पर”

“अगर निरीक्षण समाप्त होने तक वे उत्तीर्ण नहीं हुए तो फिर इसका व्यय हम उठाएंगे.”

मधुजी अपनी कुर्सी पर पीछे झुकते हुए सोच में पड़ गयीं. शेट्टी परिवार नए सदस्यों के लिए आवेदन करने के लिए मुक्त था. पर उन्हें कुछ अधिक सूचना भी चाहिए थी.

“कोई विशेष कारण?”

“उनकी एक पुत्र है, जयंत, जो हमें स्नेहा के लिए उपयुक्त लगता है. विवेक भी उसे जानता है और मुझसे कह चुका है. पर वो समुदाय के नियमों से बँधा है. इस प्रकार से उन दोनों को आत्मीय होने का अवसर मिल सकता है और अगर बात बढ़ती है तो विवाह भी हो सकता है.”

“ठीक है, इस आवेदन पत्र को भर दो. मैं इसे आगे ले जाऊँगी। ध्यान रहे व्यय के विवरण में अपना नाम ही लिखना. मुझे नहीं लगता कि इतनी धन राशि के लिए आपके परिवार को कोई कठिनाई होगी.”

“बिलकुल.” मोहन ने आवेदन पत्र भरा और श्रेया ने उस पर हस्ताक्षर किये. मधु जी ने उसे एक बार ध्यान से पढ़ा. फिर अपनी टेबल पर रखा फोन उठाया और पास रखी डायरी से एक नंबर देखकर मिलाया.

“नमस्कार सिंह साहब. आपके लिए एक नया काम आया है.”

“ .”

“श्रेया और मोहन की ओर से.”

“ .”

“ही ही ही. आपको कहने की आवश्यकता ही नहीं है सिंह साहब. पर कार्य आरम्भ करने से पहले आप पारुतोष लेना चाहते हैं, ये नया है.”

“ .”

“हाँ, ये सच है कि नए परिवारों के जुड़ने की संख्या गिर गयी है. पर हमें अपना प्रयास सतत रखना होगा.”

“ .”

“जैसा आप चाहें. इसका व्यय श्रेया ने उठाने का निश्चय किया है तो आप अपने बिल उन्हें ही भेजिएगा.” फिर मधुजी ने कैलेंडर देखा और बोलीं, “आप तीन दिन बाद आ सकते हैं. हरप्रीत कैसी है?”

इसके बाद कुछ देर एक दूसरे के परिवार के बारे में बातें हुईं और फिर उन्होंने फोन काट दिया.

“डेढ़ लाख का व्यय बताया है, अगर स्वीकृत है तो बताओ.”

ये सुनकर मोहन चौंक गया. उसने श्रेया को देखा जो उत्तर दे रही थी, “आप चिंता न करें. उन्हें आगे बढ़ने के लिए कहें.”

“कुछ और भी है.” मधुजी ने कहा, “कार्य आरम्भ करने के पहले वो अपने परिवार सहित हमसे मिलेंगे.” मिलेंगे शब्द के वाचन से उसका अर्थ स्पष्ट था. “और समाप्त होने पर आपके परिवार से. पहले इन्होने कभी ऐसा नहीं किया, पर मैंने अपनी ओर से हाँ कर दी है.”

शेट्टी परिवार सिंह परिवार से पूर्व परिचित था तो आपत्ति का कोई प्रश्न ही नहीं था. इसके ही साथ श्रेया और मोहन ने जाने की आज्ञा मांगी और फिर मोहन के ऑफिस के लिए निकल गए. मधुजी ने उसके बाद चार फोन और लगाए. ये प्रबंधन कमेटी के सदस्यों को किये गए थे. उसके बाद वे अपने कार्य में लीन हो गयीं.

**********

कार में मोहन ने श्रेया से पूछा, “तुम जानती हो कि मेहुल स्नेहा को चाहता है, फिर भी?”

श्रेया, “पर उसे मैं आज समझा दूँगी, इस प्रकार से हमारे परिवार में एक और परिवार भी जुड़ जायेगा. और स्नेहा को तो मेहुल जब चोदना चाहे चोद ही सकेगा.”

“पता नहीं, पर तुम देखो. मेहुल को कोई दुःख नहीं पहुंचना चाहिए.”

“वो आप मुझ पर छोड़ दो.”

इसके बाद मोहन और श्रेया मोहन के ऑफिस पहुंचे जहाँ से मोहन ने एक ड्राइवर को श्रेया को घर छोड़ने के लिए भेज दिया. श्रेया भी अब सजने के लिए उत्सुक थी. आज उसे मेहुल के साथ चुदाई जो करनी थी. घर पहुंचकर श्रेया ने मेहुल के बारे में पूछा और फिर उसके कमरे में गई.


क्रमशः
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Bahut hi badhiya update diya hai prkin bhai....
Nice and beautiful update.....
 
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Rajizexy

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Rewritten Chapter 18 is posted

अध्याय १८: आठवाँ घर - स्मिता और विक्रम शेट्टी ३

Will post next chapter in another 1 or 2 days. Once done we will go ahead with this juicy story.
Outstanding update...very hot!!
prkin
 

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prkin

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Agree sir...with both you and Raji. Since you have "travelled" so far..pls complete the rewritten parts before starting the new ones.
What I have also seen is test the new rewritten parts have many changes and makes the story interesting. I am sure, the new updates will be based on the rewritten parts and not the old parts. Look forward to the new rewritten updates. Thanks.
prkin Rajizexy parkas
Thanks Bhai.
 

prkin

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Thx brother for the update
Always welcome
 

prkin

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Very nice, super duper hot sexy update

Thank you, Doc Raji
 
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