• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest कैसे कैसे परिवार

prkin

Well-Known Member
5,394
6,131
189
Last edited:
  • Like
Reactions: Desitejas

prkin

Well-Known Member
5,394
6,131
189
10 के बाद नहीं तो कल शाम ६ तक.
 
Last edited:
  • Like
Reactions: kamdev99008

prkin

Well-Known Member
5,394
6,131
189
Ok note it today at 6 pm

Done. It is almost done. Need to spell check for errors etc. Will be back from work around 2 PM. Will post today evening.
 

prkin

Well-Known Member
5,394
6,131
189
कैसे कैसे परिवार

मिश्रण १.१

भाग 2
Words: 8620
खेल कक्ष:

कमरा बंद होने के बाद सब लोग बार की ओर बढ़े और अपने लिए अपनी पसंद की ड्रिंक बनाई. सब अपनी ड्रिंक पीते हुए बातें कर रहे थे. निखिल सागरिका से उसके भविष्य के बारे में पूछ रहा था. दोनों अपनी पसंद और नापसंद के बारे में भी बात कर रहे थे.

तभी समर्थ की आवाज आयी जिसने सबको उनकी ओर आकर्षित किया, "बातें तो और भी समय होती रहेंगीं. मेरे विचार से हम यहां बातें करने नहीं बल्कि ये जानने के लिए आये हैं कि हमारे परिवार एक दूसरे के कितना अनुरूप हैं. और अगर मैं गलत नहीं हूँ तो इसका अर्थ ये है कि हम एक दूसरे को चुदाई में संतुष्ट कर सकते हैं या नहीं."
सबने हाँ में हाँ मिलाई।
"तो फिर क्या करना है?"
"पापा, मैंने सोच रखा है. आप कहें तो बताऊँ?" सुप्रिया ने समर्थ के पास जाकर कहा.
"तुमने सब सोच रखा होगा, ये तो मैं जानता हूँ. अब हम सबको भी बताओ." समर्थ ने उसे अपनी बाँहों में लेकर उसके होंठों को चूमकर उत्तर दिया.

"पापा, आप हम सबसे बड़े है, तो अपनी होने वाली बहू पर सबसे पहले आपका ही अधिकार बनता है. इसीलिए सागरिका आपके साथ रहेगी." सुप्रिया ने बताया, "सागरिका, जाओ तुम नानाजी की पास जाओ."
सागरिका शर्माती हुई समर्थ के साथ खड़ी हो गई.

"अब मम्मीजी सबसे बड़ी है, तो इनको मैं पार्थ का साथ देती हूँ. पार्थ नानी जी के पास जाओ."
पार्थ जैसे ही शीला के पास पहुंचा शीला ने उसे अपनी बाँहों में भींच लिया.

"शोनाली और निखिल एक दूसरे का स्वाद ले चुके हैं, इसीलिए मैं निखिल को सुमति के साथ करती हूँ."
निखिल सुमति के पास गया. सुमति की तो आंखे ही चौंधिया गयीं.

"शोनाली को मैं अपने दूसरे बेटे नितिन का साथ देती हूँ, उसे पता होना चाहिए की मैं इतनी खुश और संतुष्ट कैसे रहती हूँ." नितिन ने शोनाली हो अपनी बाँहों में ले लिया और उसके होंठ चूम लिए.

"और मैं अपने आपको अपने समधी जॉय के हवाले करती हूँ. मुझे आशा है की वो अपना रिश्ता पक्का करने मैं मेरी सहायता करेंगे."जॉय सुप्रिया के पास आया और उसके हाथों को लेकर उन्हें चूम लिया.

पार्थ ने तभी घोषणा की, "जैसे ही हमने कमरा रिमोट से बंद किया है, सारे कैमरे चालू हो चुके हैं और हम सबका ये खेल रिकॉर्ड हो रहा है. अगर इसमें किसी को आपत्ति हो तो बताये, मैं उसे रोक दूंगा."
किसी ने आपत्ति नहीं जताई.
समर्थ ने अपनी दबंग आवाज में कहा, "अब इन कपड़ों की क्या आवश्यकता है?" ये कहकर उसने अपने कपडे उतार दिए और नंगा हो गया.

उसका अनुशरण करते हुए अन्य लोग भी अपने कपडे उतार कर खड़े हो गए. शोनाली ने एक ओर लगी कपड़ों की अलमारी की और इशारा किया और सबने एक एक करके अपने कपडे उसमें लटका दिए. समर्थ ने सागरिका का हाथ अपने हाथ में लिया और उसे सोफे पर बैठा दिया.

समर्थ: "देखें तो कैसा रस है हमारी होने वाली बहुरानी का. बेटी तुम्हारी चूत तो देखने से ही बहुत मीठी और रसीली लग रही है.. मैं स्वाद चख लूँ तुम्हारा?"
सागरिका: "नानाजी, आपकी ही चूत है, जैसा मन हो वैसा कीजिये."

समर्थ नीचे बैठकर ने सागरिका के दोनों पांव अपने कन्धों पर रखे और अपना मुंह सागरिका की जांघों के बीच डाल दिया. सभी लोग ठहर कर ये दृश्य देख रहे थे. तभी शीला ने पार्थ के लौंड़ों को हाथ से पकड़ा और उसे लेकर सोफे पर बैठ गई. अब शीला सागरिका के साथ बैठी थी, पार्थ ने अर्थ समझ कर शीला के आगे घुंटने तक दिया और अपना मुंह समर्थ जैसे ही शीला की जांघों में छुपा लिया. अन्य सभी यही विधि अपनाने के लिए अग्रसर हुए और कुछ ही क्षणों में जॉय सुप्रिया की, नितिन शोनाली की और निखिल सुमति के बीच में मुंह छुपा लिए. सभी स्त्रियां एक लाइन में बैठी थीं और सभी पुरुष उनकी चूतों में सिर घुसाए हुए थे.

शृंखला कुछ इस प्रकार से थी:
सागरिका - समर्थ, शीला - पार्थ, सुमति - निखिल, सुप्रिया - जॉय और शोनाली - नितिन.

हर पुरुष अपनी साथिन को अधिकतम मौखिक सुख देने का प्रयास कर रहा था. चूतें चाटी और चूसी जा रही थी.
उँगलियाँ चूतों में कहीं धीमी तो कहीं द्रुत गति से विचरण कर रही थी. कहीं जीभ चूत के पपोटों के साथ गाँड के भूरे सितारे को भी गीला कर थी. कहीं भगनासे को इस तरह निचोड़ा जा रहा थे कि उसकी मालकिन थरथरा उठती थी.
किसी ने चाटने के साथ एक ऊँगली चूत और एक गाँड में दाल रखी थी.

कहने का तात्पर्य ये है की हर पुरुष अपनी क्षमता का परिचय अपने नए साथी को कराना चाहता था. और ये कहना उचित होगा की ऐसा ध्यान पाने से महिलाएं आनंद की लहरों पर डोल रही थीं. पूरा कमरा अब स्त्रियों की सीत्कार और सिसकारियों से गुंजायमान था. हर स्त्री कुछ न कुछ बोल रही थी पर इस वातावरण में किसके मुंह से क्या निकल रहा था ये किसी को समझ नहीं आ रहा था.

हर पुरुष का चेहरा इस समय कामरस से भीगा हुआ था और स्त्रियों ने अपना पानी छोड़ने में कोई कंजूसी नहीं की थी. जब स्त्रियाँ शांत पड़ीं तो पुरुष अपना चेहरा उठाकर उनकी ओर देखने लगे. सबकी आँखों में संतुष्टि के भाव देखकर सभी पुरुषगण गर्व से फूल गए. फिर समर्थ उठे और उन्होंने शीला के पास जाकर उसका एक गहरा चुंबन लिया.

"ले भागवान, चख ले अपनी होने वाली बहू की चाशनी, बहुत मीठी है अपनी बहू."
"सच में बहुत मीठी है, पर मैं तो बाद में स्रोत से ही पियूँगी, तभी प्यास बुझेगी।" ये कहकर शीला ने अपने साथ बैठी सागरिका को अपने पास खींचा और उसके मुंह में मुंह डालकर उसे चूम लिया. "सच बेटी, बहुत दिन से किसी जवान लौंड़ोंकी का रस नहीं पिया, ये बुढ़िया तरस गई थी."

"नानी, आप कहाँ से बूढ़ी हो गयीं. और आप जब चाहे मुझे बुला लेना में आकर आपका भी रस पियूँगी और अपना भी पिलाऊंगी."
"बहुत अच्छे संस्कार दिए है शोनाली ने तुम्हें."

उधर समर्थ के कृत्य को संकेत मानकर पार्थ ने उठकर सुमति को चूमा, निखिल ने सुप्रिया को, जॉय ने शोनाली को और नितिन उठकर सागरिका के पास गया और उसका मन भर कर चुम्बन किया.
"देवर भाभी अभी से एक दूसरे से घुल मिल रहे हैं. इससे अधिक प्रसन्नता की क्या बात हो सकती है." शीला ने समीक्षा की.
"सच है माँ, ऐसा ही रहा तो घर स्वर्ग बन जायेगा."
"मैं जानती हूँ सुप्रिया दीदी, जिस घर में सागरिका जाएगी उसे स्वर्ग बना देगी." सुमति ने अपनी टिप्पणी की.

किसी को भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी.

कुछ समय के लिए सबने एक विराम लिया और कुछ लोग बाथरूम गए, कुछ ने अपने लिए एक ड्रिंक बनाई. कुछ उस बड़े कक्ष में यूँ ही चहलकदमी कर रहे थे. फिर एक एक करके सारे पुरुष इस बार सोफे पर बैठे, शृंखला वही थी, बस इस बार पुरुष सोफे पर थे. उनकी साथी स्त्रियों ने उनके पांवों के बीच अपना स्थान ग्रहण किया. स्पष्ट था की इस बार मौखिक सम्भोग का आनंद पुरुष उठाएंगे. और इसी के साथ इस सामूहिक सहवास का दूसरा चरण प्रारम्भ हुआ.

स्त्रियों ने अपने साथियों के लौंड़ों को प्यार से चूसना और चाटना शुरू कर दिया. इनमें से कुछ तो इस कला की पारखी थीं और अपने साथी को वो स्खलन के द्वार पर लाकर रोक देतीं और कुछ समय बाद दोबारा वहीँ लेकर आ जातीं। उनके साथी एक आनंद और पीड़ा की दो धाराओं में सवार थे. इसकी अग्रणी थी शीला जिसका लौड़े चूसने का उतना ही अनुभव था जितनी सागरिका और पार्थ की मिलकर आयु. और दूसरी भला उसकी शिष्य पुत्री के सिवा और कौन हो सकता था. सागरिका की जो कमी अनुभव की थी वो उसे अपने उत्साह और ऊर्जा से पूरी कर रही थी. अब समर्थ का लौड़े को चूसने वाली वो कोई पहली तो थी नहीं, पर ये अवश्य स्पष्ट था कि वो उसे हर रूप में सुख और संतुष्टि देने का प्रयास कर रही थी. और समर्थ के चेहरे के भाव उसकी सफलता को दर्शा रहे थे.

पार्थ को अब ये समझ आ गया था की उसके लौड़े पर अब पूरा वश शीला का है. अब जब वो चाहेगी तभी उसका पानी छूटेगा.

पार्थ ने अपने साथ बैठे निखिल से पूछा, "तुम कैसे इनके इस आक्रमण से अपने आपको सँभालते हो?"
निखिल: "सँभालने की आवश्यकता ही क्या है? हम सेक्स को स्पर्धा नहीं समझते. कभी जल्दी झड़ने में कोई शर्म नहीं मानते. इसे हम आनंद का एक साधन मानते हैं. हममें से कोई एक दूसरे से जीतने का प्रयास नहीं करता."

निखिल के ये बात सुनकर चटर्जी परिवार को थोड़ी सांत्वना मिली. जॉय को तो जैसे दूसरा जीवन मिल गया. उन्हें अब किसी प्रकार का प्रदर्शन नहीं करना था. सिंह परिवार की तरह इन दो दिनों केवल आनंद की उबलब्धि के लिए व्यतीत करने थे. रिश्ता हो या नहीं ये दिन उन्हें सदैव याद रहने चाहिए थे. इस स्वीकारोक्ति ने उनके सभी सदस्यों को तनावमुक्त कर दिया. और इसका प्रभाव उनके उत्साह पर पड़ा जो चौगुना हो गया.

अपने लौंड़ों को अपने साथी के मुंह से चुसवाते हुए अब लगभग दस मिनट तो निकल ही चुके थे. और पुरुषगण अपना बीज गिराने के लिए तैयार थे. उनके लौंड़ों की नसों और सुपाड़े को फूलता हुआ महसूस करने पर ये पता चल गया की वे सब झड़ने की कगार पर है. महिलाओं ने अपने आप को आते हुए सुनामी के लिए तैयार ही किया था कि एक एक करके सारे लौंड़ों अपना पानी छोड़ने लगे. इस स्वादिष्ट प्रोटीन युक्त प्रसाद की भेंट अपने मुंह में स्वीकारते हुए स्त्रियों ने एक बूँद भी बाहर न गिरने दी. पीने के बाद उन्होंने अपने हिस्से के लौड़े को एक बार और प्यार से चाटकर साफ किया और फिर अपने पांवों पर खड़ी हो गयीं.

शीला ने सागरिका से पूछा, "कैसा लगा मेरे पति का स्वाद बहू ?"
सागरिका: "बहुत अच्छा नानी जी. अब मुझे आपकी सुंदरता का रहस्य पता चल गया है."
शीला ने सागरिका को अपने गले से लगा लिया.
शीला: "और भी हैं इसके राज, एक बार तू बहू बनकर आ तो जा, देख तेरी सास को इसकी जवानी ही इसका साथ नहीं छोड़ती."

इसी तरह एक दूसरे से सब बातें कर रहे थे. समर्थ जॉय को एक ओर ले गया.,
समर्थ: "जॉय, तुम इतने सहमे से क्यों हो."
जॉय: "जी, लड़की का बाप हूँ, कुछ गलती न हो जाये."
समर्थ: "इस सोच को अपने मन से निकाल दो, अपने घर की लक्ष्मी हमें दे रहे हो और हम से ही डरते हो. संबंधों में मिठास रहनी चाहिए, औपचारिकता और डर नहीं. हमारे साथ वैसे ही रहो जैसे रहते हो. तुम हमसे छोटे नहीं हो. क्या मैं गलत कह रहा हूँ?"
जॉय: "बिल्कुल नहीं. अपने मेरे दिल को जीत लिया, नानाजी." ये कहकर जॉय नानाजी के गले से लग गया.

फिर दोनों लौट कर रणक्षेत्र में आ गए, जहाँ अगले चरण की तैयारी चल रही थीं.

शीला ने समर्थ को जॉय साथ वापिस आते देखा तो आँखों के इशारे से पूछा कि सब ठीक है? समर्थ ने हल्के गर्दन के इशारे से बताया कि अब ठीक है. शीला ने चैन की साँस ली.

समर्थ: "तो मेरी प्यारी बहूरानी अब क्या चाहती है?"
सागरिका: "जो मेरे प्यारे नानाजी चाहते हैं. मेरी चूत में आपका लंड."
शीला: "देखा मेरी बहूरानी को, घर में आने के पहले ही सबका मन जीत रही है? क्यों जॉय, क्या कहते हो."
जॉय: "माँ जी, आप बिल्कुल सही कह रही हैं, इसका स्वभाव ही बहुत मिलनसार है. और अगर सामने कोई लंड तानकर खड़ा हो तो फिर ये संकोच नहीं करती. जितनी जल्दी हो सके उसे अपनी चूत या गाँड में ले लेती है."

समर्थ ने जॉय को थम्स अप करके शाबाशी दी और सागरिका को बाँहों में लेकर उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए. दोनों ऐसे एक दूसरे को चूम रहे थे जैसे पृथ्वी का अंत निकट हो. समर्थ के हाथ सागरिका के वक्षस्थलों पर रेंग रहे थे. फिर उसने अपने हाथ पीछे किये और सागरिका के दोनों नितंबों को भरकर निचोड़ दिया. सागरिका की एक हल्की सी कराह निकल गयी और उसने चुम्बन को और भी गहरा करने का प्रयास किया. पर समय अब चुम्बन का नहीं, चुदाई का था. तो समर्थ ने उसका हाथ लिया और जमीन पर लगे मोटे गद्दों में से एक पर उसे ले जाकर बैठा दिया. फिर उसके साथ खुद बैठ चुम्बनों का आदान प्रदान पुनः आरम्भ हो गया.

फिर समर्थ ने सागरिका को लिटा दिया और अपना मोटा लम्बा लंड उसकी कमसिन गुलाबी चूत के मुंहाने रखा.
समर्थ: "बहू, डाल दूँ?"
सागरिका: "अब सोचिये मत, बना लीजिये आज मुझे अपनी. चोद दीजिये ये चूत।"
समर्थ ने अपने लंड को सागरिका की चूत में उतारना शुरू किया और कुछ ३-४ मिनट में पूरा लंड उसकी चूत में बैठ गया.

शीला ने जॉय को जाकर एक गहरा चुम्बन दिया, "कितने सुन्दर लग रहे हैं न दोनों?"
जॉय, जो अब खुल चुका था, ने शीला की गाँड दबाते हुए उसके चुम्बन का उत्तर दिया, "सचमुच, मुझे विश्वास है कि चुदवाती हुई आप भी बहुत ही सुंदर लगती होगी."
शीला: "ये देखने मैं अब तुम्हे ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी होगी, आओ पार्थ, तुम्हारे मामा को मेरी चुदवाती हुई मुद्रा देखनी है."

ये कहकर शीला पार्थ को लेकर एक गद्दे पर जाकर बैठ गई.

सुमति ने निखिल, शोनाली ने नितिन को अपने अपने गद्दों पर बैठा दिया. सुप्रिया और जॉय दोनों देख रहे थे.
सुप्रिया: "कितना मनोरम दृश्य है."
जॉय: "अगर पारुल भी होती तो और सुन्दर होता."
सुप्रिया: "हाँ, पर देखा जाये तो फिर लौंड़ों की कमी पड़ जाती."
जॉय हंस दिया. "वो तो वैसे भी पड़ने ही वाली है. अगले हफ्ते वो वापिस जो आ रही है."
सुप्रिया: "जॉय, प्लीज उसे आने के बाद मुझसे मिलने भेजना."
जॉय: "अवश्य. पर अब हम अपने विषय में भी कुछ सोचें?" ये कहकर जॉय ने सुप्रिया को बाँहों लिया और चुम्बनों की बौछार कर दी.
उसका हाथ लेकर वो भी एक गद्दे पर बैठ गया. और फिर उसने चारों ओर देखा.

समर्थ अपने लंड को तीव्रता से सागरिका की चूत में पेल रहा था. वहीँ शीला के फैले हुए पांवों के बीच पार्थ का लंड उसकी चूत की गहराइयाँ नाप रहा था. सुमति ने निखिल को लिटा दिया था और वो उसके लंड पर सवार थी और आगे झुककर तेजी से अपनी गाँड उछालकर चुदवा रही थी. नितिन ने शोनाली को घोड़ी बनाया हुआ था और वो पीछे से उसकी चूत में अपना लंड पेल रहा था. चारों महिलाएं सिसकारियों और घुटी हुई चीखों से अपने आनंद का प्रदर्शन कर रहे थे. जॉय ने ये सब देखकर सुप्रिया को खड़े स्थिति में ही आगे झुका दिया और उसकी कमर को मजबूती से पकड़कर पीछे से उसकी चूत में एक ही झटके में लंड पेल दिया. अब पांचों जोड़े संभोगरत थे और आनंद में झूल रहे थे.

समर्थ: "जॉय, तेरी बेटी की चूत तो बहुत कसी है. बहुत मजा आ रहा है इसे चोदने में."
जॉय: "बाबू जी, आपकी बेटी की चूत भी कोई कम नहीं. क्या सट के जा रहा है मेरा लंड इसकी चूत में."
सागरिका: "नानाजी, थोड़ा और जोर से चोदिये न, आपका लंड बहुत मजा दे रहा है, थोड़ा और लम्बे धक्के मारिये. मेरी चूत फटेगी नहीं, सच में."

समर्थ ने ये सुनकर अपने धक्कों की गति और तेज कर दी. इस उम्र में भी उसकी शक्ति देखने वाली थी. उसके लम्बे और गहरे धक्के सागरिका की चूत को भरपूर सुख दे रहे थे. उसका पानी अब तक दो बार छूट चूका था.

वहीँ शीला अपने आप को पूरी तरह से पार्थ को समर्पित कर चुकी थी. पार्थ अब उसकी बूढी चूत को प्रबल शक्ति से चोद रहा था. चूँकि शीला को इस प्रकार की चुदाई पसंद थी और वो इसकी रोज की दिनचर्या थी, वो इस नए लंड का भरपूर आनंद ले रही थी.

शीला: "बहुत अच्छा पार्थ, तू तो बहुत बढ़िया चुदाई करता है बेटा। मेरे नातियों के साथ मिलकर एक दिन तुम मेरे तीनों छेद सील करना."
पार्थ: "नानी, आप जब कहोगी मैं आ जाऊँगा. आपके बस बुलाने की देर होगी, मैं सब काम छोड़कर आपकी सेवा में उपस्थित हो जाऊँगा."
शीला की पनियाई हुई चूत अब पार्थ को वो घर्षण नहीं दे पा रही थी. तो उसने अपना लंड बाहर निकाला और गद्दे पर बिछे हुए बिस्तर के कपडे से उसकी चूत को पोंछ कर सुखा दिया और फिर वापिस अपना पूरा लंड एक ही झटके में डाल कर बेरहमी से चोदने लगा.
शीला: "वाह रे मेरे शेर, अब फटेगी मेरी चूत सही से. चोद मुझे हरामी. दम लगाकर चोद। "
पार्थ भी कहाँ पीछे हटने वाला था. उसने ऐसी चुदाई शुरू की जिसे देखकर कमजोर ह्रदय के व्यक्ति को दौरा ही पड़ जाता. पर शीला को इसमें असीम सुख मिल रहा था.

सुमति भी निखिल के लंड पर पूरे जोरशोर से उछल रही थी. निखिल का लंड उसके पार्थ के लंड के ही जितना बड़ा और चौड़ा था और उसे इससे बहुत संतुष्टि मिल रही थी. पार्थ उसको अब इतना समय नहीं देता था. घर में तीन और चुदने को तैयार चूतें जो थीं. उसे अब उसको किसी ने किसी के साथ बाँटना ही पड़ता था, अकेले माँ बेटे की चुदाई को बहुत समय हो गया था. पर आज निखिल से चुदने में उसे वही समय याद आ रहा था. और अभी नितिन भी तो था. अब भविष्य में उसे इन तीनों में से किसी न किसी के साथ अकेली रात मिल ही जाएगी. यही सोचकर उसकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी. वो आगे झुककर अपने मम्मी निखिल के मुंह में दबाकर उसके लंड पर जबरदस्त उठक बैठक कर रही थी. निखिल ने उसकी गाँड में एक ऊँगली डाली हुई थी जिससे वो उसके छेद को हल्के हल्के कुरेद रहा था.

सुमति फुसफुसा कर: "निखिल, मेरी गाँड जरूर मारना, उस दिन शोनाली की गाँड से तेरा रस पिया था, बहुत स्वादिष्ट था. पर मुझे अपनी गाँड से निकाल कर पीना है."

निखिल को याद आया की शोनाली ने अपनी गाँड को एक प्लग से बंद किया था क्लब में, जिससे उसका वीर्य बाहर न बहे. उसे समझ आ गया कि वो अवश्य सुमति के लिए सहेजी होगी. इतना प्यार और एक दूसरे का ध्यान रखने वाले परिवार की लड़की से शादी करने में कोई समस्या नहीं होने चाहिए.
निखिल: "बुआ, चिंता न करो. अब से मैं तुम्हें गाँड का इतना रस पिलवाऊंगा कि तुम्हारी सारी प्यास मिटा दूंगा. और नितिन और नाना से भी कहूंगा. आपके लिए अब कभी कमी नहीं होगी."
सुमति ये सुनकर बेहाल हो गई. उसकी गति अब कभी तेज तो कभी धीमी पड़ने लगी. ये समझकर कि शायद वो थक गई हो निखिल ने उसे पकड़कर एक करवट ली और सुमति अब नीचे थी और निखिल उसके ऊपर. अब तक निखिल सुमति के परिश्रम से ठहरा हुआ था पर अब उसने चूत में अपने लंडों को ऐसे पेलना शुरू किया कि सुमति का रोम रोम कांप गया.

शोनाली और जॉय भी अपने अपने साथी की पूरे जोश से चुदाई कर रहे थे. सुप्रिया की चूत इतने बार चुदने के बाद भी व्यायाम के कारण काफी कसी थी. और उसे चोदने में जॉय को बहुत आनंद आ रहा था. उसके साथ ही शोनाली नितिन को तेज चुदाई के लिए उकसा रही थी और नितिन अपनी पूरी ताकत उसकी चूत फाड़ने में झोंक रहा था.

पर आखिर ये सब कितनी देर चलता, एक एक करके सभी पुरुषों ने घोषणा की कि वो झड़ने वाले हैं. शीला ने सबको चेताया की चूत में कोई नहीं झड़ेगा बल्कि सब चेहरे पर अपना कामरस छोड़ेंगे. उसने महिलाओं को भी चेताया कि वो अपना मुंह बंद रखें और अपने चेहरे पर ही पूरा वीर्य इकठ्ठा करें. ये सुनकर जैसे जैसे जो झड़ने वाला होता वो अपने साथी के चेहरे के पास जाकर अपने लंडों की मुठ मरने लगता. सबसे पहले समर्थ की ही धार छूटी जिसने सागरिका के सुन्दर चेहरे पर गाढ़े सफ़ेद पानी का लेप कर दिया. उसके बाद जॉय ने सुप्रिया, निखिल ने सुमति, नितिन ने शोनाली और अंत में पार्थ ने शीला के चेहरे को अपने पानी से पोत दिया. शीला ने उसे अपने चेहरे और स्तनों पर अच्छे से माला और वही अन्य महिलाओं ने भी किया.

उसके बाद शीला उठी और सागरिका के पास जाकर उसका चेहरा और स्तन चाटकर साफ कर दिया और सागरिका से अपना चेहरा और स्तन चटवा लिए. फिर उसने बाकी तीनों महिलाओं के चेहरे और स्तन चाटकर साफ किये और अंत में लेट कर ऑंखें बंद करते हुए आनंद की अनुभूति करते हुए विश्राम करने लगी.

अन्य सभी लोग उठे और बार या बाथरूम की और अग्रसर हुए. कुछ ही देर में सब लोग वहीँ नंगे खड़े होकर अपनी अपनी ड्रिंक का पान करने लगे.

पार्थ: "नानी जी बहुत शांति से लेटी हैं. कोई परेशानी तो नहीं?"
समर्थ: "अरे नहीं, उसे लंडों का टॉनिक बहुत पसंद है. शराब से ज्यादा उसे इस टॉनिक से नशा होता है."
पार्थ: "सच में नानाजी, सबके अपने अपने स्वाद और पसंद होती है. मम्मी को गाँड मरवाकर उससे वीर्य पीना बहुत पसंद है. बल्कि हमारे यहाँ गाँड मारने के बाद उसका पूरा प्रसाद मम्मी को ही पिलाया जाता है."
समर्थ:" सुमति, लगता है अगले चरण में तुम्हे भरपूर भोजन मिलने वाला है. क्योंकि अगला राउंड गाँड खोलने का है."

सुमति की आँखों में एक चमक आ गयी जिसे देखकर कोई भी ये समझ सकता था कि वो इस समाचार से कितनी आनंदित हुई थी.

समर्थ ने शीला को पास बुलाया और उसके कान में कुछ कहा. शीला ने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और सुमति की ओर देखकर मुस्कुराई. सुमति झेंप गई तो शीला उसे अपने साथ अलग ले गई.
शीला: "समर्थ ने मुझे क्या बोले जानती हो?"
सुमति: "नहीं माँ जी."
शीला हँसते हुए बोली," उन्होंने कहा कि इस बार गाँड का पानी अकेले न पियूँ बल्कि इस बार तुम्हें पीने दूँ, फिर अगली बार मैं पियूँ."
सुमति आश्चर्य से उसकी ओर देखने लगी.
शीला: "तुम क्या सोचती हो, तुम्हें ही सब उलटे शौक हैं. मेरे पास आना कभी मेरे देखोगी तो चौंक जाओगी."
सुमति: "माँ जी, इससे अधिक विकृत क्या हो सकता है?"
शीला ने सुमति को पास खींचा और उसके कान में कुछ कहा. सुमति की ऑंखें चौड़ी हो गयीं.
शीला: "इन सबका मजा लेना हो तो कभी आओ हमारी हवेली पर."
सुमति: "ज जज जज्जि माँ जी. आउंगी."
शीला: "चलो अब लंडों को तैयार करें, मेरी तो गाँड कल रात से खुजला रही है. समर्थ ने मुझे कल छुआ भी नहीं, अपनी ताकत बचने के लिए."

उधर एक ओर शोनाली और पार्थ में भी कुछ गुप्त बातचीत चल रही थी. शोनाली उसकी बात से सहमत नहीं लग रही थी.
पार्थ: "मामी, मैं एक बार नानाजी से पूछ लूंगा अलग से. अगर उन्होंने सहमति दे दी, तब तो आपको कोई आपत्ति नहीं होगी न?"
शोनाली बेमन से मान गई.
पार्थ: "नानी बुला रही हैं, न जाने माँ के साथ क्या खिचड़ी पका रही थीं."
शोनाली: "बाद में पता चल जायेगा."

इसी के साथ सब अपनी ड्रिंक्स समाप्त कर चुके होते हैं और अगले चरण में प्रवेश के लिए कमर कस लेते हैं.

शीला: "अब गाँड मारने की बारी है. पर इसमें एक ही शर्त है. सारे मर्द पानी गाँड में ही छोड़ेंगे."
सबने अपनी स्वीकृति दी.

शीला ने आगे कहा, "और गाँड से निकला सूप ये मेरी सुमति को पिलायेंगे. तो ख़बरदार अगर किसी ने एक बूँद भी बाहर निकाला. ये सुनकर शोनाली चौंक गई. वो तुरंत दरवाजे के पास गई और बाहर खड़े एक सहायक से कुछ कहा. कोई ५-७ मिनट में सहायक ने उसके हाथ में कुछ थमा दिया.
शोनाली, "ये प्लग है जिससे गाँड का पानी बाहर नहीं निकलता. मैंने सबके लिए एक एक लिया है. और ये वेसलीन की ट्यूब, इतने बड़े लंडों हमारी गाँड में बिना वेसलीन के नहीं लेने वाले हम." ये कहते हुए उसने पांचों प्लग और वेसलीन की ट्यूब बाँट दिए.

समर्थ: "मैं चाहूंगा कि महिलाएं अपने साथी का लंडों चूस कर खड़ा करें. और इस बीच सुमति और शीला उनकी गाँड तैयार करें. बाद में सुमति शीला की गाँड तैयार करेगी."
जॉय: "पर सुमति दीदी का क्या होगा, और वैसे भी ये दोनों तीन गाँड कैसे तैयार करेंगे?"

इससे पहले कि समर्थ उत्तर देता शोनाली बोल उठी. "मेरे पास इसका भी उपाय है. बस ५ मिनट दो मुझे."
ये कहकर उसने टेबल से अपन मोबाइल उठाया और एक मेसेज भेजा. कुछ ५-७ मिनट में कमरे का एक दरवाजा खुला और उससे एक नंगी औरत ने प्रवेश किया. ये कोई और नहीं सिमरन थी. शोनाली ने उसके पास जाकर उसे उसकी भूमिका समझाई। सिमरन ने बेझिझक इस स्वीकार कर लिया. अब इस चरण की तैयारी हो चुकी थी.

समर्थ गद्दे पर बैठ गए और सागरिका अपने घुटनों पर उनकी जांघों के बीच आ गई. उसने अपनी गाँड ऊपर उठाकर समर्थ का लंडों अपने मुंह में ले लिया. शीला ने अपनी होने वाली बहू के पीछे स्थान लिया और उसकी जांघों से ऊपर चाटना शुरू किया.

जॉय ने अपना स्थान ग्रहण किया, फिर सुप्रिया ने सागरिका की तरह उसका लंडों अपने मुंह में लिया और सुमति उसकी गाँड की ओर अग्रसर हुई. नितिन और शोनाली ने भी अपनी स्थिति तय की और इस बार शोनाली की गाँड के पीछे सिमरन थी.

पार्थ और निखिल ने अपने लिए एक ड्रिंक बनाई और दोनों एक ओर खड़े होकर सामने चलने वाले सेक्स शो को देखने लगे. पार्थ को अपने क्लब के लिए एक नया आइडिया भी मिल गया. वो हर पार्टी में ऐसे शो अपने सदस्य और रोमियो से करवा सकता था. उसने मन ही मन नानाजी का धन्यवाद किया और निखिल के साथ खेल देखने लगा.

सागरिका इस समय समर्थ के लंडों की पूरी श्रद्धा से चुसाई कर रही थी. ऐसा लंडों का कोई अंश नहीं था जिसे उसे अछूता छोड़ा हो. उसे चाटने और चूसने में जैसे एक लालच का पुट था. जैसे कि वो कहीं खो न जाये. उसके पीछे शीला नानी उसकी चूत से लेकर गाँड तक चाटे जा रही थी. अब शीला एक अलग ही अनुभवी और पारखी औरत थी. उसने अपने जीवन का लम्बा समय किसी न किसी लंड के छोर पर ही बिताया था. और कुछ यही उनके मुंह की भी महिमा थी. वो लंडों, चूत हो या गाँड सबको इतने प्रेम से चाटती और चूसती थीं कि कोई बिरला ही उनसे स्पर्धा कर सकता था.

पर उनका मुख्य ध्यान सागरिका की गाँड पर ही था. उसकी गाँड के भूरे सितारे नुमा प्रवेश द्वार को वो अपनी उँगलियों से सहलाती और फिर चाट लेती. कुछ देर में उसने सागरिका की गाँड को दो हाथों से खोला और अपनी लम्बी जीभ को अंदर डालकर उससे ही जैसे उसे चोदने लगी. खुले छेद को थूक से भरकर उसने पहले दो फिर तीन उँगलियाँ अंदर डाल कर गाँड को थोड़ा चौड़ा कर दिया. फिर अपने हाथ से वेसलीन की ट्यूब लेकर लगभग एक चौथाई ट्यूब को गाँड के अंदर खाली कर दिया और दो उँगलियों से उसे अच्छी तरह से रगड़ रगड़ कर चिकना कर दिया. इस पूरे उपक्रम में गाँड का छेद अब काफी खुल गया था और समर्थ के लंडों के प्रवेश के लिए अब उचित था.

वहीँ दूसरी ओर सुमति जहाँ एक अनुभवी स्त्री थी पर उसका अधिक प्रेम गाँड से था. गाँड से सम्बंधित हर क्रिया की वो विशेषज्ञ थी. उसकी इस कला का एक नमूना सुप्रिया देख ही चुकी थी, और अब वो उस अनुभव के लिए दोबारा तैयार थी. बस इस बार उसके मुंह में जॉय का तमतमाया हुआ लंड था. सुमति उसकी गाँड खोलकर अपनी जीभ से ऐसे चाट रही थी जैसे किसी स्वादिष्ट व्यंजन खाने के बाद लोग थाली चाटते है. एक एक मिली मीटर को उसने चाट कर चमका दिया. और जब लगा की अब कुछ बाकी नहीं बचा है, तो वेसलीन की ट्यूब से गाँड को अच्छे से तर किया और उँगलियों से अच्छे से अंदर फैला कर अपने भाई के लिए तैयार कर दिया.

शोनाली नितिन के भरी लंड को दिल लगाकर चूस रही थी. साथ ही वो उसे अपने मुंह ने पूरी तरह लेकर अच्छे से गीला भी कर रही थी. उसके पीछे सिमरन को गाँड चाटने में कोई दिलचस्पी नहीं थी, इसीलिए उसने सीधे से वेसलीन लगाकर शोनाली की गाँड को अच्छा चिकना कर दिया और तीन उँगलियों से छेद को चौड़ा भी कर दिया. ये गाँड अब चुदाई के लिए सबसे पहले तैयार हुई थी.

शीला ने सागरिका के नितम्ब पर एक हल्की चपत दी तो उसने समर्थ के लंड को अपने मुंह से निकाल दिया. समर्थ शीला के आगे खड़े हो गए और शीला ने वेसलीन से उनके लंड की अच्छी मालिश कर दी.

वहीँ जॉय और नितिन के साथ भी यही हुआ. अब तीन मोटे लंड तीन मखमली गाँड के लिए तैयार थे. शीला ने पार्थ को बुलाया और लिटा दिया. अब वो उसके लंड को चूम और चाट कर तैयार करने लगी. सुमति ने अपना स्थान शीला के पीछे लिया और अपना जादू दिखाना प्रारम्भ किया. शीला इस स्तर के गुदा प्रेम से अभी तक वंचित थी. कुछ ही क्षणों में उसकी गाँड इतनी उत्तेजित हो गई की रुकना असंभव सा लगने लगा. सुमति से उसकी मनस्थिति को समझा और गाँड में वेसलीन लगाकर तीन उँगलियों के प्रयोग से खोल दिया. फिर पार्थ उठकर पास आ गया और उसके लंड पर उसने बहुत प्रेम से वेसलीन लगाई.
सुमति: "बेटा, अच्छे से मारना नानी की गाँड, मेरी इज्जत का सवाल है. नहीं तो सब सोचेंगे कि मैंने तुझे कुछ सिखाया नहीं."
पार्थ: "अरे माँ, तुम चिंता न करो. नानी की मैं पूरे मन से सेवा करूँगा और उनकी गाँड का घी मथ दूंगा."

सुमति ने अब निखिल को अपने पास बुला लिया और उसके लंड पर जुट गई और सिमरन ने उसकी गाँड को तैयार करने का काम शुरू किया. कुछ ही देर में ये जोड़ा भी तैयार था. सिमरन ने सबसे विदा मांगी और बताया कि आधे घंटे में शाम का नाश्ता परोसा जायेगा.

समर्थ ने अपना लंड सागरिका की मुलायम गाँड पर रखा और बड़े ही प्रेम से अंदर धकेल दिया. प्लप्प की आवाज़ के साथ सुपाड़ा गाँड की झिल्ली को छेदते हुए अंदर चला गया. सागरिका थोड़ी कसमसाई पर आगे के लिए अपने को सँभालने लगी. अब उसकी गाँड पहली बार तो मारी नहीं जा रही थी, और पार्थ के लंड को भी वो ले चुकी थी. पर गाँड मरवाना थोड़ा ज्यादा पेचीदा होता है. समर्थ पर इस कला के पारखी थे. न जाने कितनी ही गाँड उनकी इस कला से परिचित थीं. वो अविरल बिना रुके अपने लंड को बहुत हल्के से गाँड में उत्तर रहे थे. सागरिका साँस रोके इस प्रहार के समाप्त होने की राह देख रही थी. उसे अपनी गाँड धीरे धीरे भरती हुई महसूस हो रही थी. अचानक ये प्रगति रुक गई. उसने समर्थ को आगे झुककर उसकी गर्दन पर चुम्बन लेते हुए महसूस किया.

फिर फुसफुसाते हुए समर्थ ने कहा,"बहू तुमने तो मेरा पूरा ही लंड ले लिया आसानी से." ये कहकर एक झटका मारा तो रहा सहा लंड भी जड़ तक जाकर बैठ गया. इसके साथ ही समर्थ ने सागरिका की चूत पर एक हाथ रखकर उसे मसलने के साथ गाँड में अपने लंड की चहलकदमी शुरू कर दी. धीरे धीरे उन्होंने अपनी गति बढ़ाई और उसी गति से सागरिका की चूत की रगड़ाई भी. सागरिका तो जैसे पागल ही हो गई, वो लगातार झड़ रही थी. न जाने कितना पानी था उसके शरीर में जो चूत के रास्ते बहा जा रहा था. समर्थ ने अपने पूरे जोश से सागरिका की गाँड यही कोई १० मिनट तक मारी और फिर एक ओर रखे प्लग को उठाया और अपना पानी सागरिका की गाँड में छोड़ दिया. लंड सिकुड़ जाने के बाद धीरे से बाहर निकालते हुए प्लग जो गाँड ने डाल कर उसे सील बंद कर दिया. सुमति के लिए पहला पकवान तैयार था.

पार्थ ने शीला की गाँड में अपना लंड टिकाया और एक बार जैसे ही प्रवेश हुआ उसने लंडों बाहर खींचकर एक लम्बे झटके में पूरा एक ही बार में पेल दिया. अब शीला की गाँड इतनी बार पिल चुकी थी कि उसे उसमें भी मजा ही आया. वो आनंद से चीख पड़ी.

शीला: “वाह रे मेरे शेर. फाड़ दे ये गाँड, मिटा दे इसकी खुजली. कल से लपलपा रही है लंड के लिए. तेरे नाना ने तो कल छुआ भी नहीं मुझे. आज के लिए बचा रहा था. अच्छे से चोद, चिंता न कर फटेगी नहीं. बहुत राही इस रास्ते से गुजर चुके हैं. जरा जोर से और कस के मार. हाँ यूँ अब आया मजा. बहुत अच्छा लंड है रे तेरा. सुमति, तेरी किस्मत कितनी अच्छी है जो ऐसे लंड वाले लड़के को पैदा किया.”

बस यूँ ही बोलते हुए शीला की चूत भी पानी छोड़ रही थी. पार्थ ने अपनी दो उँगलियों में भग्नासे को पकड़ कर मसल दिया. शीला चीखकर झड़ गयी. पार्थ उसकी गाँड पूरी बेरहमी से मार रहा था, और शीला को यही पसंद था. अगर गाँड मरवाने में आंसू न निकलें तो मारने वाले की औकात पर बात आ जाती है. पर पार्थ उसे उसकी इच्छा से अधिक गहराई और वहशी तरीके से चोद रहा था. पर आखिर कितनी देर टिकता. १० मिनट की इस भयंकर चुदाई के बाद पार्थ ने बताया की वो झड़ने वाला है. अपना पानी छोड़कर, उसने अपने लंड को निकला और प्लग से शीला की लगभग फटी गाँड को सील कर दिया. सुमति के लिए दूसरा पकवान तैयार था.

लगभग उसी समय जॉय ने भी अपना माल सुप्रिया की गाँड में उड़ेल दिया और उसे भी सुमति के भोज के लिए पैक कर दिया। शोनाली की गाँड नितिन ने भर कर पैक कर दी. अब सुमति के लिए एक ही व्यंजन चार स्वाद में परोसने के लिए तैयार थे. प्रतीक्षा थी तो सुमति की जिसकी गाँड में अभी भी निखिल का लंड अपनी पूरी कलाबाजियां दिखा रहा था. पर कुछ ही देर में उसने भी सुमति की गाँड को सींच दिया और उसे भी प्लग लगाकर पैक कर दिया.

अभी सारी महिलाएं अपने घुटनों पर ही थीं और सबकी गाँड अभी भी उठी हुई थी. शीला ने पहल करते हुए सुमति को घुटनों के बल बैठने को कहा. उसके बाद उसने एक एक करके सारे आदमियों को आगे करते हुए शीला से उनके लंडों चटवा कर साफ करवाए. फिर उसने निखिल को इशारा करके एक पेग बनाने को कहा और उसे एक बाउल (बड़ी कटोरी) में लाने को कहा. निखिल समझ गया और लेने चला गया.

शीला: “सुमति, आज मैं तुम्हे ये रस पीने का एक और तरीका सिखाती हूँ.”
निखिल ने वो शराब (लगभग २ पेग के बराबर) से भरा कटोरा जमीन पर रखा.

शीला ने उसके ऊपर निशाना साधा और अपनी गाँड से प्लग निकाल कर रुका हुआ वीर्य कटोरे में छोड़ दिया.
एक एक करके चारों महिलाओं ने अपनी गाँड में थमा वीर्य उस कटोरे में डाल दिया. अंत में बारी आयी सुमति की तो उसने देखा कि सब उसकी ही ओर देख रहे हैं.

“अरे माँ, देखो नानी ने तुम्हारी पसंद के खाने को एक नए अंदाज में बनवाया है.”

अंततः सुमति ने भी अपनी गाँड से कामरस उस कटोरे में भर दिया. जब ये सब चल रहा था तो नितिन और सागरिका सबके लिए नए ड्रिंक्स बना कर ले आये थे. अब ९ नंगे लोग अपने हाथों में ग्लास थामे खड़े थे. सुमति ने कांपते हाथों से अपना शराब, वीर्य और गाँड के रस का कॉकटेल उठाया.

“चियर्स!” सब ने जोर से चिल्लाकर सुमति को प्रेरित किया और अपने ग्लास एक बार में ही खाली कर दिए. सुमति ने भी अपना प्याला अपने मुंह से लगाकर गटागट पीना शुरू किया. पर अधिक होने के कारण पूरा नहीं पी पायी. बाकी जो बचा वो उसने अपने चेहरे पर डाल कर उसे कॉकटेल से धो दिया.

“कीमती पेय की बर्बादी.” ये कहकर शीला उसके पास आयी और उसकी ठुड्डी से लेकर ऊपर तक चाटकर खुद पी लिया.

“क्यों सुमति, कैसा लगा स्वाद?”
“अच्छा था, पर तुम लोग उसमे इतना सारा दारू क्यों डाला? क्या मुझे नशे में करके मेरी गाँड मारना चाहते हो?”

ये सुनकर सब खिलखिला उठे. और फिर बाथरूम में जाकर नहाकर, अपने कपडे पहनने लगे. कुछ ही देर में वे सब संभ्रांत व्यक्तियों की तरह शाम के नाश्ते के लिए डाइनिंग रूम की और बढ़ गए.

उनके पीछे, सहायकों ने कमरे को साफ किया और सभी उपयोग किये हुए बिस्तरों को हटाकर नए लगा दिए. २० मिनट में वो कमरा पहले जैसा ही हो गया था.

नाश्ते के समय यूँ ही हल्की फुल्की बातें चलती रहीं. समर्थ और सिमरन में आँखों से कुछ बात हुई. समर्थ और सिमरन कुछ देर के लिए गायब हो गए. उन्होंने प्रयास तो किया कि किसी को समझ न आये पर इतने चतुर लोगों से वो बच न पाए. जब कुछ देर बाद सिमरन आयी तो उसकी चाल बदली हुई थी. शोनाली ने उसे देखकर आंख मारी तो सिमरन भी मुस्कुरा दी. समर्थ भी कुछ ही देर में आ गए. सब उनकी ओर देखकर मुस्कुराने लगे.

समर्थ: “बेचारी, सुबह से काम में लगी थी. देखा तो सोचा थोड़ी उसकी मालिश कर दूँ.”
शीला: “अंदर बाहर दोनों से मसला लगता है. कैसी थी?”
समर्थ: “जैसे पुरानी शराब.”
सब लोग हंसने लगे.

यूँ ही शाम के ७ बज गए. पार्थ ने पूछा कि कौन क्या लेगा. सबने अपनी पसंद की ड्रिंक बता दी. उसके साथ ही सिमरन ने खाने के लिए भी भेज दिया. इस समय दोनों परिवार बिल्कुल एक ही लग रहे थे.

समर्थ: “मुझे ख़ुशी है कि हम लोग एक दूसरे से इतने जल्दी स्वाभाविक हो गए.”
जॉय: “बाबूजी, इसके लिए आपका और माँ जी का बहुत श्रेय है. “
समर्थ: "हम बुजुर्गों का काम भी यही होता है."

शाम ८. ३० तक यही सब चलता रहा उसके बाद सबने खाना खाया और कुछ देर के लिए बाहर लॉन में बैठ गए.

सुप्रिया: “अब रात के लिए मैंने ये जोड़े तय किये हैं. सब अपने कमरे में ही रहेंगें। इससे उन्हें अलग से बात करने का समय भी मिलेगा.

१, निखिल और सागरिका: इन्हें जीवन साथ बिताना है, इसीलिए अच्छा हो जो एक दूसरे से पूछना हो पूछ लें.
२. माँ जी और जॉय: अब जब ये समधन से अंतरंग हो चुके हैं तो उसकी माँ से भी मिल लें.
३. पापा और शोनाली: अब बेटी की माँ का भी नाप देख लें.
४. सुमति और नितिन: अब ये दो भाई हर मिठाई को बांटते है.
५. पार्थ और मैं: क्यूंकि मैं इसकी शक्ति और विवेक दोनों से अचंभित हूँ.

सब ने अपनी सहमति जताई और उठने लगे. तभी पार्थ ने समर्थ से कुछ बात करने के लिए एक ओर बुलाया. जब बात पूरी हो गई तो समर्थ के हाव भाव से लग रहा था कि वो सहमत है. बात समाप्त होने पर पार्थ ने शोनाली को थम्ब्स अप का इशारा किया. शोनाली और पार्थ ने समर्थ और सुप्रिया से कुछ समय माँगा और एक ओर चले गए. लगभग १५ मिनट में वे लोग वापिस आ गए. तब तक बाकी सब अपने कमरों में जा चुके थे. ये चारों भी अपने कमरों में चले गए.

अगले दिन सुबह:

अगले दिन सभी एक एक करके अपने कमरों से निकलकर सुबह के नाश्ते के लिए डाइनिंग रूम में पहुँच गए. इस बार समर्थ शीला, शोनाली जॉय साथ बैठे थे. ये देखकर सबको सुखद आश्चर्य हुआ कि सागरिका ने निखिल के साथ बैठने का निश्चय किया. सुप्रिया नितिन और सुमति पार्थ के साथ बैठी थी. सिमरन ने बहुत अच्छा नाश्ता लगवाया था और सबने भरपूर खाया.

निखिल और सागरिका एक साथ बोले: “हमें कुछ कहना है.”
सबकी दृष्टि उनकी ओर केंद्रित हो गई.

निखिल ने पहल की: “हम दोनों की ये शादी से सहमति है. कल रात हमने काफी देर बात की और ये महसूस किया कि हमारी सोच लगभग हर विषय में मिलती है.”
सागरिका: “दूसरा ये कि हमने देखा कि हमारे परिवार कितनी सरलता से एक दूसरे के करीब आ गए. आज ऐसा लग ही नहीं रहा कि एक सप्ताह पहले हम लोग एक दूसरे को ठीक से जानते तक न थे, सिवाय इसके कि हम पडोसी थे.”
निखिल: “इसीलिए हमने ये सोचा है कि हम दोनों एक दूसरे और दोनों परिवारों के साथ बहुत खुश रहेंगे. और तो और हमारी जीवन पद्धति पर भी कोई आंच नहीं आएगी.”

ये सुनकर शीला ने उठकर सागरिका को गले लगा लिया और अपने गले का हार निकलकर उसे पहना दिया. उसका माथा चूमा और सागरिका ने उसके पांव छूकर आशीर्वाद लिया. फिर सागरिका ने समर्थ और सुप्रिया के पांव छुए. सुप्रिया ने भी उसे गले से लगाकर अपने हाथ का कंगन उसे पहनाया.

सुप्रिया: ”शोनाली और जॉय, आज से सागरिका हमारे घर की बेटी हुई. आप मंगनी और शादी की समय निश्चित करिये.”

ये सुनकर सुमति और शोनाली दोनों रोने लगीं. परन्तु उनके इन आँसुओं में ख़ुशी थी और किसी ने भी उन्हें चुप करने का प्रयास नहीं किया. पार्थ निखिल के पास जाकर उसके गले लग गया.
“अब हम केवल दोस्त नहीं है, जीजा जी.”
निखिल ने हंसकर अपने मित्र को उत्तर दिया, “अब संभल के रहना साले साहब.”

जॉय ने उठकर अपने कमरे से एक डिब्बा लाया और निखिल के हाथों में एक बेशकीमती आयातित घड़ी पहना दी. फिर उसे गले से लगाकर उसके माथे को चूम लिया.
“बेटा मुझे आज इतनी ख़ुशी मिली है, जिसका मैं वर्णन नहीं कर सकता.”

सिमरन ने भी सबको गले मिलकर बधाई दी और विश्वास दिलाया कि अगर उसकी कंपनी से केटरिंग कराई जाएगी तो वो अपनी पूरी श्रध्दा से उसे सफल करेगी.

सब लोग एक हंसी ख़ुशी के वातावरण में न जाने कितनी देर बातें ही करते रहे. फिर पार्थ ने समर्थ से पूछा कि क्या जो कल बात की थी वो अभी भी वैध है. समर्थ ने हामी भरकर कहा कि अब तो १०० गुना अधिक वैध है. पार्थ ने शोनाली की ओर देखकर उसे सिर हिलाकर स्वीकृति दी.

दोपहर के खाने के पहले दो चक्र शराब के चले, इस मौके का सबने जी भर के आनंद लिया.
भोजन के पश्चात् सभी लोग खेल कक्ष में चले गए. सभी बिना कुछ कहे बिना अपने वस्त्रों से अलग हुए और उन्हें अलमारी में टांग दिया.

तभी शोनाली और पार्थ ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा.

पार्थ: “कल मैंने नानाजी से कुछ पूछा था जिसकी उन्होंने मुझे अनुमति दे दी थी. इसीलिए आज का विशेष आयोजन हमारे दोनों परिवारों की स्त्रियों के लिए है.”
शोनाली: “सुमति दीदी ने कल माँ जी से हुई बात मुझे बताई थी, जो मैंने पार्थ को बताई.”
शीला के होठों पर एक मुस्कराहट और आँखों में चमक आ गई.
“इसीलिए, आज मैंने अपने क्लब के ६ रोमियो को अपनी सेवा के लिए और भी बुलाया है. हमारे चारों पुरुष सहायक, जो हमारे रोमियो भी हैं उनके साथ होंगे. दोनों सहायिकाएं भी उपस्थित रहेंगी. अब चूँकि हम सब व्यस्त होंगे तो पूरे कार्यकर्म का निर्देशन सिमरन जी करेंगी.”

ये कहकर उसने दो बार ताली बजाई। एक ओर का दरवाजा खुला जिसमें से सिमरन नंग धडंग अंदर आयी. उसके दोनों ओर उनकी दोनों सहायिकाएं सोनल और आतिशी भी नंगी खड़ी हो गयीं.
उसके बाद दरवाजे से १० नंगे लड़कों ने प्रवेश किया. और वो सब सिमरन के पीछे एक व्यूह में खड़े हो गए.

पार्थ: “आज हम सब अपने परिवार की महिलाओं को एक साथ तीन पुरुषों से सम्भोग का सुख देंगे. पर इसमें कुछ नियम हैं जो हर स्त्री के स्वभाव के अनुरूप होंगे:

१. गाँड का रस मम्मी को ही अर्पित होगा.
२. नानी माँ को अंत में वीर्य से नहलाया जायेगा.
३. चूत मारने के बाद के रस का सेवन केवल सागरिका के लिए होगा.

शोनाली: “मेरे विचार में ये नियम सही हैं और अगर किसी को कोई आपत्ति है तो बता सकता है.”
समर्थ: “मुझे ये देखकर प्रसन्नता होती है कि तुम हर कार्य एक नियम के अनुसार करते हो. मुझे किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं है.”
अन्य सबने भी अपनी स्वीकृति दी.

"इसमें से पहले सागरिका और नितिन, सुमति दीदी और पापा जी साथ होंगे क्यूंकि उन्हें अभी तक एक दूसरे का साथ नहीं मिला है. बाकी सब एक म्यूजिकल चेयर से जीते जायेंगे.”

ये कहकर शोनाली ने पाँचों स्त्रियों को एक गोले में खड़ा कर दिया. अब पुरुष लोग एक गोले में आ गए. शोनाली के कहने पर सिमरन ने एक गाना बजा दिया और सब आदमी गोले में घूमने लगे. इसमें होना ये था कि गाना रुकने पर जो भी आदमी जिस स्त्री के सम्मुख होता वो उसका साथी बन जाता. इसमें सागरिका और सुमति को केवल दो लोगों को चुनना था. तीन बार में सबके साथी निश्चित हो गए.

शोनाली के हिस्से में निखिल +२ आये , सुप्रिया को पार्थ +जॉय +१ मिले और शीला को तीनों नए रोमियो. २ २ रोमियो सागरिका और सुमति को भी मिले. .
और एक सामूहिक चुदाई का नंगा खेल प्रारम्भ करने के लिए बीच में आ गए.

कुछ ही समय में कमरा नंगे शरीरों का एक अखाडा बन गया था. पांचों महिलाएं एक गोल चक्र में एक दूसरे को देखती हुई बैठ गयीं. जब एक बार महिलाओं ने अपने हिस्से के लंड को चूस चाट कर कड़ा कर लिया तो उन्हें जल्द से जल्द अपने काम पर लगने के लिए उत्साहित करने लगीं.

शीला इस समय तीन रोमियो के बीच में सैंडविच बनी हुई थी. एक लंड उसकी चूत में था, एक गाँड में और एक मुंह में. सबसे बड़ी बात की तीनो लंडों १०” से बड़े थे यानि उसके शरीर में ३०” लंड भरे हुए थे. और वो सब उसके द्वारा उत्साहित किये जाने के कारण एक गहराई और बेदर्दी से उसके छेदों को मथ रहे थे. एक लंड जब चूत में घुसता तो गाँड वाला बाहर निकलता और इसी लय ने उसके दोनों छेदों का मंथन कर रखा था. उसके मुंह का लंड पहले तो शीला की दया पर निर्भर था पर बाद में उसने भी शीला का सिर पकड़कर उसे अपनी गति से चोदना शुरू कर दिया था.

यही कुछ स्थिति बाकी औरतों की भी थी. इस समय प्रेम और प्यार नहीं बल्कि शरीर का सहवास हो रहा था, सिर्फ जिस्म की भूख मिटाई जा रही थी. सिमरन एक घडी से समय देख रही थी. उसने ३ मिनट पूरे होने पर “CHANGE” की आवाज़ दी. ये सुनकर सबने अपने लंड बाहर निकाल लिए. फिर गाँड मारने वाले आदमी ने अगली औरत के पास जाकर अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया. जिसका लंड मुंह था वो नीचे लेट गया और चूत में लंड पेल दिया और जो चूत में था उसे गाँड में स्थान मिला.

(समझने के लिए: शीला की गाँड मारने वाले व्यक्ति ने अपने लंड को सुमति के मुंह में डाला. शीला की चूत मारने वाले ने गाँड में लंड डाला और सागरिका की गाँड मारने वाले ने अपना लंड शीला के मुंह में डाला.)

इसी प्रकार से हर 3 मिनट में सिमरन आवाज़ देती और हर आदमी अपने हिस्से का छेद बदल कर अगले निशान पर चला जाता. इस पूरे क्रम को पूरा करने में ४५ मिनट निकल गए और अब आदमियों से रुका नहीं जा रहा था. महिलाएं भी अब बदहवासी की ओर जा रही थीं. अंत में जो जहाँ से शुरू किया था वहीँ वापिस पहुँच चुका था. एक एक करके लंडो ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया और कुछ ही मिनटों में हर छेद पानी से लथपथ हो गया था. सागरिका अपने सामने आयी चूत से रस पिने लगी और सुमति गाँड. सब की साफ होने के बाद सब लोग निढाल पड़ गए.

सिमरन, सोनल और आतिशी ने गर्म पानी से गीले तौलिये लाये और सबके शरीर एक एक करके पोंछकर साफ किये. उसके बाद सबके लिए एक नया ड्रिंक बनाया और सबको दिया. अपना ड्रिंक पीते हुए सब यही सोच रहे थे कि क्या हम लोग विकृत तो नहीं हैं. दोपहर के लगभग तीन बज चुके थे और ५ बजे निकलना भी था तो यही तय किया कि अब अंतिम चरण का खेल शुरू किया जाये.

पर शीला ने अपनी मांग रख दी.

शीला: “देखो, ऐसा मौका बार बार नहीं आता, मैं अपनी एक इच्छा पूरी करना चाहती हूँ.”
समर्थ: “इतना खेलने के बाद अभी भी कुछ है जो बाकी है तुम्हारे मन में?”
शीला: “और क्या. मेरा मन एक साथ चार लंडों से चुदने का है. एक मुंह में, दो चूत और एक गाँड में.”
समर्थ: “इस उम्र में झेल पाओगी ये सब.”
शीला: “कोई नहीं, अगर झेल नहीं पायी तो कम से कम प्रयास करते हुए मरूंगी.”
समर्थ: “चुप कर. ऐसा क्यों बोलती है?”
शीला ने जॉय, पार्थ, निखिल और नितिन की ओर देखकर कहा, “करोगे इस बुढ़िया की इच्छा पूरी?”
जॉय: “अवश्य करेंगे, पर आप अपने आप को बूढ़ा समझना छोड़िये.”

ये कहकर चारों ने उसे घेर लिया.

घर के चारों पुरुषों ने उसे घेर कर लिटा दिया. सोनल और आतिशी आगे आयीं और सभी पुरुषों के लंड चूसकर अच्छे से खड़ा करने में लग गयीं. समर्थ बड़ी भूखी आँखों से दोनों को देख रहे थे.

शोनाली उनके पास गई, और धीरे से बोली, “आप का जब दिल करे बाबूजी, तब आप सोनम और आतिशी की मार लेना.”
समर्थ: “मुझे पता है कि तुम मुझे निराश नहीं करोगी.”

इस समय सामने जॉय ने अपना स्थान जमीन पर बनाया और सबने मिलकर सँभालते हुए शीला को उसके लंड पर बैठाया. निशाना गाँड पर था और कुछ ही मेहनत से जॉय का पूरा लंड शीला की गाँड में बैठ गया. अब बारी पार्थ और नितिन की थी दो लंड शीला की चूत में डालने की. कुछ अचरज भरी कलाबाजियों के साथ ये भी संभव हो गया और अब शीला की चूत में दो लंड थे और एक उसकी गांड में था. निखिल ने आगे आकर अपना लंड शीला के मुंह में घुसा दिया.

और अब शुरू हुआ भीषण चुदाई का वीभत्स नाच. वैसे भी सबके लौड़े एक से बढ़कर एक थे और जिस लयबद्ध तरीके से वो चोद रहे थे उससे ये प्रतीत होता था कि ये उन्होंने पहले भी किया हुआ है. शीला के मुंह में अगर निखिल का लंड न होता तो शायद उसकी चीखें क्लब को हिला देतीं. कुछ ही समय में शीला के झड़ने का सिलसिला थमा तो सबने एक दूसरा आसन में आक्रमण चालू रखा. इसी तरह से अलट पलट कर चारों मिलकर शीला को एक गुड़िया की तरह चोद रहे थे. तभी एक धक्के में गलती से नितिन का लंड चूत से बाहर तो आया पर चूत में जाने की स्थान पर नितिन ने उसे निखिल के लंड के साथ जो उसकी नानी की गाँड में पहले ही डला हुआ था उसके साथ मिला दिया. अब शीला की गाँड में दो लंड थे और चूत में एक.

(नीचे मैंने इस पराक्रम के कुछ चित्र भी लगाए हैं.)

इस प्रकार से शीला मंथन यही कोई बीस मिनट चला होगा. जिसके अंत तक शीला चुद चुद कर और झड़ झड़ कर निर्जीव सी हो गई थी. उधर सभी महिलाओं ने बाकी के लंड भी चूसकर झड़ने की कगार पर ला दिए थे. जब चुड़क्कड़ चार झड़ने के करीब पहुंचे तो वो हट जाते. जैसे ही आखिरी आदमी ने अपना लंड शीला के मुंह से निकाला, सब उसके इर्द गिर्द घेरा बनाकर खड़े हो गए और मुठ मारने लगे. एक एक करके हर पुरुष ने अपना गाढ़ा सफ़ेद वीर्य शीला के चेहरे और शरीर पर गिरा दिया. जब सब हटे तो शीला का चूत से ऊपर का पूरा शरीर कामरस से पुता हुआ था. पर शीला निढाल पड़ी थी.

सागरिका और सुप्रिया ने छाती और पेट, शोनाली ने चेहरा और सुमति ने चूत और गांड को चाटकर अच्छे से साफ कर दिया. सब खड़े होकर शीला के भोगे हुए शरीर को देख रहे थे.

कुछ देर में शीला ने आंख खोली और सबको अपनी ओर देखता पाया.
शीला: ” आऊवोह, मैं जीवित हूँ? मैं तो समझी थी कि मैं मर चुकी हूँ और फ़रिश्ते मुझे चोद रहे हैं.”
सुप्रिया: “अरे मम्मी तुम पूरी जिन्दा हो पर हाँ, फ़रिश्ते अवश्य तुम्हें चोद रहे थे.”

समर्थ ने हाथ बढाकर शीला को खड़ा किया.
समर्थ: “तो कैसा रहा तुम्हारा ये अनुभव?”
शीला: “अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय. मैं तो समझी थी कि मैं स्वर्ग में हूँ. पर इन लड़कों ने मुझ बुढ़िया की हड्डियां हिला डालीं ” फिर रूककर, “मुझे उसका नाम बताओ जिसने मेरी गाँड में दूसरा लंड डाला था.”

सब सहम गए, फिर नितिन ने हाथ खड़ा किया. शीला आगे बढ़ी और उसे चूम लिया.
“तूने मुझे वो सुख दिया जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी.”

पार्थ ने तभी कहा, “अब हमारे निकलने का समय हो रहा है, तो सब लोग नहाकर तैयार हो जाओ.”

सब एक एक करके तैयार हो गए. पार्थ ने सिमरन को बुलाकर कहा, “आपका इनाम पक्का है. अगले महीने के दूसरे शनिवार को सारे रोमियो आपकी सेवा में होंगे.”

तैयार होकर सब बाहर आये और एक दूसरे की गले मिलकर फिर रिश्ते की बधाई दी और अपनी गाड़ियों में सवार होकर अपने घर के लिए निकल गए.
 

prkin

Well-Known Member
5,394
6,131
189
इसके साथ मैं कुछ चित्र लगा रहा हूँ. पर मैं केवल चुने हुए एपिसोड्स में ही ऐसा करूंगा तो कृपया पिक्चर की रिक्वेस्ट न करें।



Screenshot-from-2020-08-08-15-28-01 Screenshot-from-2020-08-08-15-28-28 Screenshot-from-2020-08-08-15-28-32 Screenshot-from-2020-08-08-15-28-53 Screenshot-from-2020-08-08-15-29-26

Screenshot-from-2020-08-08-15-28-14
 

prkin

Well-Known Member
5,394
6,131
189
अपडेट आ गया दोस्तों।

बताइयेगा कैसा लगा.
 

rajeev13

Active Member
662
1,055
138
अत्यंत मादक कड़ी है मित्र, दिल खुश हो गया। :yippi:

अगली कड़ी की उत्सुकता से प्रतीक्षा में . . . . .
 

ABHISHEK TRIPATHI

Well-Known Member
6,406
28,431
218
Zabrdast...
 
Top